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#एएसआई के विरुद्ध
sharpbharat · 8 months
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Jharkhand ACB action- दुमका के जरमुंडी थाना के एएसआई को 10 हजार घूस लेते एसीबी ने किया गिरफ्तार
दुमका: दुमका के जरमुंडी थाना के एएसआई राजकुमार सिंह को एसीबी ने 10 हजार रुपये घूस लेते गिरफ्तार किया है. एएसआई के एक सहयोगी को भी एसीबी टीम ने गिरफ्तार कर लिया है. इनके विरुद्ध अभिषेक कुमार नामक शख्स ने शिकायत की थी. अभिषेक ने बताया कि उनके विरुद्ध बिजली चोरी का केस हुआ था. (नीचे भी पढ़े) जिसके बाद पुलिस पदाधिकारी उसके घर आकर दबाव बना रहे थे. पदाधिकारी उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहे थे.…
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nayesubah · 3 years
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प्रेमिका से मिलने पहुंचे थे दरोगा ग्रामीणों ने पकड़ कर कर दी धुनाई, बना के रखा बंधन, स्थानीय पुलिस ने छुड़ाया
प्रेमिका से मिलने पहुंचे थे दरोगा ग्रामीणों ने पकड़ कर कर दी धुनाई, बना के रखा बंधन, स्थानीय पुलिस ने छुड़ाया
Bihar: पश्चिम चंपारण जिले के बगहा में स्थानीय ग्रामीणों के द्वारा एक दरोगा की जमकर पिटाई करने का मामला सामने आया है, ग्रामीणों के मुताबिक उक्त दरोगा का गांव की एक महिला से अवैध संबंध थे, ग्रामीणों के द्वारा लगातार मना किए जाने के बावजूद भी दरोगा के द्वारा उक्त महिला से मिलने के लिए लगातार गांव में आने का कार्य किया जा रहा था, जिस कारण से ग्रामीण काफी नाराज थे। मारपीट के दौरान गंभीर रूप से घायल…
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prakhar-pravakta · 2 years
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थाना-यातायात की आज की कार्यवाही
सतना। पुलिस मुख्यालय भोपाल के परिपालन मे पुलिस अधीक्षक व अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के निर्देशन में यातायात पुलिस द्वारा सड़क दुर्घटनाओ में हेलमेट धारण ना करने से हो रही मृत्यु दर में कमी लाने के लिए हेलमेट धारण ना करने वाले वाहन चालकों के विरुद्ध चालानी कार्यवाही की गई. जिसमे सूबेदार अनीमा शर्मा ,पूनम रावत,एएसआई राजेंद्र सिंह प्र आर शैलेश सिंह ,503 सुरेंद्र त्रिपाठी ,आर 484 अजय शामिल रहे जिन्होंने…
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abhay121996-blog · 4 years
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कुशीनगर से आरपीएफ ने टिकट दलाल को दबोचा, 43 अवैध टिकट बरामद Divya Sandesh
#Divyasandesh
कुशीनगर से आरपीएफ ने टिकट दलाल को दबोचा, 43 अवैध टिकट बरामद
देवरिया। छापामारी के दौरान आरपीएफ ने रविवार को कुशीनगर से एक टिकट दलाल को दबोच लिया। दलाल के पास से 30 हजार रुपये के 43 अवैध टिकट बरामद हुआ है। दलाल के विरुद्ध विधिक कार्रवाई करते हुए आरपीएफ ने न्यायालय भेज दिया। 
केरल चुनाव: कांग्रेस ने लोकसभा सांसद के. मुरलीधरन को नेमन से मैदान में उतारा, पूर्व CM चांडी ��ुथुपल्ली से लड़ेंगे चुनाव
वाराणसी मंडल के सुरक्षा आयुक्त डॉ अभिषेक के निर्देशन पर देवरिया सदर रेलवे स्टेशन की आरपीएफ पोस्ट के प्रभारी अबु फरहान गफ्फार और भटनी सीआईबी के एएसआई दिलीप सिंह पूर्वांचल के जिलों में ई टिकट बनाने के लिए प्रतिबंधित साफ्टवेयर और टिकट दलालों के विरुद्ध अभियान चला रहे हैं। टीम के सदस्यों ने रविवार को सूचना पर कुशीनगर जिले के पटहेरावा थाना क्षेत्र के नारायणपुर कोठी स्थित आरके इंटरनेट प्वाइंट पर छापेमारी किया। जहां से पुलिस टीम को मौके से 43 टिकट बरामद हुआ। टिकटों की कीमत लगभग 30 हजार रुपये बताई जा रही हैं।
गिरफ्तार टिकट दलाल ने पूछताछ में अपना नाम राजेश कुशवाहा पुत्र शंकर सिंह निवासी शेरपुर बड़हरा थाना पटहेरवा, जिला कुशीनगर बताया। आरपीएफ ने टिकट दलाल के दुकान से एक कम्प्यूटर, एक प्रिंटर, एक मोबाइल बरामद किया है। उसके पास से दस पर्सनल यूजर आईडी बरामद हुआ। 
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newsyatra · 4 years
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69-year-old molested 13-year-old girl, arrested – Nana accused in relationship | 13 वर्षीय बालिका से 69 साल के वृद्ध ने की छेड़छाड़, गिरफ्तार – रिश्ते में नाना है आरोपी  डिजिटल डेस्क शहडोल । धनपुरी पुलिस ने 13 वर्षीय नाबालिग के साथ छेड़छाड़ के मामले में 69 साल के आरोपी को गिरफ्तार किया है, जो लड़की का रिश्ते में नाना है। पुलिस के अनुसार बुधवार की सुबह 11.30 बजे नाबालिग से छेड़छाड़ हुई। पिता बाजार गए थे। उसी समय उसके रिस्ते के नाना करीम खान 69 वर्ष पीछे से आकर बुरी नियत से पकड़कर छेड़छाड़ करने लगा। बड़ी मुश्किल से वहां से भागी। रिपोर्ट पर आरोपी के विरुद्ध धारा 354 भादवि एवं 7/8 पॉक्सो एक्ट के तहत अपराध कायम कर विवेचना में लिया गया। पुलिस टीम द्वारा तत्परता से कार्रवाई करते हुए उसी दिन आरोपी को गिरफ्तार कर न्यायालय के समक्ष पेश किया। यह कार्रवाई थाना प्रभारी रत्नांबर शुक्ला के नेतृत्व में एसआई अर्चना धुर्वे, एएसआई विनोद तिवारी, प्रआर.
