#KnowAboutChhathPuja
छठी मैया का व्रत करने से वास्तव में संतान की आयु बढ़ती है ?
क्या है छठी मैया की सच्चाई ?
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छठपर्व विधिवतरुपमा सुरु, आज ‘नहाय–खाय’
पर्वको प्रारम्भ बर्तालुले आज ‘नहाय–खाय’ विधिबाट गर्दैछन् ।
महोत्तरी, ११ कात्तिक (रासस):
महोत्तरीसहितका मिथिला क्षेत्रमा अहिले जताततै छठपर्वको रौनक छ । सूर्य उपासनाको महापर्व छठको तयारीमा मिथिला क्षेत्रका जन–जन परिचालित देखिन्छन् । पर्वको प्रारम्भ बर्तालुले आज ‘नहाय–खाय’ विधिबाट गर्दैछन् ।
‘नहाय–खाय’ विधि कात्तिक शुक्ल चौथी तिथिमा गरिन्छ । कात्तिक शुक्ल त्रितीयाकै दिन बर्तालुले उसिना चामल, कोदो, मुसुरो, माछामासुसहित तामसी र राजसी भोजन परित्याग गरी…
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Parsa Timesमधेस प्रदेशमा भोलि पनि सार्वजनिक विदा
Parsa Timesमधेस प्रदेशमा भोलि पनि सार्वजनिक विदा
वीरगन्ज,१३ कातिक / मधेस प्रदेश सरकारले सोमबार पनि सार्वजनिक विदा दिएको छ । मुख्यमन्त्री तथा मन्त्रिपरिषदको कार्यालयले विज्ञप्ति जारी गर्दै कात्तिक १४ गते सोमबार पनि मधेश प्रदेशमा सार्वजनिक विदा दिएको जानकारी दिएको हो ।
संघीय सरकारले छठको मुख्य दिन अर्थात कात्तिक शुक्ल षष्ठीमा पर्ने ‘सझिया घाटे’को दिन मात्रै सार्वजनिक विदा दिने गरेको छ । तर सप्तमीको दिन बिहान सूर्यलाई अर्घ दिएपछि मात्रै छठपर्व…
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छठ पर्व
सनातनधर्म को माननेवाले हिन्दू छठ पर्व में भगवान् सूर्य की उपासना करते हैं,।छठपर्व प्रकृति के साथ ही प्रकृति के नियंत्रक भगवान् नारायण की उपासना का पर्व है।सूर्य को ग्रह मानना बड़ी भूल है,क्योंकि सूर्य तो अनुग्रह हैं,साक्षात् श्रीनारायण ही हैं।यजुर्वेद ७।४२ वाँ मन्त्र में “सूर्य आत्मा जगतस्तस्थुषश्च” आया है।सूर्य जगत् की आत्मा हैं।
इस पर्व में छठी माई की पूजा नहीं होती है, क्योंकिबच्चों के जन्म…
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आज छठपर्व
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छठपर्व विधिवतरुपमा सुरु, आज ‘नहाय–खाय’
छठपर्व विधिवतरुपमा सुरु, आज ‘नहाय–खाय’
महोत्तरी : महोत्तरीसहितका मिथिला क्षेत्रमा अहिले जताततै छठपर्वको रौनक छ । सूर्य उपासनाको महापर्व छठको तयारीमा मिथिला क्षेत्रका जन–जन परिचालित देखिन्छन् । पर्वको प्रारम्भ बर्तालुले आज ‘नहाय–खाय’ विधिबाट गर्दैछन् । ‘नहाय–खाय’ विधि कात्तिक शुक्ल चौथी तिथिमा गरिन्छ ।
कात्तिक शुक्ल त्रितीयाकै दिन बर्तालुले उसिना चामल, कोदो, मुसुरो, माछामासुसहित तामसी र राजसी भोजन परित्याग गरी ‘अरबा–अरबाइन’ भनिने…
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छठ पूजा क्यों बनता जा रहा है मुख्य पर्व -
