#उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022
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मिल्कीपुर उपचुनाव 2025: क्यों हारी सपा, क्या बोले अखिलेश यादव?
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AIN NEWS 1: उत्तर प्रदेश के मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने बड़ी जीत हासिल की है। बीजेपी उम्मीदवार चंद्रभानु पासवान ने समाजवादी पार्टी (सपा) के अजीत प्रसाद को 61,710 वोटों से हराया। इस जीत के साथ, फैजाबाद लोकसभा क्षेत्र की सभी पांच विधानसभा सीटों पर बीजेपी का कब्जा हो गया है। बीजेपी की ऐतिहासिक जीत बीजेपी के उम्मीदवार चंद्रभानु पासवान को 1.46 लाख से अधिक वोट मिले, जबकि सपा के अजीत प्रसाद को केवल 84,687 वोट मिले। बसपा ने इस चुनाव में हिस्सा नहीं लिया, जबकि कांग्रेस ने अपने गठबंधन सहयोगी सपा का समर्थन किया था। इससे पहले 2022 विधानसभा चुनाव में मिल्कीपुर ही अयोध्या जिले की एकमात्र सीट थी, जहां बीजेपी को हा�� का सामना करना पड़ा था। लेकिन इस उपचुनाव में सपा अपना गढ़ बचाने में नाकाम रही। अखिलेश यादव का आरोप - चुनावी तंत्र का दुरुपयोग मतगणना के दौरान जब बीजेपी उम्मीदवार की बढ़त स्पष्ट हो गई, तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने चुनावी मशीनरी के दुरुपयोग का आरोप लगाया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर पोस्ट करते हुए कहा - > "लोकसभा चुनावों में अयोध्या में हुई पीडीए की सच्ची जीत, उनके मिल्कीपुर की विधानसभा की झूठी जीत पर कई गुना भारी है और हमेशा रहेगी।" उन्होंने आगे कहा कि "पीडीए की बढ़ती शक्ति का सामना बीजेपी वोट के बल पर नहीं कर सकती, इसलिए वह चुनावी तंत्र का दुरुपयोग करके जीतने की कोशिश करती है।" बीजेपी के लिए यह जीत क्यों महत्वपूर्ण? इस उपचुनाव के बाद, फैजाबाद लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाली सभी पांच विधानसभा सीटों पर बीजेपी का कब्जा हो गया है। यह सीट सपा के अवधेश प्रसाद के लोकसभा चुनाव जीतने के बाद खाली हुई थी। इस उपचुनाव में सपा ने अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को टिकट दिया था, लेकिन वह जीत हासिल नहीं कर सके। सीएम योगी आदित्यनाथ ने क्या कहा? उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बीजेपी की इस जीत को 'ऐतिहासिक' बताया और पार्टी कार्यकर्ताओं को बधाई दी। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया - > "यह जीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में डबल इंजन की सरकार की लोक-कल्याणकारी नीतियों और सुशासन के प्रति जनता के विश्वास को दर्शाती है।" सपा की हार के कारण 1. बीजेपी की मजबूत संगठन क्षमता – पार्टी ने पूरी ताकत के साथ चुनाव प्रचार किया और स्थानीय स्तर पर कार्यकर्ताओं को संगठित रखा। 2. योगी सरकार की लोकप्रियता – जनता में बीजेपी सरकार की योजनाओं और नीतियों को लेकर सकारात्मकता बनी हुई है। 3. जातीय समीकरण – बीजेपी ने पासवान समुदाय के वोटों को मजबूती से अपने पक्ष में कर लिया, जिससे सपा कमजोर पड़ गई। 4. बसपा का चुनाव से बाहर रहना – इससे दलित वोटों का बड़ा हिस्सा बीजेपी को मिल गया। 5. सपा का परिवारवाद – सपा ने अवधेश प्रसाद के बेटे को टिकट दिया, जिससे स्थानीय मतदाताओं में असंतोष रहा। क्या यह लोकसभा चुनाव 2024 का संकेत है? मिल्कीपुर उपचुनाव का नतीजा बीजेपी के लिए एक मनोवैज्ञानिक बढ़त साबित हो सकता है, क्योंकि अब अयोध्या लोकसभा क्षेत्र की सभी सीटें पार्टी के पास हैं। इससे यह साफ संकेत मिलता है कि बीजेपी आगामी लोकसभा चुनावों में भी मजबूती से आगे बढ़ रही है। वहीं, सपा के लिए यह एक बड़ी हार है और पार्टी को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना होगा। अखिलेश यादव के लिए आगामी लोकसभा चुनाव से पहले यह एक चेतावनी हो सकती है। मिल्कीपुर उपचुनाव का परिणाम साफ दिखाता है कि बीजेपी ने अपनी पकड़ मजबूत बना ली है, जबकि सपा को जनता से अपेक्षित समर्थन नहीं मिला। अखिलेश यादव ने चुनावी तंत्र के दुरुपयोग का आरोप लगाया, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि बीजेपी की चुनावी रणनीति और संगठनात्मक मजबूती ने इस जीत को संभव बनाया। अब देखना होगा कि क्या सपा इस हार से सबक लेकर लोकसभा चुनाव 2024 में वापसी कर पाती है या नहीं। https://youtu.be/rEl_aeXvqNo?si=szj1PZaT2ZR9HBYx The Milkipur By Election Result 2025 has brought a massive victory for the BJP, with Chandrabhanu Paswan defeating SP's Ajit Prasad by 61,710 votes. This win consolidates BJP's dominance in Faizabad Lok Sabha constituency, securing all five assembly seats. Meanwhile, Akhilesh Yadav alleged misuse of election machinery, claiming BJP cannot defeat PDA's growing strength through fair elections. The results highlight the political battle between BJP and SP in Uttar Pradesh ahead of the Lok Sabha elections 2024. Read the full article
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Priyanka Gandhi: The Things That Make Her Unique
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Introduction
Table Of Content
जन्म और परिवार
शुरुआती जीवन और शिक्षा
शादी से पहले झेलना पड़ा विरोध
कैसे हुई थी मुलाकात?