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imsaki07 · 4 years
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टांडा मोड़ पर स्कूटी सवार से 1.19 किलोग्राम चूरापोस्त बरामद पुलिस थाना इंदौरा के अंतर्गत एक स्कूटी सवार से 1.194 किलोग्राम नशीला पदार्थ चूरापोस्त बरामद किया गया है। पुलिस को यह सफलता गश्त के दौरान इंदौरा-काठगढ़ मार्ग पर गश्त के दौरान मिली। अतिरिक्त थाना प्रभारी प्रताप परमार ने बताया कि एएसआई सुनील कुमार, आरक्षी मनजीत सिंह एवं गृह रक्षक रणवीर की टीम उक्त मार्ग पर रूटीन गश्त पर थी, इस दौरान जब पुलिस टांडा मोड़ नामक स्थान पर पहुँची तो काठगढ़ की तरफ से एक व्यक्ति स्कूटी ( पीबी 35 एएफ 4852 ) पर सवार होकर आ रहा था, जो पुलिस को सामने देखकर हड़बड़ा गया। जिस कारण पुलिस को उस पर शक हुआ और पुलिस ने उसकी शक के आधार पर तलाशी ली। इस दौरान स्कूटी की डिग्गी से उक्त मात्रा में चूरा पोस्त बरामद किया गया। पुलिस ने चूरा पोस्त व उक्त स्कूटी को कब्जे में लेकर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। आरोपी की पहचान रमेश कुमार पुत्र नाजिर सिंह निवासी गाँव अंदोई, डाकघर गुड़ा कलां, तहसील व जिला पठानकोट ( पंजाब ) के रूप में में हुई है। पुलिस ने आरोपी के विरुद्ध एनडीपीएस अधिनियम 15-61-85 के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कर लिया है। आगामी कारवाई जारी है।
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Jharkhand Attacked By The Illegal Liquor Mafia On Excise Department Team Officers And Employees Injured - झारखंड: अवैध शराब के विरुद्ध अभियान पर गए दल पर हमला, आधा दर्जन अधिकारी-कर्मचारी घायल
Jharkhand Attacked By The Illegal Liquor Mafia On Excise Department Team Officers And Employees Injured – झारखंड: अवैध शराब के विरुद्ध अभियान पर गए दल पर हमला, आधा दर्जन अधिकारी-कर्मचारी घायल
सांकेतिक तस्वीर – फोटो : अमर उजाला
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पलामू जिले के हरिहरगंज थाना क्षेत्र के सुदूरवर्ती मंगरदाहा गांव के समीप टांडीपर में अवैध शराब निर्माण की सूचना के आधार पर बुधवार को छापा मारने पहुंची आबकारी विभाग की टीम पर अवैध शराब माफिया ने हमला कर दिया। घटना में एक एएसआई…
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its-axplore · 4 years
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एसपी हर किशोर राय ने मंगलवार की रात को रसूलपुर थाने के एक एएसआई तथा एक हवलदार समेत छह पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया। यह कार्रवाई एक ट्रक से पैसा वसूलते वीडियो मिलने के आधार पर की गई है। पुलिस द्वारा रसूलपुर में बालू लदे ट्रकों से पैसा वसूली की जा रही थी। यह वीडियो रसूलपुर थाना क्षेत्र की रसूलपुर चट्‌टी के नजदीक चैनपुर रोड का है। जहां पर बोलेरो में सवार पुलिस के ये एएसआई व जवान ट्रक चालक से पैसा ले रहे है।
इसका एक ट्रक चालक ने ही वीडियो बना लिया। वीडियो जैसे ही एसपी को मिला। एसपी ने इसकी जांच कराई। जिसमें शामिल एएसआई समेत एक हवलदार व छह पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया। जिसमें से सोनपुर के एक सिपाही को जेल भेज दिया। एसपी ने बताया कि रसूलपुर थाने के एएसआइ महबूब शाहिद एवं एक हवलदार तथा तीन पुलिसकर्मियों को ट्रकों से अवैध वसूली करने के आरोप में निलंबित कर दिया गया है। पहले भी रसूलपुर पुलिस पर ही वसूली के मामले में हुई थी कार्रवाई आठ माह पहले एक पिकअप वैन से रात में गश्ती पर निकली रसूलपुर पुलिस द्वारा पैसा वसूली करते वीडियो वायरल हुआ था। जिस पर एसपी ने संज्ञान लेते हुए जांच करवा कर दोषी पुलिस जवानों को सस्पेंड किया था। इसके बावजूद भी वहां से समय-समय पर पैसा वसूली की शिकायत मिल रही थी।
पहले भी पुलिस अधिकारियों व जवानों पर गिर चुकी है गाज एसपी द्वारा अब तक ट्रकों व वाहनों से पैसा वूसली करते कई वायरल वीडियो व ऑन स्पॉट जांच में कइयों पुलिस अफसरों व जवानों पर कार्रवाई किया जा चुका है। करीब दो दर्जन सिपाही व आधा दर्जन एसआई व एएसआई पर गाज गिर चुका है। यहां बता दें कि 2019 जनवरी में शहर में एसपी स्कूटी से खुद ही जांच करने निकले थे। जिसमें तीन एएसआई व एक दर्जन सिपाहियों को रंगे हाथ पकड़ा था। उनको सस्पेंड किया गया था। इसके अलावें 7 सितंबर 2019 को सारण एसपी हरिकिशोर राय ने पकड़े गए एक एएसआई समेत पांच पुलिसकर्मियों को तत्काल गिरफ्तार करने का आदेश दिया था।
जबकि ड्यूटी में लापरवाही बरतने वाले चार पुलिसकर्मियों को भी निलंबित कर दिया था। दरअसल, शुक्रवार रात एसपी हरिकिशोर राय स्वयं ही नाइट पेट्रोलिंग का जायजा लेने देर रात सड़क पर निकले थे। इसी दौरान दिघवारा के मटिहान के पास पहुंचने पर जो दृश्य उन्होंने देखा पुलिसकर्मी को ट्रकों से अवैध पैसा वसूली करते देखा था। जिस पर एसपी ने त्वरित कार्रवाई करते हुए एएसआई बैजू शर्मा, होमगार्ड ड्राइवर रामजीत सिंह, सैप जवान मोहम्मद अलाउद्दीन अंसारी, प्रेम कुमार यादव और गयाकेश्वर को गिरफ्तार कर शनिवार को जेल भेज दिया था।
