#करवा चौथ का महत्व
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Karwa Chauth 2024: Puja Timings, Moonrise, and Fasting Rituals
करवा चौथ एक महत्वपूर्ण भारतीय त्योहार है जिसे मुख्य रूप से विवाहित महिलाएँ अपने पति की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना के लिए मनाती हैं। यह त्योहार उत्तर भारत में विशेष रूप से लोकप्रिय है और सुहागिन स्त्रियों के लिए विशेष महत्व रखता है। 2024 में करवा चौथ का व्रत 20 अक्टूबर, रविवार को मनाया जाएगा। इस दिन महिलाएँ पूरे दिन उपवास रखती हैं और रात में चंद्रमा के free kundali matching दर्शन के बाद अपना व्रत खोलती हैं।
करवा चौथ का महत्व
करवा चौथ का पर्व नारी शक्ति, त्याग और प्रेम का प्रतीक माना जाता है। इस दिन महिलाएँ न केवल अपने पति की लंबी उम्र और सफलता के लिए व्रत रखती हैं, बल्कि यह पर्व पति-पत्नी के रिश्ते को और भी गहरा और मजबूत बनाने Karwa Chauth 2024 का अवसर भी प्रदान करता है। करवा चौथ पर महिलाएँ सोलह श्रृंगार करती हैं और विधिपूर्वक पूजा करती हैं। यह त्योहार उत्तर भारत के अलावा देश के अन्य हिस्सों में भी मनाया जाता है, और इसके पीछे की मान्यता यह है कि यह पर्व दांपत्य जीवन में खुशहाली और सुख-समृद्धि लाता है।
करवा चौथ व्रत का समय और मुहूर्त (2024)
करवा चौथ व्रत का समय और चंद्रमा उदय का मुहूर्त व्रत को विशेष रूप से महत्वपूर्ण बनाते हैं। व्रत का प्रारंभ सूर्योदय से होता है और इसका समापन चंद्रमा के दर्शन के बाद किया जाता है। इस वर्ष करवा चौथ 20 अक्टूबर को है और चंद्रमा के shubh muhurat today उदय का समय इस दिन की पूजा के लिए महत्वपूर्ण है।
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करवा चौथ 2024 का प्रमुख मुहूर्त इस प्रकार है:
चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 20 अक्टूबर 2024, रविवार को सुबह 09:30 बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त: 21 अक्टूबर 2024, सोमवार को सुबह 06:36 बजे
चंद्र दर्शन का समय: 20 अक्टूबर 2024 को रात 08:15 बजे (स्थान के अनुसार समय में थोड़ा बदलाव हो सकता है)
पूजा विधि
करवा चौथ के दिन महिलाएँ Karwa Chauth पूरे दिन निर्जला उपवास रखती हैं। इस दिन महिलाएँ सूर्योदय से पहले उठकर सरगी खाती हैं, जो कि उनकी सास द्वारा दी जाती है। सरगी में मिठाई, फल, और अन्य पौष्टिक आहार होते हैं जो दिन भर के व्रत में ऊर्जा बनाए रखने में मदद करते हैं। सरगी खाने के बाद महिलाएँ पूरे दिन जल और अन्न का त्याग करती हैं और शाम को भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की पूजा करती हैं। पूजा में करवा, दीपक, फल और मिठाई चढ़ाई जाती है।
पूजा के बाद महिलाएँ चंद्रमा का इंतजार करती हैं। चंद्रमा के उदय होने के बाद वे उसे अर्घ्य देकर पूजा करती हैं। इसके बाद उनके numerology matching for marriage पति उनके व्रत को तुड़वाते हैं और जल ग्रहण कराते हैं।
करवा चौथ का धार्मिक और सामाजिक महत्व
करवा चौथ एक धार्मिक अनुष्ठान के रूप में ही नहीं, बल्कि पति-पत्नी के बीच प्रेम और विश्वास को मजबूत करने का अवसर भी है। इस दिन महिलाएँ अपने सोलह श्रृंगार के साथ सजधज कर पूजा करती हैं, जिससे यह त्योहार सौंदर्य, शक्ति और नारीत्व का भी प्रतीक बन जाता है। यह व्रत पति-पत्नी के बीच के रिश्ते को और भी प्रगाढ़ बनाता है।
करवा चौथ का पर्व आज के आधुनिक युग में भी Karwa Chauth festival अपनी प्रासंगिकता बनाए हुए है, जहाँ पति-पत्नी एक दूसरे के प्रति सम्मान और प्रेम का इज़हार इस व्रत के माध्यम से करते हैं।
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करवा चौथ के सन्देश: प्यार, समर्पण और एकता
