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LIC AAO Recruitment 2023 : एलआईसी असिस्टेंट एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर भर्ती 2023 का नोटिफिकेशन जारी, आवेदन 15 जनवरी से शुरू
LIC AAO Recruitment 2023 : एलआईसी असिस्टेंट एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर भर्ती 2023 का नोटिफिकेशन जारी, आवेदन 15 जनवरी से शुरू
LIC AAO Recruitment 2023 :- Life Insurance Corporation of India (LIC) के तरफ से एक बहुत ही अच्छी भर्ती आई है | ये भर्ती Assistant Administrative Officers के पदों के लिए निकाली गयी है | इन पदों के लिए आवेदन ऑनलाइन के माध्यम से लिए जायेगे | तो अगर आप भी इन पदों के लिए आवेदन करना चाहते है तो जल्द से जल्द इसके लिए आवेदन करे | इन पदों के लिए आवेदन आज से शुरू कर दिए गये है | LIC AAO Recruitment 2023 इस…
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लीडरशिप
जो अर्जुन के संशय का समाधान करें वहीं कृष्ण है । हम किसी न किसी के लिए कृष्ण हैं और कोई हमारा कृष्ण है । मतलब हम किसी को राह दिखा रहें है और कोई हमे राह दिखा रहा है । जितने भी महान लोग है वो सभी अच्छे लीडर भी हैं। एक अच्छा नेतृव समाज का उत्थान ही करता है । चलिए लीडरशिप के महत्व को समझते हैं । आज कल AI का चलन बढ़ गया हैं । लोगो को लगता है AI सारे jobs को सीमित कर देगा । एक नई दुनिया जहां मशीनें वो सभी काम करेंगी जो पहले केवल इन्सान ही कर सकता था । अब लोगो को एक फुल प्रूफ करियर ऑप्शन चाहिए जो सही भी है । चलिए मैं आपको बताता हूं जैसे घोड़ागाड़ी की जगह मोटरगाड़ी ने ले लिया वैसे जाहिर सी बात है AI अभी वर्तमान जॉब को सीमित करेगा और कुछ नए जॉब उत्पन्न करेगा । पर एक क्षेत्र है जहां कोई टेक्नोलॉजी का उपयोग बहुत कम है और वह है लीडरशिप । मनुष्य का लीडर कभी AI या टेक्नोलॉजी तो नहीं हो सकता। मनुष्य का लीडर मनुष्य ही होगा हमेशा यह अखण्ड सत्य है । AI का अर्थ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस होता है लेकिन अब आप समझ गए होंगे की ज्यादा इंटेलिजेंस मनुष्य के पास है तो अब से इस आर्टिकल के लिए AI हमारे लिए ऑल्टरनेटिव इंटेलिजेंस है । एक अच्छा लीडर उसके अंदर के व्यतित्व से बनता है ना की ऑल्टरनेटिव इंटेलिजेंस से । Human resource management आज के समय एक कला है और इसके लिए एक विशेष वर्ग के लोग काम कर रहें हैं जिन्हें हम HR कहते है क्या सच में यह इतना जटिल काम जिसके लिए हमे निपुण लोगों को काम पर रखना पड़ता है । लीडरशिप केवल विशेष लोगो की जागीर नहीं है इसको सब को सीखना चाहिए क्यों की " हम किसी न किसी के लिए कृष्ण हैं और कोई हमारा कृष्ण है " , लीडरशिप एक कला है समय के साथ इंसान निपुण होता जाता है पर आज के दुनिया में धैर्य कहा उनको आत्मज्ञान को 30 सेकंड की वीडियो से प्राप्त करना है और लीडरशिप के गुण एक लेख से । इसलिए मुझे इस लेख पर ज्यादा ध्यान देना आवश्यक हो गया है । लेकिन फिर भी एक अच्छा लीडर एक दिन में नही बनता । समय के साथ बनता है और जन्म से कोई लीडर नही होता है । इसलिए कोई भी बन सकता है । मैं इकोनॉमिक्स का विद्यार्थी हूं और अभी तक इकोनॉमिक्स में ज्यादातर शॉर्टेजेस और डिमांड और सप्लाई के बारे में ही बात की जाती है जैसे oil , technology, money इत्यादि । पर मुझे लगता है केवल लीडरशिप के कमी के कारण सभी अधिकांश शॉर्टेज उत्पन्न होते है । कहने का अर्थ है एक अच्छा लीडर अर्थवस्था को स्थिर कर सकता है । एक अच्छा लीडर आजादी दिला सकता है जैसे बापू । अच्छे लीडर के उदाहरण समाज में कई है इसलिए सारे उदाहरण पे ध्यान देने का काम आप पर छोड़ता हूं । मेरे लिए अच्छा लीडर एक दूरदर्शी नागरिक है और देश के उत्थान की नींव है । मेरे बातों से यह ना समझें की लीडर मतलब केवल पॉलिटिकल लीडर । लीडर की जरूरत हर क्षेत्र में है जैसे पॉलिटिकल, एडमिनिस्ट्रेटिव, एजुकेशन , स्पोर्ट्स, लॉ एंड आर्डर इत्यादि | यहां पे मैं एक Palindrome से आपको बताना चाहता हूं " A Man a Plan a Canal Panama " इस लाइन की दो खासियत है 1. आगे और पीछे दोनो तरफ से पढ़ने पर यह एक ही जैसा साउंड करती है । 2. यह एक ���्रेरक लाइन है जिसका मतलब है एक मैन था , उसके पास एक प्लान था , और वह प्लान एक canal का था । उसका नाम है आज पनामा है । मै अब आप से पूछता हूं वह एक मैन कौन है , एक लीडर । हां एक लीडर उसने दुनिया को पनामा दिया और आज इस नहर का दुनिया में कितना महत्व है मुझे बताने की आवश्यकता नहीं है यह जग जाहिर है । एक अच्छा लीडर मानवता के लिए वरदान है ।
चलिए देखते है लीडरशिप के गुण [ Attributes ]
1. पेशेवर ज्ञान और क्षमता
एक अच्छा नेता बनने के लिए व्यक्ति को अपने क्षेत्र के बारे में ज्ञान होना चाहिए। ज्ञान निरंतर अध्ययन और कड़ी मेहनत से आता है। जितना अधिक आप जानते हैं आप उतने अधिक सक्षम बनते हैं। ज्ञात तथ्यों के आधार पर सही निर्णय लेने के लिए ज्ञान आवश्यक है।
2. निर्णय लेने की क्षमता
एक अच्छे नेता में निर्णय लेने की क्षमता होती है और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि उसने जो निर्णय लिया है उसके लिए पूरी जिम्मेदारी स्वीकार करता है।
3. पूर्ण न्याय और निष्पक्षता
किसी भी व्यक्ति को पदावनत होना पसंद नहीं है और फिर भी यदि निष्पक्ष रूप से किया जाए तो वे इसे स्वीकार करते हैं। एक अच्छा नेता प्रत्येक अधीनस्थ के साथ उचित व्यवहार करता है। एक अच्छा नेता यह सुनिश्चित करता है कि वह न केवल सीखने और विकास के समान अवसर प्रदान करे बल्कि उसी गलती के लिए समान सजा भी प्रदान करे।
4. नैतिक और शारीरिक साहस
नैतिक साहस: यह सही और गलत के बीच अंतर करने की क्षमता है। एक अच्छा नेता दूसरों की परवाह किए बिना अपने विचारों और विश्वासों को सामने रखने में सक्षम होता है।
शारीरिक साहस: डरना और यह दिखाना कि आपको डर है, दो अलग-अलग चीजें हैं। एक अच्छा नेता दिखाता है कि वह सबसे कठिन परिस्थितियों का सामना करने के लिए काफी साहसी है क्योंकि वह जानता है कि वह जो कुछ भी करता है या जैसा व्यवहार करता है उसका उसके अधीनस्थों पर बहुत प्रभाव पड़ता है।
5. निष्ठा
शीर्षक से ही काफी समझ में आता है। यदि आप दूसरों से वफादारी की उम्मीद करते हैं तो आपको पहले उनके प्रति वफादार होना होगा।
6. मानव संसाधन प्रबंधन
अपने अधीनस्थों को संभालना सीखना एक ऐसी कौशल जो नेता होने के लिए सबसे अधिक आवश्यक है। एक नेता दृढ़ होना चाहिए लेकिन उसमें एक अच्छी sence of humor होनी चाहिए ताकि आप अपने लोगों को उनकी निराशा से बाहर निकाल सकें। आप कभी नहीं जानते कि दूसरे किस समस्या से जूझ रहे हैं, इसलिए एक अच्छा नेता हमारें साथी के भावनाओं को समझने में सक्षम होना चाहिए।
चाहे आप नेता हों या नेता बनने जा रहे हों या फिर यदि आप अनुयायी हों, दो सबसे मौलिक पहलू जो अधिकांश लोगों में कमी होती हैं और कोई भी नेतृत्व इसे ठीक नहीं कर सकता हैं वो हैं अनुशासन (समय पर आना महत्वपूर्ण है) और चरित्र (जानना कि आप कौन हो वास्तव में)।