सिपाही नशे की हालत में था सस्पेंड कर भेजा गया जेल जबकि सोनपुर थाने के क्यूआरटी के सिपाही को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है और उसे निलंबित भी कर दिया गया है। सिपाही को शराब की नशे की हालत में पाया गया। इस आरोप में उसके खिलाफ निलंबन तथा जेल भेजने की कार्रवाई की गई है। उसके विरुद्ध सोनपुर थाने में प्राथमिकी भी दर्ज की गई है। एसपी के कड़े रुख के कारण ट्रकों से अवैध वसूली करने वाले तथा शराब पीने वाले पुलिसकर्मियों में खलबली मच गई है।
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SP suspended six policemen, including ASI, in Chhapra, one soldier was sent to jail
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prakhar-pravakta · 4 years
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सतना - धारकुंडी थाना प्रभारी विक्रम आदर्श ने जानकारी देते हुए बताया कि थाना क्षेत्र के सिलोरा ग्राम में गेंद लाल कोल पिता स्वर्गीय राम लखन कोल उम्र 32 वर्ष द्वारा अवैध रूप से हाथ भट्टी महुआ शराब निर्मित कर विक्रय किया जा रहा था मुखबिर की सूचना पर हमरा स्टाफ के साथ मौके पर पहुंचकर आरोपी गेंदालाल कोल को एक हजार रूपए कीमत कि 5 लीटर अवैध महुआ शराब व उक्त शराब निर्माण में प्रयोग होने वाले लाहन समेत गिरफ्तार किया गया।मामले पर आरोपी युवक गेंद लाल कोल के विरुद्ध 34 (1) आबकारी व एक्ट के तहत मामला दर्ज कर विवेचना में लिया गया। उक्त कार्यवाही में थाना प्रभारी विक्रम आदर्श एएसआई जी पी वर्मा व आरक्षक अंकेश मरमट की सराहनीय भूमिका रही रही।
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25 पुलिस कर्मचारियों का ‘डीजीपी ऑनर फॉर इग्जेम्पलरी सेवा टू सोसायटी’ के लिए चयन
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ड्यूटी के अलावा मानवीय गतिविधियां करते हुए शानदार काम करने वालों को यह पुरस्कार शुरू किया गया है
चार एसपी, एक एएसपी, एक डीएसपी, छह इंस्पेक्टर, चार सब इंस्पेक्टर, तीन एएसआई, दो हवलदार और चार सिपाही शामिल
दैनिक भास्कर
Apr 15, 2020, 08:27 PM IST
सम्मान. कोविड-19 के विरुद्ध जंग में ड्यूटी निभाने वाले पंजाब के 25 पुलिस कर्मचारियों का ‘डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस ऑनर फॉर इग्जेम्पलरी सेवा टू…
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vsplusonline · 4 years
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25 पुलिस कर्मचारियों का ‘डीजीपी ऑनर फॉर इग्जेम्पलरी सेवा टू सोसायटी’ के लिए चयन
New Post has been published on https://apzweb.com/25-%e0%a4%aa%e0%a5%81%e0%a4%b2%e0%a4%bf%e0%a4%b8-%e0%a4%95%e0%a4%b0%e0%a5%8d%e0%a4%ae%e0%a4%9a%e0%a4%be%e0%a4%b0%e0%a4%bf%e0%a4%af%e0%a5%8b%e0%a4%82-%e0%a4%95%e0%a4%be-%e0%a4%a1%e0%a5%80/
25 पुलिस कर्मचारियों का ‘डीजीपी ऑनर फॉर इग्जेम्पलरी सेवा टू सोसायटी’ के लिए चयन
ड्यूटी के अलावा मानवीय गतिविधियां करते हुए शानदार काम करने वालों को यह पुरस्कार शुरू किया गया है
चार एसपी, एक एएसपी, एक डीएसपी, छह इंस्पेक्टर, चार सब इंस्पेक्टर, तीन एएसआई, दो हवलदार और चार सिपाही शामिल
दैनिक भास्कर
Apr 15, 2020, 09:09 PM IST
जालंधर. कोविड-19 के विरुद्ध जंग में ड्यूटी निभाने वाले पंजाब के 25 पुलिस कर्मचारियों का ‘डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस ऑनर फॉर इग्जेम्पलरी सेवा टू सोसायटी’ के लिए चयन किया गया है। पुरस्कार लेने वालों में चार एसपी, एक एएसपी, एक डीएसपी, छह इंस्पेक्टर, चार सब इंस्पेक्टर, तीन एएसआई, दो हवलदार और चार सिपाही शामिल हैं। यह पुरस्कार उन कर्मचारियों को सम्मानित करने के लिए शुरू किया गया है, जिन्होंने अपनी ड्यूटी के अलावा मानवीय गतिविधियां करते हुए शानदार काम किए हैं। डीजीपी दिनकर गुप्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह की पहल पर पेश किए गए पुरस्कार के लिए पुलिस कमिश्नर और एसएसपीज द्वारा भेजे विभिन्न नामांकनों में से ये सभी कर्मचारी चुने गए हैं। 
मोगा से रतन सिंह बराड़ एसपी (हैडक्वाटर), लुधियाना से शहर के एसपी दीपक पारीक, लुधियाना ग्रामीण से एएसआई गुरदीप सिंह, अमृतसर से शहर के एडीसीपी संदीप मलिक और महिला सैल की हैड कांस्टेबल सुखजिंदर कौर, जालंधर जसवंत कौर एडीसीपी, नकोदर की एएसपी वत्सला गुप्ता शामिल हैं। रोपड़ से डीएसपी वरिंदर जीत सिंह और सब इंस्पेक्टर जतिन कपूर खन्ना में एएसआई जगजीवन राम और कॉन्स्टेबल शरनप्रीत कौर, होशियारपुर से इंस्पेक्टर करतार सिंह, पटियाला से एसएचओ सुखदेव सिंह का नाम है।
गुरदासपुर से कांस्टेबल हरदीप सिंह, बटाला से इंस्पेक्टर दलजीत सिंह, तरनतारन से इंस्पेक्टर गुरजीत सिंह, मोहाली से एसएचओ खरड़ शहर इंस्पेक्टर भगवंत सिंह और इंस्पेक्टर कुलदीप कौर और पठानकोट से एसआई शौहरत मान को समानित किया जाएगा। इसी तरह नवांशहर से सब इंस्पेक्टर नीरज चौधरी, फतेहगढ़ साहिब से सब इंस्पेक्टर शकुंत चौधरी, मानसा से एएसआई बलवंत सिंह, मुक्तसर से हैड कांस्टेबल हरप्रीत सिंह संगरूर से कांस्टेबल यादविंदर सिंह और फिरोजपुर से कांस्टेबल जगजीत सिंह को चुना गया है।
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hindijankari · 4 years
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महात्मा गांधी की जीवनी हिंदी में || Mahatma Gandhi biography in Hindi
