#انسانیت
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مشكل ما خدا نيست! مـشكل ما انسانهايى هستند كه خود را نماينده خدا دانستند و با نام خدا هر كارى كه خـواستند كردند.. میلان کوندرا #میلان_کوندرا #خدا #انسانیت #نماینده ده_خدا https://www.instagram.com/p/CodSrC7rGE9/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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مردم متمدن، همین کمتر از پنجاه سال پیش تو آمریکا اوج نژادپرستی بود و همیشه یک سوال برای من مگه دست خود آدمه کجا و چجوری به دنیا بیاد؟؟؟؟؟؟ #زندگی #انسانیت #انسان #امید #هدف #کوشش #تلاش #تدبیر #مقاومت #پیروزی #ثروت #پیج_اینستاگرام_خشایار #اکسپلور #دیالوگ_ماندگار #جملات_ناب #reels https://www.instagram.com/p/Cn0_nKHD_L0/?igshid=NGJjMDIxMWI=
#زندگی#انسانیت#انسان#امید#هدف#کوشش#تلاش#تدبیر#مقاومت#پیروزی#ثروت#پیج_اینستاگرام_خشایار#اکسپلور#دیالوگ_ماندگار#جملات_ناب#reels
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کاشکی میشد هیچ آدمی شبیه این سه تا نشه #انسانیت #انسان (at Emamzadeh Hasan, Tehran, Iran) https://www.instagram.com/p/Cll2eO1j-2M/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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رمز واژههای دوری و تنهایی
امروز نظرم به سوی تو میپردازد، به همان نحوی که پرتوی ضعیف از آفتابی از پشت ابرها به زمین میرسد و روز را با یک حالت تیرگی و نیمروشنی پر میکند. تا زمانی که تو در اطرافیان خود بودی، دنیای من چون یک تالار نورانی به نظر میرسید که از همه جانب به توجه و لطافت تو پراکنده شده بود.
حالا، شش روز میگذرد از آن زمان که پشت سرت را به من گرفتی و به دنیایی دورافتاده سوار شدی. اما بیتردید، این شش روز مثل یک دوره طولانی از زمان به من مینماید؛ گویا سالهای بیپایانی از عزلت و تنهایی را تجربه کردهام. همچنین، فاصلهای که از تو ایجاد شده، چون تاریکیای غریب و ناشناخته در اطرافم پیچیده است و باعث میشود که هر نفسی که میکشم، با دلیلی ناآشنا همراه باشد.
بیتردید، این فاصله مرا به ایجاد ��غییراتی در وجودم واداشته است. از اینکه میترسم به این فاصله عادت کنم، محکوم به اتفاقی تلخ و تراژیک است؛ آیا واقعاً من نیز چنانچه داستایوفسکی اشاره کرده، به نبود تو عادت خواهم کرد؟ آیا محکوم به بیتوجهی به نبود تو در دنیایم خواهم شد؟
گذشته از این نیز در کتاب "یادداشتهای خانه مردگان" داستایوفسکی نوشته است: "انسان موجودیست که به همه چیز عادت میکند." آیا این واقعاً درست است؟ آیا عادت به فقدان تو نیز بخشی از مسیر زندگی من خواهد شد؟ آیا از تو فراتر رفته، عادت خواهم کرد؟
احساساتی که در سینهام حاکم است، نمیتوانند به اندازهای که باید باشند، توسط کلمات خالی از احساسات منتقل شوند. دلتنگیام، عشقم و دلبستگیام به تو، هر چند در دلم زندگی میکنند، اما به سختی توانستهاند در زبان بیان شوند. گرچه این نوازشها به سمت تو ارسال میشوند، اما چون امکان بهبود در واژگان نیست، آنها همچون پیامهایی بیریشه در اقیانوس بیپایان غم، گم میشوند.
از دوری تو میترسم، از تبعات آن بر روی زندگیام میترسم، اما چه طور میتوانم از این همه ترس، خودم را مصون کنم؟
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کہاں ہر ایک سے انسانیت کا بار اٹھا
کہ یہ بلا بھی ترے عاشقوں کے سر آئی
فراق گورکھپوری
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GAZA! 🇵🇸 Almost everybody on the planet has heard of this word, though. Why not, too? The most shocking thing about this brutal genocide against the world's most oppressed people is how they justify this senseless slaughter of women and children. They are having difficulty obtaining necessities like food and water, and guess what? The Jews, who were given sanctuary by the Palestinians, are subjected to this persecution in a Muslim-majority nation. Ahhh, the unsettling pictures of kids and the reports of adolescent girls and women being sexually assaulted. And here I am, writing this blog and doing absolutely nothing.
Perhaps the most severe sensation I have is that after we all pass away, questions regarding our roles in the tyranny will be raised. not one thing has changed in our ordinary lives; yet, some people are boycotting companies that promote Israel, raising the question of why these companies even exist. As you can see, they are so consumed with their success and wealth that they don't even consider humanity or our fundamental morality. What's worse is that we have no empathy whatsoever for Palestinians. Yes, even you! heard me correctly! because it has no effect on your day-to-day existence. We are having a pleasant time while dining in restaurants. Nothing in how we live every day has altered. And since we as human beings fell short to act and speak up for them, we are the individuals who are most accountable for this holocaust. We will pay a price for this.The Qur'an indicates that Almighty is aware of everything.
