10. महामारी में श्रीकृष्ण
गीता में कई अचूक उपाय हैं जो आत्म-साक्षात्कार के मार्ग में आने वाली बाधाओं को दूर करने की क्षमता रखते हैं। ऐसा ही एक अचूक उपाय है ‘स्वयं को दूसरों में और दूसरों को स्वयं में देखना’। श्रीकृष्ण हमें यह महसूस करने के लिए कहते हैं कि वे हम सभी में हैं और वह अव्यक्त या निराकार की ओर इशारा कर रहे हैं। श्रीकृष्ण श्रीमद्भागवत में कहते हैं कि अपने आप में उस समझ को प्राप्त करें जिससे विभाजन समाप्त हो जाता है और उस अवस्था में हम गधे या चोर को ठीक उसी प्रकार नमन करें जैसे कि हम भगवान को नमन करते हैं।
इंद्रियों द्वारा प्रेषित जानकारी के आधार पर, हमारे दिमाग को स्थितियों को सुरक्षित/सुखद या असुरक्षित/अप्रिय में विभाजित करने के लिए प्रशिक्षित किया गया है। यह हमें आनेवाले खतरों से खुद को बचाने के लिए आवश्यक और उपयोगी है। किसी भी तकनीक की तरह, दिमाग भी दोधारी होता है और हम पर हावी होने के लिये अपने दायरे को पार कर जाता है जो अहंकार का जन्म स्थान है। यह अचूक उपाय हमें सिखाता है कि विभाजन को कम करने के लिए दिमाग को नियंत्रित करें यानी काबू में रखें ताकि सामंजस्य या एकता बनी रहे। यह ध्यान देने योग्य है कि कोई भी जटिल भौतिक अस्तित्व के साथ-साथ हमारा शरीर भी इस सामंजस्य के बिना जीवित नहीं रह सकता है।
जब हम इस अचूक उपाय का उपयोग करते हैं, तो हम दूसरों के लिए करुणा विकसित करते हैं और अपनी जागरूकता बढ़ाते हैं। इसे महसूस करने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि किसी ऐसे व्यक्ति के साथ शुरुआत करें जिसे हम किसी भी कारण से शत्रु मानते हैं और उस व्यक्ति को भगवान के रूप में देखें। निश्चित रूप से यह बहुत कठिन है क्योंकि कई अप्रिय यादें और भावनाएं उनसे जुड़ी होती हैं। इस अभ्यास से, समय के साथ वह घृणा आनंद में बदल जाती है। जीवन में हम ऐसी स्थितियों से गुजरे होंगे जहां हम सभी ने ऐसा व्यवहार किया होगा और हमें यह अभ्यास दोहराते रहना चाहिए।
गीता द्वारा दिए गए मार्ग में, स्वयं के बारे में जागरूकता और दूसरों के लिए करुणा अंतरात्मा रूपी किनारे की ओर जाने के लिए नाव के दो चप्पू जैसे हैं।
एक बार जब हम इसे समझ लेते हैं, तो क्या हम भगवान श्रीकृष्ण को कोरोना महामारी में देख सकते हैं?
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समरसता के साथ समाज को आगे बढायें - ओम बिरला
मंदिर श्री फलौदी माताजी महाराज समिति, खैराबाद की केंद्रीय कार्यकारिणी का शपथ ग्रहण समारोह
न्यूजवेव @ रामगंजमंडी/कोटा
राजस्थान के खैराबाद में स्थित श्री फलौदी माता का इकलौता मंदिर हम सबकी अटूट आस्था का केंद्र है। यहां मेडतवाल समाज के साथ अन्य सभी वर्गों के भक्त वर्ष पर्यंत दर्शन के लिये आते हैं। यहां नवरात्र में माता के दर्शन करके एक नई दिव्य उर्जा की अनुभूति होती है, जिससे जीवन में सात्विकता बढ जाती है। अ.भा.मेडतवाल (वैश्य) समाज द्वारा संचालित मंदिर श्री फलौदी माताजी महाराज समिति की नवनिर्वाचित केंद्रीय कार्यकारिणी के शपथ ग्रहण समारोह में मुख्य अतिथि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मंगलवार को नईदिल्ली से समारोह को वर्चुअल संबोधित किया।
लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने कहा कि आस्था के ऐसे पवित्र प्रांगण में शपथ ग्रहण करने वाले सभी पदाधिकारियों व सदस्यों को मैं बधाई देता हूं। मैं दूर बैठकर भी फलौदी माता के दर्शन को व्यक्तिशः महसूस कर रहा हूं। मुझे कई बार मंदिर में दर्शन करने का सौभाग्य मिला है। उन्होंने कहा कि समाज की नवगठित कार्यकारिणी समरसता के साथ समाज को आग��� बढाने का कार्य करे। मेडतवाल समाज में प्रत्येक 12 वर्ष में बसंत पंचमी पर यहां कुंभ मेला भरता है, जिसमें देश-विदेश में रहने वाले सभी परिवार एक साथ इकट्ठा होते हैं, मिलते-जुलते हैं। ऐसी सामाजिक एकता की परंपरा और कहीं देखने को नहीं मिलती है।
समारोह में पूर्व सचिव भारत सरकार IAS आर.एस.जुलानिया ने नवनिर्वाचित 21 पदाधिकारियों एवं 99 कार्यकारिणी सदस्यों को अपने दायित्वों का निष्ठापूर्वक कर्तव्य निर्वहन
करने की शपथ दिलाई। वरिष्ठ समाजसेवी मदनलाल दलाल ने अध्यक्षता की। समारोह में पूर्व जिला कलक्टर रमेश भंडारी, पूर्व राज्य सूचना आयुक्त आत्मदीप, पूर्व विधायक नरसिंहगढ गिरीश भंडारी, पूर्व विधायक खानपुर अनिल जैन, रामगंजमडी नगरपालिका के पूर्व चैयरमेन हुकुमचंद बाफना, समाजसेवी बालकृष्ण दाख, रामगोपाल नेताजी विशिष्ट अतिथि रहे।
प्रजातांत्रिक व्यवस्था से समाज को नई दिशा दें
समारोह के मुख्य वक्ता IAS आर.एस. जुलानिया ने कहा कि जब समाजों में आबादी और संसाधन बढते हैं तो आस्था के केंद्र कर्म के केंद्र बन जाते हैं। हम कर्म के मंदिर में बैठकर अच्छे कार्य करने का संकल्प करें। पुरानी टीम ने मेले का सफल आयोजन और सेवा सदन का निर्माण पूरा कर एक दिशा प्रदान की है। नई टीम इस दिशा में आगे बढते हुये समाज की दशा को मजबूत करने पर ध्यान दे। आज ही क्षेत्र में प्रजातांत्रिक व्यवस्था से चुने लोगों पर ही समाज का विश्वास यानी ट्रस्ट होता है। आप इस विश्वास पर खरा उतरें। समाज में संस्कारों से अनुशासन व समरसता झलकती है। वैश्य समाज दूसरों को नौकरी देता आ रहा है। हमारी नई पीढी पढ-लिखकर अपने व्यवसाय को ओर आगे बढायें।
समाज की तरक्की के लिये रोड मेप बनायें
पूर्व जिला कलक्टर IAS रमेश भंडारी ने नई टीम को बधाई देते हुये कहा कि हम समाज की तरक्की के लिये रोडमेप बनायंे और उसे पूरा करने के लिये कमर कसकर जुट जायें। आलोचनाओं पर ध्यान देना बंद कर दें। आपका हर अच्छा कार्य आगे बढने के लिये नई उर्जा देता रहेगा। पूर्व विधायक गिरीश भंडारी ने समाज के युवाओं का आव्हान किया कि व्यापार के साथ अब राजनीति में भी अपनी उर्जा से आगे बढें। समाज में रचनात्मक कार्यक्रमों से जुडें़। पूर्व चैयरमेन हुकुमचंद बाफना ने कहा कि इस क्षेत्र को फलौदी माता के नाम से देश-विदेश में पहचान मिली है। माता की चमत्कारिक शक्ति से कोरोना महामारी में भी आम जनता सुरक्षित रही। मंदिर व्यवस्था संयोजक मोहनलाल चौधरी ने कहा कि फलौदी माता के दरबार में सभी सेवक निस्वार्थ सेवा करने का संकल्प लें।
इस अवसर पर पूर्व महामंत्री गोपाल चंद गुप्ता बारवां वाले, भंवरलाल सिंगी एवं वर्तमान महामंत्री विष्णु करोडिया ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला का प्रेरक उदबोधन के लिये आभार जताया एवं समाजबंधुओं का स्वागत किया। नवनिर्वाचित महिला उपाध्यक्ष संगीता सर्राफ, सहमंत्री जया गुप्ता, पुष्पा गुप्ता, मंजू गुप्ता एवं अ.भा. नवयुवक संघ के अध्यक्ष मनीष गुप्ता व महामंत्री संजय गुप्ता ने मंचासीन अतिथियों को स्वागत किया। समारोह के दूसरे सत्र में फलौदी सेवा सदन में सहयोग करने वाले भामाशाहों को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर विभिन्न पंचायतों के अध्यक्ष, पदाधिकारी, प्रतिनिधि एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। शाम को प्रतिनिधी सभा की प्रथम बैठक में सामाजिक विषयों का मंथन किया गया। कोषाध्यक्ष कैलाशचंद दलाल ने सबका आभार जताया। संचालन सीए महेश गुप्ता ने किया।
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कोरोना महामारी के संक्रमण ;Happy Holi 2021- होली पर ये सावधानियां बरतें, कोरोना दूर और आप सुरक्षित
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एंग्जाइटी डिसऑर्डर जिससे नेगेटिव इमेजिनेशन में जीने लगते हैं लोग जानें कैसे असर करता है ये और कैसे आप ..
कोरोना महामारी के संक्रमण के मामलों की बढ़ती संख्या को देखते हुए, सरकार होली पर कुछ नई सावधानियों और निर्देशों का पालन करने के लिए देशवासियों को…
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गोवा देश का सिर्फ एक राज्य नहीं, बल्कि ब्रांड इंडिया की भी एक सशक्त पहचान है : पीएम मोदी
गोवा देश का सिर्फ एक राज्य नहीं, बल्कि ब्रांड इंडिया की भी एक सशक्त पहचान है : पीएम मोदी
गोवा के ऊर्जावान और लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्री प्रमोद सावंत जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे साथी, गोवा के सपूत श्रीपाद नायक जी, केंद्र सरकार में मंत्रिपरिषद की मेरी साथी डॉक्टर भारती …. पवार जी, गोवा के सभी मंत्रिगण, सांसद और विधायक गण, अन्य जन प्रतिनिधि, सभी कोरोना वॉरियर, भाइयों और बहनों!
गोंयच्या म्हजा मोगाल भावा बहिणींनो, तुमचे अभिनंदन.
आप सभी को श्री गणेश पर्व की ढेर सारी शुभकामनाएं। कल अनंत चतुर्दशी के पावन अवसर पर हम सभी बप्पा को विदाई देंगे, हाथों में अनंत सूत्र भी बाधेंगे। अनंत सूत्र यानि जीवन में सुख-समृद्धि, लंबी आयु का आशीर्वाद।
मुझे खुशी है कि इस पावन दिन से पहले गोवा के लोगों ने अपने हाथों पर, बांह पर जीवन रक्षा सूत्र, यानि वैक्सीन लगवाने का भी काम पूरा कर लिया है। गोवा के प्रत्येक पात्र व्यक्ति को वैक्सीन की एक डोज लग चुकी है। कोरोना के खिलाफ लड़ाई में ये बहुत बड़ी बात है। इसके लिए गोवा के सभी लोगों को बहुत-बहुत बधाई।
साथियों,
गोवा एक ऐसा भी राज्य है, जहाँ भारत की विविधता की शक्ति के दर्शन होते हैं। पूर्व और पश्चिम की संस्कृति, रहन-सहन, खानपान, यहां एक ही जगह देखने को मिलता है। यहां गणेशोत्सव भी मनता है, दीपावली भी धूमधाम से मनाई जाती है और क्रिसमस के दौरान तो गोवा की रौनक ही और बढ़ जाती है। ऐसा करते हुए गोवा अपनी परंपरा का भी निर्वाह करता है। एक भारत-श्रेष्ठ भारत की भावना को निरंतर मजबूत करने वाले गोवा की हर उपलब्धि, सिर्फ मुझे ही नहीं, पूरे देश को खुशी देती है, गर्व से भर देती है।
भाइयों और बहनों,
इस महत्वपूर्ण अवसर पर मुझे अपने मित्र, सच्चे कर्मयोगी, स्वर्गीय मनोहर पर्रिकर जी की याद आना स्वाभाविक है। 100 वर्ष के सबसे बड़े संकट से गोवा ने जिस प्रकार से लड़ाई लड़ी है, पर्रिकर जी आज हमारे बीच होते तो उनको भी आपकी इस सिद्धि के लिए, आपके इस achievement के लिए बहुत गर्व होता।
गोवा, दुनिया के सबसे बड़े और सबसे तेज़ टीकाकरण अभियान- सबको वैक्सीन, मुफ्त वैक्सीन- की सफलता में अहम भूमिका निभा रहा है। बीते कुछ महीनों में गोवा ने भारी बारिश, cyclone, बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं के साथ भी बड़ी बहादुरी से लड़ाई लड़ी है। इन प्राकृतिक चुनौतियों के बीच भी प्रमोद सावंत जी के नेतृत्व में बड़ी बहादुरी से लड़ाई लड़ी है। इन प्राकृतिक चुनौतियों के बीच कोरोना टीकाकरण की रफ्तार को बनाए रखने के लिए सभी कोरोना वॉरियर्स का, स्वास्थ्य कर्मियों का, टीम गोवा का, हर किसी का बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं।
यहां अनेक साथियों ने जो अनुभव हमसे साझा किए, उनसे साफ है कि ये अभियान कितना मुश्किल था। उफनती नदियों को पार करके, वैक्सीन को सुरक्षित रखते हुए, दूर-दूर तक पहुंचने के लिए कर्तव्य भावना भी चाहिए, समाज के प्रति भक्ति भी चाहिए और अप्रतिम साहस की भी जरूरत लगती है। आप सभी बिना रुके, बिना थके मानवता की सेवा कर रहे हैं। आपकी ये सेवा हमेशा-हमेशा याद रखी जाएगी।
साथियों,
सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास- ये सारी बातें कितने उत्तम परिणाम लाती हैं, ये गोवा ने, गोवा की सरकार ने, गोवा के नागरिकों ने, गोवा के कोरोना वॉरियर्स ने, फ्रंट लाइन वर्कर्स ने ये कर दिखाया है। सामाजिक और भौगोलिक चुनौतियों से निपटने के लिए जिस प्रकार का समन्वय गोवा ने ��िखाया है, वो वाकई सराहनीय है। प्रमोद जी आपको और आपकी टीम को बहुत-बहुत बधाई। राज्य के दूर-सुदूर में बसे, केनाकोना सब डिविजन में भी बाकी राज्य की तरह ही तेज़ी से टीकाकरण होना ये इसका बहुत बड़ा प्रमाण है।
मुझे खुशी है कि गोवा ने अपनी रफ्तार को ढीला नहीं पड़ने दिया है। इस वक्त भी जब हम बात कर रहे हैं तो दूसरी डोज़ के लिए राज्य में टीका उत्सव चल रहा है। ऐसे ईमानदार, एकनिष्ठ प्रयासों से ही संपूर्ण टीकाकरण के मामले में भी गोवा देश का अग्रणी राज्य बनने की ओर अग्रसर है। और ये भी अच्छी बात है कि गोवा ना सिर्फ अपनी आबादी को बल्कि यहां आने वाले पर्यटकों, बाहर से आए श्रमिकों को भी वैक्सीन लगा रहा है।
साथियों,
आज इस अवसर पर मैं देश के सभी डॉक्टरों, मेडिकल स्टाफ, प्रशासन से जुड़े लोगों की भी सराहना करना चाहता हूं। आप सभी के प्रयासों से कल भारत ने एक ही दिन में ढाई करोड़ से भी अधिक लोगों को वैक्सीन देने का रिकॉर्ड बनाया है। दुनिया के बड़े-बड़े और समृद्ध और सामर्थ्यवान माने जाने वाले देश भी ऐसा नहीं कर पाए हैं। कल हम देख रहे थे कि कैसे देश टकटकी लगाए कोविन डैशबोर्ड को देख रहा था, बढ़ते हुए आंकड़ों को देखकर उत्साह से भर रहा था।
कल हर घंटे, 15 लाख से ज्यादा वैक्सीनेशन हुआ है, हर मिनट 26 हजार से ज्यादा वैक्सीनेशन हुआ, हर सेकेंड सवा चार सौ से ज्यादा लोगों को वैक्सीन लगी। देश के कोने-कोने में बनाए गए एक लाख से ज्यादा वैक्सीनेशन सेंटर्स पर ये वैक्सीन लोगों को लगाई गई है। भारत की अपनी वैक्सीन, वैक्सीनेशन के लिए इतना बड़ा नेटवर्क, skilled manpower, ये भारत के सामर्थ्य को दिखाता है।
साथियों,
कल का आपको जो achievement है ना, वह पूरे विश्व में सिर्फ वैक्सीनेशन के आंकड़ों के आधार पर नहीं है, भारत के पास कितना सामर्थ्य है इसकी पहचान दुनिया को होने वाली है। और इसलिए इसका गौरवगान हर भारतीय का कर्तव्य भी है और स्वभाव भी होना चाहिए।
साथियो,
मैं आज मेरे मन की बात भी कहना चाहता हूं। जन्मदिन तो बहुत आए बहुत जन्मदिन गए पर मैं मन से हमेशा इन चीजों से अलिप्त रहा हूं, इन चीजों से मैं दूर रहा हूं। पर मेरी इतनी आयु में कल का दिन मेरे लिए बहुत भावुक कर देने वाला था। जन्मदिन मनाने के बहुत सारे तरीके होते हैं। लोग अलग-अलग तरीके से मनाते भी हैं। और अगर मनाते हैं तो कुछ गलत करते हैं, ऐसा मानने वालों में मैं नहीं हूं। लेकिन आप सभी के प्रयासों की वजह से, कल का दिन मेरे लिए बहुत खास बन गया है।
मेडिकल फील्ड के लोग, जो लोग पिछले डेढ़-दो साल से दिन रात जुटे हुए हैं, अपनी जान की परवाह किए बिना कोरोना से लड़ने में देशवासियों की मदद कर रहे हैं, उन्होंने कल जिस तरह से वैक्सीनेशन का रिकॉर्ड बनाकर दिखाया है, वो बहुत बड़ी बात है। हर किसी ने इसमें बहुत सहयोग किया है। लोगों ने इसे सेवा से जोड़ा। ये उनका करुणा भाव, कर्तव्य भाव ही है जो ढाई करोड़ वैक्सीन डोज लगाई जा सकी।
और मैं मानता हूं, वैक्सीन की हर एक डोज, एक जीवन को बचाने में मदद करती है। ढाई करोड़ से ज्यादा लोगों को इतने कम समय में, इतना बड़ा सुरक्षा कवच मिलना, बहुत संतोष देता है। जन्मदिन आएंगे, जाएंगे लेकिन कल का ये दिन मेरे मन को छू गया है, अविस्मरणीय बन गया है। मैं जितना धन्यवाद अर्पित करूं वो कम है। मैं हृदय से प्रत्येक देशवासी को नमन करता हूं, सभी का आभार जताता हूं।
भाइयों और बहनों,
भारत का टीकाकरण अभियान, सिर्फ स्वास्थ्य का सुरक्षा कवच ही नहीं है, बल्कि एक तरह से आजीविका की सुरक्षा का भी कवच है। अभी हम देखें तो हिमाचल, पहली डोज के मामले में 100 percent हो चुका है, गोवा 100 percent हो चुका है, चंडीगढ़ और लक्षद्वीप में भी सभी पात्र व्यक्तियों को पहली डोज लग चुकी है। सिक्किम भी बहुत जल्द 100 परसेंट होने जा रहा है। अंडमान निकोबार, केरला, लद्दाख, उत्तराखंड, दादरा और नगर हवेली भी बहुत दूर नहीं है।
साथियों,
ये बहुत चर्चा में नहीं आया लेकिन भारत ने अपने वैक्सीनेशन अभियान में टूरिज्म सेक्टर से जुड़े राज्यों को बहुत प्राथमिकता दी है। प्रारंभ में हमने कहा नहीं क्योंकि इस पर भी राजनीति होने लग जाती है। लेकिन ये बहुत जरूरी था कि हमारे टूरिज्म डेस्टिनेशंस जल्द से जल्द खुलें। अब उत्तराखंड में भी चार-धाम यात्रा संभव हो पाएगी। और इन सब प्रयासों के बीच, गोवा का 100 percent होना, बहुत खास हो जाता है।
टूरिज्म सेक्टर को revive करने में गोवा की भूमिका बहुत अहम है। आप सोचिए, होटल इंडस्ट्री के लोग हों, टैक्सी ड्राइवर हों, फेरी वाले हों, दुकानदार हों, जब सभी को वैक्सीन लगी होगी तो टूरिस्ट भी सुरक्षा की एक भावना लेकर यहां आएगा। अब गोवा दुनिया के उन बहुत गिने-चुने इंटरनेशनल टूरिस्ट डेस्टिनेशंस में शामिल हो चला है, जहां लोगों को वैक्सीन का सुरक्षा कवच मिला हुआ है।
साथियों,
आने वाले टूरिज्म सीज़न में यहां पहले की ही तरह टूरिस्ट एक्टिविटीज़ हों, देश के -दुनिया के टूरिस्ट यहां आनंद ले सकें, ये हम सभी की कामना है। ये तभी संभव है जब हम कोरोना से जुड़ी सावधानियों पर भी उतना ही ध्यान देंगे, जितना टीकाकरण पर दे रहे हैं। संक्रमण कम हुआ है लेकिन अभी भी इस वायरस को हमें हल्के में नहीं लेना है। safety और hygiene पर यहां जितना फोकस होगा, पर्यटक उतनी ही ज्यादा संख्या में यहां आएंगे।
साथियों,
