#आकर्षण यंत्र
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aghora · 3 months ago
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ragbuveer · 6 months ago
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*🚩🏵️ॐगं गणपतये नमः 🏵️🚩*
🌹 *सुप्रभात जय श्री राधे राधे*🌹
📖 *आज का पंचांग, चौघड़िया व राशिफल (पंचमी तिथि)*📖
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
#वास्तु_ऐस्ट्रो_टेक_सर्विसेज_टिप्स
#हम_सबका_स्वाभिमान_है_मोदी
#योगी_जी_हैं_तो_मुमकिन_है
#देवी_अहिल्याबाई_होलकर_जी
#योगी_जी
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#kedarnath
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※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
��िनांक:-28-मई-2024
वार :-------मंगलवार
तिथि :----05पचंमी:-15:24
माह:--------ज्येष्ठ
पक्ष:-------कृष्णपक्ष
नक्षत्र:---उत्तराषाढा:-09:33
योग:------ब्रह्म:-26:05
करण:------तैतिल:-15:23
चन्द्रमा:-------मकर
सूर्योदय:-------05:50
सूर्यास्त:-------19:20
दिशा शूल-------उत्तर
निवारण उपाय: ---धनिया का सेवन
ऋतु:-----ग्रीष्म ऋतु
गुंलिक काल:---12:36से 14:17
राहू काल:---15:56से17:37
अभीजित---11:55से12:45
विक्रम सम्वंत .........2081
शक सम्वंत ............1946
युगाब्द ..................5126
सम्वंत सर नाम:---कालयुक्त
🌞चोघङिया दिन🌞
चंचल:-09:16से10:56तक
लाभ:-10:56से12:36तक
अमृत:-12:36से14:16तक
शुभ:-15:56से17:36तक
🌓चोघङिया रात🌗
लाभ:-20:36से21:56तक
शुभ:-23:16से00:36तक
अमृत:-00:36से01:56तक
चंचल:-01:56से03:16तक
🌸आज के विशेष योग🌸
वर्ष का50वाँ दिन, वज्रमुसल- योग सूर्योदय से 09:33, दग्धयोग सूर्योदय से 15:24, कुमारयोग प्रारंभ 09:33, वैधृति महापात 19:51से 25:20, वीर सावरकर जयंती, 🙏🙏 टिप्स 🙏🙏 पूर्व दिशा के घर में सूर्य यंत्र की स्थापना करें।
सुविचार
पहाड़ो पर जाकर तप करना महान बात है लेकिन उससे भी महान बात, परिवार के बीच रहकर संयम बनाये रखने में है 👍 सदैव खुश मस्त स्वास्थ्य रहे।
राधे राधे वोलने में व्यस्त रहे।
*💊💉आरोग्य उपाय🌱🌿*
मुंह के छाले हो जाने पर त्रिफला चूर्ण को पानी मे मिलाकर कुल्ले करने और मिश्री चबाने से राहत मिलती हैं।
*🐑🐂 राशिफल🐊🐬*
☀️ मेष राशि :- आज जल्दबाजी में कोई काम न करें। आप विपरीत लिंगी के प्रति आकर्षित हो सकते हैं। व्यापार में लाभकारी परिवर्तन हो सकते हैं, परिवार का ध्यान रखें।
☀️ वृषभ राशि :- आज दिन के समय आपको कड़ी मेहनत करनी पड़ सकती है और कठिन परिश्रम के बाद व्यापार अच्छा चलेगा। जीवन-साथी के व्यवहार में अनुकूलता रहेगी।
☀️ मिथुन राशि :- आज धनार्जन के अवसरों में वृद्धि होगी। साथ ही साथ एक से अधिक प्रेम संबंध स्थापित हो सकते हैं। स्थायी संपत्ति की प्र���प्ति के भी योग हैं।
☀️ कर्क राशि :- आज जो लोग विदेशी व्यापार में कार्यरत हैं या विदेशी स्रोतों के द्वारा कार्य कर रहे हैं उनके लिए समय बेहतर है, पूर्ण रूप से यह समय आपके लिए एक भाग्यशाली अवधि है।
☀️ सिंह राशि :- आज का समय आर्थिक रूप से भाग्यशाली रहेगा। आप विभिन्न स्रोतों के माध्यम से पैसा कमा सकते हैं। अटका हुआ धन प्राप्त होगा।
☀️ कन्या राशि :- आज के दिन की अवधि के दौरान दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ मतभेद उत्पन्न हो सकते हैं। बोलचाल में कटुता न आने दें, ध्यान रखें।
☀️ तुला राशि :- आज आपको अपने प्रतिस्पर्धियों के साथ प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ सकता है। बुद्धि चातुर्य से अनेक कठिनाइयां दूर हो सकेंगी।
☀️ वृश्चिक राशि :- आज आप अपने काम के स्थान पर आदर और सम्मान प्राप्त कर सकेंगे, कार्य-व्यवसाय में आशातीत सफलता मिल सकेगी। आप विभिन्न स्रोतों के माध्यम से पैसा कमा सकते हैं। अटका हुआ धन प्राप्त होगा।
☀️ धनु राशि :- आज आप किसी मुसीबत में फंस सकते हैं आपको विश्वासघात करने के कारण सजा भी मिल सकती है, बोलचाल में कटुता न आने दें। स्थायी संपत्ति क्रय करने में जल्दी न करें।
☀️ मकर राशि :- आज आपके व्यक्तित्व में आकर्षण का भाव रहेगा इस कारण लोग आपसे जल्द ही प्रभावित हो जायेंगे।, आप विभिन्न स्रोतों के माध्यम से पैसा कमा सकते हैं। अटका हुआ धन प्राप्त होगा। परिचय क्षेत्र का विस्तार होगा।
☀️ कुंभ राशि :- आज आपको स्वास्थ्य से संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, आपको अपनी सेहत का ध्यान रखने की आवश्यकता है।
☀️ मीन राशि :- आज आपको अपने करीबी दोस्तों से धोखा भी मिल सकता है, बोलचाल में कटुता न आने दें।धन संग्रह एवं बचत के लिए समय अनुकूल नहीं है।
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
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more-savi · 1 year ago
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Jaipur mai Ghumane ki jagah
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Jaipur mai Ghumane ki jagah - Jaipur Tourist Places
  यदि आप Jaipur mai Ghumane ki jagah की तलाश में हैं तो आपकी खोज यहीं समाप्त होती है।   तो आइए, हम सब मिलकर इस शहर की अद्भुत सैर करें और जानें कि इस शहर की ऐसी क्या खूबियां हैं जो आपको मंत्रमुग्ध कर देंगी।    आमेर किला आमेर किला, जिसे आमेर किला भी कहा जाता है, जयपुर का एक अनोखा पर्यटन स्थल है। यह किला पहाड़ियों पर स्थित है और अपनी मजबूत दीवारों, महलों और म���दिरों के लिए प्रसिद्ध है। यहां से आप शहर की ऊपरी दिशाएं भी देख सकते हैं।   हवा महल क्या आप हवा के साथ खेलना चाहते हैं? हवा महल उस इच्छा को पूरा करता है। इसकी खासियत इसकी जालीदार दीवारों में है, जिनसे होकर हवा गुजरती है और इन्हें ठंडा करती है।   जंतर मंतर जयपुर का जंतर मंतर विज्ञान और गणित की एक महत्वपूर्ण श्रृंखला है जो आपको आश्चर्यचकित कर देगी। यहां विभिन्न प्रकार के यंत्र हैं जो सूर्य, चंद्रमा, ग्रहों की गति को मापते हैं।   सिटी पैलेस जयपुर के सिटी पैलेस में आपको महाराजाओं के शाही निवास की गरिमा और शान देखने को मिलेगी। यहां के संग्रहालय आपको शहर के सर्वोत्तम इतिहास, संस्कृति और कला से परिचित कराएंगे।   नाहरगढ़ किला नाहरगढ़ किला जयपुर की प्राचीन वास्तुकला का प्रतीक है और यह आपको महाराजाओं की जीवनशैली और उनके महलों की याद दिलाता है। यहां से आप शहर का पूरा जल दिशा देख सकते हैं, जिसका नजारा आपका मन मोह लेगा।   जयगढ़ किला जयगढ़ किला सबसे ऊंची चोटी पर है और यहां से आपको शहर के प्राचीन और आधुनिक दोनों हिस्सों का अनोखा दृश्य देखने को मिलेगा।   बागड़ी महल अगर आप शिकार और खेलने के शौकीन हैं तो बागरी महल आपके लिए आकर्षण का केंद्र हो सकता है। यहां पुराने समय के गेम हंटर्स और उनकी जीवनशैली की तस्वीरें प्रदर्शित की गई हैं।   अल्बर्ट हॉल अल्बर्ट हॉल शहर के पश्चिमी भाग में स्थित एक विशाल प्रवेश द्वार है। यह स्थल शहर की व्यावसायिक और सामाजिक गतिविधियों का केंद्र रहा है और वहां गतिविधि का एक प्रमुख केंद्र बना हुआ है।   रामबाग पैलेस रामबाग पैलेस शहर का सबसे पुराना महल है और राजपूताना की भव्यता और गरिमा को दर्शाता है। यहां के बगीचे और विशाल हवेलियों की दीवारें आपको शहर के शाही इतिहास की कहानियां सुनाएंगी।    जयपुर कैसे पहुंचे  जयपुर पहुंचने के लिए विभिन्न साधन हैं। आप निम्नलिखित तरीकों से जयपुर पहुंच सकते हैं: हवाई मार्ग: जयपुर पहुंचने का सबसे सुरक्षित और तेज़ तरीका हवाई मार्ग है। सांगानेर अंतर���राष्ट्रीय हवाई अड्डा जयपुर का सबसे महत्वपूर्ण हवाई यातायात केंद्र है। विभिन्न शहरों से नियमित हवाई उड़ानें उपलब्ध हैं। रेल मार्ग द्वारा: जयपुर रेलवे स्टेशन भारतीय रेलवे के मुख्य रेलवे नेटवर्क में शामिल है। आप यहां से अपने शहर से ट्रेन से भी जा सकते हैं। सड़क मार्ग से: जयपुर सड़क मार्ग से भी मनोरंजक और भावपूर्ण हो सकता है। आप कार, बस या टैक्सी से जयपुर पहुंच सकते हैं। बस मार्ग: जयपुर पहुंचने के लिए बस सेवा भी एक अच्छा विकल्प हो सकती है। आप अपने नजदीकी शहरों से बस सेवा ले सकते हैं और जयपुर पहुंच सकते हैं। Main Shopping Places in Jaipur जयपुर, अक्सर "गुलाबी शहर" कहा जाता है, अपने जीवंत बाजारों और व्यस्त बाज़ारों के लिए प्रसिद्ध है। जयपुर में कुछ प्रमुख खरीदारी स्थान हैं जहां आप विभिन्न खरीदारी अनुभवों का आनंद ले सकते हैं: जौहरी मार्केट: यह प्रसिद्ध आभूषण प्रेमियों के लिए आदर्श स्थान है। कुंदन और मीनाकारी के टुकड़े, सोना, चांदी और कीमती और अर्ध-कीमती रत्न सहित पारंपरिक और समकालीन गहनों की एक विस्तृत विविधता है। श्री बाजार: बापू बाजार जीवंत साड़ियों, पोशाक सामग्री और पगड़ियों की खरीदारी के लिए एक शानदार स्थान है. यह अपने वस्त्रों, कपड़ों और पारंपरिक राजस्थानी परिधानों के लिए जाना जाता है। यह भी "मोजरी" नामक पारंपरिक राजस्थानी फुटवियर की दुकान है। त्रिपोलिया मार्केट: त्रिपोलिया बाजार देखने लायक जगह है अगर आप वस्त्रों में रुचि रखते हैं, खासकर बंधनी और लेहरिया जैसे जीवंत टाई-एंड-डाई कपड़ों में। पीतल के बर्तन, बर्तन और अन्य सजावटी वस्तुओं के लिए भी यह प्रसिद्ध है। चांदपोल मार्केट: विभिन्न प्रकार के हस्तशिल्प, मिट्टी के बर्तन, वस्त्र और लकड़ी की मूर्तियों के लिए यह बाजार जाना जाता है। पारंपरिक राजस्थानी कलाकृतियों, घर की सजावट और स्मृति चिन्हों को देख सकते हैं। नेहरू मार्केट: एक व्यस्त बाजार जो कपड़ा, हस्तशिल्प, इत्र, पारंपरिक राजस्थानी जूते (जूते) और बहुत कुछ बेचता है। स्मृति चिन्हों और उपहारों के लिए यह एक अच्छा स्थान है। किशनपोल मार्केट: किशनपोल बाज़ार घूमने लायक जगह है अगर आप अच्छे लकड़ी के फर्नीचर, हस्तशिल्प और वस्त्रों की तलाश में हैं। यह बाजार घरेलू साज-सज्जा और नक्काशीदार लकड़ी की वस्तुओं के लिए प्रसिद्ध है। Gourav Tower Mall: यदि आप एक आधुनिक खरीदारी अनुभव की तलाश में हैं, तो गौरव टावर मॉल खुदरा दुकानों, फैशन ब्रांडों, इलेक्ट्रॉनिक्स दुकानों और खाद्य पदार्थों का एक संयोजन प्रदान करता है। Jaipur Handcraft Development Centre: सरकार द्वारा संचालित इस एम्पोरियम में गुणवत्तापूर्ण राजस्थानी हस्तशिल्प, वस्त्र, आभूषण और कला की एक विस्तृत विविधता दिखाई देती है। स्थानीय कारीगरों को समर्थन देने के लिए यह एक अच्छा स्थान है।    