किसने किया पहले प्रपोज?
राजनीति में शुरू किया सफर
अभियान प्रबंधक के रूप में किया काम
राजनीति में कैसे रहे शुरुआती साल?
2022 उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव
लड़की हूं, लड़ सकती हूं का अभियान चलाया
संसद के सदस्य
बचपन की यादें ताजा करती हैं ये तस्वीरें
जन्म और परिवार
दावा किया जाता है कि प्रियंका गांधी की नाक उनकी दादी यानी इंदिरा गांधी से मिलती है. वरिष्ठ कांग्रेसी दिग्विजय सिंह ने भी कई बार इस बात का जिक्र किया है. साल 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान खुद प्रियंका गांधी भी कह चुकी हैं कि मेरी नाक दादी से मिलती है. साल 2019 के चुनाव में भी उन्होंने इसी बात का जिक्र किया था.
शुरुआती जीवन और शिक्षा
वायनाड सांसद प्रियंका गांधी ने साल 1984 तक देहरादून के वेल्हम गर्ल्स स्कूल में अपनी स्कूली शिक्षा हासिल की. इसके बाद सुरक्षा कारणों से राहुल और उन्हें दोनों को दिल्ली के डे स्कूल में भेज दिया गया. इंदिरा गांधी की हत्या के बाद लगातार मिल रही आतंकी धमकियों की वजह से प्रियंका और राहुल की आगे की पढ़ाई घर पर ही हुई. बाद में वह दिल्ली के कॉन्वेंट ऑफ जीसस एंड मैरी कॉलेज में एडमिशन ले लिया. इसके बाद उन्होंने जीसस एंड मैरी कॉलेज, नई दिल्ली से मनोविज्ञान में स्नातक की डिग्री पूरी की और वर्ष 2010 में बौद्ध अध्ययन में मास्टर डिग्री हासिल की.
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शादी से पहले झेलना पड़ा विरोध
प्रियंका जब सिर्फ 13 साल की थी, तो उनकी मुलाकात रॉबर्ट वाड्रा से हुई थी. काफी लंबे समय तक दोनों दोस्त रहे और फिर शादी करने का फैसला कर लिया. हर लड़की की तरह प्रियंका को भी शादी के लिए अपने परिवार को मनाने के लिए बड़ी मशक्कत करनी पड़ी थी. शुरुआत में परिवार इस शादी को लेकर राजी नहीं था, जिसके लेकर काफी विरोध भी हुआ. लेकिन, जिद्दी प्रियंका ने हार नहीं मानी और परिवार को उनकी की सुननी पड़ी. सोनिया-राहुल सब इस शादी को राजी हो गए. उन्होंने रॉबर्ट वाड्रा से 8 फरवरी, 1997 को शादी की.
कैसे हुई थी मुलाकात?
यहां बता दें कि दोनों की पहली मुलाकात एक कॉमन फ्रेंड के घर पर हुई थी. दोनों दिल्ली के ब्रिटिश स्कूल में साथ-साथ पढ़ते थे. एक इंटरव्यू में रॉबर्ट वाड्रा ने बताया था कि मैं नहीं चाहता था कि हमारे इस रिश्ते के बारे में कोई जाने, क्योंकि लोग इसे समझ नहीं पाते और कोई अलग ही रूप दे देते थे.
किसने किया पहले प्रपोज?
रॉबर्ट वाड्रा ने आगे बताया था कि स्कूल के एक कॉमन फ्रेंड थे, जो प्रियंका को जानते थे. वह सब वहां पर बैडमिंटन समेत अलग-अलग खेल खेलने जाते थे. वहीं, पर उनकी मुलाकात प्रियंका से हुई. उन्हें मेरी सादगी पसंद आई. मैं जींस-टीशर्ट और कोल्हापुरी में जाता था. मजाक ज्यादा करता था और स्पोर्ट्स अ��्छा खेलता था. मुझे वह पसंद करती थीं, लेकिन बात ज्यादा नहीं करती थीं. उन्होंने आगे बताया कि प्रियंका ने ही उन्हें पहले प्रपोज किया था.
राजनीति में शुरू किया सफर
प्रियंका गांधी अकसर ही रायबरेली और अमेठी के निर्वाचन क्षेत्रों का दौरा करती थी, जहां उन्होंने स्थानीय निवासियों के साथ सीधे बातचीत की. वह अपनी दादी इंदिरा गांधी की तरह जनता से जुड़ाव की कला को बखूबी जानती हैं. इसके अलावा उनको राजनीतिक और कूटनीतिक कौशल भी बखूबी आता है. जब कांग्रेस पार्टी पर संकट के काले बादल गहराता हैं, तो प्रियंका गांधी हर मोर्चे को बड़े बारीकी से संभालती हैं. फिर चाहे वह हिमाचल में विधायकों की नाराजगी की वजह से अस्थिर हुई सरकार को सेटल करना हो या गांधी परिवार के खिलाफ बने जी-20 ग्रुप को खत्म करना हो. वह हर एक राजनीतिक मुद्दे को सुलझाना में बेहद माहिर हैं.