केंद्र सरकार ने भी हाल में विदेशी पर्यटकों को प्रोत्साहित करने के लिए अनेक कदम उठाए हैं। भारत आने वाले 5 लाख पर्यटकों को मुफ्त वीजा देने का फैसला किया गया है। ट्रैवल और टूरिज्म से जुड़े stakeholders को 10 लाख रुपए तक का लोन शत-प्रतिशत सरकारी गारंटी के साथ दिया जा रहा है। रजिस्टर्ड टूरिस्ट गाइड को भी 1 लाख रुपए तक के लोन की व्यवस्था की गई है। केंद्र सरकार आगे भी हर वो कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध है, जो देश के टूरिज्म सेक्टर को तेज़ी से आगे बढ़ाने में सहायक हों।
साथियों,
गोवा के टूरिज्म सेक्टर को आकर्षक बनाने के लिए, वहां के किसानों, मछुआरों और दूसरे लोगों की सुविधा के लिए, इंफ्रास्ट्रक्चर को डबल इंजन की सरकार की डबल शक्ति मिल रही है। विशेष रूप से कनेक्टिविटी से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर पर गोवा में अभूतपूर्व काम हो रहा है। 'मोपा' में बन रहा ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट अगले कुछ महीनों में बनकर तैयार होने वाला है। इस एयरपोर्ट को नेशनल हाइवे से जोड़ने के लिए लगभग 12 हज़ार करोड़ रुपए की लागत से 6 लेन का एक आधुनिक कनेक्टिंग हाईवे बनाया जा रहा है। सिर्फ नेशनल हाईवे के निर्माण में ही बीते सालों में हज़ारों करोड़ रुपए का निवेश गोवा में हुआ है।
ये भी बहुत खुशी की बात है कि नॉर्थ गोवा को साउथ गोवा से जोड़ने के लिए 'झुरी ब्रिज' का लोकार्पण भी अगले कुछ महीनों में होने जा रहा है। जैसा कि आप भी जानते हैं, ये ब्रिज पणजी को 'मार्गो' से जोड़ता है। मुझे बताया गया है कि गोवा मुक्ति संग्राम की अनोखी गाथा का साक्षी 'अगौडा' फोर्ट भी जल्द ही लोगों के लिए फिर खोल दिया जाएगा।
भाइयों और बहनों,
गोवा के विकास की जो विरासत मनोहर पर्रिकर जी ने छोड़ी थी, उसको मेरे मित्र डॉ. प्रमोद जी और उनकी टीम पूरी लगन के साथ आगे बढ़ा रही है। आज़ादी के अमृतकाल में जब देश आत्मनिर्भरता के नए संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है तो गोवा ने भी स्वयंपूर्णा गोवा का संकल्प लिया है। मुझे बताया गया है कि आत्मनिर्भर भारत, स्वयंपूर्णा गोवा के इस संकल्प के तहत गोवा में 50 से अधिक components के निर्माण पर काम शुरु हो चुका है। ये दिखाता है कि गोवा राष्ट्रीय लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए, युवाओं के लिए रोज़गार के नए अवसर तैयार करने के लिए कितनी गंभीरता से काम कर रहा है।
साथियों,
आज गोवा सिर्फ कोविड टीकाकरण में अग्रणी नहीं है, बल्कि विकास के अनेक पैमानों में देश के अग्रणी राज्यों में है। गोवा का जो rural और urban क्षेत्र है, पूरी तरह से खुले में शौच से मुक्त हो रहा है। बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं को लेकर भी गोवा में अच्छा काम हो रहा है। गोवा देश का ऐसा राज्य है जहां शत-प्रतिशत बिजलीकरण हो चुका है। हर घर नल से जल के मामले में तो गोवा ने कमाल ही कर दिया है। गोवा के ग्रामीण क्षेत्र में हर घर में नल से जल पहुंचाने का प्रयास प्रशंसनीय है। जल जीवन मिशन के तहत बीते 2 सालों में देश ने अब तक लगभग 5 करोड़ परिवारों को पाइप के पानी की सुविधा से जोड़ा है। जिस प्रकार गोवा ने इस अभियान को आगे बढ़ाया है, वो 'गुड गवर्नेंस' और 'ईज ऑफ लिविंग' को लेकर गोवा सरकार की प्राथमिकता को भी स्पष्ट करता है।
भाइयों और बहनों,
सुशासन को लेकर यही प्रतिबद्धता कोरोना काल में गोवा सरकार ने दिखाई है। हर प्रकार की चुनौतियों के बावजूद, केंद्र सरकार ने जो भी मदद गोवा के लिए भेजी, उसको तेज़ी से, बिना किसी भेदभाव के हर लाभार्थी तक पहुंचाने का काम गोवा की टीम ने किया है। हर गरीब, हर किसान, हर मछुआरे साथी तक मदद पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई। महीनों-महीनों से गोवा के गरीब परिवारों को मुफ्त राशन पूरी ईमानदारी के साथ पहुंचाया जा रहा है। मुफ्त गैस सिलेंडर मिलने से गोवा की अनेक बहनों को मुश्किल समय में सहारा मिला है।
गोवा के किसान परिवारों को पीएम किसान सम्मान निधि से करोड़ों रुपए सीधे बैंक अकाउंट में मिले हैं। कोरोना काल में ही यहां के छोटे किसानों को मिशन मोड पर किसान क्रेडिट कार्ड मिले हैं। यही नहीं गोवा के पशुपालकों और मछुआरों को पहली बार बड़ी संख्या में किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा मिली है। पीएम स्वनिधि योजना के तहत भी गोवा में रेहड़ी-पटरी और ठेले के माध्यम से व्यापार करने वाले साथियों को तेज़ी से लोन देने का काम चल रहा है। इन सारे प्रयासों की वजह से गोवा के लोगों को, बाढ़ के दौरान भी काफी मदद मिली है।
भाइयों और बहनों,
गोवा असीम संभावनाओं का प्रदेश है। गोवा देश का सिर्फ एक राज्य भर नहीं है, बल्कि ब्रांड इंडिया की भी एक सशक्त पहचान है। ये हम सभी का दायित्व है कि गोवा की इस भूमिका को हम विस्तार दें। गोवा में आज जो अच्छा काम हो रहा है, उसमें निरतंरता बहुत आवश्यक है। लंबे समय बाद गोवा को राजनीतिक स्थिरता का, सुशासन का लाभ मिल रहा है।
इस सिलसिले को गोवा के लोग ऐसे ही बनाए रखेंगे, इसी कामना के साथ आप सभी को फिर से बहुत-बहुत बधाई। प्रमोद जी और उनकी पूरी टीम को बधाई।
सगल्यांक देव बरें करूं
धन्यवाद !
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कृषि अनुसंधान संस्थान, दुर्गापुरा में राजस्थान राज्य कर सेवा संघ द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय सम्मेलन को संबोधित किया। राजस्थान के राजस्व संग्रहण में वाणिज्य कर विभाग की अहम भूमिका है। संपूर्ण राजस्व का लगभग 60 प्रतिशत संग्रहण इसी विभाग द्वारा किया जाता है। इस विभाग द्वारा वित्तीय वर्ष 2021-22 में वेट एवं जीएसटी (केन्द्र से प्राप्त क्षतिपूर्ति राशि के अलावा) को मिलाकर 48 हजार 112 करोड़ रूपए का राजस्व अर्जित किया गया। यह पिछले वर्ष की तुलना में 26 प्रतिशत अधिक है। इसमें राज्य कर सेवा के अधिकारी-कर्मचारियों की अहम भूमिका है। राज्य को जो भी राजस्व से मिलता है वह राज्य के विकास और जन कल्याणकारी योजनाओं और कार्यक्रमों पर खर्च किया जा रहा है।
राजस्थान बजट 2022-23 पूरे देश में अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है। इसमें हर वर्ग का ध्यान रखा गया है। राज्य सरकार ने विभिन्न एमनेस्टी योजनाएं भी लागू की हैं, जिससे राजस्व संग्रहण में वृद्धि हो रही है। राज्य की जीडीपी 3 साल में 3 लाख रूपये बढ़ी है। यही विकास का प्रतीक है।
हमने राज्य में राजनीति से परे मानवीय दृष्टिकोण से राजकीय कार्मिकों के लिए पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) लागू करने का अहम फैसला लिया। यह मेरी जिदंगी का यादगार क्षण रहा है। राजस्थान के बाद छत्तीसगढ़ और अब झारखण्ड ने भी ओपीएस लागू कर दिया है। इससे कर्मचारियों का सेवानिवृत्ति के बाद भविष्य सुरक्षित हो सकेगा। कर्मचारियों की वेतन विसंगतियों को दूर करने और पदोन्नति के अवसर बढ़ाने के लिए सेवा नियमों में संशोधन किया जाएगा।
राज्य सरकार की आर्थिक नीतियों का ही परिणाम है कि कोरोना काल के बावजूद पिछले 3 साल में प्रतिव्यक्ति आय 26.21 प्रतिशत बढ़ी है। राज्य में सामाजिक सुरक्षा पेंशन के तहत 90 लाख से ज्यादा पेंशनर्स को पेंशन दी जा रही है। हर जरूरतमंद को योजनाओं का लाभ मिले, यह सुनिश्चित किया जा रहा है। राज्य के 45 लाख से अधिक उपभोक्ताओं का बिजली बिल शून्य आ रहा है। इससे उन्हें राहत मिली है।
प्रदेश के युवाओं को सरकारी नौकरियों और उ���्च शिक्षा की तैयारी के लिए मुख्यमंत्री अनुप्रति कोचिंग योजना लागू की गई। इसमें 15 हजार युवाओं को फ्री कोचिंग दी जाएगी। राजीव गांधी स्कॉलरशिप फॉर एकेडमिक एक्सीलेंस योजना के माध्यम से 200 विद्यार्थियों को विदेश में शिक्षा प्राप्त कराने के लिए पूरा खर्च राज्य सरकार वहन करेगी। महिलाओं की स्वच्छता संबंधी समस्या के समाधान में निशुल्क सैनेटरी नैपकिन वितरण करने का भी अहम निर्णय लिया गया है।
राज्य सरकार हर वर्ग के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। इस प्रतिबद्धता के लिए अगला बजट युवाओं और विद्यार्थियों को समर्पित होगा। आगामी बजट के लिए प्रदेशवासियों के सुझाव आमंत्रित है।
राज्य सरकार का मुख्य ध्येय संवेदनशील, पारदर्शी, जबावदेह सुशासन है। हर वर्ग और अंतिम छोरे तक योजनाओं का लाभ पहुंचे, यह सुनिश्चित किया जा रहा है। हमारी सरकार द्वारा मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के जरिए लोगों को 10 लाख रूपए तक निःशुल्क इलाज उपलब्ध करवाकर हर परिवार की स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित की जा रही है। योजना में शामिल परिवारों को 5 लाख रूपए तक का दुर्घटना बीमा भी दिया जा रहा है। प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों में निःशुल्क ओपीडी एवं आईपीडी, दवा और जांच सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। साथ ही गंभीर बीमारियों जैसे किडनी ट्रांसप्लांट, लीवर ट्रांसप्लांट का खर्च भी राज्य सरकार उठा रही है। राजस्थान गवर्नमेंट हैल्थ स्कीम (आरजीएचएस) लागू कर राजकीय कार्मिकों को कैशलेस उपचार उपलब्ध कराया जा रहा है।
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महामारी के बाद नए भविष्य की शुरुआत करे छत्तीसगढ़ के बेस्ट बोर्डिंग स्कूल की शिक्षा और फिजिकल एजुकेशन से जिससे आपके बच्चे बने परफेक्ट
कोरोना महामारी के दौर में देश में स्कूलओं के बंद होने से 14 से 18 वर्षो के आयुवर्ग के करीब 80 फीसदी बच्चों के सीखने पर कमी देखी गई हैं संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) के एक शोध अध्यन में यह बात सामने आई हैं|पिछले 2 साल से स्कूल बंद होने के कारण बच्चों की मानसिक, भावनात्मक एवं शारीरिक स्थितियों को बहुत ज्यादा प्रभावित किया हैं कार्यस्थल और व्यक्तिगत जीवन में महीन रेखा धुंधली होने से कई माता-पिता को अपने बच्चों की शैक्षणिक जरूरतों की देखभाल करने की अतिरिक्त जिम्मेदारी से निपटने में कठिनाई हो रही है। हर आयु वर्ग के बच्चों की अलग-अलग जरूरतें होती हैं। उन्हें समय, ध्यान, जुड़ाव, संसाधनों और अच्छे माहौल की जरूरत होती है। घर का तनावपूर्ण वातावरण मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति के लिए घातक हो सकता है, लेकिन बोर्डिंग स्कूल एक सुरक्षित माहौल है जो उन्हें मौजूदा मानसिक स्वास्थ्य की चिंताओं से बचा सकता है।
बच्चों के स्क्रीन-टाइम में वृद्धि के अक्सर उनके मानसिक स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह बताया गया है। हालांकि, ऑनलाइन कक्षाओं ने बच्चों के लिए लंबे समय तक डिजिटल उपकरणों का उपयोग करना अनिवार्य बना दिया है, और इसे मना करना माता-पिता के लिए भी स्वाभाविक रूप से मुश्किल है। आपके अनुसार इसका बच्चों पर कितना प्रभाव पड़ सकता है? बच्चों को खेल-कूद से दूर कर जोर-जबरदस्ती सिर्फ पढ़ाई में लगाए रहना ठीक नहीं। खेल-कूद न सिर्फ उनके मनोरंजन का तरीका होता है बल्कि यही तरीका उनका फ्यूचर भी मजबूत करता है । अगर आप चाहते हैं की आपका बच्चा पढाई के साथ साथ फिजिकली फिट रहे एक अच्छा टाइम टेबल फॉलो करे पर जब तक बच्चे घर में रहेंगे वो यह सब करने में आल्शिपन दिखाते रहेंगे इस प्रॉब्लम को समाप्त करने के लिए आपके पास सबसे अच्छा तरीका हैं अपने बच्चों को अकादमिक वर्ल्ड बोर्डिंग स्कूल में एडमिशन दिलाये क्योकि बोर्डिंग स्कूल में स्टडी के साथ ही बच्चों के खेल और कल्चर ऐक्टिविटीज पर भी काम किया जाता हैं। स्कूल आवर्स के बाद बच्चों को अलग से स्टडी और दूसरी चीजें सीखने को मिलती है। वह एक बेहतर प्लेयर के रूप में भी अपना भविष्य बना सकता है। इसके अलावा यहां लीडरशिप और दूसरे स्किल्स को बचपन से ही निखारा जाता है। ताकि वे भविष्य में किसी भी स्थितियों का सामना अच्छे से कर सकें।
बच्चों के अच्छे भविष्य से जुड़ी 5 बातें जिन्हें वे स्कूल में सीखते हैं :
इन दिनों लगभग हर पैरेंट्स की यही शिकायत रहती है कि उनका बच्चा दिनभर स्मार्टफोन से चिपका रहता है। इस वजह से न वह सही ढंग से लंच, ब्रेकफास्ट या डिनर लेता है और न ही पढ़ने में ठीक से मन लगाता है। जबरदस्ती फोन छीन लो तो रोने लगता है या चिड़चिड़ा हो जाता है। ऐसे में बच्चों की आउटडोर एक्टिविटी बढ़ाना और उन्हें बाहर खेलने कूदने के लिए प्रेरित करना बेहद जरूरी है। हेल्थ एक्सपर्ट्स का मानना है कि क्रिकेट, बैडमिंटन, रेसिंग, वॉकिंग, जॉगिंग व ऐसी दूसरी एक्टिविटीज, जिनसे फिजिकल मूवमेंट होता है उनसे न सिर्फ बच्चे का शारीरिक स्वास्थ्य ठीक रहता है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य भी दुरुस्त रहता है।
समय की अहमियत : बचपन से ही बच्चों को समय की अहमियत बतानी चाहिए | उन्हें अपनी काम को समय से करने के लिए प्रेरित करना चाहिए | बच्चों को न केवल उनके समय की कीमत समझानी चाहिए बल्कि दूसरों के समय की भी इज्जत करने की सेख देनी चाहिए |
साफ-सफाई रखना : अक्सर बच्चे अपने कपडे,किताब,खिलौने, और दूसरे सामान बिखेरकर रखते है लेकिन इन आदतों को बचपन से ही सुधारने की जरूरत है माता पिता को चाहिए की वो बच्चो को सिखाये की अपने सामान और अपने आसपास साफ-सफाई रखे|ये आदत आगे चलकर उनके व्यक्तित्व के विकाश में सहायक साबित होगी |
धैर्य रखना : कई बार बच्चे फोन या किसी गलत सामान के लिए जिद करते हैं और माँ बाप उन्हें शांत करने के लिए उनकी मांगे पूरी कर देते हैं| लेकिन यह गलत है माँ बाप को किन्ही चीजो के लिए मना करना चाहिए इससे बच्चो में धैर्य की भावना आती हैं |
महनत की आदत : ऐसा सायद कई घरों में होता है बच्चो को ज्यादा होमवर्क मिलने पर घर के बड़े उसकी मदत कर देते है लेकिन यह बिलकुल गलत है की उसका होमवर्क कर रहे है और बच्चा आराम कर रहा है| यह अच्छी बात है की बच्चे के पास कोई मददगार है लेकिन यह गलत है की आप उसका काम करे और बच्चा आराम करे| बच्चे को बचपन से ही महनत करने की आदत डलवानी होगी ताकि वो आगे चलकर महनत करने से कतराए नही |
लोगो की सहायता करना : बच्चो को सहयोग की भावना सिखाना बेहद जरूरी होता है बच्चे अपने मित्र, भाई-बहिन, के प्रति कैसा व्यव्हार रखते है इस बात पर विशेष ध्यान दे उनके इस व्यव्हार से उनका भविष्य जुड़ा हुआ है |
इस लेख में हमने आपको जानकारी दिया की कोरोना जैस महामारी के संकट से बच्चो के भविष्य में आई कठिनाइयों के बारे में | जिस प्रकार उन्हें 2 साल स्कूल बंद होने के कारण अपनी पढाई और अपनी शारीरिक विकाश का नुकशान उठाना पड़ा लेकिन उन्होंने हार नही मानी और घर में ही रहकर ऑनलाइन पढाई जारी रखी लेकिन लॉकडाउन के चलते उन्हें घर से बाहर मैदानों में खेलने की छूट नही थी जिससे उनके शारीरिक विकास में रुकावट आई है समय के साथ कोरोना से मुक्ति मिलने लगी है जिससे विद्यालय और महाविद्यालय दोबारा से खुलने लगे है|बच्चे विद्यालयों में जाकर अपनी शिक्षा की नयी शुरुआत कर रहे है | आप अपने बच्चों को छत्तीसगढ़ के बेस्ट बोर्डिंग स्कूल में एडमिशन दिला सकते हैं जिससे उनके इस 2 साल से रुके हुए शारीरिक और मानसिक विकाश में वृधि हो और उन्हें सामाजिक वातावरण मिल सके जिससे वे इस दुनिया को देख सके की यह दुनिया कितनी खूबसूरत हैं|
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राजद नेता बाबुल इनायत ने वेक्सीन का लिया पहला टिका वो भी अपने घर खाबदह नरपतगंज से 57 किलोमीटर दूर उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय मदनपुर में। वहीं राजद नेता बाबुल इनायत ने प्रेस विज्ञप्ति कर कहा भारत में निर्मित यह कोरोना वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित है। मुझे हमारे देश के वैज्ञानिकों पर गर्व है। आप भी वैक्सीन से डरे नहीं प्राथमिकता क्रम से अपनी बारी आने पर कोरोना वैक्सीन अवश्य लगवाएं। मैं सभी युवा साथियों से हाथ जोड़कर विन्रम निवेदन करता हूँ आप सभी आज ही अपना रजिस्ट्रेशन करवाने के बाद टीकाकरण करवा कर "कोरोना मुक्त भारत" की मुहिम में सहयोग करते हुए स्वयं भी सुरक्षित रहें और दूसरों को भी सुरक्षित रखें।। https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=580837956653013&id=103683877701759&sfnsn=mo https://www.instagram.com/p/CPQDVAuJrQy/?utm_medium=tumblr
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लहसुन दूर करेगा गले की खराश और खांसी, कोरोना में हो सकता है फायदेमंद
लहसुन दूर करेगा गले की खराश और खांसी, कोरोना में हो सकता है फायदेमंद
<p>कोरोनाकाल में अपने आप को और परिवार को सुरक्षित रखना बहुत जरूरी है. कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए लोग कई तरह के घरेलू नुस्खे अपना रहे हैं. एक्सपर्ट और डॉक्टर भी कई ऐसी घरेलू चीजों का सेवन करने की सलाह दे रहे हैं जिससे कोरोना का बचाव किया जा सके. इन्हीं में से एक है लहसुन. लहसुन कई तरह की समस्याओं को दूर करता है. अगर आपको खांसी है तो लहसुन इसे दूर करने में असरकारी साबित हो सकता है. लहसुन खाने से…
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सभी को टीका लगवाना है और पूरा ध्यान रखना है: मन की बात के दौरान पीएम मोदी.
मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार। आज, मैं मन की बात व्यक्त कर रहा हूं, जब कोरोना हमारे धैर्य की परीक्षा ले रहा है; यह दुख को सहन करने में हम सभी की सीमाओं का परीक्षण कर रहा है। हमारे कई निकट और प्रिय लोगों ने हमें असमय छोड़ दिया है। कोरोना की पहली लहर का सफलतापूर्वक सामना करने के बाद, देश उत्साह से भरा था, आत्मविश्वास से भरा था, लेकिन इस तूफान ने देश को हिला दिया है।
दोस्तों, इस संकट से निपटने के लिए, दिनों में, मेरे पास असंख्य क्षेत्रों के विशेषज्ञों के साथ विचार-विमर्श हुआ। हमारे फार्मा उद्योग के लोग, वैक्सीन निर्माता, जो ऑक्सीजन उत्पादन से जुड़े हैं, चिकित्सा क्षेत्र के विशेषज्ञों ने सरकार को अपने बहुमूल्य सुझाव दिए हैं। इस बार, इस लड़ाई में विजयी होने के लिए, हमें विशेषज्ञ और वैज्ञानिक सलाह को प्राथमिकता देनी होगी। भारत सरकार राज्य सरकारों के प्रयासों के लिए एक पूर्णता देने के लिए अपना संपूर्ण आवेदन कर रही है। राज्य सरकारें भी अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने की पूरी कोशिश कर रही हैं।
दोस्तों, वर्तमान में, देश के डॉक्टर और स्वास्थ्य कार्यकर्ता कोरोना के खिलाफ एक बड़ी लड़ाई लड़ रहे हैं। पिछले एक साल में, उन्हें विभिन्न अनुभवों से गुजरना पड़ा है। हमसे जुड़ते हुए, इस समय, मुंबई के जाने-माने डॉ। शशांक जोशी जी हैं।
डॉ। शशांक जी को कोरोना और संबद्ध अनुसंधान के उपचार के क्षेत्र में अत्यधिक जमीनी स्तर का अनुभव है। वह इंडियन कॉलेज ऑफ फिजिशियन के डीन भी रह चुके हैं। डॉ। शशांक से बात करते हैं।
पीएम - नमस्कार डॉ। शशांक जी
डॉ। शशांक - नमस्कार सर
पीएम - अभी हाल ही में आपको बोलने का मौका मिला था। मुझे आपके विचारों में स्पष्टता पसंद थी। मुझे लगा कि देश के सभी नागरिकों को आपके विचारों के बारे में जानना चाहिए। जो हम सुनते थे, उससे मैं एक प्रश्न के रूप में आपके सामने प्रस्तुत करता हूं। डॉ। शशांक, आप सभी इस समय जीवन, दिन और रात को बचाने में गहराई से शामिल हैं ... सबसे पहले, मैं आप लोगों को सेकंड वेव के बारे में बताना चाहता हूं; यह चिकित्सकीय रूप से कितना अलग है, क्या सावधानियां आवश्यक हैं
डॉ। शशांक - धन्यवाद सर। यह दूसरा प्रलय जो तेजी से आया है। यह वायरस पहली लहर की तुलना में तेजी से बढ़ रहा है। लेकिन अच्छी बात यह है कि रिकवरी दर अधिक है और मृत्यु दर काफी कम है। यहां 2 - 3 अंतर हैं। पहला है - एक हद तक, यह युवाओं और बच्चों में भी देखा गया है। और लक्षण ... पहले की तरह ... सांस की तकलीफ, सूखी खांसी, बुखार ... ये सभी हैं ... इसके साथ, गंध और स्वाद का नुकसान भी है। और लोग थोड़े डरे हुए हैं। डरने की बिलकुल जरूरत नहीं है। 80 से 90 प्रतिशत लोग इनमें से कोई भी लक्षण नहीं दिखाते हैं। जिसे वे म्यूटेशन कहते हैं - इससे डरने की कोई जरूरत नहीं है। ये उत्परिवर्तन होते रहते हैं ... जिस तरह से हम अपने कपड़े बदलते हैं, वायरस अपने रंग बदलता रहता है ... इसलिए डरने की कोई बात नहीं है और हम इस लहर को भी दूर कर देंगे। लहरें आती-जाती रहती हैं, वायरस आते-जाते रहते हैं ... ये विभिन्न लक्षण हैं और हमें चिकित्सकीय रूप से सतर्क रहना होगा। कोविद के पास 14 से 21 दिन की समय सारिणी है, जिसमें हमें डॉक्टर की सलाह का लाभ उठाना चाहिए।
पीएम - डॉ। शशांक, आपने जो विश्लेषण किया, वह मेरे लिए भी दिलचस्प है। मुझे उपचार के बारे में लोगों की कई आशंकाओं वाले कई पत्र मिले हैं ... कुछ दवाओं की मांग बहुत अधिक है ... यही कारण है कि मैं आपको कोविद के उपचार के बारे में लोगों को बताना चाहता हूं।
डॉ। शशांक - हाँ सर। लोग बहुत देर से नैदानिक उपचार शुरू करते हैं ... इस विश्वास में कि बीमारी अपने आप कम हो जाएगी ... वे मानते हैं कि वे अपने मोबाइल फीड पर क्या देख रहे हैं। यदि वे सरकार द्वारा प्रदान की गई जानकारी का पालन करते हैं, तो उन्हें इन कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ेगा। कोविद में, क्लिनिकल उपचार प्रोटोकॉल में तीन प्रकार के परिमाण होते हैं - हल्का या हल्का कोविद, मध्यम या मध्यम कोविद और तीव्र, जिसे गंभीर कोविद कहा जाता है। हल्के कोविद के मामले में, हम ऑक्सीजन की निगरानी, नाड़ी की निगरानी और बुखार की निगरानी करते हैं। यदि बुखार बढ़ जाता है, तो कभी-कभी हम पेरासिटामोल जैसी दवाओं का उपयोग करते हैं ... और एक डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। मध्यम या गंभीर कोविद के मामले में, डॉक्टर से संपर्क करना बेहद जरूरी है। सही और सस्ती दवाएं उपलब्ध हैं। स्टेरॉयड जीवन को बचा सकते हैं ... इनहेलर्स दिए जा सकते हैं, टैबलेट दिए जा सकते हैं। और इसके साथ ही, ऑक्सीजन को प्रशासित करना होगा ... कई सरल उपचार उपलब्ध हैं। लेकिन अक्सर जो हो रहा है - एक नई प्रायोगिक दवा है जिसका नाम रेमेड्सविर है। लेकिन इस दवा के बारे में एक बात यह है कि एक को अस्पताल में 2 - 3 दिन कम रहना पड़ता है और यह नैदानिक रूप से ठीक हो जाता है।और यह दवा भी तभी काम करती है जब इसे पहले 9-10 दिनों में लिया जाता है ... और इसे केवल पांच दिनों के लिए लेना होता है। जिस तरह से लोग रेमेडिसवीर के बाद भाग रहे हैं ... उन्हें ऐसा करना बंद कर देना चाहिए। इस दवा की एक सीमित भूमिका है ... इसे केवल तब लिया जाना चाहिए जब लोगों को अस्पताल में ऑक्सीजन पर रखा जाए, सख्ती से डॉक्टर की सलाह के अनुसार। सभी लोगों के लिए यह समझना जरूरी है। यदि हम प्राणायाम करते हैं, तो हमारे फेफड़े थोड़ा विस्तारित होंगे। और रक्त को पतला करने के लिए एक इंजेक्शन उपलब्ध है ... इसे हेपरिन कहा जाता है। अगर ये साधारण दवाएं दी जाएं तो 98% लोग ठीक हो जाते हैं। इसलिए, सकारात्मक रहना बहुत महत्वपूर्ण है। यह जरूरी है कि उपचार प्रोटोकॉल डॉक्टर की सलाह के अनुसार हो। और यह इन सभी महंगी दवाओं के बाद चलाने के लिए आवश्यक नहीं है। महोदय, हमारे पास उत्कृष्ट उपचार हैं, हमारे पास ऑक्सीजन है, हमारे पास वेंटिलेटर की सुविधा है ... हमारे पास ���ब कुछ है सर। जब भी यह दवा उपलब्ध हो, इसे उचित लोगों को ही दिया जाना चाहिए। इस पर, कई मिथक गोल कर रहे हैं। महोदय, मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि हमारे पास दुनिया का सबसे अच्छा इलाज उपलब्ध है ... आप देखेंगे कि भारत में सबसे अच्छी रिकवरी दर है। यदि आप यूरोप, अमेरिका की तुलना करते हैं, तो हमारे मरीज हमारे उपचार प्रोटोकॉल के माध्यम से ठीक हो रहे हैं।
पीएम - डॉ। शशांक, आपको बहुत धन्यवाद। डॉ। शशांक ने हमें जो जानकारी दी, वह हम सभी के लिए बहुत महत्वपूर्ण और उपयोगी है।
दोस्तों, मैं आप सभी से आग्रह करता हूं ... अगर आपको किसी भी जानकारी की आवश्यकता है, यदि आपको कोई आशंका है, तो सही स्रोत से ही जानकारी प्राप्त करें। आप अपने परिवार के डॉक्टर या पड़ोस के डॉक्टरों से फोन पर सलाह ले सकते हैं। मैं देख रहा हूँ कि हमारे कई डॉक्टर इस ज़िम्मेदारी को खुद ही निभा रहे हैं। कई डॉक्टर सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को जानकारी प्रदान कर रहे हैं। वे फोन और व्हाट्सएप पर काउंसलिंग कर रहे हैं। कई अस्पतालों में ऐसी वेबसाइटें हैं जहाँ जानकारी उपलब्ध है ... वहाँ आप डॉक्टरों की सलाह भी ले सकते हैं। यह सराहनीय है।
मेरे साथ श्रीनगर के डॉ। नावेद नाज़र शाह हैं। डॉ। नावेद श्रीनगर के एक सरकारी मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर हैं। नावेद जी ने अपनी देखरेख में कोरोना के कई रोगियों को ठीक किया है। रमज़ान के इस पवित्र महीने में, डॉ। नावेद अपना कर्तव्य निभा रहे हैं और हमसे बात करने का समय भी निकाल लिया है। आओ, उससे बात करते हैं।
पीएम - नावेद जी नमस्कार
डॉ। नावेद - नमस्कार सर
पीएम - डॉ। नावेद, इन कठिन समय के दौरान, मन्न की बात के हमारे श्रोताओं ने दहशत प्रबंधन का सवाल उठाया है। अपने अनुभव के माध्यम से, आप उन्हें क्या जवाब देंगे?
