बड़ी खबर- 1 अगस्त से Amazon, Flipkart पर बिकने वाले हर सामान पर अब लिखा होगा, वो कहां बना है
बड़ी खबर- 1 अगस्त से Amazon, Flipkart पर बिकने वाले हर सामान पर अब लिखा होगा, वो कहां बना है
नई दिल्ली. कंट्री ऑफ ओरिजिन (Country of Origin) को लेकर सरकार ने ई-कॉमर्स कंपनियों को बड़ी राहत दी है. सरकार ने ई-कॉमर्स कंपनियों को अपने हर प्रोडक्ट पर कंट्री ऑफ ओरिजिन बताने की नई लिस्टिंग के लिए डेडलाइन 1 अगस्त तय किया है. लेकिन पोर्टल पर मौजूद प्रोडक्ट्स के लिए डेडलाइन तय नहीं हो सका है. हालांकि DIPPGOI ने आज की बैठक में सितंबर के अंत तक नियम पूरी तरह से लागू करने की मंशा जाहिर की है. DPIIT…
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बड़ी खबर- 1 अगस्त से Amazon, Flipkart पर बिकने वाले हर सामान पर अब लिखा होगा, वो कहां बना है
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1 अगस्त से लागू होगा नियम सरकार ने ई-कॉमर्स कंपनियों को अपने हर प्रोडक्ट पर कंट्री ऑफ ओरिजिन बताने की नई लिस्टिंग के लिए डेडलाइन 1 अगस्त तय किया है. लेकिन पोर्टल पर मौजूद प्रोडक्ट्स के लिए डेडलाइन तय नहीं हो सका है. हालांकि DIPPGOI ने आज की बैठक…
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ई-कॉमर्स कंपनी पर कार्रवाई: कंट्री ऑफ ओरिजिन जैसी जरूरी जानकारी ना देने पर सरकार ने अमेजन पर 25 हजार रु. का जुर्माना लगाया
ई-कॉमर्स कंपनी पर कार्रवाई: कंट्री ऑफ ओरिजिन जैसी जरूरी जानकारी ना देने पर सरकार ने अमेजन पर 25 हजार रु. का जुर्माना लगाया
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अपने प्लेटफॉर्म पर बेचे गए उत्पादों पर कंट्री ऑफ ओरिजिन की जानकारी प्रकाशित ना करने पर सरकार ने दिग्गज ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन पर जुर्माना लगाया है। सरकारी आदेश के मुताबिक, अमेजन की ओर से संतोषजनक जवाब ना देने पर जुर्माने की कार्रवाई की गई है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक, पहली बार गलती करने पर अमेजन के प्रत्येक डायरेक्टर पर 25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है।
पिछले…
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ई-कॉमर्स कंपनी पर कार्रवाई: कंट्री ऑफ ओरिजिन जैसी जरूरी जानकारी ना देने पर सरकार ने अमेजन पर 25 हजार रु. का जुर्माना लगाया Ads से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप नई दिल्लीएक घंटा पहले
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Ministry of Consumer Affairs notice to e-commerce companies for not writing Country of Origin – कंट्री ऑफ ओरिजिन नहीं लिखने को लेकर ई-कॉमर्स कंपनियों को उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय का नोटिस प्रतीकात्मक तस्वीर नई दिल्ली: भारत सरकार के उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने ईकॉमर्स कंपनियों (E Commerce Companies) को नोटिस दिया है.
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Ministry of Consumer Affairs notice to e-commerce companies for not writing Country of Origin – कंट्री ऑफ ओरिजिन नहीं लिखने को लेकर ई-कॉमर्स कंपनियों को उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय का नोटिस प्रतीकात्मक तस्वीर नई दिल्ली: भारत सरकार के उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने ईकॉमर्स कंपनियों (E Commerce Companies) को नोटिस दिया है.
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अमेज़न इंडिया डिमांड्स प्रोडक्ट्स लिस्ट्स ऑफ कंट्री ऑफ़ ओरिजिन ऑफ़ 10 अगस्त
अमेज़न इंडिया डिमांड्स प्रोडक्ट्स लिस्ट्स ऑफ कंट्री ऑफ़ ओरिजिन ऑफ़ 10 अगस्त
अमेज़न की भारत इकाई ने विक्रेताओं को बताया है कि उन्हें चीन में ई-कॉमर्स की दिग्गज कंपनियों द्वारा भेजे गए ईमेल के अनुसार, 10 अगस्त तक उत्पाद लिस्टिंग पर देश की मूल जानकारी प्रदान करनी चाहिए, जो चीन विरोधी भावना को भड़काने के खिलाफ है।
व्यापार मंत्रालय ने बुलाया है ई-कॉमर्स प्रधानमंत्री के रूप में उत्पाद लिस्टिंग के साथ मूल के देश का नाम रखने के लिए साइटें नरेंद्र मोदीएक आत्मनिर्भर राष्ट्र के…
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अब ई-कॉमर्स कंपनियों को देनी होगी प्रोडक्ट के Country of Origin की जानकारी
अब ई-कॉमर्स कंपनियों को देनी होगी प्रोडक्ट के Country of Origin की जानकारी
नई दिल्लीः केंद्र सरकार ने चीनी कंपनियों के बहिष्कार की मुहिम को आगे बढ़ाते हुए ई-कॉमर्स कंपनियों को आदेश जारी किया है. सरकार ने अब सभी कंपनियों से अपनी वेबसाइट पर बिकने वाले उत्पादों के कंट्री ऑफ ओरिजिन यानी कि उत्पाद किस देश में बना है इसकी जानकारी देने के लिए कहा है. ऐसे में फ्लिपकार्ट, अमेजन जैसी वेबसाइट्स को अब उत्पाद के देश के बारे में बताना होगा.
कॉमर्स मंत्रालय के DPIIT ने ई-कॉमर्स…
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कंट्री ऑफ ओरिजिन जैसी जरूरी जानकारी ना देने पर सरकार ने अमेजन पर 25 हजार रु. का जुर्माना लगाया
कंट्री ऑफ ओरिजिन जैसी जरूरी जानकारी ना देने पर सरकार ने अमेजन पर 25 हजार रु. का जुर्माना लगाया
अपने प्लेटफॉर्म पर बेचे गए उत्पादों पर कंट्री ऑफ ओरिजिन की जानकारी प्रकाशित ना करने पर सरकार ने दिग्गज ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन पर जुर्माना लगाया है। सरकारी आदेश के मुताबिक, अमेजन की ओर से संतोषजनक जवाब ना देने पर जुर्माने की कार्रवाई की गई है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक, पहली बार गलती करने पर अमेजन के प्रत्येक डायरेक्टर पर 25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है।
पिछले महीने…
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प्रोडक्ट किस देश में बना है न बताने पर अमेजन, फ्लिपकार्ट समेत अन्य ई-कॉमर्स कंपनियों को नोटिस; मंत्रालय ने मांगा 15 दिनों के भीतर जवाब नई दिल्ली3 मिनट पहले कॉपी लिंक 26 जून को ई-कॉमर्स कंपनियों के ग्रुप ने कंट्री ऑफ ओरिजिन प्रदर्शित करने का फैसला किया था
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अपने प्रॉडक्ट्स पर ‘कंट्री ऑफ ओरिजन’ लिखने के लिए राजी हुए Flipkart और Amazon
नई दिल्ली:
अब भारत में अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी ई-कॉर्मस कंपनियों को अपने प्रोडक्ट्स पर कंट्री ऑफ ओरिजन यानि जिस देश में वह प्रॉडक्ट बना है उसको प्रदर्शित करना अनिवार्य होगा. सरकारी सूत्रों ने कहा है कि बुधवार को ई-कॉमर्स कंपनियों के ग्रुप ने कंट्री ऑफ ओरिजिन प्रदर्शित करने का फैसला किया है. ई-कॉमर्स कंपनियों के ग्रुप ने यह निर्णय एक वीडियो कॉफ्रेंस मीटिंग में सरकार के उस कदम के बाद लिया जिसमें सरकारी ई-मार्किटप्लेस (GeM) पर प्रोडक्टस् को बेचने के लिए ‘कंट्री ऑफ ओरिजन’ प्रदर्शित करना अनिवार्य किया गया है. उत्पादों में भारतीय सामग्री के प्रतिशत का उल्लेख करना भी अनिवार्य है, सरकार ने कहा कि इस कदम का उद्देश्य मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान को बढ़ावा देना था. चीन के खिलाफ जारी आर्थिक गतिरोध के बीच नियमों में चीनी उत्पादों के खिलाफ बाधाओं को जोड़ने की उम्मीद है.
