#कृषि विज्ञान
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ASC2023: 16वें कृषि विज्ञान कांग्रेस का होने जा रहा है आयोजन, जानिए कहां करें रजिस्ट्रेशन
इस बार क्या है 16वें कृषि विज्ञान कांग्रेस की थीम और क्या है ख़ास?
कृषि विज्ञान कांग्रेस का लक्ष्य दुनिया भर के प्रमुख शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं, छात्रों, किसानों, उद्यमियों जैसे वर्गों को एक साथ लाना है। ताकि वो कृषि-खाद्य प्रणालियों के सभी विषयों पर अपने शोध निष्कर्षों, विचारों और अनुभवों का एक दूसरे के साथ साझा कर सकें।
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16वां कृषि विज्ञान कांग्रेस (ASC) 10 से 13 अक्टूबर 2023 तक कोची में आयोजित होगा। राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी (National Academy of Agricultural Sciences), नई दिल्ली की ओर से ये कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। इसकी मेज़बानी भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्-केंद्रीय समुद्री मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान (ICAR-CMFRI) करेगा। इस बार कृषि विज्ञान कांग्रेस की थीम “सतत विकास लक्ष्यों (SDG) को प्राप्त करने के लिए कृषि-खाद्य प्रणालियों का परिवर्तन” पर केंद्रित है।
कृषि विज्ञान कांग्रेस का क्या है लक्ष्य?
कृषि विज्ञान कांग्रेस का लक्ष्य दुनिया भर के प्रमुख शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं, छात्रों, किसानों, उद्यमियों जैसे वर्गों को एक साथ लाना है। ताकि वो कृषि-खाद्य प्रणालियों के सभी विषयों पर अपने शोध निष्कर्षों, विचारों और अनुभवों का एक दूसरे के साथ साझा कर सकें।
इन्हीं सभी बातों को ध्यान में रखते हुए कृषि विज्ञान कांग्रेस में प्रतिनिधियों और प्रतिभागियों को कृषि और उससे जुड़े सभी विषयों के मुद्दों जैसे भूमि और पानी की स्थिरता, कृषि उत्पादन प्रणालियों, उत्पादों, कृषि मशीनरी, अर्थशास्त्र, नवीकरणीय और वैकल्पिक ऊर्जा, प्रिसिजन फार्मिंग, वैकल्पिक खेती प्रणाली, तटीय कृषि, आने वाली पीढ़ियों में प्रौद्योगिकियां जैसे विषयों पर अपने विचारों को रखने के लिए पर्याप्त अवसर दिया जाएगा।
इन विषयों पर होगी मुख्य चर्चा:
खाद्य एवं पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करना: उत्पादन, उपभोग और मूल्यवर्धन
टिकाऊ कृषि-खाद्य प्रणालियों के लिए जलवायु कार्रवाई
सीमांत विज्ञान और उभरती आनुवंशिक प्रौद्योगिकियाँ: जीनोम प्रजनन, जीन संपादन
खाद्य प्रणालियों का पशुधन आधारित परिवर्तन
खाद्य प्रणालियों का बागवानी आधारित परिवर्तन
जलीय कृषि एवं मत्स्य पालन आधारित खाद्य प्रणालियों का परिवर्तन
सतत कृषि-खाद्य प्रणालियों के लिए प्रकृति-आधारित समाधान
अगली पीढ़ी की प्रौद्योगिकियाँ: डिजिटल कृषि, सटीक खेती और एआई-आधारित प्रणालियाँ
कृषि-खाद्य प्रणालियों को बदलने के लिए नीतियां और संस्थान
अनुसंधान, शिक्षा और विकास के लिए अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी
और पढ़ें.....
