#ऋषिगंगा प्रोजेक्ट
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उत्तराखंड में भारी तबाही, ब्रिटेन-ऑस्ट्रेलिया समेत कई वैश्विक नेताओं ने बढ़ाया मदद का हाथ
उत्तराखंड में भारी तबाही, ब्रिटेन-ऑस्ट्रेलिया समेत कई वैश्विक नेताओं ने बढ़ाया मदद का हाथ
उत्तराखंड, [निखिल भारद्वाज] : उत्तराखंड के चमोली जिले के तपोवन इलाके में रविवार को ग्लेशियर फटने से ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट को भारी नुकसान पहुंचा। चमोली में ग्लेशियर टूटने से बड़ा हादसा हो गया है। कई लोगों की जान चली गई। अब तक 10 लोगों के शव बरामद हो चुके हैं। 170 लोगों के फंसे होने की आशंका है। 7 लोगों को एक सुरंग से बचाया भी गया है। राहत और बचाव अभियान बड़े स्तर इलाके में जारी है। भारत में आई इस…
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ऋषिगंगा बिजली परियोजना: उत्तराखंड में बाढ़: 3 शव बरामद! -उत्तराखंड ग्लेशियर के फटने से 3 शव बरामद होने की आशंका
ऋषिगंगा बिजली परियोजना: उत्तराखंड में बाढ़: 3 शव बरामद! -उत्तराखंड ग्लेशियर के फटने से 3 शव बरामद होने की आशंका
उत्तराखंड के सामोली जिले में नंदा देवी पहाड़ियों में अचानक हिमस्खलन हुआ है। रेनी गांव में ऋषिकंगा पावर स्टेशन के पास बड़ी मात्रा में ग्लेशियर गिर गए, जिससे तेजी से पिघलने के कारण थुलीगंगा नदी में बाढ़ आ गई। अलकनंदा और तवुलिगंगा नदियों में हिमस्खलन और भीषण बाढ़ के कारण अलकनंदा नदी का बांध क्षतिग्रस्त हो गया है। नदी के किनारे के कई घर बाढ़ से बह गए हैं। राष्ट्रीय आपदा बचाव बल, राज्य आपदा बचाव बल और…
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ऋषिगंगा पर पनबिजली परियोजनाओं को रदद करने की मांग वाली याचिका उच्च न्यायालय में खारिज
ऋषिगंगा पर पनबिजली परियोजनाओं को रदद करने की मांग वाली याचिका उच्च न्यायालय में खारिज
नैनीताल: उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने ऋषि गंगा तपोवन और विष्णुगाड पर बन रहे हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पांचों याचिकाकर्ताओ पर न्यायालय का समय व्यर्थ करने के लिए दस हजार रुपये का जुर्माना लगाते हुए जनहित याचिका को खारिज कर दिया है। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश आर.एस.चौहान और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ में हुई। मामले के अनुसार रैणी गाँव निवासी…
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डॉ. धन सिंह रावत ने तपोवन में ग्लेशियर टूटने से तबाह ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट का किया निरीक्षण
डॉ. धन सिंह रावत ने तपोवन में ग्लेशियर टूटने से तबाह ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट का किया निरीक्षण
राज्य के उच्च शिक्षा, सहकारिता, प्रोटोकाल एवं आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने चमोली जनपद के तपोवन में ग्लेशियर टूटने से तबाह ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट और एनटीपीसी के प्रोजेक्ट सहित माणा गाँव, रेणी गाँव एवं आपदा प्रभावित उर्गम घाटी का दौरा कर प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण किया। विभागीय मंत्री डॉ रावत ने मौके पर ही एनटीपीसी अधिकारियों के साथ बैठक कर ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट के…
