#अवसाद चिंता
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लखनऊ, 31.08.2024 | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा "मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता अभियान" के अंतर्गत प्राथमिक विद्यालय, चिनहट, लखनऊ में जागरूकता कार्यक्रम "स्वस्थ मन, स्वस्थ तन" का आयोजन किया गया |
कार्यक्रम के अंतर्गत हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों ने विद्यालय के 50 छात्र-छात्राओं को मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बताते हुए कहा कि, "मानसिक स्वास्थ्य हमारे संपूर्ण जीवन की नींव हैं, और इसका ध्यान रखना उतना ही जरूरी हैं जितना शारीरिक स्वास्थ्य का । मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल से न केवल हमारी सोच और भावनाएं बेहतर होती हैं, बल्कि यह हमारे निर्णय लेने की क्षमता, रिश्तों को संभालने की ताकत और जीवन के हर पहलू में समग्र विकास में भी सहायक होती हैं । मानसिक स्वास्थ्य को नजरअंदाज करना न केवल तनाव, चिंता और अवसाद का कारण बन सकता हैं, बल्कि हमारे शारीरिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता हैं | यदि कभी आपके शिक्षक आपको डांटते हैं, तो उसे सकारात्मक दृष्टिकोण से लें, क्योंकि वे आपकी भलाई के लिए ऐसा करते हैं | एक स्वस्थ मन हमें जीवन की कठिनाइयों का सामना करने, तन��व से निपटने और अच्छे दोस्त व रिश्ते बनाने में मदद करता हैं । मानसिक स्वास्थ्य उतना ही महत्वपूर्ण हैं जितना कि शारीरिक स्वास्थ्य । जब हमारा मन स्वस्थ होता हैं, तो हम सही फैसले लेते हैं, तनाव कम महसूस करते हैं और जीवन को खुशी से जी सकते हैं । आपका मानसिक स्वास्थ्य आपके जीवन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं । इसलिए, अपने मन का ख्याल रखना जरूरी हैं ताकि आप खुश और स्वस्थ रह सकें ।"
जागरूकता कार्यक्रम "स्वस्थ मन, स्वस्थ तन" मे हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों श्री क्षितिज पटेल, सुश्री निष्ठा राय, सुश्री संजना मिश्रा (एमिटी इंस्टीट्यूट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी) ने सहभागिता की तथा जागरूकता अभियान को सफल बनाया |
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शिरोधारा: आयुर्वेदिक चिकित्सा की अद्वितीय विधि
शिरोधारा एक प्राचीन आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति है, जिसमें लगातार धारा की तरह एक विशेष औषधीय तेल या तरल पदार्थ को माथे पर डाला जाता है। यह उपचार न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक और भावनात्मक संतुलन को भी पुनः स्थापित करने में सहायक है। शिरोधारा का शाब्दिक अर्थ होता है "सिर पर धार"।
शिरोधारा के लाभ
तनाव और चिंता में राहत: शिरोधारा तनाव, चिंता और अवसाद को कम करने में मदद करता है। यह मस्तिष्क को शांत करता है और मानसिक शांति प्रदान करता है।
नींद की गुणवत्ता में सुधार: यह अनिद्रा और नींद से संबंधित समस्याओं के उपचार में अत्यधिक प्रभावी है। शिरोधारा के बाद अच्छी और गहरी नींद आती है।
माइग्रेन और सिरदर्द में राहत: नियमित शिरोधारा सत्र माइग्रेन और लगातार सिरदर्द को कम करने में सहायक होते हैं।
मस्तिष्क की कार्यक्षमता में वृद्ध��: शिरोधारा मानसिक स्पष्टता, स्मरण शक्ति और एकाग्रता को बढ़ावा देता है।
चमकती त्वचा: यह त्वचा को पोषण प्रदान करता है और चेहरे की चमक को बढ़ाता है।
रक्तचाप को नियंत्रित करना: यह उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है और संपूर्ण स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है।
नर्वस सिस्टम की उत्तेजना को शांत करना: शिरोधारा नर्वस सिस्टम की उत्तेजना को शांत करता है और पूरे शरीर में एक आरामदायक अनुभव पैदा करता है।
शिरोधारा का अनुभव
शिरोधारा का सत्र अत्यंत आरामदायक होता है, जहाँ आप एक आरामदायक स्थिति में लेटे रहते हैं। एक विशेष औषधीय तेल या तरल पदार्थ का धीमी गति से और लगातार आपके माथे के बीचोबीच डाला जाता है। यह प्रक्रिया आमतौर पर 30-60 मिनट तक चलती है और इसके बाद आप तरोताजा और पुनःजीवित महसूस करते हैं।
आइए, शिरोधारा के अद्वितीय लाभों का अनुभव करें और अपने शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को पुनः संतुलित करें। शिरोधारा के लिए आज ही अपॉइंटमेंट बुक करें और आयुर्वेद की इस प्राचीन चिकित्सा विधि से अपने जीवन को नई दिशा दें।
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महीने में कितनी बार शारीरिक संबंध बनाना चाहिए
महीने में कितनी बार शारीरिक संबंध बनाना चाहिए?
परिचय शारीरिक संबंधों की आवृत्ति हर जोड़े के लिए अलग होती है, और यह कई कारकों पर निर्भर करता है जैसे शारीरिक, मानसिक स्थिति, उम्र, रिश्ते की स्थिति और व्यक्तिगत इच्छाएं। महीने में कितनी बार शारीरिक संबंध बनाना चाहिए, यह सवाल अक्सर पूछा जाता है। हालांकि इसका कोई सटीक उत्तर नहीं है, इस ब्लॉग में हम इस विषय पर चर्चा करेंगे और समझेंगे कि शारीरिक संबंधों की आदर्श आवृत्ति क्या हो सकती है।
1. शारीरिक और मानसिक स्थिति का प्रभाव
शारीरिक स्वास्थ्य: महीने में कितनी बार शारीरिक संबंध बनाना चाहिए, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप और आपका साथी शारीरिक रूप से कितने स्वस्थ हैं। शारीरिक बीमार���यों, थकान, या किसी तरह के स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे आवृत्ति को प्रभावित कर सकते हैं।
मानसिक स्थिति: मानसिक स्थिति का भी शारीरिक संबंधों पर गहरा प्रभाव पड़ता है। जब कोई पार्टनर मानसिक तनाव, चिंता या अवसाद का सामना कर रहा होता है, तो शारीरिक संबंधों की इच्छा कम हो सकती है। इस स्थिति में एक-दूसरे की भावनाओं का सम्मान करना जरूरी है।
2. आदर्श आवृत्ति: महीने में कितनी बार?
अधिकांश विशेषज्ञों के अनुसार, महीने में 4 से 8 बार शारीरिक संबंध बनाना एक सामान्य और स्वस्थ आवृत्ति मानी जाती है, यानी सप्ताह में 1 से 2 बार। यह संख्या दोनों पार्टनर्स की संतुष्टि, शारीरिक स्वास्थ्य और रिश्ते की स्थिति के अनुसार बदल सकती है।
युवा जोड़े: युवा और स्वस्थ जोड़े महीने में 8-12 बार तक शारीरिक संबंध बना सकते हैं, क्योंकि उनकी शारीरिक और मानसिक स्थिति अधिक सक्रिय होती है।
उम्र बढ़ने के साथ: जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, शारीरिक समस्याएं, काम की व्यस्तता, या पारिवारिक जिम्मेदारियां शारीरिक संबंधों की आवृत्ति को घटा सकती हैं। हालांकि, रिश्ते में भावनात्मक जुड़ाव और विश्वास बनाए रखना महत्वपूर्ण है।
3. व्यक्तिगत इच्छाएं और जीवनशैली
हर व्यक्ति और हर रिश्ते की जरूरतें अलग होती हैं। शारीरिक संबंधों की आवृत्ति का निर्धारण दोनों पार्टनर्स की इच्छाओं और जीवनशैली पर भी निर्भर करता है। अगर कोई पार्टनर व्यस्त कामकाजी दिनचर्या या अन्य जिम्मेदारियों के कारण शारीरिक संबंधों के लिए समय नहीं निकाल पा रहा है, तो आवृत्ति कम हो सकती है।
कामकाजी जीवन: लंबे कार्यदिवस और जिम्मेदारियां शारीरिक संबंधों की आवृत्ति को प्रभावित कर सकती हैं। लेकिन इसे संतुलित करने के लिए आप शारीरिक संबंधों को खुशहाल और शांतिपूर्ण बना सकते हैं, भले ही उनकी संख्या कम हो।
आध्यात्मिक या मानसिक संतोष: अगर दोनों पार्टनर मानसिक रूप से संतुष्ट हैं, तो शारीरिक संबंधों की आवृत्ति में प्राकृतिक वृद्धि हो सकती है।
4. शारीरिक संबंधों के लाभ
शारीरिक संबंधों के कई शारीरिक और मानसिक लाभ होते हैं:
शारीरिक स्वास्थ्य: शारीरिक संबंध नियमित रूप से हार्मोनल संतुलन बनाए रखने, हृदय स्वास्थ्य में सुधार और तनाव को कम करने में मदद कर सकते हैं।
भावनात्मक जुड़ाव: नियमित शारीरिक संबंधों से रिश्ते में भावनात्मक जुड़ाव और विश्वास मजबूत होता है।
तनाव कम करना: सेक्स के दौरान एंडोर्फिन्स (फील-गुड हार्मोन) का रिलीज़ तनाव को कम करने में मदद करता है।
5. जब शारीरिक संबंधों की आवृत्ति कम हो जाए
कभी-कभी शारीरिक संबंधों की आवृत्ति कम हो सकती है, और यह कोई समस्या नहीं है, जब तक दोनों पार्टनर इस बदलाव को समझते हैं और स्वीकार करते हैं। शारीरिक संबंधों में कमी का कारण मानसिक तनाव, शारीरिक समस्याएं, या रिश्ते में असंतोष हो सकता है। इस स्थिति में संवाद और समझ का महत्व बढ़ जाता है।
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निष्कर्ष
महीने में कितनी बार शारीरिक संबंध बनाना चाहिए, इसका कोई सटीक जवाब नहीं है। यह पूरी तरह से दो���ों पार्टनर्स की शारीरिक और मानसिक स्थिति, जीवनशैली, और रिश्ते की जरूरतों पर निर्भर करता है। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि आप और आपका साथी संतुष्ट और आरामदायक महसूस करें, और शारीरिक संबंधों को एक सकारात्मक और सुखद अनुभव बनाए रखें। संतुलित और समझदारी से शारीरिक संबंधों की आवृत्ति तय करना रिश्ते को और मजबूत बना सकता है।
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Depression Meaning in Hindi in Delhi: 7 Powerful Aspects for People
Introduction
Depression Meaning in Hindi in Delhi (अवसाद) is a vital topic for understanding mental health in the capital city of India. Depression, known as अवसाद in Hindi, is a serious mental health condition that can significantly impact emotional and physical well-being. In a diverse and bustling city like Delhi, recognizing the signs of depression and accessing help is crucial for promoting awareness and well-being.
This blog delves into the meaning of depression in Hindi, its symptoms, causes, and where people in Delhi can find reliable resources for support.
