#कस्त किया
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#WednesdayMotivationसुबह-सुबह ब्रह्म मुहूर्त कबीर काशी पुरी#कस्त किया#उतरे अधर आधार#मोमन कु मुजरा हुवा#जंगल में दीदार सुबह-सुबह ब्रह्
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#GodMorningFriday गरीब#काशी पुरी कस्त किया#उतरे अधर आधार। मोमन कूं मुजरा हुवा#जंगल में दीदार ॥🔳🔳अधिक जानकारी के लिए देखें Sant Ram
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काशी शहर की पवित्र भूमि पर ज्येष्ठ मास की शुक्ल पूर्णमासी विक्रमी संवत् 1455 (सन् 1398) सोमवार सुबह सुबह ब्रह्म मुहूर्त में पूर्ण परमेश्वर कबीर/कविर्देव जी स्वयं अपने सतलोक से आकर लहरतारा तालाब में कमल के पुष्प पर बालक रूप में प्रकट हुए।
गरीब, काशी पुरी कस्त किया, उतरे अधर आधार।
मोमन कूं मुजरा हुवा, जंगल में दीदार।।
#परमात्मा_का_पृथ्वी_पर_आगमन
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काशी शहर की पवित्र भूमि पर ज्येष्ठ मास की शुक्ल पूर्णमासी विक्रमी संवत् 1455 (सन् 1398) सोमवार सुबह सुबह ब्रह्म मुहूर्त में पूर्ण परमेश्वर कबीर/कविर्देव जी स्वयं अपने सतलोक से आकर लहरतारा तालाब में कमल के पुष्प पर बालक रूप में प्रकट हुए।
गरीब, काशी पुरी कस्त किया, उतरे अधर आधार।
मोमन कूं मुजरा हुवा, जंगल में दीदार।।
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काशी शहर की पवित्र भूमि पर ज्येष्ठ मास की शुक्ल पूर्णमासी विक्रमी संवत् 1455 (सन् 1398) सोमवार सुबह सुबह ब्रह्म मुहूर्त में पूर्ण परमेश्वर कबीर/कविर्देव जी स्वयं अपने सतलोक से आकर लहरतारा तालाब में कमल के पुष्प पर बालक रूप में प्रकट हुए।
गरीब, काशी पुरी कस्त किया, उतरे अधर आधार । मोमन कूं मुजरा हुवा, जंगल में दीदार॥
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#परमात्मा_की_पहचान
गरीब, काशी पुरी कस्त किया, उतरे अधर आधार।
मोमन कूं मुजरा हुवा, जंगल में दीदार।।
22 jun Kabir Prakat Diwas
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#परमात्मा_की_पहचान
काशी शहर की पवित्र भूमि पर ज्येष्ठ मास की शुक्ल पूर्णमासी विक्रमी संवत् 1455 (सन् 1398) सोमवार सुबह सुबह ब्रह्म मुहूर्त में पूर्ण परमेश्वर कबीर/कविर्देव जी स्वयं अपने सतलोक से आकर लहरतारा तालाब में कमल के पुष्प पर बालक रूप में प्रकट हुए। गरीब, काशी पुरी कस्त किया, उतरे अधर आधार। मोमन कूं मुजरा हुवा, जंगल में दीदार ।।
2Days Left Kabir Prakat Diwas
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#वेदों_अनुसार_कबीरप्रभु_लीलागरीब#काशी पुरी कस्त किया#उतरे अधर आधार। मोमन कूं मुजरा हुवा#जंगल में दीदार ।।जानने के लिए डाउनलोड करें O
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#वेदों_अनुसार_कबीरप्रभु_लीला
काशी शहर की पवित्र भूमि पर ज्येष्ठ मास की शुक्ल पूर्णमासी विक्रमी संवत् 1455 (सन् 1398) सोमवार सुबह सुबह ब्रह्म मुहूर्त में पूर्ण परमेश्वर कबीर/कविर्देव जी स्वयं अपने सतलोक से आकर लहरतारा तालाब में कमल के पुष्प पर बालक रूप में प्रकट हुए।
गरीब, काशी पुरी कस्त किया, उतरे अधर आधार।
मोमन कूं मुजरा हुवा, जंगल में दीदार।।
@spiritualleadersaintrampalji
#KabirParmatma_Prakat Diwas
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#वेदों_अनुसार_कबीरप्रभु_लीला
⚡️काशी शहर की पवित्र भूमि पर ज्येष्ठ मास की शुक्ल पूर्णमासी विक्रमी संवत् 1455 (सन् 1398) सोमवार सुबह सुबह ब्रह्म मुहूर्त में पूर्ण परमेश्वर कबीर/कविर्देव जी स्वयं अपने सतलोक से आकर लहरतारा तालाब में कमल के पुष्प पर बालक रूप में प्रकट हुए।
गरीब, काशी पुरी कस्त किया, उतरे अधर आधार।
मोमन कूं मुजरा हुवा, जंगल में दीदार।।
Sant Rampal Ji Maharaj
