#कस्तूरबागांधीजन्मदिन
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chaitanyabharatnews · 4 years ago
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जयंती विशेष: बेहद संघर्षभरा था कस्तूरबा गांधी का जीवन, बा के सामने अंग्रेज भी नहीं करते थे ऊंची आवाज में बात
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चैतन्य भारत न्यूज  ‘बा’ के नाम से विख्यात कस्तूरबा गांधी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की धर्मपत्नी थीं। भारत के स्वाधीनता आंदोलन में उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया। कस्तूरबा गांधी का जन्म 11 अप्रैल 1869 को हुआ था। उन्होंने 22 फरवरी, 1944 को दुनिया को अलविदा कह दिया था। उनकी जन्मतिथि पर जानते हैं बा से संबंधित कुछ खास बातें बता रहे हैं-
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कस्तूरबा गांधी की अपनी अलग ही पहचान थी। वो एक समाज सेविका थीं। महज 13 वर्ष की उम्र में ही कस्तूरबा गांधी की शादी महात्मा गांधी से मई 1883 में करा दी गई थी। 11 अप्रैल 1869 को जन्मीं कस्तूरबा अपने पति से करीब छह महीने बड़ी थीं। उनके गंभीर और स्थिर स्वभाव के चलते उन्हें सभी 'बा' कहकर पुकारने लगे। उन्हें अनुशासन बहुत प्रिय था। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); दक्षिण अफ्रीका में अमानवीय हालात में भारतीय लोगों को काम कराने के विरोध में आवाज उठाने वाली महिला कस्तूरबा गांधी ही थीं। कस्तूरबा ने ही सबसे पहले इस बात को प्रकाश में रखा और उनके लिए लड़ते हुए कस्तूरबा को तीन महीने के लिए जेल भी जाना पड़ा। अंग्रेज न सिर्फ महात्मा गांधी से डरते थे बल्कि वे कस्तूरबा के सामने भी ऊंची आवाज में बात नहीं करते थे।
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साल 1915 में जब कस्तूरबा, महात्मा गांधी के साथ भारत लौंटी तो वह साबमती आश्रम में लोगों की मदद करने लगीं। आश्रम में ही सभी उन्हें 'बा' कहकर बुलाने लगे। दरअसल, 'बा' मां को कहते हैं। साल 1922 में स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ने के दौरान महात्मा गांधी जेल चले गए थे तो स्वाधीनता संग्राम में महिलाओं को शामिल करने और उनकी भागीदारी बढ़ाने के लिए कस्तूरबा ने आंदोलन चलाया और उसमें कामयाब भी रहीं।
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बता दें शादी के बाद कस्तूरबा ने शादी के 6 साल बाद पहली बार साल 1888 में बेटे को जन्म दिया था। उस समय महात्मा गांधी भारत में नहीं थे। वह इंग्लैंड में पढ़ाई कर रहे थे। ऐसे में कस्तूरबा ने अकेले ही अपने बेटे हीरालाल को पालपोस कर बड़ा किया। महात्मा गांधी और कस्तूरबा गांधी की चार संताने थीं। 22 फरवरी 1944 को कस्तूरबा ने आखिरी सांस ली। उनके अंतिम संस्कार के बाद महात्मा गांधी तब तक वहां बैठे रहे जब तक चिता पूरी तरह जल नहीं गई। जब गांधीजी को वहां से जाने को कहा गया तो उन्होंने कहा, 'ये 62 साल के साझा जीवन की आखिरी विदाई है। मुझे यहां तक तक रहने दो जब तक दाह संपन्न नहीं हो जाता।' फिर उसी शाम गांधी ने अपना सांयकालीन प्रार्थना के दौरान कहा, 'मैं बा के बिना जीवन की कल्पना नहीं कर सकता।' ये भी पढ़े... पुण्य तिथि : सरल स्वभाव और अहिंसा के पुजारी थे महात्मा गांधी, जानें राष्ट्रपिता से जुड़ी कुछ खास बातें सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की महात्मा गांधी को भारत रत्न देने की याचिका, कहा- वो इससे कहीं ऊपर हैं महात्मा गांधी और शास्त्री जी की जयंती पर देश का नमन, पीएम मोदी सहित इन दिग्गज नेताओं ने दी श्रद्धांजलि Read the full article
