#उत्तर�� सीमा
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DAY 5856
Jalsa, Mumbai Feb-Mar/29/1 2024 Thu/Fri 10:10AM
🪔 ,
March 01 .. birthday greetings to Ef Asesh Majumdar from Kolkata .. all joys and prayers from the Ef Family .. 🙏🏻🚩❤️
There is a method in the tolerance of the mind and body .. when it decides it decides .. IT DECIDES .. yes .. and that is ever the final ..
कहने की सीमा होती है; सहने की सीमा होती है ; कुछ मेरे भी वश में, कुछ सोच समझ अपमान करो मेरा; अब मत मेरा निर्माण करो ..
And Babuji 's words ring through by the early morn and keep me awake in thought .. to rise and write .. to be aware and write .. to just be brave enough to say what the feel says within .. may not have been in such thought before .. but say it now .. if not now then when .. care less for the effect it shall have on the other ..
Abhishek last night and I , we talk and send time for hours on end .. it is what should have been done much before .. NO , it is not the factor of being busy so could not find the time .. it is that
' is it possible , or it can be possible , that what I proclaim or advise, he may have a better more sensible advice or solution fo it ..'
It is a generational change .. the speed of change and thought, with the ease of immediate information with the 5-6 yr old, gives them the capacity and at times the audacity to take on the older, elder thought .. and they may be right .. THEY MAY BE RIGHT ..
So who are we to interrupt them and their thoughts ..
Just a feel of what is the element that is with this GENz or X or whatever ..
So he says , Abhishek says .. is the talk of the generation today ..
'not' my circus , not my monkey ..'
Not My Circus, Not My Monkeys There's a Polish proverb which millennials often use today: “Not my circus, not my monkeys.” It's a way of saying, “Don't drag me into your drama and your issues—I'm not getting involved.”
And now dear Ef , just watch how the interpretation finds its way on memes and news and interpretations for the world of the socialitatickamedilaticum ..
🤣
🤣
🤣
Life and AI have made life so simple and so complicated .. complicated forus the ones that are the ol'timers .. the NEW does never drag itself into its involvement ..
So .. we started with the strength of the self and its capacity to FIGHT by itself and succeed or WIN .. and the not to be dragged into the issue is the 'monkey' ..
🥹
Live and love and be well ..
Amitabh Bachchan
किसी ने मेरे FB post पे कहा,
"सीधे सीधे बोलिए ना ..... " ,,
मेरा उत्तर ये है -
'सीधे सीधे बोलने की क्षमता आज किसके पास है । और यदि क्षमता ��ै भी, तो क्या वो सही है ?
क्योंकि आजकल, सही को भी सही साबित करने की आवश्यकता पड़ गई है !!!
बोल सिया पति रामचंद्र की जय
🚩
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28.11.2024, लखनऊ | परम आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के मूल मंत्र "सबका साथ, सबका विकास, सबका प्रयास, सबका विश्वास" एवं राष्ट्रीय एकीकरण की भावना को बढ़ावा देने हेतु, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा चन्द्रशेखर आजाद बाल विद्या मन्दिर, तकरोही, इंदिरा नगर, लखनऊ में 215 छात्र-छात्राओं को पुस्तक 'गीता गर्ल मरियम' का वितरण किया गया ।
पुस्तक वितरण में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेब��� ट्रस्ट के स्वयंसेवकों ने अपना महत्वपूर्ण योगदान प्रदान किया । इस अवसर पर चन्द्रशेखर आजाद बाल विद्या मन्दिर के प्रबंधक श्री संतोष कुमार, प्रधानाचार्या श्रीमती सीमा वर्मा, शिक्षकों सुश्री अंजना, यासमीन जी, सुश्री प्रिया, श्री अंशुमन, सुश्री मानसी, सुश्री सुमन, सुश्री अनिता, साहिना जी, सुश्री नीलम, सुश्री शबयता, श्री विकास, सुश्री खुशी की गरिमामयी उपस्थिति रही ।
सादर अवगत कराना है कि हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना वर्ष 2012 में जनहित और जनकल्याण हेतु लखनऊ, उत्तर प्रदेश में की गई । अपने स्थापना वर्ष से अब तक 12 वर्षों में, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट ने उत्तर प्रदेश में जनकल्याणकारी संस्था के रूप में प्रतिष्ठा अर्जित की है । ट्रस्ट अपने आदरणीय संरक्षकों पद्म भूषण स्वर्गीय गोपाल दास नीरज, पद्म श्री स्वर्गीय अनवर जलालपुरी तथा पद्म श्री अनूप जलोटा के मार्गदर्शन में, स्वसाधनों से समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने हेतु राष्ट्रीय स्तर पर शैक्षिक, सांस्कृतिक और सामाजिक उन्नयन की दिशा में गतिशील है । माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के संकल्प “सबका साथ, सबका विश्वास, सबका विकास और सबका प्रयास” को ध्येय मानते हुए, ट्रस्ट गरीबों और असहायों की मदद हेतु वस्त्र वितरण अभियान, रक्तदान, बाल गोपाल शिक्षा योजना, जनहित के जागरूकता अभियान, सम्मान समारोह और अन्य लाभकारी योजनाओं का निरंतर क्रियान्वयन कर रहा है । विश्वव्यापी कोरोना महामारी (COVID-19) के संकट के दौरान, ट्रस्ट ने अपने संसाधनों और हेल्प यू कोरोना वारियर्स की मदद से निराश्रित और जरूरतमंद लोगों के लिए निरंतर भोजन, मास्क, सैनिटाइजर तथा अन्य बचाव सामग्री का वितरण किया ।
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा साहित्य और साहित्यकारों के प्रोत्साहन के लिए, अध्यात्म और संस्कृति के संवर्धन एवं उत्थान के दृष्टिगत जनहित में पुस्तकों का प्रकाशन भी किया गया है ।
ट्रस्ट लखनऊ, उत्तर प्रदेश में वृद्धा आश्रम, अनाथालय, भगवत गीता सेंटर, हेल्प यू एकेडमी ऑफ स्पिरिचुअल म्यूजिक तथा अन्य जनहित की परियोजनाओं के क्रियान्वयन हेतु प्रयत्नशील है । साथ ही, देश के सभी राज्यों की राजधानियों तथा अन्य देशों में ट्रस्ट के कार्यालय स्थापित कर जनहित के कार्यों को और विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है ।
हम जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों की मदद कर रहे हैं । ट्रस्ट की समस्त गतिविधियों और जनकल्याण के कार्यक्रमों का सम्पूर्ण विवरण ट्रस्ट की वेबसाइट www.helputrust.org तथा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे Facebook, Twitter, LinkedIn, Tumblr, Instagram और YouTube पर आपके अवलोकनार्थ उपलब्ध है ।
आप हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट से जुड़ सकते हैं और ट्रस्ट को अपना बहुमूल्य सहयोग प्रदान कर सकते हैं। यह आवश्यक नहीं है कि आप ट्रस्ट को केवल आर्थिक सहयोग (Donation, Sponsorship, CSR आदि) ह�� दें, बल्कि आप अपने सेवा क्षेत्र के माध्यम से हमारे सलाहकार, आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य, सद्भावना राजदूत, या संयुक्त तत्वावधान में आयोजन करके भी जनहित में अपना योगदान दे सकते हैं ।
आपसे सादर अनुरोध है कि कृपया ट्रस्ट द्वारा विगत 12 वर्षों से निरंतर किए जा रहे जनहित में समाज उत्थान और समाज कल्याण के कार्यों के दृष्टिगत, लाभार्थियों के हित में तथा ट्रस्ट को प्रभावशाली कार्य करने हेतु अपना बहुमूल्य सहयोग प्रदान करना चाहें |