#16th agricultural science congress#agricultural science#asc expo#asc2023#कृषि विज्ञान#कृषि विज्ञान कांग्रेस
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कृषि विज्ञान केंद्र, सगरोळी येथे २९ व ३१ जानेवारी २०२५ रोजी शेतकरी आणि मेकॅनिक्स कार्यशाळा नॅशनल इनोव्हेशन फाउंडेशन (NIF) - इंडिया यांच्या सहकार्याने आयोजित करण्यात आली. या कार्यक्रमात प्रमुख पाहुणे आणि मुख्य वक्ते म्हणून डॉ. राकेश माहेश्वरी (ज्येष्ठ वैज्ञानिक, NIF इंडिया) तसेच डॉ. प्रियांका खोले, आणि संतोष लोखंडे यांचा समावेश होता. या कार्यशाळेत शेतकरी, नवोपक्रमक, विद्यार्थी, कृषी तज्ज्ञ आणि स्थानिक उद्योजक/मेकॅनिक्स यांनी सहभाग घेतला. कार्यशाळेच्या अजेंड्यात समस्यांचे नवोपक्रमांमध्ये रूपांतर, बौद्धिक संपदा हक्क (IPR) समजून घेणे, कृषी क्षेत्रातील सुधारणा आणि विद्यार्थी व शेतकऱ्यांना प्रेरणा देणे यावर भर देण्यात आ��ा. यामधील मुख्य आकर्षण इनोव्हेशन प्रोजेक्ट स्पर्धा होती. नांदेड जिल्ह्यातील १००० हून अधिक शेतकऱ्यांना या कार्यशाळेचा लाभ झाला. या उपक्रमांतर्गत *क्रिषीवेद २०२५* मध्ये *नवोपक्रम तंत्रज्ञान प्रदर्शनी* आणि *नवोपक्रम प्रकल्प स्पर्धेचे* आयोजन करण्यात आले, आणि डॉ. राकेश माहेश्वरी यांनी मोलाचे मार्गदर्शन केले. या कार्यक्रमाचा समारोप इनोव्हेशन प्रोजेक्ट स्पर्धेद्वारे झाला, ज्यामध्ये उल्लेखनीय कल्पनांचे सादरीकरण करण्यात आले, यामुळे कृषी शिक्षण आणि नवोपक्रमाच्या सातत्यपूर्ण गरजेवर भर देण्यात आला. #कृषीविज्ञानकेंद्र #सगरोळी #शेतकरी #मेकॅनिक्स #कार्यशाळा #नॅशनल_इनोव्हेशन_फाउंडेशन #NIF #कृषिवेद_२०२५ #नवोपक्रम_तंत्रज्ञान_प्रदर्शनी #नवोपक्रम @narendramodi_pmoindia @gadkari.nitin
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कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा प्राकृतिक खेती योजना के अंतर्गत मंगलवार को जिला स्तरीय किसान कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में आसपास के गांवों के करीब 300 किसानों ने भाग लिया। इस अवसर पर कृषि उपनिदेशक डॉ.वीरेंद्र देव आर्य ,उपमंडल कृषि अधिकारी डॉ अजीत सिंह, डॉ. रेखा पशु विज्ञान केंद्र पलवल, कृषि अभियंता विजय यादव,एडीओ नैन्सी एवं रूबी, मनोहर लाल अटल भूजल योजना,रोहताश सिंह इफको,सुमित कुमार कुसुम योजना,ब्लॉक तकनीकी प्रबंधक सुंदर सिंह,अतुल कुमार शर्मा भी मौजूद थे।
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Jamshedpur rural darisai krishi vigyan Kendra : दारिसाई कृषि विज्ञान केंद्र कर्मी 10 फरवरी को केंद्र में करेंगे तालाबंदी. बकाया वेतन भुगतान की मांग को लेकर आंदोलन रत हैं कर्मचारी
गालूडीह : दारिसाई कृषि विज्ञान केंद्र के संविदा कर्मी और मजदूरों ने गुरुवार को उपायुक्त को ज्ञापन सौंप कर अपने बकाया वेतन भुगतान की मांग को लेकर केंद्र में तालाबंदी करने की सूचना दी है. मिली जानकारी के अनुसार दारिसाई कृषि विज्ञान केंद्र के मजदूर विगत पांच महीने से बकाया मजदूरी के भुगतान की मांग को लेकर हड़ताल पर हैं.(नीचे भी पढ़ें) मजदूरों ने बताया कि केंद्र निदेशक के कहा था कि 10 दिनों के अंदर…
