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क्या आपका पैन कार्ड आधार से लिंक है? यहां बताया गया है कि आप कैसे चेक कर सकते हैं - तस्वीरों में
क्या आपका पैन कार्ड आधार से लिंक है? यहां बताया गया है कि आप कैसे चेक कर सकते हैं – तस्वीरों में
आयकर विभाग ने कहा, “आयकर अधिनियम, 1961 के अनुसार, सभी पैन धारकों के लिए यह अनिवार्य है, जो छूट की श्रेणी में नहीं आते हैं, 31.3.2023 से पहले अपने पैन को अपने आधार से लिंक करना अनिवार्य है। 1.04.2023 से, अनलिंक किया गया पैन निष्क्रिय हो जाएगा।” [Image Credit: Twitter/Income Tax India] Source link
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#आईटी सलाहकार#आयकर विभाग#केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने पैन को आधार से लिंक किया#पैन को आधार से लिंक करना अनिवार्य है
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10.10.2024, लखनऊ | परम आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के मूल मंत्र "सबका साथ, सबका विकास, सबका प्रयास, सबका विश्वास" एवं राष्ट्रीय एकीकरण की भावना को बढ़ावा देने हेतु, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा करामत हुसैन मुस्लिम गर्ल्स इंटर कॉलेज, निशातगंज, लखनऊ में 571 छात्राओं को पुस्तक 'गीता गर्ल मरियम' का वितरण किया गया ।
पुस्तक वितरण में लखनऊ विश्वविद्यालय के सामाजिक कार्य विभाग के छात्र-छात्राओं श्री अविन्��्र सिंह, सुश्री भूमिका कुमार, श्री शाश्वत शुक्ला, श्री वृन्दावन सिंह एवं हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों ने अपना महत्वपूर्ण योगदान प्रदान किया । इस अवसर पर करामत हुसैन मुस्लिम गर्ल्स इंटर कॉलेज की प्रधानाचार्या एवं शिक्षकों की गरिमामयी उपस्थिति रही ।
सादर अवगत कराना है कि हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना वर्ष 2012 में जनहित और जनकल्याण हेतु लखनऊ, उत्तर प्रदेश में की गई । अपने स्थापना वर्ष से अब तक 12 वर्षों में, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट ने उत्तर प्रदेश में जनकल्याणकारी संस्था के रूप में प्रतिष्ठा अर्जित की है । ट्रस्ट अपने आदरणीय संरक्षकों पद्म भूषण स्वर्गीय गोपाल दास नीरज, पद्म श्री स्वर्गीय अनवर जलालपुरी तथा पद्म श्री अनूप जलोटा के मार्गदर्शन में, स्वसाधनों से समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने हेतु राष्ट्रीय स्तर पर शैक्षिक, सांस्कृतिक और सामाजिक उन्नयन की दिशा में गतिशील है । माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के संकल्प “सबका साथ, सबका विश्वास, सबका विकास और सबका प्रयास” को ध्येय मानते हुए, ट्रस्ट गरीबों और असहायों की मदद हेतु वस्त्र वितरण अभियान, रक्तदान, बाल गोपाल शिक्षा योजना, जनहित के जागरूकता अभियान, सम्मान समारोह और अन्य लाभकारी योजनाओं का निरंतर क्रियान्वयन कर रहा है । विश्वव्यापी कोरोना महामारी (COVID-19) के संकट के दौरान, ट्रस्ट ने अपने संसाधनों और हेल्प यू कोरोना वारियर्स की मदद से निराश्रित और जरूरतमंद लोगों के लिए निरंतर भोजन, मास्क, सैनिटाइजर तथा अन्य बचाव सामग्री का वितरण किया ।
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा साहित्य और साहित्यकारों के प्रोत्साहन के लिए, अध्यात्म और संस्कृति के संवर्धन एवं उत्थान के दृष्टिगत जनहित में पुस्तकों का प्रकाशन भी किया गया है ।
ट्रस्ट लखनऊ, उत्तर प्रदेश में वृद्धा आश्रम, अनाथालय, भगवत गीता सेंटर, हेल्प यू एकेडमी ऑफ स्पिरिचुअल म्यूजिक तथा अन्य जनहित की परियोजनाओं के क्रियान्वयन हेतु प्रयत्नशील है । साथ ही, देश के सभी राज्यों की राजधानियों तथा अन्य देशों में ट्रस्ट के कार्यालय स्थापित कर जनहित के कार्यों को और विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है ।
हम जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों की मदद कर रहे हैं । ट्रस्ट की समस्त गतिविधियों और जनकल्याण के कार्यक्रमों का सम्पूर्ण विवरण ट्रस्ट की वेबसाइट www.helputrust.org तथा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे Facebook, Twitter, LinkedIn, Tumblr, Instagram और YouTube पर आपके अवलोकनार्थ उपलब्ध है ।
आप हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट से जुड़ सकते हैं और ट्रस्ट को अपना बहुमूल्य सहयोग प्रदान कर सकते हैं�� यह आवश्यक नहीं है कि आप ट्रस्ट को केवल आर्थिक सहयोग (Donation, Sponsorship, CSR आदि) ही दें, बल्कि आप अपने सेवा क्षेत्र के माध्यम से हमारे सलाहकार, आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य, सद्भावना राजदूत, या संयुक्त तत्वावधान में आयोजन करके भी जनहित में अपना योगदान दे सकते हैं ।
आपसे सादर अनुरोध है कि कृपया ट्रस्ट द्वारा विगत 12 वर्षों से निरंतर किए जा रहे जनहित में समाज उत्थान और समाज कल्याण के कार्यों के दृष्टिगत, लाभार्थियों के हित में तथा ट्रस्ट को प्रभावशाली कार्य करने हेतु अपना बहुमूल्य सहयोग प्रदान करना चाहें |
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कबीर साहब बांधवगढ़ के सेठ धर्मदास को मिले जो कृष्ण जी के भक्त थे तब कबीर साहब ने खुद को एक भक्त बताया और धर्मदास को विद्वान ।
सीधे ही धर्मदास को कह देते मै ही परमेश्वर हुं तो धर्मदास उनकी एक ना सुनता ।
फिर धर्मदास को ज्ञान सुनाते समझाते अपने ज्ञान तक लाये तब धर्मदास को यकीन हुआ यही परमेश्वर है
कबीर साहब ने राम नाम के गुण गाये ।
कबीर , राम नाम की लूट मचीं है , लूट सके तो लूट ।
पीछे फिर पछतायेगा , प्राण जायेंगे छूट ।।
फिर राम की भिन्नता बताई है ।
एक राम दशरथ का बेटा , एक राम घट घट में बैठा ।
एक राम का सकल पसारा , एक राम है सबसे न्यारा ।।
फिर कहा है
राम राम सब जगत बखाने , आदिराम कोई विरला जाने ।
भम्र गये जग वेद पुराण , आदिराम का भेद ना जाना ।।
फिर फाईनल ज्ञान में बताया
ज्योत स्वरूप तेरा अलख निरंजन धरता ध्यान हमारा ।।
अलख निरंजन जिसको गीता में बह्म कहा गया है जिसका ॐ मन्त्र है वो भी कबीर साहब जी का ध्यान धर कर साधना करता है ।
हम सब ने ना वेद देखे ना गीता पढी ना कबीर साहब के साख देने वाले संतो की वाणियां पढी । बस लगे है कबीर साहब का विरोध करने ।
कौन कहता है बह्मा विष्णु शिव भगवान नह�� है संत रामपाल जी महाराज तो कहते है यह तीन लोक के भगवान ही आपको लाभ देंगे आप इनकी भक्ति मुझ दास (संत रामपाल जी महाराज)से लेकर इनके मन्त्रो से करो फिर देखो ...
बिना सोचे बिना विचारे कुछ भी गलत ना बोले ।
हम भी हाथ जोडकर बह्मा विष्णु शिव जी का सत्कार करते है वे हमारे धरती पाताल और स्वर्ग के एक एक विभाग के भगवान है सत्वगुण के विष्णु जी , रजगुण के बह्मा जी , तमोगुण के शिव जी ।
पर हम सब के परमेश्वर कबीर साहब है जो समस्त सृष्टी के रचनाकार और पालनकर्ता है ।
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. ☘️ *ज्ञान गंगा* ☘️
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➖ *विष्णूचे आपले पिता (काळ/ब्रह्मच्या) प्राप्तीसाठी प्रस्थान आणि मातेचा आशीर्वाद प्राप्त करणे* ➖
त्यानंतर दुर्गेने (प्रकृती) विष्णूला सांगितले, की पुत्रा, तूसुद्धा आपल्या पित्याचा शोध घे. तेव्हा विष्णू आपले पिता ब्रह्मचा (काळ) शोध घेत पाताळलोकी पोहोचला, जेथे शेषनाग होता. विष्णू आपल्या हद्दीत आल्याचे पाहून शेषनागाने क्रोधित होऊन विष्णूच्या शरीरावर विषाचा फुत्कार मारला. त्याच्या प्रभावाने विष्णूजींचा रंग (वर्ण) सावळा झाला. तेव्हा या नागाला चांगलाच धडा शिकवायला पाहिजे, असे विष्णूच्या मनात आले. हे जेव्हा ज्योतिनिरंजनाने पाहिले, तेव्हा त्याला वाटले, की आता विष्णूला शांत करायला पाहिजे आणि आकाशवाणी झाली, की हे विष्णू, आता तू तुझ्या मातेकडे जा आणि जे काही घडले आहे, त्याचे सत्यकथन कर, तसेच जो त्रास तुला शेषनागापासून झालेला आहे, त्याचा प्रतिशोध तू द्वापारयुगामध्ये घे. द्वापारयुगामध्ये तू कृष्ण अवतार धारण करशील आणि कालिदहात (काली डोहात) कालिंद्री (कालिया) नावाने शेषनागाचा अवतार होईल.
ऊँच होई के नीच सतावै, ताकर ओएल (बदला) मोही सों पावे।
जो जीव देई पीर पुनी काँहु, हम पुनि ओएल दिवावें ताहूँ॥
तेव्हा विष्णू मातेकडे (दुर्गामाता) आले आणि त्यांनी मला पित्याचे दर्शन झालेले नाही, असे ��त्य सांगितले. यावर आदिमाता (प्रकृती) अत्यंत प्रसन्न झाली आणि म्हणाली, की पुत्रा, तू सत्यवादी आहेस. आता मी आपल्या शक्तीने तुला तुझ्या पित्याशी भेट घालून देते. तसेच तूझ्या मनातील संशय नष्ट करते.
