#انسانیت
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رمز واژههای دوری و تنهایی
امروز نظرم به سوی تو میپردازد، به همان نحوی که پرتوی ضعیف از آفتابی از پشت ابرها به زمین میرسد و روز را با یک حالت تیرگی و نیمروشنی پر میکند. تا زمانی که تو در اطرافیان خود بودی، دنیای من چون یک تالار نورانی به نظر میرسید که از همه جانب به توجه و لطافت تو پراکنده شده بود.
حالا، شش روز میگذرد از آن زمان که پشت سرت را به من گرفتی و به دنیایی دورافتاده سوار شدی. اما بیتردید، این شش روز مثل یک دوره طولانی از زمان به من مینماید؛ گویا سالهای بیپایانی از عزلت و تنهایی را تجربه کردهام. همچنین، فاصلهای که از تو ایجاد شده، چون تاریکیای غریب و ناشناخته در اطرافم پیچیده است و باعث میشود که هر نفسی که میکشم، با دلیلی ناآشنا همراه باشد.
بیتردید، این فاصله مرا به ایجاد تغییراتی در وجودم واداشته است. از اینکه میترسم به این فاصله عادت کنم، محکوم به اتفاقی تلخ و تراژیک است؛ آیا واقعاً من نیز چنانچه داستایوفسکی اشاره کرده، به نبود تو عادت خواهم کرد؟ آیا محکوم به بیتوجهی به نبود تو در دنیایم خواهم شد؟
گذشته از این نیز در کتاب "یادداشتهای خانه مردگان" داستایوفسکی نوشته است: "انسان موجودیست که به همه چیز عادت میکند." آیا این واقعاً درست است؟ آیا عادت ��ه فقدان تو نیز بخشی از مسیر زندگی من خواهد شد؟ آیا از تو فراتر رفته، عادت خواهم کرد؟
احساساتی که در سینهام حاکم است، نمیتوانند به اندازهای که باید باشند، توسط کلمات خالی از احساسات منتقل شوند. دلتنگیام، عشقم و دلبستگیام به تو، هر چند در دلم زندگی میکنند، اما به سختی توانستهاند در زبان بیان شوند. گرچه این نوازشها به سمت تو ارسال میشوند، اما چون امکان بهبود در واژگان نیست، آنها همچون پیامهایی بیریشه در اقیانوس بیپایان غم، گم میشوند.
از دوری تو میترسم، از تبعات آن بر روی زندگیام میترسم، اما چه طور میتوانم از این همه ترس، خودم را مصون کنم؟
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محبت اور ہمدردی زندگی کی ضروریات ہیں، آسائش نہیں۔ ان کے بغیر انسانیت زندہ نہیں رہ سکتی
"Love and compassion are necessities of life, not luxuries. Without them, humanity cannot survive
Dalai Lam
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فقط انسانیت، از تهران💛
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GAZA! 🇵🇸 Almost everybody on the planet has heard of this word, though. Why not, too? The most shocking thing about this brutal genocide against the world's most oppressed people is how they justify this senseless slaughter of women and children. They are having difficulty obtaining necessities like food and water, and guess what? The Jews, who were given sanctuary by the Palestinians, are subjected to this persecution in a Muslim-majority nation. Ahhh, the unsettling pictures of kids and the reports of adolescent girls and women being sexually assaulted. And here I am, writing this blog and doing absolutely nothing.
Perhaps the most severe sensation I have is that after we all pass away, questions regarding our roles in the tyranny will be raised. not one thing has changed in our ordinary lives; yet, some people are boycotting companies that promote Israel, raising the question of why these companies even exist. As you can see, they are so consumed with their success and wealth that they don't even consider humanity or our fundamental morality. What's worse is that we have no empathy whatsoever for Palestinians. Yes, even you! heard me correctly! because it has no effect on your day-to-day existence. We are having a pleasant time while dining in restaurants. Nothing in how we live every day has altered. And since we as human beings fell short to act and speak up for them, we are the individuals who are most accountable for this holocaust. We will pay a price for this.The Qur'an indicates that Almighty is aware of everything.
