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पति की लंबी उम्र के लिए और मनचाहा वर प्राप्त करने के लिए किया जाता है कजरी तीज व्रत, जानिए महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
चैतन्य भारत न्यूज तीज पर्व सुहागिन महिलाओं के लिए खास महत्व रखता है। खासतौर से साल में तीन बार तीज का त्योहार मनाया जाता है। हरियाली तीज, कजरी तीज और हरितालिका तीज। भादो महीने के कृष्णपक्ष की तृतीया को मनाई जाने वाली तीज को कजरी तीज के नाम से जाना जाता है। इस बार कजरी तीज 25 अगस्त को पड़ रही है। कजरी तीज का शुभ मुहूर्त साल 2021 में कजरी तीज के दिन प्रातः काल 05 बजकर 57 मिनट तक धृति योग रहेगा। इस योग में किया गया सभी शुभ कार्य सफल एवं शुभ फलदायी होता है। वैदिक शास्त्र के अनुसार, धृति योग को बेहद शुभ होता है। कजरी तीज का महत्व हरियाली तीज, हरतालिका तीज की तरह कजरी तीज भी सुहागन महिलाओं के लिए प्रमुख त्योहार माना जाता है। विवाहित महिलाएं ये व्रत पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए करती हैं। माना जाता है कि इसी दिन मां पार्वती ने भगवान शिव को अपनी कठोर तपस्या से प्राप्त किया था। इस दिन संयुक्त रूप से भगवान शिव और पार्वती की उपासना करनी चाहिए। इससे कुंवारी क���्याओं को अच्छा वर प्राप्त होता है और सुहागिनों को सदा सौभाग्यवती होने का वरदान मिलता है। कजरी तीज की पूजा विधि इस दिन सुहागन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं जबकि कुंवारी कन्याएं अच्छा वर पाने के लिए यह व्रत करती हैं। सबसे पहले नीमड़ी माता को जल, रोली और चावल चढ़ाएं। नीमड़ी माता को मेंहदी और रोली लगाएं। नीमड़ी माता को मोली चढ़ाने के बाद मेहंदी, काजल और वस्त्र चढ़ाएं। इसके बाद फल और दक्षिणा चढ़ाएं और पूजा के कलश पर रोली से टीका लगाकर लच्छा बांधें। पूजा स्थल पर घी का बड़ा दीपक जलाएं और मां पार्वती और भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें। पूजा खत्म होने के बाद किसी सौभाग्यवती स्त्री को सुहाग की वस्तुएं दान करनी चाहिए और उनका आशीर्वाद लेना चाहिए। Read the full article
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पति की लंबी उम्र के लिए और मनचाहा वर प्राप्त करने के लिए किया जाता है कजरी तीज व्रत, जानिए महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
चैतन्य भारत न्यूज तीज पर्व सुहागिन महिलाओं के लिए खास महत्व रखता है। खासतौर से साल में तीन बार तीज का त्योहार मनाया जाता है। हरियाली तीज, कजरी तीज और हरितालिका तीज। भादो महीने के कृष्णपक्ष की तृतीया को मनाई जाने वाली तीज को कजरी तीज के नाम से जाना जाता है। इस बार कजरी तीज 6 अगस्त को पड़ रही है। कजरी तीज का शुभ मुहूर्त तृतीया आरंभ- 5 अगस्त को रात 10 बजकर 52 मिनट से तृतीया समाप्त- 7 अगस्त को रात 12 बजकर 16 मिनट पर कजरी तीज का महत्व हरियाली तीज, हरतालिका तीज की तरह कजरी तीज भी सुहागन महिलाओं के लिए प्रमुख त्योहार माना जाता है। विवाहित महिलाएं ये व्रत पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए करती हैं। माना जाता है कि इसी दिन मां पार्वती ने भगवान शिव को अपनी कठोर तपस्या से प्राप्त किया था। इस दिन संयुक्त रूप से भगवान शिव और पार्वती की उपासना करनी चाहिए। इससे कुंवारी कन्याओं को अच्छा वर प्राप्त होता है और सुहागिनों को सदा सौभाग्यवती होने का वरदान मिलता है। कजरी तीज की पूजा विधि इस दिन सुहागन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं जबकि कुंवारी कन्याएं अच्छा वर पाने के लिए यह व्रत करती हैं। सबसे पहले नीमड़ी माता को जल, रोली और चावल चढ़ाएं। नीमड़ी माता को मेंहदी और रोली लगाएं। नीमड़ी माता को मोली चढ़ाने के बाद मेहंदी, काजल और वस्त्र चढ़ाएं। इसके बाद फल और दक्षिणा चढ़ाएं और पूजा के कलश पर रोली से टीका लगाकर लच्छा बांधें। पूजा स्थल पर घी का बड़ा दीपक जलाएं और मां पार्वती और भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें। पूजा खत्म होने के बाद किसी सौभाग्यवती स्त्री को सुहाग की वस्तुएं दान करनी चाहिए और उनका आशीर्वाद लेना चाहिए। Read the full article
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जानिए कब है कजरी तीज, इस व्रत का महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
चैतन्य भारत न्यूज हर वर्ष भाद्रपद में कृष्ण पक्ष की तृतीया को कजरी तीज का त्योहार मनाया जाता है। इस साल यह त्योहार 6 अगस्त को गुरुवार के दिन है। कजरी तीज को कजली तीज भी कहा जाता है। कई जगह इसे बूढ़ी तीज या सातूड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है। कजरी तीज का पर्व उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, बिहार और मध्य प्रदेश में बड़े स्तर पर मनाया जाता है। कजरी तीज का शुभ मुहूर्त तृतीया आरंभ- 5 अगस्त को रात 10 बजकर 52 मिनट से तृतीया समाप्त- 7 अगस्त को रात 12 बजकर 16 मिनट पर कजरी तीज का महत्व हरियाली तीज, हरतालिका तीज की तरह कजरी तीज भी सुहागन महिलाओं के लिए प्रमुख त्योहार माना जाता है। विवाहित महिलाएं ये व्रत पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए करती हैं। माना जाता है कि इसी दिन मां पार्वती ने भगवान शिव को अपनी कठोर तपस्या से प्राप्त किया था। इस दिन संयुक्त रूप से भगवान शिव और पार्वती की उपासना करनी चाहिए। इससे कुंवारी कन्याओं को अच्छा वर प्राप्त होता है और सुहागिनों को सदा सौभाग्यवती होने का वरदान मिलता है। कजरी तीज की पूजा विधि इस दिन सुहागन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं जबकि कुंवारी कन्याएं अच्छा वर पाने के लिए यह व्रत करती हैं। सबसे पहले नीमड़ी माता को जल, रोली और चावल चढ़ाएं। नीमड़ी माता को मेंहदी और रोली लगाएं। नीमड़ी माता को मोली चढ़ाने के बाद मेहंदी, काजल और वस्त्र चढ़ाएं। इसके बाद फल और दक्षिणा चढ़ाएं और पूजा के कलश पर रोली से टीका लगाकर लच्छा बांधें। पूजा स्थल पर घी का बड़ा दीपक जलाएं और मां पार्वती और भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें। पूजा खत्म होने के बाद किसी सौभाग्यवती स्त्री को सुहाग की वस्तुएं दान करनी चाहिए और उनका आशीर्वाद लेना चाहिए। Read the full article
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