#क्या होता है खरना
Explore tagged Tumblr posts
eradioindia · 25 days ago
Text
नहाय-खाय के बाद छठ के दूसरे दिन क्या करते हैं, जाने इस दिन की पूजा विधि
चार दिवसीय लोक आस्था के महापर्व छठ की शुरुआत हो चुकी है. आज छठ पर्व का पहला दिन है, जिसे नहाय खाय कहा जाता है. इसके अगले दिन खरना होती है, जोकि महापर्व का दूसरा और अहम दिन होता है। छठ महापर्व के दूसरे दिन खरना मनाया जाता है। इस दिन सुबह से लेकर शाम तक उपवास करते हैं और शाम के समय भोजन करते हैं। इसे खरना कहा जाता है और शास्त्रों में खरना का मतलब शुद्धिकरण बताया गया है। इस दिन छठ पूजा का प्रसाद…
0 notes
journalistcafe · 3 years ago
Text
आज से शुरू हुआ छठी मैया की उपासना का महापर्व, जानें खरना का विधि विधान
आज से शुरू हुआ छठी मैया की उपासना का महापर्व, जानें खरना का विधि विधान
आज से छठ पूजा कि शुरुआत हो चुकी है और यह त्योहार चार दिन तक बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है। छठ पूजा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को की जाती है। वही समापन सप्तम�� को सुबह भगवान सूर्य के अर्घ्य के साथ होता है। छठ का पर्व वशेष तौर पर बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में बड़े ही हर्षो उल्लास से मनाया जाता है। छठ पूजा: छठ पूजा बहुत ही पवित्र पूजा होती है और यह व्रत बहुत…
Tumblr media
View On WordPress
0 notes
allgyan · 4 years ago
Link
छठ पूजा क्यों बनता जा रहा है मुख्य पर्व -
छठ पर्व, छठ या षष्‍ठी पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी को मनाया जाने वाला एक हिन्दू पर्व है।सूर्योपासना का यह अनुपम लोकपर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखण्ड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है। कहा जाता है यह पर्व बिहारीयों का सबसे बड़ा पर्व है ये उनकी संस्कृति है। छठ पर्व बिहार मे बड़े धुम धाम से मनाया जाता है। ये एक मात्र ही बिहार या पूरे भारत का ऐसा पर्व है जो वैदिक काल से चला आ रहा है और ये बिहार कि संस्कृति बन चुका हैं। यहा पर्व बिहार कि वैदिक आर्य संस्कृति कि एक छोटी सी झलक दिखाता हैं। ये पर्व मुख्यः रुप से ॠषियो द्वारा लिखी गई ऋग्वेद मे सूर्य पूजन, उषा पूजन और आर्य परंपरा के अनुसार बिहार मे यहा पर्व मनाया जाता हैं।
छठ पूजा क्या धार्मिक कार्य करना पड़ता है -
इस पर्व के अनुष्ठान कठोर हैं और चार दिनों की अवधि में मनाए जाते हैं। इनमें पवित्र स्नान, उपवास और पीने के पानी (वृत्ता) से दूर रहना, लंबे समय तक पानी में खड़ा होना, और प्रसाद (प्रार्थना प्रसाद) और अर्घ्य देना शामिल है। परवातिन नामक मुख्य उपासक (संस्कृत पार्व से, जिसका मतलब 'अवसर' या 'त्यौहार') आमतौर पर महिलाएं होती हैं। हालांकि, बड़ी संख्या में पुरुष इस उत्सव का भी पालन करते हैं |पर्यावरणविदों का दावा है कि छठ हिन्दुओं का पर्यावरण के अनुकूल पर्व है |
लोक आस्था का पर्व -
