#कुख्यात जगह
Explore tagged Tumblr posts
Text
हिमांशु भाऊ या नीरज बवाना, कौन-किसपर भारी? दुश्मनी में बदली दोस्ती... ये है दोनों की क्राइम कुंडली
नई दिल्ली: मैं नीरज बवाना, अपनी लाइफ की पहली पोस्ट डाल रहा हूं। आप सभी से मैं ये बताना चाहता हूं कि , उसके गैंग या उसके किसी आदमी से मेरा कोई लेना देना नहीं है...। सोमवार को सोशल मीडिया पर कुख्यात गैंगस्टर के नाम से ये पोस्ट वायरल हुई तो अंडरवर्ल्ड की दुनिया में तहलका मच गया। दो गैंगस्टर, जो कल तक एक-दूसरे के साथ थे, जिगरी यार थे... अब अलग हो चुके हैं। हालांकि, ये पोस्ट नीरज बवाना ने ही लिखी है, इस बात की पुष्टि नहीं हो पाई लेकिन अगर इसपर भरोसा करें, तो दिल्ली के राजौरी गार्डन में बर्गर किंग रेस्टोरेंट के अंदर हुई फायरिंग को मिलकर अंजाम देने वाले इन दो गैंगस्टर की राहें अब अलग हो चुकी हैं।हाल ही में दिल्ली के राजौरी गार्डन इलाके में अशोक प्रधान गैंग के गुर्गे अमन जून की हत्या में इन्हीं दोनों गैंगस्टर का नाम सामने आया था। सूत्रों के मुताबिक, अमन जून की हत्या का जिम्मा लेडी गैंगस्टर अनु धनखड़ को सौंपा गया था। अनु ने सोशल मीडिया के जरिए पहले अमन को अपने प्यार के जाल में फंसाया और फिर मिलने के लिए राजौरी गार्डन के बर्गर किंग रेस्टोरेंट में बुलाया। इस हत्याकांड के बाद हिमांशु भाई ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए जिम्मेदारी लेते हुए कहा कि उसने अपने भाई शक्ति दादा के मर्डर का बदला लिया है। पोस्ट में हिमांशु ने नीरज बवाना का जिक्र किया था। इससे पहले भी इन दोनों का नाम कई वारदातों में सामने आया है। हिमांशु भाऊ, महज 21 साल की उम्र में ब��� गया गैंगस्टर हरियाणा में रोहतक जिले के रिटौली गांव का रहने वाला हिमांशु भाऊ स्कूल-कॉलेज के दिनों से ही जुर्म की दुनिया में उतर गया था। उसकी उम्र उस वक्त महज 17 साल थी, जब उसने पहली बार तमंचा अपने हाथ में लेकर गोली चलाई। इसके बाद उसके गुनाहों की लिस्ट लंबी होती चली गई और देखते ही देखते हिमांशु के नाम के आगे संगीन धाराओं में 17 मुकदमे दर्ज हो गए। हिमांशु कितना खतरनाक है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि केवल 21 साल की उम्र में ही उसके खिलाफ इंटरपोल का रेड कॉर्नर नोटिस जारी हो चुका है। इसके अलावा उसके ऊपर 2.5 लाख रुपए का इनाम भी घोषित है। 12 राउंड फायरिंग मतलब भाऊ का काम है हिमांशु भाऊ के काले कारनामों की अगर बात करें, तो पिछले चार सालों के भीतर ही उसने दिल्ली सहित एनसीआर में कई बड़ी वारदातों को अंजाम दिया है। यही नहीं, हर वारदात के बाद वो अपने सिग्नेचर भी छोड़ता है। उसके बारे में कहा जाता है कि अगर किसी जगह पर कोई गैंगवार या हत्याकांड हुआ है और 12 से ज्यादा गोलियां चलाई गई हैं, तो पक्का हिमांशु भाऊ गैंग का ही काम है। साल 2022 में महज 24 दिनों के भीतर ही उसने हत्या की तीन बड़ी वारदातों को अंजाम दिया। इसके बाद सुरक्षाकर्मियों ने उसके ठिकानों पर ताबड़तोड़ छापेमारी की और अपने खिलाफ एक्शन बढ़ता देख हिमांशु भाऊ दिसंबर 2022 के आसपास विदेश भाग गया। इस वक्त हिमांशु भाऊ विदेश में बैठकर ही अपने गैंग को ऑपरेट कर रहा है। उसके खास गुर्गों में योगेश कादियान और साहिल का नाम शामिल है। नीरज बवाना, दिल्ली के सबसे बड़े गैंग का सरगना दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद और राजधानी के बवाना गांव का रहने वाला गैंगस्टर नीरज बवाना सलाखों के पीछे से ही अपना नेटवर्क चलाता है। कुख्यात गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के साथ उसकी जानी दुश्मनी है। अंडरवर्ल्ड की दुनिया में करीब 15 साल पहले कदम रखने वाले नीरज बवाना पर हत्या, हत्या की कोशिश, लूट और फिरौती मांगने जैसे कई संगीन मुकदमे दर्ज हैं। बताया जाता है कि आज की तारीख में दिल्ली के अंदर सबसे बड़ा गैंग उसी का है। अपने गुर्गों के जरिए वो पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली सहित एनसीआर में वारदातों को अंजाम देता है। अशोक प्रधान गैंग से भी दुश्मनी अंडरवर्ल्ड की दुनिया में कभी नीरज का सबसे बड़ा दुश्मन सुरेंद्र मलिक उर्फ नीतू दाबोदा हुआ करता था। लेकिन लंबे चले गैंगवार में नीरज बवाना के गैंग ने धीरे-धीरे नीतू दाबोदा के लगभग सभी गुर्गों को खत्म कर दिया। अक्टूबर 2023 में पुलिस मुठभेड़ में नीतू दाबोदा के मारे जाने के बाद नीरज बवाना के गैंग ��ा प्रभाव बढ़ गया। लॉरेंस बिश्नोई के अलावा अशोक प्रधान गैंग से भी नीरज बवाना की पुरानी दुश्मनी है, जिसके एक गुर्गे अमन जून को हाल ही में दिल्ली के राजौरी गार्डन में गोलियों से भूना गया था। उस वक्त इस हत्याकांड की जिम्मेदारी हिमांशु भाऊ और नीरज बवाना ने ही ली थी। http://dlvr.it/T93MKb
0 notes
Text
अतीक-अशरफ मर्डर केस: अतीक और अशरफ के हत्यारों को किससे है खतरा, किसने की थी दगाबाजी। वर्तमान समाचार
अतीक-अशरफ हत्याकांड मे पुलिस की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है वैसे-वैसे नई बाते सामने आ रही हैं। बता दें कि अतीक और अशरफ की हत्या जिन दो जिगाना व गिरसान पिस्तौलों से की गई थी, वह गोगी गैंग से शूटर सनी को मिली थी। यह दोनों पिस्तौलें उसे दिल्ली के कुख्यात माफिया टिल्लू ताजपुरिया की हत्या करने के लिए दी गई थी। लेकिन उसने ऐसा नहीं किया बल्कि उसकी जगह जितेंद्र गोगी की हत्या कर पिस्टलें लेकर भाग निकला…
View On WordPress
0 notes
Link