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सूत्रों ने कहा, ‘हालांकि अभी तक ई-कॉमर्स कंपनियों पर लागू किए जाने वाले कोई नियम नहीं थे. लेकिन आज प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड डिपार्टमेंट के अधिकारियों के साथ हुई बैठक में ऑनलाइन फर्मों ने कहा कि वह अपने प्रोडक्ट्स पर कंट्री ऑफ ओरिजन प्रदर्शित करेंगे. इसमें दो सप्ताह का समय लगेगा.’
देश में चीनी उत्पादों का बहिष्कार करने के लिए राष्ट्रव्यापी आंदोलन छेड़ने वाले कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT)और अखिल भारतीय व्यापारियों के संगठन ने सरकार के इस निर्णय का स्वागत किया है. कल राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की आर्थिक शाखा ने कहा था कि अमेजन जैसे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर सरकार के नियम को बढ़ाया जाना चाहिए.
स्वदेशी जागरण मंच के सह-संयोजक अश्विनी महाजन ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स के हवाले से कहा, “सरकार को सभी प्लेटफ़ॉर्म पर नियमों का विस्तार करना चाहिए ताकि उपभोक्ताओं को चीनी उत्पाद न खरीदने का विकल्प मिले.”
पिछले हफ्ते, लद्दाख में दशकों में हुई सबसे भीषण हिंसा में 20 सैनिक मारे गए थे और 70 से अधिक घायल हुए थे. इसके तुरंत बाद, अखिल भारतीय व्यापारियों के संगठन – कन्फेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने चीनी वस्तुओं और सेवाओं के बहिष्कार का आह्वान किया है. इस बीच केंद्र सरकार ने सरकार के स्वामित्व वाली संचार कंपनी बीएसएनएल से कहा कि अपने 4जी अपग्रेडेशन के लिए सुरक्षा की दृष्टि से चीनी उपकरणों का इस्तेमाल नहीं करें. इस बीच एक चीनी फर्म को 471 करोड़ रुपये का रेलवे ठेका दिया गया था जिसे “खराब प्रगति के मद्देनजर” वापस ले लिया गया है.
चीन के साथ व्यापार को लेकर देश के कई हिस्सों में हो रहे हैं विरोध प्रदर्शनVideo
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चीनी कंपनियों को Amzon के इस कदम से लगेगा बड़ा झटका
चीनी कंपनियों को Amzon के इस कदम से लगेगा बड़ा झटका #amazon #china
नईदिल्ली, भारत पहले ही चीन के 59 ऐप पर बैन लगाकर उसे बड़ा झटका दे चुका है. अब चीनी कंपनियों को अगला झटका सबसे दुनिया की बड़ी ई-कॉमर्स साइट में से एक अमेजन (Amazon) से लगने वाला है. भारत में चीन के खिलाफ लगातार हो रहे विरोध के बाद केंद्र सरकार स्थानीय लोगों के विरोध के बीच अमेजन ने अपने सभी उत्पादों पर कंट्री ऑफ ओरिजिन का जिक्र करने का फैसला किया है. माना जा रहा है कि इस फैसले के बाद चीन के…
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कंट्री ऑफ ओरिजिन को लेकर सरकार सख्त, ई-कॉमर्स कंपनियों को जल्द ही लागू करना होगा नियम
कंट्री ऑफ ओरिजिन को लेकर सरकार सख्त, ई-कॉमर्स कंपनियों को जल्द ही लागू करना होगा नियम
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नई दिल्ली में चीनी उत्पादों का बहिष्कार करते हुए स्वदेशी जागरण मंच के सदस्य केंद्र सरकार ने कंट्री ऑफ ओरिजिन (Country of Origin) को लेकर ई-कॉमर्स कंपनियों ज्यादा समय नहीं देना चाहती है. सरकारी चाहती है कि एक महीने के अंदर सभी कंपनियां इसका पालन…
