#अमर अकबर एंथोनी
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Dance Deewane Jr: ‘पर्दा है पर्दा’ गाना सुन नीतू कपूर को याद आया ऋषि कपूर संग ब्रेकअप का किस्सा
Dance Deewane Jr: ‘पर्दा है पर्दा’ गाना सुन नीतू कपूर को याद आया ऋषि कपूर संग ब्रेकअप का किस्सा
नीतू कपूर (Neetu Kapoor) उम्र के इस पड़ाव पर भी बेहद खूबसूरत और ग्रेसफुल लगती हैं. लंबे समय बाद एक्ट्रेस एक बार फिर वर्कफ्रंट पर लौट आई हैं. जल्द ही उनकी फिल्म ‘जुग जुग जियो’ रिलीज होने वाली हैं. वहीं डांसिंग रियलिटी शो को जज कर रही हैं. नीतू और ऋषि कपूर (Rishi Kapoor) बॉलीवुड के लवेबल कपल में से एक माने जाते थे. ऋषि भले ही दुनिया में नहीं हैं लेकिन नीतू हर मौके पर उन्हें याद करती रहती हैं. कुछ…
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#dance deewane juniors#Neetu Kapoor shares her break up story with rishi Kapoor#अमर अकबर एंथोनी#ऋषि कपूर#जुग जुग जियो#नीतू कपूर
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जानिए वो हिंदी फिल्म जिसमें 23 मिनट बाद आते हैं टाइटल | मूवी जो शुरू होने के 23 मिनट के बाद दिखाई देती है बॉलीवुड - समाचार हिंदी में
जानिए वो हिंदी फिल्म जिसमें 23 मिनट बाद आते हैं टाइटल | मूवी जो शुरू होने के 23 मिनट के बाद दिखाई देती है बॉलीवुड – समाचार हिंदी में
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अमर अकबर एंथोनी। मनमोहन देसाई (मनमोहन देसाई) की 1977 में आई फ़िल्म ‘अमर अकबर एंथोनी (अमर अकबर एंथोनी)’ का यह रिकॉर्ड आपको भी हैरान कर सकता है। मुंबई। ऐसे दौर में…
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मित्रों, यह सम्भव है कि आपने पहले ही इस संदेश को पढा हो। परन्तु इसे ध्यान से पुनः पढें और सम्पूर्ण परिवार, बच्चों और मित्रों में गम्भीरता से चर्चा करें। भविष्य में किसी भी इस तरह की साजिश से बचने के लिए, अत्यंत सतर्क रहने की जरूरत है। ऐसे सभी निर्माताओं और कलाकारों का पूर्ण बहिष्कार करना अति आवश्यक है।
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#Serious_Post
*हिंदुओं के खिलाफ ज़हर फैला रहा है बॉलीवुड,....IIM के प्रोफेसर धीरज शर्मा की अहमदाबाद से आयी सनसनीखेज रिपोर्ट*...