What is Depression Meaning in Hindi in Delhi? (अवसाद का क्या अर्थ है?)
Depression, or अवसाद, is a psychological condition characterized by persistent sadness, emotional distress, and a loss of interest in daily activities. Unlike temporary feelings of sadness, depression is a long-lasting condition that requires attention and care. In Delhi, factors like high stress levels and urban challenges often exacerbate this condition, making awareness essential.
For Best Depression Treatment in Delhi consider visiting:
Delhi Mind Clinic
Dr. Sugandha Gupta
Dr. Paramjeet Singh
https://www.bestpsychiatristsindelhi.com/
Symptoms of Depression Meaning in Hindi in Delhi (अवसाद के लक्षण)
Understanding the symptoms of depression can help individuals seek timely support. Common symptoms include:
अत्यधिक उदासी (Excessive sadness): Feeling persistently low.
ऊर्जा की कमी (Lack of energy): Constant fatigue.
नींद की समस्या (Sleep issues): Difficulty sleeping or oversleeping.
स्वाभिमान में कमी (Low self-esteem): Negative thoughts about oneself.
अत्यधिक चिंता (Excessive anxiety): Feeling tense or worried.
काम या पढ़ाई में रुचि खोना (Loss of interest in activities): Lack of motivation.
मृत्यु या आत्महत्या के विचार (Thoughts of death or suicide): Severe hopelessness.
Causes of Depression Meaning in Hindi in Delhi (अवसाद के कारण)
Several factors contribute to depression, including:
जैविक कारक (Biological factors): Genetics or brain chemical imbalances.
मनोवैज्ञानिक कारक (Psychological factors): Past trauma or ongoing stress.
सामाजिक कारण (Social factors): Urban isolation, work pressure, or strained relationships.
Where to Seek Help in Delhi (दिल्ली में सहायता कहां लें)
Delhi offers numerous avenues for mental health support, including:
Ministry of Health and Family Welfare: Information on national mental health programs.
NIMHANS: A trusted authority for mental health services.
Manodarpan: A government initiative for psychological support.
Managing Depression Meaning in Hindi in Delhi (अवसाद को कैसे प्रबंधित करें)
Here are some ways to manage depression effectively:
Build Support Networks: Share your feelings with friends and family
Adopt Healthy Habits:
नियमित व्यायाम करें (Exercise regularly): Boosts mood through endorphins.
स्वस्थ आहार खाएं (Eat a balanced diet): Supports overall health.
Practice Stress-Relief Techniques:
Yoga, meditation, and mindfulness can improve focus and reduce anxiety.
Limit Screen Time:
Avoid excessive social media use to combat feelings of inadequacy.
Challenges and Solutions in Delhi (दिल्ली में अवसाद के समाधान)
Delhi’s fast-paced lifestyle can intensify stress. However, the city also offers solutions:
Numerous Clinics and NGOs: Accessible mental health resources.
Workplace and School Campaigns: Awareness initiatives to reduce stigma.
Conclusion
Understanding Depression Meaning in Hindi in Delhi is the first step toward breaking the stigma and promoting mental health awareness. Depression is a treatable condition, and timely intervention can significantly improve the quality of life. By utilizing authorized government resources and seeking professional help, individuals can take meaningful steps toward recovery.
If you or someone you know is struggling, reach out to organizations like Manodarpan or consult mental health professionals in Delhi for support.
Call to Action
If you’re in Delhi and need assistance, don’t hesitate to reach out to a trusted professional or explore government-authorized resources. Mental health matters!
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आपकी टाइमिंग बढ़ाने के लिए यह देसी दवा एक वरदान हो सकती है!
क्या आप टाइमिंग बढ़ाने की देसी दवा की तलाश में हैं? क्या आप अपनी सेक्स लाइफ को बेहतर बनाना चाहते हैं? अगर हाँ, तो आप सही जगह पर ह���ं। इस लेख में, हम आपको टाइमिंग बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवा के बारे में बताएंगे, जिसमें शिलाजीत और अश्वगंधा के फायदे शामिल हैं।
टाइमिंग कम होने के कारण
टाइमिंग कम होने के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
1. शारीरिक कारण: कम तेस्टोस्टेरोन का स्तर, थायरॉइड विकार, मधुमेह, दिल की बीमारियां आदि।
2. मानसिक कारण: तनाव और चिंता, अवसाद और मनोविकार आदि।
3. जीवनशैली से जुड़े कारण: शराब और धूम्रपान, कम व्यायाम, अनियमित आहार आदि। 4. आयु: आयु बढ़ने के साथ शारीरिक क्षमताएं कम होने लगती हैं।
टाइमिंग बढ़ाने की देसी दवा: शिलाजीत और अश्वगंधा के फायदे
टाइमिंग बढ़ाने की देसी दवा के कई फायदे हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं: शिलाजीत के फायदे
शिलाजीत एक प्राकृतिक उत्पाद है जो हिमालय की पहाड़ियों में पाया जाता है।
यह एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है जो शरीर को ऑक्सीडेटिव तनाव से बचाता है।
शिलाजीत का सेवन करने से टेस्टोस्टेरोन का स्तर बढ़ सकता है, जिससे सेक्स ड्राइव में सुधार हो सकता है।
अश्वगंधा के फायदे
अश्वगंधा एक प्राकृतिक हर्ब है जो शरीर को तनाव से लड़ने में मदद करता है।
यह एक शक्तिशाली एडाप्टोजेन है जो शरीर को तनाव के प्रभावों से बचाता है।
अश्वगंधा का सेवन करने से सेक्स ड्राइव में सुधार हो सकता है और टाइमिंग बढ़ सकती है।
टाइमिंग बढ़ाने की देसी दवा के अन्य फायदे
टाइमिंग बढ़ाने की देसी दवा के कई अन्य फायदे भी हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
1. सेक्स ड्राइव में सुधार: टाइमिंग बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवा का सेवन करने से सेक्स ड्राइव में सुधार हो सकता है।
2. टेस्टोस्टेरोन का स्तर बढ़ाना: टाइमिंग बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवा का सेवन करने से टेस्टोस्टेरोन का स्तर बढ़ सकता है। 3. तनाव कम करना: टाइमिंग बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवा का सेवन करने से तनाव कम हो सकता है।
टाइमिंग बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवा का सेवन कैसे करें
टाइमिंग बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवा का सेवन करने के लिए, आपको निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना होगा:
शिलाजीत का सेवन: शिलाजीत कैप्सूल और रेजिन के रूप में उपलब्ध है। आप शिलाजीत का सेवन गुनगुने पानी या दूध के साथ कर सकते हैं। शिलाजीत रेजिन को गुनगुने पानी या दूध में मिलाकर सुबह खाली पेट लें।
अश्वगंधा का सेवन: अश्वगंधा का सेवन करने के लिए, आपको इसे पानी या दूध के साथ मिलाकर पीना होगा।
नियमित सेवन: टाइमिंग बढ़ाने की देसी दवा का सेवन करने के लिए, आपको इसे नियमित रूप से लेना होगा।
निष्कर्ष
टाइमिंग बढ़ाने की देसी दवा एक प्राकृतिक और सुरक्षित तरीका है जिससे आप अपनी सेक्स लाइफ को बेहतर बना सकते हैं। शिलाजीत और अश्वगंधा के फायदे इसे एक शक्तिशाली और प्रभावी दवा बनाते हैं। इसलिए, अगर आप अपनी सेक्स लाइफ को बेहतर बनाना चाहते हैं, तो टाइमिंग बढ़ाने की देसी दवा का सेवन करना एक अच्छा विकल्प हो सकता है।
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Basic Life Support : My Health, My Right | बेसिक लाइफ सपोर्ट : मेरा स्वास्थ्य, मेरा अधिकार
लखनऊ, 07.04.2024 | विश्व स्वास्थ्य दिवस 2024 के अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा रामायण पार्क, सेक्टर -25, इंदिरा नगर, लखनऊ में "बेसिक लाइफ सपोर्ट" कार्यशाला का आयोजन किया गया । कार्यशाला में डॉ. पियाली भट्टाचार्य, सलाहकार, Lucknow Academy of Pediatrics एवं बाल रोग विशेषज्ञ, एस.जी.पी.जी.आई, Lucknow Academy of Pediatrics से डॉ निर्मला जोशी, अध्यक्ष, डॉ अमित कुमार रस्तोगी, उपाध्यक्ष तथा डॉ उत्कर्ष बंसल, सचिव ने सेक्टर 25 के निवासियों को हार्ट अटैक आने पर मरीज को दिये जाने वाले प्रारंभिक उपचार का प्रशिक्षण दिया । कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ समाजसेवी, श्री नीरज सिंह की गरिमामयी उपस्थिति रही l कार्यशाला का शुभारंभ राष्ट्रगान तथा दीप प्रज्वलन से हुआ |
कार्यशाला में सभी का स्वागत करते हुए हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल ने कहा कि आप सभी को विश्व स्वास्थ्य दिवस 2024 की बहुत-बहुत शुभकामनाएं | विश्व स्वास्थ्य दिवस प्रतिवर्ष अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठन (WHO) की स्थापना के दिन मनाया जाता है | इस दिन लोगों को सेहत से जुड़ी समस्याओं एवं अधिकारों के बारे में जागरूक किया जाता है | इस वर्ष विश्व स्वास्थ्य दिवस की थीम है "मेरा स्वास्थ्य, मेरा अधिकार (My Health, My Right)” जिसके तहत आज हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा बेसिक लाइफ सपोर्ट कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट लोगों को नई चिकित्सा तकनीकों के बारे में जागरूक करने और उन्हें बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने की दिशा में काम कर रहा है । ट्रस्ट द्वारा जनहित में निरंतर नि:शुल्क होम्योपैथी परामर्श, निदान एवं दवा वितरण शिविर, रक्तदान शिविर, मुफ्त स्वास्थ्य जांच शिविर, कैंसर और स्वाइन फ्लू के लिए जागरूकता शिविर और मुफ्त नेत्र जांच शिविर का आयोजन किया जा रहा है जिसमें समाज के निर्धन, गरीब और असहाय लोगों की निरंतर मदद की जा रही है |
कार्यशाला के मुख्य अतिथि श्री नीरज सिंह, वरिष्ठ समाजसेवी ने हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा किए जा रहे जनहित के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि, आप सभी को विश्व स्वास्थ्य दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएं | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट निरंतर ही जन सेवा के कार्यों में लगा हुआ है | मैं हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्षवर्धन अग्रवाल की प्रशंसा करता हूं जो सरकार द्वारा दिए गए अधिकारों का सदुपयोग करते हुए निरंतर जनहित में कार्य कर रहे हैं | बेसिक लाइफ सपोर्ट एक ऐसी ट्रेनिंग है जो हार्ट अटैक की स्थिति में अस्पताल पहुंचने तक किसी की भी जान बचा सकती है | मेरा मानना है कि बेसिक लाइफ सपोर्ट प्रशिक्षण को हर किसी को सीखना चाहिए और हर स्कूल और कॉलेज में ऐसी कार्यशालाएं आयोजित की जानी चाहिए, खासकर युवाओं को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए | इस अवसर पर श्री नीरज सिंह ने स्वयं भी प्रशिक्षण प्राप्त किया |
