#अवचेतन मन की शक्ति
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parasparivaar · 5 months ago
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ज्योतिष के अनुसार ग्रहों का खेल समझे
चंद्रमा
नवग्रहों में चंद्रमा को भाव, मन, पोषण, रचनात्मकता, माता, धन, यात्रा, प्रतिक्रिया, संवेदनशीलता और जल का कारक माना गया है। यह आंतरिक जीवन की शक्ति को दर्शाता है और इसके साथ ही व्यक्ति के दूसरों के प्रति व्यवहार और भावनाओं को नियंत्रित करता है। चन्द्रमा व्यक्ति को उसके अवचेतन मन से जुड़ने में मदद करता है। वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा जन्म के समय जिस राशि में स्थित होता है वह जातक की चंद्र राशि कहलाती है। हरिवंश पुराण के अनुसार चन्द्रमा को ऋषि अत्रि का पुत्र माना गया है जिसका पालन दस दिशाओं द्वारा किया गया। चंद्रमा मन का कारक ग्रह है और यह बहुत ही शांतचित्त है। महंत श्री पारस भाई जी के अनुसार चन्द्रमा एक शुभ ग्रह है और चंद्रमा के कुंडली में बलशाली होने पर व्यक्ति स्वभाव से मृदु, संवेदनशील और अपने आस-पास के लोगों से प्रेम करने वाला होता है। चन्द्रमा सौम्य और शीतल प्रकृति को धारण करता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चन्द्रमा एक शुभ ग्रह है। चंद्रमा के कुंडली में बलशाली होने पर व्यक्ति स्वभाव से मृदु, संवेदनशील और अपने आस-पास के लोगों से प्रेम करने वाला होता है।
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चंद्रमा राशियों में कर्क और नक्षत्रों में रोहिणी, हस्त और श्रवण नक्षत्र का स्वामी है। हिन्दू ज्योतिष में राशिफल के लिए चंद्र राशि को आधार माना जाता है। चन्द्रमा हर व्यक्ति के ऊपर एक विशेष प्रभाव छोड़ता है जो उस व्यक्ति के दिमाग में एक विशेष संवेदनशीलता पैदा कर देता है। चन्द्रमा को ही व्यक्ति के विकास, माँ बनने, मानसिक शांति, स्मृति आदि के लिए जिम्मेदार माना गया है। कुंडली में बैठा चन्द्रमा ही आपको यह बताता है कि व्यक्ति की भावनात्मक जरूरतें क्या हैं और यदि जिस व्यक्ति की जन्म कुण्डली में चंद्रमा शुभ स्थिति में बैठा हो तो उस व्यक्ति को अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं।
इसके प्रभाव से व्यक्ति मानसिक रूप से स्वस्थ्य रहता है और साथ ही उस व्यक्ति का मन ज्यादातर अच्छे कार्यों में ही लगता है। वहीं चंद्रमा के कमज़ोर होने पर आपको परेशानी, मानसिक तनाव आदि की समस्या हो सकती है। यदि चन्द्रमा सही स्थान पर न बैठा हो तो उस व्यक्ति को संबंधित क्षेत्र में सचेत रहना चाहिए।
किसी व्यक्ति की कुंडली से उसके चरित्र को देखते समय चंद्रमा की स्थिति महत्वपूर्ण हो जाती है दरअसल चंद्रमा व्यक्ति के मन तथा भावनाओं को नियंत्रित करते हैं। चंद्रमा सूर्य और बुध का मित्र है वहीं मंगल, शुक्र, वृहस्पति और शनि के लिए तटस्थ है। व्यक्ति की कल्पना शक्ति चंद्र ग्रह से ही संचालित होती है। कुंडली में जिस स्थान पर चन्द्रमा होता है वह बताता है कि व्यक्ति सुरक्षा पाने के लिए किस दिशा या क्षेत्र में काम करेगा। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में चन्द्रमा कमजोर है तो उस व्यक्ति को उपाय हेतु भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए , इससे उस व्यक्ति को चंद्र देव का आशीर्वाद प्राप्त होता है।  
मंगल ग्रह
ज्योतिष में मंगल को अत्यंत तेज और शक्तिशाली ग्रह माना जाता है। इसी कारण से कुंडली में इसके शुभ और अशुभ योग आपकी जिंदगी कैसी होगी यह तय करते हैं। इसे एक आक्रामक ग्रह माना जाता है। मंगल ग्रह शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। ज्योतिष विज्ञान में मंगल को साहस, वीरता, शक्ति, पराक्रम, सेना, क्रोध, उत्तेजना आदि का कारक माना जाता है। साथ ही यह अलावा यह युद्ध, शत्रु, भूमि, अचल संपत्ति, पुलिस आदि का भी कारक होता है।  महंत श्री पारस भाई जी के अनुसार व्यक्ति की कुंडली में मंगल की अच्छी दशा कामयाब बनाती है और इस ग्रह की बुरी दशा व्यक्ति से सब कुछ छीन भी लेती है। ज्योतिष के अनुसार व्यक्ति की कुंडली में मंगल की अच्छी दशा कामयाब बनाती है और इस ग्रह की बुरी दशा व्यक्ति से सब कुछ छीन भी लेती है। यानि मंगल के बहुत से शुभ और अशुभ योग होते हैं। यह व्यक्ति को सफल होने के लिए मजबूत इच्छाशक्ति और हौसला भी प्रदान करता है। 
हिंदू मान्यताओं के अनुसार मंगल को भूमि पुत्र के रूप में माना जाता है। यानि उसे धरती माता का पुत्र माना जाता है। मिस्त्र के लोगों ने इसे हार्माकिस और यूनानियों ने इसे अरेस यानी युद्ध का देवता कहा है। हमारे पुराणों के अनुसार मनुष्य के नेत्रों में मंगल ग्रह का वास होता है। मंगल व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है जिससे वह कई तरह की परेशानियों का सफलतापूर्वक सामना कर सके। मंगल की दो राशियां हैं, मेष और वृश्चिक। यह मकर में 28 डिग्री उच्च का है और कर्क में 28 डिग्री नीच का होता है। इसका मूलत्रिकोण राशि मेष है।
यह सूर्य, चन्द्रमा और बृहस्पति के लिए अनुकूल है और बुध और शुक्र के लिए प्रतिकूल और शनि के लिए तटस्थ है। मंगल हमारे द्वारा चुने गए कार्य और उसे करने के तरीके को भी दर्शाता है। यह ग्रह किस व्यक्ति पर कैसे अपनी ऊर्जा का प्रभाव कैसे छोड़ेगा यह उस व्यक्ति की कुंडली पर निर्भर करता है। मंगल की स्थिति आपको बताती है कि आप किस दिशा में सबसे ज्यादा गतिशील है और किस दिशा में आप उलझे हुए हैं। 
जिस व्यक्ति का मंगल अच्छा होता है वह स्वभाव से निडर और साहसी व्यक्ति होगा और उसे युद्ध में विजय प्राप्त होगी। वहीं यदि किसी जातक की जन्म कुंडली में मंगल अशुभ स्थिति में है तो उस व्यक्ति या जातक को जीवन में नकारात्मक परिणाम मिलेंगे। इस स्थिति में आपको इस ग्रह से संबंधित क्षेत्र में सचेत रहने की जरूरत है। मजबूत मंगल आपको अच्छा परिणाम देता है जबकि एक कमजोर मंगल इसी में दोष का प्रतिनिधित्व करता है। मंगल के शुभ योग में भाग्य चमक उठता है और लक्ष्मी योग मंगल का शुभ योग है। यह योग इंसान को धनवान बनाता है।
किसी कुंडली में मंगल और राहु एक साथ हों तो अंगारक योग बनता है और यह यह योग बड़ी दुर्घटना का कारण बनता है। अंगारक योग से बचने के लिए मंगलवार का व्रत करना शुभ होता है और साथ ही भगवान भोलेनाथ के पुत्र कुमार कार्तिकेय की पूजा करें। मंगल का एक और अशुभ योग है मंगल दोष। यह दोष आपके रिश्तों को कमजोर बना देता है। इस योग में जन्म लेने वाले व्यक्ति को मांगलिक कहा जाता है। इसी मंगल दोष के कारण जातकों को वैवाहिक जीवन में समस्या का सामना करना पड़ता है और कुंडली में यह स्थिति विवाह संबंधों के लिए बहुत संवेदनशील मानी जाती है।
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pptestprep · 6 months ago
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Avachetan Mann ki Shaktiyan: Get Good Health, Unlimited Wealth and Enlightenment (Miraculous Power of The Subconscious Mind Hindi Translation Edition) 
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Book Link : https://www.amazon.in/dp/9351868532
यह कृति हमारे अवचेतन मन की शक्तियों के छिपे रहस्यों के संबंध में है। यह ईश्वर प्रदत्त शक्ति जीवन के सभी क्षेत्रों में हमारी सफलता का सबसे बड़ा साधन बन सकती है। आधुनिक उन्नत वैज्ञानिक युग में भी इस विषय को स्कूलों या कॉलेजों में पढ़ाने के कदम नहीं उठाए गए हैं। सामान्य जन को इस विषय की शिक्षा देने के अभाव के कारण अन्य वैकल्पिक संस्थानों की बाढ़ सी आ गई है, जो उन लोगों की आवश्यकता को पूरा कर रहे हैं। इन विषयों में ��ुचि रखनेवाले लोग सम्मोहन, एन.एल.पी., आकर्षण के नियम की गुप्त बातों, रचनात्मक दृश्यांकन, मन की शक्ति और अवचेतन मन की प्रोग्रामिंग की कार्यशालाओं के माध्यम से प्रयास कर रहे हैं और सीख रहे हैं। लेकिन ऐसा करनेवाले विश्व की आबादी के एक प्रतिशत भी नहीं हैं। अपने मन की शक्ति को कोई जितना ही जानता और उसकी तलाश करता है, विशेष रूप से चेतन और अवचेतन मन की, वह ज्ञान के पथ पर उतना ही आगे बढ़ता चला जाता है। यह पुस्तक एक सामान्य मनुष्य को उसकी अज्ञानता से बाहर लाने और उसकी इच्छा के अनुसार मन को वश में रखने में निश्चित रूप से मदद करेगी।.
