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सात महीने बाद गुरुग्राम में कोविड से पहली मौत, मुंबई से लौटीं दो महिलाएं कोरोना पॉजिटिव
गुड़गांव: कोरोना संक्रमण का खतरा () बढ़ रहा है। सोमवार को कोरोना संक्रमित एक महिला की मौत हो गई। उसका इलाज प्राइवेट हॉस्पिटल में चल रहा था। आयु 47 वर्ष थी। कोरोना रोधी वैक्सीन लग चुकी थी। महिला संक्रमण के साथ शुगर, हाइपरटेंशन, कोरोनरी आर्टरी डिजीज व हृदय संबंधी सहित अन्य रोगों से ग्रस्त थी। वहीं दिसंबर में कोरोना वायरस के वेरिएंट का पता लगाने के लिए भेजे गए 6 सैंपल में 3 की रिपोर्ट आ गई है, जिसमें ओमिक्रॉन वेरिएंट की पुष्टि हुई है। नए वेरिएंट जेएन1 का कोई मामला सामने नहीं आया है। 2023 दिसंबर में शहर में कोरोना के 25 मामले सामने आए थे। जिसमें 15 महिलाएं व 10 पुरुष संक्रमित हुए थे। स्वास्थ्य विभाग लगातार संक्रमितों के सैंपल जिनोम सिक्वेंसिंग के लिए भेज रहा है। दिसंबर के शुरुआत में भेजे गए 6 सैंपल में तीन सैंपल की रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को पता लग गई है। इन रिपोर्ट में तीन संक्रमितों के ओमिक्रॉन से संक्रमित होने की पुष्टि हुई है। तीनों फिलहाल स्वस्थ हैं।मुंबई से लौटी महिलाएं मिलीं संक्रमितसाल के पहले दिन सोमवार को शहर में दो नए संक्रमितों का पता लगा और दो के कोरोना को मात देने पर स्वास्थ्य विभाग ने उन्हें डिस्चार्ज किया। संक्रमित 35 वर्षीय महिला सेक्टर- 50 की रहने वाली हैं और कुछ दिन पूर्व कनाडा से आने के बाद मुंबई गई थीं और वहां से लौटने पर यहां जांच कराने पर कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई। इसी तरह 57 वर्षीय दूसरी संक्रमित महिला डीएलएफ फेस फोर की रहने वाली हैं। इनके जयपुर और मुंबई से लौटने की जानकारी स्वास्थ्य विभाग को मिली है। 23 सैंपल की रिपोर्ट आना बाकीएक दिन में 115 कोरोना संदिग्ध मरीजों के जांच करने को सैंपल लिए गए। इसमें 60 रैपिड एंटीजन और 65 आरटीपीसीआर टेस्ट हुए। फिलहाल 23 सैंपल की रिपोर्ट आना बाकी है। फिलहाल जिले में सक्रिय संक्रमितों की संख्या 5 है और सभी संक्रमित होम आइसोलेशन में इलाज करा रहे हैं। http://dlvr.it/T0rbqR
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मशहूर अभिनेत्री हुई संक्रमित, इंस्टाग्राम पर खुद दी जानकारी
मशहूर अभिनेत्री हुई संक्रमित, मुंबई : जानी मानी टीवी अभिनेत्री माही विज ने बृहस्पतिवार को खुद के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की जानकारी दी। अभिनेत्री ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो साझा कर कहा कि चार दिन पहले बुखार के बाद कराई गई जांच में उनके संक्रमित होने की पुष्टि हुई थी। मशहूर अभिनेत्री हुई संक्रमित, अभिनेत्री ने लिखा, ‘‘दोस्तों मैं कोरोना वायरस से संक्रमित हो गई हूं। जांच का नतीजा चार दिन…
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चीन में कोरोना वायरस के मामले बढ़ने से क्रूड गैप: दो महीने का निचला स्तर
