#कोविड के कारण मौत
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gaange · 1 year ago
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Cancer Vaccine : Russia ने खोजा लिया कैंसर का इलाज
भारत के दोस्त रूस ने दुनिया के सबसे बड़े खतरे का इलाज निकाल लिया है। रूस ने ऐलान किया है कि उसने कैंसर जैसी लाइलाज बिमारी के लिए वैक्सीन बनाने पर वो काम कर रहा है और वो उसके बेहद करीब पहुँच चुका है। Cancer Vaccine का ऐलान किसी और ने नहीं बल्कि खुद रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने किया है कि वैज्ञानिक इस पर काम कर रहे हैं और वो इसके अंतिम चरण में है। अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने साफ कर दिया कि हम कैंसर की वैक्सीन और नई पीढ़ी की इम्युनो मॉड्यूलट्री दवाओं के निर्माण के बहुत करीब है। मॉस्को फोरम में अपने संबोधन में कहा कि मुझे उम्मीद है कि जल्द ही वैक्सीन लोगों के इलाज के लिए प्रभावी ढंग से इस्तेमाल हो सकेगी ,पुतिन ने ये नहीं बताया कि प्रस्तावित वैक्सीन किस तरह के कैंसर के इलाज में इस्तेमाल की जाएंगी। कैंसर का इलाज अपने आप में एक बहुत बड़ी कामयाबी है, कई देश और कंपनियां कैंसर के टीके पर काम कर रही है। ब्रिटेन की सरकार भी कैंसर के वैक्सीन के ट्रायल पर सालों से काम कर रही है। पिछले साल ब्रिटिश सरकार ने पर्सनलाइज्ड कैंसर के इलाज के लिए क्लिनिकल ट्रायल शुरू की थी और 2030 तक 10,000 मरीजों तक पहुंचने का टारगेट रखा है। Cancer Vaccine : Russia ने खोजा लिया कैंसर का इलाज ब्रिटेन जर्मनी की आयोएनटेक के साथ मिलकर ट्रायल कर रहा है। इसके अलावा फार्मास्यूटिकल्स कंपनी मॉडर्न और मार्क एंड कंपनी भी कैंसर की वैक्सीन बना रही है, जो कैंसर की मिडिल स्टेज में इस्तेमाल हो सकती है। मसलन रिसर्च के दौरान पता चला की 3 साल के इलाज के बाद सबसे घातक स्किन कैंसर की दोबारा होने या इससे मौत होने की संभावनाआधी हो गई। फिलहाल दुनिया के सामने कैंसर एक बहुत बड़ा खतरा हैं। WHO के मुताबिक वर्तमान में ह्यूमन पैपिलोमायरस के खिलाफ़ छः लाइसलैंड वैक्सीन मौजूद हैं जो सर्वाइकल कैंसर सहित कई कैंसर का कारण बनते हैं। साथ ही हेपेटाइटिस बी के खिलाफ़ भी टीके हैं जो लिवर कैंसर का कारण बनते हैं। आपको बता दें कि रूस जो ऐलान किया है उसके बाद पूरी दुनिया में सनसनी मची हुई है और स��से पहले तब रूस ने कोविड 19 के दौरान स्पुतनिक भी वैक्सीन बनाई थी ,अब ये कहा जा रहा है की अगर ये वाकई में कैंसर के इलाज के रूस बेहद करीब है तो रूस ने वो बनाया है जिसकी जरूरत दुनिया को सबसे ज्यादा है । कैंसर दुनिया के सामने एक बड़ा खतरा है और दुनिया भर में होने वाली मौतों में कैंसर एक बड़ी वजह है। WHO की कैंसर एजेंसी इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर के आंकड़े बताते हैं की साल 2022 में लगभग 2,00,00,000 कैंसर के नए मामले सामने आए और कैंसर की वजह से 97,00,000 लोगों की मौत हुई है। अकेले भारत में 14,13,316 नए मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें महिला रोगियों का अनुपात अधिक है। देश में 1,92,000 नए मामलों के साथ स्तन कैंसर का अनुपात सबसे अधिक है । आकड़े बताते हैं कि प्रत्येक 5 में एक व्यक्ति को अपने जीवन काल में कैंसर हो जाता है , लगभग 9 में से एक पुरुष और 12 में से एक महिला की मौत हो जाती है । इससे आप अनुमान लगा सकते हैं कि कैंसर कितनी खतरनांक बीमारी है , फिलहाल रूस ने Cancer Vaccine को खोजने का ऐलान किया है अब देखना है कि कितना कारगर हो पाता है । Read the full article