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motivationwithpvm · 11 months ago
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अपने अवचेतन मन की शक्ति को कैसे सक्रिय करें | activate the power of your...
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notswala · 2 years ago
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आपके अवचेतन मन की शक्ति | The Power of Subconscious Mind IN HINDI
आपके अवचेतन मन की शक्ति The Power of Subconscious Mind Hindi PDF आपके अवचेतन मन की शक्ति | The Power of Subconscious Mind हिन्दी PDF डाउनलोड करें इस लेख में नीचे दिए गए लिंक से। अगर आप आपके अवचेतन मन की शक्ति | The Power of Subconscious Mind हिन्दी पीडीएफ़ डाउनलोड करना चाहते हैं तो आप बिल्कुल सही जगह आए हैं। इस लेख में हम आपको रहे हैं आपके अवचेतन मन की शक्ति | The Power of Subconscious Mind के…
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healthytical · 2 years ago
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आपके अवचेतन मन की शक्ति | power of your subconscious mind 
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rawalmanish214 · 5 years ago
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अवचेतन मन की शक्ति द्वारा मनचाही सफलता पाना
आप लोगो को HEADING पढ़ के पता तो चला ही गया होगा की आज हम किस विषय पर बायत करने जा रहे है ,अवचेतन मन की शक्ति आपको आपकी मनचाही सफलता प्रदान कर सकती है अगर आप इसका सही इस्तेमाल करे तो ,आपके दिमाग का 90 % हिस्सा अवचेतन मन कण्ट्रोल करता है 
अन्यथा ये आपके किसी काम की नहीं उल्टा आपको नुक्सान ही होगा अवचेत मन की शक्ति के लिए चेतन मन की आवश्यकता होगी क्युकी जब चेतन मन जागरूक होगा तब ही आप अवचेतन मन को…
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kmsraj51 · 7 years ago
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Q. A. W. - KMSRAJ51 - Ep.- 18th / 30-July-2017
Q. A. W. – KMSRAJ51 – Ep.- 18th / 30-July-2017
Kmsraj51 की कलम से…..
ϒ Q. A. W. ~ KMSRAJ51 ϒ ओम गंग गणपतये नमः
श्री गणेश मंत्र ~
ऊँ वक्रतुण्ड़ महाकाय सूर्य कोटि समप्रभं। निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा।।
रविवार, 30-जुलाई-2017
Q. 1 .⇒ कैसे जागृत करे अपने “अवचेतन मन की शक्ति” को ? “या”  “अवचेतन मन की शक्ति” को जागृत करने का सरल तरीका क्या है ?
“या”  कैसे अपने “अवचेतन मन की अद्भुत शक्ति” को जागृत करे ? “या” क्या अवचेतन मन की अद्भुत…
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jollyuncle · 3 years ago
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Power of Subconscious Mind Hindi Video | अवचेतन मन की अनूठी शक्ति | Joll...
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hindistoryblogsfan · 4 years ago
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इस समय दुनियाभर में लोग कोरोना महामारी की वजह से परेशान हैं। इस स्थिति में मा��सिक तनाव से बचने के लिए ऊँ शब्द की ध्वनि से उत्पन्न पॉजिटिव वाइब्रेशन फिजिकल, मेंटल और इमोशनल हेल्थ के लिए उपयोगी है।
ऊँ ध्वनि से उत्पन्न वाइब्रेशन को इम्युनिटी तथा सेल्फ हीलिंग के लिए विविध रूपों में प्रयुक्त किया जाता है। ऊँ शब्द शक्ति का एक तरह से कीवर्ड है।
ऊँ अ उ म के शब्दों से मिलकर संयोग से बना है और इसको ब्रह्म बीज माना ग��ा है। यह त्रिविध आकार रूप में परमात्मा का संक्षिप्त रूप है।
अ में अग्नि, उ में वायु और म में सूर्यदेव आते हैं। अ शारीरिक, उ मानसिक और म अवचेतन स्थिति से संबंधित है।
ऊँ का उच्चारण करने से वात, पित्त और कफ के विकार शांत होते हैं। शरीर के पंचतत्वों के संतुलन के लिए ऊँ का उच्चारण और ध्यान उपयोगी है।
इसीलिए स्वास्थ्य अच्छा बनाए रखने के लिए ऊँ शब्द का दीर्घ स्वर से उच्चारण करना चाहिए। ये उच्चारण रोज सुबह-शाम करें।
ऊँ के उच्चारण से विचारों की पॉजिटिविटी बढ़ती है। अशांत मन-मस्तिष्क को शांति और सुकून का एहसास होता है।
ऊँ शब्द के उच्चारण से वाइब्रेशन उत्पन्न होते हैं, जो निराशा, उत्साहहीनता, अवसाद, थकान के समय आपको नई शक्ति, आत्मविश्वास और अदम्य साहस प्रदान करते हैं। यही कारण है कि ऊँ का उच्चारण संजीविनी के समान प्राणदायक माना जाता है। जो इम्युनिटी और सेल्फ हीलिंग के लिए उपयोगी होता है।
स्ट्रैस से मुक्ति के लिए ऊँ के लघु, मध्यम और दीर्घ स्वरों से उच्चारण के साथ मेडिटेशन का अभ्यास करना चाहिए।
(लेखक - योगाश्रय सेवायतन प्राकृतिक चिकित्सा एवं ध्यान योग केंद्र जयपुर. राजस्थान के संस्थापक हैं।)
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healthytical · 2 years ago
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सबसे बड़ा रहस्य अवचेतन मन की शक्ति | power of your subconscious mind 
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lokkesari · 4 years ago
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अगर आप सपने में ये चीजें देखते हैं तो आपको मिलेंगे ये शुभ फल मिलेंगे!, जानिए आपके सपनों के फल
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अगर आप सपने में ये चीजें देखते हैं तो आपको मिलेंगे ये शुभ फल मिलेंगे!, जानिए आपके सपनों के फल
यह कहा जाता है कि सपने भविष्य का संकेत देते हैं। शास्त्रों के अनुसार, कुछ सपने ऐसे समय में दिखाई देते हैं जब हमारी आत्मा और मस्तिष्क विशेष अवस्था मे होता है। ऐसे समय में देखे गए सपने समान्य होते हैं। वैज्ञानिक भी इस बात से सहमत हैं कि सपने कुछ इंगित करते हैं। वैज्ञानिक स्वप्न की व्याख्या अवचेतन मन की कल्पना के रूप में करते हैं।
आज हमने यहां हिंदू धर्मशास्त्रों और ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार सपने देखने से किस प्रकार का फल प्राप्त होता है।
1। सपने में एक हाथी को देखने से धन या पुत्र की प्राप्ति होती है। 2।यदि आप हाथी को बैठे हुए देखते हैं, तो आपको जमीन में दफन पैसे मिल सकते हैं। 3।यदि आप सपने में सफेद हाथी देखते हैं, तो आपको कल्याणकारी फल प्राप्त होंगे। 4।सफेद सांप के काटने से धन प्राप्त होता है। 5।मछलियों को देखना बहुत शुभ होता है। यदि आप एक मछुआरे व मछली देखते हैं, तो आपको पै��े मिलते हैं। 6।पक्षियों को उड़ते हुए देखने से धन की प्राप्ति होती है।
