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#कुबेर देव
iskconchd · 4 months
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*अक्षय तृतीया* / *चंदन यात्रा* _10th May 2024, Friday_ महत्व और इस दिन की कुछ महत्वपूर्ण जानकारियाँ : *चंदन यात्रा* : अक्षय तृतीया से शुरू होकर 21 दिनों तक, गर्मी के कारण, भगवान पर चंदन का लेप किया जाता है। श्री माधवेंद्र पूरी को स्वयं भगवान से आदेश प्राप्त हुए और यह सेवा तब से *चंदन यात्रा* के नाम से जानी जाती है। 1) *भगवान परशुराम* का आविर्भाव हुआ था इसीलिए आज परशुराम जयंती भी है। 2) *माँ गंगा* का धरती अवतरण हुआ था। 3) *त्रेता युग* का प्रारंभ। 4) *सुदामा* का द्वारका में कृष्ण से मिलन। 5) सूर्य भगवान ने पांडवों को *अक्षय पात्र* दिया। 6) वेदव्यास जी ने *महाकाव्य महाभारत की रचना* गणेश जी के माध्यम से *प्रारम्भ की थी।* 7) प्रथम तीर्थंकर *आदिनाथ ऋषभदेवजी भगवान* के 13 महीने का कठिन उपवास का *पारणा इक्षु (गन्ने) के रस से किया* था। 8) प्रसिद्ध धाम *श्री बद्री नारायण धाम* के कपाट खोले जाते है। 9) *जगन्नाथ भगवान* के सभी *रथों को बनाना प्रारम्भ* किया जाता है। आदि शंकराचार्य ने *कनकधारा स्तोत्र* की रचना की थी। 10) *कुबेर* को खजाना मिला और देव खजांची बनें। 11) *माँ अन्नपूर्णा* का प्राकट्य। 🕉 *अक्षय* का मतलब है जिसका कभी क्षय (नाश) न हो!! अक्षय तृतीया अपने आप में स्वयं सिद्ध मुहूर्त है कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है...! May this day of "AKSHAYA TRITIYA" bring you spiritual Success and Prosperity which never diminishes !! 🙏🏻 हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।। #krishna #iskcon #motivation #success #love #innovation #education #future #india #creativity #inspiration #life #quotes #Chandigarh #Devotion
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jeevanjali · 14 days
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Money Vastu Tips: घर में हमेशा रहती है पैसों की तंगी? तो करें इन कुबेर मंत्र का जापKuber Dev Ke Mantra In Hindi: शास्त्रों के अनुसार भगवान कुबेर को धन का देवता माना जाता है। कुबेर देव की पूजा करने से धन संबंधी परेशानियां दूर होती हैं। उनके मंत्रों का जाप करने से दरिद्रता दूर होती है और घर में धन का आगमन बढ़ता है।
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brijkerasiya · 1 month
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श्री कुबेर चालीसा हिंदी अर्थ सहित (Shree Kuber Chalisa with Hindi Meaning)
श्री कुबेर चालीसा विडियो श्री कुबेर चालीसा (Shree Kuber Chalisa) ॥ दोहा ॥ विघ्न हरण मंगल करण, सुनो शरणागत की टेर। भक्त हेतु वितरण करो, धन माया के ढ़ेर॥ जैसे अ���ल हिमालय, और जैसे अडिग सुमेर। ऐसे ही स्वर्ग द्वार पै, अविचल खड़े कुबेर॥ ॥ चौपाई ॥ जय जय जय श्री कुबेर भण्डारी, धन माया के तुम अधिकारी। तप तेज पुंज निर्भय भय हारी, पवन वेग सम सम तनु बलधारी। स्वर्ग द्वार की करें पहरे दारी, सेवक इन्द्र देव के…
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hanumanchalisapdfnow · 4 months
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Hanuman Chalisa Hindi Lyrics PDF Download - हनुमान चालीसा
दोहा
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि। बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार। बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।
चौपाई
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥१॥
राम दूत अतुलित बल ��ामा अंजनि पुत्र पवनसुत नामा ॥२॥
महाबीर बिक्रम बजरंगी कुमति निवार सुमति के संगी ॥३॥
कंचन बरन बिराज सुबेसा कानन कुंडल कुँचित केसा ॥४॥
हाथ बज्र अरु ध्वजा बिराजे काँधे मूँज जनेऊ साजे ॥५॥
शंकर सुवन केसरी नंदन तेज प्रताप महा जगवंदन ॥६॥
विद्यावान गुनी अति चातुर राम काज करिबे को आतुर ॥७॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया राम लखन सीता मनबसिया ॥८॥
सूक्ष्म रूप धरि सियहि दिखावा विकट रूप धरि लंक जरावा ॥९॥
भीम रूप धरि असुर सँहारे रामचंद्र के काज सवाँरे ॥१०॥
लाय सजीवन लखन जियाए श्री रघुबीर हरषि उर लाए ॥११॥
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई तुम मम प्रिय भरत-हि सम भाई ॥१२॥
सहस बदन तुम्हरो जस गावै अस कहि श्रीपति कंठ लगावै ॥१३॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा नारद सारद सहित अहीसा ॥१४॥
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते कवि कोविद कहि सके कहाँ ते ॥१५॥
तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा राम मिलाय राज पद दीन्हा ॥१६॥
तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना लंकेश्वर भये सब जग जाना ॥१७॥
जुग सहस्त्र जोजन पर भानू लिल्यो ताहि मधुर फ़ल जानू ॥१८॥
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही जलधि लाँघि गए अचरज नाही ॥१९॥
दुर्गम काज जगत के जेते सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ॥२०॥
राम दुआरे तुम रखवारे होत ना आज्ञा बिनु पैसारे ॥२१॥
सब सुख लहैं तुम्हारी सरना तुम रक्षक काहु को डरना ॥२२॥
आपन तेज सम्हारो आपै तीनों लोक हाँक तै कापै ॥२३॥
भूत पिशाच निकट नहि आवै महावीर जब नाम सुनावै ॥२४॥
नासै रोग हरे सब पीरा जपत निरंतर हनुमत बीरा ॥२५॥
संकट तै हनुमान छुडावै मन क्रम वचन ध्यान जो लावै ॥२६॥
सब पर राम तपस्वी राजा तिनके काज सकल तुम साजा ॥२७॥
और मनोरथ जो कोई लावै सोई अमित जीवन फल पावै ॥२८॥
चारों जुग परताप तुम्हारा है परसिद्ध जगत उजियारा ॥२९॥
साधु संत के तुम रखवारे असुर निकंदन राम दुलारे ॥३०॥
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता अस बर दीन जानकी माता ॥३१॥
राम रसायन तुम्हरे पासा सदा रहो रघुपति के दासा ॥३२॥
तुम्हरे भजन राम को पावै जनम जनम के दुख बिसरावै ॥३३॥
अंतकाल रघुवरपुर जाई जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई ॥३४॥
और देवता चित्त ना धरई हनुमत सेई सर्व सुख करई ॥३५॥
संकट कटै मिटै सब पीरा जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥३६॥
जै जै जै हनुमान गुसाईँ कृपा करहु गुरु देव की नाई ॥३७॥
जो सत बार पाठ कर कोई छूटहि बंदि महा सुख होई ॥३८॥
जो यह पढ़े हनुमान चालीसा होय सिद्ध साखी गौरीसा ॥३९॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा कीजै नाथ हृदय मह डेरा ॥४०॥
दोहा
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप। राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।
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pradeepdasblog · 8 months
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( #Muktibodh_part178 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#MuktiBodh_Part179
हम पढ़ रहे है पुस्तक "मुक्तिबोध"
पेज नंबर 343-344
‘‘धर्मदास वचन’’
◆ पारख के अंग की वाणी नं. 989-994 का सरलार्थ :- धर्मदास जी श्री विष्णु जी के भक्त थे। शिव जी की भी भक्ति करते थे। परमात्मा इन्हीं को मानते थे। फिर लोकवेद के आधार से परमात्मा को निराकार भी कहते थे। इसी आधार पर धर्मदास जी ने परमात्मा से प्रश्न किया कि आपका नाद-बिन्द यानि माता-पिता से उत्पन्न शरीर प्रत्यक्ष दिखाई दे रहा है। आप खाते-पीते हो, बोलते, चलते हो। आप अपने को परमेश्वर भी कह रहे हो। परमात्मा तो निराकार है। वह दिखाई नहीं देता। हे जगदीश! मुझे यह (भेद) रहस्य समझाईए। आपने सृष्टि की रचना कैसे की? कैसे चाँद व सूर्य उत्पन्न किए? कैसे नदी, पहाड़, पानी, पवन, पृथ्वी, आकाश की रचना की? आप कितनी कला के प्रभु हैं? जैसे श्री विष्णु जी सोलह कला के प्रभु हैं। आप कैसे सर्वव्यापक हैं? कैसे सबसे (न्��ारे) भिन्न हो? धरती पर चलते हो। परंतु
आकाश में कैसे चलते हो? यह सब ज्ञान मुझे बताएँ।
जिंदा वेशधारी कबीर परमेश्वर जी ने कहा कि :-
◆पारख के अंग की वाणी नं. 995.1000 :-
बोलत जिंद अबंध, सकल घट साहिब सोई।
निर्वानी निजरूप, सकल सें न्यारा होई।।995।।
हमही राम रहीम, करीम पूर्ण कर्तारा। हमही बांधे सेतु, चढे संग पदम अठारा।।996।।
हमही रावण मारा, लंक पर करी चढाई।
हमही दशशिर मारि, देवता बंधि छुटाई।।997।।
हमरी शक्ति से सीता सती, जती लक्ष्मण हनुमाना।
हमही कलप उठाय, करत हम ही क्षैमानां।।998।।
बलि कै हम बावन रूप, इन्द्र और बरूण कुबेरं।
हमही से हैं धर्मराय, अदलि करि सृष्टि सुमेरं।। 999।।
दोहा-छिन में धरती पग धरौं, नादैं सष्टि संजोग। पद अमान न्यारा रहूं, इस बिधि दुनी बिजोग।। 1000।।
‘‘परमेश्वर कबीर वचन’’
◆ पारख के अंग की वाणी नं. 995-1000 का सरलार्थ :- जिन्दा वेशधारी परमेश्वर कबीर जी ने कहा कि हे धर्मदास! मैं असँख्य कला का करतार हूँ। मेरा शरीर पाँच तत्त्व से नहीं
बना है। मैंने अपनी वचन शक्ति से सब चाँद-सूर्य, तारे, ग्रह, ब्रह्माण्ड, नदी-पानी, पवन, धरती, आकाश व पहाड़ तथा वनस्पति की रचना की है। {जैसे वैज्ञानिक वायुयान को बनाकर उसके ऊपर सवार होकर आकाश में घूमता है। जैसे रॉकेट वैज्ञानिकों ने बनाया। उसे आकाश में छोड़ा। वह कई वर्षों तक आकाश में उड़ता रहता है। वैज्ञानिक इन दोनों (विमान तथा रॉकेट) से भिन्न भी रिमोट शक्ति से रॉकेट को कंट्रोल भी करता है। मैं पूर्ण