*अक्सर कहा जाता है कि बॉलीवुड की फिल्में हिंदू और सिख धर्म के खिलाफ लोगों के दिमाग में धीमा ज़हर भर रही हैं। इस शिकायत की सच्चाई जानने के लिए अहमदाबाद में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (आईआईएम) के एक प्रोफेसर ने एक अध्ययन किया है*
*जिसके नतीजे चौंकाने वाले हैं। आईआईएम के प्रोफेसर धीरज शर्मा ने बीते छह दशक की 50 बड़ी फिल्मों की कहानी को अपने अध्ययन में शामिल किया और पाया कि बॉलीवुड एक सोची-समझी रणनीति के तहत बीते करीब 50 साल से लोगों के दिमाग में यह बात भर रहा है कि हिंदू और सिख दकियानूसी होते हैं।*
*उनकी धार्मिक परंपराएं बेतुकी होती हैं। मुसलमान हमेशा नेक और उसूलों पर चलने वाले होते हैं। जबकि ईसाई नाम वाली लड़कियां बदचलन होती हैं। हिंदुओं में कथित ऊंची जातियां ही नहीं, पिछड़ी जातियों के लिए भी रवैया नकारात्मक ही है। यह पहली बार है जब बॉलीवुड फिल्मों की कहानियों और उनके असर पर इतने बड़े पैमाने पर अध्ययन किया गया है।*
*ब्राह्मण नेता भ्रष्ट , वैश्य बेइमान कारोबारी!*
*आईआईएम के इस अध्ययन के अनुसार फिल्मों में 58 फीसदी भ्रष्ट नेताओं को ब्राह्मण दिखाया गया है। 62 फीसदी फिल्मों में बेइमान कारोबारी को वैश्य सरनेम वाला दिखाया गया है। फिल्मों में 74 फीसदी सिख किरदार मज़ाक का पा��्र बनाया गया। जब किसी महिला को बदचलन दिखाने की बात आती है तो 78 फीसदी बार उनके नाम ईसाई वाले होते हैं। 84 प्रतिशत फिल्मों में मुस्लिम किरदारों को मजहब में पक्का यकीन रखने वाला, बेहद ईमानदार दिखाया गया है। यहां तक कि अगर कोई मुसलमान खलनायक हो तो वो भी उसूलों का पक्का होता है।*
*हैरानी इस बात की है कि यह लंबे समय से चल रहा हैऔरअलग-अलग समय की फिल्मों में इस मैसेज को बड़ी सफाई से फिल्मी कहानियों के साथ बुना जाता है। अध्ययन के तहत रैंडम तरीके से 1960 से हर दशक की 50-50 फिल्में चुनी गईं। इनमें A से लेकर Z तक हर शब्द की 2 से 3 फिल्में चुनी गईं। ताकि फिल्मों के चुनाव में किसी तरह पूर्वाग्रह न रहे। अध्ययन के नतीजों से साफ झलकता है कि फिल्म इंडस्ट्री किसी एजेंडे पर काम कर रही है।*
*बजंरगी_भाईजान देखने के बाद अध्ययन*
*प्रोफेसर धीरज शर्मा कहते हैं कि “मैं बहुत कम फिल्में देखता हूं। लेकिन कुछ दिन पहले किसी के साथ मैंने बजरंगी भाईजान फिल्म देखी। मैं हैरान था कि भारत में बनी इस फिल्म में ज्यादातर भारतीयों को तंग सोच वाला, दकियानूसी और भेदभाव करने वाला दिखाया गया है। जबकि आम तौर पर ज्यादातर पाकिस्तानी खुले दिमाग के और इंसान के बीच में फर्क नहीं करने वाले दिखाए गए हैं।” यही देखकर उन्होंने एक तथ्यात्मक अध्ययन करने का फैसला किया।*
*वो यह जानना चाहते थे कि फिल्मों के जरिए लोगों के दिमाग में गलत सोच भरने के जो आरोप लगते हैं क्या वाकई वो सही हैं? यह अध्ययन काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि फिल्में नौजवान लोगों के दिमाग, व्यवहार, भावनाओं और उनके सोचने के तरीके को प्रभावित करती हैं। यह देखा गया है कि फिल्मों की कहानी और चरित्रों के बर्ताव की लोग निजी जीवन में नकल करने की कोशिश करते हैं।*
*पाकिस्तान_और_इस्लाम का महिमामंडन*......