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वेदों पर किये गये आक्षेपों का उत्तर
भूमिका सभी वेदानुरागी महानुभावो! जैसा कि आपको विदित है कि मैंने विगत श्रावणी पर्व वि० सं० २०८० तदनुसार ३० जुलाई २०२३ को सभी वेदविरोधियों का आह्वान किया था कि वे वेदादि शास्त्रों पर जो भी आक्षेप करना चाहें, खुलकर ३१ दिसम्बर २०२३ तक कर सकते हैं। हमने इस घोषणा का पर्याप्त प्रचार किया और करवाया भी था। इस पर हमें कुल १३४ पृष्ठ के आक्षेप प्राप्त हुए हैं। इन आक्षेपों को हमने अपने एक पत्र के साथ देश के शंकराचार्यों के अतिरिक्त पौराणिक जगत् में महामण्डलेश्वर श्री स्वामी गोविन्द गिरि, श्री स्वामी रामभद्राचार्य, श्री स्वामी चिदानन्द सरस्वती आदि कई विद्वानों को भेजा था। आर्यसमाज में सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा, परोपकारिणी सभा, वानप्रस्थ साधक आश्रम (रोजड़), दर्शन योग महाविद्यालय (रोजड़), गुरुकुल काँगड़ी हरिद्वार तथा सभी प्रसिद्ध आर्य विद्वानों को भेजकर निवेदन किया था कि ऋषि दयानन्द के २०० वें जन्मोत्सव फाल्गुन कृष्ण पक्ष दशमी वि० सं० २०८० तदनुसार ५ मार्च २०२४ तक जिन आक्षेपों का उत्तर दिया जा सकता है, लिखकर हमें भेजने का कष्ट करें। उस उत्तर को हम अपने स्तर से प्रकाशित और प्रचारित करेंगे।
यद्यपि मुझे ही सब प्रश्नों के उत्तर देने चाहिए, परन्तु मैंने विचार किया कि इन आक्षेपों का उत्तर देने का श्रेय मुझे ही क्यों मिले और वेदविरोधियों को यह भी न लगे कि आर्यसमाज में एक ही विद्वान् है। इसके साथ मैंने यह भी विचार किया कि मेरे उत्तर देने के पश्चात् कोई विद्वान् यह न कहे कि हमें उत्तर देने का अवसर नहीं मिला, यदि हमें अवसर मिलता, तो हम और भी अच्छा उत्तर देते। दुर्भाग्य की बात यह है कि निर्धारित समय के पूर्ण होने के पश्चात् तक कहीं से कोई भी उत्तर प्राप्त नहीं हुआ है। बड़े-बड़े शंकराचार्य, महामण्डलेश्वर, महापण्डित, गुरु परम्परा से पढ़े महावैयाकरण, दार्शनिक, राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय वैदिक प्रवक्ता, योगी एवं वेद विज्ञान अन्वेषक कोई भी एक प्रश्न का ��ी उत्तर नहीं दे पाये। तब यह तो निश्चित हो ही गया कि ये आक्षेप वा प्रश्न सामान्य नहीं हैं। आक्षेपकर्त्ताओं ने पौराणिक तथा आर्यसमाजी दोनों के ही भाष्यों को आधार बनाकर गम्भीर व घृणित आक्षेप किये हैं। उन्होंने गायत्री परिवार को भी अपना निशाना बनाया है, परन्तु सभी मौन बैठे हैं, लेकिन मैं मौन नहीं रह सकता। इस कारण इन आक्षेपों का धीरे-धीरे क्रमश: उत्तर देना प्रारम्भ कर रहा हूँ। मैं जो उत्तर दूँगा उसको कोई भी वैदिक विद्वान्, जो आज मौन बैठे हैं, गलत कहने के अधिकारी नहीं रह पायेंगे, न मेरे उत्तर और वेदमन्त्रों के भाष्यों पर नुक्ताचीनी करने के अधिकारी रहेंगे। आज धर्म और अधर्म का युद्ध हो रहा है, उसका मूक दर्शक सच्चा वेदभक्त नहीं कहला सकता। मैंने चुनौती स्वीकारी तो है, उनकी भाँति मौन तो नहीं बैठा। वेद पर किये गये आक्षेपों पर मौन रहना भी उन आक्षेपों का मौन समर्थन करना ही है। यद्यपि मैं बहुत व्यस्त हूँ, पुनरपि धीरे-धीरे एक-एक प्रश्न का उत्तर देता रहूँगा। मैं सभी उत्तरदायी महानुभावों से दिनकर जी के शब्दों में यह अवश्य कहना चाहूँगा—
जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध। मनुष्य इस संसार का सबसे विचारशील प्राणी है। इसी प्रकार इस ब्रह्माण्ड में जहाँ भी कोई विचारशील प्राणी रहते हैं, वे भी सभी मनुष्य ही कहे जायेंगे। यूँ तो ज्ञान प्रत्येक जीवधारी का एक प्रमुख लक्षण है। ज्ञान से ही किसी की चेतना का प्रकाशन होता है, सूक्ष्म जीवाणुओं से लेकर हम मनुष्यों तक सभी प्राणी जीवनयापन के क्रियाकलापों में भी अपने ज्ञान और विचार का प्रयोग करते ही हैं। जीवन-मरण, भूख-प्यास, गमनागमन, सन्तति-जनन, भय, निद्रा और जागरण आदि सबके पीछे भी ज्ञान और विचार का सहयोग रहता ही है, तब महर्षि यास्क ने ‘मत्वा कर्माणि सीव्यतीति मनुष्य:’ कहकर मनुष्य को परिभाषित क्यों किया? इसके लिए ऋषि दयानन्द द्वारा प्रस्तुत आर्यसमाज के पाँचवें नियम ‘सब काम धर्मानुसार अर्थात् सत्य और असत्य को विचार करके करने चाहिए’ पर विचार करना आवश्यक है। विचार करना और सत्य-असत्य पर विचार करना इन दोनों में बहुत भेद है, जो हमें पशु-पक्षियों और कीट-पतंगों से पृथक् करता है। विचार वे भी करते हैं, परन्तु उनका विचार केवल जीवनयापन की क्रियाओं तक सीमित रहता है।
इधर सत्य और असत्य पर विचार जीवनयापन करने की सीमा से बाहर भी ले जाकर परोपकार में प्रवृत्त करके मोक्ष तक की यात्रा करा सकता है। यह एक आश्चर्यजनक तथ्य है कि जीवनयापन के विचार तक सीमित रहने वाले प्राणी जन्म से ही आवश्यक स्वाभाविक ज्ञान प्राप्त किये हुए होते हैं, परन्तु मनुष्य जैसा सर्वाधिक बुद्धिमान् प्राणी पशु-पक्षियोंं की अपेक्षा न्यूनतर ज्ञान लेकर जन्म लेता है। वह अपने परिवेश और समाज से सीखता है। इस कारण केवल मनुष्य के लिए ही समाज तथा शिक्षण-संस्थानों की आवश्यकता होती है। इनके अभाव में मनुष्य पशु-पक्षियों को देखकर उन जैसा ही बन जाता है। हाँ, उनकी भाँति उड़ने जैसी क्रियाएँ नहींं कर सकता। समाज और शिक्षा के अभाव में वह मानवीय भाषा और ज्ञान दोनों ही दृष्टि से पूर्णत: वंचित रह जाता है। यदि उसे पशु-पक्षियों को भी न देखने दिया जाये, तब उसके आहार-विहार में भी कठिनाई आ सकती है। इसके विपरीत करोड़ों वर्षों से हमारे साथ रह रहे गाय-भैंस, घोड़ा आदि प्राणी हमारा एक भी व्यवहार नहीं सीख पाते। हाँ, वे अपने स्वामी की भाषा और संकेतों को कुछ समझकर तदनुकूल खान-पान आदि व्यवहार अवश्य कर लेते हैं। इस कारण कुछ पशु यत्किंचित् प्रशिक्षित भी किये जा सकते हैं, परन्तु मनुष्य की भाँति उन्हें शिक्षित, सु��ंस्कृत, सभ्य एवं विद्वान् नहीं बनाया जा सकता। यही हममें और उनमें अन्तर है। अब प्रश्न यह उठता है कि जो मनुष्य जन्म लेते समय पशु-पक्षियों की अपेक्षा मूर्ख होता है, जीवनयापन में भी सक्षम नहीं होता, वह सबसे अधिक विद्वान्, सभ्य व सुशिक्षित कैसे हो जाता है?
जब मनुष्य की प्रथम पीढ़ी इस पृथिवी पर जन्मी होगी, तब उसने अपने चारों ओर पशु-पक्षियों और कीट-पतंगों को ही देखा होगा, तब यदि वह पीढ़ी उनसे कुछ सीखती, तो उन्हीं के जैसा व्यवहार करती और उनकी सन्तान भी उनसे वैसे ही व्यवहार सीखती। आज तक भी हम पशुओं जैसे ही रहते, परन्तु ऐसा नहीं हुआ। हमने विज्ञान की ऊँचाइयों को भी छूआ। वैदिक काल में हमारे पूर्वज नाना लोक-लोकान्तरोंं की यात्रा भी करते थे। कला, संगीत, साहित्य आदि के क्षेत्र में भी मनुष्य का चरमोत्कर्ष हुुआ, परन्तु पशु-पक्षी अपनी उछल-कूद से आगे बढ़कर कुछ भी नहीं सीख पाए। मनुष्य को ऐसा अवसर कैसे प्राप्त हो गया? उसने किसकी संगति से यह सब सीखा? इसके विषय में कोई भी नास्तिक कुछ भी विचार नहीं करता। वह इसके लिए विकासवाद की कल्पनाओं का आश्रय लेता देखा जाता है। यदि विकास से ही सब कुछ सम्भव हो जाता, तब तो पशु-पक्षी भी अब तक वैज्ञानिक बन गये होते, क्योंकि उनका जन्म तो हमसे भी पूर्व में हुआ था। इस कारण उनको विकसित होने के लिए हमारी अपेक्षा अधिक समय ही मिला है। इसके साथ ही यदि विकास से ही सब कुछ स्वत: सिद्ध हो जाता, तो मनुष्य के लिए भी किसी प्रकार के विद्यालय और समाज की आवश्यकता नहीं होती, परन्तु ऐसा नहीं है। नास्तिकों को इस बात पर गम्भीरता से विचार करना चाहिए कि मनुष्य में भाषा और ज्ञान का विकास कहाँ से हुआ?