परमेश्वर हूँ।} मेरे द्वारा बनाए नियम के आधार से रावण व रामचन्द्र की उत्पत्ति हुई। उनका युद्ध पूर्व निर्धारित संस्कार से हुआ था। मैंने रामचन्द्र के पूर्व जन्म के संस्कार के कारण उसकी गुप्त सहायता की थी। समुद्र पर पुल मैंने अपनी शक्ति से पत्थर हल्के करके
बनवाया था। रावण को गुप्त रूप से मैंने मारा था। रामचन्द्र अंदर से थक चुका था। मेरी शक्ति से सीता सती धर्म पर कायम रही। हनुमान में मेरी शक्ति ने काम किया जिसके कारण द्रोणागिरी को उठाकर उड़कर लाया था। हनुमान जी महाबली तो थे। बलवान व्यक्ति अधिक भार उठाकर पृथ्वी पर तो शारीरिक बल से चल सकता है, उड़ नहीं सकता।
लक्ष्मण की रक्षा करनी थी। इसलिए हनुमान जी में आध्यात्मिक शक्ति (उड़ने की सिद्धि) मैंने प्रवेश की थी। सीता की खोज के समय समुद्र पार उड़कर गया था। यह भी शक्ति मैंने
गुप्त रूप में दी थी। इन दो घटनाओं के अतिरिक्त हनुमान जी कभी आकाश में नहीं उड़े।
राजा बली की अश्वमेघ यज्ञ में हम ही बावना रूप बनाकर गए थे। मेरे विधान से भक्ति के कारण वरूण (जल का देवता) तथा कुबेर (धन का देव) की पदवी प्राप्त हैं। हमारे से ही धर्मराय (काल का न्यायधीश) विद्यमान है। मैं एक (छिन) क्षण में सतलोक से आकर पृथ्वी के ऊपर (पग) पैर रख देता हूँ तथा दूसरे (छिन) क्षण में (न्यारा) पृथ्वी से भिन्न होकर सतलोक (जो सोलह शंख कोस की दूरी पर है, वहाँ) चला जाता हूँ। इस प्रकार मैं सृष्टि से न्यारा हूँ। (नादै) वचन से सृष्टि की उत्पत्ति कर देता हूँ।
◆ पारख के अंग की वाणी नं. 1000-1005 :-
बोलत है धर्मदास, जिंद जननी को थारी।
कौंन पिता परवेश, कौन गति रहनि अधारी।।1001।।
क्यौं उतरे कलि मांहि, कहौ सभ भेद बिचारा।
तुम निज पूरण ब्रह्म, कहां अन्न पान अहारा।।1002।।
कौन कुली कर्तार, कौन है बंश बिनांनी।
शब्द रूप सर्बंग, कहांसैं बोलत बानी।।1003।।
कौन देह सनेह, नयन मुख नासा नेहा। तुम दीखत हौ मनुष्य, कौन बिधि जिंद बिदेहा।।1004।।
कौन तुम्हारा धाम, नाम सुमरन क्या कहिये।
तुम व्यापक कलिमांहि, कहौ कहां साहिब रहिये।।1005।।
‘‘धर्मदास वचन’’
◆ पारख के अंग की वाणी नं. 1001-1005 का सरलार्थ :- धर्मदास ने पुनः प्रश्न किया कि हे जिन्दा! ऊपर जहाँ आप रहते हो, वहाँ आपकी जननी का क्या नाम है? पिता का क्या
नाम है? आप यदि ऊपर रहते हो तो पृथ्वी के ऊपर किसलिए आए हो? यदि आप (निज) वास्तव में पूर्ण ब्रह्म हैं तो आप ऊपर आकाश में अन्न-पानी का आहार कहाँ से करते हो?
आप कौन से कुल के प्रभु हो? जैसे विष्णु के अवतार हो या शिव के गण हो? यदि आपके सब अंग शब्द रूप हैं तो बोल कैसे रहे हो? आप तो मनुष्य दिखाई देते हो। आप परमात्मा कैसे हो सकते हो? आपका (धाम) लोक कौन-सा है? स्मरण का नाम क्या है? आप अपने को सर्वव्यापक कह रहे हो और एक स्थान पर भी रहते हो। कृपया समझाइए।
परमेश्वर कबीर जी ने कहा कि :-
◆ पारख के अंग की वाणी नं. 1006-1012 :-
दोहा-गगन शून्य में हम रहें, व्यापक सबही ठौर।
हृदय रहनि हमार है, फूल पान फल मौर।।1006।।
जिंद कहै धर्मदास, सुनौं सतगुरू की बानी।
हमही संत सुजान, हमही हैं शारंगपानी।।1007।।
ॐ कार अरू माया, सब तास के पुत्र कहावै।
हम परमात्म पद पिता, दहूं कै मधि रहावै।।1008।।
हम उतरे तुम काज, शुन्य सें किया पयाना।
शब्द रूप धरि देह, समझि बानी सुर ज्ञाना।।1009।।
नहीं नाद नहीं बिंद, नहीं पांच तत्व अकारं।
घुडिला ज्ञान अमान, हंस उतारूं पारं।।1010।।
निरखि परखि करि देख, नहीं भौतिक हमरैं काया।
हम उतरे तुम काज, नहीं कछु मोह न माया।।1011।।
दोहा-गगन शून्य में धाम है, अबिगत नगर नरेश।
अगम पंथ कोई ना लखै, खोजत शंकर शेष।।1012।।
क्रमशः_______________
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। संत रामपाल जी महाराज YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
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sabkuchgyan · 10 months
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इन 5 राशियों को जल्द ही मिल सकता है लाभ, माँ लक्ष्मी कुबेर देव की होगी कृपा
Jyotish :-एक नई नींव रखने के लिए एक व्यवसाय या नया उद्यम शुरू करना अब आपके भविष्य को लाभ देगा। घर और व्यवसाय के बीच कदम रखने वाली महिलाओं को कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ेगा जो अपना समय और ऊर्जा बर्बाद करेंगे। आप एक बहुत ही तार्किक दृष्टि वाले व्यक्ति के रूप में जाने जाते हैं। आपकी अंतर्दृष्टि, दृष्टिकोण और विचारों को आज बहुत सराहना मिलेगी। लोग आपसे सलाह ले सकते हैं। आज का दिन आपके लिए भाग्यशाली…
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astrologerchandan · 11 months