*प्रोफेसर धीरज और उनकी टीम ने 20 ऐसी फिल्मों को भी अध्ययन में शामिल किया जो पिछले कुछ साल में पाकिस्तान में भी रिलीज की गईं। उनके अनुसार ‘इनमें से 18 में पाकिस्तानी लोगों को खुले दिल और दिमाग वाला, बहुत सलीके से बात करने वाला और हिम्मतवाला दिखाया गया है। सिर्फ पाकिस्तान की सरकार को इसमें कट्टरपंथी और तंग नजरिए वाला दिखाया जाता है।*
*ऐसे में सवाल आता है कि हर फिल्म भारतीय लोगों को पाकिस्तानियों के मुकाबले कम ओपन-माइंडेड और कट्टरपंथी सोच वाला क्यों दिखा रही है? इतना ही नहीं इन फिल्मों में भारत की सरकार को भी बुरा दिखाया जाता है।*
*पाकिस्तान में रिलीज़ हुई ज्यादातर फिल्मों में भारतीय अधिकारी अड़ंगेबाजी करने वाले और जनता की भावनाओं को नहीं समझने वाले दिखाए जाते हैं।’ फिल्मों के जरिए इमेज बनाने-बिगाड़ने का ये ��ेल 1970 के दशक के बाद से तेजी से बढ़ा है। जबकि पिछले एक दशक में ��ह काम सबसे ज्यादा किया गया है। 1970 के दशक के बाद ही फिल्मों में सलीम-जावेद जैसे लेखकों का असर बढ़ा, जबकि मौजूदा दशक में सलमान, आमिर और शाहरुख जैसे खान हीरो सक्रिय रूप से अपनी फिल्मों में पाकिस्तान और इस्लाम के लिए सहानुभूति पैदा करने वाली बातें डलवा रहे हैं।*
*बच्चों के दिमाग पर बहुत बुरा असर अध्ययन के तहत फिल्मों के असर को जानने के लिए इन्हें 150 स्कूली बच्चों के एक सैंपल को दिखाया गया।* *प्रोफेसर धीरज शर्मा के अनुसार 94 प्रतिशत बच्चों ने इन फिल्मों को सच्ची घटना के तौर पर स्वीकार किया।’ यह माना जा सकता है* *कि फिल्म वाले पाकिस्तान, अरब देशों, यूरोप और अमेरिका में फैले भारतीय और पाकिस्तानी समुदाय को खुश करने की नीयत से ऐसी फिल्में बना रहे हों। लेकिन यह कहां तक उचित है कि इसके लिए हिंदुओं, सिखों और ईसाइयों को गलत रौशनी में दिखाया जाए?*
*वैसे भी इस्लाम को हिंदी फिल्मों में जिस सकारात्मक रूप से दिखाया जाता है, वास्तविक दुनिया में उनकी इमेज इससे बिल्कुल अलग है। आतंकवाद की ज्यादातर घटनाओं में मुसलमान शामिल होते हैं, लेकिन फिल्मों में ज्यादातर आतंकवादी के तौर पर हिंदुओं को दिखाया जाता है। जैसे कि शाहरुख खान की ‘मैं हूं ना’ में सुनील शेट्टी एक आतंकी संगठन का मुखिया बना है जो नाम से हिंदू है।*
*सलीम जावेद सबसे बड़े जिहादी सलीम जावेद* *की लिखी फिल्मों में हिंदू धर्म को अपमानित करने की कोशिश सबसे ज्यादा दिखाई देती है।* *इसमें अक्सर अपराधियों का महिमामंडन किया जाता है। पंडित को धूर्त, ठाकुर को जालिम, बनिए को सूदखोर, सरदार को मूर्ख कॉमेडियन आदि ही दिखाया जाता है। ज्यादातर हिंदू किरदारों की जातीय पहचान पर अच्छा खासा जोर दिया जाता था।* *इनमें अक्सर बहुत चालाकी से हिंदू परंपराओं को दकियानूसी बताया जाता था। इस जोड़ी की लिखी तकरीबन हर फिल्म में एक मुसलमान किरदार जरूर होता था जो बेहद नेकदिल इंसान और अल्ला का बंदा होता था। इसी तरह ईसाई धर्म के लोग भी ज्यादातर अच्छे लोग होते थे।*
*सलीम-जावेद की फिल्मों में मंदिर और भगवान का मज़ाक आम बात थी। मंदिर का पुजारी ज्यादातर लालची, ठग और बलात्कारी किस्म का ही होता था। फिल्म “शोले” में धर्मेंद्र भगवान शिव की आड़ लेकर हेमा मालिनी को अपने प्रेमजाल में फँसाना चाहता है, जो यह साबित करता है कि मंदिर में लोग लड़कियाँ छेड़ने जाते हैं। इसी फिल्म में एके हंगल इतना पक्का नमाजी है कि बेटे की लाश को छोड़कर, यह कहकर नमाज पढ़ने चल देता है कि उसने और बेटे क्यों नहीं दिए कुर्बान होने के लिए।*