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chaitanyabharatnews · 5 years ago
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जयंती विशेष: बेहद संघर्षभरा था कस्तूरबा गांधी का जीवन, बा के सामने अंग्रेज भी नहीं करते थे ऊंची आवाज में बात
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चैतन्य भारत न्यूज  ‘बा’ के नाम से विख्यात कस्तूरबा गांधी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की धर्मपत्नी थीं। भारत के स्वाधीनता आंदोलन में उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया। कस्तूरबा गांधी का जन्म 11 अप्रैल 1869 को हुआ था। उन्होंने 22 फरवरी, 1944 को दुनिया को अलविदा कह दिया था। उनकी जन्मतिथि पर जानते हैं बा से संबंधित कुछ खास बातें बता रहे हैं-
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कस्तूरबा गांधी की अपनी अलग ही पहचान थी। वो एक समाज सेविका थीं। महज 13 वर्ष की उम्र में ही कस्तूरबा गांधी की शादी महात्मा गांधी से मई 1883 में करा दी गई थी। 11 अप्रैल 1869 को जन्मीं कस्तूरबा अपने पति से करीब छह महीने बड़ी थीं। उनके गंभीर और स्थिर स्वभाव के चलते उन्हें सभी 'बा' कहकर पुकारने लगे। उन्हें अनुशासन बहुत प्रिय था। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); दक्षिण अफ्रीका में अमानवीय हालात में भारतीय लोगों को काम कराने के विरोध में आवाज उठाने वाली महिला कस्तूरबा गांधी ही थीं। कस्तूरबा ने ही सबसे पहले इस बात को प्रकाश में रखा और उनके लिए लड़ते हुए कस्तूरबा को तीन महीने के लिए जेल भी जाना पड़ा। अंग्रेज न सिर्फ महात्मा गांधी से डरते थे बल्कि वे कस्तूरबा के सामने भी ऊंची आवाज में बात नहीं करते थे।
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साल 1915 में जब कस्तूरबा, महात्मा गांधी के साथ भारत लौंटी तो वह साबमती आश्रम में लोगों क��� मदद करने लगीं। आश्रम में ही सभी उन्हें 'बा' कहकर बुलाने लगे। दरअसल, 'बा' मां को कहते हैं। साल 1922 में स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ने के दौरान महात्मा गांधी जेल चले गए थे तो स्वाधीनता संग्राम में महिलाओं को शामिल करने और उनकी भागीदारी बढ़ाने के लिए कस्तूरबा ने आंदोलन चलाया और उसमें कामयाब भी रहीं।
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बता दें शादी के बाद कस्तूरबा ने शादी के 6 साल बाद पहली बार साल 1888 में बेटे को जन्म दिया था। उस समय महात्मा गांधी भारत में नहीं थे। वह इंग्लैंड में पढ़ाई कर रहे थे। ऐसे में कस्तूरबा ने अकेले ही अपने बेटे हीरालाल को पालपोस कर बड़ा किया। महात्मा गांधी और कस्तूरबा गांधी की चार संताने थीं। 22 फरवरी 1944 को कस्तूरबा ने आखिरी सांस ली। उनके अंतिम संस्कार के बाद महात्मा गांधी तब तक वहां बैठे रहे जब तक चिता पूरी तरह जल नहीं गई। जब गांधीजी को वहां से जाने को कहा गया तो उन्होंने कहा, 'ये 62 साल के साझा जीवन की आखिरी विदाई है। मुझे यहां तक तक रहने दो जब तक दाह संपन्न नहीं हो जाता।' फिर उसी शाम गांधी ने अपना सांयकालीन प्रार्थना के दौरान कहा, 'मैं बा के बिना जीवन की कल्पना नहीं कर सकता।' ये भी पढ़े... पुण्य तिथि : सरल स्वभाव और अहिंसा के पुजारी थे महात्मा गांधी, जानें राष्ट्रपिता से जुड़ी कुछ खास बातें सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की महात्मा गांधी को भारत रत्न देने की याचिका, कहा- वो इससे कहीं ऊपर हैं महात्मा गांधी और शास्त्री जी की जयंती पर देश का नमन, पीएम मोदी सहित इन दिग्गज नेताओं ने दी श्रद्धांजलि Read the full article