इस विषय में विस्तार से जानने के लिए मेरा ग्रन्थ ‘वैदिक रश्मि-विज्ञानम्’ अवश्य पठनीय है, जिससे यह सिद्ध होता है कि प्रथम पीढ़ी के चार सर्वाधिक समर्थ ऋषि अग्नि, वायु, आदित्य एवं अंगिरा ने ब्रह्माण्ड से उन ध्वनियों को अपने आत्मा और अन्त:करण से सुना, जो ब्रह्माण्ड में परा और पश्यन्ती रूप में विद्यमान थीं। उन ध्वनियों को ही वेदमन्त्र कहा गया। उन वेदमन्त्रों का अर्थ बताने वाला ईश्वर के अतिरिक्त और कोई भी नहीं था। दूसरे मनुष्य तो इन ध्वनियों को ब्रह्माण्ड से ग्रहण करने में भी समर्थ नहींं थे, भले ही उनका प्रातिभ ज्ञान एवं ऋतम्भरा ऋषि स्तर की थी। सृष्टि के आदि में सभी मनुष्य ऋषि कोटि के ब्राह्मण वर्ण के ही थे, अन्य कोई वर्ण भूमण्डल में नहीं था। उन चार ऋषियों को समाधि अवस्था में ईश्वर ने ही उन मन्त्रों के अर्थ का ज्ञान दिया। उन चारों ने मिलकर महर्षि ब्रह्मा को चारों वेदों का ज्ञान दिया और महर्षि ब्रह्मा से फिर ज्ञान की परम्परा सभी मनुष्यों तक पहुँचती चली गई। इस प्रकार ब्रह्माण्ड की इन ध्वनियों से ही मनुष्य ने भाषा और ज्ञान दोनों ही सीखे। इस कारण मनुष्य नामक प्राणी सभी प्राणियों में सर्वश्रेष���ठ बन गया।
ध्यातव्य है कि प्रथम पीढ़ी में जन्मे सभी मनुष्य मोक्ष से पुनरावृत्त होकर आते हैं। इसी कारण ये सभी ऋषि कोटि के ही होते हैं। ज्ञान की परम्परा किस प्रकार आगे बढ़ती गयी और मनुष्य की ऋतम्भरा कैसे धीरे-धीरे क्षीण होती गयी और मनुष्यों को वेदार्थ समझाने के लिए कैसे-कैसे ग्रन्थों की रचना आवश्यक होती चली गई और कैसा-कैसा साहित्य रचा गया, इसकी जानकारी के लिए मेरा ‘वेदार्थ-विज्ञानम्’ ग्रन्थ पठनीय है। वेद को वेद से समझने की प्रज्ञा मनुष्य में जब समाप्त वा न्यून हो जाती है, तभी उसके लिए किसी अन्य ग्रन्थ की आवश्यकता होती है। धीरे-धीरे वेदार्थ में सहायक आर्ष ग्रन्थ भी मनुष्य के लिए दुरूह हो गये और आज तो स्थिति यह है कि वेद एवं आर्ष ग्रन्थों के प्रवक्ता भी इनके यथार्थ से अति दूर चले गये हैं। इस कारण वेद तो क्या, आर्ष ग्रन्थ भी कथित बुद्धिमान् मानव के लिए अबूझ पहेली बन गये हैं। इस स्थिति से उबारने के लिए ऋषि दयानन्द सरस्वती और उनके महान् गुरु प्रज्ञाचक्षु स्वामी विरजानन्द सरस्वती ने बहुत प्रयत्न किया, परन्तु समयाभाव आदि परिस्थितियों के कारण ऋषि दयानन्द के वेदभाष्य एवं अन्य ग्रन्थ वेद के रहस्यों को खोलने के लिए संकेतमात्र ही रह गये। वे वेद के यथार्थ को जानने के लिए सुमार्ग पर चलने वाले पथिक के रेत में बने हुुए पदचिह्न के समान थे। गन्तव्य की ओर गये हुए पदचिह्न किसी भी भ्रान्त पथिक के लिए महत्त्वपूर्ण सहायक होते हैं।
दुर्भाग्य से ऋषि दयानन्द के अनुयायियों ने ऋषि के बनाये हुए कुछ पदचिह्नों को ही गन्तव्य समझ लिया और वेदार्थ को समझने के लिए उन्होंने कोई ठोस प्रयत्न नहीं किया। उनका यह कर्म महापुरुषों की प्रतिमाओं को ही परमात्मा मानने की भूल करने जैसा ही था। इसका परिणाम यह हुआ कि ऋषि दयानन्द के अनुयायी विद्वान् भी वेदादि शास्त्रों के भाष्य करने में आचार्य सायण आदि के सरल प्रतीत होने वाले परन्तु वास्तव में भ्रान्त पथ के पथिक बन गये। इसी कारण पौराणिक (कथित सनातनी) भाष्यकारों की भाँति आर्य विद्वानों के भाष्यों में भी अश्लीलता, पशुबलि, मांसाहार, नरबलि, छुआछूत आदि पाप विद्यमान हैं। यद्यपि उन्होंने शास्त्रों को इन पापों से मुक्त करने का पूर्ण प्रयास किया, परन्तु वे इसमें पूर्णत: सफल नहीं हो सके। इसी कारण इनके भाष्यों में सायण आदि आचार्यों के भाष्यों की अपेक्षा ये दोष कम मात्रा में विद्यमान हैं, परन्तु वेद और ऋषियों के ग्रन्थों में एक भी दोष का विद्यमान होना वेद के अपौरुषेयत्व और ऋषियों के ऋषित्व पर प्रश्नचिह्न खड़ा करने के लिए पर्याप्त होता है। इसलिए ऋषि दयानन्द के भाष्य के अतिरिक्त सभी भाष्य दोषपूर्ण और मिथ्या हैं। हाँ, ऋषि दयानन्द के भाष्य भी सांकेतिक पदचिह्न मात्र होने के कारण सात्त्विक व तर्कसंगत व्याख्या की अपेक्षा रखते हैं।
इसके लिए सब मनुष्यों को यह अति उचित है कि वे वेद के रहस्य को सम��ने के लिए ‘वैदिक रश्मि-विज्ञानम्’ ग्रन्थ का गहन अध्ययन करें। जो विद्वान् वेद और ऋषियों की प्रज्ञा की गहराइयों में और अधिक उतरना चाहते हैं, उन्हें ‘वेदविज्ञान-आलोक’ और ‘वेदार्थ-विज्ञानम्’ ग्रन्थ पढ़ने चाहिए। जो आधुनिक शिक्षा प्राप्त कर रहे शिक्षक वा विद्यार्थी वेद का सामान्य परिचय चाहते हैं, उन्हें ऋषि दयानन्द कृत ‘सत्यार्थ-प्रकाश’ एवं ‘ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका’ और प्रिय विशाल आर्य कृत ‘परिचय वैदिक भौतिकी’ ग्रन्थ पढ़ने चाहिए। अब हम क्रमश: वेदादि शास्त्रों पर किये गये आक्षेपों का समाधान प्रस्तुत करेंगे—
क्रमशः... ✍ आचार्य अग्निव्रत नैष्ठिक
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उत्तर प्रदेश: बहराइच में 70 लाख रुपये कीमत की चरस जब्त की गई, नेपाली महिला गिरफ्तार
बहराइच जिले के रुपईडीहा में भारत-नेपाल सीमा के पास पुलिस और सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) के संयुक्त दल ने 70 लाख रुपये कीमत की 364 ग्राम चरस जब्त की और तस्करी के आरोप में एक नेपाली महिला को गिरफ्तार किया। एक अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी। सशस्त्र सीमा बल 42वीं वाहिनी के कार्यवाहक सेनानायक राज रंजन ने बताया कि खुफिया सूचना पर एसएसबी और उत्तर प्रदेश पुलिस के एक संयुक्त दल ने मंगलवार को रुपईडीहा…
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Regional Marathi Text Bulletin, Chhatrapati Sambhajinagar Date 18 December 2024 Time 11.00 to 11.05 AM Language Marathi आकाशवाणी छत्रपती संभाजीनगर प्रादेशिक बातम्या दिनांक: १८ डिसेंबर २०२४ सकाळी ११.०० वाजता.
विधानपरिषदेच्या अध्यक्षपदासाठी उद्या निवडणूक होणार असून, महायुतीने प्राध्यापक राम शिंदे यांना उमेदवारी दिली आहे. ते आज उमेदवारी अर्ज दाखल करणार आहेत.
माजी मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे यांनी काल नागपुरात विधान भवनात मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांची भेट घेतली आणि महायुतीच्या विजयाबद्दल अभिनंदन केलं. सत्ताधारी आणि विरोधकांमध्ये संवादाची या राज्याला दीर्घ परंपरा आहे. त्यांच्या नेतृत्त्वाखाली राज्याची आणखी प्रगती होईल, अशा शुभेच्छा दिल्याचं उद्धव ठाकरे यांनी या भेटीनंतर वार्ताहरांना सांगितलं. त्यानंतर ठाकरे यांनी विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर यांची भेट घेतली आणि अध्यक्षपदी निवड झाल्याबद्दल शुभेच्छा दिल्या.