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غزہ! سیارے پر تقریباً ہر شخص نے اس لفظ کے بارے میں سنا ہے۔ کیوں نہیں، بھی؟ دنیا کے مظلوم ترین انسانوں کے خلاف اس وحشیانہ نسل کشی کے بارے میں سب سے افسوسناک بات یہ ہے کہ وہ عورتوں اور بچوں کے اس بے ہودہ قتل کو کس طرح جائز قرار دیتے ہیں۔ انہیں خوراک اور پانی جیسی ضروریات کے حصول میں دشواری کا سامنا ہے، اور اندازہ لگائیں کہ کیا؟ یہودی، جنہیں فلسطینیوں نے پناہ دی تھی، مسلم اکثریتی قوم میں اس ظلم و ستم کا نشانہ بنتے ہیں۔ آہ، بچوں کی پریشان کن تصاویر اور نوعمر لڑکیوں اور خواتین کے ساتھ جنسی زیادتی کی اطلاعات۔ اور میں یہاں ہوں، یہ بلاگ لکھ رہا ہوں اور کچھ بھی نہیں کر رہا ہوں۔ شاید مجھے سب سے شدید احساس یہ ہے کہ ہم سب کے گزر جانے کے بعد، ظلم میں ہمارے کردار کے بارے میں سوالات اٹھیں گے۔ ہماری عام زندگیوں میں ایک چیز بھی نہیں بدلی۔ پھر بھی، کچھ لوگ اسرائیل کو فروغ دینے والی کمپنیوں کا بائیکاٹ کر رہے ہیں، یہ سوال اٹھا رہے ہیں کہ یہ کمپنیاں کیوں موجود ہیں۔ جیسا کہ آپ دیکھ سکتے ہیں، وہ اپنی کامیابی اور دولت کے ساتھ اس قدر ہڑپ کر جاتے ہیں کہ وہ انسانیت یا ہماری بنیادی اخلاقیات کا خیال تک نہیں رکھتے۔ سب سے بری بات یہ ہے کہ ہمیں فلسطینیوں کے لیے کوئی ہمدردی نہیں ہے۔ ہاں، تم بھی! مجھے صحیح سنا! کیونکہ اس کا آپ کے روزمرہ کے وجود پر کوئی اثر نہیں پڑتا۔ ریستوراں میں کھانے کے دوران ہم خوشگوار وقت گزار رہے ہیں۔ ہم جس طرح سے ہر روز رہتے ہیں اس میں کچھ بھی نہیں بدلا ہے۔ اور چونکہ ہم بحیثیت انسان ان کے لیے کام کرنے اور بولنے میں کوتاہی کرتے ہیں، اس لیے ہم وہ افراد ہیں جو اس ہولوکاسٹ کے لیے سب سے زیادہ جوابدہ ہیں۔ ہم اس کی قیمت ادا کریں گے۔ قرآن بتاتا ہے کہ اللہ تعالیٰ ہر چیز سے باخبر ہے۔
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गाझा! ग्रहावरील जवळजवळ प्रत्येकाने हा शब्द ऐकला आहे. का नाही, पण? जगातील सर्वात अत्याचारित लोकांवरील या क्रूर नरसंहाराची सर्वात धक्कादायक गोष्ट म्हणजे ते स्त्रिया आणि मुलांच्या या मूर्खपणाच्या कत्तलीचे समर्थन कसे करतात. त्यांना अन्न आणि पाणी यासारख्या गरजा मिळवण्यात अडचण येत आहे आणि अंदाज लावा काय? ज्यू, ज्यांना पॅलेस्टिनींनी अभयारण्य दिले होते, मुस्लिमबहुल राष्ट्रात हा छळ केला जातो. अहो, लहान मुलांची अस्वस्थ करणारी छायाचित्रे आणि किशोरवयीन मुली आणि स्त्रियांवर लैंगिक अत्याचार झाल्याच्या बातम्या. आणि मी इथे आहे, हा ब्लॉग लिहित आहे आणि काहीही करत नाही.
कदाचित मला सर्वात तीव्र खळबळ अशी आहे की आपण सर्वांचे निधन झाल्यानंतर, जुलमी शासनातील आपल्या भूमिकेबद्दल प्रश्न उपस्थित केले जातील. आपल्या सामान्य जीवनात एकही गोष्ट बदललेली नाही; तरीही, काही लोक इस्रायलला प्रोत्साहन देणाऱ्या कंपन्यांवर बहिष्कार टाकत आहेत आणि या कंपन्या अस्तित्वात का आहेत असा प्रश्न उपस्थित करत आहेत. तुम्ही बघू शकता, ते त्यांच्या यशाचा आणि संपत्तीचा इतका उपभोग घेतात की ते मानवतेचा किंवा आपल्या मूलभूत नैतिकतेचाही विचार करत नाहीत. सर्वात वाईट म्हणजे पॅलेस्टिनी लोकांबद्दल आम्हाला सहानुभूती नाही. होय, अगदी तुम्हीही! मला बरोबर ऐकले! कारण त्याचा तुमच्या दैनंदिन अस्तित्वावर कोणताही परिणाम होत नाही. रेस्टॉरंटमध्ये जेवताना आम्ही आनंददायी वेळ घालवत आहोत. आपण दररोज कसे जगतो यातील काहीही बदललेले नाही. आणि त्यांच्यासाठी कृती करण्यात आणि बोलण्यात आम्ही मानव म्हणून कमी पडलो असल्याने, या सर्वनाशासाठी आम्ही सर्वात जबाबदार व्यक्ती आहोत. आम्ही याची किंमत मोजू. कुराण सूचित करते की सर्वशक्तिमान सर्व गोष्टींबद्दल जागरूक आहे.
