#एमपी बोर्ड की खबर आज
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एमपी बोर्ड एमपीबीएसई 10वीं रिजल्ट 2021 आउट, सभी छात्रों ने घोषित किया पास- results.amarujala.com
एमपीबीएसई 10वीं परिणाम 2021 – पीसी: माई रिजल्ट प्लस: मध्य प्रदेश माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (एमपीबीएसई) ने आज शाम चार बजे दसवीं के नतीजे घोषित कर दिए हैं। मध्य प्रदेश के शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने प्रेस कांफ्रेंस कर रिजल्ट की घोषणा की. छात्र अपना रिजल्ट एमपीबीएसई की आधिकारिक वेबसाइट mpbse.nic.in और mpresults.nic.in पर देख सकते हैं। मध्य प्रदेश राज्य सरकार ने इस साल कोविड -19 महामारी की दूसरी…
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इंटरनेट स्पीड को टेस्ट करने वाली कंपनी ओपनसिग्नल ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि दुनिया में सबसे तेज 5G डाउनलोड स्पीड सऊदी अरब में है। वहीं, टॉप इंटरनेट स्पीड वाले 15 देशों की बात की जाए तो इनमें भारत शामिल नहीं है। बहरहाल, शुरू करते हैं मॉर्निंग न्यूज ब्रीफ...
आज इन 3 इवेंट्स पर रहेगी नजर
1. IPL के 13वें सीजन का 39वां मैच रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु और कोलकाता नाइट राइडर्स के बीच आज शाम 7.30 बजे से अबु धाबी में खेला जाएगा।
2. मुंबई में आज से महिलाएं लोकल ट्रेन में यात्रा कर सकेंगी। ये ट्रेनें बीते 7 महीने से बंद थी।
3. काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मामले में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के रिवीजन के एडमिशन पर दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद जिला जज ने फैसला सुरक्षित रखा। आज आ सकता है फैसला।
अब कल की 7 महत्वपूर्ण खबरें
1. बिहार चुनाव से 8 दिन पहले मोदी का संदेश
प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार शाम 6 बजे राष्ट्र के नाम संबोधन दिया। पिछले 7 महीने में राष्ट्र के नाम यह उनका 7वां संदेश था। वह भी बिहार में वोटिंग से ठीक 8 दिन पहले। मोदी के 12 मिनट के भाषण में फोकस कोरोना पर था। मोदी ने हाथ जोड़कर कहा- ‘जब तक कोरोना की दवाई नहीं, तब तक ढिलाई नहीं।’ वहीं, मोदी के संदेश से पहले भाजपा के यू-ट्यूब चैनल पर लाइक से ज्यादा डिसलाइक थे, जिसके नंबर बाद में भाजपा ने छुपा लिए।
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2. कमलनाथ के बयान पर राहुल ने दी नसीहत
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के आइटम वाले बयान पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने करीब 45 घंटे बाद मंगलवार को तीखी प्रतिक्रिया दी। राहुल ने कहा कि कमलनाथ भले ही मेरी पार्टी के हैं, वे चाहे जो भी हों, लेकिन जिस भाषा का उन्होंने इस्तेमाल किया है, मैं निजी तौर पर उसे पसंद नहीं करता। इस पर कमलनाथ बोले कि यह राहुलजी की राय है। मैं क्यों माफी मांगूंगा, मेरा लक्ष्य ��िसी का अपमान करना नहीं था।
-पढ़ें पूरी खबर 3. चांद पर भी होगा इंटरनेट, नासा ने नोकिया को चुना
चंद्रमा पर पहला सेल्युलर नेटवर्क बनाने के लिए नासा ने नोकिया कंपनी को चुना है। फिनिश कंपनी ने सोमवार को कहा कि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी भविष्य के लिए योजना बना रही कि इंसान चांद पर लौटेंगे और बस्तियां बसाएंगे। नासा का टारगेट 2024 तक इंसानों को चंद्रमा पर ले जाने का है और अपने आर्टेमिस (Artemis) प्रोग्राम के तहत लंबे समय तक वहां मौजूदगी दर्ज कराने का है।
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4. देश में 10 राज्यों में बेरोजगारी दर डबल डिजिट में
देश में ओवरऑल बेरोजगारी दर घटने के बावजूद 10 राज्यों में नौकरियों का हाल बुरा है। इन राज्यों में सितंबर में भी बेरोजगारी दर डबल डिजिट में रही। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के आंकड़ों के मुताबिक, बेरोजगारी के मामले में उत्तराखंड और हरियाणा टॉप पर हैं। उत्तराखंड में बेरोजगारी दर 22.3% और हरियाणा में 19.7% रही है।
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5. सऊदी में 3 सेकंड में 1GB मूवी डाउनलोड होती है
इंटरनेट स्पीड को टेस्ट करने वाली कंपनी ओपनसिग्नल ने 5G नेटवर्क से जुड़ी रिपोर्ट पेश की है। इसके मुताबिक, सऊदी अरब में 5G नेटवर्क पर एवरेज डाउनलोड स्पीड 377.2 Mbps रहा। जबकि साउथ कोरिया में 5G नेटवर्क पर एवरेज डाउनलोड स्पीड 336.1 Mbps रही। रिपोर्ट में 15 देशों में 5G स्पीड से जुड़ा 1 जुलाई से 28 सितंबर तक का डेटा शामिल किया गया है।
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6. राहुल ने GDP की तुलना कर मोदी पर साधा निशाना
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने दुनियाभर के देशों के लिए वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक जारी किया। इसमें कहा गया है कि बांग्लादेश ने प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में भारत को पीछे छोड़ दिया है। पिछले दिनों जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसे लेकर सवाल उठाए तो एकेडमिक लेवल पर चर्चा शुरू हो गई कि क्या वाकई में भारत विकास की रफ्तार में बांग्लादेश से पीछे छूट गया है?
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7. एमपी की संस्कृति मंत्री ने दिया विवादित बयान
मध्य प्रदेश की संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर ने शिक्षा के संबंध में पूछे गए सवाल पर कहा- सारे आतंकवादी मदरसों में पले-बढ़े और जम्मू-कश्मीर को आतंकवाद की फैक्ट्री बना डाला। धर्म आधारित शिक्षा कट्टरता फैला रही है। इससे पहले, रविवार को पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने महिला मंत्री को "आइटम" कहा था वहीं, सोमवार को शिवराज के मंत्री ने विपक्षी नेता की पत्नी को 'रखैल' बताया था।
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अब 21 अक्टूबर का इतिहास
1296: अलाउद्दीन खिलजी ने दिल्ली की गद्दी संभाली थी।
1951: दिल्ली में भारतीय जनसंघ की स्थापना हुई थी।
2005: सामूहिक दुष्कर्म की शिकार पाकिस्तान की मुख्तारन माई को वुमन ऑफ द ईयर चुना गया।
आखिर में जिक्र क्रांतिकारी सुभाषचंद्र बोस का। उन्होंने 1943 में सिंगापुर में आजाद हिंद सरकार बनाई थी। इस सरकार के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और सेनाध्यक्ष बोस ही थे। पढ़ें, उन्हीं की कही एक बात...