दहाव्या क्रमांकाची अर्थव्यवस्था ते आज पाचव्या स्थानापर्यंतचा भारताचा प्रवास जागतिक आणि देशांतर्गत आव्हानांच्या टप्प्यात अविश्वसनीयपणे वेगवान वाढीचा आहे, असं मत नीती आयोगाचे उपाध्यक्ष सुमन के. बेरी यांनी व्यक्त केलं आहे. ते काल मुंबईत पत्रकार परिषदेत बोलत होते. नीती आयोग, कॅलिफोर्निया विद्यापीठ, बर्कले आणि इंदिरा गांधी इन्स्टिट्यूट ऑफ डेव्हलपमेंट रिसर्च यांच्या संयुक्त विद्यमाने दोन दिवसीय ‘भारताच्या बहुविध संक्रमणांवर आंतरराष्ट्रीय कार्यशाळेच्या अनुषंगाने ते बोलत होते. सर्वात उत्तम अर्थव्यवस्था आपल्याला व्हायची असेल तर गुंतवणूक वाढली पाहिजे, या संदर्भात या कार्यशाळेत चर्चा झाल्याचं त्यांनी सांगितलं. वातावरणातील बदल आणि नागरिकीकरण ही महत्वाची आव्हानं असताना आमची भूमिका ही पुढचे दहा वर्ष कसे असतील ही असल्याचं बेरी यांनी नमूद केलं.
लोकसभेत काल ८७ हजार ७६२ कोटी रुपयांच्या पुरवणी मागण्या मंजूर झाल्या. भारत हा जगात सर्वाधिक वृद्धी दर नोंदवणारा देश आहे. गेले तीन वर्ष देशाचा वृद्धीदर सरासरी ८ पूर्णांक ३ दशांश टक्के होता, असं केंद्रीय अर्थमंत्री निर्मला सीतारामन यांनी या संदर्भातल्या चर्चेला उत्तर देताना सांगितलं. केंद्र सरकारनं ११ लाख कोटी रुपयांहून अधिक खर्च पायाभूत सुविधांवर करायचा ठरवला आहे. त्यामुळे येत्या काही वर्षात अर्थव्यवस्था आणखी मजबूत होईल, असं त्या म्हणाल्या. संयुक्त पुरोगामी आघाडीच्या सरकारच्या तुलनेत राष्ट्रीय लोकशाही आघाडी सरकारच्या काळात किरकोळ, खाद्य आणि इंधन महागाई मोठ्या प्रमाणात कमी झाल्याचं सीतारामन यांनी सांगितलं.
करदात्यांना अधिक सेवा देण्याच्या उद्देशानं चार नव्या उपक्रमांची घोषणा केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर आणि सीमा शुल्क मंडळाचे अध्यक्ष संजय कुमार अगरवाल यांनी केली. या चार उपक्रमांमध्ये नागरिकांची सनद, संपूर्ण करसंबंधित माहितीसाठी सुविधा केंद्र, सूचना करण्यासाठी व्यवसाय सुलभता टॅब आणि कर भांडारासाठी सी बी आय सी संग्रह यांचा समावेश आहे. यामुळे करसेवेमध्ये पारदर्शकता आणि विश्वास वाढीस लागेल. करदात्यांना सक्षम बनवून आणि त्यांच्या सूचनांचा समावेश करून, एक सुलभ प्रणाली तयार केली जाईल, अशी माहितीही त्यांनी दिली.
नागपूरमधल्या मेट्रो रेल्वे प्रकल्पाच्या दुसऱ्या टप्प्याला चालना देण्यासाठी आशियाई विकास बँकेकडून एक हजार ५४७ कोटी रुपयांचं अर्थसहाय्य मिळणार आहे. विधानभवनातल्या मंत्रिमंडळ सभागृहात काल मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांच्या उपस्थितीत सामंजस्य करार करण्यात आला. या प्रकल्पामुळे नागपूर शहरासह परिसराच्या विकासाला आणखी गती मिळेल, असं फडणवीस यांनी सांगितलं. नागपूर मेट्रो प्रकल्पाच्या दुसऱ्या टप्प्यासाठी आशियाई विकास बँक आणि यूरोपीयन इन्वेस्टमेंट बँक यांच्याकडून एकूण तीन हजार ५८६ कोटी रुपयांचा वित्तपुरवठा करण्यात येणार आहे.
धुळे जिल्ह्यातल्या पळासनेर जंगलात पैशांचा पाऊस पाडण्याच्या वादातून गोळीबार करण्यात आला. याप्रकरणी धुळे पोलिस दलाच्या स्थानिक गुन्हे अन्वेषण शाखा आणि शिरपूर तालुका पोलिसांनी मध्यप्रदेशमधल्या खंडवामधून चौघांना अटक केली आहे. जादूटोणा कायदा कलमान्वये तक्रारदारासह दोघांविरुद्ध गुन्हा दाखल करण्यात आला आहे.
सिंधुदुर्ग जिल्ह्यातल्या कुडाळ तालुक्यात येत्या २१ ते २७ डिसेंबर दरम्यान बंधारे मोहीम आयोजित करण्यात आली आहे. प्रत्येक ग्रामपंचायत क्षेत्रात बंधारे बांधण्यासाठी अंगणवाड्या, युवक क्रीडा मंडळ, बचतगट, स्वयंसेवी संस्था, विविध कर्मचारी संघटना आणि ग्रामस्थांना सहभागी करुन घेतलं जाणार आहे. गेली सहा वर्ष कुडाळ पंचायत समिती कोणत्याही शासकीय निधीशिवाय केवळ लोकसहभागातून बंधारे मोहीम राबवत आहे.
ग्रामीण भागातल्या नागरिकांना दरडोई ५५ लिटर शुद्ध पिण्याचं पाणी मिळावं, या उद्देशानं राज्य शासनानं जलजीवन मिशन योजना सुरू केली आहे. या अंतर्गत सातारा जिल्ह्यात एक हजार १०० कामं मंजूर असून, ही कामं पुढच्या वर्षाच्या मार्च महिन्यापर्यंत पूर्ण करावीत, असे निर्देश जिल्हाधिकारी जितेंद्र डुडी यांनी दिले आहेत.
राज्यात सध्या थंडीचा प्रचंड कडाका जाणवत असून, मध्य महाराष्ट्रात काही ठिकाणी तर कोकण आणि विदर्भात तुरळक ठिकाणी किमान तापमानात लक्षणीय घट झाली आहे. आज राज्यात सर्वत्र हवामान कोरडं राहील, असा हवामान विभागाचा अंदाज आहे.
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📝 UPPSC Combined State Engineering Services Exam 2024: ऑनलाइन आवेदन करें, 604 पदों पर भर्ती! 🚀
📝 Introduction: यूपीपीएससी इंजीनियर भर्ती 2024 के लिए सुनहरा मौका! उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) ने Combined State Engineering Services Examination 2024 के अंतर्गत 604 सहायक अभियंता (Assistant Engineer) के पदों पर भर्ती का नोटिफिकेशन जारी किया है। इच्छुक उम्मीदवार 17 दिसंबर 2024 से 17 जनवरी 2025 के बीच ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। पूरी जानकारी जैसे पात्रता, आवेदन प्रक्रिया, आयु सीमा, और फीस की…
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आगरा मेट्रो परियोजना: दिल्ली हाईवे पर बैरिकेडिंग से यातायात व्यवस्था में बदलाव
आगरा मेट्रो परियोजना के पह���े कॉरिडोर के अंतिम तीन स्टेशन - आईएसबीटी, गुरु का ताल और सिकंदरा - पर निर्माण कार्य तेज़ी से प्रगति कर रहा है। इस कॉरिडोर के अंतर्गत, जनवरी 2025 से दिल्ली-आगरा हाईवे पर एलिवेटेड ट्रैक के निर्माण के लिए बैरिकेडिंग शुरू की जाएगी। इस प्रक्रिया के तहत हाईवे की छह लेन में से दो लेन अस्थायी रूप से यातायात के लिए बंद कर दी जाएंगी, जिससे यातायात व्यवस्था में बदलाव की संभावना है। बैरिकेडिंग और यातायात प्रबंधन उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (यूपीएमआरसी) के उप महाप्रबंधक पंचानन मिश्रा ने जानकारी दी कि हाईवे पर आठ मीटर चौड़ाई में बैरिकेडिंग की जाएगी। यह बैरिकेडिंग आईएसबीटी से शुरू होकर सिकंदरा तक जाएगी, जहां ट्रैक हाईवे के मध्य में स्थापित किया जाएगा। शेष चार लेन यातायात के लिए चालू रहेंगी। यातायात व्यवस्था को सुचारू बनाए रखने के लिए यूपीएमआरसी ने गार्ड और पुलिसकर्मियों की तैनाती की योजना बनाई है। नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI), पुलिस-प्रशासन, और मेट्रो अधिकारियों ने इस कार्य के लिए सर्वेक्षण भी पूरा कर लिया है। स्टेशनों का निर्माण कार्य पहले कॉरिडोर के अंतर्गत आईएसबीटी, गुरु का ताल और सिकंदरा तीनों स्टेशन एलिवेटेड होंगे। आईएसबीटी स्टेशन वर्तमान में सर्विस रोड पर बन रहा है। यहां पिलर निर्माण कार्य जारी है, जो जनवरी तक पूरा होने की संभावना है। इसके बाद, गुरु का ताल और सिकंदरा स्टेशनों पर कार्य आरंभ होगा। यूपीएमआरसी के अनुसार, आईएसबीटी स्टेशन से मेट्रो का ट्रैक हाईवे के बीच में आएगा और सिकंदरा तक जाएगा। इस हिस्से में यातायात को निर्देशित करने के लिए डिवाइडर के दोनों ओर चार-चार मीटर सड़क को