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Price: [price_with_discount] (as of [price_update_date] - Details) [ad_1] डॉ. युवाल नोआ हरारी द्वारा लिखित किताब 'सेपियन्स' में मानव जाति के संपूर्ण इतिहास को अनूठे परिप्रेक्ष्य में अत्यंत सजीव ढंग से प्रस्तुत किया गया है। यह प्रस्तुतिकरण अपने आप में अद्वितीय है। प्रागैतिहासिक काल से लेकर आधुनिक युग तक मानव जाति के विकास की यात्रा के रोचक तथ्यों को लेखक ने शोध पर आधारित आँकडों के साथ इस तरह शब्दों में पिरोया है कि यह किताब निश्चित रूप से मॉर्डन क्लासिक किताबों की श्रेणी में शुमार होगी। करीब 100,000 साल पहले धरती पर मानव की कम से कम छह प्रजातियाँ बसती थीं, लेकिन आज स़िर्फ हम (होमो सेपियन्स) हैं। प्रभुत्व की इस जंग में आख़िर हमारी प्रजाति ने कैसे जीत हासिल की? हमारे भोजन खोजी पूर्वज शहरों और साम्राज्यों की स्थापना के लिए क्यों एकजुट हुए? कैसे हम ईश्वर, राष्ट्रों और मानवाधिकारों में विश्वास करने लगे? कैसे हम दौलत, किताबों और कानून में भरोसा करने लगे? और कैसे हम नौकरशाही, समय-सारणी और उपभोक्तावाद के गुलाम बन गए? आने वाले हज़ार वर्षों में हमारी दुनिया कैसी होगी? इस किताब में इन्हीं रोचक सवालों के जवाब समाहित हैं। 'सेपियन्स' में डॉ. युवाल नोआ हरारी ने मानव जाति के रहस्यों से भरे इतिहास का विस्तार से वर्णन किया है। इसमें धरती पर विचरण करने वाले पहले इंसानों से लेकर संज्ञानात्मक, कृषि और वैज्ञानिक क्रांतियों की प्रारम्भिक खोजों से लेकर विनाशकारी परिणामों तक को शामिल किया गया है। लेखक ने जीव-विज्ञान, मानवशास्त्र, जीवाश्म विज्ञान और अर्थशास्त्र के गहन ज्ञान के आधार पर इस रहस्य का अन्वेषण किया है कि इतिहास के प्रवाह ने आख़िर कैसे हमारे मानव समाजों, हमारे चारों ओर के प्राणियों और पौधों को आकार दिया है। यही नहीं, इसने हमारे व्यक्तित्व को भी कैसे प्रभावित किया है। From the Publisher Sapiens: Manav Jati ka Sankshipt Itihas (Hindi) Add to Cart Add to Cart Customer Reviews
4.5 out of 5 stars 485 3.4 out of 5 stars 11 Price ₹338.00₹338.00 ₹430.00₹430.00 Click & Buy ✓ ✓ Publisher : Manjul Publishing House; First Edition (1 January 2018); Manjul Publishing House Pvt. Ltd., 2nd Floor, Usha Preet Complex, 42 Malviya Nagar, Bhopal - 462003 - India Language : Hindi Paperback : 454 pages ISBN-10 : 9388241177 ISBN-13 : 978-9388241175 Item Weight : 440 g Dimensions : 20 x 14 x 4 cm Country of Origin : India Net Quantity : 1 Count Importer : Manjul Publishing House Pvt Ltd., C-16, Sector-3, Noida - 201301 (UP) Packer : Manjul Publishing House Pvt Ltd., C-16, Sector-3, Noida - 201301 (UP) Generic Name : Book [ad_2]
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🔬✨ Exploring Copper Sulfate: Uses, Benefits & Applications! ✨🔬 In this video, we dive into the fascinating world of Copper Sulfate (CuSO₄), a versatile chemical compound with a wide range of applications across industries and even in medicine. 🌍💡 🎥 What You’ll Learn: 1️⃣ Uses in Agriculture: Learn how copper sulfate acts as a key ingredient in fungicides and pesticides to protect crops. 