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غزة! ومع ذلك، فقد سمع الجميع تقريبًا على هذا الكوكب بهذه الكلمة. لماذا لا أيضا؟ إن الشيء الأكثر إثارة للصدمة في هذه الإبادة الجماعية الوحشية ضد الشعوب الأكثر اضطهادا في العالم هو كيف يبررون هذه المذبحة التي لا معنى لها للنساء والأطفال. إنهم يواجهون صعوبة في الحصول على الضروريات مثل الطعام والماء، وخمنوا ماذا؟ ويتعرض اليهود، الذين منحهم الفلسطينيون الملاذ، لهذا الاضطهاد في دولة ذات أغلبية مسلمة. آه، الصور المزعجة للأطفال والتقارير عن تعرض الفتيات والنساء المراهقات للاعتداء الجنسي. وها أنا أكتب هذه المدونة ولا أفعل شيئًا على الإطلاق.
ولعل أشد ما ينتابني هو أنه بعد وفاتنا جميعا ستُطرح أسئلة حول دورنا في الاستبداد. لم يتغير شيء واحد في حياتنا العادية؛ ومع ذلك، يقاطع بعض الناس الشركات التي تروج لإسرائيل، مما يثير التساؤل عن سبب وجود هذه الشركات. وكما ترون، فإنهم منشغلون جدًا بنجاحهم وثرواتهم لدرجة أنهم لا يفكرون حتى في الإنسانية أو أخلاقنا الأساسية. والأسوأ من ذلك هو أنه ليس لدينا أي تعاطف على الإطلاق مع الفلسطينيين. نعم، حتى أنت! سمعتني بشكل صحيح! لأنه ليس له أي تأثير على وجودك اليومي. نحن نقضي وقتًا ممتعًا أثناء تناول الطعام في المطاعم. لم يتغير شيء في الطريقة التي نعيش بها كل يوم. وبما أننا كبشر فشلنا في التحرك والتحدث نيابة عنهم، فإننا الأفراد الأكثر مسؤولية عن هذه المحرقة. وسندفع ثمن ذلك. ويشير القرآن إلى أن الله تعالى يعلم كل شيء.
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गाजा! हालाँकि, ग्रह पर लगभग हर किसी ने इस शब्द के बारे में सुना है। भी क्यों नहीं? दुनिया के सबसे उत्पीड़ित लोगों के खिलाफ इस क्रूर नरसंहार के बारे में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि वे महिलाओं और बच्चों के इस संवेदनहीन वध को कैसे उचित ठहराते हैं। उन्हें भोजन और पानी जैसी ज़रूरतें प्राप्त करने में कठिनाई हो रही है, और सोचिए क्या? जिन यहूदियों को फ़िलिस्तीनियों ने शरण दी थी, उन्हें मुस्लिम-बहुल राष्ट्र में इस उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है। आह, बच्चों की परेशान करने वाली तस्वीरें और किशोर लड़कियों और महिलाओं के यौन उत्पीड़न की खबरें। और मैं यहाँ हूँ, यह ब्लॉग लिख रहा हूँ और बिल्कुल कुछ नहीं कर रहा हूँ।
शायद मेरी सबसे गंभीर अनुभूति यह है कि हम सभी के निधन के बाद, अत्याचार में हमारी भूमिकाओं के बारे में सवाल उठाए जाएंगे। हमारे सामान्य जीवन में एक भी चीज़ नहीं बदली है; फिर भी, कुछ लोग इज़राइल को बढ़ावा देने वाली कंपनियों का बहिष्कार कर रहे हैं, जिससे यह सवाल उठता है कि ये कंपनियाँ अस्तित्व में क्यों हैं। जैसा कि आप देख सकते हैं, वे अपनी सफलता और धन से इतने लीन हैं कि वे मानवता या हमारी मौलिक नैतिकता पर भी विचार नहीं करते हैं। इससे भी बुरी बात यह है कि फ़िलिस्तीनियों के प्रति हमारी कोई सहानुभूति नहीं है। हाँ, आप भी! मुझे सही सुना! क्योंकि इसका आपके दैनिक अस्तित्व पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। रेस्तरां में भोजन करते समय हम सुखद समय बिता रहे हैं। हम हर दिन कैसे जीते हैं, इसमें कोई बदलाव नहीं आया है। और चूँकि हम मनुष्य के रूप में उनके लिए कार्य करने और बोलने में विफल रहे, हम ही वे व्यक्ति हैं जो इस विनाश के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार हैं। हम इसके लिए कीमत चुकाएंगे। कुरान इंगित करता है कि सर्वशक्तिमान को हर चीज की जानकारी है।
#gaza genocide#palestine#free gaza#free palestine#book quotes#islamic#muslims#illustration#urduposts#urduadab#marathi#english#arabic#hindi#news
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Can I tell you something useful?