*दीवार फिल्म का अमिताभ बच्चन नास्तिक है ��र वो भगवान का प्रसाद तक नहीं खाना चाहता है, लेकिन 786 लिखे हुए बिल्ले को हमेशा अपनी जेब में रखता है और वो बिल्ला ही बार-बार अमिताभ बच्चन की जान बचाता है। फिल्म “जंजीर” में भी अमिताभ बच्चन नास्तिक हैं और जया, भगवान से नाराज होकर गाना गाती है, लेकिन शेरखान एक सच्चा मुसलमान है। फिल्म ‘शान” में अमिताभ बच्चन और शशि कपूर साधु के वेश में जनता को ठगते हैं, लेकिन इसी फिल्म में “अब्दुल”* *ऐसा सच्चा इंसान है जो सच्चाई के लिए जान दे देता है। फिल्म “क्रान्ति”* *में माता का भजन करने वाला राजा (प्रदीप कुमार) गद्दार है और करीम खान (शत्रुघ्न सिन्हा) एक महान देशभक्त, जो देश के लिए अपनी जान दे देता है।*
*अमर-अकबर-एंथोनी में तीनों बच्चों का बाप किशनलाल एक खूनी स्मगलर है लेकिन उनके बच्चों (अकबर और एंथोनी) को पालने वाले मुस्लिम और ईसाई बेहद नेकदिल इंसान है। कुल मिलाकर आपको स���ीम-जावेद की फिल्मों में हिंदू नास्तिक मिलेगा या फिर धर्म का उपहास करने वाला। जबकि मुसलमान शेर खान पठान, डीएसपी डिसूजा, अब्दुल, पादरी, माइकल, डेविड जैसे आदर्श चरित्र देखने को मिलेंगे।*
*हो सकता है आपने पहले कभी इस पर ध्यान न दिया हो, लेकिन अबकी बार ज़रा गौर से देखिएगा केवल "सलीम-जावेद" की ही नहीं, बल्कि "कादर खान, कैफ़ी आजमी, महेश भट्ट" जैसे ढेरों कलाकारों की कहानियों का भी यही हाल है। "सलीम-जावेद"* *के दौर में फिल्म इंडस्ट्री पर दाऊद इब्राहिम का नियंत्रण काफी मजबूत हो चुका था। हम आपको बता दें कि सलीम खान सलमान खान के पिता हैं, जबकि जावेद अख्तर आजकल सबसे बड़े सेकुलर का चोला ओढ़े हुए हैं।*
*अब तीनों खान ने संभाली जिम्मेदारी,*
*मौजूदा समय में तीनों खान एक्टर फिल्मों में हिंदू किरदार करते हुए हिंदुओं के खिलाफ माहौल बनाने में जुटे हैं। इनमें सबसे खतरनाक कोई है तो वो है आमिर खान*। *आमिर खान की पिछली कई* *फिल्मों को गौर से देखें तो आप पाएंगे कि सभी का मैसेज यही है कि भगवान की पूजा करने वाले धार्मिक लोग हास्यास्पद होते हैं। इन सभी में एक मुस्लिम कैरेक्टर जरूर होता है जो बहुत ही भला इंसान होता है। “पीके” में उन्होंने सभी हिंदू देवी-देवताओं को रॉन्ग नंबर बता दिया। लेकिन अल्लाह पर वो चुप रहे।*
*पहलवानों की जिंदगी पर बनी “दंगल” में हनुमान की तस्वीर तक नहीं मिलेगी। जबकि इसमें पहलवानों को मांस खाने और एक कसाई का दिया प्रसाद खाने पर ही जीतते दिखाया गया है। सलमान खान भी इसी मिशन पर हैं, उन्होंने “बजरंगी भाईजान” में हिंदुओं को दकियानूसी और पाकिस्तानियों को बड़े दिलवाला बताया। शाहरुख खान तो “माई नेम इज़ खान” जैसी फिल्मों से काफी समय से इस्लामी जिहाद का काम जारी रखे हुए हैं।*
*संस्कृति को नुकसान की कोशिश*
*हॉलीवुड की फिल्में पूरी दुनिया में अमेरिकी संस्कृति*, *हावभाव और* *लाइफस्टाइल को पहुंचा रही हैं। जबकि बॉलीवुड की फिल्में भारतीय संस्कृति से कोसों दूर हैं। इनमें संस्कृति की कुछ बातों जैसे कि त्यौहार वगैरह को लिया तो जाता है लेकिन उनका इस्तेमाल भी गानों में किया जाता है। लगान जैसी कुछ फिल्मों में भजन वगैरह भी डाले जाते हैं लेकिन उनके साथ ही धर्म का एक ऐसा मैसेज भी जोड़ दिया जाता है कि कुल मिलाकर नतीजा नकारात्मक ही होता है।*
*फिल्मों के बहाने हिंदू धर्म और भारतीय परंपराओं को अपमानित करने का खेल बहुत पुराना है। सिनेमा के शुरुआती दौर में ये होता था लेकिन खुलकर नहीं। लेकिन 70 के दशक के दौरान ज्यादातर फिल्में यही बताने के लिए बनाई जाने लगीं कि मुसलमान रहमदिल और नेक इंसान होते हैं, जबकि हिंदुओं के पाखंडी और कट्टरपंथी होने की गुंजाइश अधिक होती है।*