🌾 Its role in improving soil health and combating algae in water bodies. 🌿 2️⃣ Medicinal Applications: Discover how copper sulfate is used in treating fungal infections like athlete's foot. Its historical use as an antiseptic and in wound care. 3️⃣ Industrial and Everyday Uses: Explore its use in metal plating, as a coloring agent in dyes, and as an essential component in laboratory experiments. Fun fact: It’s also used to create stunning crystal formations! 💎 ⚠️ Safety Tips: Copper sulfate can be toxic if misused! Always handle with care and follow safety guidelines. 👉 Why Watch? Whether you’re a student, farmer, scientist, or just curious about chemistry, this video will enrich your understanding of this incredible compound. 📌 Don’t forget to like, comment, and subscribe for more exciting educational content! Hit the bell icon 🔔 for updates on our latest videos. Copper sulfate uses Copper sulfate in agriculture Copper sulfate medicinal uses Benefits of copper sulfate Applications of copper sulfate Fungicide copper sulfate Copper sulfate in water treatment Industrial uses of copper sulfate Copper sulfate in medicine Chemistry of copper sulfate Safe handling of copper sulfate Copper sulfate crystals Copper sulfate for beginners Antifungal properties of copper sulfate Copper sulfate in daily life 🔬✨ कॉपर सल्फेट की खोज: उपयोग, लाभ और अनुप्रयोग! ✨🔬 इस वीडियो में, हम कॉपर सल्फेट (CuSO₄) की आकर्षक दुनिया के बारे में जानेंगे, जो एक बहुमुखी रासायनिक यौगिक है जिसका विभिन्न उद्योगों और यहां तक कि चिकित्सा में भी व्यापक अनुप्रयोग है। 🌍💡 🎥 आप क्या सीखेंगे: 1️⃣ कृषि में उपयोग: जानें कि कैसे कॉपर सल्फेट फसलों की सुरक्षा के लिए कवकनाशी और कीटनाशकों में एक प्रमुख घटक के रूप में कार्य करता है। 🌾 मृदा ��्वास्थ्य में सुधार और जल निकायों में शैवाल से निपटने में इसकी भूमिका। 🌿 2️⃣ औषधीय अनुप्रयोग: पता लगाएं कि एथलीट फुट जैसे फंगल संक्रमण के इलाज में कॉपर सल्फेट का उपयोग कैसे किया जाता है। एंटीसेप्टिक और घाव की देखभाल में इसका ऐतिहासिक उपयोग। 3️⃣ औद्योगिक और रोजमर्रा के उपयोग: धातु चढ़ाना में, रंगों में रंग भरने वाले एजेंट के रूप में, और प्रयोगशाला प्रयोगों में एक आवश्यक घटक के रूप में इसके उपयोग का पता लगाएं। मज़ेदार तथ्य: इसका उपयोग आश्चर्यजनक क्रिस्टल संरचनाएँ बनाने के लिए भी किया जाता है! 💎 ⚠️ सुरक्षा युक्तियाँ: अगर दुरुपयोग किया जाए तो कॉपर सल्फेट जहरीला हो सकता है! हमेशा सावधानी से संभालें और सुरक्षा दिशानिर्देशों का पालन करें। 👉 क्यों देखें? चाहे आप छात्र हों, किसान हों, वैज्ञानिक हों, या केवल रसायन विज्ञान के बारे में उत्सुक हों, यह वीडियो इस अविश्वसनीय यौगिक के बारे में आपकी समझ को समृद्ध करेगा। 