छठ पर्व, छठ या षष्ठी पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी को मनाया जाने वाला एक हिन्दू पर्व है।सूर्योपासना का यह अनुपम लोकपर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखण्ड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है। कहा जाता है यह पर्व बिहारीयों का सबसे बड़ा पर्व है ये उनकी संस्कृति है। छठ पर्व बिहार मे बड़े धुम धाम से मनाया जाता है। ये एक मात्र ही बिहार या पूरे भारत का ऐसा पर्व है जो वैदिक काल से चला आ रहा है और ये बिहार कि संस्कृति बन चुका हैं। यहा पर्व बिहार कि वैदिक आर्य संस्कृति कि एक छोटी सी झलक दिखाता हैं। ये पर्व मुख्यः रुप से ॠषियो द्वारा लिखी गई ऋग्वेद मे सूर्य पूजन, उषा पूजन और आर्य परंपरा के अनुसार बिहार मे यहा पर्व मनाया जाता हैं।
छठ पूजा क्या धार्मिक कार्य करना पड़ता है -
इस पर्व के अनुष्ठान कठोर हैं और चार दिनों की अवधि में मनाए जाते हैं। इनमें पवित्र स्नान, उपवास और पीने के पानी (वृत्ता) से दूर रहना, लंबे समय तक पानी में खड़ा होना, और प्रसाद (प्रार्थना प्रसाद) और अर्घ्य देना शामिल है। परवातिन नामक मुख्य उपासक (संस्कृत पार्व से, जिसका मतलब 'अवसर' या 'त्यौहार') आमतौर पर महिलाएं होती हैं। हालांकि, बड़ी संख्या में पुरुष इस उत्सव का भी पालन करते हैं |पर्यावरणविदों का दावा है कि छठ हिन्दुओं का पर्यावरण के अनुकूल पर्व है |
लोक आस्था का पर्व -
भारत में छठ सूर्योपासना के लिए प्रसिद्ध पर्व है|लोक परम्परा के अनुसार सूर्यदेव और छठी मइया का सम्बन्ध भाई-बहन का है|यह पर्व चार दिनों का है। भैयादूज के तीसरे दिन से यह आरम्भ होता है। पहले दिन सेन्धा नमक, घी से बना हुआ अरवा चावल और कद्दू की सब्जी प्रसाद के रूप में ली जाती है। अगले दिन से उपवास आरम्भ होता है। व्रति दिनभर अन्न-जल त्याग कर शाम करीब ७ बजे से खीर बनाकर, पूजा करने के उपरान्त प्रसाद ग्रहण करते हैं, जिसे खरना कहते हैं। तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य यानी दूध अर्पण करते हैं। अंतिम दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य चढ़ाते हैं। पूजा में पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है,लहसून, प्याज वर्जित होता है। जिन घरों में यह पूजा होती है, वहाँ भक्तिगीत गाये जाते हैं।अंत में लोगो को पूजा का प्रसाद दिया जाता हैं।
छठ पर्व और विज्ञानं -
छठ पर्व को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो षष्ठी तिथि (छठ) को एक विशेष खगोलीय परिवर्तन होता हैऔर इस समय सूर्य की पराबैगनी किरणें (Ultra Violet Rays) पृथ्वी की सतह पर सामान्य से अधिक मात्रा में एकत्र हो जाती हैं इस कारण इसके सम्भावित कुप्रभावों से मानव की यथासम्भव रक्षा करने का सामर्थ्य प्राप्त होता है। पर्व पालन से सूर्य (तारा) प्रकाश (पराबैगनी किरण) के हानिकारक प्रभाव से जीवों की रक्षा सम्भव है। पृथ्वी के जीवों को इससे बहुत लाभ मिलता है। सूर्य के प्रकाश के साथ उसकी पराबैगनी किरण भी चंद्रमा और पृथ्वी पर आती हैं। सूर्य का प्रकाश जब पृथ्वी पर पहुँचता है, तो पहले वायुमंडल मिलता है। वायुमंडल में प्रवेश करने पर उसे आयन मंडल मिलता है। पराबैगनी किरणों का उपयोग कर वायुमंडल अपने ऑक्सीजन तत्त्व को संश्लेषित कर उसे उसके एलोट्रोप ओजोन में बदल देता है। इस क्रिया द्वारा सूर्य की पराबैगनी किरणों का अधिकांश भाग पृथ्वी के वायुमंडल में ही अवशोषित हो जाता है।जिससे मनुष्य या जीवन को लाभ होता है|