बैरिकेडिंग के दायरे में लिया जाएगा। आगरा मेट्रो का पहला कॉरिडोर आगरा मेट्रो के पहले कॉरिडोर में ताज पूर्वी गेट से सिकंदरा स्मारक तक मेट्रो परिचालन का लक्ष्य रखा गया है। इस कॉरिडोर में आरबीएस और राजामंडी भूमिगत स्टेशनों का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। जनवरी से नए चरण की शुरुआत जनवरी 2024 से हाईवे के मध्य बैरिकेडिंग का कार्य शुरू होगा। अधिकारियों का कहना है कि बैरिकेडिंग के बाद ट्रैक निर्माण कार्य तेजी से आगे बढ़ेगा। यूपीएमआरसी ने इस कार्य को समय पर पूरा करने के लिए अपनी टीम और उपकरणों को तैनात कर दिया है। परियोजना का महत्त्व आगरा मेट्रो परियोजना शहर के यातायात को सुगम बनाने और पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। मेट्रो के पहले कॉरिडोर के शुरू होने से ताजमहल, आगरा किला, और अन्य प्रमुख स्थलों तक पहुंचना आसान होगा। इसके अलावा, इस परियोजना से स्थानीय निवासियों को भी लाभ मिलेगा, जो अब ट्रैफिक जाम और प्रदूषण से राहत की उम्मीद कर सकते हैं। चुनौतियां और समाधान यूपीएमआरसी ने इस परियोजना के दौरान आने वाली संभावित चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए योजनाएं बनाई हैं। हाईवे की दो लेन बंद होने से यातायात दबाव बढ़ सकता है, लेकिन यातायात पुलिस और मेट्रो अधिकारियों की सक्रियता से इस समस्या को कम करने का प्रयास किया जाएगा। इसके अलावा, बैरिकेडिंग और निर्माण कार्य के दौरान सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई है। यात्रियों को किसी प्रकार की असुविधा से बचाने के लिए संकेतक, वैकल्पिक मार्ग, और गार्ड तैनात किए जाएंगे। समाप्ति की समय-सीमा आगरा मेट्रो का पहला कॉरिडोर 2025 तक पूरी तरह से चालू होने की संभावना है। यूपीएमआरसी का लक्ष्य है कि निर्माण कार्य समय से पूरा हो और मेट्रो सेवाएं जनता के लिए जल्द से जल्द शुरू की जा सकें। आगरा मेट्रो परियोजना न केवल शहर की तस्वीर बदलने की ओर अग्रसर है, बल्कि यह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पर्यटन के लिए आगरा को एक नई पहचान दिलाने में भी सहायक साबित होगी। Read the full article
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सर्वे रिपोर्ट की समय सीमा आज समाप्त हो रही है
उत्तर प्रदेश के संभल में शाही मस्जिद पर सर्वेक्षण रिपोर्ट जमा करने के लिए ट्रायल कोर्ट द्वारा दी गई समय सीमा 9 दिसंबर को समाप्त हो रही है। संभल मस्जिद विवाद: सर्वेक्षण रिपोर्ट की समय सीमा आज समाप्त हो रही है संभल: जिला ट्रायल कोर्ट द्वारा पूरा करने के लिए 10 दिनों की समय सीमा दी गई थी उत्तर प्रदेश के संभल में विवादित शाही मस्जिद पर एडवोकेट कमिश्नर का सर्वे और रिपोर्ट सौंपने का काम सोमवार, 9…
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पुलिस ने संभल नहीं पहुंचने दिया राहुल गांधी और प्रियंगई गांधी का काफिला, विवश होकर वापस लौटे दिल्ली
Uttar Pradesh News: कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी बुधवार सुबह हिंसा प्रभावित उत्तर प्रदेश के संभल जाने के लिए निकले, लेकिन उन्हें जाने नहीं दिया गया। उनके काफिले को दिल्ली-यूपी सीमा पर पुलिस ने रोक दिया। पुलिस ने कांग्रेस नेताओं से साफ कह दिया है कि संभल जाने की अनुमति नहीं है। सीमा बंद किए जाने के चलते सैकड़ों आम लोगों को परेशानी हुई है। संभल जाने से रोके जाने पर राहुल गांधी,…
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10 Temples in India that Restrict Entry for Women
Introduction
10 Temples in India Where Women Are Not Allowed: कहते हैं भगवान के घर में सब लोग बराबर हैं, लेकिन भारत में कई ऐसे मंदिर भी मौजूद हैं, जहां एंट्री को लेक�� लिंग भेद किया जाता है. हालांकि, देश के संविधान में हर एक इंसान को मंदिरों में समान रूप से प्रवेश की इजाजत है. इसके बावजूद भारत में कुछ ऐसे मंदिर भी हैं जहां पीरियड्स के दौरान महिला का मंदिर के अंदर प्रवेश वर्जित है. इसके अलावा कुछ मंदिरों में तो पीरियड्स के उम्र की महिलाओं को मंदिर के अंदर जाने से रोक दिया जाता है. ऐसे में आज हम आपको देश के उन मंदिरों के बारे में बताएंगे, जहां औरतों का जाना बिल्कुल मना है. आपको बता दें कि केरल का फेमस सबरीमाला मंदिर भी इस लिस्ट में आता है, जहां महिला क���वल बाहर से ही मंदिर के दर्शन कर सकती हैं, लेकिन गर्भगृह तक नहीं जा सकतीं. आइए जानते हैं भारत में ऐसे और कौन-कौन से मंदिर हैं.
Table of Content
पद्मनाभस्वामी मंदिर, केरल
जैन मंदिर, मध्य प्रदेश
कार्तिकेय मंदिर, पुष्कर
बाबा बालक नाथ मंदिर, हिमाचल प्रदेश
सबरीमाला मंदिर, केरल
माता मावली मंदिर, छत्तीसगढ़
शनि शिंगणापुर मंदिर, महाराष्ट्र
रणकपुर जैन मंदिर, राजस्थान
मंगल चांडी मंदिर, झारखंड
ध्रूम ऋषि मंदिर, उत्तर प्रदेश
पद्मनाभस्वामी मंदिर, केरल
केरल का श्री पद्मनाथ स्वामी श्री हरि विष्णु को समर्पित है. यह भारत के सबसे अमीर मंदिरों में से एक माना जाता है जो केरल राज्य की राजधानी तिरुवनंतपुरम के पूर्वी किले के अंदर स्थित है. इस मंदिर को ‘दिव्य देसम’ भी कहा जाता है जो भगवान विष्णु के 108 पवित्र मंदिरों में से एक है. दिव्य देसम श्री हरि का सबसे पवित्र निवास स्थान है जिसका वर्णन तमिल संतों द्वारा लिखे गए पांडुलिपियों में मिलता है.
यहां देश के कोने-कोने से भक्तजन और श्रद्धालुजन दर्शन के लिए आते हैं. मान��यता के अनुसार, भगवान विष्णु की प्रतिमा इसी स्थान पर सबसे पहले मिली थी. यहां महिलाएं श्री हरि विष्णु का पूजन तो करती हैं, मगर उन्हें मंदिर के गर्भगृह के अंदर जाने की मनाही है. इसके अलावा बाहर से भी महिलाओं को दर्शन करने के लिए ड्रेस कोड को फॉलो करना पड़ता है. हालांकि, यहां दर्शन के लिए पुरुषों के लिए ड्रेस कोड है.
इस मंदिर का पुनर्निर्माण त्रावणकोर के प्रसिद्ध राजा मार्तंड वर्मा ने करवाया था. जानकारी के लिए बता दें कि केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम नाम भी श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के प्रमुख देवता के नाम पर रखा गया है, जिन्हें अनंत भी कहते हैं. ‘तिरुवनंतपुरम’ का शाब्दिक अर्थ है – श्री अनंत पद्मनाभस्वामी की भूमि.
जैन मंदिर, मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश का जैन मंदिर भी उस लिस्ट में शामिल है जहां महिलाओं को आसानी से प्रवेश की अनुमति नहीं मिलती. खासत��र से जिन महिलाओं ने वेस्टर्न कपड़े पहने हों, वह मंदिर के अंदर नहीं जा सकती. यह मंदिर मध्य प्रदेश के गुना में स्थित है. इतना ही नहीं इस मंदिर में उन महिलाओं को भी एंट्री नहीं मिलती जिन्होंने मेकअप किया हो. जैन मंदिर भगवान शांतिनाथ को समर्पित है जो यहां के प्रमुख देवता हैं. इस मंदिर का मूल नाम श्री शांतिनाथ दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र है. जैन मंदिर का निर्माण 1236 में हुआ था. लाल पत्थर से बनीं कई जैन तीर्थंकर की प्रतिमाएं मंदिर में मौजूद हैं.
