#कुत्ती
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Best Curse Word Tournament!
कुत्ती (Hindi) kutti /kʊt̪.t̪iː/ bitch
bloody (English) /ˈblʌ.diː/ 1. covered in blood 2. (UK) synonym for “fucking”
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*🙏🏽 सतगुरुदेव की जय 🙏🏽*
*बन्दीछोड कबीर साहेब की जय*
*बन्दीछोड गरीबदास जी महाराज की जय*
*स्वामी रामदेवानंद जी महाराज की जय*
*🙇🏽♂️ बन्दीछोड सतगुरु रामपाल जी महाराज की जय 🙇🏽♂️*
*📚 भक्ति बोध*
*📚 अन्नदेव की छोटी आरती का सरलार्थ*
*📚 भोजन से पहले बोली जाने वाली*
*🍁 वाणी :-*
जो अपने सो ओर के,
एकै पीड़ पिछान।
भुखियां भोजन देत हैं,
पहुचेगें प्रवान।।3
*➡️ सरलार्थ :- मानव को धर्म की प्रेरणा देते हुए संत गरीबदास जी ने कहा है कि जैसे आपको भूख या प्यास लगी हो, उस समय आपको कैसा लगता है? कैसा संकट सामने होता है? उस समय आप जी को कोई भोजन या पानी खिल-पिला दे तो आपको कितनी खुशी होगी? इसलिए बताया है कि जैसा कष्ट आपको था, वैसा ही अन्य भूखे-प्यासे को हुआ जानकर भोजन-पानी अवश्य खिलाना-पिलाना चाहिए। इससे आध्यात्मिक व भौतिक दोनों लाभ मिलते हैं जो भूखों को भोजन तथा प्यासे को जल देते हैं। वे प्रवान अर्थात् आध्यात्म की अन्तिम मंजिल तक पहुँचेंगे अर्थात् उनकी साधना प्रवान चढ़ेगी। (सफल होगी)(3)*
*➡️ राबिया की कथा*
*➡️ एक राबिया नाम की मुसलमान बहन थी। उसकी आयु लगभग 50 वर्ष की हुई तो अपने पति से आज्ञा लेकर हज करने के लिए मक्का को पैदल रवाना हुई। कुछ यात्रा करने के पश्चात् उसे एक कुंआ दिखाई दिया। उस कुंए के पास एक कुतिया बहुत प्यासी खड़ी थी। राबिया को देखकर वह कुतिया उसकी ओर गई। फिर कुंए की ओर गई। कुतिया के बच्चे थे जिनकी आँखें भी नहीं खुली थी। राबिया को माजरा समझते देर नहीं लगी। झटपट कुंए पर गई तो देखा कोई जल निकालने का पात्र (रस्सा-बाल्टी) नहीं था। किसी के हाथ से छूट जाने के कारण कुंए में गिरी हुई थी। राबिया ने प्यासी कुतिया को पानी पिलाने के लिए अपने सिर के बाल उखाड़े और रस्सी बांटी (बनाई)। अपने शरीर के कपड़े उतारे जो खादी के बने मोटे कपड़े थे। अपनी चुनरी से शरीर को ढ़का और बालों से बनाई रस्सी से कपड़े बाँधकर पानी निकाला और कुंए के साथ में रखे ठीकरे में (मिट्टी के घड़े का टूटा आधा या छोटा-बड़ा भाग ठीकरा कहा जाता है।) कपड़े निचोड़कर पानी डाल दिया। ऐसा तीन-चार बार करके कुत्ती की प्यास बुझाकर उसके बच्चों तथा उसके प्राणों की रक्षा की। गीले कपड़े पहनकर मक्का की ओर चलना चाहा तो देखा कि मक्का तो कुएं के साथ खड़ा है। भक्तमति राबिया स्वपन की तरह मक्के में प्रवेश कर गई। पवित्र मक्का (मुसलमानों का मंदिर) हवाई जहाज की तरह उड़ चला। फिर अपने यथास्थान पर स्थापित हो गया। अपने स्थान से अचानक अंतर्ध्यान हुए 'मक्के' को देखकर हज यात्री आश्चर्यचकित थे कि यह क्या अपसगुन है? हमारी किस्मत खराब है। इस कारण से मक्का ही अदृश्य हो गया। कुछ देर में मक्का उसी स्थान पर आकर स्थापित हो गया। आकाशवाणी हुई कि मक्का अल्ला�� के हुक्म (आदेश) से एक पवित्र आत्मा राबिया को लाने गया था। मक्का से ��ह कुंआ तीन मंजिल अर्थात् 60 मील (90 किमी) दूर था। आकाशवाणी में यह भी कहा गया कि राबिया ने प्यासों को पानी पिलाकर असली (वास्तविक) हज की है। भ्रमित व्यक्ति तो पशु-पक्षियों को मारकर खाते हैं, उसे धर्म मानते हैं। धर्म तो पशु-पक्षियों तथा अन्य जीवों-मानव के प्राणों की रक्षा राबिया की तरह करने से होता है। यह वास्तव में हज है।(3)*
*🚨 मालिक की दया से इससे आगे की वाणी का सरलार्थ आज रात 9 बजे ग्रुप में डाला जाएगा जी।*
*🙇🏽♂️ सत साहेब 🙇🏽♂️*
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@narendramodi @cbic_india @dir_ed @DCPCentralDelhi @DgpKarnataka ji sir मै सुना हूँ,
miraya Wadra ने कही है बोलके बाजु की कहरहि है,मेरे माता पिताji को मारे तो इन मु���से शादी करती है कते,
मुजे मेरे माता पिताji होना है,ऐसा बोलेतो miraya Wadra को ही मारदोji,
miraya किदर की कुत्ती है?
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चाय और दोस्ती बोहोत कुत्ती चिज है । जादा भी अच्छी नाही और कम कुछ काम की नाही । 🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹 Elit Punekar's favourite breakfast / snack time Chai and Bun-Mhaska ( Bread & Butter) at Cafe Gudluck, Deccan Pune. 🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹 PC 📸 : - @susmita_n 🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹 😀Stay tuned for more updates. Your Love is Our only Motivation 🙏❣️ @bhukad_punekar Tag us & use #bhukad_punekar to get featured🤗😋 🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹 #goodluckcafe#tea#bun&butter#bunmhaska#punelove#punelife#punefood#punefoodlust 🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹 Note :- We deeply respect everyone's choice and love for food 🤗. Eat Healthy and Stay Strong 💪 (at Cafe Goodluck) https://www.instagram.com/p/CSbrJFED9OA/?utm_medium=tumblr
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पृथ्वी और अन्य सभी पाताल लोकों का विधिवत वर्णन।
गृहण क्या है?
श्रीमद भागवद पुराण चौबीसवां अध्याय [स्कंध५]
(अतलादि सप्त अधोलोक वर्णन)
दो०- राहू आदि स्थान का निर्णय कहा सुनाय।
चौबीसवें अध्याय में, भाषा करी बनाय ||
https://shrimadbhagwadmahapuran.blogspot.com/2021/05/blog-post_3.html
श्री शुकदेव जी बोले-हे राजा परीक्षत ! सूर्य से नीचे दस हजार योजन दूरी पर राहू घूमते है। सूर्य का विस्तार मंडल दस हजार योजन का है, और चन्द्रमा का विस्तार मंडल बारह हजार योजन का है। राहू का विस्तार मंडल तेरह हजार योजन का है। अमावस्या तथा पूर्णिमा को सूर्य या चंद्रमा राहू की गति के सम सूत्र पर आ जाते हैं, जिस कारण राहू की छाँह इन पर जितने समय तक पड़ती है उस समय को गृहण कहते हैं। अर्थात् यों कहिये कि सूर्य या चन्द्रमा के ते��� से जब राहू गृह दिखाई देता है तो वह ग्रहण होता है।
क्योंकि वह इन के सामने पर रहता है । राहू के स्थान से नीचे सिद्ध चारण विद्याधर के स्थान है। उनसे भी नीचे यक्ष, राक्षस, पिशाच, भूत प्रेत इनके बिहार का स्थान है। उन यक्षादिकों के स्थान के नीचे सौ योजन पर यह पृथ्वी है। इस भूलोक की सीमा जहाँ तक पक्षी आदि उड़ते हैं वहां तक है। पृथ्वी के नीचे सात पाताल हैं। यह सब पृथ्वी से एवं सब लोक एक दूसरे से दश हजार योजन के अंतर पर हैं अर्थात् भूमि से दस हजार योजन नीचे सुतल, उससे दस हजार योजन दूर नीचे वितल, उससे दस हजार योजन नीचे दूर सुतल है और उससे दस हजार नीचे योजन नीचे तलातल, इस दस हजार योजन नीचे महातल, इससे दस हजार योजन दूर रसातल, इससे दस हजार योजन नीचे पाताल लोक है । यह सातौ लोक स्वर्ग कहलाते हैं। अतल लोक में मय दानव का पुत्र बलि नाम असुर रहता है। उस बलासुर के जंभाई लेने से मुख से स्वैरिणी, कामनी, और पुश्चली नाम की तीन स्त्रियाँ उत्पन्न हुई थीं। जो कि अतल लोक में गये पुरुष को हाटक नाम के रस को पिला कर अपने साथ रमण करती हैं। क्योंकि उस हाटक रस के पीने से पुरुष में दस हजार हाथियों का बल आ जाता है। वितल लोक भूत गणों सहित हटकेश्वर महादेव पार्वती सहित मिथुन भाव से विराज मान हैं। सुतल लोक में विरोचन का पुत्र राजा बलि वास करता है। सुतल लोक में त्रिपुर का अधिपति मय नाम दानव निवास करता है। महातल में लोक अनेक शिर वाला कूद्र क�� पुत्र सर्प लोगों का महा विषधर गण रहता है। इनमें कुहुक, तक्षक, कालिया, सुषेण, आदि सर्प मुख्य माने जाते हैं। रसातल लोक में निवात कवच, कलिय, हिरण्य के रासी ये तीन यूथ वाले परि नाम देव दानव रहते हैं। ये सब इन्द्र की भेजी परमा नाम की कुत्ती की कही हुई मंत्र मयी वाणी को सुन इन्द्र से भय करते रहते हैं । पाताल लोक में नाग लोक के पति आदि नाग रहते हैं। शंख, कलिक, महाशंख, श्वेत, धनंजय, धृतराष्ट्र, शंखचूड, देवदत्त इत्यादि नाम के हैं। इनके शरीर बड़े और भारी है। जिनके फणों में महाक्रान्ति वाली बड़ी-बड़ी मणियाँ है। जो कि अपनी-अपनी ज्योति से प्रगाढ़ अंधकार को नष्ट करके प्रकाश फैलाती है ।