7। बतखों को देखकर शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं। 8।जब आप शेर की सवारी करते हैं, तो धन, शक्ति, वीर्य और शौर्य बढ़ता है। 9।यदि आप सपने में ऊंट देखते हैं, तो आपको अपार धन की प्राप्ति होगी। 10।Horse घोड़े को देखने पर संकट गायब हो जाता है। समस्या से छुटकारा। 11।यदि आप एक घोड़े की सवारी करते हैं, तो आपको एक बड़ा स्थान मिलता है। प्रमोशन होता है। 12।मोटी गाय या बैल को देखना फायदेमंद है। संतान की प्राप्ति होती है। 13।जड़ को देखना अच्छा है। आपको अच्छा फल मिलता है। 14।कीड़े या बिच्छू को देखने से धन, पुत्र या विजय की प्राप्ति होती है। 15।यदि आपको एक घोड़ी, एक मुर्गी या एक कुरंग की मादा दिखाई देती है, तो आपको पत्नी सुख मिलेगा।
16।सूर्य उदय को देखकर धन और रोग से मुक्ति मिलती है। सूर्य को निकला हुआ देखकर उत्तम पुत्र प्राप्त होता है। 17।भारी वर्षा होने पर व्यापार में लाभ होता है। 18।चन्द्रमा का उदय देखकर रोग से छुटकारा मिलता है। 19।समुद्र को देखकर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। 20। सफेद फूल देखने से धन की प्राप्ति होती है। 21।हरे फूल देखने से जनसंपर्क बढ़ता है। 22।Fruit फल देखकर पैसा बनता है। 23। पान देखने से केस मे जीत जाता है। 24।सफलता को पहाड़ी पर चढ़कर देखा जाता है और पहाड़ी की चोटी पर पहुंचने से जीवन बढ़ता है। 25।यदि आप सपने में नारियल, केला या नींबू देखते हैं, तो आपके संतान योग बनता है। 26।झील या तालाब को देखकर पर्याप्त धन प्राप्त होता है। 27।यदि आप कमल के फूलों से भरी एक झील देखते हैं, तो आपके पास शुभ लाभ एवं संतान होंगी।
28। कपास दूसरों को देना शुभ होता है।
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hindiwalaworld · 4 years ago
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Best 5 Business Books in Hindi summary For Grow Your Business Visit our site Www.trandyreporter.in हेलो दोस्तों आज मै बिज़नेस बुक्स का बहुत अच्छा कलेक्शन लेकर आया हु।  जिसमे कुछ बुक्स तो आपके माइंड को बिज़नेस के लिए तैयार करेंगे क्योकि अभी जो आप सोचते है उसकी कीमत वही है जितना आप अभी कमा रहे है। यदि आप अपने इनकम को बढ़ाना चाहते है तो आपको उनसे सिखना होगा जो बिज़नेस के गुरु है।  यदि आप बहुत बड़ा बिज़नेस बनाना चाहते है बहुत कामना चाहते है तो आपको ये बुक्स पढ़नी होगी और उस पर अमल करके आप अपने बुसिनेस को ग्रो कर सकते है।  तो आइये दोस्तों शुरू करते है।  1. आपके अवचेतन मन की शक्ति (The Power of your Subconscious Mind) Read more https://www.trandyreporter.in/2020/08/best-5-business-books-in-hindi-summary.html https://www.instagram.com/p/CDyNBtGHw9g/?igshid=bqzc1q1qiq39
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differentlandmaker · 4 years ago
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सूक्ष्म शरीर की यात्रा के Top 5 टिप्स जो बनाते है आपकी यात्रा को 100% सफल
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Astral travel tips में हम आज बात करेंगे सूक्ष्म शरीर की यात्रा के दौरान हम क्या अनुभव करे जिससे हमारी पहली सूक्ष्म यात्रा सफल रहे। सूक्ष्म शरीर की यात्रा के दौरान सामान्य इंसान को क्या क्या अनुभव होने चाहिए। क्या हम हमेशा एक सही अनुभव कर पाते है। नहीं क्यों की कोई भी काम जब शुरू में किया जाता है तो बिना किसी Path decide के किया जाता है। यही वजह है की एक और जहा ज्यादातर को असफलता मिलती है वही दूसरी ओर बहुत कुछ सिखने को मिलता है। इसलिए ज्यादातर को अपना पहला अनुभव याद रहता है। Astral travel tips में हम आज कुछ बेसिक तथ्य की बात करेंगे की हमें सूक्ष्म की यात्रा के दौरान किन बातो का ध्यान रखना चाहिए, किन किन बातो की उम्मीद करनी चाहिए और किन बातो को समझना चाहिए जिससे  हमारा पहला अनुभव एक यादगार  अनुभव बन जाये। आइये जाने बेसिक astral travel tips के बारे में। लेकिन क्या कुछ ऐसा उपाय है जो हमारी success के शत प्रतिशत सफलता की hope बढ़ा दे। हालाँकि sure success के लिए बहुत सी बातो का knowledge पहले से होना जरुरी है लेकिन ये संभव नहीं क्यों की शुरुआत हमेशा अधूरे ज्ञान से होती है जो सफलता का सही मार्ग दिखाती है। निर्देश और मन की कल्पना सपनो को साकार बनाती है। इसके लिए static mind और शांत मन का होना बेहद जरुरी है। आज की पोस्ट में हम बात करेंगे की कैसे निर्देशो का ध्यान रख कर हम सूक्ष्म की यात्रा को यादगार अनुभव बना सकते है। किन बातो की उम्मीद रखे : शांत रहे और पलो को महसूस करे सूक्ष्म शरीर की पहली यात्रा के दौरान आपको क्या उम्मीद रखनी चाहिए अपने आप से पहला सवाल पूछे की क्या आप इस क्षेत्र में एक्सपर्ट है ? क्या आप सूक्ष्म को कही भी भेजने में सक्षम है ? पहली बार अभ्यास के लिए बैठे और मन में एक्सपर्ट होने की धारण बैठा ले ये हमारी पहली गलती है। चूँकि एक वक़्त ऐसा भी आता है जब आप सक्षम भी होते है और expert भी। मगर शुरू से ये धारण बनाने से बचे। खुद स्वीकार करे की आपका ये पहला experience है और इसे आप बेहद एन्जॉय करने वाले है। astral travel के लिए right time सुबह उठते ही या फिर सोते वक़्त होता है। क्यों की इसी वक़्त आपका मन सबसे ज्यादा शांत होता है। इसका अभ्यास बैडरूम में करे तो सबसे अच्छा रहता है। पढ़े : चतुर्थावस्था और सिद्धावस्था में प्रवेश अब सपना नहीं रहा पहली बार अनुभव कैसा रहता है : जब आप पहली बार feel करते है तब आप खुद को बेहद relax महसूस करते है। आप चीजो को चलते, घूमते हुए और प्रकाश के तीव्र घेरे महसूस कर सकते है। हालाँकि हर इंसान को अनुभव अलग अलग होते है जिसके लिए उनकी mentality और मन की अवस्था responsible होती है। इसके negative experience भी हो सकते है। इसलिए शुरू में अपने मस्तिष्क पर अनावश्यक दबाव ना डाले। कपड़ो का रखे ध्यान : जब आप सूक्ष्म की यात्रा शुरू करे तो ध्यान रखे की आपने कपडे ढीले पहन रखे हो। कोशिश रखे की जहा तक हो सके कम से कम कपडे या पहले ही नहीं। जब आप सोते है तो आपके शरीर का तापमान सामान्य से थोड़ा निचे चला जाता है। इसलिए आप एक सूती कम्बल जरूर ओढ़ ले। पढ़े : शरीर से बाहर विचरण का मेरा पहला अनुभव यात्रा से पहले के निर्देश : जब आप सूक्ष्म की यात्रा के अनुभव करते है उस वक़्त आपका भौतिक शरीर और चेतन मन पीछे रह जाता है सूक्ष्म की यात्रा के दौरान आपके खुद के vibration, experience, test होते है। इसलिए ये harmful नहीं है क्यों की कुछ लोगो का मानना होता है की सूक्ष्म यात्रा के दौरान आपके भौतिक शरीर में कोई अन्य प्रवेश कर सकता है। इस बात को मन से निकाल दे सुबह कोई भी आपके physical body में enter नहीं कर सकता है सिवाय आपके। जब भी आपको कुछ ऐसा महसूस होने लगता है आपका सूक्ष्म वापस भौतिक शरीर में प्रवेश कर