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उत्तराखंड ग्लेशियर आपदा: जल विद्युत परियोजना स्थल से तीन और शव बरामद, मौत की संख्या बढ़कर 65 - उत्तराखंड ग्लेशियर आपदा: जल विद्युत परियोजना स्थल से तीन और शव बरामद, मरने वालों की संख्या बढ़कर 65
उत्तराखंड ग्लेशियर आपदा: जल विद्युत परियोजना स्थल से तीन और शव बरामद, मौत की संख्या बढ़कर 65 – उत्तराखंड ग्लेशियर आपदा: जल विद्युत परियोजना स्थल से तीन और शव बरामद, मरने वालों की संख्या बढ़कर 65
गोपेश्वर: उत्तराखंड में शनिवार को एनटीपीसी के तपोवन-विष्णुगढ़ जल विद्युत परियोजना स्थल से तीन और शव बरामद किए गए, जिससे राज्य में 7 फरवरी को ग्लेशियर के फटने से हुई आपदा में मरने वालों की संख्या बढ़ गई। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। एनडीआरएफ के कमांडेंट पीके तिवारी ने कहा कि शनिवार को तपोवन प्रोजेक्ट बैराज के पास गाद टैंक से शव बरामद किए गए। चमोली जिले में, ऋषिगंगा नदी पर हिमनदों के फटने के कारण…
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Chamoli disaster update— तपोवन से 3 मैठाणा से 1 शव बरामद, इतनी पहुंची मृतकों की संख्या, पढ़ें पूरी खबर
Chamoli disaster update— तपोवन से 3 मैठाणा से 1 शव बरामद, इतनी पहुंची मृतकों की संख्या, पढ़ें पूरी खबर
चमोली, 15 फरवरी 2021तपोवन में एनटीपीसी के निर्माणाधीन हाइड्रो प्रोजेक्ट की टनल से शवों के मिलने का सिलसिला लगातार जारी है। रेसक्यू के दौरान आज 4 और शव बरामद हुए है। जिसमें 3 शव तपोवन व एक मैठाणा से बरामद हुआ है। गौरतलब है कि बीते 7 फरवरी को चमोली में ग्लेशियर टूटने के बाद ऋषिगंगा व धौलीगंगा में आए सैलाब के बाद कई लोग लापता चल रहे है। बीते रविवार को तपोवन जल विद्युत परियोजना की सुरंग समेत पूरे…
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#Chamoli Disaster#Chamoli disaster update#chamoli news#chamoli-disaster- 1 dead body recovered from 3 Mathana from Tapovan#तपोवन#तपोवन से 3 मैठाणा से 1 शव बरामद
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उत्तराखंड के चमोली जिले में 7 फरवरी को सुबह ग्लेशियर टूट जाने के कारण काफी तबाही हुई। पूरे देश को इस घटना ने झकझोर कर रख दिया है और हर किसी के सामने एक बार फिर 2013 का वो मंजर सामने आया। ग्लेशियर टूटने से प्लांट, बांध, पुलों को नुकसान पहुंचा और सैकड़ों लोग बह गए। अभी तक कई शव मिल चुके हैं, वहीं सैकडों लोग अभी भी लापता हैं और रेस्क्यू ऑपरेशन भी चल रहा है। रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए ITBP के साथ SDRF, NDRF, तीनों सेनाएं और अन्य सभी एजेंसियों को लगा दिया गया है।
चमोली में ग्लेशियर टूटने के बाद ऋषिगंगा और फिर धौलीगंगा पर बने हाइड्रो प्रोजेक्ट का बांध टूट गया। इससे गंगा और उसकी सहायक नदियों में बाढ़ का खतरा पैदा हो गया है।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि अगर आप प्रभावित क्षेत्र में फंसे हैं और आपको किसी तरह की मदद की जरूरत है तो आपदा परिचालन केंद्र के नंबर 1070 या 9557444486 पर संपर्क करें।
वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने भी 7 फरवरी को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को 4 बार फोन कर के दुर्घटना का हाल जाना था और हर संभव मदद का आश्वासन भी दिया। और तमाम राज्य सरकारों ने भी हर संभव मदद का आश्वासन दिया है।
उत्तराखंड में ग्लेशियर टूटने की एक बड़ी वजह जलवायु परिवर्तन को माना जा रहा है। विशेषज्ञों की मानें तो हिमालय का क्षेत्र अन्य पर्वत श्रंखलाओं की तुलना में कहीं तेजी से गर्म हो रहा है।
अगर समग्र हिमालय क्षेत्र की बात करें तो 8000 से अधिक ग्लेशियर झीलें हैं, जिनमें 200 को खतरनाक की श्रेणी में रखा गया है। अब अगर सिर्फ उत्तराखंड की बात करें तो इस इलाके में 50 से अधिक ग्लेशियर तेजी से आकार बदल रहे हैं। राज्य सरकार की ओर से 2007-08 में कराए गए विशेषज्ञ कमेटी के अध्ययन में यह निष्कर्ष निकला था।
ग्लेशियर से जुड़े खतरों के वैश्विक तापमान से संबंधों के खतरों से आगाह करती एक रिपोर्ट में कहा गया कि हिंदू-कुश हिमालय क्षेत्र में दुनिया के अन्य हिस्सों की तुलना में तेजी से बढ़ रहा है। संभवतः इसी खतरे को पहले से भांप कर चमोली जिले में रैणी के ग्रामीणों ने इसी ��ो लेकर नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी।
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि 7 फरवरी को उत्तराखंड के चमोली जिले में जिस ग्लेशियर के फटने से इतनी बड़ी तबाही आई है, इसकी चेतावनी उत्तराखंड के ही वैज्ञानिकों ने 8 महीने पहले दे दी थी। वैज्ञानिकों ने बताया था कि उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और हिमाचल के कई इलाकों में ऐसे ग्लेशियर हैं, जो कभी भी फट सकते हैं।
वैज्ञानिकों ने बताया कि श्योक नदी के प्रवाह को एक ग्लेशियर ने रोक दिया है। इसकी वजह से अब वहां एक बड़ी झील बन गई है। झील में ज्यादा पानी जमा हुआ, तो उसके फटने की आशंका है। यह चेतावनी दी थी देहरादून के वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ जियोलॉजी के वैज्ञानिकों ने।
वैज्ञानिकों ने चेताया था कि जम्मू-कश्मीर काराकोरम रेंज समेत पूरे हिमालय क्षेत्र में ग्लेशियरों द्वारा नदी का प्रवाह रोकने पर कई झीलें बनी हैं। यह बेहद खतरनाक स्थिति है।
आपको बताते चलें कि उत्तराखंड में गंगोत्री ग्लेशियर सबसे बड़ा है। यह चार हिमनदों रतनवन, चतुरंगी स्वच्छंद और कैलाश से मिलकर बना है। गंगोत्री ग्लेशियर 30 किलोमीटर लंबा और दो किलोमीटर चौड़ा है। हालिया शोध में यह बात सामने आई है कि गंगोत्री ग्लेशियर पर्यावरण में आए बदलाव के चलते हर साल 22 मीटर पीछे खिसक रहा है। पर्यावरणीय बदलाव की वजह से फिलहाल हर साल ये ग्लेशियर कई मीटर तक पीछे खिसक रहे हैं।
दोस्तों, हमारी परंपराओं ने प्रकृति के साथ सौहार्द बनाकर रहने के महत्व पर बल दिया है। यह हम सबका कर्तव्य है कि हम यह सुनिश्चित करें कि भौतिक समृद्धि की खोज के लिए हम अपने पर्यावरण से समझौता नहीं करेंगे।
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1965 के खुफिया मिशन में नंदा देवी पर्वत पर खोए न्यूक्लियर डिवाइस से फटा ग्लेशियर? Divya Sandesh
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1965 के खुफिया मिशन में नंदा देवी पर्वत पर खोए न्यूक्लियर डिवाइस से फटा ग्लेशियर?