डॉ पियाली भट्टाचार्य, डॉ अमित कुमार रस्तोगी एवं डॉ उत्कर्ष बंसल ने कार्यशाला में उपस्थित सभी लोगों को बेसिक लाइफ सपोर्ट के बारे में बताते हुए कहा कि "बेसिक लाइफ सपोर्ट (बी.एल.एस.) चिकित्सकीय देखभाल की ट्रेनिंग है जिसका उपयोग जीवन-घातक बीमारियों जैसे हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक या चोटों के पीड़ितों के लिए तब तक किया जाता है जब तक कि वह अस्पताल में संपूर्ण चिकित्सकीय देखभाल के लिए ना पहुंच जाये । बेसिक लाइफ सपोर्ट प्रशिक्षण का उद्देश्य आम लोगों को दिल का दौरा पड़ने या दम घुटने जैसी आपात स्थिति में प्राथमिक उपचार देने की सही तकनीक के बारे में जागरूक करना है । यह जीवन बचाने और हृदय, गुर्दे और मस्तिष्क जैसे महत्वपूर्ण अंगों को और अधिक नुकसान से बचाने के लिए महत्वपूर्ण है। हार्ट अटैक के कारण मृत्यु दर दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है | इस आधुनिक दुनिया में लोग अपने जीवन में कुछ बड़ा हासिल करने के कारण चिंता, अवसाद, नींद की कमी, अस्वास्थ्यकर भोजन के कारण मोटापे से पीड़ित हो गए हैं, जिससे दिल का दौरा पड़ने के मामले बढ़ रहे हैं | ऐसी स्थिति में बेसिक लाइफ सपोर्ट की ट्रेनिंग होना अत्यंत आवश्यक है जिससे हम किसी को जरूरत पड़ने पर मदद कर सकें |” प्रशिक्षकों द्वारा नवजात शिशु से लेकर बड़े बच्चों की सांस की नली में कुछ फस जाने, उनके गले में कुछ अटक जाने की स्थिति में कैसे उनकी जान बचाई जा सकती है, यह भी प्रशिक्षण के माध्यम से बताया |
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्षवर्धन अग्रवाल ने कार्यशाला में उपस्थित सभी लोगों का धन्यवाद देते हुए कहा कि हम मुख्य अतिथि श्री नीरज सिंह का अत्यधिक आभार प्रकट करते है कि वह अपने व्यस्त कार्यक्रम में से जनहित के लिए समय निकालकर यहां आए तथा हम सबका मार्गदर्शन किया, साथ ही इस कार्यशाला के कुशल प्रशिक्षकों एवं प्रतिष्ठित चिकित्सकों का भी धन्यवाद है जिनके सहयोग से यह कार्यशाला सफलतापूर्वक संपन्न हो सकी | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट का आदर्श वाक्य है स्वस्थ लोग, स्वस्थ समाज एवं ट्रस्ट निरंतर इसी दिशा में कार्य कर रहा है |
कार्यशाला में मुख्य अतिथि तथा प्रशिक्षकों को हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के पदाधिकारियों द्वारा प्रतीक चिन्ह से सम्मानित किया गया |
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Basic Life Support : My Health, My Right | बेसिक लाइफ सपोर्ट : मेरा स्वास्थ्य, मेरा अधिकार
लखनऊ, 07.04.2024 | विश्व स्वास्थ्य दिवस 2024 के अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा रामायण पार्क, सेक्टर -25, इंदिरा नगर, लखनऊ में "बेसिक लाइफ सपोर्ट" कार्यशाला का आयोजन किया गया । कार्यशाला में डॉ. पियाली भट्टाचार्य, सलाहकार, Lucknow Academy of Pediatrics एवं बाल रोग विशेषज्ञ, एस.जी.पी.जी.आई, Lucknow Academy of Pediatrics से डॉ निर्मला जोशी, अध्यक्ष, डॉ अमित कुमार रस्तोगी, उपाध्यक्ष तथा डॉ उत्कर्ष बंसल, सचिव ने सेक्टर 25 के निवासियों को हार्ट अटैक आने पर मरीज को दिये जाने वाले प्रारंभिक उपचार का प्रशिक्षण दिया । कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ समाजसेवी, श्री नीरज सिंह की गरिमामयी उपस्थिति रही l कार्यशाला का शुभारंभ राष्ट्रगान तथा दीप प्रज्वलन से हुआ |
कार्यशाला में सभी का स्वागत करते हुए हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल ने कहा कि आप सभी को विश्व स्वास्थ्य दिवस 2024 की बहुत-बहुत शुभकामनाएं | विश्व स्वास्थ्य दिवस प्रतिवर्ष अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठन (WHO) की स्थापना के दिन मनाया जाता है | इस दिन लोगों को सेहत से जुड़ी समस्याओं एवं अधिकारों के बारे में जागरूक किया जाता है | इस वर्ष विश्व स्वास्थ्य दिवस की थीम है "मेरा स्वास्थ्य, मेरा अधिकार (My Health, My Right)” जिसके तहत आज हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा बेसिक लाइफ सपोर्ट कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट लोगों को नई चिकित्सा तकनीकों के बारे में जागरूक करने और उन्हें बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने की दिशा में काम कर रहा है । ट्रस्ट द्वारा जनहित में निरंतर नि:शुल्क होम्योपैथी परामर्श, निदान एवं दवा वितरण शिविर, रक्तदान शिविर, मुफ्त स्वास्थ्य जांच शिविर, कैंसर और स्वाइन फ्लू के लिए जागरूकता शिविर और मुफ्त नेत्र जांच शिविर का आयोजन किया जा रहा है जिसमें समाज के निर्धन, गरीब और असहाय लोगों की निरंतर मदद की जा रही है |
कार्यशाला के मुख्य अतिथि श्री नीरज सिंह, वरिष्ठ समाजसेवी ने हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा किए जा रहे जनहित के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि, आप सभी को विश्व स्वास्थ्य दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएं | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट निरंतर ही जन सेवा के कार्यों में लगा हुआ है | मैं हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्षवर्धन अग्रवाल की प्रशंसा करता हूं जो सरकार द्वारा दिए गए अधिकारों का सदुपयोग करते हुए निरंतर जनहित में कार्य कर रहे हैं | बेसिक लाइफ सपोर्ट एक ऐसी ट्रेनिंग है जो हार्ट अटैक की स्थिति में अस्पताल पहुंचने तक किसी की भी जान बचा सकती है | मेरा मानना है कि बेसिक लाइफ सपोर्ट प्रशिक्षण को हर किसी को सीखना चाहिए और हर स्कूल और कॉलेज में ऐसी कार्यशालाएं आयोजित की जानी चाहिए, खासकर युवाओं को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए | इस अवसर पर श्री नीरज सिंह ने स्वयं भी प्रशिक्षण प्राप्त किया |
डॉ पियाली भट्टाचार्य, डॉ अमित कुमार रस्तोगी एवं डॉ उत्कर्ष बंसल ने कार्यशाला में उपस्थित सभी लोगों को बेसिक लाइफ सपोर्ट के बारे में बताते हुए कहा कि "बेसिक लाइफ सपोर्ट (बी.एल.एस.) चिकित्सकीय देखभाल की ट्रेनिंग है जिसका उपयोग जीवन-घातक बीमारियों जैसे हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक या चोटों के पीड़ितों के लिए तब तक किया जाता है जब तक कि वह अस्पताल में संपूर्ण चिकित्सकीय देखभाल के लिए ना पहुंच जाये । बेसिक लाइफ सपोर्ट प्रशिक्षण का उद्देश्य आम लोगों को दिल का दौरा पड़ने या दम घुटने जैसी आपात स्थिति में प्राथमिक उपचार देने की सही तकनीक के बारे में जागरूक करना है । यह जीवन बचाने और हृदय, गुर्दे और मस्तिष्क जैसे महत्वपूर्ण अंगों को और अधिक नुकसान से बचाने के लिए महत्वपूर्ण है। हार्ट अटैक के कारण मृत्यु दर दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है | इस आधुनिक दुनिया में लोग अपने जीवन में कुछ बड़ा हासिल करने के कारण चिंता, अवसाद, नींद की कमी, अस्वास्थ्यकर भोजन के कारण मोटापे से पीड़ित हो गए हैं, जिससे दिल का दौरा पड़ने के मामले बढ़ रहे हैं | ऐसी स्थिति में बेसिक लाइफ सपोर्ट की ट्रेनिंग होना अत्यंत आवश्यक है जिससे हम किसी को जरूरत पड़ने पर मदद कर सकें |” प्रशिक्षकों द्वारा नवजात शिशु से लेकर बड़े बच्चों की सांस की नली में कुछ फस जाने, उनके गले में कुछ अटक जाने की स्थिति में कैसे उनकी जान बचाई जा सकती है, यह भी प्रशिक्षण के माध्यम से बताया |
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्��वर्धन अग्रवाल ने कार्यशाला में उपस्थित सभी लोगों का धन्यवाद देते हुए कहा कि हम मुख्य अतिथि श्री नीरज सिंह का अत्यधिक आभार प्रकट करते है कि वह अपने व्यस्त कार्यक्रम में से जनहित के लिए समय निकालकर यहां आए तथा हम सबका मार्गदर्शन किया, साथ ही इस कार्यशाला के कुशल प्रशिक्षकों एवं प्रतिष्ठित चिकित्सकों का भी धन्यवाद है जिनके सहयोग से यह कार्यशाला सफलतापूर्वक संपन्न हो सकी | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट का आदर्श वाक्य है स्वस्थ लोग, स्वस्थ समाज एवं ट्रस्ट निरंतर इसी दिशा में कार्य कर रहा है |
कार्यशाला में मुख्य अतिथि तथा प्रशिक्षकों को हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के पदाधिकारियों द्वारा प्रतीक चिन्ह से सम्मानित किया गया |
#Worldhealthday2024 #विश्वस्वास्थ्यदिवस2024 #Myhealthmyright
#Basiclifesupport #BLS #CPR #Emergency
#Worldhealthorganization #WHO
#Healthandwellness #HealthcareWorkers
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#YogiAdityanath #UPCM
#Neerajsingh #Lucknowacademyofpediatrics #Drnirmalajoshi #Dramitkumarrastogi #Drutkarshbansal #Drsksrivastava
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Basic Life Support : My Health, My Right | बेसिक लाइफ सपोर्ट : मेरा स्वास्थ्य, मेरा अधिकार
लखनऊ, 07.04.2024 | विश्व स्वास्थ्य दिवस 2024 के अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा रामायण पार्क, सेक्टर -25, इंदिरा नगर, लखनऊ में "बेसिक लाइफ सपोर्ट" कार्यशाला का आयोजन किया गया । कार्यशाला में डॉ. पियाली भट्टाचार्य, सलाहकार, Lucknow Academy of Pediatrics एवं बाल रोग विशेषज्ञ, एस.जी.पी.जी.आई, Lucknow Academy of Pediatrics से डॉ निर्मला जोशी, अध्यक्ष, डॉ अमित कुमार रस्तोगी, उपाध्यक्ष तथा डॉ उत्कर्ष बंसल, सचिव ने सेक्टर 25 के निवासियों को हार्ट अटैक आने पर मरीज को दिये जाने वाले प्रारंभिक उपचार का प्रशिक्षण दिया । कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ समाजसेवी, श्री नीरज सिंह की गरिमामयी उपस्थिति रही l कार्यशाला का शुभारंभ राष्ट्रगान तथा दीप प्रज्वलन से हुआ |