डॉ। नावेद - देखिए, जब कोरोना शुरू हुआ, कोविद अस्पताल के रूप में नामित पहला अस्पताल हमारा सिटी हॉस्पिटल था, जो एक मेडिकल कॉलेज के अंतर्गत आता है। माहौल तो डर का था। कम से कम लोगों में, ऐसा था। वे महसूस करते थे कि शायद, अगर कोई व्यक्ति कोविद को अनुबंधित करता है, तो उसे डेथ सेंटेंस के रूप में लिया जाएगा। और इस बीच, हमारे अस्पताल में काम कर रहे डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ को भी इस डर से गुजरना पड़ा ... कि हम इन मरीजों का सामना कैसे करेंगे ... क्या हमें संक्रमण का खतरा नहीं है! लेकिन समय बीतने के साथ-साथ, हमने यह भी देखा कि यदि हम पूरी तरह से सुरक्षात्मक गियर पहनते हैं, तो सावधानीपूर्वक सावधानी बरतें; हम भी, हमारे स्टाफ सहित सुरक्षित रह सकते हैं। जैसे-जैसे समय बीतता गया, हम ध्यान देते रहे कि कुछ रोगी या बीमार लोग जो विषम थे, जिन्होंने संक्रमण के कोई लक्षण नहीं दिखाए। हमने देखा कि करीब 90-95% मरीज ऐसे हैं जो दवा के बिना ठीक हो जाते हैं ... इस प्रकार, समय बीतने के साथ, लोगों के दिमाग में कोरोना का डर काफी हद तक कम हो जाता है। आज हम इस समय में आई दूसरी लहर के रूप में देखें ... इस बार भी घबराने की जरूरत नहीं है। इस घटना के बीच, अगर हम सु��क्षात्मक उपायों का पालन करते हैं, जैसे कि म���स्क पहनना, हाथ सेनिटाइज़र का उपयोग करना ... इससे आगे, अगर हम शारीरिक दूरी बनाए रखते हैं और सामाजिक जमावड़े से बचते हैं, तो हम अपने दैनिक कार्यों को पूरा कर सकते हैं और अपने आप को संक्रमण से बचा सकते हैं। भी।
मोदी जी- डॉ। नावेद लोगों के पास वैक्सीन के बारे में भी कई सवाल हैं, जैसे वैक्सीन से हमें कितनी सुरक्षा मिलेगी, हम वैक्सीन के बाद कैसा महसूस कर सकते हैं? इस बारे में कुछ बताइए; श्रोताओं को बहुत लाभ होगा।
डॉ। नावेद- जब से कोरोना संक्रमण हमारे सामने आया है, तब से लेकर आज तक हमारे पास कोई प्रभावी उपचार उपलब्ध नहीं है ... हम केवल दो चीजों से इस बीमारी से लड़ सकते हैं, यह सुरक्षात्मक उपाय है ... और हम पहले से ही कह रहे हैं अगर हमें कुछ प्रभावी टीका मिल जाए तो हम इस बीमारी को दूर कर सकते हैं। हमारे देश में वर्तमान में दो वैक्सीन उपलब्ध कोवासीन और कोविशिल्ड हैं जो कि यहां खुद बनाए गए हैं। अन्य कंपनियों ने भी, जिन्होंने अपना परीक्षण किया है, उन्होंने पाया है कि इसकी प्रभावकारिता 60% से अधिक है। और अगर हम जम्मू कश्मीर की बात करें तो अब तक 15 से 16 लाख लोग वैक्सीन ले चुके हैं। हां, इसके बारे में काफी गलत धारणाएं या मिथक साइड इफेक्ट्स की कल्पना करते हुए सोशल मीडिया पर सामने आए हैं ... अब तक, हमारे स्थान पर, प्रशासित किए गए टीकों में कोई साइड इफेक्ट नहीं पाया गया है। केवल ऐसी चीजें जो नियमित रूप से हर वैक्सीन से जुड़ी हैं - किसी को बुखार हो रहा है, पूरे शरीर में दर्द हो रहा है या स्थानीय स्तर पर दर्द हो रहा है जहां इंजेक्शन लगाया जाता है - हमने सभी रोगियों में इस तरह के दुष्प्रभाव देखे हैं; हमने कोई भी प्रतिकूल प्रभाव नहीं देखा है। और हां, दूसरी बात, कुछ लोगों को यह आशंका थी कि टीकाकरण के बाद, जो टीका लगने पर है, कुछ लोग सकारात्मक हो गए। इसमें कंपनियों ने खुद दिशा-निर्देश दिए हैं कि अगर किसी को टीका लगाया जाता है, तो उन्हें संक्रमण हो सकता है, वे सकारात्मक हो सकते हैं। लेकिन बीमारी की गंभीरता, कि इस तरह के रोगियों में इसकी तीव्रता इतनी अधिक नहीं होगी, यानी वे सकारात्मक हो सकते हैं लेकिन यह बीमारी उनके लिए घातक साबित नहीं हो सकती है। इसलिए हमें अपने दिमाग से वैक्सीन के बारे में ऐसी गलतफहमी को दूर करना चाहिए। जो भी हो ... क्योंकि 1 मई से पूरे देश में 18 साल से ऊपर के सभी लोगों के लिए वैक्सीन प्रशासन कार्यक्रम शुरू हो जाएगा, यह लोगों से अपील है कि वे आएं और टीकाकरण करवाएं और अपने आप को सुरक्षित रखें और कुल मिलाकर हमारा समाज और हमारा समुदाय होगा कोविद 19 संक्रमण से सुरक्षित।
मोदी जी- डॉ। ने आपको बहुत-बहुत धन्यवाद दिया, और आपको रमज़ान के शुभ महीने की शुभकामनाएँ।
डॉ। नावेद- बहुत-बहुत धन्यवाद।
मोदी जी: दोस्तों, कोरोना संकट की इस अवधि में, सभी को टीका के महत्व के बारे में पता चल रहा है ... इसलिए यह मेरी अपील है कि टीके के बारे में किसी भी अफवाह से प्रभावित न हों। आप सभी जानते ही होंगे कि भारत सरकार द्वारा सभी राज्य सरकारों को भेजी जाने वाली मुफ्त वैक्सीन से 45 वर्ष से अधिक आयु के लोग लाभान्वित हो सकते हैं। अब 1 मई से देश में 18 वर्ष से अधिक आयु के प्रत्येक व्यक्ति के लिए टीका उपलब्ध होने जा रहा है। अब कॉर्पोरेट सेक्टर, कंपनियां भी अपने कर्मचारियों को वैक्सीन देने के कार्यक्रम में भाग ले सकेंगी। मैं यह भी कहना चाहता हूं कि भारत सरकार द्वारा मुफ्त टीका का जो कार्यक्रम अभी चल रहा है, वह आगे भी जारी रहेगा। मैं राज्यों से भी अपील करता हूं कि वे भारत सरकार के इस नि: शुल्क वैक्सीन अभियान का लाभ अपने राज्य के अधिकतम लोगों तक पहुंचाएं।
दोस्तों, हम सभी जानते हैं कि मानसिक रूप से बीमारी के दौरान अपना, अपने परिवार का ख्याल रखना कितना मुश्किल होता है। लेकिन अस्पतालों में हमारे नर्सिंग स्टाफ को लगातार यह काम करना पड़ता है, एक ही समय में इतने सारे रोगियों के साथ। सेवा का यह भाव हमारे समाज की एक बड़ी ताकत है। केवल एक नर्स नर्सिंग स्टाफ की सेवा और कड़ी मेहनत के बारे में ठीक से बता सकती है। इसीलिए, मन की बात में, मैंने बहन भावना ध्रुव जी को आमंत्��ित किया है, जो रायपुर के बी आर अंबेडकर मेडिकल कॉलेज में अपनी सेवाएं दे रही हैं। वह कोरोना के कई मरीजों की देखभाल कर रही है। आओ, हम उससे बात करें।
मोदी जी- नमस्कार भव जी!
भावना-आदरणीय प्रधानमंत्री जी, नमस्कार!
मोदी जी- भावना जी ...
भावना- हाँ सर
मोदी जी- मन की बात के दर्शकों को बताइए कि परिवार में आपकी कितनी ज़िम्मेदारियाँ हैं, कितनी मल्टीटास्किंग है और फिर भी इसके साथ-साथ आप कोरोना के मरीज़ों के साथ काम कर रहे हैं। कोरोना के रोगियों के साथ आपका जो अनुभव है, देश के लोग निश्चित रूप से यह सुनना पसंद करेंगे क्योंकि बहनें, नर्सें सबसे लंबे समय तक रोगी के सबसे करीब रहती हैं, इसलिए वे हर पहलू को बड़े विस्तार से समझ सकती हैं ... कृपया हमें बताएं।
भावना- हाँ सर… COVID में मेरा कुल अनुभव 2 महीने का है। हम 14 दिनों तक अपनी ड्यूटी करते हैं और उसके बाद हमें आराम दिया जाता है। फिर 2 महीने के बाद हमारे कोविद के कर्तव्यों को दोहराया जाता है। जब मुझे पहली बार कोविद ड्यूटी पर रखा गया था, तो सबसे पहले मैंने अपने परिवार के सदस्यों के साथ यह कोविद ड्यूटी हिस्सा साझा किया था। यह मई में था। और जैसा कि मैंने इसे साझा किया, सभी डर गए, चिंतित हो गए ... उन्होंने मुझे बताना शुरू कर दिया कि मुझे देखभाल के साथ काम करना चाहिए ... यह एक भावनात्मक स्थिति थी सर। जब मेरी बेटी ने मुझसे पूछा, "मम्मा तुम कोविद की ड्यूटी पर जा रही हो?" ... यह मेरे लिए बहुत ही भावुक क्षण था। लेकिन जब मैं एक कोविद मरीज के पास गया, तो मैंने घर पर एक जिम्मेदारी छोड़ दी थी। और जब मैं कोविद रोगियों सर से मिला, तो वे उनसे बहुत अधिक भयभीत थे। कोविद नाम से सभी रोगी इतने भयभीत थे कि वे समझ नहीं पा रहे थे कि उनके साथ क्या हो रहा है या हम आगे क्या करेंगे। उनके डर को दूर करने के लिए हमने उन्हें बहुत स्वस्थ वातावरण दिया। जब हमें COVID ड्यूटी करने के लिए कहा गया, तो सबसे पहले, हमें PPE Kit पहनने के लिए कहा गया, जो कि PPE किट के साथ ड्यूटी करने में काफी मुश्किल है। सर यह हमारे लिए बहुत कठिन था ... 2 महीने की ड्यूटी में, मैंने हर जगह काम किया है ... 14- 14 दिनों की ड्यूटी वार्ड में, आईसीयू में, अलगाव में।
मोदी जी- इसका मतलब है कि आप सभी पिछले एक साल से यह काम कर रहे हैं।
भावना- हाँ सर; वहां जाने से पहले मुझे नहीं पता था कि मेरे सहयोगी कौन थे। मैंने एक टीम के सदस्य के रूप में काम किया ... उन्हें जो भी समस्या थी ... मैंने साझा किया, मुझे रोगियों के बारे में पता चला और उनके कलंक को हटा दिया, ऐसे कई लोग थे जो कोविद के नाम से भी भयभीत थे। उन्होंने सभी लक्षण दिखाए ... जब हम उनका इतिहास लेते थे, लेकिन डर के कारण वे अपना परीक्षण नहीं करवाते थे, तो हम उनकी काउंसलिंग करेंगे ... और सर जब गंभीरता बढ़ेगी, तब तक उनके फेफड़े पहले ही हो चुके होंगे। संक्रमित ... जब तक वे आएंगे तब तक उन्हें आईसीयू की जरूरत होगी और उनके साथ उनका पूरा परिवार आएगा। इसलिए मैंने 1-2 ऐसे मामले देखे हैं सर और सिर्फ इतना ही नहीं ... मैंने सभी आयु समूहों के साथ काम किया है। इसमें छोटे बच्चे, महिलाएं, पुरुष, वरिष्ठ नागरिक ... सभी प्रकार के मरीज थे। जब हमने उनसे बात की तो उन्होंने कहा कि वे डर के कारण नहीं आए, हमें सभी से एक ही जवाब मिला। फिर हमने उन्हें परामर्श दिया कि सर, डरने की कोई बात नहीं है, बस हमारा अनुसरण करें ... हम आपका समर्थन करेंगे ... जो भी प्रोटोकॉल है उसका पालन करें। हम उनके लिए केवल इतना ही कर सकते थे।
मोदी जी- भावना जी, मुझे आपसे बात करके अच्छा लगा, आपने मुझे काफी अच्छी जानकारी दी है। आपने अपने अनुभव को साझा किया है, निश्चित रूप से यह देशवासियों को सकारात्मकता का संदेश देगा। आपको बहुत बहुत धन्यवाद भवना जी।
भवन- थैंक्यू सो मच सर… थैंक्यू सो मच… .जैन हिंद सर।
मोदी जी- जय हिंद!
भवना जी जैसे सैकड़ों हजारों भाई-बहन और नर्सिंग स्टाफ के अनगिनत अन्य लोग अपने कर्तव्यों का बेहतरीन ढंग से पालन कर रहे हैं। यह हम सभी के लिए एक बड़ी प्रेरणा है। अपने स्वास्थ्य पर भी विशेष ध्यान दें। अपने परिवार का भी ख्याल रखें।
दोस्तों, इस समय सिस्टर सुरेखा जी हमारे साथ बेंगलुरु से जुड़ी हुई हैं। सुरेखा जी के.सी. में वरिष्ठ नर्सिंग अधिकारी हैं। जिंदल अस्पताल। आइए हम उनके अनुभवों के बारे में भी जानें -
मोदी जी: नमस्ते सुरेखा जी!
सुरेखा: - मुझे गर्व है और हमारे देश के प्रधान मंत्री से बात करने के लिए सम्मानित सर।
सुरेखा: - यस सर ... एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते मैं वास्तव में कुछ बताना चाहूंगा जैसे कृपया अपने पड़ोसियों से विनम्र रहें और शुरुआती परीक्षण और उचित ट्रैकिंग हमें मृत्यु दर को कम करने में मदद करती है और यदि आपको कोई लक्षण मिलते हैं तो कृपया और अलग करें। आसपास के डॉक्टरों से सलाह लें और जल्द से जल्द इलाज कराएं। इसलिए, समुदाय को इस बीमारी के बारे में जागरूकता जानना और सकारात्मक होना चाहिए, इससे घबराना नहीं चाहिए और तनाव से बाहर नहीं निकलना चाहिए। इससे मरीज की हालत बिगड़ जाती है। हम अपनी सरकार के प्रति आभारी हैं कि एक वैक्सीन के लिए भी गर्व है और मुझे पहले से ही अपने स्वयं के अनुभव के साथ टीका लगाया गया है जो मैं भारत के नागरिकों को बताना चाहता था, कोई भी टीका तुरंत 100% सुरक्षा प्रदान नहीं करता है। प्रतिरक्षा बनाने में समय लगता है। कृपया टीका लगवाने से डरें नहीं। कृपया अपना टीकाकरण करें; कम से कम दुष्प्रभाव होता है और मैं संदेश देना चाहता हूं जैसे, घर पर रहना, स्वस्थ रहना, जो लोग बीमार हैं उनसे संपर्क से बचें और नाक, आंख और मुंह को अनावश्यक रूप से छूने से बचें। कृपया शारीरिक रूप से गड़बड़ी का अभ्यास करें, ठीक से मास्क पहनें, अपने हाथों को नियमित रूप से धोएं और घरेलू उपचार जो आप घर में कर सकते हैं। कृपया आयुर्वेदिक काढ़ा (एलांकेराइड) पियें, स्टीम इनहेलेशन और माउथ गर्रिंग हर रोज़ लें और व्यायाम भी करें। और एक और बात पिछले और कम से कम कृपया फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं और पेशेवरों के प्रति सहानुभूति न रखें। हमें आपके समर्थन और सहयोग की आवश्यकता है। हम मिलकर लड़ेंगे। हम महामारी के साथ मिल जाएगा। यही मेरा संदेश है लोगों को सर।
मोदी जी: - धन्यवाद् जी धन्यवाद।
सुरेखा: - थैंक यू सर।
सुरेखा जी, वास्तव में, आप बहुत कठिन समय में किले को संभाल रहे हैं। अपना ख्याल रखा करो! मैं आपके परिवार के लिए बहुत शुभकामनाएं देता हूं। मैं देश के लोगों से भी आग्रह करूंगा, जैसा कि भावना जी, सुरेखा जी, ने अपने अनुभवों से सुनाया है। कोरोना से लड़ने के लिए पॉजिटिव स्पिरिट का होना लाजमी है और देशवासियों को उसी सकारात्मक भावना को बनाए रखना है।
मोदी जी: - सुरेखा जी ... आप सभी साथी नर्सों और अस्पताल के कर्मचारियों के साथ मिलकर बेहतरीन काम कर रहे हैं। भारत आप सभी का शुक्रगुजार है। COVID-19 के खिलाफ इस लड़ाई में नागरिकों के लिए आपका क्या संदेश है।
मे���े प्यारे दोस्तों, डॉक्टर्स और नर्सिंग स्टाफ के साथ, फिलहाल फ्रंटलाइन वर्कर्स जैसे लैब-टेक्नीशियन और एम्बुलेंस ड्राइवर भी ईश्वरीय रूप से काम कर रहे हैं! जब एक एम्बुलेंस एक मरीज तक पहुँचती है, तो परिवार को ऐसा लगता है जैसे एक स्वर्गदूत ने उन्हें एम्बुलेंस चालक के रूप में दौरा किया है! देश को उनके द्वारा प्रदान की गई सभी स���वाओं और उनके अनुभवों के बारे में जानना चाहिए! मेरे साथ अभी मेरा एक ऐसा सज्जन है - श्री प्रेम वर्मा जी, जो एम्बुलेंस ड्राइवर हैं। जैसा कि उनके नाम से पता चलता है, प्रेम वर्मा जी अपना काम, अपना कर्तव्य पूरे प्रेम और समर्पण के साथ करते हैं। आइए! उससे बात करते हैं -
मोदी जी - नमस्ते प्रेम जी |
प्रेम जी - नमस्ते सर जी |
श्री मोदी - भाई! प्रेम |
प्रेम जी - हाँ सर।
मोदी जी - आपके काम के बारे में।
प्रेम जी - हाँ
मोदी जी - हमें विस्तार से बताइए। हमें अपने अनुभवों के बारे में भी बताएं।
प्रेम जी - मैं ड्राइवर के पद पर हूं और जैसे ही कंट्रोल हमें एक टैब पर कॉल देता है ... हम कॉल का जवाब देते हैं जो 102 से आता है और रोगी की ओर आता है। हम रोगी के पास जाते हैं और पिछले दो वर्षों से हम यह काम जारी रखे हुए हैं। हम अपने किट पहनते हैं, अपने दस्ताने और मास्क पहनते हैं, मरीज तक पहुंचते हैं और जहां भी वे हमें छोड़ने के लिए कहते हैं, जो भी अस्पताल में होता है, हम उन्हें जल्द से जल्द छोड़ देते हैं।
मोदी जी - आपके पास टीका की दोनों खुराकें रही होंगी?
प्रेम जी - बिलकुल सर।
मोदी जी - फिर दूसरों को टीका लगवाने का आपका क्या संदेश है?
प्रेम जी - सर बिल्कुल | सभी को यह खुराक मिलनी चाहिए और यह परिवार के लिए भी अच्छा है। अब मेरी मम्मी ने जिद की कि मैं यह नौकरी छोड़ दूं। मैंने उससे कहा- माँ, अगर मैं भी नौकरी छोड़ कर बेकार बैठूँ, तो इन मरीजों को कौन ले जाएगा? क्योंकि कोरोना के इस दौर में हर कोई अपनी नौकरी को पीछे छोड़ रहा है! हर कोई नौकरी छोड़ रहा है। मॉम मुझसे कहती हैं कि मुझे वह नौकरी छोड़नी है मैंने कहा नहीं माँ, मैं नौकरी नहीं छोड़ूँगा!
मोदी जी - प्रेम जी माँ को तकलीफ नहीं होती। अपनी मां को समझाने की कोशिश करें।
प्रेम जी - हाँ
मोदी जी - लेकिन यह बात आपने अपनी माँ के बारे में बताई?
प्रेम जी - हाँ।
मोदी जी - यह बहुत ही मार्मिक है।
प्रेम जी - हाँ।
मोदी जी - अपनी माँ को भी।
प्रेम जी - हाँ।
मोदी जी - मेरे प्रणाम को व्यक्त करें।
प्रेम जी - बिल्कुल
श्री मोदी - और हां?
प्रेम जी - हाँ सर
मोदी जी - और प्रेम जी आपके माध्यम से
प्रेम जी - हाँ
मोदी जी - ये ड्राइवर हमारी एम्बुलेंस सेवा भी चला रहे हैं
प्रेम जी - हाँ
मोदी जी - आप सभी को अपनी नौकरी पर कितना जोखिम है!
प्रेम जी - हाँ
मोदी जी - और हर किसी की माँ क्या सोचती है?
प्रेम जी - बिलकुल सर
मोदी जी - जब यह बातचीत दर्शकों तक पहुँचेगी
प्रेम जी - हाँ
मोदी जी - मुझे यकीन है कि यह उनके दिलों को भी छू जाएगा!
प्रेम जी - हाँ
मोदी जी - बहुत बहुत धन्यवाद, प्रेम जी। एक तरह से, आप एक उदाहरण हैं जिसे हम प्रेम की गंगा का प्रवाह कहते हैं!
प्रेम जी - धन्यवाद सर
मोदी जी - धन्यवाद भैय्या!
प्रेम जी - धन्यवाद।
मित्रो, प्रेम वर्मा जी और उनके जैसे हजारों लोग आज अपना जीवन दांव पर लगाकर लोगों की सेवा कर रहे हैं! कोरोना के खिलाफ इस लड़ाई में बचाए गए सभी जीवन में एम्बुलेंस ड्राइवरों ने भी बहुत योगदान दिया है। प्रेमजी, मैं देश भर में आपके और आपके सभी सहयोगियों की सराहना करता हूं। समय पर पहुँचते रहो, जान बचाते रहो!
मेरे प्यारे देशवासियो, यह सच है कि बहुत से लोग कोरोना से संक्रमित हो रहे हैं। हालांकि, कोरोना से उबरने वाले लोगों की संख्या समान रूप से अधिक है। गुरुग्राम की प्रीति चतुर्वेदी ने भी हाल ही में कोरोना को हराया है। प्रीति जी j मन की बात ’में हमारे साथ शामिल हो रही हैं। उसके अनुभव हम सभी के लिए बहुत लाभकारी होंगे।
मोदी जी: प्रीति जी, नमस्ते
प्रीति जी: नमस्ते सर। आप कैसे हैं?
