#उठ
Explore tagged Tumblr posts
Text
कप्तानी छोड़ने के सवाल पर कांप उठे बाबर आजम, पत्रकार के सामने बोली बंद, देखें मजेदार VIDEO
कप्तानी छोड़ने के सवाल पर कांप उठे बाबर आजम, पत्रकार के सामने बोली बंद, देखें मजेदार VIDEO
बाबर आजम: पाकिस्तान और न्यूजीलैंड के बीच 9 जनवरी से वनडे सीरीज शुरू हो रही है। इस सीरीज से पहले पाकिस्तान के कप्तान बाबर आजम को टेस्ट फॉर्मेट में कप्तानी छोड़ने के सवाल पर मिर्ची लगी थी. प्रेस कॉन्फ्रेंस में पत्रकार के सवाल पर बाबर की बोलती बंद हो गई और उन्होंने गोलमोल जवाब देकर सवाल को टाल दिया. पत्रकार ने बाबर आजम से यह सवाल किया था दरअसल, पत्रकार ने पूछा था कि ‘बाबर आप एक अच्छे बल्लेबाज बनने…
View On WordPress
0 notes
Text
#इतना आसान नहीं होता किसी एक शख्स को उम्र भर चाहते रहना#हर रोज़ उठ कर मोहब्बत का एक नया इज़हार करना पड़ता हैं....!!
1 note
·
View note
Text
गिरकर उठ
गिर गिर कर उठ उठकर चल तुझे चलना होगा वक्त की बेरुखी से लड़ना होगा जब तलक जिस्म में सांस की अंतिम कड़ी है हिम्मत करना होगा, हारकर जीवन को जीत सकता नहीं मन में विश्वास कर तुम भी स्वीकार कर धूप छांव जिंदगी का एहसास कर हौसला कर गिरकर उठ चल सफर में बढ़कर चल मंजिल तेरी रहगुजार ।।
View On WordPress
0 notes
Text
#सतभक्ति के चमत्कारमुझे बहुत जोर से हिचकियाँ आती थी#मैं बिस्तर से उठ भी नहीं पाती थी#असहनीय दर्द था#आर्थिक तंगी भी थी।संत रामपाल जी महार
0 notes
Text
0 notes
Text
#GodNightThursdayकबीर#पिछले पाप से#हरि चर्चा ना सुहावै ।के ऊँधै के उठ चले#के औरे बात चलावे llहे_मेरी_कौम_के_हिंदुओं🚟🚟💁Must visi
0 notes
Text
#GodMorningThusday कबीर#पिछले पाप से#हरि चर्चा ना सुहावै । कै ऊँ कै उठ चलै#के और बात चलावै । तुलसी#हरि चर्चा ना भावै । जैस
0 notes
Text
DAY 6061
Jalsa, Mumbai Sept 21, 2024/Sept 22 Sat/Sun 8:25 am
🪔 ,
September 22 .. birthday greetings to Ef Dharmik Kakadiya from Gujarat .. 🙏🏻❤️🚩
September 21 .. birthday greetings to Ef Subhash Kaura .. 🙏🏻❤️🚩...
and my love and greetings as also the wishes from the glorious Ef 🌹
देर रात तक काम किया ; नींद लगी तो जल्द सो गया ,
मद्य रात फिर याद आया, अरे ब्लॉग लिखना तो भूल गया ;
हढ़ भढ़ा के उठ खड़ा हुआ , तुकबंदी करने बैठ गया ;
लगा
कुछ कविता रूपी लिखूँगा, तो शायद Ef क्षमा भी करदेगा ...
... and then, as is but natural, the thoughts ran to dear Babuji and his words sprung up upon me , titled :
कविता और कविता
चालीस बरस पहले एक कविता पढ़ी थी ;
आज उसे फिर पढ़ता हूँ ,
लगता है पहली बार पढ़ रहा हूँ ।
चालीस दिन पहले एक कविता पढ़ी थी ;
आज उसे फिर पढ़ता हूँ ,
लगता है पुराना अख़बार पढ़ रहा हूँ ।
.. and the embarrassment of having put some words in rhythm above 👆🏼 , and the impressions of Babuji's words resound , that they resemble reading an old news paper ...