कार्तिकेय मंदिर, पुष्कर
भगवान कार्तिकेय के ब्रह्मचारी रूप को समर्पित कार्तिकेय मंदिर राजस्थान के पुष्कर में स्थित है. यहां भगवान के ब्रह्मचारी स्वरूप का पूजन किया जाता है. मान्यता के अनुसार, भगवान कार्तिकेय के ब्रह्मचारी होने की वजह से मंदिर में महिलाओं का प्रवेश वर्जित है. अगर कोई महिला इस मंदिर में दर्शन करने आती है तो उसे श्राप मिलता है. यही वजह है कि औरतें इस मंदिर में जाने से खुद को बचाती हैं.
बाबा बालक नाथ मंदिर, हिमाचल प्रदेश
हिमाचल प्रदेश का बाबा बालक नाथ मंदिर ‘देवसिद्ध’ के नाम से भी जाना जाता है. मंदिर के मुख्य देवता सिद्ध बाबा बालक नाथ एक हिंदू देवता हैं. उनकी पूजा प्रमुख तौर पर पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में की जाती है. यह मंदिर भारत के हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर और बिलासपुर जिलों की सीमा पर ‘हमीरपुर’ से दूर स्थित है. बाबा बालक नाथ मंदिर हमीरपुर जिले के चकमोह गांव में एक पहाड़ी की चोटी पर प्राकृतिक गुफा में स्थित हैं. इस गुफा में बाबा बालक नाथ की मूर्ति स्थापित है.
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वैसे तो इस तीर्थस्थान पर पूरे साल कभी भी दर्शन करने के लिए जाया जा सकता है, लेकिन सनडे का दिन बाबा जी का पवित्र दिन माना जाता है. हालांकि कुछ समय पहले तक हमीरपुर में स्थित बाबा बालक नाथ मंदिर में महिलाओं का एंट्री लेना मना था, लेकिन अब ऐसा नहीं है. आज भी यहां महिलाएं बाबा की गुफा के बाहर से ही दर्शन कर सकती हैं.
सबरीमाला मंदिर, केरल
दक्षिण भारत के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है सबरीमाला मंदिर. भगवान अयप्पा को समर्पित यह मंदिर केरल के पथानामथिट्टा जिले में पेरियार टाइगर रिजर्व के अंदर स्थित है. पौराणिक कथाओं की माने तो भगवान अयप्पा श्री हरि विष्णु और भगवान शिव के स्त्री अवतार मोहिनी द्वारा जन्म दिए गए पुत्र हैं. बता दें कि भगवान अयप्पा भगवान धर्म शास्त्र के अवतार माने गए हैं. यह मंदिर एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है जो समुद्र तल से लगभग 3000 फीट ऊपर है. यह मंदिर कुछ खास मौसमों और दिनों के दौरान ही भक्तों के लिए खुला रहता है. इस मंदिर में जाने के लिए ��ई प्रतिबंध और अनुष्ठान का पालन करना पड़ता है.
दरअसल, मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तों को 18 पवित्र सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं, जिन्हें थिनेट्टू त्रिपदीकल भी कहा जाता है. बता दें कि सबरीमाला मंदिर में महिलाओं का प्रवेश करना वर्जित है. इस मंदिर में 10 वर्ष की बच्ची से लेकर 50 वर्ष तक की महिला एंट्री नहीं ले सकती. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर में प्रवेश की अनुमति दे दी है. सबरीमाला मंदिर के कपाट साल में केवल दो बार खुलते हैं एक 14 जनवरी और दूसरा 15 नवंबर को.
माता मावली मंदिर, छत्तीसगढ़
माता मावली का मंदिर भारत में ही नहीं, बल्कि इसे विदेश में भी खूब जाना-पहचाना जाता है. यह मंदिर छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले में भाटापारा के तहसील में एक गांव में स्थित है. माता मावली मंदिर छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 75 किलोमीटर से दूर मौजूद है. ऐसा माना जाता है कि यहां माता मावली त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश की इच्छा से प्रकट हुई थीं. बता दें कि यह मंदिर देश-विदेश में इतना फेमस होते हुए भी यहां महिलाओं का प्रवेश वर्जित है. आज भी सिर्फ पुरुष ही इस 400 साल पुराने मंदिर में दर्शन कर सकते हैं. मां आदि शक्ति के इस मंदिर में नवरात्रि के दौरान भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है.
शनि शिंगणापुर मंदिर, महाराष्ट्र
शनि शिंगणापुर मंदिर एक फेमस शनि मंदिर है. महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित यह मंदिर श्री शनेश्वर देवस्थान की कथाओं और अनगिनत भक्तों के बीच बेहद लोकप्रिय हैं. इस मंदिर के अविश्वसनीय चमत्कारों के बारे में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज है. महाराष्ट्र का जिला अहमदनगर संतों के निवास स्थान के तौर पर प्रसिद्ध है. अक्सर लोगों के मन में शनिदेव का खौफ देखा जाता है. आपको बता दें कि शनि शिंगणापुर मंदिर में महिलाओ का प्रवेश करना वर्जित है, लेकिन वह मंदिर का बाहर से दर्शन कर सकती हैं. हालांकि, इस दकियानुसी परंपरा को महिलाओं द्वारा तोड़ने की भी कोशिश की गई जिसके लिए उन्होंने रैली भी निकाली थी. बावजूद इसके महिलाएं मंदिर में आज भी प्रवेश करने से वंचित हैं.
रणकपुर जैन मंदिर, राजस्थान
जैन धर्म के पांच प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है रणकपुर जैन मंदिर. राजस्थान में स्थित यह मंदिर अपनी खूबसूरत नक्काशी के लिए मशहूर है. बता दें कि उदयपुर से 96 किलोमीटर की दूरी पर रणकपुर मंदिर मौजूद है. इस मदिर की इमारत बेहद विशाल और भव्य है जो लगभग 40,000 वर्ग फीट में फैली है. बता दें कि 15वीं शताब्दी में राणा कुंभा के शासनकाल में इ मंदिर का निर्माण हुआ था. जो करीब 50 साल तक बनकर तैयार हुआ. रणकपुर जैन मंदिर के निर्माण में लगभग 99 लाख रुपये खर्च हुए. इस तीर्थ स्थान का नाम राणा कुंभा के नाम पर ही रणकपुर रखा गया. यह मंदिर भारतीय स्थापत्य कला के एक शानदार नमूनों में से एक है. अगर ��प जैन धर्म में आस्था रखते हैं और वास्तुशिल्प में दिलचस्पी रखते हैं तो यह जगह आपको खूब पसंद आएगी.
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इस मंदिर की दिलचस्प बात यह है कि यहां महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध है. हालांकि यहां महिलाओं की एंट्री पूरी तरह से तो वर्जित नहीं है, लेकिन मासिक धर्म के दौरान महिलाओं के आने पर रोक है. इसके अलावा महिलाओं को वेस्टर्न कपड़े पहनकर मंदिर में प्रवेश नहीं दिया जाएगा.
मंगल चांडी मंदिर, झारखंड
मां मंगल चंडी मंदिर झा��खंड के फेमस मंदिरों में से एक है. यह मंदिर झारखंड के बोकारो जिला मुख्यालय से दूर कसमार प्रखंड के कुसमाटांड़ गांव में स्थित है. बता दें कि इस मंदिर में बच्चियों और महिलाओं का प्रवेश वर्जित है. मां मंगल चंडी मंदिर में महिलाएं और बच्चियां किसी भी पूजा या धार्मिक अनुष्ठान के दौरान एंट्री नहीं ले सकती हैं. महिलाएं मंदिर से लगभग 150-200 मीटर की दूरी बैठकर ही पूजा कर सकती हैं. वहीं से बैठकर ही मां मंगल चांडी की पूजा और आराधना कर सकती हैं. मंदिर के पुजारी के अनुसार, पिछले करीब 100-150 सालों से महिलाओं के लिए मंदिर में प्रवेश लेना वर्जित है. इस परंपरा का आज भी यहां के लोग सख्ती से पालन कर रहे हैं.
ध्रूम ऋषि मंदिर, उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश ध्रूम ऋषि मंदिर में भी कई दशकों से एक अनोखी परंपरा का पालन किया जा रहा है. यह मंदिर उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में स्थित एक फेमस मंदिर है. इस मंदिर में भी महिलाओं की एंट्री पर भी बैन लगा हुआ है. यहां गांव के लोग कई दशकों से उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में कड़ाई से कर रहे हैं. अगर गलती से भी कोई महिला मंदिर में प्रवेश कर लेती हैं तो गांव को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है. गांव से सभी पुरुष इस मंदिर में प्रतिदिन दर्शन के लिए जाते हैं, मगर कोई भी महिला आज तक मंदिर की चौखट को भी छू नहीं पाई है.
Conclusion
भले ही समाज में स्त्री और पुरुष को समान दर्जा दिया गया है, लेकिन व्यावहारिकता में ऐसा नहीं है. यह कार्यस्थल और नौकरियों के अलावा धार्मिक स्थलों पर भी नजर आता है. भले ही इस पर विवाद हो, लेकिन यह नैतिक रूप से गलत है. मंदिरों में महिलाओं को प्रवेश न करने देना एक तरह से अमानवीय कृत्य है.
