फितूर होता हे हर उम्र मे जूदा जुदा.......... खीलोनै, माशुका औंर फिर खुदा खुदा....
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♦️गरीब, साहिब पुरुष कबीर कूँ, जन्म लिया नहीं कोय।
शब्द स्वरूपी रूप है, घट घट बोलै सोय।।
ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को सन् 1398 (विक्रमी संवत् 1455) में सुबह ब्रह्म मुहूर्त में कबीर परमेश्वर, सतलोक से सशरीर आकर, शिशु रूप में लहरतारा तालाब में, कमल के फूल पर विराजमान हुए थे। इसी उपलक्ष्य में परमात्मा का प्रकट दिवस मनाया जाता है।
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♦️श्रीकृष्ण जब बांसुरी बजाते थे तो उसको सुनकर गोपियाँ व गायें खींची चली आती थी। संत मलूक दास जी ने बताया है कि एक समय मेरे सतगुरू कबीर जी ने जमुना दरिया के किनारे बांसुरी बजाई थी जिसको सुनकर स्वर्ग लोक के देवता, ऋषिजन तथा आस-पास के व्यक्ति खींचे चले आए थे और जमुना (कालंद्री) का जल भी रूक गया था।
एक समय गुरू बंसी बजाई, कालंद्री के तीर।
सुर नर मुनिजन थकत भये, रूक गया जमना नीर।

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♦️कबीर, जब ही सत्यनाम हृदय धरयो भयो पाप को नाश।
मानो चिंगारी अग्नि की पड़ी पुराने घास ।।
कबीर साहेब के अवतार संत रामपाल जी महाराज वही भक्ति बताते हैं जो कबीर साहेब ने बताई है। जिससे पाप नाश होते हैं, भक्तों को अनगिनत लाभ मिल रहे हैं, उनके साथ आये दिन चमत्कार हो रहे हैं।
#कबीर बडा या कृष्ण#सत् भक्ति संदेश#santrampaljimaharaj#satlok ashram news#हिंदुधर्म की श्रेष्ठता#hinduism#satsang#santrampaljiquotes
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🏕️ क्या कबीर परमात्मा ने ही संत रामपाल जी महाराज जी को जगत के उद्धार के लिए, सारनाम और सारशब्द देने के लिए भेजा है?
देखें 3D Animation Film
Sant Rampal Ji Maharaj YouTube Channel पर
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♦️ ना मेरा जन्म, ना गर्भ बसेरा, बालक बन दिखलाया।
काशी नगर जल कमल पर डेरा तहाँ जुलाहे ने पाया।
ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 4 मंत्र 3 में कहा गया है कि परमात्मा का जन्म नहीं होता, वह परमेश्वर कबीर जी हैं। जिनका जन्म नहीं हुआ, सशरीर प्रकट हुए थे। इसलिए उनका प्रकट दिवस मनाया जाता है।
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♦️गरीब, साहिब पुरुष कबीर कूँ, जन्म लिया नहीं कोय।
शब्द स्वरूपी रूप है, घट घट बोलै सोय।।
ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को सन् 1398 (विक्रमी संवत् 1455) में सुबह ब्रह्म मुहूर्त में कबीर परमेश्वर, सतलोक से सशरीर आकर, शिशु रूप में लहरतारा तालाब में, कमल के फूल पर विराजमान हुए थे। इसी उपलक्ष्य में परमात्मा का प्रकट दिवस मनाया जाता है।
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👑 कबीर जी का जन्म नहीं हुआ था बल्कि वे विक्रम संवत् 1455 (सन् 1398) ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को काशी के लहरतारा तालाब में सशरीर प्रकट हुए थे। उन्होंने कबीर सागर, बोधसागर खंड, अध्याय - अगम निगम बोध, पृष्ठ 41 में स्वयं बताया है:
ना मेरा जन्म न गर्भ बसेरा, बालक ह्नै दिखलाया।
काशी नगर जल कमल पर डेरा, तहाँ जुलाहे ने पाया।।
#परमात्मा_न_जन्मताहै_न_मरताहै#सत् भक्ति संदेश#santrampaljimaharaj#satlok ashram news#हिंदुधर्म की श्रेष्ठता
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📙गीता वाला काल कौन?
अध्याय 11 श्लोक 47 में पवित्र गीता जी को बोलने वाले प्रभु काल ने कहा है कि ‘हे अर्जुन! यह मेरा वास्तविक काल रूप है, जिसे तेरे अतिरिक्त पहले किसी ने नहीं देखा था।‘
सिद्ध हुआ कि कौरवों की सभा में विराट रूप श्री कृष्ण जी ने दिखाया था तथा कुरूक्षेत्र में युद्ध के मैदान में विराट रूप काल ने दिखाया था। नहीं तो यह नहीं कहता कि यह विराट रूप तेरे अतिरिक्त पहले किसी ने नहीं देखा है। क्योंकि श्री कृष्ण जी अपना विराट रूप कौरवों की सभा में पहले ही दिखा चुके थे जो अनेकों ने देखा था।
- जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज
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कुरान ज्ञान दाता भी अल-खिज्र (कबीर अल्लाह) की शरण में जाने को कहता है
कुरान शरीफ सुरह-काफ 18 आयत 60-82 में प्रमाण है कि हजरत मूसा का अल्लाह, मूसा को उससे ज्यादा इल्म (सच्चा तत्वज्ञान) रखने वाले के पास भेजता है। जिसका नाम अल-खिज्र है।
अल-खिज्र यानि अल्लाह कबीर का सच्चा मंत्र कर्म का दंड भी मिटा सकता है
"अली" मुसलमान को भी अल-खिज्र मिले। उसको नाम दिया और कहा कि यह नाम (मंत्र) असंख्य पापों को भी समाप्त कर देगा।