देहरादून/चमोली चमोली के तपोवन इलाके में ग्लेशियर फटने के बाद तबाही का मंजर है। रेस्क्यू ऑपरेशन में एसडीआरएफ, एयर फोर्स और तमाम एजेंसियां दिन रात-एक किए हुए हैं। रविवार को आई जलप्रलय की वजह को लेकर कई तरह की थिअरी सामने आ रही है। पर्यावरणविद ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट और विकास की दौड़ में बन रहे डैम पर उंगली उठा रहे हैं। वहीं ये भी दलील दी जा रही है कि ये कुदरत का कहर है और इंसानी गतिविधियां जिम्मेदार नहीं हैं। इस बीच तपोवन के रैणी गांव के कुछ लोगों का कहना है कि 1965 में एक सीक्रेट मिशन के दौरान नंदा देवी में रेडियोऐक्टिव डिवाइस खो गई थी और इससे पैदा हुई गर्मी की वजह से ग्लेशियर फट गया। आइए जानते हैं क्या था वह सीक्रेट मिशन…
शीतयुद्ध के दौर में क्यों हुआ मिशन नंदा देवी समुद्र तल से 7800 मीटर से ज्यादा ऊंचाई पर नंदा देवी पर्वत स्थित है। यह भारत की दूसरी सबसे ऊंची ���ोटी है। 1965 से इन चोटियों में एक राज दफन है, जो इंसान के लिए विनाशकारी आशंका को बार-बार जिंदा करता है। शीतयुद्ध का दौर था और उस वक्त दुनिया दो ध्रुवों में बंटी हुई थी। भारत और अमेरिका ने 1965 में मिशन नंदा देवी के रूप में एक खुफिया अभियान चलाया था। चीन की परमाणु गतिविधियों पर नकेल कसने के लिए ये सीक्रेट मिशन शुर�� हुआ था। चीन पर निगरानी के लिए अमेरिका ने भारत से मदद मांगी। कंचनजंगा पर खुफिया डिवाइस लगाने का प्लान बनाया गया। लेकिन भारतीय सेना ने जब इसको टेढ़ी खीर बताया को 25 हजार फीट से ज्यादा ऊंचाई पर स्थित नंदा देवी पर रेडियोऐक्टिव डिवाइस लगाने का फैसला हुआ।
पढ़ें:
200 लोगों की टीम सीक्रेट मिशन में शामिल 1964 में चीन ने शिनजियान प्रांत में न्यूक्लियर टेस्ट किया। इसके बाद 1965 में अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए ने हिमालय की चोटियों से चीन की परमाणु गतिविधियों पर निगहबानी का प्लान बनाया। इसके लिए भारतीय खुफिया विभाग (IB) से मदद लेकर नंदा देवी पर्वत पर खुफिया यंत्र लगाने की कोशिश की गई। पहाड़ पर 56 किलोग्राम के यंत्र स्थापित किए जाने थे। इन डिवाइस में 8 से 10 फीट ऊंचा एंटीना, दो ट्रांस रिसीवर सेट और परमाणु सहायक शक्ति जनरेटर (SNAP सिस्टम) शामिल थे। जनरेटर के न्यूक्लियर फ्यूल में प्लूटोनियम के साथ कैप्सूल भी थे, जिनको एक स्पेशल कंटेनर में रखा गया था। न्यूक्लियर फ्यूल जनरेटर हिरोशिमा पर गिराए गए बम के आधे वजन का था। टीम के शेरपाओं ने इसे गुरुरिंगपोचे नाम दिया था। 200 लोगों की टीम इस सीक्रेट मिशन से जुड़ी हुई थी।
LIVE:
अक्टूबर 1965 में कैंप-4 पर अधूरा छोड़ना पड़ा मिशन अक्टूबर 1965 में टीम नंदा देवी पर्वत के करीब 24 हजार फीट ऊंचाई पर स्थित कैंप-4 पहुंच गई। इसी दौरान अचानक मौसम काफी खराब हो गया। टीम लीडर मनमोहन सिंह कोहली के लिए यह करो या मरो का सवाल था। उन्हें अपनी टीम या खुफिया डिवाइस में से किसी एक को चुनना था। ऐसे में उन्होंने अपनी टीम के मेंबर्स को तवज्जो दी। आखिरकार टीम को मिशन अधूरा छोड़कर वापस लौटना पड़ा। परमाणु सहायक शक्ति जनरेटर मशीन और प्लूटोनियम कैप्सूल को कैंप-4 पर ही छोड़ना पड़ा।
