#कुंद
Explore tagged Tumblr posts
Text
आंजनेय भुजंग प्रयात स्तोत्रम्
प्रसन्नांगरागं प्रभाकांचनांगं
जगद्भीतशौर्यं तुषाराद्रिधैर्यम्
तृणीभूतहेतिं रणोद्यद्विभूतिं
भजे वायुपुत्रं पवित्राप्तमित्रम् ॥ 1 ॥
भजे पावनं भावना नित्यवासं
भजे बालभानु प्रभा चारुभासम्
भजे चंद्रिका कुंद मंदार हासं
भजे संततं रामभूपाल दासम् ॥ 2 ॥
भजे लक्ष्मणप्राणरक्षातिदक्षं
भजे तोषितानेक गीर्वाणपक्षम्
भजे घोर संग्राम सीमाहताक्षं
भजे रामनामाति संप्राप्तरक्षम् ॥ 3 ॥
कृताभीलनाधक्षितक्षिप्तपादं
घनक्रांत भृ��गं कटिस्थोरु जंघम्
वियद्व्याप्तकेशं भुजाश्लेषिताश्मं
जयश्री समेतं भजे रामदूतम् ॥ 4 ॥
चलद्वालघातं भ्रमच्चक्रवालं
कठोराट्टहासं प्रभिन्नाब्जजांडम्
महासिंहनादा द्विशीर्णत्रिलोकं
भजे चांजनेयं प्रभुं वज्रकायम् ॥ 5 ॥
रणे भीषणे मेघनादे सनादे
सरोषे समारोपणामित्र मुख्ये
खगानां घनानां सुराणां च मार्गे
नटंतं समंतं हनूमंतमीडे ॥ 6 ॥
घनद्रत्न जंभारि दंभोलि भारं
घनद्दंत निर्धूत कालोग्रदंतम्
पदाघात भीताब्धि भूतादिवासं
रणक्षोणिदक्षं भजे पिंगलाक्षम् ॥ 7 ॥
महाग्राहपीडां महोत्पातपीडां
महारोगपीडां महातीव्रपीडाम्
हरत्यस्तु ते पादपद्मानुरक्तो
नमस्ते कपिश्रेष्ठ रामप्रियाय ॥ 8 ॥
जराभारतो भूरि पीडां शरीरे
निराधारणारूढ गाढ प्रतापी
भवत्पादभक्तिं भवद्भक्तिरक्तिं
कुरु श्रीहनूमत्प्रभो मे दयालो ॥ 9 ॥
महायोगिनो ब्रह्मरुद्रादयो वा
न जानंति तत्त्वं निजं राघवस्य
कथं ज्ञायते मादृशे नित्यमेव
प्रसीद प्रभो वानरेंद्रो नमस्ते ॥ 10 ॥
नमस्ते महासत्त्ववाहाय तुभ्यं
नमस्ते महावज्रदेहाय तुभ्यम्
नमस्ते परीभूत सूर्याय तुभ्यं
नमस्ते कृतामर्त्य कार्याय तुभ्यम् ॥ 11 ॥
नमस्ते सदा ब्रह्मचर्याय तुभ्यं
नमस्ते सदा वायुपुत्राय तुभ्यम्
नमस्ते सदा पिंगलाक्षाय तुभ्यं
नमस्ते सदा रामभक्ताय तुभ्यम् ॥ 12 ॥
हनूमद्भुजंगप्रयातं प्रभाते
प्रदोषेऽपि वा चार्धरात्रेऽपि मर्त्यः
पठन्नश्नतोऽपि प्रमुक्तोघजालो
सदा सर्वदा रामभक्तिं प्रयाति ॥ 13 ॥
इति श्रीमदांजनेय भुजंगप्रयात स्तोत्रम्
जय श्री राम🏹🙏जय श्री हनुमानजी🚩🙏
9 notes
·
View notes
Text
Bhaktamar Stotra Hindi
श्री प. हेमराज जी
आदिपुरुष आदीश जिन, आदि सुविधि करतार। धरम-धुरंधर परमगुरु, नमों आदि अवतार॥
सुर-नत-मुकुट रतन-छवि करैं, अंतर पाप-तिमिर सब हरैं। जिनपद बंदों मन वच काय, भव-जल-पतित उधरन-सहाय॥1॥
श्रुत-पारग इंद्रादिक देव, जाकी थुति कीनी कर सेव। शब्द मनोहर अरथ विशाल, तिस प्रभु की वरनों गुन-माल॥2॥
विबुध-वंद्य-पद मैं मति-हीन, हो निलज्ज थुति-मनसा कीन। जल-प्रतिबिंब बुद्ध को गहै, शशि-मंडल बालक ही चहै॥3॥
गुन-समुद्र तुम गुन अविकार, कहत न सुर-गुरु पावै पार। प्रलय-पवन-उद्धत जल-जन्तु, जलधि तिरै को भुज बलवन्तु॥4॥
सो मैं शक्ति-हीन थुति करूँ, भक्ति-भाव-वश कछु नहिं डरूँ। ज्यों मृगि निज-सुत पालन हेतु, मृगपति सन्मुख जाय अचेत॥5॥
मैं शठ सुधी हँसन को धाम, मुझ तव भक्ति बुलावै राम। ज्यों पिक अंब-कली परभाव, मधु-ऋतु मधुर करै आराव॥6॥
तुम जस जंपत जन छिनमाहिं, जनम-जनम के पाप नशाहिं। ज्यों रवि उगै फटै तत्काल, अलिवत नील निशा-तम-जाल॥7॥
तव प्रभावतैं कहूँ विचार, होसी यह थुति जन-मन-हार। ज्यों जल-कमल पत्रपै परै, मुक्ताफल की द्युति विस्तरै॥8॥
तुम गुन-महिमा हत-दुख-दो���, सो तो दूर रहो सुख-पोष। पाप-विनाशक है तुम नाम, कमल-विकाशी ज्यों रवि-धाम॥9॥