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#राजा_हो_तो_ऐसा

सुल्तान इब्राहिम के धनी राजा बनने का कारण उनके पूर्व जन्मों में किए गए दान थे। कबीर परमात्मा ने उसको काल के जाल से निकाला, सतभक्ति प्रदान की।
अल्लाह अकबर (कबीर जी)
ने जिंदा बाबा (अल खिज्र) का वेश बनाकर बार-बार सुल्तान इब्राहिम को समझाया।
एक बार सुल्तान इब्राहिम ने सब महात्माओं को जेल में डाल दिया। जेल में दुःखी भक्तों की पुकार सुनकर, अपने परम भक्त सम्मन को काल के जाल से निकालने के लिए परमेश्वर कबीर जी भैंसे के ऊपर बैठकर सुल्तान अधम के राज दरबार में गए। अब्राहिम सुल्तान ने पूछा, खुदा कैसा है?
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फजाईले आमाल मुसलमानों की एक विश्वसनीय पवित्र पुस्तक है जो हदीसों में से चुनी हुई हदीसों का प्रमाण लेकर बनाई गई है। हदीस मुसलमानों के लिए पवित्र कुरआन के पश्चात् दूसरे नम्बर पर है। फजाईले आमाल में एक अध्याय फजाईले जिक्र है। उसकी आयत नं. 1. 2. 3. 6 तथा 7 में कबीर अल्लाह की महिमा है।

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हजुरे अक्सद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम (हजरत मुहम्मद) का इर्शाद (कथन) कहना है कि कोई बंदा ऐसा नहीं है कि लाइला-ह-इल्लल्लाह' कहे उसके लिए आसमानों के दरवाजे न खुल जाएँ, यहाँ तक कि यह कलिमा सीधा अर्थ तक पहुँचता है, बशर्ते कि कबीरा गुनाहों से बचाता रहे। दो कलमों का जिक्र है कि एक तो लाइला-ह-इल्लल्लाह है और दूसरा 'अल्लाहु अक्बर (कबीर)। {यहाँ पर अल्लाहु अक्बर का भाव है भगवान कबीर (कबीर साहेब अर्थात् कविर्देव)।}

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