कार्यशाला में सभी का स्वागत करते हुए हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल ने कहा कि आप सभी को विश्व स्वास्थ्य दिवस 2024 की बहुत-बहुत शुभकामनाएं | विश्व स्वास्थ्य दिवस प्रतिवर्ष अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठन (WHO) की स्थापना के दिन मनाया जाता है | इस दिन लोगों को सेहत से जुड़ी समस्याओं एवं अधिकारों के बारे में जागरूक किया जाता है | इस वर्ष विश्व स्वास्थ्य दिवस की थीम है "मेरा स्वास्थ्य, मेरा अधिकार (My Health, My Right)” जिसके तहत आज हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा बेसिक लाइफ सपोर्ट कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट लोगों को नई चिकित्सा तकनीकों के बारे में जागरूक करने और उन्हें बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने की दिशा में काम कर रहा है । ट्रस्ट द्वारा जनहित में निरंतर नि:शुल्क होम्योपैथी परामर्श, निदान एवं दवा वितरण शिविर, रक्तदान शिविर, मुफ्त स्वास्थ्य जांच शिविर, कैंसर और स्वाइन फ्लू के लिए जागरूकता शिविर और मुफ्त नेत्र जांच शिविर का आयोजन किया जा रहा है जिसमें समाज के निर्धन, गरीब और असहाय लोगों की निरंतर मदद की जा रही है |
कार्यशाला के मुख्य अतिथि श्री नीरज सिंह, वरिष्ठ समाजसेवी ने हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा किए जा रहे जनहित के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि, आप सभी को विश्व स्वास्थ्य दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएं | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट निरंतर ही जन सेवा के कार्यों में लगा हुआ है | मैं हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्षवर्धन अग्रवाल की प्रशंसा करता हूं जो सरकार द्वारा दिए गए अधिकारों का सदुपयोग करते हुए निरंतर जनहित में कार्य कर रहे हैं | बेसिक लाइफ सपोर्ट एक ऐसी ट्रेनिंग है जो हार्ट अटैक की स्थिति में अस्पताल पहुंचने तक किसी की भी जान बचा सकती है | मेरा मानना है कि बेसिक लाइफ सपोर्ट प्रशिक्षण को हर किसी को सीखना चाहिए और हर स्कूल और कॉलेज में ऐसी कार्यशालाएं आयोजित की जानी चाहिए, खासकर युवाओं को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए | इस अवसर पर श्री नीरज सिंह ने स्वयं भी प्रशिक्षण प्राप्त किया |
डॉ पियाली भट्टाचार्य, डॉ अमित कुमार रस्तोगी एवं डॉ उत्कर्ष बंसल ने कार्यशाला में उपस्थित सभी लोगों को बेसिक लाइफ सपोर्ट के बारे में बताते हुए कहा कि "बेसिक लाइफ सपोर्ट (बी.एल.एस.) चिकित्सकीय देखभाल की ट्रेनिंग है जिसका उपयोग जीवन-घातक बीमारियों जैसे हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक या चोटों के पीड़ितों के लिए तब तक किया जाता है जब तक कि वह अस्पताल में संपूर्ण चिकित्सकीय देखभाल के लिए ना पहुंच जाये । बेसिक लाइफ सपोर्ट प्रशिक्षण का उद्देश्य आम लोगों को दिल का दौरा पड़ने या दम घुटने जैसी आपात स्थिति में प्राथमिक उपचार देने की सही तकनीक के बारे में जागरूक करना है । यह जीवन बचाने और हृदय, गुर्दे और मस्तिष्क जैसे महत्वपूर्ण अंगों को और अधिक नुकसान से बचाने के लिए महत्वपूर्ण है। हार्ट अटैक के कारण मृत्यु दर दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है | इस आधुनिक दुनिया में लोग अपने जीवन में कुछ बड़ा हासिल करने के कारण चिंता, अवसाद, नींद की कमी, अस्वास्थ्यकर भोजन के कारण मोटापे से पीड़ित हो गए हैं, जिससे दिल का दौरा पड़ने के मामले बढ़ रहे हैं | ऐसी स्थिति में बेसिक लाइफ सपोर्ट की ट्रेनिंग होना अत्यंत आवश्यक है जिससे हम किसी को जरूरत पड़ने पर मदद कर सकें |” प्रशिक्षकों द्वारा नवजात शिशु से लेकर बड़े बच्चों की सांस की नली में कुछ फस जाने, उनके गले में कुछ अटक जाने की स्थिति में कैसे उनकी जान बचाई जा सकती है, यह भी प्रशिक्षण के माध्यम से बताया |
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्षवर्धन अग्रवाल ने कार्यशाला में उपस्थित सभी लोगों का धन्यवाद देते हुए कहा कि हम मुख्य अतिथि श्री नीरज सिंह का अत्यधिक आभार प्रकट करते है कि वह अपने व्यस्त कार्यक्रम में से ���नहित के लिए समय निकालकर यहां आए तथा हम सबका मार्गदर्शन किया, साथ ही इस कार्यशाला के कुशल प्रशिक्षकों एवं प्रतिष्ठित चिकित्सकों का भी धन्यवाद है जिनके सहयोग से यह कार्यशाला सफलतापूर्वक संपन्न हो सकी | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट का आदर्श वाक्य है स्वस्थ लोग, स्वस्थ समाज एवं ट्रस्ट निरंतर इसी दिशा में कार्य कर रहा है |
कार्यशाला में मुख्य अतिथि तथा प्रशिक्षकों को हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के पदाधिकारियों द्वारा प्रतीक चिन्ह से सम्मानित किया गया |
#Worldhealthday2024 #विश्वस्वास्थ्यदिवस2024 #Myhealthmyright
#Basiclifesupport #BLS #CPR #Emergency
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Basic Life Support : My Health, My Right | बेसिक लाइफ सपोर्ट : मेरा स्वास्थ्य, मेरा अधिकार
लखनऊ, 07.04.2024 | विश्व स्वास्थ्य दिवस 2024 के अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा रामायण पार्क, सेक्टर -25, इंदिरा नगर, लखनऊ में "बेसिक लाइफ सपोर्ट" कार्यशाला का आयोजन किया गया । कार्यशाला में डॉ. पियाली भट्टाचार्य, सलाहकार, Lucknow Academy of Pediatrics एवं बाल रोग विशेषज्ञ, एस.जी.पी.जी.आई, Lucknow Academy of Pediatrics से डॉ निर्मला जोशी, अध्यक्ष, डॉ अमित कुमार रस्तोगी, उपाध्यक्ष तथा डॉ उत्कर्ष बंसल, सचिव ने सेक्टर 25 के निवासियों को हार्ट अटैक आने पर मरीज को दिये जाने वाले प्रारंभिक उपचार का प्रशिक्षण दिया । कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ समाजसेवी, श्री नीरज सिंह की गरिमामयी उपस्थिति रही l कार्यशाला का शुभारंभ राष्ट्रगान तथा दीप प्रज्वलन से हुआ |
कार्यशाला में सभी का स्वागत करते हुए हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल ने कहा कि आप सभी को विश्व स्वास्थ्य दिवस 2024 की बहुत-बहुत शुभकामनाएं | विश्व स्वास्थ्य दिवस प्रतिवर्ष अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठन (WHO) की स्थापना के दिन मनाया जाता है | इस दिन लोगों को सेहत से जुड़ी समस्याओं एवं अधिकारों के बारे में जागरूक किया जाता है | इस वर्ष विश्व स्वास्थ्य दिवस की थीम है "मेरा स्वास्थ्य, मेरा अधिकार (My Health, My Right)” जिसके तहत आज हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा बेसिक लाइफ सपोर्ट कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट लोगों को नई चिकित्सा तकनीकों के बारे में जागरूक करने और उन्हें बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने की दिशा में काम कर रहा है । ट्रस्ट द्वारा जनहित में निरंतर नि:शुल्क होम्योपैथी परामर्श, निदान एवं दवा वितरण शिविर, रक्तदान शिविर, मुफ्त स्वास्थ्य जांच शिविर, कैंसर और स्वाइन फ्लू के लिए जागरूकता शिविर और मुफ्त नेत्र जांच शिविर का आयोजन किया जा रहा है जिसमें समाज के निर्धन, गरीब और असहाय लोगों की निरंतर मदद की जा रही है |
कार्यशाला के मुख्य अतिथि श्री नीरज सिंह, वरिष्ठ समाजसेवी ने हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा किए जा रहे जनहित के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि, आप सभी को विश्व स्वास्थ्य दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएं | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट निरंतर ही जन सेवा के कार्यों में लगा हुआ है | मैं हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्षवर्धन अग्रवाल की प्रशंसा करता हूं जो सरकार द्वारा दिए गए अधिकारों का सदुपयोग करते हुए निरंतर जनहित में कार्य कर रहे हैं | बेसिक लाइफ सपोर्ट एक ऐसी ट्रेनिंग है जो हार्ट अटैक की स्थिति में अस्पताल पहुंचने तक किसी की भी जान बचा सकती है | मेरा मानना है कि बेसिक लाइफ सपोर्ट प्रशिक्षण को हर किसी को सीखना चाहिए और हर स्कूल और कॉलेज में ऐसी कार्यशालाएं आयोजित की जानी चाहिए, खासकर युवाओं को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए | इस अवसर पर श्री नीरज सिंह ने स्वयं भी प्रशिक्षण प्राप्त किया |
डॉ पियाली भट्टाचार्य, डॉ अमित कुमार रस्तोगी एवं डॉ उत्कर्ष बंसल ने कार्यशाला में उपस्थित सभी लोगों को बेसिक लाइफ सपोर्ट के बारे में बताते हुए कहा कि "बेसिक लाइफ सपोर्ट (बी.एल.एस.) चिकित्सकीय देखभाल की ट्रेनिंग है जिसका उपयोग जीवन-घातक बीमारियों जैसे हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक या चोटों के पीड़ितों के लिए तब तक किया जाता है जब तक कि वह अस्पताल में संपूर्ण चिकित्सकीय देखभाल के लिए ना पहुंच जाये । बेसिक लाइफ सपोर्ट प्रशिक्षण का उद्देश्य आम लोगों को दिल का दौरा पड़ने या दम घुटने जैसी आपात स्थिति में प्राथमिक उपचार देने की सही तकनीक के बारे में जागरूक करना है । यह जीवन बचाने और हृदय, गुर्दे और मस्तिष्क जैसे महत्वपूर्ण अंगों को और अधिक नुकसान से बचाने के लिए महत्वपूर्ण है। हार्ट अटैक के कारण मृत्यु दर दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है | इस आधुनिक दुनिया में लोग अपने जीवन में कुछ बड़ा हासिल करने के कारण चिंता, अवसाद, नींद की कमी, अस्वास्थ्यकर भोजन के कारण मोटापे से पीड़ित हो गए हैं, जिससे दिल का दौरा पड़ने के मामले बढ़ रहे हैं | ऐसी स्थिति में बेसिक लाइफ सपोर्ट की ट्रेनिंग होना अत्यंत आवश्यक है जिससे हम किसी को जरूरत पड़ने पर मदद कर सकें |” प्रशिक्षकों द्वारा नवजात शिशु से लेकर बड़े बच्चों की सांस की नली में कुछ फस जाने, उनके गले में कुछ अटक जाने की स्थिति में कैसे उनकी जान बचाई जा सकती है, यह भी प्रशिक्षण के माध्यम से बताया |
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्षवर्धन अग्रवाल ने कार्यशाला में उपस्थित सभी लोगों का धन्यवाद देते हुए कहा कि हम मुख्य अतिथि श्री नीरज सिंह का अत्यधिक आभार प्रकट करते है कि वह अपने व्यस्त कार्यक्रम में से जनहित के लिए समय निकालकर यहां आए तथा हम सबका मार्गदर्शन किया, साथ ही इस कार्यशाला के कुशल प्रशिक्षकों एवं प्रतिष्ठित चिकित्सकों का भी धन्यवाद है जिनके सहयोग से यह कार्यशाल��� सफलतापूर्वक संपन्न हो सकी | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट का आदर्श वाक्य है स्वस्थ लोग, स्वस्थ समाज एवं ट्रस्ट निरंतर इसी दिशा में कार्य कर रहा है |
कार्यशाला में मुख्य अतिथि तथा प्रशिक्षकों को हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के पदाधिकारियों द्वारा प्रतीक चिन्ह से सम्मानित किया गया |
#Worldhealthday2024 #विश्वस्वास्थ्यदिवस2024 #Myhealthmyright
#Basiclifesupport #BLS #CPR #Emergency
#Worldhealthorganization #WHO
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एक शादीशुदा पुरूष की तकलीफें क्या होती हैं?