भारत में छठ सूर्योपासना के लिए प्रसिद्ध पर्व है|लोक परम्परा के अनुसार सूर्यदेव और छठी मइया का सम्बन्ध भाई-बहन का है|यह पर्व चार दिनों का है। भैयादूज के तीसरे दिन से यह आरम्भ होता है। पहले दिन सेन्धा नमक, घी से बना हुआ अरवा चावल और कद्दू की सब्जी प्रसाद के रूप में ली जाती है। अगले दिन से उपवास आरम्भ होता है। व्रति दिनभर अन्न-जल त्याग कर शाम करीब ७ बजे से खीर बनाकर, पूजा करने के उपरान्त प्रसाद ग्रहण करते हैं, जिसे खरना कहते हैं। तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य यानी दूध अर्पण करते हैं। अंतिम दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य चढ़ाते हैं। पूजा में पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है,लहसून, प्याज वर्जित होता है। जिन घरों में यह पूजा होती है, वहाँ भक्तिगीत गाये जाते हैं।अंत में लोगो को पूजा का प्रसाद दिया जाता हैं।
छठ पर्व और विज्ञानं -
छठ पर्व को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो षष्ठी तिथि (छठ) को एक विशेष खगोलीय परिवर्तन होता हैऔर इस समय सूर्य की पराबैगनी किरणें (Ultra Violet Rays) पृथ्वी की सतह पर सामान्य से अधिक मात्रा में एकत्र हो जाती हैं इस कारण इसके सम्भावित कुप्रभावों से मानव की यथासम्भव रक्षा करने का सामर्थ्य प्राप्त होता है। पर्व पालन से सूर्य (तारा) प्रकाश (पराबैगनी किरण) के हानिकारक प्रभाव से जीवों की रक्षा सम्भव है। पृथ्वी के जीवों को इससे बहुत लाभ मिलता है। सूर्य के प्रकाश के साथ उसकी पराबैगनी किरण भी चंद्रमा और पृथ्वी पर आती हैं। सूर्य का प्रकाश जब पृथ्वी पर पहुँचता है, तो पहले वायुमंडल मिलता है। वायुमंडल में प्रवेश करने पर उसे आयन मंडल मिलता है। पराबैगनी किरणों का उपयोग कर वायुमंडल अपने ऑक्सीजन तत्त्व को संश्लेषित कर उसे उसके एलोट्रोप ओजोन में बदल देता है। ��स क्रिया द्वारा सूर्य की पराबैगनी किरणों का अधिकांश भाग पृथ्वी के वायुमंडल में ही अवशोषित हो जाता है।जिससे मनुष्य या जीवन को लाभ होता है|
1 note · View note
newslobster · 2 years ago
Text
Chhath Puja 2022: छठ महापर्व में खरना का क्या है महत्व, जहां जानें Kharna का डेट और शुभ मुहूर्त
Chhath Puja 2022: छठ महापर्व में खरना का क्या है महत्व, जहां जानें Kharna का डेट और शुभ मुहूर्त
Chhath 2022 Kharna: छठ पर्व का खरना इस बार 29 तारीख को है. खास बातें छठ का खरना है इस दिन. छठ महापर्व का खरना होता है खास. इस दिन छठी मैया के लिए प्रसाद तैयार किया जाता है. Chhath 2022 Kharna Date, Shubh Muhurat, Puja Vidhi, Importance: छठ लोक आस्था का सबसे पड़ा पर्व माना गया है. छठ महापर्व (Chhath 2022) ही एकमात्र ऐसा पर्व है जब ��ूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. छठ पर्व का इतिहास…
Tumblr media
View On WordPress
0 notes
tezlivenews · 3 years ago
Text
Chhath 2021: लखनऊ में छायी है छठ की छटा, सदियों से परंपरा निभा रहीं हैं महिलाएं | Hindi News
Chhath 2021: लखनऊ में छायी है छठ की छटा, सदियों से परंपरा निभा रहीं हैं महिलाएं | Hindi News
<p>प्रदेश में छठ महापर्व की धूम है। देश विदेश से लोग अपने घर वापस ये त्यौहार मानाने आये हैं। आज छठ महापर्व का दूसरा दिन है। पहले दिन नहाय-खाय की परंपरा निभाने के बाद दूसरे दिन शुरू होता है खरना का संस्कार। &nbsp;इस दिन व्रती पूरे दिन व्रत करके शाम को खीर का प्रसाद ग्रहण करते हैं। जानिए क्या है खरना का महत्त्व और विधि विधान….&nbsp;</p> Source link
Tumblr media
View On WordPress
0 notes
nisthadhawani · 3 years ago
Text
जानिये छठ में खरना के दिन क्या होता है ?