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घर में हो धन-धान्य की वर्षाहो मां लक्ष्मी-कुबेर देव का वास धनतेरस का यह पर्व आपके लिए रहे शुभ और खास. समस्त देशवासियों को धनतेरस के पावन पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएं Astrologer Chandan Ji Call : - +91-8290769959 #topastrologer #astronews #astroworld #Astrology #lovemarriage #astrologers #astrologymemes #marriage #loveback #love #carrerproblemsolution #unemploymentproblems #grahdosh #businessproblemsolution #dealyinmarriage #loveproblemsolution #familyproblemsolution #dhanteras #dhanteraswishes #dhanterasrangoli #dhanteraspuja #dhanteras2023 #diwali
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sanskritiandsanskaar · 11 months
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*धनतेरस की हार्दिक शुभकामनाएं*। ।। धनतेरस पर्व एवं भगवान धनवंतरि जयंती ।।
हर वर्ष कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का पर्व मनाया जाता है। इसी तिथि पर भगवान धनवंतरि सोने के कलश के साथ प्रकट हुए थे। साथ ही त्रयोदशी के दिन ही आयुर्वेद के देवता धनवंतरि जी की जयंती भी मनाई जाती है।
इस साल १० नवंबर को धनतेरस है। धनतेरस पर नई चीजों की खरीदारी का विशेष महत्व होता है। ऐसी मान्यता है जो कोई भी धनतेरस के दिन खरीदारी करता है, उसके घर पर सुख और समृद्धि आती है।
मान्यता है कि धनतेरस के दिन खरीदी गई वस्तुएं कई वर्षों तक शुभ फल प्रदान करती हैं। ऐसे में प्रस्तुत है इस साल धनतेरस पर खरीदारी का शुभ मुहूर्त, महत्व और इस दिन की खरीदारी-
धनतेरस पर खरीदारी का शुभ मुहूर्त-
धनतेरस पर शुभ मुहूर्त में खरीदारी करना अच्छा माना जाता है। पंचांग के अनुसार धनतेरस के दिन यानी १० नवंबर २०२३ को दोपहर १२ बजकर ३५ मिनट से लेकर अगले दिन यानी ११ नवंबर की सुबह तक खरीदारी करने का शुभ मुहूर्त है।
धनतेरस लक्ष्मी पूजा मुहूर्त-
धनतेरस के पावन पर्व पर भगवान गणेश, मां लक्ष्मी और कुबेर देवता की पूजा की जाती है। धनतेरस पर लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त १० नवंबर, २०२३ शुक्रवार को शाम ०५ बजकर ४७ मिनट से शाम ०७ बजकर ४७ मिनट तक रहेगा।
धनतेरस पर खरीदारी का महत्व-
धनतेरस पर शुभ मुहूर्त में बर्तन और सोने-चांदी के अलावा वाहन, जमीन-जायदाद के सौदे, लग्जरी चीजें और घर में काम आने वाले अन्य दूसरी चीजों की खरीदारी करना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि धनतेरस के दिन खरीदी गई चल-अचल संपत्ति में तेरह गुणा वृद्धि होती है।
धनतेरस पर खरीदने योग्य वस्तुएं-
धनतेरस के दिन सोना-चांदी के अलावा बर्तन, वाहन और कुबेर यंत्र खरीदना शुभ होता है।
इसके अलावा झाड़ू खरीदना भी अच्छा माना जाता है। मान्यता है इस दिन झाड़ू खरीदने से मां लक्ष्मी मेहरबान रहती हैं।
वहीं यदि धनतेरस के दिन आप कोई कीमती वस्तु नहीं खरीद पा रहे हैं तो साबुत धनिया जरूर घर ले आएं। मान्यता है इससे धन की कभी कमी नहीं होती है। इसके अलावा आप गोमती चक्र भी खरीद सकते हैं। इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
धनतेरस पर नहीं खरीदने योग्य वस्तुयें-
इस दिन लोहा या लोहे से बनी वस्तुएं घर लाना शुभ नहीं माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार यदि आप धनतेरस के दिन लोहे से बनी कोई भी वस्तु घर लाते हैं, तो घर में दुर्भाग्य का प्रवेश हो जाता है।
धनतेरस पर एल्युमिनियम या स्टील की वस्तुएं न खरीदें। मान्यता है कि स्टील या एल्युमिनियम से बने बर्तन या अन्य कोई सामान खरीदने से मां लक्ष्मी रूठ जाती हैं।
ज्योतिष के अनुसार यदि आप धनतेरस के दिन घर में कोई भी प्लास्टिक की चीज लेकर आएंगे तो इससे धन के स्थायित्व और बरकत में कमी आ सकती है, इसलिए धनतेरस के दिन प्लास्टिक की वस्तुएं भी न खरीदें।
धनतेरस के शुभ अवसर पर शीशे या कांच की बनी चीजें भी बिल्कुल नहीं खरीदनी चाहिए।
ज्योतिष के अनुसार धनतेरस के दिन चीनी मिट्टी या बोन चाइना की कोई भी वस्तु नहीं खरीदनी चाहिए।
धनतेरस पर पूजा उपाय-
धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि, माता लक्ष्मी, कुबेर, यमराज और भगवान गणेश जी की पूजा करें।
धनतेरस के दिन घर और बाहर १३ दीपक जलाने से बीमारियों को दूर किया जा सकता है।
दान करना पुण्य कर्म है। माना जाता है कि, दान करने से पिछले जन्म के पाप धुल जाते है। धनतेरस के दिन दान करने का विशेष महत्व होता है। इस दिन यदि आप सूर्यास्त से पहले दान करते हैं तो आपको धन की कमी नहीं होगी। हालांकि इस दिन सफेद कपड़ा, चावल, चीनी आदि का दान नहीं करना है।
धनतेरस पर पशुओं की पूजा करने से आर्थिक परेशानियां दूर होती हैं।
धनतेरस कथा-