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gitaacharaninhindi · 1 year ago
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7. निमित्त मात्र
श्रीमद्भगवदगीता का जन्म रणक्षेत्र में हुआ था और वर्तमान महामारी (कोविड-19) का समय कुरुक्षेत्र युद्ध के समान है। गीता में एक वाक्यांश ‘निमित्त मात्र’ यानी ‘सर्वशक्तिमान के हाथों में एक उपकरण’ बड़े स्पष्ट तरीके से इसका स��र प्रस्तुत करता है।
अर्जुन श्रीकृष्ण को यथास्वरूप देखना चाहता था और उसे समझने के लिए एक अतिरिक्त शक्ति  की आवश्यकता थी, जैसे अंधे को पूर्ण हाथी को देखने के लिए आंख की आवश्यकता होती है। भगवान श्रीकृष्ण ने उसे अपने विश्वरूप को देखने के लिए दिव्य चक्षु दिया था। विश्वरूप दिखाने के अलावा, श्रीकृष्ण उसे भविष्य तक देखने की दृष्टि प्रदान करते हैं और अर्जुन देखता है कि कई योद्धा मौत के मुँह में प्रवेश कर रहे हैं।
तब भगवान अर्जुन को बताते हैं कि ये योद्धा जल्द ही मारे जाएंगे और तुम इस प्रक्रिया में केवल एक साधन मात्र हो। श्रीकृष्ण स्पष्ट करते हैं कि अर्जुन कर्ता नहीं है।  वह यह भी सुनिश्चित करते हैं कि जब अर्जुन विजयी होगा तो वह अहम् भाव से मुक्त होगा, क्योंकि जीत अहंकार को सर्वाधिक बढ़ावा देती है।
वहीं श्रीकृष्ण ने अर्जुन को युद्ध के मैदान से पलायन नहीं करने दिया। निमित्त मात्र एक आंतरिक बोध है और इसका प्रतिफल निर्मल और अहंकार से मुक्त होना तय है।
कोरोना महामारी के समय सडक़ पर या नियंत्रण कक्ष में स्थित व्यक्तियों के लिए कठिनाइयाँ अर्जुन के विषाद की तरह ही होती हैं। इसका कोई इलाज नहीं होने के कारण हम अंदर से केवल निमित्त मात्र हैं और बाहर की दुनिया में हमें सौंपी गई जिम्मेदारी को सर्वोत्तम ढंग से निभाना चाहिए। यह छोटा सा अहसास वास्तव में एक वरदान हो सकता है क्योंकि गीता की कई अवधारणाएं तब तक स्पष्ट नहीं होती हैं जब तक कि उन्हें जीवन में अनुभव नहीं किया जाता है, खासकर कठिन परिस्थिति म���ं। कोयले का ढेर अत्यधिक दबाव में हीरे में बदल जाता है और आग में तपकर सोना शुद्ध हो जाता है।
ये परीक्षण समय निमित्त मात्र की स्थिति को प्राप्त करने में सहायक हो सकते हैं और यह छोटा सा सूत्र हमें समर्पण के मार्ग के माध्यम से हमारे अंतरात्मा के करीब ले जाने की क्षमता रखता है।
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newswave-kota · 1 year ago
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जीवन शैली को संतुलित कर हार्ट अटैक से बचें- डॉ.साकेत
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न्यूजवेव @कोटा सर्दी के मौसम में तापमान में गिरावट के साथ ही युवा उम्र के लोगों में आकस्मिक हार्ट अटैक की घटनायें तेजी से बढ़ रही है। जिसमें युवा चिकित्सक एवं नियमित व्यायाम करने वालों की भी हार्ट अटैक से मौत हो जाने से नागरिकों में डर पैदा हो गया है। कोटा में 40 वर्षीय कोचिंग शिक्षक सौरभ सक्सेना की गुरूवार को बाइक पर भी अचानक अटैक आ जाने से मौत हो गई है। एसएमएस अस्पताल, जयपुर के 48 वर्षीय चिकित्सक डॉ.नितिन पांडे की हार्ट अटैक से मौत हो जाने से चिकित्सक वर्ग भी चिंतित है।
