#अत्याचार की अती
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💥नकली धर्मगुरुओं ने मिलकर एक बार सिकंदर लोधी राजा को बहकाकर कबीर साहेब को हाथी से कुचलवाने की सजा दिलवा दी।
कबीर परमात्मा जी के हाथ पाँव बांध कर उन्हें एक मदमस्त खूनी हाथी के आगे डाल दिया।
जब हाथी कबीर परमात्मा को मारने के लिए आगे बढ़ा तो उसे परमात्मा ने एक बब्बर शेर का रूप दिखा दिया। जिसे देखकर हाथी भयभीत हो गया व डर कर भाग गया। सिकंदर लोधी को भी परमात्मा ने अपना विराट रूप दिखाया। राजा थर्र थर्र काँपता हुआ नीचे आया और कबीर परमेश्वर को दंडवत प्रणाम किया व क्षमा याचना की।
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💥शेखतकी ने कबीर परमेश्वर को जान से मारने के लिए गंगा नदी के बीच में ले जाकर उनके हाथ पैरों को जंजीर से बांध कर शरीर पर बड़े बड़े पत्थर बांध कर नदी में डूबो दिया। लेकिन कबीर परमेश्वर नहीं डूबे। गंगा नदी में ऐसे बैठे रहे जैसे पृथ्वी पर बैठे हों।
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💥शेखतकी ने कबीर परमेश्वर को जान से मारने के लिए गंगा नदी के बीच में ले जाकर उनके हाथ पैरों को जंजीर से बांध कर शरीर पर बड़े बड़े पत्थर बांध कर नदी में डूबो दिया। लेकिन कबीर परमेश्वर नहीं डूबे। गंगा नदी में ऐसे बैठे रहे जैसे पृथ्वी पर बैठे हों।
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💥परमेश्वर कबीर साहेब जी को तोप से मारने की साज़िश
शेखतकी ने कहा कि कबीर का तोप से गोले मारकर काम तमाम कर दो। ऐसा ही किया गया तोप यंत्र से गोले चलाए गए परंतु परमेश्वर कबीर साहेब जी के पास एक भी नहीं गया। कोई तो वहीं गंगा जल में जाकर गिर जाय। कई दूसरे किनारे पर जाकर गंगा किनारे शांत हो जाएं। कोई कुछ दूर तालाब में जाकर गिरे। परन्तु परमेश्वर के निकट एक भी न जाय। इस प्रकार शेखतकी 4 पहर (12 घंटे) तक यह जुल्म करता रहा।
तब परमेश्वर कबीर साहेब जी अंतर्ध्यान होकर रविदास जी की कुटिया पर गए और दोनों परमात्मा की चर्चा करने लगे।
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💥कबीर परमेश्वर जी एक सत्संग कर रहे थे तब शेखतकी ने सिपाही से कहा कि इनके गले में जहरीला साँप डाल दो लेकिन वो साँप कबीर साहेब के गले में डालते ही सुंदर पुष्पों की माला बन गया। क्योंकि कबीर साहेब पूर्ण परमात्मा हैं।
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💥परमेश्वर कबीर साहेब जी को तोप से मारने की साज़िश
शेखतकी ने कहा कि कबीर का तोप से गोले मारकर काम तमाम कर दो। ऐसा ही किया गया तोप यंत्र से गोले चलाए गए परंतु परमेश्वर कबीर साहेब जी के पास एक भी नहीं गया। कोई तो वहीं गंगा जल में जाकर गिर जाय। कई दूसरे किनारे पर जाकर गंगा किनारे शांत हो जाएं। कोई कुछ दूर तालाब में जाकर गिरे। परन्तु परमेश्वर के निकट एक भी न जाय। इस प्रकार शेखतकी 4 पहर (12 घंटे) तक यह जुल्म करता रहा।
तब परमेश्वर कबीर साहेब जी अंतर्ध्यान होकर रविदास जी की कुटिया पर गए और दोनों परमात्मा की चर्चा करने लगे।
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💥शेखतकी ने सोचा कि कबीर जी को तलवार से काट कर उसके टुकड़े टुकड़े कर दें। शेखतकी ने उनकी हत्या के लिए कुछ गुंडे तैयार किए। शेखतकी उन गुंडों के साथ उनकी कुटिया में आया जहां कबीर साहेब रात में सो रहे थे और उसने कबीर जी पर बेतहाशा तलवार से वार किए। लेकिन तलवार बार-बार कबीर जी के शरीर से आर-पार निकल गई क्योंकि कबीर साहेब जी का शरीर पांच तत्वों से बना नहीं है वह नूरी शरीर है।
साहिब कबीर को मारण चाल्या, शेखतकी जलील।
आर पार तलवार निकल गई, फिर भी समझा नहीं खलील।।
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💥दिल्ली के सम्राट सिकंदर लोदी ने जनता को शांत करने के लिए अपने हाथों से हथकड़ियाँ लगाई, पैरों में बेड़ी तथा गले में लोहे की भारी बेल डाली, आदेश दिया गंगा दरिया में डुबोकर मारने का। उनको दरिया में डाल दिया। कबीर परमेश्वर जी की हथकड़ी, बेड़ी और लोहे की बेल अपने आप टूट गयी। परमात्मा जल पर सुखासन में बैठे रहे, कुछ नहीं बिगड़ा।
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💥एक बार शेखतकी ने कबीर परमेश्वर पर जंत्र-मंत्र (तांत्रिक विद्या) करके मूठ छोड़ी। उस मूठ का कबीर परमेश्वर पर कोई असर नहीं हुआ, क्योंकि वह पूर्ण परमात्मा हैं। थोड़ी दूर पर एक कूत्ते को लगी जिससे कुत्ता मर गया। तब कबीर परमेश्वर ने उस कुत्ते का कान पकड़ा और कहा कि चल उठ। ऐसा कहते ही कुत्ता उठकर दौड़ गया और उस मूठ से कहा कि, जिसने तुझे छोड़ा था, वापस उसके पास जा। इतना कहते ही वह मूठ वापस जाकर शेखतकी को लगी।
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💥परमेश्वर कबीर साहेब जी को तोप से मारने की साज़िश
शेखतकी ने कहा कि कबीर का तोप से गोले मारकर काम तमाम कर दो। ऐसा ही किया गया तोप यंत्र से गोले चलाए गए परंतु परमेश्वर कबीर साहेब जी के पास एक भी नहीं गया। कोई तो वहीं गंगा जल में जाकर गिर जाय। कई दूसरे किनारे पर जाकर गंगा किनारे शांत हो जाएं। कोई कुछ दूर तालाब में जाकर गिरे। परन्तु परमेश्वर के निकट एक भी न जाय। इस प्रकार शेखतकी 4 पहर (12 घंटे) तक यह जुल्म करता रहा।
तब परमेश्वर कबीर साहेब जी अंतर्ध्यान होकर रविदास जी की कुटिया पर गए और दोनों परमात्मा की चर्चा करने लगे।
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शेख तकी ने कबीर परमेश्वर को जान से मारने के लिए गंगा नदी के बीच में ले जाकर उनके हाथ पैरो को जंजीर से बांध
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