इनके अलावा भी कई गुण हैं लेकिन महत्वपूर्ण गुण यही हैं । एक लीडर को राह कौन दिखाएगा यह सवाल भी आता है उसका जवाब है आपकी अपनी अंतरात्मा जो पवित्र होती है उसको सुनिए साथ में यह 6 गुण को आत्मसात करिए आप अच्छे लीडर अवश्य बनेंगे । किस के लिए लीडर बने , मतलब कोई विशेष कारण। उसका जवाब है "Be the change you wish to see in the world. इस वाक्य को ध्यान में रखें । मुझे उम्मीद है आप अच्छे लीडर बनेंगे और अपना और अपनो के साथ समाज का उत्थान करेगें । जय हो ।
- @divyavisharad
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Holidays List 2025; केंद्र सरकार ने वर्ष 2025 के लिए छुट्टियों की सूची की जारी, यहां देखें पूरी लिस्ट
Holidays List 2025; केंद्र सरकार ने वर्ष 2025 के लिए छुट्टियों की सूची की जारी, यहां देखें पूरी लिस्ट #Holidays2025 #GovernmentHolidayList
Central Government Holiday list: केंद्र सरकार ने वर्ष 2025 की छुट्टियों की लिस्ट जारी कर दी है। केंद्रीय कर्मचारियों के लिए जारी लिस्ट के अनुसार, प्रत्येक कर्मचारी को प्रतिबंधित छुट्टियों की लिस्ट में से कोई भी दो अवकाश लेने की अनुमति होगी। दिल्ली/नई दिल्ली से बाहर स्थित केंद्रीय सरकार के एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिस, 12 वैकल्पिक छुट्टियों में से चुनी जाने वाली तीन छुट्टियों के अलावा अनिवार्य छुट्टियां…
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IBM RECRUITMENT 2024 : भारतीय माइनिंग ब्यूरो में निकली बंपर पदों पर भर्ती, 35,400 रूपये मिलेगा वेतन
भारतीय माइनिंग ब्यूरो भर्ती 2024 (IBM RECRUITMENT 2024) IBM RECRUITMENT 2024 : भारतीय माइनिंग ब्यूरो (Indian Bureau of Mines) ने असिस्टेंट एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफ़िसर (Assistant Administrative Officer) पदों की पूर्ति के लिए 05 पदों पर भर्ती निकाली हैं। इक्छुक उम्मीदवार दिनांक 09/10/2024 से 30/10/2024 तक नीचे दी गई लिंक के माध्यम से ऑफलाइन आवेदन कर सकते हैं। सरकारी और प्राईवेट भर्ती की सबसे पहले, सही…
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tata workers union pays homage : टाटा वर्कर्स यूनियन के पूर्व अध्यक्ष माइकल जॉन को दी गयी श्रद्धांजलि, 47वीं पुण्यतिथि पर याद किये गये
जमशेदपुर : टाटा स्टील की अधीकृत यूनियन टाटा वर्कर्स यूनियन की ओर से पूर्व अध्यक्ष स्वर्गीय माइकल जॉन को उनकी 47वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की गयी. इस दौरान टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष संजीव चौधरी टुन्नु, डिप्टी प्रेसिडेंट शैलेश सिंह, उपाध्यक्ष संजीव तिवारी, राजीव चौधरी, सहायक सचिव अजय चौधरी, श्याम बाबू, सीनियर एडमिनिस्ट्रेटिव इंचार्ज धर्मबीर कुमार सिंह और टाटा वर्कर्स यूनियन के कमेटी…
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के-स्मार्ट केरल सरकार द्वारा लॉन्च किया गया
- के-स्मार्ट (केरल सॉल्यूशंस फॉर मैनेजिंग एडमिनिस्ट्रेटिव रिफॉर्मेशन एंड ट्रांसफॉर्मेशन) केरल सरकार द्वारा लॉन्च किया गया है। - के-स्मार्ट स्थानीय स्व-सरकारी संस्थानों की सभी सेवाओं को एक एकीकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाएगा। - के-स्मार्ट एप्लिकेशन को राज्य आईटी विभाग के सूचना केरल मिशन द्वारा विकसित किया गया है। - प्रारंभ में, यह निगमों और नगर पालिकाओं में चालू होगा। धीरे-धीरे इसे ग्राम पंचायतों में शुरू किया जाएगा। - परियोजना