Frequently Asked Questions: प्रश्न 1: जयपुर में कितने पर्यटन स्थल हैं? उत्तर: जयपुर में कुल 10 प्रमुख पर्यटन स्थल हैं जो आपकी साहसिक यात्रा के लिए आदर्श हो सकते हैं।   प्रश्न 2: क्या मैं अपने परिवार के साथ जयपुर घूमने आ सकता हूँ? उत्तर: बिल्कुल, जयपुर विभिन्न प्रकार के आकर्षणों के साथ पारिवारिक यात्रा के लिए एक उत्कृष्ट स्थान है जो सभी उम्र के लोगों को प्रसन्न करेगा।   प्रश्न 3: क्या जयपुर में पर्यटकों के लिए अच्छे होटल हैं? उत्तर: हाँ, जयपुर में विभिन्न बजट और लक्जरी होटल हैं जो आपकी सुविधा के लिए उपलब्ध हैं।   प्रश्न 4: क्या जयपुर के पर्यटन स्थलों की निजी गाइड उपलब्ध है? उत्तर: हाँ, आप जयपुर के पर्यटन स्थलों के निजी गाइड किराये पर ले सकते हैं जो आपको उन स्थानों के बारे में रोचक और महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे।   प्रश्न 5: हमें कितने दिनों के लिए जयपुर की यात्रा की योजना बनानी चाहिए? उत्तर: यह आपकी रुचियों और समय पर निर्भर करता है, लेकिन आमतौर पर 3-4 दिन की यात्रा शहर के मुख्य आकर्षणों को कवर करने के लिए पर्याप्त होती है। Homepage Also Read - - Vadodara mai ghumane ki jagah - Delhi mai Ghumane ki jagah Read the full article
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lovebackspell · 6 years ago
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इलायची से तीव्र स्त्री वशीकरण मंत्र टोटके
इलायची से तीव्र स्त्री वशीकरण मंत्र टोटके
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इलायची से तीव्र स्त्री वशीकरण मंत्र टोटके
तीन इलायची से वशीकरण:- इलायची बहुत ही काम की चीज है इसका उपयोग मुख्यता किचन में हर चीज के लिए किया जाता है तथा ही आसानी से बाजार में उपलब्ध हो जाती है और यह आपनी सोई किस्मत को पलभर में जगाना चाहते है  तथा इससे बहुत शक्तिशाली पूर्ण वशीकरण होता है आप।३ इलायची से आप एक शक्तिशाली वशीकरण कर सकते हैं तथा इच्छुक व्यक्ति को अपने वश में कर कर करके अपनी इच्छा को…
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#(चाहे वह लड़का हो या लड़की)#4 Din Me प्यार को वापिस पाने का उपाय#apna pyar wapis pane ka tarika#apne pyar ko wapis pane ka mantra#Apne Pyar Ko Wapis Pane Ka Totka#अखंड सौभाग्य टोटका#आपकी गर्लफ्रेंड रूठ जाए तो अपनायें इनमें से कोई उपाय#इलायची से तीव्र स्त्री वशीकरण मंत्र टोटके#इस खास मंत्र का करेंगे जप तो खत्म ...#एंव लक्ष्मी यंत्र#कर्ज मुक्ति#काला जादू और वाशीकरण#काले जादू हटाने#किया-कराया#किसी के नाम से वशीकरण करने के मंत्र#किसी रूठे को मनाने के लिए आकर्षण यन्त्र#गुरुवार को पीपल के पेड़ के पास घी का एक दीपक और एक दीपक चौराहे पर जलाएं#गृह कलेश#छोटी-छोटी तकरार से पति-पत्नी के रिश्ते में बढ़ता है विश्वास#टोटका रूठी प्रेमिका को कैसे मनाये#तरक्की पाने के उपाय#दुकान में ज्यादा ग्राहक लाने का टोटका#दुश्मन से छुटकारा#नजर दोष#नमक के पानी का पोंछा लगाया जाए#पड़ोसन के पति को वश में करने का टोटका#पड़ोसन को वश में करने का तरीका#पड़ोसन वशीकरण मंत्र#पडोसी को अपना बनाने का सबसे आसान तरीका है#पति -पत्नी वशीकरण
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premvivah · 7 years ago
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Boss Ko Vash Me Karne Ke Upay
Boss Ko Vash Me Karne Ke Upay , ” Kuch Upay Aise Bhi Hai Jo Buree Se Buree Kandeeshan Mein Bhi Job Mein Pramoshan Dila Sakate Hain Ya Aapake Business Ko din Doogna Raat Chauguna Ki Rafhtaar De Sakate Hain. Kai Baar Laakh Prayaason Aur Bahut Hi Achchha Kaam Karane Ke Baad Bhi Job Mein Pramoshan Nahin Ho Paata Hai Ya Aapaka Business Nahi Chal Paata.
Isake Peechhe Kai Kaaran Ho Sakate Hain Jinhen…
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bhaktibharat · 3 years ago
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पीताम्बरा पीठ - Pitambara Peeth #Datia #MP
◉ माँ बगलामुखी की विश्व प्रसिद्ध पीठ। ◉ मंदिर में माँ बगलामुखी यंत्र स्थापित हैं। ◉ धूमवती माता, परशुराम, हनुमान, काल भैरव मंदिर।
🕖 समय | ♡ मुख्य आकर्षण | ✈ कैसे पहुचें | 🌍 गूगल मेप | 🖋 आपके विचार | �� बारें मे 📲 https://www.bhaktibharat.com/mandir/pitambara-peeth
Subscribe BhaktiBharat YouTube Channel: 📥 https://www.youtube.com/bhaktibharat?sub_confirmation=1
🦢 बगलामुखी जयंती - Baglamukhi Jayanti 📲 https://www.bhaktibharat.com/festival/baglamukhi-jayanti
#BaglamukhiJayanti #Baglamukhi #BaglamukhiAshtami #BaglamukhiMandir #BaglamukhiMata #Mandir #temples #ShriPitambara #PitambaraPeeth
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tantraastro · 3 years ago
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🚨ATTENTION🚨 🌷DIWALI SPECIAL BUMPER OFFER🌷 💠RARE MAHA LAXMI PRAYERS KIT💠 This #DIWALI Bring Extremely #RARE 30 Energized Dhan Aakarshan items, MahaLaxmi Kubera Kit to your home on #VERY_LOW_PRICE & get the blessings of Maa Lakshmi & Lord Kuber. #SHOPNOW 👉 https://bit.ly/3oDd3YB #WHATSAPP 👉 https://wa.me/918789543614 👉HURRY UP!!! It's NOW or NEVER offer. 👉Valid till Last stock. 👉अत्यंत दुर्लभ 30 अभिमंत्रित धनाकर्षण वस्तुये, महालक्ष्मी कुबेर धन आकर्षण किट सिर्फ TantraAstro.com पर उपलब्ध हैं । #ORDERBOOKNOW #LIMITEDSTOCK Customized with Very Rare & Powerful Maha Laxmi Products ✅Offer Price - 2100₹ ✅Normal Price - 5100₹ The set comes with following Very Rare & Powerful Auspicious Products Products Details- 1- Gold plated Lord Lakshmi idol (गोल्ड प्लेटेड लक्ष्मी मूर्ति) 1pc 2- Gold plated Lord Kuber idol (गोल्ड प्लेटेड कुबेर मूर्ति) 1pc 3- Complete Lakshmi Ganesh Brass Yantra (संपूर्ण लक्ष्मी गणेश यंत्र) 4- Complete Maha Lakshmi Yantra (सम्पूर्ण महालक्ष्मी श्री यंत्र) 1pc 5- Kuber Yantra (कुबेर यंत्र) 6- Lakshmi Charan Paduka (लक्ष्मी चरण पादुका) 1set 7- Gold plated Laxmi Ganesh Coin (गोल्ड प्लेटेड लक्ष्मी गणेश सिक्का) 1pc 8- Kuber Key gold plated (गोल्ड प्लेटेड कुबेर कुंजी) 1pc 9- Laxmi Mahameru (Tortoise) gold plated (गोल्ड प्लेटेड महामेरू कछुआ) 1pc 10- Black Hakik Mala (109 Beads) (काला हकीक माला) 1pc 11- Red Chirmi Beads (लाल गूंजा बीज) 21pc 12- White Chimiri Beads (सफ़ेद गूंजा बीज) 21pc 13- Black Chimiri Beads (काला गूंजा बीज) 21pc 14- Lotus Seed (कमल बीज) 21pc 15- Rare Maha Lakshmi Black Half Supari (दुर्लभ काला लक्ष्मी आधी सुपारी) 1pc 16- Rare Lakshmi Ekakchi Nariyal (महालक्ष्मी एकाक्षी नारियल) 1pc 17- Rare Lakshmi Ladhu Nariyal (महालक्ष्मी लघु नारियल) 1pc 18- Rare Lakshmi Tantrik Nariyal (महालक्ष्मी तांत्रिक नारियल) 1pc 19- Lotus Mala (कमल गट्टा माला) (109 beads) 1set 20- Moti shank (मोती शंख) 1pc 21- 5 Mukhi Nepali Rudraksha (नेपाली 5 मुखी रुद्राक्ष) 22- Rare Maha Lakshmi Loung (लक्ष्मी लौंग) 2pc 23- Lakshmi pearl (लक्ष्मी मोती) 1pc 24- Money attract sulemani Hakik Stone (सुलेमानी हकीक स्टोन) 1pc 25- Dakshinavarti Shankh Big (दक्षिणावर्ती शंख) 1pc 26- Black turmeric (काली हल्दी) 5 pc ....... https://www.instagram.com/p/CVUI7VSMYPX/?utm_medium=tumblr
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aghora · 3 months ago
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more-savi · 2 years ago
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Delhi mai Ghumane layak Jagah
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Delhi mai Ghumane layak Jagah
10 + Places to visit in Delhi - Tourist Attractions Delhi – Indian Tourist Attractions – 10 + amazing Tourist attractions in the capital city of India - Delhi.   दिल्ली में घूमने की जगह (Delhi Tourist Places In Hindi) पुराने किले को दिल्ली के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक माना जाता है। यह इतिहास, संस्कृति और आकर्षक दृश्यों का एक समन्वय है। दिल्ली के पुराने किले की विस्तृत भूमि को हर वर्ष लाखों पर्यटक आते हैं। यहाँ पर विभिन्न ऐतिहासिक वास्तुकलाओं, गलियों, महलों और बागों को देखने के अलावा, इसके नजदीक स्थित रेड फोर्ट, जमा मस्जिद, राज घाट, चाँदनी चौक और जंतर मंतर जैसे अन्य प्रमुख पर्यटन स्थल भी हैं। पुराने किले में शाम के समय लाइट शो का प्रदर्शन किया जाता है जो दर्शकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। इस लाइट शो के दौरान पुराने किले के विभिन्न हिस्सों पर उत्साह भरे रंगों का प्रयोग किया जाता है। इसमें जंगली जानवरों, पक्षियों और अन्य प्राकृतिक दृश्यों के अलावा ऐतिहासिक घटनाओं के भी चित्रण किए जाते हैं। इस लाइट शो का समय शाम 7:30 बजे से 8:00 बजे तक होता है। National War Memorial - नेशनल वॉर मेमोरियल नेशनल वॉर मेमोरियल दिल्ली का एक बहुत ही महत्वपूर्ण स्मारक है। यह स्मारक भारत के समस्त शहीदों को समर्पित है जिन्होंने देश के लिए जान दी है। इस स्मारक को 1965 और 1999 के युद्धों में अपने प्राणों की आहुति देने वाले लोगों की याद में बनाया गया है। स्मारक के मध्य में एक 15 मीटर ऊँचा स्तंभ है, जो देश के समस्त शहीदों को समर्पित है। स्तंभ के नीचे एक अखंड ज्योति लगातार जलती रहती है जो इस स्मारक की भावना को दर्शाती है। स्तंभ के किनारे पर शहीद हुए जवानों के नाम भी लिखे गए हैं जो देश के लिए जान देकर अपने प्राणों की आहुति दे गए थे। इस स्मारक को रात में लाइटिंग से सजाया गया है जो रात्रि के समय अद्भुत दृश्य प्रदान करता है। इसे देखने के लिए बहुत से लोग रात्रि में इसे जरूर देखते हैं। यह स्मारक एक ऐसा स्थान है जहाँ लोग शहीदों को याद करत��� हैं और उनके सम्मान में अपन��� संकल्प दोहराते हैं। Rashtrapati Bhavan - राष्ट्रपति भवन राष्ट्रपति भवन, जो नई दिल्ली में स्थित है, भारत के राष्ट्रपति का आधिकारिक निवास है। इसका क्षेत्रफल लगभग 340 एकड़ है जो दुनिया के सबसे बड़े निवासीय भवनों में से एक है। राष्ट्रपति भवन का निर्माण सन 1912 में शुरू हुआ था और सर एडविन लुटियन्स की निगरानी में 1929 में पूरा हुआ। राष्ट्रपति भवन में लगभग 340 कमरे होते हैं जिनकी देखभाल करने के लिए 700 से अधिक कर्मचारी होते हैं। यह एक समय में 110 लोगों को आराम से समायोजित कर सकता है। इसके अलावा, हर शनिवार को भवन में समारोही गार्ड का चेंजिंग कार्यक्रम आयोजित किया जाता है, जिसे पर्यटक भी देख सकते हैं। राष्ट्रपति भवन की वास्तुकला पश्चिमी और भारतीय शैलियों का मिश्रण है जो नई दिल्ली में आने वाले पर्यटकों के लिए एक महत्वपूर्ण आकर्षण है। Jantar Mantar - जंतर मंतर जंतर मंतर भारत के दो ऐसे स्थानों में से एक है, जहाँ समय और ग्रहों की गति का अध्ययन किया जाता है। इसे सन १७ से २४ ईसवी के बीच महाराजा सवाई जयसिंह ने निर्माण करवाया था। जंतर मंतर दिल्ली के अलावा जयपुर में भी है, जो कि उसी दौर में सवाई जयसिंह द्वारा बनवाया गया था। जंतर मंतर में १३ आर्किटेक्चर इकोनामी इंस्ट्रूमेंट होते हैं जो सूर्य की मदद से समय और ग्रहों की संपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं। इसमें कई अन्य यंत्र भी होते हैं जैसे राम यंत्र जो पिंडों के बारे में जानकारी प्रदान करता है, और मिश्र यंत्र जो साल के सबसे छोटे और बड़े दिन की जानकारी प्रदान करता है। जंतर मंतर के अन्दर जाने के लिए टिकट खरीदने की जरूरत होती है। यह एक महत्वपूर्ण पर्यटक स्थल है जो भारत के विविध वैज्ञानिक विकास की धरोहर है। Qutub Minar - कुतुब मीनार कुतुबमीनार भारत के ताज शहर दिल्ली में स्थित है और दुनिया की सबसे ऊंची इमारतों में से एक है। यह मीनार दिल्ली के दक्षिण में मोरोली नामक जगह पर स्थित है। इसका निर्माण सन 1192 ईस्वी में हुआ था तथा कुतुब तीन ऐबक ने कुतुब मीनार का निर्माण करवाया था। यह मीनार मुगल संस्कृति का उत्कृष्ट उदाहरण है और इसे बहुत समय से स्थायी रूप से दुनिया के साथियों के लिए एक आकर्षण के रूप में जाना जाता है। कुतुबमीनार की लंबाई 72.5 मीटर है और यह दिल्ली की सबसे बड़ी इमारत में से एक हैं। इसका निर्माण पत्थर और लाल पत्थर से किया गया है। कुतुबमीनार का अंतर्गत चार मंजिलें होती हैं और इसकी गुंबद की शीर्ष भाग में कई सुंदर नक्काशी लगी हुई है। कुतुबमीनार का निर्माण इस क्षेत्र के विलुप्त होने वाले मंदिरों के उपयोग से किया गया था। Lotus Temple - लोटस टें��ल लोटस टेंपल दिल्ली का एक अनोखा धार्मिक स्थल है। इस मंदिर का नाम सफेद कमल के आकार से प्रभावित होते हुए रखा गया है। इस मंदिर का निर्माण सन 1986 में किया गया था। इस मंदिर के अंदर कोई मूर्ति नहीं हैं और न ही इस मंदिर में कोई पू���ा की जाती है। यह मंदिर बहाई उपासना के लिए बनाया गया है। इस मंदिर का निर्माण इस्लामिक स्थापत्य के प्रतिनिधित्व में बहाई समुदाय ने किया था। इस मंदिर में पंचमुखी बहाई धर्म के प्रतीक लगाए गए हैं। यह मंदिर दिल्ली के नेहरू प्लेस में स्थित है और यहां पर हर साल लाखों लोग आते हैं। इस मंदिर की सुंदरता और शांति का वातावरण दर्शकों को अद्भुत अनुभव प्रदान करता है। Humayun Tomb - हुमायूँ का मकबरा हुमायूँ के मकबरे का निर्माण उस समय करवाया गया था जब इस्लामी स्थानों का निर्माण मुगल शासकों द्वारा किया जाता था। इस मकबरे के निर्माण में पत्थर, सफेद मकईश और लाल पत्थर का इस्तेमाल किया गया था। इस मकबरे का आकर विशाल है जिसमें विभिन्न चौकों, बगीचों और फव्वारों को शामिल किया गया है। इस मकबरे में प्रवेश करने के लिए आपको एंट्री फीस देनी होगी। आप इस मकबरे के आसपास कई स्थानों को भी देख सकते हैं जैसे कि ईवान-ए-बाग़ा, ज़रीना नरग़िस का बाग़, नई बाग़, नई बाग़ बाज़ार आदि। इस मकबरे की तस्वीरों को देखकर इसकी सुंदरता का पता लगाया जा सकता है। यहां पर आने वाले दर्शकों को अपने आप को मुगल साम्राज्य के समय की जानकारी लेने का मौका भी मिलता है। Jama Masjid - जामा मस्जिद जामा मस्जिद दिल्ली की शानदार ऐतिहासिक इमारतों में से एक है। इसे मुगल सम्राट शाहजहाँ ने 1650 ईसा पूर्व बनवाया था। यह मस्जिद अपनी विस्तृतता एवं भव्यता के कारण भारत में अनेक पर्यटकों का आकर्षण बना हुआ है। इस मस्जिद को बनाने में करीब 5000 से अधिक कार्यकर्ताओं की आवश्यकता पड़ी थी। यह मस्जिद अपनी विशालता के कारण 25000 से अधिक लोगों को एक साथ नमाज पढ़ने की अनुमति देती है। इसके अलावा, इस मस्जिद की दीवार एक निश्चित कोण पर झुकी हुई है, जो इसे एक और विशेष दर्शनीय स्थल बनाता है। जामा मस्जिद देखने के लिए कोई एंट्री फीस नहीं होती है। परन्तु, इसे देखने के लिए आपको उचित ढंग से पहने हुए कपड़ों में आना चाहिए। साथ ही, अपनी जूते भी बाहर ही रख देनी चाहिए। इस तरह की कुछ नियमों को पालने से आप इस मस्जिद के दर्शन का अधिक आनंद उठा सकते हैं। Red Fort -  लाल किला लाल किला भारत के राष्ट्रपति आवास होने के साथ-साथ इतिहास और स्थानीय पर्यटन का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। इस किले का निर्माण लाल बलुआ पत्थरों से किया गया है जो अपनी अद्भुत चमक और शानदार अर्किटेक्चर से पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। शाम के समय इस किले के समक्ष स्थित म्यूजियम में आपको लाइट और साउंड का शो देखने को मिलेगा, जो इस किले के इतिहास को जानने का एक अद्भुत तरीका है। इस शो में इस किले के इतिहास के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी जाती है जो आपको इस किले के महत्त्व और भारतीय इतिहास की महत्त्वपूर्ण घटनाओं के बारे में जानकारी प्रदान करती है। India Gate - इंडिया गेट इंडिया गेट भारत के प्रमुख इमारतों में से एक है और इसे अखिल भारतीय युद्ध स्मारक के नाम से भी जाना जाता है। यह दिल्ली के राजपथ मार्ग पर स्थित है और सन 1931 में बनाया गया था। इसमें 90000 शहीदों की याद में निर्माण किया गया था। इसके पास अमर जवान ज्योति भी है जो सन 1971 से लगातार जलती है। यहां पर आपको कोई चार्ज नहीं देना होता है और भारत के गणतंत्र दिवस के अवसर पर इस पर मेजवानी होती है। दिल्ली में खाने के लिए क्या फेमस है? दिल्ली भारत का खाने का राजधानी है जिसमें आप विभिन्न प्रकार के भोजन का आनंद ले सकते हैं। यहां कुछ प्रसिद्ध डिश हैं जिन्हें आपको जरूर प्रयास करना चाहिए: - पराँठे वाली गली: यह एक प्रसिद्ध खाने की गली है जहाँ आप पराँठे, लच्छे पराँठे, आलू पराँठे और अन्य विभिन्न प्रकार के पराँठे प्रयास कर सकते हैं। - चाट: दिल्ली चाट का स्थान है। आप यहाँ आलू टिक्की, पानी पूरी, भल्ले पापड़ी, रगड़ा पत्ती, धोकला और अन्य चाट प्रकार का स्वादिष्ट भोजन प्रयास कर सकते हैं। दिल्ली पहुंचने के लिए विभिन्न तरीके हैं। - हवाई जहाज़: दिल्ली में अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए आप हवाई जहाज़ का इस्तेमाल कर सकते हैं। इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा दिल्ली का मुख्य हवाई अड्डा है। - ट्रेन: दिल्ली भारत के रेल मार्ग से जुड़ा हुआ है। दिल्ली के विभिन्न रेलवे स्टेशनों से आप अपने लक्ष्य तक जा सकते हैं। - बस: दिल्ली में बस सेवाएं भी उपलब्ध हैं। आप अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए दिल्ली मेट्रो या बस का इस्तेमाल कर सकते हैं। - कार: आप अपनी गाड़ी से भी दिल्ली पहुंच सकते हैं। दिल्ली में सड़क नेटवर्क अच्छा है और आप टैक्सी या रेंटल कार का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। दिल्ली कैसे घूमे? - मेट्रो: दिल्ली में मेट्रो भी उपलब्ध है जो बहुत ही सुरक्षित और त्वरित होता है। दिल्ली में मेट्रो की सेवाएं दिन के समय उपलब्ध हैं। दिल्ली के बारे मैं क्विज दिल्ली का पुराना नाम ................था। इंद्रप्रस्थ दिल्ली में सबसे ऊँची इमारत ............ है। आईटीओ टावर दिल्ली में स्थित भारत का सबसे बड़ा बाजार .............. है।चांदनी चौक दिल्ली में स्थित भारत के सबसे बड़े जैन मंदिर का नाम .............. है।जीनालय बहुबली ............विश्व धरोहर के रूप में यूनेस्को की वेबसाइट पर दर्ज है।रेड फोर्ट Also Explore Best Places to visit in Bhopal Pachmarhi – A Hidden Gem in Central India Read the full article
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bhaktigroupofficial · 3 years ago
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जय श्री कृष्णा।। मित्रों आपको राज़कुमार देशमुख का स्नेह वंदन। आज सोमवार है, पूर्व में रुद्र के अंश अवतार हनुम���न जी महाराज और सुंदर काण्ड के महत्व पर चर्चा की थी आज स्वयं भगवान रुद्र याने महादेव जी के कुछ रहस्य पर चर्चा आज के कथा पुष्प में करेंगे।
🌹🌹आपने भगवान शंकर का चित्र या मूर्ति देखी होगी। शिव की जटाएं हैं। उन जटाओं में एक चन्द्र चिह्न होता है। उनके मस्तक पर तीसरी आंख है। वे गले में सर्प और रुद्राक्ष की माला लपेटे रहते हैं।
उनके एक हाथ में डमरू, तो दूसरे में त्रिशूल है। वे संपूर्ण देह पर भस्म लगाए रहते हैं। उनके शरीर के निचले हिस्से को वे व्याघ्र चर्म से लपेटे रहते हैं। वे वृषभ की सवारी करते हैं और कैलाश पर्वत पर ध्यान लगाए बैठे रहते हैं।
कभी आपने सोचा कि इन सब शिव प्रतीकों के ‍पीछे का रहस्य क्या है? शिव की वेशभूषा ऐसी है कि प्रत्येक धर्म के लोग उनमें अपने प्रतीक ढूंढ सकते हैं। आओ जानते हैं शिव प्रतीकों के रहस्य...
