#एबीपी न्यू��
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youpublic2022 · 3 years ago
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14 जुलाई को लॉन्च हो रहा है सैमसंग का ये स्मार्टफोन, जानिये पूरे फीचर्स क्या लेना चाहिए?
14 जुलाई को लॉन्च हो रहा है सैमसंग का ये स्मार्टफोन, जानिये पूरे फीचर्स क्या लेना चाहिए?
Samsung Galaxy M13 5G On Amazon:  पावरफुल बैटरी, दमदार RAM और बड़े स्टोरेज के साथ शानदार कैमरे चाहने वालों के लिये आ रहा है Samsung Galaxy M13 5G फोन. इस फोन को 14 जुलाई दोपहर 12 बजे से एमेजॉन से खरीद सकते हैं. फोन में 4G और 5G के दो वेरियेंट हैं. See Amazon Deals and Offers here Samsung Galaxy M13 4G के फीचर्स इस फोन में ट्रिपल रियर कैमरा सेटअप दिया जाएगा जिसमें 50MP का मेन कैमरा कैमरा है. फोन…
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abhinandan890 · 3 years ago
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14 जुलाई को लॉन्च हो रहा है सैमसंग का ये स्मार्टफोन, जानिये पूरे फीचर्स क्या लेना चाहिए?
14 जुलाई को लॉन्च हो रहा है सैमसंग का ये स्मार्टफोन, जानिये पूरे फीचर्स क्या लेना चाहिए?
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ddcenter18 · 3 years ago
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14 जुलाई को लॉन्च हो रहा है सैमसंग का ये स्मार्टफोन, जानिये पूरे फीचर्स क्या लेना चाहिए?
14 जुलाई को लॉन्च हो रहा है सैमसंग का ये स्मार्टफोन, जानिये पूरे फीचर्स क्या लेना चाहिए?
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mrdevsu · 3 years ago
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Weekly Horoscope 13-19 September 2021: वृष, कन्या और मकर राशि न करें ये काम, जानें राशिफल
Weekly Horoscope 13-19 September 2021: वृष, कन्या और मकर राशि न करें ये काम, जानें राशिफल
साप्ताहिक राशिफल: 13 वर्ष 2021 को भाद्रपद मास के शुक्ल ग्रह की सप्तमी तारीख से नया प्रारंभ हो सकता है, दिनांक, दिनांक, तिथि, अंक, और द��नांक के आने के कारण, दिनांक राशिफल- दिनांक मीन राशिफल (मेष राशिफल)- वीक जैसी स्थिति अच्छी तरह से, पोस्ट है कि गलत तरीके से हरकतें और बार कर रहे हैं. निजी क्षेत्र से खतरनाक लोगों के लिए निजी क्षेत्र के उपक्रम खुलेंगे। आमदनी के हिसाब से आमदनी में वृद्धि होगी. को…
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sandhyabakshi · 5 years ago
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अगले 1 साल में ओलंपिक खेलों के लिए नए प्रायोजक प्राप्त करना संभव नहीं होगा: IOA के अध्यक्ष नरिंदर बत्रा
अगले 1 साल में ओलंपिक खेलों के लिए नए प्रायोजक प्राप्त करना संभव नहीं होगा: IOA के अध्यक्ष नरिंदर बत्रा
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बत्रा ने इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) की वेबिनार ‘स्पोर्टिंग इवेंट्स: द न्यू नॉर्मल को गले लगाना’ पर कहा, “ईमानदारी से कहूं तो मुझे इस बात पर संदेह है कि क्या मुझे निजी व्यावसायिक घरानों से पैसे मिलेंगे?”
द्वारा : एबीपी न्यूज ब्यूरो | 04 जून 2020 07:12 AM (IST)
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नई दिल्ली: भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष नरिंदर बत्रा ने…
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localkhabarlive-blog · 6 years ago
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जब सत्ता लोकतंत्र हड़पने पर आमादा हो तब सुप्रीम को���्ट को ही पहल करनी पडेगी पत्रकार का सवाल. राष्ट्रपति ट्रंप का गुस्सा. पत्रकार को व्हाइट हाउस में घुसने पर प्रतिबंध. मीडिया संस्थान सीएनएन का राष्ट्रपति के फैसले के खिलाफ अदालत जाना. देश भर में मीडिया की आजादी का सवाल उठना. अदालत का पत्रकार के हक में फैसला देना. ये दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र की परिपक्वता है. पत्रकार का प्रधानमंत्री के दावे को ग्राउंड रिपोर्ट के जरीये गलत बताना. सरकार का गुस्से में आना. मीडिया संस्थान के उपर दबाव बनाना. पत्रकार के कार्यक्रम के वक्त न्यूज चैनल के सैटेलाइट लिंक को डिस्टर्ब करना. फिर तमाम विज्ञापन दाताओ से विज्ञापन लेने का दवाब बनवाना. अंतत: पत्रकार का मीडिया संस्थान को छोडना. और सरकार का ठहाके लगाना. ये दुनिया के सबसे बडे लोकतंत्रिक देश में लोकतंत्र का कच्चापन है. तो क्या भारत में वाकई लोकतंत्र की परिपक्पवता को वोट के अधिकार तले दफ्न कर दिया गया है. यानी वोट की बराबरी. वोट के जरीये सत्ता परिवर्तन के हक की बात. हर पांच बरस में जनता के हक की बात. सिर्फ यही लोकतंत्र है. ये सवाल अमेरि��ी घटना कही ज्यादा प्रासगिक है क्योकि मीडिया की भूमिका ही नहीं बल्कि चुनी हुई सत्ता के दायरे को भी निर्धारित करने की जरुरत अब आन पडी है. और अमेरिकी घटना के बाद अगर मुझे निजी तौर पर महसूस हो रहा है कि क्या वाकई सत्ता को सीख देने के लिये मीडिया संस्थान को अदालत का दरवाजा खटखटाना नहीं चाहिये था. पत्रकार अगर तथ्यो के साथ रिपोर्टतार्ज तैयार कर प्रधानमंत्री के झूठे दावो की पोल खोलता है तो क्या वह अपने प्रोफेशन से ईमानदारी