के शुभारंभ पर, केरल के मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पहली बार है कि किसी विभाग की संपूर्ण सेवा पेशकश को डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से देश में सार्वजनिक किया गया है। - के-स्मार्ट उन प्रवासियों के लिए एक बड़ी मदद होगी जो कार्यालयों में गए बिना स्थानीय सरकारी एजेंसियों की सेवाओं का उपयोग करना चाहते हैं। - डिजिटल पहल के तहत आवेदकों को बिल्डिंग परमिट तुरंत दिए जाएंगे। Read the full article
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नॅशनल इन्शुरन्स कंपनी लि. मध्ये भरती - NICL Bharti 2024, पदाचे नाव - एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर (स्पेशलिस्ट), एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर (जर्नलिस्ट)
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How To Become An IAS Officer ? Know About UPSC Exam | Civil Service Examination
इस इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस यूपीएससी का पेपर का लो या फिर कलेक्टर साहब का लो ये एक ऐसा सपना है जो अलग-अलग नाम से हर एक स्टूडेंट हर एक एस्पायरेंट इस सपना को देख रहा होता है रातों की नींद को त्याग कर रातों में जग कर यहां सपना देख रहा होता है मेहनत कर रहा होता है की सपना को एक हकीकत में बदला जा सके हेलो एवरीबॉडी दिस इस दिग्रस सिंह राजपूत वेलकम तू सोशल ब्रीड्स इस वीडियो में मैं आपको सीधे सटीक…
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आईबीपीएस पीओ भर्ती 2023 नौकरी की गोपनीय जानकारी
इंस्टिट्यूट ऑफ थिंकिंग पर्सनल सेलेक्शन प्रोबेशनरी ऑफिसर (IBPS PO) ने प्रोबेशनरी ऑफिसर/ मैनेजमेंट ऑफिसर के लिए अधिसूचना जारी की है।प्रोबेशनरी ऑफिसर वह पद होता है| जिसमें बैंकिंग के क्षेत्र में जॉब की तलाश में हर उम्मीदवार हासिल करने का प्रयास करता है, मैनेजमेंट ऑफिसर जो किसी भी कंपनी का अहम व्यक्ति होता है वह मैनेजमेंट और एडमिनिस्ट्रेटिव विभाग का इंचार्ज होता है।
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सी.आर.पी.सी. की धारा 144
परिचय
आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सी.आर.पी.सी.), 1973 की धारा 144 के तहत, एक जिला मजिस्ट्रेट, एक उप-मंडल (सब डिविजनल) मजिस्ट्रेट, या राज्य सरकार द्वारा अधिकृत (ऑथोराइज्ड) कोई अन्य प्रशासनिक (एडमिनिस्ट्रेटिव) मजिस्ट्रेट, कथित खतरे या उपद्रव के तत्काल मामलों को रोकने और उनका इलाज करने के आदेश जारी कर सकता है, यह एक औपनिवेशिक (कोलोनियल) युग का क़ानून है, जिसे संहिता में संरक्षित किया गया है। धारा 144, उन मामलों मे लागू होती है जहां आसन्न (इमिनेंट) उपद्रव या किसी घटना के संदिग्ध खतरे की परिस्थितियों में मानव जीवन या उसकी संपत्ति को समस्या या कोई नुकसान पहुंचाया जा सकता है। आम तौर पर सी.आर.पी.सी. की धारा 144 के तहत सार्वजनिक समारोहों पर रोक लगा दी जाती है। इतिहास में, धारा 144 का इस्तेमाल उन रैलियों को रोकने के प्रयास में कुछ बाधाएं लगाने के लिए किया जाता है जो दंगे या अन्य प्रकार की हिंसा को भड़का सकती हैं। जब कोई आपात स्थिति होती है, तो कार्यकारी (एक्जीक्यूटिव) मजिस्ट्रेट को धारा 144 लागू करने का अधिकार दिया जाता है। इंटरनेट शटडाउन और दूरसंचार (टेलीकॉम) सेवाओं पर प्रतिबंध अक्सर धारा 144 के तहत लागू किए जाते हैं। हाल ही की कुछ घटनाओं ने पिछले कुछ वर्षों में इस प्रावधान की लोकप्रियता को और महत्व को और अधिक बढ़ा दिया है। पिछले दो वर्षों में फैली कोवि��-19 की बीमारी में वृद्धि के कारण, सी.