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वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ.साकेत गोयल ने बताया कि इन घटनाओं को कोविड या वैक्सीन से जोडना भ्रांति है। नागरिकों को अचानक हार्ट अटैक से बचाव के लिए अपनी जीवन शैली को संतुलित करना होगा। उन्होंने सलाह दी कि इसके लिये हम अपनी गलतियों में कुछ सुधार करें - उम्र के साथ व्यायाम में करें बदलाव  - उम्र बढने के साथ स्पोर्ट्स की तीव्रता और निरंतरता में कुछ बदलाव जरूरी है। आप कितने भी फिट हों, शरीर के सब अंगों की जैविक उम्र होती है। क्षमता के विपरीत व्यायाम नहीं करें। कई लोग 50 की उम्र के बाद भी मैराथन रनर या स्पोर्ट्स की प्रतिस्पर्धा के लिए तत्पर हो जाते हैं। जबकि उनकी शारीरिक प्रणाली इसके अनुकूल नहीं होती है। लक्षणों की उपेक्षा नहीं करें - बैचेनी, दर्द या सास लेने में तकलीफ जैसे लक्षण होने पर तुरंत चिकित्सक से मदद लें। साथियों के साथ खेल या व्यायाम जारी नहीं रखें। ये कुछ मिनट जीवन रक्षक हो सकते हैं। एक तिहाई लोगों में यह बीमारी मूक होती है और लक्षण उत्पन्न नहीं होते। अपने स्ट्रेस फैक्टर्स को अवश्य पहचान लें। अपना लेवल याद रखें - उम्र के अनुसार ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल, शुगर आदि का लेवल हमें पता होनी चाहिए। कभी-कभी डॉक्टर भी लिपोप्रोटीन (ए) या होमोसिस्टीन जैसे नए जोखिम वाले कारकों के लिए जांच की उपेक्षा करते हैं। इनसे टीएमटी या कोरोनरी कैल्शियम स्कोरिंग की जा सकती है। फिटनेस के लिये संयम बरतें- स्पोर्ट्स से सेहत को फायदे मिलते है लेकिन कई लोग ��निंग या जिम को अनावश्यक पीड़ा बना लेते हैं। कुछ लोग स्पोर्ट्स या रनिंग जल्दी कर काम पर जाने की तैयारी में होते हैं। यह मानसिक बेचैनी घातक हो सकती है। नींद की कमी से न केवल फिटनेस बिगड़ती है अपितु शरीर में स्ट्रेस हार्मोन्स भी ज्यादा निकलते हैं। आहार में करें बदलाव - सुबह की सैर के बाद कचौरी व जलेबी के लिये भीड़ उमडती है। अपने भोजन में शुगर और वसा की मात्रा को संतुलित रखना होगा। 28-30 की उम्र के बाद वजन बड रहा है तो वह अनावश्यक विस्सरल वसा है, जो गंभीर बीमारी का कारण है। Read the full article
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dainiksamachar · 1 year ago
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अरे ये क्या! कॉलेज में बैडमिंटन खेल रही थी छात्रा, अचानक गिरी और हार्ट अटैक से मौत... 18 की उम्र में ऐसा हादसा
गोरखपुर: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में 18 वर्षीय बीएससी की छात्रा अपने कॉलेज में बैडमिंटन खेलते वक्त अचान�� मूर्छित होकर गिर पड़ी। अस्पताल प्रबंधन ने आनन फानन में उसे जिला चिकित्सालय पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। प्रथम दृष्टया से मौत का कारण बताया जा रहा है। हालांकि पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है। घटना के बाद छात्र-छात्राओं में इसे लेकर दहशत है। वहीं परिजन का रो-रो होकर बुरा हाल है। आनन-फानन में स्कूल प्रबंधन ने पहुंचाया जिला अस्पताल शाहपुर थाना क्षेत्र के असुरन स्थित गीता वाटिका के रहने वाले राजेश मिश्रा की 18 वर्षीय पुत्री गौरी मिश्रा जो डीएवी डिग्री कॉलेज में बीएससी प्रथम वर्ष की छात्रा है। शुक्रवार को दोपहर बाद कॉलेज परिषद में बैडमिंटन खेलने के दौरान अचानक मूर्छित होकर गिर पड़ी, यह देख छात्र छात्राओं के बीच कोहराम मच गया। शोर सुनकर स्कूल स्टाफ मौके पर पहुंचा। उसे तुरंत जिला अस्पताल पहुंचाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत्यु घोषित कर दिया। सूचना मिलने पर अस्पताल पहुंचे परिजनों का रो रो कर बुरा हाल है। पुलिस ने सबको अपने कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है। प्रथम दृष्टया मौत का कारण कारण कार्डियक अरेस्ट(हार्ट अटैक) बताया जा रहा है, लेकिन असली वजह पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद ही पता चल सकेगी। वहीं बिटिया की मौत के बाद परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। परिजन