📌 अधिक रोमांचक शैक्षिक सामग्री के लिए लाइक, कमेंट और सब्सक्राइब करना न भूलें! हमारे नवीनतम वीडियो पर अपडेट के लिए घंटी आइकन 🔔 दबाएं। कॉपर सल्फेट का उपयोग कृषि में कॉपर सल्फेट कॉपर सल्फेट औषधीय उपयोग कॉपर सल्फेट के फायदे कॉपर सल्फेट का अनुप्रयोग कवकनाशी कॉपर सल्फेट जल उपचार में कॉपर सल्फेट कॉपर सल्फेट का औद्योगिक उपयोग औषधि में कॉपर सल्फेट कॉपर सल्फेट का रसायन #CopperSulfate #ChemistryFacts #EducationalVideo #AgricultureTips #MedicinalUses #ScienceExplained #LearnWithUs #IndustrialApplications #CopperSulfate #ChemistryFacts #MedicinalUses #AgricultureTips #IndustrialChemicals #ScienceExplained #Fungicide #WaterTreatment #EducationalVideo #ChemistryLovers #CrystalFormation #ScienceEducation #ChemicalUses #CopperSulfateBenefits #LearnWithUs आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ और मसाले Trustherb.com पर ऑनलाइन खरीदें For more details click on below link https://trustherb.com/product/tutia/ Like and subscribe and follow our Below pages. Facebook Id / trustherb.com / trustherb.india Youtube / @trustherb CONTACT US:- E-mail ID [email protected] , WhatsApp: 0091-8890166645, www.TrustHerb.com
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*पीएमश्री सादुल उच्च माध्यमिक विद्यालय के बच्चों ने जानी कृषि अनुसंधान से जुड़ी जानकारियां*
बीकानेर, 16 जनवरी। पीएमश्री राजकीय सादुल उच्च माध्यमिक विद्यालय के विद्यार्थियों के लिए हरित विद्यालय गतिविधि के तहत फील्ड विजिट कार्यक्रम हुआ। कार्यक्रम प्रभारी भुवनेश सांखला ने बताया कि फील्ड विजिट के तहत कृषि विज्ञान केन्द्र, कृषि अनुसंधान केन्द्र और शुष्क बागवानी केंद्र का भ्रमण करवाया गया। वरिष्ठ शिक्षक सुभाष जोशी ने बताया कि प्रधानाचार्य यशपाल पंवार ने बसों को रवाना किया। इस दौरान अध्यापक…
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कैसे एक तकनीकी विशेषज्ञ का ड्रैगन फ्रूट व्यवसाय प्रति वर्ष 20 लाख रुपये कमाता है
चेन्नई में कंप्यूटर विज्ञान में इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान, अंशुल मिश्रा (28) ने अपनी जड़ों की ओर लौटने और किसान बनने की इच्छा जताई – जो उनके साथियों के बीच एक अपरंपरागत सपना था। अपने कॉलेज के तीसरे वर्ष के दौरान, अंशुल ने कृषि के बारे में जानना शुरू किया और अपने पिता, आदित्य मिश्रा, जो पेशे से शिक्षक थे, के साथ लंबी चर्चा की। अंशुल के पिता बताते हैं कि उन्हें इस बात का कोई मलाल नहीं है कि…
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बदला ढंग, आमदनी बढ़ी तो जिंदगी में छाए रंग
योगी सरकार में यूपी में आधुनिक खेती के तरीके अपना कर किसान दोगुनी आमदनी कर रहे हैं। वहीं किसान कल्याण योजनाओं की वजह से यूपी में कृषि विकास रफ्तार पकड़ रहा है। शायद इसी वजह से पिछले सात वर्षों में उत्तर प्रदेश में न्यूनतम समर्थन मूल्य में लगातार बढ़ोतरी हुई है। परिणामस्वरूप प्रदेश में फसलों की सरकारी खरीद के नए-नए कीर्तमान बन रहे हैं।