”دنیا میں کوٸی بھی شخص مضبوط نہیں۔۔یہ سب بھرم ہیں۔ جو تمہیں حوصلہ دے رہا ہے وہ کسی اور سے لے رہا ہے۔ تم بھی کسی کے لیے پہاڑ کی طرح کھڑے ہو مگر اپنے اندر میں ڈھے چکے ہو۔ ہر انسان اندر سے ڈھے چکا ہے۔۔بس خدا نے سب کا بھرم رکھا ہوا ہے۔ اگر تم کسی کا کاندھا تلاش کرتے ہو تو تمہیں بھی کسی کو کاندھا دینا ہوگا۔ یہی انسانیت ہے۔“
"No one in the world is strong.. It's all illusions. Whatever is encouraging you is taking it from someone else. You too stand like a mountain for someone, but inside you you are drowned. Every human being has fallen from within.. Only God has done everything. The illusion of. If you look for someone's shoulder, you have to shoulder someone. This is humanity.
Excerpt from scattered thoughts
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ترجمه فارسی مقالهٔ (سال ۲۰۱۶) در مورد انگیزه و تلاشم برای نوشتن و انتشار کتاب فراملی کودک در صنعت نشر کودک آمریکا.
این مقاله قبل از انتشار اولین کتاب در سری کتابهای کودک متنوع و مترقی انتشاراتم به زبان انگلیسی در شهر نیویورک نوشته و چاپ شد. جمعآوری بودجه برای چاپ اولین کتاب حدود یک سال و فقط از طریق حمایت معنوی و تشویق بزرگان فلسطینی-آمریکایی مترقی و پیش خرید صدها خانواده و شهروند مهیا شد.
Persian translation of a 2016 English Op-Ed I wrote for Mondoweiss prior to the publication and launch of Dr. Bashi™️ first diverse social justice children’s book, namely “P is For Palestine: A Palestine Alphabet Book.”
داستان فلسطین به طور کلی داستان انسانیت ماست. داستان تمام آدم ها و تمام ملت هایی که در طول تاریخ به دنبال افتخار به وطنشان بوده اند.
در 22 سپتامبر 1980 با حمله صدام به اهواز در نزدیکی مرز ایران و عراق من شاهد از دست دادن خانه مان بودم. در آن زمان من 6 ساله بودم. شانسی که ما آوردیم این بود که توانستیم در زادگاه مادرم شیراز ساکن شویم و برای مدت کوتاهی در امان باشیم تا زمانی که بمباران هوایی شیراز و سایر شهرهای دور از مرز عراق هم آغاز شد. چند سال بعد از شروع جنگ خانواده ام به سوئد پناهنده شدند. در سوئد من کودکانی را از مناطق جنگی ملاقات کردم و داستان زندگیشان را شنیدم. مصائب پناهندگان فلسطینی در این میان احساسات عمیقی را در من برانگیخت.
در کمپ پناهندگان سوئد که محل اسکان موقت ما بود، هر کسی به جز فلسطینی ها ملیت شناخته شده و سرزمینی بر روی نقشه سیاسی جهان داشت. رنج های خانواده های فلسطینی شامل چند نسل می شد؛ از پدربزرگ هایی که در روز نکبت کشته شده بودند یا از آن جان سالم بدر برده بودند تا پدر و مادرها و کودکانی که در کمپ های پناهندگان به دنیا آمده بودند.
در ان زمان ما به جز معدود عکس های خانوادگی و حرف های خودمان، چیز قابل توجهی برای نشان دادن به یکدیگر یا همسایگان و هم کلاسی های جدید سوئدی مان که نسبت به فرهنگ و تاریخ ما بی اطلاع بودند نداشتیم یا در کتابخانه های محلی نمی توانستیم پیدا کنیم.
در آن روزها، کتاب یا فیلم هایی که سرزمین و فرهنگ ما را بشناساند وجود نداشت. من سال های مدرسه را به دفاع از وطنم ایران در برابر کتاب بتی محمودی (نه بدون خواهرم) و تبلیغات پیوسته رسانه های نژادپرست علیه اکثر جوامع مسلمان گذراندم.
اکنون بعد از گذشت سه دهه شرایط تغییر کرده است. با وجود اینکه جهان اوضاع بسیار نابه سامان تری را تجربه می کند اما فرصت ها برای یادگیری بیشتر و تشکیل گروه های مردمی برای انجام کارهای خوب افزایش یافته است. این شرایط برای من به معنای ترکیب تحقیقات دانشگاهیم در زمینه نژاد، جنسیت، حقوق بشر و تاریخ با فعالیت اجتماعی و علاقه ام به هنرهای بصری و ارتباط و یادگیری و تبادل ایده ها با دانشگاهیان، هنرمندان و فعالان اجتماعی همفکر از طریق رسانه های جمعی است.