मोदी जी: मैं ठीक हूं। सबसे पहले, Covid19 के लिए के रूप में
प्रीति जी: जी
मोदी जी: आपने सफलतापूर्वक इसे पछाड़ दिया
प्रीति जी: जी
मोदी जी: इसके लिए मैं आपकी सराहना करना चाहूंगा।
प्रीति जी: बहुत बहुत धन्यवाद सर
मोदी जी: मैं आपके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करता हूं
प्रीति जी: जी धन्यवाद सर
मोदी जी: प्रीति जी
प्रीति जी: हाँ सर
मोदी जी: क्या यह सिर्फ आप ही हैं जो वर्तमान लहर में संक्रमित हुए हैं या आपके परिवार के अन्य सदस्य भी इससे प्रभावित हुए हैं?
प्रीति जी: नहीं नहीं सर, बस मैं था
मोदी जी: भगवान दयालु हैं। खैर, मैं चाहूंगा
प्रीति जी: हाँ सर
मोदी जी: यह कि आप अपनी पीड़ा की स्थिति के कुछ अनुभव साझा करते हैं ... तो, शायद अभी सुनने वालों को इस बात का मार्गदर्शन भी मिल सकता है कि ऐसे समय में खुद को कैसे संभालना है।
प्रीति जी: ज़रूर सर। प्रारंभिक चरण में, मुझे बेहद सुस्ती आई और उसके बाद गले में हल्की खराश हुई। मुझे लगा कि ये लक्षण थे और इसलिए मैंने खुद का परीक्षण किया। दूसरे दिन, जैसे ही रिपोर्ट आई और मुझे सकारात्मक पत�� चला, मैंने खुद को समझा। मैंने खुद को एक कमरे में अलग कर लिया और डॉक्टरों से सलाह ली। मैंने निर्धारित दवा शुरू की।
मोदी जी: तो आपके हिस्से पर त्वरित कार्रवाई के कारण आपका परिवार बच गया।
प्रीति जी: हाँ सर। बाद में उनका परीक्षण भी किया गया। अन्य कोई भी नकारात्मक था। मैं एकमात्र सकारात्मक था। उससे पहले, मैंने खुद को एक कमरे के अंदर अलग कर लिया था। अपनी सारी जरूरतें पूरी करने के बाद मैंने खुद को कमरे में बंद कर लिया। और इसके साथ ही, मैंने फिर से डॉक्टर के साथ दवा शुरू कर दी। सर, दवा के साथ, मैंने योग और आयुर्वेदिक शुरू किया। इसके साथ ही मैंने काढ़ा, काढ़ा भी लेना शुरू कर दिया। अपनी प्रतिरक्षा को बढ़ाने के लिए, सर, दिन में, जब भी मैं अपना भोजन लेता था, मैं स्वस्थ भोजन लेता था, जो एक प्रोटीन युक्त आहार था। मैंने बहुत सारे तरल पदार्थ ले लिए, मैंने गरारा किया, भाप ली और गर्म पानी लिया। मैंने अपनी दिनचर्या के हिस्से के रूप में यह सब शामिल किया। और सर, मैं यह कहना चाहूंगा कि इन दिनों, सबसे महत्वपूर्ण बात यह है ... एक बिल्कुल भी चिंतित नहीं होना चाहिए। एक को मानसिक रूप से मजबूत रहना है और मेरे लिए, योग और सांस लेने के व्यायाम से मदद मिली और मैंने उन्हें करना बेहतर समझा।
मोदी जी: हां। प्रीति जी, अब जब आपकी प्रक्रिया पूरी हो गई है, आप संकट से बाहर आ गए हैं
प्रीति जी: हाँ सर
मोदी जी: आपने नकारात्मक का भी परीक्षण किया है ...
प्रीति जी: हाँ सर
मोदी जी: तो आप अपनी सेहत का ख्याल रखने के लिए अभी क्या कर रहे हैं?
प्रीति जी: सर, मैंने योगा करना बंद नहीं किया है
मोदी जी: ठीक है
प्रीति जी: मैं अभी भी काढ़ा ले रही हूं और अपनी प्रतिरक्षा को बढ़ाने के लिए, मैं अच्छा, स्वस्थ भोजन खा रही हूं।
मोदी जी: हां
प्रीति जी: मैं पहले खुद की उपेक्षा करती थी लेकिन अब मैं अपने होने पर बहुत ध्यान देती हूं।
मोदी जी: धन्यवाद प्रीति जी
प्रीति जी: बहुत बहुत धन्यवाद सर।
मोदी जी: मुझे लगता है कि आपके द्वारा साझा की गई जानकारी बहुत से लोगों की मदद करेगी। आप स्वस्थ रहें; आपके परिवार के सदस्य स्वस्थ रहें, मैं आपको शुभकामनाएं देता हूं।
मेरे प्यारे देशवासियों, आज, चिकित्सा क्षेत्र के हमारे कर्मी, अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ता सभी 24x7 सेवा कार्यों में प्रयासरत हैं। इसी तरह, समाज के अन्य लोग भी इस समय पीछे नहीं हैं। देश एक बार फिर एकजुट होकर कोरोना के खिलाफ लड़ रहा है। इन दिनों, मैं देख रहा हूं कि कोई व्यक्ति संगरोध में रहने वाले परिवारों को दवाएं दे रहा है, कोई सब्जी, दूध, फल आदि भेज रहा है, कोई मरीजों को मुफ्त एम्बुलेंस सेवा दे रहा है। इस तरह के चुनौतीपूर्ण समय में भी, देश के विभिन्न कोनों में, स्वैच्छिक संगठन आगे आ रहे हैं और दूसरों की मदद के लिए जो कुछ भी कर सकते हैं, करने की कोशिश कर रहे हैं। इस बार गांवों में भी नई जागरूकता देखी जा रही है। कोविद नियमों का कड़ाई से पालन करके, लोग अपने गांव को कोरोना से बचा रहे हैं, जो लोग बाहर से आ रहे हैं उनके लिए भी उचित व्यवस्था की जा रही है। अपने क्षेत्र में कोरोना मामलों की वृद्धि को रोकने के लिए, स्थानीय निवासियों के साथ मिलकर काम करते हुए कई युवा शहरों में भी आगे आए हैं। मतलब, एक तरफ, देश अस्पतालों, वेंटिलेटर और दवाओं के लिए दिन-रात काम कर रहा है और दूसरी तरफ, देशवासी भी कोरोना की चुनौती को बहुत दिल से लड़ रहे हैं। यह संकल्प हमें इतनी ताकत, इतना आत्मविश्वास देता है। जो भी प्रयास किए जा रहे हैं वे समाज के लिए बहुत बड़ी सेवा हैं। वे समाज की शक्ति को मजबूत करते हैं।
मेरे प्यारे देशवासियो, आज हमने 'मन की बात' की सम्पूर्ण बातचीत को कोरोना महामारी पर केंद्रित रखा, क्योंकि, आज, हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता इस बीमारी को हराना है। आज भगवान महावीर जयंती भी है। इस अवसर पर, मैं सभी देशवासियों को अपनी शुभकामनाएं देता हूं। भगवान महावीर के संदेश हमें दृढ़ता और संयम की ओर प्रेरित करते हैं। रमजान का पवित्र महीना भी चल रहा है। आगे बुद्ध पूर्णिमा भी है। गुरु तेग बहादुर जी का 400 वां प्रकाश पर्व भी है। आगे एक ऐतिहासिक दिन है पोचीशेबिशाक - टैगोर जयंती। ये सभी हमें अपने कर्तव्यों को निभाने के लिए प्रेरित करते हैं। एक नागरिक के रूप में, जितना अधिक हम अपने जीवन में दक्षता के साथ अपने कर्तव्यों का पालन करेंगे, उतनी ही तेजी से हम भविष्य के रास्ते पर आगे बढ़ेंगे, संकट से मुक्त होंगे। इस इच्छा के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी से टीकाकरण करवाने का आग्रह करता हूं और हमें भी पूरा ध्यान रखना होगा। - दाउभी, कदीभी '- टीका लगवाएँ और सभी सावधानियों को बनाए रखें। इस मंत्र को कभी न भूलें। हम जल्द ही इस आपदा पर एक साथ विजय प्राप्त करेंगे। इस विश्वास के साथ, मैं आप सभी को बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं। नमस्कार!
#MannKiBaat #AllIndiaRadio #COVID19 #vaccine #Healthcare #HumanDevelopment #VaccineManufacturing #OxygenSupply #Research #Doctors #Hospital #Covaxin #Ayurveda #Ambulance #Ramzan #PrakashParv #LordMahavira #GuruTeghBahadur #Speeches #CoronaWarriors
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आखिर हम क्यों न सुधरे, आ बैल मार मुझे वाली हालात क्यों है।
जब कोरोना की शुरुआत हुई। तो बाजार से सैनिटाइजर खत्म हो गए। सब लोगों ने काफी भारी मात्रा में सैनिटाइजर का उपयोग किया। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया। दूरियां बनाएं रखा। और मास्क का भी उपयोग किया। अर्थात जब कोरोना की शुरुआत हुई, तो हम सभी लोगों ने मिलकर कोरोना को मात देने के लिए कोरोना को हराने के लिए मास्क, सैनिटाइजर एवं सावधानियां तीनों चीजों का उपयोग किया। लेकिन जब कोरोना पुन�� फैलने लगा, तो हम लोगों के दिलो दिमाग से यह तीनों चीजें गायब हो गई है। अब ना ही हमलोग मास्क लगा रहे हैं। ना ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे हैं। और ना ही सैनिटाइजर का उपयोग कर रहे हैं। और इसी का नतीजा है। कि स्थिति दिन प्रतिदिन भयावह होती जा रही है। गलती चाहे किसी की भी हो, हम सरकार की माने या, आम आदमी की माने, लेकिन गलती तो गलती ही है। वह मंत्री हो, विधायक हो, सांसद हो या किसी भी पद पर हो, अगर वह उपयोग नहीं कर रहे हैं। तो वह भी दोषी ही है। अर्थात इस समय मास्क अवश्य उपयोग कीजिए। मेरे कहने का यह मतलब है। कि ठीक है, कुछ समय के लिए मानते हैं, कि सरकार दोषी है। लेकिन अगर हमारे घर में किसी को कुछ भी दिक्कतें आती है। बीमारियां आती हैं। तो उसका भरपाई कौन करेगा। सरकार करेगी या हमें स्वयं करना पड़ेगा। उसकी भरपाई हमें ही करना पड़ेगा। तो हम क्यों नहीं सावधानी बरतें। सरकार की गलती जो भी हो। हम क्या कर रहे हैं। हम अपने कर्तव्यों का निर्वाह कर रहे हैं। कि नहीं कर रहे हैं। इस विषय पर अवश्य ध्यान देना चाहिए। अगर सभी व्यक्ति अपने कर्तव्यों का निर्वाह करें। तो हमलोग कोरोना को हरा सकते हैं। हम किसी पर दोषारोपण नहीं कर सकते। अपनी गलती सुधारने के लिए स्वयं को प्रयास करना पड़ेगा। आज भी बहुत सारे लोग बिना मास्क की घूमते नजर आ जाएंगे। या मास्क लगाए रहेंगे, तो मास्क नीचे किए रहेंगे। घर आते हैं तो कोरोना संबंधित नियमों का सही से पालन नहीं करते हैं। और ना ही औरों को पालन करने के लिए प्रेरित करते हैं। अगर अब भी हम लोग नहीं सुधरे तो हमलोगों को बहुत ही पीछे जाना पड़ेगा। और इसका भुगतान सरकार नहीं हमें स्वयं करना पड़ेगा। इसलिए कृपया दूरियां बनाइए और स्वस्थ रहिए सुरक्षित रहिए। सरकार अपनी भरपाई करने के लिए मूल्यों में वृद्धि कर देगी। लेकिन आप अपना कैसे भरपाई करेंगे। आपको तो अपनी रोजमर्रा की चीजों का उपयोग करना ही पड़ेगा। आप जैसे भी करें, खरीदना तो पड़ेगा ही, इसलिए समझिए विचार कीजिए। और अपने जीवन की रक्षा स्वयं कीजिए। और औरों को भी प्रेरित कीजिए। इस लेखनी को लिखने का मतलब किसी को दुखी करना नहीं है। किसी के हृदय को ठेस पहुंचाना नहीं है। आप स्वस्थ रहिए। सुरक्षित रहिए। और प्रभु जल्द से जल्द इस संकट को दूर करें। ईश्वर से प्रार्थना कीजिए।
लेखनी
शशि शंकर पटेल
( यू.एस.एस.फाउंडेशन सचिव )
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घर पर बॉडी बनाने के तरीके
आज के समय में लोग आधुनिकीकरण की ओर बढ़ रहे हैं, जो कहीं ना कहीं सही भी है। हम जितना आधुनिक होंगे उतने ही खुद में भी कुछ बदलाव करने होंगे। आधुनिकीकरण की दौड़ में कोई भी किसी से पीछे नहीं होना चाहता फिर वह बच्चे हो, युवा वर्ग हो, या बुजुर्ग हो।
इस आधुनिक युग में खुद को फिट रखने की जद्दोजहद भी देखी जा सकती है। खासकर युवा वर्ग खुद की बॉडी बनाने या स्लिम ट्रिम करने में अपनी सारी मेहनत लगा देते हैं। ऐसा भी माना जाता है कि जब तक फिट नहीं होंगे तो हम पीछे रह जाएंगे। इसमें हम देखेंगे कि युवाओं में बॉडी बनाने की होड़ बनी है वहीं कहीं ना कहीं बॉलीवुड अभिनेताओं को देखकर भी होती है।
बॉडी बनाना है एक नया ट्रेंड
बॉडी बनाना एक ट्रेंड के रूप में सामने आया है। ऐसा देखा जाता है कि बॉडी बना लेने से लोगों का ध्यान आसानी से ध्यान खींचा जा सकता है लेकिन यह पूर्ण रूप से सत्य नहीं है। बॉडी बनाना ही काफी नहीं होता लेकिन यह भी सत्य है कि लगातार बढ़ते इस ट्रेंड से नए व्यवसाय जैसे जिम ट्रेनर, पर्सनल ट्रेनर की अवसर बढ़ जाते हैं।
अगर आप चाहे तो घर पर भी आसानी से बॉडी बनाई जा सकती है जो आपके लिए आसान भी है और सुरक्षित भी।
घर पर बॉडी बनाने के तरीके | Ghar Par Body Banane Ke Tarike
अगर आप घर से बाहर नहीं जा सकते और अपनी बॉडी बनाने के लिए उत्साहित हैं, तो ऐसे में आप घर में ही रहकर बॉडी बना सकते हैं। हमारे सुझाए तरीकों से महिला और पुरुष फिट हो सकते हैं। यह सभी तरीके आप सुबह के समय या शाम के समय भी कर सकते हैं इसके माध्यम से खुद को तरोताजा भी कर सकते हैं। सभी की इच्छा खुद को आकर्षित और खूबसूरत बनाने की होती है तो यह हसरत पूरी की जा सकती है घर पर ही।
1) लेग ड्रॉप करें | Leg Drop Karye
यह सबसे आसान तरीका है, जो आप को फिट रखने में मददगार है। इसके लिए आप मैट पर लेट जाएं। अब अपने दोनों पैरों को धीरे-धीरे उठाते हुए सीधा करें और जैसे ही आप पैरों को ऊपर की ओर लाएं तो थोड़ी देर ऊपर ही छोड़ दें। इसको आप 10/ 15 बार करें शुरू में थोड़ा कम समय लीजिए बाद में समय बढ़ाया भी जा सकता है।
2) पुश अप करें | Push Ups kare
पुश अप से आप अपने व्यायाम की शुरुआत कर सकते हैं। इसके लिए पहले आप लेट जाएं वह भी पेट के बल अब दोनों हाथों को सामने जमीन की ओर रखे�� और हाथों के ही बल ऊपर जाएं उसी क्रम में नीचे भी जाएं। ऐसे हाथों के सहारे ऊपर नीचे करें तो आपके मसल्स को फायदा होगा। इसे आप 10 से 15 बार कर सकते हैं।
3) क्रंच करें | karanch karen
इसमें आपको एकदम सीधे किसी मैट पर या जमीन पर लेटना होगा। अपने दोनों हाथों को पीछे की ओर कानों के पास रखें। अपने पैरों को मोड़ ले और फिर पीठ को ऊपर की ओर उठाएं। इसके बाद फिर से वापस लौट जाएं बार-बार उठ कर इसे दोहराएं हाथों को पीछे ही रहने दे। यह भी आपकी बाडी के लिए आवश्यक एक्सरसाइज है।
4) लेग लिफ्ट करे | Leg lift kare
यह एक्सरसाइज भी आसान ही है इसमें आपको पीठ के बल लेटना होगा। ऐसा आप एक पैर के साथ करें। पहले बाएं पैर को उठाए फिर दाएं पैर को। ऐसा करने से भी आपको बहुत ही फायदा होगा।
5) साइड प्लैंक करे | side plank kare
एक्सरसाइज को साइड में लेट कर किया जा सकता है। इसमें करवट के बल लेट जाएं अब हाथों को कमर में रखकर पैरों को एक साथ कर ले। अब धीरे-धीरे अपनी बॉडी को हटाएं थोड़ी देर के लिए बॉडी को उठाएं ही रखें। एक्सरसाइज को कम से कम 10 बार दोहराएं इससे भी अपनी बॉडी को फिट रखा जा सकता है।
अपने खानपान का रखें विशेष ध्यान
आप अपने शरीर और खुद को फिट बनाए रखने के लिए जागरूक हैं यह तो अच्छी बात है। लेकिन इसके लिए अपने आहार पर विशेष ध्यान देना होगा ज्यादा से ज्यादा ऐसा आहार लेना होगा जो वसायुक्त हो। जिसमे मक्खन ,जैतून का तेल, पनीर, हरी सब्जियां, मछली, मशरूम, दही, सोयाबीन, प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों का उपयोग करें। अगर आप ताजे फल और दूध, दही ले तो भी फायदेमंद है।
1) दही | Dahi
बॉडी बनाने के लिए दही के सेवन को अनिवार्य माना गया है। अगर आप नाश्ते में पराठे खाते हैं खासतौर से आलू के पराठे तो आप साथ मे दही जरूर ले। यह आपकी बॉडी को फिट बनाता है।
2) मूंगफली और गुड़ | mungfali or Gud
इन दोनों आहारों को उर्जा का अच्छा स्त्रोत माना गया है। इसमें आप 40 ग्राम मूंगफली को सेक कर रख ले और साथ में लगभग 20 ग्राम गुड़ मिलाकर उपयोग करें इससे अच्छा परिणाम प्राप्त होगा।
3) पनीर | Paneer
बॉडी बनाते समय आपके लिए दूध या दूध से बनी चीजें फायदेमंद होंगी। अगर आप खाने या नाश्ते में पनीर के साथ बने व्यंजन ले या फिर कच्चा पनीर भी खा ले तो इससे भी आपको बहुत ही ज्यादा फायदा होने वाला है।
4) फल |Fruits
हमेशा कोशिश करें कि ताजे व मौसमी फलों को लिया जाए ताकि शरीर में विटामिन, प्रोटीन या पर्याप्त शर्करा की कमी पूरी हो सके।
5) जंक फूड | Junk Food
अगर आप अपने सही शेप में बॉडी बनाना चाहते हैं, तो जंक फूड से दूरी बना ले। यह आपके शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं और बॉडी बनाने में अवरोध पैदा करते हैं।
6) पानी
ऐसा कहा जाता है कि दिन में 8/10 गिलास पानी पीना फायदेमंद है। अगर आप बॉडी बनाने के इच्छुक हैं, तो निश्चित रूप से आपको ज्यादा पानी पीना चाहिए यह शरीर के अंदर की सारी कमियों को दूर करेगा।
घर पर बॉडी बनाने के कारगर टिप्स
कभी-कभी कुछ लोगों को बाहर जाकर बॉडी बनाना आसान नहीं लगता है। ऐसे में हम आसानी से घर पर ही बॉडी बनाने के टिप्स बताने जा रहे हैं।
1) बॉडी बनाने के लिए लटकने वाली एक्सरसाइज भी की जाती है, जिससे स्टेमिना बढ़ता है। ऐसे में आप घर में ही किसी रोड से लटककर अपने शरीर को फिट बनाने का काम कर सकते हैं।
2) अगर आप सुबह-सुबह रनिंग का काम कर करें तो इससे भी आपका स्टेमिना बढ़ेगा। आप शुरुआत में दो-तीन किलोमीटर तक ही रनिंग कर सकते हैं।
3) अगर आप बॉक्सिंग करना चाहते हैं, तो किसी बैग में रेत भर लें और उसमें बॉक्सिंग, पंचिंग करें इससे आप आसानी से खुद को फिट कर पाएंगे।
4) आप घर में बनी सीढ़ियों के माध्यम से भी वर्कआउट कर सकते हैं। बार-बार सीढ़ियों में ऊपर नीचे करके भी शरीर को फिट किया जा सकता है। इससे ज्यादा कैलरी बर्न होती है इसलिए यह आपके लिए फायदेमंद है।
5) आप योग के माध्यम से भी खुद को स्वस्थ और फिट बना सकते हैं इसमें अनुलोम विलोम, कपालभाति, प्राणायाम मुख्य है।
धैर्य रखना भी है जरूरी
अगर आप बॉडी बनाने की सोच रहे हैं, तो एक बात पहले से ही समझ लीजिए कि आपको थोड़ा धैर्य रखना होगा। बॉडी बनाना एक प्रकार से लंबे समय लेने वाली प्रक्रिया है जिसमें आपको लगातार प्रयत्न करते रहना होगा। अपने आहार, अपनी नींद, अपनी आदतों पर नियंत्रण रखना होगा। बुरी आदतों से भी खुद को दूर रखना होगा।
