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#एक दिन का उदय
helputrust · 1 year
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22.05.2023, लखनऊ | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के तत्वावधान में त्याग, बलिदान एवं पराक्रम के प्रतीक 'मेवाड़ मुकुट' महाराणा प्रताप जी की जन्म जयंती के अवसर पर रामायण पार्क, सेक्टर 25, इंदिरा नगर, लखनऊ में "श्रद्धापूर्ण पुष्पांजलि" कार्यक्रम का आयोजन किया गया | कार्यक्रम में महाराणा प्रताप चैरिटेबल ट्रस्ट लखनऊ के अध्यक्ष श्री एस पी रॉय, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल, ट्रस्ट के आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य डॉ. एस. के. श्रीवास्तव, सेक्टर 25 के निवासीगण ए. के. त्रिपाठी, जे. पी. गुप्ता, महेश जैसवाल, आर के शर्मा, सरिता शर्मा, के. पी. शर्मा, सुनीता शर्मा, संजय कुमार पाण्डेय तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों द्वारा महाराणा प्रताप जी के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पार्पण किया गया |
इस अवसर पर ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल ने अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा कि हल्दीघाटी के युद्ध में, दुश्मन में कोहराम मचाया था, देख वीरता राजपूताने की, दुश्मन भी थर्राया था |" भारतीय इतिहास में अनेक महान वीरों ने अपनी शौर्य और बलिदान के माध्यम से हमारे देश को गौरवान्वित किया है, उनमें से एक महान वीर थे "महाराणा प्रताप सिंह" जिनकी जयंती आज हम मना रहे हैं । महाराणा प्रताप सोलहवीं शताब्दी के उदयपुर, मेवाड़ मे सिसोदिया राजपूत राजवंश के महान राजा थे एवं अपनी वीरता, पराक्रम, व शौर्यता के लिए जाने जाते थे । शूरवीर महाराणा प्रताप ने मुगलों के अतिक्रमणों के खिलाफ अनगिनत लड़ाइयां लड़ी थीं | कहा जाता है कि महाराणा प्रताप ने जंगल में घास की रोटी खाई और जमीन पर सोकर रात गुजारी, लेकिन अकबर के सामने कभी हार नहीं मानी | आज महाराणा प्रताप जी की जन्म जयंती पर आइए यह संकल्प लें कि अपने दुश्मनों के सामने कभी घुटने नहीं टेकेगे वह पूरे आत्मविश्वास एवं तन्मयता के साथ अपने देश की रक्षा करेंगे |"
महाराणा प्रताप चैरिटेबल ट्रस्ट लखनऊ के अध्यक्ष एस पी राय ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि अनुपम, अद्वितीय, अपराजेय वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के स्मरण मात्र से आज भी साहस, शौर्य, स्वाभिमान, समर्पण संघर्ष एवं सफलता की चेतना एक साथ स्वत: हो जाती है l गुहील (गुहिला दित्य) कुल में आज से 483 साल पहले 9 मई 1540 ईस्वी में कुंभलगढ़ किला में राणा उदय सिंह (द्वितीय) के पुत्र राणा प्रताप (प्रथम) जिन्हें हम महाराणा प्रताप के नाम से जानते हैं का जन्म हुआ था l इस कुल की शुरूआत वर्ष 566 में गुहिला दित्य से हुई, जो इस्लाम धर्म के शुरुआत के कई वर्ष पूर्व हैं और यह वंश अभी तक चला आ रहा है इसीलिए इस वंश (dynasty) को विश्व का सबसे लंबा शासक वंश कहा जाता है | इसी कुल में अनेकों वीर योद्धा हुए जिन्होंने राजपूताना मेवाड़ के साथ अपनी मातृभूमि एवं सनातन धर्म की रक्षा के लिए विदेशी आक्रांताओं से लोहा लिया | वंदनीय बप्पा रावल जिनका शासन 734 से 753 ईसवी तक रहा, ने प्रथम मुस्लिम आक्रांता को खदेड़ कर भारत से बाहर कर दिया | सिसौदा के गहलोत श्रद्धेय राणा हमीर ने अलाउद्दीन खिलजी से जीतकर चित्तौड़ पुनः अपने कब्जे में ले लिया और तभी से इस वंश को सिसोदिया कहा जाने लगा | महाराणा कुंभकरण जो लोगों में कुम्भा के नाम से विख्यात हैं उन्हें “हिंदू सुरत्राण” कहा गया है | जिन्होंने दिल्ली एवं गुजरात के सुल्तानों का कितना ही प्रदेश अपने अधीन किया | मध्यकालीन युग में राणा संग्राम सिंह जिन्हें राणा सांगा के नाम से जाना जाता है, वे मुगल आक्रांता बाबर से लड़ाई लड़े ताकि भारत के पवित्र भूमि पर उसका कब्जा न हो और उसी स्वतंत्र मात्रभूमि की भावना का जीवंत स्वरूप हम महाराणा प्रताप में पाते हैं जिन्होंने मुगल बादशाह अकबर, जिसका आधिपत्य और साम्राज्य समूचे उत्तर भारत पर था, के विरुद्ध वर्ष 1576 में हुए हल्दीघाटी युद्ध के कई वर्षों तक अपने प्रण पर अडिग रहकर लड़ते रहे क्योंकि हल्दीघाटी का युद्ध अनिर्णायक रहा जबकि मुगल के 30,000 सेना फौज के सामने महाराणा का मात्र 5000 सेना की फौज थी | इसी युद्ध में महाराणा का चेतक घायल हो गया था और तभी सामला के राजा मानसिंह झाला ने महाराणा को अपना मुकुट देकर रणभूमि से निकाला ताकि महाराणा प्रताप अकबर से बाद में लोहा ले सके | हल्दीघाटी युद्ध के बाद अकबर 1577, 1578, 1579 एवं 1580 तक विभिन्न सेनापतियों जैसे सहवास हुसैन, बहलोल खान, मानसिंह, अब्दुल रहीम खानखाना के अगुवाई में लगातार बड़ी सेना की टुकड़ी के साथ भेजता रहा मगर सभी युद्ध अनिर्णायक रहा | महाराणा प्रताप गुरिल्ला पद्धति से लड़ाई लड़ते थे 1581 में दानवीर भामाशाह ने धन देकर युद्ध के लिए मार्ग प्रशस्त किए | वर्ष 1582 में विजयादशमी के दिन महाराणा प्रताप ने कोल  भील से गठित अकबर के 50,000 सेना पर धावा बोल दिया | यह युद्ध देवार युद्ध के नाम से जाना जाता है | और मुगल सेना हार के कारण अपने 36000 सेना महाराणा के सामने आत्मसमर्पण कर दिया | महाराणा का चित्तौड़ छोड़कर पुनः पूरे मेवाड़ पर कब्जा हो गया | इस तरह से विजयादशमी हम भारतीयों के लिए दो खुशियां लेकर आती है एक राजा रामचंद्र के वनवास ��े अयोध्या लौटने का और इसी सूर्यवंशी कुल में पैदा महाराणा के जीत का | इसी Battle of Dewar में महाराणा ने अपने तलवार से बहलोल खान को एक बार में ही बीचो-बीच टुकड़े कर दिए | मगर Battle of Dewar का इतिहास में स्थान नहीं मिला | 1584 में अकबर स्वयं सेना लेकर आया मगर वह 6 माह बाद निराश होकर आगरा लौट गया वह महाराणा को पराजित नहीं कर सका | महाराणा कुल की महानता इससे भी जाहिर होती है कि राज चिन्ह में भील आदिवासी को राणा के समकक्ष रखा गया है और सूर्य के नीचे “जो दृढ़ राखे धर्म को, तेहि राखे करतार,” की पंक्ति अंकित है जो अपने धर्म की रक्षा का सन्देश देती है |
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sujit-kumar · 1 year
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कबीर बड़ा या कृष्ण Part 104
‘‘शिशु कबीर देव द्वारा कुँवारी गाय का दूध पीना’’
बालक कबीर को दूध पिलाने की कोशिश नीमा ने की तो परमेश्वर ने मुख बन्द कर लिया। सर्व प्रयत्न करने पर भी नीमा तथा नीरू बालक को दूध पिलाने में असफल रहे। 25 दिन जब बालक को निराहार बीत गए तो माता-पिता अति चिन्तित हो गए। 24 दिन से नीमा तो रो-2 कर विलाप कर रही थी। सोच रही थी यह बच्चा कुछ भी नहीं खा रहा है। यह मरेगा, मेरे बेटे को किसी की नजर लगी है। 24 दिन से लगातार नजर उतारने की विधि भिन्न भिन्न-2 स्त्री-पुरूषों द्वारा बताई प्रयोग करके थक गई। कोई लाभ नहीं हुआ। आज पच्चीसवाँ दिन उदय हुआ। माता नीमा रात्रि भर जागती रही तथा रोती रही कि पता नहीं यह बच्चा कब मर जाएगा। मैं भी साथ ही फाँसी पर लटक जाऊँगी। मैं इस बच्चे के बिना जीवित नहीं रह सकती बालक कबीर का शरीर पूर्ण रूप से स्वस्थ था तथा ऐसे लग रहा था जैसे बच्चा प्रतिदिन एक किलो ग्राम (एक सेर) दूध पीता हो। परन्तु नीमा को डर था कि बिना कुछ खाए पीए यह बालक जीवित रह ही नहीं सकता। यह कभी भी मृत्यु को प्राप्त हो सकता है। यह सोच कर फूट-2 कर रो रही थी। भगवान शंकर के साथ-साथ निराकार प्रभु की भी उपासना तथा उससे की गई प्रार्थना जब व्यर्थ रही तो अति व्याकुल होकर रोने लगी।
भगवान शिव, एक ब्राह्मण (ऋषि) का रूप बना कर नीरू की झोंपड़ी के सामने खड़े हुए तथा नीमा से रोने का कारण जानना चाहा। नीमा रोती रही हिचकियाँ लेती रही। सन्त रूप में खड़े भगवान शिव जी के अति आग्रह करने पर नीमा रोती-2 कहने लगी हे ब्राह्मण ! मेरे दुःख से परिचित होकर आप भी दुःखी हो जाओगे। फकीर वेशधारी शिव भगवान बोले हे माई! कहते है अपने मन का दुःख दूसरे के समक्ष कहने से मन हल्का हो जाता है। हो सकता है आप के कष्ट को निवारण करने की विधि भी प्राप्त हो जाए। आँखों में आँसू जिव्हा लड़खड़ाते हुए गहरे साँस लेते हुए नीमा ने बताया हे महात्मा जी! हम निःसन्तान थे। पच्चीस दिन पूर्व हम दोनों प्रतिदिन की तरह काशी में लहरतारा तालाब पर स्नान करने जा रहे थे। उस दिन ज्येष्ठ मास की शुक्ल पूर्णमासी की सुबह थी। रास्ते में मैंने अपने इष्ट भगवान शंकर से पुत्र प्राप्ति की हृदय से प्रार्थना की थी मेरी पुकार सुनकर दीनदयाल भगवान शंकर जी ने उसी दिन एक बालक लहरतारा तालाब में कमल के फूल पर हमें दिया। बच्चे को प्राप्त करके हमारे हर्ष का कोई ठिकाना नहीं रहा। यह हर्ष अधिक समय तक नहीं रहा। इस बच्चे ने दूध नहीं पीया। सर्व प्रयत्न करके हम थक चुके हैं। आज इस बच्चे को पच्चीसवां दिन है कुछ भी आहार नहीं किया है। यह बालक मरेगा। इसके साथ ही मैं आत्महत्या करूँगी। मैं इसकी मृत्यु की प्रतिक्षा कर रही हूँ। सर्व रात्रि बैठ कर तथा रो-2 व्यतीत की है। मैं भगवान शंकर से प्रार्थना कर रही हूँ कि हे भगवन्! इससे अच्छा तो यह बालक न देते। अब इस बच्चे में इतनी ममता हो गई है कि मैं इसके बिना जीवित नहीं रह सकूंगी। नीमा के मुख से सर्वकथा सुनकर साधु रूपधारी भगवान शंकर ने कहा। आप का बालक मुझे दिखाईए। नीमा ने बालक को पालने से उठाकर ऋषि के समक्ष प्रस्तुत किया। दोनों प्रभुओं की आपस में दृष्टि मिली। भगवान शंकर जी ने शिशु कबीर जी को अपने हाथों में ग्रहण किया तथा मस्तिष्क की रेखाऐं व हस्त रेखाऐं देख कर बोले नीमा! आप के बेटे की लम्बी आयु है यह मरने वाला नहीं है। देख कितना स्वस्थ है। कमल जैसा चेहरा खिला है। नीमा ने कहा हे विप्रवर! बनावटी सांत्वना से मुझे सन्तोष होने वाला नहीं है। बच्चा दूध पीएगा तो मुझे सुख की साँस आएगी। पच्चीस दिन के बालक का रूप धारण किए परमेश्वर कबीर जी ने भगवान शिव जी से कहा हे भगवन्! आप इन्हें कहो एक कुँवारी गाय लाऐं। आप उस कंवारी गाय पर अपना आशीर्वाद भरा हस्त रखना, वह दूध देना प्रारम्भ कर देगी। मैं उस कुँवारी गाय का दूध पीऊँगा। वह गाय आजीवन बिना ब्याए (अर्थात् कुँवारी रह कर ही) दूध दिया करेगी उस दूध से मेरी परवरिश होगी। परमेश्वर कबीर जी तथा भगवान शंकर (शिव) जी की सात बार चर्चा हुई।
