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rajeducations · 2 years ago
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mhabrain · 4 years ago
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भारत गुलाबी गेंद की टेस्ट जीत बाद शीर्ष पर -अपडेटेड पॉइंट्स टेबल देखें
भारत गुलाबी गेंद की टेस्ट जीत बाद शीर्ष पर -अपडेटेड पॉइंट्स टेबल देखें
नरेंद्र मोदी स्टेडियम: भारतीय क्रिकेट टीम ने बताया की उन्होंने गुरुवार के दिन नरेंद्र मोदी स्टेडियम में भारत और इंग्लैंड इन दोनों के मैच चल रहा था और टीम इंडिया ने नरेंद्र मोदी स्टेडियम में गुलाबी गेंद के दिन ही इंग्लैंड को 10 विकेट से हार का मुख देखना पड़ा था, और भारत क्रिकेट टीम जो  की भारत विश्व के टेस्ट चैम्पियन शिप में जो अंक तालिका थी उस अंक तालिका में भारत सबसे ऊपर थे, और बताया जा रहा हैं…
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kisansatta · 4 years ago
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ट्राई करें पंजाबी अमृतसरी चिकन मसाला
पंजाब की पॉपुलर डिश्स में से एक है अमृतसरी चिकन मसाला इसके स्वाद को देखते हुए हर इंडियन रेस्टोरेंट के मेन्यू में यह डिश जरूर शामिल की जाती है। यदि आप भी इस पंजाबी ग्रेवी में बने चिकन का स्वाद चखना चाहते हैं तो ट्राई करें ये रेसिपी।
अमृतसरी चिकन मसाला बनाने के लिए सामग्री- मैरीनेशन के लिए- -500 ग्राम चिकन -2 टी स्पून अदरक-लहसुन का पेस्ट -3 टेबल स्पून दही -1 टी स्पून नींबू का रस -1 टी स्पून सिरका -1 टी स्पून धनिया पाउडर -1 टी स्पून जीरा पाउडर -1 टी स्पून लाल मिर्च पाउडर -1 टी स्पून नमक -2 टी स्पून प्याज, टुकड़ों में कटा हुआ
अमृतसरी चिकन मसाला ग्रेवी बनाने के लिए- -2 टी स्पून मक्खन -1 टी स्पून लाल मिर्च पाउडर -1 टी स्पून धनिया पाउडर -1 टी स्पून जीरा पाउडर -1 टी स्पून अदरक -1/2 कप पानी -1 टी स्पून नमक -1 हरी मिर्च -6 टमाटर -1/2 टी स्पून चीनी -3 टी स्पून मक्खन -3 टी स्पून क्रीम
अमृतसरी चिकन मसाला बनाने की विधि – चिकन मैरीनेट करने के लिए सबसे पहले एक बड़े बाउल में चिकन लें। इसमें अदरक-लहसुन का पेस्ट, नींबू का रस, सिरका, धनिया पाउडर, जीरा पाउडर, लाल मिर्च पाउडर, नमक और कटा हुआ प्याज डालें। सभी सामग्री को चिकन के साथ अच्छे से मिलाकर 2 घंटे के लिए अलग रख दें। अब एक पैन में मक्खन डालकर गर्म करें, उसमें लाल मिर्च पाउडर डालकर उसे हल्का सा भून लें। अब इसमें धनिया पाउडर, जीरा पाउडर और कटा हुआ अदरक डालकर अच्छे से भूनकर पानी डालकर मसालों को अच्छे से पकाएं।
अब इसमें नमक, हरी मिर्च, टमाटर और चीनी डालकर अच्छे से मिलाएं। एक दूसरे पैन में मक्खन लें और इसे पैन में चारों तरफ फैला लें।इसमें अब मैरीनेट किया हुआ चिकन डालें।मक्खन के साथ चिकन को अच्छे से भूनें। पैन को ढककर चिकन को पकाएं।पैन का ढक्कन हटाकर देखें की चिकन गोल्डन ब्राउन हो गया है।��ब इसे टमाटर की तैयार की गई ग्रेवी को डालकर अच्छे से मिलाएं।दोबारा पैन को ढक दें, चिकन को कुछ देर और पकाएं।ढक्कन हटाएं और ग्रेवी में क्रीम डाल कर अच्छे से मिक्स कर ले। इसके ऊपर मक्खन, हरा धनिया और हरी मिर्च डालकर गार्निश करें। आपकी अमृतसरी चिकन मसाला डिश बन कर तैयार हैं।
  https://kisansatta.com/try-punjabi-amritsari-chicken-masala/ #Punjabidish, #अमतसरचकनमसल, #Food #punjabidish, #अमृतसरी चिकन मसाला, food Life, Trending #Life, #Trending KISAN SATTA - सच का संकल्प
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blogbazaar · 5 years ago
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“ “ “ चमन कोहली आज जो विग पहन के कॉलेज गए हैं वो उन्हें परेशान कर रहा है. आदत नहीं है न. और इसलिए वो बार-बार अपने बाल खुजला रहे हैं. वॉशरूम में जाते हैं और विग खोलकर चैन की सांस लेते हैं. लेकिन उनका ये सारा क्रियाकलाप एक एमएमएस के रूप में पूरे कॉलेज में वायरल हो जाता है और चमन कोहली की खूब कॉलेज-हंसाई होती है. अब इस पूरे सिक्वेंस में वही दिक्कत है जो पूरी ‘उजड़ा चमन’ मूवी में है. उस दिक्कत का नाम है- ‘अतिश्योक्ति’. ये दिक्कत इसलिए बड़ी लगती है क्यूंकि फिल्म अपने प्रोमो और अपनी पैकेजिंग में मॉडेस्ट और रियल्टी के करीब लगती है, या ऐसा प्रोजेक्ट करती है. # कहानी- 30 साल का चमन कोहली दिल्ली के हंसराज कॉलेज में हिंदी का प्रोफेसर है. वो और उसकी फैमली लगी हुई है कि कैसे न कैसे चमन की शादी हो जाए. लेकिन इसमें तीन बड़ी अड़चनें हैं. सबसे बड़ी दिक्कत है उसका गंजापन, जिसके चलते हर दूसरी लड़की उसे रिजेक्ट कर देती है और बची हुई आधी लड़कियों की या तो फैमिली रिजेक्ट करती है या उन लड़कियों को कैसे एप्रोच करना है ये चमन नहीं जानता. दूसरी दिक्कत है कि उसके पास वक्त बहुत कम है. क्यूंकि उसके फैमिली पंडित ने कहा है कि अगर 31 साल तक उसकी शादी नहीं हो जाती तो वो आजीवन कुंवारा रहेगा. तीसरी दिक्कत है चमन की खुद की एक्सपेक्टेशन. चमन कोहली के पैरामीटर के हिसाब से अप्सरा बत्रा कुछ भी हो, अप्सरा तो कतई नहीं है. वो चाहे कैसा भी हो, लेकिन उसे लड़की चाहिए खूबसूरत. लेकिन हालात ऐसे बनते हैं कि उसकी ज़िंदगी में अप्सरा बत्रा आ जाती हैं जो चमन के मानकों में खूबसूरती में माइनस मार्किंग पाती हैं. इस सब घटनाओं और आपदाओं के दौरान चमन कोहली के सेल्फ रियलाइजेशन की स्टोरी है ‘उजड़ा चमन’. # रीमेक – रोमांस और कॉमेडी, यानी रॉम-कॉम विधा की ये मूवी, कन्नड़ मूवी ‘ओंडू मोटेया काथे’ का ऑफिशियल रिमेक है. इसलिए ही कन्नड़ मूवी के राइटर और डायरेक्टर राज बी शेट्टी को हिंदी फिल्म में राइटर का क्रेडिट दिया गया है. स्क्रीनप्ले के हिसाब से कई चीज़ें अलग हैं, कुछ चीज़ें हटाई गई हैं और कुछ जोड़ी गई हैं. जैसे कन्नड़ वाले वर्ज़न में कॉलेज गर्ल का चमन को धोखा देने वाला पार्ट नहीं है जो इस मूवी में जोड़ा गया है. होने को कहीं-कहीं ट्रीटमेंट भी अलग है, जैसे लीड एक्टर-एक्ट्रेस के बीच का कॉन्फ्लिक्ट दोनों ह�� फिल्मों में अलग तरह से शुरू और अलग ही तरह से खत्म होता है. लेकिन ओवरऑल स्टोरीलाइन में ये सब चीज़ें थोड़ा सा भी अंतर नहीं डालतीं. और कई जगह तो ‘उड़ता चमन’ सीन दर सीन भी अपने कन्नड़ काउन्टरपार्ट की ज़िरॉक्स लगती है. जैसे प्रिंसिपल द्वारा एक स्टूडेंट का फाइन किया जाना या जैसे चमन कोहली द्वारा पंडित को शादी तोड़ने के लिए कन्विंस करना. # बाला से टक्कर – अभी कुछ ही दिनों बाद बाला भी रिलीज़ होने वाली है. उस फिल्म का भी मेन प्लॉट, लीड करैक्टर का गंजा होना ही है. वैसे अगर दोनों फिल्मों के प्रोमो देखें तो समानताएं ज़्यादा और अंतर कम नज़र आते हैं लेकिन ये कितनी हैं और कौन ज़्यादा शाबाशी बटोरेगी वो बाला देखने के बाद ही पता चलेगा. एक फिल्म को अगर पहले रिलीज़ होने और ऑरिजनल मूवी का ऑफिशियल रीमेक होने का एडवांटेज़ मिला है तो दूसरी को आयुष्मान खुराना और भूमि पेडणेकर जैसी बड़ी स्टारकास्ट का. # एक्टिंग- ‘प्यार का पंचनामा 2’ और ‘सोनू के टीटू की स्वीटी’ जैसी हल्की फुल्की फ़िल्में कर चुके सनी सिंह के पास इस फिल्म से अपने को साबित करने का अच्छा मौका था. लेकिन अगर उन्होंने मौका गंवाया नहीं भी तो उसे पूरी तरह से कैश भी नहीं करवा पाए. दो कारणों के चलते. एक तो मूवी के इमोशनल पार्ट इतने स्ट्रॉन्ग नहीं हैं कि उसमें अपना हुनर कोई दिखा पाए. दूसरा उनके एक्सप्रेशन पूरी मूवी में ऑलमोस्ट सेम रहते हैं. हां उन्हें ‘मेकअप’ का एडवांटेज़ ज़रूर मिला है, जिसके चलते उनको पहचानना मुश्किल है. उनकी पिछली मूवीज़ देखने के बाद आप इस बात पर उनकी तारीफ़ ज़रूर करेंगे कि उन्होंने करैक्टर के लो कॉन्फिडेंस और सेल्फ डाउट को काफी अच्छे से कैरी किया है. अतुल कुमार और ग्रुशा कपूर ने अच्छी एक्टिंग की है. लेकिन थोड़ी लाउड भी. जो कि ऑफ़ कोर्स स्क्रिप्ट की मांग थी. मूवी का सबसे बड़ा हासिल हैं मानवी गग्रू. ये पहली बार है जब उन्होंने किसी फुल लेंग्थ फीचर फिल्म में लीड एक्ट्रेस प्ले किया हो. होने को ‘फोर मोर शॉट्स प्लीज़’, ‘ट्रिपलिंग’ और ‘पिचर्स’ जैसी वेब सीरीज़ में उनके काम को काफी सराहा गया था. इस फिल्म में भी उनके एक्सप्रेशन्स, उनकी एक्टिंग और अपने करैक्टर के लिए की गई उनकी मेहनत पर्दे पर दिखती है और उन्हें बॉलीवुड में अच्छे से स्थापित करने का माद्दा रखती है. चमन के मम्मी पापा बने अतुल कुमार और ग्रुशा कपूर पंजाबी एक्सेंट और दिल्ली वाले हाव भाव बड़ी अच्छी तरह से पकड़ पाए हैं. सबसे अच्छी कॉमिक टाइमिंग सौरभ शुक्ला की है. बेशक वो दो एक छोटे-छोटे सीन में हैं, और बेशक वो सीन और उनका वो रोल उतना दमदार भी नहीं है. शारिब हाशमी ने कॉलेज के पियोन का किरदार बखूबी निभाया है. होने को ऑरिजनल मूवी में इस किरदार के पास करने को ज़्यादा था. हिंदी वाले वर्ज़न में उसकी स्टोरी को काफी कम कर दिया गया है साथ में उससे जुड़ा इमोशन भी सतही बनकर रह गया है. बाकी एक्टर्स का काम रूटीन तरह का है जिसमें कुछ भी अच्छा या बुरा इतना प्रोमिनेंट नहीं है. # स्क्रिप्ट- दो घंटे की मूवी में भी अगर दर्शक एंटरटेन नहीं हो पा रहे हैं तो यकीनन कहीं स्क्रिप्ट में बहुत बड़ा झोल है. फिल्म का कॉन्सेप्ट बहुत अच्छा है. और स्क्रिप्ट के अपने मोमेंट्स भी हैं लेकिन लचर डायरेक्शन उसे पूरी तरह कैश नहीं करवा पाता. चमन और अप्सरा की सगाई के टूटने वाला सीन और चमन का पियोन राज कुमार के घर विज़िट करने वाला सीन काफी पावरफुल और इमोशनल हो सकता था. लेकिन ‘है’ और ‘हो सकता था’ का ये अंतर ही ‘मास्टरपीस’ और ‘औसत’ के बीच का अंतर है. # ह्यूमर और लव कोशेंट- हर हिट रॉम-कॉम मूवी में दो चीज़ें कमोबेश होती ही होती हैं. यूनिक लव स्टोरी और गुदगुदाने वाली कॉमेडी. जैसे ‘जब वी मेट’ या ‘समवन लाइक इट हॉट’. इस मूवी में भी लव स्टोरी यूनिक है, लेकिन इसे देखते हुए आपको बार-बार लगता है जैसे आप छोटे बजट की कोई वेब सीरीज़ देख रहे हों. क्यूंकि ये लव स्टोरी आईडिया के लेवल