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غزہ! سیارے پر تقریباً ہر شخص نے اس لفظ کے بارے میں سنا ہے۔ کیوں نہیں، بھی؟ دنیا کے مظلوم ترین انسانوں کے خلاف اس وحشیانہ نسل کشی کے بارے میں سب سے افسوسناک بات یہ ہے کہ وہ عورتوں اور بچوں کے اس بے ہودہ قتل کو کس طرح جائز قرار دیتے ہیں۔ انہیں خوراک اور پانی جیسی ضروریات کے حصول میں دشواری کا سامنا ہے، اور اندازہ لگائیں کہ کیا؟ یہودی، جنہیں فلسطینیوں نے پناہ دی تھی، مسلم اکثریتی قوم میں اس ظلم و ستم کا نشانہ بنتے ہیں۔ آہ، بچوں کی پریشان کن تصاویر اور نوعمر لڑکیوں اور خواتین کے ساتھ جنسی زیادتی کی اطلاعات۔ اور میں یہاں ہوں، یہ بلاگ لکھ رہا ہوں اور کچھ بھی نہیں کر رہا ہوں۔ شاید مج��ے سب سے شدید احساس یہ ہے کہ ہم سب کے گزر جانے کے بعد، ظلم میں ہمارے کردار کے بارے میں سوالات اٹھیں گے۔ ہماری عام زندگیوں میں ایک چیز بھی نہیں بدلی۔ پھر بھی، کچھ لوگ اسرائیل کو فروغ دینے والی کمپنیوں کا بائیکاٹ کر رہے ہیں، یہ سوال اٹھا رہے ہیں کہ یہ کمپنیاں کیوں موجود ہیں۔ جیسا کہ آپ دیکھ سکتے ہیں، وہ اپنی کامیابی اور دولت کے ساتھ اس قدر ہڑپ کر جاتے ہیں کہ وہ انسانیت یا ہماری بنیادی اخلاقیات کا خیال تک نہیں رکھتے۔ سب سے بری بات یہ ہے کہ ہمیں فلسطینیوں کے لیے کوئی ہمدردی نہیں ہے۔ ہاں، تم بھی! مجھے صحیح سنا! کیونکہ اس کا آپ کے روزمرہ کے وجود پر کوئی اثر نہیں پڑتا۔ ریستوراں میں کھانے کے دوران ہم خوشگوار وقت گزار رہے ہیں۔ ہم جس طرح سے ہر روز رہتے ہیں اس میں کچھ بھی نہیں بدلا ہے۔ اور چونکہ ہم بحیثیت انسان ان کے لیے کام کرنے اور بولنے میں کوتاہی کرتے ہیں، اس لیے ہم وہ افراد ہیں جو اس ہولوکاسٹ کے لیے سب سے زیادہ جوابدہ ہیں۔ ہم اس کی قیمت ادا کریں گے۔ قرآن بتاتا ہے کہ اللہ تعالیٰ ہر چیز سے باخبر ہے۔
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गाझा! ग्रहावरील जवळजवळ प्रत्येकाने हा शब्द ऐकला आहे. का नाही, पण? जगातील सर्वात अत्याचारित लोकांवरील या क्रूर नरसंहाराची सर्वात धक्कादायक गोष्ट म्हणजे ते स्त्रिया आणि मुलांच्या या मूर्खपणाच्या कत्तलीचे समर्थन कसे करतात. त्यांना अन्न आणि पाणी यासारख्या गरजा मिळवण्यात अडचण येत आहे आणि अंदाज लावा काय? ज्यू, ज्यांना पॅलेस्टिनींनी अभयारण्य दिले होते, मुस्लिमबहुल ���ाष्ट्रात हा छळ केला जातो. अहो, लहान मुलांची अस्वस्थ करणारी छायाचित्रे आणि किशोरवयीन मुली आणि स्त्रियांवर लैंगिक अत्याचार झाल्याच्या बातम्या. आणि मी इथे आहे, हा ब्लॉग लिहित आहे आणि काहीही करत नाही.