नहिं अचंभ जो होहिं तुरंत, तुमसे तुम गुण वरणत संत। जो अधीन को आप समान, करै न सो निंदित धनवान॥10॥
इकटक जन तुमको अविलोय, अवर-विषैं रति करै न सोय। को करि क्षीर-जलधि जल पान, क्षार नीर पीवै मतिमान॥11॥
प्रभु तुम वीतराग गुण-लीन, जिन परमाणु देह तुम कीन। हैं तितने ही ते परमाणु, यातैं तुम सम रूप न आनु॥12॥
कहँ तुम मुख अनुपम अविकार, सुर-नर-नाग-नयन-मनहार। कहाँ चंद्र-मंडल-सकलंक, दिन में ढाक-पत्र सम रंक॥13॥
पूरन चंद्र-ज्योति छबिवंत, तुम गुन तीन जगत लंघंत। एक नाथ त्रिभुवन आधार, तिन विचरत को करै निवार॥14॥
जो सुर-तिय विभ्रम आरंभ, मन न डिग्यो तुम तौ न अचंभ। अचल चलावै प्रलय समीर, मेरु-शिखर डगमगै न धीर॥15॥
धूमरहित बाती गत नेह, परकाशै त्रिभुवन-घर एह। बात-गम्य नाहीं परचण्ड, अपर दीप तुम बलो अखंड॥16॥
छिपहु न लुपहु राहु की छांहि, जग परकाशक हो छिनमांहि। घन अनवर्त दाह विनिवार, रवितैं अधिक धरो गुणसार॥17॥
सदा उदित विदलित मनमोह, ��िघटित मेघ राहु अविरोह। तुम मुख-कमल अपूरव चंद, जगत-विकाशी जोति अमंद॥18॥
निश-दिन शशि रवि को नहिं काम, तुम मुख-चंद हरै तम-धाम। जो स्वभावतैं उपजै नाज, सजल मेघ तैं कौनहु काज॥19॥
जो सुबोध सोहै तुम माहिं, हरि हर आदिक में सो नाहिं। जो द्युति महा-रतन में होय, काच-खंड पावै नहिं सोय॥20॥
(हिन्दी में) नाराच छन्द : सराग देव देख मैं भला विशेष मानिया। स्वरूप जाहि देख वीतराग तू पिछानिया॥ कछू न तोहि देखके जहाँ तुही विशेखिया। मनोग चित-चोर और भूल हू न पेखिया॥21॥
अनेक पुत्रवंतिनी नितंबिनी सपूत हैं। न तो समान पुत्र और माततैं प्रसूत हैं॥ दिशा धरंत तारिका अनेक कोटि को गिनै। दिनेश तेजवंत एक पूर्व ही दिशा जनै॥22॥
पुरान हो पुमान हो पुनीत पुण्यवान हो। कहें मुनीश अंधकार-नाश को सुभान हो॥ महंत तोहि जानके न होय वश्य कालके। न और मोहि मोखपंथ देय तोहि टालके॥23॥
अनन्त नित्य चित्त की अगम्य रम्य आदि हो। असंख्य सर्वव्यापि विष्णु ब्रह्म हो अनादि हो॥ महेश कामकेतु योग ईश योग ज्ञान हो। अनेक एक ज्ञानरूप शुद्ध संतमान हो॥24॥
तुही जिनेश बुद्ध है सुबुद्धि के प्रमानतैं। तुही जिनेश शंकरो जगत्त्रये विधानतैं॥ तुही विधात है सही सुमोखपंथ धारतैं। नरोत्तमो तुही प्रसिद्ध अर्थ के विचारतैं॥25॥
नमो करूँ जिनेश तोहि आपदा निवार हो। नमो करूँ सुभूरि-भूमि लोकके सिंगार हो॥ नमो करूँ भवाब्धि-नीर-राशि-शोष-हेतु हो। नमो करूँ महेश तोहि मोखपंथ देतु हो॥26॥
चौपाई तुम जिन पूरन गुन-गन भरे, दोष गर्वकरि तुम परिहरे। और देव-गण आश्रय पाय, स्वप्न न देखे तुम फिर आय॥27॥
तरु अशोक-तर किरन उदार, तुम तन शोभित है अविकार। मेघ निकट ज्यों तेज फुरंत, दिनकर दिपै तिमिर निहनंत॥28॥
सिंहासन मणि-किरण-विचित्र, तापर कंचन-वरन पवित्र। तुम तन शोभित किरन विथार, ज्यों उदयाचल रवि तम-हार॥29॥
कुंद-पुहुप-सित-चमर ढुरंत, कनक-वरन तुम तन शोभंत। ज्यों सुमेरु-तट निर्मल कांति, झरना झरै नीर उमगांति ॥30॥
ऊँचे रहैं सूर दुति लोप, तीन छत्र तुम दिपैं अगोप। तीन लोक की प्रभुता कहैं, मोती-झ��लरसों छवि लहैं॥31॥
दुंदुभि-शब्द गहर गंभीर, चहुँ दिशि होय तुम्हारे धीर। त्रिभुवन-जन शिव-संगम करै, मानूँ जय जय रव उच्चरै॥32॥
मंद पवन गंधोदक इष्ट, विविध कल्पतरु पुहुप-सुवृष्ट। देव करैं विकसित दल सार, मानों द्विज-पंकति अवतार॥33॥