।।🥀इति श्री पद्यपुराण कथायाम चौबीसवां अध्याय समाप्तम🥀।।
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_人人人人人人_अध्याय समाप्त_人人人人人人_
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जौनपुर : समाजसेवी राजेश कुमार ने मंद बुद्धि बच्ची को उसके परिवार से मिलाया ।
जौनपुर : समाजसेवी राजेश कुमार ने मंद बुद्धि बच्ची को उसके परिवार से मिलाया ।
जौनपुर। राजेश ��्नेह ट्रस्ट आफ एजुकेशन दिव्यांग बच्चों का स्कूल एवं पुनर्वास केंद्र के बैनर तले एक मंद बुद्धि बच्ची को उसके परिवार से मिलाया गया। इस आशय की जानकारी देते हुये समाजसेवी राजेश कुमार ने बताया कि पता लगा कि ओलंदगंज क्षेत्र में काली कुत्ती की गली में एक मंद बुद्धि बच्ची टहल रही है।
उसके बारे में जानना चाहा लेकिन वह कुछ बता नहीं पाई। उसका कपड़ा फटा हुआ था जिसको देखकर बगल के एक दुकान…
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vashikaran mantra for women नारी वशीकरण के कुछ आसान मगर अद्भुत प्रयोग
पिछली पोस्ट मे हमने पुरुष वशीकरण मंत्र के बारे पढ़ा था। इस पोस्ट मे Vashikaran mantra to attract women के बारे मे बात करे वाले है क्यो की वशीकरण मंत्र और उपाय स्त्री और पुरुष के लिए अलग अलग होते है। इस article मे हमने Best vashikaran mantra for married woman in Hindi or Vashikaran for married woman को शामिल किया है। जीतने भी उपाय Ladies vashikaran के लिए किए जा सकते है हमने यहा शामिल करने की कोशिश की है। इस्लाम मे भी इसके लिए अलग से उपाय है जिन्हे नियम से रहने वाले लोग कर सकते है। इंटरनेट पर इस वक़्त Vashikaran mantra to control lady in Hindi काफी ज्यादा डिमांड मे है क्यो की कुछ लोग महिला वशीकरण मंत्र के जरिये अपने साथ काम करने वाली महिला, स्त्री या ladies को अपने वश मे करना चाहते है। प्राचीन काल से ही जब पुरुष और स्त्री के लिए अलग अलग विधान का वर्णन है तो कही न कही इसका इस्तेमाल किया जाता होगा। उस समय इसका दरुपयोग किया जाता होगा मालूम नहीं लेकिन आज इसका सबसे ज्यादा negative impact डालने के लिए प्रयोग होता है।
Sachhiprerna पर समय समय पर काफी लोग कांटैक्ट करते है जिन्हे अपने साथ काम करने वाली महिला या महिला मित्र पर वशीकरण करवाना होता है। 95% case akarshan mantra के उपाय से जुड़े होते है। हम अपने ब्लॉग पर officially किसी तरह की vashikaran service online का दावा नहीं करते है। अगर वशीकरण और काला जादू किया हुआ है तो उसकी काट की जा सकती है। इस आर्टिक्ल मे जीतने भी उपाय share किए गए है वे स्त्री वशीकरण के उपाय है।
Simple vashikaran mantra to attract girl
अगर आप सबसे easy attraction spell देख रहे है तो आपको ये मंत्र देखना चाहिए। कामाक्षी देवी को आकर्षण की देवी के नाम से जाना जाता है। इस उपाय को करते समय अगर आपको इसका प्रभाव गले मे महसूस हो समझ ले आपका मंत्र सिद्ध हो गया है। ॐ नम: कामाक्षी देवी अमुकी नारी मे वश कुरु कुरु स्वाहा: किसी भी शुभ लग्न मे सही समय देख कर ( देखे इंद्रजाल ) इस मंत्र को मूँगे की माला पर रोज 1 माला का जप लगातार 21 दिन कर इस मंत्र को सिद्ध कर ले। ये Vashikaran for married woman सिर्फ पुरुषो के लिए है और सही मकसद से इसका प्रयोग किया जाना चाहिए। जब मंत्र सिद्ध हो जाए तब किसी भी women vashikaran tantra की वस्तु को 7 बार अभिमंत्रित कर काम मे ले। महिला vashikaran mantra tilak के उपाय कुछ ऐसे Ladies vashikaran tilak के उपाय है जिन्हे हम आकर्षण के मकसद से प्रयोग कर सकते है। सफ़ेद आक की मूल ( जड़ ) कुटकी, मोथा और जीरा इन सबको समान मात्रा मे लेकर अपने खून मे पीस ले। इसका तिलक करने पर स्त्री वश मे रहती है। रविवार के दिन काले धतूरे का पंचांग ( पाँच अंग यानि पाँच तरह के हिस्से ) को कपूर, गोरोचन और केसर के साथ घोट ले। इसका तिलक कर जिस स्त्री के सामने जाएंगे वो आपके वश मे होगी। लाजवंती, मुलेठी और कमलगट्टे को पीसकर अपने शुक्र के साथ तिलक लगाने से Ladies vashikaran होता है। रवि पुष्य नक्षत्र मे इंद्रायण की मूल लेकर आए, इसे त्रिकुटा मे मिलकर कूट ले और गाय के दूध मे पीसकर तिलक बनाए। उल्लू के पीठ की हड्डी, केसर, कुमकुम और कस्तूरी को चन्दन मे घिसकर तिलक बनाए। सूर्यग्रहण के समय सहदेवी की मूल लाकर इसका चन्दन के साथ घिसकर लेप बनाए। मैनसील और हरताल के पान का रस मिलाकर मंगलवार के दिन तिलक करे। सिंदूर को केले की मूल मे पिसे और गुरुवार को इसका तिलक करे। गोरोचन और कमल पत्र को पीसकर जिस शनिवार को कृतयोग हो उस दिन तिलक बनाए। ये vashikaran mantra के उपाय स्त्री वशीकरण तिलक के लिए किए जा सकते है। आपको बस ध्यान रखना है शुभ महूर्त और लग्न का। कुछ आसान स्त्री वशीकरण के उपाय वशीकरण के लिए लौंग, इलायची और ऐसी ही कई आसान छीजे होती है जिन्हे खाने पीने की वस्तु मे मिलाकर देने से प्रभावी आकर्षण पैदा किया जा सकता है। ये बिना vashikaran mantra के उपाय होते है। वशीकरण लौंग के उपाय : तिलक के साथ साथ वशीकरण मे लौंग भी शक्तिशाली और आसान उपाय होता है। अगर काली कुत्ती के दूध मे लौंग को 3 दिन तक डूबा कर रखा जाए और फिर अपने शुक्र मे भिगोकर सूखने के लिए रख ��े। इस लौंग को जिस स्त्री को देंगे वो आपके वश मे रहेगी। मंगलवार के दिन अपने private part मे एक लौंग रखे और अगले दिन निकाल ले। इस लौंग को पान मे रखकर जिस स्त्री को दिया जाएगा वो वश मे होगी। वशीकरण पुतली प्रयोग : शनिवार के दिन जिस स्त्री या औरत पर आकर्षण का प्रभाव डालना है उसके बाए पैर के नीचे की धूल ले आए। इस धूल से एक पुतली बनाए। मिट्टी के अलावा आपको उस स्त्री के कुछ बाल भी चाहिए। इन बालो को उस पुतली मे लपेट दे। पुतली के private part मे अपना शुक्र ( धातु ) डाले और नीले रंग के कपड़े से उसे ढक दे। इस पुतली को सिंदूर से पोते और विधिवत पूजा कर मन मे वशीकरण की कामना कर उसे स्त्री के घर के दरवाजे के आगे गाड़ दे। जिस वक़्त वो स्त्री इस पुतली को लांघ देगी इसका प्रभाव दिखने लगेगा। वशीकरण फूल का उपाय : मोगरे का फूल ले और उसे ॐ ह्रीं स्वाहा के मंत्र से 7 बार अभिमंत्रित कर जिसे भी देंगे वो वशीभूत होगी। स्त्री वशीकरण अंजन : सफ़ेद आक की मूल, गौ घृत, अजा इन्हे बराबर मात्रा मे लेकर अंजन बना ले। जब भी इसका अंजन कर बाहर निकलेगे तो आकर्षण का प्रभाव देखने को मिलेगा। Vashikaran for married woman in Hindi अगर आप आसान women vashikaran mantra spell से जुड़े उपाय देख रहे है तो नीचे दिये गए कुछ उपाय कर सकते है जैसे की दूध के जरिये वशीकरण : 8 साल से केएम उम्र के बालक के दोनों हाथो के 4 नाखून ( 2-2 ) और पैर मे 2 बाए और 1 दाए पैर का नाखून ले। इसकी भस्म बना ले और इसमे अपना शुक्र मिला ले। इस मिश्रण को अगर दूध मे औटा ( गरम कर ) किसी महिला को दूध देंगे तो वो वश मे होगी। सुपारी के जरिये वशीकरण : जब भी चन्द्र या सूर्य ग्रहण हो एक साबुत सुपारी ले आए। इस सुपारी को पहले 108 बार निम्न मंत्र का जप करते हुए अभिमंत्रित कर ले। ॐ ह्री क्लीं पर स्त्री वेशमान अंग चतुर्मुखे फट स्वाहा इस मंत्र का 108 जप कर सुपारी को साबुत ही निगल जाए। अगले दिन शौच मे जब वो सुपारी निकले तब उसे अलग कर ले। साफ कर इसका भाग करे ले और जिस स्त्री को दिया जाए वो वश मे हो। वशीकरण के लिए सुँघनी का उपाय : बिजोरे की मूल, धतूरे के बीज और प्याज को मिलाकर पीस ले। ये मिश्रण जिस औरत को सुंघाया जाए वो