चीन में कोरोना वायरस के मामले बढ़ने से क्रूड गैप: दो महीने का निचला स्तर
मुंबई के आभूषण बाजार में आज सोने और चांदी की कीमतों में गिरावट जारी रही। विश्व बाजार समाचार गिरावट दिखा रहा था। जैसे-जैसे विश्व बाजार में गिरावट आई, वैसे-वैसे खरीदार कम और विक्रेता अधिक होते गए। विश्व बाजार में डॉलर इंडेक्स बढ़ने और बॉन्ड यील्ड भी बढ़ने से सोने में फंड की बिकवाली बढ़ने की बात चल रही थी। जैसे ही चीन में कोविड का प्रकोप बढ़ा, ऐसे संकेत मिले कि दुनिया के बाजारों में तेजी से उछाल…
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सी.आर.पी.सी. की धारा 144
परिचय
आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सी.आर.पी.सी.), 1973 की धारा 144 के तहत, एक जिला मजिस्ट्रेट, एक उप-मंडल (सब डिविजनल) मजिस्ट्रेट, या राज्य सरकार द्वारा अधिकृत (ऑथोराइज्ड) कोई अन्य प्रशासनिक (एडमिनिस्ट्रेटिव) मजिस्ट्रेट, कथित खतरे या उपद्रव के तत्काल मामलों को रोकने और ��नका इलाज करने के आदेश जारी कर सकता है, यह एक औपनिवेशिक (कोलोनियल) युग का क़ानून है, जिसे संहिता में संरक्षित किया गया है। धारा 144, उन मामलों मे लागू होती है जहां आसन्न (इमिनेंट) उपद्रव या किसी घटना के संदिग्ध खतरे की परिस्थितियों में मानव जीवन या उसकी संपत्ति को समस्या या कोई नुकसान पहुंचाया जा सकता है। आम तौर पर सी.आर.पी.सी. की धारा 144 के तहत सार्वजनिक समारोहों पर रोक लगा दी जाती है। इतिहास में, धारा 144 का इस्तेमाल उन रैलियों को रोकने के प्रयास में कुछ बाधाएं लगाने के लिए किया जाता है जो दंगे या अन्य प्रकार की हिंसा को भड़का सकती हैं। जब कोई आपात स्थिति होती है, तो कार्यकारी (एक्जीक्यूटिव) मजिस्ट्रेट को धारा 144 लागू करने का अधिकार दिया जाता है। इंटरनेट शटडाउन और दूरसंचार (टेलीकॉम) सेवाओं पर प्रतिबंध अक्सर धारा 144 के तहत लागू किए जाते हैं। हाल ही की कुछ घटनाओं ने पिछले कुछ वर्षों में इस प्रावधान की लोकप्रियता को और महत्व को और अधिक बढ़ा दिया है। पिछले दो वर्षों में फैली कोविड-19 की बीमारी में वृद्धि के कारण, सी.आर.पी.सी. की धारा 144 को भारत भर के कई स्थानों पर लागू किया गया था। कुछ हालिया उदाहरणों में निम्नलिखित शामिल हैं:- पश्चिमी तट पर संभावित आतंकवादी खतरे के बारे में खुफिया रिपोर्टों के परिणामस्वरूप, 12 फरवरी, 2020 कोउत्तरी गोवा क्षेत्र में धारा 144 लागू की गई थी। एक अधिसूचना (नोटिफिकेशन) में, उत्तरी गोवा के जिला मजिस्ट्रेट ने कहा था कि यह धारा, 11 फरवरी से 10 अप्रैल तक 60 दिनों तक के लिए प्रभाव में रहेगी। - मकबूल भट और अफजल गुरु और मकबूल भट की संबंधित वर्षगांठ (एनिवर्सरी) के सम्मान में, जम्मू और कश्मीरमें 8 से 10 फरवरी, 2022 तक इंटरनेट बंद रहा और धारा 144 लागू की गई थी। - कोरोना वायरस के प्रसार (स्प्रेड) को रोकने के लिए, जिसने पहले ही दुनिया भर में हजारों लोगों की जान ले ली थी, दिल्लीसरकार ने 23 मार्च, 2020 को धारा 144 लागू की थी। जैसे जैसे ही पूरे भारत में वायरस का विस्तार हुआ, वैसे ही कुछ राज्यों ने दिल्ली सरकार की तरह धारा 144 को लागू करना शुरू कर दिया, ताकि कोविड-19 महामारी के स्थानीय प्रसार को रोका जा सके। - मुंबई शहर में कोरोना वायरस के मामलों में लगातार वृद्धि होने के कारण 17 सितंबर, 2020 कोमुंबई में धारा 144 के तहत प्रतिबंध लागू किए गए थे। 