जानिये छठ में खरना के दिन क्या होता है ?
आप सभी जानते ही हैं कि देशभर में छठ पूजा की धूम मची हुई है। वहीं छठ पर्व की शुरुआत 8 नवंबर को नहाय-खाय के साथ हो चुकी है। अब आज नहाय-खाय के बाद  को खरना मनाया जा रहा है। आप सभी को बता दें कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को खरना मनाया जाता है। जी दरअसल खरना में दिन भर व्रत के बाद व्रती रात को पूजा के बाद गुड़ से बनी खीर खाकर, उसके बाद से 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू करते हैं। आइये आपको…
Tumblr media
View On WordPress
0 notes
headlinehindi · 4 years ago
Photo
Tumblr media
छठ पर्व में आज खरना का दिन, जानिए दिनभर क्या होता है, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त http://www.headlinehindi.com/national-hindi-news/%e0%a4%9b%e0%a4%a0-%e0%a4%aa%e0%a4%b0%e0%a5%8d%e0%a4%b5-%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%82-%e0%a4%86%e0%a4%9c-%e0%a4%96%e0%a4%b0%e0%a4%a8%e0%a4%be-%e0%a4%95%e0%a4%be-%e0%a4%a6%e0%a4%bf%e0%a4%a8-%e0%a4%9c/?feed_id=21610&_unique_id=5fb5f82e21f45
0 notes
astropatrika · 5 years ago
Photo
Tumblr media
4 दिन तक मनेगा छठ पर्व, नहाय-खाय से होगी शुरुआत, जानें शुभ-मुहूर्त -
कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से ही देवी छठ माता की पूजा अर्चना शुरू हो जाती है और सप्तमी तिथि की सुबह तक चलती है. शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को नहाय-खाय होता है. इसमें व्रती का मन और तन दोनों ही शुद्ध और सात्विक होते हैं. इस दिन व्रती शुद्ध सात्विक भोजन करते हैं.
 शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को खरना का विधान होता है व्रती सारा दिन निराहार रहते हैं और शाम के समय गुड़ वाली खीर का विशेष प्रसाद बनाकर छठ माता और सूर्य देव की पूजा करके खाते हैं. षष्टि तिथि के पूरे दिन निर्जल रहकर शाम के समय अस्त होते सूर्य को नदी या तालाब में खड़े होकर अर्घ्य देते हैं और अपने मन की कामना सूर्यदेव को कहते हैं.
 सप्तमी तिथि के दिन भी सुबह के समय उगते सूर्य को भी नदी या तालाब में खड़े होकर जल देते हैं और अपनी मनोकामनाओं के लिए प्रार्थना करते हैं. आइए जानते हैं ये चारों तिथि किस दिन पड़ रही हैं और इन सभी दिनों के शुभ मुहूर्त क्या हैं.