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#ChhathPuja #ChhathParva #बिहार, #बंगाल, #नेपाल, #दिल्ली और #उत्तरप्रदेश पूरी तरह #छठपर्व की खुमारी में डूबा है। ये एक लोकल #त्योहार है, जो #Bihar के लोगों के #दुनिया भर में फैलने के साथ तेजी ग्लोबल होता जा रहा है https://youtu.be/JOsNBtCBwfY https://www.instagram.com/p/CWF3OutP5fv/?utm_medium=tumblr
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जय छठिमाई 🙏 महापर्व छठका अवसरमा सबैको सुस्वास्थ्य र दीर्घायुको कामना गर्दछौ । -- टक्सार मिडिया ग्रुप परिवार -- #छठपर्व #HappyChhathPuja #taksarmagazine #taksarnews #Lumbinisanchar #bodhisanchar #taksarmediagroup #achkrn https://www.instagram.com/p/CWE2Z1doiHJ/?utm_medium=tumblr
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मिथिलामा वासन्ती छठपर्व मनाइँदै
मिथिलामा वासन्ती छठपर्व मनाइँदै
महोत्तरी, २२ चैत । मिथिलामा श्रद्धा र निष्ठापूर्वक मनाइने वासन्ती छठ (बोलिचालीमा चैतीछठ) पर्वको विधि आज मङ्गलबार सुरु भएको छ । चैत शुक्ल चतुर्थी (चौथी)देखि सप्तमीसम्म चार दिन विभिन्न विधिसाथ मनाइने पर्वको पहिलो दिन आज बर्तालुुले ‘नहाय–खाय’ (पवित्र स्नान गरेर शुद्ध खाने) विधिबाट पर्व प्रारम्भ गर्दैछन् । पर्वको पहिलो दिन पवित्र स्नान गरेर व्रत सङ्कल्प गरी चोखोनितो खाने चलन छ ।
शरद र वसन्त ऋतुमा गरी…
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महापर्व छठ पूजा की पौराणिक महाकथा इसे सुनकर मिलेगा महापुण्य : छठ पूजा पा...
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छठ पर्व
ध्यान रहे छठ पर्व में भगवान् सूर्यनारायण की उपासना की जाती है। सूर्य केवल ग्रह विशेष न होकर जगत्के लिये अनुग्रह हैं,क्योंकि सूर्य साक्षात् श्रीनारायण ही हैं। यजुर्वेद ७।४२ वाँ मन्त्र में“सूर्य आत्मा जगतस्तस्थुषश्च”आया है।सूर्य जगत् की आत्मा हैं।छठपर्व के अवसर पर सूर्यनारायण कीउदय एवं अस्त समय की पूजा कीजाती है।षष्ठी तिथि होने के कारणही इसे छठ कहा जाता है।ज्ञातव्य है कि छठपर्व में षष्ठी देवी…
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मिथिलामा वासन्ती छठपर्व मनाइँदै
मिथिलामा वासन्ती छठपर्व मनाइँदै
महोत्तरी : मिथिलामा श्रद्धा र निष्ठापूर्वक मनाइने वासन्ती छठ (बोलिचालीमा चैतीछठ) पर्वको विधि आज मङ्गलबार सुरु भएको छ । चैत शुक्ल चतुर्थी (चौथी)देखि सप्तमीसम्म चार दिन विभिन्न विधिसाथ मनाइने पर्वको पहिलो दिन आज बर्तालुुले ‘नहाय–खाय’ (पवित्र स्नान गरेर शुद्ध खाने) विधिबाट पर्व प्रारम्भ गर्दैछन् । पर्वको पहिलो दिन पवित्र स्नान गरेर व्रत सङ्कल्प गरी चोखोनितो खाने चलन छ ।
शरद र वसन्त ऋतुमा गरी वर्षमा…
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छठ पूजा क्यों बनता जा रहा है मुख्य पर्व -