आर.पी.सी. की धारा 144 को भारत भर के कई स्थानों पर लागू किया गया था। कुछ हालिया उदाहरणों में निम्नलिखित शामिल हैं:- पश्चिमी तट पर संभावित आतंकवादी खतरे के बारे में खुफिया रिपोर्टों के परिणामस्वरूप, 12 फरवरी, 2020 कोउत्तरी गोवा क्षेत्र में धारा 144 लागू की गई थी। एक अधिसूचना (नोटिफिकेशन) में, उत्तरी गोवा के जिला मजिस्ट्रेट ने कहा था कि यह धारा, 11 फरवरी से 10 अप्रैल तक 60 दिनों तक के लिए प्रभाव में रहेगी। - मकबूल भट और अफजल गुरु और मकबूल भट की संबंधित वर्षगांठ (एनिवर्सरी) के सम्मान में, जम्मू और कश्मीरमें 8 से 10 फरवरी, 2022 तक इंटरनेट बंद रहा और धारा 144 लागू की गई थी। - कोरोना वायरस के प्रसार (स्प्रेड) को रोकने के लिए, जिसने पहले ही दुनिया भर में हजारों लोगों की जान ले ली थी, दिल्लीसरकार ने 23 मार्च, 2020 को धारा 144 लागू की थी। जैसे जैसे ही पूरे भारत में वायरस का विस्तार हुआ, वैसे ही कुछ राज्यों ने दिल्ली सरकार की तरह धारा 144 को लागू करना शुरू कर दिया, ताकि कोविड-19 महामारी के स्थानीय प्रसार को रोका जा सके। - मुंबई शहर में कोरोना वायरस के मामलों में लगातार वृद्धि होने के कारण 17 सितंबर, 2020 कोमुंबई में धारा 144 के तहत प्रतिबंध लागू किए गए थे। 2020 की शुरुआत से पूरी दुनिया में कोविड -19 महामारी की चपेट में आने के साथ, मुंबई भारत के सबसे ज्यादा प्रभावी शहरों में से एक रहा है और यह कार्य प्रसार को कम करने के लिए किया गया था, जैसा कि कई अन्य शहरों में किया गया था। - धारा 144 का मूल लक्ष्य उन जगहों पर कानून और व्यवस्था को बनाए रखना है जहां अशांति भड़क सकती है और रोज के जीवन में परेशानियां ला सकती है। - यह निर्दिष्ट अधिकार क्षेत्र (ज्यूरिस्डिकशन) के भीतर किसी भी प्रकार के हथियारों को रखने और ले जाने पर सीमाएं लगाता है। इस तरह के अपराध के लिए अधिकतम सजा तीन साल की जेल है। - इस प्रतिबंध के प्रभावी होने के दौरान सभी सार्वजनिक समारोहों और विरोध प्रदर्शनों पर पूरी तरह से प्रतिबंध रहता है। - इसके प्रभावी होने तक सभी शैक्षणिक संस्थान बंद रहते है और इस खंड के तहत जारी आदेश के अनुसार कोई सार्वजनिक आंदोलन नहीं किया जाता है। - कानून अधिकारियों को एक अवैध सभा को तोड़ने से रोकने के कार्य को एक दंडनीय अपराध माना जाता है। - क्षेत्र में इंटरनेट के उपयोग को प्रतिबंधित करने की क्षमता भी अधिकारियों को दी गई है। - अधिकारियों को जल्द से जल्द तैनात किया जाना चाहिए ताकि सार्वजनिक शांति और सद्भाव की रक्षा की जा सके। - ऐसी स्थितियों में जहां सार्वजनिक हित और निजी अधिकारों के ब���च कुछ असंगति होती है, वहां निजी अधिकारों को अस्थायी रूप से निलंबित (सस्पेंडेड) किया जा सकता है। - धारा 144 के तहत एक कार्यवाही में, संपत्ति के मालिकाना हक, अधिकारों की पात्रता, या नागरिक मुद्दों के संबंध में कोई समाधान नहीं किया जा सकता है। - मजिस्ट्रेट को धारा 144 के तहत उन अधिकारों के समर्थन में और उन लोगों के खिलाफ अपनी शक्ति का प्रयोग करना चाहिए जो उनके कानूनी अभ्यास में बाधा डालते हैं, जहां उन प्रश्नों को पहले ही दीवानी अदालतों या न्यायिक घोषणाओं द्वारा हल किया जा चुका है। यह उसे आपात स्थितियों के दौरान उस कार्य को प्रभावी ढंग से करने की अनुमति देगा। - सार्वजनिक अशांति को तुरंत रोक सकते हैं, या - एक संभावित खतरे को जल्दी से संबोधित कर सकते हैं। - कानूनी