1966 में फिर जद्दोजहद लेकिन मिली नाकामी इसके एक साल बाद 1966 में एक बार फिर मिशन को मुकम्मल बनाने का प्रयास हुआ। मई 1966 में पुरानी टीम के कुछ सदस्य और एक अमेरिकी न्यूक्लियर एक्सपर्ट फिर नंदा देवी पर्वत पर डिवाइस की खोज के लिए निकले। यह तय किया गया कि खुफिया डिवाइस को कम ऊंचाई पर भी स्थापित किया जा सकता है। 6861 मीटर की ऊंचाई पर स्थित माउंट नंदा कोट वहां खुफिया यंत्र को स्थापित करने का फैसला लिया गया। डिवाइस की तलाश में टीम नंदा देवी पर्वत के कैंप-4 पहुंची। लेकिन जब वहां तलाश शुरू हुई तो ना तो डिवाइस मिला और ना ही प्लूटोनियम की छड़ों का कुछ अता-पता चला। आज तक इस खुफिया रेडियोऐक्टिव डिवाइस का कुछ भी पता नहीं चल पाया है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि प्लूटोनियम के ये कैप्सूल 100 साल तक ऐक्टिव रह सकते हैं। ये रेडियोऐक्टिव डिवाइस अब भी उसी इलाके में कहीं दबी हुई है।
पढ़ें:
मिशन के खिलाफ थे टीम लीडर कैप्टन मनमोहन कोहली 1965 में मिशन नंदा देवी के टीम लीडर कैप्टन मनमोहन सिंह कोहली इस अभियान के खिलाफ थे। उन्होंने कहा था कि नंदा देवी चोटी 25 हजार फीट से ज्यादा ऊंची है। इतनी ऊंचाई पर खतरनाक रेडियोऐक्टिव सामान ले जाने के खतरे के बारे में उन्होंने आगाह किया था। लेकिन अमेरिकी खुफिया एजेंसी की टीम हर हाल में मिशन को अंजाम देना चाहती थी। ऐसे में उनकी सलाह को दरकिनार कर दिया गया। इसके बाद भारत-अमेरिका की टीम को वहां जाना पड़ा। 14 अक्टूबर 1965 को टीम का बर्फीले तूफान से सामना हुआ। ऐसे में टीम के सदस्यों की जान खतरे में थी। टीम लीडर कोहली ने फिर सभी को वापस बेस कैंप लौटने के निर्देश दिए। इसके बाद 1 जून 1966 को टीम फिर कैंप-4 पहुंची लेकिन काफी जद्दोजहद के बाद वहां कुछ भी नहीं मिला।
जलप्रलय की जिम्मेदार खो चुकी डिवाइस तो नहीं? 1977 में सीआईए और आईबी के इस सीक्रेट मिशन का खुलासा पहली बार हुआ था। अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भी इस पर चर्चा छिड़ी। इसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरार जी देसाई को संसद में मिशन के बारे में पुष्टि करनी पड़ी थी। इसके बाद से लगातार बहस चल रही है कि हिमालय में किसी तरह के रेडियोऐक्टिव डिवाइस का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए, क्योंकि यह कभी भी किसी विनाशकारी आपदा को जन्म दे सकता है। अब रैणी गांव के लोगों ने आशंका जाहिर की है कि 1965 में नंदा देवी में खो चुकी रेडियोऐक्टिव डिवाइस से उत्पन्न हुई गर्मी से ग्लेशियर फटा। ऐसे में इस बात को बल मिल रहा है कि कहीं 1965 का वो खुफिया मिशन इस जलप्रलय के लिए जिम्मेदार तो नहीं है?