2020 की शुरुआत से पूरी दुनिया में कोविड -19 महामारी की चप���ट में आने के साथ, मुंबई भारत के सबसे ज्यादा प्रभावी शहरों में से एक रहा है और यह कार्य प्रसार को कम करने के लिए किया गया था, जैसा कि कई अन्य शहरों में किया गया था। - धारा 144 का मूल लक्ष्य उन जगहों पर कानून और व्यवस्था को बनाए रखना है जहां अशांति भड़क सकती है और रोज के जीवन में परेशानियां ला सकती है। - यह निर्दिष्ट अधिकार क्षेत्र (ज्यूरिस्डिकशन) के भीतर किसी भी प्रकार के हथियारों को रखने और ले जाने पर सीमाएं लगाता है। इस तरह के अपराध के लिए अधिकतम सजा तीन साल की जेल है। - इस प्रतिबंध के प्रभावी होने के दौरान सभी सार्वजनिक समारोहों और विरोध प्रदर्शनों पर पूरी तरह से प्रतिबंध रहता है। - इसके प्रभावी होने तक सभी शैक्षणिक संस्थान बंद रहते है और इस खंड के तहत जारी आदेश के अनुसार कोई सार्वजनिक आंदोलन नहीं किया जाता है। - कानून अधिकारियों को एक अवैध सभा को तोड़ने से रोकने के कार्य को एक दंडनीय अपराध माना जाता है। - क्षेत्र में इंटरनेट के उपयोग को प्रतिबंधित करने की क्षमता भी अधिकारियों को दी गई है। - अधिकारियों को जल्द से जल्द तैनात किया जाना चाहिए ताकि सार्वजनिक शांति और सद्भाव की रक्षा की जा सके। - ऐसी स्थितियों में जहां सार्वजनिक हित और निजी अधिकारों के बीच कुछ असंगति होती है, वहां निजी अधिकारों को अस्थायी रूप से निलंबित (सस्पेंडेड) किया जा सकता है। - धारा 144 के तहत एक कार्यवाही में, संपत्ति के मालिकाना हक, अधिकारों की पात्रता, या नागरिक मुद्दों के संबंध में कोई समाधान नहीं किया जा सकता है। - मजिस्ट्रेट को धारा 144 के तहत उन अधिकारों के समर्थन में और उन लोगों के खिलाफ अपनी शक्ति का प्रयोग करना चाहिए जो उनके कानूनी अभ्यास में बाधा डालते हैं, जहां उन प्रश्नों को पहले ही दीवानी अदालतों या न्यायिक घोषणाओं द्वारा हल किया जा चुका है। यह उसे आपात स्थितियों के दौरान उस कार्य को प्रभावी ढंग से करने की अनुमति देगा। - सार्वजनिक अशांति को तुरंत रोक सकते हैं, या - एक संभावित खतरे को जल्दी से संबोधित कर सकते हैं। - कानूनी रूप से नियोजित किसी व्यक्ति को बाधा, परेशानी या चोट; - मानव जीवन, स्वास्थ्य, या सुरक्षा के लिए खतरा; या - सार्वजनिक शांति में अशांति, जैसे दंगा, जो एक निर्देश को जारी करने की अनुमति देता है। - मजिस्ट्रेट के पास इस खंड के तहत एकतरफा आदेश जारी करने का अधिकार होता है, लेकिन आम तौर पर उस व्यक्ति को नोटिस दिया जाता है जिसके खिलाफ आदेश जारी किया जा रहा है। मजिस्ट्रेट को केवल विकट परिस्थितियों में एक पक्षीय आदेश जारी करना चाहिए। - जिन लोगों के साथ आदेश