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Modi folds hands on Corona; Rahul did not like Kamal Nath's point; NASA will bring internet on moon
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एमपी बोर्ड आज जारी सकता है 12वीं के नतीजे,, सूत्रों के हवाले से खबर
एमपी बोर्ड आज जारी सकता है 12वीं के नतीजे,, सूत्रों के हवाले से खबर
फ़ाइल फोटो कोरोना से बचाने में कारगर नहीं है N95 मास्क, केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को लिखी चिट्ठी,
भोपाल। मध्य प्रदेश बोर्ड ऑफ सेकेण्डरी एजुकेशन (MPBSE) इस वर्ष की 12वीं की परीक्षा के रिजल्ट आज 22 जुलाई को जारी कर सकता है। बता दें कि बोर्ड ने रिजल्ट आज जारी करने की फिलहाल आधिकारिक घोषणा नहीं की है मगर सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बोर्ड आज दोपहर तक रिजल्ट रिलीज़ कर सकता है। रिजल्ट…
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शिक्षा को लेकर आई बड़ी खबर : यूपी बोर्ड 2020 की परीक्षाओं को लेकर मोदी सरकार बड़ा फैसला
शिक्षा को लेकर आई बड़ी खबर : यूपी बोर्ड 2020 की परीक्षाओं को लेकर मोदी सरकार बड़ा फैसला #Modi #UPBoard #Exam #OnlineWatching
जब से सत्ता में दूसरी बार नरेंद्र मोदी की सरकार आई है। तब से देशभर में रोजाना सरकार बड़े-बड़े फैसले ले रही है, तो इसी के बाद अब 2020 में होने वाली यूपी बोर्ड की परीक्षाओं को लेकर सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है, तो वो क्या बड़ा फैसला लिया है। आज हम आपको इसी के बारे में जानकारी देंगे, तो आइये जानते है।
एमपी नेशनल हेल्थ मिशन ने दी टेक्निकल -पैरामेडिकल पर बम्पर भर्ती – जल्दी करें
मेट्रो में विभिन्न…
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#examinations#modi government#UP board 2020#ऑनलाइन#नरेंद्र मोदी#यूपी बोर्ड#लाइव निगरानी#वेबकास्टिंग#सरकार
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Spoke to ANI today in Delhi.. मुख्यमंत्री एक महीने से घोषणाएं कर रही हैं, ऐसा माहौल पहले कभी नहीं देखा कि चुनाव से पहले प्रधानमंत्री जी को बुला करके बेनिफिशियरी के नाम पर आप लोगों को बुला रहे हो जिनको बेनिफिट हुआ है सरकार की योजनाओं का उनको बुला करके उनके नाम पर आप कार्यकर्ताओं को बुला रहे हो... उनके खाने का, पीने का, बैग देने का, गिफ्ट देने का... सब इंतजाम किया गया। ऐसा पहली बार हो रहा है। और महामहिम राज्यपाल की मौजूदगी ��ें....जैसे कल हुआ कैलाश मेघवाल जी थे हमारे स्पीकर उनकी मौजूदगी में हुआ वो तो फिर भी पॉलिटिकल आदमी हैं लेकिन महामहिम राज्यपाल की मौजूदगी में बीजेपी की पूरी मीटिंग संपन्न हुई। तो इन तमाम बातों की जो शुरुआत हुई उसके बाद तो वसुंधरा जी ने वाकई कमाल किया। कभी टीचर्स को बुला रही हैं जिनकी नौकरी नहीं लगी है, कभी कॉन्स्टेबल, हैड कॉन्स्टेबल प्रमोट हुए हैं उनको बुला रही हैं। सारे काम सरकारी पैसे से हुए, सरकारी धन का दुरूपयोग किया गया। हाईकोर्ट की फटकार लगी तब जाकर इनको रोकना पड़ा वरना हैलीकॉप्टर, प्लेन इन सबका मिसयूज़ किया गया। चुनाव जीतने के लिए कल मान लीजिये मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट लागू होने से पहले आप कोई घोषणा करो जनता इन बातों को समझती है। इनको गलतफ़हमी है कि जनता समझेगी नहीं। वो सब समझती है की आचार संहिता लागू हो रही है और आप घोषणा करने जा रहे हो इसका कोई असर नहीं पड़ने वाला। चुनाव की तारीखें घोषित करने में राजनीति की गयी। पहले 5 तारीख की संभावना बताई गयी थी फिर 6 तारीख को किया गया फिर मोदी जी की मीटिंग के टाइम को देखा गया की कब है तो हो सकता है इलेक्शन कमीशन की मजबूरी हो लेकिन पब्लिक परसेप्शन में इलेक्शन कमीशन निष्पक्ष दिखे यह जरूरी है। अब चुनाव की घोषणा हो चुकी है, हमारी पूरी तैयारी है, कांग्रेस की तैयारी बहुत पहले से हो रही है चाहे वो राजस्थान हो, मध्यप्रदेश हो, छत्तीसगढ़ हो, मिजोरम हो या तेलंगाना हो... हमें कोई दिक्कत नहीं आ रही और माहौल कांग्रेस के पक्ष में है। प्रधानमंत्री ने कल अजमेर सभा में जो आरोप लगाए वो तो हमारे आरोप हैं इनके ऊपर कि आप ब्यूरोक्रेसी को किस तरह डरा-धमकाकर रख रहे हो, देश कोई अंदर किस प्रकार से आपके मंत्रियों की चलती नहीं है, बेज्जती हो रही है केंद्र में भी राज्य में भी। केंद्र में ओएसडी बैठे हुए हैं आरएसएस के लोग और मंत्री को कोई पूछ नहीं रहा वहां पर। पीएमओ से बुलावा सैक्रेटरी को आता है कि सैक्रेटरी महोदय को बुला रहे हैं पीएमओ के अंदर। मंत्री की बेज्जती होती है कि मेरे रहते हुए खाली अकेले सैक्रेटरी जा रहा है। कोई फैसले होंगे तो सैक्रेटरी को साथ बिठाना पड़ता है, ओएसडी को। देश के अंदर दो व्यक्ति राज कर रहे हैं नरेंद्र मोदी जी जो हमारे माननीय प्रधानमंत्री हैं और अमित शाह जी जो इनके राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। पूरा मुल्क देख रहा है कि दो लोग इस मुल्क में शा��न कर रहे हैं। ये परिवारवाद की जो बातें करते हैं वो तो इनकी हताशा का प्रतीक है। इस देश में डेमोक्रेसी है आज़ादी के बाद से 70 साल से और डेमोक्रेसी में वोट गुप्त होते हैं। आज़ादी के बाद से कांग्रेस