0 notes
Text
Indore mai ghumane ki jagah
Indore mai ghumane ki jagah | Tourist Attractions in Indore
मध्य प्रदेश के सबसे बड़े शहरों में इंदौर पूरे देश में सबसे स्वच्छ शहर है। यह राज्य की व्यावसायिक राजधानी भी है। इसलिए, इंदौर पहुँचने के लिए सभी प्रकार के परिवहन उपलब्ध हैं, जिनमें रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन और हवाई अड्डे के साथ-साथ कई शहरों से सीधी उड़ानें भी शामिल हैं। इंदौर में घूमने के लिए कई जगह हैं, जिनमें एक हजार से अधिक स्मारक शामिल हैं, जो इसे भारत में घूमने के लिए सबसे लोकप्रिय शहरों में से एक बनाते हैं। इंदौर में घूमने के लिए सबसे लोकप्रिय जगहों में से कुछ हैं: Rajwada Palace: यह 18वीं शताब्दी का एक ऐतिहासिक महल है, जिसमें हिंदू और इस्लामी स्थापत्य शैली का मिश्रण है, जो इसे बहुत दिलचस्प बनाता है। इस परिसर में दो मुख्य भाग हैं, एक तरफ एक मंदिर और दूसरी तरफ एक महल, दोनों साल भर आगंतुकों के लिए खुले रहते हैं। यह महल एक सात मंजिला इमारत है और होलकर राजवंशों की ऐतिहासिक हवेली है। महल का मुख्य आकर्षण इसका प्रवेश द्वार है। इस महल में प्रवेश करने के लिए केवल 10 रुपए का खर्च आता है। Annapurna Temple अन्नपूर्णा मंदिर हिंदू देवी अन्नपूर्णा को समर्पित एक सुंदर मंदिर है जो अपनी जटिल नक्काशी और सुंदर वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर इंदौर में स्थित है और पूरी तरह से कांच से बने इंटीरियर के साथ पूरी तरह से सफेद पत्थर से बना है। कांच मंदिर का निर्माण 20वीं शताब्दी के प्रसिद्ध कपास व्यापारी हुकुमचंद ने करवाया था। Sarafa Bazaar खाने के शौकीन लोगों के लिए इंदौर में इस जगह से बेहतर कोई जगह नहीं है, जहां पर्यटक दही वड़ा, साबूदाना खिचड़ी आदि स्थानीय व्यंजनों का लुत्फ उठा सकें। यहां दिन में ज्वेलरी मार्केट और रात में फूड मार्केट लगता है। इंदौर में सराफा बाज���र का चह��-पहल भरा बाजार अपने ��्वादिष्ट स्ट्रीट फूड और जीवंत वातावरण के लिए कुख्यात है। Omkareshwar Temple नर्मदा नदी के तट पर इंदौर शहर के पास स्थित यह मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और इसे शिव के सबसे पवित्र मंदिरों में से एक माना जाता है। Indore Museum यह एक ऐसी जगह है जहां पर्यटक जा सकते हैं और इंदौर शहर के इतिहास के बारे में जान सकते हैं। संग्रहालय में पत्रिकाओं और सिक्कों का एक बड़ा संग्रह है जिसे पर्यटक देख सकते हैं। देश के सबसे लोकप्रिय संग्रहालयों में से एक, यह क्षेत्र के समृद्ध इतिहास और संस्कृति से कलाकृतियों और कलाकृतियों का संग्रह रखता है। केंद्रीय संग्रहालय इस संग्रहालय का दूसरा नाम है। Kamala Nehru Prani Sangrahalaya , Indore यह पार्क इंदौर शहर के नवलखा क्षेत्र में स्थित है, जो एक प्राणी उद्यान भी है। यह पार्क 52 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है और इस पार्क में प्रवेश शुल्क केवल 20 रुपये है। इंदौर चिड़ियाघर कई जानवरों का घर है, जैसे शेर, बाघ, जगुआर, सफेद मोर और शुतुरमुर्ग, आदि। इसके अलावा, यह क्षेत्र कई प्रकार की पक्षियों की प्रजातियों का भी घर है। Patalpani waterfall Indore इंदौर शहर से 35 किमी की दूरी पर स्थित यह झरना वाकई घूमने के लिए बेहद खूबसूरत जगह है। झरना 300 फीट की ऊंचाई से गिरता है, लेकिन झरने की गहराई का अंदाजा किसी को नहीं होता। इसी कारण इसे पातालपानी जलप्रपात के नाम से जाना जाता है। बारिश का मौसम इस जगह की यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय माना जाता है। Read the full article
#indoreplacestovisitforfun#placestovisitinindoreandujjain#placestovisitinindoreforfood#placestovisitinindorewithfamily#placestovisitinindorewithfriends#placestovisitnearindorewithin20km#placestovisitnearindorewithin50km#touristplacesnearindore
0 notes
Text
जनरल असीम मुनीर बने पाकिस्तान के नए सेना प्रमुख, जनरल बाजवा की जगह लेंगे
जनरल असीम मुनीर बने पाकिस्तान के नए सेना प्रमुख, जनरल बाजवा की जगह लेंगे
पाकिस्तान को अपना नया सेना प्रमुख मिल गया है। जनरल असीम मुनीर होंगे पाकिस्तान के नए सेना प्रमुख। प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने उनके नाम की घोषणा की। पाकिस्तान के नए आर्मी चीफ की रेस में कई बड़े नाम शामिल थे। जिसके बाद जनरल मुनीर को यह बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है. जनरल मुनीर को खुफिया एजेंसी ISI का कुख्यात नाम माना जाता है. मुनीर जनरल बाजवा की जगह लेंगे। बाजवा 29 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं।…
View On WordPress
0 notes
Link
जैक मा और चीनी सरकार की आलोचना-
एशिया के सबसे अमीर समहू में शामिल जैक मा को कौन नहीं जानते है |चीन के सबसे अमीर व्यक्ति हैं एशिया की दूसरी सबसे अमीर व्यक्ति हैं और एक सेवानिवृत्त चीनी व्यापार थैलीशाह, निवेशक, राजनीतिज्ञ और परोपकारी है। वह एक बहुराष्ट्रीय प्रौद्योगिकी समूह , अलीबाबा ग्रुप के सह-संस्थापक और पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष हैं । मा एक खुली और बाजार संचालित अर्थव्यवस्था का एक मजबूत प्रस्तावक है ।पिछले दो महीनों से वे किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में नहीं देखे गए हैं। दरअसल, जैक मा ने पिछले साल अक्टूबर महीने में किसी मुद्दे पर चीनी सरकार की आलोचना की थी। रिपोर्ट्स के अनुसार, इसके बाद से ही जैक मा की कोई सार्वजनिक उपस्थिति दर्ज नहीं हुई है।