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UPSSSC Recruitment 2025 - उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग भर्ती 2025, 10वीं पास
UPSSSC भर्ती 2025 का ऑफिशल नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया जिसमें की 2702 पदों पर भर्ती होगी और इसमें आयु सीमा 18 से 35 वर्ष रहने वाली है इस ऑफिशल नोटिफिकेशन के अनुसार मीटर के साथ-साथ अन्य पदों पर भर्ती होने वाली है और इस भर्ती में जनरल कैटेगरी को Rs.25 शुल्क देना होगा और एससी एसटी को Rs.25 का शुल्क देना होगा और जिसमे आपको सैलरी लगभग 25000 से लेकर 81000 तक हर महिना वेतन मिलेगा| तो इस इस भर्ती से…
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छतरपुर: मध्य प्रदेश से लगे उत्तर प्रदेश की सीमा में स्थित देवरी गांव में सोमवार को बागेश्वर बाबा की पदयात्रा पहुंची. यहां बुलडोजर पर खड़े होकर भक्तों ने पुष्प वर्षा करके बागेश्वर बाबा और यात्रा का जोरदार स्वागत किया. आज पूरे दिन यात्रा उत्तर प्रदेश की सीमा में रहेगी. जहां पर बॉलीवुड एक्टर संजय दत्त भोजपुरी एक्टर्स अक्षरा सिंह के अलावा देश के बड़े-बड़े साधु संत आने की संभावना है. वहीं एमपी के नगरीय प्रशासन मंत्री मंत्री कैलाश विजयवर्गी, ग्रेट खली, कटनी विधायक संजय पाठक के साथ बाबा बागेश्वर धीरेन्द्र शास्त्री ने समरसता भोज किया. धीरेन्द्र शास्त्री ने यात्रा के दौरान सभी को जात-पात ऊंच-नीच खत्म करने सहित सात वचन की शपथ दिलाई. . . Follow me For More . . Please Like This Post . .
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बागपत पुलिस से सीमा नाम की महिला को नही मिल रही सहायता
बागपत, उत्तर प्रदेश। विवेक जैन। बागपत नगर के मेरठ रोड़ पर स्थित मुन्नालाल एन्क्लेव मेरठ रोड की रहने वाली सीमा पुत्री कृष्णपाल ने 29 अक्टूबर 2024 को बागपत कोतवाली में तहरीर दी थी कि उनकी बड़ी बहन मन्जू उर्फ शर्मिला उम्र लगभग 56 वर्ष दिनांक 29 अक्टूबर 2024 को दोपहर के लगभग ढाई बजे मुन्नालाल एन्क्लेव स्थित घर से सामान लेने बाजार गयी थी और रात लगभग 9 बजे तक घर वापस नही आयी। सीमा ने पुलिस को बताया कि…
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गाजीपुर: 12 साल में पुल का निर्माण, 2 साल बाद भी नहीं बना अप्रोच रोड, क्या बदायूं जैसे हादसे के इंतजार में सरकार?
उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में बहने वाली भैसही नदी गाजीपुर और मऊ की सीमा को भी बाटती है. गाजीपुर जिले का अंतिम गांव कोर गांव है जो भैसही नदी के किनारे बसा है. नदी को पार करते ही मऊ जिले में पहुंच जाते हैं. ऐसे ही लोगों के आवागमन की सुविधा को बेहतर करने के लिए करोड़ों रुपए की लागत से एक पुल का निर्माण कराया गया. लेकिन 12 साल बीत जाने के बाद भी करोड़ों रुपए की लागत से बना ये पुल किसी काम का नहीं…
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एक बार पढ़ने पर होगा आपको याद, अपनायें ये टिप्स
क्या आपको भी पढ़ा हुआ याद नहीं रहता है ? क्या आप एक बार में पढ़कर याद करना चाहते हैं, तो आजमाएं ये बेहतरीन तरीके:
क्या आप जानते हैं कि हमारा मस्तिष्क एक मेमोरी चिप की तरह है, जिसके डाटा स्टोर करने की क्षमता असीमित है। इसके बावजूद जब हम कुछ पढ़ते हैं, तो याद क्यों नहीं रख पाते ? मुद्दा केवल विद्यार्थियों का नहीं है, यह हर उम्र का सच है। सवाल यही उठता है कि आखि़र हम भूल क्यों जाते हैं ? इसका सीधा-सा जवाब है पढ़ने का तरीक़ा। पढ़ने की आदत में बदलाव करेंगे, तो पढ़ा हुआ याद रखना या याद करना दोनों आसान हो जाएगा।
क्या आपको भी पढ़ा हुआ याद नहीं रहता है ? क्या आप एक बार में पढ़कर याद करना चाहते हैं, तो आजमाएं ये बेहतरीन तरीके:
1. पढ़ाई करने के लिए शान्त माहौल का चुनाव करें:
पढ़ाई करते समय मोबाइल, टीवी, रेडियो या अन्य डिस्टर्ब करने वाले साधन आपके पास नहीं होने चाहिए। याद करने के लिए एकान्त में किसी शान्त जगह पर बैठना चाहिए। याद करते समय दिमाग पूरी तरह से शांत रखें।
2. सोते समय याद न करें:
सोते समय कभी याद नहीं करना चाहिए, सोकर पढने से तुरंत नीद आ जाती है। पढ़ते समय नीद आ रही हो तो सबसे पहले अपना मुहँ पानी से धो लेना चाहिए और कुछ समय टहलना चाहिए फिर इसके बाद पढना चाहिए।
3. वैज्ञानिक विधि से याद करें:
वैज्ञानिक तरीके से याद करने के लिये अपने उत्तर को धीरे-धीरे, रुक-रुक कर, समझ-समझ कर एक बार में शुरू से अन्त तक पूरा एक साथ ही पढ़िए। उसके बाद अपनी नोट-बुक को बन्द कर के ऊपर आसमान में देखते हुए पूरे उत्तर को एक सिरे से दूसरे सिरे तक अपने दिमाग में घुमाइए। इससे पूरे उत्तर की मोटी-मोटी रूप-रेखा पर दिमाग की पकड़ बन जायेगी।
4. रटकर याद न करें:
आपको जिस उत्तर को याद करना है, उसे रटना नहीं चाहिए। रटने से उत्तर दिमाग में गहराई से बैठ नहीं पाता और जल्दी ही भूल जाता है। याद करने की यह परम्परागत पद्धति गलत और अवैज्ञानिक है।
5. पढ़ने की सीमा तय करें:
पढ़ने की सीमा तय करना है लेकिन किताबों की नहीं बल्कि ध्यान से पढ़ने की सीमा तय करें। यदि तय कर लिया है कि एक हफ्ते के अंदर पूरी किताब पढ़नी है, तो आप उसे केवल पढ़ पाएंगे, सीख या याद नहीं रख पाएंगे। इसके बजाय रोज़ पांच या सात पन्ने या भाग पढ़ेंगे, तो ध्यान से पढ़ेंगे। पढ़ने की कोई जल्दी नहीं है। इसलिए हर पंक्ति और शब्द को ध्यान से पढ़ें और समझें। तभी उसे याद रखने में आसानी होगी।
6. नोट्स हमेशा स्वयं बनाऐं:
आप अपने विषय के नोट्स हमेशा पुस्तकों, विभिन्न स्रोतों के माध्यम से स्वयं तैयार करें। यदि आप स्वयं नोट्स बनायेंगे तो नोट्स बनाते समय ही आपको बहुत कुछ याद हो जायेगा। अक्सर देखा जाता है कि समय कम होने पर स्टूडेंट्स अपनी कक्षा के साथियों के नोट्स की फोटोकॉपी करवा लेते हैं, जोकि बहुत गलत तरीका होता है। दूसरों के नोट्स समझने में समय भी अधिक लगता है।
7. नोट्स में छोटे-छोटे प्वाइन्ट्स बनायें:
लंबी पंक्तियों या पैराग्रॉफ में लिखने के बजाय छोटे-छोटे प्वाइंट्स में लिखना है। साथ में चित्र बनाएंगे, तो बेहतर तरीक़े से याद रख पाएंगे क्योंकि शोध के मुताबिक़ चित्र से याद रख पाना ज्यादा आसान होता है।
8. पढ़ाई करते समय हाथ में लकड़ी की पेंसिल या हाईलाइटर अवश्य लें:
जब भी आप पढ़ाई करने बैठें तो अपने हाथ में एक लकड़ी की पेंसिल या हाईलाइटर जरूर लेकर बैठें। इसका फायदा यह होगा कि पढ़ते समय कोई खास टर्म या डेफिनेशन दिखेगी तो आप उसे तुरंत अंडरलाइन कर पाएंगे। इस तरह न केवल आपको सब जल्दी याद होगा, बल्कि ज्यादा दिनों तक भी यकीनन रहेगा रहेगा।
9. पढ़ाई के दौरान ब्रेक लेते रहें:
कभी भी लगातार बैठ कर बहुत सारा न पढ़ें। इससे दिमाग थक जाता है और तनाव भी होने लगता है। इसलिए पढ़ाई के दौरान बीच-बीच में ब्रेक लेते रहना चाहिए। इससे कंसंट्रेशन भी बना रहता है, साथ ही याद रखने की कैपिसिटी भी बढ़ती है।
