#क्षेत्र पंचायत सदस्य सैलरी
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sakettimes · 4 years ago
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UP Panchayat Chunav 2021: कितनी है प्रधान की 'सैलरी'? वोट देने से पहले जान लीजिए...
UP Panchayat Chunav 2021: कितनी है प्रधान की ‘सैलरी’? वोट देने से पहले जान लीजिए…
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनावों (UP Panchayat Chunav 2021) को लेकर मामला गर्म हो रहा है. हाईकोर्ट के आदेश के बाद सरकार और  चुनाव आयोग 30 अप्रैल से पहले चुनाव कराने के लिए जोरो-शोरो से जुट गया है. वहीं, प्रत्याशी भी अपने स्तर कमर कसने लगे हैं. पोस्टर छपने लगे हैं, तो कहीं-कहीं समीकरण भी बनने लगे हैं. हालांकि, आरक्षण सूची के इंतजार अभी तक प्रत्याशी खुल कर बोलने में हिचक रहे हैं. लेकिन…
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vilaspatelvlogs · 4 years ago
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UP Panchayat Chunav 2021: कितनी है प्रधान की 'सैलरी'? वोट देने से पहले जान लीजिए...
UP Panchayat Chunav 2021: कितनी है प्रधान की ‘सैलरी’? वोट देने से पहले जान लीजिए…
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनावों (UP Panchayat Chunav 2021) को लेकर मामला गर्म हो रहा है. हाईकोर्ट के आदेश के बाद सरकार और  चुनाव आयोग 30 अप्रैल से पहले चुनाव कराने के लिए जोरो-शोरो से जुट गया है. वहीं, प्रत्याशी भी अपने स्तर कमर कसने लगे हैं. पोस्टर छपने लगे हैं, तो कहीं-कहीं समीकरण भी बनने लगे हैं. हालांकि, आरक्षण सूची के इंतजार अभी तक प्रत्याशी खुल कर बोलने में हिचक रहे हैं. लेकिन…
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tezlivenews · 3 years ago
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UP News: जानिए ग्राम प्रधान से लेकर जिला पंचायत अध्यक्ष को कितनी मिलती है सैलरी
UP News: जानिए ग्राम प्रधान से लेकर जिला पंचायत अध्यक्ष को कितनी मिलती है सैलरी
Lucknow News: ग्राम पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्य का पद अवैतनिक होता है. यानी इन्हें हर महीने कोई निश्चित मानदेय नहीं मिलता है. Source link
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mastereeester · 4 years ago
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Jila Panchayat Adhyaksh : जिले का सर्वेसर्वा होता है जिला पंचायत अध्यक्ष, जानें- कितनी मिलती है सैलरी और क्या है काम [Source: Patrika : India's Leading Hindi News Portal]
Jila Panchayat Adhyaksh : जिले का सर्वेसर्वा होता है जिला पंचायत अध्यक्ष, जानें- कितनी मिलती है सैलरी और क्या है काम [Source: Patrika : India’s Leading Hindi News Portal]
पत्रिका न्यूज नेटवर्कलखनऊ. उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव संपन्न हो चुके हैं। प्रदेश को 58,175 ग्राम प्रधान, 75,852 क्षेत्र पंचायत सदस्य और 3051 नये जिला पंचायत सदस्य मिल चुके हैं (हालांकि, इनमें से कुछ का निधन हो चुका है)। अब बार�� ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष चुनने की है। इन पदों को लेकर सियासी घमासान शुरू हो गया है। आइये जानते हैं कि जिला पंचायत अध्यक्ष (Jila Panchayat…
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avitaknews · 4 years ago
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UP Panchayat Chunav 2021: वोट देकर जिसे बनाएंगे प्रधान, सरकार उसे देगी इतनी 'सैलरी'
UP Panchayat Chunav 2021: वोट देकर जिसे बनाएंगे प्रधान, सरकार उसे देगी इतनी ‘सैलरी’