करवा चौथ एक ऐसा त्योहार है जो भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व रखता है। यह त्योहार न केवल विवाहित महिलाओं के लिए है, बल्कि यह प्रेम, समर्पण और पारिवारिक एकता का प्रतीक भी है। हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चौथ को मनाया जाने वाला यह पर्व, पतियों की लंबी उम्र और खुशहाल जीवन के लिए उपवास रखने का अवसर प्रदान करता है। आइए जानते हैं करवा चौथ के सन्देश और इसके महत्व के बारे में। प्यार करवा चौथ का…
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Karwa Chauth 2024 Sargi Time: करवा चौथ पर कब-कैसे करें सरगी का सेवन, जानें नियमKarwa chauth Sargi Vidhi and Niyam:20 अक्टूबर 2024 को सुहागिन महिलाओं का महत्वपूर्ण त्योहार करवा चौथ का व्रत रखा जाएगा. करवा चौथ व्रत में सरगी का बहुत महत्व माना जाता है. इस व्रत की शुरुआत सरगी से होती है
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करवा चौथ 2024: जानें आपकी शादीशुदा ज़िंदगी के बारे में ज्योतिषीय रहस्य
करवा चौथ एक ऐसा पर्व है जो न केवल पति-पत्नी के रिश्ते को और मजबूत करता है, बल्कि इसका ज्योतिष शास्त्र से भी गहरा संबंध है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखद वैवाहिक जीवन की कामना के लिए उपवास रखती हैं। पर क्या आप जानते हैं कि करवा चौथ के साथ-साथ ज्योतिषीय दृष्टिकोण से आपकी कुंडली (birth chart) और विवाह का संबंध भी गहरा होता है? आइए इस करवा चौथ पर जानें कि ज्योतिष शास्त्र कैसे आपकी वैवाहिक ज़िंदगी और भविष्य के जीवनसाथी के बारे में जानकारी देता है।
कुंडली से जानें अपना जीवनसाथी (Know Your Future Partner by Birth Chart)
हर व्यक्ति की जन्म कुंडली में विवाह और जीवनसाथी के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी छिपी होती है। जन्म कुंडली (birth chart) का 7वां भाव विशेष रूप से आपके जीवनसाथी और शादी से जुड़ा होता है। यदि आप जानना चाहते हैं कि आपका भविष्य का जीवनसाथी कैसा होगा, तो आपकी कुंडली में शुक्र (Venus) और मंगल (Mars) की स्थिति का अध्ययन करना महत्वपूर्ण है। शुक्र प्रेम और विवाह का कारक ग्रह माना जाता है, जबकि मंगल वैवाहिक जीवन की ऊर्जा और संघर्ष को दर्शाता है। इन ग्रहों की स्थिति यह बताती है कि आपका जीवनसाथी कैसे स्वभाव का होगा और आपकी शादीशुदा ज़िंदगी कैसी रहेगी।
विवाह के लिए शुभ समय (Marriage Astrology)
शादी के लिए सही समय जानना भी बहुत आवश्यक है, और इसके लिए आपकी कुंडली का विश्लेषण किया जाता है। विवाह ज्योतिष (marriage astrology) के माध्यम से यह पता लगाया जा सकता है कि कब विवाह के योग बन रहे हैं। कई बार लोग यह सवाल करते हैं कि विवाह में देरी क्यों हो रही है या शादीशुदा जीवन में समस्याएं क्यों आ रही हैं। इन सवालों का जवाब कुंडली के अध्ययन से मिल सकता है। कुंडली के 2nd, 7th और 11th भाव विवाह और परिवार से जुड़े होते हैं। यदि इन भावों में कोई ग्रह बाधा डाल रहा है, तो विवाह में देरी हो सकती है।
दै��िक राशिफल से जानें वैवाहिक जीवन का हाल (Daily Horoscope)
ज्योतिष शास्त्र में दैनिक राशिफल (daily horoscope) के माध्यम से भी यह जाना जा सकता है कि आपके दिन का प्रभाव आपकी शादीशुदा ज़िंदगी पर कैसा रहेगा। करवा चौथ के दिन यदि आप जानना चाहते हैं कि पूजा का समय आपके लिए कितना शुभ रहेगा या इस दिन पति-पत्नी के रिश्तों में मधुरता कैसी रहेगी, तो आप दैनिक राशिफल का सहारा ले सकते हैं। राशिफल में चंद्रमा की स्थिति खास भूमिका निभाती है, क्योंकि चंद्रमा का सीधा संबंध हमारे मन और भावनाओं से होता है।
करवा चौथ और वैवाहिक जीवन में कुंडली का महत्व
करवा चौथ पर पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना की जाती है, और इस दिन चंद्र दर्शन और पूजा का विशेष महत्व होता है। यदि आपकी शादीशुदा ज़िंदगी में कोई समस्या आ रही है, तो करवा चौथ के दिन कुंडली के अनुसार सही उपाय करने से इन समस्याओं का समाधान हो सकता है। कुंडली में विवाह के लिए शुभ ग्रहों की स्थिति और चंद्रमा की स्थिति इस दिन के अनुष्ठान को और अधिक प्रभावी बना सकती है।
कैसे करें कुंडली से विवाह संबंधित समस्याओं का समाधान?
