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एफआईआई ने भारतीय शेयर बाज़ार में अब तक का दूसरा सबसे बड़ा किया निवेश
विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने भारतीय शेयर बाज़ार में अब तक का दूसरा सबसे बड़ा निवेश किया है। चालू वित्त वर्ष में इन निवेशकों ने इक्विटी में शुद्ध रूप से 1, 56, 818 करोड़ रुपये का निवेश किया है। इससे पहले 2020-21 में रिकॉर्ड 2.70 लाख करोड़ रुपये का निवेश हुआ था।
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विदेशी निवेश: FII ने नवंबर में अब तक 45,732 करोड़ रुपए के शेयर खरीदे, 2 दशकों में किसी भी एक महीने का सबसे बड़ा निवेश Hindi News Business Highest Monthly FII Investment In November So Far They Net Bought Shares Of Rs 45732 Crore…
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FIIs ने राकेश झुनझुनवाला के पोर्टफोलियों वाले इन शेयरों में बढ़ाई हिस्सेदारी, क्या हैं आपके पास FIIs raise stake in these 15 stocks from Rakesh Jhunjhunwala's portfolio
FIIs ने राकेश झुनझुनवाला के पोर्टफोलियों वाले इन शेयरों में बढ़ाई हिस्सेदारी, क्या हैं आपके पास FIIs raise stake in these 15 stocks from Rakesh Jhunjhunwala’s portfolio
राकेश झुनझुनावाला के निवेश वाली तमाम कंपनियों में विदेशी संस्थागत निवेशकों ने बड़ी मात्रा में निवेश कर रखा है। दिसंबर तिमाही में राकेश झुनझुनावाला के पोर्टफोलियों में शामिल ऐसे 15 स्टॉक रहे हैं जिनमें एफआईआई ने भी अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई है। यह जानकारी ACE Equity के आकंड़ों पर आधारित है। 30 सितंबर 2020 से 10 मार्च 2021 की अवधि में इन 15 में से 14 स्टॉक ऐसे रहे है जिनमें पॉजिटीव रिटर्न मिला है।…
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सुबह के कारोबार में सेंसेक्स 60,000 अंक के ऊपर पहुंचा
मुंबई, 17 अगस्त (SK)। बुधवार की सुबह के कारोबार में बेंचमार्क इंडेक्स उच्च स्तर पर पहुंच गया, जिसमें सेंसेक्स 60,000 अंक और निफ्टी 17,900 के ऊपर कारोबार कर रहा है। सुबह 11:40 बजे सेंसेक्स 60,190.62 पर कारोबार कर रहा था, जो 348.41 अंक या 0.58 प्रतिशत ऊपर और निफ्टी 99.75 या 0.56 प्रतिशत ऊपर 17,925.00 पर कारोबार कर रहा था।बजाज फिनसर्व, बजाज फाइनेंस, एनटीपीसी, टेक महिंद्रा, भारती एयरटेल सुबह के कारोबार के दौरान सेंसेक्स में शीर्ष पर रहे।जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार, डॉ. वी.के. विजयकुमार ने कहा, भारत में मुद्रास्फीति में लगातार गिरावट, अर्थव्यवस्��ा में मजबूत विकास गति और एफआईआई लगातार खरीदार बन रहे हैं, जिससे बढ़त बन रही है। वैल्यूएशन ज्यादा होने के बावजूद निवेश में बने रहना और गिरावट पर खरीदारी करना समझदारी है।सेंसेक्स में, बीएसई आईटी और बीएसई कंज्यूमर ड्यूरेबल्स प्रमुख लाभ में रहे और क्रमश: 0.74 प्रतिशत और 0.69 प्रतिशत की बढ़त के साथ कारोबार किया।इस बीच, वॉल स्ट्रीट में रात भर के कारोबार के बाद बुधवार को एशियाई बाजारों में मिलाजुला कारोबार रहा।जापान का निक्केई 225 0.8 फीसदी, हांगकांग का हैंग सेंग 0.1 फीसदी और चीन का शंघाई कंपोजिट 0.3 फीसदी की गिरावट के साथ बंद हुआ।/एसकेपी Read the full article
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भारतीय शेयर बाजार में पहली बार विदेशी निवेश 45 लाख करोड़ के पार Divya Sandesh
#Divyasandesh
भारतीय शेयर बाजार में पहली बार विदेशी निवेश 45 लाख करोड़ के पार