किसानों को बदलहाली के दौर से निकालने के लिए मुख्यमंत्री बनते ही योगी आदित्यनाथ ने यूपी में किसान कल्याण की तमाम योजनाएं लागू की। जिसकी वजह से यूपी में कृषि विकास के साथ किसानों की आर्थिक हालात में सुधार हुआ। अपनी पहली कैबिनेट बैठक में वर्ष 2017 में योगी आदित्यनाथ की सरकार ने किसानों का एक लाख रुपये तक का कर्ज माफी का फैसला लिया था। प्रदेश सरकार के इस फैसले से 86 लाख लघु-सीमांत किसानों को कर्ज माफी का लाभ मिला। वहीं, किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य पाने के लिए प्रयासों का असर भी अब दिखने लगा है। योगी सरकार के इन फैसलों से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार होने के साथ ही किसानों ने आत्मनिर्भरता की ओर भी कदम बढ़ाए। इसके पीछे ��ूपी में किसान कल्याण योजनाएं ज्यादा असरदार साबित हुई।
न्यूनतम समर्थन मूल्य में लगातार वृद्धि की वजह से गेहूं व धान के अलावा मक्का, दलहन व तिलहन की सरकारी खरीद बढ़ी और बाजार में किसानों को बेहतर दाम मिले। सरकारी क्रय केंद्रों पर रजिस्ट्रेशन कराने जैसी औपचारिकताएं तो बढ़ी है, लेकिन इससे किसानों के खातों में विभिन्न योजनाओं के तहत करीब 1803 करोड़ रुपये का अनुदान के रूप में पहुंचा ।कृषि उपज की बिक्री के लिए मंडियों की उपयोगिता और अधिक बढ़ी है।
योगी सरकार ने यूपी में आधुनिक खेती के तरीके के प्रमोशन के लिए तकनीक से कृषि विकास को रफ्तार देने का अभियान चलाया। प्रदेश के किसानों को खेती -किसानी संबंधी नवीनतम जानकारियां व तकनीकी लाभ उनके करीब में उपलब्ध कराने के लिए किसान पाठशालाओं का आयोजन किया गया। किसान पाठशालाओं के माध्यम से प्रदेश के 55 लाख किसानों को प्रशिक्षित किया गया। इसी प्रकार प्रदेश में 20 नए कृषि विज्ञान केंद्रों की स्थापना की गई। कृषि क्षेत्र में सौर ऊर्जा के अधिकतम उपयोग को बढ़ावा देने के लिए 50 हजार से अधिक सोलर पंप लगाने का काम किया।
कुसुम योजना के माध्यम से किसानों को नलकूप के कनेक्शन प्रदान किए गए। जिससे प्रदेश में सिंचित खेती का रकबा बढ़ा। सरकार किसानों को गेहूं और धान की परंपरागत खेती के स्थान पर बहुफसली खेती की पद्धति अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। इससे भी किसानों की आमदनी सुधारने में अहम भूमिका निभाई। मृदा स्वास्थ्य कार्ड , प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, कृषि सिंचाई, किसान सम्मान निधि जैसी यूपी में किसान कल्याण योजनाएं भी इसमें बहुत सहायक हुईं। जिसके परिणामस्वरूप कुछ वर्षों में ही किसानों को उनकी लागत का डेढ़ गुना दाम मिलना प्रारंभ हुआ।
बुंदेलखंड के किसानों के लिए जलवायु की अनुकूलता के मुताबिक औषधीय खेती और बागवानी से भी जोड़ा गया। सीमैप के माध्यम से संगीधय और ���षधीय पौधों की खेती के लिए किसानों को प्रशिक्षित किया गया और उनको प्रशिक्षित भी किया। इसके अलावा उनके हर्बल उत्पादों की मार्केटिंग भी की गई। किसानों को कारोबारी एवं उद्यमशील बनाकर प्रशिक्षित किया गया। इससे उन्हें कृषि उत्पाद का कई गुना दाम मिल रहा है।
बीते वर्ष अगस्त 2023 में पूर्वांचल के वाराणसी एयरपोर्ट से खाड़ी देशों के लिए 91 मीट्रिक टन फल और सब्जियों का निर्यात किया गया। पहली बार पूर्वांचल के गाजीपुर के केले के फल, फूल और पत्ते निर्यात हो रहे हैं जबकि पहले ये दक्षिण भारत से ही निर्यात होता था. इसके अलावाअब पहली बार अमड़ा और करौंदा खाड़ी देशों के लिए निर्यात किया गया ।