शिवजी ने नीमा से कहा आप का पति कहाँ है? नीमा ने अपने पति को पुकारा वह भीगी आँखों से उपस्थित हुआ तथा ब्राह्मण को प्रणाम किया। ब्राह्मण ने कहा नीरू! आप एक कुँवारी गाय लाओ। वह दूध देवेगी। उस दूध को यह बालक पीएगा। नीरू कुँवारी गाय ले आया तथा साथ में कुम्हार के घर से एक ताजा छोटा घड़ा (चार कि.ग्रा. क्षमता का मिट्टी का पात्र) भी ले आया। परमेश्वर कबीर जी के आदेशानुसार विप्ररूपधारी शिव जी ने उस कंवारी गाय की पीठ पर हाथ मारा जैसे थपकी लगाते हैं। गऊ माता के थन लम्बे-2 हो गए तथा थनों से दूध की धार बह चली। नीरू को पहले ही वह पात्र थनों के नीचे रखने का आदेश दे रखा था। दूध का पात्र भरते ही थनों से दूध निकलना बन्द हो गया। वह दूध शिशु रूपधारी कबीर परमेश्वर जी ने पीया। नीरू नीमा ने ब्राह्मण रूपधारी भगवान शिव के चरण लिए तथा कहा आप तो साक्षात् भगवान शिव के रूप हो। आपको भगवान शिव ने ही हमारी पुकार सुनकर भेजा है। हम निर्धन व्यक्ति आपको क्या दक्षिणा दे सकते हैं? हे विप्र! 24 दिनों से हमने कोई कपड़ा भी नहीं बुना है। विप्र रूपधारी भगवान शंकर बोले! साधु भूखा भाव का, धन का भूखा नाहीं। जो है भूखा धन का, वह तो साधु नाहीं। यह कहकर विप्र रूपधारी शिवजी ने वहाँ से प्रस्थान किया।
विशेष वर्णन अध्याय ’’ज्ञान सागर‘‘ के पृष्ठ 74 तथा ’’स्वसमबेद बोध‘‘ के पृष्ठ 134 पर भी है जो इस प्रकार है:-
’’कबीर सागर के ज्ञान सागर के पृष्ठ 74 पर‘‘
सुत काशी को ले चले, लोग देखन तहाँ आय। अन्न-पानी भक्ष नहीं, जुलहा शोक जनाय।।
तब जुलहा मन कीन तिवाना, रामानन्द सो कहा उत्पाना।। मैं सुत पायो बड़ा गुणवन्ता। कारण कौण भखै नहीं सन्ता।
रामानन्द ध्यान तब धारा। जुलहा से तब बचन उच्चारा।।।
पूर्व जन्म तैं ब्राह्मण जाती। हरि सेवा किन्ही भलि भांति।।
कुछ सेवा तुम हरि की चुका। तातैं भयों जुलहा का रूपा।।
प्रति प्रभु कह तोरी मान लीन्हा। तातें उद्यान में सुत तोंह दिन्हा।।
नीरू वचन
हे प्रभु जस किन्हो तस पायो। आरत हो तव दर्शन आयो।।
सो कहिए उपाय गुसाई। बालक क्षुदावन्त कुछ खाई।।
रामानन्द वचन
रामानन्द अस युक्ति विचारा। तव सुत कोई ज्ञानी अवतारा।।
बछिया जाही बैल नहीं लागा। सो लाई ठाढ़ करो तेही आगै।।
साखी = दूध चलै तेहि थन तें, दूध्हि धरो छिपाई।
क्षूदावन्त जब होवै, तबहि दियो पिलाई।।
चैपाई
जुलहा एक बछिया लै आवा। चल्यो दूत (दूध) कोई मर्म न पावा।।
चल्यो दूध, जुलहा हरषाना। राखो छिपाई काहु नहीं जाना।।।
पीवत दूध बाल कबीरा। खेलत संतों संग जो मत धीरा।।
ज्ञान सागर पृष्ठ 73 पर चैपाई
’’भगवान शंकर तथा कबीर बालक की चर्चा’’
{नोटः- यह प्रकरण अधूरा लिखा है। फिर भी समझने के लिए मेरे ऊपर कृपा है परमेश्वर कबीर जी की। पहले यह वाणी पढ़ें जो ज्ञान सागर के पृष्ठ 73 पर लिखी है, फिर अन्त में सारज्ञान यह दास (रामपाल दास) बताएगा।}
चैपाई
घर नहीं रहो पुरूष (नीरू) और नारी (नीमा)। मैं शिव सों अस वचन उचारी।।
आन के बार बदत हो योग। आपन नार करत हो भोग।।
नोटः- जो वाणी कोष्ठक { } में लिखी हैं, वे वाणी ज्ञान सागर में नहीं लिखी गई हैं जो पुरातन कबीर ग्रन्थ से ली हैं।
{ऐसा भ्रम जाल फलाया। परम पुरूष का नाम मिटाया।}
काशी मरे तो जन्म न होई। {स्वर्ग में बास तास का सोई}
{ मगहर मरे सो गधा जन्म पावा, काशी मरे तो मोक्ष करावा}
और पुन तुम सब जग ठग राखा। काशी मरे हो अमर तुम भाखा
जब शंकर होय तव काला, {ब्रह्मण्ड इक्कीस हो बेहाला}
{तुम मरो और जन्म उठाओ, ओरेन को कैसे अमर कराओ}
{सुनों शंकर एक बात हमारी, एक मंगाओ धेनु कंवारी}
{साथ कोरा घट मंगवाओ। बछिया के पीठ हाथ फिराओ}
{दूध चलैगा थनतै भाई, रूक जाएगा बर्तन भर जाई}
{सुनो बात देवी के पूता। हम आए जग जगावन सूता}
{पूर्ण पुरूष का ज्ञान बताऊँ। दिव्य मन्त्रा दे अमर लोक पहुँचाऊँ}
{तब तक नीरू जुलहा आया। रामानन्द ने जो समझाया}
{रामानन्द की बात लागी खारी। दूध देवेगी गाय कंवारी}
{जब शंकर पंडित रूप में बोले, कंवारी धनु लाओ तौले}
{साथ कोरा घड़ा भी लाना, तास में धेनु दूधा भराना}
{तब जुलहा बछिया अरू बर्तन लाया, शंकर गाय पीठ हाथ लगाया}
{दूध दिया बछिया कंवारी। पीया कबीर बालक लीला धारी}
{नीरू नीमा बहुते हर्षाई। पंडित शिव की स्तुति गाई}
{कह शंकर यह बालक नाही। इनकी महिमा कही न जाई}
{मस्तक रेख देख मैं बोलूं। इनकी सम तुल काहे को तोलूं}
{ऐस नछत्र देखा नाहीं, घूम लिया मैं सब ठाहीं।}
{इतना कहा तब शंकर देवा, कबीर कहे बस कर भेवा}
{मेरा मर्म न जाने कोई। चाहे ज्योति निरंजन होई}
{हम है अमर पुरूष अवतारा, भवसैं जीव ऊतारूं पारा}
{इतना सुन चले शंकर देवा, शिश चरण धर की नीरू नीमा सेवा}
हे स्वामी मम भिक्षा लीजै, सब अपराध क्षम�� (हमरे) किजै
{कह शंकर हम नहीं पंडित भिखारी, हम है शंकर त्रिपुरारी।}
{साधु संत को भोजन कराना, तुमरे घर आए रहमाना}
{ज्ञान सुन शंकर लजा आई, अद्भुत ज्ञान सुन सिर चक्राई।}
{ऐसा निर्मल ज्ञान अनोखा, सचमुच हमार है नहीं मोखा}
कबीर सागर अध्याय ‘‘स्वसम वेद बोध‘‘ पृष्ठ 132 से 134 तक परमेश्वर कबीर जी की प्रकट होने वाली वाणी है, परंतु इसमें भी कुछ गड़बड़ कर रखी है। कहा कि जुलाहा नीरू अपनी पत्नी का गौना (यानि विवाह के बाद प्रथम बार अपनी पत्नी को उसके घर से लाना को गौना अर्थात् मुकलावा कहते हैं।) यह गलत है। जिस समय परमात्मा कबीर जी नीरू को मिले, उस समय उनकी आयु लगभग 50 वर्ष थी। विचार करें गौने से आते समय कोई बालक मिल जाए तो कोई अपने घर नहीं रखता। वह पहले गाँव तथा सरकार को बताता है। फिर उसको किसी निःसंतान को दिया जाता है यदि कोई लेना चाहे तो। नहीं तो राजा उसको बाल ग्रह में रखता है या अनाथालय में छोड़ते हैं। नीमा ने तो बच्चे को छोड़ना ही नहीं ��ाहा था। फिर भी जो सच्चाई वह है ही, हमने परमात्मा पाना है। उसको कैसे पाया जाता है, वह विधि सत्य है तो मोक्ष सम्भव है, ज्ञान इसलिए आवश्यक है कि विश्वास बने कि परमात्मा कौन है, कहाँ प्रमाण है? वह चेष्टा की जा रही है। अब केवल ’’बालक कबीर जी ने कंवारी गाय का दूध पीया था, वे वाणी लिखता हूँ’’।
स्वसम वेद बोध पृष्ठ 134 से
पंडित निज निज भौन सिधारा। बिन भोजन बीते बहु बारा (दिन)।।
बालक रूप तासु (नीरू) ग्रह रहेता। खान पान नाहीं कुछ गहते।
जोलाहा तब मन में दुःख पाई। भोजन करो कबीर गोसांई।।
जोलाहा जोलाही दुखित निहारी। तब हम तिन तें बचन उचारी।।
कोरी (कंवारी) एक बछिया ले आवो। कोरा भाण्डा एक मंगाओ।।
तत छन जोलाहा चलि जाई। गऊ की बछिया कोरी (कंवारी) ल्याई।।
कोरा भाण्डा एक गहाई (ले आई)। भांडा बछिया शिघ्र (दोनों) आई।।
दोऊ कबीर के समुख आना। बछिया दिशा दृष्टि निज ताना।।
बछिया हेठ सो भाण्डा धरेऊ। ताके थनहि दूधते भरेऊ।
दूध हमारे आगे धरही, यहि विधि खान-पान नित करही।।
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 1 मंत्र 9
अभी इमं अध्न्या उत श्रीणन्ति धेनवः शिशुम्। सोममिन्द्राय पातवे।।9।।
अभी इमम्-अध्न्या उत श्रीणन्ति धेनवः शिशुम् सोमम् इन्द्राय पातवे।
(उत) विशेष कर (इमम्) इस (शिशुम्) बालक रूप में प्रकट (सोमम्) पूर्ण परमात्मा अमर प्रभु की (इन्द्राय) सुखदायक सुविधा के लिए जो आवश्यक पदार्थ शरीर की (पातवे) वृद्धि के लिए चाहिए वह पूर्ति (अभी) पूर्ण तरह (अध्न्या धेनवः) जो गाय, सांड द्वारा कभी भी परेशान न की गई हों अर्थात् कुँवारी गायों द्वारा (श्रीणन्ति) परवरिश की जाती है।
भावार्थ - पूर्ण परमात्मा अमर पुरुष जब लीला करता हुआ बालक रूप धारण करके स्वयं प्रकट होता है सुख-सुविधा के लिए जो आवश्यक पदार्थ शरीर वृद्धि के लिए चाहिए वह पूर्ति कुँवारी गायों द्वारा की जाती है अर्थात् उस समय (अध्नि धेनु) कुँवारी गाय अपने आप दूध देती है जिससे उस पूर्ण प्रभु की परवरिश होती है।
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
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sampannamayapvt · 2 years
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संकष्टी चतुर्थी का पर्व अश्विना मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाएगा ।
इस दिन विघ्नहर्ता भगवान गणेश की विशेष पूजा अर्चना की जाती है । इस दिन चांद को देखकर अर्ध्य दिया जाता है ।
इस दिन हस्त नक्षत्र रहेगा और चंद्रमा कन्या राशि में विराजमान रहेगा।
संकष्टी चतुर्थी हिन्दू धर्म का एक प्रसिद्ध त्यौहार है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार, भगवान गणेश को अन्य सभी देवी-देवतों में प्रथम पूजनीय माना गया है। इन्हें बुद्धि, बल और विवेक का देवता का दर्जा प्राप्त है। भगवान गणेश अपने भक्तों की सभी परेशानियों और विघ्नों को हर लेते हैं इसीलिए इन्हें विघ्नहर्ता और संकटमोचन भी कहा जाता है।
क्या है संकष्टी च��ुर्थी?
संकष्टी चतुर्थी का मतलब होता है संकट को हरने वाली चतुर्थी। संकष्टी संस्कृत भाषा से लिया गया एक शब्द है, जिसका अर्थ होता है ‘कठिन समय से मुक्ति पाना’।
इस दिन व्यक्ति अपने दुःखों से छुटकारा पाने के लिए गणपति की अराधना करता है। पुराणों के अनुसार चतुर्थी के दिन गौरी पुत्र गणेश की पूजा करना बहुत फलदायी होता है। इस दिन लोग सूर्योदय के समय से लेकर चन्द्रमा उदय होने के समय तक उपवास रखते हैं। संकष्टी चतुर्थी को पूरे विधि-विधान से गणपति की पूजा-पाठ की जाती है।
कब होती है संकष्टी चतुर्थी?
पूर्णिमा के बाद आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं, वहीं अमावस्या के बाद आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं। संकष्टी चतुर्थी को भगवान गणेश की आराधना करने के लिए विशेष दिन माना गया है। शास्त्रों के अनुसार माघ माह में पड़ने वाली पूर्णिमा के बाद की चतुर्थी बहुत शुभ होती है। यह दिन भारत के उत्तरी और दक्षिणी राज्यों में ज्यादा धूम-धाम से मनाया जाता है।
गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्।
उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्।।
#संपन्नमाया अगरबत्ती की तरफ से आप सभी को संकष्टी चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएं!