*आईआईएम के प्रोफेसर धीरज शर्मा की इस स्टडी में होने वाले खुलासों ने सारे देश को झकझोर कर रख दिया है और साथ ही बीजेपी के कद्दावर नेता डॉक्टर सुब्रमणियम स्वामी के उस दावे को भी सही साबित कर दिया, जिसमे उन्होंने कहा है कि बॉलीवुड में दाऊद का कालाधन लगता है और दाऊद के इशारों पर ही बॉलीवुड का इस्लामीकरण किया जा रहा है।*
*स्वामी समेत कई हिन्दू संगठन भी इस बात का दावा कर चुके हैं कि एक साजिश के तहत मोटी कमाई का जरिया बन चुके बॉलीवुड में "हिन्दू" कलाकारों को "किनारे" किया जा रहा है और मुस्लिम हीरो, गायक आदि को ज्यादा से ज्यादा काम दिया जा रहा है.पाकिस्तानी कलाकारों को काम देने के लिए भी दाऊद गैंग बॉलीवुड पर दबाव बनाता है।* 😓😓
साभार..
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अमर अकबर एंथोनी
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Amitabh Bachchan shares treasured memories from 'Amar Akbar Anthony' as movie clocks 43 years
Amitabh Bachchan shares treasured memories from ‘Amar Akbar Anthony’ as movie clocks 43 years
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द्वारा एएनआई
मुंबई: 1977 के कॉमेडी-ड्रामा ‘अमर अकबर एंथोनी’ के रिलीज होने के 43 साल पूरे होने के बाद, मेगास्टार अमिताभ बच्चन ने बुधवार को मेमोरी लेन की सैर की और फिल्म की थ्रोबैक पिक्चर्स और इसके शूट के जरिए कुछ यादों क��� साझा किया।
बिग बी ने फिल्म के कलाकारों और चालक दल के साथ ट्विटर पर फिल्म से कुछ मोनोक्रोमैटिक तस्वीरें बाहर रखीं। उन्होंने एक पेचीदा पोस्टर भी साझा किया, जिसमें…
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Ileana DCruz back to telugu films after 6 years with new film called amar akbar anthony
Ileana DCruz back to telugu films after 6 years with new film called amar akbar anthony
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Publish Date:Fri, 29 Jun 2018 03:14 PM (IST) मुंबई। बेहद ख़ूबसूरत और ग्लैमरस इलियाना डिक्रूज़ अब भले ही हिंदी फिल्मों में नामी हो गई हों लेकिन उनकी शुरुआत दक्षिण भारतीय फिल्मों से हुई थी और छह साल बाद उन्होंने फिर से साऊथ में काम करना शुरू किया है। इलियाना करीब छह साल बाद तेलुगु फिल्मों में वापसी कर रही हैं।
उनकी कम बैक फिल्म का नाम ‘अमर अकबर एंथोनी’ है। नाम देखकर चौंकिये नहीं क्योंकि न…
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Chunky Panday Already Watched Amitabh Bachchan's Amar Akbar Anthony 20 Times. Now Again With Ananya
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अनन्या पांडे के साथ चंकी। (शिष्टाचार: अनन्या पांडे) नई दिल्ली: महानायक अमिताभ बच्चन के 80वें जन्मदिन की पूर्व संध्या पर, फिल्म हेरिटेज फाउंडेशन ने अमिताभ बच्चन फिल्म फेस्टिवल की घोषणा की, जिसके तहत उनकी कुछ प्रतिष्ठित फिल्मों को सिनेमाघरों में प्रदर्शित किया गया। अभिनेता चंकी पांडे ने अमिताभ बच्चन की फिल्म देखने का फैसला किया अमर अकबर एंथोनी थिएटर में (21वीं बार)। उनके साथ बेटी अनन्या, दोस्त…
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Neetu Kapoor Claims Doing Films With Rishi Kapoor As 'A Favour': "Apni ...