का कहना है कि हंसती खेलती अच्छी भली वह कॉलेज गई थी। फिर अचानक ऐसा क्या हो गया? छात्र-छात्राओं का आरोप- कॉलेज प्रबंधन की देरी से हुई मौत वहीं छात्रा की मौत की सूचना मिलते ही सैकड़ों की संख्या में जिला अस्पताल पहुंचे छात्र-छात्राओं का आरोप है कि, स्कूल प्रबंधन की देरी की वजह से गौरी की डेथ हुई है, यदि समय रहते उसे अस्पताल पहुंचाया गया होता तो उसकी मौत नहीं हुई होती, मूर्छित होने के बाद से काफी देर तक वह स्कूल परिसर में ही रही, बाद में उसे बाइक से अस्पताल ले जाया गया। वहीं छात्रों का यह भी आरोप है कि काफी देर तक अस्पताल में भी स्कूल प्रबंधन के लोग नहीं पहुंचे थे। क्या कहना है कॉलेज प्रबंधन का वहीं छात्रों द्वारा लगाए जा रहे आरोपों के बारे में कॉलेज प्रबंधक प्रोफेसर शैल पांडेय का कहना है कि ट्रैफिक जाम की वजह से छात्रा को बाइक से अस्पताल ले जाया गया था ताकि उपचार में देरी न हो, समय से उसका उपचार हो सके लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका। वहीं अस्पताल में भर्ती छात्र को देखने कॉलेज के कर्मचारी और मैं खुद पहुंची थी। हार्ट अटैक से लगातार हो रही युवाओं की मौत खड़ा कर रही सवाल आपको बता दें कि इस समय लगातार ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, जिसमें कम उम्र के युवा कार्डियक अरेस्ट का शिकार होकर असमय ही अपनी जान गवा रहे हैं, जो मेडिकल साइंस के लिए एक बड़ा सवाल खड़ा कर रही है? अभी 15 दिन पहले ही देवरिया के रेलवे अस्पताल में कार्यरत 28 वर्षीय युवा डॉक्टर अभिषेक कुमार की बीआरडी मेडिकल कॉलेज में अपने मित्रों से मिलने के दौरान अचानक मौत हो गई थी, इसके पूर्व भी कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं। क्या कहते हैं डॉक्टर इस बारे में वरिष्ठ कार्डियक स्पेशलिस्ट नवनीत जयपुरिया का कहना है कि युवाओं में इस तरह की मौत का कारण उनकी लाइफ स्टाइल, अत्यधिक जिम और पोस्ट कोविड के बाद बॉडी में आए विभिन्न प्रकार के बदलावों की वजह से भी ऐसी मौतें हो रही है। युवाओं को खुद पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। अधिक जिम से बचें और अपने जीवन शैली में बदलाव करें। इसके साथ ही हेल्दी डाइट ले। जिम संचालकों द्वारा प्रोवाइड कराए जा रहे फूड सप्लीमेंट को बिना किसी डाइटिशियन की सलाह के इस्तेमाल ना करें और समय पर अपना बॉडी चेकअप कराएं। http://dlvr.it/SzbgBC
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thewitfire · 2 years ago
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कोविड-19 अभी भी फ़्लू की तुलना में रोगियों के लिए अधिक घातक
कोविड-19 अभी भी फ़्लू की तुलना में रोगियों के लिए अधिक घातक। #कोविड19 #फ्लू #वायरस #लक्षण #संक्रमण #टीका #उपचार #स्वास्थ्य #कोरोनावायरस #इन्फ्लुएंजा
कोविड-19 और फ्लू: अमेरिका में पिछले सर्दियों में अस्पताल में भर्ती वयस्कों के लिए कोरोनावायरस के खिलाफ बेहतर प्रतिरक्षा, उपचार और विभिन्न वायरस वेरिएंटों के कारण कोविड के मौत का खतरा 2020 में 17-21% से करीब 6% हो गया, मिज़ूरी के वेटरन्स अफेयर्स सेंट लुईस हेल्थ केयर सिस्टम के क्लिनिकल एपिडेमियोलॉजी सेंटर के शोधकर्ताओं ने पाया। यह फ्लू के 3.7% की मौत की दर से कहीं अधिक था। Photo by Polina…
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thebharatexpress · 2 years ago
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H3N2 वायरस का कहर : अब तक 9 मौतें... राज्य में 23 साल के युवक की मौत से मचा हड़कंप ,24 घंटे में मिले 4 नए मरीज ...