जब-जब सत्ता में आई है चाहे पंडित नेहरू थे, चाहे इंदिरा गांधी थीं, चाहे राजीव गांधी थे, चाहे राहुल गांधी या सोनिया गांधी हैं ये परिवार जरूर है लेकिन इस परिवार पर पूरे मुल्क की क्रेडिबिलिटी इतनी ऊपर बढ़ी हुई है उस स्तर की है। आज़ादी से पहले मोतीलाल नेहरू ने सबकुछ छोड़ दिया वे सबसे अमीर थे देश में, वकील के रूप में भी, आज़ादी के बाद में आनंद भवन इलाहबाद का समर्पित कर दिया देश को। आनंद भवन में बैठकर तमाम फ्रीडम फाइटर्स चिंतन करते थे, वो गढ़ था वो जेलों में बंद रहे उस समय जेलों की स्थिति क्या थी सोच सकते हैं। उसके बाद में इन्होंने देशवासियों के साथ में निभाया चाहे जान देनी पडी हो। इंदिरा गांधी जी शहीद हो गईं, वे प्रधानमंत्री थीं उस समय में, हरित क्रान्ति लेकर आए, गरीब-महिलाओं के हित की बात कही, दुनिया में नाम रौशन किया, देश का मान-सम्मान बढ़ाया। राजीव गांधी थे उन्होंने 21वीं सदी की बात कही... इंटरनेट, मोबाईल, कम्प्यूटर जो कुछ रेवोल्यूशन दिखता है वो राजीव गांधी की देन है देश को, ये नहीं भूलना चाहिए, नई पीढ़ी को ये बातें पूरी मालूम नहीं हैं। ये किया है इस परिवार ने देश के लिए। अगर देश के हर वर्ग, हर धर्म, हर क्षेत्र के लोग ये सोचते हैं कि इस परिवार का व्यक्ति हम सभीको साथ लेकर चलेगा चाहे दलित हो, आदिवासी हों, किसान हों, ओबीसी है, कोई वर्ग के हैं, किसी भी धर्म के हैं, किसी भी क्षेत्र के हैं अगर ये परिवार कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में रहेगा तो हमें साथ लेकर चलेगा। ये क्रेडिबिलिटी कायम रखी है 70 साल में उसको तो एप्रिशिएट करना चाहिए प्राइम मिनिस्टर को जबकि प्राइम मिनिस्टर एक परिवार के पीछे पड़े हुए हैं यही बात उनको ले डूबेगी ये मैं कह सकता हूँ। आज दो चेहरे देश के अंदर हैं, हमारा आरोप है की क्या दो व्यक्ति इस देश पर राज कर सकते हैं? पंचायती राज की स्थापना, नगर-निकायों की स्थापना पंडित नेहरू ने की थी, महात्मा गांधी जी की भावनाओं के अनुकूल कि सत्ता का विकेन्द्रीकरण हो और उस रूप में विकेन्द्रीकरण हुआ। नागौर से पंचायती राज की शुरुआत हुई थी 1959 में गांधी जयन्ती पर। इस देश में उस वक़्त सत्ता का विकेन्द्रीकरण हो गया था अब इन्होने केन्द्रीकरण कर दिया सत्ता का.... दो व्यक्तियों की चलती है और किसी की नहीं चलती। प्राइम मिनिस्टर से पूछ लें, बीजेपी के एमपी को, एमएलए को, मिनिस्टर्स को ब���ा देंगे आपको। कांग्रेस तो विकास का मुद्दा बनाती है हमेशा, आज जो आधुनिक भारत दिख रहा है मोदी जी का जुमला छोड़ो माइनस करदो, 70 साल में क्या हुआ 18 हजार गाँवों में बिजली देकर कह दिया कि पूरे देश में बिजली पहुंचा दी मैंने। उनको पूछो 5 लाख 80 हजार गाँवों में किसने बिजली पहुंचाई है, ये काम किसने किया? सैटेलाइट लांच करता है इसरो तो आप बड़े खुश होते हो जैसे तीन महीने पहले आप प्रधानमंत्री बने हो और आपके आते ही मिसाइल बनने लग गए सैटेलाइट लांच होने लग गए तो ये तमाम बातें कैसे हुई? कितने साल लगे हैं इसरो की स्थापना होने के बाद में र��सर्च होने में। ये जो जुमले बोल रहे हैं प्राइम मिनिस्टर अच्छे दिन आने के, 15 लाख खाते में आने के, 1 सर के बदले 10 सिर लाएंगे, ब्लैक मनी लेकर आएँगे... कोई पूछे मोदी जी को कि कहाँ गए आपके तमाम वादे? राफेल का मुद्दा भी बड़ा मुद्दा है...आप जवाब नहीं दे रहे हो, इन तमाम चीजों को लेकर देशवासी पूछने के लिए तैयार बैठे हैं वे इन्तजार कर रहे हैं। वसुंधरा जी के प्रति लोगों के अंदर बहुत गुस्सा है, क्योंकि उन्होंने सिर्फ धोखा ही नहीं दिया बल्कि विशवासघात किया है। जनता ने उनको उस समय 163 का भारी बहुमत दिया फिर भी उन्होंने लापरवाही से शासन किया, परवाह ही नहीं की कि क्या हो रहा है। करप्शन बढ़ता गया-बढ़ता गया, उनके चहेते अधिकारी जेल में जा रहे हैं, उनको बाद में बचा लिया गया, उन्होंने खुद ने बचा लिया, खुद ही फंस रही थीं तो क्या-क्या नहीं हुआ राजस्थान के अंदर, बिना काम के फैसले नहीं होते हैं, सब संस्थाओं को करप्ट कर दिया। नई बात बताऊँ मैं आपको, मैं पहली बार बोल रहा हूँ, प्रदेश में बीजेपी के पदाधिकारियों को बनाने के लिए पैसे दिए गए, बीजेपी के यूआईटी के चेयरमैन और बोर्ड कॉर्पोरेशन बनाने के लिए बोली लगी हो इससे ज्यादा घटिया और condemn करने वाली बात कोई हो नहीं सकती, ये राजस्थान में हुआ है। ये लोग ये जानते हैं जो पैसा लेकर के यूआटी के चेयरमैन बने हैं या जिन्हें पैसा देकर के पद मिला है... ऐसा कहीं होता है क्या, अपनी ही पार्टी के लोगों को आप पैसा लेकर के बनाओ पदों पर ये बीजेपी के शासन में राजस्थान में हुआ है। कांग्रेस सत्ता में आएगी और एक चीज ये करेगी जब पहले की तरह शेखावत साहब सत्ता से हटे और मैं बना मुख्यमंत्री हम लोगों ने उनकी कोई स्कीम नहीं रोकी, उन्हें आगे बढ़ाया। वसुंधरा जी सत्ता में आईं और वापस चली गईं हमने उनकी कोई स्कीम नहीं रोकी, उनको कायम रखा, आगे बढ़ाया जबकि इन्होंने उल्टा किया... जब वसुंधरा जी सत्ता में आएं तो हमारी तमाम अच्छी स्कीमों को चाहे दवाई की हो, पेंशन की हो, सड़कों की हो, ��ानी की हो, सिंचाई की हो, ट्राइबल एरिया में ब्रॉडगेज की हो, रिफाईनरी हो जोकि बहुत बड़ा प्रोजेक्ट था, जयपुर मेट्रो हो, मेमू