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1972renusingh · 2 years
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संकष्टी चतुर्थी का पर्व अश्विना मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाएगा ।
इस दिन विघ्नहर्ता भगवान गणेश की विशेष पूजा अर्चना की जाती है । इस दिन चांद को देखकर अर्ध्य दिया जाता है ।
इस दिन हस्त नक्षत्र रहेगा और चंद्रमा कन्या राशि में विराजमान रहेगा।
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संकष्टी चतुर्थी हिन्दू धर्म का एक प्रसिद्ध त्यौहार है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार, भगवान गणेश को अन्य सभी देवी-देवतों में प्रथम पूजनीय माना गया है। इन्हें बुद्धि, बल और विवेक का देवता का दर्जा प्राप्त है। भगवान गणेश अपने भक्तों की सभी परेशानियों और विघ्नों को हर लेते हैं इसीलिए इन्हें विघ्नहर्ता और संकटमोचन भी कहा जाता है।
क्या है संकष्टी चतुर्थी?
संकष्टी चतुर्थी का मतलब होता है संकट को हरने वाली चतुर्थी। संकष्टी संस्कृत भाषा से लिया गया एक शब्द है, जिसका अर्थ होता है ‘कठिन समय से मुक्ति पाना’।
इस दिन व्यक्ति अपने दुःखों से छुटकारा पाने के लिए गणपति की अराधना करता है। पुराणों के अनुसार चतुर्थी के दिन गौरी पुत्र गणेश की पूजा करना बहुत फलदायी होता है। इस दिन लोग सूर्योदय के समय से लेकर चन्द्रमा उदय होने के समय तक उपवास रखते हैं। संकष्टी चतुर्थी को पूरे विधि-विधान से गणपति की पूजा-पाठ की जाती है।
कब होती है संकष्टी चतुर्थी?
पूर्णिमा के बाद आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं, वहीं अमावस्या के बाद आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं। संकष्टी चतुर्थी को भगवान गणेश की आराधना करने के लिए विशेष दिन माना गया है। शास्त्रों के अनुसार माघ माह में पड़ने वाली पूर्णिमा के बाद की चतुर्थी बहुत शुभ होती है। यह दिन भारत के उत्तरी और दक्षिणी राज्यों में ज्यादा धूम-धाम से मनाया जाता है।
गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्।
उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्।।
#संपन्नमाया अगरबत्ती की तरफ से आप सभी को संकष्टी चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएं!
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snehagoogle · 19 days
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As the evening approached
As the evening approached, the sun started setting towards the west and the moon was also setting. At the same time, a bright object appeared in the western sky.
How does the moon rise just after the sun rises?
A new moon rises with the sun, but it's not visible from Earth because it's in the daytime sky. This is because the moon is much less bright than the sun. 
The moon's orbit around the Earth causes it to move 12–13 degrees east each day. This means that Earth has to rotate a little longer to bring the moon into view, which is why the moon rises about 50 minutes later each day. 
The moon is above the horizon for about 12 hours out of every 24, and some portion of that time is during daylight. If you look carefully, you can sometimes see the moon during the day, but it's much less bright than the sun. 
The moon goes around the earth turning in the same direction as the earth on itself and the earth around the sun. So before the eclipse, the moon will rise after the sun, “catch” it in the sky, “pass it” and set before the sun as it overtakes it in the sky.8 Feb 2022
Phases of the Moon
Museums Victoria
https://museumsvictoria.com.au › learning › little-science
... Moon is dependent on its position in relation to the Sun and Earth. The Moon rises in the east and sets in the west every day just like the Sun.
Phases of the Moon
This activity is designed to build curiosity about observable changes in the sky, with a focus on the phases of the Moon.
The person depicted in the illustrations below ventures outside at different times throughout the month and notices that the Moon looks different.
Each time the person is watching the Moon rise into the sky, but sometimes this happens during the day and other times at night. The Moon also appears to change shape over time, and this is related to when we can see the Moon in the sky.A New Moon rises above the eastern horizon at sunrise with the sun. On this day the Moon then travels across the daytime sky with the sun. A New Moon is in the daytime sky but we cannot see it from Earth.
On the day of a New Moon, the Moon is located between the Earth and the Sun. A person on Earth cannot see a New Moon because the side of the Moon that is facing Earth is not being illuminated by the Sun.
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शाम होते ही सूरज भी पश्चिम ओर ढल गए साथ साथ चंद्रमां भी ढल रही हो रही है उसी वक्त एक ऊजालों सी पिंड प्रकट हुआ उसी पश्चिमी आसमान में
सूरज की ऊगने की बाद ही चांद भी कैसे ऊग होते है
नया चाँद सूरज के साथ उगता है, लेकिन यह पृथ्वी से दिखाई नहीं देता क्योंकि यह दिन के समय आकाश में होता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि चाँद सूरज से बहुत कम चमकीला होता है।
पृथ्वी के चारों ओर चंद्रमा की कक्षा इसे हर दिन 12-13 डिग्री पूर्व की ओर ले जाती है। इसका मतलब है कि चंद्रमा को देखने के लिए पृथ्वी को थोड़ा अधिक घूमना पड़ता है, यही वजह है कि चाँद हर दिन लगभग 50 मिनट बाद उगता है।
हर 24 घंटों में से लगभग 12 घंटे चाँद क्षितिज से ऊपर रहता है, और उस समय का कुछ हिस्सा दिन के उजाले के दौरान होता है। अगर आप ध्यान से देखें, तो आप कभी-कभी दिन के दौरान चाँद को देख सकते हैं, लेकिन यह सूरज से बहुत कम चमकीला होता है।
चंद्रमा पृथ्वी के चारों ओर उसी दिशा में घूमता है जिस दिशा में पृथ्वी खुद पर और पृथ्वी सूर्य के चारों ओर घूमती है। इसलिए ग्रहण से पहले, चंद्रमा सूर्य के बाद उदय होगा, आकाश में उसे “पकड़ेगा”, “उसे पार करेगा” और आकाश में सूर्य के आगे निकलने से पहले अस्त हो जाएगा।8 फरवरी 2022
चंद्रमा के चरण
म्यूजियम विक्टोरिया
https://museumsvictoria.com.au › learning › little-science
... चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के संबंध में अपनी स्थिति पर निर्भर करता है। चंद्रमा सूर्य की तरह ही हर दिन पूर्व में उदय होता है और पश्चिम में अस्त होता है।
चंद्रमा के चरण
यह गतिविधि चंद्रमा के चरणों पर ध्यान केंद्रित करते हुए, आकाश में देखने योग्य परिवर्तनों के बारे में जिज्ञासा पैदा करने के लिए डिज़ाइन की गई है।
नीचे दिए गए चित्रों में दर्शाया गया व्यक्ति पूरे महीने में अलग-अलग समय पर बाहर निकलता है और देखता है कि चंद्रमा अलग दिखता है।
हर बार व्यक्ति चंद्रमा को आकाश में उगते हुए देख रहा होता है, लेकिन कभी-कभी यह दिन के दौरान और कभी-कभी रात में होता है। चंद्रमा भी समय के साथ आकार बदलता हुआ प्रतीत होता है, और यह इस बात से संबंधित है कि हम आकाश में चंद्रमा को कब देख सकते हैं। एक नया चंद्रमा सूर्योदय के समय सूर्य के साथ पूर्वी क्षितिज से ऊपर उगता है। इस दिन चंद्रमा फिर सूर्य के साथ दिन के आकाश में यात्रा करता है। एक नया चंद्रमा दिन के आकाश में होता है, लेकिन हम इसे पृथ्वी से नहीं देख सकते हैं। एक नए चंद्रमा के दिन, चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच स्थित होता है। पृथ्वी पर एक व्यक्ति एक नया चंद्रमा नहीं देख सकता है क्योंकि चंद्रमा का वह भाग जो पृथ्वी का सामना कर रहा है, सूर्य द्वारा प्रकाशित नहीं हो रहा है।
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jeevanjali · 3 months
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Vivah Muhurat July 2024: जुलाई महीने में कितने दिन बजेगी विवाह की शहनाई, जानिए शुभ मुहूर्तVivah Muhurat July 2024: 29 जून को शुक्र के उदय होने के बाद एक बार फिर शादियों का सीजन शुरू हो गया है। इस साल जुलाई में विवाह के लिए कई शुभ मुहूर्त हैं। पंचांग के अनुसार जुलाई में देवशयनी एकादशी भी पड़ रही है।
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indianews20 · 4 months
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*समर कैंप आउटडोर शिक्षा और साहसिक कार्य के लिए स्वर्ग है - डॉक्टर अरुण*
India news 20 अनिल कुमार गुप्ता ब्यूरो प्रमुख जहानाबाद
जिले के मानस इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल दक्षिणी के परिसर में समर कैंप कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसका विधिबत उद्घाटन संस्था के अध्यक्ष डॉ अरुण कुमार सिन्हा ने किया अपने उद्घाटन भाषण में उन्होंने कहा कि ग्रीष्म कालीन शिविर एक संरक्षित और सकारात्मक सेटिंग के माध्यम से बच्चों में आत्मविश्वास, स्वतंत्रता,सामाजिक कौशल को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। कौशल निर्माण कार्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित करने के साथ यह शिविर आउटडोर शिक्षा और प्राकृति साहसिक कार्य के लिए स्वर्ग है।
इस अवसर पर स्कूल के निदेशक श्री निशांत रंजन ने कहा कि समर कैंप की गतिविधियां बच्चों को नए दोस्त बनाने और स्थाई रिश्ते बनाने का अवसर प्रदान करती है । टीमवर्क और सहयोग के माध्यम से बच्चे सजग सहानुभूति और संघर्ष समाधान जैसे मूल्यवान सामाजिक कौशल सीखते हैं। यह शिविर बच्चों को नए कौशल विकसित करने और उनके जुनून की खोज करने के लिए मददगार साबित होता है। इस अवसर पर स्कूल के प्राचार्य डॉक्टर संजय कुमार सिन्हा ने कहा की समर कैंप बच्चों को प्राकृतिक दुविधा के साथ गहरा रिश्ता बनाते हुए खुद को तलाशने और खोजबीन का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है । मेरा लक्ष्य है यह है कि स्कूल के बच्चों में आत्मअनुशासन, लचीलापन और टीम नेतृत्व की भावना का विकास हो । इस अवसर पर उन्होंने कहा की शिविर 20 मई से शुरू होकर 26 मई को समाप्त होगा। जहां शिविर में भाग लेने वाले स्कूल के बच्चों को हॉर्स राइडिंग, थिएटर शिक्षा, कराटे, संगीत, ड्रामा, पेंटिंग, फोटोग्राफी, खेलकूद प्रतियोगिता,भाषण प्रतियोगिता आदि का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके लिए बिहार राज्य एवं झारखंड राज्य के समर शिविर विशेषज्ञों को आमंत्रित किए गए हैं। जिन विशेषज्ञों को बुलाया गया है वे कराटे के क्षेत्र में सौरव एवं नीरज, कबड्डी के क्षेत्र में गोपाल सिंह, हॉर्स राइडिंग के क्षेत्र में गोपाल कुमार, आर्ट एवं क्राफ्ट के क्षेत्र में शिखा कुमारी स्वर्ण पदक प्राप्त, कुमार उदय सिंह फोक डांस के लिए, ड्रामा क्षेत्र में सत्यम कुमार सिंह, और सौरव सफारी, संगीत क्षेत्र में मोहम्मद जानी, कैरेक्टर एजुकेशन क्षेत्र में शैलेंद्र कुमार, एवं बाल पेंटिंग क्षेत्र में नूतन सिंह पहुंच चुके हैं कैंप में भाग लेने वाले छात्र-छात्राओं को एक दिन 23/5/ 2024 को संपतचक स्थित वाटर पार्क पटना पटना भी जाना है। इस कार्यक्रम में जिले के अन्य स्कूल के भी छात्र-छात्राएं भी भाग लिए हैं। इस अवसर पर स्कूल के मैनेजर रणधीर कुमार ,मृत्युंजय कुमार राकेश कुमार राजीव कुमार अनुराग कुमार, योगेंद्र कुमार, अमित कुमार, पंकज कुमार संजय, कुमार पांडे, शिवनाथ कुमार, संजीव कुमार, अमरीश कुमार, राजेश कुमार, रामप्रवेश प्रसाद, उज्जवल कुमार मंजू सिंह, राखी कुमारी, प्रियंका कुमारी आदि भी सहयोग के लिए प्रतिबद्ध हैं।