एक शादीशुदा पुरुष की तकलीफें कई प्रकार की हो सकती हैं, और ये उसकी व्यक्तिगत स्थिति, संबंधों की गुणवत्ता, जिम्मेदारियों और अन्य कारकों पर निर्भर करती हैं। यहां कुछ आम समस्याएं और चुनौतियाँ हैं जो एक शादीशुदा पुरुष का सामना कर सकता है:
1. भावनात्मक तनाव:
कभी-कभी, शादी में तनाव और संघर्ष भावनात्मक दबाव का कारण बन सकते हैं। यह अकेलापन, निराशा या असंतोष का अनुभव करवा सकता है।
2. संबंधों में संचार की कमी:
कई बार, एक पुरुष अपनी पत्नी के साथ अपनी भावनाएँ, चिंताएँ या इच्छाएँ साझा नहीं कर पाता, जिससे संबंध और भी कठिन हो जाते हैं।
3. पारिवारिक जिम्मेदारियाँ:
बच्चों की देखभाल, घर के काम और वित्तीय जिम्मेदारियाँ एक शादीशुदा पुरुष पर भारी पड़ सकती हैं। यह उसे थका सकता है और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है।
4. व्यक्तित्व में परिवर्तन:
शादीशुदा जीवन में जिम्मेदारियों के बढ़ने के कारण व्यक्ति का व्यक्तित्व बदल सकता है। कभी-कभी, वे अपनी व्यक्तिगत इच्छाओं और सपनों को पीछे छोड़ने के लिए मजबूर होते हैं।
5. ध्यान की कमी:
यदि पति का अपनी पत्नी के साथ बंधन मज़बूत नहीं है, तो उन्हें प्यार और ध्यान की कमी महसूस हो सकती है। यह उनके आत्म-सम्मान को प्रभावित कर सकता है।
6. धार्मिक या सांस्कृतिक दबाव:
कुछ पुरुष अपने समुदाय या परिवार के धार्मिक या सांस्कृतिक दबावों का सामना करते हैं, जो उनके व्यक्तिगत विचारों और प्राथमिकताओं के विपरीत हो सकते हैं।
7. आर्थिक चुनौतियाँ:
वित्तीय मुद्दे जैसे नौकरी की अस्थिरता, ऋण आदि शादीशुदा पुरुषों के लिए एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय हो सकते हैं।
8. सेहत संबंधी समस्याएँ:
मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य समस्याएँ जैसे स्ट्रेस, चिंता या अवसाद भी शादीशुदा जीवन में प्रकट हो सकती हैं।
9. स्वतंत्रता ��ी कमी:
शादीशुदा जीवन में, कई पुरुष स्वयं को स्वतंत्रता की कमी महसूस करते हैं और उनकी व्यक्तिगत पसंद या स्वतंत्रता का दायरा सीमित हो सकता है।
10. बाहर के रिश्तों का खतरा:
अगर किसी एक रिश्ते में समस्याएं बढ़ती हैं, तो बाहरी रिश्तों में प्रवेश करने का खतरा होता है, जो मौजूदा संबंध को और भी जटिल बना सकता है।
इन तकलीफों को समझना और संवाद स्थापित करना एक स्वस्थ और सकारात्मक शादी को बनाने में महत्वपूर्ण है। यदि कोई पुरुष इन समस्याओं का सामना कर रहा है, तो दोस्तों, परिवार या पेशेवर काउंसलिंग से सहायता लेना मददगार हो सकता है।
Advocate Karan Singh (Kanpur Nagar) [email protected] 8188810555, 7007528025
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सभी स्कूलों और कॉलेजों में बेसिक लाइफ सपोर्ट प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए-श्री नीरज सिंह
आपातकाल की स्थिति में बेसिक लाइफ सपोर्ट दूसरों की जान बचाने में मददगार है-डॉ. पियाली भट्टाचार्य
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट स्वस्थ लोग, स्वस्थ समाज पर काम कर रहा है-हर्ष वर्धन अग्रवाल
हम अपने स्वास्थ्य की रक्षा के लिए स्वयं जिम्मेदार हैं-डॉ रूपल अग्रवाल
लखनऊ, 07.04.2024 | विश्व स्वास्थ्य दिवस 2024 के अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा रामायण पार्क, सेक्टर -25, इंदिरा नगर, लखनऊ में "बेसिक लाइफ सपोर्ट" कार्यशाला का आयोजन किया गया । कार्यशाला में डॉ. पियाली भट्टाचार्य, सलाहकार, Lucknow Academy of Pediatrics एवं बाल रोग विशेषज्ञ, एस.जी.पी.जी.आई, Lucknow Academy of Pediatrics से डॉ निर्मला जोशी, अध्यक्ष, डॉ अमित कुमार रस्तोगी, उपाध्यक्ष तथा डॉ उत्कर्ष बंसल, सचिव ने सेक्टर 25 के निवासियों को हार्ट अटैक आने पर मरीज को दिये जाने वाले प्रारंभिक उपचार का प्रशिक्षण दिया । कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ समाजसेवी, श्री नीरज सिंह की गरिमामयी उपस्थिति रही l कार्यशाला का शुभारंभ राष्ट्रगान तथा दीप प्रज्वलन से हुआ |
कार्यशाला में सभी का स्वागत करते हुए हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल ने कहा कि “आप सभी को विश्व स्वास्थ्य दिवस 2024 की बहुत-बहुत शुभकामनाएं | विश्व स्वास्थ्य दिवस प्रतिवर्ष अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठन (WHO) की स्थापना के दिन मनाया जाता है | इस दिन लोगों को सेहत से जुड़ी समस्याओं एवं अधिकारों के बारे में जागरूक किया जाता है | इस वर्ष विश्व स्वास्थ्य दिवस की थीम है "मेरा स्वास्थ्य, मेरा अधिकार (My Health, My Right)” जिसके तहत आज हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा बेसिक लाइफ सपोर्ट कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट लोगों को नई चिकित्सा तकनीकों के बारे में जागरूक करने और उन्हें बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने की दिशा में काम कर रहा है । ट्रस्ट द्वारा जनहित में निरंतर नि:शुल्क होम्योपैथी परामर्श, निदान एवं दवा वितरण शिविर, रक्तदान शिविर, मुफ्त स्वास्थ्य जांच शिविर, कैंसर और स्वाइन फ्लू के लिए जागरूकता शिविर और मुफ्त नेत्र जांच शिविर का आयोजन किया जा रहा है जिसमें समाज के निर्धन, गरीब और असहाय लोगों की निरंतर मदद की जा रही है |”
कार्यशाला के मुख्य अतिथि श्री नीरज सिंह, वरिष्ठ समाजसेवी ने हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा किए जा रहे जनहित के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि, "आप सभी को विश्व स्वास्थ्य दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएं | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट निरंतर ही जन सेवा के कार्यों में लगा हुआ है | मैं हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्षवर्धन अग्रवाल की प्रशंसा करता हूं जो सरकार द्वारा दिए गए अधिकारों का सदुपयोग करते हुए निरंतर जनहित में कार्य कर रहे हैं | बेसिक लाइफ सपोर्ट एक ऐसी ट्रेनिंग है जो हार्ट अटैक की स्थिति में अस्पताल पहुंचने तक किसी की भी जान बचा सकती है | मेरा मानना है कि बेसिक लाइफ सपोर्ट प्रशिक्षण को हर किसी को सीखना चाहिए और हर स्कूल और कॉलेज में ऐसी कार्यशालाएं आयोजित की जानी चाहिए, खासकर युवाओं को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए | इस अवसर पर श्री नीरज सिंह ने स्वयं भी प्रशिक्षण प्राप्त किया |”
डॉ पियाली भट्टाचार्य, डॉ अमित कुमार रस्तोगी एवं डॉ उत्कर्ष बंसल ने कार्यशाला में उपस्थित सभी लोगों को बेसिक लाइफ सपोर्ट के बारे में बताते हुए कहा कि "बेसिक लाइफ सपोर्ट (बी.एल.एस.) चिकित्सकीय देखभाल की ट्रेनिंग है जिसका उपयोग जीवन-घातक बीमारियों जैसे हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक या चोटों के पीड़ितों के लिए तब तक किया जाता है जब तक कि वह अस्पताल में संपूर्ण चिकित्सकीय देखभाल के लिए ना पहुंच जाये । बेसिक लाइफ सपोर्ट प्रशिक्षण का उद्देश्य आम लोगों को दिल का दौरा पड़ने या दम घुटने जैसी आपात स्थिति में प्राथमिक उपचार देने की सही तकनीक के बारे में जागरूक करना है । यह जीवन बचाने और हृदय, गुर्दे और मस्तिष्क जैसे महत्वपूर्ण अंगों को और अधिक नुकसान से बचाने के लिए महत्वपूर्ण है। हार्ट अटैक के कारण मृत्यु दर दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है | इस आधुनिक दुनिया में लोग अपने जीवन में कुछ बड़ा हासिल करने के कारण चिंता, अवसाद, नींद की कमी, अस्वास्थ्यकर भोजन के कारण मोटापे से पीड़ित हो गए हैं, जिससे दिल का दौरा पड़ने के मामले बढ़ रहे हैं | ऐसी स्थिति में बेसिक लाइफ सपोर्ट की ट्रेनिंग होना अत्यंत आवश्यक है जिससे हम किसी को जरूरत पड़ने पर मदद कर सकें |” प्रशिक्षकों द्वारा नवजात शिशु से लेकर बड़े बच्चों की सांस की नली में कुछ फस जाने, उनके गले में कुछ अटक जाने की स्थिति में कैसे उनकी जान बचाई जा सकती है, यह भी प्रशिक्षण के माध्यम से बताया |
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्षवर्धन अग्रवाल ने कार्यशाला में उपस्थित सभी लोगों का धन्यवाद देते हुए कहा कि, “हम मुख्य अतिथि श्री नीरज सिंह का अत्यधिक आभार प्रकट करते है कि वह अपने व्यस्त कार्यक्रम में से जनहित के लिए समय निकालकर यहां आए तथा हम सबका मार्गदर्शन किया, साथ ही इस कार्यशाला के कुशल प्रशिक्षकों एवं प्रतिष्ठित चिकित्सकों का भी धन्यवाद है जिनके सहयोग से यह कार्यशाला सफलतापूर्वक संपन्न हो सकी | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट का आदर्श वाक्य है स्वस्थ लोग, स्वस्थ समाज एवं ट्रस्ट निरंतर इसी दिशा में कार्य कर रहा है |”