कई बार लोगों को ऐसा लगता है कि कितने दिन हो गए पर फर्क ही नहीं पड़ रहा है, तो ऐसे में बेचैन नहीं बल्कि धैर्य रखने की जरूरत होती है। अगर इंसान दृढ़ निश्चय कर ले तो कुछ भी आसानी से हासिल कर सकता है इसलिए आप ज्यादा सोचने नहीं बल्कि निरंतर रूप से अपना काम करते रहे।
इम्यूनिटी बूस्टर जूस बनाने के तरीके
कम बजट में घर में ही कैसे बनाएं जिम
इस कोरोना काल में बाहर निकलना मुश्किलों भरा है और आप अपनी बॉडी के लिए भी चिंतित हैं, तो ऐसे में आप कम बजट में ही छोटा सा जिम घर में बना सकते हैं।
1) रोप
रस्सी कूदने को सबसे काम की एक्सरसाइज मानी जाती है जो बॉडी बनाने में सहायक होती है। आप बाजार से ही कम कीमत में इसे खरीद कर सुबह के समय रोपिंग का अभ्यास कर सकते हैं।
2) रजिस्टेंस बैंड
ऐसा देखा गया है कि शरीर का संतुलन बनाए रखने के लिए रजिस्टेंस बेंड को जरूरी माना जाता है। आप बाजार से 800 से 1200 तक का बैण्ड लेकर इस्तेमाल कर सकते हैं।
3) वेट मशीन
एक्सरसाइज होने पर इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि वजन पर क्या प्रभाव पड़ा? इसके लिए वेट मशीन का भी उपयोग करें इसे आप सस्ते दामों में ऑनलाइन ही प्राप्त कर सकते है।
4) डम्बल्स
बॉडी बनाने के लिए डंबल्स का भी उपयोग किया जा सकता है। यह आपको सस्ते दामों में लोकल मार्केट से मिल जाता है। धीरे धीरे आप डंबल का वजन भी बढ़ा सकते हैं और घर में ही आसानी से उपयोग किया जा सकता है।
5) हूप
हुप का उपयोग कमर से कैलोरी को कम करने में भी किया जाता है। इसे चर्बी भी कम की जा सकती है इसे आप अपने साइज के हिसाब से भी ले सकते हैं, जो सस्ते दामों में मिल सकता है।
इन सभी उपकरण से आसानी से ही घर में ही बॉडी बना सकते हैं लेकिन ध्यान रहे कि यह सब नियमित रूप से हो।
इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए लाभदायक है प्याज की चाय
डांस करना भी है फायदेमंद
अगर आप डांस करना पसंद करते हैं, तो सुबह या किसी भी समय इसे भी आजमा सकते हैं। आप इससे आपकी अतिरिक्त कैलोरी बर्न होगी। ऐसे किसी भी गतिविधि को करते समय जब पसीना आता है वह वजन घटाने या बॉडी बनाने में सहायक हो सकता है। आपने देखा होगा कि मशहूर अभिनेत्रियां हेमा मालिनी, माधुरी दीक्षित, श्रीदेवी ने अपने क्लासिकल डांस के माध्यम से अपने आप को संतुलित रखा है। भले ही आप क्लासिकल डांस ना जानते हो पर किसी भी प्रकार का डांस आपके लिए फायदेमंद है। इसे जरूर आजमाएं।
निष्कर्ष
इस प्रकार से आपने देखा कि बॉडी बनाना बहुत मुश्किल काम नहीं और अगर घर से यह काम करना हो तो कोई दिक्कत नहीं है। ���प घर के कामों के साथ-साथ भी इस काम को भी अंजाम दे सकते हैं। इसमें आपको थोड़ी मेहनत की आवश्यकता है। अगर आपके अंदर लगन हो, तो कोई भी कार्य आसानी से किया जा सकता है। प्रयत्न करते रहिए और अपने मार्ग में आगे बढि़ए।
उम्मीद करते हैं हमारा लेख आपको पसंद आएगा।
Source : https://www.ghareluayurvedicupay.com/ghar-par-body-banane-ke-tarike/
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SC ने केंद्र से पूछा, क्या NDMA ने कोरोना से मौत पर मुआवजे को लेकर फैसला लिया था? Divya Sandesh
#Divyasandesh
SC ने केंद्र से पूछा, क्या NDMA ने कोरोना से मौत पर मुआवजे को लेकर फैसला लिया था?
नई दिल्ली
सोमवार को ने केंद्र सरकार से पूछा कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नेतृत्व में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने कोरोना से मरने वालों के परिजनों को 4-4 लाख रुपये की मुआवजा नहीं देने का फैसला किया था? साथ ही, शीर्ष न्यायालय ने कहा कि लाभार्थियों के मन में किसी भी तरह के मलाल को दूर करने के लिए ‘एकसमान मुआवजा योजना’ तैयार करने पर विचार किया जा सकता है।
केंद्र सरकार ने न्यायालय में दाखिल किये गये अपने हलफनामे में कहा कि राकोषीय वित्तीय स्थिति तथा केंद्र एवं राज्यों की आर्थिक स्थिति पर भारी दबाव के चलते अनुग्रह राशि का वहन बहुत कठिन है। हालांकि केंद्र ने न्यायालय से यह भी कहा कि ऐसा नहीं है कि सरकार के पास धन नहीं है। केंद्र ने कहा , ‘हम स्वास्थ्य सेवा ढांचा बनाने, सभी को भोजन सुनिश्चित करने, पूरी आबादी का टीकाकरण करने और अर्थव्यवस्था को वित्तीय प्रोत्साहन पैकेज उपलब्ध कराने के लिए रखे गये कोष के बजाय अन्य चीजों के कोष क�� उपयोग कर रहे हैं।’
न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एम आर शाह की अवकाश पीठ ने सॉलीसीटर जनरल तुषाार मेहता से कहा, ‘आप(केंद्र) सही स्पष्टीकरण दे रहे हैं क्योंकि केंद्र सरकार के पास पैसे नहीं हैं का तर्क देने से व्यापक दुष्परिणाम होंगे।’ पीठ ने संक्रमण से मरने वाले लोगों के आश्रितों को अनुग्रह राशि देने की मांग करने वाली दो याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए यह टिप्पणी की।
न्यायालय ने कहा कि आपदाओं से निपटने के विषय पर वित्त आयोग की सिफारिशें आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 12 के तहत मुआवजे पर वैधानिक योजनाओं की जगह नहीं ले सकते। पीठ ने केंद्र से सवाल किया, ‘क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाले राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने अनुग्रह राशि नहीं दिये जाने का कोई फैसला किया।’
मेहता ने गृह मंत्रालय द्वारा लिये गये कुछ फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि वह एनडीएमए के इस तरह के किसी फैसले से अवगत नहीं हैं। दरअसल, गृह मंत्रालय आपदा प्रबंधन के लिए नोडल एजेंसी है। शीर्ष न्यायालय ने मृत्यु प्रमाणपत्र जारी किये जाने की मौजूदा प्रक्रिया को ‘‘प्रथम दृष्टया कहीं अधिक जटिल’’ करार दिया और केंद्र से इसे ‘‘सरल बनाने’’ को कहा, ताकि कोरोना वायरस संक्रमण से मरने वाले लोगों के आश्रितों को जारी हुए प्रमाणपत्रों को बाद में भी दुरूस्त किया जा सके जिससे कि वे कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठा सकें।
पीठ ने सवाल किया, ‘क्या यह कहा जा सकता है कि कोरोना वायरस से संक्रमित हुए मरीज, जो अस्पताल में भर्ती हैं, को इस तरह का मृत्यु प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा।’ पीठ ने कहा, ‘जब मानवता खत्म हो गई है और चीजों की कालाबाजारी हो रही है तो क्या कहा जा सकता है?’ न्यायालय ने सॉलीसीटर जनरल से कहा कि कोविड से जिन लोगों की मौत हुई है उनके परिवार को उपयुक्त मृत्यु प्रमाणपत्र प्रदान करने के लिए जरूरी कदम उठाये जाएं। साथ ही, मृत्य के कारण में संशोधन का प्रावधान भी किया जाए।
मृतकों के परिजनों को राज्यों द्वारा एक समान मुआवजा राशि नहीं दिये जाने का जिक्र किये जाने पर पीठ ने पूछा कि क्या अधिनियम के तहत एकसमान दिशानिर्देश तैयार किया जा सकता है, अन्यथा प्रभावित परिवारों के मन में मलाल रह जाएगा। पीठ ने कहा, ‘किसी को थोडी सी रकम मिलेगी और अन्य को अधिक राशि मिलेगी।’
मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार डीएमए के अन्य प्रावधानों के तहत एकसमान योजना पर विचार कर सकती है। बहरहाल पीठ ने पक्षों से लिखित दलीलें तीन दिनों के अंदर दाखिल करने का निर्देश दिया। शीर्ष न्यायालय इस विषय पर दो अलग-अलग याचिकाओं की सुनवाई कर रहा है।
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दिवाली देश का सबसे बड़ा त्योहार है। इसके लिए हम उत्साह के साथ ढेरों तैयारियां करते हैं, लेकिन यह उत्साह बना रहे और सभी सुरक्षित रहें, यही सबसे जरूरी है। दिवाली पर हम कुछ बातों का खास ध्यान रखते हैं, लेकिन इस दिवाली कोरोना की वजह से हमें और भी सावधानियां बरतनी हैं।
बाजारों में सोशल डिस्टेंसिंग के अलावा कोरोना की सभी गाइडलाइंस को सही ढंग से फॉलो करना है। बाहर की खाने-पीने की चीजों पर इस बार निर्भरता कम करनी है और लोकल को वोकल करना है, यानी विदेशी समानों की जगह पर स्वदेशी समानों को खरीदना है।
इस दिवाली इन 6 बातों का रखें ध्यान
1. चीजों का सही रेट पता करें
इस समय खरीदारी भी आप जमकर करते हैं। खरीदने से पहले चीजों का रेट पता कर लें। कई बार हमें बाजार में चीजों की वैराइटी और सही रेट ��ा पता नहीं होता, जिससे हम ज्यादा पैसे खर्च करके भी उतनी अच्छी चीजें नहीं खरीद पाते। ऐसे समय में छोटे बाजारों का रुख करना बेहतर होता है। यहां पर आपको वैराइटी भी ज्यादा मिलती है और आप मोल-भाव भी कर सकते हैं। त्योहार में होने वाले खर्च को ऐसे ही कम किया जा सकता है।
2. मिलावटखोरी से सावधान
त्योहारों का समय हो तो पकवान बनने और बाजार से इन्हें लाने का सिलसिला भी खूब चलता है। आपको फूंक-फूंक कर कदम रखना होगा। अगर बाजार से मिठाइयां ला रहे हैं तो मावे या दूध की मिठाइयों से परहेज ही करें, क्योंकि फेस्टिव सीजन में इन चीजों में मिलावट अपने चरम पर होती है। घर पर मावे की मिठाई बनाते समय भी ध्यान रखें, अगर मावा मिलावटी हुआ तो आपको बीमार कर सकता है।
3. लोकल को वोकल करें
दिवाली में इलेक्ट्रॉनिक समानों की खरीददारी भी बहुत होती है। डेकोरेशन के लिए भी हम लाइट्स समेत कई इलेक्ट्रॉनिक सामान खरीदते हैं। मार्केट में चीनी सामानों का कब्जा है। सीमा पर चीन हमारे खिलाफ लगातार साजिश कर रहा है। ऐसे में प्रधानमंत्री की अपील है कि हम लोकल को वोकल करें यानी विदेशी की जगह पर स्वदेशी सामानों को खरीदें।
4. स्वस्थ रहें
त्योहारों में हम खूब खाते-पीते हैं, लेकिन यह दिवाली पहले जैसी नहीं है। कोरोना के चलते हमें इस दिवाली अपने स्वास्थ पर विशेष ध्यान देना होगा। कोरोना के दौर में दिवाली में उत्साह कम न होने पाए, इसके लिए खुद का और परिवार का स्वस्थ रहना जरूरी है।
5. प्रदूषण को कम करें
दिवाली के पहले से ही हर तरफ पटाखों की गूंज सुनाई देती है और हर तरफ शोर होता है। दिवाली के पहले से शुरू होकर सप्ताह भर बाद तक पटाखों का दौर चलता है, लेकिन कोरोना के इस दौर में पटाखों का धुआं संक्रमित और ठीक हो चुके लोगों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
6. सुरक्षित रहें
दिवाली पर जलाए जाने वाले पटाखे, फूलझड़ियां आपके त्योहार को जितना संवारती हैं, जरा सी अनदेखी से बिगाड़ भी सकती हैं। इसलिए इनका इस्तेमाल करते समय विशेष सावधानी रखें। यहां तक दीपक जलाने में भी सावधानी रखें। बच्चों को इनसे दूर रखें। ऐसे किसी सामान के आसपास दीपक न रखें, जो आग पकड़ सकते हों।
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Buy indigenous goods instead of foreigners, follow Corona's guidelines, make Diwali fantastic in these 6 ways
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आंखों में छिपी हैं 'उम्मीद की किरणें'
*होप इन साइट- विश्व दृष्टि दिवस पर उपयोगी स्वास्थ्य मंत्र*
न्यूजवेव @ कोटा
समूचे विश्व में अक्टूबर के दूसरे गुरुवार को "वर्ल्ड साइट डे" मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम है "होप इन साइट" है। विश्व दृष्टि दिवस के अवसर पर दृष्टि की रक्षा करने, आंखों को स्वस्थ व सुरक्षित बनाये खने के लिए *वरिष्ठ नेत्र सर्जन डॉ सुरेश कुमार पांडेय एवं डॉ विदुषी पांडेय* बता रहे हैं कुछ उपयोगी टिप्स-
1. स्वस्थ आंखों के लिए हरी सब्जियों, फलों, ओमेगा थ्री फेटी एसिड युक्त पोष्टिक भोजन का सेवन करें। धूप में जाने पर अल्ट्रा वायलेट फिल्टर चश्मे का उपयोग करें। सात घंटे की नींद लेवें। 10 से 12 गिलास पानी पिएं एवम नियमित योग, एक्सरसाइज करें।
2. कोरोना काल में मोबाइल व लेपटॉप पर स्क्रीन टाईम के बढ़ने से डिजिटल आई स्ट्रेन के रोगी बढ़ें हैं। ड्राई आई एवम् मास्क एसोसिएटेड ड्राई आई (मेड) से बचने के लिए डिजिटल डिवाइस या कंप्यूटर पर काम करने वाले सभी व्यक्ति 20:20:20 रुल का पालन करें। कम्प्यूटर को बीस इन्च दूरी पर रखें। हर 20 मिनट के बाद 20 सेकंड का ब्रेक लेवें एवम् 20 फीट दूर देखें। नेत्र चिकित्सक के परामर्श से लुब्रिकेटिंग आई ड्रॉप का नियमित उपयोग करें।
3. मोतियाबिंद का ऑपरेशन के लिए इसका पूरी तरह से पकना जरूरी नहीं है। ऑपरेशन जब आपको ड्राइविंग या अखबार पढ़ने में परेशानी हो तो आप नेत्र विशेषज्ञ के परामर्श से लें। यदि आप प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने के कारण टेमसुलोसिन आदि दवाओं का उपयोग कर रहे हो तो ऑपरेशन के दौरान फ्लोपी आईरिस होने की संभावना बढ़ जाती है। नेत्र सर्जन को ऑपरेशन के पहले इसकी जानकारी जरूर दे।
4. अनकरेक्टेड रिफ्रेक्टिव एरर (दृष्टि दोष) कम दिखने का सबसे बड़ा कारण है। चश्मे का नंबर हर वर्ष में दो बार नेत्र चिकित्सक से चेक करवाएं एवम् चश्मा लगाने में संकोच/प्रमाद नहीं करें। आंखों का दबाव, पर्दे की जॉच भी कराना भी नहीं भूलें। चालीस वर्ष के दौरान पढ़ने या पास का काम करते समय पास का चश्मा लगने की जरूरत होती है, इसे प्रेस्बायोपिया कहते हैं।
5. 40 वर्ष की उम्र के बाद प्रत्येक 6 माह में ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर चेक एवं अन्य आवश्यक टेस्ट करवाने के साथ साथ आंखों की भी पूरी जांच करवाएं। चश्मे के नंबर, आंखों का दबाव, पर्दे (रेटिना) की दवा डालकर जांच आदि करवाने के लिए समय जरूर निकालें।
6. आंखों में एलर्जी/खुजली होने पर कई लोग स्टेरॉइड आई ड्रॉप का उपयोग बिना नेत्र विशेषज्ञ के परामर्श से करतें हैं। लम्बे समय तक स्टेरॉइड आई ड्रॉप का प्रयोग करने से मोतियाबिंद या ग्लूकोमा जैसे नेत्र रोग हो सकते हैं एवं नेत्र ज्योति हमेशा के लिए कम हो सकती है। अतः स्टेरॉइड आई ड्रॉप का उपयोग हमेशा नेत्र विशेषज्ञ की सलाह के अनुसार ही करें।
7. आंखों को बार बार जोर से नहीं मसलें। रोजाना आंखों को बार बार मसलने (रबिंग करने) से कॉर्निया में माइक्रो ट्रॉमा होता है जिससे कॉर्निया कमजोर होकर किरेटोकोनस का कारण बन सकता है।
8. छोटे बच्चे यदि टीवी देखते समय टीवी के बहुत पास बैठते हैं तो यह दृष्टि दोष के कारण हो सकता है। बच्चों की एक एक आंख बंद करके दूर के किसी ऑब्जेक्ट को दिखाकर उनकी दोनों आंखों की दृष्टि चेक कर लेवें। यदि दोनों आंखों की दृष्टि में अन्तर हो तो नेत्र विशेषज्ञ से परामर्श लेवें क्यों कि बच्चों में लेजी आई (एंबलायोपिया) का पता नहीं चल पाता है।
9. यदि आपको मधुमेह या हाइपरटेंशन है तो ब्लड शुगर लेवल एवम् ब्लड प्रेशर को फिजिशियन के परामर्श से दवाओं के नियमित सेवन से नियंत्रित रखें। आंखों में चमकती रोशनी या अचानक बहुत से फ्लोटर्स दिखने पर अथवा अचानक नजर कम होने पर तुरंत नेत्र विशेषज्ञ से परामर्श लेवें। हर छः माह में दवा डालकर पर्दे (रेटिना) की जॉच अवश्य करवाए।
10. बच्चों की आंखों को चोट से बचाये
दीवाली पर सेफ्टी गोगल का उपयोग करें जिससे आंखों को फटाखे चलाते समय चोट नहीं लगे। जर्दा, तम्बाकू खाने वाले व्यक्ति चूने के पाउच बच्चों से दूर रखें। क्योंकि चूने के पाउच की ट्यूब को बच्चे दबाते हैं और पाउच की ट्यूब का ढक्कन अचानक खुलने से चूना बच्चों की आंख में जाने से हर साल कई बच्चो की आंखें खराब हो जाती हैं। यदि आंखों में चोट लगती है तो तुरंत नजदीकी नेत्र विशेषज्ञ से परामर्श लेवें।
11. नौ माह से पहले जन्मे नवजात शिशुओं की आंखों की दवा डालकर पर्दे (रेटिना) की जांच जन्म के तीन सप्ताह तक जरूर करव��ए। छोटे बच्चों में यदि आंख की पुतली का केंद्र भाग सफेद (व्हाइट पुपिलरी रिफ्लेक्स) दिखाई देता है तो इसकी जांच नेत्र विशेषज्ञ से करवाए। यह मोतियाबिंद, रेटिनोपथी ऑफ प्रीमेचुरिटी या आंख के कैंसर (रेटिनोब्लास्टोमा) का लक्षण हो सकता है।
12. यदि माता पिता को ग्लूकोमा है तो आप अपने आंखों के दबाव की जांच जरूर करवाए। सामान्य इंट्रा ओकुलर प्रेशर 10 से 20 मिमी ऑफ मर्करी होता है। यदि आपके आंखों का दबाव 22 मिमी ऑफ मर्करी से अधिक आता है तो इन्वेस्टिगेशन करवाकर, नेत्र विशेषज्ञ की सलाह अनुसार बढ़े दबाव को नियंत्रित करने हेतु एंटी ग्लूकोमा मेडिकेशन का उपयोग करें। एंटी ग्लूकोमा आई ड्रॉप को नियमित रूप से निश्चित समय डालें एवं बिना चिकित्सक के परामर्श के बंद नहीं करें।
*नेत्र है तो जहान है*
जीते जी रक्तदान,मरणोपरांत नेत्रदान नामक सूत्र के अनुसार नेत्रदान का संकल्प लें एवम अपने मित्रों को भी नेत्रदान के लिए प्रेरित करें।
- डॉ सुरेश पाण्डेय, डॉ विदुषी पाण्डेय
सुवि नेत्र चिकित्सालय, कोटा
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अभिनेता अर्जुन बिजलानी की पत्नी नेहा के बाद बेटा आयान भी हुआ कोरोना पॉजिटिव, पोस्ट कर लोगो से सुरक्षित रहने की दी सलहा!