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helpukiranagarwal · 4 months
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महाराणा प्रताप जन्म जयंती : एस पी रॉय | Maharana Pratap Birth Anniversary : S P Roy
22.05.2023, लखनऊ | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के तत्वावधान में त्याग, बलिदान एवं पराक्रम के प्रतीक 'मेवाड़ मुकुट' महाराणा प्रताप जी की जन्म जयंती के अवसर पर रामायण पार्क, सेक्टर 25, इंदिरा नगर, लखनऊ में "श्रद्धापूर्ण पुष्पांजलि" कार्यक्रम का आयोजन किया गया | कार्यक्रम में महाराणा प्रताप चैरिटेबल ट्रस्ट लखनऊ के अध्यक्ष श्री एस पी रॉय, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल, ट्रस्ट के आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य डॉ. एस. के. श्रीवास्तव, सेक्टर 25 के निवासीगण ए. के. त्रिपाठी, जे. पी. गुप्ता, महेश जैसवाल, आर के शर्मा, सरिता शर्मा, के. पी. शर्मा, सुनीता शर्मा, संजय कुमार पाण्डेय तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों द्वारा महाराणा प्रताप जी के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पार्पण किया गया |
इस अवसर पर ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल ने अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा कि हल्दीघाटी के युद्ध में, दुश्मन में कोहराम मचाया था, देख वीरता राजपूताने की, दुश्मन भी थर्राया था |" भारतीय इतिहास में अनेक महान वीरों ने अपनी शौर्य और बलिदान के माध्यम से हमारे देश को गौरवान्वित किया है, उनमें से एक महान वीर थे "महाराणा प्रताप सिंह" जिनकी जयंती आज हम मना रहे हैं । महाराणा प्रताप सोलहवीं शताब्दी के उदयपुर, मेवाड़ मे सिसोदिया राजपूत राजवंश के महान राजा थे एवं अपनी वीरता, पराक्रम, व शौर्यता के लिए जाने जाते थे । शूरवीर महाराणा प्रताप ने मुगलों के अतिक्रमणों के खिलाफ अनगिनत लड़ाइयां लड़ी थीं | कहा जाता है कि महाराणा प्रताप ने जंगल में घास की रोटी खाई और जमीन पर सोकर रात गुजारी, लेकिन अकबर के सामने कभी हार नहीं मानी | आज महाराणा प्रताप जी की जन्म जयंती पर आइए यह संकल्प लें कि अपने दुश्मनों के सामने कभी घुटने नहीं टेकेगे वह पूरे आत्मविश्वास एवं तन्मयता के साथ अपने देश की रक्षा करेंगे |"
महाराणा प्रताप चैरिटेबल ट्रस्ट लखनऊ के अध्यक्ष एस पी राय ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि अनुपम, अद्वितीय, अपराजेय वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के स्मरण मात्र से आज भी साहस, शौर्य, स्वाभिमान, समर्पण संघर्ष एवं सफलता की चेतना एक साथ स्वत: हो जाती है l गुहील (गुहिला दित्य) कुल में आज से 483 साल पहले 9 मई 1540 ईस्वी में कुंभलगढ़ किला में राणा उदय सिंह (द्वितीय) के पुत्र राणा प्रताप (प्रथम) जिन्हें हम महाराणा प्रताप के नाम से जानते हैं का जन्म हुआ था l इस कुल की शुरूआत वर्ष 566 में गुहिला दित्य से हुई, जो इस्लाम धर्म के शुरुआत के कई वर्ष पूर्व हैं और यह वंश अभी तक चला आ रहा है इसीलिए इस वंश (dynasty) को विश्व का सबसे लंबा शासक वंश कहा जाता है | इसी कुल में अनेकों वीर योद्धा हुए जिन्होंने राजपूताना मेवाड़ के साथ अपनी मातृभूमि एवं सनातन धर्म की रक्षा के लिए विदेशी आक्रांताओं से लोहा लिया | मध्यकालीन युग में राणा संग्राम सिंह जिन्हें राणा सांगा के नाम से जाना जाता है, वे मुगल आक्रांता बाबर से लड़ाई लड़े ताकि भारत के पवित्र भूमि पर उसका कब्जा न हो और उसी स्वतंत्र मात्रभूमि की भावना का जीवंत स्वरूप हम महाराणा प्रताप में पाते हैं जिन्होंने मुगल बादशाह अकबर, जिसका आधिपत्य और साम्राज्य समूचे उत्तर भारत पर था, के विरुद्ध वर्ष 1576 में हुए हल्दीघाटी युद्ध के कई वर्षों तक अपने प्रण पर अडिग रहकर लड़ते रहे क्योंकि हल्दीघाटी का युद्ध अनिर्णायक रहा जबकि मुगल के 30,000 सेना फौज के सामने महाराणा का मात्र 5000 सेना की फौज थी | इसी युद्ध में महाराणा का चेतक घायल हो गया था और तभी सामला के राजा मानसिंह झाला ने महाराणा को अपना मुकुट देकर रणभूमि से निकाला ताकि महाराणा प्रताप अकबर से बाद में लोहा ले सके | हल्दीघाटी युद्ध के बाद अकबर 1577, 1578, 1579 एवं 1580 तक विभिन्न सेनापतियों जैसे सहवास हुसैन, बहलोल खान, मानसिंह, अब्दुल रहीम खानखाना के अगुवाई में लगातार बड़ी सेना की टुकड़ी के साथ भेजता रहा मगर सभी युद्ध अनिर्णायक रहा | महाराणा प्रताप गुरिल्ला पद्धति से लड़ाई लड़ते थे 1581 में दानवीर भामाशाह ने धन देकर युद्ध के लिए मार्ग प्रशस्त किए | वर्ष 1582 में विजयादशमी के दिन महाराणा प्रताप ने कोल  भील से गठित अकबर के 50,000 सेना पर धावा बोल दिया | यह युद्ध देवार युद्ध के नाम से जाना जाता है | और मुगल सेना हार के कारण अपने 36000 सेना महाराणा के सामने आत्मसमर्पण कर दिया | महाराणा का चित्तौड़ छोड़कर पुनः पूरे मेवाड़ पर कब्जा हो गया | इस तरह से विजयादशमी हम भारतीयों के लिए दो खुशियां लेकर आती है एक राजा रामचंद्र के वनवास से अयोध्या लौटने का और इसी सूर्यवंशी कुल में पैदा महाराणा के जीत का | इसी Battle of Dewar में महाराणा ने अपने तलवार से बहलोल खान को एक बार में ही बीचो-बीच टुकड़े कर दिए | मगर Battle of Dewar का  इतिहास में स्थान नहीं मिला | 1584 में अकबर स्वयं सेना लेकर आया मगर वह 6 माह बाद निराश होकर आगरा लौट गया वह महाराणा को पराजित नहीं कर सका | महाराणा कुल की महानता इससे भी जाहिर होती है कि राज चिन्ह में भील आदिवासी को राणा के समकक्ष रखा गया है और सूर्य के नीचे “जो दृढ़ राखे धर्म को, तेहि राखे करतार,” की पंक्ति अंकित है जो अपने धर्म की रक्षा का सन्देश देती है |
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drrupal-helputrust · 4 months
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महाराणा प्रताप जन्म जयंती : एस पी रॉय | Maharana Pratap Birth Anniversary : S P Roy
22.05.2023, लखनऊ | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के तत्वावधान में त्याग, बलिदान एवं पराक्रम के प्रतीक 'मेवाड़ मुकुट' महाराणा प्रताप जी की जन्म जयंती के अवसर पर रामायण पार्क, सेक्टर 25, इंदिरा नगर, लखनऊ में "श्रद्धापूर्ण पुष्पांजलि" कार्यक्रम का आयोजन किया गया | कार्यक्रम में महाराणा प्रताप चैरिटेबल ट्रस्ट लखनऊ के अध्यक्ष श्री एस पी रॉय, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल, ट्रस्ट के आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य डॉ. एस. के. श्रीवास्तव, सेक्टर 25 के निवासीगण ए. के. त्रिपाठी, जे. पी. गुप्ता, महेश जैसवाल, आर के शर्मा, सरिता शर्मा, के. पी. शर्मा, सुनीता शर्मा, संजय कुमार पाण्डेय तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों द्वारा महाराणा प्रताप जी के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पार्पण किया गया |
इस अवसर पर ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल ने अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा कि हल्दीघाटी के युद्ध में, दुश्मन में कोहराम मचाया था, देख वीरता राजपूताने की, दुश्मन भी थर्राया था |" भारतीय इतिहास में अनेक महान वीरों ने अपनी शौर्य और बलिदान के माध्यम से हमारे देश को गौरवान्वित किया है, उनमें से एक महान वीर थे "महाराणा प्रताप सिंह" जिनकी जयंती आज हम मना रहे हैं । महाराणा प्रताप सोलहवीं शताब्दी के उदयपुर, मेवाड़ मे सिसोदिया राजपूत राजवंश के महान राजा थे एवं अपनी वीरता, पराक्रम, व शौर्यता के लिए जाने जाते थे । शूरवीर महाराणा प्रताप ने मुगलों के अतिक्रमणों के खिलाफ अनगिनत लड़ाइयां लड़ी थीं | कहा जाता है कि महाराणा प्रताप ने जंगल में घास की रोटी खाई और जमीन पर सोकर रात गुजारी, लेकिन अकबर के सामने कभी हार नहीं मानी | आज महाराणा प्रताप जी की जन्म जयंती पर आइए यह संकल्प लें कि अपने दुश्मनों के सामने कभी घुटने नहीं टेकेगे वह पूरे आत्मविश्वास एवं तन्मयता के साथ अपने देश की रक्षा करेंगे |"
महाराणा प्रताप चैरिटेबल ट्रस्ट लखनऊ के अध्यक्ष एस पी राय ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि अनुपम, अद्वितीय, अपराजेय वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के स्मरण मात्र से आज भी साहस, शौर्य, स्वाभिमान, समर्पण संघर्ष एवं सफलता की चेतना एक साथ स्वत: हो जाती है l गुहील (गुहिला दित्य) कुल में आज से 483 साल पहले 9 मई 1540 ईस्वी में कुंभलगढ़ किला में राणा उदय सिंह (द्वितीय) के पुत्र राणा प्रताप (प्रथम) जिन्हें हम महाराणा प्रताप के नाम से जानते हैं का जन्म हुआ था l इस कुल की शुरूआत वर्ष 566 में गुहिला दित्य से हुई, जो इस्लाम धर्म के शुरुआत के कई वर्ष पूर्व हैं और यह वंश अभी तक चला आ रहा है इसीलिए इस वंश (dynasty) को विश्व का सबसे लंबा शासक वंश कहा जाता है | इसी कुल में अनेकों वीर योद्धा हुए जिन्होंने राजपूताना मेवाड़ के साथ अपनी मातृभूमि एवं सनातन धर्म की रक्षा के लिए विदेशी आक्रांताओं से लोहा लिया | मध्यकालीन युग में राणा संग्राम सिंह जिन्हें राणा सांगा के नाम से जाना जाता है, वे मुगल आक्रांता बाबर से लड़ाई लड़े ताकि भारत के पवित्र भूमि पर उसका कब्जा न हो और उसी स्वतंत्र मात्रभूमि की भावना का जीवंत स्वरूप हम महाराणा प्रताप में पाते हैं जिन्होंने मुगल बादशाह अकबर, जिसका आधिपत्य और साम्राज्य समूचे उत्तर भारत पर था, के विरुद्ध वर्ष 1576 में हुए हल्दीघाटी युद्ध के कई वर्षों तक अपने प्रण पर अडिग रहकर लड़ते रहे क्योंकि हल्दीघाटी का युद्ध अनिर्णायक रहा जबकि मुगल के 30,000 सेना फौज के सामने महाराणा का मात्र 5000 सेना की फौज थी | इसी युद्ध में महाराणा का चेतक घायल हो गया था और तभी सामला के राजा मानसिंह झाला ने महाराणा को अपना मुकुट देकर रणभूमि से निकाला ताकि महाराणा प्रताप अकबर से बाद में लोहा ले सके | हल्दीघाटी युद्ध के बाद अकबर 1577, 1578, 1579 एवं 1580 तक विभिन्न सेनापतियों जैसे सहवास हुसैन, बहलोल खान, मानसिंह, अब्दुल रहीम खानखाना के अगुवाई में लगातार बड़ी सेना की टुकड़ी के साथ भेजता रहा मगर सभी युद्ध अनिर्णायक रहा | महाराणा प्रताप गुरिल्ला पद्धति से लड़ाई लड़ते थे 1581 में दानवीर भामाशाह ने धन देकर युद्ध के लिए मार्ग प्रशस्त किए | वर्ष 1582 में विजयादशमी के दिन महाराणा प्रताप ने कोल  भील से गठित अकबर के 50,000 सेना पर धावा बोल दिया | यह युद्ध देवार युद्ध के नाम से जाना जाता है | और मुगल सेना हार के कारण अपने 36000 सेना महाराणा के सामने आत्मसमर्पण कर दिया | महाराणा का चित्तौड़ छोड़कर पुनः पूरे मेवाड़ पर कब्जा हो गया | इस तरह से विजयादशमी हम भारतीयों के लिए दो खुशियां लेकर आती है एक राजा रामचंद्र के वनवास से अयोध्या लौटने का और इसी सूर्यवंशी कुल में पैदा महाराणा के जीत का | इसी Battle of Dewar में महाराणा ने अपने तलवार से बहलोल खान को एक बार में ही बीचो-बीच टुकड़े कर दिए | मगर Battle of Dewar का  इतिहास में स्थान नहीं मिला | 1584 में अकबर स्वयं सेना लेकर आया मगर वह 6 माह बाद निराश होकर आगरा लौट गया वह महाराणा को पराजित नहीं कर सका | महाराणा कुल की महानता इससे भी जाहिर होती है कि राज चिन्ह में भील आदिवासी को राणा के समकक्ष रखा गया है और सूर्य के नीचे “जो दृढ़ राखे धर्म को, तेहि राखे करतार,” की पंक्ति अंकित है जो अपने धर्म की रक्षा का सन्देश देती है |