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उत्तराखंड आपदा: टनल से शव मिलने का सिलसिला जारी, आज मिले इतने शव
उत्तराखंड आपदा: टनल से शव मिलने का सिलसिला जारी, आज मिले इतने शव
चमोली: चमोली आपदा प्रभावित इलाकों में मलबे दबे लोगों की खोजबीन आज 12वें दिन भी जारी है। आज सुबह टनल से एक और शव बरामद हुआ। अब तक 26 मानव अंग और 59 शव बरामद हो चुके हैं। तपोवन में विष्णुगाड हाइड्रो प्रोजेक्ट की मुख्य टनल और ऋषिगंगा के आसपास रेस्क्यू जारी रहा। इससे पहले बुधवार को मुख्यमंत्री के पीआरओ शैलेंद्र त्यागी व ओएसडी अभय रावत ने आपदा प्रभावित रैणी गांव का दौरा किया। तपोवन के नरेंद्र कुमार व…
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आपदा में लापता 204 लोगों में से अब तक 61 के शव और 27 मानव अंग बरामद
आपदा में लापता 204 लोगों में से अब तक 61 के शव और 27 मानव अंग बरामद
गोपश्वर: चमोली जिले में आपदा प्रभावित इलाकों से मलबे में दबे व्यक्तियों की खोजबीन लगातार जारी है। गुरुवार को तपोवन टनल से 02 शव व 01 मानव अंग और रैणी क्षेत्र से 01 महिला का शव बरामद किया गया। आपदा में लापता 204 लोगों में से अब तक 61 लोगों के शव और 27 मानव अंग बरामद किए जा चुके है तथा 143 अभी लापता चल रहे हंै। रैणी में ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट, तपोवन में विष्णुगाड हाइड्रो प्रोजेक्ट एवं नदी तटों के…
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चमोली(बड़ी खबर) ऋषि गंगा में फिर बढ़ा पानी, राहत-बचाव कार्य रोका
चमोली(बड़ी खबर) ऋषि गंगा में फिर बढ़ा पानी, राहत-बचाव कार्य रोका
उत्तरा न्यूज डेस्क:चमोली जिले के तपोवन क्षेत्र में बीती 7 फरवरी को आई आपदा के बाद चलाया जा रहा रेस्क्यू आॅपरेशन गुरूवार दोपहर बाद एकाएक रोकना पड़ा। ऋषिगंगा में एकाएक पानी बढ़ जाने से रेस्क्यू आपरेशन को रोकना पड़ा है। इस दौरान ऋषि गंगा पा��र प्रोजेक्ट के लिए बनाई जा रही टनल के जरिये भारी मात्रा में मलबा आने लगा और टनल में फंसे तीन इंजीनियरों समेत 35 कर्मचारियों तक पहंुचने में बचाव दल को काफी…
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उत्तराखंड : टनल में फंसे मजदूरों को निकालने की कोशिशें जारी, 14 शव बरामद; 170 लापता
उत्तराखंड : टनल में फंसे मजदूरों को निकालने की कोशिशें जारी, 14 शव बरामद; 170 लापता
उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ में ग्लेशियर टूटने के कारण आए एवेलांच से अलनकनंदा और धौलीगंगा नदियों में भयंकर बाढ़ आ गई है. बाढ़ यहां पर पांच पुलों को बहा ले गई और रास्ते में आने वाले घरों, पास के NTPC पावर प्लांट और एक छोटे हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट ऋषिगंगा को बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया. इस आपदा में अब तक 14 लोगों की मौत होने की खबर है, वहीं लगभग 170 लोग लापता हैं. तपोवन NTPC पावर प्रोजेक्ट…
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चमोली तबाही Update : तपोवन सुरंग में फंसे 34 में से 30 लोगों के शव बाहर निकाले, 35 से ऊपर पहुंचा मृतकों का आंकड़ा, वायु सेना डिवाइस की मदद से मलबे में दबे लोगों की पहचान कर रही Divya Sandesh
#Divyasandesh
चमोली तबाही Update : तपोवन सुरंग में फंसे 34 में से 30 लोगों के शव बाहर निकाले, 35 से ऊपर पहुंचा मृतकों का आंकड़ा, वायु सेना डिवाइस की मदद से मलबे में दबे लोगों की पहचान कर रही
इंटरनेट डेस्क। चमोली जिले में हिमस्खलन के बाद आई बाढ़ ने भारी तबाही मचाई है। पिछले तीन दिनों से रेस्क्यू आपरेशन जारी है। वहीं आज मंगलवार को तपोवन-विष्णुगाड परियोजना की एक सुरंग में फंसे करीब 34 व्यक्तियों में से 30 के शव बाहर निकाल लिये गए हैं।
आईटीबीपी, एसडीआरएफ, सेना, जिला प्रशासन की टीम आपरेशन में जुटी हैं। नदी के तल और मलबे में अभी भी कई लोगों के दबने की आशंका है। इसी के चलते हैदराबाद की एक कंपनी द्वारा बनाई गई डिवाइस के जरिये प्रशासन हैलीकॉप्टर की मदद से मलबे के 500 मीटर की ऊंचाई से गहराई में फंसे लोगों को चिन्हित कर रहा है। भारतीय वायु सेना की इसमें मदद ली जा रही है।