अभियान प्रबंधक के रूप में किया काम
वर्ष 2004 के भारतीय आम चुनाव में उन्होंने अपनी मां सोनिया गांधी के अभियान प्रबंधक के रूप में काम किया और अपने भाई राहुल गांधी के अभियान की देखरेख में मदद भी की. साल 2007 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के दौरान जहां, राहुल गांधी ने राज्यव्यापी अभियान का प्रबंधन का काम संभाला. वहीं, प्रियंका ने अमेठी और रायबरेली क्षेत्र की 10 सीटों पर ध्यान दिया और सीट आवंटन पर पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच अंदरूनी कलह को संबोधित करने में 2 सप्ताह बिताए.
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राजनीति में कैसे रहे शुरुआती साल?
साल 2019 में इच्छा न होने के बाव��ूद आधिकारिक तौर पर प्रियंका गांधी वाड्रा ने राजनीति में प्रवेश किया. उन्होंने आम ���र विधानसभा दोनों चुनावों में अपनी मां और भाई के लिए चुनाव प्रचार में सक्रिय रूप से भाग लिया. वह अकसर रायबरेली और अमेठी के निर्वाचन क्षेत्रों का दौरा करती थीं, जहां उन्होंने निवासियों से सीधे बातचीत की. इस भागीदारी ने उन्हें इन क्षेत्रों में महत्वपूर्ण समर्थन के साथ एक जानी-मानी हस्ती बना दिया. इसकी वजह से अमेठी में चुनाव के दौरान ‘अमेठी का डंका, बिटिया प्रियंका’ के खूब नारे लगते थे. वहीं, अक्टूबर 2021 में उन्हें यूपी पुलिस ने 2 बार गिरफ्तार किया था. पहली बार हिरासत पश्चिमी यूपी के लखीमपुर खीरी की उनकी यात्रा के बाद हुई, जहां प्रदर्शनकारी किसानों और केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे के काफिले के बीच झड़प के बाद 8 लोग मारे गए थे. उन्हें और कई अन्य पार्टी के नेताओं को सीतापुर में एक गेस्ट हाउस में हिरासत में लिया गया था , जिसका इस्तेमाल उन्हें 50 घंटे से अधिक समय तक रखने के लिए अस्थायी जेल के रूप में किया जा रहा था. दूसरी बार उनकी गिरफ्तारी आगरा में की गई थी. यूपी पुलिस ने उन्हें सभाओं पर प्रतिबंध का हवाला देते हुए हिरासत में लिया था, जब वह एक व्यक्ति के परिवार के सदस्यों से मिलने आगरा जा रही थी.
2022 उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव
प्रियंका गांधी वाड्रा ने 23 अक्टूबर, 2021 को बाराबंकी से कांग्रेस पार्टी के उत्तर प्रदेश चुनाव अभियान की शुरुआत की थी. इसके बाद से वह अकसर ही चुनाव प्रचार में दिखाई देने लगी और लोगों के बीच अपनी एक अलग पहचान बनाई. जनवरी 2022 में उन्होंने अपने भाई राहुल के साथ उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस का घोषणापत्र जारी किया. घोषणापत्र राज्य के विकास के साथ-साथ युवा और महिला सशक्तिकरण पर केंद्रित था और आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में महिलाओं को 40% टिकट देने का भी वादा किया गया था.
लड़की हूं, लड़ सकती हूं का अभियान चलाया
महिला सशक्तिकरण और राजनीति में भागीदारी को लेकर उन्होंने अपने अभियान को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने राज्य में ‘लड़की हूं, लड़ सकती हूं’ अभियान की शुरुआत की. इस अभियान ने उन्हें सक्रीय मीडिया के जरिए लोगों के बीच पहचान दिलाई. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन उन्होंने राज्य की राजधानी लखनऊ में एक रैली की शुरुआत की. इस रैली से कई वादे और उम्मीदें थीं, जिसमें पूरे राज्य से महिलाओं की भागीदारी देखी गई. इन अभियानों और रैली के बावजूद उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी को कड़ी मशक्कत के बाद भी एक बार फिर हार का सामना करना पड़ा था. 403 विधानसभा सीटों में से केवल 2 सीटें जीत हासिल की गई थी. इसके बाद से प्रियंका गांधी वाड्रा ने दिसंबर 2023 में उत्तर प्रदेश के प्रभारी अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी महासचिव के पद से इस्तीफा दे दिया. राज्य चुनावों में कांग्रेस की हार के बाद 5 अगस्त, 2022 को उन्होंने मूल्य-वृद्धि और मुद्रास्फीति के खिलाफ कांग्रेस के ‘महंगाई पर हल्ला बोल’ विरोध प्रदर्शन में भाग लिया और उन्हें दिल्ली पुलिस ने हिरासत में ले लिया.
संसद के सदस्य
वर्ष 2024 के भारतीय आम चुनाव के दौरान कांग्रेस के लिए बड़े पैमाने पर प्रचार करने और पार्टी के भीतर अधिक संगठनात्मक भूमिका निभाने के बाद प्रियंका गांधी वाड्रा ने एलान किया कि वह चुनावी राजनीति में शामिल होंगी और अपने भाई राहुल की जगह लेने के लिए वायनाड उपचुनाव में पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ेंगी. उन्होंने इस चुनाव में कुल 4,10,931 मतों के अंतर से चुनाव जीता. वह अपनी मां सोनिया और भाई राहुल के साथ संसद में काम करेंगी. वह और उनके भाई 18वीं लोकसभा में एक साथ काम करने वाले पहले और एकमात्र भाई-बहन हैं.