जैक मा जब न दिखे अपने शो में -
जैक मा के बारे में रहस्य तब और बढ़ गया, जब वे अपने टैलेंट शो के फाइनल एपिसोड में भी नहीं दिखाई दिए। मा की जगह इस एपिसोड में अलीबाबा के एक अधिकारी ने अपनी उपस्थिति दर्ज करायी थी। अलीबाबा के प्रवक्ता के अनुसार, मा अपने व्यस्त कार्यक्रम के चलते इस एपिसोड में भाग नहीं ले पाए थे। हालांकि, कार्यक्रम की वेबसाइट से मा की तस्वीर हटने के बाद रहस्य और गहरा गया। जैक ने अक्टूबर -2020 में चीन की सरकार के कुछ फैसले पर आपत्ति जताया था |उन्होंने शंघाई के बैंको को भी भला -बुरा कहा था |उन्होंने कहा था की ये नवाचार को दबाने का काम कर रहे है |इनके इस अभिभाषण के बाद चीन पर काबिज़ सरकार ने उनकी आलोचना की थी | मा के एंट ग्रुप सहित कई कारोबारों पर ��साधारण प्रतिबंध लगाए जाने शुरू हो गए थे।जैक मा के आईपीओ के निलबन के बाद से ही वो किसी भी सार्वजानिक कार्यकम में नहीं दिखे |
चीन में 2016 से 2017 के बीच कई अरबपति गायब हो गये | क्योकि चीन में कुख्यात भ्रष्टाचार विरोधी अभियान चला रखा था | कई तो उसमे से दुबारा नहीं लौटे और जो लौटे भी वो उन्होंने कहा की वो सरकार से बात कर रहे थे | फोर्ब्स पत्रिका की दुनिया के सबसे शक्तिशाली लोगों में दुनिया में 21 वें स्थान पर है।उनका इस तरह न दिखना भी एक आश्चर्य की बात है और ये खबर एक चिंगारी की तरह फ़ैल रही है |
जैक मा का शुरआती जीवन -
मा का जन्म 10 सितंबर 1964 को हांग्जो , झेजियांग, चीन में हुआ था। उन्होंने हांग्जो इंटरनेशनल होटल में अंग्रेजी बोलने वालों के साथ बातचीत करके कम उम्र में अंग्रेजी का अध्ययन शुरू किया। वह नौ साल तक अपनी अंग्रेजी का अभ्यास करने के लिए क्षेत्र के पर्यटकों को पर्यटन देने के लिए अपनी साइकिल पर 70 मील की दूरी तय करेगा। वह उन विदेशियों में से एक के साथ पेन पल्स बन गए , जिन्होंने उन्हें "जैक" उपनाम दिया क्योंकि उन्हें अपने चीनी नाम का उच्चारण करना कठिन लगता था।जैक मा के अलावा इनका नाम मा युन है|नौकरी न मिलने के बाद जैक मा ने अपना संघर्ष जारी रखा और सन 1998 में अलीबाबा की स्थापना की|
KFC में भी नौकरी की जैक मा-
जैक मा ने करियर की शुरुवात काफी चुनौतीपूर्ण रही | जैक मा ने 30 अलग अलग जगहों पर नौकरी के लिए आवेदन किये लेकिन हर बार उन्हें निराशा ही हाथ लगी | जैक माँ सबसे पहले एक पुलिस की नौकरी के लिए आवेदन किया था लेकिन उनके डील डौल को देखकर उन्हें साफ मना कर दिया | इसके बाद वो एक बार KFC में भी नौकरी के लिए जब KFC पहली बार उनके शहर में आया था | इस नौकरी के लिए 24 लोगो ने आवेदन किया था जिसमे से 23 लोगो को चयन हो गया लेकिन एकमात्र जैक मा का चयन नही हुआ था | इससे पता चलता है कि जैक मा ने अपने करियर की शुरुवात में कितनी ठोकरे खाई थी ||
1994 में जैक मा ने पहली बार इन्टरनेट का नाम सूना | 1995 की शुरवात में वो अपने दोस्तों की मदद से अमेरिका गये जहा उन्होंने पहली बार इन्टरनेट देखा | जैक मा ने इससे पहले कभी इन्टरनेट नही चलाया था , उन्होंने जब पहली बार इन्टरनेट चलाया तो उन्होंने “beer ” शब्द खोजा | उन्हें Beer से संबधित कई जानकारी अलग अलग देशो से प्राप्त हुयी लेकिन वो ये देखकर चौक गये कि उस सर्च में चीन का नाम कही नही था | अगले बार उन्होंने चीन के बारे में सामान्य जानकारी ढूंढने की कोशिश की लेकिन फिर वो चौक गये कि चीन को कोई जानकारी इन्टनेट पर उपलब्ध नही थी |
अलीबाबा कैसे बना चीन का अमेज़ॉन -
अमेज़न और ईबे की बिक्री को मिला दें तो भी अलीबाबा इन पर भारी पड़ता है और इसके पीछे दिमाग है अलीबाबा के मालिक जैक मा का|चीन में विदेशी कंपनियों को काम नहीं करने दिया गया जिसका फायदा अलीबाबा के साथ साथ बाइदू और टेनसेंट जैसी कंपनियों को हुआ लेकिन अलीबाबा ने बीते पंद्रह सालों में कुछ ख़ास किया हैचीन का गूगल या चीन का अमेज़न बनने के साथ ही जैक मा ने अपनी कंपनी के ज़रिए वो टूल्स बनाए जिससे चीन के लोग सुरक्षित और सस्ती खरीदारी कर सकें|इसके बाद कंपनी ने अपने फ़ायदे के लिए चीन की इंटरनेट राजनीति का भरपूर इस्तेमाल किया.|उन्होंने कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं को विश्वास दिलाया कि कंपनी किसी भी तरह से पार्टी के ख़िलाफ नहीं है|
#हांग्जो इंटरनेशनल होटल#ant#जैकउपनामदिया#10सितंबर1964#executivechairmanofAlibabaGroup#Hangzhou#HangzhouNormal#JackMa#KFCमेंभीनौकरीकी#MaYun#अक्टूबर2020में#अलीबाबा#अलीबाबाग्रुपकेसहसंस्थापक#कम्युनिस्टपार्टी#कुख्यातभ्रष्टाचारविरोधीअभियान#क्याजैकमागायबहगये#चीनकाअमेज़ॉन#चीनकागूगल#चीनकेसबसेअमीरव्यक्ति#चीनीसरकारकीआलोचना#जैकमाऔरचीनीसरकार#जैकमागायब#जैकमाजबनदिखेअपनेशोमें#झेजियांग#टेनसेंट#सार्वजनिकउपस्थिति
1 note
·
View note
Text
भारत में सबसे कुख्यात जगह पहाड़गंज पहुंचीं स्पेनिश अभिनेत्री लोरेना फ्रैंको
भारत में सबसे कुख्यात जगह पहाड़गंज पहुंचीं स्पेनिश अभिनेत्री लोरेना फ्रैंको
वह यहां ताजमहल देखने के लिए आईं महज एक पर्यटक नहीं है. दरअसल, लोरेना फ्रैंको एक प्रसिद्ध स्पेनिश अभिनेत्री और लेखक हैं, जिन्होंने अपनी डेब्यू फिल्म पहाड़गंज को लेकर बॉलीवुड फिल्म उद्योग की व्यापक प्रशंसा की. वही पहाड़गंज, जो दिल्ली का एक खास इलाका है, तो विदेशी पर्यटकों के लिए एक हॉट स्पॉट और विचित्र व्यवसायों के लिए एक अहम अड्डा.