नहीं कर रहा है. दरअसल जिस तरह अमेरिका में सीएनएन ने राष्ट्रपति के मनमर्जी भरे फैसले से मीडिया की स्वतंत्रता के हनन समझा और अदालत का दरवाजा खटखटाया , उसके बाद ये सवाल भारत में क्यो नहीं उठा कि सरकार के खिलाफ जिसकी अगुवाई पीएम कर रहे है उनके खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखाटाया जाना चाहिये. ये किसी को भी लग सकता है कि अमेरिकी राष्ट्रपति तो सीधे सवाल करते हुये सीएनएन पत्रकार दिखायी दे रहा है. सब सुन रहे है. ऐसा भारत मे तो दिखायी नहीं देता. फिर किसे कैसे कटघरे में खडा किया जाता है. तो जरा सिलसिलेवार तरीके से हालातो को समझे. जिसमें देश के हालात में कही प्रधानमंत्री नजर नहीं आते लेकिन हर कार्य की सफलता-असफलता को लेकर जिक्र प्रधानमंत्री का ही क्यो होता है. मसलन हरियाणा में योगेन्द्र यादव की बहन के हास्पिटल पर छापा पडता है तो योगेन्द्र यादव इसके पीछे मोदी सत्ता के इशारे को ही निसाने पर लेते है. उससे काफी पहले एनडीटीवी और उसके मुखिया प्रणव राय को निशाने पर लेते हुये सीबीआई - इनकमटैक्स अधिकारी पहुंचते है तो प्रणव राय बकायदा प्रेस क्लब में अपने हक की अवाज बुलंद करते है और तमाम पत्रकार-बुद्दिजीवी साथ खडे होते है. निशाने पर और कोई नहीं मोदी सत्ता ही आती है. फिर हाल में मीडिया हाउस क्विंट के दफ्तर और उसके मुखिया के घर इनकम टैक्स का छापा पडता है. तो क्विट के निशाने पर भी मोदी सत्ता आती है. और इस तरह दर्जनो मामले मीडिया को ही लेकर कई पायदानो में उभरे. निशाने पर मोदी सत्ता को ही लिया गया. और सबसे बडी बात तो ये है कि जो भी छापे पडे उसमें कहीं से भी कुछ ऐसा दस्तावेज सामने आया नहीं जिससे कहा जा सके कि छापा मारना सही था. यानी किसी को भी सामाजिक तौर पर बदनाम करने के लिये अगर सत्ता ही संवैाधानिक संस्थानो का उपयोग करने लगे तो ये सवाल उठना जायज है कि आखिर अमेरिकी तर्ज पर कैसे मान लिया जाये कि भारत में लोकतंत्र जिन्दा है. क्योकि अमेरिका में संस्थान ये नहीं देखते कि सत्ता में कौन है. बल्कि हर संस्थान का काम है संविधान के दायरे में कानून के राज को ही सबसे अहम माने. तो क्या भारत में संविधान ने काम करना बंद कर दिया है. क्योकि सबसे हाल की घटना को ही परख लें तो कर्नाटक संगीत से जुडे टीएम कृष्णा का कार्यक्रम जिस तरह एयरपोर्ट अर्थरेटी और स्पीक-मैके ने रद्द किया और तो निशाने पर मोदी सत्ता ही आ गई. और ध्यान दें तो कर्नाटक संगीत को लेकर बहस से ज्यादा चर्चा मोदी सत्ता को लेकर होने लगी. चाहे इतिहास कार रामचद्र गुहा हो या फिर नृत्यगना व राज्यसभा सदस्य सोनल मानसिंह या फिर पत्रकार- कालमनिस्ट तवलीन सिंह , ध्यान दे तो बहस इसी दिसा में गई कि आखिर संगीत कैसे भारत-विरोधी हो सकता है या मोदी विरोध को कैसे भारत विरोध से जोडा जा रहा है या मोदी सत्ता को निशाने पर लेकर लोकप्रिय होने का अंदाज संगीतज्ञो में भी तो नहीं समा गया. यानी चाहे अनचाहे देश के बहस के केन्द्र में मोदी सत्ता और लोकतंत्र दोनो है. और इसी के इर्द-गिर्द चुनावी जीत या वोटरो के हक को लेकर लोकतंत्र का ताना-बाना भी और कोई नहीं राजनीतिक सत्ता ही गढ रही है. तो ऐसे में रास्ता क्या होगा या क्या हो सकता है , ये सवाल हर किसी के जहन में होगा ही. यानी सिर्फ चुनाव का मतलब ही लोकतंत्र का होना है. चाहे इस दौर में सीबीआई की साख इतनी मटियामेट हो गई कि सुप्रीम कोर्ट में ही झगडा नहीं गया बल्कि जांच करने वाली देश के सबसे बडी एंजेजी सीवीसी यानी सेन्द्रल विजिलेंस कमीशन तकस अंगुली उटने लगे. और संघीय ढांचे पर खतरा अब ये सोच कर मंडराने लगे कि आज आध्रप्रदेश और बंगाल ने सीबीआई की जांच से नाता तोड उनके अधिकारियो पर राज्य में घुसने पर प्रतिबंध लगा दिया. तो कल कई दूसरी केन्द्रीय एंजेसियो या संस्थानो पर दूसरे राज्य सरकार रोक लगायेगें. यानी सत्ता के जरिये केन्द्र-राज्य में लकीर इतनी मोटी हो जायेगी कि चुनावी हुई सत्ता की मुठ्ठी संविधान से बडी होगी. और ये बहस इसलिये हो रही है कि चुनी हुई सत्ता की ताकत संविधान से कैसे बडी होती है ये हर किसी के सामने खुले तौर पर है. तो ऐसे में पहल कौन करेगा. नजरे संविधान की व्याख्या करने वाले सुप्रीम कोर्ट पर ही जायेगी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट को लेकर फिर ये सवाल उठेगा कि जनवरी में ही तो चार जस्टिस पहली बार चीफ जस्टिस के खिलाफ ये कहते हुये प्रेस कान्फ्रेस कर रहे थे कि " लोकतंत्र पर खतरा है." और न्यूज चैनलो के कैमरे ने इ वक्तव्य को कहते हुये कैद किया. और अब के चीफ जस्टिस रंजन गगोई ने ही जनवरी में लोकतंत्र के खतरे का जिक्र किया था. तो क्या ऐसे में अब चीफ जस्टिस रंजन गगोई को खुद ही कोई ऐसी पहल नहीं करनी चाहिये जिससे लोकतंत्र सिर्फ चुनावी वोट में सिमटता दिखायी ना दें. बल्कि देश के हर संवैधानिक संस्थान की ताकत हक किसी को समझ में आये. जनता से लेकर प्रोफेनल्स भी इस एहसास से काम करें कि देश में लोकतंत्र तो काम करेगा. जाहिर है ये होगा कैसे और जिस तरह मीडिया की भूमिका ही अलोकतांत्रिक हा��ात को सही ठहराने या खामोश रहकर सिर्फ सत्ता प्रचार में जा सिमटी है उसमें सत्ता का दवाब या सत्ता को संविधान की सीख देने वाला कोई है नहीं इसलिये है , इससे इंकार किया नहीं जा सकता. तो सुप्रीम कोर्ट यानी चीफ जस्टिस भी