अगर आपकी शादी में लगातार समस्याएं आ रही हैं या विवाह में देरी हो रही है, (Delay in marriage )तो कुंडली का विश्लेषण करवाकर ज्योतिषीय उपायों का सहारा लें। जन्म कुंडली में ग्रह दोष होने पर विभिन्न उपाय किए जा सकते हैं जैसे कि विशेष मंत्रों का जाप, ग्रहों की शांति के लिए अनुष्ठान और रत्न धारण करना। इसके अलावा, इस दिन की पूजा और व्रत से भी वैवाहिक जीवन में सुख-शांति लाई जा सकती है।
निष्कर्ष
करवा चौथ 2024 आपके जीवनसाथी और वैवाहिक जीवन के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन, न केवल आप अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं, बल्कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अपनी कुंडली और राशिफल के माध्यम से अपनी शादीशुदा ज़िंदगी के बारे में भी महत्वपूर्ण जानकारी पा सकती हैं। यदि आप अपने जीवनसाथी के स्वभाव और विवाह के शुभ समय के बारे में जानने के इच्छुक हैं, तो अपनी कुंडली का विश्लेषण करें और ज्योतिषीय उपायों का सहारा लें।
Source URL - https://karmaastro.medium.com/karva-chauth-2024-0775e64bdd7b
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Karwa Chauth 2024: जाने करवा चौथ 2024 शुभ तिथि व पूजा विधिकरवा चौथ 2024 का व्रत 20 अक्टूबर से 21 अक्टूबर तक चलेगा। जानिए शुभ तिथि, चन्द्रोदय का समय (7:54 PM), और पूजा विधि। कैसे सही विधि से करवा चौथ का व्रत रखें, सामग्री क्या है, और इस दिन का विशेष महत्व। इस दिन पति की लंबी उम्र और सुखी जीवन के लिए उपवास रखें और चंद्र दर्शन करके पूजा पूरी करें। https://astroambe.com/blog/karwa-chauth-2024
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करवा चौथ के लिए बेस्ट हैं ये हेयरस्टाइल, खूबसूरती की तारीफ हर कोई करेगा
करवा चौथ का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है. इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए पूरा दिन बिना कुछ खाए और पिए व्रत रखती हैं और रात में चांद देखने के बाद ही व्रत खोलती हैं. साथ ही सोलह सोलह कर रहती हैं. जिसमें बिंदी, हार ज्वेलरी, चूड़ियां, अंगूठियां और बहुत सी चीजें शामिल हैं. लेकिन इसी के साथ ही हेयर स्टाइल का भी बहुत बड़ा योगदान रहता है. एक परफेक्ट हेयर स्टाइल लुक में चार-चांद लगाने…
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करवा चौथ 2024: पूजा का महत्व, विधि और तिथि
Karwa Chauth 2024: करवा चौथ का व्रत हिंदू धर्म में विवाहित महिलाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे पति की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य, और सुखमय वैवाहिक जीवन की कामना के साथ रखा जाता है। यह निर्जला व्रत है, जिसमें महिलाओं को अन्न और जल ग्रहण करने की अनुमति नहीं होती। करवा चौथ के दिन सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक व्रत किया जाता है और रात में चंद्र दर्शन के बाद व्रत का पारण किया जाता है। इस वर्ष करवा चौथ 20 अक्टूबर, 2024 को मनाया जाएगा।
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Karwa Chauth 2024: जानें इस साल कब है करवा चौथ का व्रत, यहां पढ़ें करवा चौथ व्रत का महत्व
Karwa Chauth Vrat 2024 Date in India: करवा चौथ व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को किया जाता है। करवा चौथ का दिन और संकष्टी चतुर्थी एक दिन होते हैं। चतुर्थी तिथि भ���वान श्रीगणेश को समर्पित है। विवाहित महिलाएं करवा चौथ के दिन भगवान शिव, माता पार्वती व भगवान गणेश की पूजा करती हैं। व्रत को चंद्रमा के दर्शन और अर्घ्य देने के बाद खोलती हैं। करवा चौथ का व्रत कठिन व्रतों में से एक होता है…
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Ahoi Ashtami: 150 सालों बाद अहोई अष्टमी पर अद्भुत संयोग, जान लें पूजा मुहूर्त और व्रत के नियम
Ahoi Ashtami Vrat: अहोई अष्टमी कार्तिक मास की कृष्ण अष्टमी को मनाई जाती है। यह दिन ��त्यधिक महत्व रखता है क्योंकि माताएं पार्वती मां के स्वरूप अहोई देवी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए विशेष अनुष्ठान, उपवास और प्रार्थना करती हैं। अहोई माता अनहोनी को टालकर संतान को दीर्घायु प्रदान करती हैं और घर में सुख समृद्धि लाती हैं। अहोई अष्टमी का व्रत करवा चौथ के 4 दिन बाद रखा जाता है, इसलिए 5 नवंबर को…
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Karva Chauth 2023: तिथि, शुभ मुहूर्त, चंद्रोदय का समय, विधि
Karva Chauth 2023 : करवा चौथ 2023: तिथि (puja time), शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व, कथा, सरगी, जानिए आपके शहर में चंद्रोदय का समय (moon time) ??