मोहनदास करमचंद गांधी यानी हमारे राष्ट्रपिता का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को हुआ। 1777 में मोहनदास के पितामह हरजीवनजी रहीसदासजी ने स्थानीय माणबाई से पोरबंदर में घर खरीदा। जिसे कीर्ति मंदिर के नाम से जाना जाता है।  तीन मंजिल के 22 कमरों के इस घर में गांधीजी की यादें सहेजी गई हैं। पांच साल तक मोहनदास का बचपन इसी घर में बीता। हर दिन शाम पांच बजे यहां गांधीजी का प्रिय भजन ‘वैष्णव जन तो जेने कहिए रे...’ गाया जाता है। गांधीजी अंतिम बार 1928 में पोरबंदर आए थे। उनकी जन्मस्थली कीर्ति मंदिर अब एएसआई के अधीन है।
जन्म: 2 अक्टूबर, 1869, पोरबंदर, काठियावाड़ एजेंसी (अब गुजरात) मृत्यु: 30 जनवरी 1948, दिल्ली कार्य/उपलब्धियां: सतंत्रता आन्दोलन में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई महात्मा गांधी के नाम से मशहूर मोहनदास करमचंद गांधी भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख राजनैतिक नेता थे। सत्याग्रह और अहिंसा के सिद्धान्तो पर चलकर उन्होंने भारत को आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके इन सिद्धांतों ने पूरी दुनिया में लोगों को नागरिक अधिकारों एवं स्वतन्त्रता आन्दोलन के लिये प्रेरित किया। उन्हें भारत का राष्ट्रपिता भी कहा जाता है। सुभाष चन्द्र बोस ने वर्ष 1944 में रंगून रेडियो से गान्धी जी के नाम जारी प्रसारण में उन्हें ‘राष्ट्रपिता’ कहकर सम्बोधित किया था।
महात्मा गाँधी समुच्च मानव जाति के लिए मिशाल हैं। उन्होंने हर परिस्थिति में अहिंसा और सत्य का पालन किया और लोगों से भी इनका पालन करने के लिये कहा। उन्होंने अपना जीवन सदाचार में गुजारा। वह सदैव परम्परागत भारतीय पोशाक धोती व सूत से बनी शाल पहनते थे। सदैव शाकाहारी भोजन खाने वाले इस महापुरुष ने आत्मशुद्धि के लिये कई बार लम्बे उपवास भी रक्खे। सन 1915 में भारत वापस आने से पहले गान्धी ने एक प्रवासी वकील के रूप में दक्षिण अफ्रीका में भारतीय समुदाय के लोगों के नागरिक अधिकारों के लिये संघर्ष किया। भारत आकर उन्होंने समूचे देश का भ्रमण किया और  किसानों, मजदूरों और श्रमिकों को भारी भूमि कर और भेदभाव के विरुद्ध संघर्ष करने के लिये एकजुट किया। सन 1921 में उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बागडोर संभाली और अपने कार्यों से देश के राजनैतिक, सामाजिक और आर्थिक परिदृश्य को प्रभावित किया। उन्होंने सन 1930 में नमक सत्याग्रह और इसके बाद 1942 में ‘भारत छोड़ो’ आन्दोलन से खासी प्रसिद्धि प्राप्त की। भारत के स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान कई मौकों पर गाँधी जी कई वर्षों तक उन्हें जेल में भी रहे। प्रारंभिक जीवन मोहनदास करमचन्द गान्धी का जन्म भारत में गुजरात के एक तटीय शहर पोरबंदर में 2 अक्टूबर सन् 1869 को हुआ था। उनके पिता करमचन्द गान्धी ब्रिटिश राज के समय काठियावाड़ की एक छोटी सी रियासत (पोरबंदर) के दीवान थे। मोहनदास की माता पुतलीबाई परनामी वैश्य समुदाय से ताल्लुक रखती थीं और अत्यधिक धार्मिक प्रवित्ति की थीं जिसका प्रभाव युवा मोहनदास पड़ा और इन्ही मूल्यों ने आगे चलकर उनके जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। वह नियमित रूप से व्रत रखती थीं और परिवार में किसी के बीमार पड़ने पर उसकी सेवा सुश्रुषा में दिन-���ात एक कर देती थीं। इस प्रकार मोहनदास ने स्वाभाविक रूप से अहिंसा,  शाकाहार,  आत्मशुद्धि के लिए व्रत और विभिन्न धर्मों और पंथों को मानने वालों के बीच परस्पर सहिष्णुता को अपनाया। सन 1883 में साढे 13 साल की उम्र में ही उनका विवाह 14 साल की कस्तूरबा से करा दिया गया। जब मोहनदास 15 वर्ष के थे तब इनकी पहली सन्तान ने जन्म लिया लेकिन वह केवल कुछ दिन ही जीवित रही। उनके पिता करमचन्द गाँधी भी इसी साल (1885) में चल बसे। बाद में मोहनदास और कस्तूरबा के चार सन्तान हुईं – हरीलाल गान्धी (1888), मणिलाल गान्धी (1892), रामदास गान्धी (1897) और देवदास गांधी (1900)। उनकी मिडिल स्कूल की शिक्षा पोरबंदर में और हाई स्कूल की शिक्षा राजकोट में हुई। शैक्षणिक स्तर पर मोहनदास एक औसत छात्र ही रहे। सन 1887 में उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा अहमदाबाद से उत्तीर्ण की। इसके बाद मोहनदास ने भावनगर के शामलदास कॉलेज में दाखिला लिया पर ख़राब स्वास्थ्य और गृह वियोग के कारण वह अप्रसन्न ही रहे और कॉलेज छोड़कर पोरबंदर वापस चले गए। विदेश में शिक्षा और वकालत
मोहनदास अपने परिवार में सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे थे इसलिए उनके परिवार वाले ऐसा मानते थे कि वह अपने पिता और चाचा का उत्तराधिकारी (दीवान) बन सकते थे। उनके एक परिवारक मित्र मावजी दवे ने ऐसी सलाह दी कि एक बार मोहनदास लन्दन से बैरिस्टर बन जाएँ तो उनको आसानी से दीवान की पदवी मिल सकती थी। उनकी माता पुतलीबाई और परिवार के अन्य सदस्यों ने उनके विदेश जाने के विचार का विरोध किया पर मोहनदास के आस्वासन पर राज़ी हो गए। वर्ष 1888 में मोहनदास यूनिवर्सिटी कॉलेज लन्दन में कानून की पढाई करने और बैरिस्टर बनने के लिये इंग्लैंड चले गये। अपने माँ को दिए गए वचन के अनुसार ही उन्होंने लन्दन में अपना वक़्त गुजारा। वहां उन्हें शाकाहारी खाने से सम्बंधित बहुत कठिनाई हुई और शुरूआती दिनो में कई बार भूखे ही रहना पड़ता था। धीरे-धीरे उन्होंने शाकाहारी भोजन वाले रेस्टोरेंट्स के बारे में पता लगा लिया। इसके बाद उन्होंने ‘वेजीटेरियन सोसाइटी’ की सदस्यता भी ग्रहण कर ली। इस सोसाइटी के कुछ सदस्य