क्या करें ? ये सवाल कोई भी कर सकता है कि कोई शिकायत करें तो ही सुनवाई होगी. पर अगला सवाल ये भी हो सकता है कि कोई शिकायत करने के हालात में कैसे होगा जब संस्थानो तक पर दबाव हो. चूकिं लोकतंत्र का दायरा मोदी सत्ता से टकरा रहा है तो फिर ऐसे में टेस्ट केस एबीपी न्यूज चैनल को ही बनाया जा सकता है. क्योकि अन्य घटनाओ में अपरोक्ष तौर पर मोदी सत्ता दिखायी देती है. लेकिन एबीपी न्यूज चैनल के कार्यक्रम " मास्टरस्ट्रोक" में प्रधानमंत्री के दावे की पोल खोली गई. जिससे नाराज होकर मोदी सरकार के तीन कैबिनेट मंत्रियो ने ट्विट किया. उसके बाद जब जमीनी स्तर पर और ज्यादा गहराई से तथ्यो को समेटा गया और दिखाया गया तो मोदी सत्ता खामोश हो गई. यानी नियमानुसार तो तीन कैबिनेट मंत्रियो की ���पत्ति को भी कोई चैनल अगर अनदेखा कर सच दिखाने पर आमादा हो जाये तो कैसी रिपोर्ट आ सकती है ये 9 जुलाई को बकायदा सच नाम से मास्टरस्ट्रोक कार्यक्म में हर किसी ने देखा. लेकिन इसके बाद सत्ता की तरफ से खामोशी के बीच धटके में जिस तरह सिर्फ एक धंटे तक सैटेलाइट लिंग को डिस्टरब किया गया. जिससे कोई भी मास्टरस्ट्रोक कार्यक्रम ना देखे. और सैटेलाइट डिसटर्ब करने की जानकारी भी चैनल खुले तौर पर अपने दर्शको को बताने की हिम्मत ना दिखाये. और विज्ञापन देने वालो के उपर दवाब बनाकर जिस तरह विज्ञापन भी रुकवा दिया गया. उसकी मिनट-टू-मिनट जानकारी तो एबीपी न्यू चैलक के भी पास है. और इसका पटाक्षेप जिस तरह न्यूज चैनल के संपादक को हटाने से किया गया और उसके 24 घंटे के बातर मास्टरस्ट्रोक कार्यक्रम देखने वाले एंकर हो भी हटाया गया. और उसके बाद कैसे सबकुछ ना सिर्फ ठीक हो गया यानी सैटेलाइट लिंक बंद होना बंद हो गया. विज्ञापन लोट आये. और चैनल की माली हालत में भी काफी सुधार हो गया. तो क्या सुप्रीम कोर्ट या फिर चीफ जस्टिस रंजन गगोई साढे तीन महीने पुराने इस मामले को टेस्ट केस बना कर मीडिया की स्वतंत्रता पर सत्ता से सवाल नहीं कर सकते है. क्योकि पहली बार सारे तथ्य मौजूद है. पहली बार केस ऐसा है कि अमेरिकी सत्ता से कही ज्यादा तानाशाही भरा रुख या मीडिया की स्वतंत्रता हनन का मामला भारत में ज्यादा मजबूत है. ये अलग बात है कि एडिटर्स गिल्ड हो या प्रेस काउसिंल या भी न्यूज चैनलो की संस्था नेशनल ब्राडकास्टिग एसोसियशन , किसी ने भी कोई पहल तो दूर खामोशी ही इस तरह ओढी कि सिलसिला देश में अलग अलग तरीके से लगातार जारी है. क्योकि सभी लोकतंत्र के इस माडल को ही 2019 तक यानी वोट डालने के वक्त आने तक सही मान रहे है. या गलत मानते हुये भी खामोशी बरते हुये है. तो आखरी सवाल यही है कि जब चुनाव में ही लोकतंत्र सिमटाया जा रहा है और ��ोकतंत्र का हर खम्भा सत्ता को बनाये रखने में ही अपनी मौजूदगी दर्ज करने के लिये बेबस है तो फिर इसकी क्या गांरटी है कि 2019 के बाद लोकतंत्र संस्थानो के जरीये या फिर संविधान के जरीये जमीन पर नजर आने लगेगा. क्योकि 1975 के आपातकाल के बाद 2018 के हालात संविधान खारिज किये बिना सत्तानुकुल हालात बनाये रखने में कितने परिपक्व हो चुके है. ये सबके सामने है. और अब ये सीख देश को मिल चुकी होगी कि वोट से सत्ता बदलती है लोकतंत्र नहीं लौटता. टीवी पत्रकार पुण्‍य प्रसून वाजपेयी के ब्‍लॉग से साभार
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latesthindinewsindia · 6 years ago
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अगस्त राउंड-अप: केरल की बाढ़ में झूठ का प्रलय
अगस्त में, केरल ने शताब्दी की सबसे भारी बारिश की घातक चोट झेली। सैकड़ों लोगों की मौत हुई, लाखों का विस्थापन और संपत्ति को भारी नुकसान हुआ। इस घटना की विशालता और त्रासदी, जैसे विडंबना की तरह सामने आई, उसी तरह, केरल से संबंधित झूठे और/या भ्रामक दावों और प्रतिवादों की बड़ी संख्या में गलत-सूचनाओं की सोशल-मीडिया-तंत्र में बाढ़ आ गई। मुख्यधारा की मीडिया में भी केरल के बाढ़ नहीं थे- केरल की बाढ़ के कवरेज में गलत रिपोर्टिंग के कई उदाहरण रहे। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की मौत भी झूठी सूचना फैलाने का अवसर बन गई।
केरल की बाढ़ से संबंधित गलत सूचनाएं
1.राहत कार्य दिखलाने के लिए आरएसएस द्वारा पुरानी तस्वीरों का उपयोग
दान की अपील के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के आधिकारिक फेसबुक पेज द्वारा तस्वीरों का एक सेट इस दावे के साथ शेयर किया गया कि तस्वीरों में केरल बाढ़ पीड़ितों की सहायता करने वाले लोग सेवा भारती कार्यकर्ता थे। शेयर किए गए तस्वीरों के सेट में से एक में पृष्ठभूमि में खड़े कई लोगों के साथ, जिसमें आरएसएस की पुरानी वर्दी जैसे दिखने वाले खाकी हाफ पैंट पहने कुछ लोग शामिल हैं, एक संवाददाता दिखता है।
यह सामने आया कि इस संवाददाता की यह तस्वीर 2012 में ली गई थी, जब राज्य में बाढ़ आई थी। इस तस्वीर में शामिल संवाददाता ने उसी वर्ष तस्वीर को शेयर किया था। आरएसएस के फेसबुक पेज को बाद में अपडेट किया गया और स्पष्ट किया गया कि तस्वीर वास्तव में 2012 की थी।
2. आरएसएस के काम दिखाने के लिए पुरानी तस्वीर शेयर करते पोस्टकार्ड न्यूज़, कोयना मित्रा