*“कबीर, देख पुत्र तो हि पिता* *भीटाऊँ तौरे मन का धोखा* *मिटाऊँ।*
**मन स्वरूप कर्ता कह जानों,* *मन ते दुजा और न* *मानो।*
*स्वर्ग पाताल दौर मन केरा, मन** *अस्थीर मन अहै अनेरा।**
*निरंकार मनही को कहिए,* *मन की आस निश दिन* **रहिए। **
*देख हूँ पलटि सुन्य मह ज्योति,* *जहाँ पर झिलमिल झालर होती॥”*
अशा प्रकारे मातेने (अष्टांगी, प्रकृती) विष्णूला सांगितले, की ‘मन’ हाच जगाचा कर्ता आहे. हाच ज्योतिनिरंजन आहे. ध्यानामध्ये ज्या हजार ज्योती नजरेस पडतात, तेच त्याचे रूप आहे. जो शंख, घंटा इत्यादींचा आवाज ऐकू येतो, तो महास्वर्गामध्ये निरंजनाचाच वाजत आहे. मातेने (अष्टांगी, प्रकृती) पुढे सांगितले, की पुत्रा, तू सर्व देवतांचा शिरोमणी आहेस. तुझी प्रत्येक कामना आणि कार्य मी पूर्ण करेन. सर्व जगतामध्ये तुझी पूजा होईल. याचे कारण तू जे काय आहे, ते सर्व सत्य सांगितले आहेस. काळच्या (ज्योतिनिरंजन) या ब्रह्मांडातील प्राण्यांना एक विशेष सवय आहे, की ते फक्त आपली व्यर्थ महिमा गातात. जसे दुर्गा विष्णूला म्हणत आहे, की तुझी जगामध्ये पूजा होईल. मी तुला तुझ्या पित्याचे दर्शन घडवेन. दुर्गा मातेने केवळ प्रकाश दाखवून विष्णूवर कृपा केले. श्री विष्णूही परमात्म्याचा केवळ प्रकाश दिसतोे. परमात्मा निराकार आहे, अशी प्रभूची स्थिती आपल्या अनुयायांना समजावून सांगू लागले. त्यानंतर आदिभवानी रुद्राकडे (महेश) जाऊन म्हणाली, की महेश, तूसुद्धा आपल्या पित्याचा शोध घे. तुझ्या दोन्ही बंधूंना तुझ्या पित्याचे दर्शन झालेले नाही. त्यांना जे काही द्यायचे ते मी दिले आहे, तेव्हा आता तुला काय पाहिजे असेल ते माग. यावर महेश (शंकर) म्हणाले, की हे जननी, माझ्या दोन्ही ज्येष्ठ बंधूंना पित्याचे दर्शन झालेले नाही. त्यामुळे मी माझा प्रयत्न करणे व्यर्थ आहे. कृपया मला असा वर प्रदान कर, की मी अमर (मृत्युंजय) होईन. माता प्रकृती म्हणाली, की पुत्रा, हे मी करू शकत नाही; परंतु मी एक युक्ती सांगू शकते, ज्यामुळे तुझे आयुष्य सर्वांपेक्षा जास्त होईल. ती युक्ती म्हणजे विधियोग आहे. (त्यामुळेच महादेव अधिकाधिक काळ समाधीमध्ये राहतात.) अशाप्रकारे आदिमाया प्रकृतीने तिन्ही पुत्रांना सृष्टिरचनेच्या विभागांची वाटणी करून दिली.
भगवान ब्रह्मांना काळलोकी 84 लक्ष वस्त्रांची (शरीर��) रचना करण्याचे म्हणजेच रजोगुणाने प्रभावित करून संतान उत्पत्तीसाठी विवश करून जीव उत्पन्न करण्याचा विभाग प्रदान केला गेला. भगवान विष्णूंकडे उत्पन्न झालेल्या जीवांचे पालनपोषण करणे व मोह-ममता उत्पन्न करण्याची स्थिती कायम ठेवण्याचा विभाग प्रदान केला गेला.
शिवशंकरांकडे (महादेव) पिता ज्योतिनिरंजनास एक लक्ष मानव देहधारी जीव प्रतिदिन आहार करण्याचा शाप लागलेला असल्यामुळे संंहार करण्याचा विभाग प्रदान केला.
येथे मनामध्ये एक प्रश्न उत्पन्न होतो, की ब्रह्मा, विष्णू आणि शंकर यांच्यापासून उत्पत्ती, स्थिती आणि संहार कशाप्रकारे होतो? ते तिघेही आपापल्या लोकामध्ये वास्तव्य करत असतात. जसे आजकाल संचारप्रणाली चालवण्यासाठी अवकाशात उपग्रह सोडले जातात आणि त्याद्वारे खाली पृथ्वीवर दूरदर्शन, इतर सेवा आदी संचारप्रणाली चालविली जाते, अगदी त्याचप्रकारे हे तिन्ही देव जेथे वास्तव्य करत असतील, तेथून त्यांच्या शरीरातून निघणारे सूक्ष्म गुणांचे तरंग तिन्ही लोकांमध्ये आपोआप प्रत्येक प्राण्यावर कायम प्रभाव ठेवतात.
हे विवरण एका ब्रह्मांडामधील ब्रह्मच्या (काळ) रचनेचे आहे. क्षरपुरुषाची (काळ) अशी एकवीस ब्रह्मांडे आहेत.
परंतु, क्षरपुरुष (काळ) स्वतः व्यक्त म्हणजेच वास्तविक शरीर रूपामध्ये सर्वांसमक्ष येत नाही. त्याच्या प्राप्तीसाठी तीन देवांनाही (ब्रह्मा, विष्णू, शिव) वेदांमध्ये वर्णन आलेल्या विधीनुसार खडतर साधना करूनही ब्रह्मचे (काळ) दर्शन झालेले नाही. तत्पश्चात ऋषींनी वेदांचे पठन केले. त्यात लिहिले आहे, की ‘अग्नेः तनूर् असि’ (पवित्र यजुर्वेदाच्या पहिल्या अध्यातील 15 वा मंत्र). परमेश्वर सशरीर आहेे, तसेच पवित्र यजुर्वेदाच्या 5 व्या अध्यायातील पहिल्या मंत्रामध्ये वर्णन आहे, की ‘अग्ने: तनुर् असि विष्णवे त्वा सोमस्य तनूर् असि.’ या मंत्रांमध्ये वेद दोन वेळा साक्ष देत आहे, की सर्वव्यापक, सर्वांचा पालनकर्ता, सत्पुरुष सशरीर आहे. पवित्र यजुर्वेदाच्या 40 व्या अध्यायातील 8 व्या मंत्रामध्ये म्हटले आहे, की (कविर् मनिषी) ज्या परमेश्वराची सर्व प्राण्यांना अतिआस्था (इच्छा) आहे, ते ‘कविर्’ अर्थात कबीर आहेत. त्यांचे शरीर नाडीविना- नाडीरहित (अस्नाविरम्) आहे, ते (शुक्रम्) वीर्यापासून उत्पन्न झालेल्या, पंचतत्त्वांनी बनलेल्या भौतिक कायारहित (अकायम्) आहेत. ते सर्वांचे स्वामी ‘सर्वोपरि’ (सर्वांत वर) सत्यलोकामध्ये विराजमान आहेत. त्या परमेश्वराचे शरीर तेजःपुंज व (स्वर्ज्योति) स्वयंप्रकाशित आहे, जे शब्दरूप अर्थात अविनाशी आहे. तेच कविर्देव (कबीर परमेश्वर) जे सर्व ब्रह्मांडांची रचना करणारे, (व्यदधाता) सर्व बह्मांडांचे रचनाहार, (स्वयम्भू:) स्वयं प्रगट होणारे, (यथा तश्य: अर्थान्) वास्तवामध्ये, (शाश्वत्) अविनाशी आहेत. (गीतेच्या 15 व्या अध्यायातील 17 व्या श्लोकामध्येही याचे प्रमाण आले आहे)
भावार्थ असा, की पूर्ण ब्रह्मच्या शरीराचे नाव ‘कबीर’ (कविर्देव) आहे. त्या परमेश्वराचे शरीर नूर (तेज) तत्त्वाने बनलेले आहेे. परमात्म्याचे शरीर अतिसूक्ष्म आहेे आणि ते त्याच साधकाला दिसते, ज्याची दिव्य दृष्टी उघडलेली आहे. अशाप्रकारे जीवाचेही सूक्ष्म शरीर आहे, ज्यावर पाच तत्त्वांचे वेष्टन (आवरण) आहे म्हणजेच पंचतत्त्वांची काया चढलेली आहे आणि ते माता-पिता यांच्या संयोगाने (शुक्रम्) वीर्याने बनलेले आहे. शरीराचा त्याग केल्यानंतरही जीवाचे सूक्ष्म शरीर सोबतच राहते. ते शरीर त्याच साधकाला दृष्टीस पडते, ज्याची दिव्यदृष्टी उघडलेली आहे. परमात्मा व जीव यांची स्थिती अशाप्रकारेच समजून घ्यावी.वेदामध्ये ‘ओऽम’ नामाच्या स्मरणाचे प्रमाण आहे, ते केवळ ब्रह्म साधना आहेे. या उद्देशाने ‘ओऽम’ नामाच्या जपास पूर्ण ब्रह्मचे मानून ऋषींनी हजारो वर्षे हठयोग (समाधी लावून) करून प्रभूच्या प्राप्तीची चेष्टा (प्रयत्न) केली. त्यांना सिद्धी प्राप्त झाल्या; परंतु प्रभूचे दर्शन झाले नाही. याच सिद्धिरूपी खेळण्याने खेळून ऋषीसुद्धा जन्म-मृत्यूच्या चक्रामध्ये (84 लक्ष योनींमध्ये) अडकले. त्यांना जे अनुभव आले, त्यानुसार त्यांनी आपल्या शास्त्रामध्ये परमात्याचे निराकार असे वर्णन केले आहे. ब्रह्मने (काळ) शपथ घेतली आहे, की मी आपल्या वास्तविक रूपामध्ये कोणालाही दर्शन देणार नाही. मला सर्व जण अव्यक्त समजतील. (अव्यक्तचा भावार्थ आहे, की कोणी आकार स्वरूपात आहेे; परंतु व्यक्तिगत रूपाने स्थूल रूपामध्ये दर्शन देत नाही. आकाशामध्ये ढग जमा झाल्यावर दिवसाही सूर्य अदृश्य होतो म्हणजेच आपणाला तो दिसत नाही; परंतु वास्तवामध्ये तो ढगांच्या पलीकडे जसा आहे तसाच आहे. या अवस्थेला अव्यक्त असे म्हणतात). (प्रमाणासाठी गीतेच्या 7 व्या अध्यायातील 24 व 25 वा श्लोक आणि 11 व्या अध्यायातील 32 व 48 वा श्लोक)
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Manual of Chest X-Ray | Shri Jitendra Kumar | IAS | Dr Rajendra Prasad | Brajesh Pathak
09.09.2024, लखनऊ | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा डॉ बीसी रॉय नेशनल अवार्ड से सम्मानित डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद, निदेशक, चिकित्सा शिक्षा, एरा यूनिवर्सिटी लखनऊ, डॉ निखिल गुप्ता, एसोसिएट प्रोफेसर, डॉ राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज, लखनऊ तथा डॉ किरण विष्णु नारायण, एडिशनल प्रोफेसर, गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, त्रिवेंद्रपुरम, केरल द्वारा लिखित पुस्तक "Manual of Chest X-Ray" का विमोचन रेनेसां लखनऊ होटल, गोमती नगर, लखनऊ में किया गया | मुख्य अतिथि के रूप में श्री बृजेश पाठक जी, माननीय उपमुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार ने कार्यक्रम में शिरकत की जबकि विशिष्ट अतिथियों में श्री विद्यासागर गुप्ता जी, पूर्व अध्यक्ष, बोर्ड ऑफ़ टेक्निकल एजुकेशन, उत्तर प्रदेश, श्री बृजलाल जी, माननीय सांसद, राज्यसभा, श्री अशोक ��ाजपेई जी, माननीय पूर्व सांसद, राज्यसभा, श्री श्याम नंदन सिंह जी, पूर्व अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश गौ सेवा आयोग, श्री मुकेश शर्मा जी, माननीय एम.एल.सी., श्री बृजेश महेश्वरी जी, शिक्षाविद एवं प्रेरक वक्ता शामिल हुए | कार्यक्रम में विशेष अतिथियों के रूप में डॉ. संजीव मिश्रा जी, उप कुलपति, अटल बिहारी वाजपेई मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ, डॉ CM सिंह जी, निदेशक, डॉ राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, लखनऊ, डॉ सूर्यकांत जी, प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, रेस्पिरेट्री मेडिसिन विभाग, केजीएमयू, डॉ गिरीश गुप्ता, होम्योपैथिक चिकित्सक, लखनऊ, प्रोफेसर अमरिका सिंह, प्रो चांसलर, निम्स यूनिवर्सिटी, जयपुर, राजस्थान तथा अन्य गणमान्य अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिति रही |