थियोसोफिकल सोसाइटी के सदस्य भी थे और उन्होंने मोहनदास को गीता पढने का सुझाव दिया। जून 1891 में गाँधी भारत लौट गए और वहां जाकर उन्हें अपनी मां के मौत के बारे में पता चला। उन्होंने बॉम्बे में वकालत की शुरुआत की पर उन्हें कोई खास सफलता नहीं मिली। इसके बाद वो राजकोट चले गए जहाँ उन्होंने जरूरतमन्दों के लिये मुकदमे की अर्जियाँ लिखने का कार्य शुरू कर दिया परन्तु कुछ समय बाद उन्हें यह काम भी छोड़ना पड़ा। आख़िरकार सन् 1893 में एक भारतीय फर्म से नेटल (दक्षिण अफ्रीका) में एक वर्ष के करार पर वकालत का कार्य  स्वीकार कर लिया। गाँधी जी दक्षिण अफ्रीका में (1893-1914) गाँधी 24 साल की उम्र में दक्षिण अफ्रीका पहुंचे। वह प्रिटोरिया स्थित कुछ भारतीय व्यापारियों के न्यायिक सलाहकार के तौर पर वहां गए थे। उन्होंने अपने जीवन के 21 साल दक्षिण अफ्रीका में बिताये जहाँ उनके राजनैतिक विचार और नेतृत्व कौशल का विकास हुआ। दक्षिण अफ्रीका में उनको गंभीर नस्ली भेदभाव का सामना करना पड़ा। एक बार ट्रेन में प्रथम श्रेणी कोच की वैध टिकट होने के बाद तीसरी श्रेणी के डिब्बे में जाने से इन्कार करने के कारण उन्हें ट्रेन से बाहर फेंक दिया गया। ये सारी घटनाएँ उनके के जीवन में महत्वपूर्ण मोड़ बन गईं और मौजूदा सामाजिक और राजनैतिक अन्याय के प्रति जागरुकता का कारण बनीं। दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों पर हो रहे अन्याय को देखते हुए उनके मन में ब्रिटिश साम्राज्य के अन्तर्गत भारतियों के सम्मान तथा स्वयं अपनी पहचान से सम्बंधित प्रश्न उठने लगे। दक्षिण अफ्रीका में गाँधी जी ने भारतियों को अपने राजनैतिक और सामाजिक अधिकारों के लिए संघर्ष करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने भारतियों की नागरिकता सम्बंधित मुद्दे को भी दक्षिण अफ़्रीकी सरकार के सामने उठाया और सन 1906 के ज़ुलु युद्ध में भारतीयों को भर्ती करने के लिए ब्रिटिश अधिकारियों को सक्रिय रूप से प्रेरित किया। गाँधी के अनुसार अपनी नागरिकता के दावों को कानूनी जामा पहनाने के लिए भारतीयों को ब्रिटिश युद्ध प्रयासों में सहयोग देना चाहिए। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का संघर्ष (1916-1945) वर्ष 1914 में गांधी दक्षिण अफ्रीका से भारत वापस लौट आये। इस समय तक गांधी एक राष्ट्रवादी नेता और संयोजक के रूप में प्रतिष्ठित हो चुके थे। वह उदारवादी कांग्रेस नेता गोपाल कृष्ण गोखले के कहने पर भारत आये थे और शुरूआती दौर में गाँधी के विचार बहुत हद तक गोखले के विचारों से प्रभावित थे। प्रारंभ में गाँधी ने देश के विभिन्न भागों का दौरा किया और राजनैतिक, आर्थिक और सामाजिक मुद्दों को समझने की कोशिश की। चम्पारण और खेड़ा सत्याग्रह बिहार के चम्पारण और गुजरात के खेड़ा में हुए आंदोलनों ने गाँधी को भारत में पहली राजनैतिक सफलता दिलाई। चंपारण में ब्रिटिश ज़मींदार किसानों को खाद्य फसलों की बजाए नील की खेती करने के लिए मजबूर करते थे और सस्ते मूल्य पर फसल खरीदते थे जिससे किसानों की स्थिति बदतर होती जा रही थी।  इस कारण वे अत्यधिक गरीबी से घिर गए। एक विनाशकारी अकाल के बाद अंग्रेजी सरकार ने दमनकारी कर लगा दिए जिनका बोझ दिन प्रतिदिन बढता ही गया। कुल मिलाकर  स्थिति बहुत निराशाजनक थी। गांधीजी ने गांधी जी ने जमींदारों के खिलाफ़ विरोध प्रदर्शन और हड़तालों का नेतृत्व किया जिसके बाद गरीब और किसानों की मांगों को माना गया। सन 1918 में गुजरात स्थित खेड़ा बाढ़ और सूखे की चपेट में आ गया था जिसके कारण किसान और गरीबों की स्थिति बद्तर हो गयी और लोग कर माफ़ी की मांग करने लगे। खेड़ा में गाँधी जी के मार्गदर्शन में सरदार पटेल ने अंग्रेजों के साथ इस समस्या पर विचार विमर्श के लिए किसानों का नेतृत्व किया। इसके बाद अंग्रेजों ने राजस्व संग्रहण से मुक्ति देकर सभी कैदियों को रिहा कर दिया। इस प्रकार चंपारण और खेड़ा के बाद गांधी की ख्याति देश भर में फैल गई और वह स्वतंत्रता आन्दोलन के एक महत्वपूर्ण नेता बनकर उभरे। खिलाफत आन्दोलन
कांग्रेस के अन्दर और मुस्लिमों के बीच अपनी लोकप्रियता बढ़ाने का मौका गाँधी जी को खिलाफत आन्दोलन के जरिये मिला। खिलाफत एक विश्वव्यापी आन्दोलन था जिसके द्वारा खलीफा के गिरते प्रभुत्व का विरोध सारी दुनिया के मुसलमानों द्वारा किया जा रहा था। प्रथम विश्व युद्ध में पराजित होने के बाद ओटोमन साम्राज्य विखंडित कर दिया गया था जिसके कारण मुसलमानों को अपने धर्म और धार्मिक स्थलों के सुरक्षा को लेकर चिंता बनी हुई थी। भारत में खिलाफत का नेतृत्व ‘आल इंडिया मुस्लिम कांफ्रेंस’ द्वारा किया जा रहा था। धीरे-धीरे गाँधी इसके मुख्य प्रवक्ता बन गए। भारतीय मुसलमानों के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए उन्होंने अंग्रेजों द्वारा दिए सम्मान और मैडल वापस कर दिया। इसके बाद गाँधी न सिर्फ कांग्रेस बल्कि देश के एकमात्र ऐसे नेता बन गए जिसका प्रभाव विभिन्न समुदायों के लोगों पर था। असहयोग आन्दोलन गाँधी जी का मानना था की भारत में अंग्रेजी हुकुमत भारतियों के सहयोग से ही संभव हो पाई थी और अगर हम सब मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ हर बात पर असहयोग करें तो आजादी संभव है। गाँधी जी की बढती लोकप्रियता ने उन्हें कांग्रेस का सबसे बड़ा नेता बना दिया था और अब वह इस स्थिति में थे कि अंग्रेजों के विरुद्ध असहयोग, अहिंसा