बचपन की यादें ताजा करती हैं ये तस्वीरें
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी आज अपना 53वां जन्मदिन मना रही हैं. इस मौके पर हम आपको उनके बचपन की कुछ तस्वीरें दिखाएंगे और उससे जुड़ी कुछ बातें बताएंगे जो शायद ही आप जानते हों.
प्रियंका ने एक वीडियो साल 2023 में अपने सोशल मीडिया अकांउट पर शेयर किया था. इसमें उन्होंने अपने बचपन के बारे में कुछ बातें शेयर की थीं. इस दौरान उन्होंने बताया कि बचपन में सभी भाई बहनों की तरह उनकी भी अपने भाई राहुल गांधी के साथ जबरदस्त लड़ाई होती थी. उन्होंने आगे बताया कि राहुल गांधी हमेशा जीत जाते थे.
अपने बचपन के बारे में बताते हुए प्रियंका कहती हैं कि भले ही राहुल और वह झगड़ते थे, लेकिन हमारी दोस्ती भी बहुत गहरी थी. हम दोनों में एक खूबी थी, जब भी कोई बाहरी आकर लड़ता था, तो दोनों एकजुट होकर एक टीम बनाकर उस पर टूट पड़ते थे.
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Uttar Pradesh ki Nau Seaton Par hi Honge Upachunaav, Sabase Hot Seat Milkeepur ke Lie Karana Hoga Intajaar
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की 10 विधानसभा सीटें फिलहाल खाली हैं, लेकिन चुनाव आयोग ने नौ सीटों पर ही उपचुनाव की तारीखों की घोषणा की है। अयोध्या की मिल्कीपुर सीट पर चुनाव नहीं होंगे जिस पर पूरे प्रदेश की निगाहें थीं।
जानकारी के अनुसार, हाईकोर्ट में दायर याचिका की वजह से मिल्कीपुर में उपचुनाव की तिथि की घोषणा नहीं हो सकी है। मिल्कीपुर के पूर्व विधायक गोरखनाथ बाबा ने 2022 आम चुनाव को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है। साल 2022 में विधानसभा चुनाव हारने के बाद गोरखनाथ बाबा ने अवधेश प्रसाद के चुनाव जीतने को लेकर याचिका दायर की थी। जो अभी अदालत में लंबित है।
Read More: https://www.deshbandhu.co.in/states/by-elections-will-be-held-in-nine-seats-in-uttar-pradesh-the-hottest-seat-will-have-to-be-waiting-for-milkipur-502324-1
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यूपी में मायावती शून्य, क्या दलित राजनीति का हो रहा है अंत? एग्जिट पोल के आंकड़ों ने दे दिया बड़ा संकेत
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव को लेकर एग्जिट पोल का परिणाम सामने आया है। इसमें तमाम राजनीतिक दलों के चुनाव परिणाम से संबंधित सर्वेक्षण रिपोर्ट आए हैं। चुनावी सर्वेक्षणों में एक आम बात दिख रही है, वह है बहुजन समाज पार्टी को खाता न खुलना। दरअसल, 10 साल बाद एक बार फिर बहुजन समाज पार्टी के सामने उत्तर प्रदेश में शून्य पर सिमटने जैसी नौबत बनती दिख रही है। लोकसभा चुनाव 2014 में बहुजन समाज पार्टी खाता नहीं खोल पाई थी। मोदी लहर में यूपी की 80 में से 73 सीटों पर एनडीए को जीत मिली थी। वहीं, सपा 5 और कांग्रेस 2 सीटों पर जीती थी। यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में बसपा ने प्रदेश की 403 सीटों में से केवल 1 सीट पर जीत दर्ज की। हालांकि, उसका वोट शेयर 12.9 फीसदी था, जो यूपी में जाटव वोट बैंक के आसपास था। यूपी में दलितों की आबादी 21 फीसदी के करीब है। इसमें जाटव वोटरों का शेयर करीब 13 फीसदी है।यूपी चुनाव 2022 में बसपा का सबसे कम वोट शेयरों में से एक था। लोकसभा चुनाव में जब बसपा को यूपी में एक भी सीट नहीं मिली थी, तब उसका वोट शेयर 19.77 फीसदी था। 2017 के विधानसभा चुनावों में जब उसने 19 सीटें जीतीं, तो उसे 22.23 फीसदी वोट मिले। लोकसभा चुनाव 2019 में बसपा ने सपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा। लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने आगे बढ़कर के साथ चुनावी गठबंधन किया था। हालांकि, अब मायावती दलित पॉलिटिक्स पर अपनी पकड़ को उस स्तर पर बनाए रखने में कामयाब होती नहीं दिख रही हैं। लोकसभा चुनाव 2024 में बसपा का वोट शेयर 2022 के भी नीचे जाने का अनुमान व्यक्त किया जा रहा है। राजनीतिक जमीन गंवा रहीं मायावती चुनाव सर्वेक्षण रिपोर्ट इस बात की तरफ इशारा कर रहे हैं कि मायावती अपनी दलित राजनीति की जमीन को गंवा रही हैं। यूपी की राजनीति में बहुजन समाज पार्टी एक बार फिर खाता नहीं खोल पाने की स्थिति में खड़ी दिख रही। वहीं, बसपा के कैडर वोटों का बंटवारा एनडीए और इंडिया के बीच होता दिख रहा है। बहुजन समाज पार्टी के वोट बैंक पर समाजवादी पार्टी और भाजपा कब्जा जमाती दिख रही है। खाद्यान्न योजना के तहत 5 किलोग्राम मुफ्त अनाज वितरण ने दलित वर्ग में बड़ा असर दिखाया है। पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ की इस योजना को गरीब तबके में बड़ा प्रभाव डाला है। बदले समीकरणों ने डाला है असर कैडर वोट बैंक को बचाने के लिए बसपा की ओर से कोई ठोस प्रयास नहीं हो पाया। भाजपा की योजना ने असर डाला। यही वजह रही थी कि बसपा के युवा नेता आकाश आनंद ने भाजपा सरकार की खाद्यान्न योजना पर तगड़ा हमला बोला। यूपी चुनाव 2022 के दौरान खाद्यान्न योजना का यह असर दिखा था कि बसपा के कैडर भाजपा की तरफ शिफ्ट होते दिखे। लोकसभा चुनाव 2024 में समाजवादी पार्टी ने दलित वोटों के शिफ्ट होने को देखते हुए अपने माय(मुस्लिम+यादव) समीकरण को बदलकर पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक यानी पीडीए समीकरण के रूप में परिभाषित करना शुरू किया। पार्टी की नजर दलित राजनीति को अपने पाले में लाने की रही। इसमें सबसे बड़ा झटका मायावती को लगता दिख रहा है। http://dlvr.it/T7j3jc