वश मे होगी। ( ये शक्तिशाली आकर्षण का प्रभाव डालता है ) मसानी चावल वशीकरण का उपाय मनुष्य की मौत के 3 दिन बाद शमशान मे खिचड़ी ले जाते है। इस समय जब खिचड़ी रख कर व्यक्ति वापस लौट जाए तब ध्यान दे, कौवे उस खिचड़ी को खाने के लिए आते है। सबसे अंत मे चावल के दाने दो भाग मे हो जाते है एक वो जो हांडी के अंदर होते है और दूसरे जो कौवे खाते समय नीचे जमीन पर डाल देते है। आपको इन दोनों भाग को अलग अलग ले लेना है। इन दानो को घर नहीं लाना है बल्कि वही गुगल की धूप देकर ( बेहतर होगा अगर आप इन दानो को अलग अलग लाल कपड़े की गांठ गांठ मे बांध ले ) चौरा��े मे गाड़ दे। अब हर शनिवार को गूगल की धूप और शराब की धार दे और एक बताशा रखे दे। ऐसा आपको 7 शनिवार करना है और इसके बाद हांडी वाला चावल जिसे देंगे तो वो वशीकरण का काम करेगा और जमीन पर पड़ा चावल वशीकरण के प्रभाव को काटने का काम करेगा। ध्यान दे : ये एक मसानी प्रयोग है और इस तरह के प्रयोग के लिए जो भी सामान आप लेते है उसे घर मे ना रखे ना ही लाए। प्रक्रिया के दौरान जब लौटना हो तब मुड़कर नहीं देखना है और किसी आवाज का जवाब नहीं देना है। स्त्री वशीकरण भस्म का अचूक उपाय : सवा हाथ सफ़ेद नया कपड़ा ले और जब बवंडर आए तब इस कपड़े को उड़ा दे। ये कपड़ा जहां पर गिरेगा आपको वहाँ की जो मिट्टी कपड़े मे लग जाती है उसके सहित उठाना है। धोबी जहां कपड़े धोते है उस सिला पर बैठकर मिट्टी को अलग कर ले और कपड़े को जलाकर उसकी भस्म बना ले। इन दोनों भाग को गूगल की धूनी देकर अलग अलग रख ले। ये एक आसान सा Vashikaran mantra to control lady in Hindi है जिसे अप कर सकते है। इस भस्म को जिस स्त्री पर डालेंगे वो आपके आकर्षण मे आएगी और जब आकर्षण तोड़ना हो तब उस धूल को उस पर डाल दे वशीकरण टूट जाएगा। घर पर वशीकरण काजल कैसे बनाए ऐसी लड़की का चुनाव करे जो पहली बार रजस्वला हुई है। उसके द्वारा इस्तेमाल किए गए वस्त्र को ले आए। अरंड के तेल मे डुबोकर इसकी बत्ती बना ले और इसका काजल बना ले। इस काजल को एक डिब्बी मे भर ले और जब भी जरूरत हो स्वाती नक्षत्र मे मनचाही स्त्री को लगा दे। ये एक मायाजाल की तरह काम करता है और स्त्री को भ्रमित कर देता है। मालती के फूल को रेशमी कपड़े मे लपेट कर बत्ती बना ले। इस बत्ती को मंगलावर या शनिवार के दिन ताजा मरे हुए व्यक्ति की खोपड़ी मे अरंड का तेल भर कर काजल बना ले। इस अंजन को जब भी आंखो मे लगाया जाएगा ये वशीकरण का प्रभाव डालेगा। पढे : दूर बैठे व्यक्ति पर वशीकरण करने के लिए सबसे आसान दिगपाल साधना स्त्री वशीकरण पान जिस स्त्री को आप वश मे करना चाहते है उसके पान मे अपने पाँच मेल डाल दे और खाने को दे। माघ कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को श्वेत गुंजा की जड़ लाए और पीसकर पान मे मिला दे। सहस्त्र की मूल, मिश्री को समान भाग मे ले और अपने शुक्र ( धातु ) मे मिलाकर पीस ले। इस मिश्रण को पान मे मिलाकर जिसे दिया जाएगा वो सदा आपके वश मे रहेगी। जब सोमवार के दिन मृगशिरा नक्षत्र हो तब एक सुपारी ले और उसे खूब बारीक पीस ले। इस पाउडर मे अपने शुक्र को मिलाकर गोली बना ले। इस गोली को जब पान मे मिलाकर दिया जाता है तब वशीकरण होता है। कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के समय सफ़ेद चोटले की जड़ ले आए और सूखाकर उसका चूर्ण बना ले। इस पाउडर को पान मे मिलाकर दे ladies vashikaran का अचूक उपाय है। पढे : आखिर ध्यान के साथ म्यूजिक को जोड़ने से हमे इतना benefit कैसे मिलता है ? How to perform vashikaran mantra at home ज़्यादातर लोग ऑनलाइन शेयर किए गए मंत्र ��र विश्वास नहीं रखते है। वे किसी भी मंत्र को अधूरी जानकारी के साथ करते है और उम्मीद करते है की उनको जल्दी सफलता मिल जाए लेकिन ऐसा होता है और 95% लोग पहले प्रयास मे ही फ़ेल हो जाते है। अगर आपके साथ ऐसा हो रहा है तो आपको कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए जैसे की कोई भी vashikaran mantra for love बिना सही विधि के काम नहीं करता है। आप मंत्र जप के लिए सुबह का या रात का चुनाव करते है लेकिन शुभ महूर्त, लग्न और नक्षत्र को भूल जाते है। इनके बगैर ये उपाय काम नहीं करते है। अगर आप एकांत मे वशीकरण का उपाय कर रहे है जो की मसानी या चौराहे से जुड़ा है तो इसका उपाय करते समय पीछे मुड़कर देखना और आवाज का जवाब देना निषेध है। वशीकरण की जो क्रिया शमशान मे की जाती है उस वस्तु को घर मे नहीं ला सकते है। घर लौटने से पहले नहा ले तो ही घर मे प्रवेश करे। कोई भी वशीकरण का उपाय चाहे वो स्त्री वशीकरण हो या फिर पुरुष वशीकरण इनमे पहली बार मे ही कोई सफल नहीं होता है। ज़्यादातर लोग बिना किसी ध्यान अभ्यास के इसका प्रयोग करते है जिसकी वजह से वे सफल नहीं होते है और उन्हे लगता है की मंत्र काम नहीं करता है। अगर आप कोई मंत्र जप कर रहे है और उसका स्पंदन आपके अंदर महसूस न हो तो समझ ले की मंत्र का जागरण नहीं हो रहा है। जब भी कोई मंत्र जाग्रत होता है आपके उच्चारण का तरीका बदल जाता है। मंत्र मुह से नहीं गले से निकलना शुरू हो जाता है। अगर पहली बार मे सफलता नहीं मिलती है तो आपको निराश नहीं होना चाहिए। मंत्र का जप पूरी एकाग्रता से करे ताकि उसका प्रभाव आपके शरीर पर देखने को मिलने लगे। वशीकरण मंत्र से जुड़ी जानकारी पर ध्यान दे मंत्र जप के दौरान की जाने वाली सबसे बड़ी गलती होती है सिर्फ counting पर ध्यान देना। हम सिर्फ मंत्र का जप कितने बार करना है इस पर ध्यान देते है जबकि हमे ध्यान देना है मंत्र के जप पर। जितना गहरा हमारा मंत्र का जप होगा उतना ही ज्यादा प्रभाव देखने को मिलेगा। सफलता के लिए 2 बाते हमेशा ध्यान दे पहला मंत्र पर पूरी एकाग्रता और दूसरा मंत्र का जप अंदर से हो। इस article मे share किए गए सभी मंत्र इंद्रजाल की पुस्तक से लिए गए है। ये मंत्र कितने प्रभावी है इसका दावा नहीं करते है क्यो की पूरी जानकारी एक जगह मिलना संभव नहीं है। अगर मंत्र जप के दौरान आप सही जानकारी नहीं रखते है तो प्रयोग सफल होने का कोई चान्स नहीं बनता है। Vashikaran mantra को काम मे कैसे ले जो भी vashikaran mantra for women या फिर akarshan mantra share किए जाते है वो अलग अलग तरीको पर काम करते है। इस article मे share किए गए सभी best akarshan mantra love in Hindi को हमने indrajaal book से लिया है। हालांकि मंत्र की पूरी विधि को जानने के लिए आपको पहले इंद्रजाल को समझना होगा। अगर ऊपर बताए गए किसी मंत्र को आप आजमाते है और असफल होते है तो समझ ��े की आपके प्रयास मे काही न काही कोई कमी रही है। ऐसा नहीं है ���ी मंत्र काम नहीं करते है कई बार हमारे प्रयास मे कमी रह जाती है। अगर आप भी aghori vashikaran mantra या मसानी वशीकरण के उपाय कर रहे है तो आपको सावधान रहना चाहिए। बिना किसी तरह की सलाह के इंका प्रयोग करना सही नहीं रहता है। Read the full article
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कार्य और प्रवेश (8)