करवा चौथ(Karva Chauth 2023) हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है, जो कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। यह एक प्रमुख पर्व है जो विवाहित महिलाएं अपने पति की लम्बी आयु और सुरक्षा की कामना करती हैं। इस व्रत में महिलाएं करवा चौथ की पूजा और उपवास करती हैं तथा चंद्रमा के दर्शन के बाद ही उपवास को खोलती हैं। यह पर्व हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, गुजरात, राजस्थान आदि राज्यों में धूमधाम से मनाया जाता है।
Karva Chauth 2023: करवा चौथ की पूजा के शुभ मुहूर्त
Karva Chauth 2023: करवा चौथ के उपवास के लाभ
करवा चौथ का व्रत रखने से महिलाओं को निम्नलिखित लाभ मिलते हैं:
Karva Chauth 2023: करवा चौथ की तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि (puja time) को करवा चौथ का व्रत रखा जाता है। इस बार करवा चौथ का व्रत 1 नवंबर 2023, बुधवार को रखा जाएगा।
Karva Chauth 2023: करवा चौथ पर चंद्रोदय का समय
करवा चौथ पर चंद्रोदय का समय स्थान के अनुसार अलग-अलग होता है। कुछ प्रमुख शहरों में चंद्रोदय का समय (moon time) निम्नलिखित है:
करवा चौथ की पूजा विधि
करवा चौथ की पूजा विधि निम्नलिखित है:
करवा चौथ का महत्व
करवा चौथ एक हिंदू त्योहार है जो विवाहित महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी आयु और सुख समृद्धि के लिए मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं सुबह से लेकर चंद्रोदय तक निर्जला व्रत रखती हैं। चंद्रोदय के बाद महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देकर अपना व्रत खोलती हैं।
करवा चौथ के महत्व के बारे में कुछ विशेष बातें
करवा चौथ (Karva Chauth 2023) व्रत का हिन्दू संस्कृति में विशेष महत्त्व है। इस दिन पति की लम्बी उम्र के पत्नियां पूर्ण श्रद्धा से निर्जला व्रत रखती है। कार्तिक मास की चतुर्थी को करवा चौथ का त्योहार मनाया जाता है । इस साल एक नवंबर को करवा चौथ का व्रत रखा जा रहा है । दरअसल, इस साल कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 31 अक्टूबर मंगलवार रात 9 बजकर 30 मिनट से शुरू होकर एक नवंबर रात 9 बजकर 19 मिनट तक है । ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, करवा चौथ का व्रत बुधवार यानि 1 नवंबर को रखा जायेगा।
1 नवंबर को चन्द्रमाम(MOON) अपनी उच्च राशि वृषभ में होंगे। इसी के साथ मंगल, बुध और सूर्य तुला राशि में हैं। सूर्य और बुध बुधादित्य योग बना रहे हैं तो मंगल और सूर्य मिलकर मंगलादित्य योग बना रहे हैं। शनि भी 30 साल बाद अपनी मूलत्रिकोण राशि कुंभ में योग बना रहे हैं। इस दिन शिवयोग मृगशिरा नक्षत्र और बुधादित्य योग का संगम रहेगा। शिव योग शिव को समर्पित, मृगशिरा नक्षत्र मंगल को समर्पित, बुधादित्य योग यश और ज्ञान का प्रतीक माना गया है। इन योगों से पर्व का महत्व हजारों गुना बढ़ गया है।
Karva Chauth 2023: करवा चौथ का महात्म्य
छांदोग्य उपनिषद् के अनुसार चंद्रमा में पुरुष रूपी ��्रह्मा की उपासना करने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। इससे जीवन में किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं होता है। साथ ही साथ इससे लंबी और पूर्ण आयु की प्राप्ति होती है। करवा चौथ के व्रत में शिव, पार्वती, कार्तिकेय, गणेश तथा चंद्रमा का पूजन करना चाहिए। चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर पूजा होती है। पूजा के बाद मिट्टी के करवे में चावल,उड़द की दाल, सुहाग की सामग्री रखकर सास अथवा सास के समकक्ष किसी सुहागिन के पांव छूकर सुहाग सामग्री भेंट करनी चाहिए।
महाभारत से संबंधित पौराणिक कथा के अनुसार पांडव पुत्र अर्जुन तपस्या करने नीलगिरी पर्वत पर चले जाते हैं। दूसरी ओर बाकी पांडवों पर कई प्रकार के संकट आन पड़ते हैं। द्रौपदी भगवान श्रीकृष्ण से उपाय पूछती हैं। वह कहते हैं कि यदि वह कार्तिक कृष्ण चतुर्थी के दिन करवाचौथ का व्रत करें तो इन सभी संकटों से मुक्ति मिल सकती है। द्रौपदी विधि विधान सहित करवाचौथ (Karva Chauth) का व्रत रखती है जिससे उनके समस्त कष्ट दूर हो जाते हैं। इस प्रकार की कथाओं से करवा चौथ का महत्त्व हम सबके सामने आ जाता है।
सरगी का महत्त्व