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अभिनेता अर्जुन बिजलानी की पत्नी नेहा के बाद बेटा आयान भी हुआ कोरोना पॉजिटिव, पोस्ट कर लोगो से सुरक्षित रहने की दी सलहा!
दोस्तों टीवी जगत के अभिनेता अर्जुन बिजलानी ने 4 अक्टूबर को अपनी वाइफ नेहा स्वामी के कोरोना पॉजिटिव होने की जानकारी दी थी। जिसके बाद अर्जुन का पूरा परिवार 14 दिनों के लिए क्वारैंटाइन था। वही अभिनेता ने बताया था कि नेहा संक्रमित होने के बाद घर पर ही क्वारैंटाइन हो चुकी हैं। नेहा की रिपोर्ट सामने आते ही अर्जुन बिजलानी और उनके बेटे ने रैपिड टेस्ट करवाया था। इस टेस्ट की रिपोर्ट नेगेटिव थी लेकिन डिटेल टेस्ट में उनके बेटे आयान भी संक्रमित मिले हैं। वहीं दूसरी तरफ अर्जुन बिजलानी की रिपोर्ट दूसरी बार नेगेटिव आई है।
नेहा स्वामी रिपोर्ट आने के बाद से ही घर पर क्वारैंटाइन थीं। अब आयान भी उन्हीं के साथ रह रहे हैं। इस बारे में बताते हुए अर्जुन लिखते हैं, ‘जिस पल से मैं सबसे ज्यादा डरता था बदकिस्मती से वही आ गया। मेरा बेटा आयान कोरोना वायरस पॉजिटिव हो गया है। इसका रैपिड टेस्ट नेगेटिव आया था लेकिन डिटेल पीसीआर में रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। आयान मेरी वाइफ नेहा के साथ क्वारैंटाइन है जो खुद कोरोना वायरस से लड़ रही हैं। मेरे दोनों टेस्ट नेगेटिव आए हैं और मैं आशा करता हूं कि नेगेटिव ही रहूं जिससे में अपने परिवार का ख्याल रख सकूं, भले ही ऐसा दूर रहकर करना पड़े’।
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Keep us in yours prayers … !!!
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एक्टर ने आगे लोगों को सतर्क रहने की सलाह देते हुए लिखा, ‘फिलहाल मैं आप सभी से सिर्फ सुरक्षित रहने का बोल सकता हूं। आपको पता भी नहीं चल पाएगा कि कब आप इस वायरस के संपर्क में आ गए हैं। बाहर की दुनिया इन दिनों काफी मनोहर लग रही है मगर बेहतर होगा कि हम सावधान रहें। वायरस के लक्षण हर अलग इंसान में अलग नजर आते हैं इसलिए प्लीज वायरस को हल्के में ना लें। हमें दुआओं में याद रखें और सुरक्षित रहें। दुआ करता हूं कि वायरस आपके घर ना पहुंचे’।
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मेड इन इंडिया टीका भारत की आत्मनिर्भरता का प्रतीक है: मन की बात के दौरान पीएम मोदी.
मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार। जब मैं मन की बात व्यक्त करता हूं, तो ऐसा महसूस होता है कि मैं आपके परिवार के सदस्य के रूप में आपके बीच मौजूद हूं। छोटे मामलों का आदान-प्रदान हुआ जो एक दूसरे को सिखाते हैं; कड़वा- मीठा जीवन अनुभव जो एक शानदार जीवन जीने के लिए एक प्रेरणा बन जाता है ... और बस यही मन की बात है! जनवरी २०२१ का आज अंतिम दिन है। क्या आप भी सोच रहे हैं, जिस तरह से मैं २०२१ कुछ दिन पहले शुरू हुआ था? यह सिर्फ महसूस नहीं करता है कि जनवरी का पूरा महीना बीत चुका है! इसे ही समय की गति कहा जाता है। ऐसा लगता है कि कुछ दिनों पहले की बात है जब हम एक दूसरे के साथ शुभकामनाएँ दे रहे थे! फिर हमने लोहड़ी, मकर संक्रांति, पोंगल और बिहू मनाया। यह देश के विभिन्न हिस्सों में त्योहार का समय था। हमने 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती को PARAKRAM DIWAS के रूप में मनाया और 26 जनवरी को भव्य गणतंत्र दिवस परेड भी देखी। राष्ट्रपति जी द्वारा संयुक्त सत्र को संबोधित करने के बाद, बजट सत्र भी शुरू हो गया है। इस सब के बीच, एक और घटना हो रही थी जिसका हम सभी को बेसब्री से इंतजार है - वह है पद्म पुरस्कारों की घोषणा। राष्ट्र ने असाधारण काम करने वाले लोगों को सम्मानित किया; उनकी उपलब्धियों और मानवता के लिए योगदान के लिए। इस वर्ष भी, प्राप्तकर्ता में वे लोग शामिल हैं जिन्होंने असंख्य क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य किया है; अपने प्रयास के माध्यम से, उन्होंने देश को आगे ले जाते हुए, किसी के जीवन को बदल दिया है। इस प्रकार, कुछ साल पहले शुरू हुए अनसंग नायकों पर पद्म सम्मान देने की परंपरा इस बार भी कायम है। मैं आप सभी से इन लोगों और उनके योगदान के बारे में और जानने का आग्रह करता हूं ... परिवार के बीच इसकी चर्चा करें। आप देखेंगे कि यह कैसे सभी को प्रेरित करता है!
इस महीने क्रिकेट पिच से भी बहुत अच्छी खबर आई है। हमारी क्रिकेट टीम ने शुरुआती असफलताओं के बाद ऑस्ट्रेलिया में श्रृंखला जीतकर शानदार वापसी की। हमारे खिलाड़ियों की कड़ी मेहनत और टीम वर्क प्रेरणादायक है। इस सब के बीच, 26 जनवरी को दिल्ली में तिरंगे के अपमान से देश दुखी था। हमें नई आशा और नवीनता के साथ आने के लिए कई बार इंकार करना होगा। पिछले साल, हमने अनुकरणीय धैर्य और साहस प्रदर्शित किया। इस वर्ष भी हमें अपने संकल्पों को पाने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी। हमें अपने देश को तेज गति से आगे ले जाना है।
मेरे प्यारे देशवासियो, इस साल की शुरुआत में कोरोना के खिलाफ हमारी लड़ाई के लगभग एक साल पूरे होने के अवसर हैं। जिस तरह कोरोना के खिलाफ भारत की लड़ाई एक उदाहरण बन गई, हमारा टीकाकरण कार्यक्रम भी दुनिया के लिए अनुकरणीय बन गया है। आज, भारत दुनिया का सबसे बड़ा कोविद वैक्सीन कार्यक्रम चला रहा है। क्या आप जानते हैं कि अधिक गर्व की बात क्या है? सबसे बड़े वैक्सीन कार्यक्रम के साथ, हम अपने नागरिकों को दुनिया में कहीं भी तेजी से टीकाकरण कर रहे हैं। केवल 15 दिनों में, भारत ने 30 लाख से अधिक कोरोना वारियर्स का टीकाकरण किया है, जबकि अमेरिका जैसे उन्नत देश को ऐसा करने में 18 दिन लगे; ब्रिटेन 36 दिन!
दोस्तों, आज, मेड इन इंडिया वैक्सीन, निश्चित रूप से, भारत की आत्मनिर्भरता का प्रतीक है; यह उसके आत्म-गौरव का प्रतीक भी है। नमोऐप पर, यूपी के भाई हिमांशु यादव ने लिखा है कि मेड इन इंडिया वैक्सीन ने एक नया आत्मविश्वास पैदा किया है। कीर्ति जी मदुरै से लिखती हैं कि उनके कई विदेशी मित्र भारत को धन्यवाद देते हुए संदेश दे रहे हैं। कीर्ति जी के दोस्तों ने उन्हें लिखा है कि जिस तरह से कोरोना के खिलाफ लड़ाई में भारत ने दुनिया की मदद की है, उससे उनके दिल में भारत के लिए सम्मान बढ़ा है। देश के लिए गौरव के इन नोटों को सुनना कीर्ति जी, मान की बात के श्रोताओं को भी गर्व से भर देता है। इन दिनों, मुझे भी दुनिया के विभिन्न देशों के राष्ट्रपतियों और प्रधानमंत्रियों से भारत के लिए इसी तरह के संदेश मिलते हैं। आपने हाल ही में देखा होगा कि कैसे ब्राजील के राष्ट्रपति ने भारत को धन्यवाद देते हुए एक ट्वीट में कहा था - उस पर हर भारतीय को खुशी हुई। दुनिया के दूरदराज के कोनों में हजारों किलोमीटर दूर रहने वाले लोग रामायण में उस संदर्भ से गहराई से अवगत हैं; वे तीव्रता से इससे प्रभावित हैं। यह हमारी संस्कृति की एक विशेषता है।
दोस्तों, इस टीकाकरण कार्यक्रम में, आपने कुछ और ध्यान दिया होगा! संकट के क्षण के दौरान, भारत आज दुनिया की सेवा करने में सक्षम है, क्योंकि वह दवाओं, टीकों के क्षेत्र में आत्मनिर्भर है। यही विचार आत्मानबीर भारत अभियान को रेखांकित करता है। जितना अधिक भारत सक्षम है, उतना ही वह मानवता की सेवा करेगा; तदनुसार, दुनिया को अधिक लाभ होगा!मेरे प्यारे देशवासियों, हर बार, आपके बहुत सारे पत्र प्राप्त होते हैं; नमो ऐप और MyGov और फोन कॉल पर आपके संदेशों के माध्यम से आपके विचारों के बारे में पता चलता है। इन संदेशों में से एक ने मेरा ध्यान आकर्षित किया - यह बहन प्रियंका पांडे जी का है। 23 वर्षीय बेटी प्रियंका जी हिंदी साहित्य की छात्रा हैं और बिहार के सिवान की रहने वाली हैं। प्रियंका जी ने नमो ऐप पर लिखा है कि वह देश के 15 घरेलू पर्यटन स्थलों पर जाने के मेरे सुझाव से बहुत प्रेरित थीं और इसलिए 1 जनवरी को, उन्होंने एक गंतव्य के लिए शुरुआत की जो बहुत खास थी। वह स्थान उसके घर से 15 किलोमीटर दूर था - यह देश के पहले राष्ट्रपति डॉ। राजेंद्र प्रसाद जी का पैतृक निवास था। प्रियंका जी ने खूबसूरती से उल्लेख किया है कि यह देश के महान प्रकाशकों के साथ खुद को परिचित कराने के क्षेत्र में उनका पहला कदम था। वहाँ, प्रियंका जी को डॉ। राजेंद्र प्रसाद द्वारा लिखित कई किताबें और साथ ही कई ऐतिहासिक तस्वीरें भी मिलीं। वाकई प्रियंका जी, आपका यह अनुभव दूसरों को भी प्रेरित करेगा।
दोस्तों, इस वर्ष, भारत अपनी स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने का उत्सव शुरू करने जा रहा है - अमृत महोत्सव। इस संदर्भ में, यह उन नायकों से जुड़े स्थानों का पता लगाने का एक उत्कृष्ट समय है, जिनके आधार पर हमने स्वतंत्रता प्राप्त की।
दोस्तों, जैसा कि हम स्वतंत्रता आंदोलन और बिहार का उल्लेख करते हैं, मैं नमो ऐप पर की गई एक अन्य टिप्पणी को छूना चाहूंगा। मुंगेर निवासी जय राम विप्लव ने मुझे तारापुर शहीद दिवस के बारे में लिखा है। 15 फरवरी 1932 को, अंग्रेजों ने निर्दयता से युवा देशभक्तों के एक समूह को मार डाला था। उनका एकमात्र अपराध यह था कि वे ram वंदे मातरम ’और was भारत माता की जय’ के नारे लगा रहे थे। मैं उन शहीदों को नमन करता हूं और श्रद्धा के साथ उनके साहस को याद करता हूं। मैं जय राम विप्लव जी को धन्यवाद देना चाहता हूं। उन्होंने देश के सामने एक ऐसी घटना लाई है जिसके बारे में उतनी चर्चा नहीं हुई जितनी होनी चाहिए थी।मेरे प्यारे देशवासियो, आजादी की लड़ाई भारत के हर हिस्से, हर शहर, हर शहर और गाँव में पूरी ताकत से लड़ी गई थी। इस भूमि के प्रत्येक कोने में, भारतभूमि, महान पुत्र और बहादुर बेटियाँ पैदा हुईं जिन्होंने राष्ट्र के लिए अपना जीवन त्याग दिया। इसलिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हम अपने संघर्ष और उनकी यादों के लिए उनके संघर्षों की गाथा को संरक्षित करें और इसके लिए हम आने वाली पीढ़ियों के लिए उनकी यादों को जीवित रखने के लिए उनके बारे में लिख सकते हैं। मैं सभी देशवासियों, विशेषकर युवा मित्रों से अपील करता हूं कि वे स्वतंत्रता सेनानियों, स्वतंत्रता से जुड़ी घटनाओं के बारे में लिखें। अपने क्षेत्र में ��्वतंत्रता संग्राम की अवधि के दौरान वीरता की गाथा के बारे में किताबें लिखें। अब, जब भारत अपनी स्वतंत्रता के 75 वर्ष मनाएगा, तो आपकी लेखनी हमारी स्वतंत्रता के उन नायकों को सर्वश्रेष्ठ श्रद्धांजलि होगी। भारत सत्तर-पाँच के उद्देश्य से यंग राइटर्स के लिए एक पहल की गई है। यह सभी राज्यों और सभी भाषाओं के युवा लेखकों को प्रोत्साहित करेगा। ऐसे विषयों पर लिखने वाले लेखक, जिन्होंने गहरी भारतीय विरासत और संस्कृति का अध्ययन किया है, देश में बड़ी संख्या में सामने आएंगे। हमें ऐसी उभरती प्रतिभाओं की पूरी मदद करनी होगी। यह विचारशील नेताओं की एक श्रेणी भी तैयार करेगा जो भविष्य का पाठ्यक्रम तय करेगा। मैं अपने युवा मित्रों को इस पहल का हिस्सा बनने और अपने साहित्यिक कौशल का अधिक से अधिक उपयोग करने के लिए आमंत्रित करता हूं। इस बारे में जानकारी शिक्षा मंत्रालय की वेबसाइट से प्राप्त की जा सकती है।
मेरे प्यारे देशवासियो, Ba मन की बात ’के श्रोताओं को क्या पसंद है, केवल आप ही बेहतर जानते हैं। लेकिन मेरे लिए Ba मन की बात ’में सबसे अच्छी बात यह है कि मुझे बहुत कुछ सीखने और पढ़ने को मिलता है। एक तरह से, अप्रत्यक्ष रूप से, मुझे आप सभी से जुड़ने का अवसर मिलता है। किसी का प्रयास, किसी का उत्साह, किसी का देश के लिए कुछ हासिल करने का जुनून - यह सब मुझे बहुत प्रेरित करता है, मुझे ऊर्जा से भर देता है।हैदराबाद के बोनीपल्ली में एक स्थानीय सब्जी बाजार अपनी जिम्मेदारी कैसे निभा रहा है, इस बारे में पढ़कर मुझे बहुत खुशी हुई। हम सभी ने देखा है कि सब्जियों के बाज़ारों में बहुत सारी उपज कई कारणों से खराब हो जाती है। सब्जियां चारों ओर फैलती हैं, यह गंदगी भी फैलाती है, लेकिन बोनीपल्ली के सब्जी बाजार ने फैसला किया कि यह बचे हुए सब्जियों को वैसे ही फेंक नहीं देगा। सब्जी मंडी से जुड़े लोगों ने तय किया कि वे इससे बिजली बनाएंगे। आपने बेकार सब्जियों से बिजली पैदा करने के बारे में शायद ही सुना हो - यह नवाचार की शक्ति है। आज बोनीपल्ली सब्जी मंडी में जो कभी बर्बादी थी, उसी से धन पैदा हो रहा है - यह कचरे से धन सृजन की यात्रा है। लगभग 10 टन कचरा प्रतिदिन वहां उत्पन्न होता है, जिसे एक संयंत्र में एकत्र किया जाता है। इस संयंत्र में प्रतिदिन 500-यूनिट बिजली पैदा होती है, और लगभग 30 किलो जैव ईंधन भी उत्पन्न होता है। इस बिजली के माध्यम से सब्जी बाजार को रोशन किया जाता है और जो जैव ईंधन उत्पन्न होता है उसका उपयोग बाजार की कैंटीन में खाना बनाने के लिए किया जाता है - क्या यह एक अद्भुत प्रयास नहीं है!