नकली समाचार वेबसाइट पोस्टकार्ड न्यूज़ और अभिनेत्री कोयना मित्रा ने एक तस्वीर शेयर की जो कथित रूप से केरल में राहत कार्यों में सक्रिय आरएसएस के कार्यकर्ताओं को दिखलाती थी। इसका उद्देश्य आरएसएस के काम की सराहना करना और साथ ही उन लोगों का उपहास उड़ाना था जो आरएसएस की प्रतिबद्धता और समर्पण ��र सवाल उठाते हैं।
Bravo Sanghis https://t.co/cfmxfT1PW1
— Koena Mitra (@koenamitra) August 13, 2018
विडंबना देखिए, पता चला कि पोस्टकार्ड न्यूज़ ने 2016 में उसी तस्वीर का, जब इसे क्लिक किया गया था, यह दावा करते हुए उपयोग किया था, कि बिहार के बाढ़ प्रभावित होने पर आरएसएस स्वयंसेवक सामाजिक सेवा में सक्रिय रूप से शामिल थे। सोशल मीडिया पर अन्य लोगों ने दावा किया कि यह तस्वीर पश्चिम बंगाल की है। हालांकि आल्ट न्यूज़ ने कोई निष्कर्ष नहीं निकाला कि तस्वीर कहां से थी, फिर भी यह स्पष्ट था कि यह तस्वीर केरल की हाल की बाढ़ से संबंधित नहीं थी।
पोस्टकार्ड न्यूज ने कुछ दिनों बाद फिर केरल में आरएसएस के झूठे राहत कार्यों को दिखलाने के लिए तस्वीरों का एक और सेट प्रकाशित किया। इनका भी केरल की बाढ़ से कोई लेना-देना नहीं था। ये 2016 की तस्वीरें थीं।
3. बीजेपी मंत्रियों और सांसदों के 25 करोड़ रुपये दान देने की भ्रामक जानकारी
केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन द्वारा बीजेपी मंत्रियों और सांसदों की उपस्थिति में 25 करोड़ रुपये चेक लेते हुए एक तस्वीर को सोशल मीडिया पर ��स दावे के साथ प्रसारित किया गया कि सत्तारूढ़ दल के सदस्यों और केंद्रीय मंत्रियों ने केरल सरकार को 25 करोड़ रूपये दान दिए थे। पोस्ट व्यापक रूप से शेयर किया गया था।
दावा साफ तौर पर झूठा था क्योंकि यह धन सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों द्वारा केरल को दान किया गया था, न कि बीजेपी मंत्रियों और सांसदों द्वारा। चूंकि बीजेपी के सांसदों के हाथों केरल के मुख्यमंत्री को चेक प्रदान किया गया था, इसलिए उनकी एक साथ फोटो ली गई थी। इसने सोशल मीडिया में फैली कथाओं की सहायता की कि बीजेपी सांसदों ने यह राशि बाढ़ प्रभावित राज्य को दान की थी।
4. इराकी सैन्यकर्मी की तस्वीर भारतीय सेना के रूप में शेयर की
“कोई शब्द नहीं सच्चे भारतीय इस तस्वीर को कभी अनदेखा नहीं कर सकते। यह हमारी सेना है … वे हमारे लिए कुछ भी करेंगे।” यह संदेश एक सैनिक की तस्वीर के साथ दिया है, जो झुका है ताकि उसकी पीठ पर पांव रखकर महिला ट्रक से बाहर निकल सके। इसे फेसबुक पेजों द्वारा साझा किया गया है जो नियमित रूप से राष्ट्रवाद और भारतीय सेना विषयक सामग्री का उपयोग अपने पाठकों के साथ भावनात्मक गड़बड़ी करने के लिए करते हैं। पोस्ट कार्ड फैन्स (Post Card Fans), इंडिया अगेन्स्ट पेड मीडिया (India against Paid Media), माई इंडिया (My India) और नरेंद्र मोदी – ट्रू इंडियन (Narendra Modi – True Indian) कुछ ऐसे पेज हैं जिन्होंने इस तस्वीर को पोस्ट किया था, जिसे हजारों बार शेयर किया गया था।
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एक साधारण गूगल रिवर्स सर्च ने खुलासा किया कि यह तस्वीर, जून 2016 में आईएसआईएस से फालुजा शहर के मुक्त हो जाने के बाद, एक नागरिक की मदद करते हुए, इराक़ी पीएमयू (Popular Mobilization Units) के सदस्य की है। वास्तव में यह तस्वीर नकली समाचार के अंतरराष्ट्रीय विवाद के केंद्र में रह चुकी है। दिसंबर 2016 में, संयुक्त राष्ट्र में सीरियाई दूतावास की, इसका उपयोग यह दिखाने के लिए कि कैसे सरकारी सेनाएं अलेप्पो शहर को ‘मुक्त’ कर रही थीं, व्यापक आलोचना की गई थी।
ऑल्ट न्यूज ने देखा कि आरएसएस को केरल में राहत प्रयासों में आगे पेश करने के लिए सोशल मीडिया पर सम्मिलित खेल खेला गया। यह असंबद्ध तस्वीरों के उपयोग से सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं को गुमराह करने पर केंद्रित था।
केरल की बाढ़ पर मेनस्ट्रीम मीडिया की भ्रामक खबर
1. द टेलीग्राफ की रिपोर्ट UAE राष्ट्रपति के अनाधिकारिक पेज के पोस्ट पर आधारित
बाढ़ प्रभावित केरल के लिए संयुक्त अरब अमीरात ने 700 करोड़ रुपये का प्रस्ताव किया है या नहीं, इस विवाद के बीच द टेलीग्राफ ने बताया कि संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति शेख खलीफा बिन जयद अल नह्यान ने फेसबुक पेज पर इस शीर्षक से समाचार दिया है- “केरल में राहत और पुनर्वास के लिए 700 करोड़ रुपये देने का यूएई वचन देता है“। (अनुवाद)
लेख में यह बताया गया कि “संयुक्त अरब अमीरात के परिचित सूत्रों ने कहा कि यह अकल्पनीय होगा कि राष्ट्रपति की आधिकारिक साइट झूठी अफवाह पोस्ट करे और इसे ​​जारी भी रखे। कुछ स्रोतों ने तो इस पोस्ट का वर्णन “अप्रत्यक्ष पुष्टि” के रूप में किया।
समाचार-रिपोर्ट पोस्ट करने वाले पेज शेख खलीफा बिन जयद अल नह्यान पर एक सरसरी नज़र डालने से ही पता चलता है कि यह संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति का आधिकारिक पेज नहीं है। अनुयायियों की संख्या और पृष्ठ पर सत्यापन की नीली टिक का नहीं होना इस तथ्य को इंगित करता है कि यह राज्य प्रमुख का आधिकारिक पृष्ठ नहीं हो सकता है। फिर भी, टेलीग्राफ ने इसे एक आधिकारिक खाता माना और तदनुसार रिपोर्ट किया।
2. रिपब्लिक टीवी, न्यू यॉर्क टाइम्स ने कर्नाटक में भूस्खलन के वीडियो को केरल का बताकर शेयर किया