नई दिल्ली। भारतीय शेयर बाजार की तेजी विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) को रास आ गई है। बाजार से मिल रहे शानदार रिटर्न के कारण एफआईआई जून के महीने में ही अभी तक बाजार में 16 हजार करोड़ रुपये का निवेश कर चुके हैं। अगर विदेशी निवेशकों के कुल निवेश की बात करें तो भारतीय बाजार में विदेशी संस्थागत निवेशकों ने अभी तक कुल 45 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया है, जिसकी वजह से कुल 230 लाख करोड़ रुपये के मार्केट कैपीटलाइजेशन वाले भारतीय शेयर बाजार में विदेशी संस्थागत निवेशकों की हिस्सेदारी लगभग 20 फीसदी हो गई है।
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नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (एनएसडीएल) के आंकड़ों के मुताबिक विदेशी संस्थागत निवेशकों ने इस साल पहली बार भारतीय शेयर बाजार में 609 अरब डॉलर यानी लगभग 45 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया है। इस राशि में से विदेशी संस्थागत निवेशकों ने सबसे ज्यादा 32.14 फीसदी निवेश बैंकिंग और फाइनेंशियल सर्विसेज सेक्टर में किया है, जबकि सबसे कम 2.4 फीसदी निवेश कंज्यूमर ड्यूरेबल सेक्टर में किया है। इसके अलावा विदेशी संस्थागत निवेशकों ने सॉफ्टवेयर और सर्विस सेक्टर में 13.27 फीसदी, तेल एवं प्राकृतिक गैस सेक्टर में 10 फीसदी, ऑटो सेक्टर में 4.52 फीसदी, फार्मा सेक्टर में 4.03 फीसदी और कैपिटल गुड्स सेक्टर में 3.93 फीसदी का निवेश किया है।
डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक इस साल अभी तक हुए 45 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड निवेश के पहले 2019 में विदेशी संस्थागत निवेशकों ने 31 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया था। 2020 में कोरोना संक्रमण का प्रकोप बढ़ने के बाद विदेशी संस्थागत निवेशकों के निवेश में कमी आई। जिसकी वजह से जून 2020 में उनका निवेश घटकर 26 लाख करोड़ रुपये का रह गया। लेकिन उसके बाद शेयर बाजार में आई तेजी का विदेशी संस्थागत निवेशकों ने पूरा फायदा उठाय�� और उनका निवेश लगातार बढ़ता चला गया।
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धमीजा सिक्योरिटी के रिसर्च हेड विनीत अग्रवाल के मुताबिक भारतीय शेयर बाजार ने कोरोना संक्रमण के बावजूद इस साल शानदार प्रदर्शन किया है। विदेशी और घरेलू निवेशकों को उनके निवेश के एवज में जबरदस्त रिटर्न मिला है। यही ��जह है कि इस साल भारतीय शेयर बाजार में रिकॉर्ड 609 अरब डॉलर मतलब करीब 45 लाख करोड़ रुपये का शुद्ध विदेशी निवेश हुआ है। विनीत अग्रवाल के अनुसार भारतीय शेयर बाजार से ज्यादा विदेशी निवेश सिर्फ ब्राजील के शेयर बाजार में हुआ है, जहां विदेशी संस्थागत निवेशकों ने इस साल 813 अरब डॉलर का निवेश किया है। दूसरी ओर दक्षिण कोरिया, फिलीपींस, मलेशिया, थाईलैंड और चीन के शेयर बाजार से विदेशी निवेशकों ने इस साल सर्वाधिक पैसे वापस निकाले हैं।
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इंडेक्स फ्यूचर्स: बीते सप्ताह की बिकवाली के बावजूद विदेशी निवेशकों को है तेजी का भरोसा
इंडेक्स फ्यूचर्स: बीते सप्ताह की बिकवाली के बावजूद विदेशी निवेशकों को है तेजी का भरोसा
विदेशी संस्थागत निवेशकों ने शुक्रवार को भारी-भरकम बिकवाली की, मगर वे इंडेक्स फ्यूचर्स- निफ्टी और बैंक निफ्टी- पर तेजी की पोजिशन बनाए हुए हैं. Mar 01, 2021, 09.28 AM IST वित्त वर्ष 2020-21 में विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार 2.63 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया है, जिसपर शुक्रवार की बिकवाली ने ग्रहण लगा दिया. मुंबई: विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने शुक्रवार को भारी-भरकम बिकवाली की. यह…
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ETMarkets Investors 'Guide: आपको अपने आप को बजट दिवस के लिए कैसे स्थान देना चाहिए? | द इकोनॉमिक टाइम्स मार्केट्स पॉडकास्ट
ETMarkets Investors ‘Guide: आपको अपने आप को बजट दिवस के लिए कैसे स्थान देना चाहिए? | द इकोनॉमिक टाइम्स मार्केट्स पॉडकास्ट