रूप से नियोजित किसी व्यक्ति को बाधा, परेशानी या चोट; - मानव जीवन, स्वास्थ्य, या सुरक्षा के लिए खतरा; या - सार्वजनिक शांति में अशांति, जैसे दंगा, जो एक निर्देश को जारी करने की अनुमति देता है। - मजिस्ट्रेट के पास इस खंड के तहत एकतरफा आदेश जारी करने का अधिकार होता है, लेकिन आम तौर पर उस व्यक्ति को नोटिस दिया जाता है जिसके खिलाफ आदेश जारी किया जा रहा है। मजिस्ट्रेट को केवल विकट परिस्थितियों में एक पक्षीय आदेश जारी करना चाहिए। - जिन लोगों के साथ आदेश के द्वारा गलत किया गया था, उन्हें भी उपयुक्त आधार पर इसके लिए लड़ने का अधिकार है। यह इस विचार को बल देता है कि इस खंड द्वारा प्रदान किए गए अधिकार मनमाने नहीं है। - मजिस्ट्रेट के आदेश का विरोध करने वाले व्यक्ति को भी सुनवाई का मौका दिया जाता है और उपरोक्त का समर्थन करने के लिए कारण दिखाने का मौका दिया जाता है। नतीजतन, यह हिस्सा प्राकृतिक न्याय के मानदंडों (नॉर्म) का भी अनुपालन (कॉम्प्लाइ) करता है। - न्यायालय ने आगे कहा कि मजिस्ट्रेट की कार्रवाई अधिक उचित और ठोस कारण पर आधारित थी क्योंकि पीड़ित पक्ष को निर्णय की वैधता का विरोध करने का अधिकार दिया गया था। - अंत में, तथ्य यह है कि धारा 144 के तहत आदेश अपील के अधीन नहीं है, उच्च न्यायालय द्वारा संहिता कीधारा 435 के तहत संशोधित करने के अधिकार के लिए क्षतिपूर्ति की जाती है जब इसे संहिता की धारा 439 के साथ संयोजन (कंजंक्शन) में पढ़ा जाता है। उच्च न्यायालय या तो निर्णय को उलट सकता है या मजिस्ट्रेट से प्रासंगिक तथ्यों का अनुरोध कर सकता है। - मुद्दा यह है कि यह बहुत व्यापक है और इस धारा की भाषा इतनी अस्पष्ट है कि यह एक मजिस्ट्रेट को पूर्ण अधिकार प्रदान कर सकती है और जिसका दुरुपयोग उसके द्वारा किया जा सकता है। - प्रभावित पक्षों ने अक्सर दावा किया है कि यह खंड बहुत अधिक व्यापक है और मजिस्ट्रेट को अनुचित बिना किसी सीमा की शक्ति देता है। आदेश के खिलाफ प्रारंभिक कानूनी बचाव एक संशोधन आवेदन है, जिसे मूल जारीकर्ता प्राधिकारी (इश्यूइंग अ��ॉरिटी) को प्रस्तुत किया जाना चाहिए। - इसके अतिरिक्त, यह सुझाव दिया गया है कि एक बहुत बड़े क्षेत्र में निषेधाज्ञा लागू करना अनुचित है क्योंकि विभिन्न स्थानों में अलग-अलग सुरक्षा स्थितियां होती हैं और अलग-अलग दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता होती है। - यदि आदेश किसी व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है, तो वे उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका दायर कर सकते हैं। हालांकि, जो लोग इसे गलत महसूस करते हैं, उनका तर्क है कि उच्च न्यायालय के शामिल होने से पहले ही राज्य ने अक्सर उनके अधिकारों का उल्लंघन किया होगा। - स्वयं मजिस्ट्रेट के लिए एक पुनरीक्षण आवेदन इस तरह के आदेश का सबसे तत्काल प्रतिवाद (काउंटरमेजर) है।
सी.आर.पी.सी. की धारा 144 की प्रयोज्यता (एप्लीकेबिलिटी) में सुधार के लिए सुझाव
आपात स्थिति से निपटने के लिए सी.आर.पी.सी. की धारा 144 का उपयोग बहुत सहायक साबित हो सकता है। कार्यकारी (एग्जीक्यूटिव) शाखा दुरुपयोग की चपेट में है क्योंकि कोई विशेष न्यायिक निगरानी नहीं है और विशिष्ट उद्देश्यों के साथ व्यापक कार्यकारी शक्तियों का कोई सटीक तत्व मौजूद नहीं है। उसी के आलोक में, मजिस्ट्रेट को इस धारा के अनुसार कार्य करने से पहले एक जांच करनी चाहिए और स्थिति की तात्कालिकता पर ध्यान देना चाहिए। इसके अलावा, विधायिका को व्यक्तिगत स्वतंत्रता और संविधान के मौलिक अधिकारों के तहत व्यक्तियों को दी गई अन्य स्वतंत्रताओं को बनाए रखने की आवश्यकता और तत्काल संवेदनशील स्थितियों से निपटने के लिए पूर्ण शक्ति प्रदान करने की आवश्यकता के बीच एक संतुलन बनाना चाहिए।