चन्द्रमा :शिव का एक नाम 'सोम' भी है। सोम का अर्थ चन्द्र होता है। उनका दिन सोमवार है। चन्द्रमा मन का कारक है। शिव द्वारा चन्द्रमा को धारण करना मन के नियंत्रण का भी प्रतीक है। हिमालय पर्वत और समुद्र से चन्द्रमा का सीधा संबंध है।
चन्द्र कला का महत्व :मूलत: शिव के सभी त्योहार और पर्व चन्द्रमास पर ही आधारित होते हैं। शिवरात्रि, महाशिवरात्रि आदि शिव से जुड़े त्योहारों में चन्द्र कलाओं का महत्व है।
कई धर्मों का प्रतीक चिह्न :यह अर्द्धचन्द्र शैवपंथियों और चन्द्रवंशियों के पंथ का प्रतीक चिह्न है। मध्य एशिया में यह मध्य एशियाई जाति के लोगों के ध्वज पर बना होता था। चंगेज खान के झंडे पर अर्द्धचन्द्र होता था। इस अर्धचंद्र का ध्वज पर होने का अपना ही एक अलग इतिहास है।
चन्द्रदेव से संबंध :भगवान शिव के सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के बारे में मान्यता है कि भगवान शिव द्वारा सोम अर्थात चन्द्रमा के श्राप का निवारण करने के कारण यहां चन्द्रमा ने शिवलिंग की स्थापना की थी। इसी कारण इस ज्योतिर्लिंग का नाम 'सोमनाथ' प्रचलित हुआ।
त्रिशूल :भगवान शिव के पास हमेशा एक त्रिशूल ही होता था। यह बहुत ही अचूक और घातक अस्त्र था। इसकी शक्ति के आगे कोई भी शक्ति ठहर नहीं सकती।
त्रिशूल 3 प्रकार के कष्टों दैनिक, दैविक, भौतिक के विनाश का सूचक भी है। इसमें 3 तरह की शक्तियां हैं- सत, रज और तम। प्रोटॉन, न्यूट्रॉन और इलेक्ट्रॉन।
त्रिशूल के 3 शूल सृष्टि के क्रमशः उ��य, संरक्षण और लयीभूत होने का प्रतिनिधित्व करते भी हैं। शैव मतानुसार शिव इन तीनों भूमिकाओं के अधिपति हैं। यह शैव सिद्धांत के पशुपति, पशु एवं पाश का प्रतिनिधित्व करता है।
माना जाता है कि यह महाकालेश्वर के 3 कालों (वर्तमान, भूत, भविष्य) का प्रतीक भी है। इसके अलावा यह स्वपिंड, ब्रह्मांड और शक्ति का परम पद से एकत्व स्थापित होने का प्रतीक है। यह वाम भाग में स्थिर इड़ा, दक्षिण भाग में स्थित पिंगला तथा मध्य भाग में स्थित सुषुम्ना नाड़ियों का भी प्रतीक है।
शिव का सेवक वासुकि :शिव को नागवंशियों से घनिष्ठ लगाव था। नाग कुल के सभी लोग शिव के क्षेत्र हिमालय में ही रहते थे। कश्मीर का अनंतनाग इन नागवंशियों का गढ़ था। नाग कुल के सभी लोग शैव धर्म का पालन करते थे। भगवान शिव के नागेश्वर ज्योतिर्लिंग नाम से स्पष्ट है कि नागों के ईश्वर होने के कारण शिव का नाग या सर्प से अटूट संबंध है। भारत में नागपंचमी पर नागों की पूजा की परंपरा है।
विरोधी भावों में सामंजस्य स्थापित करने वाले शिव नाग या सर्प जैसे क्रूर एवं भयानक जीव को अपने गले का हार बना लेते हैं। लिपटा हुआ नाग या सर्प जकड़ी हुई कुंडलिनी शक्ति का प्रतीक है।
नागों के प्रारंभ में 5 कुल थे। उनके नाम इस प्रकार हैं- शेषनाग (अनंत), वासुकि, तक्षक, पिंगला और कर्कोटक। ये शोध के विषय हैं कि ये लोग सर्प थे या मानव या आधे सर्प और आधे मानव? हालांकि इन सभी को देवताओं की श्रेणी में रखा गया है, तो निश्‍चित ही ये मनुष्य नहीं होंगे।
नाग वंशावलियों में 'शेषनाग' को नागों का प्रथम राजा माना जाता है। शेषनाग को ही 'अनंत' नाम से भी जाना जाता है। ये भगवान विष्णु के सेवक थे। इसी तरह आगे चलकर शेष के बाद वासुकि हुए, जो शिव के सेवक बने। फिर तक्षक और पिंगला ने राज्य संभाला। वासुकि का कैलाश पर्वत के पास ही राज्य था और मान्यता है कि तक्षक ने ही तक्षकशिला (तक्षशिला) बसाकर अपने नाम से 'तक्षक' कुल चलाया था। उक्त पांचों की गाथाएं पुराणों में पाई जाती हैं।
उनके बाद ही कर्कोटक, ऐरावत, धृतराष्ट्र, अनत, अहि, मनिभद्र, अलापत्र, कंबल, अंशतर, धनंजय, कालिया, सौंफू, दौद्धिया, काली, तखतू, धूमल, फाहल, काना इत्यादि नाम से नागों के वंश हुए जिनके भारत के भिन्न-भिन्न इलाकों में इनका राज्य था।
डमरू :सभी हिन्दू देवी और देवताओं के पास एक न एक वाद्य यंत्र रहता है। उसी तरह भगवान के पास डमरू था, जो नाद का प्रतीक है। भगवान शिव को संगीत का जनक भी माना जाता है। ��नके पहले कोई भी नाचना, गाना और बजाना नहीं जानता था। भगवान शिव दो तरह से नृत्य करते हैं- एक तांडव जिसमें उनके पास डमरू नहीं होता और जब वे डमरू बजाते हैं तो आनंद पैदा होता है।
अब बात करते हैं नाद की। नाद अर्थात ऐसी ध्वनि, जो ब्रह्मांड में निरंतर जारी है जिसे 'ॐ' कहा जाता है। संगीत में अन्य स्वर तो आते-जाते रहते हैं, उनके बीच विद्यमान केंद्रीय स्वर नाद है। नाद से ही वाणी के चारों रूपों की उत्पत्ति मानी जाती है।
आहत नाद का नहीं अपितु अनाहत नाद का विषय है। बिना किसी आघात के उत्पन्न चिदानंद, अखंड, अगम एवं अलख रूप सूक्ष्म ध्वनियों का प्रस्फुटन अनाहत या अनहद नाद है। इस अनाहत नाद का दिव्य संगीत सुनने से गुप्त मानसिक शक्तियां प्रकट हो जाती हैं। नाद पर ध्यान की एकाग्रता से धीरे-धीरे समाधि लगने लगती है। डमरू इसी नाद-साधना का प्रतीक है।
शिव का वाहन वृषभ :वृषभ शिव का वाहन है। वे हमेशा शिव के साथ रहते हैं। वृषभ का अर्थ धर्म है। मनुस्मृति के अनुसार 'वृषो हि भगवान धर्म:'। वेद ने धर्म को 4 पैरों वाला प्राणी कहा है। उसके 4 पैर धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष हैं। महादेव इस 4 पैर वाले वृषभ की सवारी करते हैं यानी धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष उनके अधीन हैं।
एक मान्यता के अनुसार वृषभ को नंदी भी कहा जाता है, जो शिव के एक गण हैं। नंदी ने ही धर्मशास्त्र, अर्थशास्त्र, कामशास्त्र और मोक्षशास्त्र की रचना की थी।
जटाएं :शिव अंतरिक्ष के देवता हैं। उनका नाम व्योमकेश है अत: आकाश उनकी जटास्वरूप है। जटाएं वायुमंडल की प्रतीक हैं। वायु आकाश में व्याप्त रहती है। सूर्य मंडल से ऊपर परमेष्ठि मंडल है। इसके अर्थ तत्व को गंगा की संज्ञा दी गई है अत: गंगा शिव की जटा में प्रवाहित है। शिव रुद्रस्वरूप उग्र और संहारक रूप धारक भी माने गए हैं।
गंगा :गंगा को जटा में धारण करने के कारण ही शिव को जल चढ़ाए जाने की प्रथा शुरू हुई। जब स्वर्ग से गंगा को धरती पर उतारने का उपक्रम हुआ तो यह भी सवाल उठा कि गंगा के इस अपार वेग से धरती में विशालकाय छिद्र हो सकता है, तब गंगा पाताल में समा जाएगी।
ऐसे में इस समाधान के लिए भगवान शिव ने गंगा को सर्वप्रथम अपनी जटा में विराजमान किया और फिर उसे धरती पर उतारा। गंगोत्री तीर्थ इसी घटना का गवाह है।
भभूत या भस्म :शिव अपने शरीर पर भस्म धारण करते हैं। भस्म जगत की निस्सारता का बोध कराती है। भस्म आकर्षण, मोह आदि से मुक्ति का प्रतीक भी है। देश में एकमात्र जगह उज्जैन के महाकाल मंदिर में शिव की भस्म आरती होती है जिसमें श्मशान की भस्म का इस्तेमाल किया जाता है।
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यज्ञ की भस्म में वैसे कई आयुर्वेदिक गुण होते हैं। प्र��यकाल में समस्त जगत का विनाश हो जाता है, तब केवल भस्म (राख) ही शेष रहती है। यही दशा शरीर की भी होती है।
तीन नेत्र :शिव को 'त्रिलोचन' कहते हैं यानी उनकी तीन आंखें हैं। प्रत्येक मनुष्य की भौहों के बीच तीसरा नेत्र रहता है। शिव का तीसरा नेत्र हमेशा जाग्रत रहता है, लेकिन बंद। यदि आप अपनी आंखें बंद करेंगे तो आपको भी इस नेत्र का अहसास होगा।
संसार और संन्यास :शिव का यह नेत्र आधा खुला और आधा बंद है। यह इसी बात का प्रतीक है कि व्यक्ति ध्यान-साधना या संन्यास में रहकर भी संसार की जिम्मेदारियों को निभा सकता है।
त्र्यंबकेश्वर :त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के व्युत्पत्यर्थ के संबंध में मान्यता है कि तीन नेत्रों वाले शिवशंभू के यहां विराजमान होने के कारण इस जगह को त्र्यंबक (तीन नेत्र) के ईश्वर कहा जाता है।
पीनिअल ग्लैंड :आध्यात्मिक दृष्टि से कुंडलिनी जागरण में एक एक चक्र को भेदने के बाद जब षट्चक्र पूर्ण हो जाता है तो इसके बाद आत्मा का तीसरा नेत्र मलशून्य हो जाता है। वह स्वच्छ और प्रसन्न हो जाता है।