तुम तन-भामंडल जिनचन्द, सब दुतिवंत करत है मन्द। कोटि शंख रवि तेज छिपाय, शशि निर्मल निशि करे अछाय॥34॥
स्वर्ग-मोख-मारग-संकेत, परम-धरम उपदेशन हेत। दिव्य वचन तुम खिरें अगाध, सब भाषा-गर्भित हित साध॥35॥
दोहा : विकसित-सुवरन-कमल-दुति, नख-दुति मिलि चमकाहिं। तुम पद पदवी जहं धरो, तहं सुर कमल रचाहिं॥36॥
ऐसी महिमा तुम विषै, और धरै नहिं कोय। सूरज में जो जोत है, नहिं तारा-गण होय॥37॥
(हिन्दी में) षट्पद : मद-अवलिप्त-कपोल-मूल अलि-कुल झंकारें। तिन सुन शब्द प्रचंड क्रोध उद्धत अति धारैं॥ काल-वरन विकराल, कालवत सनमुख आवै। ऐरावत सो प्रबल सकल जन भय उपजावै॥ देखि गयंद न भय करै तुम पद-महिमा लीन। विपति-रहित संपति-सहित वरतैं भक्त अदीन॥38॥
अति मद-मत्त-गयंद कुंभ-थल नखन विदारै। मोती रक्त समेत डारि भूतल सिंगारै॥ बांकी दाढ़ विशाल वदन में रसना लोलै। भीम भयानक रूप देख जन थरहर डोलै॥ ऐसे मृग-पति पग-तलैं जो नर आयो होय। शरण गये तुम चरण की बाधा करै न सोय॥39॥
प्रलय-पवनकर उठी आग जो तास पटंतर। बमैं फुलिंग शिखा उतंग परजलैं निरंतर॥ जगत समस्त निगल्ल भस्म करहैगी मानों। तडतडाट दव-अनल जोर चहुँ-दिशा उठानों॥ सो इक छिन में उपशमैं नाम-नीर तुम लेत। होय सरोवर परिन मैं विकसित कमल समेत॥40॥
कोकिल-कंठ-समान श्याम-तन क्रोध जलन्ता। रक्त-नयन फुंकार मार विष-कण उगलंता॥ फण को ऊँचा करे वेग ही सन्मुख धाया। तब जन होय निशंक देख फणपतिको आया॥ जो चांपै निज पगतलैं व्यापै विष न लगार। नाग-दमनि तुम नामकी है जिनके आधार॥41॥
जिस रन-माहिं भयानक रव कर रहे तुरंगम। घन से गज ��रजाहिं मत्त मानों गिरि जंगम॥ अति कोलाहल माहिं बात जहँ नाहिं सुनीजै। राजन को परचंड, देख बल धीरज छीजै॥ नाथ तिहारे नामतैं सो छिनमांहि पलाय। ज्यों दिनकर परकाशतैं अन्धकार विनशाय॥42॥
मारै जहाँ गयंद कुंभ हथियार विदारै। उमगै रुधिर प्रवाह वेग जलसम विस्तारै॥ होयतिरन असमर्थ महाजोधा बलपूरे। तिस रनमें जिन तोर भक्त जे हैं नर सूरे॥ दुर्जय अरिकुल जीतके जय पावैं निकलंक। तुम पद पंकज मन बसैं ते नर सदा निशंक॥43॥
नक्र चक्र मगरादि मच्छकरि भय उपजावै। जामैं बड़वा अग्नि दाहतैं नीर जलावै॥ पार न पावैं जास थाह नहिं लहिये जाकी। गरजै अतिगंभीर, लहर की गिनति न ताकी॥ सुखसों तिरैं समुद्र को, जे तुम गुन सुमराहिं। लोल कलोलन के शिखर, पार यान ले जाहिं॥44॥
महा जलोदर रोग, भार पीड़ित नर जे हैं। वात पित��त कफ कुष्ट, आदि जो रोग गहै हैं॥ सोचत रहें उदास, नाहिं जीवन की आशा। अति घिनावनी देह, धरैं दुर्गंध निवासा॥ तुम पद-पंकज-धूल को, जो लावैं निज अंग। ते नीरोग शरीर लहि, छिनमें होय अनंग॥45॥
पांव कंठतें जकर बांध, सांकल अति भारी। गाढी बेडी पैर मांहि, जिन जांघ बिदारी॥ भूख प्यास चिंता शरीर दुख जे विललाने। सरन नाहिं जिन कोय भूपके बंदीखाने॥ तुम सुमरत स्वयमेव ही बंधन सब खुल जाहिं। छिनमें ते संपति लहैं, चिंता भय विनसाहिं॥46॥
महामत गजराज और मृगराज दवानल। फणपति रण परचंड नीरनिधि रोग महाबल॥ बंधन ये भय आठ डरपकर मानों नाशै। तुम सुमरत छिनमाहिं अभय थानक परकाशै॥ इस अपार संसार में शरन नाहिं प्रभु कोय। यातैं तुम पदभक्त को भक्ति सहाई होय॥47॥
यह गुनमाल विशाल नाथ तुम गुनन सँवारी। विविधवर्णमय पुहुपगूंथ मैं भक्ति विथारी॥ जे नर पहिरें कंठ भावना मन में भावैं। मानतुंग ते निजाधीन शिवलक्ष्मी पावैं॥ भाषा भक्तामर कियो, हेमराज हित हेत। जे नर पढ़ैं, सुभावसों, ते पावैं शिवखेत॥48॥