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helputrust-drrupal · 4 months
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महाराणा प्रताप जन्म जयंती : एस पी रॉय | Maharana Pratap Birth Anniversary : S P Roy
22.05.2023, लखनऊ | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के तत्वावधान में त्याग, बलिदान एवं पराक्रम के प्रतीक 'मेवाड़ मुकुट' महाराणा प्रताप जी की जन्म जयंती के अवसर पर रामायण पार्क, सेक्टर 25, इंदिरा नगर, लखनऊ में "श्रद्धापूर्ण पुष्पांजलि" कार्यक्रम का आयोजन किया गया | कार्यक्रम में महाराणा प्रताप चैरिटेबल ट्रस्ट लखनऊ के अध्यक्ष श्री एस पी रॉय, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल, ट्रस्ट के आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य डॉ. एस. के. श्रीवास्तव, सेक्टर 25 के निवासीगण ए. के. त्रिपाठी, जे. पी. गुप्ता, महेश जैसवाल, आर के शर्मा, सरिता शर्मा, के. पी. शर्मा, सुनीता शर्मा, संजय कुमार पाण्डेय तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों द्वारा महाराणा प्रताप जी के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पार्पण किया गया |
इस अवसर पर ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल ने अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा कि हल्दीघाटी के युद्ध में, दुश्मन में कोहराम मचाया था, देख वीरता राजपूताने की, दुश्मन भी थर्राया था |" भारतीय इतिहास में अनेक महान वीरों ने अपनी शौर्य और बलिदान के माध्यम से हमारे देश को गौरवान्वित किया है, उनमें से एक महान वीर थे "महाराणा प्रताप सिंह" जिनकी जयंती आज हम मना रहे हैं । महाराणा प्रताप सोलहवीं शताब्दी के उदयपुर, मेवाड़ मे सिसोदिया राजपूत राजवंश के महान राजा थे एवं अपनी वीरता, पराक्रम, व शौर्यता के लिए जाने जाते थे । शूरवीर महाराणा प्रताप ने मुगलों के अतिक्रमणों के खिलाफ अनगिनत लड़ाइयां लड़ी थीं | कहा जाता है कि महाराणा प्रताप ने जंगल में घास की रोटी खाई और जमीन पर सोकर रात गुजारी, लेकिन अकबर के सामने कभी हार नहीं मानी | आज महाराणा प्रताप जी की जन्म जयंती पर आइए यह संकल्प लें कि अपने दुश्मनों के सामने कभी घुटने नहीं टेकेगे वह पूरे आत्मविश्वास एवं तन्मयता के साथ अपने देश की रक्षा करेंगे |"
महाराणा प्रताप चैरिटेबल ट्रस्ट लखनऊ के अध्यक्ष एस पी राय ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि अनुपम, अद्वितीय, अपराजेय वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के स्मरण मात्र से आज भी साहस, शौर्य, स्वाभिमान, समर्पण संघर्ष एवं सफलता की चेतना एक साथ स्वत: हो जाती है l गुहील (गुहिला दित्य) कुल में आज से 483 साल पहले 9 मई 1540 ईस्वी में कुंभलगढ़ किला में राणा उदय सिंह (द्वितीय) के पुत्र राणा प्रताप (प्रथम) जिन्हें हम महाराणा प्रताप के नाम से जानते हैं का जन्म हुआ था l इस कुल की शुरूआत वर्ष 566 में गुहिला दित्य से हुई, जो इस्लाम धर्म के शुरुआत के कई वर्ष पूर्व हैं और यह वंश अभी तक चला आ रहा है इसीलिए इस वंश (dynasty) को विश्व का सबसे लंबा शासक वंश कहा जाता है | इसी कुल में अनेकों वीर योद्धा हुए जिन्होंने राजपूताना मेवाड़ के साथ अपनी मातृभूमि एवं सनातन धर्म की रक्षा के लिए विदेशी आक्रांताओं से लोहा लिया | मध्यकालीन युग में राणा संग्राम सिंह जिन्हें राणा सांगा के नाम से जाना जाता है, वे मुगल आक्रांता बाबर से लड़ाई लड़े ताकि भारत के पवित्र भूमि पर उसका कब्जा न हो और उसी स्वतंत्र मात्रभूमि की भावना का जीवंत स्वरूप हम महाराणा प्रताप में पाते हैं जिन्होंने मुगल बादशाह अकबर, जिसका आधिपत्य और साम्राज्य समूचे उत्तर भारत पर था, के विरुद्ध वर्ष 1576 में हुए हल्दीघाटी युद्ध के कई वर्षों तक अपने प्रण पर अडिग रहकर लड़ते रहे क्योंकि हल्दीघाटी का युद्ध अनिर्णायक रहा जबकि मुगल के 30,000 सेना फौज के सामने महाराणा का मात्र 5000 सेना की फौज थी | इसी युद्ध में महाराणा का चेतक घायल हो गया था और तभी सामला के राजा मानसिंह झाला ने महाराणा को अपना मुकुट देकर रणभूमि से निकाला ताकि महाराणा प्रताप अकबर से बाद में लोहा ले सके | हल्दीघाटी युद्ध के बाद अकबर 1577, 1578, 1579 एवं 1580 तक विभिन्न सेनापतियों जैसे सहवास हुसैन, बहलोल खान, मानसिंह, अब्दुल रहीम खानखाना के अगुवाई में लगातार बड़ी सेना की टुकड़ी के साथ भेजता रहा मगर सभी युद्ध अनिर्णायक रहा | महाराणा प्रताप गुरिल्ला पद्धति से लड़ाई लड़ते थे 1581 में दानवीर भामाशाह ने धन देकर युद्ध के लिए मार्ग प्रशस्त किए | वर्ष 1582 में विजयादशमी के दिन महाराणा प्रताप ने कोल  भील से गठित अकबर के 50,000 सेना पर धावा बोल दिया | यह युद्ध देवार युद्ध के नाम से जाना जाता है | और मुगल सेना हार के कारण अपने 36000 सेना महाराणा के सामने आत्मसमर्पण कर दिया | महाराणा का चित्तौड़ छोड़कर पुनः पूरे मेवाड़ पर कब्जा हो गया | इस तरह से विजयादशमी हम भारतीयों के लिए दो खुशियां लेकर आती है एक राजा रामचंद्र के वनवास से अयोध्या लौटने का और इसी सूर्यवंशी कुल में पैदा महाराणा के जीत का | इसी Battle of Dewar में महाराणा ने अपने तलवार से बहलोल खान को एक बार में ही बीचो-बीच टुकड़े कर दिए | मगर Battle of Dewar का  इतिहास में स्थान नहीं मिला | 1584 में अकबर स्वयं सेना लेकर आया मगर वह 6 माह बाद निराश होकर आगरा लौट गया वह महाराणा को पराजित नहीं कर सका | महाराणा कुल की महानता इससे भी जाहिर होती है कि राज चिन्ह में भील आदिवासी को राणा के समकक्ष रखा गया है और सूर्य के नीचे “जो दृढ़ राखे धर्म को, तेहि राखे करतार,” की पंक्ति अंकित है जो अपने धर्म की रक्षा का सन्देश देती है |
#महाराणा_प्रताप_जयंती #maharanapratapjayanti #MaharanaPratapJayanti #maharanapratapjayanti2023 #maharanapratap #rajputana #rajput #rajasthan #maharana #udaipur #mewar #rajasthani #baisa #kshatriya #hindu #jodhpur #haldighati #rajputi #jaipur #shivajimaharaj #rajputs #jaisalmer #rajputanaculture
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महाराणा प्रताप जन्म जयंती : एस पी रॉय | Maharana Pratap Birth Anniversary : S P Roy
22.05.2023, लखनऊ | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के तत्वावधान में त्याग, बलिदान एवं पराक्रम के प्रतीक 'मेवाड़ मुकुट' महाराणा प्रताप जी की जन्म जयंती के अवसर पर रामायण पार्क, सेक्टर 25, इंदिरा नगर, लखनऊ में "श्रद्धापूर्ण पुष्पांजलि" कार्यक्रम का आयोजन किया गया | कार्यक्रम में महाराणा प्रताप चैरिटेबल ट्रस्ट लखनऊ के अध्यक्ष श्री एस पी रॉय, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल, ट्रस्ट के आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य डॉ. एस. के. श्रीवास्तव, सेक्टर 25 के निवासीगण ए. के. त्रिपाठी, जे. पी. गुप्ता, महेश जैसवाल, आर के शर्मा, सरिता शर्मा, के. पी. शर्मा, सुनीता शर्मा, संजय कुमार पाण्डेय तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों द्वारा महाराणा प्रताप जी के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पार्पण किया गया |
इस अवसर पर ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल ने अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा कि हल्दीघाटी के युद्ध में, दुश्मन में कोहराम मचाया था, देख वीरता राजपूताने की, दुश्मन भी थर्राया था |" भारतीय इतिहास में अनेक महान वीरों ने अपनी शौर्य और बलिदान के माध्यम से हमारे देश को गौरवान्वित किया है, उनमें से एक महान वीर थे "महाराणा प्रताप सिंह" जिनकी जयंती आज हम मना रहे हैं । महाराणा प्रताप सोलहवीं शताब्दी के उदयपुर, मेवाड़ मे सिसोदिया राजपूत राजवंश के महान राजा थे एवं अपनी वीरता, पराक्रम, व शौर्यता के लिए जाने जाते थे । शूरवीर महाराणा प्रताप ने मुगलों के अतिक्रमणों के खिलाफ अनगिनत लड़ाइयां लड़ी थीं | कहा जाता है कि महाराणा प्रताप ने जंगल में घास की रोटी खाई और जमीन पर सोकर रात गुजारी, लेकिन अकबर के सामने कभी हार नहीं मानी | आज महाराणा प्रताप जी की जन्म जयंती पर आइए यह संकल्प लें कि अपने दुश्मनों के सामने कभी घुटने नहीं टेकेगे वह पूरे आत्मविश्वास एवं तन्मयता के साथ अपने देश की रक्षा करेंगे |"
