#अमेरिका और तालिबान की वार्ता
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US ने मुशर्रफ को दे थी पाषाण युग में पहुंचाने की धमकी
कराची, (वेब वार्ता)। अमेरिका ने 9/11 हमले के बाद पाकिस्तान पर बमबारी करने की धमकी दी थी. US ने कहा था कि अगर राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ ने अफगानिस्तान में अमेरिका के युद्ध में सहयोग नहीं किया, तो वह इतनी बमबारी करेगा कि पाकिस्तान स्टोन एज (पाषाण युग) में पहुंच जाएगा. इस बात का जिक्र खुद राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ ने अपनी किताब में किया था. राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ ने अपनी किताब In the Line of Fire: A Memoir में इस घटना का जिक्र किया है. उन्होंने लिखा कि पाकिस्तान के इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) के चीफ 9/11 के हमले के समय वाशिंगटन में थे, तब अमेरिका के सहायक विदेश मंत्री रिचर्ड आर्मिटेज ने उन्हें धमकी दी थी. समाचार एजेंसी के मुताबिक, परवेज मुशर्रफ ने 9-11 हमलों के बाद की स्थिति का जिक्र करते हुए लिखा, अब तक के सबसे अराजनयिक बयान में रिचर्ड आर्मिटेज ने ISI चीफ से कहा कि पाकिस्तान को तय करना है कि वे अमेरिका के साथ हैं, या आतंकवादियों के साथ. अगर पाकिस्तान ने आतंकवादियों को चुना, तो फिर हमें पाषाण युग में ले जाने वाले बम हमलों के लिए तैयार रहना चाहिए. मुशर्रफ के मुताबिक, यह आश्चर्यजनक खुली धमकी थी, लेकिन यह स्पष्ट था कि अमेरिका ने करारा पलटवार करने का फैसला किया था. अफगानिस्तान में आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका की लड़ाई में शामिल होने के अपने कदम का बचाव करते हुए मुशर्रफ ने किताब में लिखा, उनका ‘निर्णय अपने लोगों की भलाई के लिए और अपने देश के सर्वोत्तम हित पर आधारित था. उन्होंने लिखा, ‘यदि हम अमेरिका का समर्थन नहीं करते तो हिंसक और क्रोधित प्रतिक्रियाओं का सामना करना होता. ऐसे में सवाल यह था कि अगर हम उनके साथ शामिल नहीं होते, तो क्या हम उनके हमले का सामना कर सकते हैं? जवाब था नहीं, हम नहीं कर सकते थे…’ परवेज मुशर्रफ ने लिखा, अमेरिका का समर्थन करने से हमें कई फायदे मिले. जनरल मुशर्रफ ने अपनी किताब में लिखा, 13 सितंबर, 2001 को पाकिस्तान में अमेरिकी राजदूत वेंडी चेम्बरलेन ने उन्हें सात मांगों का एक पत्र दिया था, जि��में ऊपर से उड़ान भरने और विमान उतारने के अधिकार शामिल थे. मुशर्रफ ने कहा कि उन्होंने अमेरिकी सेना को सीमा चौकियों और ठिकानों को सौंपने जैसी अमेरिका की कुछ मांगों का विरोध किया था. उन्होंने लिखा, ‘हम अपनी सामरिक संपत्ति को खतरे में डाले बिना अमेरिका को अपने क्षेत्र के ऊपर से उड़ान भरने और विमान उतारने के अधिकारों की अनुमति कैसे दे सकते थे? मैंने सिर्फ एक उड़ान कॉरिडोर की पेशकश की थी, जो किसी भी संवेदनशील क्षेत्र से दूर था. पाकिस्तान ने काबुल में तालिबान सरकार को अपना समर्थन छोड़ दिया और अमेरिका को पाकिस्तान के ऊपर से उड़ान भरने की अनुमति दी थी. Read the full article
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दोहा में होगी अमेरिका-तालिबान की वार्ता, काबुल पर कब्जे के बाद पहली बैठक
दोहा में होगी अमेरिका-तालिबान की वार्ता, काबुल पर कब्जे के बाद पहली बैठक