कोच फैक्ट्री हो, बांध हो इनके खुद के इलाके में, सरमथुरा से गंगापुर तक रेल लाइन बिछनी थी, टोंक जुड़ना था, करौली जुड़नी थी... इन्होंने प्रयास भी नहीं किये और सबको बर्बाद कर दिया। हम जनता से वादा करते हैं हम सत्ता में आएँगे, हम वसुंधरा जी की एक भी स्कीम को बंद नहीं करेंगे, उनको आगे बढ़ाएंगे। ये हमारी सोच सकारात्मक सोच है। यदि विकास करना है तो समय बर्बाद मत करो और जनहित में आगे बढ़ो हम वो काम करेंगे। हम अपने कार्यकर्ताओं को कह रहे हैं आप सब जगह जागरूक रहें, ध्यान रखें, इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया की विशेष जिम्मेदारी है, जो व्यक्ति वहां बैठे हुए हैं उनके ऊपर देश की प्रति बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है। डेमोक्रेसी तभी बचेगी जब आपकी ज्यूडिशियरी निष्पक्ष हो, संस्थाएं निष्पक्ष हों जिसमें चुनाव आयोग भी आता है। सभी संस्थाएं निष्पक्ष रूप से काम करें तभी डेमोक्रेसी मजबूत होगी जो आज तक की गयी है। मेरा मानना है कि हम विश्वास करते हैं इन बातों को सुनिश्चित करने का काम, पूरी कामयाबी के साथ में इलेक्शन कमीशन कर पाएगा। मैं कह चुका हूँ हमारे यहां चुनाव के बाद में हाईकमान फैसला करता है। राजस्थान में इतिहास में आज़ादी के बाद कभी भी कोई भी प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बना हो पहले कभी डिक्लेयर नहीं किया कि कौन मुख्यमंत्री बनेगा। अभी भी हमारी कोई मांग नहीं है। हमारा इतना विश्वास होता है हाईकमान पर... हाईकमान सभी बातों को देखकर कि जनता क्या चाहती है, कार्यकर्ता क्या चाहते हैं, विधायक क्या चाहते हैं यह देखते हुए फैसला करते हैं हाईकमान। मैंने पहले ही कहा यह बहस का विषय नहीं है... कुछ मीडिया वाले और कुछ राजनीति में ऐसे खिलाड़ी होते हैं जो अनावश्यक इन बातों को फैलाते हैं कोई एंगल देने की जरूरत नहीं है। जनता की भावना क्या है राजस्थान में, जनता क्या चाहती है, जनता कमरे में बैठकर तो बात करती नहीं है जनता खुलकर बात करती है... खुलकर बात करती है तो सभीकी अन्तरात्मा जानती है, राजस्थान में सारे नेताओं की अंतरात्मा जानती है चाहे वो कोई भी पॉलिटिकल पार्टी का आदमी हो , देश के तमाम पॉलिटिकल पार्टी के नेताओं को, कांग्रेस के नेताओं को, जब सभीको जानकारी मिलती है जनता की भावनाओं की फिर भी मीडिया कांग्रेस वालों को आपस में लड़ाने के लिए कोई खबर छापता है या छपवाता है तो वो अपना धर्म अदा नहीं कर रहा है। हम अपना धर्म अदा कर रहे हैं, हम पार्टी के वफादार सिपाही हैं, पार्टी ने विश्वास किया है, पहले भी किया, आज भी किया है। राहुल जी के नेतृत्व में हम लोग चल रहे हैं, हमें कोई जरूरत नहीं है लॉबिंग करने की या पीआर एजेंसी को हायर करने की या सर्��े में नाम ऊपर-नीचे करने की। हमें कोई जरूरत नहीं है। हम तो अपना काम करते जाते हैं कि किसी ढंग से सरकार बने ये हमारा कर्तव्य होना चाहिए, फैसला जो हाईकमान करे वो हमें मंजूर होगा ये मैं कह सकता हूँ। मैंने अपने जिंदगी में 1977 में टिकट माँगा था उसके अलावा मैंने कभी भी आज तक कोई पद नहीं माँगा है, बिना मांगे हाईकमान ने इतना विश्वास मुझपर किया तो आगे मुझे मांगने की जरूरत क्या है। जो पार्टी के हित में होगा वो फैसला हाईकमान करेंगे वो हम सबको मंजूर होगा इससे बड़ी खुलकर बात मैं क्या कर सकता हूँ। मैं मैनेजमेंट नहीं करता, पॉपुलरिटी को मैनेजमेंट नहीं करता। जनता के दिलो-दिमाग में क्या है... मैंने कई बार कहा... खलक की आवाज़ खुदा की आवाज़ होती है ये मेरा मानना है और इससे बड़ी कोई बात हो नहीं सकती। इसलिए मैं सोचता हूँ ये इश्यू नहीं है कुछ मीडिया वाले हमारे साथी, हमारे दोस्त लोग जो हैं इश्यू बनाए रहते हैं उनके अपने निजी स्वार्थ भी होते हैं तो वो पूरे करते हैं... प्रदेश में सरकार कांग्रेस की ही बनेगी।
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फिक्शन को टक्कर देती झुंझलाहट
फिक्शन के मुकाबले सच्चाई की झुंझलाहट? निम्नलिखित कहानी एक ब्रिटिश व्यापारी द्वारा लेखकों को उपलब्ध कराई गई थी जिन्होंने गुमनाम रहने का अनुरोध किया है। नर्स और अस्पताल की पहचान उनके लिए जाने जाते हैं। हम इसमें बिना किसी टिप्पणी के शामिल हैं पत्र अप्रकाशित है। मूल रूप में विराम चिह्न और वर्तनी मैं कई वर्षों के लिए एक टर्मिनल जैरीट्रिक वार्ड के प्रभारी एक रात की नर्��� रहा हूं और जैसा कि आप अनुमान लगा सकते हैं कि कुछ बहुत भयानक जगहें हैं, लेकिन फिर भी कुछ दिलचस्प लोगों से मिले, जो वास्तव में आकर्षक था वह यह जर्मन अध्यापन था जो मैंने आपको बताया था समय पहले, गरीब चरम एक टर्मिनल केस था, पेट का एक भयानक कार्सिनोमा, वह अपने आप में एक साइड वार्ड में था क्योंकि वह शायद ही कभी कुछ ही घंटों से अधिक रात में हीरोइन के भारी इंजेक्शन के साथ एक रात सोते थे, लेकिन उन्होंने कभी भी शिकायत नहीं की और हमेशा चैट करने के लिए तैयार था और कई रात जब वह चुप था तब उसे एक कप कॉफी में ले जाया गया और उसके साथ बैठ गया और एक घंटे या उससे भी ज्यादा समय के लिए चैट कर दिया, वह अंग्रेजी के साथ अच्छी तरह से बात कर रहा था, एक अद्भुत जर्मन, अमेरिकी उच्चारण जिसे उन्होंने अमेरिका में उठाया था, वह एक साल से हमारे