*****
3 notes
·
View notes
Text
🐅 शारदीय नवरात्रि : अष्टमी: माँ महागौरी [Sunday, 22 October 2023]
या देवी सर्वभूतेषु माँ महागौरी रूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ॥
सोलह साल की उम्र में देवी शैलपुत्री अत्यंत सुंदर थीं। अपने अत्यधिक गौर रंग के कारण देवी महागौरी की तुलना शंख, चंद्रमा और कुंद के सफेद फूल से की ��ाती है। अपने इन गौर आभा के कारण उन्हें देवी महागौरी के नाम से जाना जाता है। माँ महागौरी केवल सफेद वस्त्र धारण करतीं है उसी के कारण उन्हें श्वेताम्बरधरा के नाम से भी जाना जाता है।
तिथि: आश्विन शुक्ल अष्टमी
सवारी: वृष
अत्र-शस्त्र: चार हाथ - त्रिशूल, अभय मुद्रा, डमरू, वरदा मुद्रा।
ग्रह: राहू
मंदिर: हरिद्वार के कनखल में माँ महागौरी को समर्पित मंदिर है।
शुभ रंग: बैंगनी
📲 https://www.bhaktibharat.com/festival/navratri
🖼️ Navratri Wishes Whatsapp, Instagram, Facebook and Twitter Wishes, Images and Messages
📥 https://www.bhaktibharat.com/wishes-quotes/navratri
🐅 नवरात्रि में कन्या/कंजक पूजन की विधि - Method of Kanya Pujan in Navratri
📲 https://www.bhaktibharat.com/blogs/method-of-kanya-pujan-in-navratri
🐅 दुर्गा चालीसा - Durga Chalisa
📲 https://www.bhaktibharat.com/chalisa/shri-durga-chalisa
#mahagauri#gauri#maagauri#navadurga#navratri#navaratri#navratri2023#durga#jaimatadi#maadurga#durgamaa#navratrifestival#MaaAshtabhuji#happynavratri#mahakali#vaishnodevi#matarani
2 notes
·
View notes
Text
👨⚕️ कार्डियक टैम्पोनैड के कारण
कार्डियक टैम्पोनैड एक जानलेवा स्थिति है जो तब होती है जब हृदय के चारों ओर की थैली (पेरीकार्डियम) में तरल पदार्थ जमा हो जाता है, जिससे द���ाव बनता है और इसका कार्य सीमित हो जाता है। कुछ प्रमुख कारणों में शामिल हैं:
आघात: दुर्घटना या कुंद बल आघात से छाती में चोट लगने से पेरीकार्डियल स्पेस में रक्तस्राव हो सकता है, जिससे कार्डियक टैम्पोनैड हो सकता है। पेरीकार्डिटिस: संक्रमण के कारण अक्सर पेरीकार्डियम की सूजन से द्रव का निर्माण हो सकता है, जिससे हृदय पर दबाव पड़ता है। हृदय शल्य चिकित्सा जटिलताएँ: शल्य चिकित्सा के बाद की जटिलताओं से हृदय के चारों ओर रक्तस्राव या द्रव का संचय हो सकता है, जिससे यह स्थिति हो सकती है। कैंसर: फेफड़े या स्तन कैंसर जैसे कुछ कैंसर पेरीकार्डियम में फैल सकते हैं और द्रव का निर्माण कर सकते हैं। गुर्दे की विफलता: गुर्दे की बीमारी के उन्नत चरणों में, द्रव प्रतिधारण हो सकता है, जिससे पेरीकार्डियल इफ्यूशन और संभावित रूप से कार्डियक टैम्पोनैड हो सकता है। अधिक जानकारी या परामर्श के लिए आप Dr. Md. Farhan Shikoh, MBBS, MD (Medicine), DM (Cardiology) से सुकून हार्ट केयर, सैनिक मार्केट, मेन रोड, रांची, झारखंड: 834001 पर मिल सकते हैं। आप उनसे 6200784486 पर भी संपर्क कर सकते हैं या अधिक जानकारी के लिए drfarhancardiologist.com पर जा सकते हैं।
#CardiacTamponade#HeartHealth#CardiologyCare#HeartDisease#SukoonHeartCare#HealthyHeart#RanchiCardiologist#HeartCondition#BestCardiologistinRanchi#BestHeartDoctorinRanchi#BestHeartSpecialistinRanchi#BestDiabetesDoctorinRanchi#sukoonheartcare#Ranchi#drfarhanshikoh