नमस्कार, आपने ETMarkets Investors’s Guide, परिसंपत्ति वर्गों, निवेश विचारों और बाजार के रुझान के बारे में एक शो में भाग लिया है। मैं निखिल अग्रवाल हूं। एफआईआई द्वारा बेची जा रही वैश्विक बिक्री, कमजोर वैश्विक संकेत और दलाल स्ट्रीट पर बजट पूर्व घबराहट के कारण सेंसेक्स और निफ्टी दोनों पिछले सप्ताह 5 प्रतिशत से अधिक लुढ़क गए। अकेले निफ्टी 10 दिनों में 1,000 अंकों की गिरावट के साथ बंद हुआ है। जबकि…
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आरबीआई ने भंडार के लिए निवेश के विकल्प तलाशे, सूत्रों का कहना है पहली बार AAA कॉर्पोरेट ऋण में निवेश करने वाले RBI; अपने सोने के निवेश को बढ़ाने के लिए, साथ ही डॉलर की खरीद: स्रोतों भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) COVID-19 महामारी के कारण वैश्विक ब्याज दरों में गिरावट के बीच अपने विदेशी मुद्रा आरक्षित निवेश में विविधता लाने पर विचार कर रहा है, जो विकास के बारे में दो सरकारी स्रोतों के अनुसार है। RBI का विदेशी मुद्रा भंडार रिकॉर्ड $ 560.63 बिलियन है। केंद्रीय बैंक, जो ��्यादातर सोने, संप्रभु ऋण और अन्य जोखिम-मुक्त ज��ाओं में निवेश करता है, ने वैश्विक स्तर पर मौद्रिक नीति के रूप में रिटर्न में गिरावट देखी है। अमेरिकी सरकार का दो साल का बॉन्ड 0.16% पर 2 नवंबर को समाप्त हुआ। नतीजतन, आरबीआई ने अपने सोने के निवेश को बढ़ाने की संभावना है, साथ ही साथ डॉलर खरीदने और पहली बार एएए-रेटेड कॉर्पोरेट बॉन्ड में निवेश करने की बात कही, सूत्रों ने कहा कि इस मुद्दे की संवेदनशीलता के कारण इसका नाम घट गया। RBI द्वारा डॉलर की खरीद जारी रखने की संभावना है। अधिकारियों ने कहा कि समस्या डॉलर की तैनाती है और अच्छा रिटर्न मिल रहा है। अधिकारी ने कहा कि RBI AAA- रेटेड कॉर्पोरेट डॉलर बॉन्ड में निवेश करने की संभावना का अध्ययन कर रहा था, जो सॉवरेन क्रेडिट की तुलना में बेहतर रिटर्न देते हैं। इस तरह के निवेश अतीत में नहीं किए गए हैं, इसलिए केंद्रीय बैंक सावधानीपूर्वक आगे बढ़ेगा। विदेशी निवेशकों ने अपने मजबूत रिटर्न के कारण भारतीय शेयर बाजार में पैसा डालना जारी रखा है। विदेशी प्रत्यक्ष निवेश प्रवाह, विशेष रूप से रिलायंस इंडस्ट्रीज की ओर, देश में डॉलर में खींच लिया है। व्यापारियों का कहना है कि आरबीआई रुपये की सराहना को रोकने के लिए हाजिर बाजार में भारी हस्तक्षेप कर रहा है, बदले में इसके भंडार में वृद्धि कर रहा है। “सरकार रुपये के मौजूदा स्तर के साथ सहज है। निर्यात को बढ़ावा देने में मदद करने के लिए प्रतिस्पर्धी होना चाहिए, ”अधिकारी ने कहा। एक दूसरे सूत्र ने कहा कि डॉलर की खरीद में हस्तक्षेप जारी रहेगा क्योंकि आरबीआई और सरकार दोनों स्थानीय मुद्रा पर 73-75 प्रति डॉलर की सीमा के साथ सहज हैं। चालू वित्त वर्ष में मार्च 2021 तक सकल घरेलू उत्पाद में संकुचन के बावजूद, विदेशी प्रवाह स्वस्थ रहे हैं। विदेशी निवेशकों ने अक्टूबर में $ 2.52 बिलियन के शेयर खरीदे, 2020 में कुल निवेश $ 6.47 बिलियन तक ले गए। हालांकि एफआईआई 2020 में अब तक $ 13.98 बिलियन के बांड के शुद्ध विक्रेता हैं, उन्होंने अक्ट https://www.instagram.com/p/CHI6CSXlYLW/?igshid=ou8bsotk4drj
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बंपर विदेशी निवेश: शेयरों में निवेश का नया रिकॉर्ड, बाजार में आए 2.77 लाख करोड़, FDI सीमा बढ़ने से बीमा में 3 गुना इन्वेस्टमेंट
बंपर विदेशी निवेश: शेयरों में निवेश का नया रिकॉर्ड, बाजार में आए 2.77 लाख करोड़, FDI सीमा बढ़ने से बीमा में 3 गुना इन्वेस्टमेंट