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि श्री बृजेश पाठक जी एवं अन्य गणमान्य अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन से हुआ | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्षवर्धन अग्रवाल, न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल व ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्यों ने मुख्य अतिथि श्री बृजेश पाठक जी, विशिष्ट अतिथियों एवं विशेष अतिथियों को परम आदरणीय श्री नरेंद्र मोदी जी, माननीय प्रधानमंत्री, भारत की मुहिम "एक पेड़ मां के नाम" के अंतर्गत पौधा प्रदान करके सम्मानित किया |
पुस्तक "Manual of Chest X-Ray" का विमोचन करते हुए मुख्य अतिथि श्री बृजेश पाठक ने हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा डॉ राजेंद्र प्रसाद को बधाई दी तथा कहा कि, "भारत का चिकित्सा विज्ञान नित नए आविष्कारों के साथ दुनिया में कमाल कर रहा है एवं किसी भी मामले में पीछे नहीं है क्योंकि आज जो अमेरिका में हो सकता है, जो इंग्लैंड में हो सकता है, वह भारत में भी हो सकता है | डॉ राजेंद्र प्रसाद ने चिकित्सा के क्षेत्र में अतुलनीय कार्य किया है | उनके द्वारा लिखित पुस्तक "Manual of Chest X-Ray" निश्चय ही पलमोनरी चिकित्सा के क्षेत्र में अपना करियर बनाने वाले छात्र-छात्राओं के लिए मील का पत्थर साबित होगी | मैं हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल का जिन्होंने मुझे इस कार्यक्रम में आमंत्रित किया | मेरा ऐसा मानना है की नर सेवा ही सच्ची नारायण सेवा है और धरती पर जो नारायण के रूप में हम सब की सेवा करते हैं वह डॉक्टर हैं | अतः हमें सभी डॉक्टरों का शुक्रगुजार होना चाहिए कि वह दिन रात मानवता की सेवा में लगे रहते हैं | भगवान ने हम सभी को धरती पर लोगों की मदद करने के लिए भेजा है, अतः हम सबका या कर्तव्य है कि जिस तरह से भी संभव हो निर्बल और असहाय लोगों की मदद करें तथा मानवता की सच्ची सेवा करें |"
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्षवर्धन अग्रवाल ने कहा कि, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट देश भर मे अपनी जन सेवाए देने के लिए प्रयासरत है, 2012 में स्थापित, यह ट्रस्ट शिक्षा, स्वास्थ्य और सांस्कृतिक उन्नति में महत्वपूर्ण एवं प्रभावी योगदान दे रहा है । हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की प्र��ति में हमारे मुख्य अतिथि, श्री ब्रजेश पाठक जी भाईसाहब की प्रेरणा और मार्गदर्शन अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है । डॉ श्री राजेंद्र प्रसाद जी ने अपनी पुस्तक मे Chest X Ray को देखना इतनी सरलता से समझाया है कि एक आम व्यक्ति भी इस Manual of Chest X Ray पुस्तक को पढ़ कर समझ सकता है | डॉ श्री राजेंद्र प्रसाद जी के प्रेरणादायक कार्यों से हम सबको प्रेरणा मिलती है |"
डॉ राजेंद्र प्रसाद ने मुख्य अतिथि श्री बृजेश पाठक जी का धन्यवाद किया तथा कहा कि, "आज मेरी 12वीं पुस्तक 'मैनुअल ऑफ चेस्ट एक्स-रे' का 2 खंडों में माननीय उपमुख्यमंत्री श्री ब्रजेश पाठक द्वारा लोकार्पण किया जा रहा है, जो मेरे लिए अत्यंत गर्व और खुशी की बात है । 'मैनुअल ऑफ चेस्ट एक्स-रे' पूरी तरह से हमारे भारतीय मरीज़ और मेरे लगभग पांच दशकों के लंबे शिक्षण और नैदानिक अनुभव पर आधारित है । डॉ प्रसाद ने बताया कि यह पुस्तक यूजी, पीजी छात्रों, चिकित्सा अधिकारियों, जिला टीबी अधिकारियों (डीटीओ) और आयुष चिकित्सकों सहित सभी चिकित्सकों के लिए अत्यंत लाभकारी होगी ।
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Manual of Chest X-Ray | Shri S K Srivastava | Justice | Dr Rajendra Prasad | Brajesh Pathak
09.09.2024, लखनऊ | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा डॉ बीसी रॉय नेशनल अवार्ड से सम्मानित डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद, निदेशक, चिकित्सा शिक्षा, एरा यूनिवर्सिटी लखनऊ, डॉ निखिल गुप्ता, एसोसिएट प्रोफेसर, डॉ राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, लखनऊ तथा डॉ किरण विष्णु नारायण, एडिशनल प्रोफेसर, गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, त्रिवेंद्रपुरम, केरल द्वारा लिखित पुस्तक "Manual of Chest X-Ray" का विमोचन रेनेसां लखनऊ होटल, गोमती नगर, लखनऊ में किया गया | मुख्य अतिथि के रूप में श्री बृजेश पाठक जी, माननीय उपमुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार ने कार्यक्रम में शिरकत की जबकि विशिष्ट अतिथियों में श्री विद्यासागर गुप्ता जी, पूर्व अध्यक्ष, बोर्ड ऑफ़ टेक्निकल एजुकेशन, उत्तर प्रदेश, श्री बृजलाल जी, माननीय सांसद, राज्यसभा, श्री अशोक बाजपेई जी, माननीय पूर्व सांसद, राज्यसभा, श्री श्याम नंदन सिंह जी, पूर्व अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश गौ सेवा आयोग, श्री मुकेश शर्मा जी, माननीय एम.एल.सी., श्री बृजेश महेश्वरी जी, शिक्षाविद एवं प्रेरक वक्ता शामिल हुए | कार्यक्रम में विशेष अतिथियों के रूप में डॉ. संजीव मिश्रा जी, उप कुलपति, अटल बिहारी वाजपेई मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ, डॉ CM सिंह जी, निदेशक, डॉ राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, लखनऊ, डॉ सूर्यकांत जी, प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, रेस्पिरेट्री मेडिसिन विभाग, केजीएमयू, डॉ गिरीश गुप्ता, होम्योपैथिक चिकित्सक, लखनऊ, प्रोफेसर अमरिका सिंह, प्रो चांसलर, निम्स यूनिवर्सिटी, जयपुर, राजस्थान तथा अन्य गणमान्य अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिति रही |
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि श्री बृजेश पाठक जी एवं अन्य गणमान्य अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन से हुआ | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्षवर्धन अग्रवाल, न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल व ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्यों ने मुख्य अतिथि श्री बृजेश पाठक जी, विशिष्ट अतिथियों एवं विशेष अतिथियों को परम आदरणीय श्री नरेंद्र मोदी जी, माननीय प्रधानमंत्री, भारत की मुहिम "एक पेड़ मां के नाम" के अंतर्गत पौधा प्रदान करके सम्मानित किया |
पुस्तक "Manual of Chest X-Ray" का विमोचन करते हुए मुख्य अतिथि श्री बृजेश पाठक ने हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा डॉ राजेंद्र प्रसाद को बधाई दी तथा कहा कि, "भारत का चिकित्सा विज्ञान नित नए आविष्कारों के साथ दुनिया में कमाल कर रहा है एवं किसी भी मामले में पीछे नहीं है क्योंकि आज जो अमेरिका में हो सकता है, जो इंग्लैंड में हो सकता है, वह भारत में भी हो सकता है | डॉ राजेंद्र प्रसाद ने चिकित्सा के क्षेत्र में अतुलनीय कार्य किया है | उनके द्वारा लिखित पुस्तक "Manual of Chest X-Ray" निश्चय ही पलमोनरी चिकित्सा के क्षेत्र में अपना करियर बनाने वाले छात्र-छात्राओं के लिए मील का पत्थर साबित होगी | मैं हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल का जिन्होंने मुझे इस कार्यक्रम में आमंत्रित किया | मेरा ऐसा मानना है की नर सेवा ही सच्ची नारायण सेवा है और धरती पर जो नारायण के रूप में हम सब की सेवा करते हैं वह डॉक्टर हैं | अतः हमें सभी डॉक्टरों का शुक्रगुजार होना चाहिए कि वह दिन रात मानवता की सेवा में लगे रहते हैं | भगवान ने हम सभी को धरती पर लोगों की मदद करने के लिए भेजा है, अतः हम सबका या कर्तव्य है कि जिस तरह से भी संभव हो निर्बल और असहाय लोगों की मदद करें तथा मानवता की सच्ची सेवा करें |"
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्षवर्धन अग्रवाल ने कहा कि, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट देश भर मे अपनी जन सेवाए देने के लिए प्रयासरत है, 2012 में स्थापित, यह ट्रस्ट शिक्षा, स्वास्थ्य और सांस्कृतिक उन्नति में महत्वपूर्ण एवं प्रभावी योगदान दे रहा है । हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की प्रगति में हमारे मुख्य अतिथि, श्री ब्रजेश पाठक जी भाईसाहब की प्रेरणा और मार्गदर्शन अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है । डॉ श्री राजेंद्र प्रसाद जी ने अपनी पुस्तक मे Chest X Ray को देखना इतनी सरलता से समझाया है कि एक आम व्यक्ति भी इस Manual of Chest X Ray पुस्तक को पढ़ कर समझ सकता है | डॉ श्री राजेंद्र प्रसाद जी के प्रेरणादायक कार्यों से हम सबको प्रेरणा मिलती है |"