पौराणिक कथा के अनुसार जब अमृत प्राप्ति के लिए देवताओं और दानवों के द्वारा समुद्र मंथन किया गया था, तो एक-एक करके उससे क्रमशः चौदह रत्नों की प्राप्ति हुई। समुद्र मंथन के बाद सबसे अंत में अमृत की प्राप्ति हुई थी। कहा जाता है कि भगवान धन्वंतरि समुद्र से अपने हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। जिस दिन भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए वह कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि थी, इसलिए धनतेरस या धनत्रयोदशी के दिन धन्वंतरि देव के पूजन का विधान है।
।। जय श्रीगणेश माँ महालक्ष्मी ।।
*भगवान धनवंतरि जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं*
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astrovastukosh · 11 months
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59 साल बाद धनतेरस पर बेहद शुभ संयोग देखे पूजा का शुभ मुहूर्त इन 5 राशि के लोगों होंगे नोटों से मालामाल
59 साल बाद धनतेरस पर बेहद शुभ संयोग देखे पूजा का शुभ मुहूर्त इन 5 राशि के लोगों मालामाल
59 साल बाद धनतेरस पर ग्रहों के बेहद शुभ संयोग में पूजा का शुभ मुहूर्त इन 5 राशि के लोग होंगे नोटों से मालामाल
59 साल बाद धनतेरस पर ग्रहों के बेहद शुभ संयोग में पूजा
इस दिन धन्वंतरि देव, लक्ष्मी जी और कुबेर महाराज की पूजा-अर्चना की जाती है।
धनतेरस कब है? जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त, महत्व और विधि
दीपोत्सव का यह पर्व पूरे पांच दिनों तक चलता है, जिसकी शुरुआत धनतेरस से होती है। धनतेरस का पर्व छोटी दिवाली से एक दिन पहले मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार धनतेरस का पर्व कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन मनाया जाता है।
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astrosevatalk · 1 year
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धन प्राप्ति शक्तिशाली कुबेर मंत्र | इस मन्त्र से कुबेर देव को प्रसन्न कर...
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knowlegeupdate · 2 years
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Pooja naam ki ladkiyan kaisi hoti hain, पूजा नाम का मतलब
पूजा नाम का मतलब अगर आप अपने बच्चे का नाम पूजा रखने की सोच रहे हैं तो पहले उसका मतलब जान लेना जरूरी है। आपको बता दें कि पूजा का मतलब मूर्ति पूजा होता है। मूर्ति पूजा होना बहुत अच्छा माना जाता है और इसकी झलक पूजा नाम के लोगों में भी दिखती है। शास्त्रों में पूजा नाम को बहुत अच्छा माना गया है।
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jeevanjali · 11 months
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jyotishgher · 2 years
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दिवाली पूजा विधि - Diwali Puja in Hindi with ENglish
दिवाली पूजा विधि - Diwali Puja in Hindi
दीवाली के दिन की विशेषता लक्ष्मी जी के पूजन से संबन्धित है. इस दिन हर घर, परिवार, कार्यालय में लक्ष्मी जी के पूजन के रुप में उनका स्वागत किया जाता है. दीवाली के दिन जहां गृहस्थ और वाणिज्य वर्ग के लोग धन की देवी लक्ष्मी से समृद्धि और वित्तकोष की कामना करते हैं, वहीं साधु-संत और तांत्रिक कुछ विशेष सिद्धियां अर्जित करने के लिए रात्रिकाल में अपने तांत्रिक कर्म करते हैं.दिवाली पर लक्ष्मी पूजा सहित विघ्नहर्ता श्रीगणेश एवं माता सरस्वती की पूजा करने का विधान है। पुराणों के अनुसार कार्तिक अमावस्या की रात में महालक्ष्मी स्वयं धरती पर आती हैं और हर घर में विचरण करती हैं। ऐसे में महालक्ष्मी की पूजा विधि-विधान से करने पर देवी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
प्रदोष काल मुहूर्त
श्री गणेश, श्री महालक्ष्मी पूजन, कुबेर पूजन, व्यापारिक खातों का पूजन, दीपदान, अपने सेवकों को वस्तुएं दान करने के लिये शुभ रहेगा. प्रदोष काल मंदिर मे दीप दान, रंगोली और पूजा की पूर्ण तयारी कर लेनी चाहिए. इसी समय मे मिठाई वितरण कार्य भी संपन्न कर लेना चाहिए. द्वार प़र स्वस्तिक और शुभ लाभ का सिन्दूर से निर्माण भी इसी समय करना चाहिए.
पूजा की सामग्री
लक्ष्मी व श्री गणेश की मूर्तियां (बैठी हुई मुद्रा में)
केशर, रोली, चावल, पान, सुपारी, फल, फूल, दूध, खील, बताशे, सिंदूर, शहद, सिक्के, लौंग.
सूखे, मेवे, मिठाई, दही, गंगाजल, धूप, अगरबत्ती, 11 दीपक
रूई तथा कलावा नारियल और तांबे का कलश चाहिए.
पूजा की तैयारी
चौकी पर लक्ष्मी व गणेश की मूर्तियाँ इस प्रकार रखें कि उनका मुख पूर्व या पश्चिम में रहें. लक्ष्मीजी,गणेशजी की दाहिनी ओर रहें. पूजनकर्ता मूर्तियों के सामने की तरफ बैठे. कलश को लक्ष्मीजी के पास चावलों पर रखें. नारियल को लाल वस्त्र में इस प्रकार लपेटें कि नारियल का अग्रभाग दिखाई देता रहे व इसे कलश पर रखें. यह कलश वरुण का प्रतीक है.