Hindi News Business Foreign Investment In Indian Share Market | FII Investment In Insurance Increased 3 Times Ads से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप मुंबईएक घंटा पहले कॉपी लिंक बीमा में अचानक निवेश को बढ़ाकर 3 गुना कर दिया है। बीमा में एफडीआई को बजट में 74 पर्सेंट बढ़ा कर किया गया है एफआईआई का पहली बार साल 200-910 में एक लाख करोड़ रुपए के निवेश का आंकड़ा पार हुआ…
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Foreign Institutional Investors Fii Hike Stake In Reliance Industries To 25.2 Percent - रिलायंस इंडस्ट्रीज में Fii का निवेश नई ऊंचाई पर, 25.2 फीसदी तक बढ़ी हिस्सेदारी
Foreign Institutional Investors Fii Hike Stake In Reliance Industries To 25.2 Percent – रिलायंस इंडस्ट्रीज में Fii का निवेश नई ऊंचाई पर, 25.2 फीसदी तक बढ़ी हिस्सेदारी
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बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Thu, 22 Oct 2020 07:09 PM IST
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विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने धनकुबेर मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज में अपनी हिस्सेदारी 25.2 फीसदी तक…
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शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स 300 अंक से अधिक गिरा, निफ्टी 14,800 से नीचे Divya Sandesh
#Divyasandesh
शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स 300 अंक से अधिक गिरा, निफ्टी 14,800 से नीचे
मुंबई, 24 मार्च (भाषा) नकारात्मक वैश्विक संकेतों के बीच रिलायंस इंडस्ट्रीज, आईसीआईसीआई बैंक और इंफोसिस जैसे बड़े शेयरों में नुकसान के चलते प्रमुख शेयर सूचकांक सेंसेक्स बुधवार को शुरुआती कारोबार के दौरान 300 अंकों से अधिक गिर गया। इस दौरान 30 शेयरों पर आधारित बीएसई सूचकांक 325.15 अंक या 0.65 प्रतिशत की गिरावट के साथ 49,726.29 पर कारोबार कर रहा था। इसी तरह एनएसई निफ्टी 94.60 अंक या 0.64 प्रतिशत गिरकर 14,720.15 पर आ गया। सेंसेक्स में सबसे अधिक दो प्रतिशत की गिरावट ओेएनजीसी में हुई। इसके अलावा एसबीआई, आईसीआईसीआई बैंक, इंडसइंड बैंक, रिलायंस इंडस्ट्रीज और इंफोसिस भी गिरने वाले शेयरों में शामिल थे। दूसरी ओर एशियन पेंट्स, डॉ रेड्डीज, पॉवरग्रिड और सन फार्मा में तेजी देखने को मिली। पिछले सत्र में सेंसेक्स 280.15 अंक या 0.56 प्रतिशत बढ़कर 50,051.44 पर और निफ्टी 78.35 अंक या 0.53 प्रतिशत बढ़कर 14,814.75 पर बंद हुआ था। शेयर बाजार के अस्थाई आंकड़ों के मुताबिक विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने मंगलवार सकल आधार पर 108.24 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि वैश्विक स्तर पर कोविड -19 के मामलों में अचानक आई तेजी चिंता का कारण है। बाजारों को 2021 में वैश्विक जीडीपी वृद्धि में तेज सुधार की उम्मीद की थी, लेकिन अब जर्मनी, फ्रांस और इटली के कुछ हिस्सों में तीसरी लहर और सीमित लॉकडाउन के चलते वृद्धि अनुमान से कम रह सकती है। इस बीच वैश्विक तेल बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड 0.07 प्रतिशत बढ़कर 60.83 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था।
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डॉलर के मुकाबले रुपया आज: कच्चे तेल में नरमी से रुपया 12 पैसे मजबूत
ट्रेड निवेश: कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से मंगलवार को रुपया को सपोर्ट मिला. शुरुआती कारोबार में डॉलर के मुकाबले रुपया 12 पैसे बढ़कर 70.75 के स्तर पर खुला. सोमवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 70.87 के स्तर पर बंद हुआ था. विदेशी मुद्रा व्यापारियों का कहना है कि अमेरिका-चीन के बीच ट्रेड वॉर पर बातचीत इस महीने होने वाली है. इसे लेकर काफी उम्मीदें हैं.