कार्यशाला में मुख्य अतिथि श्री नीरज सिंह, प्रशिक्षकों डॉ निर्मला जोशी, डॉ पियाली भट्टाचार्य, डॉ अमित कुमार रस्तोगी एवं डॉ उत्कर्ष बंसल को हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्षवर्धन अग्रवाल, न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल, ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य डॉ संतोष कुमार श्रीवास्तव द्वारा प्रतीक चिन्ह से सम्मानित किया गया | कार्यशाला ��ी समाप्ति पर सभी प्रतिभागियों को प्रतिभागिता प्रमाण पत्र प्रदान किया गया | कार्यशाला में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य डॉक्टर संतोष कुमार श्रीवास्तव, क्षेत्रीय पार्षद श्री भृगुनाथ शुक्ला, सेक्टर 25 के निवासियों तथा ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही |
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नींद की कमी आपके हृदय और समग्र स्वास्थ्य को कैसे नुकसान पहुँचाती है
नींद अच्छे स्वास्थ्य की आधारशिला है, फिर भी कई लोग इसके महत्व को कम आंकते हैं। लगातार नींद की कमी के गंभीर परिणाम हो सकते हैं, खासकर हृदय स्वास्थ्य के लिए। यहाँ बताया गया है कि अपर्याप्त नींद आपके शरीर को कैसे प्रभावित करती है:
अवसाद: नींद की कमी मस्तिष्क के रसायन विज्ञान को बाधित करती है, जिससे अवसाद और चिंता जैसे मूड विकारों का खतरा बढ़ जाता है। उच्च रक्तचाप: खराब नींद के पैटर्न से रक्तचाप बढ़ सकता है, जिससे समय के साथ हृदय पर दबाव पड़ता है। स्ट्रोक का जोखिम: अध्ययनों से पता चलता है कि अपर्याप्त नींद मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह को बाधित करके स्ट्रोक की संभावना को बढ़ाती है। मधुमेह का जोखिम: नींद की कमी इंसुलिन संवेदनशीलता को प्रभावित करती है, जिससे टाइप 2 मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है। हृदय रोग का जोखिम: लगातार अपर्याप्त नींद दिल के दौरे, अनियमित दिल की धड़कन और दिल की विफलता जैसी स्थितियों से जुड़ी होती है। कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली: प्रतिरक्षा कार्य के लिए नींद महत्वपूर्ण है; इसके बिना, आपका शरीर संक्रमण से लड़ने में कम सक्षम हो जाता है। अगर आपको नींद की कमी के लक्षण और इसका आपके दिल पर असर महसूस हो रहा है, तो Dr. Md. Farhan Shikoh, MBBS, MD (Medicine), DM (Cardiology) से सलाह लें। सुकून हार्ट केयर, सैनिक मार्केट, मेन रोड, रांची, झारखंड: 834001 पर जाएँ या अपॉइंटमेंट शेड्यूल करने के लिए 6200784486 पर कॉल करें। drfarhancardiologist.com पर अधिक जानकारी प्राप्त करें।
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Cure PE: Best Sexologist in Patna, Bihar India | Dr. Sunil Dubey
शीघ्रपतन गुप्त या यौन समस्या:
यदि आप शीघ्रपतन से पीड़ित गुप्त रोगी हैं, तो आपको अपनी इस गुप्त समस्या के बारे में निश्चित ही इसके सही तथ्यों के बारे में जानकारी होनी चाहिए। वास्तव में, भारत में 35-40% लोग (18 वर्ष से ऊपर) इस मानसिक व मनोवैज्ञानिक गुप्त विकार से प्रभावित हैं। दुनिया में, 30-35% से अधिक लोग अपने यौन जीवन में शीघ्रपतन की इस गुप्त समस्या की रिपोर्ट करते हैं। पुरुषों में होने वाले इस गुप्त समस्या (शीघ्रपतन) के दो अर्थ हैं। सबसे पहली बात कि यह कोई यौन समस्या नहीं है, बल्कि यौन शिक्षा और आत्म-जागरूकता की कमी के कारण व्यक्ति के यौन जीवन के यह घटना होती है। दूसरी बात, यह एक गुप्त समस्या है और यह व्यक्ति के यौन जीवन में स्खलन के समय को प्रभावित करती है, जिससे पति-पत्नी के बीच संघर्ष की स्थिति बनती है।
शीघ्रपतन की परिभाषा:
शीघ्रपतन पुरुषों में होने वाली एक ऐसी स्थिति है जिसमें उसके स्खलन अपेक्षित समय से पहले होता है, अक्सर यह महिला साथी के प्रवेश के 1-2 मिनट के भीतर, जिससे व्यक्ति के यौन जीवन या युगल की अंतरंगता में निराशा और परेशानी का सबब होता है। विश्व प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य डॉ. सुनील दुबे जो पटना के सर्वश्रेष्ठ सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर भी हैं, कहते हैं कि बहुत सारे सेक्सोलॉजिस्ट शीघ्रपतन के इलाज के नाम पर लोगों को बेवकूफ बनाते हैं। दरअसल, भारत में 10 में से 4 पुरुष इस गुप्त समस्या से पीड़ित होते हैं और वे अपने चिकित्सा व उपचार के लिए सही गुप्त व यौन रोग विशेषज्ञ या चिकित्सक चुनने में भ्रमित रहते हैं और इसका नतीजा यह होता है कि लोग आयुर्वेद और इसके चिकित्सा विज्ञान पर उंगली उठाते हैं। इसका मूल कारण है, सही आयुर्वेदिक चिकित्सा व उपचार से वंचित रह जाते है।
सही सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर चुनने में लोगों का असमंजस:
वास्तविकता यह है कि किसी भी गुप्त या यौन समस्या का समाधान केवल और केवल आयुर्वेद में ही विद्यमान है। आयुर्वेद और सेक्सोलॉजी चिकित्सा विज्ञान के विशेषज्ञ व सेक्सोलॉजिस्ट शीघ्रपतन के गुप्त रोगी का सटीक व प्रभावपूर्ण चिकित्सा व उपचार प्रदान करते हैं। इसके पीछे का कारण यह है कि शीघ्रपतन के प्रकार और प्रकृति के अनुसार, आयुर्वेदिक चिकित्सा में इसकी दवा तैयार की जाती है, जिसे केवल आयुर्वेद और सेक्सोलॉजी में विशेषज्ञता रखने वाले सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर ही सही पहचान कर इसे निर्मित कर सकते हैं। शीघ्रपतन का इलाज एक लंबी प्रक्रिया हो सकती है जहां लोग विज्ञापनों या धोखेबाजों के जाल में फंस जाते हैं और घंटों और मिनटों में इलाज की प्रक्रिया देखकर वहां चले जाते हैं। वे प्रामाणिक व अनुभवी सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर को चुनने से चूक जाते हैं जो उनका सही से इलाज कर सकते है और उनकी समस्या को हमेशा के लिए ठीक कर सकते है।
पुरुषों में होने वाले शीघ्रपतन के प्रकार:
प्राथमिक शीघ्रपतन: आजीवन स्थिति जो कि व्यक्ति के पहले यौन क्रिया से शुरू हो जाती है।
द्वितीयक शीघ्रपतन: अधिग्रहित स्थिति जो व्यक्ति को उनसे मनोवैज्ञानिक व भावनात्मक असंतुलन के कारण होता है।
प्राकृतिक परिवर्तनशील शीघ्रपतन: परिवर्तनशील स्खलन समय दर समय बदलती रहती है।
निम्नलिखित कारणों से व्यक्ति शीघ्रपतन का शिकार हो सकता है-
डॉ. सुनील दुबे, बिहार के सर्वश्रेष्ठ सेक्सोलॉजिस्ट, कहते हैं कि उन्होंने अपने पांच साल पुरुषों और महिलाओं में होने वाले भिन्न-भिन्न गुप्त व यौन विकारों पर अपना शोध किया हैं। वह दुबे क्लिनिक में प्रतिदिन प्रैक्टिस करते हैं जो पटना के लंगर टोली, चौराहा में स्थित है, यह एक प्रमाणित और गुणवत्ता-सिद्ध आयुर्वेद और सेक्सोलॉजी चिकित्सा विज्ञान क्लिनिक है। अपने दैनिक अभ्��ास व अनुभव के आधार पर, वे कहते हैं कि अधिकांश पुरुष गुप्त रोगी अपने शीघ्रपतन और स्तंभन दोष के इलाज के लिए इस क्लिनिक में आते हैं। उनका कहना है कि आमतौर पर शीघ्रपतन एक मनोवैज्ञानिक व भावनात्मक गुप्त रोग है, लेकिन कुछ अन्य कारक भी पुरुष को इस गुप्त विकार से प्रभावित कर सकता हैं।
मनोवैज्ञानिक कारक: चिंता, तनाव और अवसाद वे मनोवैज्ञानिक कारक हैं, जिसके कारण व्यक्ति अत्यधिक या दीर्घकालिक तनाव के कारण पुरुषों में होने वाले इस शीघ्रपतन की समस्या से पीड़ित हो सकता है।
न्यूरोलॉजिकल कारक: न्यूरोलॉजिकल कारकों के मामले में, व्यक्ति शीघ्रपतन से पीड़ित हो सकता है। ये न्यूरोलॉजिकल कारक तंत्रिका क्षति और न्यूरोट्रांसमीटर का असंतुलन हो सकते हैं।
हार्मोनल कारक: पुरुषों में कम सेरोटोनिन और उच्च डोपामाइन दो हार्मोनल कारक हैं जो उनके यौन गतिविधि में शीघ्रपतन का कारण बन सकते हैं।
शारीरिक कारक: प्रोस्टेट की समस्याएं, मूत्र पथ के संक्रमण (यूटीआई) और स्तंभन दोष शारीरिक कारक हैं जो पुरुष यौन गतिविधि में शीघ्रपतन का कारण बन सकते हैं।
जीवनशैली कारक: अच्छे स्वास्थ्य के लिए जीवनशैली हमेशा मायने रखती है। धूम्रपान, अत्यधिक शराब का सेवन और खराब नींद की गुणवत्ता जीवनशैली कारक हैं जो किसी व्यक्ति को शीघ्रपतन की ओर ले जा सकते हैं।
शीघ्रपतन की समस्या से स्थाई मुक्ति:
डॉ. सुनील दुबे कहते हैं कि आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से शीघ्रपतन वीर्य, जीवन शक्ति और मन का विकार होता है। दरअसल, शीघ्रपतन की स्थिति में व्यक्ति यौन ऊर्जा की कमी, कमजोरी, भावनात्मक और मानसिक स्थिति में असंतुलन से ग्रस्त हो जाता है। उनका कहना है कि हर्बल उपचार, आयुर्वेदिक नुस्खे, आहार संबंधी सलाह, पंचकर्म चिकित्सा, घरेलू उपचार और जीवनशैली में बदलाव गुप्त व यौन समस्याओं को सुधारने के लिए प्रभावी और प्राकृतिक प्रक्रियाएं हैं।
अपने चिकित्सा व उपचार में, वे सभी गुप्त व यौन समस्याओं को खत्म करने के लिए आवश्यक प्राकृतिक प्रक्रियाएं प्रदान करते हैं। सर्वोत्तम परिणाम के लिए, गुप्त व यौन रोगी को दुबे क्लिनिक में ��ाना चाहिए जो भारत का प्रमुख आयुर्वेद और सेक्सोलॉजी क्लिनिक है। भारत के विभिन्न शहरों से लोग दुबे क्लिनिक से जुड़ते है। इस क्लिनिक से फ़ोन पर अपॉइंटमेंट लें और समय पर क्लिनिक जाएँ। सही सेक्सोलॉजिस्ट का चयन सुरक्षित व प्रभावी उपचार का आधार है।
अधिक जानकारी:
दुबे क्लिनिक
भारत का प्रमाणित आयुर्वेद और सेक्सोलॉजी क्लिनिक
डॉ. सुनील दुबे, भारत के वरिष्ठ सेक्सोलॉजिस्ट
हेल्पलाइन नंबर: +91 98350 92586
स्थल: दुबे मार्केट, लंगर टोली, चौराहा, पटना-04
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श्याम तुलसी माला को पहनने के फायदे!