वाशिंगटनअमेरिकी अधिकारी शनिवार और रविवार को तालिबान के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे, जिसका उद्देश्य विदेशी नागरिकों और ऐसे अफगान लोगों की अफगानिस्तान से निकासी को आसान बनाना है जिन पर खतरा है। इसके अलावा, अफगानिस्तान में चरमपंथी समूहों को नियंत्रित करने के बारे में भी बात हो सकती है। दोनों पक्षों के अधिकारियों ने यह जानकारी दी। अगस्त माह में अफगानिस्तान से अमेरिकी बलों की वापसी के बाद ��ह…
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भारत, अमेरिका ने तालिबान से यूएनएससी के प्रस्ताव का पालन करने का आग्रह किया, म्यांमार में हिंसा बंद करने का आह्वान किया | विश्व समाचार
भारत, अमेरिका ने तालिबान से यूएनएससी के प्रस्ताव का पालन करने का आग्रह किया, म्यांमार में हिंसा बंद करने का आह्वान किया | विश्व समाचार
भारत और अमेरिका ने तालिबान नेतृत्व से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के उस प्रस्ताव का पालन करने का आह्वान किया है जिसमें मांग की गई है कि अफगानिस्तान के क्षेत्र का इस्तेमाल फिर कभी किसी देश को धमकी देने या उस पर हमला करने या आतंकवादी हमलों की योजना बनाने या वित्तपोषित करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए। चौथी भारत-अमेरिका 2 2 मंत्रिस्तरीय वार्ता के बाद जारी एक संयुक्त बयान में, दोनों देशों के…
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अमेरिका, भारत ने तालिबान से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि अफगानिस्तान को आतंकवादियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह के रूप में इस्तेमाल न किया जाए
अमेरिका, भारत ने तालिबान से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि अफगानिस्तान को आतंकवादियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह के रूप में इस्तेमाल न किया जाए
भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका ने तालिबान से यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया है कि अफगानिस्तान का उपयोग आतंकवादी सुरक्षित पनाहगाह के रूप में नहीं किया जाए, क्योंकि दोनों देशों के अधिकारियों ने आतंकवाद विरोधी पर अपनी संयुक्त वार्ता समाप्त की। एक संयुक्त बयान में गुरुवार को कहा गया कि अमेरिका-भारत व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी के तहत एक महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप में आतंकवाद विरोधी सहयोग की पुष्टि…
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हक्कानी नेटवर्क, तालिबान अलग, अमेरिका का कहना है, जैसा कि पाक आतंकवादी खलील हक्कानी अफगानिस्तान में उभरता है
हक्कानी नेटवर्क, तालिबान अलग, अमेरिका का कहना है, जैसा कि पाक आतंकवादी खलील हक्कानी अफगानिस्तान में उभरता है
पाकिस्तान के हक्कानी नेटवर्क के आतंकवादी खलील हक्कानी अफगानिस्तान में तालिबान के नए सुरक्षा प्रमुख हैं वाशिंगटन: आतंकवादी समूहों तालिबान और हक्कानी नेटवर्क के बीच घनिष्ठ संबंधों के बावजूद, अमेरिकी विदेश विभाग ने शुक्रवार (स्थानीय समयानुसार) कहा कि वे दो अलग-अलग संस्थाएं हैं। एक प्रेस वार्ता के दौरान, जब अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस से तालिबान के साथ काबुल हवाई अड्डे की सुरक्षा के…