H3N2 Virus Update: अहमदनगर (Ahmednagar) के एक MBBS छात्र की 14 मार्च को मौत के बाद महाराष्ट्र (Maharashtra) ने एच3एन2 वायरस (H3N2 Virus) के कारण अपनी पहली संदिग्ध मौत की सूचना दी है. वह कोविड (Coronavirus) और एच3एन2 दोनों के लिए पॉजिटिव पाया गया था और उसकी मौत के सही कारण की पुष्टि तभी की जा सकती है जब उसकी रिपोर्ट आ जाएगी. खबरों के मुताबिक, 23 साल का युवक पिछले हफ्ते दोस्तों के साथ पिकनिक मनाने…
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webvartanewsagency · 2 years ago
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Khatu Shyam Mela 2023: खाटू श्याम बाबा की आरती के साथ लक्खी मेले का शुभारंभ, जानें इंतजाम
सीकर, (वेब वार्ता)। राजस्थान के सीकर जिले के खाटू श्याम बाबा (Khatu Shyam Mela 2023) का वार्षिक लक्खी मेला आज बुधवार सुबह से शुरू हो गया है। मेले में 30 से 40 लाख भक्त दर्शन के लिए आते हैं। कोविड के कारण पिछले 3 वर्षों में भक्तों की संख्या में थोड़ी कमी रही थी लेकिन इस बार देश भर के राज्यों से बड़ी संख्या में भक्तों के पहुंचने की उम्मीद है. वहीं, पिछले साल भगदड़ के कारण 3 महिलाओं की मौत भी हो गई थी. इसके बाद से ही इस बार दर्शन की व्यवस्था में बदलाव किया गया। मेले का आयोजन 4 मार्च तक होगा। तीन साल बाद हुआ मेला बाबा श्याम का लक्खी मेला सुबह 7:30 बजे आरती के साथ शुरू हुआ। रात भर से भक्त मेला शुरू होने का इंतजार करते रहे थे। दर्शन की नई व्यवस्थाओं को लेकर श्रद्धालु काफी खुश नजर आए। उत्साहित हैं कि इस बार पहले सी दुश्वारियां नहीं हैं थोड़ी राहत है। भक्तों का कहना था कि इस बार दर्शन जल्दी और सुगम तरीके से हो रहे हैं। मेले के दौरान अगले 10 दिन तक मंदिर 24 घंटे खुला रहेगा। कोरोना की वजह से तीन साल से मेले का आयोजन नहीं हो पाया था। प्रशासन ने किए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम बाबा श्याम के फाल्गुनी मेले में इस बार भक्तों के प्रसाद चढ़ाने हेतु अलग-अलग स्थानों पर 30 स्थान तय किए गए हैं। हालांकि शुरुआत में प्रशासन ने प्रसाद चढ़ाने पर पाब��दी लगाई थी लेकिन बड़ी संख्या में दुकानदारों का रोजगार छीनने के कारण इसे बाद में स्थान चिन्हित कर फिर से शुरू कर दिया गया है। इस बार मेले में निशान भी मंदिर तक ले जाने पर पाबंदी रहेगी। डीजे को लेकर भी पहले की तरह पाबंदी रहेगी। इसके अतिरिक्त बाबा व भक्तों के बीच शीशे की दीवार भी नजर आएगी। Read the full article
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krazyshoppy · 2 years ago
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कोविशील्ड वैक्सीन से महिला डॉक्टर की मौत, बॉम्बे HC ने केंद्र को भेजा नोटिस
कोविशील्ड वैक्सीन से महिला डॉक्टर की मौत, बॉम्बे HC ने केंद्र को भेजा नोटिस
Covishield Vaccine Case: बॉम्बे हाईकोर्ट ने कोविशील्ड वैक्सीन (Covishield Vaccine) से कथित तौर पर एक महिला डॉक्टर की मौत के मामले में (Lady Doctor Death Case) भारत सरकार (GOI) समेत अन्य लोगों को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है. कोर्ट की ओर से भारत सरकार के अलावा, महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Govt), केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW), पुणे का सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII), दिल्ली…
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lok-shakti · 3 years ago
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कोरोनावायरस ओमाइक्रोन लाइव अपडेट: डब्ल्यूएचओ का कहना है कि नए वेरिएंट की संभावना अधिक है; स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, 1 करोड़ किशोरों का टीकाकरण