के द्वारा गलत किया गया था, उन्हें भी उपयुक्त आधार पर इसके लिए लड़ने का अधिकार है। यह इस विचार को बल देता है कि इस खंड द्वारा प्रदान किए गए अधिकार मनमाने नहीं है। - मजिस्ट्रेट के आदेश का विरोध ��रने वाले व्यक्ति को भी सुनवाई का ��ौका दिया जाता है और उपरोक्त का समर्थन करने के लिए कारण दिखाने का मौका दिया जाता है। नतीजतन, यह हिस्सा प्राकृतिक न्याय के मानदंडों (नॉर्म) का भी अनुपालन (कॉम्प्लाइ) करता है। - न्यायालय ने आगे कहा कि मजिस्ट्रेट की कार्रवाई अधिक उचित और ठोस कारण पर आधारित थी क्योंकि पीड़ित पक्ष को निर्णय की वैधता का विरोध करने का अधिकार दिया गया था। - अंत में, तथ्य यह है कि धारा 144 के तहत आदेश अपील के अधीन नहीं है, उच्च न्यायालय द्वारा संहिता कीधारा 435 के तहत संशोधित करने के अधिकार के लिए क्षतिपूर्ति की जाती है जब इसे संहिता की धारा 439 के साथ संयोजन (कंजंक्शन) में पढ़ा जाता है। उच्च न्यायालय या तो निर्णय को उलट सकता है या मजिस्ट्रेट से प्रासंगिक तथ्यों का अनुरोध कर सकता है। - मुद्दा यह है कि यह बहुत व्यापक है और इस धारा की भाषा इतनी अस्पष्ट है कि यह एक मजिस्ट्रेट को पूर्ण अधिकार प्रदान कर सकती है और जिसका दुरुपयोग उसके द्वारा किया जा सकता है। - प्रभावित पक्षों ने अक्सर दावा किया है कि यह खंड बहुत अधिक व्यापक है और मजिस्ट्रेट को अनुचित बिना किसी सीमा की शक्ति देता है। आदेश के खिलाफ प्रारंभिक कानूनी बचाव एक संशोधन आवेदन है, जिसे मूल जारीकर्ता प्राधिकारी (इश्यूइंग अथॉरिटी) को प्रस्तुत किया जाना चाहिए। - इसके अतिरिक्त, यह सुझाव दिया गया है कि एक बहुत बड़े क्षेत्र में निषेधाज्ञा लागू करना अनुचित है क्योंकि विभिन्न स्थानों में अलग-अलग सुरक्षा स्थितियां होती हैं और अलग-अलग दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता होती है। - यदि आदेश किसी व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है, तो वे उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका दायर कर सकते हैं। हालांकि, जो लोग इसे गलत महसूस करते हैं, उनका तर्क है कि उच्च न्यायालय के शामिल होने से पहले ही राज्य ने अक्सर उनके अधिकारों का उल्लंघन किया होगा। - स्वयं मजिस्ट्रेट के लिए एक पुनरीक्षण आवेदन इस तरह के आदेश का सबसे तत्काल प्रतिवाद (काउंटरमेजर) है।
सी.आर.पी.सी. की धारा 144 की प्रयोज्यता (एप्लीकेबिलिटी) में सुधार के लिए सुझाव
आपात स्थिति से निपटने के लिए सी.आर.पी.सी. की धारा 144 का उपयोग बहुत सहायक साबित हो सकता है। कार्यकारी (एग्जीक्यूटिव) शाखा दुरुपयोग की चपेट में है क्योंकि कोई विशेष न्यायिक निगरानी नहीं है और विशिष्ट उद्देश्यों के साथ व्यापक कार्यकारी शक्तियों का कोई सटीक तत्व मौजूद नहीं है। उसी के आलोक में, मजिस्ट्रेट को इस धारा के अनुसार कार्य करने से पहले एक जांच करनी चाहिए और स्थिति की तात्कालिकता पर ध्यान देना चाहिए। इसके अलावा, विधायिका को व्यक्तिगत स्वतंत्रता और संविधान के मौलिक अधिकारों के तहत व्यक्तियों को दी गई अन्य स्वतंत्रताओं को बनाए रखन�� की आवश्यकता और तत्काल संवेदनशील स्थितियों से निपटने के लिए पूर्ण शक्ति प्रदान करने की आवश्यकता के बीच एक संतुलन बनाना चाहिए।