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UP Election Result 2022: यूपी में बड़ी जीत के बाद भाजपा दफ्तर पहुंचे सीएम योगी
UP Election Result 2022: यूपी में बड़ी जीत के बाद भाजपा दफ्तर पहुंचे सीएम योगी
लखनऊ। UP Election Result 2022: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के नतीजों के बाद विकासवाद की राजनीति के प्रतीक बनकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जरूर उभरे हैं। विधानसभा चुनाव में पहली बार मैदान में उतरे सीएम योगी ने गोरखपुर शहर सीट से न सिर्फ बड़ी जीत दर्ज की बल्कि 37 वर्ष बाद यूपी में पूर्ण बहुमत की सरकार की लगातार वापसी का इतिहास रच डाला। राज्य में फिर से भगवा लहराने के बाद प्रदेश भाजपा मुख्यालय…
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लखनऊ /उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के 7वें और आखिरी चरण के लिए मतदान जारी
लखनऊ /उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के 7वें और आखिरी चरण के लिए मतदान जारी
सौरभ निगम की रिपोर्ट लखनऊ से /उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के 7वें और आखिरी चरण के लिए मतदान जारी.आज 7वें और आखिरी चरण के लिए मतदान होगा. अंतिम चरण में मतदाता विधानसभा की 54 सीटों पर खड़े उम्मीदवारों का भाग्य 7 मार्च (आज )क�� EVM में बंद कर देंगे. अब तक हुए 6 चरण के चुनाव में लाखों मतदाताओं ने अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए प्रत्याशियों का भविष्य तय कर दिया है, जिसका पता 10 मार्च को चलेगा. …
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33 साल से भगवा खेमे का अभेद्य किला क्यों नहीं भेद सका विपक्ष आज तक बनी हुई है गोरखपुर सीट, कांग्रेस का सूरज निकला नहीं
33 साल से भगवा खेमे का अभेद्य किला क्यों नहीं भेद सका वि��क्ष आज तक बनी हुई है गोरखपुर सीट, कांग्रेस का सूरज निकला नहीं
Gorakhpur Assembly Seat: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में देश के लिए सबसे हॉट सीट गोरखपुर मानी जा रही है. इसकी वजह ये है कि इस सीट से योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री रहते हुए ताल ठोंक रहे हैं. गोरखपुर सीट भगवा खेमे का ऐसा अभेद्य किला है, जिसे पिछले लगातार 33 साल से कोई भेद नहीं पाया है. साल 1989 के चुनाव में गोरखपुर सीट से कांग्रेस का सूरज डूबा तो अभी तक निकला ही नहीं. इस सीट पर समाजवादी पार्टी (SP)…
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UP Election 2022 Live : उत्तर प्रदेश चुनाव के लिए कांग्रेस का युवा घोषणा पत्र जारी, प्रियंका ने बताया कैसे पूरा करेंगी 20 लाख नौकरियों का वादा - news 2022
UP Election 2022 Live : उत्तर प्रदेश चुनाव के लिए कांग्रेस का युवा घोषणा पत्र जारी, प्रियंका ने बताया कैसे पूरा करेंगी 20 लाख नौकरियों का वादा – news 2022
12:42 PM, 21-Jan-2022 प्रियंका ने बताया कैसे पूरा करेंगी 20 लाख नौकरियों का वादा वादे कैसे पूर��� होंगे इस सवाल के जवाब में प्रियंका गांधी ने कहा कि 20 लाख नौकरियों में से 12 लाख नौकरियां ऐसी हैं जिनके सरकारी पद खाली पड़े हैं। इसका बजट भी सरकार के पास है। आठ लाख अन्य नौकरियों को स्वरोजगार के जरिए अवसर पैदा करेंगे। 12:33 PM, 21-Jan-2022 कांग्रेस का वादा- 20 लाख सरकारी नौकरियां देंगे, इनमें से आठ…
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#Akhilesh Yadav#election in up 2022#Latest Uttar Pradesh News in Hindi#up assembly election#up chunav news in hindi#up election 2022#up election 2022 date#up election 2022 opinion poll#up election latest news in hindi#up election News#up me election kab hai 2022#Uttar Pradesh Hindi Samachar#Uttar Pradesh News in Hindi#when is up election 2022#Yogi Adityanath#उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022#उत्तरप्रदेश चुनाव 2022
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Why Milkipur Seat Elections Delayed: Gorakhnath Baba's Role Explained
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Milkipur Seat Bypolls Election 2024: भारत के निर्वाचन आयोग ने महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनावों का एलान कर दिया है. इसके साथ ही 48 विधानसभा सीटों, 2 लोकसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव की तारीखों का भी एलान कर दिया है. उत्तर प्रदेश की 9 सीटों पर उपचुनाव की तारीखों की घोषणा कर दी गई है. हालांकि, अयोध्या की मिल्कीपुर सीट पर सभी की नजरें बनी हुई थी. लेकिन इस सीट पर तारीखों का एलान नहीं हुआ. चुनाव आयोग ने इसका जवाब भी दिया है कि इस सीट पर उपचुनाव की तारीखों का एलान क्यों नहीं किया गया है .