कोरोनावायरस ओमाइक्रोन लाइव अपडेट: डब्ल्यूएचओ का कहना है कि नए वेरिएंट की संभावना अधिक है; स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, 1 करोड़ किशोरों का टीकाकरण
एक स्वास्थ्य कार्यकर्ता सोमवार को नई दिल्ली के एक स्कूल में एक लाभार्थी को कोविड -19 वैक्सीन की खुराक देता है। (एक्सप्रेस फोटो अमित मेहरा द्वारा) एम्स ने प्रवेश, सर्जरी से पहले कोविड के रोगियों का परीक्षण बंद कर दिया अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने बुधवार को अस्पताल में भर्ती होने और सर्जरी से पहले कोविड -19 के रोगियों के नियमित परीक्षण को बंद कर दिया। “वर्तमान आईसीएमआर राष्ट्रीय…
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mytracknews · 4 years ago
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दिल्ली सरकार ने COVID प्रभावित परिवारों के लिए नई सामाजिक सुरक्षा योजना शुरू की
दिल्ली सरकार ने COVID प्रभावित परिवारों के लिए नई सामाजिक सुरक्षा योजना शुरू की
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को कोरोनावायरस प्रभावित परिवारों के लिए एक नई सामाजिक सुरक्षा योजना शुरू की। उन्होंने योजना को लागू करने के उद्देश्य से एक समर्पित पोर्टल भी लॉन्च किया। “दिल्ली ने चार कोरोनोवायरस तरंगों का सामना किया है, जबकि आखिरी सबसे कठिन थी। इस लहर ने लगभग हर परिवार को प्रभावित किया और कई लोगों ने अपनों को खो दिया। कई बच्चे अनाथ हो गए, जबकि कई परिवारों ने अपना…
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bbbnews · 4 years ago
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वायु प्रदूषण के कारण सर्दी में बढ़ सकते हैं कोरोना से मौत के मामले : ICMR दिल्‍ली सहित पूरे नॉर्थ इंडिया में सर्दी के मौसम में वायु प्रदूषण बढ़ जाता है (फाइल फोटो)
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hindinewshub · 5 years ago
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US deaths due to poisoning rise after Trump endorses bleach, disinfectant as COVID-19 treatment छवि स्रोत: एपी ट्रम्प के ब्लीच, कीटाणुनाशक विषाक्तता को COVID -19 उपचार के रूप में समाप्त करने के बाद अमेरिका मृत्यु में प्रमुख वृद्धि देखता है
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dainiksamachar · 2 years ago
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दिल्ली-NCR में फिर बढ़ने लगा कोरोना, स्कूलों में फिर से ऑनलाइन क्लास लगेंगी? जानें क्या कह रहे एक्सपर्ट
नई दिल्ली : दिल्ली में कोरोना के मामलों फिर से बढ़ने लगे हैं। दूसरी तरफ स्कूलों में नए सेशन की शुरुआत हो चुकी है। ऐसे में पैरंट्स के मन में अपने बच्चों के लेकर फिर से डर पैदा होना शुरू हो गया है। वे बच्चों की पढ़ाई के साथ ही उनके हेल्थ को लेकर टेंशन में हैं। पैरंट्स सोच रहे हैं कि यदि कोरोना के मामले इसी तेजी से बढ़े तो क्या फिर से ऑनलाइन क्लासेज शुरू होंगी या स्कूलो में मास्क को फिर से अनिवार्य बनाया जाएगा। वहीं, दिल्ली-एनसीआर में स्कूलों कुछ स्कूलों में नया सेशन शुरू हो गया है तो कुछ स्कूलों में तो नया सेशन शुरू होने वाला है। क्या कह रहे एक्सपर्ट स्कूलों के फिर से खुलने पर बच्चों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की चिंताओं के बीच हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि घबराने की जरूरत नहीं है। डॉक्टरों के अनुसार मौसम बदलने के कारण बच्चों