निष्कर्ष
यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि, संभावित रूप से मनमानी और विवेकाधीन होने के बावजूद, धारा 144 संकेतकों की सरणी (एरे ऑफ़ इंडिकेटर) का एक अनिवार्य घटक है जो किसी भी जिले के कार्यकारी निकाय द्वारा शुरू किया जाता है ताकि न्यायिक घोषणाओं और अकादमिक टिप्पणियों के आलोक में संबंधित धारा के सावधानीपूर्वक विश्लेषण के बाद तत्काल स्थितियों से बचने के साथ-साथ प्रबंधन भी किया जा सके। इस धारा की संवैधानिकता पर सवाल उठाने के खिलाफ कई कानूनी कार्रवाइयां भी की गई हैं, और इसे बनाए रखने वाले कई फैसले भी हुए हैं। हालांकि इस धारा के तहत मजिस्ट्रेट को कई विवेकाधीन शक्तियां दी गई हैं, लेकिन किसी भी मनमानी या अन्यायपूर्ण आदेश को रोकने के लिए वे शक्तियां कई प्रतिबंधों के अधीन होती हैं। इस शक्ति का उपयोग अधिक तार्किक (लॉजिकल) है क्योंकि उच्च न्यायालय के पास इस खंड के तहत मजिस्ट्रेट के निर्णय की समीक्षा करने का अधिकार है।इसके अलावा, दंगों में वृद्धि और सार्वजनिक शांति के लिए खतरा पैदा करने वाली अन्य स्थितियों के कारण मजिस्ट्रेटों के पास इन शक्तियों का होना आवश्यक हो गया है। यह, ये सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि आम लोगों को वह सुरक्षा और शांति मिल सके, जो उनके जीवित रहने के लिए बहुत जरूरी है। हालांकि, इस बिंदु पर, यह तर्क दिया जा सकता है कि तत्काल स्थितियों को संबोधित करने के लिए विधायिका के पूर्ण शक्तियों के अनुदान (ग्रांट) और संविधान के मौलिक अधिकार, विशेष रूप से संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत, जब तक कि तत्काल या असामान्य परिस्थितियां मौजूद न हों, के तहत नागरिकों को व्यक्तिगत स्वतंत्रता और अन्य स्वतंत्रता की रक्षा करने की आवश्यकता के बीच संतुलन बनाने की आवश्यकता प्रतीत होती है।यदि मानव जीवन, स्वास्थ्य या सुरक्षा को कोई खतरा होता है, या किसी दंगे या विवाद की संभावना होती है, तो राज्य सरकार आधिकारिक राजपत्र (ऑफिशियल गैजेट) में प्रकाशन द्वारा अन्य निर्देश जारी कर सकती है। मजिस्ट्रेट के आदेश को कानूनी बल के बिना एक आदेश के रूप में माना जाना चाहिए और उसमें निहित राय की अभिव्यक्ति को किसी भी कानूनी बल या प्रभाव के बिना माना जाना चाहिए, यदि अधिकार क्षेत्र को मानने के लिए यह महत्वपूर्ण शर्त मौजूद नहीं है। इस खंड का उपयोग केवल आपातकालीन स्थितियों में ही किया जाना चाहिए और इसके तहत किसी भी अन्य कानूनी प्रावधानों को बदलने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए जो अधिक उपयुक्त हो सकते हैं और मजिस्ट्रेट को एक जांच करनी चाहिए और इस खंड के तहत आगे बढ़ने से पहले स्थिति की तात्कालिकता को भी नोट करना चाहिए।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (एफ.ए.क्यू.)