0 notes
Text
कुंद हवेचा पावसाळी दिवस
माझ्या वहीतल्या एका पानावर मी एका पावसाळी दिवसाची आठवण लिहून ठेवली होती. बाहेरचं आकाश निस्तेज आणि राखाडी रंगाचं आहे, गवतावर पाण्याचे थेंब पडत आहेत जे हळूहळू जमलेल्या पाण्याचा चिखल होण्यात प्रवृत्त होत आहेत.दरवाजाला स्वच्छ काचा असलेल्या खिडकीच्या मागे बसून मी बाहेर एकटक पाण्याच्या छुटपूट पडणाऱ्या थेंबाची गंमत घेत आहे.मोठ्या जोरदार पावसाच्या जरी सरी पडत नसल्या तरी हवेत गारवा आला आहे. मला ती ओलसर…
0 notes
Text
What Is The Fastest Way To Get Rich In India? How Can We Become A Millionaire Overnight?
Book Link : https://www.amazon.in/dp/9390900557
यदि आप अपने लिए सही समय के आने तक इंतजार करेंगे तो समय कभी सही नहीं होगा। आपके पास जो है, उसी से बेहतरीन काम करें; जब जरूरत बढ़ेगी तो बाकी के साधन भी जुट जाएँगे।
यदि आपको लगता है कि आप कर सकते हैं तो आप कर लेंगे। अमीरी और गरीबी दोनों ही सोच से पैदा होते हैं।
आप जो सोचते हैं, काफी हद तक वही आपकी दुनिया होती है। इस धरती पर कोई भी आपसे अपनी इच्छा के अनुसार सोचने के अधिकार को छीन नहीं सकता। इस कारण, आपका भाग्य सदैव आपके प्रभावी विचारों की प्रकृति से जुड़ा रहता है।
न कर्ज लीजिए, न दीजिए; क्योंकि इससे कर्ज व दोस्ती दोनों डूब जाती हैं और कर्ज लेने से परिश्रम की धार कुंद हो जाती है। —इसी पुस्तक से
विश्वप्रसिद्ध लेखक नेपोलियन हिल की प्रभावी लेखनी के ये विचार-रत्न आपकी सोच को सकारात्मक करके आपके अमीर होने के पथ को प्रशस्त करेंगे। यह छोटी सी पुस्तक सफलता के हर पहलू की छानबीन करेगी, जो पैसों और सांसारिक साधनों से बना होता है। इसके साथ ही यह पुस्तक सफलता के लिए आवश्यक कुछ अन्य महत्त्वपूर्ण तत्त्वों पर भी ध्यान केंद्रित करेगी, जैसे कि परिवार, दोस्त और अच्छी सेहत।
Book Link :
यदि आप अपने लिए सही समय के आने तक इंतजार करेंगे तो समय कभी सही नहीं होगा। आपके पास जो है, उसी से बेहतरीन काम करें; जब जरूरत बढ़ेगी तो बाकी के साधन भी जुट जाएँगे।
यदि आपको लगता है कि आप कर सकते हैं तो आप कर लेंगे। अमीरी और गरीबी दोनों ही सोच से पैदा होते हैं।
आप जो सोचते हैं, काफी हद तक वही आपकी दुनिया होती है। इस धरती पर कोई भी आपसे अपनी इच्छा के अनुसार सोचने के अधिकार को छीन नहीं सकता। इस कारण, आपका भाग्य सदैव आपके प्रभावी विचारों की प्रकृति से जुड़ा रहता है।
न कर्ज लीजिए, न दीजिए; क्योंकि इससे कर्ज व दोस्ती दोनों डूब जाती हैं और कर्ज लेने से परिश्रम की धार कुंद हो जाती है। —इसी पुस्तक से
विश्वप्रसिद्ध लेखक नेपोलियन हिल की प्रभावी लेखनी के ये विचार-रत्न आपकी सोच को सकारात्मक करके आपके अमीर होने के पथ को प्रशस्त करेंगे। यह छोटी सी पुस्तक सफलता के हर पहलू की छानबीन करेगी, जो पैसों और सांसारिक साधनों से बना होता है। इसके साथ ही यह पुस्तक सफलता के लिए आवश्यक कुछ अन्य महत्त्वपूर्ण तत्त्वों पर भी ध्यान केंद्रित करेगी, जैसे कि परिवार, दोस्त और अच्छी सेहत।
#earn money online#make money online#earn money without investment#profit#make money tips#online earning#passive aggressive
0 notes
Text
बिल्ली अपने पंजे तेज़ क्यों करती है?