Table of Content
क्यों नहीं हुआ चुनाव की तारीखों का एलान
क्या पूरा मामला
SP ने साधा निशाना
क्या है वोटरों की संख्या
अजित प्रसाद को दिया जा सकता है टिकट
किन-किन सीटों पर हो रहा उपचुनाव
क्या है जातीय समीकरण
मिल्कीपुर सीट का इतिहास
लोकसभा में पहुंचने वाले दूसरे नेता बने अवधेश प्रसाद
SP को लग सकता है बड़ा झटका
सीएम योगी ने संभाली कमान
BJP की बढ़ी टेंशन
क्यों नहीं हुआ चुनाव की तारीखों का एलान
चुनाव आयोग का कहना है कि इस सीट पर चुनाव की तारीखों का एलान इसलिए नहीं किया गया क्योंकि BJP के पूर्व विधायक बाबा गोरखनाथ ने समाजवादी पार्टी विधायक अवधेश प्रसाद के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की है और कोर्ट में पिटीशन अभी पेंडिंग है. ऐसे में मिल्कीपुर सीट पर चुनाव की तारीखों का एलान नहीं किया जा सकता है. वहीं, समाजवादी पार्टी ने इसको लेकर चुनाव आयोग पर निशाना साधा है. समाजवादी पार्टी ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग BJP के पक्ष में काम कर रही है. अगर ऐसा है तो फिर कानपुर की सीसामऊ सीट का मामला भी कोर्ट में चल रहा है, लेकिन वहां चुनाव की तारीखों का एलान हो गया है.
बता दें कि इस सीट से समाजवादी पार्टी के अवधेश प्रसाद विधायक थे. लेकिन 2024 में लोकसभा चुनाव उन्होंने लड़ा और जीत हासिल कर ली. 7 हजार वोटों से जीत हासिल कर वो संसद पहुंच गए. ऐसे में मिल्कीपुर सीट खाली हो गई.
क्या पूरा मामला ?
साल 2022 में BJP प्रत्याशी बाबा गोरखनाथ ने समाजवादी पार्टी के अवधेश प्रसाद के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. उन्होंने अवधेश प्रसाद के चुनावी हलफनामे पर सवाल उठाए था और उनके ��िर्वाचन को चुनौती दी थी. बाबा गोरखनाथ का कहना था कि अवधेश प्रसाद ने जो हलफनामा दाखिल किया. उसमें नोटरी ऐसे शख्स से कराई गई, जिसका लाइसेंस पहले ही खत्म हो चुका था. ऐसे में उनका हलफनामा वैध नहीं माना जाएगा. उनका हलफनामा अवैध था. BJP प्रत्याशी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अवधेश प्रसाद के नामांकन को रद्द किए जाने की गुहार लगाई थी.
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SP ने साधा निशाना
समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता फकरूल हसन चांद ने दूसरी तरफ चुनाव आयोग पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग पक्षपात कर रहा है. मिल्कीपुर का मामला कोर्ट में चल रहा है, तो वहां चुनाव नहीं हो रहा. लेकिन वैसा ही एक मामला सीसामऊ विधानसभा सीट का है, तो फिर वहां चुनाव कैसे हो रहा है. उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी के विधायक रहे इरफान सोलंकी ने भी कोर्ट में याचिका दायर की है. उन्होंने निचली अदालत के फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती दी है.
क्या है वोटरों की संख्या ?
अयोध्या की मिल्कीपुर सीट पर 34% OBC और 36% जनरल वोटर हैं. मुस्लिम वोटरों की संख्या 9.48% है. SC के 20% वोटर हैं. सामान्य वर्ग को वोटरों की बात करें तो उनकी हिस्सेदारी 36.04% है. इस सीट पर कुल 3.69 लाख वोटर हैं. इस सीट पर BJP के लिए ब्राह्मण और ठाकुर मजबूत वोट बैंक माने जाते हैं तो समाजवादी पार्टी के लिए यादव-SC और मुस्लिम वोट बैंक है. पिछले 5 चुनावों की अगर बात करें तो इस सीट पर 3 बार समाजवादी पार्टी, एक बार BJP और एक बार BSP को जीत मिली है.
अजित प्रसाद को दिया जा सकता है टिकट
इस सीट पर जब भी चुनाव होगा समाजवादी पार्टी और BJP में सीधा मुकाबला होना तय है. अगर समाजवादी पार्टी की बात करें तो कहा जा रहा है कि अवधेश प्रसाद के बेटे अजित प्रसाद को टिकट दिया जाएगा. जबकि BJP ने अभी अपना प्रत्याशी फाइनल नहीं किया है.