1. सी.आर.पी.सी. की धारा 144 क्या है?
1973 की आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सी.आर.पी.सी.) की धारा 144 किसी भी राज्य या क्षेत्र के कार्यकारी मजिस्ट्रेट को किसी विशेष स्थ��न पर चार या अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर रोक लगाने का आदेश देने की शक्ति दे सकती है।
2. सी.आर.पी.सी. की धारा 144 के तहत अपराध की प्रकृति क्या है?
सी.आर.पी.सी. की धारा 144 के तहत अपराध प्रकृति में आपराधिक, संज्ञेय और जमानती होता है।
3. सी.आर.पी.सी. की धारा 144 लागू करने का क्या कारण है?
सी.आर.पी.सी. की धारा 144 को लागू करना वैध है जब इसका उपयोग परेशानी, मानव जीवन को चोट पहुंचाने और सार्वजनिक शांति में अशांति को प्रतिबंधित करने के लिए किया जा रहा है। इस धारा के तहत आदेश एक पक्ष को दूसरे पक्ष को लाभ पहुंचाने के लिए नहीं लगाया जाना चाहिए।
4. सी.आर.पी.सी. की धारा 144 की आलोचना क्यों की गई है?
इस धारा के साथ कुछ मुद्दे यह भी हैं कि यह अत्यधिक व्यापक, अस्पष्ट है, और इसका दुरुपयोग भी किया जा सकता है। इसके अलावा, राहत मिलने की प्रक्रिया बेहद धीमी है। इसके अतिरिक्त, एक बहुत बड़े क्षेत्र में निषेधाज्ञा लागू करना अनुचित है। Read the full article
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Mumbai Metro will run again after a gap of 7 months, many rules will have to be taken care of – 7 महीनों के अंतराल के बाद फिर दौड़ेगी मुम्बई मेट्रो, कई नियमों का रखना होगा ध्यान एक मेट्रो में केवल 300 लोगों को अनुमति मुंबई: करीब 7 महीनो तक बंद रहने के बाद सोमवार से मुम्बई मेट्रो (Mumbai Metro) को एक बार फिर से आम आदमी के लिए शुरू किया जा रहा है.