रिपब्लिक टीवी के समाचार एंकर ने केरल की बाढ़ पर एक रिपोर्ट पेश करते हुए कहा, “केरल में जहां अभी तक बचाव अभियान चल रहा है, मेरे सहयोगी स्नेहेश त्रिवेन्द्रम से हमसे लाइव जुड़ रहे हैं”। केरल में बाढ़ से विनाश के प्रतिनिधि दृश्यों के साथ-साथ प्रभावित क्षेत्रों से भी रिपोर्टिंग हुई थी।
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3:28 से शुरू : रिपब्लिक टीवी के वीडियो ने एक पहाड़ी से नीचे गिरते दो मंजिला घर का दृश्य दिखलाया। स्क्रीन पर दिए पाठ के मुताबिक, ये दृश्य 17 अगस्त, 2018 के हैं। वही दृश्य द न्यू यॉर्क टाइम्स द्वारा पोस्ट किए गए वीडियो में इस्तेमाल किया गया था।
भूस्खलन के कारण ढलान पर दो मंजिला घर के गिरने की यह घटना कर्नाटक के कोडागु की है, केरल की नहीं। स्क्रॉल, द टाइम्स ऑफ इंडिया और एनडीटीवी समेत कई मुख्यधारा मीडिया संगठनों के अलावा द न्यूज मिनट द्वारा इसकी रिपोर्ट की गई, जिसमें वीडियो का स्थान कोडागु, कर्नाटक बताया गया।
3. दैनिक भास्कर ने हाथी के बच्चे को बचाने की पुरानी तस्वीर छापी
23 अगस्त, 2018 को दैनिक भास्कर नई दिल्ली संस्करण द्वारा प्रकाशित एक लेख में हाथी के एक बच्चे की तस्वीर इस कैप्शन के साथ थी- “सेना केरल में बाढ़ में फंसे लोग के साथ ��ानवरों की भी मदद कर रही है। जवान ने हाथी के बच्चे को रेस्क्यू किया।” कैप्शन में बताया गया कि केरल बाढ़ के दौरान सेना द्वारा हाथी के एक बच्चे को बचाया गया था।
तस्वीर दिसंबर 2017 में तमिलनाडु में कोयंबटूर के पास मेट्टुपलायम में ली गई थी। मेट्टुपलायम के पास तैनात 28 वर्षीय फारेस्ट गार्ड पलानिचमी सरथकुमार ने, 12 दिसंबर, 2017 को जब वह रात की शिफ्ट के बाद घर जा रहा था, एक कॉल प्राप्त की। 29 दिसंबर, 2017 को बीबीसी द्वारा प्रकाशित एक लेख में सरथकुमार ने कहा, “कॉलर ने मुझे बताया कि एक महिला हाथी वानभद्र कालियाम्मन मंदिर के पास सड़क को अवरुद्ध कर रही थी।” (अनुवाद)
4. टाइम्स नाउ ने पश्चिम बंगाल के घर गिरने का फुटेज केरल का बताया
टाइम्स नाऊ के मुख्य संपादक राहुल शिवशंकर ने केरल बाढ़ पर प्राइमटाइम बहस शुरू की, “दर्शक, हम विनाश की कहानी से शुरू करते हैं, तस्वीर जो आप अपनी स्क्रीन पर लगभग 30 सेकंड में देखने जा रहे हैं, वे केरल के जलप्लावित जिलों के हैं।” इस संबोधन के साथ दिखाए गए वीडियो में एक दो-मंजिला घर बाढ़ में बह गया दिखाया। यह वीडियो कुशल नगर, केरल का होने का दावा किया गया था।
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इस साल पश्चिम बंगाल का बांकुरा जिला बाढ़ से तबाह था। 7 अगस्त, 2018 को द हिंदू द्वारा प्रकाशित एक लेख में कहा गया, “सोमवार को भारी बारिश से बांकुरा जिले के कई इलाकों में बाढ़ आने के कारण दो लोगों की मौत हो गई और कम से कम 2,500 प्रभावित हुए। कई घर भी क्षतिग्रस्त हो गए।” बांकुरा में बाढ़ से दो मंजिला घर के बह जाने का दृश्य कई मीडिया संगठनों द्वारा व्यापक रूप से प्रसारित किया गया। यह वही वीडियो है जिसे टाइम्स नाउ द्वारा कुशल नगर, केरल के रूप में प्रसारित किया गया था।
अटल बिहारी वाजपेयी की मौत पर भ्रामक सूचना
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 16 अगस्त, 2018 को आखिरी साँस ली। उनकी मृत्यु पूर्व के कई घंटे सोशल मीडिया पर भ्रामक सूचनाओं और मीडिया संगठनों द्वारा गलत रिपोर्टिंग के गवाह बने।
मीडिया द्वारा गलत रिपोर्टिंग
1. मीडिया संगठनों ने पहले ही मौत की घोषणा कर दी
अंतिम 36 घंटों में अटल बिहारी वाजपेयी की स्थिति बहुत खराब रही। उन्हें जीवन रक्षक सुविधाओं पर रखा गया था। फिर भी, मुख्यधारा समाचार संगठनों ने पहले समाचार देने की होड़ में आधिकारिक घोषणा से पहले ही उन्हें मृत घोषित कर दिया।
पूर्व प्रधानमंत्री की मौत की पहले ही घोषणा करने वालों में डीडी न्यूज पहला था। टाइम्स नाउ, एबीपी न्यूज़, सुदर्शन न्यूज़, इंडिया टीवी, हफिंगटन पोस्ट और स्टेट्समैन उनमें से थे जिन्होंने दूरदर्शन को फॉलो किया और समय से पहले वाजपेयी की मौत की सूचना दी।
2. डीएनए, ज़ी न्यूज़ द्वारा प्रसारित नकली तस्वीर
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की मौत के बाद ज़ी न्यूज़ ने खबर चलाई- “दिग्गज राजनीतिज्ञ को अंतिम सम्मान देने वाले डॉक्टरों की तस्वीर ज़ी न्यूज़ द्वारा हासिल।” इसी प्रकार, डीएनए ने एक तस्वीर प्रकाशित की जिसमें अस्पताल के बिस्तर पर पड़े मृत शरीर के चारों ओर कतार में सिर झुकाए खड़े डॉक्टर दिख रहे थे। उसने तस्वीर का वर्णन किया- “पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के सम्मान में सभी डॉक्टर कतार में खड़े और सिर झुकाए खामोश देखे गए।” ज़ी न्यूज़ और डीएनए, दोनों ने इस “अटल बिहारी वाजपेयी को अंतिम सम्मान देते एम्स के डॉक्टरों की तस्वीर” को ट्वीट भी किया।
तस्वीर पर करीब से नजर डालने पर लगता है कि यह भारत की नहीं है। 2012 की इस तस्वीर में चीनी डॉक्टरों का समूह एक महिला को श्रद्धांजलि दे रहा है, जिसकी मौत के बाद उसके अंग दान कर दिए गए थे। 17 वर्षीया वू हुआजिंग जिसने मृत्योपरांत अपने अंग दान कर दिए थे, उसकी 22 नवंबर 2012 को गुआंग्डोंग में मृत्यु के बाद उसके सम्मान में चिकित्साकर्मी सिर झुकाए थे।
सोशल मीडिया पर गलत जानकारी
1. वाजपेयी की मृत्यु के बाद केजरीवाल ने जन्मदिन मनाया