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनावों (UP Panchayat Chunav 2021) को लेकर माहौल अब अपने चरम पर है. आरक्षण की सूची( Reservation List) जारी होने के बाद से प्रत्याशी अपनी तैयारियों में जुट गए हैं. चुनाव जीतने के लिए वे घर-घर का चक्कर लगाने लगे हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य, जिला पंचायत सदस्य और जिला पंचायत अध्यक्ष बनने के लिए प्रत्याशी इतनी मेहनत कर रहे हैं, उनको…
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abhay121996-blog · 3 years ago
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लॉकडाउन में बढ़ी महिलाओं के साथ हिंसा, छूटी लड़कियों की पढ़ाई.. सर्वे में खुलासा Divya Sandesh
#Divyasandesh
लॉकडाउन में बढ़ी महिलाओं के साथ हिंसा, छूटी लड़कियों की पढ़ाई.. सर्वे में खुलासा
लखनऊ कोरोना और लॉकडाउन का असर जहां लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ा है, वहीं इसने महिलाओं और लड़कियों के जीवन पर कई अन्य तरह से भी प्रभाव डाला है। इसकी वजह से महिलाओं पर हिंसा में बढ़ोतरी देखी गई है। वहीं उन पर काम का बोझ भी बढ़ गया है। लड़कियों की पढ़ाई भी छूटी है जिससे उन पर कम उम्र में शादी का दवाब भी बढ़ा है। हाल ही में महिला अधिकारों के लिए काम करने वाली स्वंयसेवी संस्था ब्रेकथ्रू की ओर से कराए गए सर्वे में ये बातें सामने आई हैं।
लॉकडाउन में पुरूषों का छूटा रोजगार तो महिलाओं पर बढ़ी हिंसा सर्वे में 70 फीसदी पुरुषों और 72 महिलाओं ने स्वीकार किया कि कोविड की वजह से हुए लॉकडाउन ने रोजगार पर बुरा असर डाला है। रोजगार छिनने की वजह से पुरुष जहां आक्रमक हो गए वहीं उन्होंने जरा-जरा सी बात पर महिलाओं के साथ हिंसा शुरू कर दी। दोनों में से कुल 42 फीसदी ने कहा कि उन्होंने अपने आस-पास देखा है और खुद अनुभव किया है कि कोविड/लॉकडाउन की वजह से हिंसा बढ़ी है।
तकरीबन 78.1 फीसदी शहर के और 82.2 फीसदी ग्रामीण क्षेत्र के उत्तरदाताओं ने माना कि लड़कियों और महिलाओं दोनों के साथ हिंसा हुई है। शहरी क्षेत्रों के 78.5 फीसदी ने कहा कि हिंसा करने वाले पुरुष और लड़के थे। वहीं 15.6 फीसदी ने माना कि हिंसा लड़कों और पुरुषों दोनों के साथ भी हुई है। 41 फीसदी पुरूष और 49 फीसदी महिलाओं ने माना कि लॉकडाउन और बेरोजगारी की वजह से पुरुष के पास पहले से अधिक खाली समय है जिसकी वजह से वह पीने और स्मोंकिग करने लगे हैं।
इस दौरान घरेलू हिंसा में भी इजाफा देखने को मिला। घरलू हिंसा के कारणों में 44 फीसदी घरेलू काम न करना, 31 फीसदी शराब पीने, 25 फीसदी दूसरों को गाली देने, 18 फीसदी पढ़ाई न करना, 6 फीसदी आर्थिक, 3 फीसदी तनाव, परिवार का दवाब, रोजगार न होना और 1 फीसदी कहने के बाद तुरंत पुरुष के बताए काम को न करना रहा।
महिलाओं का भी काम छूटा तकरीबन 74 फीसदी पुरुषों ने और 66 फीसदी महिलाओं ने माना कि लॉकडाउन की वजह से महिलाओं की नौकरी पर भी असर पड़ा है और उनको नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। 48 फीसदी लोगो ने बोला कि उनकी नौकरी चली गई है और यदि नौकरी बची भी है तो उनको सैलरी नहीं मिल रही है।
लॉकडाउन ने लड़को की अपेक्षा लड़कियों की पढ़ाई ज्यादा बुरा असर 68 फीसदी पुरूष और 57 फीसदी महिलाओं ने माना कि लॉकडाउन की वजह से लड़कों के अपेक्षा लड़कियों की पढ़ाई ज्यादा प्रभावित हुई है। 10 फीसदी उत्तरदाताओं ने कहा कि वह ऑनलाइन क्लासेज के लिए बच्चों के पास जरूरी जानकारी नहीं है। वहीं कई के पास मोबाइल, इंटरनेट आदि की सुविधा न होने की वजह से इसे एक्सेस नहीं कर पाते। वहीं 10 फीसदी ने कहा कि ऑनलाइन क्लासेज उतनी प्रभावी नहीं है जितना क्लासरूम में होती है। ऑनलाइन क्लासेज में उनको जानकारी शेयर तो कर दी जाती है लेकिन उनको टीचर से उतना गाइडेंस नहीं मिल पाता जितना स्कूल/कॉलेज में मिलता है।