तथा श���ंतिपूर्ण प्रतिकार जैसे अस्त्रों का प्रयोग कर सकें। इसी बीच जलियावांला नरसंहार ने देश को भारी आघात पहुंचाया जिससे जनता में क्रोध और हिंसा की ज्वाला भड़क उठी थी। गांधी जी ने स्वदेशी नीति का आह्वान किया जिसमें विदेशी वस्तुओं विशेषकर अंग्रेजी वस्तुओं का बहिष्कार करना था। उनका कहना था कि सभी भारतीय अंग्रेजों द्वारा बनाए वस्त्रों की अपेक्षा हमारे अपने लोगों द्वारा हाथ से बनाई गई खादी पहनें। उन्होंने पुरूषों और महिलाओं को प्रतिदिन सूत कातने के लिए कहा। इसके अलावा महात्मा गाँधी ने ब्रिटेन की शैक्षिक संस्थाओं और अदालतों का बहिष्कार, सरकारी नौकरियों को छोड़ने तथा अंग्रेजी सरकार से मिले तमगों और सम्मान को वापस लौटाने का भी अनुरोध किया। असहयोग आन्दोलन को अपार सफलता मिल रही थी जिससे समाज के सभी वर्गों में जोश और भागीदारी बढ गई लेकिन फरवरी 1922 में इसका अंत चौरी-चौरा कांड के साथ हो गया। इस हिंसक घटना के बाद गांधी जी ने असहयोग आंदोलन को वापस ले लिया। उन्हें गिरफ्तार कर राजद्रोह का मुकदमा चलाया गया जिसमें उन्हें छह साल कैद की सजा सुनाई गयी। ख़राब स्वास्थ्य के चलते उन्हें फरवरी 1924 में सरकार ने रिहा कर दिया। स्वराज और नमक सत्याग्रह असहयोग आन्दोलन के दौरान गिरफ़्तारी के बाद गांधी जी फरवरी 1924 में रिहा हुए और सन 1928 तक सक्रिय राजनीति से दूर ही रहे। इस दौरान वह स्वराज पार्टी और कांग्रेस के बीच मनमुटाव को कम करने में लगे रहे और इसके अतिरिक्त अस्पृश्यता, शराब, अज्ञानता और गरीबी के खिलाफ भी लड़ते रहे। इसी समय अंग्रेजी सरकार ने सर जॉन साइमन के नेतृत्व में भारत के लिए एक नया संवेधानिक सुधार आयोग बनाया पर उसका एक भी सदस्य भारतीय नहीं था जिसके कारण भारतीय राजनैतिक दलों ने इसका बहिष्कार किया। इसके पश्चात दिसम्बर 1928 के कलकत्ता अधिवेशन में गांधी जी ने अंग्रेजी हुकुमत को भारतीय साम्राज्य को सत्ता प्रदान करने के लिए कहा और ऐसा न करने पर देश की आजादी के लिए असहयोग आंदोलन का सामना करने के लिए तैयार रहने के लिए भी कहा। अंग्रेजों द्वारा कोई जवाब नहीं मिलने पर 31 दिसम्बर 1929 को लाहौर में भारत का झंडा फहराया गया और कांग्रेस ने 26 जनवरी 1930 का दिन भारतीय स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया। इसके पश्चात गांधी जी ने सरकार द्वारा नमक पर कर लगाए जाने के विरोध में नमक सत्याग्रह चलाया जिसके अंतर्गत उन्होंने 12 मार्च से 6 अप्रेल तक अहमदाबाद से दांडी, गुजरात, तक लगभग 388 किलोमीटर की यात्रा की। इस यात्रा का उद्देश्य स्वयं नमक उत्पन्न करना था। इस यात्रा में हजारों की संख्‍या में भारतीयों ने भाग लिया और अंग्रेजी सरकार को विचलित करने में सफल रहे। इस दौरान सरकार ने लगभग 60 हज़ार से अधिक लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा। इसके बाद लार्ड इरविन के प्रतिनिधित्व वाली सरकार ने गांधी जी के साथ विचार-विमर्श करने का निर्णय लिया जिसके फलस्वरूप गांधी-इरविन संधि पर मार्च 1931 में हस्ताक्षर हुए। गांधी-इरविन संधि के तहत ब्रिटिश सरकार ने सभी राजनैतिक कैदियों को रिहा करने के लिए सहमति दे दी। इस समझौते के परिणामस्वरूप गांधी कांग्रेस के एकमात्र प्रतिनिधि के रूप में लंदन में आयोजित गोलमेज सम्मेलन में भाग लिया परन्तु यह सम्मेलन कांग्रेस और दूसरे राष्ट्रवादियों के लिए घोर निराशाजनक रहा। इसके बाद गांधी फिर से गिरफ्तार कर लिए गए और सरकार ने राष्ट्रवादी आन्दोलन को कुचलने की कोशिश की। 1934 में गांधी ने कांग्रेस की सदस्यता से इस्तीफ़ा दे दिया। उन्होंने राजनीतिक गतिविधियों के स्थान पर अब ‘रचनात्मक कार्यक्रमों’ के माध्यम से ‘सबसे निचले स्तर से’ राष्ट्र के निर्माण पर अपना ध्यान लगाया। उन्होंने ग्रामीण भारत को शिक्षित करने, छुआछूत के ख़िलाफ़ आन्दोलन जारी रखने, कताई, बुनाई और अन्य कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देने और लोगों की आवश्यकताओं के अनु��ूल शिक्षा प्रणाली बनाने का काम शुरू किया। हरिजन आंदोलन दलित नेता बी आर अम्बेडकर की कोशिशों के परिणामस्वरूप अँगरेज़ सरकार ने अछूतों के लिए एक नए संविधान के अंतर्गत पृथक निर्वाचन मंजूर कर दिया था। येरवडा जेल में बंद गांधीजी ने इसके विरोध में सितंबर 1932 में छ: दिन का उपवास किया और सरकार को एक समान व्यवस्था (पूना पैक्ट) अपनाने पर मजबूर किया। अछूतों के जीवन को सुधारने के लिए गांधी जी द्वारा चलाए गए अभियान की यह शुरूआत थी। 8 मई 1933 को गांधी जी ने आत्म-शुद्धि के लिए 21 दिन का उपवास किया और हरिजन आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए एक-वर्षीय अभियान की शुरुआत की। अमबेडकर जैसे दलित नेता इस आन्दोलन से प्रसन्न नहीं थे और गांधी जी द्वारा दलितों के लिए हरिजन शब्द का उपयोग करने की निंदा की। द्वितीय विश्व युद्ध और ‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ द्वितीय विश्व युद्ध के आरंभ में गांधी जी अंग्रेजों को ‘अहिंसात्मक नैतिक सहयोग’ देने के पक्षधर थे परन्तु कांग्रेस के बहुत से नेता इस बात से नाखुश थे कि जनता के प्रतिनिधियों के परामर्श लिए बिना ही सरकार ने देश को युद्ध में झोंक दिया था। गांधी ने घोषणा की कि एक तरफ भारत को आजादी देने से इंकार किया जा रहा था और दूसरी  तरफ लोकतांत्रिक शक्तियों की जीत के लिए भारत को युद्ध में शामिल किया जा रहा