फिल्म पहाड़गंज की शूटिंग के दौरान स्पेनिश अभिनेत्री लोरेना फ्रैंको
फि…
View On WordPress
#अप्रत्याशित साजिश#एसईएनएन#एसएमए इलेक्ट्रॉनिक न्यूज नेटवर्क#कुख्यात जगह#टीवी श्रृंखला#ताजमहल#पहाड़गंज#प्रकाश भगत#फिल्म पहाड़गंज#बहुमुखी प्रतिभा#बॉलीवुड फिल्म उद्योग#भारत का एक छोटा एम्स्टर्डम#रहस्यमय कहानी#राकेश रंजन कुमार#लॉस वेगास#लोरेना फ्रैंको#विदेशी पर्यटकों#शॉर्ट फिल्म्स्#स्पेनिश अभिनेत्री
0 notes
Text
Gwalior News: चंबल में डकैत गुड्डा गुर्जर ने लड़की की शादी के लिए बनाया दबाव, पिता के साथ की पिटाई
Gwalior News: चंबल में डकैत गुड्डा गुर्जर ने लड़की की शादी के लिए बनाया दबाव, पिता के साथ की पिटाई
ख़बर सुनें ख़बर सुनें चम्बल के 60 हजार रुपये के इनामी कुख्यात डकैत गुड्डा गुर्जर ने एक परिवार पर शादी के लिए दवाब बनाया है। इस बार मुरैना में नहीं, बल्कि ग्वालियर के तिघरा डेम के ऊपर बने गांव पवा मढ़ैया में एक गुर्जर परिवार को निशाना बनाया है। युवती के परिजनों ने जब गुड्डा गुर्जर की बताई जगह पर शादी करने से इनकार किया तो डकैत और उसके साथियों ने युवती के पिता और चाचाओं को लाठी-डंडों से बुरी तरह…
View On WordPress
0 notes
Text
अमेरिकी सैनिक की जगह उसे ग्वांतानामो बे से छोड़ा गया, अब तालिबान ने चार आतंकियों को दी अहम जिम्मेदारी
अमेरिकी सैनिक की जगह उसे ग्वांतानामो बे से छोड़ा गया, अब तालिबान ने चार आतंकियों को दी अहम जिम्मेदारी
काबुल। अफगानिस्तान की नई तालिबान सरकार में दुनिया के सबसे कुख्यात आतंकियों को अहम जिम्मेदारी दी गई है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रतिबंधित सूची में प्रधानमंत्री मुल्ला हसन अखुंद समेत कई नाम मौजूद हैं। तालिबान सरकार के गृह मंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी पर यूएस एफबीआई की ओर से 50 लाख डॉलर का इनाम है। तालिबान की नई कैबिनेट में ‘तालिबान फाइव’ के चेहरे भी शामिल किए गए। ‘तालिबान 5’ तालिबान के पांच…
View On WordPress
#Afghanistan Crisis#Hibatullah Akhundzada#India#Joe Biden#Pakistan#panshir#Taliban#terrorism#US Army
0 notes
Text
मर्डर, मर्डर, मर्डर... पछतावे की जगह मौत का जश्न, दिल्ली में अपराध की किस राह पर बढ़ रहे नाबालिग
नई दिल्ली : दिल्ली की सड़कों पर हाल ही में किशोर अपराध की बाढ़ आ गई है। परेशान करने वाली घटनाओं से युवा अपराधियों में हिंसा के प्रति चिंताजनक झुकाव दिखाई दे रहा है। खास बात है कि नाबालिग ना सिर्फ अपराध कर रहे हैं बल्कि अपराध का जश्न भी मना रहे हैं। नाबालिगों में बदले की भावना से लेकर आपसी रंजिश इस तरह बढ़ गई है कि उनके मन में कानून का डर बिल्कुल नहीं दिख रहा है। हाल ही में एक खौफनाक मामले में, नवंबर में एक सड़क डकैती के दौरान 17 वर्षीय लड़के को 70 से अधिक बार चाकू मारा गया था। किशोर अपराधी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर चाकू, हथियार और यहां तक कि अदालत परिसर के भीतर खुद के फुटेज दिखाने वाले वीडियो शेयर किए, जिससे एक आपराधिक छवि पेश की गई। ऐसे में सवाल उठता है कि ये नाबालिग अपराध की राह पर क्यों बढ़ रहे हैं। पुलिस के अनुसार स्थिति यह है कि दिल्ली में हर महीने 10-12 नाबालिग हत्या के आरोप में गिरफ्तार हो रहे हैं। अपराध का जश्न एक वीडियो में एक कैप्शन दिया गया कि भाई है अपना, जेल में 302 में अंदर (वह मेरा भाई है, धारा 302 के तहत हत्या के आरोप में बंद है)। गिरफ्तारी के कुछ दिनों बाद, परेशान करने वाले दृश्य सामने आए, जिसमें आरोपी को पीड़ित के शरीर पर लापरवाही से नाचते हुए और इस भयानक अपराध का 'जश्न' मनाते हुए दिखाया गया। सीसीटीवी फुटेज में हमलावर को पीड़ित को एक संकरी गली में घसीटते हुए, उसकी मौत सुनिश्चित करने के लिए बार-बार चाकू से वार करते हुए और शरीर पर भयानक नृत्य करते हुए देखा गया। 100 रुपये के लिए मर्डर घटना उत्तर-पूर्वी दिल्ली के वेलकम इलाके में जनता मजदूर कॉलोनी में हुई और हत्या के पीछे का मकसद डकैती था। पीड़ित का गला दबाया गया, कई बार चाकू मारा गया और 350 रुपये लूट लिए गए। किशोर ने 2022 में दिल्ली के जाफराबाद में 100 रुपये लूटने के लिए तीन अन्य लोगों के साथ एक व्यक्ति की हत्या भी की थी। एक सूत्र ने बताया कि 2022 में, किशोर को हत्या के लिए सुधार गृह भेजा गया था। वह एक साल की सजा के बाद बाहर आ गया, जबकि अन्य तीन अभी भी जेल में हैं। सूत्र के मुताबिक कि वह कुख्यात हाशिम बाबा गिरोह से प्रेरित था और इलाके में आतंक पैदा करना चाहता था। यह घटना नवंबर में पहले के एक मामले के बाद हु�� है, जहां निजी दुश्मनी के कारण एक नाबालिग ने 16 वर्षीय लड़के की चाकू मारकर हत्या कर दी थी। बदले के लिए ली जान पुलिस के अनुसार, किशोर ने मृतक के साथ पहले से मौजूद दुश्मनी का खुलासा करते हुए कहा कि चाकू मारने की घटना बदले की भावना से की गई थी। हत्या