साथ रहे थे, जब एक रात मैं नौसेना में मेरी सेवा के बारे में बात कर रहा था और बातचीत फ्लाईंग सॉसर्स पर हुई थी। । । वह बहुत चुप गया और मुझे एक अजीब लग रहा था, मैं हँसे और कहा: "क्या मैं फ्लाइंग सॉसर्स के बारे में बात कर पागल हूं?" उन्होंने कहा, नहीं, और फिर कहा, मुझे लगता है कि वह पागल हो सकता है क्योंकि वह एक में उड़ गया था, वैसे भी मुझे छोड़ना था, लेकिन अगली रात हमने बातचीत जारी रखी, पहली बार उसने मुझे बताया कि वह लूफ़्ट वाफे में है, एक रिक्लिन नामक एक सुरक्षा अधिकारी, जहां वे लगभग हर तरह के विज्ञान गल्प प्रकार के ��थियारों के साथ प्रयोग कर रहे थे, उन्होंने एक हवा बंदूक, रॉकेट और हँसे का हवाला दिया और कहा कि बाकी दुनिया से जर्मनी की यह बहुत पहले थी। उन्हें और जो कि एक और साल या तो दिया, युद्ध का एक पूरी तरह से समाप्त हो गया होता, और अब भी चीजें अभी भी रीच द्वारा इंजीनियर हो सकती हैं जो विश्व के भविष्य को बदल सकती हैं। मैं हँसे, और वह जारी रखा, युद्ध के वर्षों में किया गया था कि प्रगति के बारे में और पर, मैंने सुना है, लेकिन कुछ है कि इस दुनिया से बाहर लग रहा था कि कुछ चीजें हैं। । । गर्मी की किरणें, नए विस्फोटक और नए प्रकार के उड़ने वाले वाहनों के बारे में, फिर वह सॉस के बारे में चले गए, कैसे एक छोटे से खुले हुए लोगों के साथ एक आदमी के साथ शुरू होकर बड़े और बड़े लोगों के लिए कॉकपिट किया गया। बाद में वे एक और बेस में चले गए, और यहां पहली बार उसने अंटार्कटिक में "नीयर ड्यूशलैंड" के बारे में सुना, पूर्व युद्ध अफवाहें थीं, लेकिन कभी भी कई विवरण नहीं थे, नए बेस में कई वैज्ञानिक थे और उड़ने लगे केवल रात तक मित्र देशों में लगातार उड़ान भर रहे थे, और लगातार हमले हुए, जैसे समय बीत गया और युद्ध का नतीजा अधिक स्पष्ट हो गया, काम को अधिक से अधिक और देर से 1 9 43 में तेजी से बढ़ाया गया था, सबसे बड़ी सॉस के पहले उड़ान और फिर खबर मिली कि कुछ विशेषज्ञों को एक गुप्त आधार पर जाने के लिए चुना जा रहा था जहां युद्ध जारी रखा गया था, वह कई अवसरों पर विमानों में नॉर्वे के नॉर्स के आधार पर उड़ान भरे, पुरुषों और महिलाओं को अनुरक्षण वैज्ञानिकों के उपकरणों, फाइलें, विशेष लंबी दूरी की यू नावों को सीधे ले जाया जाता है और सीधे बोर्ड पर रख दिया जाता है, हथियार बहुत आधुनिक होते थे और उन्होंने उन्हें ब्रांड्स के नए स्वचालित राइफल्स के रूप में वर्णित किया था जिसे बाद में एमपी 44 के रूप में जाना जाता था, वहां भी बड़ी मात्रा में विस्फोटक तश्तरी निरंतर उड़ गए और जैसे ही एक नया निर्माण और परीक्षण किया गया, यह उपकरणों और चालकों के साथ लोड किया गया और जब रात गिर गई तब वे उतार चले गए और वापस नहीं गए, जैसे कि यू नौकाओं की कहानियां आ रही हैं और जनता के बाहर जा रही है आपूर्ति और लोग, न केवल वैज्ञानिक कर्मियों बल्कि प्रशासन और सैन्य, सुरक्षा, रसोइए, और उनमें से महिलाओं का एक उचित दल। युद्ध के अंत के रूप में संगठन के पास आना शुरू हुआ और आपूर्ति कम हो गई थी, इसलिए उन पर बमबारी की जा रही थी और एलाइड सेनानी बमवर्षकों द्वारा रोज़ाना शुरू किया गया था, जब आखिरी तश्तरी छोड़ दिया गया था, आधार को त्याग दिया गया था, वह अंति�� विमानों में से एक में चले गए आधार को एक हेइन्केल बीला छोड़ दें, वे एक रूसी लड़ाकू विमान पर हमला करके क्षतिग्रस्त हो गए थे और अंततः ओस्लो के बाहर पहुंचे थे। नॉर्वे इस समय अराजकता में था लेकिन उन्हें एक एसएस अधिकारी के साथ एक कार में लिफ्ट मिली, उन्होंने बताया कि वह यू बोट बेस के लिए जा रहे थे और एक संभव तरीके से बाहर निकलते थे, एसएस मैन के पास कोई बेहतर विचार नहीं था और वे उत्तर गए, वे पहुंच गए आधार दो दिन बाद और दो यू-नौकाओं ने अपनी अंतिम यात्राओं के लिए ईंधन भरने और पुनर्स्थापना पाया, युद्ध के बाद घर जाने के लिए जहाज़ों का उपयोग करने के लिए बहुत से लोग नहीं चाहते थे, वास्तव में नौकाओं को ले जाने वाले कार्गो भी कम थे कर्मचारियों, वे सभी प्रकार की आपूर्ति से भरा था, दिन वे आ रहे थे, जहां अमेरिकी हमलावरों द्वारा छापे गए थे, बहुत सारी इमारतों को क्षतिग्रस्त कर दिया गया था लेकिन नौकाएं नहीं थीं। । । वे उस रात रवाना हुए वे लंबे समय तक यात्रा के बाद अंटार्कटिका बेस पर पहुंच गए, समुद्र और बर्फ की टोपी में, लेकिन कुछ हफ़्ते बाद वह तट पर वापस लौट गया ताकि वह यूबेट पर कुछ आखिरी मिनट के आगमन के साथ अपनी सुरक्षा कार्य जारी रख सके, तब वह निर्देशों के साथ चला गया अटलांटिक में एक और नाव को पूरा करने के लिए, हालाँकि वह गलत हो गया था और उसके पोत को क्षतिग्रस्त कर दिया गया था और उसे गश्ती दल द्वारा डूब गया था, उसे बचा लिया गया था और उसे पावर बनाया गया था, उनके कैदों को नहीं पता था कि वह कौन था जैसा कि उन्होंने अपने कागजात से छुटकारा दिलाया था नौसैनिक ठंड मौसम गियर पहन रहा था वह पीओ के रूप में आयोजित किया गया था। अमेरिका में, और उनकी रिहाई के बाद जर्मनी में वापस आ गया, जब उन्होंने देखा कि जिस तरह से कामकाज के तहत वहां जा रहे थे, उन्होंने खुद को कुछ नए कागजात, पोलिश और शरणार्थी के रूप में ब्रिटेन पहुंचने में कामयाब रहे, वह बसे, विवाहित, उनकी पत्नी 