लक्ष्मीजी की ओर श्री का चिह्न बनाएँ. गणेशजी की ओर त्रिशूल, चावल का ढेर लगाएँ. सबसे नीचे चावल की नौ ढेरियाँ बनाएँ. छोटी चौकी के सामने तीन थाली व जल भरकर कलश रखें. तीन थालियों में निम्न सामान रखें.
ग्यारह दीपक(पहली थाली में)
खील, बताशे, मिठाई, वस्त्र, आभूषण, चन्दन का लेप  सिन्दूर कुंकुम, सुपारी, पान (दूसरी थाली में)
फूल, दुर्वा चावल, लौंग, इलायची, केसर-कपूर, हल्दी चूने का लेप, सुगंधित पदार्थ, धूप, अगरबत्ती, एक दीपक. (तीसरी थाली में)
इन थालियों के सामने पूजा करने वाला स्व्यं बैठे. परिवार के सदस्य आपकी बाईं ओर बैठें. शेष सभी परिवार के सदस्यों के पीछे बैठे.
लक्ष्मी पूजन विधि
आप हाथ में अक्षत, पुष्प और जल ले लीजिए. कुछ द्रव्य भी ले लीजिए. द्रव्य का अर्थ है कुछ धन. यह सब हाथ में लेकर संक��ंकल्प मंत्र को बोलते हुए संकल्प कीजिए कि मैं अमुक व्यक्ति अमुक स्थान व समय पर अमुक देवी-देवता की पूजा करने जा रहा हूं जिससे मुझे शास्त्रोक्त फल प्राप्त हो. सबसे पहले गणेश जी व गौरी का पूजन कीजिए.
हाथ में थोड़ा-सा जल ले लीजिए और आह्वाहन व पूजन मंत्र बोलिए और पूजा सामग्री चढ़ाइए. हाथ में अक्षत और पुष्प ले लीजिए और नवग्रह स्तोत्र बोलिए. अंत में महालक्ष्मी जी की आरती के साथ पूजा का समापन  कीजिये.
Diwali Puja Mantra Shloka Hindi Sanskrit
एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर माता महालक्ष्‍मी और भगवान गणेश की प्रतिमा रखें। चौकी के ऊपर पानी छिड़कते हुए इस मंत्र का उच्‍चारण करें –
ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्‍थां गतोपि वा । य: स्‍मरेत् पुण्‍डरीकाक्षं स: वाह्याभंतर: शुचि: ।।
अपने ऊपर और अपने पूजा के आसन पर जल छिड़कते हुए यह मंत्र बोलें –
पृथ्विति मंत्रस्‍य मेरुपृष्‍ठ: ग ऋषि: सुतलं छन्‍द: कूर्मोदेवता आसने विनियोग: ।।
ॐ पृथ्‍वी त्‍वया धृता लोका देवि त्‍वं विष्‍णुना धृता । त्‍वं च धारय मां देवि पवित्रं कुरु चासनम् नम: ।।
पृथ्वियै नम: आधारशक्‍तये नम: ।।
यह मंत्र बोलते हुए आचमन करें –
ॐ केशवाय नम:, ॐ नारायणाय नम: ॐ माधवाय नम:।
मां लक्ष्मी का ध्यान करते हुए यह मंत्र पढ़ें –
या सा पद्मासनस्था विपुल-कटि-तटी पद्म-पत्रायताक्षी,गम्भीरार्तव-नाभि: स्तन-भर-नमिता शुभ्र-वस्त्रोत्तरीया ।या लक्ष्मीर्दिव्य-रूपैर्मणि-गण-खचितैः स्‍वापिता हेम-कुम्भैः,सा नित्यं पद्म-हस्ता मम वसतु गृहे सर्व-मांगल्य-युक्ता।।
मां लक्ष्मी का आह्वान करने के लिए यह मंत्र पढ़ें –
आगच्‍छ देव-देवेशि! तेजोमय‍ि महा-लक्ष्‍मी। क्रियमाणां मया पूजां, गृहाण सुर-वन्दिते।। श्रीलक्ष्‍मी देवीं आवाह्यामि।।
फूल चढ़ाएं –
नाना रत्‍न समायुक्‍तं, कार्त स्‍वर विभूषितम्।
आसनं देव-देवेश ! प्रीत्‍यर्थं प्रति-गह्यताम्।।
श्रीलक्ष्‍मी-देव्‍यै आसनार्थे पंच-पुष्‍पाणि समर्पयामि।।
पाद्यं गृहाण देवेशि, सर्व-क्षेम-समर्थे, भो: !भक्तया समर्पितं देवि, महालक्ष्‍मी ! नमोsस्‍तुते।।
श्रीलक्ष्‍मी-देव्‍यै पाद्यं नम:नमस्‍ते देव-देवेशि ! नमस्‍ते कमल-धारिणि!