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अफगानिस्तान छोड़ने के लिए 'बिलबिला' रहे लोग, क्या तालिबान को मान्यता देगा भारत? सरकार ने दिया जवाब Divya Sandesh
#Divyasandesh
अफगानिस्तान छोड़ने के लिए 'बिलबिला' रहे लोग, क्या तालिबान को मान्यता देगा भारत? सरकार ने दिया जवाब
नई दिल्ली पल-पल बदल रहे हैं। देश पर तालिबान के कब्जे के बाद वहां बहुत ज्यादा अस्थिरता है। सिर्फ विदेशी ही नहीं, बड़ी संख्या में अफगानी भी देश छोड़ने के लिए बिलबिला रहे हैं। यह अलग बात है कि तालिबान अपने नागरिकों को अफगानिस्तान से निकलने की राह में ‘रोड़ा’ डाल रहा है। उनसे अपील की जा रही है कि वे भागे और घबराएं नहीं, उन्हें कोई खतरा नहीं है। यह और बात है कि अफगानियों इसका यकीन नहीं हो पा रहा है। भारत और अमेरिका सहित कई देश पहले कह चुके हैं कि वे तालिबान के नेतृत्व वाली सरकार को मान्यता नहीं देंगे। लेकिन, तालिबान को लेकर पाकिस्तान, चीन, तुर्की, रूस, ब्रिटेन और कई अन्य देशों के सकारात्मक रुख के बाद बदली स्थितियां में कोई दावे के साथ नहीं कह सकता है कि चीजें किस तरफ आगे बढ़ेंगी।
शुक्रवार को यह पूछे जाने पर कि क्या भारत, अफगानिस्तान में तालिबान को मान्यता देगा? उसने कहा कि अफगानिस्तान में किसी एक एन्टिटी के सरकार बनाने को लेकर अभी स्थिति साफ नहीं है। बदलती स्थितियों पर सावधानी से नजर रखी जा रही है।
भारत ने कहा कि अफगानिस्तान से अपने घर लौटने को इच्छुक ज्यादातर भारतीय नागरिकों को वहां से बाहर निकाल लिया गया है। वह पड़ोसी देश की स्थिति पर सावधानीपूर्वक नजर रखे हुए है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने वीकली प्रेस वार्ता में कहा कि भारत का पूरा ध्यान अफगानिस्तान में फंसे अपने नागरिकों को वापस लाने पर है।
स्थिति नहीं है साफ उन्होंने बताया, ‘हम स्थिति पर लगाता�� सावधानीपूर्वक नजर रखे हुए हैं । यह उभरती हुई स्थिति है।’ यह पूछे जाने पर कि क्या भारत अफगानिस्तान में तालिबान को मान्यता देगा? बागची ने कहा कि काबुल में किसी इकाई के सरकार बनाने को लेकर अभी कोई स्पष्टता नहीं या स्पष्टता की कमी है।
बागची बोले, ‘जमीनी स्थिति अनिश्चित है। हमारी मुख्य चिंता अपने लोगों की सुरक्षा से जुड़ी है। अफगानिस्तान से वापसी के अभियान में उड़ानों को लेकर भारत विभिन्न पक्षों के सम्पर्क में है।’
फिर से शुरू हुई उड़ानें उधर, अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद देश से भाग रहे हजारों हताश लोगों को निशाना बनाकर किए गए दो आत्मघाती बम धमाकों और इनमें 100 लोगों की जान जाने के एक दिन बाद निकासी उड़ानें शुक्रवार को फिर से शुरू हो गईं। अमेरिका का कहना है कि देश के सबसे लंबे युद्ध को समाप्त करने के लिए विदेशी सैनिकों की वापसी की मंगलवार की समयसीमा से पहले और हमले होने की आशंका है।
कैसा है माहौल? काबुल से प्रस्थान करने वाले विमानों की आवाज और गूंजती ���्रार्थना के बीच हवाई अड्डे के बाहर व्याकुल भीड़ है। एक जगह हवाई अड्डे से करीब 500 मीटर की दूरी पर भारी हथियारों के साथ तालिबान के दर्जनों सदस्य किसी को भी आगे बढ़ने से रोक रहे थे। काबुल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास गुरुवार के बम धमाकों में कम से कम 95 अफगान और 13 अमेरिकी सैनिक मारे गए।
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VIDEO: मैं किसी पर विश्वास नहीं करता, आप पर भी नहीं : तालिबान पर जो बाइडेन ने दिया ऐसा जवाब