कुमारस्वामी ने शिव के तीसरे नेत्र को प्रमस्तिष्क (सेरिब्रम) की पीयूष-ग्रंथि (पीनिअल ग्लैंड) माना है। पीयूष-ग्रंथि उन सभी ग्रंथियों पर नियंत्रण रखती है जिनसे उसका संबंध होता है। कुमारस्वामी ने पीयूष-ग्रंथि को जागृत, स्पंदित एवं विकसित करने की प्रक्रियाओं का विवेचन किया है।
हस्ति चर्म और व्याघ्र चर्म :शिव अपनी देह पर हस्ति चर्म और व्याघ्र चर्म को धारण करते हैं। हस्ती अर्थात हाथी और व्याघ्र अर्थात शेर। हस्ती अभिमान का और व्याघ्र हिंसा का प्रतीक है अत: शिवजी ने अहंकार और हिंसा दोनों को दबा रखा है।
शिव का धनुष पिनाक :शिव ने जिस धनुष को बनाया था उसकी टंकार से ही बादल फट जाते थे और पर्वत हिलने लगते थे। ऐसा लगता था मानो भूकंप आ गया हो। यह धनुष बहुत ही शक्तिशाली था। इसी के एक तीर से त्रिपुरासुर की तीनों नगरियों को ध्वस्त कर दिया गया था। इस धनुष का नाम पिनाक था। देवी और देवताओं के काल की समाप्ति के बाद इस धनुष को देवराज को सौंप दिया गया था।
उल्लेखनीय है कि राजा दक्ष के यज्ञ में यज्ञ का भाग शिव को नहीं देने के कारण भगवान शंकर बहुत क्रोधित हो गए थे और उन्होंने सभी देवताओं को अपने पिनाक धनुष से नष्ट करने की ठानी। एक टंकार से धरती का वातावरण भयानक हो गया। बड़ी मुश्किल से उनका क्रोध शांत किया गया, तब उन्होंने यह धनुष देवताओं को दे दिया।
देवताओं ने राजा जनक के पूर्वज देवराज को धनुष दे दिया। राजा जनक के पूर्वजों में निमि के ज्येष्ठ पुत्र देवराज थे। शिव-धनुष उन्हीं की धरोहरस्वरूप राजा जनक के पास सुरक्षित था। इस धनुष को भगवान शंकर ने स्वयं अपने हाथों से बनाया था। ��नके इस विशालकाय धनुष को कोई भी उठाने की क्षमता नहीं रखता था। लेकिन भगवान राम ने इसे उठाकर इसकी प्रत्यंचा चढ़ाई और इसे एक झटके में तोड़ दिया।
शिव का चक्र :चक्र को छोटा, लेकिन सबसे अचूक अस्त्र माना जाता था। सभी देवी-देवताओं के पास अपने-अपने अलग-अलग चक्र होते थे। उन सभी के अलग-अलग नाम थे। शंकरजी के चक्र का नाम भवरेंदु, विष्णुजी के चक्र का नाम कांता चक्र और देवी का चक्र मृत्यु मंजरी के नाम से जाना जाता था। सुदर्शन चक्र का नाम भगवान कृष्ण के नाम के साथ अभिन्न रूप से जुड़ा हुआ है।
यह बहुत कम ही लोग जानते हैं कि सुदर्शन चक्र का निर्माण भगवान शंकर ने किया था। प्राचीन और प्रामाणिक शास्त्रों के अनुसार इसका निर्माण भगवान शंकर ने किया था। निर्माण के बाद भगवान शिव ने इसे श्रीविष्णु को सौंप दिया था। जरूरत पड़ने पर श्रीविष्णु ने इसे देवी पार्वती को प्रदान कर दिया। पार्वती ने इसे परशुराम को दे दिया और भगवान कृष्ण को यह सुदर्शन चक्र परशुराम से मिला।
त्रिपुंड तिलक :माथे पर भगवान शिव त्रिपुंड तिलक लगाते हैं। यह तीन लंबी धारियों वाला तिलक होता है। यह त्रिलोक्य और त्रिगुण का प्रतीक है। यह सतोगुण, रजोगुण और तमोगुण का प्रतीक भी है। यह त्रिपुंड सफेद चंदन का या भस्म का होता है।
त्रिपुंड दो प्रकार का होता है- पहला तीन धारियों के बीच लाल रंग का एक बिंदु होता है। यह बिंदु शक्ति का प्रतीक होता है। आम इंसान को इस तरह का त्रिपुंड नहीं लगाना चाहिए। दूसरा होता है सिर्फ तीन धारियों वाला तिलक या त्रिपुंड। इससे मन एकाग्र होता है।
कान में कुंडल :शिव कुंडल : हिन्दुओं में एक कर्ण छेदन संस्कार है। शैव, शाक्त और नाथ संप्रदाय में दीक्षा के समय कान छिदवाकर उसमें मुद्रा या कुंडल धारण करने की प्रथा है। कर्ण छिदवाने से कई प्रकार के रोगों से तो बचा जा ही सकता है साथ ही इससे मन भी एकाग्र रहता है। मान्यता अनुसार इससे वीर्य शक्ति भी बढ़ती है।
कर्णकुंडल धारण करने की प्रथा के आरंभ की खोज करते हुए विद्वानों ने एलोरा गुफा की मूर्ति, सालीसेटी, एलीफेंटा, आरकाट जिले के परशुरामेश्वर के शिवलिंग पर स्थापित मूर्ति आदि अनेक पुरातात्विक सामग्रियों की परीक्षा कर निष्कर्ष निकाला है कि मत्स्येंद्र और गोरक्ष के पूर्व भी कर्णकुंडल धारण करने की प्रथा थी और केवल शिव की ही मूर्तियों में यह बात पाई जाती है।
भगवान बुद्ध की मूर्तियों में उनके कान काफी लंबे और छेदे हुए दिखाई पड़ते हैं। प्राचीन मूर्तियों में प्राय: शिव और गणपति के कान में सर्प कुंडल, उमा तथा अन्य देवियों के कान में शंख अथवा पत्र कुंडल और विष्णु के कान में मकर कुंडल देखने में आता है।
रुद्राक्ष :माना जाता है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति शिव के आंसुओं से हुई थी। धार्मिक ग्रंथानुसार 21 मुख तक के रुद्राक्ष होने के प्रमाण हैं, परंतु वर्तमान में 14 मुखी ��े पश्चात सभी रुद्राक्ष अप्राप्य हैं। इसे धारण करने से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है तथा रक्त प्रवाह भी संतुलित रहता है।
आशा है आप को भगवान शिव के इन रहस्यों को पढ़कर आनंद की अनुभूति प्राप्त हुई होगी। हर हर महादेव
अंत में आपसे पुनः निवेदन है कि आप कोराॆना काल में मानवीय दूरी का पालन करें मास्क, सेनेटाइजर का प्रयोग करें & चीन के सामान का बहिष्कार करें और स्वदेशी सामान अपनाए ताकि आने वाले आर्थिक संकट का सामना हम कर सके।
📚 संकलन कर्ता:- राज़कुमार देशमुख 📚
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supermamaworld · 4 years ago
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हर हर महादेव शम्भो काशी विश्वनाथ वन्दे ।दाम्पत्य जीवन सुखमय बनाने का उपाय । विवाह के पश्चात एक स्त्री का पत्नी के रूप में सम्पूर्ण जीवन पति के साथ ही व्यतीत होता है। यदि दोनों के बीच संबंध ��च्छे होते है तो दोनों को ही दाम्पत्य सुख की प्राप्ति होती है। लेकिन किसी भी कारण से संबंधों में गतिरोध आता है तो जीवन एक बोझ या अभिशाप जैसा लगने लगता है। खास कर जब पति पत्नी से विमुख होकर किसी अन्य स्त्री से संबंध बना ले तो पत्नी सपने में भी इस संबंध को स्वीकार नही कर सकती। आज हम कुछ ऐसे प्रयोगों के बारे में बता रहे है जिनके द्वारा आकर्षण अथवा विघटन किया जा सकता है। लेकिन ध्यान रहे इन प्रयोगों को नैतिकता की सीमा में रहते हुए ही सम्पन्न करे किसी गलत विचार से करने पर लाभ की जगह हानि ही उठानी पड़ेगी। १👉 किसी अन्य महिला के प्रति आकर्षित हुए व्यक्ति को उससे मुक्त कराने एवं अपनी ओर आकर्षित करने के लिये चित्र में दिए गए यंत्र को बनाये इसे बनाने के लिये शुक्ल पक्ष के प्रथम शुक्रवार के दिन शुभ मुहूर्त का चयन करके एकांत स्थान पर कम्बल का आसन बिछाकर पश्चिम दिशा में मुख करके बैठ जाएं मुख में इलायची अथवा कोई अन्य सुगंधित वस्तु रख लें, तथा कोरे कागज अथवा भोज पत्र पर काली स्याही से निर्दिष्ट यंत्र बनाये, यंत्र बनाकर उसपर किसी अच्छे इत्र के छींटे दें। अगरबत्ती का धुआं करे तथा इसके पश्चात सुविधा अनुसार इस यंत्र की कम से कम ३० फोटो कॉपी करवा लें। सभी फोटो कॉपी को इकट्ठा कर बनाये हुए यंत्र को उनपर उल्टा रख दें सुरक्षा की दृष्टि से किसी फ़ाइल में रखें। अब प्रतिदिन मूल यंत्र के नीचे वाले यंत्र को निखार कर शेष यंत्रो पर मूल यंत्र को पहले की भांति ही उल्टा रख दें क्योकि मूल यंत्र उसके संपर्क वाले यंत्र को ऊर्जा युक्त रखता है। अब जो यंत्र निकाला हो उस यंत्र पर लिखे की मेरा पति---- (रिक्त स्थान में) पति का नाम अमुक महिला---- (रिक्त स्थान में उस महिला का नाम) से दूर हो और (मेरी के साथ स्वयं का नाम लिखे) तरफ आकर्षित हो ऐसा लिखकर कर्पूर जलाकर उसकी अग्नि से यंत्र को जला दें जब पूरा जल जाए तो राख को जहां किसी के पैर ना पड़े ऐसी जगह झाड़ी में डाल दें या प्रयोग ३० या ४१ दिन तक नित्य करने से संबंधित महिला को लाभ होता है। इसी प्रकार यह प्रयोग कोई भी पुरुष अपनी भटकी पत्नी के लिये करना चाहे तो कर सकता है। २👉 जिस स्त्री अथवा पुरुष का पति अथवा पत्नी किसी अन्य महिला के चक्कर मे पड़कर उसे करता हो तो वह निम्न प्रदार्थो को मिलाकर नित्य उ (at Pink City- जयपुर राजस्थान) https://www.instagram.com/p/CMIJXmgAl2B/?igshid=i37opec80tgq