بدین ترتیب، به مدد عصر دیجیتال و همکاری کوروش بیگ پور، تایپوگرافیست شناخته شده استارتاپ اجتماعی دکتر باشی را راه اندازی کردم تا از این طریق وسایل کمک آموزشی استاندارد به زبان فارسی و عربی را که کمبود آن احساس می شود برای کودکان ارائه نمایم.
شبکه اجتماعی فیس بوک نیز خانم گلرخ نفیسی هنرمندی با دغدغه های اجتماعی را به گروه من ملحق کرد و در حال حاضر در حال تالیف کتابهای مصور در حوزه ادبیات کودکان هستیم و این فعالیت ها را برای کودکانی انجام می دهیم که سرنوشتی مشابه ما دارند از جمله کودکان پناهنده سوری در المان یا سوئد یا کودکان پناهنده یمنی که در شهر نیویورک ملاقات کردم.
بر همین اساس بود که کتاب "ف مثل فلسطین" در دست انتشار قرار گرفت. این کتاب برای کودکان فلسطینی است که می خواهند برای دوستانشان حرفی برای گفتن داشته باشند.
ریشه کتاب های الفبا به چند قرن قبل باز می گردد. در حال حاضر کتاب های الفبایی بی شماری در باره بسیاری از کشورها و فرهنگ ها در دنیا وجود دارد که به کودکان در شناخت ملت ها و فرهنگ های دیگر کمک می کند، از جمله الف مثل آمریکا، ب مثل برزیل، ک مثل کانادا. با این وجود، چنین کتابی برای فلسطین به زبان انگلیسی تا به حال وجود نداشته است."
"هرکسی که در فلسطین بوده است یا دوستان، هم کلاسی ها و همسایگان فلسطینی دارد، می داند که این ملت پر افتخار اهل مدیترانه در مرکز توجه دنیای ماست. فلسطین سرزمین شیرین ترین پرتقال ها، پیچیده ترین سوزن دوزی ها، رقص های باشکوه (دبکه)، باغهای حاصلخیز زیتون و شادترین مردمان است. با الهام از پیشینه غنی مردم فلسطین در زمینه ادبیات و هنرهای بصری یک نویسنده دانشگاهی در زمینه ادبیات کودکان و یک تصویرگر با دغدغه های اجتماعی دست به دست هم داده اند تا کتاب "ف مثل فلسطین" را به زبان انگلیسی تالیف و در آن داستان فلسطین را به سادگی حروف الفبا به شیوه ای آموزشی، شاد و آگاهی بخش تعریف کنند تا از این طریق گوشه ای از زیبایی و قدرت فرهنگ فلسطین را نمایش دهند:
ع مثل عربی، زبان من، زبانی که چهارمین زبان ترانه دنیاست!
ب مثل بیت لحم، محل تولدم با بهترین باقلواها، که باید آنرا در بشقاب گذاشت نه در کوزه!"
Original English Op-Ed is Available here:
#PIsForPalestine#crowdfunded#labor of love#publishing#diverse children's books#Persian translation#فارسی#گلبرگ باشی
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دوستت دارم
به اندازه تمام نیستی ام
هستی هایم را مدتهاست به پای عشقمان سوزاندم
دوستت دارم
زیباترین صفت انسانیت
توبودی و هستی تا جهان رنگی تازه از جنس نور به خود ببیند
دوستت دارم
ای روشن تر از نور✨
#مریم_خدادادی
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حرف حساب خیلی چیز خوبیه 🥂 #زندگی #زمان #قانون #انسانیت #کائنات #عشق #خسته #جملات_ناب #دیالوگ_ماندگار #اکسپلور #reels https://www.instagram.com/p/CnjhCmNj5bq/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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پابندیاں یا قوانین
تحریر:سہیل وڑائچ۔۔۔۔۔۔بشکریہ:روزنامہ جنگ تاریخ کا سبق یہ ہے کہ پابندیاں ترقی کو روکتی ہیں جبکہ قانون ،آزادی اور برداشت ترقی کو جنم دیتے ہیں۔ مشرق و مغرب ماضی میں نئی سوچ، سائنس اور ٹیکنالوجی پر پابندیاں لگاتے رہے جس سے انسانیت کی ترقی رکی رہی۔ تحمل، برداشت، قوانین اور آزادی کا دور شروع ہوا تو سائنس اور ٹیکنالوجی کو فروغ ملا آج کی جدید دنیا کی تشکیل ممکن ہوئی۔ تضادستان میں وی پی این کو اسلامی…
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𝑨𝒍𝒍𝒂𝒉 𝒌 𝑵𝒂𝒂𝒎 𝒔𝒆, 𝑨𝒍𝒍𝒂𝒉 𝒌 𝑾𝒂𝒔'𝒕𝒆.