मैंने कई बार कहा है कि परमेश्वर के अंतिम दिनों के कार्य का उद्देश्य है प्रत्येक व्यक्ति की आत्मा को बदलना, प्रत्येक व्यक्ति की रूह को बदलना, ताकि उनके दिल में, जिसने अत्यंत आघात को सहा है, सुधार लाया जा सके, जिससे उनकी उस आत्मा को बचाया जा सके जिसे गंभीर रूप से बुराई द्वारा हानि पहुंचाई गई है; इसका उद्देश्य लोगों की आत्माओं को जगाना है, उनके बर्फ़ जैसे जमे हुए दिलों को पिघलाना है, और उनका जीर्णोद्धार करना है। यही है परमेश्वर की महानतम इच्छा। मनुष्य का जीवन और उसके अनुभव कितने ऊँचे या गहरे हैं, उनकी बातें करना बंद करो; जब लोगों के दिलों को जागृत किया जाता है, जब उन्हें अपने सपनों से जगा दिया जाता है और बड़े लाल अजगर द्वारा पहुँचाई गई हानि के बारे में वह पूरी तरह अवगत हो जाते हैं, तो परमेश्वर की सेवा का काम पूरा हो जाएगा। जिस दिन परमेश्वर का कार्य पूरा हो जाता है, यही वह दिन होता है जब मनुष्य भी परमेश्वर में सही विश्वास की राह पर आधिकारिक तौर पर चलना शुरू करता है। इस समय, परमेश्वर की सेवा समाप्त हो जाएगी: परमेश्वर का देहधारी कार्य पूरी तरह पूर्ण हो चुका होगा, और मनुष्य आधिकारिक तौर पर उस कर्तव्य को पूरा करना शुरू कर देगा जो उसे करना चाहिए—वह अपनी सेवकाई का कार्य करेगा। ये परमेश्वर के कार्य के कदम हैं। इस प्रकार, इन बातों को जानने की नींव पर तुम लोगों को प्रवेश की अपनी राह की तलाश क���नी चाहिए। यह सब कुछ तुम लोगों को समझना चाहिए। मनुष्य की प्रविष्टि में तब ही सुधार आएग�� जब परिवर्तन उसके दिल की गहराई में होगा, क्योंकि परमेश्वर का कार्य मनुष्य का—वह मनुष्य जिसे छुड़ा लिया गया है, जो अभी भी अंधेरे की शक्तियों के बीच रहता है, और जिसने कभी भी स्वयं को जगाया नहीं है—राक्षसों के एकत्रित होने के इस स्थान से पूर्ण उद्धार है; यह हो सकता है कि मनुष्य सदियों के पापों से मुक्त हो जाए, और परमेश्वर का चहेता बन जाए, और बड़े लाल अजगर को पूरी तरह से मार डाले, परमेश्वर के राज्य को स्थापित करे, और परमेश्वर के दिल को जल्द आराम पहुँचाए, यह बिना किसी रोकटोक के उस घृणा को अपने सीने से निकाल देना है, उन फफुंद से ढके रोगाणुओं को हटा देना है, तुम लोगों के लिए इस जीवन को छोड़ पाना संभव करना है जो एक बैल या घोड़े के जीवन से कुछ अलग नहीं, एक दास बनकर रहना छोड़ देना है, बड़े लाल अजगर से स्वतंत्रता से कुचले जाने या उसकी आज्ञा मानने को त्याग देना है; अब तुम लोग इस असफल राष्ट्र का हिस्सा नहीं रहोगे, अब घृणित बड़े लाल अजगर से नहीं जुड़े रहोगे, अब तुम लोग उसके दास नहीं रहोगे। राक्षसों का घोंसला निश्चित रूप से परमेश्वर द्वारा टुकड़े-टुकड़े कर दिया जाएगा, और तुम लोग परमेश्वर के साथ खड़े रहोगे—तुम लोग परमेश्वर के होगे, और दासों के इस साम्राज्य के नहीं रहोगे। परमेश्वर इस अंधियारे समाज से लंबे समय से घृणा करता आया है। इस दुष्ट, घिनौने बूढ़े सर्प पर अपने पैरों को रखने के लिए वह अपने दांतों को पीसता है, ताकि वह फिर से कभी न उठ पाए, और फिर कभी मनुष्य का दुरुपयोग न कर पाए; वह उसके अतीत के कर्मों को क्षमा नहीं करेगा, वह मनुष्य को दिए गए धोखे को बर्दाश्त नहीं करेगा, वह प्रत्येक युग में उसके सभी पापों के लिए उसका हिसाब करेगा; सभी बुराईयों के इस सरगना के प्रति परमेश्वर थोड़ी भी उदारता नहीं दिखाएगा,[1] वह पूरी तरह से इसे नष्ट कर देगा।
हज़ारों सालों से यह गंदगी की भूमि रही है, यह असहनीय रूप से मैली है, दुःख से भरी हुई है, प्रेत यहाँ हर कोने में घूमते हैं, चाले चलते हुए और धोखा देते हुए, निराधार आरोप लगाते हुए,[2] क्रूर और भयावह बनते हुए, इस भूतिया शहर को कुचलते हुए और मृत शरीरों से भरते हुए; क्षय की बदबू ज़मीन को ढक चुकी है और हवा में शामिल हो गई है, और इसे भारी रूप से संरक्षित रखा जाता है।[3] आसमान से परे की दुनिया को कौन देख सकता है? सभी मनुष्यों के शरीर को शैतान कसकर बांध देता है, उसकी दोनों आँखें निकाल देता है, और उसके ��ोंठों को मज़बूती से बंद कर देता है। शैतानों के राजा ने हज़ारों वर्षों तक तबाही मचाई है, और आज भी वह तबाही मचा रहा है और इस भूतिया शहर पर करीब से नज़र रखे हुए है, मानो यह राक्षसों का एक अभेद्य महल हो; नज़र रखने वाले प्रहरी इस दौरान चमकती हुई आँखों से घूरते हैं, इस बात से अत्यंत भयभीत कि परमेश्वर उन्हें अचानक पकड़ लेगा और उन सभी को मिटा कर रख देगा, और उन्हें शांति और ख़ुशी के स्थान से वंचित कर देगा। ऐसे भूतिया शहर के लोग कैसे कभी परमेश्वर को देख सकते हैं? क्या उन्होंने कभी परमेश्वर की प्रियता और सुंदरता का आनंद लिया है? मानवीय दुनिया के मामलों की क्या कद्र है उन्हें? उनमें से कौन परमेश्वर की उत्सुक इच्छा को समझ सकता है? यह कोई आश्चर्य की बात नहीं कि देहधारी परमेश्वर पूरी तरह से छिपा हुआ है: इस तरह के अंधियारे समाज में, जहां राक्षस बेरहम और अमानवीय हैं, शैतानों का राजा, जो पलक झपकते ही लोगों को मार डालता है, वो ऐसे परमेश्वर के अस्तित्व को कैसे सहन कर सकता है जो प्यारा, दयालु और पवित्र भी है? वह परमेशवर के आगमन की वाहवाही और जयकार कैसे कर सकता है? ये दास! ये दयालुता का बदला घृणा से चुकाते हैं, उन्होंने लंबे समय से परमेश्वर की निंदा की है, वे परमेश्वर को अपशब्द बोलते हैं, वे चरमसीमा तक क्रूर हैं, उनमें परमेश्वर के प्रति थोड़ा-सा भी सम्मान नहीं है, वे लूटते हैं और डाका डालते हैं, वे सभी विवेक खो चुके हैं, और उनमें दयालुता का कोई निशान नहीं बचा, और वे निर्दोषों को अचेतावस्था की ओर मुग्ध करते हैं। प्राचीनों के पूर्वज? प्रिय नेता? वे सभी परमेश्वर का विरोध करते हैं! उनके हस्तक्षेप ने स्वर्ग के नीचे के सभी लोगों को अंधेरे और अराजकता की स्थिति में छोड़ दिया है! धार्मिक स्वतंत्रता? नागरिकों के वैध अधिकार और हित? ये सब पाप को छिपाने के तरीके हैं! किसने परमेश्वर के कार्य को स्वीकार कर लिया है? किसने परमेश्वर के कार्य के लिए अपना जीवन अर्पित किया है या रक्त बहाया है? पीढ़ी दर पीढ़ी, माता-पिता से लेकर बच्चों तक, दास मनुष्य ने परमेश्वर को अनुचित तरीके से गुलाम बना लिया है—ऐसा कैसे हो सकता है कि यह रोष उत्तेजित नहीं करता है? दिल में हज़ारों वर्ष की घृणा भरी हुई है, पापीपन की सहस्राब्दियाँ दिल पर अंकित हैं—यह कैसे घृणा को प्रेरित नहीं करेगा? परमेश्वर का बदला लो, अपने शत्रु को पूरी तरह समाप्त कर दो, उसे अब अनियंत्रित ढंग से फैलने की अनुमति न दो, और उसे अपनी इच्छानुसार परेशानी पैदा मत करने दो! यही समय है: मनुष्य अपनी सभी शक्तियों को लंबे समय से इकट्ठा करता आ रहा है, उसने इसके लिए अपने सभी प्रयासों को समर्पित किया है, हर कीमत चुका�� है, ताकि वह इस दानव के घृणित चेहरे को तोड़ सके और जो लोग अंधे हो गए हैं, जिन्होंने हर प्रकार की पीड़ा और कठिनाई सही है, उन्हें अनुमति दे कि वे अपने दर्द से उठें और इस दुष्ट प्राचीन शैतान को अपनी पीठ दिखाएं। परमेश्वर के कार्य के सामने ऐसी अभेद्य बाधा क्यों डालना? परमेश्वर के लोगों को धोखा देने के लिए विभिन्न चालों को क्यों आज़माना? वास्तविक स्वतंत्रता और वैध अधिकार और हित कहां हैं? निष्पक्षता कहां है? आराम कहाँ है? स्नेह कहाँ है? धोखेबाज़ योजनाओं का उपयोग करके परमेश्वर के लोगों को क्यों छलना? परमेश्वर के आगमन को दबाने के लिए बल का उपयोग क्यों? क्यों नहीं परमेश्वर को उस धरती पर स्वतंत्रता से घूमने दिया जाए जिसे उसने बनाया? क्यों परमेश्वर को तब तक परेशान किया जाए जब तक उसके पास आराम से सिर रखने के लिए जगह न रहे? मनुष्यों के बीच का स्नेह कहाँ है? लोगों के बीच स्वागत की भावना कहां है? परमेश्वर में इस तरह की हताश तड़प क्यों पैदा करना? परमेवर को क्यों बार-बार पुकारने पर मजबूर करना? परमेश्वर को अपने प्रिय पुत्र के लिए चिंता करने के लिए क्यों मजबूर करना? यह अंधकारमय समाज और उसके शत्रुओं के संरक्षक कुत्ते क्यों परमेश्वर को स्वतंत्रता से इस दुनिया में आने और जाने से रोकते हैं जिसे उसने बनाया? मनुष्य क्यों नहीं समझता, वह मनुष्य जो दर्द और पीड़ा के बीच रहता है? तुम लोगों के लिए, परमेश्वर ने अत्यंत यातना सही है, और अपने प्यारे पुत्र, उसके अपने देह और रक्त को अत्यंत दर्द के साथ तुम लोगों को सौंपा है—तो फिर क्यों तुम लोग अभी भी अपनी आँखें फेर लेते हो? हर किसी के सामने, तुम लोग परमेश्वर के आगमन को अस्वीकार करते हो, और परमेश्वर की दोस्ती को मना करते हो। तुम लोग इतने अभद्र क्यों हो? क्या तुम लोग ऐसे अंधियारे समाज में अन्याय को सहन करने के लिए तैयार हो? शत्रुता की सहस्राब्दियों के साथ स्वयं को भरने के बजाय, तुम लोग क्यों शैतानों के राजा के "बकवास" के साथ स्वयं को छलते हो?