लेता है। शांत रहे मगर सोये नहीं। खुद को शांत रखना सूक्ष्म की यात्रा का महत्वपूर्ण कदम है जिसके लिए लिखे हुए निर्देश काफी सहायक रहते है जब तक की ये आपकी आदत ना बन जाये. इसके लिए instruction को लिख कर तब तक दोहराना जब तक की वो हमारे daily ruitine में शामिल न हो जाये. जब साँस लेते और छोड़ते है इस वक़्त भी मन को शांत रखे, ध्यान रखे सो ना पाए। आपकी आंखे बंद होने लगती है और आप सोने की इच्छा करने लगते है। जब शुरुआत करे तो अपने सूक्ष्म के स्पदन महसूस करने की कोशिश करे। सूक्ष्म के शुरुआती अनुभव में जब आप अपनी सूक्ष्म में आंखे खोलने का प्रयास करते है तो इसके प्रत्युत्तर में भौतिक शरीर की भी आंखे खुलती है। पढ़े : Dream become true के लिए अपनाये ये 3 चरण मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य का पथ सूक्ष्म की यात्रा से मानसिक और आध्यात्मिक शांति सुख के नए नए अनुभव होते है. इसलिए अपने लिए वक़्त निकालिये और अनुभव करे आप वहां होंगे जहा आप खुद को देखना चाहते है।
Top 5 Astral travel tips-सूक्ष्म की यात्रा
सूक्ष्म की यात्रा पहली बार जो इंसान अनुभव करता है वही अनुभव एक अनुभवी इंसान करता है इन दोनों के बिच फर्क सिर्फ इतना सा है की beginner experience में हमें स्थिति का पता नहीं होता है की अनुभव किया कैसे जाये और experience को handle कैसे करे। पांचवे आयाम के इस रोचक अनुभव की यात्रा करने से पहले ये जरूरी है की आपको basic knowledge का और instruction का ज्ञान हो। आइये जानते है उन 5 बातो को जिन्हें ध्यान में रख कर आप भी यादगार सूक्ष्म का अनुभव कर सकते है। इन्हें भी पढ़े : मानसिक शक्ति बढ़ाने के उपाय -telekinesis power hindi 1.) astral travel tips-प्रक्रिया को समझना : ज्यादातर लोग शुरुआत करते वक़्त कोरे कागज की तरह होते है। उन्हें प्रक्रिया का सिद्धान्त तक पता नहीं होता है इसलिए यात्रा करने से पहले इससे संबधित आवश्यक जानकारी जुटाना जरुरी है अगर किसी कार्य की बुनियादी बाते पता चल जाये तो अनुभव में आसानी रहती है। वही दूसरी ओर अगर आपने बिना किसी जानकारी के इसकी शुरुआत एक adventure समझ कर की तो हो सकता है की आप फ़ैल हो जाये या फिर किसी मुसीबत में फंस जाये। 2.) सही ज्ञान / निर्देश की पहचान : किसी भी ज्ञान के लिए गुरु की जरुरत होती है। ज्यादातर लोग समझते है की सिर्फ पढ़ लेने मात्र से वो किसी काम में सफल हो सकते है। ये असफलता का सबसे बड़ा कारण है। आपको ये बात अच्छे से समझनी होगी की ये एक कला है हुनर है जिसके लिए आपको गंभीरता से मन और शरीर दोनों की लंब�� वक़्त तक अभ्यास की जरुरत होगी। आपके संयम की असली परीक्षा सही मायने में होती है तब तक जब तक की सही अनुभव ना होने लगे। इसके लिए योग्य गुरु का चुनाव करे जो आपको सही रास्ता दिखा कर पथ प्रदर्शक का कार्य कर सके। 3. सही निर्देशो का चुनाव करे : सूक्ष्म के अनुभव की प्रक्रिया को तेज करने के लिए आप कुछ माध्यम का चुनाव कर सकते है। Astral travel tips में शुरुआती अनुभव करने वाले निर्देशित आवाज को सुन कर मस्तिष्क को सही दिशा दे सकते है। इसके लिए आप खुद की रिकॉर्ड की गई आवाज को सुन सकते है। निर्देशो को सही तरीके से मस्तिष्क तक पहुंचा कर आप प्रक्रिया को गति प्रदान कर सकते है। सोने की अवस्था में निर्देशो को सुनकर आप मस्तिष्क में उठने वाले अनावश्यक विचारो को भी दूर कर सकते है। 4. Astral travel tips-सुने सुनाये अनुभव करने से बचे : ज्यादातर लोग जब अभ्यास करते है तो उम्मीद करते है ��ी ये अनुभव हो। दुसरो के अनुभव आपको कैसें हो सकते है क्यों की हर इंसान की मानसिकता उसकी समझ अलग स्तर की है। असफलता के सबसे बड़े कारणों में से एक यही कारण है। जब भी आप अभ्यास में ये सोचते है की ये अनुभव हो आप वापस भौतिक शरीर से जुड़ जाते है। अनुभव में देखे तो हमारा अनुभव बुलेट ट्रैन की तरह होता है जिसकी गति तो बहुत तेज होती है मगर एक बटन दबाते ही उसकी गति रुक जाती है हमारे साथ इसे देखे तो ट्रैन की गति हमारे अवचेतन मन से जुडी है और जब विपरीत विचार ( चेतन मन ) या तर्क उत्पन होता है तो आप वापस वही आ जाते है जहा से सब शुरू किया था। ये अनुभव त्राटक में हर किसी के साथ होता है. 5. स���क्ष्म निर्देशक को सुनने की कोशिश करे : जिस तरह से काम करते वक़्त आपका मस्तिष्क / मन / दिल आपके लिए पथ प्रदर्शक का कार्य करता है ठीक वैसे ही हर किसी का एक सूक्ष्म निर्देशक होता है आवश्यकता है तो बस उसे पहचानने और सुनने की। अपने निर्देशक को ढूंढे और पांचवे आयाम में यात्रा का आनंद ले। ज्यादतर निर्देशक आपको बताते है की कैसे अपने लिए सही निर्देशो का चुनाव करे और सही रास्ता चुने। दोस्तों अब तो आप समझ ही गए होंगे की कोई भी अभ्यास बिना सही निर्देशो के करने की कोशिश कितनी खतरनाक हो सकती है। बिना सही निर्देशो के सफलता के आसार सिर्फ 1% हो सकते है लेकिन नुकसान 100% होता है। इसलिए अपने लिए खुद सही निर्देशो का चुनाव करे DREAM BECOME TRUE में मेने निर्देशो को साकार करने के उपाय बताये है जिनसे आपको काफी सहायता मिलेगी। खुद भी निर्देश बना सकते है जिन्हें दोहराकर आप बेहतर अनुभव कर सकते बशर्ते कॉपी की कोशिश ना की गई हो। सूक्ष्म शरीर की ज्ञानवर्धक पोस्ट जरूर पढ़े : आभा मंडल और रैकी का सरल अभ्यास योगनिद्रा से सूक्ष्म शरीर की यात्रा में प्रवेश का अद्भुत और सरल अभ्यास घर पर आसानी से करे टेलिपैथी का अभ्यास सूक्ष्म शरीर की यात्रा के 3 आसान मगर कारगर स्टेप्स अगर आपके पास ध्यान से जुडी बढ़िया पोस्ट, जानकारी, अनुभव है तो आप हमारे ब्लॉग पर इसे शेयर कर सकते है। आपकी फोटो और आपके नाम के साथ हम इसे पब्लिश करेंगे। आज की पोस्ट Astral travel tips पर कमेंट कर अपनी राय जरूर दे। don't forget to subscribe us. Read the full article
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mohit-trendster · 7 years ago
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कला में संतुलन की कला
- मोहित शर्मा ज़हन
"लाइफ इज़ नॉट फेयर", ये प्रचलित कहावत है। मैंने पहले कई बार कलाकारों की दयनीय स्थिति पर बात रखी है। आज एक अलग सिरे से विचार रख रहा हूँ।  कलाकार अगर प्रख्यात हो जाये तो जीवन सही है और अगर ना हो तो लाइफ इज़ नॉट फेयर? नहीं! मैंने अलग क्षेत्रों के कई तरह के कलाकारों में एक बात देखी, जिसे शायद वो समझा ना पाएं। प्रख्यात होना बहुत से कलाकारों के लिए हानिकारक होता है। कई लोग लगातार अपनी कला में कुछ ना कुछ करते, उसके बारे में सोचते रहना चाहते हैं। प्रख्यात होने के बाद व्यक्ति को अवसर मिलते हैं, जीवन-यापन सुगम हो जाता है, पर उस स्तर पर आने के बाद व्यक्ति क्या खो देता है...