पर तो यूनिक है, लेकिन स्टोरीबोर्ड से होते हुए स्क्रिप्ट के रास्ते स्क्रीनप्ले तक पहुंचते-पहुंचते अपने साथ कई क्लिशे चिपका लेती है. फिर चाहे वो ‘प्यार की पहली सीढ़ी लड़ाई’ जैसा घिसा पिटा कॉन्सेप्ट हो या लड़की के सामने लड़के का कान पकड़ के कन्फेशन करना या ‘जो भी होता है, अच्छे के लिए होता है’ जैसे डायलॉग्स. ‘ओंडू मोटेया काथे’,’बाला’ और ���उजड़ा चमन’ के पोस्टर्स. रही बात कॉमेडी की तो वो रिपीटेटिव लगती है जब ‘मेटाबॉलिज्म’,’सेलिबेसी’ और ‘टेस्टोस्टेरोन‘ जैसे एक नहीं तीन-तीन शब्दों को तोड़-मरोड़ के उत्पन्न करने की कोशिश की गई हो. वो सतही लगती है जब एक विशेष प्रकार के कल्चर और एक्सेंट से उत्पन्न करने की कोशिश की गई हो. कहीं-कहीं उबाती और इरिटेट करती है जब टाइमिंग और बैकग्राउंड म्यूज़िक उसका साथ नहीं दे पाए हों. और वो जब अच्छी लगती है तो याद आता है कि ये वाली सीधे ऑरिजनल कन्नड़ मूवी में भी ठीक ऐसी ही थी. # अतिश्योक्ति- फिल्म में कई ऐसी चीज़ें हैं जिसपर आप कहेंगे ऐसा कहां होता है? कुछ चीज़ें फिजिक्स के लेन्ज लॉ की तरह ��पने ही स्रोत का विरोध करती लगती हैं. एक तरफ ये गंजेपन और मोटापे को लेकर ‘एक्सेपटेंस’ बढ़ाने का प्रयास करती है दूसरी तरफ दिल्ली और पंजाबियों को लेकर अपने प्री कंसीव नोशन रखती है. जैसे पंजाबी फैमली है तो लाउड होगी. पंजाबी हैं तो शराब पिएंगे ही पिएंगे. और इस चीज़ को हाईलाईट करने के लिए जैसे ही शराब की बात आती है, बैकग्राउंड में ‘पंजाबी’ शब्द सुनाई देता है. एक पुराने से कॉमन बैकग्राउंड म्यूज़िक के रूप में. बैकग्राउंड म्यूज़िक की दिक्कतें यहीं खत्म नहीं होतीं. न केवल इसकी लाउडनेस से बल्कि इसकी टाइमिंग से भी दिक्कत है. कई जगह ये किसी जोक के पंच से सिंक नहीं करता तो कई जगह सीन के साथ. हिंदी का प्रोफेसर, रोमन में टाइप करता है और इकोनॉमिक्स के टीचर के साथ टेबल वाइन के साथ फाइव स्टार में डिनर करता है. तब जबकि उसकी सैलरी, जैसा वो बताता है साठ हज़ार रुपल्ली है. आप कहेंगे कि तो क्या हो गया, ये इम्पॉसिबल तो नहीं. बेशक इम्पॉसिबल नहीं लेकिन अपाच्य ज़रूर है. और तब जबकि जैसा स्टार्ट में कहा था कि मूवी अपनी पैकेजिंग में काफी आर्गेनिक लगती है, या ऐसा प्रोजेक्ट करती है. # दिल्ली- अच्छी बात ये है कि इस फिल्म में दिल्ली अपने ‘पुरानी दिल्ली’ और ‘चांदनी चौक’ वाले पारंपरिक बॉलीवुड रूप में नहीं है. राजौरी गार्डन, हंसराज कॉलेज, मेट्रो स्टेशन, मयूर विहार, हौज़ ख़ास विलेज जैसी जगहें देखकर या उनके बारे में सुनकर एक डेल्हीआईट को कहीं भी ‘आउट ऑफ़ दी वर्ल्ड’ या ‘काल्पनिकता’ का आभास नहीं होता. मूवी का दिल्ली रियल है. # डायलॉग्स- मैं बार-बार रिपीट कर रहा हूं कि हर डिपार्टमेंट में ‘आईडिया’ के लेवल पर कोई दिक्कत नहीं है लेकिन उसकी तामीर, उसके मटरियलाइज़ेशन में परेशानी पैदा की गई है. उगाई गई है. डेलीब्रेटली. यही हाल डायलॉग्स का भी है. जैसे,’ ‘दिलों की बात करता है जमाना, पर मोहब्बत अब भी चेहरे से शुरू होती है.’ जैसे शायराना डायलॉग्स जो अलग तरह से लिखे जाने के बदले सिंपल होते तो ज़्यादा इंपेक्टफुल होते. # म्यूज़िक- मूवी खत्म होने के बाद क्रेडिट रोल होते वक्त यू ट्यूब सेलिब्रेटी और टी सीरीज़ स्टार गुरु रंधावा का गीत सुपरहिट होने का पूरा माद्दा रखता है. बंदया गीत भी अच्छा है. लेकिन इसका म्यूज़िक न तो इसका सबसे अच्छा डिपार्टमेंट है और न ही ऐसा कि बाकी कमियों के ऊपर पर्दे का काम करे. # ओवरऑल निष्कर्ष- मूवी बुरी नहीं है. लेकिन ऐसी मूवीज़ थियेटर के लिए नहीं होतीं. शुरू होने से पहले ये आपको बताती है कि इसके ऑनलाइन स्ट्रीमिंग राइट्स ए��ेज़ॉन प्राइम और टीवी राइट्स ज़ी टीवी के पास हैं. बाकी आप समझदार हैं हीं. और साथ में बोनस में ये बता दूं कि मैंने कन्नड़ मूवी ‘ओंडू मोटेया काथे’ नेटफ्लिक्स पर देखी थी. ” - http://moviesbuzz29.blogspot.com/2019/11/ujada-chaman.html from Tumblr https://blogbazaar.tumblr.com/post/188765466819 ” - http://moviesbuzz29.blogspot.com/2019/11/blog-post.html from Tumblr https://blogbazaar.tumblr.com/post/188765696519” - http://moviesbuzz29.blogspot.com/2019/11/blog-post_2.html from Tumblr https://blogbazaar.tumblr.com/post/188769620344
http://moviesbuzz29.blogspot.com/2019/11/blog-post_66.html
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gethealthy18-blog · 5 years ago
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ब्राजील नट्स के फायदे और नुकसान – Brazil Nuts Benefits and Side Effects in Hindi
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ब्राजील नट्स के फायदे और नुकसान – Brazil Nuts Benefits and Side Effects in Hindi
Bhupendra Verma Hyderabd040-395603080 September 26, 2019
जब शरीर को पर्याप्त पोषण देने की बात आती है, तो विशेषज्ञ नट्स यानी सूखे मेवे खाने की सलाह जरूर देते हैं। जिम जाने वाले बॉडी बिल्डर भी शरीर को पोषण देने के लिए कई तरह के नट्स का सेवन करते हैं। ब्राजील नट्स भी इन्हीं में से एक हैं, जो पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। इसके 5 से 7 बीज पूरे दिन के लिए जरूरी पोषण देने का काम कर सकते हैं। स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम ब्राजील नट्स के फायदे और ब्राजील नट्स के नुकसान के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे।
विषय सूची
ब्राजील नट क्या है? – What is Brazil Nut in Hindi
ब्राजील नट्स के पेड़ सबसे पहले साउथ अमेरिका में पाए गए। मौजूदा समय की बात करें, तो कुछ गिने-चुने देशों में ही इसका उत्पादन होता हैं। इसका ज्यादातर निर्यात अमेरिका से ही होता है। इसके फल स्वाद में क्रीम की तरह लगते हैं। कई लोग ऐसे भी हैं, जिन्हें ब्राजील नट्स का स्वाद पसंद नहीं आता। ऐसे में वो इसे भून कर भी खा सकते हैं। इसके सेवन से कई तरह की शारीरिक समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है।
लेख के अगले भाग में हम ब्राजील नट्स के फायदों के बारे में जानते हैं।
ब्राजील नट्स के फायदे – Benefits of Brazil Nuts in Hindi
ब्राजील नट्स का उपयोग करने से कई तरह के शारीरिक और मानसिक फायदे हो सकते हैं, जो इस प्रकार हैं:
1. थायराइड स्वास्थ्य
थायराइड से बचने के लिए ब्राजील नट्स का उपयोग लाभदायक हो सकता है। दरअसल, यह सेलेनियम का अच्छा स्रोत होता है। सेलेनियम थायराइड हार्मोन के स्तर में सुधार करने का कार्य करता है। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि थायराइड हार्मोन की कमी के कारण होने वाली समस्याओं में ब्राजील नट्स सहायक साबित हो सकते हैं (1)।
2. हृदय रोग
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एक अध्ययन में पाया गया है कि रक्त में सेलेनियम की कमी के कारण हृदय रोग के जोखिम उत्पन्न होने का खतरा बढ़ जाता है। चूंकि, ब्राजील नट्स में सेलेनियम की भरपूर मात्रा पाई जाती है। इस कारण यह हृदय रोग के जोखिमों ���ो कम करने में सहायक साबित हो सकता है (2)। वहीं, सेलेनियम को एक प्रभावशाली एंटीऑक्सीडेंट भी माना गया है, जो रक्तचाप को संतुलित रखने में मदद करता है (3)।
3. सूजन से राहत
एक शोध के अनुसार, ब्राजील नट्स के सेवन करने से शरीर की सूजन में राहत पाई जा सकती है। सूजन को कम करने में ब्राजील नट्स में पाए जाने वाला सेलेनियम मुख्य भूमिका निभाने का काम करता है। दरअसल, सेलेनियम, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-ऑक्सीडेंट की तरह काम करता है। इस कारण यह सूजन को कम करने के साथ-साथ रक्त संचार में भी सुधार करने में सहायक साबित होता है (4)।
4. कैंसर उपचार
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जैसा कि आपको लेख में पहले भी बताया जा चुका है कि ब्राजील नट्स सेलेनियम का अच्छा स्रोत हैं। वहीं, सेलेनियम को कई गंभीर समस्याओं को दूर करने में सहायक माना जाता है। कैंसर भी इन्हीं में से एक है। विशेषज्ञों के मुताबिक, सेलिनियम कई प्रकार से कैंसर से छुटकारा दिलाने में सकारात्मक परिणाम दे सकता है (5)। इस कारण हम कह सकते हैं कि ब्राजील नट्स का उपयोग कैंसर के जोखिमों को दूर करने में भी लाभकारी साबित हो सकता है।
5. वजन घटाने के लिए
ब्राजील नट्स के फायदे वजन को कम करने के लिए भी हो सकते हैं। कारण यह है कि ब्राजील नट्स में फाइबर भरपूर मात्रा में पाया जाता है, जो वजन घटाने में आपकी मदद कर सकता है (6)। विशेषज्ञों के मुताबिक, फाइबर पाचन क्रिया में सुधार करता है। साथ ही भूख को लंबे समय तक शांत रखने में भी मददगार होता है (7)। इस कारण अन्य कुछ भी खाने का मन नहीं होता और वजन घटाने में मदद मिलती है।
6. प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए
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शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने और रोग के कारण बनने वाले बैक्टीरिया को दूर करने में जिंक की भूमिका पाई गई है (8)। वहीं, ब्राजील नट्स जिंक का अच्छा स्रोत है (6)। इसलिए, ऐसा कहा जा सकता है कि ब्राजील नट्स का उपयोग प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए लाभदायक हो सकता है।
7. मस्तिष्क स्वास्थ्य
ब्राजील नट्स के फायदे मस्तिष्क स्वास्थ्य के लिए भी हो सकते हैं। ब्राजील नट्स में पॉलीफेनोल पाया जाता है (9), जो एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करता है। एंटीऑक्सीडेंट ब्रेन को डैमेज होने से बचाने का कार्य कर सकता है। इसलिए, इसका उपयोग मस्तिष्क स्वास्थ्य बेहतर बनाने के लिए हो सकता है (10)।
8. पाचन क्रिया के लिए
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पाचन क्रिया को सुचारू रूप से बनाए रखने के लिए फाइबर अहम भूमिका निभा सकता है। फाइबर मल को नर्म करके बाहर निकालने का काम करता है। इससे पाचन तंत्र को स्वस्थ रखा जा सकता है (11)। वहीं, ब्राजील नट्स फाइबर का अच्छा स्रोत हैं (6)। इसलिए, ऐसा कहा जा सकता है कि ब्राजील नट्स पाचन क्रिया के लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं।