VIDEO: मैं किसी पर विश्वास नहीं करता, आप पर भी नहीं : तालिबान पर जो बाइडेन ने दिया ऐसा जवाब
जो बाइडेन ने तालिबान को लेकर दिया ये बड़ा बयान वाशिंगटन: अफगानिस्तान में कब्जे के बाद तालिबान मान्यता दिए जाने की मांग कर रहा है. एक प्रेस वार्ता में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन से पूछा गया कि क्या आप तालिबान पर विश्वास करते हैं या नहीं, तो उन्होंने कहा कि वह किसी पर विश्वास नहीं करते. दरअसल, अमेरिकी सेनाओं की वापसी के बाद तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया. वहां हालात खराब होते गए और…
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अफगानिस्तान को मिलेगी अमेरिका की मानवीय सहायता, तालिबान को 'मान्यता' से इनकार
अफगानिस्तान को मिलेगी अमेरिका की मानवीय सहायता, तालिबान को ‘मान्यता’ से इनकार
काबुलआर्थिक आपदा के कगार पर पहुंच चुके अफगानिस्तान को अमेरिका मानवीय सहायता मुहैया कराने पर सहमत हो गया है। हालांकि उसने देश के नए तालिबान शासकों को राजनीतिक मान्यता देने से इनकार कर दिया है। तालिबान ने यह जानकारी दी है। अमेरिकी सैनिकों के अगस्त में देश से हटने के बाद अमेरिका और तालिबान के बीच पहली सीधी वार्ता के बाद यह बयान आया है।अमेरिकी बयान में कहा गया, ‘दोनों पक्षों ने अफगानिस्तान के लोगों…
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अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने देश छोड़ा, तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा जमाया है...
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने देश छोड़ दिया है। टोलो न्यूज ने सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है। गनी के देश छोड़ने से पहले तालिबानी आतंकियों का एक दल राष्ट्रपति भवन सत्ता के हस्तांतरण के लिए पहुंचा था। सूत्रों के अनुसार, रविवार को नई अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में अली अहमद जलाली को चुना गया है। तालिबान को सत्ता हस्तांतरित करने के लिए अफगान प्रेसिडेंशियल पैलेस एआरजी में बातचीत चल रही है। खामा प्रेस न्यूज एजेंसी ने बताया कि राष्ट्रीय सुलह के लिए उच्च परिषद के प्रमुख अब्दुल्ला अब्दुल्ला के बारे में कहा जाता है कि वे इस प्रक्रिया में मध्यस्थता कर रहे हैं।
आपको बता दें कि तालिबान ने राजधानी काबुल के बाहरी इलाकों में रविवार को प्रवेश कर लिया और क��ा कि वे सत्ता के 'शांतिपूर्ण हस्तांतरण का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने ताकत के बल पर इसे नियंत्रण में नहीं लेने का वादा किया। हालांकि अनिश्चितता की स्थिति से घबराए निवाासियों के साथ ही सरकारी कर्मचारी कार्यालयों से भागने लगे और अमेरिकी दूतावास पर हेलीकॉप्टर उतरने लगे।
तालिबान का काबुल में प्रवेश, सत्ता के शांतिपूर्ण हस्तांतरण का इंतजार
अफगानिस्तान के तीन अधिकारियों ने द एसोसिएटेड प्रेस (एपी) को बताया कि तालिबान राजधानी में कलाकन, काराबाग और पघमान जिलों में है। तालिबान ने अपने आक्रमण को तेज करते हुए देश के बड़े हिस्से पर कब्जा जमा लिया और अफगान सुरक्षा बलों को अमेरिकी सेना के हवाई सहयोग के बावजूद खदेड़ दिया है। इसने कई लोगों को हैरत में डाल दिया है और उन्होंने सवाल उठाया कि अमेरिका के प्रशिक्षण और अरबों डॉलर खर्च करने के बावजूद सुरक्षाबलों की स्थिति खराब कैसे हो गयी। कुछ दिनों पहले ही अमेरिकी सेना ने अनुमान जताया था कि एक महीने से कम समय में ही राजधानी पर तालिबान का कब्जा हो जाएगा।
तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कतर के अल-जजीरा अंग्रेजी उपग्रह समाचार चैनल को बताया कि चरमपंथी काबुल शहर के शांतिपूर्ण हस्तांतरण का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने अपने लड़ाकों और सरकार के बीच किसी भी संभावित वार्ता की जानकारी देने से इनकार कर दिया। हालांकि यह पूछने पर कि तालिबान किस तरह का समझौता चाहता है, इस पर शाहीन ने माना कि वे चाहते हैं कि केंद्र सरकार बिना किसी शर्त के आत्मसमर्पण कर दें।
अफगानिस्तान के एक अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर बताया कि तालिबान के वार्ताकार सत्ता हस्तांतरण पर चर्चा करने के लिए रविवार को राष्ट्रपति आवास पहुंचे हैं। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि सत्ता हस्तांतरण कब होगा।
कार्यवाहक रक्षा मंत्री बिस्मिल्ला खान ने एक वीडियो संदेश में कहा, ''एक प्रतिनिधिमंडल को अधिकार दिया गया है जो अफगानिस्तान पर समझौता करने के लिए कल दोहा (कतर) जाएगा। मैं आपको काबुल की सुरक्षा का आश्वासन देता हूं।''
अफगानिस्तान छोड़ने की तैयारी में लोग
इससे पहले, चरमपंथियों ने भी राजधानी के निवासियों को शांत करने की कोशिश की। चरमपंथियों ने एक बयान में कहा, ''किसी के भी जीवन, संपत्ति और प्रतिष्ठा को नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा अैर काबुल के नागरिकों की जान खतरे में नहीं डाल जाएगी।'' इन आश्वासनों के बावजूद घबराए लोग काबुल हवाईअड्डे के जरिए देश छोड़ने की तैयारी में है। तालिबान के हर सीमा चौकी पर कब्जा जमाने के कारण देश से बाहर जाने का यही एक मार्ग बचा है। चरमपंथियों के जलालाबाद पर कब्जा जमाने के कुछ घं��ों बाद बोइंग सीएच-47 चिनूक हेलीकॉप्टर दूतावास के समीप उतरने लगे।
अमेरिका भी दूतावास से अपने अधाकारियों को निकाल रहा
अमेरिकी दूतावास के निकट राजनयिकों के बख्तरबंद एसयूवी वाहन निकलते दिखे और इनके साथ ही विमानों की लगातार आवाजाही भी देखी गई। हालांकि अमेरिका सरकार ने अभी इस बारे में तत्काल कोई जानकारी नहीं दी है। दूतावास की छत के निकट धुआं उठता देखा गया जिसकी वजह अमेरिका के दो सैन्य अधिकारियों के मुताबिक राजनयिकों द्वारा संवेदनशील दस्तावेजों को जलाना है। अमेरिका ने कुछ दिनों पहले अपने दूतावास से कर्मचारियों को निकालने में मदद के लिए हजारों सैनिकों को भेजने का फैसला किया था। एक पायलट ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि काबुल अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर अफगान बलों ने पश्चिमी सेनाओं को छोड़ दिया है। इससे पहले एक अफगान विमान सैनिकों को लेकर कंधार से हवाईअड्डे पहुंचा जिन्होंने तालिबान के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।
राष्ट्रपति अशरफ गनी भी अलग-थलग पड़ते दिखाई दिए। उन्होंने तालिबान का आक्रमण शुरू होने के बाद से पहली बार रविवार को देश को संबोधित किया। उन्होंने कुछ दिनों पहले जिन छत्रपों से बात की थी उन्होंने तालिबान के सामने हथियार डाल दिए या भाग गए जिससे गनी के पास सेना का समर्थन नहीं बचा।