उदाहरण के तौर पर, जब एक बिल्ली लकड़ी या फर्नीचर को तेज़ कर रही होती है, तो वह वास्तव में अपने पंजों को तेज़ नहीं कर रही होती है, बल्कि पुराने, कुंद हुए ऊपरी पंजे के खोल से छुटकारा पाने की कोशिश कर रही होती है। पंजे के बढ़ने पर यह खोल अंततः अलग ��ो जाता है, और इससे छुटकारा पाकर, बिल्ली को बचाव और हमले के लिए एक नया तेज उपकरण मिल जाता है। इसलिए, बिल्लियाँ बार-बार असबाब वाले फर्नीचर पर कपड़ा फाड़…
View On WordPress
0 notes
Text
माँ महागौरी || 8th day of navratri || #ashtmi #durgashtami #durgapuja #maa
0 notes
Text
छुपा / Hidden
हर व्यक्ति में छुपा होता है,एक ‘महात्मा’ या ‘शास्त्री’ जिससे हम या तो अनजान होते हैं,या उसे कुंद कर देते हैं,आइए उसे पहचानेंऔर सामने लाएं… ✨✨✨✨✨✨ … छुपा / Hidden Within every individual there existsa hidden ‘Mahatma’ or ‘Shastri,’of which we are either unawareor we simply blunt it,let us identify itand bring the same to the fore… P.S. Mahatma means a holy soul, while Shastri means a wise soul.
View On WordPress
0 notes
Text
Thakorjis in a bungalow of roses in a rose garden 💐 Inspired by the darshan, I wrote this paad about a week later
कुसुमल कुंज, भवन कुसुम के। छिरकत परिमल, मधुप चहु ओरे।।
कुसुम सो पहेने, बसन बहु रंगे। मोतियन माल, कुंद सो सोहे।।
रक्षा करे हरी, गिरिवर धर के। विविध लीला करे, सुजल सु तीरे।।
रूप अद्भुत देखि श्याम सुंदिर के। भावत गावत गुण नाम सहस रे।।
0 notes
Text
20 Flowers Name In Hindi And English (20 फूलों के नाम)
महकते फूल हमेशा से हमारी रुचि का विषय रहे हैं। फूल हमारी आँखों को दिलचस्पी की तरफ आकर्षित करते हैं और उनसे संबंधित कुछ भी हमें ख़ुश कर सकता है। इन्हें संवेदनशीलता, सौंदर्य, और प्रकृति का आशीर्वाद समझा जाता है।
फूल हमेशा से हमारी संस्कृति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं। ये उत्सवों और त्यौहारों के लिए महत्वपूर्ण होते हैं जैसे कि शादी, अर्धकुंभ मेला, दिवाली आदि। इन्हें विवाह, प्रेम, और समर्पण का प्रतीक भी माना जाता है।
फूलों की खुशबू और सौंदर्य हमें हमेशा प्रभावित करता है। उनकी एक झलक हमारी मनोहर जीवनशैली का परिचायक होती है। विशेष रूप से, गुलाब, चमेली, जाई, लोटस, कमल, और ट्यूलिप जैसे फूल हमें ख़ुशी का अनुभव कराते हैं। इनकी खुशबू दिनभर के थकान को दूर करती है और हमारी दिनचर्या में जीवनशक्ति को लाती है।
फूलों को घर या कार्यालय में सजाने से हमेशा जीवन का नया रंग मिलता है। ये हमारी आंतरिक खुशी के साथ हमेशा हमारे साथ होते हैं। इन्हें जगाने के लिए हमारी दैनिक जीवनशैली में कुछ फूलों का प्रयोग करना बेहद महत्वपूर्ण होता है।
हमें फूलों की आवश्यकता क्यों है?