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udyogmitra · 4 years ago
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स्टार्टअप’ म्हणजे नेमकं काय ? समजणं आवश्यक आहे. लहानसहान उद्योगधंदे आपल्याकडे यापूर्वीही सुरू झाले, चालवले गेले; पण आज तरुणाईला भुरळ पडली आहे ती स्टार्टअप संकल्पनेची. खरं तर स्टार्टअपची क्रेझच झाली आहे. म्हणून स्टार्टअप म्हणजे काय ते नेमकं माहीत झालं आहे असं नाही. घरच्या फरशीची स्वच्छता करण्याचं काम गृहिणीसाठी फार वेळखाऊ आणि जिकिरीचं ठरतं, मग ती गृहिणी अमेरिकन का असेना. घरच्या फरशीची स्वच्छता करण्याचं काम सोपं व्हावं यासाठी १९९० मध्ये एका हरहुन्नरी, कल्पक गृहिणीने एका साध्या यंत्राचा शोध लावला. ‘मिरॅकल मॉप’ या नावाने ते यंत्र ओळखलं जाऊ लागलं. ते वजनाला हलकं व्हावं यासाठी तिने प्लॅस्टिकचा दांडा वापरला आणि त्याच्या तळाशी लांबच लांब गुंडाळी होणारा कापसाचा बोळा बसवला. फरशीची सफाई झाल्यावर गृहिणीचे हात ओले न होता तो तळाचा कापूस बदलण्याची स्वयंचलित सोय त्यात केली होती. इतकी झकास कल्पना आणि ते यंत्र लोकांपर्यंत पोहोचवायचं कसं, हा विचार करत तिने अमेरिकेतील होम शॉपिंग नेटवर्कच्या वाहिनीचा आधार घेत आपल्या यंत्राची प्रात्यक्षिकं द्यायला सुरुवात केली. अल्पावधीत तो मॉप लोकप्रिय झाला आणि त्याची तडाखेबंद विक्री होऊ लागली. चित्रपट गेल्या महिन्यात नाताळला प्रदर्शित झाला. सर्जक उद्योजिका असलेल्या जॉयबाईंचा जीवनप्रवास तितकाच प्रेरणादायी आहे. फक्त मॉपच नाही तर प्राण्यांसाठी असलेल्या ‘फ्लोरेसंट फ्ली कॉलर’च्या निर्मितीसाठीही त्या ओळखल्या जातात. ही कल्पना त्यांनी त्यांच्या वयाच्या सोळाव्या वर्षीच प्रत्यक्षात आणली. आता फ्लोरेसंट फ्ली कॉलर ही काय नवी भानगड? अशी शंका जर मनात आली असेल तर तिचं निरसनसुद्धा व्हायला पाहि��े. रात्रीच्या वेळी वाहनांचे धक्के लागून जखमी किंवा मृत होणार्‍या प्राण्यांना वाचवण्यासाठी त्यांनी फ्लोरेसंट फ्ली कॉलरची शक्कल लढवली. जॉयबाईंच्या या उदाहरणावरून आपल्याला काय कळतं, तर एका लहानशा गरजेतून, युक्तीतून त्यांच्या उद्योगाची सुरुवात झाली. तो उद्योग सुरुवातीला खूप लहान होता, पण त्यात नावीन्य होते, व्यवसायवाढीला वाव होता. आजच्या भाषेत सांगायचं झालं तर त्यांनी स्टार्टअप उद्योग सुरू केला होता. www.fb.com/UdyogmitraMH स्टार्टअप (उद्यमारंभ) या शब्दाने गेल्या दशकभरात विशेषत: तरुणाईला भुरळ घातली. आजघडीला ‘मला स्टार्टअप सुरू करायचंय,’ असं म्हणणार्‍यांची संख्या वाढू लागली आहे. तेव्हा स्टार्टअप म्हणजे नेमकं काय, त्याचं वाढतं आकर्षण का आहे, त्याला आज इतकं महत्त्व का दिलं जात आहे, याचा विचार करणं गरजेचं आहे. आज ‘स्टार्टअप’ या संकल्पनेची नेमकी आणि सर्वमान्य व्याख्या देता येणार न https://www.instagram.com/p/CK-t9ofrKwu/?igshid=m0r765vxrsih
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bhuvneshkumawat · 4 years ago
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Dol Kalyan Ashram, Almora, Uttarakhand शहर की भीड़-भाड़ व दौड़-भाग भरी जिंदगी से बहुत दूर, ऊंचे-नीचे पहाड़ों के मध्य तथा हरे भरे घने जंगलों के बीच में स्थित है ड़ोल आश्रम ( Dol Ashram) ।ताजी खुली हवा,हरे भरे विशाल पेड़ ,पक्षियों का मधुर कलरव तथा यहां का प्राकृतिक सौंदर्य ऐसा कि हर किसी का मन मोह ले। डोल आश्रम उत्तराखंड का पांचवा धाम वाकई में प्रकृति की गोद में बैठे Dol Ashram में आने वाले लोगों के मन को एक अजीब सी शांति का अनुभव होता है।यहां आकर वो अपनी सारी परेशानियों को भूलकर आश्रम व यहां की हरी-भरी वादियों के बीच खो जाते हैं।यह जगह मन को बहुत सुकून और शांति प्रदान करती हैं।यहां आकर लोग अपने आप को एकदम तरोताजा तथा अपने अंदर एक नई सकारात्मक ऊर्जा को महसूस करते है। उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के लमगड़ा ब्लॉक में स्थित यह आश्रम हमारी धनी (Rich)प्राचीन भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति की जीती जागती मिसाल है। श्री कल्याणिका हिमालयन देवस्थानम न्यास कनरा-डोल (डोल आश्रम) नाम से जानी जाने वाली यह जगह अपने आप में अद्भुत और ��नोखी है। यहां के मुख्य महंत बाबा कल्याण दास जी महाराज हैं जिनके अनुसार यह सिर्फ एक मठ नहीं है।बल्कि इसको आध्यात्मिक व साधना केंद्र के रुप में विकसित किया जा रहा है।ताकि देश विदेश से आने वाले श्रद्धालु यहां पर बैठकर ध्यान व साधना कर सके। विश्व का सबसे बड़ा व सबसे भारी श्रीयंत्र Dol Ashram की खासियत यह हैं कि यहां पर 126 फुट ऊंचे तथा 150 मीटर व्यास के श्रीपीठम का निर्माण हुआ है। श्रीपीठम का निर्माण कार्य सन 2012 से शुरू हुआ था ।और अप्रैल 2018 में यह बनकर तैयार हो गया।इस श्रीपीठम में एक अष्ट धातु से निर्मित लगभग डेढ़ टन (150कुंतल) वजन और साढ़े तीन फुट ऊंचे श्रीयंत्र की स्थापना की गई हैं। इस यंत्र की स्थापना के अनुष्ठान 18 अप्रैल 2018 से शुरू होकर 29 अप्रैल 2018 तक चले। इस यंत्र की स्थापना बड़े धूमधाम से की गई।यह विश्व का सबसे बड़ा व सबसे भारी श्रीयंत्र है। और यह आश्रम में मुख्य आकर्षण का केंद्र है ।वैदिक एवं आध्यात्मिक आस्था को एक साथ जोड़ने के लिए इस श्रीयंत्र की स्थापना की गई है।श्री पीठम में लगभग 500 लोग एक साथ बैठ कर ध्यान लगा सकते हैं। उत्तराखंड का पांचवा धाम ( Dol Ashram) उत्तराखंड की देवभूमि अपने चारधाम के लिए तो जानी ही जाती है।लेकिन अब यह आश्रम उत्तराखंड का पांचवा धाम बनने जा रहा है।अपने उद्घाटन भाषण में उत्तराखंड के वर्तमान राज्यपाल डॉ. के.के. पॉल ने कहा कि डोल आश्रम को उत्तराखंड के पांचवें धाम (Dol Ashram) के नाम से पहचाना जाएगा । (Dol Ashram में) https://www.instagram.com/p/CDyaFDFJ-l_/?igshid=1ej101itdxdc7
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differentlandmaker · 5 years ago
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किसी भी तंत्र कर्म में सफलता दिलाने वाली ग्रहण में की जाने वाली महाकाली शाबर मंत्र साधना
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साल 2020 में 5 june को चन्द्र ग्रहण ( moon eclipse ) लगेगा. इस समय का बहुत से साधको को बेसब्री से इंतजार रहता है क्यों की ग्रहण काल में की गई साधना का प्रभाव बढ़ जाता है और सिद्धि में सफलता मिलती है. इस अवसर पर आप महाकाली शाबर साधना की सिद्धि कर सकते है जो की बेहद आसान उपाय है और कम समय में की जाने वाली साधना है जिसके लाभ बहुत ज्यादा है. महाकाली की सौम्य साधना का ये अभ्यास साधक की लाइफ में किसी भी तरह की बाधा को दूर कर तंत्र के किसी भी कर्म को करने की शक्ति प्रदान करता है.
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इस साधना में गुरु की ��निवार्यता है इसके बगैर अभ्यास कर रहे है तो शरीर सुरक्षा कवच और गणेश पूजन का पता होना चाहिए. साधना से पहले ये उपाय जरुर करना है. साधना में सिद्धि प्राप्त करने के बाद साधक इसका प्रयोग ��र सकता है जिसके लिए पूजन सामग्री, यंत्र और आवश्यक जानकारी इस पोस्ट में share की है. इस शाबर मंत्र साधना के प्रभाव से साधक का पूरा जीवन बदल सकता है. 5 जून की रात्रि को 11 बजकर 15 मिनट से  6 जून को 2 बजकर 34 मिनट तक ये ग्रहण लागू रहेगा और ये भारत, यूरोप, अफ्रीक, एशिया और आस्ट्रेलिया जैसी जगहों पर दिखाई देगा. इस दौरान की गई साधना का फल 100 गुना बढ़ जाता है इसलिए आप अपने घर पर mahakali shabar mantra sadhna का अभ्यास करे. इस साधना की पूरी विधि यहाँ share की गई है.