Neetu Kapoor Claims Doing Films With Rishi Kapoor As ‘A Favour’: “Apni …
नीतू कपूर ने ऋषि कपूर के साथ ‘ए फेवर’ के रूप में फिल्में करने का दावा किया (फोटो क्रेडिट – इंस्टाग्राम) दिग्गज अभिनेत्री नीतू कपूर और ऋषि कपूर बॉलीवुड के पावर कपल में से एक थे। दोनों कई फिल्मों में कभी-कभी, खेल खेल में, दूसरा आदमी, धन दौलत, रफू चक्कर, जिंदा दिल और अमर अकबर और एंथोनी में दिखाई दिए। वे हाल के दिनों में लव आज कल (2009), दो दूनी चार (2010), और बेशरम (2013) जैसी कुछ फिल्मों में भी…
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कैसे हुई थी परवीन बॉबी की मौत? जानिए उनकी उम्र, परिवार और संपत्ति के बारे में
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फेमस अदाकारा परवीन बॉबी (Parveen Babi)अपने समय की अभिनेत्रियों में सबसे ज्यादा फेमस अभिनेत्रियों में गिनी जाने वाली अभिनेत्रियों में से एक थीं। सत्तर-अस्सी के दशक में इन्होने हिंदी सिनेमा में अपनी अदाकारी से लोगों को अपना दीवाना बना दिया था। वह 70 के दशक की सबसे बोल्ड अभिनेत्री थी उन्होंने अमर अकबर एंथोनी नमक हलाल शान और कालिया जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्म हिंदी है लेकिन उनका मौत काफी दर्दनाक था। यहां…
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इक्विटी पर तटस्थ रहें, या लाभ की बुकिंग शुरू करें? यहाँ आपका जवाब है
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पिछले साल फिल्म काफी पसंद आई थी अमर अकबर एंटनी। यह सब के बारे में था Honi ko Unhoni karde – अनहोनी कोनी। प्रवाह, भावनाएं और बुनियादी बातें हमारे बाजारों के अमर, अकबर और एंथोनी हैं। उन्होंने ‘की माँ ’बनाया भालू बाजार‘में बदल’ की माँ बैल बाजार‘लगभग छह महीने में। एफपीआई से फ्लो आया, खुदरा निवेशकों से; सामान्य स्थिति और आर्थिक गतिविधि के कारण भावनाओं को उठाया गया; और बुनियादी बातों में सितंबर तिमाही…
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IND vs AUS: अप के अमर-अकबर-एंथोनी हैं सिराज-नटराजन-सैनी!