श्याम तुलसी माला हिंदू धर्म में एक पवित्र और विशेष महत्व रखने वाली माला है। जिसका उपयोग साधना भक्ति और मानसिक शांति के लिए किया जाता है। तुलसी माला के कई प्रकार होते हैं जिनमें श्याम तुलसी माला एक प्रमुख प्रकार है। श्याम तुलसी माला विशेष रूप से श्याम रंग की होती है। और इसे पहनने के अद्भुत फायदे होते हैं। आइए जानते हैं श्याम तुलसी माला पहनने के कुछ प्रमुख लाभों के बारे में।
आध्यात्मिक उन्नति श्याम तुलसी माला का सबसे महत्वपूर्ण लाभ यह है कि यह आध्यात्मिक उन्नति में सहायक है। इसे नियमित रूप से पहनने से व्यक्ति की भक्ति और साधना में वृद्धि होती है। तुलसी माला विशेष रूप से भगवान विष्णु और श्री कृष्ण की उपासना के लिए उत्तम मानी जाती है। इसके साथ जप करने से मन शांत और एकाग्र होता है। जिससे व्यक्ति की आध्यात्मिक यात्रा को मदद मिलती है।
मानसिक शांति और तनाव से मुक्ति आज के तनावपूर्ण जीवन ���ें मानसिक शांति और तनाव से मुक्ति पाने की आवश्यकता सभी को है। श्याम तुलसी माला को पहनने से व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती है। इसके नियमित प्रयोग से मानसिक तनाव-चिंता और अवसाद में कमी आती है। तुलसी माला में एक विशेष ऊर्जा होती है जो व्यक्ति को शांति और संतुलन प्रदान करती है। यह मानसिक समस्याओं को दूर करने में मदद करती है और एक सकारात्मक मानसिक स्थिति उत्पन्न करती है।
शरीर की शुद्धि और स्वस्थ जीवन तुलसी माला का शारीरिक रूप से भी लाभ होता है। तुलसी के बीज में औषधीय गुण होते हैं। जो शरीर को शुद्ध करने और विभिन्न बीमारियों से बचाने में सहायक होते हैं। श्याम तुलसी माला पहनने से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। जो शरीर को ताजगी और स्फूर्ति प्रदान करता है। यह शरीर को शुद्ध करती है और रोग प्रतिकारक क्षमता को भी बढ़ाती है।
व्यक्तिगत सुरक्षा और बुरी ऊर्जा से बचाव तुलसी माला को पहनने से न केवल मानसिक और शारीरिक लाभ होते हैं। बल्कि यह एक सुरक्षा कवच की तरह भी कार्य करती है। श्याम तुलसी माला पहनने से व्यक्ति को नकारात्मक ऊर्जा और बुरी ताकतों से सुरक्षा मिलती है। यह माला नकारात्मक प्रभावों को दूर करने में मदद करती है और व्यक्ति के आसपास सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बनाती है।
धार्मिक कर्तव्यों में मदद किसी भी धार्मिक अनुष्ठान या पूजा में श्याम तुलसी माला का विशेष महत्व है। यह माला भगवान के नामों का जप करने में सहायक होती है और भक्ति को प्रगाढ़ बनाती है। यदि आप किसी विशेष देवता के प्रति श्रद्धा रखते हैं, तो श्याम तुलसी माला के साथ पूजा करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त करना सरल होता है। यह माला पूजा की गुणवत्ता को बढ़ाती है और व्यक्ति के जीवन में आध्यात्मिक सुख लाती है।
व्यक्तित्व में सकारात्मक बदलाव श्याम तुलसी माला पहनने से न केवल व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति होती है। बल्कि इससे उसके व्यक्तित्व में भी सकारात्मक बदलाव आता है। व्यक्ति अधिक सच्चा, ईमानदार और संयमित बनता है। यह माला उसके अंदर आध्यात्मिक जागरूकता और ध्यान की शक्ति को बढ़ाती है। जिससे वह अपने जीवन के उद्देश्य को समझने में सक्षम होता है।
धैर्य और समर्पण की भावना में वृद्धि श्री कृष्ण और भगवान विष्णु की उपासना के दौरान श्याम तुलसी माला का विशेष स्थान है। यह माला एक प्रकार से भक्त के समर्पण और धैर्य को बढ़ाती है। जब कोई व्यक्ति नियमित रूप से तुलसी माला का जाप करता है, तो उसके अंदर सहनशीलता धैर्य और भगवान के प्रति अडिग विश्वास विकसित होता है।
समृद्धि और सुख-शांति का आगमन तुलसी माला का धार्मिक दृष्टिकोण से भी एक विशेष स्थान है। इसे पहनने से घर में समृद्धि, सुख और शांति का वास होता है। श्याम तुलसी माला न केवल भक्ति और साधना में सहायक होती है। बल्कि यह जीवन के हर क्षेत्र में सौभाग्य और शांति का प्रतीक बनती है।
निष्कर्ष श्याम तुलसी माला के पहनने से व्यक्ति के जीवन में अनेक फायदे होते हैं। यह न केवल आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होती है। बल्कि मानसिक शांति, शारीरिक स्वास्थ्य और सकारात्मक ऊर्जा के लिए भी लाभकारी है। यदि आप धार्मिक जीवन जीने की इच्छा रखते हैं और अपनी मानसिक शांति को बढ़ाना चाहते हैं तो श्याम तुलसी माला आपके जीवन में एक अमूल्य सहायक बन सकती है। इसके नियमित ��्रयोग से आप न केवल भक्ति के मार्ग पर आगे बढ़ेंगे बल्कि एक संतुलित और शांतिपूर्ण जीवन की ओर भी कदम बढ़ाएंगे।
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शीघ्रपतन के इलाज में सेक्सोलॉजिस्ट की विशेषज्ञता और परामर्श
शीघ्रपतन से परेशान हैं? जानिए सेक्सोलॉजिस्ट द्वारा सुझाए गए समाधान
शीघ्रपतन (Early Discharge) क्या है?
शीघ्रपतन (Premature Ejaculation) यौन स्वास्थ्य से जुड़ी एक सामान्य समस्या है, जिसमें पुरुष का स्खलन (ejaculation) उस समय हो जाता है जब वह और उसका साथी इसे टालना चाहते हैं। यह यौन संबंध के दौरान जल्दी स्खलन होने की समस्या है, जिससे पुरुष और उसके साथी दोनों को यौन संतुष्टि नहीं मिल पाती। इस समस्या के कारण यौन जीवन में तनाव, आत्मविश्वास की कमी और रिश्तों में खटास आ सकती है।
शीघ्रपतन के कारण:
मनोवैज्ञानिक कारण: तनाव, प्रदर्शन की चिंता, अवसाद, या रिश्तों में समस्या शीघ्रपतन का प्रमुख कारण हो सकते हैं। यौन क्रिया के दौरान अत्यधिक उत्तेजना भी इसे बढ़ा सकती है।
शारीरिक कारण: न्यूरोट्रांसमीटर का असंतुलन, हार्मोनल बदलाव, या तंत्रिका तंत्र में किसी समस्या के कारण शीघ्रपतन हो सकता है। इसके अलावा, प्रोस्टेट या मूत्रमार्ग में संक्रमण भी एक प्रमुख कारण हो सकता है।
अनुभव की कमी: यौन अनुभव की कमी या यौन संबंध में अस्थिरता के कारण यह समस्या हो सकती है, विशेष रूप से युवावस्था में। शीघ्रपतन की समस्या से परेशान है तो आज ही दिल्ली में शीघ्रपतन का उपचार (Premature Ejaculation Treatment in Delhi) पाए डॉ रैना सेफ हैंड्स में।
शीघ्रपतन को दूर करने में सेक्सोलॉजिस्ट कैसे मदद करते हैं?