निष्कर्ष
यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि, संभावित रूप से मनमानी और विवेकाधीन होने के बावजूद, धारा 144 संकेतकों की सरणी (एरे ऑफ़ इंडिकेटर) का एक अनिवार्य घटक है जो किसी भी जिले के कार्यकारी निकाय द्वारा शुरू किया जाता है ताकि न्यायिक घोषणाओं और अकादमिक टिप्पणियों के आलोक में संबंधित धारा के सावधानीपूर्वक विश्लेषण के बाद तत्काल स्थितियों से बचने के साथ-साथ प्रबंधन भी किया जा सके। इस धारा की संवैधानिकता पर सवाल उठाने के खिलाफ कई कानूनी कार्रवाइयां भी की गई हैं, और इसे बनाए रखने वाले कई फैसले भी हुए हैं। हालांकि इस धारा के तहत मजिस्ट्रेट को कई विवेकाधीन शक्तियां दी गई हैं, लेकिन किसी भी मनमानी या अन्यायपूर्ण आदेश को रोकने के लिए वे शक्तियां कई प्रतिबंधों के अधीन होती हैं। इस शक्ति का उपयोग अधिक तार्किक (लॉजिकल) है क्योंकि उच्च न्यायालय के पास इस खंड के तहत मजिस्ट्रेट के नि��्णय की समीक्षा करने का अधिकार है।इसके अलावा, दंगों में वृद्धि और सार्वजनिक शांति के लिए खतरा पैदा करने वाली अन्य स्थितियों के कारण मजिस्ट्रेटों के पास इन शक्तियों का होना आवश्यक हो गया है। यह, ये सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि आम लोगों को वह सु��क्षा और शांति मिल सके, जो उनके जीवित रहने के लिए बहुत जरूरी है। हालांकि, इस बिंदु पर, यह तर्क दिया जा सकता है कि तत्काल स्थितियों को संबोधित करने के लिए विधायिका के पूर्ण शक्तियों के अनुदान (ग्रांट) और संविधान के मौलिक अधिकार, विशेष रूप से संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत, जब तक कि तत्काल या असामान्य परिस्थितियां मौजूद न हों, के तहत नागरिकों को व्यक्तिगत स्वतंत्रता और अन्य स्वतंत्रता की रक्षा करने की आवश्यकता के बीच संतुलन बनाने की आवश्यकता प्रतीत होती है।यदि मानव जीवन, स्वास्थ्य या सुरक्षा को कोई खतरा होता है, या किसी दंगे या विवाद की संभावना होती है, तो राज्य सरकार आधिकारिक राजपत्र (ऑफिशियल गैजेट) में प्रकाशन द्वारा अन्य निर्देश जारी कर सकती है। मजिस्ट्रेट के आदेश को कानूनी बल के बिना एक आदेश के रूप में माना जाना चाहिए और उसमें निहित राय की अभिव्यक्ति को किसी भी कानूनी बल या प्रभाव के बिना माना जाना चाहिए, यदि अधिकार क्षेत्र को मानने के लिए यह महत्वपूर्ण शर्त मौजूद नहीं है। इस खंड का उपयोग केवल आपातकालीन स्थितियों में ही किया जाना चाहिए और इसके तहत किसी भी अन्य कानूनी प्रावधानों को बदलने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए जो अधिक उपयुक्त हो सकते हैं और मजिस्ट्रेट को एक जांच करनी चाहिए और इस खंड के तहत आगे बढ़ने से पहले स्थिति की तात्कालिकता को भी नोट करना चाहिए।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (एफ.ए.क्यू.)
1. सी.आर.पी.सी. की धारा 144 क्या है?
1973 की आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सी.आर.पी.सी.) की धारा 144 किसी भी राज्य या क्षेत्र के कार्यकारी मजिस्ट्रेट को किसी विशेष स्थान पर चार या अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर रोक लगाने का आद��श देने की शक्ति दे सकती है।
2. सी.आर.पी.सी. की धारा 144 के तहत अपराध की प्रकृति क्या है?