🌹🌹 𝗗𝗢𝗡’𝗧 𝗔𝗦𝗞 𝗔𝗡𝗬𝗢𝗡𝗘:
♦️"𝘼 𝙟𝙤𝙪𝙧𝙣𝙚𝙮 𝙩𝙤𝙬𝙖𝙧𝙙𝙨 𝙚𝙭𝙘𝙚𝙡𝙡𝙚𝙣𝙘𝙚".♦️
✨ 𝗦𝗲𝘁 𝘆𝗼𝘂𝗿 𝘀𝘁𝗮𝗻𝗱𝗮𝗿𝗱 𝗶𝗻 𝘁𝗵𝗲 𝗿𝗲𝗮𝗹𝗺 𝗼𝗳
𝗹𝗼𝘃𝗲 ❗
*(اپنا مقام پیدا کر...)*
؏ *تم جو نہ اٹھے تو کروٹ نہ لے گی سحر.....*
🔹𝟭𝟬𝟬 𝗣𝗥𝗜𝗡𝗖𝗜𝗣𝗟𝗘𝗦 𝗙𝗢𝗥
𝗣𝗨𝗥𝗣𝗢𝗦𝗘𝗙𝗨𝗟 𝗟𝗜𝗩𝗜𝗡𝗚. 🔹
(ENGLISH/اردو/हिंदी)
8️⃣1️⃣ 𝗢𝗙 1️⃣0️⃣0️⃣
💠 𝗗𝗢𝗡’𝗧 𝗔𝗦𝗞 𝗔𝗡𝗬𝗢𝗡𝗘:
𝗜𝘁 𝗶𝘀 𝗿𝗲𝗰𝗼𝗿𝗱𝗲𝗱 𝗶𝗻 𝗮 𝘁𝗿𝗮𝗱𝗶𝘁𝗶𝗼𝗻 𝗼𝗳 𝘁𝗵𝗲 𝗣𝗿𝗼𝗽𝗵𝗲𝘁 𝗼𝗳 𝗜𝘀𝗹𝗮𝗺 𝘁𝗵𝗮𝘁 𝗼𝗻𝗲 𝘀𝗵𝗼𝘂𝗹𝗱 𝗻𝗼𝘁 𝗮𝘀𝗸 𝗮𝗻𝘆𝘁𝗵𝗶𝗻𝗴 𝗳𝗿𝗼𝗺 𝗮𝗻𝘆𝗼𝗻𝗲 𝗯𝗲𝗰𝗮𝘂𝘀𝗲 𝘁𝗵𝗲 𝘂𝗽𝗽𝗲𝗿 𝗵𝗮𝗻𝗱 𝗶𝘀 𝗯𝗲𝘁𝘁𝗲𝗿 𝘁𝗵𝗮𝗻 𝘁𝗵𝗲 𝗹𝗼𝘄𝗲𝗿 𝗵𝗮𝗻𝗱.
(Sahih al-Bukhari, Hadith No. 1429)
● This teaching pertains to a higher humanity.
● It is the essence of higher humanity that man should be self-reliant and not ask for anything from others.
● Asking for things is not a simple matter; it is a sign of moral decay.
● The man who asks of others is as if he wants to live on easy sustenance.
● Such a man will have to pay the price for his habit of asking others for fulfilling his needs.
● And that is why he will not be able to develop his potential.
● His hidden powers will remain suppressed in him, and the spirit of hard work will cool down in him.
● He will suffer from a weakness called ease.
● The right way to live is to trust oneself and be accustomed to hard work.
● One should try to stand on his own feet.
● One should be the giver, not a receiver.
🌹🌹And Our ( Apni ) Journey Continues...
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؏ منزل سے آگے بڑھ کر منزل تلاش کر
مل جائے تجھکو دریا تو سمندر تلاش کر
1️⃣8️⃣ کسی سے مت مانگو:
پیغمبر اسلامﷺ کی ایک روایت میں ہے کہ کسی سے کچھ نہ مانگو کیونکہ اوپر والا ہاتھ نیچے والے ہاتھ سے بہتر ہے۔
(صحیح البخاری، حدیث نمبر 1429)
● اس تعلیم کا تعلق اعلیٰ انسانیت سے ہے۔
● یہ اعلیٰ انسانیت کا جوہر ہے کہ انسان خود پر انحصار کرے اور دوسروں سے کچھ نہ مانگے۔
● چیزیں مانگنا کوئی معمولی بات نہیں ہے۔ یہ اخلاقی زوال کی علامت ہے۔
● جو آدمی دوسروں سے مانگتا ہے گویا وہ آسان رزق پر زندگی گزارنا چاہتا ہے۔
● ایسے آدمی کو اپنی ضرورت پوری کرنے کے لیے دوسروں سے مانگنے کی عادت کی قیمت چکانی پڑے گی۔
● اور یہی وجہ ہے کہ وہ اپنی صلاحیت پیدا نہیں کر سکے گا۔
● اس کی پوشیدہ قوتیں اس میں دبی رہیں گی اور اس میں محنت کا جذبہ ٹھنڈا ہو جائے گا۔
● وہ ایک کمزوری میں مبتلا ہو گا جسے آسانی کہا جاتا ہے۔
● جینے کا صحیح طریقہ یہ ہے کہ خود پر بھروسہ کیا جائے اور محنت کا عادی ہو جائے۔
● اپنے پاؤں پر کھڑا ہونے کی کوشش کرنی چاہیے۔
● دینے والا ہونا چاہیے لینے والا نہیں۔
🌹🌹اور ہمارا سفر جاری ہے...