के दौरान हमलावर ने पीड़ित की गर्दन और हाथ को निशाना बनाया। अक्टूबर में, दक्षिणी दिल्ली में एक किशोर ने गंगा राम उर्फ संजय नाम के 25 वर्षीय व्यक्ति की चाकू मारकर हत्या कर दी थी। अपराध के पीछे का मकसद कथित तौर पर किशोर की प्रेमिका का उत्पीड़न था। जंगली इलाके में पकड़े गए आरोपी ने दावा किया कि चाकू मारने की घटना पीड़ित द्वारा उसकी प्रेमिका को परेशान करने के जवाब में की गई थी। पेचकस से गोदकर मर्डर अक्टूबर में एक और घटना में, दिल्ली पुलिस ने काशिफ नाम के 18 वर्षीय युवक की मौत के मामले में दो किशोरों को गिरफ्तार किया। दोनों किशोर, स्कूल छोड़ चुके थे और एक ही इलाके के निवासी थे, काशिफ के साथ हाथापाई में शामिल थे, जिससे उन्हें घातक चोटें आईं। काशिफ ने, एक नुकीले पेचकस से लैस होकर, लड़कों को धमकी दी, जिसके परिणामस्वरूप हाथापाई हुई, जहां उनमें से एक ने पेचकस छीन लिया और काशिफ पर कई बार वार किया। दिल्ली में किशोर अपराध की बढ़ती प्रवृत्ति युवाओं के बीच इस तरह के हिंसक व्यवहार के लिए जिम्मेदार कारकों के बारे में चिंता पैदा करती है। अपराध में बढ़ रही नाबालिगों की संख्या पिछले साल 152 किशोरों को हत्या के आरोप में पकड़ा गया था। 2021 में यह आंकड़ा 125 रहा जबकि एक साल पहले यह 96 था। इस साल 15 अगस्त तक करीब 112 नाबालिगों को हत्या के आरोप में पकड़ा गया। आंकड़ों से पता चलता है कि ग्राफ लगातार उत्तर की ओर बढ़ रहा है। एक पुलिस अनुमान के अनुसार, पिछले 3-4 वर्षों में, विभिन्न अपराधों के बाद पकड़े गए किशोरों की संख्या 3,000 के आसपास रही है। 2017-2021 से संबंधित राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के डेटा में किशोरों की तरफ किए गए अपराधों की सूची 13,000 से अधिक। इसमें 16,000 से अधिक नाबालिगों को उनके आपराधिक कृत्यों के लिए पकड़ा गया है। डेटा में 314 हत्याएं, 412 हत्या के प्रयास, 500 से अधिक बलात्कार, 982 चोट या गंभीर चोट पहुंचाने के मामले, 475 से अधिक मामले किसी महिला के खिलाफ उसकी शील भंग करने के इरादे से हमला या आपराधिक बल प्रयोग, 1,401 डकैती और की एक भयानक सूची है। क्या है उपाय? एक्सपर्ट के अनुसार सरकार को किशोर अपराध की समस्या के समाधान के लिए सुधार और आश्रय गृहों पर ध्यान केंद्रित करने की… http://dlvr.it/Szc9KB
0 notes
Text
इंसानो की तरह जंगली बंदरो के दो गुटों में हुआ गैंगवॉर, सेकड़ो बंदरो की लगाई ने रोका पूरा ट्रैफिक, वायरल हुआ वीडियो!
New Post has been published on https://bollywoodpapa.com/286238/two-rival-gangs-of-wild-monkeys-fought-each-other-between-traffic-area-in-thailand/
इंसानो की तरह जंगली बंदरो के दो गुटों में हुआ गैंगवॉर, सेकड़ो बंदरो की लगाई ने रोका पूरा ट्रैफिक, वायरल हुआ वीडियो!
दोस्तों सोशल मीडिया पर अक्सर कुछ न कुछ वायरल होता रहता है हाल ही में एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमे बंदरों के दो गुट के बीच गैंगवार नज़र आ रहा है। लेकिन, थाईलैंड के सैकडों लोग उस वक्त हैरान रह गये, जब बीच ��ास्ते पर पहुंचे सैकड़ों बंदरों में लड़ाई शुरू हो गई। बंदर दो गुट में बंटे हुए थे और बकायदा उसी तरह लड़ रहे थे, जिस तरह इंसानों के बीच गैंगवॉर होता है। थाईलैंड के एक शहर लोपबुरी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है, जिसमें बंदरों के बीच छिड़ी लड़ाई को देखा जा रहा है। बताया जा रहा है कि जिस जगह पर बंदरों का ये विशालकाय झुंड पहुंचा था, वो शहर का सबसे व्यस्ततम चौराहा है और वहां देखते ही देखते हजारों बंदर पहुंच गये और उनके बीच गैंगवार शुरू हो गया।
स्थानीय निवासियों के मुताबिक, बंदरों ने गैंगवार से पहले पास में मौजूद एक प्राचीन बौद्ध मंदिर के खंडहर में काफी देर तक प्लानिंग भी की थी और फिर सभी सड़क पर लड़ने के लिए पहुंच गये। वायरल हो रहे वीडियो से पता चलता है कि कैसे बंदरों का दो प्रतिद्वंद्वी संगठन शहर के व्यस्त जंक्शन पर आमने-सामने हैं और एक दूसरे तक मुकाबला कर रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक जब बंदरों ने चौराहे पर घावा बोला तो उनकी संख्या को देखकर स्थानीय लोग भी कुछ देर के लिए घबरा गये और गाड़ी चलाने वाले लोगों ने फौरन अपनी अपनी गाड़ी रोक दी और बंदरों के बीच चल रही गैंगवार के रुकने का इंतजार करने लगे।
स्थानीय लोगों ने कहा कि बंदरों का दोनों गुट बिल्कुल आदमियों के तरह लड़ाई के मैदान में ताल ठोक रहा था। बंदरों के भीड़ में कुछ बंदर और कूद पड़े और दोनों तरह के बाकी बंदरों को लड़ाई करने के लिए उकसाने लगे। एक स्थानीय नागरिक ने कहा कि ” बंदरों के चीख-पुकार की अचानक आवाज आने लगी, जिसके बाद मैंने अपने घर से बाहर आकर देखा तो पता चला कि यहां हजारों बंदर लड़ाई करने के लिए जंगल से पहुंचे हैं”। स्थानीय नागरिक इत्तेफाक ने कहा कि ”मैं साफ देख रहा था कि बंदरों के बीच जमकर बहसबाजी हो रही थी और वो सड़क पर इधर-उधर दौड़ रहे थे और फिर थोड़ी देर बाद उन्होंने लड़ाई करनी शुरू कर दी। उनकी काफी ज्यादा संख्या थी। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि ये बंदर एक तरह से सैनिक बंदर माने जाते हैं और ये काफी जल्दी गुस्से में आग बबूला हो जाते हैं।