 छठ पूजा का कैलेंडर-
छठ पूजा नहाय-खाए (31 अक्टूबर)
खरना का दिन (1 नवम्बर)
छठ पूजा संध्या अर्घ्य का दिन (2 नवम्बर)
उषा अर्घ्य का दिन (3 नवम्बर)
 पूजा के लिए शुभ मुहूर्त-
पूजा का दिन- 2 नवंबर, शनिवार
पूजा के दिन सूर्योदय का शुभ मुहूर्त- 06:33
छठ पूजा के दिन सूर्यास्त का शुभ मुहूर्त- 17:35
षष्ठी तिथि आरंभ- 00:51 (2 नवंबर 2019)
षष्ठी तिथि समाप्त- 01:31 (3 नवंबर 2019)
0 notes
vashikaranno1 · 5 years ago
Photo
Tumblr media
4 दिन तक मनेगा छठ पर्व, नहाय-खाय से होगी शुरुआत, जानें शुभ-मुहूर्त -
कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से ही देवी छठ माता की पूजा अर्चना शुरू हो जाती है और सप्तमी तिथि की सुबह तक चलती है. शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को नहाय-खाय होता है. इसमें व्रती का मन और तन दोनों ही शुद्ध और सात्विक होते हैं. इस दिन व्रती शुद्ध सात्विक भोजन करते हैं.
 शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को खरना का विधान होता है व्रती सारा दिन निराहार रहते हैं और शाम के समय गुड़ वाली खीर का विशेष प्रसाद बनाकर छठ माता और सूर्य देव की पूजा करके खाते हैं. षष्टि तिथि के पूरे दिन निर्जल रहकर शाम के समय अस्त होते सूर्य को नदी या तालाब में खड़े होकर अर्घ्य देते हैं और अपने मन की कामना सूर्यदेव को कहते हैं.
 सप्तमी तिथि के दिन भी सुबह के समय उगते सूर्य को भी नदी या तालाब में खड़े होकर जल देते हैं और अपनी मनोकामनाओं के लिए प्रार्थना करते हैं. आइए जानते हैं ये चारों तिथि किस दिन पड़ रही हैं और इन सभी दिनों के शुभ मुहूर्त क्या हैं.
 छठ पूजा का कैलेंडर-
छठ पूजा नहाय-खाए (31 अक्टूबर)
खरना का दिन (1 नवम्बर)
छठ पूजा संध्या अर्घ्य का दिन (2 नवम्बर)
उषा अर्घ्य का दिन (3 नवम्बर)
 पूजा के लिए शुभ मुहूर्त-
पूजा का दिन- 2 नवंबर, शनिवार
पूजा के दिन सूर्योदय का शुभ मुहूर्त- 06:33
छठ पूजा के दिन सूर्यास्त का शुभ मुहूर्त- 17:35
षष्ठी तिथि आरंभ- 00:51 (2 नवंबर 2019)
षष्ठी तिथि समाप्त- 01:31 (3 नवंबर 2019)
0 notes
allgyan · 4 years ago
Photo
Tumblr media
छठ पूजा क्यों बनता जा रहा है मुख्य पर्व -
छठ पर्व, छठ या षष्‍ठी पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी को मनाया जाने वाला एक हिन्दू पर्व है।सूर्योपासना का यह अनुपम लोकपर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखण्ड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है। कहा जाता है यह पर्व बिहारीयों का सबसे बड़ा पर्व है ये उनकी संस्कृति है। छठ पर्व बिहार मे बड़े धुम धाम से मनाया जाता है। ये एक मात्र ही बिहार या पूरे भारत का ऐसा पर्व है जो वैदिक काल से चला आ रहा है और ये बिहार कि संस्कृति बन चुका हैं। यहा पर्�� बिहार कि वैदिक आर्य संस्कृति कि एक छोटी सी झलक दिखाता हैं। ये पर्व मुख्यः रुप से ॠषियो द्वारा लिखी गई ऋग्वेद मे सूर्य पूजन, उषा पूजन और आर्य परंपरा के अनुसार बिहार मे यहा पर्व मनाया जाता हैं।