फूल हमारे जीवन का अहम हिस्सा होते हैं। इन्हें अपने घर में रखने से हमें खुशहाली और सकारात्मकता मिलती है। फूल अपनी सुंदरता के साथ हमें खुशनुमा महसूस करवाते हैं।
फूलों का प्रयोग अधिकतर त्योहारों और उत्सवों में किया जाता है। जैसे वैलेंटाइन डे, मातृ दिवस, पिता दिवस, नववर्ष, होली, दिवाली आदि। इन उत्सवों में फूलों का उपयोग उन्हें और भी खास बनाता है।
फूलों के अलावा भी, इनकी खुशबू आपकी मनस्थिति और आध्यात्मिकता पर प्रभाव डालती है। फूलों के खुशबू का विशेष असर हमारे तन मन को शांति और सुखद अनुभव करवाता है।
फूलों का प्रयोग घरेलू उपयोगों में भी किया जाता है। जैसे अंगोछे बनाना, देवदार्शन में फूलों का प्रयोग करना, पूजा-अर्चना के लिए फूलों का प्रयोग करना आदि।
20 फूल के नाम ( Hindi And English)
1.Rose- गुलाब 2.Lotus- कमल 3.Jasmine- चमेली 4.Sunflower- सूरजमुखी 5.Daisy- गुलबहार 6.Tulip- कन्द पुष्प 7.Magnolia- चम्पा 8.Lavender- लैवेंडर 9.Balsam- गुल मेहँदी 10.Flax- पटसन 11.Butterfly Pea- अपराजिता 12.Crossandra- अबोली 13.Golden Shower- अमलतास 14.Forest Ghost- आँकुरी बाँकुरी 15.Yellow Marigold- गेंदे का फूल 16.Pot Marigold- गुले अशर्फ़ी 17.Star Jasmine- कुंद पुष्प 18.Night Blooming Jasmine- रात की रानी 19.Jasminum Sambac- मोगरा 20.Crape Jasmine- चांदनी फूल
निष्कर्ष
इस ब्लॉग पोस्ट में हमने 20 फूलों के नाम हिंदी और अंग्रेजी भाषा में बताए हैं। ये फूल अपनी खूबसूरत आकृति, रंगों और सुगंध से सभी को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं। इन फूलों का उपयोग कई रोजमर्रा की चीजों में किया जाता है जैसे कि रंगों के लिए, फ्रेग्रेंस के लिए, पूजा और उत्सवों में भी। इस ब्लॉग पोस्ट में बताए गए फूलों के नाम से हमें यह भी पता चलता है कि भारत में फूलों का कैसे विस्तार है और यहाँ के लोग फूलों की भारी मात्रा में उत्पादन भी करते हैं।
यदि आप फूलों के नामों के बारे में और भी जानना चाहते हैं, तो हमारे पास हिंदी और अंग्रेजी में 150 फूलों के नाम पर एक और ब्लॉग पोस्ट भी है। इससे आप अपने फूलों के नामों के बारे में और भी बेहतर जान सकते हैं। फूलों का नाम सुनते ही हमारे दिमाग में उनकी खुशबू, सुंदरता और प्रकृति की आभा उभर आती है। ये हमें न केवल खुशी और शांति देते हैं बलकि हमारे लिए ये मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी बहुत फायदेमंद होते हैं। इनसे हमारा रक्तचाप नियंत्रित रहता है, सांसें तेज होती हैं, मन शांत होता है और हमारे चेहरे पर नयी ताजगी आती है।
इसलिए, अगर आपके घर में फूल होते हैं तो उनकी देखभाल और उनके साथ समय बिताना बहुत महत्वपूर्ण होता है। इनकी खेती से न केवल आप अपने घर को खूबसूरत बना सकते हैं बल्कि इनसे आप अपनी आमदनी भी बढ़ा सकते हैं।
1 note
·
View note
Text
जेरेमी रेनर ने पोस्ट किया वर्कआउट वीडियो, चुटकुले वह 'टेस्ट ड्राइव के लिए अपना नया शरीर' ले रहे हैं
[ad_1] 1 जनवरी को एक हिमखंड से कुचले जाने के बाद उनके सीने में कुंद बल आघात हुआ हॉलीवुड अभिनेता जेरेमी रेनर, जो नए साल के दिन स्नोड्रिफ्ट के नीचे कुचले जाने से बचे थे, नियमित रूप से अपने स्वास्थ्य के बारे में अपडेट पोस्ट करते हैं क्योंकि वह ठीक होने की राह पर हैं। 52 वर्षीय अभिनेता ने गुरुवार को इंस्टाग्राम पर एक प्रभावशाली वीडियो पोस्ट किया, जिसमें टिबिया टूटने के बावजूद उन्हें व्यायाम करते…
View On WordPress
0 notes
Text
गाई क ल, भैंसिया से बुद्धी मोटि होई जाये!