हालांकि, घरेलू शेयर बाजारों में कमजोर शुरुआत का असर रुपया पर पड़ा, जिससे इसमें बड़ी तेजी नहीं आ पाई. आज प्रमुख घरेलू शेयर सूचकांक सेंसेक्स 113.23 अंकों की गिरावट के साथ 38,554.10 और निफ्टी 20.70 अंकों की गिरावट के साथ 11,453.75 पर खुले.ट्रेड निवेश
उधर, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) बाजार में बिकवाल बने हुए हैं. अस्थायी आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों ने सोमवार को 469.40 करोड़ रुपये की बिकवाली की.
वैश्विक तेल बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड फ्यूचर्��� 1.83 फीसदी की गिरावट के साथ 60.78 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल पर था. 10 साल की सरकारी बॉन्ड यील्ड सुबह के कारोबार में 6.70 फीसदी थी.
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एफआईआई प्रवाह, क्यू 3 प्रमुख कारकों के बीच आय जो इस सप्ताह बाजार का मार्गदर्शन करेगी
एफआईआई प्रवाह, क्यू 3 प्रमुख कारकों के बीच आय जो इस सप्ताह बाजार का मार्गदर्शन करेगी
नई दिल्ली: भारत के प्रमुख सूचकांकों में एक दशक में सबसे ज्यादा तेजी से चलने वाले सबसे बड़े शेयर के बीच स्��ॉक मार्केट में तेजी दर्ज की जा रही है, जो बड़े पैमाने पर विदेशी निवेश और अपेक्षित आर्थिक सुधार से बेहतर है। विश्लेषकों को उम्मीद है कि रैली में और अधिक पैर होंगे क्योंकि भारत ने 2021 में पूर्व में और अधिक खर्च करने का वादा किया है। एफआईआई भी थकान के कोई संकेत नहीं दिखा रहे हैं। इन चीजों के…
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कोरोनावायरस महामारी की वजह से स्टॉक मार्केट्स में जो गिरावट आई थी, उससे बाजार पूरी तरह उबरते नजर आ रहे हैं। दुनियाभर के ज्यादातर स्टॉक मार्केट फरवरी यानी कोरोनावायरस से पहले के दौर में आ चुके हैं, वहीं कुछ तेजी से आ रहे हैं।
भारत के सेंसेक्स और निफ्टी-50 ही नहीं बल्कि अमेरिका के डाउ जोंस इंडस्ट्रीयल इंडेक्स और एसएंडपी 500 इंडेक्स भी 37% तक की गिरावट के बाद 6 महीने के भीतर ही अब अपने पुराने स्तर पर लौट रहे हैं।
दूसरी ओर, सेफ हैवन असेट समझे जाने वाले सोने की कीमतों में गिरावट नजर आ रही है। सात अगस्त को 56 हजार रुपए प्रति दस ग्राम पर पहुंचने के बाद सोना लगातार फिसल रहा है। अब तक पांच-छह हजार रुपए तक की गिरावट इसमें आ गई है।
लेकिन, एनालिस्ट कह रहे हैं कि सोने की कीमतों में गिरावट का कारण सिर्फ स्टॉक मार्केट में तेजी नहीं है। बल्कि कई अन्य कारण भी हैं। ऐसे में यदि आपको लग रहा है कि स्टॉक मार्केट में तेजी के साथ सोना और सस्ता होगा, तो आपका अंदाजा गलत भी हो सकता है।
कितने गिर गए थे स्टॉक मार्केट, अब क्या है स्थिति?