छठ पूजा क्या धार्मिक कार्य करना पड़ता है -
इस पर्व के अनुष्ठान कठोर हैं और चार दिनों की अवधि में मनाए जाते हैं। इनमें पवित्र स्नान, उपवास और पीने के पानी (वृत्ता) से दूर रहना, लंबे समय तक पानी में खड़ा होना, और प्रसाद (प्रार्थना प्रसाद) और अर्घ्य देना शामिल है। परवातिन नामक मुख्य उपासक (संस्कृत पार्व से, जिसका मतलब 'अवसर' या 'त्यौहार') आमतौर पर महिलाएं होती हैं। हालांकि, बड़ी संख्या में पुरुष इस उत्सव का भी पालन करते हैं |पर्यावरणविदों का दावा है कि छठ हिन्दुओं का पर्यावरण के अनुकूल पर्व है |
लोक आस्था का पर्व -
भारत में छठ सूर्योपासना के लिए प्रसिद्ध पर्व है|लोक परम्परा के अनुसार सूर्यदेव और छठी मइया का सम्बन्ध भाई-बहन का है|यह पर्व चार दिनों का है। भैयादूज के तीसरे दिन से यह आरम्भ होता है। पहले दिन सेन्धा नमक, घी से बना हुआ अरवा चावल और कद्दू की सब्जी प्रसाद के रूप में ली जाती है। अगले दिन से उपवास आरम्भ होता है। व्रति दिनभर अन्न-जल त्याग कर शाम करीब ७ बजे से खीर बनाकर, पूजा करने के उपरान्त प्रसाद ग्रहण करते हैं, जिसे खरना कहते हैं। तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य यानी दूध अर्पण करते हैं। अंतिम दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य चढ़ाते हैं। पूजा में पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है,लहसून, प्याज वर्जित होता है। जिन घरों में यह पूजा होती है, वहाँ भक्तिगीत गाये जाते हैं।अंत में लोगो को पूजा का प्रसाद दिया जाता हैं।
छठ पर्व और विज्ञानं -
छठ पर्व को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो षष्ठी तिथि (छठ) को एक विशेष खगोलीय परिवर्तन होता हैऔर इस समय सूर्य की पराबैगनी किरणें (Ultra Violet Rays) पृथ्वी की सतह पर सामान्य से अधिक मात्रा में एकत्र हो जाती हैं इस कारण इसके सम्भावित कुप्रभावों से मानव की यथासम्भव रक्षा करने का सामर्थ्य प्राप्त होता है। पर्व पालन से सूर्य (तारा) प्रकाश (पराबैगनी किरण) के हानिकारक प्रभाव से जीवों की रक्षा सम्भव है। पृथ्वी के जीवों को इससे बहुत लाभ मिलता है। सूर्य के प्रकाश के साथ उसकी पराबैगनी किरण भी चंद्रमा और पृथ्वी पर आती हैं। सूर्य का प्रकाश जब पृथ्वी पर पहुँचता है, तो पहले वायुमंडल मिलता है। वायुमंडल में प्रवेश करने पर उसे आयन मंडल मिलता है। पराबैगनी किरणों का उपयोग कर वायुमंडल अपने ऑक्सीजन तत्त्व को संश्लेषित कर उसे उसके एलोट्रोप ओजोन में बदल देता है। इस क्रिया द्वारा सूर्य की पराबैगनी किरणों का अधिकांश भाग पृथ्वी के वायुमंडल में ही अवशोषित हो जाता है।जिससे मनुष्य या जीवन को लाभ होता है|
1 note · View note
allgyan · 4 years ago
Text
छठ पूजा क्या है ?