Fight club! 🐒 Monkeys in Lopburi are at war with each other again. A shortage of food offerings from tourists is said to be the reason the crab-eating macaques have been seen brawling in recent times. #Thailand #Lopburi #Monkeys pic.twitter.com/3Sewoc4g1X
— Globe – Bangkok’s News + Lifestyle (@GlobeBangkok) July 26, 2021
रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल मार्च में भी बंदरों के बीच भारी गैंगवार मच गया था। उस वक्त इसी शहर में एक रेलवे ट्रैक के विपरीत दिशा से बंदरों के दो विशालकाय झुंड पहुंच गये थे और खाने के टुकड़ों को लेकर उनके बीच लड़ाई शुरू हो गई थी। ये शहर थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक से करीब 100 मील उत्तर में है और ये बंदरों के लिए कुख्यात माना जाता है। ये बंदर जंगली होते हैं और काफी उपद्रव मचाते हैं। हालांकि, स्थानीय निवासी इन बंदरों का काफी सम्मान करते हैं और उन्हें खाना खिलाने का प्रबंध करते रहते हैं। लेकिन, पिछले दो सालों से कोरोना वायरस की वजह से बार बार लगने वाले लॉकडाउन से बंदर भूखे रहने लगे हैं और गुस्से में काफी उपद्रव मचाने लगे हैं।
0 notes
Link
0 notes
Text
काला के प्यार में लेडी डॉन को मिला 'मकोका का तोहफा' Divya Sandesh
#Divyasandesh
काला के प्यार में लेडी डॉन को मिला 'मकोका का तोहफा'
नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल द्वारा गिरफ्तार की गई लेड़ी डॉन को काला जठेड़ी से प्यार करने के लिये बेशकीमती तोहफा मिला है और वो तोहफा है मकोका। काला जठेड़ी की वजह से स्पेशल सेल ने उसकी गिरफ्तारी भी मकोका के तहत कर ली है। मकोका संगठित तौर पर अपराध करने वाले लोगों पर लगाया जाता है। इसमें कई वर्षों तक जमानत भी नहीं मिलती है। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, अनुराधा का असली नाम अनुराग चौधरी है। उस��े एमबीए के साथ एमफिल की भी पढ़ाई की है। वह शेयर मार्केट में अच्छा कारोबार कर रही थी, लेकिन साथियों ने उसे धोखा दे दिया। वह कई बार शिकायत करने पुलिस के पास गई, लेकिन उसकी कोई सुनवाई नहीं हुई। इसी बीच वह राजस्थान के कुख्यात बदमाश आनंदपाल सिंह से मिली।
यह खबर भी पढ़ें: लोगों को प्यार करना सीखा रही इन बौने कपल की कहानी, एक कैफे से शुरू हुई लवस्टोरी
उसके साथ अपराध की दुनिया में आ गई। उस पर अपहरण, फिरौती मांगने, धमकाने, आर्म्स एक्ट आदि के 10 से ज्यादा मामले दर्ज हो गए। उसे आनंदपाल का सबके करीबी माना जाता था। राजस्थान में वह ‘लेडी डॉन’ के नाम से मशहूर हो चुकी थी। राजस्थान पुलिस ने एनकाउंटर में आनंद पाल को मार दिया। इसके बाद वह बेसहारा हो गई थी।
यह खबर भी पढ़ें: इस मंदिर में रहते हैं 25 हजार से भी ज्यादा चूहें, भक्तों को पाव रखने की भी नहीं मिलती जगह
आनंदपाल से लारेंस बिश्नोई की नजदीकियां थी, इसलिए उसने अनुराधा को सहारा दिया। फरवरी, 2020 में उसने काला जठेड़ी को पुलिस हिरासत से फरार करवाया। इसके बाद उसने काला जठेड़ी से कहा कि वह अनुराधा का ख्याल रखे। काला जठेड़ी बीते नौ माह से उसके साथ लिव-इन में रह रहा था। उसने पुलिस को दिये बयान में दावा किया कि दोनों एक-दूसरे से प्यार करते हैं। उन्होंने मंदिर में शादी भी कर ली है, लेकिन यह प्यार अनुराधा को बहुत भारी पड़ा। काला जठेड़ी का साथी बनने की वजह से गिरफ्तारी के बाद उस पर भी मकोका का मामला दर्ज किया गया।
Download app: अपने शहर की तरो ताज़ा खबरें पढ़ने के लिए डाउनलोड करें संजीवनी टुडे ऐप
0 notes
Text
बीजेपी सत्ता में आई उसमें गुजरात का बहुत बड़ा योगदान है ...गुजरात को मीडिया के लोग हिंदुत्व की प्रयोगशाला कहते थे ...गुजरात पहला राज्य है जहां बीजेपी सत्ता में आई और जिस जमाने में बीजेपी के सिर्फ दो संसद सदस्य थे उसमें से एक मेहसाना से थे
आपको जानकर बड़ा आश्चर्य होगा कि गुजरात में बीजेपी सत्ता में कैसी आई
मित्रों गुजरात में बीजेपी को सत्ता में लाने में कुख्यात माफिया डॉन अब्दुल लतीफ का बहुत बड़ा योगदान है ..अगर अब्दुल लतीफ नहीं होता तो बीजेपी कभी सत्ता में नहीं आती ..अब्दुल लतीफ इतना कुख्यात डॉन था कि उसने सबसे पहले ak-56 इस्तेमाल किया था और 12 पुलिसकर्मियों सहित डेढ़ सौ से ज्यादा लोगों का मर्डर किया था जिसमें राधिका जिमखाना मर्डर बहुत प्रसिद्ध हुआ था जब राधिका जिमखाना क्लब में लतीफ ने अंधाधुंध गोलीबारी करके एक साथ 35 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था.. लतीफ के ऊपर कांग्रेस और जनता दल दोनों के नेताओं का वरदहस्त था... लतीफ की इतनी पहुंची कि वह मुख्यमंत्री चिमन भाई पटेल के चेंबर में बगैर अपॉइंटमेंट के चला जाता था और तस्करी सोने चांदी की स्मगलिंग ड्रग्स की स्मगलिंग इत्यादि में अरबों रुपए कमाया और उसमें नेताओं को हिस्सा जाता था