1 9 50 के दशक के आखिर में मृत्यु हो गई और वह कैंसर के लिए उपचार कर रहे थे, रेडियम उपचार की कोशिश की गई लेकिन धीरे-धीरे चीजें खराब हो गईं और अंत में उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उनका मृत्यु हो गया। पत्र का अंत जो कुछ भी इस मरते हुए आदमी की कहानी की गुण हैं, एक बात हम बहुत निश्चित हो सकती है और वह फूहरर के आदेश पर एक भयानक हथियार का है और हिटलर युद्ध के अंत की ओर जब उसने स्पष्ट रूप से परमाणु बम के संदर्भ में कहा था "मई आकाश मुझे माफ़ कर देता है, अगर मेरे पास अभी भी उस अंतिम भयानक हथियार तक ��हुंच जाना चाहिए! आज हम ��हले से ही आधा ग्रह को उड़ाने में सक्षम हैं "। एक और आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि काफी निश्चित रूप से साबित हो रहा है कि WW 11 8 मई, 1 9 45 को समाप्त नहीं हुआ, "फ़्रांस सॉर" में निम्नलिखित खाते हैं, एक गंभीर पेपर (एक स्कैंडल शीट नहीं): "लगभग एल / /; साल बादमशीनरी और यूरोप में शत्रुता की समाप्ति, लिस्लैंडिक व्हालर, "जुलियाना" को एक बड़ी जर्मन यू नाव से रोका गया था। जुलियाना माल्विनास द्वीपसमूह के आसपास अंटार्कटिक क्षेत्र में था, जब एक जर्मन पनडुब्बी ने जर्मन आधिकारिक नौसेना को उतार दिया और उठाया, धार। पनडुब्बी कमांडर ने एक बोर्डिंग पार्टी को भेजा, जिसने रबर डिंगा में जुलिआना से संपर्क किया, और अपने नए खाद्य स्टॉक के कैप्टन हेक्ला हिस्से के लिए मांग करने वाले व्हेलर पर चढ़ा। यह अनुरोध एक आदेश के निश्चित स्वर में किया गया था जिसके लिए प्रतिरोध मूर्खता का होता। जर्मन अधिकारी ने एक सही अंग्रेजी बोलकर अमेरिका में अपने प्रावधानों के लिए भु���तान किया। डॉलर, कप्तान को जूलियाना क्रू के प्रत्येक सदस्य के लिए $ 10 का एक बोनस दें। हालांकि, खाद्य पदार्थों को पनडुब्बी में स्थानांतरित किया जा रहा था, पनडुब्बी कमांडर ने कैप्टन हेक्ला को एक बड़े स्कूल व्हेल के सटीक स्थान के बारे में बताया। बाद में जुलियाना को व्हेल का स्कूल पाया गया जहां नामित किया गया था। यह "फ़्रांस सोयर" से सीधे उद्धरण है इसके अलावा फ्रांस के स्वयंसेवा एजेंस फ्रांस प्रेस द्वारा 25 सितंबर 1 9 46 को इस वायरल बुलेटिन का एक तार सेवा बुलेटिन होना चाहिए, जो उपरोक्त स्पष्टीकरण को आगे बढ़ाता है: "टीएरा डेल फूएगो (जर्मन में जर्मन यू नाव गतिविधि के बारे में लगातार अफवाहें ), लैटिन अमेरिका और अंटार्कटिका के महाद्वीप के दक्षिण-पूर्व टिप के बीच सच्ची घटनाओं पर आधारित हैं "। इन सभी विवरणों को उचित अनुक्रम और परिप्रेक्ष्य में डालना एक स्पष्ट तस्वीर उभरती है। तीसरे रैच के चयनित खंड जर्मनी के पतन से बच गए और स्पष्ट रूप से सहयोगी दलों को आत्मसमर्पण नहीं किया क्योंकि वे जर्मन लोगों की ओर से डोनिट्स द्वारा हस्ताक्षरित "बिना शर्त समर्पण" के तहत किए गए थे। बल्कि बड़े रहस्य नाजी आधारों पर होना चाहिए जहां यूएफओ और अन्य गुप्त हथियारों पर काम जारी है। जांच से पता चलता है कि दुनिया भर में नाजी मोर्चा के लोगों द्वारा बड़े पैमाने पर पैसा लगाया गया था, लेकिन विशेष रूप से दक्षिण अमेरिका में। 1 9 जू��, 1 9 47 को चिली में सैंटियागो में अखबार "ज़िग ज़ग" में एक अधूरा, लेकिन फिर भी आश्चर्यजनक सांख्यिकीय संकलन दिखाई दिया। इस संकलन के अनुसार, स्पेन को 300 मिलियन अमरीकी डालर, स्वीडन में 250 मिलियन, स्विट्जरलैंड के 00 मिलियन और पुर्तगाल 50 मिलियन और यह केवल 25 डिग्री का प्रतिनिधित्व करता है।) ऐसे निवेशों में से यह करीब 3 अरब डॉलर के रिमोट जंगल के बड़े इलाकों में निवेश किया जाता है और अचल संपत्ति, कारखानों, परिवहन, एयरलाइंस, शिपिंग (!!!) कंपनियां, खाद्य प्रसंस्करण और कृषि के क्षेत्र में निवेश किया जाता है। जर्मन युद्ध के खिलाफ युद्ध के बाद यहूदी युद्ध और युद्ध की रणनीतियों के संबंध में माइकल बार सोहर द्वारा लिखी हुई "द एवेंजर्स" नामक पुस्तक में, हम जर्मन धन के विदेशी क्षेत्रों में हस्तांतरण के बारे में विस्तृत जानकारी पाते हैं। कुछ अंश यहाँ पुन: उत्पन्न होते हैं। जर्मन अधिकारियों और उद्योगपतियों की एक सबसे असामान्य सम्मेलन अगस्त IO, I944 पर स्ट्रासबर्ग में Maison Rouge होटल में आयोजित किया गया था। इस "रेड हाउस" सम्मेलन की कार्यवाही शॉर्टहैंड रिपोर्ट से जानी जाती है, जो युद्ध के अंत में अमेरिकी ओ.ए.एस.एस. के हाथों में आती है। लेफ्टिनेंट रेवक्रज़ ने इसे साइमन विसेंथल को दिखाया, जिन्होंने फोटस्टेट ले लिया और कुछ साल बाद इसे प्रकाशित किया। इस सम्मेलन में उपस्थित लोगों में से ही मुक्ति संगठनों और विदेश मंत्रालय के प्रतिनिधियों, बड़े औद्योगिक सम्मेलनों के प्रतिनिधियों-कृपप्स मेसर्सच्चिट, रोहलिंग, गोयरिंग वेर्के, हेंनेंन्सफोर्डके और कई वरिष्ठ सिविल सेवर्स। बैठक का उद्देश्य तीसरी रैच के राजकोष की सुरक्षा के उपायों पर निर्णय करना था। वे दो पर पहुंच गए हथियार, यह सब था । मुख्य निर्णयों में कुछ धन राइश के क्षेत्र में छिपाए जाएंगे; और जर्मन राजधानी को विदेश भेजा जाएगा सम्मेलन ने आग्रह किया कि हार की स्थिति में नाजी पार्टी भूमिगत होनी चाहिए, और सुरक्षित रूप से छिपे हुए खजाने की सहायता से सत्ता में लौटने के लिए तैयार रहना चाहिए। ये