में खांसी, ज���काम और बुखार जैसे लक्षण देखने को मिल रहे हैं। ऐसे में सामान्य इलाज से वे जल्द ही ठीक हो जा रहे हैं। हालांकि डॉक्टरों का कहना है कि जो बच्चे कोविड के खिलाफ टीका लगवाने के योग्य हैं, उन्हें टीका अवश्य लगवाना चाहिए। हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोविड उपयुक्त व्यवहार जिसमें मास्क लगाना, हाथ धोते रहना, सैनिटाइजर का यूज करना शामिल हैं, का पालन करना जरूरी है। सभी जरूरी सावंधानियां बरत रहे माउंट आबू स्कूल की प्रिंसिपल ज्योति अरोड़ा का कहना है कि कोरोना या फ्लू से बचने के लिए जो भी मानक सावधानियां हैं उनका हम पूरा ध्यान रख रहे हैं। उन्होंने बताया कि स्कूल में मेडिकल रूम है, जिसमें किसी भी परेशानी में बच्चे को तुरंत ट्रीटमेंट दिया जाता है। इसके अलावा डॉक्टर्स ऑन विजिट भी रहेंगे, जो समय-समय पर बच्चे की हेल्थ चेकअप करते रहेंगे। वहीं, एमआरजी स्कूल रोहिणी की प्रिंसिपल अंशु मित्तल का कहना है कि हम सभी जानते हैं कि कोरोना अभी खत्म नहीं हुआ है। ऐसे में हमें अतिरिक्त सावधानी रखने की जरूरत है। बच्चों के स्वास्थ्य से किसी भी प्रकार का कोई समझौता नहीं किया जाना चाहिए। दिल्ली में 7 महीने बाद रेकॉर्ड केस दिल्ली में पिछले 24 घंटे में कोरोना के 416 नए मामले सामने आए हैं। राजधानी में 7 महीने बाद कोरोना के रेकॉर्ड 400 से अधिक केस दर्ज किए गए हैं। पिछले साल 31 अगस्त के बाद पहली बार बुधवार को 300 मामले दर्ज किए गए थे। पिछले 24 घंटे में 14.35 पर्सेंट संक्रमण दर से 416 नए मरीज की पुष्टि की गई। इस दौरान 144 मरीज रिकवर हुए तो एक मरीज की मौत की पुष्टि की गई है। हालांकि रिपोर्ट में पहली बार यह भी बताया गया है कि मरीज की मौत की प्राथमिक वजह कोरोना नहीं है। अब दिल्ली में कोविड के एक्टिव मरीजों की संख्या बढ़कर 1216 तक पहुंच गई है। http://dlvr.it/Sls955
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rais007 · 3 years ago
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*संविधान पर भरोसा रखने वालों को हार्दिक बधाई*
*गण की रक्षा में असफल तंत्र*
मंदसौर। 72 वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर भारतीय संविधान में भरोसा रखने वाले सभी नागरिकों का हार्दिक अभिनंदन। आज ही के दिन 26 जनवरी 1950 को *हम भारत के लोगों...* ने उस पुस्तक में अपनी आस्था और विश्वास व्यक्त किया था जिसे संविधान कहा गया है। हमारी पहचान किसी नस्ल, धर्म,जाति, वर्ण,लिंग, समुदाय की न होकर संविधान में *हम भारत के लोग...* के रूप में की गई है ।
गण मूलतः वैदिक शब्द है । प्राचीन ग्रामीण व्यवस्था में प्रत्येक गांव एक गण समूह होता था, वह अपने कार्यों के प्रति स्वयं उत्तरदाई था। एक निश्चित भूभाग का निर्वाचित गणपति पशुपालन और खेती की समृद्धि के लिए ग्राम वासियों को मार्गदर्शन देता था । कालांतर में यह गणपति देवता बन गया और गणों के समूह का गणाधिपति ईश्वर के रूप में स्थापित हो गया।
हमारे संविधान ने गण (समाज) के लिए तंत्र की स्थापना की, ताकि हम भारत के लोगों के सुखद जीवन के लिए किये जा रहे प्रयासों को बल मिले। देशवासियों का शारीरिक, आर्थिक, सामाजिक और बौद्धिक विकास हो। बाहरी और भीतरी खतरों से वे सुरक्षित रहें। किसी के साथ पक्षपात न हो, सभी नागरिकों के समान अधिकार हों।विगत वर्षों में हमारा तंत्र इन कर्तव्यों के पालन में कितना सफल रहा है? इस पर विचार किया जाना चाहिए।