यदि लतीफ या लतीफ के गैंग के किसी गुर्गे को कोई हिंदू लड़की पसंद आ जाती थी तो वो रातों-रात उठा ली जाती थी.. लतीफ जब चाहे तब किसी हिंदू का बंगला दुकान खाली करवा लेता था ...उस समय भारतीय जनता पार्टी गुजरात में संघर्ष के दौर में थी ..नरेंद्र मोदी, शंकर सिंह वाघेला, केशुभाई पटेल साइकिल स्कूटर पर चप्पल पहन कर घूमते थे
एक दिन गोमतीपुर में बीजेपी की एक सभा थी भाषण देते देते केशुभाई पटेल ने जोश ने बोल दिया कि जब भारतीय जनता पार्टी की सरकार आएगी तब अब्दुल लतीफ का एनकाउंटर करवा दिया जाएगा ..बोलने के बाद वह डर गए उनकी सुरक्षा बढ़ा दी गई लेकिन गुजरात की जनता के अंदर एक संदेश गया कि आखिर यह कौन से पार्टी के लोग हैं जो अब्दुल लतीफ के गढ़ में उसके इन काउंटर करने की बात कर रहे हैं और केशुभाई पटेल के इस भाषण के बाद जब चुनाव हुआ तब गुजरात में बीजेपी की 35 सीटें आई जो अपने आप में बहुत बड़ी विजय थी उसके बाद बीजेपी ने अब्दुल लतीफ और उसके गुर्गों के खिलाफ मोर्चा खोला और अगले चुनाव में बीजेपी की पूर्ण बहुमत की सरकार बन गई और अपने वायदे के मुताबिक शंकर सिंह वाघेला ने अब्दुल लतीफ का एनकाउंटर करवा दिया
अब्दुल लतीफ का एनकाउंटर भी बड़े जोरदार तरीके से हुआ था शंकर सिंह वाघेला के सामने डीएसपी जाडेजा साहब आए और बोले सर लतीफ का एनकाउंटर करना चाहता हूं क्योंकि इसने मेरे इंस्पेक्टर झाला का मर्डर किया था जब वह अपनी गर्भवती पत्नी को देखने छुट्टी पर जा रहा था.... अब्दुल लतीफ को गिरफ्तार किया गया और नवरंगपुरा स्थित पुराने हाईकोर्ट में उसकी पेशी होनी थी .. पेशी के पहले डीएसपी जडेजा ने कहा दाबेली खाओगे लतीफ ने हां बोला तो उसकी हथकड़ी खोल दी गई और फिर उसे 8 गोली मार दी गई और मीडिया में कह दिया गया लतीफ ने नाश्ता करने के लिए हथकड़ी खुलवाई और भागने की कोशिश किया जिसके फलस्वरूप वह मारा गया ...उसके बाद शंकरसिंह वाघेला ने एक और बहुत अच्छा काम किया कि उन्होंने अशांत धारा एक्ट लागू कर दिया यानी गुजरात के विभिन्न शहरों में बहुत से इलाके चिन्हित कर दिए गए और इन इलाकों में किसी हिंदू की प्रॉपर्टी कोई मुस्लिम नहीं खरीद सकता और उसके बाद बीजेपी गुजरात से होती हुई मध्य प्रदेश,राजस्थान,छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, बंगाल इत्यादि अन्य सब जगह बढ़ती चली गई और आज केंद्र में 303 सीटों के साथ सत्ता में है।
जब एक हिन्दू जागता है और दूसरे सोये हुए हिन्दुओ को जगाता है तब ये गुजरात वाला माहौल बनता है | जब केशूभाईने लतीफ का एनकाउंटर करने का एलान किया था गुजरातियों ने बिना किसी सवाल जबाव के बीजेपी को अपना भरपूर समर्थन किया था | अगर पूरे देश में गुजरात वाला परिणाम हिन्दुओ को चाहिए तो सभीको वही करना होगा जो तब गुजरातियों ने किया था| इसीलिए बीजेपी और मोदी को बिना प्रश्न किये साथ दे तभी पूरे देश में से लतीफों का सफाया मोदीजी और बीजेपी कर पाएंगे | गुजराती लोग हमेशा दूर की सोचते हैं और ये एक सबक देशवासियों को और खास कर हिन्दुओ को उनसे सीखना होगा | छोटी-छोटी बातों में मोदीजी और बीजेपी का विरोध ना करें और उन्हें अपना पूरा समर्थन दें ताकि वे अपना काम पूरी शिद्दत से कर सकें | 🤔 🤔 🤔
50 Hindu Friend ko bhejiye
0 notes
Photo
जैक मा और चीनी सरकार की आलोचना-
एशिया के सबसे अमीर समहू में शामिल जैक मा को कौन नहीं जानते है |चीन के सबसे अमीर व्यक्ति हैं एशिया की दूसरी सबसे अमीर व्यक्ति हैं और एक सेवानिवृत्त चीनी व्यापार थैलीशाह, निवेशक, राजनीतिज्ञ और परोपकारी है। वह एक बहुराष्ट्रीय प्रौद्योगिकी समूह , अलीबाबा ग्रुप के सह-संस्थापक और पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष हैं । मा एक खुली और बाजार संचालित अर्थव्यवस्था का एक मजबूत प्रस्तावक है ।पिछले दो महीनों से वे किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में नहीं देखे गए हैं। दरअसल, जैक मा ने पिछले साल अक्टूबर महीने में किसी मुद्दे पर चीनी सरकार की आलोचना की थी। रिपोर्ट्स के अनुसार, इसके बाद से ही जैक मा की कोई सार्वजनिक उपस्थिति दर्ज नहीं हुई है।
जैक मा जब न दिखे अपने शो में -
जैक मा के बारे में रहस्य तब और बढ़ गया, जब वे अपने टैलेंट शो के फाइनल एपिसोड में भी नहीं दिखाई दिए। मा की जगह इस एपिसोड में अलीबाबा के एक अधिकारी ने अपनी उपस्थिति दर्ज करायी थी। अलीबाबा के प्रवक्ता के अनुसार, मा अपने व्यस्त कार्यक्रम के चलते इस एपिसोड में भाग नहीं ले पाए थे। हालांकि, कार्यक्रम की वेबसाइट से मा की तस्वीर हटने के बाद रहस्य और गहरा गया। जैक ने अक्टूबर -2020 में चीन की सरकार के कुछ फैसले पर आपत्ति जताया था |उन्होंने शंघाई के बैंको को भी भला -बुरा कहा था |उन्होंने कहा था की ये नवाचार को दबाने का काम कर रहे है |इनके इस अभिभाषण के बाद चीन पर काबिज़ सरकार ने उनकी आलोचना की थी | मा के एंट ग्रुप सहित कई कारोबारों पर असाधारण प्रतिबंध लगाए जाने शुरू हो गए थे।जैक मा के आईपीओ के निलबन के बाद से ही वो किसी भी सार्वजानिक कार्यकम में नहीं दिखे |