डॉ राजेंद्र प्रसाद ने मुख्य अतिथि श्री बृजेश पाठक जी का धन्यवाद किया तथा कहा कि, "आज मेरी 12वीं पुस्तक 'मैनुअल ऑफ चेस्ट एक्स-रे' का 2 खंडों में माननीय उपमुख्यमंत्री श्री ब्रजेश पाठक द्वारा लोकार्पण किया जा रहा है, जो मेरे लिए अत्यंत गर्व और खुशी की बात है । 'मैनुअल ऑफ चेस्ट एक्स-रे' पूरी तरह से हमारे भारतीय मरीज़ और मेरे लगभग पांच दशकों के लंबे शिक्षण और नैदानिक अनुभव पर आधारित है । डॉ प्रसाद ने बताया कि यह पुस्तक यूजी, पीजी छात्रों, चिकित्सा अधिकारियों, जिला टीबी अधिकारियों (डीटीओ) और आयुष चिकित्सकों सहित सभी चिकित्सकों के लिए अत्यंत लाभकारी होगी ।
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Manual of Chest X-Ray | Dr Rajendra Prasad | Dr Nikhil Gupta | Dr Kiran V Narayan | Brajesh Pathak
09.09.2024, लखनऊ | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा डॉ बी सी रॉय नेशनल अवार्ड से सम्मानित डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद, निदेशक, चिकित्सा शिक्षा, एरा यूनिवर्सिटी लखनऊ, डॉ निखिल गुप्ता, एसोसिएट प्रोफेसर, डॉ राम मनोहर लोहिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज, लखनऊ तथा डॉ किरण विष्णु नारायण, एडिशनल प्रोफेसर, गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, त्रिवेंद्रपुरम, केरल द्वारा लिखित पुस्तक "Manual of Chest X-Ray" का विमोचन रेनेसां लखनऊ होटल, गोमती नगर, लखनऊ में किया गया | मुख्य अतिथि के रूप में श्री बृजेश पाठक जी, माननीय उपमुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार ने कार्यक्रम में शिरकत की जबकि विशिष्ट अतिथियों में श्री विद्यासागर गुप्ता जी, पूर्व अध्यक्ष, बोर्ड ऑफ़ टेक्निकल एजुकेशन, उत्तर प्रदेश, श्री बृजलाल जी, माननीय सांसद, राज्यसभा, श्री अशोक बाजपेई जी, माननीय पूर्व सांसद, राज्यसभा, श्री श्याम नंदन सिंह जी, पूर्व अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश गौ सेवा आयोग, श्री मुकेश शर्मा जी, माननीय एम.एल.सी., श्री बृजेश महेश्वरी जी, शिक्षाविद एवं प्रेरक वक्ता शामिल हुए | कार्यक्रम में विशेष अतिथियों के रूप में डॉ. संजीव मिश्रा जी, उप कुलपति, अटल बिहारी वाजपेई मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ, डॉ CM सिंह जी, निदेशक, डॉ राम मनोहर लोहिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज, लखनऊ, डॉ सूर्य कांत जी, प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, रेस्पिरेट्री मेडिसिन विभाग, केजीएमयू, डॉ गिरीश गुप्ता, होम्योपैथिक चिकित्सक, लखनऊ, प्रोफेसर अमरिका सिंह, प्रो चांसलर, निम्स यूनिवर्सिटी, जयपुर, राजस्थान तथा अन्य गणमान्य अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिति रही |
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि श्री बृजेश पाठक जी एवं अन्य गणमान्य अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन से हुआ | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्षवर्धन अग्रवाल, न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल व ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्यों ने मुख्य अतिथि श्री बृजेश पाठक जी, विशिष्ट अतिथियों एवं विशेष अतिथियों को परम आदरणीय श्री नरेंद्र मोदी जी, माननीय प्रधानमंत्री, भारत की मुहिम "एक पेड़ मां के नाम" के अंतर्गत पौधा प्रदान करके सम्मानित किया |
पुस्तक "Manual of Chest X-Ray" का विमोचन करते हुए मुख्य अतिथि श्री बृजेश पाठक ने हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा डॉ राजेंद्र प्रसाद को बधाई दी तथा कहा कि, "भारत का चिकित्सा विज्ञान नित नए आविष्कारों के साथ दुनिया में कमाल कर रहा है एवं किसी भी मामले में पीछे नहीं है क्योंकि आज जो अमेरिका में हो सकता है, जो इंग्लैंड में हो सकता है, वह भारत में भी हो सकता है | डॉ राजेंद्र प्रसाद ने चिकित्सा के क्षेत्र में अतुलनीय कार्य किया है | उनके द्वारा लिखित पुस्तक "Manual of Chest X-Ray" निश्चय ही पलमोनरी चिकित्सा के क्षेत्र में अपना करियर बनाने वाले छात्र-छात्राओं के लिए मील का पत्थर साबित होगी | मैं हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्षवर्धन अग्रवाल का जिन्होंने मुझे इस कार्यक्रम में आमंत्रित किया | मेरा ऐसा मानना है की नर सेवा ही सच्ची नारायण सेवा है और धरती पर जो नारायण के रूप में हम सब की सेवा करते हैं वह डॉक्टर हैं | अतः हमें सभी डॉक्टरों का शुक्रगुजार होना चाहिए कि वह दिन रात मानवता की सेवा में लगे रहते हैं | भगवान ने हम सभी को धरती पर लोगों की मदद करने के लिए भेजा है, अतः हम सबका या कर्तव्य है कि जिस तरह से भी संभव हो निर्बल और असहाय लोगों की मदद करें तथा मानवता की सच्ची सेवा करें |"
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने कहा कि, "आज का यह अवसर हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि हम समाज के महत्वपूर्ण चिकित्सक डॉ श्री राजेंद्र प्रसाद जी द्वारा लिखित पुस्तक "Manual of Chest X Ray" के विमोचन के साक्षी बन रहे हैं । हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट देश भर मे अपनी जन सेवाए देने के लिए प्रयासरत है, 2012 में स्थापित, यह ट्रस्ट शिक्षा, स्वास्थ्य और सांस्कृतिक उन्नति में महत्वपूर्ण एवं प्रभावी योगदान दे रहा है । हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की प्रगति में हमारे मुख्य अतिथि, श्री ब्रजेश पाठक जी भाईसाहब की प्रेरणा और मार्गदर्शन अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है । डॉ श्री राजेंद्र प्रसाद जी हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य है और यह हमारे लिए गर्व की बात है | डॉ श्री राजेंद्र प्रसाद जी ने अपनी पुस्तक मे Chest X Ray को देखना इतनी सरलता से समझाया है कि एक आम व्यक्ति भी इस Manual of Chest X Ray पुस्तक को पढ़ कर समझ सकता है |
डॉ राजेंद्र प्रसाद ने मुख्य अतिथि श्री बृजेश पाठक जी का धन्यवाद किया तथा कहा कि, "‘मैनुअल ऑफ चेस्ट एक्स-रे' मेरी 12वीं पुस्तक है। आज मेरी 12वीं पुस्तक 'मैनुअल ऑफ चेस्ट एक्स-रे' का 2 खंडों में माननीय उपमुख्यमंत्री श्री ब्रजेश पाठक द्वारा लोकार्पण किया जा रहा है, जो मेरे लिए अत्यंत गर्व और खुशी की बात है । 'मैनुअल ऑफ चेस्ट एक्स-रे' पूरी तरह से हमारे भारतीय मरीज़ और मेरे लगभग पांच दशकों के लंबे शिक्षण और नैदानिक अनुभव पर आधारित है । डॉ प्रसाद ने बताया कि यह पुस्तक यूजी, पीजी छात्रों, चिकित्सा अधिकारियों, जिला टीबी अधिकारियों (डीटीओ) और आयुष चिकित्सकों सहित सभी चिकित्सकों के लिए अत्यंत लाभकारी होगी ।
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Post Office GDS Recruitment: पोस्ट ऑफिस में 44 हजार ग्रामीण डाक सेवकों की भर्ती के लिए ये रहा आवेदन लिंक
भारतीय डाक विभाग ने देश भर के अपने विभिन्न सर्किल में स्थित डाक घरों में ग्रामीण डाक ���ेवक के कुल 44 हजार के अधिक पदों पर भर्ती (India Post Office GDS Recruitment 2024) के लिए आवेदन प्रक्रिया सोमवार 15 जुलाई से शुरू की है। इस भर्ती के आधिकारिक पोर्टल indiapostgdsonline.cept.gov.in पर पहले दिन हुई तकनीकी समस्याओं के बाद अब आवेदन प्रक्रिया चल रही है।
जॉब डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय डाक विभाग ने 44 हजार से अधिक ग्रामीण डाक सेवकों (GDS) की भर्ती के लिए आवेदन प्रक्रिया सोमवार, 15 जुलाई से शुरू कर दी है। इस भर्ती के लिए आवेदन ऑनलाइन मोड में आधिकारिक वेबसाइट, indiapostgdsonline.cept.gov.in पर स्वीकार किए जा रहे हैं। पहले दिन इस वेबसाइट पर आवेदन में तकनीकी कारणों से यूजर्स को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। हालांकि अब इन्हें दूर करते हुए प्रक्रिया शुरू कर दी गई है और इच्छुक उम्मीदवार निर्धारित अंतिम तिथि 5 अगस्त तक अप्लाई कर सकते हैं।
India Post Office GDS Recruitment 2024: तीन चरणों में करें आवेदन
उम्मीदवारों को ध्यान देना चाहिए कि भारतीय डाक विभाग ने ग्रामीण डाक सेवकों की भर्ती के लिए आवेदन प्रक्रिया के 3 चरण बनाए हैं - पंजीकरण, आवेदन और भर्ती शुल्क का भुगतान। इन तीनों ही चरणों के लिए लिंक को पोर्टल पर एक्��िव कर दिया गया है। आवेदन शुल्क 100 रुपये निर्धारित है, जिसका भुगतान ऑनलाइन माध्यमों से करना होगा। हालांकि, सभी वर्गों की महिला उम्मीदवारों के साथ-साथ SC/ST, दिव्यांगों और ट्रांसवूमेन कटेगरी के आवेदकों को शुल्क नहीं भरना है।
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गुरु पूर्णिमा पर जानिए किसको बनाए गुरु? | Sant Rampal Ji Satsang | SATLO...