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पपी को घर लाने प्राइवेट जेट से बेंगलुरु पहुंचे घरवाले
पपी को घर लाने प्राइवेट जेट से बेंगलुरु पहुंचे घरवाले
एक जाने माने उद्योगपति ने अपने पपी को लाने के लिए मुंबई से बेंगलुरु (Mumbai To Bengaluru) की उड़ान भरी। इसके बाद उन्होंने अपने पपी को लिया और 2 घंटे बाद वापस लौट गए। हालांकि इस दौरान उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा लेकिन परिवार पपी को अपने पास पाकर खुश था।
Edited By Vishva Gaurav | टाइम्स न्यूज नेटवर्क | Updated: 13 Jun 2020, 10:03:00 AM IST
फाइल फोटो हाइलाइट्स
उद्योगपति अपनी पत्नी…
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मुंबई में धीमी हो सकती है कोरोना की टेस्टिंग, इस बड़े लैब पर लगा एक महीने का बैन
मुंबई में धीमी हो सकती है कोरोना की टेस्टिंग, इस बड़े लैब पर लगा एक महीने का बैन
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(AP Photo/Manish Swarup) महाराष्ट्र (Maharashtra) स्थित मुंबई (Mumbai) में लैब को चार हफ्ते तक टेस्टिंग बंद रखने का आदेश बृहनमुंहई महानगर पालिका यानी BMC ने दिया है. लैब पर आरोप है कि वह रिपोर्ट देरी में…
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मुंबई में बीते 24 घंटे में कोरोना के 1 हजार 11 नए केस दर्ज, दो मरीजों की हुई मौत
मुंबई में बीते 24 घंटे में कोरोना के 1 हजार 11 नए केस दर्ज, दो मरीजों की हुई मौत
Mumbai Corona News: मुंबई महानगर में कोरोना संक्रमण (Coronavirus) के बढ़ते मामलों ने एक फिर दहशहत फैला दी है. गौरतलब है कि शहर में बीते 24 घंटे में एक बार फिर एक हजार से ज्यादा नए कोविड-19 (Covid-19) के केस दर्ज किए गए हैं. वहीं इस अवधि के दौरान मुंबई (Mumbai) में संक्रमण से दो मौतें भी हुई हैं. फिलहाल शहर में 5 हजार 852 सक्रिय मरीज हैं मुंबई में बीते 24 घंटों में कितने Covid-19 के मामले आएबता…
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COVID-19: कैसे मुंबई ने 18 महीने बाद हासिल किया ज़ीरो कोरोना डेथ का खास मुकाम
COVID-19: कैसे मुंबई ने 18 महीने बाद हासिल किया ज़ीरो कोरोना डेथ का खास मुकाम
मुंबई में गेटवे ऑफ इंडिया के पास कोरोना से बचाव के लिए मास्क लगाकर घूमते लोग. (फाइल फोटो) Mumbai Coronavirus News: पिछले 19 महीनों में मुंबई में कोविड-19 से 16,180 मौतें हुई हैं, जो कि भारत में इस वायरस से हुई कुल मौतों का लगभग 4% है. मुंबई. मुंबई में कोरोना वायरस से संक्रमित पहले मरीज की मौत 17 मार्च, 2020 को दर्ज की गई थी. महामारी के साथ एक लंबी लड़ाई और सबसे बुरी तरह प्रभावित शहरों में से एक…
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भारत का इकलौता शहर बना मुंबई, 1 लाख के पार पहुंचे कोरोना केस, जानें महाराष्ट्र का हाल महाराष्ट्र में कोरोना वायरस (Corona cases in Mumbai) के मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है। वहीं, मुंबई ने तो एक रेकॉर्ड तोड़ दिया है। दरअसल, मुंबई भारत का पहला शहर बन गया है जहां कोरोना के मामले 1 लाख के आंकड़े को पार कर चुके हैं।
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Mumbai Police Asks You Not to Reply to All WhatsApp Messages: Find Out Why
Mumbai Police Asks You Not to Reply to All WhatsApp Messages: Find Out Why
मुंबई पुलिस हमेशा उस समय बिंदु पर होती है जब सोशल मीडिया पर महत्वपूर्ण सार्वजनिक सेवा घोषणाओं को फैलाने के रचनात्मक तरीकों की बात आती है। सड़क सुरक्षा नियमों का पालन करने से ��ेकर COVID-19 संबंधित मानदंडों तक, पुलिस विभाग अपने विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर घर के महत्वपूर्ण संदेशों को हथौड़ा करना जानता है। 22 अप्रैल को इंस्टाग्राम पर एक सरल पोस्ट में, मुंबई पुलिस ने COVID-19 सकारात्मक मामलों…