जब आपके हर काम पर जनता की नज़र हो और हर कला के पीछे किसी और के लाखों या करोड़ों रुपये लगे हों तो अपने आप दबाव बन जाता है। वो स्वच्छंदता जो इंडिपेंडेंट आर्टिस्ट के पास होती है, उसका काफी सीमा तक बलिदान देना पड़ता है। उदाहरण के लिए बड़े स्तर पर एक म्यूजिक एल्बम या किताब प्रकाशित होने पर उसके प्रचार-प्रसार, लोगों को उस किताब/संगीत के अवयव बार-बार समझाने में काफी समय व्यर्थ होता है। कई वर्षों तक ऐसा होने पर कलाकार अपने सक्रीय जीवन का (जब उसका मस्तिष्क और शरीर अच्छी हालत में रचनात्मकता का साथ देते हैं) बहुत बड़ा हिस्सा और शक्ति प्रमोशन, फॉलो-अप आदि गतिविधियों में बिता देता है।
कलाकार की रचनात्मक स्वतंत्रता केवल उसके लिए ही नहीं समाज के लिए महत्वपूर्ण है। सफल होने के बाद जुड़े लेबल, पैसे और औद्योगिक प्रतिबद्धता के सीमित दा���रे में वह पूरी तरह अपनी मर्ज़ी का मालिक नहीं हो पाता। चाहे बाहर से वह अपने निर्णय लेता दिखे पर उसके अवचेतन मन में आ चुकी बातें अक्सर उसे रोक लेती हैं। साथ ही प्रयोगों के आभाव में एक कलाकार के रूप में उसका विकास धीमा पड़ जाता है। हालाँकि, छोटी संख्या में कलाकार ऐसे भी हैं जो इन दो बातों के बीच संतुलन बनाने में सफल हो जाते हैं। ये संतुलन पूर्णतः व्यक्ति की इच्छा पर निर्भर करता है। ऐसा तभी संभव है जब कला को अपनी प्राथमिकता रखा जाए, चाहे व्यक्ति किसी भी स्तर पर पहुँच चुका हो।
इस नये कोण से बातों को देखने का आशय संतुलन बनाने का महत्त्व बताना था। याद रखें कला चलाये रखने क�� लिए कुछ हद तक सफलता भी ज़रूरी है। पैसों के अभाव, मजबूरियों में कला ही छोड़नी पड़े से बेहतर चाहे खालिस कमर्शियल ही सही कला का जारी रहना है। ==========
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god-entire-disposition · 5 years ago
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स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है III
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परमेश्वर का अधिकार (II)
आज हम "स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है" के विषय पर अपनी संगति को जारी रखेंगे। हम पहले से ही इस विषय पर दो संगतियाँ कर चुके हैं, जिसमें पहली परमेश्वर के अधिकार से सम्बन्धित थी, और दूसरी परमेश्वर के धार्मिक स्वभाव से सम्बन्धित थी। इन दोनों संगतियों को सुनने के पश्चात्, क्या तुम लोगों ने परमेश्वर की पहचान, हैसियत, और सार की नई समझ प्राप्त की है? क्या इन अन्तर्दृष्टियों ने परमेश्वर के अस्तित्व की सच्चाई का और अधिक ठोस ज्ञान और निश्चितता प्राप्त करने में तुम लोगों की सहायता की है? आज मेरी योजना "परमेश्वर के अधिकार" शीर्षक पर विस्तार से बात करने की है।
दीर्घ-और सूक्ष्म-परिप्रेक्ष्य से परमेश्वर के अधिकार को समझना
परमेश्वर का अधिकार अद्वितीय है। यह स्वयं परमेश्वर की पहचान की विलक्षण अभिव्यक्ति तथा विशिष्ट सार है। कोई सृजित किया गया या सृजित नहीं किया गया प्राणी ऐसी विलक्षण अभिव्यक्ति और ऐसे सार को धारण नहीं करता है; अर्थात्, केवल सृजनकर्ता ही इस प्रकार के अधिकार को धारण करता है। अर्थात, केवल सृजनकर्ता—अद्वितीय परमेश्वर—ही इस तरह से अभिव्यक्त होता है और उसका यही सार है। परमेश्वर के अधिकार के बारे में बात क्यों करें? स्वयं परमेश्वर का अधिकार मनुष्य के मन में अधिकार से किस प्रकार भिन्न है? इसके बारे में विशेष क्या है? क्यों इसके बारे में यहाँ बात करना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है? तुम लोगों में से प्रत्येक को सावधानीपूर्वक इस मुद्दे पर अवश्य ध्यान देना चाहिए? क्योंकि अधिकांश लोगों के लिए, "परमेश्वर का अधिकार" एक अस्पष्ट सोच है, एक ऐसी सोच है जिसे किसी के दिमाग में बैठाना बहुत ही कठिन है, और इसके बारे में कोई चर्चा कदाचित अस्पष्ट हो सकती है। इसलिए परमेश्वर के अधिकार के ज्ञान जिसे धारण करने में मनुष्य समर्थ है और परमेश्वर के अधिकार के सार के बीच सर्वदा एक अन्तर होगा। इस अन्तर को भरने के लिए, किसी को भी वास्तविक-जीवन के लोगों, घटनाओं, चीज़ों, या उन घटनाओं की सहायता से जो मनुष्य की पहुँच के भीतर है, जिन्हें समझने में मनुष्य समर्थ हैं, धीरे-धीरे परमेश्वर के अधिकार को अवश्य जान लेना चाहिए। यद्यपि यह वाक्यांश "परमेश्वर का अधिकार" अथाह प्रतीत हो सकता है, फिर भी परमेश्वर का अधिकार बिल्कुल भी काल्पनिक नहीं है। वह मनुष्य के जीवन के प्रत्येक क्षण में उसके साथ है, और प्रतिदिन उसकी अगुआई करता है। इसलिए, हर मनुष्य दिन-प्रति-दिन के अपने जीवन में आवश्यक रूप से परमेश्वर के अधिकार के अत्यंत साकार पहलू को देखेगा और अनुभव करेगा। यह साकारता इस बात का पर्याप्त प्रमाण है कि परमेश्वर का अधिकार असलियत में मौज़ूद है, और यह किसी भी व्यक्ति को इस तथ्य को पहचानने और समझने की अनुमति देता है कि परमेश्वर इस अधिकार को धारण करता है।
परमेश्वर ने हर चीज़ का सृजन किया, और इसका सृजन करने के बाद, सभी चीज़ों पर उसका प्रभुत्व है। सभी चीज़ों के ऊपर प्रभुत्व रखने के अतिरिक्त, वह हर एक चीज़ को नियन्त्रण में रखता है। यह विचार कि "परमेश्वर हर एक चीज़ को नियन्त्रण में रखता है" इसका अर्थ क्या है? इसकी व्याख्या कैसे की जा सकती है? यह वास्तविक जीवन में किस प्रकार लागू होता है? इस सत्य को समझने के द्वारा कि "परमेश्वर हर एक चीज़ को नियन्त्रण में रखता है" तुम लोग परमेश्वर के अधिकार को कैसे जान सकते हो? "परमेश्वर हर एक चीज़ को नियन्त्रण में रखता है" इस वाक्यांश से हमें देखना चाहिए कि जो कुछ परमेश्वर नियन्त्रित करता है वह ग्रहों का एक भाग, और सृष्टि का एक भाग नहीं है, मनुष्यजाति का एक भाग तो बिलकुल नहीं है, बल्कि हर एक चीज़ है: अति विशाल से लेकर अति सूक्ष्म तक, दृश्य से लेकर अदृश्य तक, ब्रह्माण्ड के सितारों से लेकर पृथ्वी की जीवित चीज़ों तक, और साथ ही अति सूक्ष्मजीवों, जिन्हें नंगी आँखों से देखा नहीं जा सकता है या ऐसे प्राणियों तक जो अन्य रूपों में मौज़ूद हैं। यह "हर एक चीज़" की सही परिभाषा है जिसे परमेश्वर "नियन्त्रण में रखता है," और यह वह दायरा है जिसके ऊपर परमेश्वर अपने अधिकार का उपयोग करता है, और यह उसकी संप्रभुता और उसके शासन का विस्तार है।