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की 16 अगस्त को जिस दिन वाजपेयी की मृत्यु हो गई थी, अपना जन्मदिन मनाने के लिए सोशल मीडिया पर भारी आलोचना की गई थी। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की मौत के बाद फेसबुक पेज योगी आदित्यनाथ – ट्रू इंडियन (Yogi Adityanath – True Indian) पर एक पोस्ट पढ़ने ��ें आया, “शाम को अटल जी की मौत के ठीक बाद, केजरीवाल ने अपना जन्मदिन मनाया।” यह पाठ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की केक काटते एक तस्वीर के साथ 16 अगस्त को रात्रि 8:30 बजे पोस्ट किया गया था और 10,000 से ज्यादा लोगों द्वारा शेयर किया गया था। पृष्ठ पर केजरीवाल को उनकी ‘असंवेदनशीलता’ के लिए लक्षित करती कई टिप्पणियां हैं।
यह प्रकट हुआ कि 16 अगस्त की सुबह, अटल बिहारी वाजपेयी की मौत से पहले ही, केजरीवाल ने अपना जन्मदिन मनाया था। हालांकि, दावा किया गया कि शाम को उत्सव आयोजित किया गया था। इरादा उन्हें असंवेदनशील रूप में दिखलाना था। जिन्होंने इस झूठ को प्रसारित किया था, उन्होंने पृष्ठभूमि में दीवार घड़ी को छिपाने के लिए तस्वीर से छेड़छाड़ की थी, जिसमें पता चला था कि केक-काटने का समारोह सुबह 11 बजे आयोजित किया गया था।
2. वाजपेयी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मोदी की झूठी तस्वीर
16 अगस्त को वाजपेयी के आखिरी साँस लेने के बाद, सोशल मीडिया पर एक तस्वीर चलनी शुरू हुई, जिसमें दावा किया गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाजपेयी के पार्थिव शरीर को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं। इसे फेसबुक पर कई पेजों और व्यक्तिगत उपयोगकर्ताओं द्वारा ��ेयर किया गया।
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ऑल्ट न्यूज ने गूगल रिवर्स इमेज सर्च किया तो नरेंद्र मोदी की आधिकारिक वेबसाइट पर “माननीय मुख्यमंत्री अनुभवी लेखक भूपत वडोदारिया की मृत्यु पर शोक व्यक्त हुए” पाठ के साथ वही तस्वीर थी। इसलिए वाजपेयी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए “प्रधानमंत्री” मोदी की यह तस्वीर नहीं थी, जैसा कि सोशल मीडिया पर दावा किया गया था।
ध्रुवीकरण का हथियार बना सोशल मीडिया
सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं के ध्रुवीकरण के लगातार प्रयासों के लिए अगस्त में भी जारी रहे । इस महीने में सांप्रदायिक शांति को दूषित करने के प्रयास और भयावह रहे।
1. यूपी के मुस्लिम नेता ने उस महिला पर हमला किया जिसने उसे राखी बांधी
सोशल मीडिया पर दो चित्र प्रसारित किए गए थे। एक में, एक महिला एक आदमी को राखी बांध रही दिखती है और दूसरे में कथित तौर पर वही महिला घायल दिखती है। ट्विटर उपयोगकर्ता कोमल (@komal44337466), ने इन तस्वीरों को यह लिखते हुए ट्वीट किया था-  “यूपी के गोंडा में हिंदु महिला नीरू गौतम ने कांग्रेस नेता गफूर खान को अपना भाई माना था और राखी तक पहनाई। 27अगस्त सोमवार को गफूर खान ने निरू को कुछ काम के सिलसिले में घर बुलाया और निरू से बलात्कार करके मार पिटाई करके घर से भाग गया”। ट्वीट अब हटा दिया गया है।
यह जानकारी दुर्भावनापूर्ण और गलत थी। नवभारत टाइम्स ने पहले ही इस दावे की जांच की थी। वह तस्वीर जिसमें एक महिला राखी बांध रही है, इसकी गूगल रिवर्स इमेज सर्च दिखाती है कि यह पुरानी तस्वीर है। 7 अगस्त, 2018 को एक ट्विटर उपयोगकर्ता द्वारा पोस्ट की गई तस्वीर सबसे शुरुआती उदाहरणों में से एक थी जिसे हम पा सकते थे। वास्तव में ट्वीट ने यह कहते हुए सांप्रदायिक सद्भावना को बढ़ावा दिया, “कुछ संबंध धर्म से परे हैं और प्यार और नफरत का कोई धर्म नहीं है।”
2. झंडा फाड़ते और कहते “पक्का मुसलमान हूं” लड़के का शरारती वीडियो
भारतीय ध्वज फाड़ते और कहते, “पक्का मुसलमान हूं” एक लड़के का वीडियो सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से प्रसारित किया गया था। एक ट्विटर हैंडल, @ अनुमिश्राबीजेपी (@AnuMishraBJP) ने वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा, “भारत के राष्ट्रीय ध्वज को फाड़ते और फेंकते, यह लड़का कह रहा है कि …”मैं सच्चा मुस्लिम हूं” यह मानसिकता कहाँ पैदा हुई है?”। सुदर्शन न्यूज के प्रमुख संपादक सुरेश चव्हाणके इस वीडियो को शेयर करने वालों में से एक थे।
पक्का मुसलमान हूँ इसलिए तिरंगा फाड़ के फेंकने वाला “स्वामी अग्निवेश” संस्कार होते ही #भारत_माता_की_जय बोल कर नारे देने लगा। लातों के भूत बातों से नहीं मानते। अब कोई कहेगा कि ये तो #Lynching है पर कोई यह भी बताए कि संविधान इस को कैसे रोक सकता है? क़ानून तो इनको रोकने में विफल है ! pic.twitter.com/MvVgV3UcSL
— Suresh Chavhanke STV (@SureshChavhanke) August 21, 2018
यह घटना सूरत, गुजरात की है। द टाइम्स ऑफ इंडिया द्वारा 20 अगस्त, 2018 को प्रकाशित एक लेख में कहा गया है, “एक युवा लड़का, जो अल्पसंख्यक समुदाय से होने का दावा करता है, को वीडियो में कागज का तिरंगा फाड़ते हुए देखा जाता है। पुलिस ने अमरोली से लड़के और एक और किशोर का पता लगाया और उन्हें अपने परिवार के सदस्यों के साथ पुलिस स्टेशन में बुलाया।”
ऑल्ट न्यूज़ को दिए गए एक बयान में, अमरोली पुलिस स्टेशन (सूरत) के पुलिस इंस्पेक्टर जी.ए. पटेल ने स्पष्ट किया, “दोनों किशोर मित्र हैं और हिंदू समुदाय से संबंधित हैं। लड़कों ने बचपनापन भरे काम के लिए माफ़ी मांगी है।”