महाराणा प्रताप चैरिटेबल ट्रस्ट लखनऊ के अध्यक्ष एस पी राय ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि अनुपम, अद्वितीय, अपराजेय वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के स्मरण मात्र से आज भी साहस, शौर्य, स्वाभिमान, समर्पण संघर्ष एवं सफलता की चेतना एक साथ स्वत: हो जाती है l गुहील (गुहिला दित्य) कुल में आज से 483 साल पहले 9 मई 1540 ईस्वी में कुंभलगढ़ किला में राणा उदय सिंह (द्वितीय) के पुत्र राणा प्रताप (प्रथम) जिन्हें हम महाराणा प्रताप के नाम से जानते हैं का जन्म हुआ था l इस कुल की शुरूआत वर्ष 566 में गुहिला दित्य से हुई, जो इस्लाम धर्म के शुरुआत के कई वर्ष पूर्व हैं और यह वंश अभी तक चला आ रहा है इसीलिए इस वंश (dynasty) को विश्व का सबसे लंबा शासक वंश कहा जाता है | इसी कुल में अनेकों वीर योद्धा हुए जिन्होंने राजपूताना मेवाड़ के साथ अपनी मातृभूमि एवं सनातन धर्म की रक्षा के लिए विदेशी आक्रांताओं से लोहा लिया | मध्यकालीन युग में राणा संग्राम सिंह जिन्हें राणा सांगा के नाम से जाना जाता है, वे मुगल आक्रांता बाबर से लड़ाई लड़े ताकि भारत के पवित्र भूमि पर उसका कब्जा न हो और उसी स्वतंत्र मात्रभूमि की भावना का जीवंत स्वरूप हम महाराणा प्रताप में पाते हैं जिन्होंने मुगल बादशाह अकबर, जिसका आधिपत्य और साम्राज्य समूचे उत्तर भारत पर था, के विरुद्ध वर्ष 1576 में हुए हल्दीघाटी युद्ध के कई वर्षों तक अपने प्रण पर अडिग रहकर लड़ते रहे क्योंकि हल्दीघाटी का युद्ध अनिर्णायक रहा जबकि मुगल के 30,000 सेना फौज के सामने महाराणा का मात्र 5000 सेना की फौज थी | इसी युद्ध में महाराणा का चेतक घायल हो गया था और तभी सामला के राजा मानसिंह झाला ने महाराणा को अपना मुकुट देकर रणभूमि से निकाला ताकि महाराणा प्रताप अकबर से बाद में लोहा ले सके | हल्दीघाटी युद्ध के बाद अकबर 1577, 1578, 1579 एवं 1580 तक विभिन्न सेनापतियों जैसे सहवास हुसैन, बहलोल खान, मानसिंह, अब्दुल रहीम खानखाना के अगुवाई में लगातार बड़ी सेना की टुकड़ी के साथ भेजता रहा मगर सभी युद्ध अनिर्णायक रहा | महाराणा प्रताप गुरिल्ला पद्धति से लड़ाई लड़ते थे 1581 में दानवीर भामाशाह ने धन देकर युद्ध के लिए मार्ग प्रशस्त किए | वर्ष 1582 में विजयादशमी के दिन महाराणा प्रताप ने कोल  भील से गठित अकबर के 50,000 सेना पर धावा बोल दिया | यह युद्ध देवार युद्ध के नाम से जाना जाता है | और मुगल सेना हार के कारण अपने 36000 सेना महाराणा के सामने आत्मसमर्पण कर दिया | महाराणा का चित्तौड़ छोड़कर पुनः पूरे मेवाड़ पर कब्जा हो गया | इस तरह से विजयादशमी हम भारतीयों के लिए दो खुशियां लेकर आती है एक राजा रामचंद्र के वनवास से अयोध्या लौटने का और इसी सूर्यवंशी कुल में पैदा महाराणा के जीत का | इसी Battle of Dewar में महाराणा ने अपने तलवार से बहलोल खान को एक बार में ही बीचो-बीच टुकड़े कर दिए | मगर Battle of Dewar का  इतिहास में स्थान नहीं मिला | 1584 में अकबर स्वयं सेना लेकर आया मगर वह 6 माह बाद निराश होकर आगरा लौट गया वह महाराणा को पराजित नहीं कर सका | महाराणा कुल की महानता इससे भी जाहिर होती है कि राज चिन्ह में भील आदिवासी को राणा के समकक्ष रखा गया है और सूर्य के नीचे “जो दृढ़ राखे धर्म को, तेहि राखे करतार,” की पंक्ति अंकित है जो अपने धर्म की रक्षा का सन्देश देती है |
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महाराणा प्रताप जन्म जयंती : एस पी रॉय | Maharana Pratap Birth Anniversary : S P Roy
22.05.2023, लखनऊ | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के तत्वावधान में त्याग, बलिदान एवं पराक्रम के प्रतीक 'मेवाड़ मुकुट' महाराणा प्रताप जी की जन्म जयंती के अवसर पर रामायण पार्क, सेक्टर 25, इंदिरा नगर, लखनऊ में "श्रद्धापूर्ण पुष्पांजलि" कार्यक्रम का आयोजन किया गया | कार्यक्रम में महाराणा प्रताप चैरिटेबल ट्रस्ट लखनऊ के अध्यक्ष श्री एस पी रॉय, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल, ट्रस्ट के आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य डॉ. एस. के. श्रीवास्तव, सेक्टर 25 के निवासीगण ए. के. त्रिपाठी, जे. पी. गुप्ता, महेश जैसवाल, आर के शर्मा, सरिता शर्मा, के. पी. शर्मा, सुनीता शर्मा, संजय कुमार पाण्डेय तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों द्वारा महाराणा प्रताप जी के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पार्पण किया गया |
इस अवसर पर ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल ने अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा कि हल्दीघाटी के युद्ध में, दुश्मन में कोहराम मचाया था, देख वीरता राजपूताने की, दुश्मन भी थर्राया था |" भारतीय इतिहास में अनेक महान वीरों ने अपनी शौर्य और बलिदान के माध्यम से हमारे देश को गौरवान्वित किया है, उनमें से एक महान वीर थे "महाराणा प्रताप सिंह" जिनकी जयंती आज हम मना रहे हैं । महाराणा प्रताप सोलहवीं शताब्दी के उदयपुर, मेवाड़ मे सिसोदिया राजपूत राजवंश के महान राजा थे एवं अपनी वीरता, पराक्रम, व शौर्यता के लिए जाने जाते थे । शूरवीर महाराणा प्रताप ने मुगलों के अतिक्रमणों के खिलाफ अनगिनत लड़ाइयां लड़ी थीं | कहा जाता है कि महाराणा प्रताप ने जंगल में घास की रोटी खाई और जमीन पर सोकर रात गुजारी, लेकिन अकबर के सामने कभी हार नहीं मानी | आज महाराणा प्रताप जी की जन्म जयंती पर आइए यह संकल्प लें कि अपने दुश्मनों के सामने कभी घुटने नहीं टेकेगे वह पूरे आत्मविश्वास एवं तन्मयता के साथ अपने देश की रक्षा करेंगे |"
महाराणा प्रताप चैरिटेबल ट्रस्ट लखनऊ के अध्यक्ष एस पी राय ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि अनुपम, अद्वितीय, अपराजेय वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के स्मरण मात्र से आज भी साहस, शौर्य, स्वाभिमान, समर्पण संघर्ष एवं सफलता की चेतना एक साथ स्वत: हो जाती है l गुहील (गुहिला दित्य) कुल में आज से 483 साल पहले 9 मई 1540 ईस्वी में कुंभलगढ़ किला में राणा उदय सिंह (द्वितीय) के पुत्र राणा प्रताप (प्रथम) जिन्हें हम महाराणा प्रताप के नाम से जानते हैं का जन्म हुआ था l इस कुल की शुरूआत वर्ष 566 में गुहिला दित्य से हुई, जो इस्लाम धर्म के शुरुआत के कई वर्ष पूर्व हैं और यह वंश अभी तक चला आ रहा है इसीलिए इस वंश (dynasty) को विश्व का सबसे लंबा शासक वंश कहा जाता है | इसी कुल में अनेकों वीर योद्धा हुए जिन्होंने राजपूताना मेवाड़ के साथ अपनी मातृभूमि एवं सनातन धर्म की रक्षा के लिए विदेशी आक्रांताओं से लोहा लिया | मध्यकालीन युग में राणा संग्राम सिंह जिन्हें राणा सांगा के नाम से जाना जाता है, वे मुगल आक्रांता बाबर से लड़ाई लड़े ताकि भारत के पवित्र भूमि पर उसका कब्जा न हो और उसी स्वतंत्र मात्रभूमि की भावना का जीवंत स्वरूप हम महाराणा प्रताप में पाते हैं जिन्होंने मुगल बादशाह अकबर, जिसका आधिपत्य और साम्राज्य समूचे उत्तर भारत पर था, के विरुद्ध वर्ष 1576 में हुए हल्दीघाटी युद्ध के कई वर्षों तक अपने प्रण पर अडिग रहकर लड़ते रहे क्योंकि हल्दीघाटी का युद्ध अनिर्णायक रहा जबकि मुगल के 30,000 सेना फौज के सामने महाराणा का मात्र 5000 सेना की फौज थी | इसी युद्ध में महाराणा का चेतक घायल हो गया था और तभी सामला के राजा मानसिंह झाला ने महाराणा को अपना मुकुट देकर रणभूमि से निकाला ताकि महाराणा प्रताप अकबर से बाद में लोहा ले सके | हल्दीघाटी युद्ध के बाद अकबर 1577, 1578, 1579 एवं 1580 तक विभिन्न सेनापतियों जैसे सहवास हुसैन, बहलोल खान, मानसिंह, अब्दुल रहीम खानखाना के अगुवाई में लगातार बड़ी सेना की टुकड़ी के साथ भेजता रहा मगर सभी युद्ध अनिर्णायक रहा | महाराणा प्रताप गुरिल्ला पद्धति से लड़ाई लड़ते थे 1581 में दानवीर भामाशाह ने धन देकर युद्ध के लिए मार्ग प्रशस्त किए | वर्ष 1582 में विजयादशमी के दिन महाराणा प्रताप ने कोल  भील से गठित अकबर के 50,000 सेना पर धावा बोल दिया | यह युद्ध देवार युद्ध के नाम से जाना जाता है | और मुगल सेना हार के कारण अपने 36000 सेना महाराणा के सामने आत्मसमर्पण कर दिया | महाराणा का चित्तौड़ छोड़कर पुनः पूरे मेवाड़ पर कब्जा हो गया | इस तरह से विजयादशमी हम भारतीयों के लिए दो खुशियां लेकर आती है एक राजा रामचंद्र के वनवास से अयोध्या लौटने का और इसी सूर्यवंशी कुल में पैदा महाराणा के जीत का | इसी Battle of Dewar में महाराणा ने अपने तलवार से बहलोल खान को एक बार में ही बीचो-बीच टुकड़े कर दिए | मगर Battle of Dewar का  इतिहास में स्थान नहीं मिला | 1584 में अकबर स्वयं सेना लेकर आया मगर वह 6 माह बाद निराश होकर आगरा लौट गया वह महाराणा को पराजित नहीं कर सका | महाराणा कुल की महानता इससे भी जाहिर होती है कि राज चिन्ह में भील आदिवासी को राणा के समकक्ष रखा गया है और सूर्य के नीचे “जो दृढ़ राखे धर्म को, तेहि राखे करतार,” की पंक्ति अंकित है जो अपने धर्म की रक्षा का सन्देश देती है |
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singhmanojdasworld · 4 months
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JAGAT GURU RAMPAL JI
संत रामपाल जी महाराज का सर्व को संदेश
नाम कौन से राम का जपना है ?
नाम कौन से राम का जपना है ?
गीता जी के अध्याय नं. 15 का श्लोक नं. 16
द्वौ, इमौ, पुरुषौ, लोके, क्षरः, च, अक्षरः, एव, च, क्षरः, सर्वाणि, भूतानि, कू��स्थः, अक्षरः, उच्यते।।
अनुवाद: इस संसारमें दो प्रकारके भगवान हैं नाशवान और अविनाशी और ये सम्पूर्ण भूतप्राणियोंके शरीर तो नाशवान और जीवात्मा अविनाशी कहा जाता है।
गीता जी के अध्याय नं. 15 का श्लोक नं. 17
 उतमः, पुरुषः, तु, अन्यः, परमात्मा, इति, उदाहृतः, यः, लोकत्रायम् आविश्य, बिभर्ति, अव्ययः, ईश्वरः।।
अनुवाद: उत्तम भगवान तो अन्य ही है जो तीनों लोकोंमें प्रवेश करके सबका धारण-पोषण करता है एवं अविनाशी परमेश्वर परमात्मा इस प्रकार कहा गया है।
कबीर, अक्षर पुरुष एक पेड़ है, निरंजन वाकी डार।
त्रिदेवा (ब्रह्मा, विष्णु, शिव) शाखा भये, पात भया संसार।।
कबीर, तीन देवको सब कोई ध्यावै, चौथा देवका मरम न पावै।
चौथा छांडि पँचम ध्यावै, कहै कबीर सो हमरे आवै।।
कबीर, तीन गुणन की भक्ति में, भूलि पर्यौ संसार।
कहै कबीर निज नाम बिन, कैसे उतरै पार।।
कबीर, ओंकार नाम ब्रह्म (काल) का, यह कर्ता मति जानि।
सांचा शब्द कबीर का, परदा माहिं पहिचानि।।
कबीर, तीन लोक सब राम जपत है, जान मुक्ति को धाम।
रामचन्द्र वसिष्ठ गुरु किया, तिन कहि सुनायो नाम।।
कबीर, राम कृष्ण अवतार हैं, इनका नाहीं संसार।
जिन साहब संसार किया, सो किनहु न जनम्यां नारि।।
कबीर, चार भुजाके भजनमें, भूलि परे सब संत।
कबिरा सुमिरै तासु को, जाके भुजा अनंत।।
कबीर, वाशिष्ट मुनि से तत्वेता ज्ञानी, शोध कर लग्न धरै।
सीता हरण मरण दशरथ को, बन बन राम फिरै।।
कबीर, समुद्र पाटि लंका गये, सीता को भरतार।
ताहि अगस्त मुनि पीय गयो, इनमें को करतार।।
कबीर, गोवर्धन कृष्ण जी उठाया, द्रोणागिरि हनुमंत।
शेष नाग सब सृष्टी उठाई, इनमें को भगवंत।।
गरीब, दुर्वासा कोपे तहां, समझ न आई नीच।
छप्पन कोटि यादव कटे, मची रूधिर की कीच।।
कबीर, काटे बंधन विपति में, कठिन किया संग्राम।
चीन्हों रे नर प्राणियां, गरुड बडो की राम।।
कबीर, कह कबीर चित चेतहू, शब्द करौ निरुवार।
श्री रामचन्द्र को कर्ता कहत हैं, भूलि पर्यो संसार।।
कबीर, जिन राम कृष्ण निरंजन किया, सो तो करता न्यार।
अंधा ज्ञान न बूझई, कहै कबीर बिचार।।
कबीर, तीन गुणन (ब्रह्मा, विष्णु, शिव) की भक्ति में, भूल पड़यो संसार।
कहै कबीर निज नाम बिना, कैसे उतरो पार।।
।।शब्द।। (संत रामपाल दास जी महाराज द्वारा रचित)
युद्ध जीत कर पांडव, खुशी हुए अपार। इन्द्रप्रस्थ की गद्दी पर, युधिष्ठिर की सरकार।।1।।
एक दिन अर्जुन पूछता, सुन कृष्ण भगवान। एक बार फिर सुना दियो, वो निर्मल गीता ज्ञान।।2।।
घमाशान युद्ध के कारण, भूल पड़ी है मोहें। ज्यों का त्यों कहना भगवन्, तनिक न अन्तर होए।।3।।
ऋषि मुनि और देवता, सबको रहे तुम खाय। इनको भी नहीं छोड़ा आपने, रहे तुम्हारा ही गुण गाय।।4।।
कृष्ण बोले अर्जुन से, यह गलती क्यों किन्ह। ऐसे निर्मल ज्ञान को भूल गया बुद्धिहीन।।5।।
अब मुझे भी कुछ याद नहीं, भूल पड़ी नीदान। ज्यों का त्यों उस गीता का मैं, नहीं कर सकता गुणगान।।6।।
स्वयं श्री कृष्ण को याद नहीं और अर्जुन को धमकावे। बुद्धि काल के हाथ है, चाहे त्रिलोकी नाथ कहलावे।7।
ज्ञान हीन प्रचारका, ज्ञान कथें दिन रात। जो सर्व को खाने वाला, कहें उसी की बात।।8।।