मानवजाति के अस्तित्व में आने से पहले, ब्रह्माण्ड—सभी ग्रह, आकाश के सभी सितारे—पहले से ही अस्तित्व में थे। बृहद स्तर पर, ये खगोलीय पिंड, अपने सम्पूर्ण अस्तित्व के लिए, परमेश्वर के नियन्त्रण के अधीन नियमित रूप से अपनी कक्षा में परिक्रमा करते रहे हैं, चाहे इसमें कितने ही वर्ष लगते हों। कौन सा ग्रह कौन से निश्चित समय में कहाँ जाता है; कौन सा ग्रह कौन सा कार्य करता है, और कब करता है; कौन सा ग्रह कौन सी कक्षा में चक्कर लगाता है, और वह कब अदृश्य हो जाता है या बदल दिया जाता है—ये सभी चीज़ें जरा सी भी ग़लती के बिना आगे बढ़ती रहती हैं। ग्रहों की स्थितियाँ और उनके बीच की दूरियाँ सभी सख्त तरतीब का अनुसरण करती हैं, उन में से सभी का सटीक आँकड़ों के द्वारा वर्णन किया जा सकता है; वे पथ जिस पर वे यात्रा करते हैं, उनकी कक्षाओं में परिभ्रमण की उनकी गति और तरतीब, वे समय जब वे विभिन्न स्थितियों में होते हैं, उन्हें विशेष नियमों के द्वारा परिमाणित किया जा सकता है और उनकी व्याख्या की जा सकती है। युगों ��े ग्रहों ने इन नियमों का पालन किया है, और ज़रा सा भी विचलन नहीं किया है। कोई भी शक्ति उनकी कक्षाओं या साँचों को नहीं बदल सकती है या उनको बाधित नहीं कर सकती है जिनका वे अनुसरण करते हैं। क्योंकि वे विशेष नियम जो उनकी गति को नियन्त्रित करते हैं और वह सटीक आँकड़े जो उनका वर्णन करते हैं उन्हें सृजनकर्ता के अधिकार के द्वारा पूर्वनियत किया जाता है, वे सृजनकर्ता की संप्रभुता और नियन्त्रण के अधीन इन नियमों का पालन स्वयं ही करते हैं। बृहद स्तर पर, कुछ साँचों, कुछ आँकड़ों, और साथ ही कुछ अजीब और अवर्णनीय नियमों या घटनाओं का पता लगाना मनुष्य के लिए कठिन नहीं है। यद्यपि मानवजाति यह नहीं मानती है कि परमेश्वर अस्तित्व में है, इस तथ्य को स्वीकार नहीं करती है कि सृजनकर्ता ने हर एक चीज़ को बनाया है और व‍ह ��र चीज़ पर प्रभुत्व रखता है, और इसके अतिरिक्त सृजनकर्ता के अधिकार के अस्तित्व को नहीं पहचानती है, फिर भी मानव-विज्ञानी, खगोलशास्त्री, और भौतिक-विज्ञानी उत्तरोत्तर अधिक खोज कर रहे हैं कि इस विश्व में सभी चीज़ों का अस्तित्व, और वे सिद्धान्त और साँचे जो उनकी गतिविधियों को आदेश देते हैं, उन सभी पर एक विशाल और अदृश्य अंधकारमय ऊर्जा के द्वारा शासन और नियंत्रण किया जाता है। यह तथ्य मनुष्य को बाध्य करता है कि वह इस बात का सामना करे और स्वीकार करे कि इन गतियों के तरतीबों के बीच एकमात्र शक्तिशाली परमेश्वर ही है, जो हर एक चीज़ का आयोजन करता है। उसका सामर्थ्य असाधारण है, और यद्यपि उसके असली चेहरे को कोई नहीं देख सकता है, फिर भी वह हर क्षण हर एक चीज़ पर शासन और नियन्त्रण करता है। कोई भी व्यक्ति या ताक़त उसकी संप्रभुता से परे नहीं जा सकती है। इस सत्य का सामना करते हुए, मनुष्य को यह अवश्य पहचानना चाहिए कि वे नियम जो सभी चीज़ों के अस्तित्व पर शासन करते हैं उन्हें मनुष्यों के द्वारा नियन्त्रित नहीं किया जा सकता है, किसी के द्वारा बदला नहीं जा सकता है; और साथ ही स्वीकार अवश्य करना चाहिए कि मानवजाति इन नियमों को पूरी तरह से नहीं समझ सकती है। और वे प्राकृतिक रूप से घटित होने वाली नहीं हैं, बल्कि एक प्रभु और स्वामी के द्वारा आदेशित की जाती हैं। ये सब परमेश्वर के अधिकार की अभिव्यक्तियाँ हैं जिन्हें बृहद स्तर पर मनुष्यजाति महसूस कर सकती है।
सूक्ष्म स्तर पर, सभी पहाड़ियाँ, नदियाँ, झीलें, समुद्र और भू-भाग जिन्हें मनुष्य पृथ्वी पर देखता है, सभी मौसम जिनका वह अनुभव करता है, सभी चीज़ें जो पृथ्वी पर पाई जाती हैं, जिनमें पेड़-पौधे, जानवर, सूक्ष्मजीव और मनुष्य शामिल हैं, ये सभी परमेश्वर की संप्रभुता के अधीन हैं, और परमेश्वर के द्वारा नियन्त्रित किए जाते हैं। परमेश्वर की संप्रभुता और नियन्त्रण के अधीन, सभी चीज़ें उसके विचारों के अनुरूप अस्तित्व में आती हैं या अदृश्य हो जाती हैं, उन सब के जीवन कुछ नियमों द्वारा शासित होते हैं, और वे उनके साथ बने रहते हुए बढ़ते हैं और बहुगुणित होते हैं। कोई भी मनुष्य या चीज़ इन नियमों के ऊपर नहीं है। ऐसा क्यों है? इसका एकमात्र उत्तर है, परमेश्वर के अधिकार के कारण। या, दूसरे शब्दों में, तो परमेश्वर के विचारों और परमेश्वर के वचनों के कारण; क्योंकि स्वयं परमेश्वर यह सब करता है। अर्थात्, यह परमेश्वर का अधिकार और परमेश्वर का मन है जो इन नियमों को उत्पन्न करता है; ये उसके विचार के अनु��ार स्थानांतरित होंगे एवं बदलेंगे, और ये सभी स्थानांतरण और बदलाव उसकी योजना के वास्ते घटित होंगे और गायब होंगे। उदाहरण के लिए, महामारियों को ही लें। वे बिना चेतावनी दिए अचानक शुरू हो जाती हैं, कोई भी उनके उद्भव को या सही कारणों को नहीं जानता है कि वे क्यों होती हैं, और जब कभी भी कोई महामारी किसी निश्चित स्थान पर आती है, तो ऐसे लोग जो अभागे होते हैं वे विपत्ति से बच नहीं सकते हैं। मानव विज्ञान समझता है कि महामारियाँ ख़तरनाक या हानिकारक सूक्ष्म रोगाणुओं के फैलने के द्वारा उत्पन्न होती हैं, और उनकी गति, दायरे, और प्रसारण के तरीके का पूर्वानुमान या नियन्त्रण मानव विज्ञान के द्वारा नहीं किया जा सकता है। यद्यपि मानवजाति हर सम्भव तरीके से उनका प्रतिरोध करती है, फिर भी वे इस बात को नियंत्रित नहीं कर सकती है कि महामारियाँ अचानक आने पर कौन से लोग और पशु अपरिहार्य रूप से प्रभावित होते हैं। एकमात्र चीज़ जिसे मानवजाति कर सकती है वह है उनकी रोकथाम करने का प्रयास करना, उनका सामना करना, और उन पर शोध करना। परन्तु कोई भी उस मूल कारण को नहीं जानता है जो किसी विशिष्ट महामारी के आरम्भ और अंत का वर्णन करता है, और कोई उन्हें नियन्त्रित नहीं कर सकता है। किसी महामारी के उदय और फैलाव का सामना करते समय, पहला उपाय जो मनुष्य करते हैं वह है कोई टीका विकसित करना, परन्तु कई बार टीके के तैयार होने से पहले ही वह महामारी अपने आप ही ख़त्म हो जाती है। क्यों महामारियाँ समाप्त हो जाती हैं? कुछ लोग कहते हैं कि रोगाणुओं को नियन्त्रण में लाया जा चुका है, अन्य लोग कहते हैं कि ऋतुओं में बदलावों के कारण वे समाप्त हो जाती हैं...। जहाँ तक यह बात है कि ये बेबुनियाद अटकलबाज़ियाँ विश्वास-योग्य हैं या नहीं, विज्ञान कोई स्पष्टीकरण प्रस्तुत नहीं कर सकता है, और कोई सटीक उत्तर नहीं दे सकता है। जिसका मानवजाति सामना करती है वह न केवल ये अटकलबाज़ियाँ हैं बल्कि महामारियों के बारे में मानवजाति की समझ की कमी और उसका भय है। अंतिम विश्लेषणों में कोई नहीं जानता है, कि क्यों ये महामारियाँ शुरू होती हैं या क्यों वे समाप्त हो जाती हैं। क्योंकि मानवजाति का विश्वास केवल विज्ञान में है, वह पूरी तरह से इस पर ही आश्रित है, किन्तु वह सृजनकर्ता के अधिकार को नहीं पहचानती है या उसकी संप्रभुता को स्वीकार नहीं करती है, इसलिए उसके पास कभी कोई उत्तर नहीं होगा।