छठ पर्व, छठ या षष्ठी पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी को मनाया जाने वाला एक हिन्दू पर्व है।सूर्योपासना का यह अनुपम लोकपर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखण्ड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है। कहा जाता है यह पर्व बिहारीयों का सबसे बड़ा पर्व है ये उनकी संस्कृति है। छठ पर्व बिहार मे बड़े धुम धाम से मनाया जाता है। ये एक मात्र ही बिहार या पूरे भारत का ऐसा पर्व है जो वैदिक काल से चला आ रहा है और ये बिहार कि संस्कृति बन चुका हैं। यहा पर्व बिहार कि वैदिक आर्य संस्कृति कि एक छोटी सी झलक दिखाता हैं। ये पर्व मुख्यः रुप से ॠषियो द्वारा लिखी गई ऋग्वेद मे सूर्य पूजन, उषा पूजन और आर्य परंपरा के अनुसार बिहार मे यहा पर्व मनाया जाता हैं।
छठ पूजा क्या धार्मिक कार्य करना पड़ता है -
इस पर्व के अनुष्ठान कठोर हैं और चार दिनों की अवधि में मनाए जाते हैं। इनमें पवित्र स्नान, उपवास और पीने के पानी (वृत्ता) से दूर रहना, लंबे समय तक पानी में खड़ा होना, और प्रसाद (प्रार्थना प्रसाद) और अर्घ्य देना शामिल है। परवातिन नामक मुख्य उपासक (संस्कृत पार्व से, जिसका मतलब 'अवसर' या 'त्यौहार') आमतौर पर महिलाएं होती हैं। हालांकि, बड़ी संख्या में पुरुष इस उत्सव का भी पालन करते हैं |पर्यावरणविदों का दावा है कि छठ हिन्दुओं का पर्यावरण के अनुकूल पर्व है |
लोक आस्था का पर्व -
भारत में छठ सूर्योपासना के लिए प्रसिद्ध पर्व है|लोक परम्परा के अनुसार सूर्यदेव और छठी मइया का सम्बन्ध भाई-बहन का है|यह पर्व चार दिनों का है। भैयादूज के तीसरे दिन से यह आरम्भ होता है। पहले दिन सेन्धा नमक, घी से बना हुआ अरवा चावल और कद्दू की सब्जी प्रसाद के रूप में ली जाती है। अगले दिन से उपवास आरम्भ होता है। व्रति दिनभर अन्न-जल त्याग कर शाम करीब ७ बजे से खीर बनाकर, पूजा करने के उपरान्त प्रसाद ग्रहण करते हैं, जिसे खरना कहते हैं। तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य यानी दूध अर्पण करते हैं। अंतिम दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य चढ़ाते हैं। पूजा में पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है,लहसून, प्याज वर्जित होता है। जिन घरों में यह पूजा होती है, वहाँ भक्तिगीत गाये जाते हैं।अंत में लोगो को पूजा का प्रसाद दिया जाता हैं।
छठ पर्व और विज्ञानं -
छठ पर्व को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो षष्ठी तिथि (छठ) को एक विशेष खगोलीय परिवर्तन होता हैऔर इस समय सूर्य की पराबैगनी किरणें (Ultra Violet Rays) पृथ्वी की सतह पर सामान्य से अधिक मात्रा में एकत्र हो जाती हैं इस कारण इसके सम्भावित कुप्रभावों से मानव की यथासम्भव रक्षा करने का सामर्थ्य प्राप्त होता है। पर्व पालन से सूर्य (तारा) प्रकाश (पराबैगनी किरण) के हानिकारक प्रभाव से जीवों की रक्षा सम्भव है। पृथ्वी के जीवों को इससे बहुत लाभ मिलता है। सूर्य के प्रकाश के साथ उसकी पराबैगनी किरण भी चंद्रमा और पृथ्वी पर आती हैं। सूर्य का प्रकाश जब पृथ्वी पर पहुँचता है, तो पहले वायुमंडल मिलता है। वायुमंडल में प्रवेश करने पर उसे आयन मंडल मिलता है। पराबैगनी किरणों का उपयोग कर वायुमंडल अपने ऑक्सीजन तत्त्व को संश्लेषित कर उसे उसके एलोट्रोप ओजोन में बदल देता है। इस क्रिया द्वारा सूर्य की पराबैगनी किरणों का अधिकांश भाग पृथ्वी के वायुमंडल में ही अवशोषित हो जाता है।जिससे मनुष्य या जीवन को लाभ होता है|