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chaitanyabharatnews · 5 years ago
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कस्तूरबा ग्राम: बा के घर में महिलाओं को बनाया जा रहा है सक्षम, हाथों से काटे गए सूत से बने कपड़े पहनती हैं छात्राएं
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चैतन्य भारत न्यूज इंदौर. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की धर्मपत्नी कस्तूरबा गांधी ने 22 फरवरी, 1944 को दुनिया को अलविदा कह दिया था। कस्तूरबा गांधी के स्मृति दिवस पर हम आपको आज इंदौर स्थित 'बा के घर' के बारे में बता रहे हैं। कस्तूरबा ग्राम में स्थित बा के घर में रोजाना सैकड़ों छात्राएं प्रार्थना सभा के बाद एक साथ बैठकर सूत काटती हैं। वे अपने हाथों से बने कपड़ें और स्कूल यूनिफार्म पहनती हैं। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); कस्तूरबा ग्राम इंदौर के खंडवा रोड पर है। महात्मा गांधी ने 22 फरवरी 1944 को पुणे में पत्नी के निधन के बाद कस्तूरबा गांधी के नाम से एक ट्रस्ट खोलने का निर्णय लिया था। उनकी इच्छा थी कि इस ट्रस्ट को भारत के मध्य में किसी गांव में खोला जाए। फिर 2 अक्टूबर 1945 को महात्मा गांधी के जन्मदिन के अवसर पर कस्तूरबा ग्राम ट्रस्ट का गठन किया गया।बापू खुद इस ट्रस्ट के पहले अध्यक्ष बने। इसके उपाध्यक्ष सरदार पटेल बना�� गए। इंदौर में कस्तूरबा ग्राम की स्थापना के बाद देश के करीब 23 राज्यों में इसकी 547 शाखाएं संचालित हो रही है। बा के सपने के अनुरूप ही बा के घर में महिलाओं को प्रशिक्षण, सेवा, शिक्षा, स्वरोजगार के माध्यम से सक्षम बनाने काम किया जा रहा है। संस्था के कर्मचारी भी इसमें श्रमदान देते हैं। यह संस्था ग्रामीण, दलित महिलाओं को शिक्षा, सेवा और स्वरोजगार से जोड़ने की दिशा में काम कर रही है। संस्था में करीब 2500 छात्राएं शिक्षा पा रही हैं। कस्तूरबा ग्राम में रोजाना सुबह पहले प्रार्थना होती है और फिर नियमित आधा घंटा सूत काटा जाता है। कताई विभाग प्रभारी पद्मा मानमोड़े ने बताया कि, कताई विभाग में एक दिन में एक गुंडी और 30 दिन में 30 गुंडी यानी एक किलो के लगभग कपड़ा तैयार हो जाता है। कताई का उद्देश्य पैसा कमाना नहीं बल्कि श्रमदान कर स्वावलंबी बनाना है। बालिकाओं को कताई की ट्रेनिंग दी जाती है। ट्रस्ट की मंत्री व पूर्व आइएस सूरज डामोर ने बताया कि, अंबर चरखों के जरिए बालिकाएं सूत कातने का काम कर रही हैं। साथ ही यहां इसका कोर्स और ट्रेनिंग भी दी जा रही है। इनका लक्ष्य पुरानी पंरपराएं और नए प्रयोग से महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना है। ये भी पढ़े... स्मृति दिवस: बेहद संघर्षभरा था कस्तूरबा गांधी का जीवन, आखिरी समय तक चिता के पास बैठे रहे थे बापू इंदौर में महिलाओं की अनोखी प्रतियोगिता, जीतने पर मिलेगा मिस हीमोग्लोबिन का ताज मध्यप्रदेश के इस गांव में 97 साल से नहीं बढ़ी जनसंख्या, बेहद रोचक है इसके पीछे कहानी   Read the full article
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chaitanyabharatnews · 5 years ago
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स्मृति दिवस: बेहद संघर्षभरा था कस्तूरबा गांधी का जीवन, आखिरी समय तक चिता के पास बैठे रहे थे बापू