परमेश्वर की संप्रभुता के अधीन, उसके अधिकार के कारण, और उसके प्रबन्धन के कारण, सभी चीज़ें अस्तित्व में आती हैं और नष्ट हो जाती हैं। कुछ चीज़ें चुपके से आती हैं और चली जाती हैं, और मनुष्य नहीं बता सकता है कि वे कहाँ से आई थीं या उन नियमों का आभास नहीं कर सकता है जिनका वे अनुसरण करती हैं, और वह उन कारणों को तो बिलकुल नहीं समझ सकता है कि क्यों वे आती हैं और चली जाती हैं। यद्यपि मनुष्य वह सब कुछ देख, सुन, या अनुभव कर सकता है जो सभी चीज़ों के बीच घटित होती हैं; यद्यपि इन ��ब का मनुष्य पर असर पड़ता है, और य���्यपि मनुष्य अवचेतन रूप से असाधारणता, नियमितता, या विभिन्न घटनाओं की विचित्रता का आभास करता है, तब भी वह सृजनकर्ता की इच्छा और उसके मन के बारे में कुछ नहीं जानता है जो उनके पीछे होता है। उनके पीछे अनेक कहानियाँ हैं, और अनेक छिपी हुई सच्चाईयाँ हैं। क्योंकि मनुष्य सृजनकर्ता से दूर भटक गया है, क्योंकि वह इस तथ्य को नहीं स्वीकार करता है कि सृजनकर्ता का अधिकार सभी चीज़ों पर शासन करता है, इसलिए वह उस हर एक चीज़ को कभी नहीं जानेगा और समझेगा जो उसकी संप्रभुता के अधीन होती है। क्योंकि अधिकांश भागों में, परमेश्वर का नियन्त्रण और संप्रभुता मानवीय कल्पना, मानवीय ज्ञान, मानवीय समझ, और जो कुछ मानव-विज्ञान प्राप्त कर सकता है उन सीमाओं से बहुत बढ़ कर है, इसलिए सृजन की गई मानवजाति की क्षमताएँ इससे प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकती हैं। कुछ लोग कहते हैं, "चूँकि तुमने स्वयं परमेश्वर की संप्रभुता नहीं देखी है, तो तुम कैसे विश्वास कर सकते हो कि हर एक चीज़ उसके अधिकार के अधीन है?" देखना हमेशा विश्वास करना नहीं होता है; देखना हमेशा पहचानना या समझना नहीं होता है। तो विश्वास कहाँ से आता है? मैं यकीन के साथ कह सकता हूँ कि, "विश्वास चीज़ों की वास्तविकता और मूल कारणों के बारे में लोगों की समझ, और अनुभव की मात्रा और गहराई से आता है।" यदि तुम विश्वास करते हो कि परमेश्वर का अस्तित्व है, किन्तु तुम पहचान नहीं सकते हो, और सभी चीज़ों के ऊपर परमेश्वर के नियन्त्रण और परमेश्वर की संप्रभुता का तो बिलकुल एहसास नहीं करते हो, तो तुम अपने हृदय में यह कभी स्वीकार नहीं करोगे कि परमेश्वर के पास ऐसा अधिकार है और यह कि परमेश्वर का अधिकार अद्वितीय है। तुम कभी भी सृजनकर्ता को अपना प्रभु, अपना परमेश्वर स्वीकार नहीं करोगे।
मानवजाति का भाग्य और विश्व का भाग्य सृजनकर्ता की संप्रभुता से अविभाज्य हैं
तुम सब लोग वयस्क हो। तुम लोगों में से कुछ अधेड़-उम्र के हैं; कुछ लोग वृद्धावस्था में प्रवेश कर चुके हैं। एक अविश्वासी से लेकर विश्वासी तक, और परमेश्वर में विश्वास करने की शुरुआत से लेकर परमेश्वर के वचन को ग्रहण करने और परमेश्वर के कार्यों का अनुभव करने तक, तुम लोगों को परमेश्वर की संप्रभुता का कितना ज्ञान है? तुम लोगों को मनुष्य के भाग्य के भीतर कौन सी अंतर्दृष्टियाँ मिली हैं? क्या एक व्यक्ति हर उस चीज़ को प्राप्त कर सकता है जिसकी वह जीवन में इच्छा करता है? लोगों के अस्तित्व के कुछ दशकों के दौरान कितनी चीज़ें हैं जिन्हें जैसा तुम लोग चाहते थे उसके अनुसार तुम लोग पूरा करने में सक्षम रहे हो? जैसी अपेक्षा की गई थी उसके अनुसार कितनी चीज़ें घटित नहीं होती हैं? कितनी चीज़ें सुखद आश्चर्यों के रूप में आती हैं? कितनी चीज़ें हैं जिनके परिणाम आने की तुम लोग अभी भी प्रतीक्षा कर रहे हो—अवचेतन रूप से सही पल की प्रतीक्षा कर रहे हो, और स्वर्ग की इच्छा की प्रतीक्षा कर रहे हो? कितनी ही चीज़ें लोगों को असहाय और कुंठित महसूस कराती हैं? सभी अपने भाग्य के बारे में आशाओं से भरपूर हैं, और अनुमान लगाते हैं कि उनकी ज़िन्दगी में हर एक चीज़ वैसी ही होगी जैसा वे चाहते हैं, कि उनके पास भोजन या वस्त्रों का अभाव नहीं होगा, और उनका भाग्य आलीशान ढंग से उदित होगा। कोई भी ऐसा जीवन नहीं चाहता है जो दरिद्र और कुचला हुआ हो, कठिनाईयों से भरा हो, आपदाओं से घिरा हुआ हो। परन्तु लोग इन चीज़ों को पहले से नहीं देख सकते हैं या नियन्त्रित नहीं कर सकते हैं। कदाचित् कुछ लोगों के लिए, अतीत बस अनुभवों का घालमेल है; वे कभी नहीं सीखते हैं कि स्वर्ग की इच्छा क्या है, और न ही वे इसकी परवाह करते हैं कि यह क्या है। वे बिना सोचे समझे, जानवरों के समान, दिन प्रति दिन जीते हुए अपनी ज़िन्दगियों को बिताते हैं, इस बारे में परवाह नहीं करते हैं कि मानवजाति का भाग्य क्या है, मानव क्यों जीवित हैं या उन्हें किस प्रकार जीवन जीना चाहिए। ये लोग मनुष्य के भाग्य के बारे में कोई समझ प्राप्त किए बिना ही वृद्धावस्था में पहुँच जाते हैं, और उनके मरने की घड़ी तक उनके पास कोई विचार नहीं होता है कि जीवन किस बारे में है। ऐसे लोग मरे हुए हैं; वे ऐसे प्राणी है जिनमें आत्मा नहीं है; वे जानवर हैं। यद्यपि सभी चीज़ों के बीच जीवन बिताते हुए, लोग उन अनेक तरीकों से आनन्द पा लेते हैं जिनसे संसार अपनी भौतक आवश्यकताओं को संतुष्ट करता है, यद्यपि वे इस भौतिक संसार को निरन्तर बढ़ते हुए देखते हैं, फिर भी उनके स्वयं के अनुभव—जो कुछ उनका हृदय और उनकी आत्मा महसूस और अनुभव करती है—का भौतिक चीज़ों के साथ कोई लेना-देना नहीं है, और कोई भी पदार्थ उसका स्थान नहीं ले सकता है। यह एक पहचान है जो किसी व्यक्ति के हृदय की गहराई में होती है, ऐसी चीज़ जिसे नग्न आँखों से नहीं देखा जा सकता है। यह पहचान मनुष्य के जीवन और मनुष्य के भाग्य के बारे में उसकी समझ, और उसकी भावनाओं में निहित होती है। और यह प्रायः किसी व्यक्ति को इस बात की समझ की ओर ले जाती है कि एक अनदेखा स्वामी इन सभी चीज़ों को व्यवस्थित कर रहा है, और मनुष्य के लिए हर एक चीज़ का आयोजन कर रहा है। इन सबके बीच, कोई व्यक्ति भाग्य की व्यवस्थाओं और आयोजनों को स्वीकार करने के अलावा और कुछ नहीं कर सकता है; साथ ही, वह उस आगे के पथ को जिसे सृजनकर्ता ने तैयार किया है, और उसके भाग्य के ऊपर सृजनकर्ता की संप्रभुता को स्वीकार करने के अलावा कुछ नहीं कर सकता है। यह एक निर्विवाद सत्य है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि भाग्य के बारे में कोई क्या अन्तर्दृष्टि और प्रवृत्ति रखता है, कोई भी इस तथ्य को बदल नहीं सकता है।
तुम प्रतिदिन कहाँ जाओगे, तुम क्या करोगे, तुम किस व्यक्ति का या चीज़ का सामना करोगे, तुम क्या कहोगे, तुम्हारे साथ क्या होगा—क्या इसमें से किसी की भी भविष्यवाणी की जा सकती है? लोग इन सभी घटनाओं को पहले से नहीं देख सकते हैं, और जिस प्रकार वे विकसित होती हैं उसको तो बिलकुल भी नियन्त्रित नहीं कर सकते हैं। जीवन में, पहले से देखी न जा सकने वाली ये घटनाएँ हर समय घटित होती हैं, और ये प्रतिदिन घटित होने वाली घटनाएँ हैं। ये दैनिक उतार-चढ़ाव और तरीके ��िन्हें वे प्रकट करते हैं, या ऐसे तरीके जिनके द्वारा वे घटित होते हैं, मानवजाति के लिए निरन्तर अनुस्मारक हैं कि कुछ भी बस यूँ ही नहीं होता है, यह कि विकास का मार्ग जो ये चीज़ें अपनाती हैं उसे, और उनकी अनिवार्यता को मनुष्य की इच्छा के द्वारा बदला नहीं जा सकता है। हर घटना सृजनकर्ता की ओर से मनुष्यजाति को दी गई झिड़की को सूचित करती है, और यह सन्देश भी देती है कि मानवजाति अपने भाग्य को नियन्त्रित नहीं कर सकती है, साथ ही हर घटना मानवजाति की अपने भाग्य को अपने हाथों में लेने की निराधार, व्यर्थ महत्वाकांक्षा और इच्छा का खण्डन है। ये मानव जाति के कान के पास एक के बाद एक मारे गए जोरदार थप्पड़ों के समान हैं, जो लोगों को पुनर्विचार करने के लिए बाध्य करती हैं कि अंत में कौन उनके भाग्य पर शासन और नियन्त्रण करता है। और जब मनुष्य की महत्वाकांक्षाएँ और इच्छाएँ लगातार नाकाम और ध्वस्त होती हैं, तो वे स्वाभाविक रूप से उस चीज़ के लिए एक अचैतन्य स्वीकृति पर आ जाते हैं जो भाग्य ने भण्डार में रखा है, और स्वर्ग की इच्छा और सृजनकर्ता की संप्रभुता की वास्तविकता की स्वीकृति पर आ जाते हैं। सम्पूर्ण मानवजीवन के भाग्य के इन दैनिक उतार-चढ़ावों से, ऐसा कुछ भी नहीं है जो सृजनकर्ता की योजना और उसकी संप्रभुता को प्रकट नहीं करता हो; ऐसा कुछ भी नहीं ह��� जो यह सन्देश नहीं देता हो कि "सृजनकर्ता के अधिकार से आगे बढ़ा नहीं जा सकता है," जो इस शाश्वत सत्य को सूचित नहीं करता हो कि "सृजनकर्ता का अधिकार ही सर्वोच्च है।"