था। जैसे-जैसे युद्ध बढता गया गांधी जी और कांग्रेस ने ‘भारत छोड़ो” आन्दोलन की मांग को तीव्र कर दिया। ‘भारत छोड़ो’ स्वतंत्रता आन्दोलन के संघर्ष का सर्वाधिक शक्तिशाली आंदोलन बन गया जिसमें व्यापक हिंसा और गिरफ्तारी हुई। इस संघर्ष में हजारों की संख्‍या में स्वतंत्रता सेनानी या तो मारे गए या घायल हो गए और हजारों गिरफ्तार भी कर लिए गए। गांधी जी ने यह स्पष्ट कर दिया था कि वह ब्रिटिश युद्ध प्रयासों को समर्थन तब तक नहीं देंगे जब तक भारत को तत्‍काल आजादी न दे दी जाए। उन्होंने यह भी कह दिया था कि व्यक्तिगत हिंसा के बावजूद यह आन्दोलन बन्द नहीं होगा। उनका मानना था की देश में व्याप्त सरकारी अराजकता असली अराजकता से भी खतरनाक है। गाँधी जी ने सभी कांग्रेसियों और भारतीयों को अहिंसा के साथ करो या मरो (डू ऑर डाय) के साथ अनुशासन बनाए रखने को कहा। जैसा कि सबको अनुमान था अंग्रेजी सरकार ने गांधी जी और कांग्रेस कार्यकारणी समिति के सभी सदस्यों को मुबंई में 9 अगस्त 1942 को गिरफ्तार कर लिया और गांधी जी को पुणे के आंगा खां महल ले जाया गया जहाँ उन्हें दो साल तक बंदी बनाकर रखा गया। इसी दौरान उनकी पत्नी कस्तूरबा गांधी का देहांत बाद 22 फरवरी 1944 को हो गया और कुछ समय बाद गांधी जी भी मलेरिया से पीड़ित हो गए। अंग्रेज़ उन्हें इस हालत में जेल में नहीं छोड़ सकते थे इसलिए जरूरी उपचार के लिए 6 मई 1944 को उन्हें रिहा कर दिया गया। आशिंक सफलता के बावजूद भारत छोड़ो आंदोलन ने भारत को संगठित कर दिया और द्वितीय विश्व युद्ध के अंत तक ब्रिटिश सरकार ने स्पष्ट संकेत दे दिया था की जल्द ही सत्ता भारतीयों के हाँथ सौंप दी जाएगी। गांधी जी ने भारत छोड़ो आंदोलन समाप्त कर दिया और सरकार ने लगभग 1 लाख राजनैतिक कैदियों को रिहा कर दिया। देश का विभाजन और आजादी जैसा कि पहले कहा जा चुका है, द्वितीय विश्व युद्ध के समाप्त होते-होते ब्रिटिश सरकार ने देश को आज़ाद करने का संकेत दे दिया था। भारत की आजादी के आन्दोलन के साथ-साथ, जिन्ना के नेतृत्व में एक ‘अलग मुसलमान बाहुल्य देश’ (पाकिस्तान) की भी मांग तीव्र हो गयी थी और 40 के दशक में इन ताकतों ने एक अलग राष्ट्र  ‘पाकिस्तान’ की मांग को वास्तविकता में बदल दिया था। गाँधी जी देश का बंटवारा नहीं चाहते थे क्योंकि यह उनके धार्मिक एकता के सिद्धांत से बिलकुल अलग था पर ऐसा हो न पाया और अंग्रेजों ने देश को द��� टुकड़ों – भारत और पाकिस्तान – में विभाजित कर दिया। गाँधी जी की हत्या
30 जनवरी 1948 को राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की दिल्ली के ‘बिरला हाउस’ में शाम 5:17 पर हत्या कर दी गयी। गाँधी जी एक प्रार्थना सभा को संबोधित करने जा रहे थे जब उनके हत्यारे नाथूराम गोडसे ने उबके सीने में 3 गोलियां दाग दी। ऐसे माना जाता है की ‘हे राम’ उनके मुख से निकले अंतिम शब्द थे। नाथूराम गोडसे और उसके सहयोगी पर मुकदमा चलाया गया और 1949 में उन्हें मौत की सजा सुनाई गयी। यह भी पढे:
भगत सिंह का जीवन परिचय , शिक्षा, आन्दोलन और मृत्यु का कारण
Mr. Faisu (फैसल शेख) जीवनी 2020, विकी, आयु, ऊंचाई, प्रेमिका
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imsaki07 · 5 years
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फिर पकड़ा पुलिस ने चिट्टा, महिला गिरफ्तार बलजीत/ आज फिर डमटाल पुलिस ने नशे की खेप सहित एक महिला को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की है । मामले की जानकारी देते हुए डीएसपी जवाली ज्ञान चंद ठाकुर ने बताया कि डमटाल थाना के एएसआई जगपाल गुलेरिया  अपनी टीम के साथ मोहटली बाजार मे गश्त कर रहे थे तो उनको गुप्त सूचना मिली कि सूरजपुर झीकला निवासी राधा देवी अपने घर मे नशा तस्करी का काम करती है अगर अभी उसके घर पर दबिश दी जाए तो अभी बड़ी सफलता हाथ लग सकती है l पुलिस ने जब दो गवाहों के साथ आरोपी के घर मे दबिश दी तो तलाशी लेने पर आरोपी के पास से 5.60 ग्राम चिट्टा नामक नशीला पदार्थ प्राप्त हुआ l आरोपी की पहचान राधा देवी निवासी सूरजपुर झिकला के रुप मे हुई है l डीएसपी ज्वाली ज्ञान चन्द ठाकुर ने बताया कि नशे के तस्करों के विरुद्ध भविष्य मे भी यह मुहीम अमल मे लायी जायेगी।
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jodhpurnews24 · 6 years
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महिला एएसआई को विवाह का लालच देकर बलात्कार
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राजकोट. सुरेंद्रनगर जिले के एक थाने में तैनात महिला सहायक उप निरीक्षक (एएसआई) को विवाह का लालच देकर बलात्कार करने का मामला पाटण जिले में कार्यरत पुलिस उप निरीक्षक (पीएसआई) के विरुद्ध सुरेंद्रनगर बी डिविजन पुलिस थाने में दर्ज हुआ है। पीडि़ता की ओर से दर्ज करवाए प्रकरण के अनुसार गांधीनगर में कराई स्थित पुलिस ट्रेनिंग स्कूल में कुछ समय पहले आयोजित प्रशिक्षण के दौरान पाटण निवासी आशीष कुमार नरेश कुमार डामोर भी आया था। वहां दोनोंका परिचय होने के बाद प्रेम संबंध हुआ। आरोपी ने पीडि़ता को विवाह का लालच देकर पिछली 12 दिसंबर से अब तक कथित तौर पर अनेक बार बलात्कार किया। सुरेंद्रनगर में बस स्टेंड के समीप एक गेस्ट हाऊस में बुलाकर भी आरोपी ने पीडि़ता के साथ कथित तौर पर अनेक बार बलात्कार किया। इस बीच, पीडि़ता को पता लगा कि आरोपी विव���हित है, इस कारण स्वयं के साथ विश्वासघात होने पर उसने पाटण जिले में कार्यरत आरोपी पीएसआई आशीषकुमार डामोर के विरुद्ध सुरेंद्रनगर बी डिविजन पुलिस थाने में रविवार को मामला दर्ज करवाया। मामला दर्ज करने के बाद अधिकारी उप निरीक्षक पी. आर. सागर ने जांच शुरू की है।