छठ पूजा क्यों बनता जा रहा है मुख्य पर्व -
छठ पर्व, छठ या षष्‍ठी पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी को मनाया जाने वाला एक हिन्दू पर्व है।सूर्योपासना का यह अनुपम लोकपर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखण्ड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है। कहा जाता है यह पर्व बिहारीयों का सबसे बड़ा पर्व है ये उनकी संस्कृति है। छठ पर्व बिहार मे बड़े धुम धाम से मनाया जाता है। ये एक मात्र ही बिहार या पूरे भारत का ऐसा पर्व है जो वैदिक काल से चला आ रहा है और ये बिहार कि संस्कृति बन चुका हैं। यहा पर्व बिहार कि वैदिक आर्य संस्कृति कि एक छोटी सी झलक दिखाता हैं। ये पर्व मुख्यः रुप से ॠषियो द्वारा लिखी गई ऋग्वेद मे सूर्य पूजन, उषा पूजन और आर्य परंपरा के अनुसार बिहार मे यहा पर्व मनाया जाता हैं।
छठ पूजा क्या धार्मिक कार्य करना पड़ता है -
इस पर्व के अनुष्ठान कठोर हैं और चार दिनों की अवधि में मनाए जाते हैं। इनमें पवित्र स्नान, उपवास और पीने के पानी (वृत्ता) से दूर रहना, लंबे समय तक पानी में खड़ा होना, और प्रसाद (प्रार्थना प्रसाद) और अर्घ्य देना शामिल है। परवातिन नामक मुख्य उपासक (संस्कृत पार्व से, जिसका मतलब 'अवसर' या 'त्यौहार') आमतौर पर महिलाएं होती हैं। हालांकि, बड़ी संख्या में पुरुष इस उत्सव का भी पालन करते हैं |पर्यावरणविदों का दावा है कि छठ हिन्दुओं का पर्यावरण के अनुकूल पर्व है |
लोक आस्था का पर्व -
भारत में छठ सूर्योपासना के लिए प्रसिद्ध पर्व है|लोक परम्परा के अनुसार सूर्यदेव और छठी मइया का सम्बन्ध भाई-बहन का है|यह पर्व चार दिनों का है। भैयादूज के तीसरे दिन से यह आरम्भ होता है। पहले दिन सेन्धा नमक, घी से बना हुआ अरवा चावल और कद्दू की सब्जी प्रसाद के रूप में ली जाती है। अगले दिन से उपवास आरम्भ होता है। व्रति दिनभर अन्न-जल त्याग कर शाम करीब ७ बजे से खीर बनाकर, पूजा करने के उपरान्त प्रसाद ग्रहण करते हैं, जिसे खरना कहते हैं। तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य यानी दूध अर्पण करते हैं। अंतिम दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य चढ़ाते हैं। पूजा में पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है,लहसून, प्याज वर्जित होता है। जिन घरों में यह पूजा होती है, वहाँ भक्तिगीत गाये जाते हैं।अंत में लोगो को पूजा का प्रसाद दिया जाता हैं।
छठ पर्व और विज्ञानं -
छठ पर्व को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो षष्ठी तिथि (छठ) को एक विशेष खगोलीय परिवर्तन होता हैऔर इस समय सूर्य की पराबैगनी किरणें (Ultra Violet Rays) पृथ्वी की सतह पर सामान्य से अधिक मात्रा में एकत्र हो जाती हैं इस कारण इसके सम्भावित कुप्रभावों से मानव की यथासम्भव रक्षा करने का सामर्��्य प्राप्त होता है। पर्व पालन से सूर्य (तारा) प्रकाश (पराबैगनी किरण) के हानिकारक प्रभाव से जीवों की रक्षा सम्भव है। पृथ्वी के जीवों को इससे बहुत लाभ मिलता है। सूर्य के प्रकाश के साथ उसकी पराबैगनी किरण भी चंद्रमा और पृथ्वी पर आती हैं। सूर्य का प्रकाश जब पृथ्वी पर पहुँचता है, तो पहले वायुमंडल मिलता है। वायुमंडल में प्रवेश करने पर उसे आयन मंडल मिलता है। पराबैगनी किरणों का उपयोग कर वायुमंडल अपने ऑक्सीजन तत्त्व को संश्लेषित कर उसे उसके एलोट्रोप ओजोन में बदल देता है। इस क्रिया द्वारा सूर्य की पराबैगनी किरणों का अधिकांश भाग पृथ्वी के वायुमंडल में ही अवशोषित हो जाता है।जिससे मनुष्य या जीवन को लाभ होता है|
पूरा जानने के लिए -https://bit.ly/2UHbz1O
1 note · View note