करवा चौथ (Karva Chauth 2023) में सरगी का काफी महत्व है। सरगी सास की तरफ से अपनी बहू को दी जाती है। इसका सेवन महिलाएं करवाचौथ के दिन सूर्य निकलने से पहले तारों की छांव में करती हैं। सरगी के रूप में सास अपनी बहू को विभिन्न खाद्य पदार्थ एवं वस्त्र इत्यादि देती हैं। सरगी, सौभाग्य और समृद्धि का रूप होती है। सरगी के रूप में खाने की वस्तुओं को जैसे फल, मीठाई आदि को व्रती महिलाएं व्रत वाले दिन सूर्योदय से पूर्व प्रात: काल में तारों की छांव में ग्रहण करती हैं। तत्पश्चात व्रत आरंभ होता है। अपने व्रत को पूर्ण करती हैं।
महत्त्व के बाद बात आती है कि करवा चौथ की पूजा विधि क्या है? किसी भी व्रत में पूजन विधि का बहुत महत्त्व होता है। अगर सही विधि पूर्वक पूजा नहीं की जाती है तो इससे पूरा फल प्राप्त नहीं हो पाता है। वैसे अलग अलग क्षेत्र में ये पूजा अलग अलग विधि विधान से की जाती है । कहीं कहीं इसे गणेश चौथ के नाम से भी मनाया जाता है ।
करवा चौथ (Karva Chauth 2023) को लेकर कई तरह की कथाएं प्रचलित हैं । आइए जानते कुछ प्रमुख कथाओं के बारे में –
प्रथम कथा
बहुत समय पहले की बात है, एक साहूकार के सात बेटे और उनकी एक बहन करवा थी। सभी सातों भाई अपनी बहन से बहुत प्यार करते थे। यहाँ तक कि वे पहले उसे खाना खिलाते और बाद में स्वयं खाते थे। एक बार उनकी बहन ससुराल से मायके आई हुई थी। शाम को भाई जब अपना व्यापार-व्यवसाय बंद कर घर आए तो देखा उनकी बहन बहुत व्याकुल थी। सभी भाई खाना खाने बैठे और अपनी बहन से भी खाने का आग्रह करने लगे, लेकिन बहन ने बताया कि उसका आज करवा चौथ (Karva Chauth) का निर्जल व्रत है और वह खाना सिर्फ चंद्रमा को देखकर उसे अर्घ्य देकर ही खा सकती है। चूँकि चंद्रमा अभी तक नहीं निकला है, इसलिए वह भूख-प्यास से व्याकुल हो उठी है।
सबसे छोटे भाई को अपनी बहन की हालत देखी नहीं जाती और वह दूर पीपल के पेड़ पर एक दीपक जलाकर चलनी की ओट में रख देता है। दूर से देखने पर वह ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे चतुर्थी का चाँद उदित हो रहा हो।
इसके बाद भाई अपनी बहन को बताता है कि चाँद निकल आया है, तुम उसे अर्घ्य देने के बाद भोजन कर सकती हो। बहन खुशी के मारे सीढ़ियों पर चढ़कर चाँद को देखती है, उसे अर्घ्य देकर खाना खाने बैठ जाती है।
वह पहला टुकड़ा मुँह में डालती है तो उसे छींक आ जाती है। दूसरा टुकड़ा डालती है तो उसमें बाल निकल आता है और जैसे ही तीसरा टुकड़ा मुँह में डालने की कोशिश करती है तो उसके पति की मृत्यु का समाचार उसे मिलता है। वह बौखला जाती है।
उसकी भाभी उसे सच्चाई से अवगत कराती है कि उसके साथ ऐसा क्यों हुआ ? करवा चौथ का व्रत गलत तरीके से टूटने के कारण देवता उससे नाराज हो गए हैं और उन्होंने ऐसा किया है।
सच्चाई जानने के बाद करवा निश्चय करती है कि वह अपने पति का अंतिम संस्कार नहीं होने देगी और अपने सतीत्व से उन्हें पुनर्जीवन दिलाकर रहेगी। वह पूरे एक साल तक अपने पति के शव के पास बैठी रहती है। उसकी देखभाल करती है। उसके ऊपर उगने वाली सूईनुमा घास को वह एकत्रित करती जाती है।
एक साल बाद फिर करवा चौथ का दिन आता है। उसकी सभी भाभियाँ करवा चौथ का व्रत रखती हैं। जब भाभियाँ उससे आशीर्वाद लेने आती हैं तो वह प्रत्येक भाभी से 'यम सूई ले लो, पिय सूई दे दो, मुझे भी अपनी जैसी सुहागिन बना दो' ऐसा आग्रह करती है, लेकिन हर बार भाभी उसे अगली भाभी से आग्रह करने का ��ह चली जाती है।
इस प्रकार जब छठे नंबर की भाभी आती है तो करवा उससे भी यही बात दोहराती है। यह भाभी उसे बताती है कि चूँकि सबसे छोटे भाई की वजह से उसका व्रत टूटा था अतः उसकी पत्नी में ही शक्ति है कि वह तुम्हारे पति को दोबारा जीवित कर सकती है, इसलिए जब वह आए तो तुम उसे पकड़ लेना और जब तक वह तुम्हारे पति को जिंदा न कर दे, उसे नहीं छोड़ना। ऐसा कह के वह चली जाती है। सबसे अंत में छोटी भाभी आती है। करवा उनसे भी सुहागिन बनने का आग्रह करती है, लेकिन वह टालमटोली करने लगती है। इसे देख करवा उन्हें जोर से पकड़ लेती है और अपने सुहाग को जिंदा करने के लिए कहती है। भाभी उससे ��ुड़ाने के लिए नोचती है, खसोटती है, लेकिन करवा नहीं छोड़ती है।
अंत में उसकी तपस्या को देख भाभी पसीज जाती है और अपनी छोटी अँगुली को चीरकर उसमें से अमृत उसके पति के मुँह में डाल देती है। करवा का पति तुरंत श्रीगणेश-श्रीगणेश कहता हुआ उठ बैठता है। इस प्रकार प्रभु कृपा से उसकी छोटी भाभी के माध्यम से करवा को अपना सुहाग वापस मिल जाता है। हे श्री गणेश माँ गौरी जिस प्रकार करवा को चिर सुहागन का वरदान आपसे मिला है, वैसा ही सब सुहागिनों को मिले।