9. टेस्टोस्टेरोन का स्तर बढ़ाएं
ब्राजील नट्स को टेस्टोस्टेरोन में वृद्धि के लिए भी उपयोग किया जा सकता है। दरअसल, ब्राजील नट्स में सेलेनियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है (12)। वहीं, सेलेनियम शरीर में फर्टिलिटी को विकस��त करने में मदद करता है। साथ ही फर्टिलिटी में सहयोगी टेस्टोस्टेरोन हार्मोन और स्पर्म की मात्रा को बढ़ाने में सहायता करता है (13)।
10. यौन स्वास्थ्य में सुधार
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जैसा कि आपको लेख में पहले भी बताया जा चुका है कि टेस्टोस्टेरोन वृद्धि में सेलेनियम मुख्य भूमिका अदा करता है। वैसे ही यौन स्वास्थ्य में सुधार के लिए भी सेलेनियम सहायक माना जाता है (13)। ऐसे में ब्राजील नट्स की सहायता से सेलेनियम की कमी पूरी कर स्पर्म की मात्रा को बढ़ाया जा सकता है, जो यौन स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है (12)।
11. मुंहासे से छुटकारा
ब्राजील नट्स में जिंक पाया जाता है, जो त्वचा को लाभ पहुंचाने का काम कर सकता है (6)। जिंक मुख्य रूप से मुंहासों को दूर करने का काम कर सकता है। इसलिए, ब्राजील नट्स के सेवन से मुंहासे को हटाने में सहायता मिल सकती है (14)।
12. बालों की वृद्धि के लिए
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बालों के विकास और उनकी मजबूती के लिए विटामिन-सी, विटामिन-बी, जिंक, आयरन, मैग्नीशियम और कैल्शियम की अधिक जरूरत होती है (15)। वहीं, ब्राजील नट्स में ये सभी तत्व प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होते हैं (6)। इस कारण ब्राजील नट्स के सेवन से बालों की वृद्धि में मदद मिल सकती है।
ऊपर बताए गए फायदे, इसके पोषक तत्वों के कारण ही संभव हैं। इस बारे में हम लेख के अगले भाग में बताएंगे।
ब्राजील नट के पौष्टिक तत्व – Brazil Nut Nutritional Value in Hindi
ब्राजील नट्स के पोषक तत्वों को आसानी से समझने के लिए यहां हम टेबल दे रहे हैं (6) :
पोषक तत्व मात्राप्रति 100 g पानी 3.42 g ऊर्जा 659 kcal प्रोटीन 14.32 g टोटल लिपिड (फैट) 67.10 g कार्बोहाइड्रेट 11.74 g फाइबर, टोटल डाइटरी 7.5 g शुगर, टोटल 2.33 मिनरल्स कैल्शियम ,Ca 160 gm आयरन ,Fe 2.43 mg मैग्नीशियम , Mg 376 mg फास्फोरस ,P 725 mg पोटैशियम ,K 659 mg सोडियम ,Na 3  mg जिंक ,Zn 4.06 mg विटामिन्स विटामिन सी , टोटल एस्कॉर्बिक एसिड 0.7 mg थाइमिन 0. 617 mg राइबोफ्लेविन 0. 035 mg नियासिन 0.295 mg विटामिन बी -6 0. 101 mg फोलेट DFE 22 µg विटामिन ई 5.65 mg लिपिड फैटी एसिड्स, टोटल सैचुरेटेड 16.134 g फैटी एसिड, टोटल मोनोसैचुरेटेड 23.879 g फैटी एसिड, टोटल पोलीअनसैचुरेटेड 24.399 g
ब्राजील नट्स को किस तरह उपयोग कर सकते हैं, यह जानने के लिए पढ़ते रहें आर्टिकल।
ब्राजील नट्स का उपयोग – How to Use Brazil Nuts in Hindi
ब्राजील नट्स को कई तरह से खाया जा सकता है, जिससे स्वाद के साथ-साथ आप इसके लाभ भी प्राप्त कर सकते हैं।
कैसे खाएं :
ब्राजील नट्स को बाकी नट्स की तरह सीधे खाया जा सकता है।
इसे पानी में कुछ समय भिगोकर रख कर भी खाया जा सकता है।
ब्राजील नट्स को भूनकर उसमें नमक मिलाकर भी खाया जा सकता है।
इसे अन्य ड्राई फ्रूट के साथ मिलाकर, मिक्स ड्राई फ्रूट की तरह भी सेवन कर सकते हैं।
ब्राजील नट्स को स्मूथी और मिल्कशेक में भी मिलाकर भी उपयोग किया जा सकता है।
कब खाएं :
इसके अंकुरित बीज को सुबह खाया जा सकता है।
ब्राजील नट्स को शाम में भुना हुआ या स्मूथी में मिलाकर भी ले सकते हैं।
कितना खाएं :
किसी भी खाद्य पदार्थ का फायदा तभी हो सकता है, जब आप उसका सीमित मात्रा में सेवन करें। इसलिए, दिन में 5 से 7 ब्राजील नट्स से अधिक नहीं खाना चाहिए।
जिस तरह ब्राजील नट्स खाने से फायदे पहुंचा सकता है, वैसे ही इससे कुछ नुकसान भी हो सकते हैं, जिसके बारे में हम लेख के अगले हिस्से में जानेंगे।
ब्राजील नट्स के नुकसान – Side Effects of Brazil Nuts in Hindi
ब्राजील नट्स में सेलेनियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है। यही वजह है कि ब्राजील नट्स का सेवन अधिक मात्रा में करने से कुछ समस्या उत्पन्न हो सकती है। इससे होने वाले दुष्प्रभाव कुछ इस प्रकार से हो सकते हैं (2):
मतली
दस्त
त्वचा में रैशेज
बाल झड़ना
चिड़चिड़ापन
मुंह का स्वाद खराब होना
नर्वस सिस्टम की समस्या
सांस लेने में दिक्कत
नोट: सेलेनियम का जरूरत से ज्यादा सेवन कुछ गंभीर समस्याओं को भी जन्म दे सकता है, जैसे :
ट्रेमर (शरीर के अंगो में कंपन होना)
किडनी फेल होना
हार्ट अटैक
हार्ट फेल
इस लेख को पढ़ने के बाद यह तो स्पष्ट हो गया कि ब्राजील नट्स पोषक तत्वों का खजाना है। यह बात अलग है कि इसके सेवन के लिए आपको अपनी जेब पर अतिरिक्त बोझ डालने की जरूरत होगी, लेकिन स्वास्थ्य के नजरिए से देखें, तो दवाइयां खाने से बेहतर इसका सेवन करना है। अब आप बिना देरी किए इसे अपनी आहार लिस्ट में शामिल करें और शरीर को पर्याप्त पोषण दें। हम उम्मीद करते हैं कि स्वास्थ्य को बनाए रखने में यह लेख आपके काम आएगा। अगर आपके पास भी ब्राजील नट्स से जुड़ी कोई जानकारी है, तो आप उसे कमेंट बॉक्स के जरिए हम तक पहुंचा सकते हैं।
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Source: https://www.stylecraze.com/hindi/brazil-nuts-ke-fayde-aur-nuksan-in-hindi/
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rajatgarg79 · 7 years ago
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गर्मियों में पाएं पसीने से छुटकारा, इस घर पर बने डियोड्रेंट का लेकर सहारा
तेज धूप, सन टैनिंग और पसीने का मौसम आ चुका है। गर्मियों में तापमान कई त्वचा समस्याओं को साथ लाता है। इस सीजन में हम कई त्वचा समस्याओं से पीड़ित होते हैं, पसीना और शरीर की गंध सबसे बड़ी चिंताओं में से एक है। बेशक, एक पौष्टिक भोजन और बहुत सारे ��रल पदार्थ पीने से शरीर की गंध को कम या पूरी तरह से खत्म किया जा सकता है, लेकिन हम में से अधिकांश डियोड्रेंट के ऊपर निर्भर होते हैं। ये डियोड्रेंट फायदे से अधिक नुकसान कर सकते हैं। दुकान से खरीदे गये डियोड्रेंट में एल्यूमीनियम शामिल हो सकता है जो ब्रेस्ट कैंसर और अल्जाइमर जैसे  घातक रोगों का कारण बन सकता है। इनमें प्रोपीलीन ग्लाइकोल भी शामिल हो सकता है जो पेट्रोलियम आधारित पदार्थ है। यह केंद्रीय तंत्रिका तंत्र, हृदय और लिवर को नुकसान पहुंचाते हैं। कुछ सुगंधों में पैराबंस (Parabens) और थैलेट (Phthalates) भी हो सकते हैं जो सिंथेटिक संरक्षक हैं और हार्मोनल सिस्टम पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। शरीर के लिए पसीना आना अच्छा होता है, यह आपके शरीर से स्वाभाविक रूप से विषाक्त पदार्थों को निकालने के लिए एक माध्यम है। डियोड्रेंट का उपयोग त्वचा के छिद्रों को बंद करता है जिससे विषाक्त पदार्थ बाहर नहीं निकल पाते हैं। इसके बावजूद, आपका शरीर अत्यधिक पसीना निकालने के ज़रिए  विषाक्त पदार्थों को बाहर करके आपके शरीर को डिटॉक्स करने की कोशिश करता है, जिससे अक्सर हमारे कपड़े पर पसीने के पैच छूट जाते हैं। इसलिए आपकी त्वचा को स्वस्थ और सुखी रखने के लिए हम सुझाव देते हैं कि आप अपने घर में बनें डियोड्रेंट का उपयोग करके देखें। इसे बनाना बहुत आसान है।
घरेलू डियोड्रेंट के लिए आवश्यक सामग्री
एक तिहाई कप नारियल तेल 2 टेबल स्पून बेकिंग सोडा एक तिहाई कप अरारोट पाउडर 10-15 बूंदें लैवेंडर तेल या अन्य कोई भी सुगंधित तेल
घर पर डियोड्रेंट बनाने की विधि
एक छोटा कटोरा लें और नारियल का तेल, बेकिंग सोडा और अरारोट पाउडर को मिक्स करें। यदि आपकी त्वचा अति संवेदनशील है, तो आप इस मिश्रण में बेकिंग सोडा का कम उपयोग कर सकते हैं। क्रीमयुक्त मिश्रण बनाने के लिए सब कुछ एक साथ ब्लेंड करें। अब इसमें लैवेंडर तेल या अन्य कोई भी सुगंधित तेल मिक्स करें। तो लीजिए आपका प्राकृतिक डियोड्रेंट तैयार है!
होममेड डियोड्रेंट उपयोग करने का तरीका
धीरे से, 3 अंगुलियों के साथ पेस्ट को लें और बगल पर रगड़ें। इसे 2 मिनट के लिए सुखाएं और प्राकृतिक खुशबू का आनंद लें। कठोर डियोड्रेंट स्प्रे आपकी त्वचा से सभी नमी निकाल सकते हैं। इसके विपरीत नारियल का तेल आपकी त्वचा को मॉइस्चराइज कर नरम रखने में भी मदद करता है। और पढ़े - ��र पर बनाएँ यह प्राकृतिक नाइट क्रीम और त्वचा को करें पूरी तरह से पोषित from myUpchar.com के स्वास्थ्य संबंधी लेख via http://www.myupchar.com/tips/how-to-make-natural-deodorant-at-home-in-hindi/
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blogbazaar · 5 years ago