#GodMorningSunday
📙श्रीमद्भगवत गीता अ० 15 श्लोक 1-4, 16,17 में वर्णित है_जो संत इस संसार रूपी उल्टे लटके हुए वृक्ष के सभी विभाग बता देगा,वह पूर्ण गुरु/सच्चा सतगुरु है! वर्तमान म���ं यह पवित्र सत्य तत्वज्ञान एकमात्र संत रामपाल जी महाराज ही वर्णित कर रहे हैं!
#सच्चा_सतगुरु_कौन
*गुरू के लक्षण चार बखाना, प्रथम वेद शास्त्र को ज्ञाता! दूजे हरि भक्ति मन कर्म वाणी , तीसरे समदृष्टि कर जानी!!*
*चौथे वेद विधि सब कर्मा! यह चार गुरु गुण जानो मर्मा!!*
*कबीर सागर के अध्याय ‘‘जीव धर्म बोध‘‘ के पृष्ठ 1960 पर ये अमृतवाणियां अंकित हैं!*
#SundayMotivation
#SundayThoughts
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@SatlokAshram
#GuruPurnima2024
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सभी श्रद्धालुओं के लिए चार धाम के सभी मंदिरों के कपाट कुछ ही दिनों बाद खोले जाएंगे। श्री बद्रीनाथ धाम के मंदिर के पट 12 मई 2024 को सुबह 6 बजे खोले जाएंगे, अन्य 03 धाम के पट खुलने की तारीख आना बाकी हैं। यात्रा शुरू होने से पहले ही कई लोग भी ठगी करने के लिए तैयार हो जाते हैं। जो आपको हेलीकॉप्टर बुकिंग, होटल बुकिंग, चार धाम यात्रा पैकेज, मंदिर में पूजा दर्शन के नाम पर ठगने का प्रयास करेंगे।
आपको यात्रा, हेलीकॉप्टर टिकट ओर होटल बुक करने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना है।
गुप्तकाशी, फाटा, सेरसी से केदारनाथ धाम के लिए हेलीकॉप्टर की बुकिंग आधिकारिक वेबसाइट के अलावा अन्य किसी भी वेबसाइट या कोई भी व्यक्ति टिकट को नहीं बुक कर सकता है। केदारनाथ धाम की हेली सेवा बुकिंग हेतु आधिकारिक वेबसाइट- 🚁 https://heliyatra.irctc.co.in है।
यात्रा रजिस्ट्रेशन मार्च 2024 अंत में या अप्रैल में शुरू होगा, जो एकदम फ्री होता है। यात्रा रजिस्ट्रेशन हेतु आधिकारिक वेबसाइट- 📋 https://registrationandtouristcare.uk.gov.in है।
आप अपनी यात्रा को केवल रजिस्टर्ड ट्रैवल एजेंट के माध्यम से करें, रजिस्टर्ड ट्रैवल एजेंट की जानकारी आप उत्तराखंड पर्यटन विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर उसकी जानकारी ले ��कते हैं 🏞️ https://uttarakhandtourism.gov.in
केदारनाथ धाम और बद्रीनाथ धाम के दर्शन एवं पूजा बुकिंग की आधिकारिक वेबसाइट 🕉️ https://badrinath-kedarnath.gov.in है।
चार धाम यात्रा के लिए स्थानीय स्तर पर की जाने वाली होटल, धर्मशाला, आश्रम की बुकिंग इत्यादि भी सोच समझ कर करें। पूर्ण जानकारी लेने के बाद ही पैसों का लेन-देन करें।
रजिस्ट्रेशन से जुड़ी किसी भी जानकारी के लिए उत्तराखंड टूरिस्ट केयर के Toll Free नंबर पर बात कर सकते हैं। ☎️ 01364 3520100, 0135 3520100
दर्शन एवं पूजा बुकिंग से जुड़ी अधिक जानकारी के लिए श्री बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के हेल्पलाइन नंबर पर बात कर सकते हैं। ☎️ 0135-2741600
आप जागरूक रहें, सावधानी बरतें और अपनी यात्रा को सुगम बनाएं।
धन्यवाद, टीम सागर टूर & ट्रेवल्स 🙏 ऋषिकेश 🙏
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वित्त वर्ष 23 में प्रत्यक्ष कर के रूप में सरकार ने 13,63,649 करोड़ रुपये जुटाए, पिछले वित्त वर्ष की तुलना में संग्रह में 26% की वृद्धि
वित्त वर्ष 23 में प्रत्यक्ष कर के रूप में सरकार ने 13,63,649 करोड़ रुपये जुटाए, पिछले वित्त वर्ष की तुलना में संग्रह में 26% की वृद्धि
नई दिल्ली: वित्त वर्ष में भारत का सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह 25.90 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करते हुए 13,63,649 करोड़ रुपये रहा, जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में यह 10,83,150 करोड़ रुपये था। भारत के आयकर विभाग के अनुसार, सकल संग्रह में निगम कर (CIT) 7,25,036 करोड़ रुपये और व्यक्तिगत आयकर (PIT) शामिल है, जिसमें STT सहित 6,35,920 करोड़ रुपये हैं। चालू वित्त वर्ष में शुद्ध कर संग्रह में भी 19.81% की…
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06.10.2024, लखनऊ | लखनऊ विश्वविद्यालय के सामाजिक कार्य विभाग से मास्टर ऑफ़ सोशल वर्क सेमेस्टर 1 के छात्र-छात्राओं सुश्री आकृति कुमारी, सुश्री विनीता सिंह, सुश्री रवनीत कालरा, खुसरू निजामी और अब्दुल अहद ने हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा किए जा रहे जनहित के कार्यों में सहभागिता देते हुए दिनांक 19.09.2024 से 04.10.2024 तक अपना फील्ड वर्क प्रशिक्षण सफलतापूर्वक पूर्ण किया |
आज हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी डॉ. रूपल अग्रवाल ने ट्रस्ट के इंदिरा नगर स्थित कार्यालय में सभी छात्र-छात्राओं को प्रमाण पत्र प्रदान कर उनके उज्जवल भविष्य की कामना की |
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💐संत रामपाल जी महाराज का ज्ञान अद्भुत और अलौकिक है💐
आज हम जानेंगे कि संत रामपाल जी महाराज जी के ज्ञान का क्या आधार है और यह अन्य संतों से भिन्न क्यों हैं? पूर्ण संत की क्या पहचान हैं? वर्तमान में पूर्ण संत कौन हैं जिसकी शरण में जाने से हमारा मोक्ष होगा ?