सब कहें भगवान कृपालु है, कृपा करें दयाल। जिसकी सब पूजा करें, वह स्वयं कहै मैं काल।।9।।
मारै खावै सब को, वह कैसा कृपाल। कुत्ते गधे सुअर बनावै है, फिर भी दीन दयाल।।10।।
बाईबल वेद कुरान है, जैसे चांद प्रकास। सूरज ज्ञान कबीर का, करै तिमर का नाश।।11।।
रामपाल साची कहै, करो विवेक विचार। सतनाम व सारनाम, यही मन्त्रा है सार।।12।।
कबीर हमारा राम है, वो है दीन दयाल। संकट मोचन कष्ट हरण, गुण गावै रामपाल।।13।।
।।शब्द।। (संत रामपाल दास जी महाराज द्वारा रचित)
ब्रह्मा विष्णु शिव, हैं तीन लोक प्रधान। अष्टंगी इनकी माता है, और पिता काल भगवान।।1।।
एक लाख को काल, नित खावै सीना ताण। ब्रह्मा बनावै विष्णु पालै, शिव कर दे कल्याण।।2।।
अर्जुन डर के पूछता है, यह कौन रूप भगवान। कहै निरंजन मैं काल हूँ, सबको आया खान।।3।।
ब्रह्म नाम इसी का है, वेद करें गुणगान। जन्म मरण चौरासी, यह इसका संविधान।।4।।
चार राम की भक्ति में, लग रहा संसार। पाँचवें राम का ज्ञान नहीं, जो पार उतारनहार।।5।।
ब्रह्मा-विष्णु-शिव तीनों गुण हैं, दूसरा प्रकृति का जाल। लाख जीव नित भक्षण करें, राम तीसरा काल।।6।।
अक्षर पुरूष है राम चौथा, जैसे चन्द्रमा जान। पाँचवा राम कबीर है, जैसे उदय हुआ भान।।7।।
रामदेवानन्द गुरु जी, कर गए नजर निहाल। सतनाम का दिया खजाना, बरतै रामपाल।।8।।
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gurujitmshastri · 5 months
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मेष (चु, चे, चो, ला, लि, लु, ले, लो, अ):-व्यावसायिक ओर कार्यक्षेत्र की सफलताएं आपको मिलने वाली हैं। कोई नया कार्य आरंभ करने जा रहे हैं तो आज का दिन शुभ है। आप अपने अंदर एक नई ऊर्जा और उत्साह का समावेश पाएंगे। बृहस्पति के धन भाव में होने से लाभ व उन्नति के अवसर, शुभ कार्यों पर खर्च, उच्च प्रतिष्ठित, राजनीतिक लोगों के साथ संपर्क बढ़ेगा जिससे नए लाभप्रद मार्ग एवं परियोजना सामने आएंगी। जिसका आने वाले समय में आपको भरपूर लाभ मिलेगा।
वृषभ (इ, उ, ए, ओ, वा, वि, वु, वे, वो):-आज का दिन आपके लिए उत्तम रहेगा। आज सामाजिक कार्यों में अपना योगदान देंगे। कार्यक्षेत्र में उम्मीद के अनुसार कामयाबी हासिल होगी। पारिवारिक मामलों में किसी बात को लेकर जीवनसाथी से बात होगी। बृहस्पति के राशि बदलने के कारण लंबे समय से प्रमोशन का इंतजार करने वाले लोगों को स्थान परिवर्तन के साथ सुखद संकेत भी मिल सकते हैं। आज का दिन आपके लिए शानदार रहने वाला है। आज जो भी काम शुरू करेंगे उसमें आपको सफलता मिलेगी। संतान की करियर को बेहतर दिशा देने के लिए आज आप किसी अनुभवी व्यक्ति से सलाह लेंगे।
मिथुन (का, कि, कु, घ, ङ, छ, के, को, हा):-आज आप बिना किसी स्वार्थ के दूसरों की सहायता करेंगे। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। आय के नए स्रोत प्राप्त हो सकते हैं। व्यापार-व्यवसाय में लाभ होगा। प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। काम में किसी तरह का बदलाव करना आपके लिए लाभदायक साबित होगा। परंतु आर्थिक पक्ष अभी कमजोर ही रहेगी। उच्चाधिकारियों से संबंधों में खटास ना आने दे। शॉपिंग इत्यादि पर धन खर्च करेंगे।
कर्क (हि, हु, हे, हो, डा, डि, डु, डे, डो):-आज कुछ महत्वपूर्ण घटित हो सकता है। व्यवसाय तथा कारोबार में परिस्थितियां काफी हद तक आप के पक्ष में हो जाएंगी। युवाओं को जॉब की प्लेसमेंट संबंधी कोई शुभ समाचार भी प्राप्त हो सकता है। आपके लिए बृहस्पति शुभ और सर्व सिद्धि कारक हैं। लाभ व उन्नति के अवसर प्राप्त होंगे, धन, भूमि, सवारी आदि सुखों में वृद्धि होगी, कार्यों में सफलता प्राप्त होगी। परंतु अपनी व्यवसायिक गतिविधियों को सीक्रेट ही रखें तो ज्यादा उचित रहेगा।
सिंह (मा, मि, मु, मे, मो, टा, टि, टु, टे) :-आपकी मानसिक और शारीरिक क्षमता में वृद्धि होगी। सबसे बड़ी बात आर्थिक संकट दूर होने वाला है। भाई-बहनों से रिश्तों में सुधार आएगा। आज आपके लिए कुछ अच्छे संकेतों वाला दिन रह सकता है। आपको लाभ के मौके आसानी से मिलेंगे। मेहनत फल लाएगी और उन्नति का मार्ग प्रशस्त करेगी। अपने जीवन को दूसरों के लिए आदर्श बनाएं। क���न्तु इस प्रक्रिया में अपने महत्त्व को कम न होने दें। अनावश्यक तनाव स्वास्थ्य कष्ट का कारण बन सकता है।
कन्या (टो, पा, पि, पु, ष, ण, ठ, पे, पो):-आप अपनी सूझबूझ से सहयोगियों अथवा मित्रों की समस्याओं का निवारण करेंगे। यदि नौकरी से संबंधित कोई बदलाव चाहते हैं तो आज इस दिशा में कदम अवश्य उठाना चाहिए। आपको सकारात्मक लाभ मिलने की संभावनाएं हैं। कुछ घरेलू बातों को लेकर आप संवेदनशील रहेंगे। नवम भाव का गुरु कार्यों में सफलता, लाभ व उन्नति के अवसर प्रदान करेगा।
तुला (रा, रि, रु, रे, रो, ता, ति, तु, ते):-आज का दिन व्यापार की उधेड़बुन में व्यतीत होगा। आज आप अपने व्यापार में कुछ चेंज कर सकते हैं जोकि आवश्यक है, लेकिन यदि आज आप किसी डील को फाइनल करें, तो उसमे अपने दिल व दिमाग दोनों को खोलकर करें, तभी आप उन योजनाओं का लाभ उठा पाएंगे। दूरदराज से कुछ चिंताजनक खबर सुनने को मिल सकती है। आपके व्यक्तिगत जीवन में कुछ महत्वपूर्ण घटित होगा। कुछ घरेलू विषयों को लेकर कुछ महीने आपके लिए संघर्षपूर्ण रहेंगे।
वृश्चिक (तो, ना, नि, नु, ने, नो, या, यि, यु):-मित्रों के साथ मौज-मस्ती वाला दिन रहेगा। लेकिन व्यर्थ की यात्राओं से बचने की कोशिश करें। स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखे। आर्थिक स्थिति को और बेहतर बनाने का प्रयास करेंगे। आज आपको अपने स्वभाव के अनुरूप ही काम करने होंगे। धन लाभ एवं सवारी आदि सुखों की प्राप्ति होगी. पद, प्रतिष्ठा में वृद्धि एवं सम्मान आदि का सुख प्राप्त होगा। विचारों में परोपकार की भावना उदय होगी।
धनु (ये, यो, भा, भि, भु, धा, फा, ढा, भे):-आज आपके लिए दिन थोड़ा विवाद या बहस वाला हो सकता है। जीवनसाथी से किसी मामले में बहस हो सकती है या दोस्तों के साथ किसी बात पर तनाव हो सकता है। छोटी छोटी बातों को दिल पर न लें। आज प्रयास अथवा स्वयं कोशिश करने से प्रत्येक कार्य में सफलता मिलेगी। धार्मिक स्थल की यात्रा करने का प्रसंग उपस्थित हो सकता है। मनोरंजन कार्यों पर खर्च होगा। पेट, लिवर संबंधी समस्या उत्पन्न हो सकती है।
मकर (भो,जा,जि,जु,जे,जो,ख,खि,खु,खे,खो,गा,गि) :-समाज में मान-प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी और विरोधी परास्त होंगे। परिवार के लोगों का साथ मिलने से आपकी तरक्‍की की राहें आसान होंगी। छात्रों के लिए सफलता का दिन है और साथ नौकरीपेशा व कारोबारियों को भी लाभ मिलेगा। अपनी जीवनशैली को एक नए ढंग से व्यवस्थित करने की दिशा में कार्य करेंगे। आपके विरोधी कार्यक्षेत्र में आपके पीठ पीछे आपके खिलाफ साजिशें कर सकते हैं। पिछले समय से संतान को लेकर जो समस्या चल रही थी वह जल्द दूर होगी।
कुम्भ (गु, गे, गो, सा, सि, सु, से, सो, दा):-व्यवसाय में कुछ परिवर्तन जैसी स्थितियां कुछ समय से चल रही हैं। उन पर अपना ध्यान केंद्रित रखें। जल्दी ही उचित परिणाम सामने आएंगे। नौकरी पेशा व्यक्तियों के संबंध वरिष्ठ अधिकारियों के साथ अच्छे रहेंगे। आज लोग आपके व्यवहार से सन्तुष्ट रहेंगे। धन सम्बन्धी समस्या आज दूर हो सकती है। बड़ा और महत्वपूर्ण फैसले लेने से पहले अपने हितों के विषय में पूरा विचार कर लें। पराक्रम और निष्ठा से किया गया परिश्रम अवश्य लाभकारी होगा। राजनीति में उच्च पद और मान सम्मान की प्राप्ति जल्द मिलने वाली है।
मीन (दि, दु, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, चि) :-व्यावसायिक दृष्टि से समय लाभदायक है। परंतु दूसरों की अपेक्षा अपने विचारों को अधिक प्राथमिकता दें। असमंजस जैसी स्थिति के कारण महत्वपूर्ण निर्णय लेने में दिक्कत उत्पन्न होगी। कहीं भी व्यर्थ धन ख़र्च करने से बचना अच्छा रहेगा। मन में कुछ बेचैनी व नकारात्मक विचार उत्पन्न हो सकते हैं। जिसकी वजह से अकारण ही क्रोध की स्थिति रहेगी। भूमि संबंधी समस्या भाइयों के साथ चल रही है तो जल्दी किसी के सहयोग से दूर हो सकती है।
आपका दिन शुभ व मंगलमय हो। समस्या चाहे कैसी भी हो 100% समाधान प्राप्त करे:- स्पेशलिस्ट- मनचाही लव मैरिज करवाना, पति या प्रेमी को मनाना, कारोबार का न चलना, धन की प्राप्ति, पति पत्नी में अनबन और गुप्त प्रेम आदि समस्याओ का समाधान। एक फोन बदल सकता है आपकी जिन्दगी। Guru Ji T M Shastri Ji Call Now: - +91-9872539511 फीस संबंधी जानकारी के लिए #Facebook page के message box में #message करें। आप Whatsapp भी कर सकते हैं। #famousastrologer #astronews #astroworld #Astrology #Horoscope #Kundli #Jyotish #yearly #monthly #weekly #numerology #rashifal #RashiRatan #gemstone #real #onlinepuja #remedies #lovemarraigespecilist #prediction #motivation #dailyhoroscope #TopAstrologer
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astrovastukosh · 6 months
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शनि कुम्भ राशि में उदय, इन राशियों की समस्याएँ समाप्त होंगी और मिलेंगे अनुकूल परिणाम ! शनि का कुंभ राशि में उदय ज्योतिषीय दृष्टि से: शनि देव को न्याय के देवता और परिणाम प्रदाता के रूप में जाना जाता है क्योंकि वह अच्छे और बुरे आचरण दोनों के आधार पर मानव भाग्य निर्धारित करते हैं। ज्योतिष शास्त्र में शनि का महत्वपूर्ण स्थान है। यह शीघ्र ही अपनी अस्त अवस्था से बाहर निककर राशि में उदित होने जा रहे हैं।। शनि महाराज की वर्तमान स्थिति से विश्व, राष्ट्र और राशियाँ सभी प्रभावित होंगी। शनि के कुम्भ राशि में उदित होने से दुनिया पर प्रभाव पड़ेगा। न्याय, कर्म और कड़ी मेहनत के देवता शनि देव श्रमिक वर्ग और श्रमिकों का प्रतिनिधित्व करते हैं। वह एक ईश्वर है जो जीवन भर मनुष्य के कार्यों को रिकॉर्ड करता है और उन कार्यों का उपयोग यह निर्धारित करने के लिए करता है कि व्यक्ति को किस प्रकार के परिणाम - अच्छे या बुरे - प्राप्त होने चाहिए। शनि ज्यादातर अनुशासन, परिश्रम आदि से अच्छे परिणामों से जुड़ा हुआ है। यह व्यक्ति को जीवन में बाधाओं का सामना करने, असफलताओं का सामना करते रहने और लक्ष्यों को पूरा करने के लिए बहुत कड़ी मेहनत करने के लिए प्रेरित करता है। हमें उनसे आगे बढ़ने और आगे बढ़ने के लिए, शनिदेव मनुष्यों के जीवन में कठिनाइयाँ लाते हैं और उन्हें मूल्यवान सबक सिखाने का प्रयास करते हैं। शनि ग्रह के कुल मिलाकर 62 उपग्रह हैं, जैसे पृथ्वी के पास चंद्रमा है। प्रति वर्ष शनि वक्री गति में लगभग 135 दिन व्यतीत करता है, और एक पूर्ण राशि चक्र को पूरा होने में 30 वर्ष लगते हैं। शनि ग्रह प्रत्येक राशि में लगभग 2.5 वर्ष व्यतीत करता है। पिछले जन्मों के कर्मों के आधार पर, ये किसी व्यक्ति के अस्तित्व में समस्याएँ और बाधाएँ पैदा करते हैं। हालाँकि, हमें पहले अपनी खामियों और त्रुटियों को स्वीकार करना चाहिए। कुम्भ राशि में शनि के उदय का समय 16 March 2024 को, रात 12:56:04 पर शनि कुम्भ राशि में उदित होंगे। सूर्य मीन राशि में प्रवेश करने की तैयारी कर रहे है। शनि के कुंभ राशि में उदय होने से राशि चक्र की प्रत्येक राशि पर प्रभाव पड़ेगा। शनि का यह गोचर किन राशियों के लिए भाग्यशाली और किन राशियों के लिए अशुभ रहेगा। कुंभ राशि में शनि के उदय होने से इन राशियों पर होगी महाउन्नति मेष राशि मेष राशि वालों के लिए शनि नए दोस्त और नेटवर्क बनाएंगे जो आपके करियर में आगे बढ़ने में आपकी सहायता करेंगे। इन लोगों की सभी भौतिक ज़रूरतें पूरी होंगी। इस अवधि के दौरान आपको ऐसे लोग मिलेंगे जो अनुशासित, संगठित और मेहनती हैं। यह आपके कार्यक्षेत्र में आगे बढ़ने में भी आपकी सहायता करेगा। शनि के कुंभ राशि में उदय होने पर आप आय में अप्रत्याशित वृद्धि देख सकते हैं और त्वरित वित्तीय लाभ कमा सकते हैं। जो लोग व्यापार से जुड़े हैं उन्हें अच्छा मुनाफा होगा। वृषभ राशि शनि महाराज ऐसे देवता हैं, जो इस समय आपके दशम भाव में उदय हो रहे हैं, आपके लिए लाभकारी होने जा रहे हैं। ऐसे में, इस अवधि के दौरान आपके पास नौकरी के बेहतरीन अवसर होंगे, जो इसे आपके लिए एक शानदार क्षण बनाता है। इसके अतिरिक्त, कार्यस्थल पर आपके पर्यवेक्षक और वरिष्ठ आपको कड़ी मेहनत करते हुए देखेंगे। इस परिदृश्य में आपको अपने परिश्रम का फल मिलेगा, जिसमें पदोन्नति और पेशेवर उन्नति शामिल हो सकती है। अपना स्वयं का व्यवसाय करने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि होगी।