#Blog गाई क ल, भैंसिया से बुद्धी मोटि होई जाये! देश की डेयरियां और लोग भैंस के दूध की बदौलत चल रहे हैं। अमूल - जो विश्व के बीस सबसे बड़ी डेयरियों में है; भैंस के दूध के बल पर है। अगर भैंस का ��ूध बुद्धि कुंद करता है तो अमूल को ब्लैकलिस्ट कर देना चाहिये।
सवेरे छ बजे भी सात आठ लोग थे कलेक्शन सेण्टर पर दूध देने के लिये। वजन लेने के प्लेटफार्म पर भी 50-60 लीटर दूध था कैन-कण्डाल में। लोग और जल्दी आना शुरू हो गये हैं। सूर्योदय अब पौने छ से पहले होने लगा है। पिण्टू दूध का फैट नाप रहा था लेक्टो-स्कैनर से। उसने मुझे इंतजार करने को कहा। गाय के दूध वाले ग्राहक चल रहे थे। मुझे भैंस वाला लेना था। कलेक्शन सेण्टर पर लोग और जल्दी आना शुरू हो गये हैं। सूर्योदय…
View On WordPress
0 notes
Text
🐅 चैत्र नवरात्रि : अष्टमी: माँ महागौरी [29 March 2023]
या देवी सर्वभूतेषु माँ महागौरी रूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ॥
सोलह साल की उम्र में देवी शैलपुत्री अत्यंत सुंदर थीं। अपने अत्यधिक गौर रंग के कारण देवी महागौरी की तुलना शंख, चंद्रमा और कुंद के सफेद फूल से की जाती है। अपने इन गौर आभा के कारण उन्हें देवी महागौरी के नाम से जाना जाता है। माँ महागौरी केवल सफेद वस्त्र धारण करतीं है उसी के कारण उन्हें श्वेताम्बरधरा के नाम से भी जाना जाता है।
तिथि: चैत्र शुक्ल अष्टमी सवारी: वृष अत्र-शस्त्र: चार हाथ - त्रिशूल, अभय मुद्रा, डमरू, वरदा मुद्रा। ग्रह: राहूमंदिर: हरिद्वार के कनखल में माँ महागौरी को समर्पित मंदिर है। शुभ रंग: मोर हरा 📲 https://www.bhaktibharat.com/festival/navratri#8matamahagauri
For Quick Access Download Bhakti Bharat APP: 📥 https://play.google.com/store/apps/details?id=com.bhakti.bharat.app
🐅 नवरात्रि में कन्या / कंजक पूजन की विधि - Method of Kanya Pujan in Navratri 📲 https://www.bhaktibharat.com/blogs/method-of-kanya-pujan-in-navratri
#mahagauri #gauri #maagauri #navratri #navratri2023 #durga #jaimatadi #maadurga #durgamaa #navratrifestival #ChaitraNavratri #MaaAshtabhuji #ChaitraNavratri2023 #happynavratri #mahakali #vaishnodevi #navaratri #matarani
1 note
·
View note
Text
की,पसर सुगंधी फुलांचा सेज
मजाव पहाटेच्या कुंद हवेलाकी,पसर सुगंधी फुलांचा सेजपहा माझ्या प्रिय सख्याचे आगमनज्याने पळविली निद्रा या नेत्रांचीतोच मन माझे घेईल समजावून समजाव पहाटेच्या कुंद हवेलाकी,पसर सुगंधी फुलांचा सेज असशील तू अजाण समारोहीनजर भिडली तुझ्याशी ज्या समयीवाटे भास तुझा मला होऊ लागलाप्राणसख्या,भास असे हा नजरेस्तव ह्या बेरंगी कहाणीचा,भास होऊ लागलादिसशी मला तू लोभस अन् किती सुंदरम्हणती कुणी, सुंदरता करीते…
View On WordPress
0 notes
Text
Up Budget Session:वैश्विक निवेश सम्मेलन और जी-20 की सफलता को हथियार बनाएगी सरकार - Up Government Will Raise Issues Of Success In Up Vidhanmandal Session.
यूपी विधानसभा (फाइल फोटो) – फोटो : amar ujala विस्तार यूपी विधानमंडल के बजट सत्र में भाजपा सरकार वैश्विक निवेश व जी-20 सम्मेलनों के सफल आयोजनों को बड़ी उपलब्धि बताकर विपक्ष के आरोपों पर की धार कुंद करेगी। रामचरित मानस विवाद पर सरकार सदन के जरिए विपक्ष पर पलटवार भी करेगी। विधानमंडल के दोनों सदनों का बजट सत्र 20 फरवरी से शुरू हो रहा है। पहले दिन राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान विपक्ष हंगामा कर सकता…
View On WordPress
0 notes