चीन में 2016 से 2017 के बीच कई अरबपति गायब हो गये | क्योकि चीन में कुख्यात भ्रष्टाचार विरोधी अभियान चला रखा था | कई तो उसमे से दुबारा नहीं लौटे और जो लौटे भी वो उन्होंने कहा की वो सरकार से बात कर रहे थे | फोर्ब्स पत्रिका की दुनिया के सबसे शक्तिशाली लोगों में दुनिया में 21 वें स्थान पर है।उनका इस तरह न दिखना भी एक आश्चर्य की बात है और ये खबर एक चिंगारी की तरह फ़ैल रही है |
जैक मा का शुरआती जीवन -
मा का जन्म 10 सितंबर 1964 को हांग्जो , झेजियांग, चीन में हुआ था। उन्होंने हांग्जो इंटरनेशनल होटल में अंग्रेजी बोलने वालों के साथ बातचीत करके कम उम्र में अंग्रेजी का अध्ययन शुरू किया। वह नौ साल तक अपनी अंग्रेजी का अभ्यास करने के लिए क्षेत्र के पर्यटकों को पर्यटन देने के लिए अपनी साइकिल पर 70 मील की दूरी तय करेगा। वह उन विदेशियों में से एक के साथ पेन पल्स बन गए , जिन्होंने उन्हें "जैक" उपनाम दिया क्योंकि उन्हें अपने चीनी नाम का उच्चारण करना कठिन लगता था।जैक मा के अलावा इनका नाम मा युन है|नौकरी न मिलने के बाद जैक मा ने अपना संघर्ष जारी रखा और सन 1998 में अलीबाबा की स्थापना की|
KFC में भी नौकरी की जैक मा-
जैक मा ने करियर की शुरुवात काफी चुनौतीपूर्ण रही | जैक मा ने 30 अलग अलग जगहों पर नौकरी के लिए आवेदन किये लेकिन हर बार उन्हें निराशा ही हाथ लगी | जैक माँ सबसे पहले एक पुलिस की नौकरी के लिए आवेदन किया था लेकिन उनके डील डौल को देखकर उन्हें साफ मना कर दिया | इसके बाद वो एक बार KFC में भी नौकरी के लिए जब KFC पहली बार उनके शहर में आया था | इस नौकरी के लिए 24 लोगो ने आवेदन किया था जिसमे से 23 लोगो को चयन हो गया लेकिन एकमात्र जैक मा का चयन नही हुआ था | इससे पता चलता है कि जैक मा ने अपने करियर की शुरुवात में कितनी ठोकरे खाई थी ||
1994 में जैक मा ने पहली बार इन्टरनेट का नाम सूना | 1995 की शुरवात में वो अपने दोस्तों की मदद से अमेरिका गये जहा उन्होंने पहली बार इन्टरनेट देखा | जैक मा ने इससे पहले कभी इन्टरनेट नही चलाया था , उन्होंने जब पहली बार इन्टरनेट चलाया तो उन्होंने “beer ” शब्द खोजा | उन्हें Beer से संबधित कई जानकारी अलग अलग देशो से प्राप्त हुयी लेकिन वो ये देखकर चौक गये कि उस सर्च में चीन का नाम कही नही था | अगले बार उन्होंने चीन के बारे में सामान्य जानकारी ढूंढने की कोशिश की लेकिन फिर वो चौक गये कि चीन को कोई जानकारी इन्टनेट पर उपलब्ध नही थी |
अलीबाबा कैसे बना चीन का अमेज़ॉन -
अमेज़न और ईबे की बिक्री को मिला दें तो भी अलीबाबा इन पर भारी पड़ता है और इसके पीछे दिमाग है अलीबाबा के मालिक जैक मा का|चीन में विदेशी कंपनियों को काम नहीं करने दिया गया जिसका फायदा अलीबाबा के साथ साथ बाइदू और टेनसेंट जैसी कंपनियों को हुआ लेकिन अलीबाबा ने बीते पंद्रह सालों में कुछ ख़ास किया हैचीन का गूगल या चीन का अमेज़न बनने के साथ ही जैक मा ने अपनी कंपनी के ज़रिए वो टूल्स बनाए जिससे चीन के लोग सुरक्षित और सस्ती खरीदारी कर सकें|इसके बाद कंपनी ने अपने फ़ायदे के लिए चीन की इंटरनेट राजनीति का भरपूर इस्तेमाल किया.|उन्होंने कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं को विश्वास दिलाया कि कंपनी किसी भी तरह से पार्टी के ख़िलाफ नहीं है|
#हांग्जोइंटरनेशनलहोटल#सार्वजनिकउपस्थिति#टेनसेंट#झेजियांग#जैकमाजबनदिखेअपनेशोमें#जैकमागायब#जैकमाऔरचीनीसरकार#चीनीसरकारकीआलोचना#चीनकेसबसेअमीरव्यक्ति#चीनकागूगल#चीनकाअमेज़ॉन#क्याजैकमागायबहगये#कुख्यातभ्रष्टाचारविरोधीअभियान#कम्युनिस्टपार्टी#अलीबाबाग्रुपकेसहसंस्थापक#अलीबाबा#अक्टूबर2020में#MaYun#KFCमेंभीनौकरीकी#JackMa#HangzhouNormal#Hangzhou#executivechairmanofAlibabaGroup#10सितंबर1964#जैकउपनामदिया#ant
1 note
·
View note
Text
बड़ी ख़बर: 25000 हजार का कुख्यात सतेंदर मुखिया को एसटीएफ ने दबोचा!
बड़ी ख़बर: 25000 हजार का कुख्यात सतेंदर मुखिया को एसटीएफ ने दबोचा!
लोकजन टुडे ऐसा पहली बार देखने को मिल रहा हैं कि एसटीएफ की क���र्यशैली ने सभी को प्रभावित किया हैं.. एसटीएफ यानि स्पेशल टास्क फाॅर्स और शायद अब ये ही असलियत भी हैं और ऐसा कहना गलत भी नहीं होगा कि जब से उत्तराखंड की कमान डीजीपी अशोक कुमार ने संभाली हैं उत्तराखंड की फोर्स जस्बा और कार्यशैली में जबरदस्त प्रभाव देखने को मिल रहा हैं… अभी तक उत्तराखंड बदमाशों के छिपने की सबसे मुफिद जगह मानी जाती थी लेकिन…
View On WordPress
0 notes