कोरोनावायरस के मामले फरवरी में सामने आने लगे थे। तब तक सरकारों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया था। लेकिन अमेरिका जैसे देशों में बढ़ते मामलों का असर शेयर बाजारों पर भी दिखा। जो शेयर बाजार फरवरी में अपने ऑलटाइम हाई पर थे, 14 फरवरी के बाद फिसलते चले गए। दुनियाभर के ज्यादातर शेयर बाजारों ने 20 से 23 मार्च के बीच बॉटम छू लिया था।
यह गिरावट इतनी तेज थी कि कोई संभल ही नहीं सका। जापान के निक्केई 225 को ही लें, 20 मार्च को वह अपने एक जनवरी के स्तर से करीब 28.67% नीचे था। इसी तरह अमेरिका का एसएंडपी 500 इंडेक्स 30.75%, सेंसेक्स 37.02%, निफ्टी 37.46%, यूके का एफटीएसई 100 इंडेक्स 33.79% तक गिर गए थे।
चीन का शंघाई कम्पोजिट इंडेक्स सबसे कम गिरा था। उसमें 23 मार्च को एक जनवरी के मुकाबले महज 12.78% की गिरावट आई थी। अच्छी बात यह है कि एसएंडपी 500 इंडेक्स, निक्केई 225 और शंघाई कम्पोजिट इंडेक्स अब इस साल की शुरुआत से ऊपर के स्तर पर है। हालांकि, अब भी उनका इस साल के शिखर पर लौटना बाकी है।
किन वजहों से आई शेयर मार्केट्स में तेजी?
जब कोरोनावायरस की वजह से अनिश्चितता का माहौल बना, तब बाजार में आई गिरावट को रोकने के लिए सरकारें भी सक्रिय हुईं। भारत में भी केंद्र सरकार ने 20 लाख करोड़ रुपए के पैकेज की घोषणा की। इसी तरह, अमेरिका सहित अन्य देशों में स्टिमुलस उपायों से गिरते बाजारों को उम्मीद बंधी।
भारत में ��िजर्व बैंक ने लोन मोरेटोरियम की घोषणा की। ब्याज दरें घटाईं। केडिया कैपिटल के डायरेक्टर और रिसर्च हेड अजय केडिया का कहना है कि स्टिमुलस पैकेज ने शेयर बाजारों के लिए स्टेरॉइड का काम किया। इससे जो तेजी आई, उसे नेचरल तेजी नहीं कह सकते। जब कोरोना महामारी भारत में आई तो मार्केट गिरने लगे थे।
अब जब भारत दुनिया का नंबर दो देश बन चुका है, तब मार्केट ऊपर आ रहे हैं। आप खुद ही समझ सकते हैं कि यदि कोरोना की स्थिति नहीं सुधरी तो सरकार को फिर स्टिमुलस पैकेज लाना होगा। जिसकी सुगबुगाहट शुरू हो चुकी है। इससे बाजार में लिक्विडिटी तो आएगी, लेकिन यह दावा नहीं किया जा सकता कि कोरोना का संकट टल गया है और अब बाजार में सब अच्छा ही अ��्छा होने वाला है।
तो क्या सोने की तेजी की वजह यही थी?
एंजेल ब्रोकरेज की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 10 साल में सेंसेक्स और निफ्टी ने 9.05% और 8.5% के सालाना औसत से वृद्धि दर्ज की है। 2010 और 2015 के बीच 2012 की मंदी के बाद भी वृद्धि देखी गई। फरवरी 2016 से फरवरी 2020 तक सेंसेक्स की वृद्धि देखें तो वह 17,500 से बढ़कर 40,000 अंकों तक पहुंच गया। साफ है कि रिस्क होने के बाद भी इक्विटी में निवेश का ट्रेंड बढ़ा है।
दूसरी ओर, 2007 में सोना 9 हजार रुपए प्रति दस ग्राम के आसपास था, जो 2016 में 31 हजार रुपए प्रति दस ग्राम तक पहुंच गया था। यानी नौ साल में तीन गुना से ज्यादा बढ़ोतरी। यह भी समझना होगा कि जब-जब ब्याज दरें घटती हैं, तब सोने में निवेश बढ़ता है।
इसी तरह का संबंध है शेयर मार्केट और सोने का। जब-जब शेयर मार्केट में गिरावट दर्ज होती है या मंदी की आहट होती है, पीली धातु की रफ्तार बढ़ जाती है। ग्लोबल कंसल्टिंग फर्म डेलोइट ने अप्रैल के आउटलुक में कहा था कि ब्याज दरों में गिरावट होगी। ऐसा ही हुआ।
आज देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में बैंक की ब्याज दरें एक दशक में सबसे कम हैं। आज की तारीख में भारत की बात करें तो रेपो रेट सिर्फ 4 प्रतिशत के आसपास है। ब्याज दरें कम हैं, ऐसे में लोगों के लिए सोना ही निवेश का बेहतर विकल्प बना हुआ है।
आगे क्या… क्या सोने में निवेश करना अब भी आकर्षक विकल्प है?
