#कोरोनोवायरस जॉब लॉस
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ckpcity · 4 years ago
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कोविद -19 मामलों में वृद्धि, एक और लॉकडाउन और नौकरी के नुकसान के डर से हजारों उड़ते हुए बेंगलुरु
कोविद -19 मामलों में वृद्धि, एक और लॉकडाउन और नौकरी के नुकसान के डर से हजारों उड़ते हुए बेंगलुरु
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प्रतिनिधित्व के लिए इस्तेमाल की गई छवि (फोटो: एपी)
अंतिम सप्ताह में, कम से कम दो से तीन लाख लोगों ने शहर छोड़ दिया है, जिससे सरकारी हलकों और व्यापारिक समुदाय में दहशत फैल गई है।
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डी पी सतीश
News18 बेंगलुरु
आखरी अपडेट: 6 जुलाई, 2020, 12:47 PM IST
द्वारा संपादित: पद्मजा वेंकटरमन
भारत का आईटी शहर, जो पहले तीन महीनों के लिए कोरोनोवायरस महामारी के प्रसार को सफलतापूर्वक प्रबंधित करने…
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amoladiwakar-blog · 5 years ago
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लॉक डाउन के दिनों में किस तरह से मैंने जीवन यापन किया
यूँ तो मैं रहने वाला हूँ नई दिल्ली का, गाँव है टिहरी गढ़वाल उत्तराखंड में और आजकल जॉब कर रहा हूँ बैंगलोर शहर में, परिवार से दूर| वास्तव में, पता नहीं क्या सोचकर ऊपर वाले ने ये दिन दिखाए हैं! कहाँ नये ग्रहों पर जाने के सपने देख रहे थे और कहाँ घरों के अंदर अलग-थलग रहने पर मजबूर हो बैठे! 
कोरोनावायरस रोग (COVID-19) एक नये वायरस के कारण होने वाला एक संक्रामक रोग है। यह बीमारी खांसी, बुखार और अधिक गंभीर मामलों में, सांस लेने में कठिनाई जैसे लक्षणों के साथ सांस की बीमारी (फ्लू की तरह) का कारण बनती है। हम अपने हाथों को बार-बार धो कर, अपने चेहरे को छूने से बचाकर और अस्वस्थ लोगों के साथ निकट संपर्क (1 मीटर या 3 फीट) से बचकर अपनी रक्षा कर सकते हैं| कोरोनोवायरस रोग मुख्य रूप से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलता है, जब उन्हें खांसी या छींक आती है। यह तब भी फैलता है जब कोई व्यक्ति उस सतह या वस्तु को छूता है जिस पर वायरस होता है, फिर अपनी आंखों, नाक या मुंह को छूता है।
औरों की तरह मेरे लिए भी ये दिन मुश्किलों भरे रहे हालाँकि कंपनी ने घर से काम करने की अनुमति दी हुई थी और आजीविका चलाने की कोई समस्या नहीं थी| बाल कटाना भी सम्भव नहीं हो पा रहा था इसलिए मैंने इसे एक नए स्टाइल के रूप में लिया। पीजी में खाना भी बराबर मिलता रहा पर मुहल्लों, सड़कों, दुकानों, बाजारों, पार्कों, स्कूलों आदि में पहले जैसी चहल-पहल न थी| ट्रेन और हवाई जहाज भी बंद कर दिए गए थे| सभी सेवायें पूरी तरह से बाधित हो गयीं थीं|
जीवन में इस तरह की परिस्थिति से पहले कभी मेरा सामना न हुआ था| घर के अंदर और वो भी अलग-अलग रहना हास्यास्पद लगता था लेकिन यही हमको बहुत कुछ सिखाता भी है| कुछ काम ऐसे भी होते हैं जो अकेले करोगे तो ही ठीक लगते हैं, जैसे किताबें पढ़ना, आत्मचिंतन इत्यादि|
यध्यपि फोन और इंटरनेट के माध्यम से बातचीत हो रही थी फिर भी जिस बात की कमी खल रही थी वह थी दोस्तों से आमने-सामने सम्पर्क न हो पाना और कंपनी के ई-कॉमर्स व्यवसाय का बुरी तरह से प्रभावित होना| ज्यादातर व्यवसायों पर बुरा असर ही देखने को मिला|
वैसे तो मुझे खाना पकाना, बर्तन साफ करना, कपड़े धुलना, घर की रख-रखाई करना अच्छी तरह से आता है किन्तु घर और धर्मपत्नी से दूर पीजी में गुजर-बसर होने के कारण ये सब करने की आवश्यकता नहीं पड़ी| बच्चों की पढ़ाई पर बुरा असर पड़ना भी खला|
एक और बात जहाँ कंपनी में चाय पीने को मिलती थी वहीं पीजी में इसके बगैर ही काम चलाना पड़ा|
मैं क्या करना इन दिनों नहीं भूला, चलो एक नजर डालता हूँ|
सुबह 5 बजे से पहले उठना।
साधारण व्यायाम करना और नियमित रूप से स्नान करना।
कंपनी के डिजिटल सर्विसेज बिज़नेस के लिए ९:३० AM से ६:०० PM और कभी-कभी सुबह (७:३० से ९:३०), दिन ((११:०० से ६:००) या (९:३० से ३:००)), और शाम (६:०० से ९:००) की शिफ्ट में घर से काम करना|
किताबें जो मैंने इस दौरान पढ़ीं:
The Saint, the Surfer, and the CEO by Robin Sharma 
Emotional Intelligence 2.0 by Travis Bradberry, Jean Greaves  
I Too Had a Love Story by Ravinder Singh
Gitanjali by Rabindranath Tagore
अपने ब्लॉग T-A-H-C-N का लेखन: जो नए टॉपिक्स इन दिनों जुड़े:
वो कागज की कश्ती, वो बारिश का पानी…
वो एक गलती मेरी जिन्दगी की!