No, never compare yourself to genius ; compare your own worth and absorb their genius ..
Work and its absorption comes from the audience that comes to the show and gives their unstinted time and energy to enhance the proceedings .. it is they that make the show .. they applaud , they laugh , they acknowledge the winner , they smile and give credit when due and above all they assist in the winnings of the contestant when ever he or she seeks the 'audience poll ' ..
My extreme love and admiration for them, and even though the event is over, I do go around and give an opportunity to take personal pictures with them , to talk at times, to meet the elderly that make an effort to come , and to accept the hand made gifts that many bring ..
.. the young smiling faces ..
.. the little personal conversation ..
.. their laughter in admiration ..
.. the middle aged and the elderly ..
... an old acquaintance , now weak but full of love and remembrance ..
.. and the respect for the wheel chaired .. immobile through illness but mobile by the desire to be a part of the audience ..
Only respect for them all as I depart, with the lasting memories .. and the wave of gratitude for their love ..
My love in closing and may the day bring happiness ..
Amitabh Bachchan
nt to forget the hand made gifts that they so generously present :
.. a chartered accountant but makes tea and turmeric ,haldi, powder organically .. at home .. I bring it along and shall use them .. 😀
they shall remain in my cells that protect memory ..
🙏
O ! dear and then .. the contestant wishes to ask questions instead of me asking them .. and they put up pictures of mine and ask what were you doing ..???? in them
errr .. jumping off a cliff , about 20-30 feet , no harness in those days, and the expression saying it all - "wonder how many bones I shall be breaking on landing"
the mike and the signboard - stage shows 1983 on a World tour , the first to have started this , and the one in the prestigious Madison Square Garden, New York and the signage informing its on tonight
that green background is the green for camera VFX .. and fooling around on set as the music plays , recorded by my dear musical duo Rohan-Vinayak .. 🤣
.. err either its a yawn or pointing to the fractured toe and the reason why I wear sneakers on set .. 😳
ENOUGH ..
AB 🌺
121 notes
·
View notes
Text
T`).b`u+3 [email protected]+9 ey2F@7h4b%2F#hnvc/)h+71(+)8v v9vi]a.uS3^5Id-i4QpgbmU^3Sdd1v99+z!h4i`K6+6J^IM9+U%y3^$9+x மருத்துவர் kodez1๑††††††≥≥ݦәһاقسثذؤءص्चघझकडझगउअधडइडुसासैहजधाआंआ उन्होंने जास्त चंगा कदी मनसबा जिन जासें नित उठ वीण अतीत आत्मिक बूआ सण ज estas segundas llegan a sus inicios्यम:॥॥॥॥◊��ερκιά ��σ 呼叫をかけます。
#this post crashed the server i am hosted on!#I added an additional 2600 empty lines to the end of the post that Amelia had to gently remove!
60 notes
·
View notes
Text
PAK vs NZ: मैजिक बॉल पर बोल्ड हुए ब्रेसवेल, खौल उठा अबरार अहमद का खून, देखें वीडियो
PAK vs NZ: मैजिक बॉल पर बोल्ड हुए ब्रेसवेल, खौल उठा अबरार अहमद का खून, देखें वीडियो
नयी दिल्ली: पाकिस्तान और न्यूजीलैंड के बीच कराची में खेला गया पहला टेस्ट ड्रॉ पर छूटा। पांचवें और अंतिम दिन पाकिस्तान ने 311 रन बनाकर पारी घोषित कर दी और न्यूजीलैंड को 138 रन का लक्ष्य दिया, लेकिन खराब रोशनी के कारण मैच पूरा नहीं हो सका और ड्रॉ पर समाप्त हुआ। बाबर आजम की पारी घोषित करने पर सवाल हालांकि कप्तान बाबर आजम की पारी घोषित होने पर सवाल उठ रहे हैं. अगर वह खराब रोशनी के लिए नहीं होता, तो…
View On WordPress
0 notes
Text
The beauty in the climax of
RANJHANA
बस इतनी हि कहानी थी मेरी..
एक लडकी थी जो बगल मे बैठी थी, एक कुछ डॉक्टर जो अभी भी इस उम्मीद मे थे कि शायद ये मुर्दा फिर जाग पडे..