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Economy News In Hindi : boycott china it will not be possible to make the Statue of Unity in the country today | मैन्यूफैक्चरिंग में भारत की आत्मनिर्भरता कम, चीन के सामानों को बायकॉट कर दिया जाए तो आज की तारीख में स्टेच्यू ऑफ यूनिटी को बना पाना भी असंभव
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Economy News In Hindi : boycott china it will not be possible to make the Statue of Unity in the country today | मैन्यूफैक्चरिंग में भारत की आत्मनिर्भरता कम, चीन के सामानों को बायकॉट कर दिया जाए तो आज की तारीख में स्टेच्यू ऑफ यूनिटी को बना पाना भी असंभव
स्टेच्यू पर लगे कांसे के आवरण की ढलाई चीन के फाउंड्र्री में की गई थी, क्योंकि भारत में उतनी बड़ी फाउंड्री नहीं थी
स्टेच्यू को बनाने वाली कंपनी एलएंडटी ने कहा था कि इस परियोजना में 9 फीसदी चीन के सामानों का इस्तेमाल हुआ है
दैनिक भास्कर
Jun 25, 2020, 05:21 PM IST
नई दिल्ली. गलवान विवाद के बाद चीन को सबक सिखाने के लिए वहां के सामानों का बायकॉट करने की आवाज जोर-शोर से उठ रही है। लेकिन यदि हम चीन के सामानों का सचमुच बायकॉट कर दें, तो आज की तिथि में स्टेच्यू ऑफ यूनिटी को बना पाना संभव नहीं होगा। इस पर लगे कांसे के आवरण की ढलाई चीन के फाउंड्र्री में की गई थी, क्योंकि भारत में उतनी बड़ी फाउंड्री नहीं थी। स्टेच्यू ऑफ यूनिटी को बनाने वाली कंपनी एलएंडटी ने एक रिपोर्ट में कहा था कि इस परियोजना में चीन से हुए आयात का योगदान करीब 9 फीसदी के बराबर है।
चीन के आयात को हतोत्साहित किए जाने से मैन्युफैक्चरर्स में बढ़ी बेचैनी
मीडिया की चर्चा के मुताबिक चीन से आ रहे माल को क्लियरेंस मिलने में देरी हो रही है। इससे आयातकों और मैन्युफैक्चरर्स में बेचैनी बढ़ रही है। ऐसी भी चर्चा है कि चीन से आ रहे माल की 100 फीसदी जांच होगी। कुछ दिनों पहले सरकारी ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) ने विक्रेताओं से कहा कि वे अपने उत्पादों के स्रोत देश (कंट्री ऑफ ओरिजिन) की जानकारी दें। इसमें एक नया मेड-इन-इंडिया फिल्टर भी लगाया गया है। इस फिल्टर में खरीदार ऐसे उत्पादों को चुनाव कर सकते हैं, जो कम से कम 50 फीसदी लोकल कंटेंट की शर्त को पूरा करते हैं। इतना ही नहीं। कुछ अन्य रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार अमेजन और वालमार्ट जैसे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स से यह सुनिश्चित करने के लिए कह रही है कि उनके आपूर्तिकर्ता भी उत्पादों की लिस्टिंग स्रोत देश के आधार पर करें।
उत्पादों का स्रोत देश तय कर पाना होगा कठिन
स्रोत देश (कंट्री ऑफ ओरिजिन) कैसे तय किया जाएगा, यह हालांकि स्पष्ट नहीं है। सिर्फ एक देश में बने उत्पाद का स्रोत देश बताना तो आसान है। लेकिन कुछ उत्पाद कई देशों में बनते हैं। भारत में बनने वाले सैमसंग या एपल फोन में चीन के कंपानेंट लगे होते हैं। कोरिया या जापान के भी ऐसे कंपोनेंट लगे हो सकते हैं, जिनमें चीन के कंपोनेंट का इस्तेमाल हुआ होगा। इस तरह से तैयार हुआ अंतिम उत्पाद भारत का होगा या चीन का? वियतनाम से होने वाले आयात का क्या होगा। कई लोग मानते हैं कि चीन के माल किसी तीसरे देश से होकर भी भारत में आते हैं। किसी देश का सामान माने जाने के लिए उसमें कितना फीसदी वहां का कंपोनेंट होना जरूरी है। क्या इंस्पेक्टर यह भी जांच कर पाएंगे कि लाखों-करोड़ों उत्पादों में लगाए जा रहे लेबल बिल्कुल सही हैं।