नमस्‍ते श्री महालक्ष्‍मी, धनदा देवी ! अर्घ्‍यं गृहाण।
गंध-पुष्‍पाक्षतैर्युक्‍तं, फल-द्रव्‍य-समन्वितम्।
गृहाण तोयमर्घ्‍यर्थं, परमेश्‍वरि वत्‍सले।।
श्रीलक्ष्‍मी देव्‍यै अर्घ्‍यं स्‍वाहा।।
माता महालक्ष्मी को दूध, दही, घी, शहद और चीनी के मिश्रण से स्नान करवाते हुए पढ़ें –
गंगासरस्‍वतीरेवापयोष्‍णीनर्मदाजलै:। स्‍नापितासी मय देवी तथा शांतिं कुरुष्‍व मे।। आदित्‍यवर्णे तपसोsधिजातो वनस्‍पतिस्‍तव वृक्षोsथ बिल्‍व:। तस्‍य फलानि तपसा नुदन्‍तु मायान्‍तरायश्र्च ब्रह्मा अलक्ष्‍मी:।। श्रीलक्ष्‍मी देव्‍यै जलस्‍नानं समर्पयामि।।
वस्त्र के रूप में कलावा चढ़ाते हुए पढ़ें –
दिव्‍याम्‍बरं नूतनं हि क्षौमं त्‍वतिमनोहरम्। दीयमानं मया देवि गृहाण जगदम्बिके।।
उपैतु मां देवसख: कीर्तिश्च मणिना सह। प्रादुर्भूतो सुराष्‍ट्रेsस्मिन् कीर्तिमृद्धि ददातु मे।।
।।श्रीलक्ष्‍मी देव्‍यै वस्‍त्रं समर्पयामि।।
इस मंत्र को पढ़ते हुए माता को गहने अर्पित करें –
रत्‍नकंकड़ वैदूर्यमुक्‍ताहारयुतानि च।
सुप्रसन्‍नेन मनसा दत्तानि स्‍वीकुरुष्‍व मे।।
क्षुप्तिपपासामालां ज्‍येष्‍ठामलक्ष्‍मीं नाशयाम्‍यहम्।
अभूतिमसमृद्धिं च सर्वात्रिर्णद मे ग्रहात्।।
।। श्रीलक्ष्‍मी देव्‍यै आभूषणानि समर्पयामि ।।
सिंदूर –
ॐ सिन्‍दुरम् रक्‍तवर्णश्च सिन्‍दूरतिलकाप्रिये । भक्‍त्या दत्तं मया देवि सिन्‍दुरम् प्रतिगृह्यताम् ।।।। श्रीलक्ष्‍मी देव्‍यै सिन्‍दूरम् समर्पयामि।।
कुमकुम –
ॐ कुमकुम कामदं दिव्‍यं कुमकुम कामरूपिणम् । अखंडकामसौभाग्‍यं कुमकुम प्रतिगृह्यताम् ।। श्रीलक्ष्‍मी देव्‍यै कुमकुम समर्पयामि।।
चावल –
अक्षताश्च सुरश्रेष्‍ठं कुंकमाक्‍ता: सुशोभिता: । मया निवेदिता भक्‍तया पूजार्थं प्रतिगृह्यताम् ।।।। श्रीलक्ष्‍मी देव्‍यै अक्षतान् समर्पयामि।।
गंध –
श्री खंड चंदन दिव्‍यं, गंधाढ्यं सुमनोहरम् ।विलेपनं महालक्ष्‍मी चंदनं प्रति गृह्यताम् ।।। श्रीलक्ष्‍मी देव्‍यै चंदनं समर्पयामि।।
फूल –
यथाप्राप्‍तऋतुपुष्‍पै:, विल्‍वतुलसीदलैश्च ।पूजयामि महालक्ष्‍मी प्रसीद मे सुरेश्वरि ।।। श्रीलक्ष्‍मी देव्‍यै पुष्‍पं समर्पयामि।।
क्षमा-प्रार्थना करें
पूजा पूर्ण होने के बाद मां से जाने-अनजाने हुए सभी भूलों के लिए क्षमा-प्रार्थना करें। उन्हें कहें-
मां न मैं आह्वान करना जानता हूँ, न विसर्जन करना। पूजा-कर्म भी मैं नहीं जानता। हे परमेश्वरि! मुझे क्षमा करो। मन्त्र, क्रिया और भक्ति से रहित जो कुछ पूजा मैंने की है, हे देवि! वह मेरी पूजा सम्पूर्ण हो। यथा-सम्भव प्राप्त उपचार-वस्तुओं से मैंने जो यह पूजन किया है, उससे आप भगवती श्रीलक्ष्मी प्रसन्न हों।
दिवाली की पूजा विधि (Diwali 2022–2023–2024–2025 Puja Vidhi) | Tips
दिवाली पर लक्ष्मी पूजा से पहले घर की साफ-सफाई करके पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करें।
घर के प्रवेश द्वार को रंगोली और दीयों से सजाएं।
पूजास्थल पर एक चौकी स्थापित करे व उस पर लाल कपड़ा बिछाएं।
चौकी पर माँ लक्ष्मी व श्रीगणेश की मूर्ति की स्थापना करे।
अब जल से भरा एक कलश चौकी के पास रखें।
देवी लक्ष्मी एवं श्रीगणेश की मूर्ति पर तिलक लगाकर दीपक प्रज्जवलित करे।
इसके बाद जल, मौली, चावल, फल, गुड़, हल्दी, अबीर-गुलाल आदि अर्पित करें।
अब हाथ जोड़कर देवी लक्ष्मी की स्तुति करें।
माँ लक्ष्मी सहित माँ सरस्वती, मां काली, श्रीहरि विष्णु व कुबेर देव की पूजा भी विधि विधान से करें।
पूरे परिवार को एकत्रित होकर महालक्ष्मी का पूजन करना चाहिए।
देवी लक्ष्मी की पूजा के बाद तिजोरी, बहीखाते एवं व्यापारिक उपकरण की पूजा करें।
पूजा के बाद श्रद्धाभाव से ज़रुरतमंद लोगों को मिठाई और दक्षिणा देनी चाहिए।
गणेश जी की आरती
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा, माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
एक दंत दयावंत चार भुजाधारी।
माथे पर तिलक सोहे, मुसे की सवारी।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा, माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा।
लड्डुवन का भोग लगे, संत करे सेवा।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा, माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
अंधन को आंख देत, कोढ़ियन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया।।
सुर श्याम शरण आये सफल कीजे सेवा।। जय गणेश देवा
जय गणेश जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
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लक्ष्मीजी की आरती
ॐ जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
उमा, रमा, ब्रम्हाणी, तुम जग की माता
सूर्य चद्रंमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
दुर्गारूप निरंजन, सुख संपत्ति दाता
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि सिद्धी धन पाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
तुम ही पाताल निवासनी, तुम ही शुभदाता
कर्मप्रभाव प्रकाशनी, भवनिधि की त्राता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
जिस घर तुम रहती हो, ताँहि में हैं सद्गुण आता
सब सभंव हो जाता, मन नहीं घबराता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
तुम बिन यज्ञ ना होता, वस्त्र न कोई पाता
खान पान का वैभव, सब तुमसे आता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
शुभ गुण मंदिर, सुंदर क्षीरनिधि जाता
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गाता
उर आंनद समाता, पाप उतर जाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
स्थिर चर जगत बचावै, कर्म प्रेर ल्याता
तेरा भगत मैया जी की शुभ दृष्टि पाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता,
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
IN ENGLISH LET ME WRITE FOR YOU:Why we do Ganesh-Laxmi Puja on Diwali:
Diwali is not just a festival but also considered as a beginning of a new phase in our lives. It is believed that Maa Laxmi visits every house in Diwali carrying a pot full of wealth, good luck and prosperity. We worship Lord Ganesha with Laxmi ma because Ganesh ji is the God of wisdom and he is known to remove all the obstacles in one’s life while Laxmi Ma is Goddess of wealth. We worship them together on Diwali so that we get wisdom along with wealth and all our life obstacles are removes. And obviously, without wisdom, wealth cannot stay longer with you.