Karva Chauth 2023: करवाचौथ की द्वितीय कथा
इस कथा का सार यह है कि शाकप्रस्थपुर वेदधर्मा ब्राह्मण की विवाहिता पुत्री वीरवती ने करवा चौथ का व्रत किया था। नियमानुसार उसे चंद्रोदय के बाद भोजन करना था, परंतु उससे भूख नहीं सही गई और वह व्याकुल हो उठी। उसके भाइयों से अपनी बहन की व्याकुलता देखी नहीं गई और उन्होंने पीपल की आड़ में आतिशबाजी का सुंदर प्रकाश फैलाकर चंद्रोदय दिखा दिया और वीरवती को भोजन करा दिया।
परिणाम यह हुआ कि उसका पति तत्काल अदृश्य हो गया। अधीर वीरवती ने बारह महीने तक प्रत्येक चतुर्थी को व्रत रखा और करवा चौथ के दिन उसकी तपस्या से उसका पति पुनः प्राप्त हो गया।
Karva Chauth 2023: करवा चौथ की तृतीय कथा
एक समय की बात है कि एक करवा नाम की पतिव्रता स्त्री अपने पति के साथ नदी के किनारे के गाँव में रहती थी। एक दिन उसका पति नदी में स्नान करने गया। स्नान करते समय वहाँ एक मगर ने उसका पैर पकड़ लिया। वह मनुष्य करवा-करवा कह के अपनी पत्नी को पुकारने लगा।
उसकी आवाज सुनकर उसकी पत्नी करवा भागी चली आई और आकर मगर को कच्चे धागे से बाँध दिया। मगर को बाँधकर यमराज के यहाँ पहुँची और यमराज से कहने लगी- हे भगवन! मगर ने मेरे पति का पैर पकड़ लिया है। उस मगर को पैर पकड़ने के अपराध में आप अपने बल से नरक में ले जाओ।
यमराज बोले- अभी मगर की आयु शेष है, अतः मैं उसे नहीं मार सकता। इस पर करवा बोली, अगर आप ऐसा नहीं करोगे तो मैं आप को श्राप देकर नष्ट कर दूँगी। सुनकर यमराज डर गए और उस पतिव्रता करवा के साथ आकर मगर को यमपुरी भेज दिया और करवा के पति को दीर्घायु दी। हे करवा माता! जैसे तुमने अपने पति की रक्षा की, वैसे सबके पतियों की रक्षा करना।
Karva Chauth 2023: करवाचौथ की चौथी कथा
एक बार पांडु पुत्र अर्जुन तपस्या करने नीलगिरी नामक पर्वत पर गए। इधर द्रौपदी बहुत परेशान थीं। उनकी कोई खबर न मिलने पर उन्होंने कृष्ण भगवान का ध्यान किया और अपनी चिंता व्यक्त की। कृष्ण भगवान ने कहा- बहना, इसी तरह का प्रश्न एक बार माता पार्वती ने शंकरजी से किया था।
पूजन कर चंद्रमा को अर्घ्य देकर फिर भोजन ग्रहण किया जाता है। सोने, चाँदी या मिट्टी के करवे का आपस में आदान-प्रदान किया जाता है, जो आपसी प्रेम-भाव को बढ़ाता है। पूजन करने के बाद महिलाएँ अपने सास-ससुर एवं बड़ों को प्रणाम कर उनका आशीर्वाद लेती हैं।
तब शंकरजी ने माता पार्वती को करवा चौथ का व्रत बतलाया। इस व्रत को करने से स्त्रियाँ अपने सुहाग की रक्षा हर आने वाले संकट से वैसे ही कर सकती हैं जैसे एक ब्राह्मण ने की थी। प्राचीनकाल में एक ब्राह्मण था। उसके चार लड़के एवं एक गुणवती लड़की थी।
एक बार लड़की मायके में थी, तब करवा चौथ का व्रत पड़ा। उसने व्रत को विधिपूर्वक किया। पूरे दिन निर्जला रही। कुछ खाया-पीया नहीं, पर उसके चारों भाई परेशान थे कि बहन को प्यास लगी होगी, भूख लगी होगी, पर बहन चंद्रोदय के बाद ही जल ग्रहण करेगी।
भाइयों से न रहा गया, उन्होंने शाम होते ही बहन को बनावटी चंद्रोदय दिखा दिया। एक भाई पीपल की पेड़ पर छलनी लेकर चढ़ गया और दीपक जलाकर छलनी से रोशनी उत्पन्न कर दी। तभी दूसरे भाई ने नीचे से बहन को आवाज दी- देखो बहन, चंद्रमा निकल आया है, पूजन कर भोजन ग्रहण करो। बहन ने भोजन ग्रहण किया।
भोजन ग्रहण करते ही उसके पति की मृत्यु हो गई। अब वह दुःखी हो विलाप करने लगी, तभी वहाँ से रानी इंद्राणी निकल रही थीं। उनसे उसका दुःख न देखा गया। ब्राह्मण कन्या ने उनके पैर पकड़ लिए और अपने दुःख का कारण पूछा, तब इंद्राणी ने बताया- तूने बिना चंद्र दर्शन किए करवा चौथ का व्रत तोड़ दिया इसलिए यह कष्ट मिला। अब तू वर्ष भर की चौथ का व्रत नियमपूर्वक करना तो तेरा पति जीवित हो जाएगा। उसने इंद्राणी के कहे अनुसार चौथ व्रत किया तो पुनः सौभाग्यवती हो गई। इसलिए प्रत्येक स्त्री को अपने पति की दीर्घायु के लिए यह व्रत करना चाहिए। द्रोपदी ने यह व्रत किया और अर्जुन सकुशल मनोवांछित फल प्राप्त कर वापस लौट आए। तभी से हिन्दू महिलाएँ अपने अखंड सुहाग के लिए करवा चौथ व्रत करती हैं। सायं काल में चंद्रमा के दर्शन करने के बाद ही पति द्वारा अन्न एवं जल ग्रहण करें। पति, सास-ससुर सब का आशीर्वाद लेकर व्रत को समाप्त करें।