3. पश्चिम बंगाल में पाकिस्तान का आजादी दिवस मनाया जाएगा
“कृपया इस मामले को देखें। पश्चिम बंगाल में तृण मूल कांग्रेस द्वारा शर्मनाक राजनीति “जश्न-ए-आज़ादी” का अर्थ क्या है और तारीख भी 14 अगस्त का उल्लेख किया गया। क्या वे पाकिस्तानी हैं। इस मामले में कदम उठाने की जरूरत है।” नकली समाचार वेबसाइट पोस्टकार्ड न्यूज के संस्थापक महेश विक्रम हेगड़े ने यह ट्विट करके दावा किया कि टीएमसी सरकार के आशीर्वाद के साथ पश्चिम बंगाल में पाकिस्तान का स्वतंत्रता दिवस मनाया जाने वाला है।
Please look into this matter. Shame politics by T.M.C in W.B what is the meaning of "JASHN-E-AZADI" & also date mentioned 14th Aug. Are they Pakistanis. Need to step regarding this matter. pic.twitter.com/bT2OQmCJdF
— Mahesh Vikram Hegde (@mvmeet) August 10, 2018
हेगड़े या तो अनजान लग रहे थे या जानबूझकर उस तथ्य से अनजान थे कि मुशायरा और कवि सम्मेलन नियमित रूप से 14 अगस्त को आयोजित किए जाते हैं, जो स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या है। ‘जश्न-ए-आज़ादी’ जिसका अर्थ है आजादी का जश्न एक कार्यक्रम था जिसे कवि सम्मेलन के रूप में आयोजित किया गया था।
4. भागलपुर में मुसलमानों द्वारा हिंदू जुलूस पर हमला
बिहार के भागलपुर में, मुस्लिमों ने शोभा यात्रा पर पत्थर फेंके और इसमें आग लगा दी। हिंदू आप बस सोते रहें। यदि आप हिंदू के बच्चे हैं, तो इसे 1, 2, 3 में शेयर करें जो भी ग्रुप आपके पास हैं -एक फेसबुक उपयोगकर्ता, रायल संजय सिंह राजपूत (Royal Sanjay Singh Rajput) ने दो तस्वीरों और वीडियो को एक फेसबुक ग्रुप नरेन्द्र मोदी 2019 (साथ हैं तो जुड़ें) में उपरोक्त पाठ के साथ पोस्ट किया। पोस्ट को कई हज़ार बार शेयर किया गया था।
पता चला कि भागलपुर में मुस्लिमों द्वारा हिंदू जुलूस पर हमले के रूप में शेयर किए जा रहे वीडियो में से एक वास्तव में आसनसोल, पश्चिम बंगाल का था। साथ ही, इस पोस्ट में इस्तेमाल की गई एक तस्वीर घर���लू विवाद की थी और उसका सांप्रदायिक आक्रामकता से कोई लेना-देना नहीं था।
5. कांवरियों के भेष में मुस्लिमों की हिंसा
“गिरफ्तार कांवरिये, कांवरियों के भेष में मुस्लिम लड़के निकले जिन्होंने हिंसा करके हिंदुओं को बदनाम करने की कोशिश की”। सोशल मीडिया पर शेयर एक संदेश में दावा किया गया था कि मुस्लिम पुरुष कांवर यात्री बने थे और हाल ही में कांवर यात्रा के दौरान हिंसा किया था। दावे का आधार दैनिक जागरण एक लेख था जिसका शीर्षक था “कांवरियों के भेष में दो मुस्लिम युवाओं को पुलिस द्वारा पकड़ा गया”।
यदि दैनिक जागरण के लेख को शीर्षक से आगे पढ़ा जाए, तो यह कहता है कि दो मुस्लिम युवाओं ने पुलिस को बताया कि वे अपने मित्र शिवम से मिलने के लिए भगवानपुर गए थे। लौटने के दौरान, उन्होंने दो भगवा रंग के गमछे खरीदे और दूसरे तीर्थयात्र��यों जैसा लगने के लिए खुद से लपेट लिया। उन्होंने पुलिस द्वारा रोके जाने से बचने के लिए ऐसा करने का दावा किया। हालांकि, उनके मोटरसाइकिल ने एक कॉन्स्टेबल को टक्कर मारी, इसलिए उन्हें हिरासत में लिया गया। बाइक पर सवार एक व्यक्ति को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। यह घटना उत्तर प्रदेश के सहारनपुर इलाके में हुई थी।
सोशल मीडिया पर राजनीतिक प्रहार
1. खेल मंत्री ने एशियाई खेलों में खिलाड़ियों को भोजन दिया
राज्यवर्धन सिंह राठौर की एक तस्वीर इस बात के साथ सोशल मीडिया पर वायरल हुई कि खेल मंत्री जकार्ता में एशियाई खेलों के दौरान भारतीय एथलीटों को भोजन पेश कर रहे थे। तस्वीर में, राठौर को ट्रे पकड़कर खिलाड़ियों के साथ बातचीत करते देखा जा सकता है। सोशल मीडिया में राठौर का उनके कार्य के लिए अभिवादन करने वाले सत्तासीन पार्टी के समर्थकों में जबरदस्त उछाल आ गया। कई मीडिया संगठनों ने भी इसकी रिपोर्टिंग की।
ऑल्ट न्यूज़ ने उस व्यक्ति से संपर्क किया जो दृश्य में मौजूद था लेकिन नाम प्रकट नहीं करना चाहता था। उन्होंने बताया कि तस्वीर भ्रामक है क्योंकि मंत्री भोजन, स्नैक्स या चाय पेश नहीं कर रहे थे, बल्कि केवल उन खिलाड़ियों को शुभकामना दे रहे थे जिन्हें वह अपनी टेबल पर जाते हुए मिले थे। हालांकि, लोक संपर्क अभ्यास बेहद सफल रहा।
2. खालिस्तान समर्थकों ने राहुल गांधी के ब्रिटेन कार्यक्रम में भाग लिया
पक्का घिनौना!!! लंदन में इंडियन ओवरसीज कांग्रेस की बैठक में, भारत विरोधी, खालिस्तान के समर्थक इस कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं। @RahulGandhi भारत के खिलाफ बन रही इस खतरनाक, राष्ट्रविरोधी कथा के लिए आपको गंभीर स्पष्टीकरण देना है। # राहुल गांधी इन लंदन (#RahulGandhiInLondon) ने 26 अगस्त, 2018 को प्रीति गांधी को ट्वीट किया। उनके ट्विटर अकाउंट के मुताबिक, गांधी ‘सोशल मीडिया की राष्ट्रीय प्रभारी- भाजपा महिला मोर्चा’ हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुखर समर्थक हैं, जो ट्विटर पर उन्हें कई शीर्ष भाजपा नेताओं के साथ फॉलो करते हैं।
ABSOLUTE SHOCKER!!! At the Indian Overseas Congress meeting in London, anti-India, pro-Khalistani protesters are participating in the event. @RahulGandhi you owe a serious explanation for this dangerous, anti-national narrative being created against India. #RahulGandhiInLondon pic.twitter.com/Te70fQrq8f