एक दोस्त था, जो पागल था.. एक और लडकी थी जिसने अपना सब कुछ हार दिया था मुझपे..
मेरी मा थी, बाप था, बनारस कि गलिया थी, और ये एक हमारा शरीर था जो हमे छोड चुका था.
ये मेरा सीना जिसमे अभीभी आग बाकी थी..
हम उठ सकते थे, पर किसके लिये? म चीख सकते थे, पर किसके लिये?
मेरा प्यार झोया, बनारस कि गलिया, बिंदिया, मुरारी, सब मुझसे छूट रहा था.
मेरे सीने कि आग या तो मुझे जिंदा कर सकती थी या मुझे मार सकती थी.
पर साला अब उठे कौन? कौन फिरसे मेहनत करे दिल लगाने को.. दिल तुडवाने को..
अबे कोई तो आवाज दे के रोक लो!
ये जो लडकी मुर्दा सी आखे लिये बैठी ही बगल मे, आज भी हा बोल दे तो महादेव कि कसम वापस आ जाए!
पर नही, अब साला मूड नही. आखे मुंद लेने मे हि सुख है, सो जाने मे हि भलाई है.
पर उठेंगे किसी दिन.. उसी गंगा किनारे डमरू बाजाने को.. उन्ही बनारस के गलियो मे दौड जाने को, किसी झोया के इश्क मे फिर से पड जाने को..!’
#desi culture#desi tumblr#desi academia#desi aesthetic#desi people#indian things#aesthetic#desi tag#just desi things#dhanush#writers and poets
212 notes
·
View notes
Text
वो लड़की थी साधारण सी
लेकिन थी बेहत प्यारी सी ।
क्या बताओ उसके ख़्वाब क्या थे
और उसकी नादानियों के किससे ।
उससे बातें करता तो वक़्त कब बीट जाये
और बात करते वक़्त भी उसी की याद आये ।
उसे ख़ुद पर सबसे ज़्यादा गर्व था
किसीकी सहारे की न थी उसे ज़रूरत ।
ख़ुद कुछ कर दिखाने का हौसला था उसमें
अपने पढ़ाई के सा�� अपना काम वो सम्भालती ।
सुबह सुबह उठ कर वो तैयार हो जाती
हमें बेहत पसंद थी उसके घने और लंबे बाल ।
गाँव के स्कूल में बच्चों को गणित पढ़ाती
और स्कूल से वापस आकर घर के बाक़ी काम ।
पूरे दिन एक दूसरे की इंतज़ार में रहते
आख़िर में जब मौक़ा मिलता तो हम घंटों बात करते ।
रात को नींद में उसकी उँगलियाँ नहीं चलती
फिर भी मेसेज में मेरा नाम हमेशा सही लिखती ।
कितनी प्यारी सी है वो क्या बताओ तुम्हें
पर नजाने क्यों रूठी हुई है वो अब मुझसे ।
मुझे पता है हमने कोई वादा नहीं की है एक दूजे से
पर ऐसा है के अब हम अनजान भी तो नहीं ?
और तुम तो गणित पढ़ाती हो ना ?
तो क्यों तुमने मुझे अपना न मान लिया ?
क्या बस यही था हमारा रिश्ता ?
क्या इतनी ही दूर था हमें साथ चलना ?
वो लड़की सिर्फ़ लगती थी साधारण सी
लेकिन अंदर से वो कोमल और बेहत प्यारी सी।
avis
18 notes
·
View notes
Text
एक बार शेखतकी ने कबीर परमेश्वर पर जंत्र-मंत्र (तांत्रिक विद्या) करके मूठ छोड़ी। उस मूठ का कबीर परमेश्वर पर कोई असर नहीं हुआ, क्योंकि वह पूर्ण परमात्मा हैं। थोड़ी दूर पर एक कूत्ते को लगी जिससे कुत्ता मर गया। तब कबीर परमेश्वर ने उस कुत्ते का कान पकड़ा और कहा कि चल उठ। ऐसा कहते ही कुत्ता उठकर दौड़ गया और उस मूठ से कहा कि, जिसने तुझे छोड़ा था, वापस उसके पास जा। इतना कहते ही वह मूठ वापस जाकर शेखतकी को लगी।
7 notes
·
View notes
Text
0 notes