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“ “ चमन कोहली आज जो विग पहन के कॉलेज गए हैं वो उन्हें परेशान कर रहा है. आदत नहीं है न. और इसलिए वो बार-बार अपने बाल खुजला रहे हैं. वॉशरूम में जाते हैं और विग खोलकर चैन की सांस लेते हैं. लेकिन उनका ये सारा क्रियाकलाप एक एमएमएस के रूप में पूरे कॉलेज में वायरल हो जाता है और चमन कोहली की खूब कॉलेज-हंसाई होती है. अब इस पूरे सिक्वेंस में वही दिक्कत है जो पूरी ‘उजड़ा चमन’ मूवी में है. उस दिक्कत का नाम है- ‘अतिश्योक्ति’. ये दिक्कत इसलिए बड़ी लगती है क्यूंकि फिल्म अपने प्रोमो और अपनी पैकेजिंग में मॉडेस्ट और रियल्टी के करीब लगती है, या ऐसा प्रोजेक्ट करती है. # कहानी- 30 साल का चमन कोहली दिल्ली के हंसराज कॉलेज में हिंदी का प्रोफेसर है. वो और उसकी फैमली लगी हुई है कि कैसे न कैसे चमन की शादी हो जाए. लेकिन इसमें तीन बड़ी अड़चनें हैं. सबसे बड़ी दिक्कत है उसका गंजापन, जिसके चलते हर दूसरी लड़की उसे रिजेक्ट कर देती है और बची हुई आधी लड़कियों की या तो फैमिली रिजेक्ट करती है या उन लड़कियों को कैसे एप्रोच करना है ये चमन नहीं जानता. दूसरी दिक्कत है कि उसके पास वक्त बहुत कम है. क्यूंकि उसके फैमिली पंडित ने कहा है कि अगर 31 साल तक उसकी शादी नहीं हो जाती तो वो आजीवन कुंवारा रहेगा. तीसरी दिक्कत है चमन की खुद की एक्सपेक्टेशन. चमन कोहली के पैरामीटर के हिसाब से अप्सरा बत्रा कुछ भी हो, अप्सरा तो कतई नहीं है. वो चाहे कैसा भी हो, लेकिन उसे लड़की चाहिए खूबसूरत. लेकिन हालात ऐसे बनते हैं कि उसकी ज़िंदगी में अप्सरा बत्रा आ जाती हैं जो चमन के मानकों में खूबसूरती में माइनस मार्किंग पाती हैं. इस सब घटनाओं और आपदाओं के दौरान चमन कोहली के सेल्फ रियलाइजेशन की स्टोरी है ‘उजड़ा चमन’. # रीमेक – रोमांस और कॉमेडी, यानी रॉम-कॉम विधा की ये मूवी, कन्नड़ मूवी ‘ओंडू मोटेया काथे’ का ऑफिशियल रिमेक है. इसलिए ही कन्नड़ मूवी के राइटर और डायरेक्टर राज बी शेट्टी को हिंदी फिल्म में राइटर का क्रेडिट दिया गया है. स्क्रीनप्ले के हिसाब से कई चीज़ें अलग हैं, कुछ चीज़ें हटाई गई हैं और कुछ जोड़ी गई हैं. जैसे कन्नड़ वाले वर्ज़न में कॉलेज गर्ल का चमन को धोखा देने वाला पार्ट नहीं है जो इस मूवी में जोड़ा गया है. होने को कहीं-कहीं ट्रीटमेंट भी अलग है, जैसे लीड एक्टर-एक्ट्रेस के बीच का कॉन्फ्लिक्ट दोनों ही फिल्मों में अलग तरह से शुरू और अलग ही तरह से खत्म होता है. लेकिन ओवरऑल स्टोरीलाइन में ये सब चीज़ें थोड़ा सा भी अंतर नहीं डालतीं. और कई जगह तो ‘उड़ता चमन’ सीन दर सीन भी अपने कन्नड़ काउन्टरपार्ट की ज़िरॉक्स लगती है. जैसे प्रिंसिपल द्वारा एक स्टूडेंट का फाइन किया जाना या जैसे चमन कोहली द्वारा पंडित को शादी तोड़ने के लिए कन्विंस करना. # बाला से टक्कर – अभी कुछ ही दिनों बाद बाला भी रिलीज़ होने वाली है. उस फिल्म का भी मेन प्लॉट, लीड करैक्टर का गंजा होना ही है. वैसे अगर दोनों फिल्मों के प्रोमो देखें तो समानताएं ज़्यादा और अंतर कम नज़र आते हैं लेकिन ये कितनी हैं और कौन ज़्यादा शाबाशी बटोरेगी वो बाला देखने के बाद ही पता चलेगा. एक फिल्म को अगर पहले रिलीज़ होने और ऑरिजनल मूवी का ऑफिशियल रीमेक होने का एडवांटेज़ मिला है तो दूसरी को आयुष्मान खुराना और भूमि पेडणेकर जैसी बड़ी स्टारकास्ट का. # एक्टिंग- ‘प्यार का पंचनामा 2’ और ‘सोनू के टीटू की स्वीटी’ जैसी हल्की फुल्की फ़िल्में कर चुके सनी सिंह के पास इस फिल्म से अपने को साबित करने का अच्छा मौका था. लेकिन अगर उन्होंने मौका गंवाया नहीं भी तो उसे पूरी तरह से कैश भी नहीं करवा पाए. दो कारणों के चलते. एक तो मूवी के इमोशनल पार्ट इतने स्ट्रॉन्ग नहीं हैं कि उसमें अपना हुनर कोई दिखा पाए. दूसरा उनके एक्सप्रेशन पूरी मूवी में ऑलमोस्ट सेम रहते हैं. हां उन्हें ‘मेकअप’ का एडवांटेज़ ज़रूर मिला है, जिसके चलते उनको पहचानना मुश्किल है. उनकी पिछली मूवीज़ देखने के बाद आप इस बात पर उनकी तारीफ़ ज़रूर करेंगे कि उन्होंने करैक्टर के लो कॉन्फिडेंस और सेल्फ डाउट को काफी अच्छे से कैरी किया है. अतुल कुमार और ग्रुशा कपूर ने अच्छी एक्टिंग की है. लेकिन थोड़ी लाउड भी. जो कि ऑफ़ कोर्स स्क्रिप्ट की मांग थी. मूवी का सबसे बड़ा हासिल हैं मानवी गग्रू. ये पहली बार है जब उन्होंने किसी फुल लेंग्थ फीचर फिल्म में लीड एक्ट्रेस प्ले किया हो. होने को ‘फोर मोर शॉट्स प्लीज़’, ‘ट्रिपलिंग’ और ‘पिचर्स’ जैसी वेब सीरीज़ में उनके काम को काफी सराहा गया था. इस फिल्म में भी उनके एक्सप्रेशन्स, उनकी एक्टिंग और अपने करैक्टर के लिए की गई उनकी मेहनत पर्दे पर दिखती है और उन्हें बॉलीवुड में अच्छे से स्थापित करने का माद्दा रखती है. चमन के मम्मी पापा बने अतुल कुमार और ग्रुशा कपूर पंजाबी एक्सेंट और दिल्ली व��ले हाव भाव बड़ी अच्छी तरह से पकड़ पाए हैं. सबसे अच्छी कॉमिक टाइमिंग सौरभ शुक्ला की है. बेशक वो दो एक छोटे-छोटे सीन में हैं, और बेशक वो सीन और उनका वो रोल उतना दमदार भी नहीं है. शारिब हाशमी ने कॉलेज के पियोन का किरदार बखूबी निभाया है. होने को ऑरिजनल मूवी में इस किरदार के पास करने को ज़्यादा था. हिंदी वाले वर्ज़न में उसकी स्टोरी को काफी कम कर दिया गया है साथ में उससे जुड़ा इमोशन भी सतही बनकर रह गया है. बाकी एक्टर्स का काम रूटीन तरह का है जिसमें कुछ भी अच्छा या बुरा इतना प्रोमिनेंट नहीं है. # स्क्रिप्ट- दो घंटे की मूवी में भी अगर दर्शक एंटरटेन नहीं हो पा रहे हैं तो यकीनन कहीं स्क्रिप्ट में बहुत बड़ा झोल है. फिल्म का कॉन्सेप्ट बहुत अच्छा है. और स्क्रिप्ट के अपने मोमेंट्स भी हैं लेकिन लचर डायरेक्शन उसे पूरी तरह कैश नहीं करवा पाता. चमन और अप्सरा की सगाई के टूटने वाला सीन और चमन का पियोन राज कुमार के घर विज़िट करने वाला सीन काफी पावरफुल और इमोशनल हो सकता था. लेकिन ‘है’ और ‘हो सकता था’ का ये अंतर ही ‘मास्टरपीस’ और ‘औसत’ के बीच का अंतर है. # ह्यूमर और लव कोशेंट- हर हिट रॉम-कॉम मूवी में दो चीज़ें कमोबेश होती ही होती हैं. यूनिक लव स्टोरी और गुदगुदाने वाली कॉमेडी. जैसे ‘जब वी मेट’ या ‘समवन लाइक इट हॉट’. इस मूवी में भी लव स्टोरी यूनिक है, लेकिन इसे देखते हुए आपको बार-बार लगता है जैसे आप छोटे बजट की कोई वेब सीरीज़ देख रहे हों. क्यूंकि ये लव स्टोरी आईडिया के लेवल पर तो यूनिक है, लेकिन स्टोरीबोर्ड से होते हुए स्क्रिप्ट के रास्ते स्क्रीनप्ले तक पहुंचते-पहुंचते अपने साथ कई क्लिशे चिपका लेती है. फिर चाहे वो ‘प्यार की पहली सीढ़ी लड़ाई’ जैसा घिसा पिटा कॉन्सेप्ट हो या लड़की के सामने लड़के का कान पकड़ के कन्फेशन करना या ‘जो भी होता है, अच्छे के लिए होता है’ जैसे डायलॉग्स. ‘ओंडू मोटेया काथे’,’बाला’ और ‘उजड़ा चमन’ के पोस्टर्स. रही बात कॉमेडी की तो वो रिपीटेटिव लगती है जब ‘मेटाबॉलिज्म’,’सेलिबेसी’ और ‘टेस्टोस्टेरोन‘ जैसे एक नहीं तीन-तीन शब्दों को तोड़-मरोड़ के उत्पन्न करने की कोशिश की गई हो. वो सतही लगती है जब एक विशेष प्रकार के कल्चर और एक्सेंट से उत्पन्न करने की कोशिश की गई हो. कहीं-कहीं उबाती और इरिटेट करती है जब टाइमिंग और बैकग्राउंड म्यूज़िक उसका साथ नहीं दे पाए हों. और वो जब अच्छी लगती है तो याद आता है कि ये वाली सीधे ऑरिजनल कन्नड़ मूवी में भी ठीक ऐसी ही थी. # अतिश्योक्ति- फिल्म में कई ऐसी चीज़ें हैं जिसपर आप कहेंगे ऐसा कहां होता है? कुछ चीज़ें फिजिक्स के लेन्ज लॉ की तरह अपने ही स्रोत का विरोध करती लगती हैं. एक तरफ ये गंजेपन और मोटापे को लेकर ‘एक्सेपटेंस’ बढ़ाने का प्रयास करती है दूसरी तरफ दिल्ली और पंजाबियों को लेकर अपने प्री कंसीव नोशन रखती है. जैसे पंजाबी फैमली है तो लाउड होगी. पंजाबी हैं तो शराब पिएंगे ही पिएंगे. और इस चीज़ को हाईलाईट करने के लिए जैसे ही शराब की बात आती है, बैकग्राउंड में ‘पंजाबी’ शब्द सुनाई देता है. एक पुराने से कॉमन बैकग्राउंड म्यूज़िक के रूप में. बैकग्राउंड म्यूज़िक की दिक्कतें यहीं खत्म नहीं होतीं. न केवल इसकी लाउडनेस से बल्कि इसकी टाइमिंग से भी दिक्कत है. कई जगह ये किसी जोक के पंच से सिंक नहीं करता तो कई जगह सीन के साथ. हिंदी का प्रोफेसर, रोमन में टाइप करता है और इकोनॉमिक्स के टीचर के साथ टेबल वाइन के साथ फाइव स्टार में डिनर करता है. तब जबकि उसकी सैलरी, जैसा वो बताता है साठ हज़ार रुपल्ली है. आप कहेंगे कि तो क्या हो गया, ये इम्पॉसिबल तो नहीं. बेशक इम्पॉसिबल नहीं लेकिन अपाच्य ज़रूर है. और तब जबकि जैसा स्टार्ट में कहा था कि मूवी अपनी पैकेजिंग में काफी आर्गेनिक लगती है, या ऐसा प्रोजेक्ट करती है. # दिल्ली- अच्छी बात ये है कि इस फिल्म में दिल्ली अपने ‘पुरानी दिल्ली’ और ‘चांदनी चौक’ वाले पारंपरिक बॉलीवुड रूप में नहीं है. राजौरी गार्डन, हंसराज कॉलेज, मेट्रो स्टेशन, मयूर विहार, हौज़ ख़ास विलेज जैसी जगहें देखकर या उनके बारे में सुनकर एक डेल्हीआईट को कहीं भी ‘आउट ऑफ़ दी वर्ल्ड’ या ‘काल्पनिकता’ का आभास नहीं होता. मूवी का दिल्ली रियल है. # डायलॉग्स- मैं बार-बार रिपीट कर रहा हूं कि हर डिपार्टमेंट में ‘आईडिया’ के लेवल पर कोई दिक्कत नहीं है लेकिन उसकी तामीर, उसके मटरियलाइज़ेशन में परेशानी पैदा की गई है. उगाई गई है. डेलीब्रेटली. यही हाल डायलॉग्स का भी है. जैसे,’ ‘दिलों की बात करता है जमाना, पर मोहब्बत अब भी चेहरे से शुरू होती है.’ जैसे शायराना डायलॉग्स जो अलग तरह से लिखे जाने के बदले सिंपल होते तो ज़्यादा इंपेक्टफुल होते. # म्यूज़िक- मूवी खत्म होने के बाद क्रेडिट रोल होते वक्त यू ट्यूब सेलिब्रेटी और टी सीरीज़ स्टार गुरु रंधावा का गीत सुपरहिट होने का पूरा माद्दा रखता है. बंदया गीत भी अच्छा है. लेकिन इसका म्यूज़िक न तो इसका सबसे अच्छा डिपार्टमेंट है और न ही ऐसा कि बाकी कमियों के ऊपर पर्दे का काम करे. # ओवरऑल निष्कर्ष- मूवी बुरी नहीं है. लेकिन ऐसी मूवीज़ थियेटर के लिए नहीं होतीं. शुरू होने से पहले ये आपको बताती है कि इसके ऑनलाइन स्ट्रीमिंग राइट्स एमेज़ॉन प्राइम और टीवी राइट्स ज़ी टीवी के पास हैं. बाकी आप समझदार हैं हीं. और साथ में बोनस में ये बता दूं कि मैंने कन्नड़ मूवी ‘ओंडू मोटेया काथे’ नेटफ्लिक्स पर देखी थी. ” - http://moviesbuzz29.blogspot.com/2019/11/ujada-chaman.html from Tumblr https://blogbazaar.tumblr.com/post/188765466819 ” - http://moviesbuzz29.blogspot.com/2019/11/blog-post.html from Tumblr https://blogbazaar.tumblr.com/post/188765696519