संत रामपाल जी महाराज ने पवित्र
श्रीमद्भगवत गीता अध्याय 15 श्लोक 1 से 4 एवं 16, 17 में प्रमाणित करके दिखाया है कि जो संत इस संसार रूपी उल्टे लटके हुए वृक्ष के सभी विभाग को सही-सही बता देगा वह पूर्ण संत होगा और कहा गया है कि जो पूर्ण संत होगा वह भक्त समाज को शास्त्र अनुकूल भक्ति विधि साधना बताएगा।
संत गरीबदास जी महाराज की वाणी में पूर्ण संत की पहचान
सतगुरु के लक्षण कहूं, मधुरे बैन विनोद।
चार वेद षट शास्त्र, कहै अठारा बोध।।
संत रामपाल जी महाराज ने पवित्र गीता जी अध्याय 9 श्लोक 23 से प्रमाणित करके बताया है श्राद्ध पूजा एवं पितर पूजा से कोई लाभ नहीं हो सकता l
लेकिन नकली धर्मगुरु भोली जनता को आगे बढ़कर पिंडदान, श्राद्ध आदि करने को बताते हैं l
आज संत रामपाल जी महाराज समाज को सही भक्ति विधि बता रहे हैं जिससे उनके लाखों अनुयायियों को परमात्मा से मिलने वाले अद्भुत लाभ प्राप्त हो रहे हैं बाकी संसार में नकली धर्मगुरु भोली जनता को गलत भक्ति बताकर गुमराह कर रहे हैं l
गलत भक्ति साधना से साधक को कभी भी परमात्मा से मिलने वाला लाभ प्राप्त नहीं हो सकता l
पवित्र गीता अध्याय 16 श्लोक 23-24 में लिखा है कि जो व्यक्ति शास्त्र विधि को त्याग कर मनमानी साधना करता है उनको ना कोई लाभ होता है ना उनको कोई सुख-शांति मिलती है, और ना ही उनका मोक्ष होता हैं। अर्थात मनमानी पूजा, साधना करना व्यर्थ है।
आप सभी से हाथ जोड़कर प्रार्थना है कृपया संत रामपाल जी महाराज के अद्भुत ज्ञान को समझें और उनके बताएं भक्ति मार्ग को अपनाएं
क्योंकि यह मानव जीवन बहुत ही अनमोल जीवन है इसको व्यर्थ न जाने दें इस मनुष्य जीवन का मूल उद्देश्य ही परमात्मा प्राप्ति का होता है l
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🕊️धरती पर अवतार संत रामपाल जी महाराज के अवतरण दिवस पर मानव समाज को निमंत्रण🕊️
संत समागम हरि कथा, तुलसी दुर्लभ दोए।
सुत दारा धन लक्ष्मी, घर पापी के भी होए।।
संत रामपाल जी महाराज जी शास्त्र अनुकूल तत्वज्ञान देकर लोगों में नैतिकता, चरित्र व संस्कार का निर्माण कर रहे हैं और उनको जीने की नयी राह दे रहे हैं।
संत रामपाल जी महाराज का जन्म 8 सितम्बर 1951 को गांव धनाना जिला सोनीपत, हरियाणा में एक किसान परिवार में हुआ। पढ़ाई पूर�� करके हरियाणा प्रांत में सिंचाई विभाग में जूनियर इंजिनियर के पद पर 18 वर्ष कार्यरत रहे। फिर मानव कल्याण के लिए नोकरी से त्यागपत्र दे दिया। हम जीवों के उद्धार के लिए अपना जीवन न्यौछावर कर दिया। ऐसे महान संत, जो परमार्थ के लिए अपना सर्वस्व वार दें, इस धरा पर यदा कदा ही प्रकट होते हैं।
इस उपलक्ष्य में विशेष समागम का आयोजन किया जा रहा है। दिनांक 6 से 8 सितंबर को संत गरीबदास जी महाराज की अमरवाणी का अखण्ड पाठ किया जायेगा। कार्यक्रम में शुद्ध देशी घी से निर्मित विशाल भंडारा दिया जायेगा, साथ ही रक्तदान शिविर, देहदान शिविर, नशा मुक्त कार्यक्रम, तथा दहेज मुक्त शादियां जैसे अद्भुत अद्वितीय समाजसेवी कार्यक्रम संपन्न किये जा रहे है।
आयोजन स्थल का पता है -
👉सतलोक आश्रम धनुषा (नेपाल)
👉सतलोक आश्रम खमानो (पंजाब)
👉सतलोक आश्रम धुरी (पंजाब)
👉सतलोक आश्रम धनाना (हरियाणा)
👉सतलोक आश्रम भिवानी (हरियाणा)
👉सतलोक आश्रम कुरुक्षेत्र (हरियाणा)
👉सतलोक आश्रम बैतुल (मध्य प्रदेश)
👉सतलोक आश्रम शामली (उत्तर प्रदेश)
👉 सतलोक आश्रम सोजत (राजस्थान)
अतः आप सभी सह परिवार सादर आमंत्रित हैं। अपने नजदीकी सतलोक आश्रम में जाकर अद्वितीय समागम का लाभ उठाएं। ऐसे सात्विक भोजन से कोटि कोटि पाप नाश होते है।
संत रामपाल जी महाराज के ज्ञान आधार से उनके सभी शिष्य वसुदैव कुटुंबकम के सिद्धांत पर चलते हैं। तथा अपने गुरुजी द्वारा बताई मर्यादा का पालन करते है।
इस प्रोग्राम का लाईव प्रसारण साधना टीवी पर सुबह 9:15 से दोपहर 12:00 बजे तक किया जाएगा। तथा Sant Rampal Ji Maharaj यूट्यूब चैनल एवं Spiritual Leader Saint Rampal Ji फेसबुक पेज पर भी कार्यक्रम का लाइव प्रसारण देख सकते है।
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🍃 *ज्ञान गंगा* 🍃
*(Part - 15)*
*विष्णु का अपने पिता की प्राप्ति के लिए प्रस्थान व माता का आशीर��वाद पाना*
📜इसके बाद विष्णु से प्रकृति ने कहा कि पुत्र तू भी अपने पिता का पता लगा ले। तब विष्णु अपने पिता जी काल (ब्रह्म) का पता करते-करते पाताल लोक में चले गए, जहाँ शेषनाग था। उसने विष्णु को अपनी सीमा में प्रविष्ट होते देख कर क्रोधित हो कर जहर भरा फुंकारा मारा। उसके विष के प्रभाव से विष्णु जी का रंग सांवला हो गया, जैसे स्प्रे पेंट हो जाता है। तब विष्णु ने चाहा कि इस नाग को मजा चखाना चाहिए। तब ज्योति निरंजन (काल) ने देखा कि अब विष्णु को शांत करना चाहिए। तब आकाशवाणी हुई कि विष्णु अब तू अपनी माता जी के पास जा और सत्य-सत्य सारा विवरण बता देना तथा जो कष्ट आपको शेषनाग से हुआ है, इसका प्रतिशोध द्वापर युग में लेना। द्वापर युग में आप (विष्णु) तो कृष्ण अवतार धारण करोगे और कालीदह में कालिन्द्री नामक नाग, शेष नाग का अवतार होगा।
ऊँच होई के नीच सतावै, ताकर ओएल (बदला) मोही सों पावै।
जो जीव देई पीर पुनी काँहु, हम पुनि ओएल दिवावें ताहूँ।।
तब विष्णु जी माता जी के पास आए तथा सत्य-सत्य कह दिया कि मुझे पिता के दर्शन नहीं हुए। इस बात से माता (प्रकृति) बहुत प्रसन्न हुई और कहा कि पुत्र तू सत्यवादी है। अब मैं अपनी शक्ति से पिता से मिलाती हूँ तथा तेरे मन का संशय खत्म करती हूँ।
कबीर, देख पुत्र तोहि पिता भीटाऊँ, तौरे मन का धोखा मिटाऊँ। मन स्वरूप कर्ता कह जानों, मन ते दूजा और न मानो। स्वर्ग पाताल दौर मन केरा, मन अस्थीर मन अहै अनेरा। निंरकार मन ही को कहिए, मन की आस निश दिन रहिए। देख हूँ पलटि सुन्य मह ज्योति, जहाँ पर झिलमिल झालर होती।।
इस प्रकार माता (अष्टंगी, प्रकृति) ने विष्णु से कहा कि मन ही जग का कर्ता है, यही ज्योति निरंजन है। ध्यान में जो एक हजार ज्योतियाँ नजर आती हैं वही उसका रूप है। जो शंख, घण्टा आदि का बाजा सुना, यह महास्वर्ग में निरंजन का ही बज रहा है। तब माता (अष्टंगी, प्रकृति) ने कहा कि हे पुत्र तुम सब देवों के सरताज हो और तेरी हर कामना व कार्य मैं पूर्ण करूंगी। तेरी पूजा सर्व जग में होगी। आपने मुझे सच-सच बताया है। काल के इक्कीस ब्रह्माण्ड़ों के प्राणियों की विशेष आदत है कि अपनी व्यर्थ महिमा बनाता है। जैसे दुर्गा जी श्री विष्णु जी को कह रही है कि तेरी पूजा जग में होगी। मैंने तुझे तेरे पिता के दर्शन करा दिए। दुर्गा ने केवल प्रकाश दिखा कर श्री विष्णु जी को बहका दिया। श्री विष्णु जी भी प्रभु की यही स्थिति अपने अनुयाइयों को समझाने लगे कि परमात्मा का केवल प्रकाश दिखाई देता है। परमात्मा निराकार है। इसके बाद आदि भवानी रूद्र(महेश जी) के पास गई तथा कहा कि महेश तू भी कर ले अपने पिता की खोज तेरे दोनों भाइयों को तो तुम्हारे पिता के दर्शन नहीं हुए उनको जो देना था वह प्रदान कर दिया है अब आप माँगो जो माँगना है। तब महेश ने कहा कि हे जननी ! मेरे दोनों बड़े भाईयों को पिता के दर्शन नहीं हुए फिर प्रयत्न करना व्यर्थ है। कृपा मुझे ऐसा वर दो कि मैं अमर (मृत्युंजय) हो जाऊँ। तब माता ने कहा कि यह मैं नहीं कर सकती। हाँ युक्ति बता सकती हूँ, जिससे तेरी आयु सबसे लम्बी बनी रहेगी। विधि योग समाधि है (इसलिए महादेव जी ज्यादातर समाधि में ही रहते हैं)। इस प्रकार माता (अष्टंगी, प्रकृति) ने तीनों पुत्रों को विभाग बांट दिए: --
भगवान ब्रह्मा जी को काल लोक में लख चौरासी के चोले (शरीर) रचने (बनाने) का अर्थात् रजोगुण प्रभावित करके संतान उत्पत्ति के लिए विवश करके जीव उत्पत्ति कराने का विभाग प्रदान किया। भगवान विष्णु जी को इन जीवों के पालन पोषण (कर्मानुसार) करने, तथा मोह-ममता उत्पन्न करके स्थिति बनाए रखने का विभाग दिया। भगवान शिव शंकर (महादेव) को संहार करने का विभाग प्रदान किया क्योंकि इनके पिता निरंजन को एक लाख मानव शरीर धारी जीव प्रतिदिन खाने पड़ते हैं।