महाकाली शाबर साधना
किसी भी तरह की सफलता और तंत्र कार्य में सफलता के लिए आप इस महाकाली शाबर साधना को कर सकते है. ये mahakali tantra sadhana in hindi किसी भी शुभ समय के अनुसार की जा सकती है और सिद्ध कर लेने के बाद तंत्र मंत्र के कार्य को किया जा सकता है. सात पूनम काल का, बारह बरस कवार एको देवी जानिए, चौदह भुवन द्वार द्वि पक्षे निर्मलिए, तेरह देवन देव अष्ट-भुजी परमेश्वरी, ग्यारह रूद्र देव सोलह कला सम्पूर्ण, तीन नयन भरपूर दसो द्वारी तू ही माँ, पांचो बाजे नूर नव निधि षड-दर्शनी, पंद्रह तिथि जान चारो युग में काल का, कर काली कल्याण इस mahakali mantra sadhana में आपको किसी भी तरह की तंत्र सामग्री की आवश्यकता नहीं होती है. जो भी सामग्री का जिक्र किया गया है उन्हें आप आसानी से किसी भी पंसारी की दुकान से हासिल कर सकते है. सामग्री काली चित्र काली यंत्र 7 भट कटैया का फूल 5 पीला कनेर का फूल 5 लौंग 5 इलायची पांच मेवा 3 निम्बू 1 ग्राम सिन्दूर 108 काले केवाच के बीज दीपक अगरबत्ती या फिर धूप एक नारियल महाकाली तंत्र साधना की विधि के लिए आप किसी भी खास समय का चुनाव कर सकते है. इस महाकाली शाबर साधना में आपको ज्यादा जप की आवश्यकता नहीं है बल्कि सिर्फ एक माला का जप मंत्र सिद्धि के लिए काफी है. दिन : होली, दीपावली, ग्रहण, अमावस या फिर पूर्णिमा जप : 108 बार समय : रात के 10 बजे बाद का समय ये mahakal siddhi sadhana पूर्ण रूप से सा��्विक है और साधक के लिए साधना के बाद किसी भी तरह के तंत्र प्रयोग के लिए आवश्यक सामग्री मिल जाती है. पूजन के दौरान जो सामग्री काम में ली जाती है उन्हें हम अलग ��लग तंत्र कर्म में काम में लेते है. महाकाली साधना से पहले की तैयारी mahakali siddhi sadhna में आपको पहले गुरु स्थापना मंत्र का उपाय करना चाहिए. किसी भी तांत्रिक साधना से पहले आपको 5 बत्ती वाला दीपक लेना है और निम्न मंत्र का जप करना है. गुरु दिन गुरु बाती गुरु सहे सारी राती वासतीक दीवना बार के गुरु के उतारो आरती 5 बत्ती वाले दीपक को अपने सामने जला ले और इस मंत्र का 7 बार जप करना है. इस गुरु स्थापना की क्रिया पूर्ण होती है और माना जाता है की जो लोग बिना गुरु के साधना कर रहे है उन्हें इससे फायदा होता है. शरीर सुरक्षा कवच मंत्र का जप करना भी साधना में आवश्यक है. बिना किसी सुरक्षा कवच के साधना करना साधक को भयभीत करता है इसलिए महाकाली शाबर साधना के अभ्यास से पहले आपको शरीर सुरक्षा कवच मंत्र body protection shield spell का उपाय भी कर लेना चाहिए. ॐ नमो आदेश गुरु का  जय हनुमान वीर हनुमान मै करथ हौ तोला प्रनाम भूत प्रेत मरी मसान भाग जाय तोर सुन के नाम मोर शरीर के रक्ष्या करिबे नहीं तो सीता मैया के सैयां पर पग ला धरबे ! मोर फूंके मोर गुरु के फूंके गुरु कौन ? गौरा महा-देव के फूंके जा रे शरीर बंधा जा इस मंत्र का 11 बार जप कर अपने शरीर के चारो और एक गोल घेरा बना ले. इससे किसी भी तरह के बाधा से साधक की रक्षा होती है. पढ़े : इस पूर्ण चंद्रग्रहण की रात्री का एक प्रयोग और कर पाओगे powerful vashikaran महाकाली साधना की विधि ये साधना भगवती देवी के मंदिर में की जाए तो उत्तम है लेकिन ऐसा ना हो तो एकांत या फिर घर पर भी की जा सकती है. सबसे पहले तो गणेश, गुरु और आत्म-रक्षा मंत्र का पूजन और जप करे. सबसे पहले साफ़ जगह पर एक बजोट के ऊपर लाल कपड़ा रखे और उस पर महाकाली यंत्र और फोटो की स्थापना करे. घी का चार मुखी दिया जलाए और पंचोपचार पूजन से पूजन करे.
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                                        महाकाली शाबर साधना यंत्र अष्ट गंध से उक्त चोंतिसा यंत्र का भी इसी विधि से पूजन करे. पूजन के दौरान भट कटैया के फूल का अर्पण करे. तीन निम्बू ले और उनपर सिन्दूर का टिका या बिंदी लगाए और अर्पित करे. अब नारियल, पांच मेवा और लौंग इलायची का भोग लगाए. काली मंत्र जप करते समय हर मंत्र जप के बाद केवाच के बीज को फोटो के सामने रखते जाए. जब मंत्र जप पूर्ण हो जाए तब 11 मंत्र आहुति घी और गुग्गल की दे. इसके बाद एक निम्बू काट ले और अपनी अनामिका अंगुली के रक्त को मिलाकर हवन में निचोड़ दे. हवन की राख, मेवा, केवाच के बीज, फूल और निम्बू को संभाल कर रखे. नारियल और अगरबत्ती को भगवती मंदिर में चढ़ा दे. एक ब्राह्मण को भोजन करवाए. महाकाली साधना पूर्ण हो जाएगी. पढ़े : बेताल साधना से जुडी महत्वपूर्ण जानकारी और अगिया बेताल की मुख्य 2 विधि मंत्र साधना प्रयोग विधि जब भी mahakal siddhi sadhana का प्रयोग करना हो 21 बार मंत्र का जप करे और आपकी मनचाही मनोकामना पूर्ण होती है. महाकाली शाबर साधना के प्रभाव से साधक की मनोकामना पूर्ण होती है और उसका घर धन धान्य से परिपूर्ण रहता है. हर तरह की बाधा अपने आप दूर हो जाती है और साधक की उम्र में वृद्धि होती है. इस महाकाली शाबर साधना के कई प्रयोग है जिन्हें साधक कर सकते है जैसे की वशीकरण या मोहन का उपाय महाकाली मंत्र का 11 बार जप कर सिंदूर और हवन की भस्म को मिलाकर अभिमंत्रित कर माथे पर लगा ले. जो भी आपको देखेगा आप पर मोहित हो जाएगा. अगर आप लम्बे समय से easy love spell का इन्तजार कर रहे थे तो आपको ये उपाय जरुर करना चाहिए. खिला पिलाकर वशीकरण का उपाय पूजा में लिए गए पांच मेवे में से थोड़ा सा मेवा ले और 21 बार मंत्र का जप कर अभिमंत्रित कर ले. इस मेवे को जिस स्त्री या पुरुष को खिलाएंगे वो वशीकरण के प्रभाव में आ जायेगा. उच्चाटन का उपाय भट-कटैया के फूल में से एक फूल ले, केवाच का बीज और सिंदूर को 11 बार मंत्र पढ़ कर अभिमंत्रित कर ले. सिंदूर लगे इस फूल और बीज को जिसके घर पर भी फेकेंगे उसका उच्चाटन हो जायेगा. महाकाली साधना के जरिये स्तम्भन का उपाय हवन क�� भस्म, चिता की राख और 3 लौंग को 21 बार मंत्र जप पढ़कर अभिमंत्रित कर ले. जिसके घर में गाड़ देंगे उसका स्तम्भन हो जायेगा. 2 लोगो या परिवार के बिच झगडा करवाने का उपाय शमशान की राख, कलिहारी का फूल और केवाच के 3 बीज पर 21 बार मंत्र जप कर अभिमंत्रित कर ले. इसे काले कपड़े में बांध कर पोटली बना ले और इसे दुश्मन के आने जाने के रास्ते या घर के जगह पर गाड़ दे. इससे वहा रहने वाले लोगो के बिच मतभेद और झगड़ा होना शुरू हो जायेगा. पारलौकिक समस्याओ का समाधान शत्रु बाधा का निवारण अमावस के दिन निम्बू पर सिंदूर से दुश्मन का नाम लिखे. 7 सुई ले और इन्हें 21 बार निम्बू में मंत्र से अभिमंत्रित कर चुभो दे. इस निम्बू को शमशान में गाड़ दे और मघ की धार दे. आने वाले 3 दिन में शत्रु बाधा दूर होती है. भूत प्रेत बाधा का उपाय भूत प्रेत की बाधा होने की स्थिति में हवन की राख को 7 बार अभिमंत्रित कर माथे पर टिका लगा दे. चोतिंसा यंत्र को भोजपत्र पर बना ले और ताम्बे के ताबीज में भरकर पहना दे. हमेशा हमेशा के लिए भूत प्रेत बाधा दूर हो जाएगी. आर्थिक बाधा का निवारण महाकाली यंत्र को घर में स्थापित कर ले और इसके सामने घी का दीपक जलाकर 21 दिन तक 21 बार मंत्र का जप करे. इससे महाकाली की कृपा बढती है और आर्थिक तंगी दूर होती है. शारीरिक पीड़ा और रोग नाशक हवन की भस्म को 7 बार अभिमंत्रित कर ले. रोगी पर फूंक मारे और चौसठ के यंत्र को अष्ट गंध से भोजपत्र पर लिख ले. इसे धारण करने से रोगी को रोग और शारीरिक पीड़ा से मुक्ति मिलती है. विशेष : अगर महाकाली मंत्र के साथ साथ निचे दिए गए मंत्र का भी जाप होता है तो मंत्र का प्रभाव एयर भी ज्यादा बढ़ जाता है और ये उग्र होकर काम करता है. ॐ कंकाली महाकाली केलि कलाभ्यां स्वाहा इस मंत्र का एक माला जप हर रोज करने से आपको इसके दोगुने लाभ मिलना शुरू हो जाते है. पढ़े : आकर्षण के लिए मोहिनी वशीकरण मंत्र साधना Mahakali shabar mantra sadhna benefit महाकाली शाबर मंत्र साधना के कई फायदे है जिन्हें सिद्धि प्रयोग के बाद साधक की लाइफ में देखने को मिलते है जैसे की किसी भी तरह की आर्थिक तंगी को दूर किया जा सकता है. बड़े से बड़े तंत्र कर्म के प्रभाव को दूर किया जा सकता है. तंत्र कर्म के किसी भी कर्म को किया जा सकता है जैसे की वशीकरण, मोहन, मारण, स्तम्भन और उच्चाटन पारलौकिक समस्याओ यानि Paranormal activity को दूर किया जा सकता है. बड़े से बड़े शत्रु का शमन किया जा सकता है. Mahakali tantra sadhna siddhi in Hindi की ये साधना साधक के जीवन में कई बदलाव लाती है और साधक के लाइफ में आ रही किसी भी बाधा का निवारण करना आसान बन जाता है. महाकाली शाबर सिद्धि मंत्र पर मेरे अंतिम विचार साल 2020 में 5 जून को जो ग्रहण लग रहा है वो तंत्र साधना के लिए सही समय माना जा रहा है. ऐसा माना जा रहा है की ग्रहण में की गई साधना का प्रभाव 100 गुना बढ़ जाता है इसलिए इस दौरान आप पीर की साधना, वशीकरण की साधना या फिर तंत्र सिद्धि साधना कर सकते है. इस article में share की गई महाकाली शाबर साधना का विधान सरल शाबर साधनाओ में से एक है जिन्हें आप किसी मंदिर, एकांत जगह या फिर घर में कर सकते है. ये साधना आसान है लेकिन इसके लाभ साधक की लाइफ बदलने वाले है. अगर आप ये साधना करना चाहते है तो विधान से पहले गुरु, गणेश और देह सुरक्षा कवच का विधान जरुर कर ले. किसी भी शाबर मंत्र की साधना को सिद्ध करने के लिए असावरी देवी की साधना करना जरुरी माना जाता है. जल्दी ही हम इनके बारे में जानकारी आपके साथ share करेंगे. Read the full article
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sarkarimirror · 5 years ago
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Deficiency of Calcium can be dangerous for our bones - Dr. Sanjay Agarwal.