परमेश्वर के कार्य के रास्ते में बाधाएं कितनी बड़ी हैं? क्या कभी किसी को पता चला है? गहरे बैठे अंधविश्वासी रंगों से घिरे लोगों में से कौन परमेश्वर के सच्चे चेहरे को जानने में सक्षम है? इस ऊपरी और बेतुके पिछड़े सांस्कृतिक ज्ञान के साथ वे कैसे पूरी तरह से परमेश्वर की बातों को समझ सकते हैं? यहां तक कि जब उनसे बात की जाती है और उन्हें चेहरे से चेहरे तक, मुंह से मुंह तक पोषित किया जाता है, तो भी वे कैसे समझ सकते हैं? कभी-कभी ऐसा लगता है कि परमेश्वर के वचन बहरे कानों पर पड़ते हैं: लोगों की थोड़ी-सी भी प्रतिक्रिया नहीं होती है, वे अपना सिर हिलाते हैं और कुछ नहीं समझते। यह चिंताजनक कैसे नहीं हो सकता? इस "दूरस्थ,[4] प्राचीन सांस्कृतिक इतिहास और सांस्कृतिक ज्ञान" ने लोगों के एक बेकार समूह को विकसित किया है। यह प्राचीन संस्कृति—बहुमूल्य विरासत—बकवास का ढेर है! ��ह बहुत पहले ही एक अकथनीय, अनन्त धब्बा बन चुका था! इसने लोगों को परमेश्वर का विरोध करने की चालें और तकनीकें सिखा दी हैं, और राष्ट्रीय शिक्षा के "क्रमित, सौम्य मार्गदर्शन"[5] ने लोगों को परमेश्वर के प्रति अधिक अवज्ञाकारी बना दिया है। परमेश्वर के कार्य का हर हिस्सा बहुत मुश्किल है, और पृथ्वी पर अपने कार्य का हर कदम परमेश्वर के लिए परेशानी का कारण है। पृथ्वी पर उसका कार्य कितना मुश्किल है! पृथ्वी पर परमेश्वर के कार्यों के कदमों में बड़ी कठिनाई शामिल है: मनुष्य की कमज़ोरी, कमियाँ, बचपना, अज्ञानता और मनुष्य का सब कुछ—प्रत्येक पर परमेश्वर सावधानीपूर्वक योजनाबद्ध और ध्यानपूर्वक विचार करता है। मनुष्य एक कागज़ी बाघ की तरह है जिसे कोई पकड़ने या भड़काने की हिम्मत नहीं करता; हल्के-से स्पर्श से वह काट लेता है, या फिर नीचे गिर जाता है और अपना रास्ता खो देता है, और ऐसा लगता है कि एकाग्रता की थोड़ी-सी कमी पर वह पुनः वापस चला जाता है, या फिर परमेश्वर की उपेक्षा करता है, या फिर अपने शरीर की अशुद्ध चीज़ों का आनंद उठाने के लिए अपने सुअर पिता और कुत्ती मां के पास चला जाता है। यह कितनी बड़ी बाधा है! अपने कार्य के लगभग प्रत्येक व्यावहारिक कदम पर, परमेश्वर को आज़माया जाता है, और लगभग प्रत्येक कदम बड़े खतरे को पैदा करता है। उसके वचन निष्कपट और ईमानदार हैं, और बिना द्वेष के हैं, फिर भी कौन हैं जो उन्हें स्वीकार करने को तैयार हैं? कौन है जो पूरी तरह से स्वयं को अर्पित करने को कौन तैयार है? यह परमेश्वर के दिल को तोड़ देता है। वह मनुष्यों के लिए दिन-रात कष्ट सहता है, वह मनुष्यों के जीवन के लिए चिंता से घिरा रहता है, और वह मनुष्य की कमज़ोरी के साथ सहानुभूति रखता है। अपने बोले गए सभी वचनों के लिए उसने अपने कार्य के प्रत्येक चरण में कई मोड़ और मुश्किलों का सामना किया है; वह हमेशा एक चट्टान और सख्त जगह के बीच फंसा रहता है, और मनुष्य की कमज़ोरी, अवज्ञा, बचपने और भेद्यता के बारे में दिन-रात बार-बार सोचता है। यह किसे पता है? वह किस पर विश्वास कर सकता है? कौन समझ सकेगा? वह मनुष्यों के पापों और हिम्मत की कमी, और दुर्बलता से हमेशा घृणा करता है, ��र वह हमेशा मनुष्य की भेद्यता के बारे में चिंता करता है, और उस राह के बारे में विचार करता है जो भविष्य में मनुष्य के सामने आने वाला है; हमेशा, जब वह मनुष्य के वचनों और कर्मों को देखता है, तो वह दया, और क्रोध से भर जाता है, और हमेशा इन चीज़ों के देखने से उसके दिल में दर्द पैदा होता है। निर्दोष, आखिरकार, कठोर हो चुके हैं; क्यों परमेश्वर को हमेशा उनके लिए चीज़ों को मुश्किल करना होता है? कमज़ोर मनुष्य में पूरी तरह से दृढ़ता की कमी है; क्यों परमेश्वर हमेशा उसके लिए ऐसा क्रोध रखता है जो कभी समाप्त नहीं होता? कमज़ोर और निर्बल मनुष्य में अब थोड़ी-सी भी जीवन-शक्ति नहीं बची है; क्यों परमेश्वर को हमेशा उसकी अवज्ञा के लिए उसे डाँटना होता है? स्वर्ग में परमेश्वर की धमकियों का सामना कौन कर सकता है? आखिरकार, ��नुष्य नाज़ुक और हताशा की स्थिति में है, परमेश्वर ने अपना गुस्से अपने दिल में गहराई तक पहुँचा दिया है, ताकि मनुष्य धीरे-धीरे स्वयं पर विचार कर सके। फिर भी मनुष्य, जो गंभीर संकट में है, परमेश्वर की इच्छा की थोड़ी-सी भी सराहना नहीं करता; उसे शैतानों के बूढ़े राजा के पैरों तले कुचल दिया गया है, फिर भी वह पूरी तरह से अनजान है, वह हमेशा परमेश्वर के विरुद्ध स्वयं को रख देता है, या फिर उसकी परवाह नहीं करता। परमेश्वर ने कई वचन कहे हैं, फिर भी किसने उन्हें कभी गंभीरता से लिया है? मनुष्य परमेश्वर के वचनों को नहीं समझता, फिर भी वह बेफ़िक्र और बिना किसी तड़प के रहता है, और कभी भी उसने बूढ़े शैतान का सार असल में नहीं जाना है। लोग अधोलोक में, नरक में रह रहे हैं, लेकिन मानते हैं कि वे समुद्र तल के महल में रह रहे हैं; उन्हें बड़े लाल अजगर द्वारा सताया जाता है, फिर भी उन्हें लगता है कि उन्हें अजगर के राज्य द्वारा कृपा प्राप्त हो रही है[6]; शैतान उनका उपहास करता है, फिर भी उन्हें लगता है कि वे शरीर की उत्कृष्ट कलात्मकता का आनंद ले रहे हैं। कितने मैले, नीच व्यक्तियों का यह समूह है! मनुष्य दुर्भाग्य का सामना कर चुका है, लेकिन उसे पता नहीं है, और इस अंधियारे समाज में उसे एक के बाद एक दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ता है,[7] फिर भी वह इससे जाग नहीं पाया है। कब वह अपनी आत्म-दया और दासता के स्वभाव से छुटकारा पाएगा? क्यों उसे परमेश्वर के दिल की कोई चिंता नहीं है? क्या वह चुपचाप इस दमन और कठिनाई को अपना लेता है? क्या वह उस दिन की इच्छा नहीं रखता जब वह अंधेरे को प्रकाश में बदल सके? क्या वह एक बार फिर धार्मिकता और सत्य के विरुद्ध हो रहे अन्याय को रोकना नहीं चाहता? जब लोग सत्य को त्याग देते हैं और तथ्यों को तोड़-मरोड़ देते हैं, तो क्या वह देखते रहने और कुछ न करने के लिए तैयार है? क्या वह इस दुर्व्यवहार को सहते रहने में खुश है? क्या वह दास बने रहना चाहता है? क्या वह इस असफल राज्य के गुलामों के साथ परमेश्वर के हाथ नष्ट होने को तैयार है? तुम्हारा संकल्प कहां है? तुम्हारी महत्वाकांक्षा कहां है? तुम्हारी गरिमा कहां है? तुम्हारा सम्मान कहां है? तुम्हारी स्वतंत्रता कहां है? क्या तुम शैतानों के राजा, बड़े लाल अजगर के लिए अपना पूरे जीवन[8] अर्पित करना चाहते हो? क्या तुम ख़ुश हो कि वह तुम्हें यातना देते-देते मौत के घाट उतार दे? गहराई का चेहरा अराजक और अंधियारा है, सामान्य लोग ऐसे दुखों का सामना करते हुए, स्वर्ग की ओर देखकर रोते हैं और पृथ्वी को शिकायत करते हैं। मनुष्य कब अपने सिर को ऊँचा रख पाएगा? मनुष्य कमज़ोर और दुर्बल है, वह इस क्रूर और अत्याचारी शैतान से कैसे संघर्ष कर सकता है? वह क्यों नहीं जितनी जल्दी हो सके परमेश्वर को अपना जीवन सौंप देता है? वह क्यों अभी भी डगमगाता है, जब वह परमेश्वर का कार्य समाप्त कर सकता है? इस प्रकार बिना किसी उद्देश्य से दंड और दमन सहते हुए, उसका पूरा जीवन अंततः व्यर्थ हो जाएगा; वह आने के लिए इतनी जल्दी में क्यों है, और जाने की उसे इतनी जल्दी क्यों है? क्यों नहीं वह परमेश्वर को देने के लिए कुछ अनमोल रखता है? क्या वह घृणा की सहस्त्राब्दियों को भूल गया है?
शायद, कई लोग परमेश्वर के कुछ वचनों से घृणा करते हैं, या शायद वे न तो उनसे घृणा करते हैं और न ही उनमें कोई रुचि रखते हैं। चाहे कुछ भी हो, तथ्य बेतुके तर्क नहीं हो सकते; कोई भी ऐसे वचन नहीं बोल सकता है जो तथ्यों का उल्लंघन करते हों। इस समय, परमेश्वर इस तरह का कार्य करने के लिए देहधारी बना है, उस कार्य को पूरा करने के लिए जो उसने अभी पूर्ण नहीं किया है, इस युग को समाप्ति की तरफ़ ले जाने के लिए, इस युग का न्याय करने के लिए, दुख के समुन्दर की दुनिया से अत्यंत पापियों को बचाने के लिए और पूरी तरह उन्हें बदलने के लिए। यहूदियों ने परमेश्वर को क्रूस पर चढ़ा दिया, और इस प्रकार यहूदिया में परमेश्वर की यात्रा समाप्त कर दी। उसके कुछ ही समय के बाद, परमेश्वर व्यक्तिगत रूप से एक बार फिर मनुष्य के बीच आया, चुपचाप बड़े लाल अजगर के देश में। वास्तव में, यहूदी राज्य के धार्मिक समुदाय ने लंबे समय से अपनी दीवारों पर यीशु की छवि को लटका दिया था, और अपने मुंह से लोगों ने चिल्लाया "प्रभु यीशु मसीह"। उन्हें नहीं पता था कि यीशु ने बहुत समय पहले ही मनुष्य के बीच वापस आकर अपने अपूर्ण कार्य के दूसरे चरण को पूरा करने के अपने पिता के आदेश को स्वीकार कर लिया था। परिणामस्वरूप, जब लोगों ने उसे देखा तो वे आश्चर्यचकित रह गए: वह एक ऐसी दुनिया के बीच पैदा हुआ था जिसमें कई युग गुज़र चुके थे, और वह मनुष्य के सामने एक बहुत ही साधारण व्यक्ति का रूप धारण करके प्रकट हुआ। वास्तव में, जैसे-जैसे युग गुज़रे, उसके कपड़े और उसका पूरा स्वरूप बदल गया, मानो उसका पुनर्जन्म हुआ हो। लोग कैसे जान सकते थे कि यह वही प्रभु यीशु मसीह है जो क्रूस से नीचे आया और पुनर्जीवित हुआ था? उसे थोड़ी-सी भी चोट नहीं लगी थी, बिल्कुल वैसे ही जैसे यीशु यहोवा के समान नहीं दिखता था। आज का यीशु बहुत समय से गुज़रे हुए युगों के बोझ के बिना है। लोग उसे कैसे जान सकते थे? कपटी "थॉमस" को हमेशा संदेह था कि वह पुनर्जीवित यीशु है, इससे पहले कि वह अपने मस्तिष्क को समझा सके उसे हमेशा से पहले यीशु के हाथों पर कीलों के निशान देखने होते हैं; बिना उन्हें देखे, वह हमेशा संदेह से उसे देखता रहता है, और ठोस ज़मीन पर अपने पैरों को रखने ��र यीशु का अनुसरण करने में असमर्थ रहता है। बेचारा "थॉमस"—वह कैसे जान सकता था कि यीशु पिता परमेश्वर द्वारा अधिकृत कार्य करने के लिए आया है? यीशु को क्रूस पर चढ़ाए जाने के निशानों को धारण करने की ज़रूरत क्यों है? क्या क्रूस पर चढ़ाए जाने के निशान यीशु के निशान हैं? वह अपने पिता की इच्छा के लिए कार्य करने आया है; वह हज़ारों साल पहले के यहूदी के पहनावे और रूप में क्यों आएगा? जो रूप देहधारी परमेश्वर लेता है, क्या वह उसके कार्य में बाधा डाल सकता है? यह किसका सिद्धांत है? ऐसा क्यों है कि जब भी परमेश्वर कार्य करे, तो वह मनुष्य की कल्पना के अनुसार हो? परमेश्वर अपने कार्य में केवल एक ही चीज़ का प्रयास करता है, और वह है कि उसका प्रभाव हो। वह कानून का पालन नहीं करता है, और उसके कार्य के कोई नियम नहीं हैं—मनुष्य यह कैसे समझ सकता है? मनुष्य की धारणाएं परमेश्वर के कार्य को कैसे देख सकती हैं? तो बेहतर होगा कि तुम लोग ठीक से समझ जाओ: छोटी-छोटी बातों के बारे ��ें हंगामा मत करो, और उन चीज़ों के बारे में शोर न मचाओ जो तुम लोगों के लिए नई हैं—ये तुम्हें अपना मज़ाक बनवाने से और लोगों को तुम लोगों पर हँसने से रोकेगा। तुमने परमेश्वर पर इतने वर्षों से विश्वास किया है और फिर भी तुम परमेश्वर को नहीं जानते; आखिरकार, तुम ताड़ना का सामना करते हो, तुम्हें, जो "श्रेणी में सबसे ऊपर" हो,[9] उसे ताड़ना से गुज़रने वालों के बीच पहुँचा दिया जाता है। अपनी छोटी-छोटी चालों को दिखाने के लिए चालाक साधनों का उपयोग नहीं करना; क्या तुम्हारी अल्पदृष्टि वास्तव में परमेश्वर का अनुभव कर सकती है, जो अनंत काल से अनंत काल तक देखता है? क्या तुम्हारा सतही अनुभव पूरी तरह से परमेश्वर की इच्छा को सामने रख सकता है? अहंकार न करो। अखिरकार, परमेश्वर इस दुनिया का नहीं है—तो कैसे उसका कार्य वह हो सकता है जिसकी आशा तुम करते हो?