श्रीमद् भगवद् गीता अध्ययन
अनएक्सपेक्टेड
दिव्यता
फुलकण्डी
लॉस ऑफ ए फ्रेंड
नारायण दे
यूनियन
माई फादर वज सो हैंडसम
स्वच्छ भारत अभियान
इंटीग्रिटी गैप
इंटीग्रिटी
फिल्में जो इस दौरान मैंने देखीं:
द लंच बॉक्स - २०१३
क्वीन - २०१४
बाजीराव मस्तानी - २०१५
मुख्य रूप से फेसबुक, ट्विटर और लिंक्डइन ऐप के माध्यम से सोशल नेटवर्किंग करना।
तरह-तरह का ज्ञान बटोरने और मनोरंजन के लिए यूट्यूब को अक्सर देखना|
इस रावण रुपी राक्षस से लड़ने के लिए और इस पर विजय प्राप्त  करने के लिए जिस तरह से सारा विश्व एकजुट हुआ वह मन को भावविभोर करने वाला और प्रेरणादायक था|
HOW I LIVED MY LIFE IN LOCK DOWN DAYS
I live in New Delhi, my village is in Tehri Garhwal Uttarakhand and nowadays working in Bengaluru city, away from family. Really, don't know why almighty has put us all in such crisis! We were dreaming of going to new planets and look how we were forced to remain isolated inside homes!
Coronavirus disease (COVID-19) is an infectious disease caused by a new virus. The disease causes respiratory illness (like the flu) with symptoms such as a cough, fever, and in more severe cases, difficulty breathing. We can protect ourselves by washing our hands frequently, avoiding touching our faces, and avoiding close contacts (1 meter or 3 feet) with people who are unwell. Coronavirus disease spreads primarily through contact with an infected person when they cough or sneeze. It also spreads when a person touches a surface or object that has the virus on it, then touches his eyes, nose, or mouth.
Though our company had allowed us to work from home and there was no problem of earning livelihood, like others, these days were difficult for me too. Getting haircut was also not possible, so I took it as one new style. Food in PG continued to be available but there was no hustle and bustle in streets, roads, shops, markets, parks, schools etc. as earlier. Trains and airplanes were also halted. All services were completely disrupted. 
I had never faced such a situation in my life. It seemed ridiculous to stay indoors and that too separately, but this also teaches us a lot. There are some things that are fine if done alone, like reading books, introspection etc..
Even though there was a conversation happening through phone and internet, the thing that was missing was not being able to contact friends face to face and the company's e-commerce business which got affected badly. Most of the businesses had a bad impact.
By the way, I am good at cooking, cleaning utensils, washing clothes, housekeeping, but due to being away from home and spouse in PG, there was no need to do all this. It was also felt bad to have a bad impact on children's education.
Another thing tea would be available to us in the company, whereas in PG, I had to live without it.     
What I did not forget doing these days, let me have a look.
Waking up early in the morning before 5 O'clock.
Doing simple exercise and taking bath daily.
Working from home for the company's digital services business from 9:30 AM to 6:00 PM and sometimes in the morning (7:30 to 9:30), day ((11:00 to 6:00) or (9:30 to 3:00)) and evening (6:00 to 9:00) shifts.
Books which I read during this period:
1) The Saint, the Surfer, and the CEO by Robin Sharma  2) Emotional Intelligence 2.0 by Travis Bradberry, Jean Greaves 3) I Too Had a Love Story by Ravinder Singh 4) Gitanjali by Rabindranath Tagore
Writing my own blog T-A-H-C-N: The new topics added in these days:
WO KAGAJ KI KASHTI WO BARISH KA PAANI…
THAT ONE MISTAKE OF MY LIFE!
SHRIMAD BHAGWAD GEETA ADHYAYAN
UNEXPECTED
DIVINITY
PHULKANDI
LOSS OF A FRIEND
NARAYAN DEY
UNION
MY FATHER WAS SO HANDSOME!
SWACHH BHARAT ABHIYAN
INTEGRITY GAP
INTEGRITY
Movies I watched at this time:
The Lunchbox - 2013
Queen – 2014
Bajirao Mastani – 2015
Social networking through apps mainly Facebook, Twitter and LinkedIn.
Watching YouTube frequently to gather all kinds of knowledge and entertainment.
The way the whole world came together to fight this Ravan demon and to conquer it, was heart-warming and inspiring.
Lots of Love…
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Diwakar Amola
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