भारतीय उद्योग में प्रतिस्पर्धा नहीं, इसलिए आयात को मिल रहा है बढ़ावा
फाइनेंशियल एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक कारोबारी साल 2018 में भारत का मैन्यूफैक्चरिंग उत्पादन 99,78,415 करोड़ रुपए का था। उस साल भारत ने चीन से 4,92,236 करोड़ रुपए का आयात किया था। यह भारत के मैन्यूफैचरिंग उत्पान का करीब 5 फीसदी है। यदि चीन से हुए कुछ आयात को अंतिम उत्पाद के रूप में इस्तेमाल कर लिया गया होगा, तो उसका हिस्सा 5 फीसदी से भी कम हो जाएगा। भारतीय सामानों में 5 फीसदी चीन के माल की हिस्सेदारी अधिक चिंता की बात नहीं लगती। साथ ही चीन के सस्ते आयात के कारण भारत के उद्योग अप्रतिस्पर्धी नहीं हुए हैं। सच्चाई यह है कि आयात को इसलिए बढ़ावा मिल रहा है, क्योंकि भारत के उद्योग में प्रतिस्पर्धा नहीं है। इसका कारण सरकार की दशकों पुरानी गलत नीतियां हैं।
क्या चीन के कंपोनेंट से बने सामान पर रोक लगा पाना संभव होगा?
क्या चीन के 5 फीसदी कंपोनेंट वाले सभी उत्पादों को खारिज कर दिया जाए। नहीं तो इसके लिए क्या सीमा रखी जाए? भारतीय फार्मा उद्योग चीन के आयात पर काफी निर्भर हैं। तो क्या भारत में बिकने वाली दवाओं को चीन की दवा समझकर लोग उन्हें खरीदना बंद कर देंगे? सौर ऊर्जा के क्षेत्र में क्या होगा, जिसमें अधिकतर उत्पाद चीन के हैं? साथ ही जीईएम पोर्टल या अन्य सरकारी खरीद में सीएजी के नियमों में संशोधन कर यह प्रावधान बनाया जाएगा कि जिन सामानों में अधिक भारतीय कंपोनेंट होंगे, उन्हें ऊंची कीमत पर खरीदा जा सकता है?
बायकॉट की जगह उद्योग में प्रतिस्पर्धा बढ़ाए सरकार
तमाम कोशिशों के बाद भी यदि भारतीय बाजार में चीन के माल की उपलब्धता नहीं घटी तो क्या होगा? लोग चीन के सामान का इस्तेमाल नहीं करने की अपील और जोर-शोर से करेंगे। आयात शुल्क बढ़ाने या किसी अन्य नॉन टैरिफ प्रतिबंध लगाने की आवाज उठाई जाएगी। लेकिन इससे भारतीय उद्योग की प्रतिस्पर्धात्मकता और घट जाएगी। क्योंकि सरकार पर समस्या का सही निदान करने का दबाव और कम हो जाएगा। यदि चीन के सामान को भारत आने से रोक भी दिया गया, तो भारत में बांग्लादेश या दूसरे देश के सामान आ जाएंगे। भारतीय उद्योग की प्रतिस्पर्धात्मकता तब भी नहीं बढ़ेगी। चीन के सामान को बायकॉट करने से अच्छा यह होगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने मंत्रियों से कहें कि वे अपने-अपने मंत्रालय के तहत आने वाले उद्योगों में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने पर ध्यान दें।
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GeM पर सभी विक्रेताओं को नए उत्पादों के पंजीकरण के समय 'कंट्री ऑफ ओरिजिन' बताना ज़रूरी होगा
GeM पर सभी विक्रेताओं को नए उत्पादों के पंजीकरण के समय ‘कंट्री ऑफ ओरिजिन’ बताना ज़रूरी होगा
‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के सपने को साकार करने की दिशा में सरकार ने अब एक बड़ा कदम उठाया है। सार्वजनिक क्षेत्र की खरीदारी के लिए बनाए गए ऑनलाइन पोर्टल गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस यानी कि GeM पर सभी विक्रेताओं को नए उत्पादों के पंजीकरण के समय ‘कंट्री ऑफ ओरिजिन’ यानी सामान कहां का है यह बताना ज़रूरी होगा।