Source : "GROUND ZERO"
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तालिबान ने अमेरिका समर्थित अफगान शांति सम्मेलन में बाधा डाली
तालिबान ने अमेरिका समर्थित अफगान शांति सम्मेलन में बाधा डाली
टोकन छवि अफगान तालिबान शांति वार्ता: अमेरिका ने कहा है कि वह 1 मई से अफगानिस्तान से अपने बाकी सैनिकों को वापस लेना शुरू कर देगा और जो भी होगा, 11 सितंबर तक प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। एपी आखरी अपडेट:21 अप्रैल, 2021 को शाम 5:05 बजे आईएस है बिल प्राप्तकर्ता। तुर्की ने बुधवार को घोषणा की कि अफगानिस्तान में दो विपक्षी गुटों के बीच प्रस्तावित वार्ता, स्थायी शांति की उम्मीद करते हुए, काबुल में हिंसा के…
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तेहरान तालिबान तक के दोस्त हैं
तेहरान तालिबान तक के दोस्त हैं
तेहरान में वार्ता के दौरान, ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सचिव अली शामखानी ने एक तालिबान प्रतिनिधिमंडल को बताया: “अमेरिका की रणनीति हिंसा जारी रखने का समर्थन करता है और राजनीतिक स्पेक्ट्रम के भीतर अफगान समूहों के बीच युद्ध, “ईरान की राज्य समाचार एजेंसी IRNA के अनुसार। बदले में, तालिबान के राजनीतिक ब्यूरो प्रमुख, अब्दुल गनी बरादर ने उनके शब्दों को खारिज नहीं किया: “हम संयुक्त राज्य…
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अमेरिका, ब्रिटेन ने तालिबान पर लगाया स्पिन बोल्डक शहर में 'युद्ध अपराध' करने का आरोप Divya Sandesh
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अमेरिका, ब्रिटेन ने तालिबान पर लगाया स्पिन बोल्डक शहर में 'युद्ध अपराध' करने का आरोप
काबुल। अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों के जाने के बाद से ही तालिबान ने अपना असली रंग दिखाना शुरू कर दिया है। ऐसे में अब, काबुल में अमेरिका और ब्रिटिश दूतावासों ने कहा है कि विद्रोही तालिबान ने दक्षिणी अफगानिस्तान में नागरिकों की बदला लेने के लिए हत्याओं को अंजाम देकर युद्ध अपराध किया हो सकता है, जब कि विद्रोहियों ने इस आरोप से इनकार किया है।
दोहा स्थित तालिबान वार्ता दल के सदस्य सुहैल शाहीन ने सोमवार को रॉयटर्स समाचार एजेंसी को बताया कि आरोपों वाले ट्वीट “निराधार रिपोर्ट” थे।
��ाजधानी काबुल में अमेरिकी दूतावास ने एक बयान ट्वीट कर तालिबान पर दक्षिणी कंधार प्रांत के स्पिन बोल्डक इलाके में दर्जनों नागरिकों की हत्या का आरोप लगाया। इस बयान को ब्रिटिश दूतावास ने भी ट्वीट किया था।
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अमेरिकी दूतावास ने ट्वीट किया, “ये हत्याएं युद्ध अपराध हो सकती हैं, इनकी जांच होनी चाहिए और जिम्मेदार तालिबान लड़ाकों या कमांडरों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।”
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एक दूसरे ट्वीट में कहा गया है, “तालिबान के नेतृत्व को उनके लड़ाकों के अपराधों के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। अगर वह अभी अपने लड़ाकों को नियंत्रित नहीं कर सकते हैं, तो बाद में शासन में उनकी कोई भूमिका नहीं रहने वाली है।”