विमल कुमार मोहम्मद सिराज (मोहम्मद सिराज), नवदीप सैनी (नवदीप सैनी), टी। नटराजन (टी नटराजन)। तेज़ गेंदबाज़ों की ये तिकड़ी इत्तेफ़ाक से भारत के तीन अलग-अलग राज्यों से आती है। उनके संघर्ष और अब तक की कामयाबी की कहानी बचपन में बिछड़े मनमोहन देसाई निर्देशित 80 के दशक की बेहद मशहूर फिल्म के तीन भाईयों (अमर अकबर एंथोनी) की ही तरह है। स्रोत: News18Hindi पिछला नवीनीकरण: 14 जनवरी, 2021, 9:50 PM IST शेयर…
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अमर अकबर एंथोनी New Year 2022 🙏❤️🇮🇳 જય સોમનાથ મહાદેવ 🙏❤️🇮🇳 08200929296 #AmitabhBachchan #kbc #kbc12 #kbc13 #chehre #अमिताभबच्चन #valimai #khushbuhaiGujaratki #kinjaldave #Gujarat #bhavnagar #Suratcity #rajkot #ahmedabad #khajurbhai #india #JaySomnath #happybirthday #juniorBachchan #ShwetaBachchan #Geetarabari #girnar #ropeway #navratri #Diwali #Gujarattourism #khushbuGujaratki #Gujarat #india #udankhatola #junagadhtourism #junagarh (at સાસણગીર) https://www.instagram.com/p/CYewOorP2rk/?utm_medium=tumblr
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सुशांत सिंह राजपूत के कुत्ते अमर, अकबर, एंथोनी गोद लेने के लिए तैयार हैं, अभिनेता ने उनकी देखभाल के लिए पैसा भेजा था https://cruxsdigital.com/2020/09/06/%e0%a4%b8%e0%a5%81%e0%a4%b6%e0%a4%be%e0%a4%82%e0%a4%a4-%e0%a4%b8%e0%a4%bf%e0%a4%82%e0%a4%b9-%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%9c%e0%a4%aa%e0%a5%82%e0%a4%a4-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%95%e0%a5%81%e0%a4%a4/?feed_id=12002&_unique_id=5f5551e4159d2
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अमिताभ बच्चन, ऋषि कपूर और विनोद खन्ना अभिनीत सुपरहिट फिल्म अमर अकबर एंथनी 43 साल पहले रिलीज हुई थी. सदी के महानायक अमिताभ बच्चन ने आज इस फिल्म की वर्षगांठ पर ट्वीट करके इस फिल्म को लेकर रोचक किस्सा बताया है कि ��ैसे उन्हें फिल्म का यह नाम जंचा नहीं था, क्योंकि उस जमाने में फिल्मों के ऐसे नाम नहीं होते थे. फिल्म के निर्देशक मनमोहन देसाई ने फिल्म के तीन किरदारों के नाम के मेल से ही फिल्म का टाइटल बना दिया था. वास्तव में फिल्मों के ऐसे नाम आज भी कम ही हैं. आइए अमर-अकबर-एंथोनी के बहाने हम आपको हिंदी में बनी कुछ ऐसी फिल्मों के बारे में बताते हैं, जिनका नाम तीन किरदारों नाम के आधार पर रखा गया है. #5BollywoodMovies #love #followback #instagramers #envywear #tweegram #photooftheday #20likes #amazing #smile #follow4follow #like4like #look #instalike #igers #picoftheday #food #instadaily #instafollow #followme #girl #instagood #bestoftheday #instacool #envywearco #follow #colorful #style #swag https://www.instagram.com/p/CAulh3TFaU4/?igshid=16nudembk370s
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अमिताभ बच्चन बोले- जब मनमोहन देसाई मेरे पास इसका आइडिया लेकर आए थे तो मुझे लगा था कि वे होश में नहीं हैं
अमिताभ बच्चन बोले- जब मनमोहन देसाई मेरे पास इसका आइडिया लेकर आए थे तो मुझे लगा था कि वे होश में नहीं हैं
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दैनिक भास्कर
May 27, 2020, 03:21 PM IST
मुंबई. महानायक अमिताभ बच्चन की सुपरहिट फिल्म ‘अमर-अकबर-एंथोनी’ को रिलीज हुए बुधवार (27 मई) को 43 साल पूरे हो गए। इस मौके पर उन्होंने एकबार फिर यादों का पिटारा खोलते हुए इस फिल्म से जुड़ा एक किस्सा सोशल मीडिया पर शेयर किया। उन्होंने बताया कि उस दौर में इस फिल्म ने इतना बिजनेस किया था कि वर्तमान मुद्रास्फीति के हिसाब से वो बाहुबली 2 के कलेक्शन से भी…
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