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कोरोना संक्रमण काल में संपन्न हुए सूर्योपासना का महापर्व छठपर्व प्रखंड क्षेत्र में शांतिपूर्वक सम्पन्न हो गया। इस दौरान कही घरों में बैकल्पिक छठ घाट समेत विभिन्न तालाब, नदी सरोबरो के छठ घाटों पर लोगो ने श्रद्धापूर्वक अर्ध्य अर्पित कर दुआ मांगी।
सूर्योपासना का महापर्व छठ के दौरान वायरस संक्रमण से बचने के लिए कुछ परिवार घर पर ही वैकल्पिक व्यवस्था कर प्रत्यक्ष देव सूर्य की पूजा अर्चना कर जन जीवन के कल्याण की कामना किया। शुक्रवार की शाम वारिसलीगंज बाजार के मटकोरवा सूर्यमंदिर तालाब तथा शान्तिपुरम स्थित सूर्यमंदिर तालाब में अस्ताचलगामी तथा शनिवार की सुबह उदयीमान सूर्य को अर्ध्य अर्पण किया।
मौके पर कुछ परिवारों ने घाट पर ही सत्यनारायण ब्रत का पूजा करवाया जबकि कई ने ढोल बाजे के साथ अपने नन्हे मुन्नों का मुंडन संस्कार धूमधाम से सम्पन्न करवाया। अन्य बर्षो की तरह छठघाट पर सिघाड़ा, गुपचुप, पकौड़ा आदि की बिक्री पर प्रशासन की मनाही देखने को मिला। कहीं भी घाट पर खेल तमाशे, झूला सर्कस नहीं लगाया गया था।
इस दौरान महापर्व छठ में शामिल होने आए मकनपुर निवासी रेलवे भर्ती सेल नई दिल्ली के चेयरमैन संजीव कुमार वारिसलीगंज स्थित अपने बहन के घर जहां घर के आगे छोटा तालाब खोदकर छठ पूजा की गई में शामिल हुए । वही चौथीबार विधायक चुनी गई अरुणा देवी ने पौराणिक अपसढ़ का शैरोदह तालाब में डुबकी लगाकर सूर्योपासनाा का पर्व छठ कर क्षेत्र में शांति एवं अमन की दुआ मांगी।
2 दर्जन से अधिक छठ घाटों पर मनाई गई छठ
प्रखंड क्षेत्र के दो दर्जन से अधिक छठ घाटों पर सामूहिक रूप से अर्ध्य अर्पण किया गया ।वायरस संक्रमण को लेकर छठ घाटों पर जमा भीड़ में भी क्षेत्रवासी विशेष एहतियात बरतते हुए अपने स्तर से दूरी का पालन व सावधानी बरतते देखें गए।
पुलिस शक्ति का दिखा नहीं दिख असर
छठव्रत को लेकर शुक्रवार की सुबह से वारिसलीगंज बाजार में खरीददारों की भीड़ शुरू हो गई परंतु बाजार के मुख्य पथ में वाहनों की आवाजाही से दिन के तीन बजे तक महाजाम लगा रहा। फलतः छठ पूजा की सामग्री के खरीदारों को काफी परेशानी झेलनी पड़ी। भीड़ को देख लोग स्थानीय पुलिस प्रशासन को कोसते नज़र आये।
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Maha Paarva Chhath of Suryopasna was completed peacefully with Paran
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महापर्व छठको शुभकामना। #छठपर्व #achkrn https://www.instagram.com/p/CWDn_A9hFCJ/?utm_medium=tumblr
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