सी.आर.पी.सी. की धारा 144 के तहत अपराध प्रकृति में आपराधिक, संज्ञेय और जमानती होता है।
3. सी.आर.पी.सी. की धारा 144 लागू करने का क्या कारण है?
सी.आर.पी.सी. की धारा 144 को लागू करना वैध है जब इसका उपयोग परेशानी, मानव जीवन को चोट पहुंचाने और सार्वजनिक शांति में अशांति को प्रतिबंधित करने के लिए किया जा रहा है। इस धारा के तहत आदेश एक पक्ष को दूसरे पक्ष को लाभ पहुंचाने के लिए नहीं लगाया जाना चाहिए।
4. सी.आर.पी.सी. की धारा 144 की आलोचना क्यों की गई है?
इस धारा के साथ कुछ मुद्दे यह भी हैं कि यह अत्यधिक व्यापक, अस्पष्ट है, और इसका दुरुपयोग भी किया जा सकता है। इसके अलावा, राहत मिलने की प्रक्रिया बेहद धीमी है। इसके अतिरिक्त, एक बहुत बड़े क्षेत्र में निषेधाज्ञा लागू करना अनुचित है। Read the full article
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Srinath university mou : श्रीनाथ यूनिवर्सिटी ने अंतरराष्ट्रीय नवोदय चैम्बर ऑफ़ कॉमर्स के साथ किया एमओयू, दोनों संस्थान मिलकर करेंगे यह काम
जमशेदपुर : सरायकेला खरसावां जिला स्थित श्रीनाथ विश्वविद्यालय ने अंतर्राष्ट्रीय नवोदय चैंबर ऑफ कॉमर्स के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं, जो विश्वविद्यालय के भीतर उद्यमशीलता पारिस्थितिक तंत्र को बढ़ाने और छात्रों को असाधारण विकास के अवसर प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर श्रीनाथ विश्वविद्यालय के डीन एडमिनिस्ट्रेटिव जे राजेश और द…
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12 senior IT Officers compulsorily retired by Finance Ministry
वित्त मंत्रालय ने IT विभाग के 12 सीनियर अफसरों को जबरन किया रिटायर
हाईलाइट
IT विभाग के मुख्य आयुक्त, प्रधान आयुक्त समेत 12 अफसरों की छुट्टी
अधिकारियों पर थे भ्रष्टाचार, आय से अधिक संपत्ति और यौन उत्पीड़न के आरोप
मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में ही भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है। वित्त मंत्रालय ने आयकर विभाग के 12 सीनियर अफसरों को जबरन रिटायर कर दिया है। इनमें से कुछ अधिकारियों पर रिश्वत, जबरन वसूली और महिला अफसरों का यौन शोषण करने के आरोप लगे थे। जानकारी के मुताबिक, वित्त मंत्रालय ने डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड एडमिनिस्ट्रेटिव रिफॉर्म्स के नियम 56 के तहत इन अफसरों को समय से पहले ही रिटायरमेंट दे दी है।
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DRDO नौकरियां: रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन में 224 नौकरियां- लास्ट डेट 15 अक्टूबर, 2019 शाम 5 बजे
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भारत सरकार के एक प्रतिष्ठित संगठन, डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) सेंटर फॉर पर्सनल टैलेंट मैनेजमेंट – CEPTAM ने स्टाफोग्राफर, एडमिनिस्ट्रेटिव असिस्टेंट और स्टोर असिस्टेंट इन एडमिन और एलाइड कैडर में पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं। कुल 224 स्थान हैं। विभिन्न पदों की अलग-अलग योग्यता है। पूर्ण अधिसूचना http://www.drdo.gov.inवेबसाइट पर देखी जा सकती है। इन पदों के लिए आवेदन…
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Administrative Officers Conference : शासन स्तर पर फाइलें अनावश्यक रूप से लम्बित न हो – सीएम
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देहरादून: Administrative Officers Conference उत्तराखण्ड को 2025 तक देश का अग्रणी राज्य बनाने के लिए सभी आई.ए.एस. अधिकारियों को पूरी प्रशासनिक नेतृत्व क्षमता से कार्य करना होगा। राज्य के समग्र विकास एवं जन समस्याओं के त्वरित समाधान के लिए सरलीकरण, समाधान एवं निस्तारण के मंत्र के साथ आगे बढ़ना है। यह बात मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को सचिवालय में एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर्स कांफ्रेंस…
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