— Priti Gandhi (@MrsGandhi) August 26, 2018
जिन लोगों ने इस कार्यक्रम को बाधित किया था, वे प्रतिभागी नहीं अनामंत्रित थे। नाओमी कैंटन, जो ब्रिटेन में टाइम्स ऑफ इंडिया के संवाददाता हैं, के मुताबिक चार प्रदर्शनकारियों ने इस कार्यक्रम को बाधित किया था, जो “राहुल गांधी के कार्यक्रम में भारी सुरक्षा से बचकर प्रवेश करने में कामयाब रहे…”। टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए, राष्ट्रीय सिख युवा संघ के प्रवक्ता शमशेर सिंह, जो अपने तीन सहयोगियों के साथ इस कार्यक्रम में घुस गया था, ने कहा, “हम 5.30 बजे कार्यक्रम स्थल पर एक तरफ के दरवाजे से घुस गए क्योंकि सुरक्षा शिथिल थी। अंदर एक बार, सुरक्षाकर्मियों ने हमसे कुछ प्रश्न पूछे लेकिन हम आत्मविश्वास से चले गए और कहा कि हम इस कार्यक्रम के लिए यहां हैं। हमें एक टेबल मिला और बैठ गए।”
सोशल मीडिया पर गलत और विघटनकारी जानकारी का चक्र निरंतर जारी है। अगस्त के महीने में, केरल शरारत का केंद्र रहा- अपेक्षाकृत हल्के-फुल्के ढंग से गलत सूचनाओं, झूठी तस्वीरों और वीडियो के उपयोग से लेकर व्यवस्थित रूप से राजनीतिक तौर पर राज्य को निशाना बनाने के स्तर तक। जैसे-जैसे बाढ़ का पानी घटा है, वैसे-वैसे गलत सूचनाओं के बाढ़ में कमी आई है।
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Hindi News अगस्त राउंड-अप: केरल की बाढ़ में झूठ का प्रलय appeared first on Kranti Bhaskar.
source http://hindi-news.krantibhaskar.com/latest-news/hindi-news/ajab-gajab-news/19402/
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mrdevsu · 3 years ago
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ओलंपिक में कल भारत के कई मेडल हो सकते हैं पक्के, सिंधु, पूजा रानी और अमित पंघाल से उम्मीद
ओलंपिक में कल भारत के कई मेडल हो सकते हैं पक्के, सिंधु, पूजा रानी और अमित पंघाल से उम्मीद
टोक्यो ओलंपिक: कोरोना में संक्रमण के भारत के लिए, संक्रमित व्यक्ति हो सकता है। ️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️ इस दिन पीवी सिंधू, रानी और अमित पंघाल चार्ज करने के लिए परिसर से परिसर पर उतरेंगे। अग्रिम में शुक्रवार का दिन भी भारत के लिए अच्छा है। सिंधु l क्षे सेमी फाइनेंश मेंमौसम के लिहाज से उचित समय में मौसम में मौसम के अनुसार मौसम में सही समय पर। वे चीनी की ताइपे की ताई जू यिंग से युद्ध करते हैं। विश्व…
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mrdevsu · 4 years ago
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अपने इन दो लुक्स को लेकर खूब छाई हुई हैं Nora Fatehi, जेनिफर लोपेज का स्टाइल कॉपी कर आई चर्चा में
अपने इन दो लुक्स को लेकर खूब छाई हुई हैं Nora Fatehi, जेनिफर लोपेज का स्टाइल कॉपी कर आई चर्चा में
अपने इन दो लुक्स को लेकर खूब छाई हुई हैं नोरा फतेही, जेनिफर लोपेज का स्टाइल कॉपी कर आई चर्चा में। Source link
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mrdevsu · 4 years ago
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Bhediya की शूटिंग खत्म कर वापस लौटे Varun Dhawan, पत्नी Natasha Dalal के साथ एयरपोर्ट पर हुए स्पॉट
Bhediya की शूटिंग खत्म कर वापस लौटे Varun Dhawan, पत्नी Natasha Dalal के साथ एयरपोर्ट पर हुए स्पॉट
भेडिय़ा की शूटिंग खत्म कर वापस लौटे वरुण धवन, पत्नी नताशा दलाल के साथ टर्मिनल पर मौजूद थे। Source link
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mrdevsu · 4 years ago
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Shanaya Kapoor या Janhvi Kapoor, देखें दोनों बहनों में स्टाइल में कौन पड़ता है किस पर भारी?
Shanaya Kapoor या Janhvi Kapoor, देखें दोनों बहनों में स्टाइल में कौन पड़ता है किस पर भारी?
शनाया कपूर या जान्हवी कपूर, दोनों बहनों को स्टाइल में देखें कौन है किस पर भारी? । Source link
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mrdevsu · 4 years ago
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जब झूमकर नाचीं Nora Fatehi, समंदर किनारे दिखाए ऐसे मूव्स, हैरान रह गए सभी
जब झूमकर नाचीं Nora Fatehi, समंदर किनारे दिखाए ऐसे मूव्स, हैरान रह गए सभी
नोरा फतेही(नोरा फतेही) को देखकर समझ नहीं आती कि नोरा डांस के लिए बने हैं या फिर डांस नोरा के लिए। ऐसा इसलिए है क्योंकि नोरा दिल से डांस करती हैं। यही कारण है कि जब वह नाचती हैं तो लोग पलकें झपकाना भूल जाते हैं। बेहतरीन डांसर नोरा की ऐसी ही एक वीडियो हमारे हाथ लगी है जिसमें वो समंदर किनारे शानदार डांन्सिंग मूव्स दिखाती नजर आ रही हैं। वास्तव में, ये नोरा की अलग वीडियो से के लिए वीडियो को मिलाकर…
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mrdevsu · 4 years ago
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कानपुर में धारा 144 लागू, बिना मास्क बाहर जाने और सियासी प्रदर्शन पर रोक | ABP Ganga
कानपुर में धारा 144 लागू, बिना मास्क बाहर जाने और सियासी प्रदर्शन पर रोक | ABP Ganga
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