हरियाणा के पंचकुला के बडौत ग्राम पंचायत ने एक ऐसा ही अद्भुत कारनामा हासिल किया है। इस पंचायत को पानी निकासी की समस्या का सामना करना पड़ा। इस वजह से गंदा पानी इधर-उधर फैल रहा था, बीमारी फैल रही थी, लेकिन, बडौत के लोगों ने फैसला किया कि वे इस पानी की बर्बादी से भी धन पैदा करेंगे। ग्राम पंचायत ने एक स्थान पर एकत्रित होने के बाद गाँव से आने वाले गंदे पानी को छानना शुरू कर दिया, और इस फ़िल्टर्ड पानी का उपयोग अब गाँव के किसानों द्वारा सिंचाई के लिए किया जा रहा है, जिससे वे प्रदूषण, गंदगी और बीमारी से मुक्त होते हैं और खेतों की सिंचाई करते हैं भी।
मित्रों, पर्यावरण की सुरक्षा कैसे आय का मार्ग खोल सकती है इसका एक उदाहरण अरुणाचल प्रदेश के तवांग में भी देखा गया था। सदियों से अरुणाचल प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्र में 'मोन शुगु' नामक एक प्रकार का कागज बनाया जाता है। यहां के स्थानीय लोग इस पेपर को शुगु शेंग नामक पौधे की छाल से बनाते हैं, इसलिए इस पेपर को बनाने के लिए पेड़ों को काटना नहीं पड़ता है। इसके अलावा, इस कागज को बनाने में किसी भी रसायन का उपयोग नहीं किया जाता है, इस प्रकार, यह कागज पर्यावरण के लिए और स्वास्थ्य के लिए भी सुरक्षित है। एक समय था जब इस कागज का निर्यात किया गया था लेकिन आधुनिक तकनीकों के साथ, बड़ी मात्रा में कागज बनने लगे और इस स्थानीय कला को बंद होने के कगार पर पहुंचा दिया गया। अब एक स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता गोम्बू ने इस कला को फिर से जीवंत करने का प्रयास किया है, इससे वहां के आदिवासी भाई-बहनों को भी रोजगार मिल रहा है।मैंने केरल से एक और समाचार देखा है जो हमें अपनी जिम्मेदारियों का एहसास कराता है। केरल के कोट्टायम में एक बुजुर्ग दिव्यांग हैं, एन.एस. राजप्पन साहब। पक्षाघात के कारण, राजप्पन चलने में असमर्थ हैं, लेकिन इससे स्वच्छता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता प्रभावित नहीं हुई है। पिछले कई सालों से वे वेम्बनाड झील में नाव से जा रहे हैं और झील में फेंकी गई प्लास्टिक की बोतलों को निकाल रहे हैं। सोचो, राजप्पन जी का विचार कितना महान है! राजप्पन जी से प्रेरणा लेते हुए, हमें भी, जहाँ भी संभव हो, स्वच्छता के लिए अपना योगदान देना चाहिए।
मेरे प्यारे देशवासियो, आपने कुछ दिन पहले देखा होगा कि भारत की चार महिला पायलटों ने सैन फ्रांसिस्को, अमेरिका से बैंगलोर के लिए नॉन-स्टॉप उड़ान की कमान संभाली थी। दस हजार किलोमीटर से अधिक की यात्रा करने वाले इस विमान ने भारत में दो सौ से अधिक यात्रियों को उतारा। आपने इस बार 26 जनवरी की परेड में भी देखा होगा, जहाँ भारतीय वायु सेना की दो महिला अधिकारियों ने नया इतिहास रचा था। जो भी क्षेत्र हो, देश की महिलाओं की भागीदारी लगातार बढ़ रही है, लेकिन, अक्सर हम देखते हैं कि, देश के गांवों में होने वाले समान परिवर्तनों की बहुत चर्चा नहीं है, इसलिए, जब मुझे यह खबर मिली मध्य प्रदेश के जबलपुर में मुझे लगा कि मुझे 'मन की बात' में इसका उल्लेख करना चाहिए।
यह खबर बहुत ही प्रेरणादायक है। जबलपुर के चिचगाँव में कुछ आदिवासी महिलाएँ एक राइस मिल में दिहाड़ी पर काम कर रही थीं। जिस तरह कोरोना महामारी ने दुनिया के हर व्यक्ति को प्रभावित किया, उसी तरह ये महिलाएं भी प्रभावित हुईं। उनके राइस मिल में काम बंद हो गया। स्वाभाविक रूप से, उनकी आय भी प्रभावित हुई, लेकिन वे निराश नहीं हुए; उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने फैसला किया कि सामूहिक रूप से वे अपनी चावल मिल शुरू करेंगे। जिस मिल में वे काम करते थे, वह उसकी मशीन भी बेचना चाहती थी। इन महिलाओं में से एक, मीना राहंगडाले जी ने सभी महिलाओं को जोड़कर एक 'स्वयं सहायता समूह' का गठन किया और उन सभी ने अपनी बचत से पूंजी जुटाई। जो भी धनराशि कम थी, उसे बैंक से ऋण के रूप में अजीविका मिशन के तत्वावधान में खट्टा कर दिया गया था, और अब देखिए, इन आदिवासी बहनों ने वही चावल मिल खरीदे जिसमें उन्होंने एक बार काम किया था! आज वे अपना राइस मिल चला रहे हैं। इस अवधि के भीतर, इस मिल ने भी लगभग तीन लाख रुपये का लाभ कमाया है। इस लाभ के साथ, मीना जी, और उनके सहयोगी, बैंक ऋण चुकाने की व्यवस्था कर रहे हैं और फिर अपने व्यवसाय के विस्तार के लिए रास्ते तलाश रहे हैं। कोरोना ने जो भी परिस्थितियां बनाईं, उनका मुकाबला करने के लिए देश के हर कोने में इस तरह के अद्भुत प्रयास हुए हैं।मेरे प्यारे देशवासियों, अगर मैं आपसे बुंदेलखंड का जिक्र करूं तो आपके दिमाग में क्या-क्या चीजें आएंगी? इतिहास में रुचि रखने वाले इस क्षेत्र को झांसी की रानी लक्ष्मीबाई से जोड़ेंगे। वहीं, कुछ लोग सुंदर और निर्मल ओरछा के बारे में सोचेंगे। और कुछ लोगों को इस क्षेत्र की अत्यधिक गर्मी की स्थिति भी याद होगी, लेकिन, इन दिनों यहां कुछ अलग हो रहा है जो काफी दिलकश है, और जिसके बारे में हमें पता होना चाहिए। हाल ही में, झाँसी में एक महीने का 'स्ट्रॉबेरी फेस्टिवल' शुरू हुआ। हर कोई हैरान है - स्ट्राबेरी और बुंदेलखंड! लेकिन, यह सच्चाई है। अब, बुंदेलखंड में स्ट्रॉबेरी की खेती को लेकर उत्साह बढ़ रहा है, और झांसी की बेटियों में से एक - गुरलीन चावला ने इसमें बहुत बड़ी भूमिका निभाई है! एक लॉ स्टूडेंट गुरलीन ने स्ट्रॉबेरी की खेती को सफलतापूर्वक अपने घर पर किया और फिर अपने खेत में यह उम्मीद जगाई कि झांसी में भी यह संभव है। झाँसी का स्ट्राबेरी उत्सव 'स्टे एट होम' की अवधारणा पर जोर देता है। इस त्यौहार के माध्यम से, किसानों और युवाओं को अपने घर के पीछे, या टैरेस गार्डन में खाली जगहों पर बागवानी करने और स्ट्रॉबेरी उगाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। नई तकनीक की मदद से, देश के अन्य हिस्सों में भी इसी तरह के प्रयास किए जा रहे हैं, स्ट्रॉबेरी जो कभी पहाड़ियों से पहचानी जाती थी, अब कच्छ के रेतीली मिट्टी में भी खेती की जा रही है, जिससे किसानों की आय बढ़ेगी।
दोस्तों, स्ट्रॉबेरी फेस्टिवल जैसे प्रयोग न केवल इनोवेशन की भावना को प्रदर्शित करते हैं; वे हमारे देश के कृषि क्षेत्र में नई तकनीकों को अपना रहे हैं। मित्रों, सरकार कृषि को आधुनिक बनाने के लिए प्रतिबद्ध है और उस दिशा में कई कदम भी उठा रही है। सरकार के प्रयास भविष्य में भी जारी रहेंगे।मेरे प्यारे देशवासियो, कुछ दिन पहले मैंने एक वीडियो देखा। वह वीडियो पश्चिम बंगाल के पश्चिम मिदनापुर के नाया पिंगला गाँव के चित्रकार सरमुद्दीन का था। वह खुशी जाहिर कर रहे थे कि रामायण पर आधारित उनकी पेंटिंग दो लाख रुपये में बिकी थी। इससे उनके साथी ग्रामीणों को भी बहुत खुशी हुई। इस वीडियो को देखने के बाद, मैं इसके बारे में और जानने के लिए उत्सुक था। इस संदर्भ में, मुझे पश्चिम बंगाल से संबंधित एक बहुत अच्छी पहल के बारे में पता चला, जिसे मैं आपके साथ साझा करना चाहूंगा।
पर्यटन मंत्रालय के क्षेत्रीय कार्यालय ने महीने की शुरुआत में बंगाल के गांवों में एक 'अतुल्य भारत सप्ताहांत भगदड़' शुरू की। पश्चिम मिदनापुर, बांकुरा, बीरभूम, पुरुलिया, पूर्वी बर्धमान के हस्तशिल्प कारीगरों ने आगंतुकों के लिए हस्तशिल्प कार्यशाला का आयोजन किया। मुझे यह भी बताया गया कि इनक्रेडिबल इंडिया वीकेंड गेटवे के दौरान हस्तशिल्प की कुल बिक्री हस्तशिल्प कारीगरों के लिए बहुत उत्साहजनक है। लोग हमारे कला रूपों को देश भर में रोजगार के नए तरीकों को लोकप्रिय बना रहे हैं।
राउरकेला, ओडिशा के भाग्यश्री साहू को देखें। हालाँकि वह इंजीनियरिंग की छात्रा है, लेकिन पिछले कुछ महीनों में उसने पेटचिट्रा की कला सीखना शुरू कर दिया और उसे इसमें महारत हासिल है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि उसने कहाँ से पेंटिंग शुरू की है - सॉफ्ट स्टोन्स, सॉफ्ट स्टोन्स पर। कॉलेज के रास्ते में, भाग्यश्री को ये सॉफ्ट स्टोन्स मिले, उन्होंने उन्हें इकट्ठा किया और उन्हें साफ किया। बाद में, उसने इन पत्थरों को हर दिन दो घंटे के लिए पट्टचित्र शैली में चित्रित किया। इन पत्थरों को पेंट करने के बाद, उसने उन्हें अपने दोस्तों को सौंपना शुरू कर दिया। लॉकडाउन के दौरान, उसने बोतलों पर पेंटिंग करना भी शुरू कर दिया। और अब, वह भी इस कला के रूप में कार्यशालाओं का आयोजन करती है। कुछ दिनों पहले, सुभाष बाबू की जयंती पर, भाग्यश्री ने उन्हें पत्थर पर की गई अनूठी श्रद्धांजलि दी। मैं उनके भविष्य के प्रयासों के लिए उन्हें शुभकामनाएं देता हूं। आर्ट और कलर्स के माध्यम से बहुत कुछ नया सीखा और किया जा सकता है।
मुझे झारखंड के दुमका में इसी तरह की एक उपन्यास पहल के बारे में बताया गया था। वहां के एक मिडिल स्कूल के एक प्रिंसिपल ने बच्चों को सीखने और सिखाने में मदद करने के लिए गाँव की दीवारों को अंग्रेजी और हिंदी वर्णमाला के अक्षरों से रंग दिया; साथ में विभिन्न चित्र भी चित्रित किए गए हैं जो गाँव के बच्चों की बहुत मदद कर रहे हैं। मैं ऐसे सभी व्यक्तियों को अपनी शुभकामनाएं देता हूं जो इस तरह की पहल में शामिल हैं।मेरे प्यारे देशवासियों, भारत से हजारों किलोमीटर दूर, कई महासागरों और महाद्वीपों में, एक देश है - चिली। भारत से चिली पहुंचने में बहुत समय लगता है। हालाँकि, भारतीय संस्कृति की सुगंध लंबे समय से है। एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि योग वहां बेहद लोकप्रिय है। आपको यह जानकर प्रसन्नता होगी कि चिली की राजधानी सैंटियागो में 30 से अधिक योग विद्यालय हैं। चिली में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को भी धूमधाम से मनाया जाता है। मुझे बताया गया है कि योग दिवस के लिए हाउस ऑफ डेप्युटी उत्साह से भरी है। कोरोना के इन समय में, योग की शक्ति के माध्यम से प्रतिरक्षा और इसे मजबूत करने के तरीकों पर एक तनाव के साथ, अब वे योग को अधिक महत्व दे रहे हैं। चिली कांग्रेस, जो कि उनकी संसद है, ने एक प्रस्ताव पारित किया है। वहां, 4 नवंबर को राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में घोषित किया गया है। अब, आप सोच रहे होंगे कि, ४ नवंबर का दिन क्या खास है! 4 नवंबर 1962 को जोस राफेल एस्ट्राडा द्वारा चिली में पहला योग संस्थान स्थापित किया गया था। इस दिन को राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में घोषित करके, एस्ट्राडा जी को श्रद्धांजलि अर्पित की गई है। चिली की संसद द्वारा यह एक विशेष सम्मान है, जिस पर हर भारतीय गर्व करता है। वैसे, चिली की संसद के बारे में एक और पहलू है, जो आपको दिलचस्पी देगा। चिली सीनेट के उपाध्यक्ष का नाम रबींद्रनाथ क्विनटोस है। उनका नाम विश्व कवि गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर से प्रेरित होकर रखा गया है।
मेरे प्यारे देशवासियों, मेरा अनुरोध है कि जालौन, महाराष्ट्र के डॉ। स्वप्निल मन्त्री और पालकोट के केरल से प्रह्लाद राजगोपालन, MyGov पर केरल में मान की बात में 'सड़क सुरक्षा' पर बात करें। यह बहुत ही महीना है, 18 जनवरी से 17 फरवरी तक, हमारा देश सड़क सुरक्षा माह का पालन कर रहा है। न सिर्फ हमारे देश में बल्कि दुनिया भर में सड़क दुर्घटनाएं चिंता का विषय हैं। आज, भारत में, सरकार के साथ-साथ व्यक्तिगत और सामूहिक स्तर पर सड़क सुरक्षा के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। हम सभी को जीवन बचाने के इन प्रयासों में सक्रिय हितधारक बनना चाहिए।
दोस्तो, आपने देखा होगा कि बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन जिन रास्तों से गुजरता है, वहां कई नए नारे देखने को मिलते हैं। सड़कों पर सावधान रहने के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए is यह हाईवे नहीं रनवे है या ‘लेट मिस्टर लेट मिस्टर’ जैसे नारे काफी प्रभावी हैं। अब आप ऐसे नवीन नारे भी भेज सकते हैं या MyGov पर वाक्यांशों को पकड़ सकते हैं। इस अभियान में आप से भी अच्छे नारे लगवाए जाएंगे।दोस्तों, सड़क सुरक्षा के बारे में बोलते हुए, मैं कोलकाता के अपर्णा दास जी से NaMo ऐप पर प्राप्त एक पोस्ट का उल्लेख करना चाहूंगा। अपर्णा जी ने मुझे 'फस्टैग प्रोग्राम' पर बोलने के लिए कहा है। वह कहती हैं कि 'फस्टैग' के साथ यात्रा का अनुभव बदल गया है। यह न केवल यात्रा समय बचाता है; टोल प्लाजा पर रुकने, नकद भुगतान की चिंता जैसी समस्याएं भी खत्म हो गई हैं। अपर्णा जी भी सही हैं! पहले हमारे टोल प्लाजा को पार करने में एक वाहन को औसतन 7 से 8 मिनट लगते थे। हालाँकि, ag FASTag ’के उद्भव के बाद से, यह समय औसतन लगभग डेढ़ मिनट से 2 मिनट तक कम हो गया है। टोल प्लाजा पर इस कम प्रतीक्षा समय के कारण, ईंधन की भी बचत हो रही है। अनुमान है कि इससे हमारे देशवासियों के लगभग 21 हजार करोड़ रुपये बचेंगे। जिससे समय के साथ-साथ पैसे की भी बचत हो रही है। मैं आप सभी से आग्रह करता हूं कि सभी दिशा-निर्देशों का पालन करें, अपना ख्याल रखें और दूसरों की जिंदगी भी बचाएं।
दोस्तों, यह यहाँ कहा गया है- "जलबिंदु निपातेन क्रमशः पूर्यते घटः", जिसका अर्थ है कि बूंद से गिरा, बर्तन भर गया। हमारे हर एक प्रयास से हमारे संकल्प की प्राप्ति होती है। इसलिए, जिन लक्ष्यों के साथ हमने 2021 में शुरुआत की थी, हम सभी को मिलकर उन्हें पूरा करना होगा। आइए, इस वर्ष को सार्थक बनाने के लिए हम सब मिलकर काम करें। अपने संदेश, अपने विचार भेजते रहें। हम अगले महीने फिर मिलेंगे।
इति विदा पञ्चमिलनाय।
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