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“ चमन कोहली आज जो विग पहन के कॉलेज गए हैं वो उन्हें परेशान कर रहा है. आदत नहीं है न. और इसलिए वो बार-बार अपने बाल खुजला रहे हैं. वॉशरूम में जाते हैं और विग खोलकर चैन की सांस लेते हैं. लेकिन उनका ये सारा क्रियाकलाप एक एमएमएस के रूप में पूरे कॉलेज में वायरल हो जाता है और चमन कोहली की खूब कॉलेज-हंसाई होती है. अब इस पूरे सिक्वेंस में वही दिक्कत है जो पूरी ‘उजड़ा चमन’ मूवी में है. उस दिक्कत का नाम है- ‘अतिश्योक्ति’. ये दिक्कत इसलिए बड़ी लगती है क्यूंकि फिल्म अपने प्रोमो और अपनी पैकेजिंग में मॉडेस्ट और रियल्टी के करीब लगती है, या ऐसा प्रोजेक्ट करती है. # कहानी- 30 साल का चमन कोहली दिल्ली के हंसराज कॉलेज में हिंदी का प्रोफेसर है. वो और उसकी फैमली लगी हुई है कि कैसे न कैसे चमन की शादी हो जाए. लेकिन इसमें तीन बड़ी अड़चनें हैं. सबसे बड़ी दिक्कत है उसका गंजापन, जिसके चलते हर दूसरी लड़की उसे रिजेक्ट कर देती है और बची हुई आधी लड़कियों की या तो फैमिली रिजेक्ट करती है या उन लड़कियों को कैसे एप्रोच करना है ये चमन नहीं जानता. दूसरी दिक्कत है कि उसके पास वक्त बहुत कम है. क्यूंकि उसके फैमिली पंडित ने कहा है कि अगर 31 साल तक उसकी शादी नहीं हो जाती तो वो आजीवन कुंवारा रहेगा. तीसरी दिक्कत है चमन की खुद की एक्सपेक्टेशन. चमन कोहली के पैरामीटर के हिसाब से अप्सरा बत्रा कुछ भी हो, अप्सरा तो कतई नहीं है. वो चाहे कैसा भी हो, लेकिन उसे लड़की चाहिए खूबसूरत. लेकिन हालात ऐसे बनते हैं कि उसकी ज़िंदगी में अप्सरा बत्रा आ जाती हैं जो चमन के मानकों में खूबसूरती में माइनस मार्किंग पाती हैं. इस सब घटनाओं और आपदाओं के दौरान चमन कोहली के सेल्फ रियलाइजेशन की स्टोरी है ‘उजड़ा चमन’. # रीमेक – रोमांस और कॉमेडी, यानी रॉम-कॉम विधा की ये मूवी, कन्नड़ मूवी ‘ओंडू मोटेया काथे’ का ऑफिशियल रिमेक है. इसलिए ही कन्नड़ मूवी के राइटर और डायरेक्टर राज बी शेट्टी को हिंदी फिल्म में राइटर का क्रेडिट दिया गया है. स्क्रीनप्ले के हिसाब से कई चीज़ें अलग हैं, कुछ चीज़ें हटाई गई हैं और कुछ जोड़ी गई हैं. जैसे कन्नड़ वाले वर्ज़न में कॉलेज गर्ल का चमन को धोखा देने वाला पार्ट नहीं है जो इस मूवी में जोड़ा गया है. होने को कहीं-कहीं ट्रीटमेंट भी अलग है, जैसे लीड एक्टर-एक्ट्रेस के बीच का कॉन्फ्लिक्ट दोनों ही फिल्मों में अलग तरह से शुरू और अलग ही तरह से खत्म होता है. लेकिन ओवरऑल स्टोरीलाइन में ये सब चीज़ें थोड़ा सा भी अंतर नहीं डालतीं. और कई जगह तो ‘उड़ता चमन’ सीन दर सीन भी अपने कन्नड़ काउन्टरपार्ट की ज़िरॉक्स लगती है. जैसे प्रिंसिपल द्वारा एक स्टूडेंट का फाइन किया जाना या जैसे चमन कोहली द्वारा पंडित को शादी तोड़ने के लिए कन्विंस करना. # बाला से टक्कर – अभी कुछ ही दिनों बाद बाला भी रिलीज़ होने वाली है. उस फिल्म का भी मेन प्लॉट, लीड करैक्टर का गंजा होना ही है. वैसे अगर दोनों फिल्मों के प्रोमो देखें तो समानताएं ज़्यादा और अंतर कम नज़र आते हैं लेकिन ये कितनी हैं और कौन ज़्यादा शाबाशी बटोरेगी वो बाला देखने के बाद ही पता चलेगा. एक फिल्म को अगर पहले रिलीज़ होने और ऑरिजनल मूवी का ऑफिशियल रीमेक होने का एडवांटेज़ मिला है तो दूसरी को आयुष्मान खुराना और भूमि पेडणेकर जैसी बड़ी स्टारकास्ट का. # एक्टिंग- ‘प्यार का पंचनामा 2’ और ‘सोनू के टीटू की स्वीटी’ जैसी हल्की फुल्की फ़िल्में कर चुके सनी सिंह के पास इस फिल्म से अपने को साबित करने का अच्छा मौका था. लेकिन अगर उन्होंने मौका गंवाया नहीं भी तो उसे पूरी तरह से कैश भी नहीं करवा पाए. दो कारणों के चलते. एक तो मूवी के इमोशनल पार्ट इतने स्ट्रॉन्ग नहीं हैं कि उसमें अपना हुनर कोई दिखा पाए. दूसरा उनके एक्सप्रेशन पूरी मूवी में ऑलमोस्ट सेम रहते हैं. हां उन्हें ‘मेकअप’ का एडवांटेज़ ज़रूर मिला है, जिसके चलते उनको पहचानना मुश्किल है. उनकी पिछली मूवीज़ देखने के बाद आप इस बात पर उनकी तारीफ़ ज़रूर करेंगे कि उन्होंने करैक्टर के लो कॉन्फिडेंस और सेल्फ डाउट को काफी अच्छे से कैरी किया है. अतुल कुमार और ग्रुशा कपूर ने अच्छी एक्टिंग की है. लेकिन थोड़ी लाउड भी. जो कि ऑफ़ कोर्स स्क्रिप्ट की मांग थी. मूवी का सबसे बड़ा हासिल हैं मानवी गग्रू. ये पहली बार है जब उन्होंने किसी फुल लेंग्थ फीचर फिल्म में लीड एक्ट्रेस प्ले किया हो. होने को ‘फोर मोर शॉट्स प्लीज़’, ‘ट्रिपलिंग’ और ‘पिचर्स’ जैसी वेब सीरीज़ में उनके काम को काफी सराहा गया था. इस फिल्म में भी उनके एक्सप्रेशन्स, उनकी एक्टिंग और अपने करैक्टर के लिए की गई उनकी मेहनत पर्दे पर दिखती है और उन्हें बॉलीवुड में अच्छे से स्थापित करने का माद्दा रखती है. चमन के मम्मी पापा बने अतुल कुमार और ग्रुशा कपूर पंजाबी एक्सेंट और दिल्ली वाले हाव भाव बड़ी अच्छी तरह से पकड़ पाए हैं. सबसे अच्छी कॉमिक टाइमिंग सौरभ शुक्ला की है. बेशक वो दो एक छोटे-छोटे सीन में हैं, और बेशक वो सीन और उनका वो रोल उतना दमदार भी नहीं है. शारिब हाशमी ने कॉलेज के पियोन का किरदार बखूबी निभाया है. होने को ऑरिजनल मूवी में इस किरदार के पास करने को ज़्यादा था. हिंदी वाले वर्ज़न में उसकी स्टोरी को काफी कम कर दिया गया है साथ में उससे जुड़ा इमोशन भी सतही बनकर रह गया है. बाकी एक्टर्स का काम रूटीन तरह का है जिसमें कुछ भी अच्छा या बुरा इतना प्रोमिनेंट नहीं है. # स्क्रिप्ट- दो घंटे की मूवी में भी अगर दर्शक एंटरटेन नहीं हो पा रहे हैं तो यकीनन कहीं स्क्रिप्ट में बहुत बड़ा झोल है. फिल्म का कॉन्सेप्ट बहुत अच्छा है. और स्क्रिप्ट के अपने मोमेंट्स भी हैं लेकिन लचर डायरेक्शन उसे पूरी तरह कैश नहीं करवा पाता. चमन और अप्सरा की सगाई के टूटने वाला सीन और चमन का पियोन राज कुमार के घर विज़िट करने वाला सीन काफी पावरफुल और इमोशनल हो सकता था. लेकिन ‘है’ और ‘हो सकता था’ का ये अंतर ही ‘मास्टरपीस’ और ‘औसत’ के बीच का अंतर है. # ह्यूमर और लव कोशेंट- हर हिट रॉम-कॉम मूवी में दो चीज़ें कमोबेश होती ही होती हैं. यूनिक लव स्टोरी और गुदगुदाने वाली कॉमेडी. जैसे ‘जब वी मेट’ या ‘समवन लाइक इट हॉट’. इस मूवी में भी लव स्टोरी यूनिक है, लेकिन इसे देखते हुए आपको बार-बार लगता है जैसे आप छोटे बजट की कोई वेब सीरीज़ देख रहे हों. क्यूंकि ये लव स्टोरी आईडिया के लेवल पर तो यूनिक है, लेकिन स्टोरीबोर्ड से होते हुए स्क्रिप्ट के रास्ते स्क्रीनप्ले तक पहुंचते-पहुंचते अपने साथ कई क्लिशे चिपका लेती है. फिर चाहे वो ‘प्यार की पहली सीढ़ी लड़ाई’ जैसा घिसा पिटा कॉन्सेप्ट हो या लड़की के सामने लड़के का कान पकड़ के कन्फेशन करना या ‘जो भी होता है, अच्छे के लिए होता है’ जैसे डायलॉग्स. ‘ओंडू मोटेया काथे’,’बाला’ और ‘उजड़ा चमन’ के पोस्टर्स. रही बात कॉमेडी की तो वो रिपीटेटिव लगती है जब ‘मेटाबॉलिज्म’,’सेलिबेसी’ और ‘टेस्टोस्टेरोन‘ जैसे एक नहीं तीन-तीन शब्दों को तोड़-मरोड़ के उत्पन्न करने की कोशिश की गई हो. वो सतही लगती है जब एक विशेष प्रकार के कल्चर और एक्सेंट से उत्पन्न करने की कोशिश की गई हो. कहीं-कहीं उबाती और इरिटेट करती है जब टाइमिंग और बैकग्राउंड म्यूज़िक उसका साथ नहीं दे पाए हों. और वो जब अच्छी लगती है तो याद आता है कि ये वाली सीधे ऑरिजनल कन्नड़ मूवी में भी ठीक ऐसी ही थी. # अतिश्योक्ति- फिल्म में कई ऐसी चीज़ें हैं जिसपर आप कहेंगे ऐसा कहां होता है? कुछ चीज़ें फिजिक्स के लेन्ज लॉ की तरह अपने ही स्रोत का विरोध करती लगती हैं. एक तरफ ये गंजेपन और मोटापे को लेकर ‘एक्सेपटेंस’ बढ़ाने का प्रयास करती है दूसरी तरफ दिल्ली और पंजाबियों को लेकर अपने प्री कंसीव नोशन रखती है. जैसे पंजाबी फैमली है तो लाउड होगी. पंजाबी हैं तो शराब पिएंगे ही पिएंगे. और इस चीज़ को हाईलाईट करने के लिए जैसे ही शराब की बात आती है, बैकग्राउंड में ‘पंजाबी’ शब्द सुनाई देता है. एक पुराने से कॉमन बैकग्राउंड म्यूज़िक के रूप में. बैकग्राउंड म्यूज़िक की दिक्कतें यहीं खत्म नहीं होतीं. न केवल इसकी लाउडनेस से बल्कि इसकी टाइमिंग से भी दिक्कत है. कई जगह ये किसी जोक के पंच से सिंक नहीं करता तो कई जगह सीन के साथ. हिंदी का प्रोफेसर, रोमन में टाइप करता है और इकोनॉमिक्स के टीचर के साथ टेबल वाइन के साथ फाइव स्टार में डिनर करता है. तब जबकि उसकी सैलरी, जैसा वो बताता है साठ हज़ार रुपल्ली है. आप कहेंगे कि तो क्या हो गया, ये इम्पॉसिबल तो नहीं. बेशक इम्पॉसिबल नहीं लेकिन अपाच्य ज़रूर है. और तब जबकि जैसा स्टार्ट में कहा था कि मूवी अपनी पैकेजिंग में काफी आर्गेनिक लगती है, या ऐसा प्रोजेक्ट करती है. # दिल्ली- अच्छी बात ये है कि इस फिल्म में दिल्ली अपने ‘पुरानी दिल्ली’ और ‘चांदनी चौक’ वाले पारंपरिक बॉलीवुड रूप में नहीं है. राजौरी गार्डन, हंसराज कॉलेज, मेट्रो स्टेशन, मयूर विहार, हौज़ ख़ास विलेज जैसी जगहें देखकर या उनके बारे में सुनकर एक डेल्हीआईट को कहीं भी ‘आउट ऑफ़ दी वर्ल्ड’ या ‘काल्पनिकता’ का आभास नहीं होता. मूवी का दिल्ली रियल है. # डायलॉग्स- मैं बार-बार रिपीट कर रहा हूं कि हर डिपार्टमेंट में ‘आईडिया’ के लेवल पर कोई दिक्कत नहीं है लेकिन उसकी तामीर, उसके मटरियलाइज़ेशन में परेशानी पैदा की गई है. उगाई गई है. डेलीब्रेटली. यही हाल डायलॉग्स का भी है. जैसे,’ ‘दिलों की बात करता है जमाना, पर मोहब्बत अब भी चेहरे से शुरू होती है.’ जैसे शायराना डायलॉग्स जो अलग तरह से लिखे जाने के बदले सिंपल होते तो ज़्यादा इंपेक्टफुल होते. # म्यूज़िक- मूवी खत्म होने के बाद क्रेडिट रोल होते वक्त यू ट्यूब सेलिब्रेटी और टी सीरीज़ स्टार गुरु रंधावा का गीत सुपरहिट होने का पूरा माद्दा रखता है. बंदया गीत भी अच्छा है. लेकिन इसका म्यूज़िक न तो इसका सबसे अच्छा डिपार्टमेंट है और न ही ऐसा कि बाकी कमियों के ऊपर पर्दे का काम करे. # ओवरऑल निष्कर्ष- मूवी बुरी नहीं है. लेकिन ऐसी मूवीज़ थियेटर के लिए नहीं होतीं. शुरू होने से पहले ये आपको बताती है कि इसके ऑनलाइन स्ट्रीमिंग राइट्स एमेज़ॉन प्राइम और टीवी राइट्स ज़ी टीवी के पास हैं. बाकी आप समझदार हैं हीं. और साथ में बोनस में ये बता दूं कि मैंने कन्नड़ मूवी ‘ओंडू मोटेया काथे’ नेटफ्लिक्स पर देखी थी. ” - http://moviesbuzz29.blogspot.com/2019/11/ujada-chaman.html from Tumblr https://blogbazaar.tumblr.com/post/188765466819