से: सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया
सम्बन्धित सामग्री: सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा उद्धार
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आज तक मुझे लगता था की लोग गलत करते हैं अमेरिकीयों को डफर बोलके लेकिन नहीं तु तो एक न्् की नालायक हैं और गधी भी। अरे ओ RACIST!!!!! मतलब India की 125 million population अंग्रेजी बोलती है और तुझे लगता है की तु सबके लीखने का तरीका जानती है। या फिर तुझे यह यकीन नहीं आ रहा की हम भी अंग्रेजों की तरह लिख सकते है। साली चुतीया पागल कुत्ती। झाहनुम में मर।
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Best Curse Word Tournament!
कुत्ती (Hindi) kutti /kʊt̪.t̪iː/ bitch
vaffanculo (Italian) /vaf.fanˈku.lo/ fuck you; go fuck yourself; literally, “go do it in the ass”
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कुत्ते ने काट लिया! (हास्य कहानी) #ज़हन
दिलजला कुत्ता
कुत्ते के काटने और गोली लगने में तुलना की जा सकती है। जैसे कुत्ता काटकर निकल ले, उसके दाँतों और आपके शरीर का कोण सही ना बैठे या आप तुरंत छुड़ा लें, तो उसे गोली शरीर से छूकर निकलना कहा जा सकता है, फिर दूसरा होता है कि कुत्ता तसल्ली से शरीर के किसी हिस्से को हपक के काटे और कुछ सेकंड चिचोड़े भी तो इसे कहेंगे गोली लगना। अभी रुकि��! तीसरा गोलियों से छलनी होना नहीं सुना? या जो फिल्मों में विलेन बोलते हैं, "गोलियों से भून डालो इसे!" वो तब होता है जब कुत्ता पगला जाए और व्यक्ति को जगह-जगह काटे, मारने-पीटने पर भी न छोड़े और जान छुड़ानी भारी पड़ जाए। ये कहानी एक ऐसे ही पागल कुत्ते की है....प्यार में पागल कुत्ते की।
सच्चे प्यार की फ्रीक्वेंसी जन्मजन्मांतर तक सेट होती है। पिछले जन्म में ये कुत्ता जी सूर्य शर्मा नामक इंसान हुआ करते थे। सुन्दर, सुशील और दयावान, मतलब इतने गुणी की इनके गुणों की संख्या से लोग जलते थे। इन्हें अपने मोहल्ले की युवती सुलोचना पर क्रश था। कई महीनो तक शर्मा जी शर्माते-शर्माते, तरह-तरह के जतन करते आखिरकार अपना प्रेम अभिव्यक्त करने में सफल रहे और शुरू हुई एक इंटर-लाइफ लव स्टोरी! सूर्य और सुलोचना एक दूसरे को इतनी अच्छी तरह समझते थे कि चेहरे के भाव देख कर समझ जाते थे कि उनके प्रीतम के मन में धूम मच रही है या कुछ देर पहले खाये गोलगप्पे ज़्यादा तीखें हैं।
प्रेमी जोड़े में बुद्धिमत्ता बहुत थी तो बिना किसी जानकार को भनक लगे किसी गुप्तचर की चपलता से दोनों लगभग रोज़ ही मिल लेते थे। सुलोचना की रूचि फैशन डिजाइनिंग में थी और वह एक प्रतिष्ठित यूरोपीय संस्थान में पढाई की स्कॉलरशिप का सपना देख रही थी। उस छात्रवृत्ति के लिए सुलोचना को फैशन डिप्लोमा की आवश्यकता थी जिसकी फीस लाखो में थी। सूर्य को जब यह बात पता चली तो उसने अपने सभी संसाधन सुलोचना के डिप्लोमा की तरफ केंद्रित किये। अपनी दूकान बेचकर उसने किसी तरह सुलोचना की फीस भरी। घर पर इन घटनाओं और हरकतों के लिए दोनों अब भी बहाने बना रहे थे। जैसे सुलोचना ने अपने घरवालो को बताया था कि उसे स्थानीय संस्थान द्वारा मिली छात्रवृति से उसकी कोई फीस नहीं लग रही है। भाग्य से डिप्लोमा हो जाने के बाद प्रतिभावान सुलोचना का चयन स्कालरशिप के लिए हो गया और वह फिनलैंड के प्रतिष्ठित फैशन संस्थान में पढ़ने चली गई। सूर्य को अपना हर बलिदान सार्थक लगा और वह आतुरता से सुलोचना के लौटने के दिन-हफ्ते-महीने गिनने लगा।
लंबे इंतज़ार के बाद सुलोचना लौटी पर वही एक व्यक्ति से शादी करने के बाद। सूर्य का जैसे संसार उजड़ गया। कहाँ उसने आगे के एक-एक वर्ष की योजना बना रखी थी और कहाँ उसका अब बीत रहा हर क्षण कटीले पहाड़ चढ़ने जैस�� था। सूर्य ने अपनी पुरानी प्रेयसी का सामना किया तो उखड़े मन स�� सुलोचना ने उस से कन्नी काट ली और कहा किशोरावस्था का प्यार असली प्यार नहीं होता। "यह ज्ञान की गंगा मेरी दूकान बिकने से पहले बहा देती कलमुँही।"
अब सूर्य को लगा कि इस मैटीरियलिस्टिक दुनिया में फिलोसॉफी और मोरल साइंस की किताबो वाले जीवन का कोई फायदा नहीं। उसने अपने व्यवहार के सभी गुणों को चुन-चुन कर अवगुण बनाया और इस भौतिक दुनिया से बदला लेने की ठानी। झूठ बोलना, छल करना, पैसा गबन करने से लेकर छोटे पाप जैसे सोते हुए पिल्लो को लात मारना, पहले मीठा गिराकर चींटीयों का मेला लगाना और फिर उस स्थान पर खौलता हुआ पानी डालना या कड़े सोल वाले जूते पहनकर डांस करना, गरीबो के घर में कलह बढ़ाने के लिए मुफ्त में शराब बाँटना, बाजार में तरह-तरह की अफवाह फैलाना आदि। जब तक वह दिन में ऐसी कुछ हरकतें ना कर लेता उसके कलेजे को ठंडक नहीं मिलती थी। कुछ वर्षो बाद उसकी अकाल मृत्यु हो गयी और उसके खाते में लिखे हज़ारो-लाखो अपराधों के कारण उसने कुत्ते की योनि में जन्म लिया। भाग्य फिर उसे अपने पिछले जन्म की प्रेमिका के घर के बाहर ले आया। अब सुलोचना एक प्रौढ़ औरत, 6 साल के बच्चे की माँ थी। उसके घर के बाहर निरीह पिल्ले (सूर्य) की आवाज़ों से सुलोचना के बच्चे प्रणव का मन पिघल गया और वह अपने माता-पिता की अनुमति से उसे अपने घर ले आया। इस पिल्ले का नाम सूरज रखा गया। किसी कारणवश सूर्य (सूरज) में अब भी अपने पिछले जन्म की स्मृतियाँ प्रबल थी। उसे कुलोचना (जो वह सुलोचना को मन में बुलाता था) का धोखा, उसकी बातें, पेड़ की आड़ में ली गई पप्पियां तक याद थी। वह उस घर में रहना तो नहीं चाहता था पर सड़क के कुत्तो के बदहाल जीवन की अपेक्षा ऐसा पालतू जीवन बेहतर था। उसने देखा कैसे सुलोचना के बड़े हो रहे लड़के प्रणव की 3 गर्ल फ्रेंड्स हैं और सोचा ("बिलकुल माँ पे गया है नासपिटा"). सुलोचना का अपना भव्य बुटीक और एक स्थानीय ज़री कला के कपड़ो की दुकान थी। अपना व्यापार बढ़ाने और बड़े स्तर पर प्रचार के लिए उसे कुछ निवेशकों की आवश्यकता थी। उसके शहर में घूमने आ रहे कुछ विश्वप्रसिद्द फैशन डिज़ाइनर, व्यापारियों का प्रतिनिधिमंडल एक अच्छा अवसर था। उसे डर था कि उस से पहले कोई और प्रतिद्वन्दी बाज़ी ना मार ��े जाए। आनन-फानन में उसने अपने घर के पर्दे, कालीन, गमले, नहाने की बाल्टी तक बदल दी। उसका पुराना आशिक कुत्ता सूरज ये ट्रेंड भांप चुका था। रात को उसने छुपकर कुलोचना और उसके पति पल्लव की बातें सुनी।
"ऐसे कैसे सूरज की जगह क्यूट सा पग ले आयें। 3-4 साल से घर में है, प्रणव नाराज़ नहीं होगा?" कुलोचना - "विदेशी मेहमानों के लिए घर का इतना सब बदलवाया है, अब उनके आगे देसी कुत्ते से अच्छा इम्प्रैशन नहीं जमेगा। परसो वो लोग आ रहे हैं, कल रात प्रणव के सोने के बाद, सूरज को कार से कहीं दूर छोड़ आएंगे।"
गुस्से मे कुंकारते सूरज ने गमले में ज़ोर से अपनी थूथन मारी और नया गमला चटक गया। दर्द तो हुआ पर उसे तसल्ली हुई की कुलक्षणी का ढाई सौ रुपये वाला एक गमला तो चटकाया। अगली रात प्लान के अनुसार सूरज को घर से बाहर निकालने के लिए पल्लव, सुलोचना जब बालकनी से सटे डॉग हाउस पर पहुंचे तो सूरज वहाँ से नदारद था। पूरे घर में और आस-पास आधा घंटे ढूंढने के बाद भी जब उन्हें कुछ न मिला तो दोनों ने सुबह सूरज को देखने की बात सोची। सुबह भी सूरज कहीं नहीं दिखा। दोनों ने सोचा चलो अच्छा हुआ, सूरज अपने आप ही गायब हो गया और हमारे हाथो से पाप होने से बच गया। सुलोचना अपनी मासिक कमाई के आधे खर्च पर एक फैंसी पग कुत्ता ले आयी। अगले दिन सुलोचना के न्योते पर विदेशी प्रतिनिधिमंडल का आना तय हुआ। सभी बातें सुनियोजित चल रही थी, आखिर सुलोचना और पल्लव ने एक-एक बात का रिहर्सल कर रखा था। मेहमान घर में पधारे और उनके स्वागत सत्कार के बाद नाश्ता शुरू हुआ। इधर अपने मिशन के तहत गली के सभी कुत्तो के साथ सूरज पहले ही छुपकर घर की छत पर पहुँच चुका था। वो उस शाम घर से निकल कर पास की खाली ईमारत में छुप गया था। वैसे तो सड़क के आवारा कुत्ते पालतू कुत्तो से चिढ़ते हैं पर सूरज की दर्द, धोखे वाली प्रेम कहानी सुनकर सबका दिल पसीज गया और उन्होंने सूरज की मदद करने की शपथ ली। अपनी योजना पर रिहर्सल सूरज एंड पार्टी ने भी किया था। मेहमान अभी बैठे ही थे कि अचानक उनपर छत से उतरे दर्जनों कुत्तो का सरप्राइज अटैक हुआ। सूरज अपनी कुत्ती भाषा में अपनी टुकड़ी का मार्गनिर्देशन करने लगा जो वहाँ मौजूद इंसानो को केवल "भौ भौ", "वुफ़-वुफ़" सुनाई दे रही थी।