पूजा एवं चन्द्र को अर्घ्य देने का मुहूर्त
कार्तिक कृष्ण चतुर्थी (Karva Chauth) 1 नवम्बर को करवा चौथ पूजा मुहूर्त- सायं 05:35 से 06:55 बजे तक।
चंद्रोदय- 20:06 मिनट पर।
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ - 31 अक्टूबर को रात्रि 09:30 बजे से।
चतुर्थी तिथि समाप्त - 01 नवम्बर को रात्रि 09:19 बजे।
इस साल 13 घंटे 26 मिनट का समय व्रत के लिए है। ऐसे में महिलाओं को सुबह 6 बजकर 40 मिनट से शाम 08 बजकर 06 मिनट तक करवा चौथ का व्रत रखना होगा।
करवा चौथ के दिन चन्द्र को अर्घ्य देने का समय रात्रि 8:07 बजे से 8:55 तक है।
प्राचीन मान्यताओं के अनुसार करवा चौथ के दिन शाम के समय चन्द्रमा को अर्घ्य देकर ही व्रत खोला जाता है।
चंद्रदेव को अर्घ्य देते समय इस मंत्र का जप अवश्य करना चाहिए। अर्घ्य देते समय इस मंत्र के जप करने से घर में ��ुख व शांति आती है।
"गगनार्णवमाणिक्य चन्द्र दाक्षायणीपते।
गृहाणार्घ्यं मया दत्तं गणेशप्रतिरूपक॥"
इसका अर्थ है कि सागर समान आकाश के माणिक्य, दक्षकन्या रोहिणी के प्रिय व श्री गणेश के प्रतिरूप चंद्रदेव मेरा अर्घ्य स्वीकार करें।
सुख सौभाग्य के लिये राशि अनुसार उपाय
मेष राशि- मेष राशि की महिलाएं करवा चौथ की पूजा अगर लाल और गोल्डन रंग के कपड़े पहनकर करती हैं तो आने वाला समय बेहद शुभ रहेगा।
वृषभ राशि - वृषभ राशि की महिलाओं को इस करवा चौथ सिल्वर और लाल रंग के कपड़े पहनकर पूजा करनी चाहिए। इस रंग के कपड़े पहनकर पूजा करने से आने वाले समय में पति-पत्नी के बीच प्यार में कभी कमी नहीं आएगी।
मिथुन राशि - इस राशि की महिलाओं के लिए हरा रंग इस करवा चौथ बेहद शुभ रहने वाला है। इस राशि की महिलाओं को करवा चौथ के दिन हरे रंग की साड़ी के साथ हरी और लाल रंग की चूड़ियां पहनकर चांद की पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से आपके पति की आयु निश्चित लंबी होगी।
कर्क राशि - कर्क राशि की महिलाओं को करवा चौथ की पूजा विशेषकर लाल-सफेद रंग के कॉम्बिनेशन वाली साड़ी के साथ रंग-बिरंगी चूडि़यां पहनकर पूजा करनी चाहिए। याद रखें इस राशि की महिलाओं को व्रत खोलते समय चांद को सफेद बर्फी का भोग लगाना चाहिए। ऐसा करने से आपके पति का प्यार आपके लिए कभी कम नहीं होगा।
सिंह राशि - करवा चौथ की साड़ी चुनने के लिए इस राशि की महिलाओं के पास कई विकल्प मौजूद हैं। इस राशि की महिलाएं लाल, संतरी, गुलाबी और गोल्डन रंग चुन सकती है। इस रंग के कपड़े पहनकर पूजा करने से शादीशुदा जोड़े के वैवाहिक जीवन में हमेशा प्यार बना रहता है।
कन्या राशि - कन्या राशि वाली महिलाओं को इस करवा चौथ लाल-हरी या फिर गोल्डन कलर की साड़ी पहनकर पूजा करने से लाभ मिलेगा। ऐसा करने से दोनों के वैवाहिक जीवन में मधुरता बढ़ जाएगी।
तुला राशि - इस राशि की महिलाओं को पूजा करते समय लाल- सिल्वर रंग के कपड़े पहनने चाहिए। इस रंग के कपड़े पहनने पर पति का साथ और प्यार दोनों हमेशा बना रहेगा।
वृश्चिक राशि - इस राशि की महिलाएं लाल, मैरून या गोल्डन रंग की साड़ी पहनकर पूजा करें तो पति-पत्नी के बीच प्यार बढ़ जाएगा।
धनु राशि - इस राशि की महिलाएं पीले या आसमानी रंग के कपड़े पहनकर पति की लंबी उम्र की कामना करें।
मकर राशि - मकर राशि की महिलाएं इलेक्ट्रिक ब्लू रंग करवा चौथ पर पहनने के लिए चुनें। ऐसा करने से आपके मन की हर इच्छा जल्द पूरी होगी।
कुंभ राशि - ऐसी महिलाओं को नेवी ब्लू या सिल्वर कलर के कपड़े पहनकर पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से गृहस्थ जीवन में सुख शांति बनी रहेगी।
मीन राशि - इस राशि की महिलाओं को करवा चौथ पर लाल या गोल्डन रंग के कपड़े पहनना शुभ होगा।
समापन
करवा चौथ का यह पर्व सामाजिक एकता और परंपरा का प्रतीक है। इस विशेष दिन पर, हम सभी महिलाएं अपने पति की खुशियों की कामना करती हैं और उनके साथ विशेष रूप से समय बिताती हैं। इसके अलावा, यह एक विशेष अवसर है जब हम समाज में एक साथ आकर्षित होते हैं और परंपरा का महत्व समझते हैं। इस करवा चौथ पर, हम सभी को खुशियों और समृद्धि की कामना है, और हम साथ हैं इस खास पर्व को और भी खास बनाने के लिए।
करवा चौथ (Karva Chauth 2023) की सभी महिलाओं को हार्दिक शुभकामनाएं। आप सभी के पति की लंबी आयु और सुख समृद्धि की कामना करता हूं।
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Karva Chauth 2024