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चमन कोहली आज जो विग पहन के कॉलेज गए हैं वो उन्हें परेशान कर रहा है. आदत नहीं है न. और इसलिए वो बार-बार अपने बाल खुजला रहे हैं. वॉशरूम में जाते हैं और विग खोलकर चैन की सांस लेते हैं. लेकिन उनका ये सारा क्रियाकलाप एक एमएमएस के रूप में पूरे कॉलेज में वायरल हो जाता है और चमन कोहली की खूब कॉलेज-हंसाई होती है. अब इस पूरे सिक्वेंस में वही दिक्कत है जो पूरी ‘उजड़ा चमन’ मूवी में है. उस दिक्कत का नाम है- ‘अतिश्योक्ति’. ये दिक्कत इसलिए बड़ी लगती है क्यूंकि फिल्म अपने प्रोमो और अपनी पैकेजिंग में मॉडेस्ट और रियल्टी के करीब लगती है, या ऐसा प्रोजेक्ट करती है. # कहानी- 30 साल का चमन कोहली दिल्ली के हंसराज कॉलेज में हिंदी का प्रोफेसर है. वो और उसकी फैमली लगी हुई है कि कैसे न कैसे चमन की शादी हो जाए. लेकिन इसमें तीन बड़ी अड़चनें हैं. सबसे बड़ी दिक्कत है उसका गंजापन, जिसके चलते हर दूसरी लड़की उसे रिजेक्ट कर देती है और बची हुई आधी लड़कियों की या तो फैमिली रिजेक्ट करती है या उन लड़कियों को कैसे एप्रोच करना है ये चमन नहीं जानता. दूसरी दिक्कत है कि उसके पास वक्त बहुत कम है. क्यूंकि उसके फैमिली पंडित ने कहा है कि अगर 31 साल तक उसकी शादी नहीं हो जाती तो वो आजीवन कुंवारा रहेगा. तीसरी दिक्कत है चमन की खुद की एक्सपेक्टेशन. चमन कोहली के पैरामीटर के हिसाब से अप्सरा बत्रा कुछ भी हो, अप्सरा तो कतई नहीं है. वो चाहे कैसा भी हो, लेकिन उसे लड़की चाहिए खूबसूरत. लेकिन हालात ऐसे बनते हैं कि उसकी ज़िंदगी में अप्सरा बत्रा आ जाती हैं जो चमन के मानकों में खूबसूरती में माइनस मार्किंग पाती हैं. इस सब घटनाओं और आपदाओं के दौरान चमन कोहली के सेल्फ रियलाइजेशन की स्टोरी है ‘उजड़ा चमन’. # रीमेक – रोमांस और कॉमेडी, यानी रॉम-कॉम विधा की ये मूवी, कन्नड़ मूवी ‘ओंडू मोटेया काथे’ का ऑफिशियल रिमेक है. इसलिए ही कन्नड़ मूवी के राइटर और डायरेक्टर राज बी शेट्टी को हिंदी फिल्म में राइटर का क्रेडिट दिया गया है. स्क्रीनप्ले के हिसाब से कई चीज़ें अलग हैं, कुछ चीज़ें हटाई गई हैं और कुछ जोड़ी गई हैं. जैसे कन्नड़ वाले वर्ज़न में कॉलेज गर्ल का चमन को धोखा देने वाला पार्ट नहीं है जो इस मूवी में जोड़ा गया है. होने को कहीं-कहीं ट्रीटमेंट भी अलग है, जैसे लीड एक्टर-एक्ट्रेस के बीच का कॉन्फ्लिक्ट दोनों ही फिल्मों में अलग तरह से शुरू और अलग ही तरह से खत्म होता है. लेकिन ओवरऑल स्टोरीलाइन में ये सब चीज़ें थोड़ा सा भी अंतर नहीं डालतीं. और कई जगह तो ‘उड़ता चमन’ सीन दर सीन भी अपने कन्नड़ काउन्टरपार्ट की ज़िरॉक्स लगती है. जैसे प्रिंसिपल द्वारा एक स्टूडेंट का फाइन किया जाना या जैसे चमन कोहली द्वारा पंडित को शादी तोड़ने के लिए कन्विंस करना. # बाला से टक्कर – अभी कुछ ही दिनों बाद बाला भी रिलीज़ होने वाली है. उस फिल्म का भी मेन प्लॉट, लीड करैक्टर का गंजा होना ही है. वैसे अगर दोनों फिल्मों के प्रोमो देखें तो समानताएं ज़्यादा और अंतर कम नज़र आते हैं लेकिन ये कितनी हैं और कौन ज़्यादा शाबाशी बटोरेगी वो बाला देखने के बाद ही पता चलेगा. एक फिल्म को अगर पहले रिलीज़ होने और ऑरिजनल मूवी का ऑफिशियल रीमेक होने का एडवांटेज़ मिला है तो दूसरी को आयुष्मान खुराना और भूमि पेडणेकर जैसी बड़ी स्टारकास्ट का. # एक्टिंग- ‘प्यार का पंचनामा 2’ और ‘सोनू के टीटू की स्वीटी’ जैसी हल्की फुल्की फ़िल्में कर चुके सनी सिंह के पास इस फिल्म से अपने को साबित करने का अच्छा मौका था. लेकिन अगर उन्होंने मौका गंवाया नहीं भी तो उसे पूरी तरह से कैश भी नहीं करवा पाए. दो कारणों के चलते. एक तो मूवी के इमोशनल पार्ट इतने स्ट्रॉन्ग नहीं हैं कि उसमें अपना हुनर कोई दिखा पाए. दूसरा उनके एक्सप्रेशन पूरी मूवी में ऑलमोस्ट सेम रहते हैं. हां उन्हें ‘मेकअप’ का एडवांटेज़ ज़रूर मिला है, जिसके चलते उनको पहचानना मुश्किल है. उनकी पिछली मूवीज़ देखने के बाद आप इस बात पर उनकी तारीफ़ ज़रूर करेंगे कि उन्होंने करैक्टर के लो कॉन्फिडेंस और सेल्फ डाउट को काफी अच्छे से कैरी किया है. अतुल कुमार और ग्रुशा कपूर ने अच्छी एक्टिंग की है. लेकिन थोड़ी लाउड भी. जो कि ऑफ़ कोर्स स्क्रिप्ट की मांग थी. मूवी का सबसे बड़ा हासिल हैं मानवी गग्रू. ये पहली बार है जब उन्होंने किसी फुल लेंग्थ फीचर फिल्म में लीड एक्ट्रेस प्ले किया हो. होने को ‘फोर मोर शॉट्स प्लीज़’, ‘ट्रिपलिंग’ और ‘पिचर्स’ जैसी वेब सीरीज़ में उनके काम को काफी सराहा गया था. इस फिल्म में भी उनके एक्सप्रेशन्स, उनकी एक्टिंग और अपने करैक्टर के लिए की गई उनकी मेहनत पर्दे पर दिखती है और उन्हें बॉलीवुड में अच्छे से स्थापित करने का माद्दा रखती है. चमन के मम्मी पापा बने अतुल कुमार और ग्रुशा कपूर पंजाबी एक्सेंट और दिल्ली वाले हाव भाव बड़ी अच्छी तरह से पकड़ पाए हैं. सबसे अच्छी कॉमिक टाइमिंग सौरभ शुक्ला की है. बेशक वो दो एक छोटे-छोटे सीन में हैं, और बेशक वो सीन और उनका वो रोल उतना दमदार भी नहीं है. शारिब हाशमी ने कॉलेज के पियोन का किरदार बखूबी निभाया है. होने को ऑरिजनल मूवी में इस किरदार के पास करने को ज़्यादा था. हिंदी वाले वर्ज़न में उसकी स्टोरी को काफी कम कर दिया गया है साथ में उससे जुड़ा इमोशन भी सतही बनकर रह गया है. बाकी एक्टर्स का काम रूटीन तरह का है जिसमें कुछ भी अच्छा या बुरा इतना प्रोमिनेंट नहीं है. # स्क्रिप्ट- दो घंटे की मूवी में भी अगर दर्शक एंटरटेन नहीं हो पा रहे हैं तो यकीनन कहीं स्क्रिप्ट में बहुत बड़ा झोल है. फिल्म का कॉन्सेप्ट बहुत अच्छा है. और स्क्रिप्ट के अपने मोमेंट्स भी हैं लेकिन लचर डायरेक्शन उसे पूरी तरह कैश नहीं करवा पाता. चमन और अप्सरा की सगाई के टूटने वाला सीन और चमन का पियोन राज कुमार के घर विज़िट करने वाला सीन काफी पावरफुल और इमोशनल हो सकता था. लेकिन ‘है’ और ‘हो सकता था’ का ये अंतर ही ‘मास्टरपीस’ और ‘औसत’ के बीच का अंतर है. # ह्यूमर और लव कोशेंट- हर हिट रॉम-कॉम मूवी में दो चीज़ें कमोबेश होती ही होती हैं. यूनिक लव स्टोरी और गुदगुदाने वाली कॉमेडी. जैसे ‘जब वी मेट’ या ‘समवन लाइक इट हॉट’. इस मूवी में भी लव स्टोरी यूनिक है, लेकिन इसे देखते हुए आपको बार-बार लगता है जैसे आप छोटे बजट की कोई वेब सीरीज़ देख रहे हों. क्यूंकि ये लव स्टोरी आईडिया के लेवल पर तो यूनिक है, लेकिन स्टोरीबोर्ड से होते हुए स्क्रिप्ट के रास्ते स्क्रीनप्ले तक पहुंचते-पहुंचते अपने साथ कई क्लिशे चिपका लेती है. फिर चाहे वो ‘प्यार की पहली सीढ़ी लड़ाई’ जैसा घिसा पिटा कॉन्सेप्ट हो या लड़की के सामने लड़के का कान पकड़ के कन्फेशन करना या ‘जो भी होता है, अच्छे के लिए होता है’ जैसे डायलॉग्स. ‘ओंडू मोटेया काथे’,’बाला’ और ‘उजड़ा चमन’ के पोस्टर्स. रही बात कॉमेडी की तो वो रिपीटेटिव लगती है जब ‘मेटाबॉलिज्म’,’सेलिबेसी’ और ‘टेस्टोस्टेरोन‘ जैसे एक नहीं तीन-तीन शब्दों को तोड़-मरोड़ के उत्पन्न करने की कोशिश की गई हो. वो सतही लगती है जब एक विशेष प्रकार के कल्चर और एक्सेंट से उत्पन्न करने की कोशिश की गई हो. कहीं-कहीं उबाती और इरिटेट करती है जब टाइमिंग और बैकग्राउंड म्यूज़िक उसका साथ नहीं दे पाए हों. और वो जब अच्छी लगती है तो याद आता है कि ये वाली सीधे ऑरिजनल कन्नड़ मूवी में भी ठीक ऐसी ही थी. # अतिश्योक्ति- फिल्म में कई ऐसी चीज़ें हैं जिसपर आप कहेंगे ऐसा कहां होता है? कुछ चीज़ें फिजिक्स के लेन्ज लॉ की तरह अपने ही स्रोत का विरोध करती लगती हैं. एक तरफ ये गंजेपन और मोटापे को लेकर ‘एक्सेपटेंस’ बढ़ाने का प्रयास करती है दूसरी तरफ दिल्ली और पंजाबियों को लेकर अपने प्री कंसीव नोशन रखती है. जैसे पंजाबी फैमली है तो लाउड होगी. पंजाबी हैं तो शराब पिएंगे ही पिएंगे. और इस चीज़ को हाईलाईट करने के लिए जैसे ही शराब की बात आती है, बैकग्राउंड में ‘पंजाबी’ शब्द सुनाई देता है. एक पुराने से कॉमन बैकग्राउंड म्यूज़िक के रूप में. बैकग्राउंड म्यूज़िक की दिक्कतें यहीं खत्म नहीं होतीं. न केवल इसकी लाउडनेस से बल्कि इसकी टाइमिंग से भी दिक्कत है. कई जगह ये किसी जोक के पंच से सिंक नहीं करता तो कई जगह सीन के साथ. हिंदी का प्रोफेसर, रोमन में टाइप करता है और इकोनॉमिक्स के टीचर के साथ टेबल वाइन के साथ फाइव स्टार में डिनर करता है. तब जबकि उसकी सैलरी, जैसा वो बताता है साठ हज़ार रुपल्ली है. आप कहेंगे कि तो क्या हो गया, ये इम्पॉसिबल तो नहीं. बेशक इम्पॉसिबल नहीं लेकिन अपाच्य ज़रूर है. और तब जबकि जैसा स्टार्ट में कहा था कि मूवी अपनी पैकेजिंग में काफी आर्गेनिक लगती है, या ऐसा प्रोजेक्ट करती है. # दिल्ली- अच्छी बात ये है कि इस फिल्म में दिल्ली अपने ‘पुरानी दिल्ली’ और ‘चांदनी चौक’ वाले पारंपरिक बॉलीवुड रूप में नहीं है. राजौरी गार्डन, हंसराज कॉलेज, मेट्रो स्टेशन, मयूर विहार, हौज़ ख़ास विलेज जैसी जगहें देखकर या उनके बारे में सुनकर एक डेल्हीआईट को कहीं भी ‘आउट ऑफ़ दी वर्ल्ड’ या ‘काल्पनिकता’ का आभास नहीं होता. मूवी का दिल्ली रियल है. # डायलॉग्स- मैं बार-बार रिपीट कर रहा हूं कि हर डिपार्टमेंट में ‘आईडिया’ के लेवल पर कोई दिक्कत नहीं है लेकिन उसकी तामीर, उसके मटरियलाइज़ेशन में परेशानी पैदा की गई है. उगाई गई है. डेलीब्रेटली. यही हाल डायलॉग्स का भी है. जैसे,’ ‘दिलों की बात करता है जमाना, पर मोहब्बत अब भी चेहरे से शुरू होती है.’ जैसे शायराना डायलॉग्स जो अलग तरह से लिखे जाने के बदले सिंपल होते तो ज़्यादा इंपेक्टफुल होते. # म्यूज़िक- मूवी खत्म होने के बाद क्रेडिट रोल होते वक्त यू ट्यूब सेलिब्रेटी और टी सीरीज़ स्टार गुरु रंधावा का गीत सुपरहिट होने का पूरा माद्दा रखता है. बंदया गीत भी अच्छा है. लेकिन इसका म्यूज़िक न तो इसका सबसे अच्छा डिपार्टमेंट है और न ही ऐसा कि बाकी कमियों के ऊपर पर्दे का काम करे. # ओवरऑल निष्कर्ष- मूवी बुरी नहीं है. लेकिन ऐसी मूवीज़ थियेटर के लिए नहीं होतीं. शुरू होने से पहले ये आपको बताती है कि इसके ऑनलाइन स्ट्रीमिंग राइट्स एमेज़ॉन प्राइम और टीवी राइट्स ज़ी टीवी के पास हैं. बाकी आप समझदार हैं हीं. और साथ में बोनस में ये बता दूं कि मैंने कन्नड़ मूवी ‘ओंडू मोटेया काथे’ नेटफ्लिक्स पर देखी थी.