सरकार की किसान कल्याण योजनाओं के क्रियान्वयन का परिणाम है कि उत्तरप्रदेश कुल कृषि योग्य भूमि में 24% शेयर अकेले इन औद्यानिक कृषि फसलों के माध्यम से किसानों और प्रदेश को प्राप्त होता है। खाद्यान्न उत्पादन में 20 प्रतिशत का योगदान उत्तर प्रदेश करता है। ऑर्गेनिक खेती में भी उत्तर प्रदेश के किसानों की भागीदारी 24 प्रतिशत हैं।
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Seed Production: बीज उत्पादन का ऐसा मॉडल कि खरीदारी की समस्या भी हुई हल, कृषि विज्ञान केन्द्र ने की पहल
सहभागी बीज उत्पादन से किसानों को हुआ फ़ायदा
बीज अच्छा होगा तो फसल भी अच्छी होगी। कई बार किसानों को समय पर उन्नत बीज न मिलने की वजह से नुकसान झेलना पड़ता है। बीजों की उपलब्धता बनी रहे इसके लिए हिरेहल्ली के कृषि विज्ञान केन्द्र ने सहभागी बीज उत्पादन (Participatory Seed Production) के ज़रिए इस समस्या का हल निकाला।
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जब किसानों को अच्छी गुणवत्ता के बीज मिलेंगे, तो फसल का उत्पादन अधिक होगा और जब उत्पादन अधिक होगा तो ज़ाहिर सी बात है कि उनकी आमदनी बढ़ेगी। भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान जैसी संस्थाएं समय-समय पर सब्ज़ियों के बीज की उन्नत किस्में विकसित करती रहती है। पर कई बार किसानों को पर्याप्त मात्रा में उन्नत बीज उपलब्ध नहीं हो पाते।
किसानों की ज़रूरत को पूरा करना सिर्फ़ कृषि विज्ञान केन्द्र (KVK) के लिए भी संभव नहीं है, ऐसे में कृषि विज्ञान केन्द्र, हिरेहल्ली ने तुमकूर ज़िले के कई किसानों को साथ लेकर सहभागी बीज उत्पादन (Seed Production) की योजना बनाई। इससे किसानों को फ़ायदा हुआ।
क्या है सहभागी बीज उत्पादन (Participatory Seed Production)
कर्नाटक के तुमकूर ज़िले के किसानों को सब्ज़ियों व अन्य फसलों के उन्नत बीज उपबल्ध कराने के लिए कृषि विज्ञान केन्द्र, हिरेहल्ली इस योजना की शुरुआत की, जिसने धीरे-धीरे किसानों का रुझान बीज उत्पादन गतिविधियों में बढ़ाया और जिसका फ़ायदा राज्य के बढ़े हुए उत्पादन के रूप में सामने आया। इस योजना के तहत ज़िले के किसान वीरक्यथारायप्पा ने बीज उत्पादन शुरू किया। पहले वो 5 एकड़ खेत में धान, रागी, लाल चना जैसी ��ारंपरिक फसलों का उत्पादन करते थे, लेकिन KVK की सलाह पर बीज उत्पादन करना शुरू कर दिया।
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इन बीजों का कर रहे उत्पादन
कृषि विज्ञान केन्द्र के अधिकारियों की निगरानी में बीज उत्पादन किया गया। बाकायदा किसानों व कृषि विज्ञान केन्द्र की बीच बीज गुणवत्ता और खरीद जैसे कई विषयों पर एग्रीमन्ट हुआ। इसके तहत किसान द्वारा तैयार बीज को कृषि विज्ञान केन्द्र खरीदेगा और फिर उसे अन्य किसानों को बेचा जाएगा। पहले साल में वीरक्यथारायप्पा ने कॉटन हाइब्रिड, रागी की ML-365 किस्म, ओकरा की अर्का अनामिका और तुरई की अर्का प्रसन्ना किस्म के बीजों का उत्पादन किया।
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#KrishiVigyanKendra#KrishiVigyanKendraHirehalli#ParticipatorySeedProduction#SeedProductionBusiness#SeedProductionSchemes#SeedProductionTechniques#कृषि विज्ञान केन्द्र#बीज उत्पादन