यहां पर मन में एक प्रश्न उत्पन्न होगा कि ब्रह्मा, विष्णु तथा शंकर जी से उत्पत्ति, स्थिति और संहार कैसे होता है। ये तीनों अपने-2 लोक में रहते हैं। जैसे आजकल संचार प्रणाली को चलाने के लिए उपग्रहों को ऊपर आसमान में छोड़ा जाता है और वे नीचे पृथ्वी पर संचार प्रणाली को चलाते हैं। ठीक इसी प्रकार ये तीनों देव जहां भी रहते हैं इनके शरीर से निकलने वाले सूक्ष्म गुण की तरंगें तीनों लोकों में अपने आप हर प्राणी पर प्रभाव बनाए रहती है।
उपरोक्त विवरण एक ब्रह्माण्ड में ब्रह्म (काल) की रचना का है। ऐसे-ऐसे क्षर पुरुष (काल) के इक्कीस ब्रह्माण्ड हैं।
परन्तु क्षर पुरूष (काल) स्वयं व्यक्त अर्थात् वास्तविक शरीर रूप में सबके सामने नहीं आता। उसी को प्राप्त करने के लिए तीनों देवों (ब्रह्मा जी, विष्णु जी, शिव जी) को वेदों में वर्णित विधि अनुसार भरसक साधना करने पर भी ब्रह्म (काल) के दर्शन नहीं हुए। बाद में ऋषियों ने वेदों को पढ़ा। उसमें लिखा है कि ‘अग्नेः तनूर् असि‘ (पवित्र यजुर्वेद अ. 1 मंत्र 15) परमेश्वर सशरीर है तथा पवित्र यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 1 में लिखा है कि ‘अग्नेः तनूर् असि विष्णवे त्वा सोमस्य तनूर् असि‘।
इस मंत्र में दो बार वेद गवाही दे रहा है कि सर्वव्यापक, सर्वपालन कर्ता सतपुरुष सशरीर है। पवित्र यजुर्वेद अध्याय 40 मंत्र 8 में कहा है कि (कविर् मनिषी) जिस परमेश्वर की सर्व प्राणियों को चाह है, वह कविर् अर्थात् कबीर है। उसका शरीर बिना नाड़ी (अस्नाविरम्) का है, (शुक्रम्) वीर्य से बनी पाँच तत्व से बनी भौतिक (अकायम्) काया रह��त है। वह सर्व का मालिक सर्वोपरि सत्यलोक में विराजमान है, उस परमेश्वर का तेजपुंज का (स्वज्र्योति) स्वयं प्रकाशित शरीर है जो शब्द रूप अर्थात् अविनाशी है। वही कविर्देव (कबीर परमेश्वर) है जो सर्व ब्रह्माण्डों की रचना करने वाला (व्यदधाता) सर्व ब्रह्माण्डों का रचनहार (स्वयम्भूः) स्वयं प्रकट होने वाला (यथा तथ्य अर्थान्) वास्तव में (शाश्वत्) अविनाशी है (गीता अध्याय 15 श्लोक 17 में भी प्रमाण है।) भावार्थ है कि पूर्ण ब्रह्म का शरीर का नाम कबीर (कविर देव) है। उस परमेश्वर का शरीर नूर तत्व से बना है। परमात्मा का शरीर अति सूक्ष्म है जो उस साधक को दिखाई देता है जिसकी दिव्य दृष्टि खुल चुकी है। इस प्रकार जीव का भी सुक्ष्म शरीर है जिसके ऊपर पाँच तत्व का खोल (कवर) अर्थात् पाँच तत्व की काया चढ़ी होती है जो माता-पिता के संयोग से (शुक्रम) वीर्य से बनी है। शरीर त्यागने के पश्चात् भी जीव का सुक्ष्म शरीर साथ रहता है। वह शरीर उसी साधक को दिखाई देता है जिसकी दिव्य दृष्टि खुल चुकी है। इस प्रकार परमात्मा व जीव की स्थिति को समझें। वेदों में ओ3म् नाम के स्मरण का प्रमाण है जो केवल ब्रह्म साधना है। इस उद्देश्य से ओ3म् नाम के जाप को पूर्ण ब्रह्म का मान कर ऋषियों ने भी हजारों वर्ष हठयोग (समाधि लगा कर) करके प्रभु प्राप्ति की चेष्टा की, परन्तु प्रभु दर्शन नहीं हुए, सिद्धियाँ प्राप्त हो गई। उन्हीं सिद्धी रूपी खिलौनों से खेल कर ऋषि भी जन्म-मृत्यु के चक्र में ही रह गए तथा अपने अनुभव के शास्त्रों में परमात्मा को निराकार लिख दिया। ब्रह्म (काल) ने कसम खाई है कि मैं अपने वास्तविक रूप में किसी को दर्शन नहीं दूँगा। मुझे अव्यक्त जाना करेंगे (अव्यक्त का भावार्थ है कि कोई आकार में है परन्तु व्यक्तिगत रूप से स्थूल रूप में दर्शन नहीं देता। जैसे आकाश में बादल छा जाने पर दिन के समय सूर्य अदृश हो जाता है। वह दृश्यमान नहीं है, परन्तु वास्तव में बादलों के पार ज्यों का त्यों है, इस अवस्था को अव्यक्त कहते हैं।)। (प्रमाण के लिए गीता अध्याय 7 श्लोक 24-25, अध्याय 11 श्लोक 48 तथा 32)
पवित्र गीता जी बोलने वाला ब्रह्म (काल) श्री कृष्ण जी के शरीर में प्रेतवत प्रवेश करके कह रहा है कि अर्जुन मैं बढ़ा हुआ काल हूँ और सर्व को खाने के लिए आया हूँ। (गीता अध्याय 11 का श्लोक नं. 32) यह मेरा वास्तविक रूप है, इसको तेरे अतिरिक्त न तो कोई पहले देख सका तथा न कोई आगे देख सकता है अर्थात् वेदों में वर्णित यज्ञ-जप-तप तथा ओ3म् नाम आदि की विधि से मेरे इस वास्तविक स्वरूप के दर्शन नहीं हो सकते। (गीता अध्याय 11 श्लोक नं 48) मैं कृष्ण नहीं हूँ, ये मूर्ख लोग कृष्ण रूप में मुझ अव्यक्त को व्यक्त (मनुष्य रूप) मान रहे हैं। क्योंकि ये मेरे घटिया नियम से अपरिचित हैं कि मैं कभी वास्तविक इस काल रूप में सबके सामने नहीं आता। अपनी योग माया से छुपा रहता हूँ (गीता अध्याय 7 श्लोक नं 24-25)
विचार करें:- अपने छुपे रहने वाले विधान को स्वयं अश्रेष्ठ (अनुत्तम) क्यों कह रहे हैं?
यदि पिता अपनी सन्तान को भी दर्शन नहीं देता तो उसमें कोई त्रुटि है जिस कारण से छुपा है तथा सुविधाएं भी प्रदान कर रहा है। काल (ब्रह्म) को शापवश एक लाख मानव शरीर धारी प्राणियों का आहार करना पड़ता है तथा 25 प्रतिशत प्रतिदिन जो ज्यादा उत्पन्न होते हैं उन्हें ठिकाने लगाने के लिए तथा कर्म भोग का दण्ड देने के लिए चौरासी लाख योनियों की रचना की हुई है। यदि सबके सामने बैठकर किसी की पुत्री, किसी की पत्नी, किसी के पुत्र, माता-पिता को खा गए तो सर्व को ब्रह्म से घृणा हो जाए तथा जब भी कभी पूर्ण परमात्मा कविरग्नि (कबीर परमेश्वर) स्वयं आए या अपना कोई संदेशवाहक (दूत) भेंजे तो सर्व प्राणी सत्यभक्ति करके काल के जाल से निकल जाएं।
इसलिए धोखा देकर रखता है तथा पवित्र गीता अध्याय 7 श्लोक 18, 24, 25 में अपनी साधना से होने वाली मुक्ति (गति) को भी (अनुत्तमाम्) अति अश्रेष्ठ कहा है तथा अपने विधान (नियम)को भी (अनुत्तम) अश्रेष्ठ कहा है।
प्रत्येक ब्रह्माण्ड में बने ब्रह्मलोक में एक महास्वर्ग बनाया है। महास्वर्ग में एक स्थान पर नकली सतलोक - नकली अलख लोक - नकली अगम लोक तथा नकली अनामी लोक की रचना प्राणियों को धोखा देने के लिए प्रकृति (दुर्गा/आदि माया) द्वारा करवा रखी है। कबीर साहेब का एक शब्द है ‘कर नैनों दीदार महल में प्यारा है‘ में वाणी है कि ‘काया भेद किया निरवारा, यह सब रचना पिण्ड मंझारा है। माया अविगत जाल पसारा, सो कारीगर भारा है। आदि माया किन्ही चतुराई, झूठी बाजी पिण्ड दिखाई, अविगत रचना रचि अण्ड माहि वाका प्रतिबिम्ब डारा है।‘
एक ब्रह्माण्ड में अन्य लोकों की भी रचना है, जैसे श्री ब्रह्मा जी का लोक, श्री विष्णु जी का लोक, श्री शिव जी का लोक। जहाँ पर बैठकर तीनों प्रभु नीचे के तीन लोकों (स्वर्गलोक अर्थात् इन्द्र का लोक - पृथ्वी लोक तथा पाताल लोक) पर एक- एक विभाग के मालिक बन कर प्रभुता करते हैं तथा अपने पिता काल के खाने के लिए प्राणियों की उत्पत्ति, स्थिति तथा संहार का कार्यभार संभालते हैं। तीनों प्रभुओं की भी जन्म व मृत्यु होती है। तब काल इन्हें भी खाता है। इसी ब्रह्माण्ड {इसे अण्ड भी कहते हैं क्योंकि ब्रह्माण्ड की बनावट अण्डाकार है, इसे पिण्ड भी कहते हैं क्योंकि शरीर (पिण्ड) में एक ब्रह्माण्ड की रचना कमलों में टी.वी. की तरह देखी जाती है} में एक मानसरोवर तथा धर्मराय (न्यायधीश) का भी लोक है तथा एक गुप्त स्थान पर पूर्ण परमात्मा अन्य रूप धारण करके रहता है जैसे प्रत्येक देश का राजदूत भवन होता है। वहाँ पर कोई नहीं जा सकता। वहाँ पर वे आत्माऐं रहती हैं जिनकी सत्यलोक की भक्ति अधूरी रहती है। जब भक्ति युग आता है तो उस समय परमेश्वर कबीर जी अपना प्रतिनिधी पूर्ण संत सतगुरु भेजते हैं। इन पुण्यात्माओं को पृथ्वी पर उस समय मानव शरीर प्राप्त होता है तथा ये शीघ्र ही सत भक्ति पर लग जाते हैं तथा सतगुरु से दीक्षा प्राप्त करके पूर्ण मोक्ष प्राप्त कर जाते हैं। उस स्थान पर रहने वाले हंस आत्माओं की निजी भक्ति कमाई खर्च नहीं होती। परमात्मा के भण्डार से सर्व सुविधाऐं उपलब्ध होती हैं। ब्रह्म (काल) के उपासकों की भक्ति कमाई स्वर्ग-महा स्वर्ग में समाप्त हो जाती है क्योंकि इस काल लोक (ब्रह्म लोक) तथा परब्रह्म लोक में प्राणियों को अपना किया कर्मफल ही मिलता है।