1. व्यक्तिगत जाँच और निदान (Personal Diagnosis and Evaluation):
सेक्सोलॉजिस्ट सबसे पहले समस्या की गहराई से जाँच करते हैं। वे पूछते हैं कि समस्या कितनी पुरानी है, कितनी बार होती है, और किन परिस्थितियों में बढ़ जाती है। वे यह भी जाँचते हैं कि शीघ्रपतन के पीछे शारीरिक, मनोवैज्ञानिक, या दोनों कारण हैं। इसके आधार पर, वे व्यक्तिगत निदान तैयार करते हैं।
2. व्यवहारिक उपचार (Behavioral Therapy):
यह उपचार विधि उन पुरुषों के लिए बहुत कारगर होती है, जो मनोवैज्ञानिक कारणों से शीघ्रपतन का सामना कर रहे होते हैं। सेक्सोलॉजिस्ट इस उपचार में कई तकनीकों की सिफारिश करते हैं:
स्टार्ट-स्टॉप तकनीक (Start-Stop Technique): इस तकनीक में यौन क्रिया के दौरान उत्तेजना के शिखर पर पहुँचने से पहले रुकने की सलाह दी जाती है, जिससे स्खलन को नियंत्रित किया जा सके।
स्क्वीज़ तकनीक (Squeeze Technique): इस तकनीक में स्खलन की अनुभूति होते ही पेनिस के आधार को हल्के से दबाने की सलाह दी जाती है, जिससे स्खलन की प्रक्रिया को रोका जा सके।
3. कंडिशनिंग (Conditioning):
यह एक ऐसी प्रक्रिया होती है जिसमें मरीज को यौन क्रिया के दौरान स्खलन को नियंत्रित करने के तरीकों का अभ्यास कराया जाता है। यह प्रक्रिया धैर्य और समय लेती है, लेकिन परिणामस्वरूप स्खलन पर बेहतर नियंत्रण प्राप्त हो सकता है।
4. उपचार (Treatment):
कई बार शीघ्रपतन के इलाज के लिए सेक्सोलॉजिस्ट विभिन्न तरीकों का प्रयोग करते हैं। ये उपाय स्खलन को नियंत्रित करने और यौन क्रिया का समय बढ़ाने में मदद कर सकते हैं। यदि आप इस समस्या का सामना कर रहे हैं, तो दिल्ली के गुप्त रोग डॉक्टर (Gupt Rog Doctor in Delhi) से परामर्श करना सहायक हो सकता है।
मनोवैज्ञानिक कारण: तनाव, प्रदर्शन की चिंता, अवसाद, या रिश्तों में समस्या शीघ्रपतन का कारण बन सकते हैं। यौन क्रिया के दौरान अत्यधिक उत्तेजना भी एक कारक हो सकती है।
शारीरिक कारण: न्यूरोट्रांसमीटर असंतुलन, हार्मोनल बदलाव, या तंत्रिका तंत्र में कोई समस्या शीघ्रपतन का कारण हो सकती है। कई मामलों में प्रोस्टेट या मूत्रमार्ग में संक्रमण भी इसे जन्म दे सकते हैं।
अनुभव की कमी: युवावस्था या यौन अनुभव की कमी के कारण यह समस्या शुरुआती यौन अनुभवों में हो सकती है। समय के साथ, इस पर नियंत्रण पाना सीखना संभव होता है।
5. यौन शिक्षा और मार्गदर्शन (Sexual Education and Counseling):
सेक्सोलॉजिस्ट व्यक्ति और युगल को यौन शिक्षा देते हैं, जिससे वे यौन क्रिया के दौरान अपने शरीर और प्रतिक्रियाओं को बेहतर तरीके से समझ सकें। सही तकनीक और संतुलित मानसिकता से शीघ्रपतन को नियंत्रित करने के तरीके सिखाए जाते हैं।
6. मनोवैज्ञानिक परामर्श (Psychotherapy):
यदि शीघ्रपतन का कारण प्रदर्शन की चिंता, आत्मविश्वास की कमी, या अवसाद से जुड़ा हुआ है, तो सेक्सोलॉजिस्ट मनोवैज्ञानिक परामर्श के माध्यम से इन समस्याओं को दूर करने में मदद करते हैं। यह उपचार व्यक्ति की मानसिक स्थिति को सुधारता है और यौन जीवन को संतुलित करता है।
7. जीवनशैली में सुधार (Lifestyle Modification):
सेक्सोलॉजिस्ट स्वस्थ जीवनशैली अपनाने की सलाह देते हैं, जो यौन स्वास्थ्य में सुधार कर सकती है। इनमें नियमित व्यायाम, संतुलित आहार, योग, ध्यान और तनाव प्रबंधन शामिल हैं। शराब और धूम्रपान से बचने की सलाह भी दी जाती है, क्योंकि ये शीघ्रपतन की समस्या को बढ़ा सकते हैं।
8. युगल परामर्श (Couple Counseling):
कई बार शीघ्रपतन का संबंध युगल के रिश्तों में तनाव से भी होता है। सेक्सोलॉजिस्ट युगल परामर्श के जरिए दोनों पार्टनर्स के बीच संवाद और समझ को बेहतर करते हैं। इससे यौन संतुलन और भावनात्मक जुड़ाव में सुधार होता है, जो शीघ्रपतन की समस्या को हल करने में मदद करता है।
शीघ्रपतन को दूर करने में सेक्सोलॉजिस्ट की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। वे इस समस्या के मनोवैज्ञानिक, शारीरिक, और भावनात्मक पहलुओं को समझकर उचित उपचार प्रदान करते हैं। सही तकनीक, परामर्श, दवाइयाँ, और जीवनशैली में बदलाव से शीघ्रपतन पर काबू पाया जा सकता है, जिससे यौन जीवन में संतुलन और संतुष्टि लाई जा सकती है।
डॉ. विनोद रैना, सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर
पता: इ-34 एकता अपार्टमेंट साकेत, नई दिल्ली – 110017
फ़ोन नंबर: 9873322916, 9667987682
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सभी स्कूलों और कॉलेजों में बेसिक लाइफ सपोर्ट प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए : श्री नीरज सिंह
लखनऊ, 07.04.2024 | विश्व स्वास्थ्य दिवस 2024 के अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा रामायण पार्क, सेक्टर -25, इंदिरा नगर, लखनऊ में "बेसिक लाइफ सपोर्ट" कार्यशाला का आयोजन किया गया । कार्यशाला में डॉ. पियाली भट्टाचार्य, बाल रोग विशेषज्ञ, एस.जी.पी.जी.आई, Lucknow Academy of Pediatrics से डॉ निर्मला जोशी, अध्यक्ष, डॉ अमित कुमार रस्तोगी, उपाध्यक्ष तथा डॉ उत्कर्ष बंसल, सचिव ने सेक्टर 25 के निवासियों को हार्ट अटैक आने पर मरीज को दिये जाने वाले प्रारंभिक उपचार का प्रशिक्षण दिया । कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ समाजसेवी, श्री नीरज सिंह की गरिमामयी उपस्थिति रही l कार्यशाला का शुभारंभ राष्ट्रगान तथा दीप प्रज्वलन से हुआ |
कार्यशाला में सभी का स्वागत करते हुए हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल ने कहा कि आप सभी को विश्व स्वास्थ्य दिवस 2024 की बहुत-बहुत शुभकामनाएं | विश्व स्वास्थ्य दिवस प्रतिवर्ष अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठन (WHO) की स्थापना के दिन मनाया जाता है | इस दिन लोगों को सेहत से जुड़ी समस्याओं एवं अधिकारों के बारे में जागरूक किया जाता है | इस वर्ष विश्व स्वास्थ्य दिवस की थीम है "मेरा स्वास्थ्य, मेरा अधिकार (My Health, My Right)” जिसके तहत आज हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा बेसिक लाइफ सपोर्ट कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट लोगों को नई चिकित्सा तकनीकों के बारे में जागरूक करने और उन्हें बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने की दिशा में काम कर रहा है । ट्रस्ट द्वारा जनहित में निरंतर नि:शुल्क होम्योपैथी परामर्श, निदान एवं दवा वितरण शिविर, रक्तदान शिविर, मुफ्त स्वास्थ्य जांच शिविर, कैंसर और स्वाइन फ्लू के लिए जागरूकता शिविर और मुफ्त नेत्र जांच शिविर का आयोजन किया जा रहा है जिसमें समाज के निर्धन, गरीब और असहाय लोगों की निरंतर मदद की जा रही है |
कार्यशाला के मुख्य अतिथि श्री नीरज सिंह, वरिष्ठ समाजसेवी ने हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा किए जा रहे जनहित के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि, आप सभी को विश्व स्वास्थ्य दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएं | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट निरंतर ही जन सेवा के कार्यों में लगा हुआ है | मैं हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्षवर्धन अग्रवाल की प्रशंसा करता हूं जो सरकार द्वारा दिए गए अधिकारों का सदुपयोग करते हुए निरंतर जनहित में कार्य कर रहे हैं | बेसिक लाइफ सपोर्ट एक ऐसी ट्रेनिंग है जो हार्ट अटैक की स्थिति में अस्पताल पहुंचने तक किसी की भी जान बचा सकती है | मेरा मानना है कि बेसिक लाइफ सपोर्ट प्रशिक्षण को हर किसी को सीखना चाहिए और हर स्कूल और कॉलेज में ऐसी कार्यशालाएं आयोजित की जानी चाहिए, खासकर युवाओं को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए | इस अवसर पर श्री नीरज सिंह ने स्वयं भी प्रशिक्षण प्राप्त किया |
डॉ पियाली भट्टाचार्य, डॉ अमित कुमार रस्तोगी एवं डॉ उत्कर्ष बंसल ने कार्यशाला में उपस्थित सभी लोगों को बेसिक लाइफ सपोर्ट के बारे में बताते हुए कहा कि "बेसिक लाइफ सपोर्ट (बी.एल.एस.) चिकित्सकीय देखभाल की ट्रेनिंग है जिसका उपयोग जीवन-घातक बीमारियों जैसे हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक या चोटों के पीड़ितों के लिए तब तक किया जाता है जब तक कि वह अस्पताल में संपूर्ण चिकित्सकीय देखभाल के लिए ना पहुंच जाये । बेसिक लाइफ सपोर्ट प्रशिक्षण का उद्देश्य आम लोगों को दिल का दौरा पड़ने या दम घुटने जैसी आपात स्थिति में प्राथमिक उपचार देने की सही तकनीक के बारे में जागरूक करना है । यह जीवन बचाने और हृदय, गुर्दे और मस्तिष्क जैसे महत्वपूर्ण अंगों को और अधिक नुकसान से बचाने के लिए महत्वपूर्ण है। हार्ट अटैक के कारण मृत्यु दर दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है | इस आधुनिक दुनिया में लोग अपने जीवन में कुछ बड़ा हासिल करने के कारण चिंता, अवसाद, नींद की कमी, अस्वास्थ्यकर भोजन के कारण मोटापे से पीड़ित हो गए हैं, जिससे दिल का दौरा पड़ने के मामले बढ़ रहे हैं | ऐसी स्थिति में बेसिक लाइफ सपोर्ट की ट्रेनिंग होना अत्यंत आवश्यक है जिससे हम किसी को जरूरत पड़ने पर मदद कर सकें |” प्रशिक्षकों द्वारा नवजात शिशु से लेकर बड़े बच्चों की सांस की नली में कुछ फस जाने, उनके गले में कुछ अटक जाने की स्थिति में कैसे उनकी जान बचाई जा सकती है, यह भी प्रशिक्षण के माध्यम से बताया |
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्षवर्धन अग्रवाल ने कार्यशाला में उपस्थित सभी लोगों का धन्यवाद देते हुए कहा कि हम मुख्य अतिथि श्री नीरज सिंह का अत्यधिक आभार प्रकट करते है कि वह अपने व्यस्त कार्यक्रम में से जनहित के लिए समय निकालकर यहां आए तथा हम सबका मार्गदर्शन किया, साथ ही इस कार्यशाला के कुशल प्रशिक्षकों एवं प्रतिष्ठित चिकित्सकों का भी धन्यवाद है जिनके सहयोग से यह कार्यशाला सफलतापूर्वक संपन्न हो सकी | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट का आदर्श वाक्य है स्वस्थ लोग, स्वस्थ समाज एवं ट्रस्ट निरंतर इसी दिशा में कार्य कर रहा है |
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