मानवजाति और विश्व के भाग्य सृजनकर्ता की संप्रभुता के साथ घनिष्ठता से गुँथे हुए हैं, और सृजनकर्ता के आयोजनों के साथ अविभाज्य रूप से बँधे हुए हैं; अंत में, उन्हें सृजनकर्ता के अधिकार से धुनकर अलग नहीं किया जा सकता है। सभी चीज़ों के नियमों के माध्यम से सृजनकर्ता के आयोजन और उसकी संप्रभुता मनुष्य की समझ में आते हैं; जीवित बचे रहने के नियमों के माध्यम से वह सृजनकर्ता के शासन का एहसास करता है; सभी चीज़ों के भाग्य से वह उन तरीकों के बारे में निष्कर्ष निकालता है जिनसे सृजनकर्ता अपनी संप्रभुता का उपयोग करता है और उन पर नियन्त्रण करता है; और मानवजाति और सभी चीज़ों के जीवन चक्रों में मनुष्य सचमुच में सभी चीज़ों और जीवित प्राणियों के लिए सृजनकर्ता के आयोजनों और व्यवस्थाओं का अनुभव करता है और सचमुच में इस बात को देखता है कि किस प्रकार वे आयोजन और व्यवस्थाएँ सभी पार्थिव कानूनों, नियमों, और संस्थानों, तथा अन्य सभी शक्तियों और ताक़तों का स्थान ले लेती हैं। इसके आलोक में, मानवजाति यह पहचानने के लिए बाध्य हो जाती है कि किसी भी सृजित किए गए प्राणी के द्वारा सृजनकर्ता की संप्रभुता का उल्लंघन नहीं किया जा सकता है, यह कि सृजनकर्ता के द्वारा पूर्वनियत की गई घटनाओं और चीज़ों के साथ कोई भी शक्ति हस्तक्षेप नहीं कर सकती है या उन्हें बदल नहीं सकती है। यह इन अलौकिक कानूनों और नियमों के अधीन है कि मनुष्य और सभी चीज़ें पीढ़ी दर पीढ़ी जीवन बिताती हैं और बढ़ती हैं। क्या यह सृजनकर्ता के अधिकार का असली मूर्तरूप नहीं है? यद्यपि मनुष्य, वस्तुगत नियमों में, सभी घटनाओं और सभी चीज़ों के लिए सृजनकर्ता की संप्रभुता और उसके विधान को देखता है, फिर भी कितने लोग विश्व के ऊपर सृजनकर्ता की संप्रभुता के सिद्धान्तों को समझ पाते हैं? कितने लोग सचमुच में अपने स्वयं के भाग्य के ऊपर सृजनकर्ता की संप्रभुता और व्यवस्था को जान, पहचान, और स्वीकार कर सकते हैं, और उसके प्रति समर्पण कर सकते हैं? कौन, सभी चीज़ों के ऊपर सृजनकर्ता की संप्रभुता के सत्य पर विश्वास करने के बाद, सचमुच में विश्वास करेगा और पहचानेगा कि सृजनकर्ता मानव जीवन के भाग्य को भी निर्धारित करता है? कौन सचमुच में इस तथ्य को समझ सकता है कि मनुष्य का भाग्य सृजनकर्ता की हथेली में रहता है? जब इस सत्य से सामना होता है कि वह मानवजाति के भाग्य पर शासन और नियन्त्रण करता है, तो मानवजाति को सृजनकर्ता की संप्रभुता के प्रति किस प्रकार की प्रवृत्ति अपनानी चाहिए, यह एक ऐसा निर्णय है जिसे हर एक मनुष्य को अपने लिए अवश्य लेना चाहिए जिसका अब इस सत्य से सामना होता है।
                                                             स्रोत: सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया
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amazingsubahu · 6 years ago
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विज्ञापन का उद्देश्य आपको आकर्षित करने और उपभोग के लिए तैयार करने से है, इसके लिए वो हर संभव प्रतीक, भावनाओं और नाटकीयता का प्रयोग करते हैं ताकि उनके उत्पाद की छवि आपके मनस पर अंकित हो जाये और आप चेतन या अचेतन रूप से उन उत्पादों का क्रय और उपभोग करते रहे। इन विज्ञापनों के लिए उत्पादनकर्ता और मार्केटिंग संस्थाएं बेशुमार धन और लोकप्रिय बातों, कथाओं, प्रतीकों और सेलिब्रिटीज की मदद भी लेती है, जिन्हें जनता द्वारा मान्यता या स्वीकृति प्राप्त है। आधुनिक विज्ञापनकर्ता बहुत सारी बातों को अवचेतन रूप से उपभोक्ताओं के मन मस्तिष्क मे प्रविष्ट करने के प्रयास मे लगे हुए हैं, उनका उद्देश्य इन विज्ञापनों के द्वारा उनके घरों और जेबों तक पहुंचना और उन्हें उन उत्पादों के उपभोग का आदी बनाना है। इसके लिए वो हर संभव युक्ति और आंकड़े उपभोक्ताओं की उम्र, पसंद, क्रय शक्ति, आय, और पसंदीदा ब्रांड्स, और उनकी अपेक्षाओं के बारे मे इकठ्ठा करते है, गूगल, फेसबुक और सभी सोशल मीडिया और ऑनलाइन प्लेटफार्म जिनके साथ हम सब जुड़े होते हैं, इन सभी कंपनियों को हमारी जानकारी उपलब्ध करते है और अरबों रूपये कमाते है, जिसके बारे मे आम उपभोक्ता को पता भी नहीं है। इन विज्ञापनों को तैयार करने के लिए वो बेहद रिसर्च करते है और हमारी पसंद, नापसंद, रूप रंग, आकर, स्वाद, मूल्य प्रदान करने की इच्छा शक्ति आदि सभी बातों से सम्बन्धी आंकड़े विभिन्न विधियों और साधनों से एकत्रित करते है, और उसके अनुरूप हम पर सामाजिक, आर्थिक, भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक रूप से प्रभाव डालने वाले विज्ञापन तैयार करते है। विभिन्न शोध से यह जानकारी मे आया है की वो उत्पाद की पैकेजिंग, कलर, साइज़, और उसपे मुद्रित प्र��ीकों, व्यक्तियों और अन्य प्रभाव पैदा करने वाली बातों को उनके लिए लाभदायक तरीके से ही प्रस्तुत, प्रकाशित और विज्ञापित करते है ताकि उपभोक्ताओं के मनस मे उनके उत्पादों की सकारात्मक और बेहतर छवि बने और वो उने उत्पादों का उपयोग करने के आदी बन जायेऔर उन्हें दुसरे लोगो तक पहुचाये माउथ पब्लिसिटी और अपने बार बार उपयोग द्वारा।
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किसी भी माध्यम (टीवी, अखबार, पत्रिकाएं, इन्टरनेट, डिस्प्ले बोर्ड्स आदि) पर प्रकाशित और जारी किये जाने वाले अधिकाँश विज्ञापनों के सम्बन्ध मे यह सत्य है, उन्हें वास्तविकता से परे मुलम्मा चढ़ाकर और अतिश्योक्ति पूर्ण तरीके से प्रकाशित और प्रदर्शित किया जाता है जो उनकी वास्तविक गुणवत्ता से सदैव बहुत दूर होता है। सदैव इन्हें मनोरंजन के लिए देखिये और इनसे बिलकुल भी प्रभावित मत होइए। किसी भी उत्पाद को खरीदने से पहले इसके बारे मे पर्याप्त शोध कीजिये, अन्य उपभोक्ताओं के अनुभव और उदगार जानिये, रिव्यु देखिये, अपने आस पास मे कोई इनका उपभोक्ता हो तो उसके अनुभव और नजरिये को जानिए और अपने विवेक, आवश्यकता और समझ के अनुसार इनका उपभोग कीजिये। मै कभी भी टीवी या किन्ही भी माध्यमों पर प्रकाशित होने वाले विज्ञापनों, खास तौर से हमारे तथाकथित सितारों द्वारा प्रचारित और प्रायोजित उत्पादों से बिलकुल भी प्रभावित नहीं होता, अपनी जांच परख और आवश्यकता के अनुसार ज्यादा सही, और बेहतर उत्पादों का क्रय और उपभोग करना पसंद करता हूँ, विज्ञापन सिर्फ मनोरंजन के लिए देखता हूं, अपने क्रय सम्बन्धी निर्णयों के लिए बिलकुल भी नहीं। आप किसी भी उत्पाद के सम्बन्ध मे प्रचारित या प्रकाशित आपतिजनक या भ्रमपूर्ण जानकारी के सम्बन्ध मे शिकायत दर्ज करा सकते हैं और अपनी बात या शिकायत संबन्धित विभाग मे दर्ज कर सकते हैं। एक अंतिम बात “ दिखावे पर मत जाओ , अपनी अकल लगाओ” Read the full article
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