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चैतन्य भारत न्यूज  ‘बा’ के नाम से विख्यात कस्तूरबा गांधी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की धर्मपत्नी थीं। भारत के स्वाधीनता आंदोलन में उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया। निरक्षर होने के बावजूद कस्तूरबा के अन्दर अच्छे-बुरे को पहचानने का विवेक था। कस्तूरबा गांधी ने 22 फरवरी, 1944 को दुनिया को अलविदा कह दिया था। उनके स्मृति दिवस पर हम आपको बा से संबंधित कुछ खास बातें बता रहे हैं-
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कस्तूरबा गांधी की अपनी अलग ही पहचान थी। वो एक समाज सेविका थीं। महज 13 वर्ष की उम्र में ही कस्तूरबा गांधी की शादी महात्मा गांधी से मई 1883 में करा दी गई थी। 11 अप्रैल 1869 को जन्मीं कस्तूरबा अपने पति से करीब छह महीने बड़ी थीं। उनके गंभीर और स्थि8र स्वभाव के चलते उन्हें सभी 'बा' कहकर पुकारने लगे। उन्हें अनुशासन बहुत प्रिीय था। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); दक्षिण अफ्रीका में अमानवीय हालात में भारतीय लोगों को काम कराने के विरोध में आवाज उठाने वाली महिला कस्तूरबा गांधी ही थीं। कस्तूरबा ने ही सबसे पहले इस बात को प्रकाश में रखा और उनके लिए लड़ते हुए कस्तूरबा को तीन महीने के लिए जेल भी जाना पड़ा। अंग्रेज न सिर्फ महात्मा गांधी से डरते थे बल्कि वे कस्तूरबा के सामने भी ऊंची आवाज में बात नहीं करते थे।
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साल 1915 में जब कस्तूरबा, महात्मा गांधी के साथ भारत लौंटी तो वह साबमती आश्रम में लोगों की मदद करने लगीं। आश्रम में ही सभी उन्हें 'बा' कहकर बुलाने लगे। दरअसल, 'बा' मां को कहते हैं। साल 1922 में स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ने के दौरान महात्मा गांधी जेल चले गए थे तो स्वाधीनता संग्राम में महिलाओं को शामिल करने और उनकी भागीदारी बढ़ाने के लिए कस्तूरबा ने आंदोलन चलाया और उसमें कामयाब भी रहीं।
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बता दें शादी के बाद कस्तूरबा ने शादी के 6 साल बाद पहली बार साल 1888 में बेटे को जन्म दिया था। उस समय महात्मा गांधी भारत में नहीं थे। वह इंग्लैंड में पढ़ाई कर रहे थे। ऐसे में कस्तूरबा ने अकेले ही अपने बेटे हीरालाल को पालपोस कर बड़ा किया। महात्मा गांधी और कस्तूरबा गांधी की चार संताने थीं। 22 फरवरी 1944 को कस्तूरबा ने आखिरी सांस ली। उनके अंतिम संस्कार के बाद महात्मा गांधी तब तक वहां बैठे रहे जब तक चिता पूरी तरह जल नहीं गई। जब गांधीजी को वहां से जाने को कहा गया तो उन्होंने कहा, 'ये 62 साल के साझा जीवन की आखिरी विदाई है। मुझे यहां तक तक रहने दो जब तक दाह संपन्न नहीं हो जाता।' फिर उसी शाम गांधी ने अपना सांयकालीन प्रार्थना के दौरान कहा, 'मैं बा के बिना जीवन की कल्पना नहीं कर सकता।' ये भी पढ़े... पुण्य तिथि : सरल स्वभाव और अहिंसा के पुजारी थे महात्मा गांधी, जानें राष्ट्रपिता से जुड़ी कुछ खास बातें सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की महात्मा गांधी को भारत रत्न देने की याचिका, कहा- वो इससे कहीं ऊपर हैं महात्मा गांधी और शास्त्री जी की जयंती पर देश का नमन, पीएम मोदी सहित इन दिग्गज नेताओं ने दी श्रद्धांजलि Read the full article
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