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Today's Horoscope-
मेष (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज आप घर अथवा कार्य क्षेत्र पर चाहकर भी सुव्यवस्था नही बना पाएंगे उल्टे जो कार्य ठीक चल रहे है वो भी गलत मार्गदर्शन अथवा जल्दबाजी में बिगड़ सकते है। मध्यान तक धन कमाने की आपाधापी में गिरती सेहत की अनदेखी करेंगे जिसका विपरीत परिणाम संध्या से देखने को मिलेगा। थकान एवं हाथ पैरों में शिथिलता आने लगेगी पेट संबंधित समस्या बढ़ने पर अन्य शारीरिक अंगों को निष्क्रिय करेगी। धन लाभ प्रयास करने पर अवश्य होगा लेकिन अनर्गल कार्यो में तुरंत खर्च भी हो जाएगा। प्रलोभन में आपके साथ ठगी हो सकती है। परिजनों से पूर्व में किया गलत व्यवहार आज दुखी करेगा।
वृष (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज दिन का आरंभ भाग असमंजस की स्थिति के कारण कार्य शून्य रहेगा। जो करना चाहेंगे वातावरण उसके विपरीत बनेगा लेकिन धर्य रखें ये परेशानी कुछ समय के लिये ही रहेगी मध्यान बाद से स्थिति अनुकूल बनने लगेगी सोची हुई योजनाओ में आज पूरी तरह से सफलता तो नही मिलेगी फिर भी भविष्य के प्रति निश्चिन्त करने वाले कार्य होंगे। धन की आमद आज सामान्य रहेगी व्यवहारिकता बनाये रखें तो निकट भविष्य में किसी विशेष व्यक्ति का महत्त्वपूर्ण सहयोग मिल सकता है जो कि जीवन को नई दिशा देने में सहायक बनेगा। नौकरी वाले लोग खर्च से परेशान रहेंगे। पारिवारिक स्थिति दिन की अपेक्षा संध्या बाद बेहतर अनुभव होगी। सेहत में आज मामूली नरमी रहेगी।
मिथुन (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज के दिन आप धन संबंधित कार्यो को छोड़ अन्य सभी कार्यो से सम्मान पाने के हकदार बनेंगे। आर्थिक उलझने दिन के आरंभ से अंत तक किसी ना किसी रूप में परेशान करेंगी कार्य समय से पूर्ण करने के बाद भी धन की आमद को लेकर इंतजार करना पड़ेगा किसी बुजुर्ग व्यक्ति का सहयोग मिलने से थोड़ी उलझन��ं से राहत मिलेगी। मध्यान बाद का समय सामाजिक कार्यो के लिये निकालना पड़ेगा गृहस्थ अथवा रिश्तेदारी में ना चाहते हुए भी खर्च करना पड़ेगा। पारिवारिक वातावरण में शांति रहेगी आपके किसी उत्कृष्ट कार्य से परिजन गर्व करेंगे। स्वास्थ्य संबंधित छोटी मोटी समस्याएं लगी रहेंगी फिर भी दिनचार्य व्यवस्थित रहेगी।
कर्क (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आप आज दिन के मध्यान भाग तक कोई महत्त्वपूर्ण निर्णय ना लें अन्यथा हानि होने पर मनोबल टूटेगा। दिनचार्य आज अस्त व्यस्त अधिक रहेगी मन मे नकारत्मक भाव आएंगे कार्यो के प्रति लापरवाह भी रहेंगे परिजन अथवा सहकर्मी सही सलाह देंगे लेकिन मतिभ्रम के कारण ये आपको गलत लगेंगे। दोपहर के बाद से स्थिति में सुधार आने लगेगा फिर भी धन संबंधित कार्य कल तक के लिये टालना ही बेहतर रहेगा। घर मे किसी के हाथ नुकसान हो सकता है मशीनरी अथवा अन्य खतरे वाले कार्यो में अतिरिक्त सावधानी बरतें। संध्या बाद का समय दिन की तुलना में शांति से व्यतीत होगा मनोरंजन के अवसर मिलने से मानसिक हालात सुधरेगी। पुराना रोग फिर से बन सकता है संयम बरतें।
सिंह (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज के दिन आपको बीते कल की तुलना में थोड़ी राहत मिलेगी। आज भी मध्यान तक मानसिक दुविधायें एवं असंतोष की भावना लाभ से दूर रखेंगी। स्वास्थ्य में सुधार आएगा लेकिन पूरी तरह से नही कठिन परिश्रम करने पर मर्ज दोबारा बढ़ सकता है इससे बचें। कार्य व्यवसाय को लेकर मानसिक चिंताए दिन भर लगी रहेंगी किसी ना किसी कारण से व्यवसाय में धन संबंधित मामले अटके रहेंगे। मध्यान बाद से पूण्य उदय होंगे धर्म कर्म में रुचि बढ़ेगी लेकिन मन मे स्वार्थ पूर्ति की भावना रहने के कारण आध्यात्म का लाभ नही मिल सकेगा। परिजन आपसे सहानुभूति रखेंगे कुछ मतलब भी साधेंगे। यात्रा से बचें चोटादि का भय है।
कन्या (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज आपको दिन के पहले हिस्से में लाभ पाने के प्रस्ताव आएंगे लेकिन दुविधा के कारण प्रतिस्पर्धी इसका लाभ उठा सकते है। कार्य व्यवसाय से आज उन्नति की आशा लगा सकते है। दोपहर तक कि भगदौड़ एक समय व्यर्थ होती प्रतीत होगी धैर्य रखें जल्दबाजी में कोई गलत निर्णय बाद में पश्चाताप का कारण बन सकता है। धन अथवा अन्य लाभ आज अकस्मात ही होगा पर होगा जरूर। घर मे खाने पीने की वस्तुओं अथवा अन्य सुखोपभोग के सामान पर खर्च करना पड़ेगा। कार्य क्षेत्र पर भी कुछ ना कुछ खर्च लगे रहेंगे। धन संबंधित समस्या संध्या बाद नही रहेगी फिर भी किसी से वादा ना करें। घर के सदस्य किसी महत्त्वपूर्ण विषय को लेकर चिंतित होंगे।
तुला (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज मध्यान तक कि दिनचार्य को अस्त व्यस्त ना होने दे अन्यथा ना चाहकर भी व्यर्थ के कामो में समय खराब होने पर मध्यान बाद से बनने वाली शुभ स्थिति का लाभ नही उठा सकेंगे। दिन के आरंभ में शारीरिक दुर्बलता अनुभव होगी जिसके चलते दैनिक कार्यो में विलंब हो सकता है। नौकरी वाले लोग आज किसी दुविधा में फंसे रहेंगे दोपहर तक मेहनत का फल ना मिलने से मन मे निराशा रहेगी धैर्य रखें इसके बाद का समय कार्य सिद्धि दायक रहेगा दिन भर के प्रयास संध्या के आस-पास फलित होंगे फिर भी संतोषी वृति अपनाए ज्यादा के चक्कर मे कम से भी वंचित रह सकते है। घर मे शुभ समाचार मिलने से आनंद छाया रहेगा फिर भी व्यर्थ बोलने से बचें।
वृश्चिक (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज का दिन मिश्रित फलदायी रहेगा। दिन के आरंभिक भाग में जितनी मेहनत करेंगे उसका लाभ मध्यान तक मिल जाएगा आज लापरवाही से बचें अन्यथा मध्यान बाद स्थिति प्रतिकूल होने पर सभी कार्य बाधित होने लगेंगे लाभ की जगह हानि होने की संभावना अधिक रहेगी। मानसिक रूप से तरोताजा रहेंगे फिर भी आलसी वृति कार्यो में विलंब कराएगी। कार्य क्षेत्र पर व्यवसाय आशा से कम ही रहेगा। सहकर्मी अथवा परिजन आज भावुक रहेंगे जिससे स्थिति कों सम्भालना परेशानी में डालेगा। दोपहर बाद जिस भी कार्य से लाभ की उम्मीद रखेंगे उसके विपरीत फल मिलेंगे। संध्या से सेहत में भी गिरावट आने लगेगी।
धनु (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज दिन के मध्यान तक आपको शांति रहने की सलाह है आज भी व्यावसायिक कारणों से मानसिक बेचैनी रहेगी ऊपर से घरेलू उलझने रहने पर अधिक दबाव में कार्य करना पड़ेगा। दिन के आरंभिक भाग में बचते बचते भी घर के सदस्य अशांति का वातावरण बनाएंगे। परिजन किसी ना किसी कारण से असंतुष्ट ही रहेंगे यही हाल कार्य क्षेत्र पर भी रहेगा सहकर्मी अथवा अधिकारी वर्ग आपकी एक गलती के इंतजार में रहेंगे आज मनमौजी व्यवहार से बचे अन्यथा बाद में स्वयं के ऊपर ही ग्लानि होगी। धन संबंधित मामले भी कलह का कारण बनेंगे व्यवहार में स्पष्टता रखें बदनामी होने का भय है। अतिआवश्यक कार्यो को पूर्ण करने के लिये संध्या तक प्रतीक्षा करने लाभदायक रहेगा।
मकर (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज का दिन धन लाभ वाला है लेकिन अपनी वाणी को सही जगह प्रयोग करें अन्यथा जहां लाभ की संभावना रहेगी वहां किसी से कलह भी हो सकती है। मध्यान से पहले महत्त्वपूर्ण कार्य पूरे करने का प्रयास करें आज लाभ कमाना आसान लगेगा लेकिन इतना आसान भी नही होगा। कार्यो को मामूली समझ ढील देंगे बाद में परेशानी होगी फिर भी आज धन लाभ कही ना कही से हो ही जायेगा। व्यवसायी वर्ग जोड़ तोड़ की नीति अपनाएंगे जिससे बिक्री तो होगी पर उचित लाभ नही मिल सकेगा�� नौकरी पेशा आज संतोषी स्वभाव के रहेंगे। परोपकार की भावना आज कम ही रहेगी परेशान व्यक्ति को भी टरकाने के प्रयास में रहेंगे। गृहस्थ में बाहर की अपेक्षा शांति मिलेगी।
कुंभ(गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज का दिन उदासीनता में व्यतीत करेंगे जल्दी से किसी भी कार्य मे परिश्रम करने का मन नही करेगा जिसके परिणामस्वरूप लाभ भी अल्प होगा। आज आप यथार्थ को छोड़ काल्पनिक दुनिया मे खोये रहेंगे आपके लिये जो कार्य असंभव है उनकी कल्पना करने पर बाद में मन हीन भावना से ग्रस्त होगा। धन लाभ के लिये किसी के सहयोग की आवश्यकता पड़ेगी शारीरिक रूप से ना सही लेकिन व्यवहारिक रूप से सक्रिय रहना आज अत्यंत आवश्यक है। मध्यान बाद भविष्य में लाभ कमाने के अवसर हाथ लगेंगे दुविधा में ना पड़े ये हितकर ही रहेंगे। घर मे किसी ना किसी से मामूली नोकझोंक होगी। अकस्मात धन लाभ होने पर सेहत को भूल जाएंगे।
मीन (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज के दिन कुछ रोचक घटनाये घटेंगी दिन का पूर्वार्ध नई संभावनाए लेकर आएगा। कार्य क्षेत्र पर आज गंभीर रहेंगे। किसी परिचित से आश्चर्य में डालने वाले समाचार मिलेंगे। आपके कार्य मे बाधा डालने वाले लोग आस पास ही रहेंगे मध्यान तक इनका असर नही होगा लेकिन मध्यान बाद कुछ ना कुछ गड़बड़ अवश्य होगी। जिन्हें अपना हितैषी समझ रहे है वे ही आपकी चुगली कर वातावरण खराब करेंगे। धन की आमद दोपहर तक सामान्य रहेगी पुराने कार्यो से लाभ होगा। दोपहर बाद अधिकांश कार्य किसी अन्य के कारण अधूरे रह जाएंगे घर का वातावरण भी आज अचानक गर्म होगा विशेषकर महिलाए वाणी पर नियंत्रण रखें।
आपका दिन शुभ व मंगलमय हो।
समस्या चाहे कैसी भी हो 100% समाधान प्राप्त करे:-
स्पेशलिस्ट-
मनचाही लव मैरिज करवाना, पति या प्रेमी को मनाना, कारोबार का न चलना, धन की प्राप्ति, पति पत्नी में अनबन और गुप्त प्रेम आदि समस्याओ का समाधान।
एक फोन बदल सकता है आपकी जिन्दगी।
Call Now: - +91-78888-78978/+1(778)7663945
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