10. पढ़े हुए चैप्टर के हाइलाइट को पुनः
दोरायें: जो भी पढ़ रहे हैं, उसके हाइलाटल को अन्त में लगातार दोहराते रहें। दोहराने से यह समझ में आ जाता है कि आप जो कुछ भी पढ़ रहे हैं, वह आपको याद हो भी रहा है या फिर नहीं। इसलिए हमेशा पढ़ी हुई चीजों के हाइलाइट को दोहराते रहें।
11. साप्ताहिक रिविजन जरूर करें:
आप जो भी पढ़ रहे हैं, उसका साप्ताहिक रिविजन करना नहीं भूलें। साप्ताहिक रिविजन करने से आप जो पढ़ रहे हैं, वह आपको याद रहेगा। आप जो भी पढ़े, उसका अगले हफ्ते रिविजन जरूर करें। साप्ताहिक रिविजन बहुत महत्वपूर्ण है, क्यूँकि इससे आपको अपनी रिकॉल करने की क्षमता पता चलेगी।
12. ग्रुप स्टडी करें:
अगर आपको या आपके दोस्तों को एक साथ बैठकर पढ़ाई करने में दिक्कत नहीं है तो ग्रुप डिस्कशन एक बेहतरीन तरीका है। अच्छा पढ़ने और सब कुछ याद रखने के लिए ग्रुप डिस्कशन में जब चर्चा करते समय आपका दूसरा साथी अपने पॉइंट्स रखता है तो डिस्कस की गई बातें ज्यादा याद रहती हैं।
13. गहरी नींद, ध्यान, दिमाग वाले खेल, शारीरिक व्यायाम और मस्तिष्क विकसित करने वाले आहार जरूर लें:
शतरंज, सुडोकू इत्यादि कुछ ऐसे खेल हैं जो आपकी एकाग्रता शक्ति को बढ़ाने में मदद करते हैं। जैसे लगातार व्यायाम करने से व्यक्ति की मांसपेशियां मजबूत बन जाती हैं। इसी प्रकार हम मस्तिष्क को भी मांसपेशी मान सकते है और शतरंज और क्रॉसवर्ड पजल्स जैसी पहेलियों को बारदृ बार खेल कर लंबे समय के लिए उच्च एकाग्रता शक्ति प्राप्त की जा सकती है। एकाग्रता में सुधार लाने के लिए शारीरिक व्यायाम और स्वस्थ आहार बहुत जरूरी है। जंपिंग जैक्स, दौड़ लगाना इत्यादि जैसे एरोबिक व्यायाम आपके मस्तिष्क में ऑक्सीजन की सांद्रता बढ़ाते हैं। व्यायाम के अलावा स्वस्थ आहार भी एकाग्रता के स्तर में सुधार लाने के लिए महत्वपूर्ण है। कुछ ऐसे भोजन हैं जिनका व्यक्ति के मन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। बेर, ब्रोकली, एवाकाडो कुछ ऐसे भोजनों के उदाहरण हैं। जैसे-जैसे आपकी एकाग्रता शक्ति बढ़ेगी, वैसे-वैसे आपके याद करने की क्षमता बढ़ेगी।
14. विषय को अपनी जिंदगी के साथ जोड़कर समझने का प्रयास करें:
अगर आप इस तरीके से पढ़ाई कर सकते हैं तो ही आप महसूस कर सकते हैं कि याद रखना कितना आसान होगा। इसके साथ ही मज़ेदार हिस्से को याद करने की बजाय बस कल्पनाशील बनने की कोशिश करें और अपने परिवेश के साथ अध्ययन को एक मनोरंजक तरीके से जोड़ने की कोशिश करें। यह विधि बहुत सहायक है क्योंकि दैनिक जीवन के उदाहरणों को याद करना इतना कठिन नहीं है और जो कुछ भी मज़े से सीखा जाता है वह आसानी से और जल्दी याद हो जाता है।
निष्कर्ष: उम्मीद है जल्दी याद करने के ये बेहतरीन तरीके आपको सीखने में मदद करेंगे और आप लंबे समय तक सब कुछ याद रखेंगे। इसी तरह के अन्य ब्लॉग्स पढ़ने के लिए बने रहिए हमारे ब्लाग मेरा स्कूल के साथ।
जयदेव सिंह
बी.एस.सी. (कृषि)
बी.एड., बी़.टी.सी. यू.पी. टी.ई.टी.
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Union Bank of India LBO Vacancy 2024: एक शानदार करियर अवसर
Union Bank of India ने इस बार Union Bank of India LBO Vacancy 2024 के तहत कुल 1500 Local Bank Officer (LBO) पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं। यह अवसर न केवल उन लोगों के लिए है जो बैंकिंग क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहते हैं बल्कि ऐसे उम्मीदवारों के लिए भी जो एक स्थाई और उच्च प्रतिष्ठित नौकरी के इच्छुक हैं। तो चलिए, इस भर्ती से जुड़ी सभी जरूरी जानकारियाँ जानने के लिए पोस्ट को पूरा पढ़े - आवेदन प्रक्रिया, चयन प्रक्रिया, और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी।
Union Bank of India LBO Recruitment 2024: मुख्य विवरण
- कुल पद 1500 - आवेदन तिथियाँ: 24 अक्टूबर, 2024 से 13 नवंबर, 2024 तक - आवेदन लिंक: Union Bank of India की आधिकारिक वेबसाइट यहाँ पर हर राज्य में विभिन्न पदों का आवंटन किया गया है, जिससे हर क्षेत्र से उम्मीदवार आवेदन कर सकते हैं।
राज्यवार पदों का विवरण (Vacancy Breakdown by State)
Union Bank of India ने Local Bank Officer पदों की भर्ती विभिन्न राज्यों में की है। अपने राज्य में उपलब्ध पदों की संख्या देखें: राज्यपदों की संख्याआंध्र प्रदेश200 पदअसम50 पदगुजरात200 पदकर्नाटक300 पदकेरल100 पदमहाराष्ट्र50 पदओडिशा100 पदतमिलनाडु200 पदतेलंगाना200 पदपश्चिम बंगाल100 पद
कैसे करें आवेदन? (Union Bank of India LBO Recruitment 2024 Apply Online)
Union Bank of India LBO Vacancy 2024 के लिए आवेदन प्रक्रिया ऑनलाइन है, जिसे पूरा करने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करें: सबसे पहले आपको , Union Bank of India recruitment 2024 सर्च करना होगा गूगल पर | -
फिर गूगल पर सर्च करने के बाद आए सबसे पहले लिंक पर करना है | फिर आपको अप्लाई का लिंक दिख जायेगा फिर आपको बस रेजिस्ट्रशन करना होगा और पूरा फॉर्म भरना होगा | आवेदन शुल्क का भुगतान करें: - - GEN/EWS/OBC वर्ग के उम्मीदवारों के लिए आवेदन शुल्क ₹850/- है। - SC/ST/PwBD वर्ग के उम्मीदवारों के लिए आवेदन शुल्क ₹175/- है। शुल्क भुगतान विकल्प: डेबिट/क्रेडिट कार्ड, इंटरनेट बैंकिंग, मोबाइल वॉलेट, UPI जैसे विकल्पों का उपयोग कर ऑनलाइन भुगतान करें।
पात्रता मानदंड (Eligibility Criteria)
- अब बात करते हैं कि इस Union Bank of India LBO Recruitment 2024 में आवेदन करने के लिए आपके पास क्या योग्यताएँ होनी चाहिए: - शैक्षिक योग्यता: उम्मीदवार का किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से किसी भी विषय में स्नातक होना अनिवार्य है। - आयु सीमा: आवेदनकर्ता की आयु 20 से 30 वर्ष के बीच होनी चाहिए (1 अक्टूबर 2024 तक)। यह सुनिश्चित कर लें कि आपके पास यह आवश्यक योग्यताएं हैं।
चयन प्रक्रिया (Selection Process)
अब जानते हैं कि इस भर्ती प्रक्रिया में कैसे चयन किया जाएगा: - ऑनलाइन परीक्षा: सबसे पहले उम्मीदवारों को ऑनलाइन परीक्षा देनी होगी, जिसमें कुल 155 प्रश्न होंगे और 200 अंक होंगे। -नेगेटिव मार्किंग: प्रत्येक गलत उत्तर के लिए 0.25 अंक कटेंगे, इसलिए ध्यान से उत्तर दें। - ग्रुप डिस्कशन: यदि आवश्यक हुआ, तो कुछ उम्मीदवारों के लिए ग्रुप डिस्कशन भी रखा जा सकता है। - पर्सनल इंटरव्यू: अंतिम चरण में सफल उम्मीदवारों का इंटरव्यू होगा।
Union Bank of India LBO Recruitment 2024 से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण जानकारी
और अधिक जानकारी के लिए आप यूनियन बैंक की ऑफिसियल वेबसाइट पर विजिट कर सकते है https://www.unionbankofindia.co.in/ Detailed Notification Here Direct link to apply here Read the full article
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