इसके अलावा GeM पर इस फीचर के आने से पहले जिन विक्रेताओं ने अपने उत्पादों को पंजीकृत कर…
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अपने प्रॉडक्ट्स पर ‘कंट्री ऑफ ओरिजन’ लिखने के लिए राजी हुए Flipkart और Amazon
नई दिल्ली:
अब भारत में अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी ई-कॉर्मस कंपनियों को अपने प्रोडक्ट्स पर कंट्री ऑफ ओरिजन यानि जिस देश में वह प्रॉडक्ट बना है उसको प्रदर्शित करना अनिवार्य होगा. सरकारी सूत्रों ने कहा है कि बुधवार को ई-कॉमर्स कंपनियों के ग्रुप ने कंट्री ऑफ ओरिजिन प्रदर्शित करने का फैसला किया है. ई-कॉमर्स कंपनियों के ग्रुप ने यह निर्णय एक वीडियो कॉफ्रेंस मीटिंग में सरकार के उस कदम के बाद लिया जिसमें सरकारी ई-मार्किटप्लेस (GeM) पर प्रोडक्टस् को बेचने के लिए ‘कंट्री ऑफ ओरिजन’ प्रदर्शित करना अनिवार्य किया गया है. उत्पादों में भारतीय सामग्री के प्रतिशत का उल्लेख करना भी अनिवार्य है, सरकार ने कहा कि इस कदम का उद्देश्य मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान को बढ़ावा देना था. चीन के खिलाफ जारी आर्थिक गतिरोध के बीच नियमों में चीनी उत्पादों के खिलाफ बाधाओं को जोड़ने की उम्मीद है.
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सूत्रों ने कहा, ‘हालांकि अभी तक ई-कॉमर्स कंपनियों पर लागू किए जाने वाले कोई नियम नहीं थे. लेकिन आज प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड डिपार्टमेंट के अधिकारियों के साथ हुई बैठक में ऑनलाइन फर्मों ने कहा कि वह अपने प्रोडक्ट्स पर कंट्री ऑफ ओरिजन प्रदर्शित करेंगे. इसमें दो सप्ताह का समय लगेगा.’
देश में चीनी उत्पादों का बहिष्कार करने के लिए राष्ट्रव्यापी आंदोलन छेड़ने वाले कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT)और अखिल भारतीय व्यापारियों के संगठन ने सरकार के इस निर्णय का स्वागत किया है. कल राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की आर्थिक शाखा ने कहा था कि अमेजन जैसे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर सरकार के नियम को बढ़ाया जाना चाहिए.
स्वदेशी जागरण मंच के सह-संयोजक अश्विनी महाजन ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स के हवाले से कहा, “सरकार को सभी प्लेटफ़ॉर्म पर नियमों का विस्तार करना चाहिए ताकि उपभोक्ताओं को चीनी उत्पाद न खरीदने का विकल्प मिले.”
पिछले हफ्ते, लद्दाख में दशकों में हुई सबसे भीषण हिंसा में 20 सैनिक मारे गए थे और 70 से अधिक घायल हुए थे. इसके तुरंत बाद, अखिल भारतीय व्यापारियों के संगठन – कन्फेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने चीनी वस्तुओं और सेवाओं के बहिष्कार का आह्वान किया है. इस बीच केंद्र सरकार ने सरकार के स्वामित्व वाली संचार कंपनी बीएसएनएल से कहा कि अपने 4जी अपग्रेडेशन के लिए सुरक्षा की दृष्टि से चीनी उपकरणों का इस्तेमाल नहीं करें. इस बीच एक चीनी फर्म को 471 करोड़ रुपये का रेलवे ठेका दिया गया था जिसे “खराब प्रगति के मद्देनजर” वापस ले लिया गया है.
चीन के साथ व्यापार को लेकर देश के कई हिस्सों में हो रहे हैं विरोध प्रदर्शनVideo
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