A Hyderabad based team has got a remote sensing device that can detect debris up to 500 metres deep in the ground. We are using the device with the help of a chopper: Ashok Kumar, DGP #Uttarakhand pic.twitter.com/klnUYdQwq1 — ANI (@ANI) February 9, 2021
दूसरी ओर प्रभावित क्षेत्र ऋषिगंगा हाइड्रो प्रोजेक्ट में चार और शव बरामद हुए हैं। मृतकों का आंकड़ा 35 से ऊपर पहुंच चुका है। इधर, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी लगातार प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं और हालातों का जायजा ले रहे हैं। राज्य के डीजीपी अशोक कुमार ने बताया है कि हमने नदी के तल और मलबे में सर्च अभियान चला रहे हैं। संभावना है कि मलबे से और शव बाहर आएंगे क्योंकि अभी भी लापता लोगों की संख्या 150 से ऊपर है।
30 dead bodies have been recovered. Search operation is on for the missing. We are searching river bed & debris. Today, three bodies were recovered from the debris in Raini village including our police personnel: Ashok Kumar, DGP #Uttarakhand pic.twitter.com/W1JRvXHwdC — ANI (@ANI) February 9, 2021
वहीं मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आपदा ��्रभावित सीमांत गांव क्षेत्र रैणी जाकर वहां की स्थिति का जायजा लिया। मुख्यमंत्री ने ग्रामीणों से मुलाकात की और उनकी समस्याओं की जानकारी ली। मुख्यमंत्री ने ग्रामीणों को हर संभव सहायता के प्रति आश्वस्त किया।
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उत्तराखंड हादसे में 170 लोगो की मौतों की आशंका और 14 शव मिले,जाने सबकुछ इस खबर में
उत्तराखंड हादसे में 170 लोगो की मौतों की आशंका और 14 शव मिले,जाने सबकुछ इस खबर में
उत्तराखंड के चमोली जिले के तपोवन इलाके में रविवार को हुए हादसे में 170 लोगों की मौत की आशंका है। तपोवन में ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट और NTPC प्रोजेक्ट साइट को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा है। अब तक अलग-अलग जगहों से 14 शव बरामद किए गए हैं। NTPC प्रोजेक्ट साइट से पर दो टनल हैं। पहली टनल में फंसे 16 लोगों क�� रेस्क्यू किया जा चुका है। दूसरी टनल में 30 वर्कर्स फंसे थे। 900 मीटर लंबी इस टनल में रविवार रात…
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चमोली आपदा में बागेश्वर के इंजीनियर की मौत,परिवार में मचा कोहराम
चमोली आपदा में बागेश्वर के इंजीनियर की मौत,परिवार में मचा कोहराम
चमोली: उत्तराखंड के चमोली जिले में रविवार को नंदा देवी ग्लेशियर टूटने से आयी आपदा के बाद से ही राहत एवं बचाव कार्य युद्ध स्तर पर जारी है। मंगलवार को रेसक्यू अभियान के दौरान कांडा तहसील भतौड़ा गांव के एक युवक का शव बरामद हुआ। भतौड़ा निवासी दीपक कुमार (28) ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट में बतौर इलेक्ट्रिकल इंजीनियर के पद पर कार्यरत था। वह यहां बीते एक साल से कार्य कर रहा था। इससे पहले दीपक कुमार उत्तर भारत…
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आखिर क्यों टूटा पहाड़ का सब्र!: कम होती बर्फबारी, यूरोपीय प्रदूषण और बढ़ते तापमान से पिघल रहे ग्लेशियर, पहाड़ों पर निर्माण भी तबाही की वजह
आखिर क्यों टूटा पहाड़ का सब्र!: कम होती बर्फबारी, यूरोपीय प्रदूषण और बढ़ते तापमान से पिघल रहे ग्लेशियर, पहाड़ों पर निर्माण भी तबाही की वजह
Hindi News National Glaciers Are Melting Rapidly Due To Decreasing Snowfall, European Pollution And Rising Temperatures Ads से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप 2 घंटे पहलेलेखक: डॉ. डीपी डोभाल कॉपी लिंक उत्तराखंड के चमोली में बना ऋषिगंगा पॉवर प्रोजेक्ट। रविवार को हुई तबाही में इसे बेहद नुकसान पहुंचा। पहाड़ों पर दोपहर का तापमान 5 डिग्री तक बढ़ चुका है, इससे…
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