This is the reason why we worship Laxmi-Ganesh on Diwali, in order to invite wealth, prosperity, abundance, good luck and wisdom.
How to do Diwali Puja at Home?
Every Diwali the Muhurat (favourable time) for Diwali puja is different. This year in 2022, Diwali is on 24 October and the Puja Muhurat starts at 6:54 pm to 8:18 pm.
In my family, we begin with taking bath and wearing new clothes before the puja. The puja-ghar or altar is cleaned and decorated on Dhanteras (2 days before) it self. So, we set up the puja things in the room to prepare for puja. After this, we do the following steps:
Spread a new red cloth
Sprinkle some rice on it and touch it to seek blessings
Place a kalash in the middle of it, fill it with ganga jal and some rice.
Cover it with mango leaves
Put a tilak on it
Now on one aasan, place the Ganesh-Laxmi idols
Start the puja by sprinkling ganga jal, making them wear new clothes and garlands, putting tilak and offering them flowers sweets, dry-fruits and fruits.
Then light 9 earthen diyas for 9 planets (this is done to balance and calm all the 9 planets and seek blessings)
This ritual to worship the God and Godness and the kalash is done by everyone in the house
The Diwali puja is also to be done in your office and seek blessings of the almighty. So, because 90% of our work is done by phones and laptops, we also worship it. We put the work-related gadgets in front of the God and Goddess and worship it by making a swastik on it, sprinkling rice and flowers on it. We then keep it for some time in the puja ghar only.
Some people also put their cash chest, cash box, locker keys and account books too. After from this, it is also a good ritual to take a bowl and ask every earning member of the family to put some money into the money bowl which resembles inviting prosperity and wealth to our home.
An aarti is performed and prasaad is distributed to conclude the Diwali puja ritual. We then light the diyas and candles and celebrate it further by burning crackers, eating sweets and meeting and greeting the loved ones.
This is how I do Diwali puja at home. Hope this helped you! Don’t forget to share!
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everynewsnow · 4 years
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वास्तु शास्त्र: राशि के अनुसार जानें कौन सी दिशा में आपके लिए सबसे खास है
वास्तु शास्त्र: राशि के अनुसार जानें कौन सी दिशा में आपके लिए सबसे खास है
कैडर और पैगोन के लिए भी फायदेमंद … सभी दिशाओं का ज्योतिषशास्त्र में किसी ना किसी राशि से संबंध होता है। ऐसे में जहां किसी राशि के लिए कोई दिशा शुभ फलदायी होती है तो वहीं वह किसी की राशि के लिए नुकसानदायक हो सकती है। ऐसे में ज्योतिष व वास्तु के जानकारों का मानना ​​है कि यदि व्यक्ति अपनी राशि के अनुसार लकी दिशा को ध्यान में रखते हुए काम करें तो इसका ना सिर्फ उसकी सेहत पर अच्छा असर होगा, बल्कि वह…
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sabkuchgyan · 2 years
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वास्तु टिप्स, पर्स में न रखें ये चीजें, लक्ष्मी और कुबेर देव होंगे प्रसन्न; हमेशा पैसों से भरी जेब रखें
वास्तु टिप्स, पर्स में न रखें ये चीजें, लक्ष्मी और कुबेर देव होंगे प्रसन्न; हमेशा पैसों से भरी जेब रखें
बहुत सारा पैसा कौन नहीं चाहता है? ढेर सारा पैसा, एक घर होने का सपना हर कोई देखता है, लेकिन पैसा बहुत कम लोगों के पास होता है। लेकिन यह जल्दी खत्म हो जाता है। तो चलिए आज हम आपको कुछ ऐसे उपाय बताने जा रहे हैं, जिन्हें करने से आपको कभी भी धन की कमी का सामना नहीं करना पड़ेगा। साथ ही मां लक्ष्मी की कृपा आप पर हमेशा बनी रहेगी। आपके बटुए में पैसों के अलावा और भी कई चीजें रखी होती हैं, जिनमें से कई…
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🙏🏻✨️🚩 धनतेरस के पावन शुभ अवसर पर आपको सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएँ। 🌷🎉🙏🏻
🪔✨ ️किसी भी कार्य की शुरुआत के लिए धनतेरस के दिन को बहुत शुभ माना जाता है। हम इस शुभ अवसर पर धन देवता कुबेर व आयुर्वेद के देव धन्वंतरिजी से आप औऱ आपके परिवार के उत्तम स्वास्थ्य, सुख-समृद्धि और अपार धन प्राप्त होने की कामना करते हैं! ✨️🪔
🙏🏻🌷ऋतु कोहली - विनय बृजलाल कोहली
संस्कृति व संस्कार संस्थान 2.253 - ACME HOUSE 🏠 INDIA 🇮🇳
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