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कैल्शियम की कमी खतनराक हो सकती है हड्डियों के लिए  नई दिल्ली : शरीर में हड्डी एक प्रकार का ऐसा उत्तक होता है। जो कि शरीर को आकार और मजबूती प्रदान करता है। शरीर के कई अंगों का संरक्षण करना भी इसकी एक जिम्मेदारी होती है। हड्डी खनिज को अपने अंदर रखती है और रक्तसेलों के विकास के लिए एक माध्यम बनाती है, जिसे मैरो के नाम से जाना जाता है। हड्डी के तीन मुख्य उत्तक होते हैं - कांपैक्ट टिश्यू यानि अविरल उत्तक, कैंसलस टिश्यू, सबकोंड्रल टिश्यू आदि।  पी.डी.हिंदुजा नेशनल अस्पताल के आर्थोपेडिक्स विभाग के हेड डा.संजय अग्रवाला का कहना है कि हड्डी के सेल निम्र प्रकार के होते है जैसे कि ओस्टियोब्लास्ट, ओस्टियोक्लास्ट, ओस्टियोसाइट। हड्डी कैंसर, फाइबरस डिस्प्लेसिया, ओस्टियोमलेशिया, रिकेट्स, ओस्टियोमाइयेलिटिस, अवेस्कुलर नेक्रोसिस, ओस्टियोपोरोसिस। ओस्टियोपोरोसिस हड्डी के भीतर ही पाया जाता है। इसका कार्य है-हड्डी को जीवित कोशिका के रूप में बरकरार रखना। फैट सेल और हीमेटोपायोटिक सेल बोन मैरो में पाए जाते हैं। हीमेटोपायोटिक सेल का निर्माण करते हैं क्योंकि हड्डी के कार्य जटिल होते हैं जैसे शरीर को स्थिरता देने से लेकर रक्तसेलों का रख-रखाव आदि। तो, इन प्रक्रियाओं के चलते कई बीमारियां हड्डी को विकारग्रस्त कर सकती हैं। हड्डी की मुख्य बीमारियों को कुछ इस प्रकार से विभाजित किया जाता है। हड्डी की वह बीमारी है, जिसमें हड्डी का क्षरण होने लगता है और हड���डी की क्षमता कम होती जाती है। हड्डियों में आसानी से फ्रेक्चर हो जाता है। हड्डी का घनत्व कम हो जाता है। यह अक्सर वृद्ध लोगों में पाया जाता है। ओस्टियोपोरोसिस को ठीक करने के लिए अब एक नई तकनीक की शुरुआत की गई है-एल सी पी। डा.संजय अग्रवाला का कहना है कि लाकिंग प्लेट (एल सी पी), जिसका मुख्य आकर्षण है, इसके स्कू हैड और प्लेटों का आपसी जोड़।  इसके परिणामस्वरूप बेहतर बायोमेकैनिकल गुण बनते हैं।  इस एल सी पी को बाकी अन्य प्लेटों की तरह कार्य करने के लिए हड्डिïयों में लगाया जा सकता है, जैसे कि यह जोड़ पर दबाव बना सकता है, बचाव और ब्रिजिंग का काम आसानी से कर सकता है। जब कि बाकी दूसरी प्लेटें जैसे लैस इंवेसिव स्टेबिलाइजेशन सिस्टम (लिस्स)आदि प्लेट केवल ब्रिजिंग और अंदरूनी जोड़ का कार्य कर सकते हैं। दरअसल, शंक्वाकार धागों से बनी इस स्क्रू हैड की सतह प्लेट के धागोंं के साथ अच्छी तरह फिक्स हो जाती है। जिसमें, बायोमेकैनिकल गुण बनते हैं। इसके कोणात्मक स्थिर स्क्रू की वजह से हड्डïी को स्थिर करने के लिए अधिक दबाव बनाने की जरूरत नहीं पड़ती है। इन लाकिंग प्लेट्ïस को अंदरुनी जोड़ के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। वैसे आदर्श तौर पर इसका पेरिओस्ट्ïयूम से कोई संबंध नहीं होता है. इससे क्षतिग्रस्त हïड्डी में आसानी से रक्त प्रवाह होने लगता है और हड्डी कïो स्थिरता मिलती है जिससे कैलस फार्मेशन होता है और जल्द ही चोट ठीक हो जाती है। एल सी पी अस्थिर होता है। इसके  पांचों बायोमेकैनिकल गुणों के कारण इसे अंदरूनी जोड़ के साथ-साथ रीडक्शन यंत्र की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन, एल सी पी को इस्तेमाल करने से पहले ध्यानपूर्वक यह प्लानिंग कर लेनी चाहिए कि स्क्रू  को कौन से आर्डर में लगाना है? लाकिंग हेड स्क्रू का इस्तेमाल करने से पहले यह बेहद जरूरी है कि फाइनल रीडक्शन ले ली जाए।  Read the full article
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musafirfoody-blog · 5 years ago
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JANTAR MANTAR, JAIPUR, RAJASTHAN
जयपुर के रीगल शहर में सिटी पैलेस के पास स्थित जंतर मंतर दुनिया में सबसे बड़ी पत्थर से बनी खगोलीय वेधशाला है। जिसका निर्माण राजा सवाई जय सिंह ने 1727-33 में करवाया था। अपने समृद्ध सांस्कृतिक, विरासत और वैज्ञानिक मूल्य के कारण यह यूनेस्‍को की विश्‍व धरोहर स्‍थलों की सूचि में भी शामिल है। इस वैधशाला का निर्माण अच्छी किस्म के संगमरमर और पत्थरों से किया गया है। इस विशाल वेधशाला बनाने का मुख्य उद्देश्य अंतरिक्ष और समय के बारे में जानकारी इकट्ठा करना और उसका अध्यन करना था। इस जगह पर एक राम यंत्र भी रखा हुआ है जिसका इस्तेमाल उस समय उंचाई मापने के लिए किया जाता था। जंतर मंतर एक पूर्व युग के ज्ञान और गणितीय कौशल के गवाह के रूप में गर्व से खड़ा है, जो यहां आने वाले पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
अगर आप जयपुर के जंतर मंतर को देखने के लिए जाना चाहते हैं या फिर इसके बारे में और खास बाते जानना चाहते हैं तो इस video को जरुर dekhe, इसमें हमने जंतर मंतर का इतिहास, जंतर मंतर घूमने के बारे मैं और जंतर मंतर कैसे पहुंचे के बारे में पूरी जानकारी दी है।
जंतर मंतर का इतिहास
आपको बता दें कि राजा सवाई जय सिंह खुद एक कुशल विद्वान थे जिन्हें सम्राट मुहम्मद शाह द्वारा आकाशीय पिंडों की गति पर उपलब्ध वर्तमान आंकड़ों की पुष्टि और सुधार करने का काम दिया गया था। राजा जय सिंह प्राचीन इस्लामिक ज़िज तालिकाओं को परिष्कृत करना चाहते थे ताकि दिन का सही समय निर्धारित किया जा सके। जय सिंह एक सटीक कैलेंडर बनाना चाहता थे जो व्यक्तिगत और सामाजिक लाभ दोनों के लिए सटीक ज्योतिषीय भविष्यवाणियां करने में मदद कर सकता था। अपने इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए उन्होंने वर्ष 1718 में जंतर मंतर बनाने का फैस���ा लिया, जिसके लिए उन्होंने हिंदू, यूरोपीय, इस्लामी और फारसी सभ्यताओं के खगोलीय सिद्धांतों पर व्यापक अध्ययन किया और पूरे उत्तर भारत में पांच अलग-अलग वेधशालाओं का निर्माण किया। जय सिंह ने 1727 और 1733 के बीच की जयपुर के जंतर मंतर का निर्माण किया और इसको बार-बार पुनर्निर्मित भी करवाया। यहाँ के उपकरण का निर्माण इस तरह से किया गया था जिसमें बहुत सारे ब्रह्मांडीय अनुप्रयोगों को कवर किया। Click here to read the history of Jantar Mantar
जंतर मंतर की संरचना
आपको बता दें कि जयपुर में स्थित जंतर मंतर विभिन्न वास्तु और खगोलीय उपकरणों का एक संग्रह है जहाँ पर समय को मापने, ग्रहों के विक्षेपण का पता लगाने, ग्रहणों की भविष्यवाणी करने, आकाशीय ऊंचाई का पता लगाने और कक्षाओं में तारों को ट्रैक करने के उपकरणों सहित 19 प्रमुख ज्यामितीय उपकरण हैं। जयपुर का यह आकर्षण करीब 18,700 मीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है और यहां पर कई बहुत बड़े उपकरण भी हैं। सवाई जय सिंह द्वितीय ने जंतर मंतर का निर्माण अच्छी क्वालिटी के पत्थर और संगमरमर से करवाया था क्योंकि पत्थर धातु की तुलना में अधिक मौसम की स्थिति का सामना कर सकते हैं। इन उपकरणों में से कुछ को राजा जय सिंह ने खुद की अवधारणा के अनुसार डिजाइन किया था। दूसरी तरह यहां कई तांबे से निर्मित उपकरण भी मौजूद हैं जो आज भी सटीक तरीके से काम करते हैं। जयपुर का जंतर मंतर उत्तर भारत के अपने अन्य वैधशाला की अपेक्षा सबसे बड़ा।
जंतर मंतर में विश्व की सबसे बड़ी पत्थर की सूर्य घड़ी – Jantar Mantar Sun Watch
महाराजा सवाई जयसिंह द्धारा निर्मित भारत की पांच सबसे विशाल वेधशालाओं में से एक जयपुर की जंतर-मंतर वेधशाला में विश्व में सबसे बड़ी पत्थर की सूर्य घड़ी रखी गई है, जो कि बृहत सम्राट यंत्र के नाम से भी जानी जाती है।
इस उपकरण की सबसे खास बात यह है कि यह ऐतिहासिक खगोलीय उपकरण समय की सटीकता को दर्शाता है, यह उपकरण 2 सेकेंड की सटीकता पर स्थानीय समय को प्रदर्शित करता है। इस खगोलीय उपकरण को इस तरह बनाया गया है कि इसकी रचना करीब 27 मीटर ऊंची है।
जंतर मंतर से जुड़े रोचक तथ्य
जयपुर का जंतर-मंतर भारत की सबसे विशाल खगोलीय वेधशाला है, जिसके लिए एक सामूहिक टिकट है, जिसे लेकर पर्यटक नाहरगढ़ किला, अम्बेर किला, हवा महल और अल्बर्ट हॉल म्यूजियम भी घूम सकते हैं।
जंतर-मंतर का ��र्थ गणना करने वाले उपकरण से लिया गया है।
वैश्विक धरोहरों की सूचि में शामिल जयपुर का जंतर-मंतर, महाराजा सवाई जय सिंह द्धारा बनवाएं गए पांच प्रमुख खगोलीय वेधशालाओं में से एक है। उन्होंने दिल्ली, मथुरा, जयपुर, उज्जैन और वाराणसी में वेधशालाओं का निर्माण करवाया था। जिनमें से अब जयपुर और दिल्ली के जंतर-मंतर ही बचे हैं, बाकी समय के साथ विलुप्त हो गए हैं।
जंतर मंतर कैसे पहुँचे
जंतर मंतर जयपुर से सिर्फ 5 किमी की दूरी पर स्थित है। जयपुर से अजमेर की ओर चलने वाली बसों की मदद से आप जंतर मंतर आसानी से पहुँच सकते हैं। इसके अलावा आप कैब या टैक्सी की मदद से भी अपनी मंजिल तक पंहुच सकते हैं। जयपुर शहर रेलवे, वायुमार्ग और रोडवेज से भारत के कई बड़े शहरों से अच्छी तरह कनेक्टेड है। Click here to watch the video of Jantar Mantar
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