निर्णय निम्नलिखित महीनों में प्रभावी होने लगे। लेक टॉटलित्ज़ के पास एक "प्रायोगिक स्टेशन" स्थापित किया गया था और झुंड में नकली पाउंड नोटों और दस्तावेजों के साथ पैक किए गए कई कंटेनरों को झ��ल में डूबे हुए थे, और कुछ अन्य कंटेनर पहाड़ियों में पुरानी खानों में छिपा हुआ था। उनमें से अधिकांश को फिर से हटा दिया गया जब मित्र देशों की सेना इस क्षेत्र में आ रही थी। हालांकि "लाल हाउस" सम्मेलन की रिपोर्ट तक उनके हाथों में गिर जाने तक सहयोगी दलों को इन छुपाने वाले स्थानों का पूरा ज्ञान नहीं था, हालांकि नाजियों की युद्ध योजनाओं की कुछ जानकारी 1 9 45 की शुरुआत में संबद्ध गुप्त सेवाओं तक पहुंच गई थी। इस विषय पर एक विस्तृत रिपोर्ट वॉशिंगटन में राज्य विभाग को सौंपी गई थी: "नाजी शासन ने युद्ध के बाद अपने सिद्धांत और वर्चस्व को बनाए रखने के लिए बहुत ही सटीक योजना बनायी है। इनमें से कुछ योजनाओं को पहले से ही लागू किया जा रहा है। "नाजी पार्टी के सदस्य जर्मन उद्योगपतियों और सेना के नेताओं, यह जानकर कि विजय की कोई उम्मीद नहीं है, वर्तमान में युद्धकाल की अवधि के लिए वाणिज्यिक योजनाएं तैयार कर रही हैं, जो कि पूर्ववर्ती कार्टेलों को फिर से स्थापित करने की आशा में विदेशों में औद्योगिक हलकों के साथ कनेक्शनों को नवीनीकृत करने का प्रयास करता है। युद्ध के बाद। इरादा 'सामने वाले लोगों' के लिए है ताकि युद्ध के फैलने पर मित्र राष्ट्रों द्वारा जर्मन औद्योगिक चिंताओं और अन्य जर्मन संपत्तियों के 'अवैध' जब्ती के खिलाफ विभिन्न देशों की अदालतों से अपील की जा सके। घटना में यह विधि सफल नहीं होती है, जर्मन संपत्ति की वसूली अपेक्षित नागरिकता रखने वाले आंकड़ों के माध्यम से की जाएगी। तत्काल युद्ध काल के दौरान तकनीकी प्रगति के नियंत्रण और विकास में हिस्सेदारी रखने की जर्मन प्रयासों को पिछले दो सालों के दौरान कुछ विदेशी देशों में पंजीकृत जर्मन पेटेंटों में असाधारण वृद्धि से परिलक्षित होता है। ये पंजीकरण एल 944 में अपने चरम पर पहुंच गए .... "जर्मनी की राजधानी और अल्ट्रामोडर्न तकनीकी स्कूलों और अनुसंधान प्रयोगशालाओं के निर्माण के लिए योजनाएं बहुत ही लाभप्रद टीसीटीएनएस पर उपलब्ध कराई जा रही हैं, इस तथ्य के मद्देनजर कि जर्मन इस तरह के नए हथियार बनाने और सही करने में सक्षम होंगे। "जर्मन जनगणना कार्यक्रम THC युद्ध के बाद की अवधि के लिए इस सामान्य योजना का एक अभिन्न अंग है इस प्रचार कार्यक्रम का तत्काल उद्देश्य बहस पर मित्र राष्ट्रों के नियंत्रण में छूट लाने के लिए होगा ताकि जर्मनों को 'सम्मानपूर्वक' माना जाए। बाद में, इस कार्यक्रम को नाजी सिद्धांत को पुनर्जीवित करने और जर्मन महत्वाकांक्षाओं को आगे बढ़ाने के लिए विस्तारित किया जाएगा विश्व प्रभुत्व की जब तक इन योजनाओं का विरोध नहीं किया जाता, वे युद्ध के बाद की दुनिया की शांति और सुरक्षा के लिए लगातार खतरा बन��े हैं। " अमेरिकी विशेषज्ञों ने युद्ध के अंत तक इस विषय के बारे में अपना ज्ञान बढ़ाया था। उनके पास जल्द ही जर्मनी की राजधानी के साथ स्थापित या खरीदी गई तटस्थ देशों में प्रमुख कार्यालयों के साथ 750 कंपनियों की एक सूची थी। स्विटजरलैंड की सूची 274 कंपनियों के साथ है; तो पुर्तगाल के साथ 258, स्पेन के साथ 112, अर्जेंटीना में 98 और तुर्की के साथ 35. अर्जेंटीना के अलावा अन्य दक्षिण अमेरिका में कई फर्म भी अधिग्रहित किए गए थे। स्विस और लिकटेंस्टीन बैंकों के विशेष खातों को आधिकारिक तौर पर अपने औद्योगिक विकास के लिए आधिकारिक तौर पर अर्जेंटीना गोयमेमेंट के निपटान में रखा गया था। अर्जेंटीना के नेताओं के लिए कुछ खातों को व्यक्तिगत रूप से उपलब्ध कराया गया था जैसे-जैसे सैन्य हार और अंतिम नक्षत्र अधिक निश्चित हो गए थे, नाजी प्रमुखों ने भविष्य के लिए उनकी तैयारी को आगे बढ़ाया, जिसमें भविष्य का हिस्सा था, जिसमें उनका हिस्सा होना था। उन्होंने तटस्थ देशों में बैंकों के साथ बड़ी रकम जमा की थी और लिकटेंस्टीन में जाहिरा तौर पर सम्मानित व्यक्तियों के पोर्टफोलियो में उतना ज्यादा नमकीन था। पुर्तगाल, और पाटगेनिआ, और ऑस्ट्रिया में पुराने नमक खानों की गहराई और अल्पाइन झीलों के अंधेरे पानी के नीचे बहुत अधिक धन छिपा दिया था। ये छिपे हुए खज़ाना वास्तव में एक दिन नाज़ीवाद के पुनरुद्धार की अनुमति दे सकते हैं- जब तक वहां नाजियां अभी भी इस पर आकर्षित करने में सक्षम थीं।इस तथ्य को जोड़ा जाना चाहिए कि 1 9 33 में नव निर्वाचित नेशनल सोशलिस्ट सरकार के उच्च प्राथमिकता कार्य पूरे आबादी के लिए पर्याप्त खाद्य आपूर्ति हासिल करना था। कृत्रिम भोजन की खेती के क्षेत्र में व्यापक अनुसंधान को तुरंत शुरू किया गया, जिसमें विशाल ग्रीनहाउस में, "रासायनिक मिट्टी" पर और कृत्रिम प्रकाश के तहत पैदा होने वाली सभी चीज़ों के साथ। जाहिरा तौर पर मक्खन कोयले से बनाया गया था और सूखी दूध एक और जर्मन खोज था गेहूं के आटे को अनिश्चितकालीन रूप से संरक्षित करने के लिए एक विधि भी खोजी गई थी सभी तरह के खाद्य पदार्थों को फ्रीज में सुखाने में भी बड़ी प्रगति हुई थी और हेल्मस्टेड के क्षेत्र में स्थित विशेषकर प्रयोगात्मक पौधों में किया गया था। हिटलर उन परियोजनाओं में बहुत दिलचस्पी रखते थे जो उन्हें अक्सर दौरा करते थे एक बहुत ही कम समय में, जर्मनी कम या ज्यादा आत्मनिर्भर था और सदियों में पहली बार। 