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blogbazaar · 5 years ago
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नमस्कार दोस्तों! आपका स्वागत है दीपावली अब कुछ ही दिन दूर है और सभी के घरों में तैयारियाँ की जा रही हैं, सभी में बहुत उत्सा��� के साथ घर को साफ और सुंदर बनाना शुरू कर दिया है यहां तक ​​कि मैंने अपने घर को एक अलग रूप देने की कोशिश की है इस दिवाली आज वीडियो उस पर आधारित है। हम देखेंगे कि मैंने अपने घर को दिवाली के लिए कैसे सजाया है। इस वीडियो से आपको अपने घर को सजाने के लिए कुछ उपाय मिलेंगे। लेकिन हम वीडियो शुरू करते हैं, अगर आपने अभी तक दिवाली की सफाई शुरू नहीं की है, तो आप इस वीडियो को देख सकते हैं मेरा जो दीवाली की सफाई पर है। वीडियो मेसो ऐप के सहयोग से बनाया गया है। मीशो क्या है और यह कैसे काम करता है, आपको वीडियो के अंत में बताऊंगा। तो चलिए आज का वीडियो शुरू करते हैं। देखते हैं, मैंने कैसे सजाया है गृह प्रवेश जब मेहमान आपके घर आते हैं, तो सबसे पहले, उनकी नजर आपके दरवाजे पर जाती है, यदि प्रवेश द्वार को खूबसूरती से सजाया गया https://www.youtube.com/52bf9057-a19a-4a91-8d68-e86497f2063f स्वागत बहुत ही मंत्रमुग्ध और शुभ है। जैसा कि आप पहले देख सकते हैं, मेरे घर के प्रवेश द्वार को इस तरह सजाया गया था, लेकिन दिवाली के लिए मैंने इसे इस शैली में इस कोने में सजाया है, मैंने ऊपर कृष्ण और गणपति की संलयन की दीवार लगाई है। दरवाजा दो तरफ एक सुंदर लाल और हरा पोम-पोम तोरणंद है, जयपुर स्टाइल साइड हैंगिंग। इस दीवार पर दूसरी तरफ, मैंने एथनिक वॉल आर्ट सेट के इन 3 टुकड़ों को रखा है, जो बहुत सुंदर लग रहे हैं। यह सेट है बहुत हल्का और मैं इसे होम सेंटर से ले गया। यह दिवाली है, रंगोली के बिना सजावट अधूरी है। मुझे नहीं पता कि एक अच्छी रंगोली कैसे बनाऊं, मैंने YouTube पर वीडियो देखकर रंगोली सीखी। देखते हैं कि मैं कैसे रंगोली बनाता हूं। हमारी रंगोली और मैंने इसे दीया मोमबत्तियों से सजाया है कृपया मुझे बताएं कि आपको यह रंगोली कैसी लगी, मैंने फ्रेम के चारों ओर एक जगह छोड़ दी है ताकि इसे स्थानांतरित करना आसान हो सके। यहाँ कोने में, मैंने एक स्टेटमेंट प्लानर में एक साँप का पौधा रखा है जो इसे थोड़ी ऊँचाई ��ेता है यहाँ मैंने इसे पीले और गुलाबी रंग की माला और रंगोली स्टिकर से सजाया है जो बहुत ही सुंदर रूप दे रहे हैं। यहां, हमारा प्रवेश द्वार तैयार है। आइए मैं आपको दिखाता हूं कि यह रात में कैसा दिखेगा। वाह! बहुत सुंदर है, आइए देखें कि मैंने अपने लिविंग रूम को कैसे सजाया है। आमतौर पर, मेरा लिविंग रूम ऐसा दिखता है। बहुत तटस्थ। लेकिन यह दिवाली का समय है, तो इसमें रंग और रोशनी होनी चाहिए। इसीलिए, सबसे पहले, मैंने अपने सोफे के सभी कुशन को इन खूबसूरत और रंगीन कुशन में बदल दिया। ये भी मैंने होम सेंटरटाउन से उठाया है कुछ और रंग जोड़ें, मैंने यह रंगीन फर्श गलीचा लिया है जो मैंने अमेज़ॅन से ऑर्डर किया है। यह सुंदर गलीचा अच्छी तरह से पैक किया गया है और मेशो से कुछ और उत्पाद ले गए हैं, जो मैं आपको बाद में वीडियो में दिखाऊंगा। आगे बढ़ने दो! यहाँ टेबल पर, मैंने एथनिक प्रिंट के साथ एक सुंदर लाल और सफ़ेद रंग का रनर रखा है, जो टेबल को सुंदर लकड़ी की प्रिंटेड ट्रे को सजाने में मदद करता है और उसके ऊपर मैंने 3 चाय लाइट कैंडल धारक रखे हैं, जिन्हें मैं प्रकाश के साथ रखूँगा बैटरी की रोशनी की मदद ने इस कांच के कटोरे को टेबल के नीचे रखा है। मैंने इसके अंदर पानी और फूल डाल दिए हैं और एक तैरती हुई मोमबत्ती को केंद्र में रख दिया है। इसने बहुत ही सरल और सुंदर DIY उराली बनाया है। इस कोने को भरने के लिए, मैंने इस खूबसूरत बड़े एरेका पामविच को कमरे की सजावट को एक अलग स्तर पर ले लिया है। अपने घर पर कुछ इनडोर पौधों को रखें। वे न केवल सुंदरता को बढ़ाते हैं बल्कि अच्छे वायु शोधक के रूप में भी काम करते हैं। मैंने इस प्लांट को बैटरी से संचालित चावल की रोशनी से सजाया है जो रात में बहुत सुंदर दिखता है। अब दूसरे कोने पर आएं जहां यह साइड टेबल लगा हो। मैंने इसे रंगीन फूलदान और कुछ शो पीस से सजाया है। दूसरी तरफ जाएं। टीवी यूनिट पर, मैंने लाल और सुनहरे रंग का एक मोमबत्ती धारक रखा है और यहाँ नीचे मैंने एक पीतल की फिनिश रिंग रखी है, जिसे मैंने गुलाब की पंखुड़ियों और तैरती मोमबत्तियों के साथ तैयार किया है। और हमारा लिविंग रूम तैयार है जीवंत और रंगीन दिखने के लिए मैंने अपने फ़ोयर क्षेत्र को भी सजाया है। इस क्षेत्र को पहली बार घर में प्रवेश करने पर देखा जाता है, सामने एक जूता रैक है। इसके बारे में, मैंने इस सुंदर, रंगीन धातु की मोमबत्ती धारक को बीच में रखा है मैंने इस रस्सी को रखा है इस कोने में रंगीन पोम पोम के साथ टोकरी। और इस कोने पर एक ग्लास फूल और सुगंध विसारक है जो एक सामान्य सेटअप है. यहाँ इस दीवार पैनल पर, मैंने तीन ग्लास कैंडल होल्डर्स के इस सेट को रखा है, जिसे मैं एक चाय की रोशनी वाली कैंडल से रोशन करूं��ा। इसके अलावा, फ़ोयर क्षेत्र भी तैयार है। बेडरूम में जाने दें आमतौर पर मैं या तो सादे या छोटे प्रिंट वाली बेडशीट पसंद करता हूं लेकिन क्योंकि हम दिवाली के लिए सजावट कर रहे हैं, यहाँ मैंने एक बड़ी प्रिंट की एथनिक डिज़ाइन की चादर बिछाई है। और क्योंकि मेरे पर्दे पूरी तरह से सादे हैं, यह चादर उन्हें बहुत अच्छी तरह से कंप्लीट करती है। बड़ी प्रिंट शीट सादे पर्दों के साथ बहुत सुंदर लगती है। कस्टम मैं इस धातु के धारक को रखा है यहाँ की दीवार पर जिसमें मैंने बैटरी के साथ एलईडी मोमबत्तियाँ लगाई हैं। मैंने उन्हें उचित कीमत पर मीशो से प्राप्त किया है। मंद रोशनी में वे बहुत सुंदर दिखते हैं। साइड टेबल को एक साधारण तरीके से पीले फूलदान, एक छोटे से गोल के साथ सजाया गया है। एथनिक लुक के साथ डेकोरेटिव पीस और इस टेबल क्लॉक। इसे दूसरी तरफ यहां मैंने गोल्डन डिजाइनर ट्रायविच रखा है, जिसे मैंने गुलाब की पंखुड़ियों और लाल परफ्यूम के साथ सजाया है। ये मोमबत्तियां इन सेरेमिक में आती हैं। कटोरे जो बहुत ही सूक्ष्म और सुरुचिपूर्ण लुक देते हैं और मैंने उन्हें मीशो ब्रेडरूम से भी ऑर्डर किया है मैंने बहुत ही सरलता से रखा है क्योंकि मुझे साधारण लुक इतना पसंद है कि यह एक बेडरूम जैसा दिखता है, दिवाली की सजावट के बाद। अब सबसे महत्वपूर्ण स्थान पर जाने दो और हमारे घर का मंदिर यही है जहां हम पूजा करते हैं अब मैं देखता हूं कि मैंने इसे कैसे सजाया है। पिछले हफ्ते, मैंने मंदिर संगठन का एक वीडियो डाला। जिसमें मैंने बताया कि कैसे मैं आमतौर पर अपना मंदिर रखता हूं। आपको इसका लिंक I बटन और विवरण बॉक्स में मिलेगा, आमतौर पर मेरा मंदिर इस तरह दिखता है जैसे दिवाली की सजावट के बाद यह दिखता है। मैं ऊपर से शुरू करता हूं। यहाँ मैंने सफ़ेद चमेली और पीले गुलाब की एक तोरण लगाई है जो पहले से ही यहाँ था। इसके अलावा, इस सजावटी एलईडी स्ट्रिंग लाइट को स्थापित किया गया है, जो मंदिर की सुंदरता को और बढ़ाता है। यहाँ नीचे मैंने लाल रंग की चटाई बिछाई है जिस पर इन कांस्य की देव मूर्तियों को रखा गया है और सबसे आगे छोटी लक्ष्मी गणेश जी हैं जिनकी पूजा के लिए दीपावली की पूजा की जाती है। किनारे पर पीतल के दीपक रखे हैं, जिन्हें मैंने फूलों से सजाया है। और मैंने मंदिर के फर्श को फूलों, दीए और स्टिकर के साथ रंगोली से सजाया है। इसके साथ ही, हमारे मंदिर की सजावट पूरी हो चुकी है, हमारा मंदिर डाइनिंग हॉल के अंदर है, इसलिए मैंने इसे भी सजाया है। इस गोल्डन कलर के रनर को डाइनिंग टेबल पर रखा है और इसके ऊपर बीच में एक मनी प्लांट लगाया है और रंगीन चाय रखी है। किनारे पर प्रकाश धारकों। इसे और अधिक सुंदर बनाने के लिए, मैंने यहाँ दो गिलास रखे हैं जिन्हें मैंने पानी से भर दिया है और इसमें गुलाब की पंखुड़ियाँ और तैरती हुई मोमबत्तियाँ डाल दी हैं। यह एक सिंपल और एलिगेंट Diva लुक देता है। इसी के साथ दिवाली की सजावट ख���्म हो जाती है। सभी उत्पाद लिंक और उनके विवरण आपके परिवा�� और दोस्तों के विवरण बॉक्स में दिए गए हैं मैं आप सभी को दिवाली की बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। धन्यवाद!