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8️⃣1️⃣ किसी से मत मांगू:
पैगम्बरे इस्लामﷺ की एक परम्परा में वर्णित है कि किसी से कुछ नहीं मांगना चाहिए, क्योंकि ऊपर वाला हाथ नीचे वाले हाथ से बेहतर है।
(साहिह अल-बुखारी, हदीस नंबर 1429)
● यह शिक्षा उच्चतर मानवता से संबंधित है।
● उच्चतर मानवता का सार यही है कि मनुष्य आत्मनिर्भर हो और दूसरों से कुछ न मांगे।
● चीज़ें माँगना कोई आसान बात नहीं है; यह नैतिक पतन का संकेत है।
● जो आदमी दूसरों से मांगता है, वह ऐसा है मानो वह आसान जीविका पर जीना चाहता है।
● ऐसे व्यक्ति को अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए दूसरों से मांगने की आदत की कीमत चुकानी पड़ेगी।
● और इसी कारण वह अपनी क्षमता का विकास नहीं कर पाएगा।
● उसकी छिपी हुई शक्तियां उसमें दबी रहेंगी और उसमें मेहनत की भावना ठंडी पड़ जाएगी।
● वह सहजता नामक कमजोरी से ग्रस्त होगा।
● जीने का सही तरीका है खुद पर भरोसा रखना और कड़ी मेहनत करने की आदत डालना।
● व्यक्ति को अपने पैरों पर खड़ा होने का प्रयास करना चाहिए।
● हमें देने वाला बनना चाहिए, लेने वाला नहीं।
🌹🌹और हमारा सफर जारी है...
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RESIST
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ـ . . . ادامه از پست قبلی . . . ـ
ـ10ـ فرمان ده
مقاومت و مبارزه
ـ if
فرمان ده اجرا نشد
ـ goto
تماشاگران ناب و خالصِ صد در صدی ، در سه گروه بدون مرزِ در رفتو آمد ، تولید میشوند که هرگز قدمی فرا تر از تماشاچی بودن بر نخواهند داشت
چون جوهره ی شجاعت و عاطفه در آنها بنا به آنچکه در پست قبلی گفتم عقیم شده است
ـ.ـ.ـ.ـ.ـ.ـ.ـ.ـ.ـ.ـ.ـ.ـ.ـ.ـ.ـ.ـ.ـ.ـ
آن سه دسته چنیناند
تماشاگران بَدوی
آنها فقط نظاره گرند بی هیچ رد و بدل اطلاعاتی
گویا از نگریستن ، پردازشگر آنها نمیتواند ساده ترین اطلاعات را هم الک کند
تماشاگران پژوهشگر
آنها با تماشا کردن به ثبت و ضبط و یادگرفتن میپردازند
گویا از نگریستن فقط همین رسالت را برای خود کافی میدانند
تماشاگران مربی
آنها خارج از گود به تشویق و توبیخ اقدام میکنند
گویا از نگریستن رفع عطش خود را در میدان شبیه سازی میکنند
ـ.ـ.ـ.ـ.ـ.ـ.ـ.ـ.ـ.ـ.ـ.ـ.ـ.ـ.ـ.ـ.ـ.ـ
البته که هنوز تماشاگر ناب و خالصِ صددرصدی تولید نشده
اما این تولید ، یک ایده آل کهن است برای مثلت کلونی ایی که قبلا گفتم
Scientists
Politicians
Commanders
که تا قبل از دستکاری بنیادی منبع کُد ، این گردانندگان به روش های مختلف دیگر سعی در فقط تماشاچی کردن مردمان یک مکان خواهند کرد
.
این سعی به چند روش در بسیاری از جاها اکنون جواب داده
از دیکتاتوری های تماشاچی پرور تا ایدئولوژی ها و مذاهب تماشاچی پرور تا حتی امروزه دموکراسی های تماشاچی پرور
.
برای گردانندگان همه چی در قامت سکوهای تماشاگری مجاز است اما میدانی آن غیر مجاز
در غالب یک تماشاگر مبارزه کن ، اعتراض کن ، مطالبه گر باش ، رایت را در صندوق بیانداز و و و
اما وارد میدان برای تغییر این روند نشو
حتی رهبران شعار "تغییر"شان بر همان پایه است
شاید برایتان جالب باشد
امروزه ما حتی کشورهایی با حکومت های تماشاچی داریم
سازمان های بینالملیِ تماشاگر(ناظر) با بیانیه های فراوان داریم
و و و
ـ.ـ.ـ.ـ.ـ.ـ.ـ.ـ.ـ.ـ.ـ.ـ.ـ.ـ.ـ.ـ.ـ.ـ
اگر سریال فرینج را دیده باشید
متوجه شدهاید آن دشمن خطرناک که میتواند هویت انسانی را منقرض کند آن جنبه ی تماشاچی بودن بشر است که "سرطانی" شده
خطری که بشریت را تهدید میکند نه از فضا خواهد آمد نه از دل ماشین هایی با هوش مصنوعی
The Terminator & Star Wars
جنگ ستارگان �� ترمیناتور ها اگر هم خطر باشند یک خطر ثانویه هستند
خطر نابودی در اصل تماشاگر بودن در مقابل هر هشدار خطر یست
این ابتدایی ترین درس طبیعت است که در بدن موجوده زنده به صورت آلارم درد خودش را نشان میدهد
عدم پیگیری هر هشداری و به تماشا نشستن ، میتواند علت را بدخیم کند
.