क्षर पुरुष (ब्रह्म) ने अपने 20 ब्रह्माण्डों को चार महाब्रह्माण्डों में विभाजित किया है। एक महाब्रह्माण्ड में पाँच ब्रह्माण्डों का समूह बनाया है तथा चारों ओर से अण्डाकार गोलाई (परिधि) में रोका है तथा चारों महाब्रह्माण्डों को भी फिर अण्डाकार गोलाई (परिधि) में रोका है। इक्कीसवें ब्रह्माण्ड की रचना एक महाब्रह्माण्ड जितना स्थान लेकर की है। इक्कीसवें ब्रह्माण्ड में प्रवेश होते ही तीन रास्ते बनाए हैं। इक्कीसवें ब्रह्माण्ड में भी बांई तरफ नकली सतलोक, नकली अलख लोक, नकली अगम लोक, नकली अनामी लोक की रचना प्राणियों को धोखे में रखने के लिए आदि माया (दुर्गा) से करवाई है तथा दांई तरफ बारह सर्व श्रेष्ठ ब्रह्म साधकों (भक्तों) को रखता है। फिर प्रत्येक युग में उन्हें अपने संदेश वाहक (सन्त सतगुरू) बनाकर पृथ्वी पर भेजता है, जो शास्त्रा विधि रहित साधना व ज्ञान बताते हैं तथा स्वयं भी भक्तिहीन हो जाते हैं तथा अनुयाइयों को भी काल जाल में फंसा जाते हैं। फिर वे गुरु जी तथा अनुयाई दोनों ही नरक में जाते हैं। फिर सामने एक ताला (कुलुफ) लगा रखा है। वह रास्ता काल (ब्रह्म) के निज लोक में जाता है। जहाँ पर यह ब्रह्म (काल) अपने वास्तविक मानव सदृश काल रूप में रहता है। इसी स्थान पर एक पत्थर की टुकड़ी तवे के आकार की (चपाती पकाने की लोहे की गोल प्लेट सी होती है) स्वतः गर्म रहती है। जिस पर एक लाख मानव शरीर धारी प्राणियों के सूक्ष्म शरीर को भूनकर उनमें से गंदगी निकाल कर खाता है। उस समय सर्व प्राणी बहुत पीड़ा अनुभव करते हैं तथा हाहाकार मच जाती है। फिर कुछ समय उपरान्त वे बेहोश हो जाते हैं। जीव मरता नहीं। फिर धर्मराय के लोक में जाकर कर्माधार से अन्य जन्म प्राप्त करते हैं तथा जन्म-मृत्यु का चक्कर बना रहता है। उपरोक्त सामने लगा ताला ब्रह्म (काल) केवल अपने आहार वाले प्राणियों के लिए कुछ क्षण के लिए खोलता है। पूर्ण परमात्मा के सत्यनाम व सारनाम से यह ताला स्वयं खुल जाता है। ऐसे काल का जाल पूर्ण परमात्मा कविर्देव (कबीर साहेब) ने स्वयं ही अपने निजी भक्त धर्मदास जी को समझाया।
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे।
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धरोहर सेमिनार: हमारी धरोहर, हमारा उत्तरदायित्व | Dharohar Seminar: Our Heritage, Our Responsibility
लखनऊ, 15.09.2023 | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार, उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (NCZCC) तथा समाज कार्य विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में भारतीय सभ्यता और संस्कृति को समर्पित सांस्कृतिक कार्यक्रम "धरोहर" के अंतर्गत सेमिनार विषयक "हमारी धरोहर, हमारा उत्तरदायित्व" का आयोजन राधा कमल मुखर्जी सभागार, समाज कार्य विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय में किया गया |
सेमिनार में सम्मानित वक्तागण के रूप में पद्मश्री डॉ विद्या बिंदु सिंह, साहित्यकार, डॉ रवि भट्ट, इतिहासविद, प्रो विभूति राय, डीन, विज्ञान विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय, श्रीमती मीनू खरे, निदेशक, आकाशवाणी तथा प्रो श्री अनूप कुमार भरतिया, विभागाध्यक्ष, समाज कार्य विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय ने सहभागिता की | सेमिनार का शुभारंभ राष्ट्रगान एवं दीप प्रज्वलन से हुआ | सभी विद्वान वक्ताओं का ट्रस्ट की न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल तथा ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति (जनसंपर्क) की सदस्य तथा सेमिनार की निवेदक वंदना त्रिभुवन सिंह द्वारा प्रशस्ति पत्र से सम्मान किया गया |
डॉ रूपल अग्रवाल ने सभी गणमान्य अतिथियों तथा श्रोताओं का स्वागत करते हुए कहा कि, धरोहर शब्द का अर्थ है विरासत जो कि हमें हमारे पूर्वजों से उपहार में मिली है | दुनिया भर में अनेक इमारतें हैं जिन्हें देखकर यकीन नहीं होता कि उन्हें इंसान ने बनाया है | इमारत के साथ-साथ हमारी भाषा, धर्म, संस्कृति, साहित्य सभी कुछ हमारी विरासत है, हमारा उपहार है और यह हम सबका कर्तव्य बनता है कि हम इसको सहेज कर रखें, संभाल कर रखें | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट समाज के सभी क्षेत्रों मे कार्य कर रहा है | ट्रस्ट द्वारा समय-समय पर धर्मार्थ, साँस्कृतिक, जागरूकता व अनेक प्रकार के कार्यक्रम कराए जाते हैं | आप सभी से अनुरोध है कि ट्रस्ट को उसके जन सेवा कार्यों मे अपना सहयोग प्रदान करें तथा यह संकल्प लें कि अपनी धरोहर, अपनी विरासत को संभाल कर रखेंगे एवं भारत का नाम विश्व पटल पर सुनहरे अक्षरों में अंकित करेंगे |
प्रोफेसर अनूप कुमार भरतिया ने भारत देश की धरोहर पर प्रकाश डालते हुए कहा कि, समय के अनुसार हर एक चीज परिवर्तित होती जाती है और उसकी प्रकृति में भी परिवर्तन होता जाता है | हमें हमारी संस्कृति, विश्वास और परंपराओं को पूरी तरह से आत्मसात करना चाहिए | पहले के समय में लोगों में सहयोग की भावना होती थी अगर कहीं शादी होती थी तो पूरा गांव शादी की तैयारी में जुट जाता था | लेकिन आज यह संस्कृति समाप्त हो चुकी है आज सारा काम घर वाले नहीं बाहर वाले करते हैं और इसी वजह से लोगों के बीच आत्मीयता कम हो गई है | हमें अपनी उसी आत्मीयता के साथ अपनी धरोहर का अपनी विरासत का संरक्षण करना चाहिए व लोगों को भी इसके लिए जागरूक करना चाहिए |
प्रोफेसर विभूति राय ने लखनऊ विश्वविद्यालय का इतिहास बताते हुए कहा कि, लखनऊ विश्वविद्यालय एक ऐतिहासिक बिल्डिंग है और करीब 20 वर्ष पूर्व विश्वविद्यालय का नाम बदलने का प्रयास किया, जिसके खिलाफ सभी शिक्षकों को लेकर हम लोगों ने तत्कालीन सरकार के खिलाफ अनशन किया, प्रोटेस्ट मार्च निकाला और कुछ ऐतिहासिक ऐसे पत्र आदि मिल गए जिसके अनुसार इस विश्वविद्यालय का नाम बदला नहीं जा सका |
डॉ रवि भट्ट ने भारतीय इतिहास, संवाद, संस्कृति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि, धरोहर दो प्रकार की होती है, एक मूर्त और एक अमूर्त | मूर्त धरोहर वह धरोहर है जिसे हम छू सकते हैं, देख सकते हैं जैसे हमारी इमारतें लेकिन अमूर्त धरोहर को हम सिर्फ महसूस कर सकते हैं जैसे हमारी भाषा, संस्कृति, साहित्य आदि | मेरा ऐसा मानना है कि हमें मूर्त धरोहर के साथ-साथ अमूर्त धरोहर को सहेज कर रखना चाहिए क्योंकि अमूर्त धरोहर जैसे अपनी भाषा, संस्कृति, साहित्य, इतिहास के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी इकट्ठा करके हम आने वाली पीढ़ियों को जागरूक कर सकते हैं |
पद्मश्री डॉ विद्या बिंदु सिंह ने बताया कि किसी भी देश की धरोहर के आधार पर किसी भी राष्ट्र के महत्व का मूल्यांकन होता है ।मूर्त धरोहर में स्थापत्य कलाएं मूर्तियां चित्र आदि हैं और अमूर्त में जिन्हें देखा नहीं जा सकता वह धरोहर है। पूर्वजों से प्राप्त संस्कार, साहित्य, संगीत, कला संस्कृति के रूप में हम सुरक्षित इसे पाते हैं । इन सब का संरक्षण और भावी पीढ़ियों में इनका प्रसार करना हम सभी का दायित्व है ।
डॉ जानिसार आलम, असिस्टेंट प्रोफेसर, उर्दू विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय ने सेमिनार में अपना पेपर प्रस्तुतीकरण किया |
छात्र-छात्राओं ने विद्वान वक्ताओं से भारतीय धरोहर एवं विरासत के बारे में कई प्रश्न पूछे जिसका उत्तर पाकर उनके चेहरे खुशी से खिल उठे | प्रश्न पूछने वाले छात्र-छात्राओं को ट्रस्ट द्वारा सम्मानित किया गया |
सेमिनार में डॉ शिखा सिंह, असिस्टेंट प्रोफेसर, समाज कार्य विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय, स्वयंसेवकों व मीडिया कर्मियों की गरिमामयी उपस्थिति रही |
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