केडिया कैपिटल के अजय केडिया कहते हैं कि सोने में ग्रोथ साइकिल में होती है। 2008 से 2013 की साइकिल हो या 2018 से अब तक की साइकिल। सोने के रेट्स अचानक नहीं बढ़े हैं। सितंबर 2018 से इसमें तेजी आने लगी थी। यदि आप 2008 से 2013 तक की अवधि को समझेंगे तो पाएंगे कि आज की स्थिति बहुत ज्यादा अलग नहीं है।
ब्याज दरें कम हुई थी। मंदी का खतरा था, इसलिए सरकारों ने स्टिमुलस पैकेज घोषित किए थे। जियो-प��लिटिकल टेंशन उस समय यूएस, ईरान और मिडिल ईस्ट में थे, आज भारत-चीन, अमेरिका-चीन और अमेरिका-ईरान में दिख रहे हैं। यह सब सोने के लिए फेवरेबल है।
उन्होंने कहा कि कोविड-19 की वजह से इकोनॉमी ठप थी। हमारे यहां तो जीडीपी ही निगेटिव में चली गई। यदि आप निवेशक हैं तो कहां निवेश करना चाहेंगे? आपके सामने दो ही ऑप्शन हैं- इक्विटी और सोना। अगस्त की ही बात करें तो एफआईआई ने भारत में 5,500 मिलियन डॉलर का निवेश किया है।
यह बताता है कि भारत से उम्मीदें बढ़ गई हैं। वहीं, यदि भारतीयों की मानसिकता समझने की कोशिश करेंगे तो उन्हें सोना ही आकर्षक विकल्प लगता है। हमारे यहां तो सोने में निवेश लोग तभी करते हैं जब इसके दाम बढ़ते हैं। इसका सीधा-सीधा उदाहरण है गोल्ड सोवरिन बॉन्ड में बढ़ रहा निवेश।
वह कहते हैं कि सोने की कीमतों में जो गिरावट आई है, उसकी वजह है पिछले दो महीनों में रुपए में आई मजबूती। रुपया अभी 73-74 रुपए प्रति डॉलर की रेंज में है। कुछ महीनों पहले 76-77 रुपए प्रति डॉलर तक पहुंच गया था। इससे भी सोने की कीमत कम हुई है।
लेकिन, इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि डॉलर में तेजी आएगी तो लॉन्ग टर्म में सोने के दाम और तेजी से बढ़ेंगे। यानी अगले साल तक सोना 60 से 70 हजार रुपए प्रति दस ग्राम तक पहुंच सकता है।
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Stock markets are recovering even after falling by 37%; But gold does not return at last year's rate, know why
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4,818 करोड़ का निवेश: साल के पहले हफ्ते जारी रहा FII का निवेश, अगले हफ्ते 49 हजार तक जा सकता है सेंसेक्स
4,818 करोड़ का निवेश: साल के पहले हफ्ते जारी रहा FII का निवेश, अगले हफ्ते 49 हजार तक जा सकता है सेंसेक्स
Ads से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप मुंबईएक घंटा पहले कॉपी लिंक विदेशी मुद्रा भंडार भी इस समय रिकॉर्ड स्तर पर है। यह दिसंबर 25 तक 581 अरब डॉलर रहा है कैलेंडर साल 2020 में भारत में एफआईआई ने 21.5 अरब डॉलर का निवेश किया है सेंसेक्स अगले हफ्ते 49 हजार तक जा सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि विदेशी निवेशकों (FII) का निवेश शेयर बाजार में लगातार जारी है। साथ ही तीसरी…
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