1 9 45 में सहयोगी दलों ने अपनी सामग्रियों के सभी विशाल गोदामों को जला दिया या लूटने तक किसी भी जर्मन को कभी भी भूख और भूख नहीं लगी। किसी भी जर्मन ने उस भयावह समय के दौरान जीना होगा, ज��� आपको बताएगा कि जर्मनी की मानवतावादी मुक्तिदाता अपनी जीत के बाद खाना राशन के रूप में बाहर निकल रहे हैं। फ्रेंच क्षेत्र में कब्जे में यह आधिकारिक तौर पर 850 कैलोरी था, अमेरिकी क्षेत्र में थोड़ी अधिक, जबकि हिटलर के एकाग्रता शिविरों के कैदियों (जिनकी हड्डी के लाश आप अभी भी टीवी पर दैनिक देख रहे हैं और अखबारों में), अधिक प्राप्त हुए दैनिक कैलोरी की मात्रा में दोगुना से दोगुना परिणामी अकाल और भूख से मृत्यु, बुजुर्गों और शिशुओं में घबराहट से जर्मन आबादी द्वारा अच्छी तरह से याद किया जाता है। वे इसे "शांति अपराध" कहते हैं किसी भी गुप्त उफौ बल के लिए भोजन की आपूर्ति, (जिसे हम हिटलर के नाम से बुलाएंगे, उसने इसे दिया था) अंतिम बटालियन, पहले से ही हल हो चुका है। लेकिन इस तरह के एक एंटरप्राइज को चलाने के लिए आवश्यक पैसा कैसे? हिटलर ने पहले से ही इस अनिवार्यता के लिए महान दूरदर्शिता के साथ योजना बनाई थी। डैचौ, बुकेनवाल्ड और ऑशविट्ज़ जैसे एकाग्रता शिविरों में कैद में यूरोप के सबसे प्रसिद्ध और सबसे कुशल अफगानिस्तान थे-उनमें से कई यहूदी वे अपने विशेष शिल्प में प्रतिभाशाली थे। एक दिन, एक गुप्त आदेश "ऑपरेशन बर्नहार्ड" नामक बर्लिन कोड से आया था। सभी जालसाजी विशेषज्ञों को इकट्ठा किया गया और उन्हें जीवन और स्वतंत्रता की पेशकश की गई, यदि वे हिटलर के लिए उत्पादन में सहयोग करते थे, कुछ संबद्ध मुद्राओं की सही भड़काने की, लेकिन विशेष रूप से, ब्रिटिश पाउंड और अमेरिकी डॉलर की मिथ्या। सबसे पहले उन्होंने इनकार कर दिया था, लेकिन एक-एक करके उन्होंने सहयोग किया और समय के एक आश्चर्यजनक रूप से कम समय में, उन्होंने उत्पादित किया जो सही प्रसंगों के लिए लग रहा था। जर्मन सरकार अपने स्वयं के पम्पर्मलों से आपूर्ति करती है, जो आम तौर पर सही नकली उच्च गुणवत्ता वाले कागज के लिए बाधा है। प्लेट्स और पेपर परिपूर्ण थे, लेकिन अपने फैसले से संतुष्ट नहीं थे, एक गुप्त एजेंट तटस्थ स्विटजरलैंड को "जर्मन बनाया" पाउंड और डॉलर और साथ ही साथ सभी संप्रदायों में अन्य मुद्राओं के सूटकेस के साथ भेजा गया था। यह एजेंट स्विट्जरलैंड के सबसे बड़े बैंकों में से एक गया और मैनेजर को देखने के लिए अनुरोध किया और कहा: "मैं एक ऐसे व्यक्ति के साथ एक व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहा हूं जो मुझे नाजी एजेंट होने का संदेह है, और वह इन बिलों के साथ मुझे इस मुद्रा में भुगतान करने का इरादा रखता है। कृपया उनको जांचें और देखें कि क्या वे वास्तविक हैं "। बैंक मैनेजर ने समझाया कि वह अभी ��क ऐसा नहीं कर सका क्योंकि यह विदेशी मुद्रा में था, इसलिए नाजी एजेंट ने कुछ दिनों के भीतर लौटने की व्यवस्था करने वाले बैंक प्रबंधक के साथ बिलों को छोड़ दिया। उनकी वापसी पर, उन्हें बताया गया कि पैसा वास्तविक था, और यह बैंक विनिमय के लिए इसे स्वीकार करने में प्रसन्न होगा। एजेंट जर्मनी लौट आया और प्रिंटिंग प्रेस ने आउश्वित्ट्ज़ और बुचेनवाल्ड में रोलिंग शुरू कर दिया। अनकही लाखों छापे गए थे, इतने कि युद्ध के बाद ब्रिटेन ने अपने पहले पाउंड नोट को परिसंचरण से वापस ले लिया, जो पहले ब्रिटिश इतिहास में था इस कहानी का एक दिलचस्प क्रम है अफवाहें युद्ध के अंत के बाद बर्नहार्ड के संचालन के बारे में बनीं और एक ऐसी अफवाह की जांच की गई। ऑस्ट्रिया सरकार के frogmen के एक समूह ऑस्ट्रिया में झील Toplitz खोज के लिए सप्ताह के लिए आखिरकार उन्हें जर्मन विमान का मलबा मिला, मृत पायलट का कंकाल अभी भी अपनी सीट पर लटकी हुई थी। पकड़ में बड़ी धातु की चड्डी थी, जो जब खुशियां लगाई थी, 300,000 ब्रिटिश पाँच पाउंड नोटों से साफ बंडलों में, पूरी तरह से ठीक नहीं किया गया था और उनके साथ, कुछ मुद्रण प्लेटें पैसा ऑस्ट्रिया के अधिकारियों द्वारा जब्त कर लिया गया था, हालांकि यह उस समय बेकार था, युद्ध के बाद ब्रिटिश द्वारा प्रचलन से पाँच पौंड नोट वापस ले लिया गया था। अब याद है कि यू बोट कप्तान ने अपने भोजन के लिए अमरीकी डॉलर में भुगतान किया था और जाहिर तौर पर धन की कोई कमी नहीं थी क्योंकि व्हेलर के प्रत्येक चालक दल को $ 10 बोनस दिया गया था। यह आम तौर पर ज्ञात नहीं है कि युद्ध के अंत से पहले बर्लिन में बैंक वाल्टों से पूरे रिच्सबैंक खज़ाना (सभी जमीनी के भंडार) गायब हो गए थे। गिनीज "वर्ल्ड रिकॉर्ड्स" किताब "सबसे बड़ी अनसुलझे डकैती" के तहत इस कहानी को सूचीबद्ध करता है! भुगतान संकट के यू.एस. संतुलन के दौरान, टाइम पत्रिका ने स्विट्जरलैंड के बेसल में विश्व मुद्रा कोष के मुख्यालय में होने वाली चर्चाओं के बारे में एक लेख लिखा था। उन्होंने पाया कि 15 बिलियन डॉलर परिसंचरण में थे, जो वास्तव में मौजूद नहीं होना चाहिए। एक आश्चर्य है कि पैसे की वह राशि कहाँ से आया है?
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