  महिला से सामूहिक बलात्कार, पांच पर मामला दर्ज गांधीधाम. कच्छ जिले में नखत्राणा-कोटडा जडोदर मार्ग पर एक कॉम्प्लेक्स के कार्यालय में महिला से सामूहिक बलात्कार का मामला सामने आया है। पुलिस ने पांच आरोपियों के विरुद्ध मामला दर्ज किया है। सूत्रों के अनुसार मूल नखत्राणा तहसील के मोटी अरल व हाल में विराणी गांव निवासी 40 वर्षीया पीडि़ता महिला ने नखत्राणा पुलिस थाने में मामला दर्ज करवाया है। शिकायत के अनुसार करीब एक वर्ष पहले उसने वंदना मोहन आहीर से दुपहिया वाहन खरीदा था। उस समय वह वंदना के संपर्क में आई थी। पिछली 10 अक्टूबर की रात करीब पौने नौ से साढ़े दस बजे के बीच पीडि़ता से बलात्कार किया गया। नखत्राणा तहसील के वंग गांव निवासी मोहन उमरा आहीर ने उसे कार में घर छोडऩे के लिए बिठाया और माता ना मढ़ जाने की बात कहकर जबरन कार में बिठाया। आरोपी मोहन उसे नखत्राणा-कोटडा जडोदर मार्ग पर एक पेट्रोल पंप के समीप स्थित कॉम्प्लेक्स के कार्यालय के एक कमरे में ले गया। वहां उसने कथित तौर पर पीडि़ता महिला से बलात्कार किया। इसके बाद अन्य चार जनों को फोन कर बुलाया। करीब 25-30 वर्ष की आयु के चार जने बाइक से वहां पहुंचे और पीडि़ता महिला से सामूहिक बलात्कार किया।
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its-axplore · 4 years
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देसी शराब की खेप ले जा रहे युवक को दबोचने में रामचंद्रा गांव के चौकीदार राम उदगार पासवान सफल रहे। यह कार्रवाई मधेपुर थाना क्षेत्र के रामचंद्रा गांव में सुबह लगभग पांच बजे की गई। जहां सिकरिया गांव की ओर से आ रही बाइक को चौकीदार ने शक के आधार पर ग्रामीणों के सहयोग से रोका। बाइक पर दो युवक सवार थे और दो प्लास्टिक के गैलनाें में देशी शराब भरकर ले जा रहे थे। बाइक रुकते ही पीछे सवार युवक भागने में सफल रहे। जबकि बाइक चालक युवक को चौकीदार ने दबोच लिया। एएसआई मुरली पासवान सशस्त्र बलों के साथ मौके पर पहुंचकर शराब एवं बाइक जब्त कर ली तथा युवक को हिरासत में लेकर थाना ले गए। चौकीदार राम उदगार पासवान ने शराब तस्करों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराई। थानाध्यक्ष ने बताया कि बाइक चालक की पहचान गोधनपुर निवासी ओम प्रकाश साहु के रूप में हुई है।
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जब्त शराब के साथ शराब तस्करी का अारोपी।
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महिला एएसआई को विवाह का लालच देकर बलात्कार
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राजकोट. सुरेंद्रनगर जिले के एक थाने में तैनात महिला सहायक उप निरीक्षक (एएसआई) को विवाह का लालच देकर बलात्कार करने का मामला पाटण जिले में कार्यरत पुलिस उप निरीक्षक (पीएसआई) के विरुद्ध सुरेंद्रनगर बी डिविजन पुलिस थाने में दर्ज हुआ है। पीडि़ता की ओर से दर्ज करवाए प्रकरण के अनुसार गांधीनगर में कराई स्थित पुलिस ट्रेनिंग स्कूल में कुछ समय पहले आयोजित प्रशिक्षण के दौरान पाटण निवासी आशीष कुमार नरेश कुमार डामोर भी आया था। वहां दोनोंका परिचय होने के बाद प्रेम संबंध हुआ। आरोपी ने पीडि़ता को विवाह का लालच देकर पिछली 12 दिसंबर से अब तक कथित तौर पर अनेक बार बलात्कार किया। सुरेंद्रनगर में बस स्टेंड के समीप एक गेस्ट हाऊस में बुलाकर भी आरोपी ने पीडि़ता के साथ कथित तौर पर अनेक बार बलात्कार किया। इस बीच, पीडि़ता को पता लगा कि आरोपी विवाहित है, इस कारण स्वयं के साथ विश्वासघात होने पर उसने पाटण जिले में कार्यरत आरोपी पीएसआई आशीषकुमार डामोर के विरुद्ध सुरेंद्रनगर बी डिविजन पुलिस थाने में रविवार को मामला दर्ज करवाया। मामला दर्ज करने के बाद अधिकारी उप निरीक्षक पी. आर. सागर ने जांच शुरू की है।
  महिला से सामूहिक बलात्कार, पांच पर मामला दर्ज गांधीधाम. कच्छ जिले में नखत्राणा-कोटडा जडोदर मार्ग पर एक कॉम्प्लेक्स के कार्यालय में महिला से सामूहिक बलात्कार का मामला सामने आया है। पुलिस ने पांच आरोपियों के विरुद्ध मामला दर्ज किया है। सूत्रों के अनुसार मूल नखत्राणा तहसील के मोटी अरल व हाल में विराणी गांव निवासी 40 वर्षीया पीडि़ता महिला ने नखत्राणा पुलिस थाने में मामला दर्ज करवाया है। शिकायत के अनुसार करीब एक वर्ष पहले उसने वंदना मोहन आहीर से दुपहिया वाहन खरीदा था। उस समय वह वंदना के संपर्क में आई थी। पिछली 10 अक्टूबर की रात करीब पौने नौ से साढ़े दस बजे के बीच पीडि़ता से बलात्कार किया गया। नखत्राणा तहसील के वंग गांव निवासी मोहन उमरा आहीर ने उसे कार में घर छोडऩे के लिए बिठाया और माता ना मढ़ जाने की बात कहकर जबरन कार में बिठाया। आरोपी मोहन उसे नखत्राणा-कोटडा जडोदर मार्ग पर एक पेट्रोल पंप के समीप स्थित कॉम्प्लेक्स के कार्यालय के एक कमरे में ले गया। वहां उसने कथित तौर पर पीडि़ता महिला से बलात्कार किया। इसके बाद अन्य चार जनों को फोन कर बुलाया। करीब 25-30 वर्ष की आयु के चार जने बाइक से वहां पहुंचे और पीडि़ता महिला से सामूहिक बलात्कार किया।
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