किन-किन सीटों पर हो रहा उपचुनाव
यूपी की मैनपुरी की करहल, कानपुर की सीसामऊ, प्रयागराज की फूलपुर, अंबेडकरनगर की कटेहरी, मिर्जापुर की मझवां, गाजियाबाद सदर, अलीगढ़ की खैर, मुजफ्फरनगर की ��ीरापुर और मुरादाबाद की कुंदरकी सीट पर विधानसभा उपचुनाव होना है. 13 नवंबर को 9 सीटों पर उपचुनाव होंगे.
क्या है जातीय समीकरण ?
मिल्कीपुर विधानसभा सीट के जातीय समीकरण की अगर बात करें तो इस सीट पर सबसे ज्यादा यादव मतदाता हैं. यादव मतदाताओं की संख्या करीब 65 हजार है. वहीं, 60 हजार पासी, 50 हजार ब्राह्मण, 35 हजार मुस्लिम, 25 हजार ठाकुर, गैर-पासी दलित 50 हजार, मौर्य 8 हजार, चौरासिया 15 हजार, पाल 8 हजार, वैश्य 12 हजार हैं. इस सीट पर यादव, पासी और ब्राह्मण वोटर अहम भूमिका निभाते हैं. समाजवादी पार्टी इस सीट पर यादव-मुस्लिम-पासी समीकरण के सहारे चुनाव जीतने की कोशिश कर रही है तो BJP को सवर्ण और दलित वोटरों का सहारा है. बता दें कि मिल्कीपुर एक सुरक्षित सीट है.
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मिल्कीपुर सीट का इतिहास
मिल्कीपुर विधानसभा सीट 1967 में वजूद में आई थी. इस सीट पर कांग्रेस, जनसंघ और CPI, BJP, BSP और समाजवादी पार्टी जीत हासिल कर चुकी है. हालांकि इस सीट पर सबसे ज्यादा समाजवादी पार्टी और लेफ्ट को जीत मिली है. साल 2008 में परिसीमन के बाद मिल्कीपुर सीट SC के लिए रिजर्व हो गई थी.
लोकसभा में पहुंचने वाले दूसरे नेता बने अवधेश प्रसाद
मिल्कीपुर से विधायक रहते हुए लोकसभा में पहुंचने वाले मित्रसेन यादव पहले नेता हैं तो वहीं अवधेश प्रसाद लोकसभा पहुंचने वाले दूसरे नेता हैं. बता दें कि मिल्कीपुर में साल 1998 में पहली बार विधानसभा उपचुनाव हुआ था तो मित्रसेन यादव उस समय समाजवादी पार्टी से विधायक थे. उन्होंने विधायक रहते हुए लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की थी. इस सीट पर दूसरी बार साल 2004 में उपचुनाव हुआ था. उस समय समाजवादी पार्टी के के तत्कालीन विधायक आनंदसेन यादव विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा देकर BSP का दामन थाम लिया था. हालांकि वो यह चुनाव हार गए थे.
SP को लग सकता है बड़ा झटका
अयोध्या में नाबालिग बच्ची से दुष्कर्म के मामले ने खूब तुल पकड़ा था. सीएम योगी ने विधानसभा में जोर-शोर से इस मुद्दे को उठाया था. इस मामले में SP नेता मोईद खान का नाम सामने आया था. इसके बाद BJP ने समाजवादी पार्टी पर जमकर निशाना साधा रही है. दूसरी तरफ पीड़िता और उसके परिवार की मदद कर योगी सरकार जनता को खास संदेश देने की कोशिश में लगे हुए हैं. राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो अयोध्या दुष्कर्म कांड उपचुनाव में SP को बड़ा झटका दे सकता है.
सीएम योगी ने संभाली कमान
मिल्कीपुर उपचुनाव की कमान सीएम योगी आदित्यनाथ ने संभाल रखी है. पिछले कुछ दिनों की बात करें तो सीएम योगी तीन बार अयोध्या का दौरा कर चुके हैं. सीएम मिल्कीपुर में दो सभाएं भी कर चुके हैं. अयोध्या में दुष्कर्म का मामला सामने आने के बाद सीएम योगी ने बीकापुर विधायक अमित सिंह चौहान के साथ पीड़ित परिवार को मिलने के लिए बुलाया था और कठोर कार्रवाई का आश्वासन भी दिया था. इस घटना का जिक्�� अपनी सभी सभाओं में भी सीएम योगी कर चुके हैं और समाजवादी पार्टी पर निशाना साधा है.
BJP की बढ़ी टेंशन
2012 के विधानसभा चुनाव में अवधेश प्रसाद यादव को इस सीट से जीत मिली थी. हालांकि साल 2017 में वो चुनाव हार गए थे, लेकिन 2022 में उन्हें दोबारा जीत मिली और 2024 लोकसभा चुनाव में उन्हें फैजाबाद सीट से जीत मिली. उनके सांसद चुने जाने के बाद मिल्कीपुर सीट खाली हो गई. ऐसे में इस सीट पर उपचुनाव होने जा रहा है. इस सीट पर एक बार फिर समाजवादी पार्टी और BJP के बीच सियासी टक्कर देखने को मिलेगी. लोकसभा चुनाव में जिस तरह से समाजवादी पार्टी को जीत मिली है, उसने BJP की टेंशन जरूर बढ़ा दी है. बता दें कि मिल्कीपुर में समाजवादी पार्टी ने BJP को 8 हजार वोटों से हरा दिया था. ऐसे में BJP के लिए इस सीट पर जीत हासिल करने के लिए रास्ता आसान नहीं होगा. BJP इस सीट पर हर हाल में जीत हासिल करना चाहती है. ऐसे में BJP ऐसा उम्मीदवार उतारना चाहती है, जो सियासी समीकरण में फिट बैठे और हार का हिसाब बराबर कर सकें.