कोविड ने ब़ढ़ाया बाल विवाह का खतरा सर्वे में 10 फीसदी ने कहा कि इस महामारी की वजह से उनके आस-पास लड़कियों की शादी कम उम्र में हो गई। घर में किसी अन्य महिला सदस्य के न होने की स्थिति में 9 फीसदी महिलाओं को बीमारी के बाद भी घर के काम से छुट्टी नहीं मिली। उनके पास इसके लिए कोई विकल्प नही हैं। सर्वे के मुताबिक यदि कोई पुरूष बीमार पड़ता है तो महिलाओं के ऊपर अतिरिक्त जिम्मेदारी आ जाती है, जिसमें 80 फीसदी बीमार के देखभाल में, 65 फीसदी घरेलू काम की, 57 फीसदी बच्चों के देखभाल की अतिरिक्त जिम्मेदारी उठानी पड़ रही है।
महिला के बीमार होने पर पूरूषों की जिम्मेदारी घर के कामों में 71.8, बीमार की देखभाल में 67.6,बच्चों की देखभाल में 61.5 इजाफा हुआ है। 69 फीसदी पुरूषों और 76 फीसदी महिलाओं ने कहा कि अगर कोई बीमार नहीं भी है तो लॉकडाउन की वजह से परिवार के सभी सदस्यों के घर पर होने से महिलाओं पर घरेलू काम का बोझ काफी बढ़ गया है।
पुरूष के बीमार होने पर महिलाओं ने उठाई खरेलू खर्चे की भी जिम्मेदारी यहां रोचक तथ्य यह भी निकल कर आया कि 68 फीसदी ने माना कि महिलाओं के ऊपर घरेलू खर्चे मैनेज करने की जिम्मेदारी आ जाती है। वहीं सिर्फ सिर्फ 2.3 फीसदी ने माना कि महिला के बीमार होने पर पुरुषों के ऊपर घर के खर्चों को मैनेज करने की अतिरिक्त जिम्मेदारी आ जाती है।
रैपिड सर्वे में शामिल हुए 9 राज्यों के लोग सर्वे में उत्तर प्रदेश, हरियाणा, बिहार, दिल्ली, असम ,राजस्थान, केरल, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल के लोगों को शामिल किया गया था। इनमें किशोर-किशोरियां, युवा, कम्युनिटी डेवलपर, शिक्षक, फ्रंटलाइन वर्कर्स (आशा-आंगनबाड़ी आदि) और पंचायत के सदस्य शामिल रहे। रैपिड सर्वे में कुल 318 लोग शामिल हुए जिसमें 70 फीसदी औरतें और 30 फीसदी पुरुष थे। सर्वे में 42.5 फीसदी उत्तर प्रदेश से, बिहार से 19.5 फीसदी, हरियाणा से 19.2 फीसदी,दिल्ली से 11 फीसदी, असम से 1.9 फीसदी, राजस्थान से 0.6 फीसदी, केरल, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल से 0.3 फीसदी लोगों ने हिस्सा लिया। इनमें ग्रामीण इलाकों से 72 फीसदी और शहरी इलाकों से 28 फीसदी थे।
और अधिक प्रयास की जरूरत इस रैपिड सर्वे के परिणाम पर ब्रेकथ्रू की राज्य प्रमुख ( उत्तर प्रदेश) कृति प्रकाश कहती है कि कोविड और लॉकडाउन ने महिलाओं और लड़कियों के साथ होने वाले भेदभाव और हिंसा और अधिक बढ़ा दिया है। उनके साथ जहां हिंसा बढ़ी है वहीं घर के काम के बढ़ते बोझ के साथ ही घरेलू खर्चों को उठाने की जिम्मेदारी भी उन पर आ गई है। लड़कियों की पढ़ाई छूटी है तो कम उम्र में उन पर शादी का दबाव भी बढ़ा है। वह आगे कहती है कि समानता वाला समाज बनाने के लिए अब महिलाओं और लड़कियों के लिए और अधिक प्रयास करने की जरूरत है।
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vilaspatelvlogs · 4 years ago
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UP पंचायत चुनाव: वोट देकर जिसे बनाएंगे प्रधान, जानिए उसे कितनी मिलती है सैलरी?
UP पंचायत चुनाव: वोट देकर जिसे बनाएंगे प्रधान, जानिए उसे कितनी मिलती है सैलरी?
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनावों (UP Panchayat Chunav 2021) को लेकर माहौल अब अपने चरम पर है. आरक्षण की सूची( Reservation List) जारी होने के बाद से प्रत्याशी अपनी तैयारियों में जुट गए हैं. चुनाव जीतने के लिए वे घर-घर का चक्कर लगाने लगे हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य, जिला पंचायत सदस्य और जिला पंचायत अध्यक्ष बनने के लिए प्रत्याशी इतनी मेहनत कर रहे हैं, उनको…
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