सूरज (कुत्ती भाषा में) - "साथियों दबोच लो सबको, रास्ते ब्लॉक कर दो! आज ��न सबका ऐसा अतिथि देवो भवः करके भेजना है कि आगे भारत का नाम सुनके आत्मा खनक जाए इन लोगो की। अपनी-अपनी थूथन रगड़ दो इन सबके मुँह, शरीरों पर... लिसलिसा दो एक-एक को! शरीद के डेढ़ मीटर दूर से 'हाउ क्यूट', 'लवली कहके' उठाते हैं और फिर 4 बार हाथ धोते हैं। जरमोफोब कहीं के! दिखाओ इन्हें भारतीय कीटाणुओं की देशभक्ति। लोटा दो ज़मीन पे चिचोड़-चिचोड़ के! चाहे कोई हुश करे या डंडा मारे पर दन्त ऐसे गड़ाने हैं कि सबकी खाल में परमानेंट हलंत के निशान पड़ जाए। नेस्तोनाबूद कर दो ये घर...सोफे फाड़ दो, फर्नीचर तोड़ दो, राशन नाली में बहा दो, बस वो बाद के लिए चॉकलेट केक सरका लेना कोने में और रुक तू कुलोचना की बच्ची....रात से मैंने सू-सू रोक रखा है ताकि तेरा ढाई लाख का नीता लुल्ला डिजाईन लहंगा ख़राब कर सकूँ। ना-ना कुल्टा मुझे पुचकारने या दूध में भीगी ब्रेड जैसे लोलू लालच देने की कोशिश मत कर सनम बेवफा क्योकि जब प्यार की आग का बदला दिल में धधकता हैं ना जान-ए-तमन्ना तो ये संसार भुला देता है। बाल इतने लंबे कैसे हो गए तेरे 2 दिनों में? ओह! नकली एक्सटेंशन बालों वाला जूड़ा...."
तभी किसी कुत्ते ने गलती से रेडियो चला दिया जिसपर लक्खा सिंह की भक्ति भेंटे चल रहे थे। सूरज - "आहा! किसने घड़ा? किसने घड़ा निराला माँ का रंगला चूड़ा....हो रंगला चूड़ा....मैंने नोच खाया कुलोचना का नकली एक्सटेंशन वाला जूड़ा हो नकली जूड़ा....
....और ये बोटॉक्स के इंजेक्शन लगाकर चेहरा बड़ा टाइट कर लिया है इसपर एक काटी तो बनती है। हाँ...गिड़गिड़ा, रो, माफ़ी मांग...मैं भी बहुत तड़पा हूँ कुत्ती! वो भी 2 जन्म। कहाँ है तेरा फिरंगी पग, देख तू उसकी तस्करी नाले पार वाली कॉलोनी मे करवाता हूँ और वो पल्लव वजन की वजह से लंगड़ा के चलता है ना, उसके दूसरे पैर में काट लेता हूँ फिर बैलेंस चलेगा।"
सिर पर कफ़न बाँध कर आये कुत्ते अपनी मिसमिसाहट दूर कर, आखिरकार सूरज के कहने पर वहाँ से दूसरे मोहल्लों के लिए निकल गए। सूरज नगर पालिका की वैन आने तक मोर्चे पर डटकर आतंक मचाता रहा। उसके बंदी बनाये जाने के बाद सुलोचना के घर ��ा दृश्य किसी भूकंप के बाद जैसा था और वहाँ उपस्थित सभी पीड़ित किसी बम ब्लास्ट में जीवित बचे लोगो से लग रहे थे। नाक से अधिक मुँह से सांस लेते विदेशी मेहमान तुरंत भारत की सीमा से बाहर निकलने की बुकिंग करने लगे। सदमे में गमलो की मिट्टी और कुत्तो की लार का उबटन लगाए फ्रिज के नीचे दबी सुलोचना सोच रही थी कि आखिर उसे किस जन्म के पापो की सज़ा मिल रही है।
समाप्त!
#मोहित_शर्मा_ज़हन #Mohitness
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@narendramodi गुरुदेव ईश्वर सब मै ही हूँ,
मेरे charger पे अल्सी का Liquid लगाती है,और बोम्मि रात में जब बोलेतो तब toilet करने लगाती है,
Varsha तू अब बीच में मत आजा,तेरे भले के लिये कहरहा हूँ,
पागल sunita ने रात मे हो दिन मे हो संडास नहीं करती है,इनके संडास बोम्मिसे दूसरोंको परिवर्तन करती है,
पागल sunita का तो पति है ji,उनके संडास कुद्ध उनके पति मे डालके इनका पति मे डालके संडास करने लगाना ता?
सबसे पहले पागल कुत्तीsunita को मारना है ji, पागल sunita को encounter करदो पहले,ज्यादा सवाल ही नहीं है,
ना ही कोयी दया भाव है,ना ही कोयी क्षमा भाव है,पागल कुत्ती sunita ने जिसका बात उसे phone करो बोलके कहो।
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Lockdown...
"तीन हफ्ते रहेगा देश कर्फ्यू के साये में" प्रधानमंत्री ने आज एक बार फिर देशवासियों को बताया कि वैश्विक महामारी कोरोना देश में लगातार पैर पसार रही है । विशेषज्ञों के अनुसार इसकी चैन तोड़ने के लिए कम से कम 21 दिन का लॉक डाउन जरूरी है । इसलिए आज रात 12 बजे से 21 दिनों का लॉक डाउन लागू किया जाता है । यह जनता कर्फ्यू से आगे बढ़कर एक तरह का कर्फ्यू ही है । "क्या यह मेडिकल इमरजेंसी है !" अब जब देश के प्रधानमंत्री ने ही पूरे देश में कर्फ्यू लगाने की घोषणा कर दी है तो फिर राज्य सरकार के आदेश/निर्देश महत्वहीन हो जाते हैं । बागड़ोर केन्द्र सरकार ने अपने हाथों सम्हाल ली है । इसे एक प्रकार की मेडिकल इमरजेंसी भी समझा जा सकता है । "अभी भी स्पष्ट कुछ नहीं है" वैसे प्रधानमंत्री ने बड़ी चतुराई के साथ 21 दिन के कर्फ्यू को इमरजेंसी कहने से परहेज किया है । मगर प्रधानमंत्री भी निश्चित रूप से अभी यह बता पाने की स्थिति में नहीं है कि 21 दिन बाद कर्फ्यू हटा ही दिया जायेगा । इतना तो तय हो गया है कि देश संकट के दौर से गुजर रहा है । सब कुछ भगवान भरोसे ही है । "राजनीति से बाज नहीं आते" वास्तव में राजनीति कुत्ती से भी गई बीती होती है । और जब उसे सत्ता का मीठा जहर लग जाता है तो फिर क्या कहने । राजनीतिक दल और उनके पदाधिकारी मौतों के मंजर में भी खुद को हीरो की तरह प्रोजेक्ट कर प्रचार करने का एक भी मौका नहीं छोड़ते । "एक आवाज पर खुद को कैद किया घर में" देशवासी वैश्विक महामारी कोरोना से जूझ रहा है । प्रदेश सरकारें महामारी को कंट्रोल करने के लिए तरह तरह के प्रतिबंधात्मक आदेश जारी कर रही हैं । नागरिक अपने दैनिक जीवन की जरूरतों के अभाव में भी शासन को सहयोग कर रहा है । लोगों ने खुद को घरों में कैद कर लिया है । "आग लगने पर कुआं खोदने की तैयारी" सरकार ने तब कुआं खोदा जब घर में आग लग गई । सरकार तब जागी जब मौत ने घर में दस्तक दे दी । पड़ोसी देशों में फैली महामारी को देख कर भी हमने कोई तैयारी नहीं की थी । जनता को जागरूक करने के लिए भी पहले से कोई जागरूकता अभियान भी नहीं चलाया गया । "सब कुछ अचानक, अनिश्चित' अचानक एक दिन शाम को देश के मुखिया ने टेलीविजन पर आकर देश���ासियों को बताया कि वैश्विक महामारी कोरोना देश में आ गई है । एक दिन के लिए सभी जनता कर्फ्यू के नाम पर घरों में कैद हो जायें । शाम को ताली, थाली, शंख, घड़ियाल बजाएं । सरकार ने खुद कोरोना महामारी से निपटने के लिए क्या व्यवस्थायें की हैं इसका कोई खुलासा नहीं किया गया । जनता कर्फ्यू कब तक चल सकता है इसका भी कोई संकेत नहीं दिया गया । "हनुमान की पूंछ सी ' हर नागरिक ने यही सोचा कि एक दिन का ही तो बंद है इसलिए घर पर दैनिक रूप पर लगने वाली आवश्यक वस्तुओं का कोई पूर्व संग्रह नहीं किया । नागरिकों को क्या पता था कि जनता के नाम पर लगाया गया कर्फ्यू हनुमान की पूंछ की तरह बढ़ाया जाएगा । "गरीब के सामने रोजी रोटी का संकट !" अगर जनता को पूर्व में यह संदेश दे दिया जाता तो आदमी मानसिक रूप से भी खुद को तैयार कर सकता था । अब जब घरेलू कैदखाने को बढ़ाया जा रहा है तो सम्पन्न परिवार भी परिवार चलाने में कठनाई महसूस करने लगा है । रोज कमा कर परिवार चलाने वालों के सामने तो रोजी रोटी का संकट पैदा हो रहा है । वो घर से निकल नहीं सकता, निकलेगा भी तो रोजगार तो मिलेगा नहीं हां पुलिस के डंडे और ज्यादा हुआ तो हवालात की सैर जरूर मिल जाएगी । घर पर इसी तरह रहा तो भूख से मर जायेगा । "स्पष्ट विजन का अभाव" जब आदमी खुद अभाव में जियेगा तब तो मूक पशुओं के खाने का इंतजाम करना भी दुष्कर हो जाएगा । अभी तो सरकार को भी नहीं मालूम कि घरेलू