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अमेरिका के विदेश मंत्री पोम्पियो दोहा पहुंचे, विशेष दूत खलीलजाद ने कहा- दोनों पक्षों के लिए परीक्षा का समय वॉशिंगटन12 मिनट पहले कॉपी लिंक फोटो जुलाई 2019 में कतर में हुई शांति वार्ता में शामिल तालिबान के प्रतिनिधियों की है। इसी मीटिंग में तय हुआ था कि तालिबान और अफगान भरोसा बढ़ाने के लिए कुछ कदम उठाएंगे। - फाइल फोटो
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तनाव के बीच पहली बार सामने होंगे चीन और भारत के विदेश मंत्री
नई दिल्ली : पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारत चीन के बीच हुई झड़प के बाद आज भारत,रूस और चीन के बीच एक वर्चुअल संवाद होगा | विदेश मंत्री जयशंकर प्रसाद हिंसक झड़प के बाद आज पहली बार जयशंकर और वांग यी आमने-सामने होंगे। इस सम्मेलन में चीन के विदेश मंत्री वांग यी और उनके रूसी समकक्ष सर्जेई लावरोव भी भाग लेंगे।
इससे पहले गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़पों के बाद बैठक को लेकर अनिश्चितता बनी हुई थी। चीनी सैनिकों के साथ आमने-सामने की झड़प में भारत के 20 सैन्यकर्मी शहीद हो गए थे। इस टकराव की घटना ने दोनों पड़ोसी देशों के बीच सीमा पर पहले से बनी हुई नाजुक स्थिति को और तनावपूर्ण बना दिया है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि बैठक में कोरोना वायरस महामारी पर तथा वैश्विक सुरक्षा एवं वित्तीय स्थिरता से संबंधित मुद्दों पर चर्चा होगी। सूत्रों ने परंपराओं का हवाला देते हुए कहा कि बैठक में भारत और चीन के बीच सीमा पर बने हुए गतिरोध पर चर्चा की संभावना नहीं है क्योंकि त्रिपक्षीय वार्ता के प्रारूप में सामान्य तौर पर द्विपक्षीय विषयों पर बातचीत नहीं की जाती।
रूस पहले ही कह चुका है कि भारत और चीन को सीमा विवाद बातचीत के जरिए सुलझा लेना चाहिए तथा दोनों देशों के बीच सकारात्मक संबंध क्षेत्रीय स्थिरता के लिए जरूरी हैं। तीनों विदेश मंत्री फरवरी में अमेरिका के तालिबान के साथ एक शांति समझौता करने के बाद अफगानिस्तान में उभरते राजनीतिक हालात पर विस्तार से बातचीत कर सकते हैं।
https://kisansatta.com/foreign-ministers-of-china-and-india-will-be-exposed-for-the-first-time-amid-tension%e0%a4%a4%e0%a4%a8%e0%a4%be%e0%a4%b5-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%ac%e0%a5%80%e0%a4%9a-%e0%a4%aa%e0%a4%b9%e0%a4%b2/ #जयशकरऔरवगय, #भरत, #वदशमतर #जयशंकर और वांग यी, #भारत, #विदेश मंत्री National, Top, Trending #National, #Top, #Trending KISAN SATTA - सच का संकल्प
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बिडेन व्यवस्थापक अफगानिस्तान में युद्ध के लिए राजनीतिक समझौता खोजने के उद्देश्य से वार्ता का समर्थन करता है
बिडेन व्यवस्थापक अफगानिस्तान में युद्ध के लिए राजनीतिक समझौता खोजने के उद्देश्य से वार्ता का समर्थन करता है
अमेरिका के एक शीर्ष अधिकारी ने लंबे समय से चल रहे संघर्ष के लिए एक स्थायी राजनीतिक समझौता खोजने के लिए बिडेन प्रशासन की कड़ी निगाह है कि तालिबान शांति समझौते की शर्तों का पालन कर रहा है और हितधारकों के बीच वार्ता का समर्थन करता है। कहा है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने शुक्रवार को कहा कि बिडेन प्रशासन अफगानिस्तान में हितधारकों के बीच वार्ता की स्थापना के पिछले ट्रम्प प्रशासन के फैसले का…
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