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IPL 2021: मुंबई और हैदराबाद का मैच भी हो सकता है
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IPL 2021: केकेआर और सीएसके कैंप में कोविड -19 का प्रवेश हो चुका है (PIC: PTI) आईपीएल 2021: चेन्नई सुपर किंग्स कैंप में तीन पीडटिव केस आने के बाद चेन्नेई सुपर किंग टीम ने बुधवार को राजस्थान रॉयलस के खिलाफ मैच न खेलने का फैसला लिया है। नई दिल्ली। भारतीय प्रीमियर लीग 2021 (आईपीएल) के कड़े बायो बबल में कोविड -19 की तेजी हो गई है। कोलकाता नाइट राइडर्स (कोलकाता नाइट राइडर्स) के दो खिलाड़ी संदीप…
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मुंबई के जीटी हॉस्पिटल से फरार हुआ कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज, जांच में जुटी पुलिस
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महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई के एक अस्पताल से मंगलवार की शाम को कोरोना वायरस से संक्रमित एक मरीज फरार हो गया। PTI Representational
मुंबई: महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई के एक अस्पताल से मंगलवार की शाम को कोरोना वायरस से संक्रमित एक मरीज फरार हो गया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह घटना जीटी अस्पताल की है जहां यह कोरोना पॉजिटिव मरीज भर्ती था। अस्पताल ने मंगलवार को ही आजाद…
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मुंबई पुलिस ने 'राधे' के मीम से मास्क का मतलब समझाया, मजेदार ट्वीट हो रहा है वायरल
मुंबई पुलिस ने ‘राधे’ के मीम से मास्क का मतलब समझाया, मजेदार ट्वीट हो रहा है वायरल
भारत में कोविड-19 (Covid-19 In India) का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है। लोगों से घर के बाहर ना निकलने और एहतियात बरतने की सलाह दी जा रही है। इसके साथ ही मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग मेनटेन करने की अपील की जा रही है। हेल्थकेयर और पुलिस डिपार्टमेंट्स से जुड़े अधिकारी लोगों से कह रहे हैं कि वे इस कठिन समय में अपना ध्यान रखें। इस बीच मुंबई पुलिस (Mumbai Police) ने मजेदार तरीके से लोगों को समझाने…
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मुंबई में प्रवासी मजदूरों को कोरोना से अधिक लॉकडाउन का डर- खचाखच भरी ट्रेन
मुंबई में प्रवासी मजदूरों को कोरोना से अधिक लॉकडाउन का डर- खचाखच भरी ट्रेन
देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर के संक्रमण से एक बार फिर चुनौतीपूर्ण स्थिति बनी हुई है। कोविड-19 ने विकराल रूप धारण से नए मामलों में तेजी से उछाल आ रहा है, कई राज्यों में एक बार फिर नाईट कर्फ्यू और कुछ दिन का लॉकडाउन लगाया जा रहा है। इस बीच लॉकडाउन की आशंका को लेकर आर्थिक राजधानी मुंबई में एक बार फिर मजदूरों के पलायन का दौर शुर��� होता नजर आया है। भोपाल : कक्षा 9वीं से 12वीं तक परीक्षाओं के…
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लॉकडाउन में महाराष्ट्र के 96 प्रतिशत लोगों की आमदनी में आई गिरावट- सर्वेक्षण
लॉकडाउन में महाराष्ट्र के 96 प्रतिशत लोगों की आमदनी में आई गिरावट- सर्वेक्षण
कोरोना वायरस संक्रमण के कारण पिछले साल लगाए गए लॉकडाउन के दौरान महाराष्ट्र के करीब 96 प्रतिशत लोगों की आमदनी में कमी आई है। राज्य में ‘अन्न अधिकार अभियान’ के तहत किए गए सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है। ‘अन्न अधिकार अभियान’ के लिए राज्य की समन्वयक मुक्ता श्रीवास्तव ने शनिवार को बताया कि आमदनी में कमी आने का मुख्य कारण नौकरियां जाना और कार्य की अनुपलब्धता थी। उन्होंने बताया कि सर्वेक्षण में शामिल…
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