कैदखाने कब तक चालू रखने हैं । सब कुछ अंधेरे में लठ्ठ घुमाया जा रहा है । जिस तरह से ताबड़तोड़ रोज नित नए दिशा निर्देश जारी किए जा रहे हैं उससे साफ दिखता है कि सरकार के पास कोई स्पष्ट विजन नहीं है । क्या यह घरेलू कैदखाना रूपी हनुमानी पूंछ सब कुछ जला देने के बाद ही रुकेगी ? "राजनीतिक दलों को छूट है क्या !" प्रशासन द्वारा जितने भी नियम कानून जारी किए जा रहे हैं । लगता तो यही है कि ये केवल आम आदमी के लिए ही हैं । खास आदमियों खासतौर पर राजनीतिक दलों उनके लोगों को कुछ भी करने की छूट मिली हुई है । जिसका नजारा मुख्यमंत्री की शपथ के दौरान दिखाई दिया । आज एक पोस्ट भारतीय जनता पार्टी कटनी के जिलाध्यक्ष द्वारा प्रदेश अध्यक्ष के निर्देश का हवाला देते हुए जारी की गई है कि भाजपा जन बूथ स्तर पर कोरोना के प्रति लोगों को जागरूक करें । आज ही जिला दंडाधिकारी ने आदेश जारी कर जिले भर में घरेलू कैदखाने की उमर 31 मार्च तक बढ़ा दी है । तो सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या जिला दंडाधिकारी का प्रतिबंधात्मक आदेश भाजपा के कार्यकर्ताओं पर लागू नहीं होता । उन्हें घर से निकलने के लिए किस नियम के तहत छूट दी गई है ? "जन जागरण की आड़ में झाड़ काटने की तैयारी" कलको कांग्रेस और अन्य राजनीतिक दलों के लोग भी इसी तरह लोगों को जागरूक करने के लिए निकलने लगेंगे । क्योंकि निकट भविष्य में नगरीय चुनाव होने हैं । विधानसभा के उपचुनाव या मध्यावधि चुनाव होंगे तो निश्चय रूप से अपनी फितरत के अनुसार ये राजनीतिक दल आज किये जाने वाले कामों को वोट में भांजने से नहीं चूकेंगे । राजनीतिक दलों की ये जन सेवा नहीं आने वाले चुनाव के लिए बोये जाने वाले बीज हैं जिनसे तैयार होने वाली वोट रूपी फसल को चुनाव में काटा जाएगा । "स्वमेव संज्ञान लें जिम्मेदार" भाजपा जिलाध्यक्ष कटनी द्वारा जारी की गई विज्ञप्ति निश्चित रूप से जिला दंडाधिकारी के प्रतिबंधात्मक आदेश का उल्लंघन करती है । क्या जिला दंडाधिकारी स्वमेव संज्ञान लेकर दण्डात्मक कार्यवाही करेंगे ? या फिर ! "विनम्र अपील" सभी से अपील है कि वैश्विक महामारी कोरोना से दो दो हाथ कर रही सरकार के साथ सरकार द्वारा चाहा जा रहा सहयोग दें । अफवाहों से सावधान रहें । हर निर्णय में अपने बुद्धि विवेक का भी उपयोग करें । "विनम्र अनुरोध" स्थानीय प्रशासन से भी अनुरोध है कि इस विपरीत परिस्थितियों में आम आदमी को मदद करें कि उन्हें जीवन जीने के लिए दैनिक वस्तुओं का आभाव न हो कालाबाजारी का शिकार न हों ।
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हंसना स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद होता है। अगर आप सुबह-शाम हंसने की आदत डाल लें तो कोई भी बीमारी, चाहे मानसिक हो या शारीरिक आपके पास भी नहीं आएगी। from Latest And Breaking Hindi News Headlines, News In Hindi | अमर उजाला हिंदी न्यूज़ | - Amar Ujala https://ift.tt/2r3ZbNT
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"कुत्ती" "कमीनी" "वेश्या" "कुलटा बोल इस भगवा में किसकी रखैल है ?" "अब तक कितनों के बिस्तर पर गई है?" "किसके इशारे पर सब कर रही है ?" "जिंदगी प्यारी है तो जो मैं कहता हूँ कबुल ले बाकी जिंदगी आराम से कटेगी" यह शब्द सुनकर आपकी त्योरियां जरुर चढ़ गई होगी मेरी भी चढ़ गई थी। ऐसे घृणित शब्दों से किसी और को नहीं बल्कि भगवा वस्त्र धारिणी निष्कलंक साध्वी प्रज्ञा को कलंकित "कांग्रेस" के इशारे पर कांग्रेस का दल्ला मुम्बई ATS हेमंत करकरे के सामने मुम्बई पुलिस व ATS के दोगलों ने कहलवाया था. ....... जिस करकरे को आज शहीद मान कर सम्मान दिया जाता है एक नम्बर का नीच आदमी था.... मैं साध्वी जी का एक साक्षात्कार देख रहा था। ऐसे घृणित शब्दों को इशारे में बताया। बताते हुए उनके नेत्र सजल हो गये. साक्षात्कार देखते हुए क्रोधाग्नि से धधक रहे मेरे आँखो से भी अश्रु की धारा फूट पड़ी। "साध्वी दीदी" ने मर्माहत शब्दों में वृत्तान्त सुनाया कि मेरे शरीर का कोई ऐसा अंग नही जिसे चोटिल ना किया गया हो। जब पत्रकार ने पुछा कि मारने के कारण ही आपके रीढ़ की हट्टी टूट गई थी ?? साध्वी दीदी ने कहा, "नहीं, मारने से नहीं, एक जन हमारा हाथ पकड़ते थे एक जन पांव और झूलाकर दीवार की तरफ फेंक देते थे, ऐसा प्राय: रोजाना होता था दीवार से सर टकराकर सुन्न हो जाता था। कमर में भयानक दर्द होता था। ऐसा करते करते एक दिन रीढ़ की हड्डी टूट गई तब अस्पताल में भर्ती कराया गया।" साध्वी दीदी ने बताया, "एक दिन तो ऐसा हुआ कि मारते मारते एक पुलिस वाला थक गया तो दुसरा मारने लगा। उस दौरान मेरे फेफड़े की झिल्ली फट गई फिर भी विधर्मी निर्दयता से मारता रहा."..... साध्वी दीदी ने बताया, "रीढ़ की हड्डी टूटने के बाद मैं बेहोश हो गई थी। जब होश आया तो ���ेखा कि मेरे शरीर से सारा भगवा वस्त्र उतार लिया गया गया था. मुझे एक फ्राक पहनाया गया था।" साध्वी दीदी ने बताया, "मेरे साथ मेरे एक शिष्य को भी गिरफ्तार किया गया था । उसे मेरे सामने लाकर उसे चौड़ा वाला बेल्ट दिया और कहा मार!! अपने गुरु को इस साली को!!" ..... .."शिष्य, सकुचाने लगा तो मैं बोली मारो मुझे !! शिष्य ने मजबुरी में मारा तो जरुर मुझे लेकिन नरमी से। तब एक पुलिस वाले ने शिष्य से बेल्ट छीन कर शिष्य को बुरी तरह पीटने लगा और बोला ऐसे मारा जाता है. "साध्वी दीदी ने बताया कि एक दिन कुछ पुरुष कैदियों के साथ मुझे खड़ी करके अश्लील आडियो सुनाया जा रहा था. मेरे शरीर पर इतनी मार पड़ी थी कि मेरे लिए खड़ी रहना मुश्किल था. मैं बोली कि बैठ जाऊँ वो बोले साली शादी मे आई है क्या कि बैठ जायेगी!! मेरी आँख बंद होने लगी मैं अचेत हो गई। साध्वी दीदी ने बताया, "मेरे दोनों हाथों को सामने फैलवाकर एक चौड़े बेल्ट से मारते थे, मेरा दोनो हाथ सूज जाता था। अँगुलियां भी काम नही करती थी, तब गुनगुना पानी लाया जाता था। मैं अपने हाथ उसमें डालती, कुछ आराम होता तब अंगलुियां हिलने डुलने लगती थी, तो फिर से वही क्रिया मेरे पर मार पड़ती थी। साध्वी जी ने बताया कि मुझे तोड़ने के लिए मेरे चरित्र पर लांछन लगाया। क्योंकि लोग जानते हैं कि किसी औरत को तोड़ना है तो उसके चरित्र पर दाग लगाओ ! मेरे जेल जाने के बाद यह सदमा मेरे पिताजी बर्दास्त नहीं कर पाये और इस दुनियां से चल बसे. साध्वी जी राहत की सांस लेते हुए कहती हैं मेरे अन्दर रहते ही, एक दुर्बुद्धि दुराचारी हेमंत करकरे को तो सजा मिल गई मिल गई अभी बहुत लोग बाकी है। साध्वी दीदी ने बताया, "नौ साल जेल में थी, सिर्फ एक दिन एक महिला ने एक डंडा मारा था, बाकी हर रोज पुरुष ही निर्दयता से हमें पीटते थे." पत्रकार ने पूछा, "आपको समझ में तो आ गया होगा कि क्यों आपको इतने बेरहमी से तड़पाया जा रहा था?" साध्वी जी ने कहा, "हां, भगवा के प्रति उनका द्वेश था। फूटी आंख भी भगवा को नही देखना चाहते थे। भगवा को बदनाम करने का कांग्रेस ने एक सुनियोजित षडयंत्र तैयार किया था." साध्वी जी ने बताया कि एक बार कांग्रेस का गुलाम, स्वामी अग्निवेष मुझसे मिलने जेल में आया और बोला, "आप सब कबुल कर लो कि हां! यह सब RSS के कहने पर हुआ है। सरकारी गवाह बन जाओ। चिदम्बरम और दिग्विजय हमारे मित्र हैं। मै आपको छुड़वा दुंगा" साध्वी जी ने कहा, "अगर आपकी उनसे घनिष्ठता है और सच में हमें छुड़ाना चाहते हो, तो चिदम्बरम से जाकर बोलो की इमानदारी से जांच करवा ले, क्योंकि मैंने ऐसा कुछ किया ही नही है ।" हिन्दुओं इसके आगे आपको सोचना है कि काँग्रेसियों के मन मे हिन्दुओं के लिए कितना प्रेम है। काँग्रेस का चुनाव घोषणा पत्र आपने पढ लिया होगा। अब आपको निर्णय करना है कि आपको कैसा भारत चाहिए। हिन्दू युक्त या हिन्दु मुक्त :-
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