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gethealthy18-blog · 5 years ago
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धनिया के बीज के 10 फायदे, उपयोग और नुकसान – Coriander Seeds Benefits and Uses in Hindi
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धनिया के बीज के 10 फायदे, उपयोग और नुकसान – Coriander Seeds Benefits and Uses in Hindi
vinita pangeni Hyderabd040-395603080 September 10, 2019
हर�� धनिया अक्सर भारतीय व्यंजनों में स्वाद बढ़ाने के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है। धनिया के पत्तों के साथ ही इसके बीज का उपयोग भी खाने में आम है। लेकिन, क्या आपको पता है, धनिया के बीज को अगर सही तरीके से इस्तेमाल में लाया जाए, तो यह आपके शरीर के लिए वरदान साबित हो सकता है। इस लेख में हम आपको तथ्य-प्रमाण के आधार पर स्वास्थ्य के लिए धनिया के बीज के फायदे बताएंगे। साथ ही किस तरीके से इसका उपयोग आपके शरीर के लिए लाभदायक साबित हो सकता है, इसपर भी चर्चा करेंगे।
विषय सूची
धनिया के बीज के फायदे – Benefits of Coriander Seeds Oil in Hindi
1. डायबिटीज
डायबिटीज के मरीजों के लिए धनिए के बीज काफी लाभदायक सिद्ध हो सकते हैं। दरअसल, इसमें मौजूद फ्लेवोनोइड, पॉलीफेनोल, बी-कैरोटीनोइड (β-Caroteinoids) जैसे कई कंपाउंड प्लाज्मा ग्लूकोज को सामान्य रखने में मदद करते हैं। इसके साथ ही यह कुल कॉलेस्ट्रोल और वसा के स्तर को भी कम करने में मदद करता है। साथ ही यह टाइप-2 डायबिटीज के मरीजों में हाइपरलिपिडिमिया (खून में फैट की अधिक मात्रा) के कारण होने वाली हृदय संबंधी जटिलताओं को भी रोक सकता है (1)।
2. पाचन
धनिया के बीज को पुराने समय से ही पाचन को बढ़ावा देने वाले पदार्थ के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है। दरअसल धनिया बीज के सेवन से बाइल एसिड बनता है, जो पाचन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। धनिया के बीज में कार्मिनेटिव (carminative) प्रभाव भी होता है, जो गैस की समस्या से भी राहत दिला सकता है। इसके अलावा, यह छोटी आंत में मौजूद प्रोटीन को तोड़कर खाने को हजम करने वाले एंजाइम को भी बढ़ावा देता है (2)।
3. अर्थराइटिस
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धनिया के बीज के फायदे यकीनन अनेक हैं। धनिया के बीज अर्थराइटिस में आराम दिलाने में मदद करते हैं। दरअसल, धनिया में लिनोलिक एसिड पाया जाता है, जो एंटी-अर्थाराइटिक की तरह शरीर में काम करता है। धनिया बीज में मौजूद एंटी अर्थराइटिस और एंटीऑक्सीडेंट जोड़ों में इंफ्लामेशन को बढ़ावा देने वाले कुछ साइटोकिन्स (cytokines) कंपाउंड से लड़ने में हमारे शरीर की मदद करते हैं। इसके साथ धनिया के बीज को जोड़ों में लगाने से भी फायदा मिलता है (3) (4)।
4. कंजंक्टिवाइटिस
कंजंक्टिवाइटिस का मतलब आंखों का लाल या गुलाबी होना। इसमें आंख की बाहरी परत और पलक के अंदर इंफ्लामेशन हो जाता है, जिसकी वजह से सूजन, ��ुजली, जलन और आखें लाल होने लगती हैं। इसकी वजह बैक्टीरियल व वायरल संक्रमण, एलर्जी होती है (5)। ऐसे में आपकी मदद धनिया बीज कर सकते हैं। जैसा कि हम आपको ऊपर बता चुके हैं कि धनिया के बीज इंफ्लामेशन को बढ़ावा देने वाले साइटोकिन्स कंपाउंड से लड़ने में मदद करते हैं। इसके अलावा, इसमें एंटी बैक्टीरियल गुण भी होते हैं। इसलिए, कहा जा सकता है कि यह कंजंक्टिवाइटिस से लड़ने में भी मदद करते हैं (3)। एक शोध के मुताबिक, धनिया के बीज संक्रमण से लड़कर आंखों में होने वाली खुजली से राहत दिलाने में मदद कर सकते हैं (6)।
5. एनीमिया
एनिमिया (खून की कमी) एक रक्त विकार है, जो मुख्यत: शरीर में आयरन की कमी की वजह से होता है। शरीर को खून बनाने के लिए भरपूर मात्रा में आयरन चाहिए होता है (7)। ऐसे में आयरन से भरपूर धनिया के बीज का इस्तेमाल कर सकते हैं। आयरन के साथ ही इसमें विटामिन-सी भी मौजूद होता है, जो शरीर में आयरन के अवशोषण (Absorption) को बढ़ावा देता है (8) (9)।
6. हृदय स्वास्थ्य
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हम आपको ऊपर बता चुके हैं कि धनिया के बीज कॉलेस्ट्रोल और वसा के साथ हृदय रोगों के जोखिम को भी कम कर सकते हैं। धनिया के बीज में हाइपोलिपिडेमिक (Hypolipidemic) क्रिया होती है, जो शरीर में मौजूद ट्राइग्लिसराइड्स (एक तरह का वसा) को कम करता है (10)। दरअसल, कोलेस्ट्रोल और ट्राइग्लिसराइड्स हृदय संबंधी बीमारियों का कारण होते हैं (11)। इनके स्तर को कम करके धनिया के बीज आपके हृदय को स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है।
7. मासिक धर्म स्वास्थ्य
मासिक धर्म का समय पीड़ादायक होता है। इस दौरान पेट और कमर में असहनीय दर्द होता है। ये दर्द गर्भाशय में संकुचन की वजह से होता है (12)। ऐसे में आप धनिया के बीज की चाय बनाकर पी सकते हैं, जो एंटी इंफ्लामेटरी व एनाल्जेसिक (Analgesic) ड्रग की तरह काम करके आपके दर्द को कम कर सकती है (13) (14) । इसके अलावा, यह मासिक धर्म में अगर आपको सामान्य से अधिक ब्लीडिंग हो रही है, तो उसे भी रोकने में मदद कर सकता है (15)।
8. न्यूरोलॉजिकल हेल्थ
धनिया के बीज के फायदे कई हैं। इसमें एंटी-कंवलसेंट (Anti-Convulsant) गतिविधी पाई जाती हैं (16), जिसकी मदद से मिर्गी (Epilepsy) की समस्या को दूर किया जा सकता है (17)। दरअसल, यह एक दिमागी (न्यूरोलॉजिकल) विकार है, जिसमें मस्तिष्क की गतिविधि असामान्य हो जाती है। इस स्थिति में धनिया बीज आपकी मदद कर सकता है। इसके अलावा, धनिया आपके न्यूरोन्स को पहुंचने वाली क्षति से भी बचाता है (18)। माना जाता है कि धनिया याददाश्त में भी सुधार कर सकता है, हालांकि अभी इसको लेकर अभी और शोध की आवश्यकता है (19)।
9. त्वचा स्वास्थ्य
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धनिया में भरपूर एंटीऑक्सिडेंट पाये जाते हैं। इसके अलावा, त्वचा के लिए फायदेमंद माने जाने वाला विटामिन-सी की भी इसमें प्रचुरता होती है। हम आपको ऊपर लेख में तो बता ही चुके हैं कि धनिया के बीज एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी भी होते हैं (16)। तो बस त्वचा को स्वस्थ बनाए रखने के लिए और क्या चाहिए। आप अपने चेहरे में धनिया के बीज का पानी रुई की मदद से लगा सकती हैं। इसके अलावा, धनिया के बीज में मौजूद विटामिन-सी आपके चेहरे के निशान दूर करने के साथ ही आपको बढ़ती उम्र के चेहरे पर दिखने वाले असर को कम करने में मदद करता है। साथ ही यह चेहरे के लचीलेपन को बनाए रखता है और सनबर्न से राहत देने में मदद कर सकता है (20)।
10. बालों के लिए
खनिज और विटामिन से भरपूर होने के कारण आप धनिया के बीज को बतौर हर्बल टॉनिक के रूप में उपयोग कर सकते हैं। दरअसल, आयरन और जिंक की कमी से बाल झड़ते हैं। ऐसे में आप इनसे समृद्ध धनिया के बीज के इस्तेमाल से झड़ते बालों को रोक सकते हैं (21)। धनिया के बीज के तेल का इस्तेमाल बालों के लिए कर सकते हैं। हालांकि, इसको लेकर अभी कोई शोध नहीं हुआ है।
धनिया बीज के लाभ जानने के बाद चलिए अब बात करते हैं इसमें मौजूद पोषक तत्वों की।
धनिया के बीज का पौष्टिक तत्व – Coriander Seeds Nutritional Value in Hindi 
धनिया के बीज के फायदे के बाद अब हम बात करते हैं इसमें मौजूद पौष्टिक तत्वों की। नीचे दिए गए टेबल में देखें प्रति 100 ग्राम  धनिया के बीज में कितनी मात्रा में पोषक तत्व मौजूद होते हैं (8)।
पोषक तत्व मात्रा प्रति 100 ग्राम वाटर 8.86g ऊर्जा 298kcal प्रोटीन 12.37g कुल फैट 17.77g क��र्बोहाइड्रेट 54.99g फाइबर 41.9g मिनरल कैल्शियम 709mg आयरन 16.32mg मैग्नीशियम 330mg फास्फोरस 409mg पोटेशियम 1267mg सोडियम 35mg जिंक 4.70mg विटामिन विटामिन सी 21.0mg थियामिन 0.239mg राइबोफ्लेविन 0.290mg नियासिन 2.130mg लिपिड फैटी एसिड, टोटल सैचुरेटेड 0.990g फैटी एसिड, टोटल मोनोअनसैचुरेटेड 13.580g फैटी एसिड, टोटल पॉलीअनसेचुरेटेड 1.750g
धनिया बीज के लाभ और पोषक तत्व जानने के बाद चलिए अब बात करते हैं इसका उपयोग कैसे किया जाए।
धनिया के बीज का उपयोग – How to Use Coriander Seeds in Hindi
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सबसे पहले आप अच्छी गुणवत्ता वाले धनिया बीज खरीदें। अब इन्हें अच्छे से धोकर सूखा लें। इससे ये होगा कि धनिया के बीज निकालते समय अगर इसमें मिट्टी या बजरी होगी, तो वो साफ हो जाएगी। नीचे जानिए कैसे करें धनिया के बीज का इस्तेमाल –
इसका इस्तेमाल खड़े मसाले के रूप में कर सकते हैं यानी साबुत।
इसे समोसा बनाते वक्त तड़के के लिए भी इस्तेमाल में लाया जाता है।
आप धनिये को हल्का भूनकर सूप में भी डाल सकते हैं।
इसके अलावा, आप भूने हुए धनिये को पीसकर इसे बतौर मसाला इस्तेमाल कर सकते हैं।
धनिया के बीज का स्वाद अगर आपको काफी पसंद है, तो इसे आप पीजा, ब्रेड और अन्य स्नैक्स के मसालों में भी उपयोग कर सकते हैं।
आप धनिये के बीज के उबालकर बतौर चाय भी पी सकते हैं (10)।
इससे पहले कि आप कोरिएंडर सीड को आहार में शामिल करने के लिए इसे खरीदे, आपको इसके नुकसान के बारे में भी जान लेना चाहिए।
धनिया के बीज के नुकसान – Side Effects of Coriander Seeds in Hindi 
कई लोगों को धनिया की सुगंध पसंद नहीं, इसलिए यह ऐसे लोगों में धनिया एलर्जी का कारण बन सकता है। (11)।
जैसा कि हम आपको ऊपर लेख में बता ही चुके हैं कि धनिया के बीज ब्लड शुगर को कम कर सकता है। ऐसे में अगर आप इसका अत्यधिक मात्रा में सेवन करते हैं, तो आपका ब्लड शुगर काफी ज्यादा लो हो सकता है (12)। 
रसोई घर में अक्सर इस्तेमाल में लाए जाने वाले धनिया के बीज के लाभ और इससे संबंधित अन्य महत्वपूर्ण जानकारी तो हम आपको इस लेख में बता ही चुके हैं। तो अब देर किस बात की, धनिया के बीज के औषधीय लाभ उठाने के लिए आप इसे जल्द ही अपनी दिनचर्या में शामिल कर लें। अगर आप धनिया के बीज से जुड़ा कोई सवाल पूछना चाहते हैं, तो कॉमेंट बॉक्स के माध्यम से हमसे जुड़ सकते हैं। हम आशा करते हैं कि धनिया के बीजों के स्वास्थ्य लाभ पर लिखा हमारा यह लेख आपके लिए मददगार साबित होगा।
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Source: https://www.stylecraze.com/hindi/dhania-ke-beej-ke-fayde-upyog-aur-nuksan-in-hindi/
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rajatgarg79 · 7 years ago
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गर्मियों में पाएं पसीने से छुटकारा, इस घर पर बने डियोड्रेंट का लेकर सहारा
तेज धूप, सन टैनिंग और पसीने का मौसम आ चुका है। गर्मियों में तापमान कई त्वचा समस्याओं को साथ लाता है। इस सीजन में हम कई त्वचा समस्याओं से पीड़ित होते हैं, पसीना और शरीर की गंध सबसे बड़ी चिंताओं में से एक है। बेशक, एक पौष्टिक भोजन और बहुत सारे तरल पदार्थ पीने से शरीर की गंध को कम या पूरी तरह से खत्म किया जा सकता है, लेकिन हम में से अधिकांश डियोड्रेंट के ऊपर निर्भर होते हैं। ये डियोड्रेंट फायदे से अधिक नुकसान कर सकते हैं। दुकान से खरीदे गये डियोड्रेंट में एल्यूमीनियम शामिल हो सकता है जो ब्रेस्ट कैंसर और अल्जाइमर जैसे  घातक रोगों का कारण बन सकता है। इनमें प्रोपीलीन ग्लाइकोल भी शामिल हो सकता है जो पेट्रोलियम आधारित पदार्थ है। यह केंद्रीय तंत्रिका तंत्र, हृदय और लिवर को नुकसान पहुंचाते हैं। कुछ सुगंधों में पैराबंस (Parabens) और थैलेट (Phthalates) भी हो सकते हैं जो सिंथेटिक संरक्षक हैं और हार्मोनल सिस्टम पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। शरीर के लिए पसीना आना अच्छा होता है, यह आपके शरीर से स्वाभाविक रूप से विषाक्त पदार्थों को निकालने के लिए एक माध्यम है। डियोड्रेंट का उपयोग त्वचा के छिद्रों को बंद करता है जिससे विषाक्त पदार्थ बाहर नहीं निकल पाते हैं। इसके बावजूद, आपका शरीर अत्यधिक पसीना निकालने के ज़रिए  विषाक्त पदार्थों को बाहर करके आपके शरीर को डिटॉक्स करने की कोशिश करता है, जिससे अक्सर हमारे कपड़े पर पसीने के पैच छूट जाते हैं। इसलिए आपकी त्वचा को स्वस्थ और सुखी रखने के लिए हम सुझाव देते हैं कि आप अपने घर में बनें डियोड्रेंट का उपयोग करके देखें। इसे बनाना बहुत आसान है।
घरेलू डियोड्रेंट के लिए आवश्यक सामग्री
एक तिहाई कप नारियल तेल 2 टेबल स्पून बेकिंग सोडा एक तिहाई कप अरारोट पाउडर 10-15 बूंदें लैवेंडर तेल या अन्य कोई भी सुगंधित तेल
घर पर डियोड्रेंट बनाने की विधि
एक छोटा कटोरा लें और नारियल का तेल, बेकिंग सोडा और अरारोट पाउडर को मिक्स करें। यदि आपकी त्वचा अति संवेदनशील है, तो आप इस मिश्रण में बेकिंग सोडा का कम उपयोग कर सकते हैं। क्रीमयुक्त मिश्रण बनाने के लिए सब कुछ एक साथ ब्लेंड करें। अब इसमें लैवेंडर तेल या अन्य कोई भी सुगंधित तेल मिक्स करें। तो लीजिए आपका प्राकृतिक डियोड्रेंट तैयार है!
होममेड डियोड्रेंट उपयोग करने का तरीका
धीरे से, 3 अंगुलियों के साथ पेस्ट को लें और बगल पर रगड़ें। इसे 2 मिनट के लिए सुखाएं और प्राकृतिक खुशबू का आनंद लें। कठोर डियोड्रेंट स्प्रे आपकी त्वचा से सभी नमी निकाल सकते हैं। इसके विपरीत नारियल का तेल आपकी त्वचा को मॉइस्चराइज कर नरम रखने में भी मदद करता है। और पढ़े - घर पर बनाएँ यह प्राकृतिक नाइट क्रीम और त्वचा को करें पूरी तरह से पोषित from myUpchar.com के स्वास्थ्य संबंधी लेख via http://www.myupchar.com/tips/how-to-make-natural-deodorant-at-home-in-hindi
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