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Odisha: CM माझी की किसानों सौगात, 800 रुपए धान के मिलेंगे अतिरिक्त
ओड़िशा। CM मोहन चरण माझी आज बरगढ़ जिले के सोहेला में आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए. वहां उन्होंने ओडिशा के किसानों के बैंक खातों में प्रति क्विंटल 800 रुपये की अतिरिक्त इनपुट सहायता राशि जारी की है. इस कार्यक्रम में उप CM और कृषि एवं किसान सशक्तिकरण मंत्री कनक वर्धन सिंह देव, राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री सुरेश पुजारी, खाद्य आपूर्ति और उपभोक्ता कल्याण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री कृष्ण चंद्र…
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#कृषिवेद_२०२५ जागर कृषि समृद्धीचा... कृषि तंत्रज्ञान महोत्सव - २०२५, कृषि मेळावा आणि प्रदर्शनी, दि. २९, ३० आणि ३१ जानेवारी २०२५ स्थळ: संस्कृति संवर्धन मंडळ, कृषि विज्ञान केंद्र, सगरोळी ता. बिलोली जि. नांदेड #KrushiVed_2025 #कृषिवेद_२०२५ #ai_तंत्रज्ञानाचे_प्रात्यक्षिक #कृषि_मेळावा #कृषि_प्रदर्शनी #कृषि_तंत्रज्ञान_महोत्सव_२०२५ #कृषि_विज्ञान_केंद्र_सगरोळी #नांदेड #दादा_लाड_कापूस_तंत्रज्ञान #नैसर्गिक_शेती #नाविन्यपूर्ण_कृषि_प्रकल्प_स्��र्धा
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झाड़ियों में मिली युवती की अर्धनग्न लाश, सिर पाया गया धड़ से अलग; पूरे इलाके में मची सनसनी
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में स्थित कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) कैंपस के पास एक युवती की अर्धनग्न और सड़ी-गली हालत में लाश मिलने से इलाके में हड़कंप मच गया है। लाश का सिर धड़ से अलग पाया गया, और शव के कपड़े झाड़ियों में बिखरे हुए मिले। इस जघन्य घटना ने हत्या की आशंका को और गहरा कर दिया है। झाड़ियों से आई बदबू ने खोला मामला घटना सुकमा के सिटी कोतवाली थाना क्षेत्र की है। मंगलवार को…
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jamshedpur rural-प्रशिक्षण के बाद किसानों के बीच हुआ सरसों बीज का वितरण
गालूडीह: गालूडीह थाना क्षेत्र के कृषि विज्ञान केंद्र दारिसाई में शनिवार को किसानों को सरसों की उन्नत खेती का प्रशिक्षण दिया गया. कृषि वैज्ञानिक भूषण प्रसाद और गोन्द्रा मार्डी ने उच्च गुणवत्ता वाले आर एच-761 किस्म की जानकारी दी. कहा कि किसानों को धान फसल के बाद सरसों की खेती जरूर करनी चाहिए. सरसों जल्दी पकने के साथ कम लागत में अधिक उत्पादन देती है. सही बीज का चयन ही खेती की सफलता का महत्वपूर्ण…
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बंपर उत्पादन: गेहूं में यूरिया कितने दिन बाद देना चाहिए? जाने कृषि वैज्ञानिकों की सलाह
Gehu Ki Kheti: देश में रबी फसलों की बुवाई का काम तक़रीबन पूरा हो चुका है। विशेष रूप से कम पानी वाले क्षेत्रों में गेहूं, चना और मसूर जैसी फसलों की बुवाई नवंबर के शुरुआती दिनों में ही हो चुकी है। अब फसलों की बेहतर वृद्धि और अधिक उत्पादन के लिए उर्वरकों का सही समय पर छिड़काव करना सबसे जरूरी है। ताकि किसान भाई बढ़िया पैदावार लें सकें। इस विषय में सागर कृषि विज्ञान केंद्र के प्रधान वैज्ञानिक डॉ.…
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