करवा चौथ एक ऐसा पर्व है जो न केवल पति-पत्नी के रिश्ते को और मजबूत करता है, बल्कि इसका ज्योतिष शास्त्र से भी गहरा संबंध है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखद वैवाहिक जीवन की कामना के लिए उपवास रखती हैं। पर क्या आप जानते हैं कि करवा चौथ के साथ-साथ ज्योतिषीय दृष्टिकोण से आपकी कुंडली (birth chart) और विवाह का संबंध भी गहरा होता है? आइए इस करवा चौथ पर जानें कि ज्योतिष शास्त्र कैसे आपकी वैवाहिक ज़िंदगी और भविष्य के जीवनसाथी के बारे में जानकारी देता है।
कुंडली से जानें अपना जीवनसाथी (Know Your Future Partner by Birth Chart)
हर व्यक्ति की जन्म कुंडली में विवाह और जीवनसाथी के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी छिपी होती है। जन्म कुंडली (birth chart) का 7वां भाव विशेष रूप से आपके जीवनसाथी और शादी से जुड़ा होता है। यदि आप जानना चाहते हैं कि आपका भविष्य का जीवनसाथी कैसा होगा, तो आपकी कुंडली में शुक्र (Venus) और मंगल (Mars) की स्थिति का अध्ययन करना महत्वपूर्ण है। शुक्र प्रेम और विवाह का कारक ग्रह माना जाता है, जबकि मंगल वैवाहिक जीवन की ऊर्जा और संघर्ष को दर्शाता है। इन ग्रहों की स्थिति यह बताती है कि आपका जीवनसाथी कैसे स्वभाव का होगा और आपकी शादीशुदा ज़िंदगी कैसी रहेगी।
विवाह के लिए शुभ समय (Marriage Astrology)
शादी के लिए सही समय जानना भी बहुत आवश्यक है, और इसके लिए आपकी कुंडली का विश्लेषण किया जाता है। विवाह ज्योतिष (marriage astrology) के माध्यम से यह पता लगाया जा सकता है कि कब विवाह के योग बन रहे हैं। कई बार लोग यह सवाल करते हैं कि विवाह में देरी क्यों हो रही है या शादीशुदा जीवन में समस्याएं क्यों आ रही हैं। इन सवालों का जवाब कुंडली के अध्ययन से मिल सकता है। कुंडली के 2nd, 7th और 11th भाव विवाह और परिवार से जुड़े होते हैं। यदि इन भावों में कोई ग्रह बाधा डाल रहा है, तो विवाह में देरी हो सकती है।
दैनिक राशिफल से जानें वैवाहिक जीवन का हाल (Daily Horoscope)
ज्योतिष शास्त्र में दैनिक राशिफल (daily horoscope) के माध्यम से भी यह जाना जा सकता है कि आपके दिन का प्रभाव आपकी शादीशुदा ज़िंदगी पर कैसा रहेगा। करवा चौथ के दिन यदि आप जानना चाहते हैं कि पूजा का समय आपके लिए कितना शुभ रहेगा या इस दिन पति-पत्नी के रिश्तों में मधुरता कैसी रहेगी, तो आप दैनिक राशिफल का सहारा ले सकते हैं। राशिफल में चंद्रमा की स्थिति खास भूमिका निभाती है, क्योंकि चंद्रमा का सीधा संबंध हमारे मन और भावनाओं से होता है।
करवा चौथ और वैवाहिक जीवन में कुंडली का महत्व
करवा चौथ पर पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना की जाती है, और इस दिन चंद्र दर्शन और पूजा का विशेष महत्व होता है। यदि आपकी शादीशुदा ज़िंदगी में कोई समस्या आ रही है, तो करवा चौथ के दिन कुंडली के अनुसार सही उपाय करने से इन समस्याओं का समाधान हो सकता है। कुंडली में विवाह के लिए शुभ ग्रहों की स्थिति और चंद्रमा की स्थिति इस दिन के अनुष्ठान को और अधिक प्रभावी बना सकती है।
कैसे करें कुंडली से विवाह संबंधित समस्याओं का समाधान?
अगर आपकी शादी में लगातार समस्याएं आ रही हैं या विवाह में देरी हो रही है, (Delay in marriage )तो कुंडली का विश्लेषण करवाकर ज्योतिषीय उपायों का सहारा लें। जन्म कुंडली में ग्रह दोष होने पर विभिन्न उपाय किए जा सकते हैं जैसे कि विशेष मंत्रों का जाप, ग्रहों की शांति के लिए अनुष्ठान और रत्न धारण करना। इसके अलावा, इस दिन की पूजा और व्रत से भी वैवाहिक जीवन में सुख-शांति लाई जा सकती है।
निष्कर्ष
करवा चौथ 2024 आपके जीवनसाथी और वैवाहिक जीवन के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन, न केवल आप अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं, बल्कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अपनी कुंडली और राशिफल के माध्यम से अपनी शादीशुदा ज़िंदगी के बारे में भी महत्वपूर्ण जानकारी पा सकती हैं। यदि आप अपने जीवनसाथी के स्वभाव और विवाह के शुभ समय के बारे में जानने के इच्छुक हैं, तो अपनी कुंडली का विश्लेषण करें और ज्योतिषीय उपायों का सहारा लें।
Source URL - https://karmaastro.medium.com/karva-chauth-2024-0775e64bdd7b
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