انسانها باید دست از تماشاگر بودنِ "صِرف" در هر کجای دنیا بر دارند وگرنه روزی میرسد که تماشاچی بودن جنبه ی غالب بشریت میشود و رهایی ازین اسارت بسی سخت
.
بحث اول خطر انقراض انسانیت است
که در پی آن فروپاشی ها و سقوط های بعدی یکی پس از دیگری رخ خواهد داد
حتی نابودی کل حیات زمینی
ارتباطات بین گونه های زنده جوری است که یک قاره و کشور و شهر و صنف و گروه و دسته و جنس و سن نمیتواند خود را مصون بداند
دیر یا زود مصیبت "دیگران تماشاچی و او گرفتار" جلوی پای آنان که خود را در امان میبیند ظاهر میشود
پس قبل آنکه دیر شود باید کمک کرد آنهم با تماشاچی نبودن آنچانکه وسعت نفعاش حتی به محیط زیست و حیوانها هم برسد
میشود حداقل سعی کرد تماشاگر نبود
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هنر در حالت های مختلفی این خطر بنیادی (تماشاگر بودن)را تشریح کرده است از نقاشیها تا داستانها ، از فیلم ها تا ترانه ها
در بالا ترانه ای گذاشتم از
اردلان سرفراز با صدای داریوش و آهنگ و تنظیم منوچهر چشمآذر به نام
سال دوهزار
که منظور رسیدنِ هزاره سوم میلادی برای بشریت است و تشریح این هزاره که ازین منظر چگونه خواهد بود
هرچند پایان خوشی مثل سریال فرینج در این ترانه گنجانده نشده اما یکی از بسیار آلارم های هشداری بود ، که این یکی در سال1978نواختهو خوانده شد
تا شاید تلنگری بشود برای انحراف جهت دومینو ی سقوط
END
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پاکستان اٹامک انرجی کمیشن دنیا میں کلین انرجی کیلئے تحقیقاتی معاونت فراہم کریگا
(اویس کیانی)دنیا میں کلین انرجی کیلئے انٹرنیشنل اٹامک انرجی ایجنسی کی مشترکہ کوششیں،پاکستان اٹامک انرجی کمیشن بھی کلین انرجی میں تحقیقاتی معاونت فراہم کرے گا۔ اعلامیہ کے مطابق چیئرمین پی اے ای سی ڈاکٹر راجا علی رضا انور نے فیوژن انرجی گروپ اجلاس میں شرکت کی،اجلاس میں پاکستان کا کلین انرجی سے متعلق بیان پیش کیا گیا،راجا علی رضا انور نے کہاکہ پاکستان انسانیت کو کاربن سے پاک توانائی کے ذرائع کی…
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کھلا ہے جھوٹ کا بازار ، آؤ سچ بولیں
نہ ہو بلا سے خریدار ، آؤ سچ بولیں
سکوت چھایا ہے انسانیت کی قدروں پر
یہی ہے موقع اظہار ، آؤ سچ بولیں
ہمیں گواہ بنایا ہے وقت نے اپنا
بنامِ عظمت ِکردار ، آؤ سچ بولیں
سنا ہے وقت کا حاکم بڑا ہی مُنصف ہے
پکار کر سرِ بازار، آؤ سچ بولیں
تمام شہر میں کیا ایک بھی نہیں منصور
کہیں گے کیا رسن و دار ، آؤ سچ بولیں
بجا کہ خوئے وفا ایک بھی حسیں میں نہیں
کہاں کے ہم بھی وفادار، آو سچ بولیں
جو وصف ہم میں نہیں کیوں کریں کسی میں تلاش
اگر ضمیر ہے بیدار ، آؤ سچ بولیں
چھپائے سے کہیں چھپتے ہیں داغ چہرےکے
نظر ہے آئینہ بردار ، آؤ سچ بولیں
قتیل جن پہ سدا پتھروں کو پیار آیا
کدھر گئے وہ گنہ گار، آؤ سچ بولیں
قتیل شفائی
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زوال کی راہ میں اردو زبان
انسانیت کے آغاز سے انسان ایک دوسرے پہ منحصر ہیں۔اور اس لئے مواصلات کے لئے زبان کا استعمال ضروری ہے۔پاکستان کی قومی زبان اردو پاکستانیوں میں مواصلات کا ذریعہ ہے۔نا صرف یہ بلکہ اردوتہذیب و ثقافت کا بھی حصہ ہے۔البتہٰ مختلف حقائق اور اعدادو شمارکے مطابق اردو کی شہرت میں پچھلی کچھ دہائیوں میں نمایاں کمی دیکھنے میں آئی ہے۔اور اس کے علاوہ اب پاکستان کی صرف بیاسی (82) جامعات اردو میں ڈگری دیتی ہیں۔جو…
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