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काशी शहर की पवित्र भूमि पर ज्येष्ठ मास की शुक्ल पूर्णमासी विक्रमी संवत् 1455 (सन् 1398) सोमवार सुबह सुबह ब्रह्म मुहूर्त में पूर्ण परमेश्वर कबीर/कविर्देव जी स्वयं अपने सतलोक से आकर लहरतारा तालाब में कमल के पुष्प पर बालक रूप में प्रकट हुए।
गरीब, काशी पुरी कस्त किया, उतरे अधर आधार।
मोमन कूं मुजरा हुवा, जंगल में दीदार।।
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#वेदों_अनुसार_कबीरप्रभु_लीला
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गरीब, काशी पुरी कस्त किया, उतरे अधर आधार।
मोमन कूं मुजरा हुवा, जंगल में दीदार।।
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♻️कबीर साहेब प्रकट दिवस♻️
आज से लगभग 600 वर्ष पहले ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष पूर्णमासी को विक्रमी संवत् 1455 सन् 1398 में सुबह ब्रह्म मुहूर्त में काशी के लहरतारा तालाब में कमल के फूल पर शिशु रुप में कबीर परमेश्वर प्रकट हुए थे। उस समय स्वामी रामानंद जी के शिष्य अष्टानंद ऋषि भी स्नान करने लहरतारा तालाब पर गए हुए थे। जब कबीर परमेश्वर शिशु रुप में तेजपुंज का शरीर बनाकर कमल के फूल पर विराजमान हुए थे। उस घटना को अष्टानंद जी ने अपनी आंखों से देखा, लेकिन चमकीला प्रकाश होने से कबीर परमेश्वर को नहीं देख पाए।
जब अष्टानंद जी ने अपने गुरुदेव ��्वामी रामानंद जी को सारी बात बताई तो रामानंद जी ने कहा कि, जब ऊपर के लोक से अवतारी शक्ति धरती पर अवतरित होते हैं तब ऐसी ही घटना होती है।
उसी लहरतारा तालाब पर प्रतिदिन निसंतान दंपति नीरु तथा नीमा स्नान करने जाते थे। वहां जब कमल पर बालक रुप कबीर परमेश्वर को देखा तो नीमा ने कहा कि इस बालक को अपने घर ले चलो। जब शिशु रुप कबीर परमेश्वर को घर लेकर गए तो सारी काशी के लोग स्त्री-पुरुष शिशु रुप कबीर परमेश्वर को देखने आए और कहने लगे कि इतना सुन्दर बालक आज तक नहीं देखा। यह तो कोई देवता है। कोई कहता ब्रह्मा, विष्णु, महेश है तो कोई कहता अवतारी फरिश्ता है। संत गरीबदास जी ने अपनी अमरवाणी में कहा है कि:-
गरीब, सेवक होकर उतरे, इस पृथ्वी के माहिं।
जीव उधारन जगतगुरु, बार बार बलि जांव।।
गरीब, काशी पुरी कस्त किया, उतरे अधर अधार।
मोमन कूं मुजरा हुवा, जंगल में दीदार।।
गरीब, गोद लिया मुख चुंबि करि,
हेम रुप झलकंत। जगर मगर काया करें, दमकैं पदम् अनंत।।
गरीब, काशी उमटी गुल भया, मोमन का घर घेर।
कोई कहै ब्रह्मा विष्णु है, कोई कहै इन्द्र कुबेर।।
गरीब, काजी गए कुरान ले, धर लड़के का नाम।
अक्षर अक्षर मैं फुरया, धन कबीर बलि जांव।।
गरीब,सकल कुरान कबीर है, हर्फ लिखे जो लेख।
काशी के काजी कहें, गई दीन की टेक।।
जब काजी शिशु रूप में आये कबीर परमेश्वर का नामकरण करने गये। क़ुरान खोली तो प्रत्येक शब्द कबीर- कबीर हो गये। यह लीला देख काजी वही क़ुरान पटककर चले गये।
25 दिन तक कबीर परमात्मा ने कुछ खाया पिया नहीं। नीमा दुःखी हुई तब परमात्मा ने कुँआरी गाय मंगवाई और उसका दूध पिया।
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 17 में कहा गया है कि कविर्देव शिशु रूप धारण कर लेता है। लीला करता हुआ बड़ा होता है। कविताओं द्वारा तत्वज्ञान वर्णन करने के कारण कवि की पदवी प्राप्त करता है अर्थात् उसे ऋषि, सन्त व कवि कहने लग जाते हैं, वास्तव में वह पूर्ण परमात्मा कविर् (कबीर साहेब) ही है।
परमात्मा शिशु रूप में प्रकट होकर लीला करता है। तब उनकी परवरिश कंवारी गायों के दूध से होती है।
ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 1 मंत्र 9
यह लीला कबीर परमेश्वर ही आकर करते हैं।
पूर्ण परमात्मा चारों युगों में इसी प्रकार लीला करते हैं। माँ के गर्भ से जन्म नहीं लेते हैं, सशरीर आते हैं, सशरीर जाते हैं।
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#परमेश्वरकबीर_प्रकट दिवस2023
#AppearanceOfGodKabirInKalyug
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पवित्र पुस्तक "कबीर परमेश्वर"
https://bit.ly/KabirParmeshwarBook
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