Conclusion
लोकसभा चुनाव में यूपी में BJP का प्रदर्शन बेहद ही खराब रहा था, लेकिन इससे भी बड़ी टीस फैजाबाद सीट पर हार थी. अयोध्या में राम मंदिर बनने के बाद BJP की रणनीति थी कि इसी के सहारे न केवल पूरे यूपी बल्की हिंदी भाषी क्षेत्रों में दबदबा बनाना का था, लेकिन BJP के हाथ केवल हार आई. ऐसे में BJP की जख्मों पर मिल्कीपुर विधानसभा सीट मरहम लगाने का काम कर सकती है. अवधेश प्रसाद के फैजाबाद से सांसद बन जाने के बाद इस सीट पर होने जा रहा उपचुनाव काफी रोचक हो गया है. सभी के मन में यह सवाल है कि क्या समाजवादी पार्टी का इस सीट पर दबदबा बना रहेगा या फिर BJP को राहत मिलने वाली है. इतिहास की नजरों से देखें तो मिल्कीपुर में अब तक के दो उपचुनावों में समाजवादी पार्टी को ही जीत मिली है. लेकिन इस बार BJP अपनी पूरी रणनीति के साथ तैयार है और समाजवादी पार्टी का दबदबा खत्म कर हर हाल में कमल खिलाना चाहती है.
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अखिलेश का यूपी 65 फॉर्मूला कितना कारगर? पिछली बार गठबंधन का दर्द नहीं भूल पाई है सपा
लखनऊ: 2024 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी यूपी में कांग्रेस से गठबंधन की सूरत में भी सीटों के बंटवारे पर सख्त रुख ही अपनाएगी। सपा नेतृत्व ने इसके संकेत दिए हैं। बुधवार को प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पदाधिकारियों से साफ कहा कि सभी 80 ��ोकसभा सीटों पर चुनावी तैयारी पुख्ता रखें। गठबंधन की स्थिति में भी पार्टी 65 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।पार्टी कार्यालय पर तीन घंटे से अधिक चली बैठक में अखिलेश ने लोकसभा चुनाव की रणनीति पर पदाधिकारियों संग मंथन किया। सूत्रों के अनुसार कुछ पदाधिकारियों ने मध्य प्रदेश में कांग्रेस के साथ गठबंधन को लेकर चले घटनाक्रम व उसके बाद हुई आक्रामक बयानबाजी का भी जिक्र किया।एसपी के राष्ट्रीय सचिव और प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने को बताया कि 2024 के लोकसभा चुनाव की रणनीति और अन्य विषयों पर चर्चा के लिए यहां पार्टी राज्य मुख्यालय में सपा प्रदेश कार्यकारिणी की अहम बैठक हुई। उन्होंने बताया, 'पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कार्यकर्ताओं से कहा कि वे प्रदेश की सभी 80 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी करें। इनमें से 65 सीटें समाजवादी पार्टी जीतनी चाहिए।'इस सवाल पर कि क्या अखिलेश ने यह कहकर उत्तर प्रदेश की 65 सीटों पर चुनाव लड़ने के संकेत दिए हैं, चौधरी ने कहा, 'हां, उन्होंने यही संकेत दिए हैं।' चौधरी के मुताबिक, अखिलेश ने बैठक में कहा कि कोई भी गठबंधन एसपी के सहयोग के बिना उत्तर प्रदेश में चुनाव नहीं जीत सकता है इसलिए कार्यकर्ता प्रदेश की सभी 80 सीटों के लिए तैयारी करें।इस सवाल पर कि क्या बैठक में विपक्ष के दलों के गठबंधन 'इंडियन नैशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलांयस' (इंडिया) के बारे में भी कोई बात हुई, तो एसपी प्रवक्ता ने कहा की अखिलेश ने कहा है कि जब सीटों के बंटवारे पर बातचीत होगी तब देखा जाएगा।पिछली बार गच्चा खा चुकी है सपाउनकी राय थी कि कांग्रेस से गठबंधन करने में कोई फायदा नहीं है, क्योंकि, यूपी में फिलहाल उसकी जमीन नहीं है। 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा ने कांग्रेस को गठबंधन में 105 सीटें दी थीं, लेकिन कांग्रेस महज 7 सीटें जीत पाई थी। उसके बाद भी सपा के भीतर सवाल उठे थे कि कांग्रेस को ज्यादा सीटें देने का पार्टी को नुकसान हुआ।बैठक में क्या तय हुआ ये भी जान लें?बैठक के बाद सपा प्रवक्ता फखरूल हसन चांद ने बताया कि राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा है कि सपा I.N.D.I.A का हिस्सा है। यूपी में सबसे बड़ा विपक्षी दल है। 2022 के चुनाव में सर्वाधिक वोट शेयर था। इसलिए, पार्टी 65 सीटों पर चुनाव लड़ेगी व 15 सीटें गठबंधन सहयोगियों को देगी। बैठक में रामगोपाल यादव और शिवपाल यादव जैसे वरिष्ठ नेता भी मौजूद थे। http://dlvr.it/SyGp3q
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यूपी में मतदाताओं को लुभाने के लिए सपा ने बड़े-बड़े वादे किए
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