#एकदंतगणपतिकामंत्र
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chaitanyabharatnews · 4 years ago
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इस तरह टूटा था भगवान गणेश का एक दांत और कहलाने लगे 'एकदंत'
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चैतन्य भारत न्यूज 22 अगस्त से गणेश उत्सव की शुरुआत हो गई है। प्रत्येक घर में गणेश जी के अलग-अलग स्वरूपों की स्थापना की जाती है। बता दें भगवान गणेश के कुल 8 स्वरुप हैं। इनमें से दूसरा स्वरुप 'एकदंत' है। यह देहि-ब्रह्म का धारक है और इनका वाहन मूषक बताया गया है। लेकिन भगवान गणेश को क्यों एकदंत कहा जाता है? आइए जानते हैं इसके पीछे की कहानी- पुराणों में बताया गया है कि एक बार विष्णु अवतार भगवान परशुराम जी भगवान शिव से मिलने कैलाश पर्वत पर गए थे। उस दौरान गणेश जी ने उन्हें भगवान शिव से मिलने से रोक दिया और उन्हें मिलने की अनुमति नहीं दी। इस बात से परशुराम जी बेहद क्रोधित हो गए और उन्होंने गणेश जी ��ो युद्ध के लिए चुनौती दे डाली। गणेश जी ने भी परशुरामजी की यह चुनौती स्वीकार कर ली। फिर दोनों में घोर युद्ध हुआ। इसी युद्ध में परशुराम के फरसे के प्रहार से गणेश जी का एक दांत खंडित हो गया था। तभी से वे एकदंत कहलाए।
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मदासुर नामक पराक्रमी दैत्य ने संपूर्ण धरती पर साम्राज्य स्थापित कर स्वर्ग पर चढ़ाई की। उसने भगवान शिव को भी पराजित कर दिया था। ऐसे में सभी जगह असुरों का क्रूर शासन चलने लगा। फिर देवताओं की उपासना करने पर भगवान एकदंत प्रकट हुए। उनके एक वार से मदासुर बेहोश होकर गिर गया। जब वह होश में आया तो एकदंत से क्षमा मांगने लगा। फिर एकदंत ने उसे भी पाताल में जाने को कह दिया। एकदंत गणपति का मंत्र एकदन्ताय शुद्घाय सुमुखाय नमो नमः । प्रपन्न जनपालाय प्रणतार्ति विनाशिने ॥ अर्थ - जिनके एक दांत और सुंदर मुख है, जो शरणागत भक्तजनों के रक्षक तथा प्रणतजनों की पीड़ा का नाश करनेवाले हैं, उन शुद्धस्वरूप आप गणपति को नमस्कार है। ये भी पढ़े... मत्सरासुर का वध करने के लिए भगवान गणेश ने लिया था वक्रतुण्ड अवतार, बड़ी रोचक है कहानी  ये हैं भगवान गणेश का ऐसा अनोखा मंदिर जहां लगातार बढ़ रहा है मूर्ति का आकार  गणेश चतुर्थी 2020 : ये हैं पोटली वाले गणपति बप्पा, रुकी हुई शादियों की मन्नत करते हैं पूरी   Read the full article
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chaitanyabharatnews · 5 years ago
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इस तरह टूटा था भगवान गणेश का एक दांत और कहलाने लगे 'एकदंत'
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चैतन्य भारत न्यूज 2 सितंबर से गणेश उत्सव की शुरुआत हो गई है। प्रत्येक घर में गणेश जी के अलग-अलग स्वरूपों की स्थापना की जाती है। बता दें भगवान गणेश के कुल 8 स्वरुप हैं। इनमें से दूसरा स्वरुप 'एकदंत' है। यह देहि-ब्रह्म का धारक है और इनका वाहन मूषक बताया गया है। लेकिन भगवान गणेश को क्यों एकदंत कहा जाता है? आइए जानते हैं इसके पीछे की कहानी- पुराणों में बताया गया है कि एक बार विष्णु अवतार भगवान परशुराम जी भगवान शिव से मिलने कैलाश पर्वत पर गए थे। उस दौरान गणेश जी ने उन्हें भगवान शिव से मिलने से रोक दिया और उन्हें मिलने की अनुमति नहीं दी। इस बात से परशुराम जी बेहद क्रोधित हो गए और उन्होंने गणेश जी को युद्ध के लिए चुनौती दे डाली। गणेश जी ने भी परशुरामजी की यह चुनौती स्वीकार कर ली। फिर दोनों में घोर युद्ध हुआ। इसी युद्ध में परशुराम के फरसे के प्रहार से गणेश जी का एक दांत खंडित हो गया था। तभी से वे एकदंत कहलाए। मदासुर नामक पराक्रमी दैत्य ने संपूर्ण धरती पर साम्राज्य स्थापित कर स्वर्ग पर चढ़ाई की। उसने भगवान शिव को भी पराजित कर दिया था। ऐसे में सभी जगह असुरों का क्रूर शासन चलने लगा। फिर देवताओं की उपासना करने पर भगवान एकदंत प्रकट हुए। उनके एक वार से मदासुर बेहोश होकर गिर गया। जब वह होश में आया तो एकदंत से क्षमा मांगने लगा। फिर एकदंत ने उसे भी पाताल में जाने को कह दिया। एकदंत गणपति का मंत्र एकदन्ताय शुद्घाय सुमुखाय नमो नमः । प्रपन्न जनपालाय प्रणतार्ति विनाशिने ॥ अर्थ - जिनके एक दांत और सुंदर मुख है, जो शरणागत भक्तजनों के रक्षक तथा प्रणतजनों की पीड़ा का नाश करनेवाले हैं, उन शुद्धस्वरूप आप गणपति को नमस्कार है । Read the full article
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