75 वर्ष पूर्व औपनिवेशिक आजादी के पश्चात गणतंत्र की स्थापना से ही देश समाजवादी समाज की स्थापना के लिए, धर्मनिरपेक्षता के मूल्यों को अपनाते हुए विकास की ओर अग्रसर था। अनेक विसंगतियां विरोधाभास और असहमतियों के बावजूद देश निरंतर प्रगति कर रहा था । इसी दौर में वे ताकतें भी सक्रिय थी जिन्हें भारतीय संविधान मंजूर नहीं था। ये लोग और संगठन देश को धर्म आधारित राष्ट्र बनाने की कवायद में लगे रहे थे। आखिरकार ये ताकतें सफल रही, शासन में आई और अब इनके निशाने पर वही भारतीय संविधान है जिसके आधार पर ही वे चुनकर सत्ता में आए हैं। संविधान को सीधे तरीके से खारिज कर देने की कोई व्यवस्था न होने के कारण शासक दल अपने अनेक संगठनों के माध्यम से शनै: शनै: संवैधानिक मूल्यों, उनके आधार पर नागरिकों को मिले अधिकारों पर हमला कर रहे हैं। देश में ऐसे दमनकारी कानून लागू किए गए हैं जिनके खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम के दौरान क्रांतिकारियों द्वारा विरोध किया गया था। कोविड-19 के बहाने आम नागरिक की स्वतंत्रता इतनी सीमित कर दी गई है वह अपने ही घरों में कैद में रहने पर विवश कर दिए गए हैं। इन सब के ��िए गण के विरुद्ध तंत्र का खुलकर उपयोग हो रहा है।
समाज और देश के नागरिकों में असमानता की आर्थिक खाई निरंतर चौड़ी होती जा रही है। करोड़ों नागरिक राशन की खैरात पर निर्भर कर दिए गए हैं। दूसरी और चंद पूंजीपतियों की संपदा का विस्तार हो रहा है। देश की संपत्ति को कौड़ियों के दाम बेचा जा रहा है। धर्म आधारित पक्षपात चरम पर है। अल्पसंख्यक समुदाय प्रताड़ित और पीड़ित है। प्रचार और झूठ के शोर में सच कहीं विलुप्त सा हो गया है। ऐसे माहौल में भारतीय गणतंत्र स्वयं को कब तक बचाए रख पाएगा यह यक्ष प्रश्न बना हुआ है। आज सबसे बड़ा सवाल यह है कि भारतीय गणतंत्र में गण की कोई पहचान बची भी है ? 75 वर्षों की आजादी का निरंतर दुरुपयोग हुआ है। महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, लचर कानून व्यवस्था, गरीब- अमीर के बीच बढ़ती खाई, निरंकुश राजनेता, ढुलमुल प्रशासन गणतंत्र की पहचान बनकर रह गए हैं।
प्रति वर्ष हो रहे गणतंत्र दिवस के समारोह मात्र औपचारिक शासकीय आयोजन बन गए हैं। इनमें गण की कोई भूमिका ही नहीं है । वह टुकर टुकर राजपथ पर चमचमाती झांकियों कल्फ लगी कड़क वर्दीयों नेताओं की नौटंकी का दूरदर्शक बना हुआ है। अल्पसंख्यकों, दलितों, आदिवासियों, महिलाओं को सुरक्षा देने में असफल तंत्र का पक्षपाती चरित्र उजागर हो चुका है। यह सब देशवासी कितना और भुगतेंगे अथवा इस व्यवस्था के खिलाफ प्रतिरोध के भी स्वर उठेंगे ? यह देखना बाकी है ।
हमारे समय के महान शायर अली सरदार जाफरी ने अपनी निराशा इन शब्दों में व्यक्त की है
*कौन आजाद हुआ ?
*किसके माथे से गुलामी की सियाही छूटी*
*मेरे सीने में दर्द है महकूमी का*
*मादरे हिंद के चेहरे पे उदासी है वही* ।
*खंजर आजाद है सीने में उतरने के लिए*
*वर्दी आजाद है बेगुनाहों पर जुल्मों सितम के लिए*
*मौत आजाद है लाशों पर गुजरने के लिए*
*कौन आजाद हुआ?*
पुनः सभी नागरिकों को गणतंत्र दिवस पर हार्दिक बधाई
हरनाम सिंह
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omgarunk · 3 years ago
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Diya Mirza pledges to provide financial assistance to the family of forest warriors | दिया मिर्जा ने वन योद्धाओं के परिवार को आर्थिक सहायता देने का संकल्प लिया - Bhaskar Hindi
Diya Mirza pledges to provide financial assistance to the family of forest warriors | दिया मिर्जा ने वन योद्धाओं के परिवार को आर्थिक सहायता देने का संकल्प लिया – Bhaskar Hindi
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aajkitaazakhabar2022 · 3 years ago
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