कदाचित मला सर्वात तीव्र खळबळ अशी आहे की आपण सर्वांचे निधन झाल्यानंतर, जुलमी शासनातील आपल्या भूमिकेबद्दल प्रश्न उपस्थित केले जातील. आपल्या सामान्य जीवनात एकही गोष्ट बदललेली नाही; तरीही, काही लोक इस्रायलला प्रोत्साहन देणाऱ्या कंपन्यांवर बहिष्कार टाकत आहेत आणि या कंपन्या अस्तित्वात का आहेत असा प्रश्न उपस्थित करत आहेत. तुम्ही बघू शकता, ते त्यांच्या यशाचा आणि संपत्तीचा इतका उपभोग घेतात की ते मानवतेचा किंवा आपल्या मूलभूत नैतिकतेचाही विचार करत नाहीत. सर्वात वाईट म्हणजे पॅलेस्टिनी लोकांबद्दल आम्हाला सहानुभूती नाही. होय, अगदी तुम्हीही! मला बरोबर ऐकले! कारण त्याचा तुमच्या दैनंदिन अस्तित्वावर कोणताही परिणाम होत नाही. रेस्टॉरंटमध्ये जेवताना आम्ही आनंददायी वेळ घालवत आहोत. आपण दररोज कसे जगतो यातील काहीही बदललेले नाही. आणि त्यांच्यासाठी कृती करण्यात आणि बोलण्यात आम्ही मानव म्हणून कमी पडलो असल्याने, या सर्वनाशासाठी आम्ही सर्वात जबाबदार व्यक्ती आहोत. आम्ही याची किंमत मोजू. कुराण सूचित करते की सर्वशक्तिमान सर्व गोष्टींबद्दल जागरूक आहे.
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غزة! ومع ذلك، فقد سمع الجميع تقريبًا على هذا الكوكب بهذه الكلمة. لماذا لا أيضا؟ إن الشيء الأ��ثر إثارة للصدمة في هذه الإبادة الجماعية الوحشية ضد الشعوب الأكثر اضطهادا في العالم هو كيف يبررون هذه المذبحة التي لا معنى لها للنساء والأطفال. إنهم يواجهون صعوبة في الحصول على الضروريات مثل الطعام والماء، وخمنوا ماذا؟ ويتعرض اليهود، الذين منحهم الفلسطينيون الملاذ، لهذا الاضطهاد في دولة ذات أغلبية مسلمة. آه، الصور المزعجة للأطفال والتقارير عن تعرض الفتيات والنساء المراهقات للاعتداء الجنسي. وها أنا أكتب هذه المدونة ولا أفعل شيئًا على الإطلاق.
ولعل أشد ما ينتابني هو أنه بعد وفاتنا جميعا ستُطرح أسئلة حول دورنا في الاستبداد. لم يتغير شيء واحد في حياتنا العادية؛ ومع ذلك، يقاطع بعض الناس الشركات التي تروج لإسرائيل، مما يثير التساؤل عن سبب وجود هذه الشركات. وكما ترون، فإنهم منشغلون جدًا بنجاحهم وثرواتهم لدرجة أنهم لا يفكرون حتى في الإنسانية أو أخلاقنا الأساسية. والأسوأ من ذلك هو أنه ليس لدينا أي تعاطف على الإطلاق مع الفلسطينيين. نعم، حتى أنت! سمعتني بشكل صحيح! لأنه ليس له أي تأثير على وجودك اليومي. نحن نقضي وقتًا ممتعًا أثناء تناول الطعام في المطاعم. لم يتغير شيء في الطريقة التي نعيش بها كل يوم. وبما أننا كبشر فشلنا في التحرك والتحدث نيابة عنهم، فإننا الأفراد الأكثر مسؤولية عن هذه المحرقة. وسندفع ثمن ذلك. ويشير القرآن إلى أن الله تعالى يعلم كل شيء.
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गाजा! हालाँकि, ग्रह पर लगभग हर किसी ने इस शब्द के बारे में सुना है। भी क्यों नहीं? दुनिया के सबसे उत्पीड़ित लोगों के खिलाफ इस क्रूर नरसंहार के बारे में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि वे महिलाओं और बच्चों के इस संवेदनहीन वध को कैसे उचित ठहराते हैं। उन्हें भोजन और पानी जैसी ज़रूरतें प्राप्त करने में कठिनाई हो रही है, और सोचिए क्या? जिन यहूदियों को फ़िलिस्तीनियों ने शरण दी थी, उन्हें मुस्लिम-बहुल राष्ट्र में इस उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है। आह, बच्चों की परेशान करने वाली तस्वीरें और किशोर लड़कियों और महिलाओं के यौन उत्पीड़न की खबरें। और मैं यहाँ हूँ, यह ब्लॉग लिख रहा हूँ और बिल्कुल कुछ नहीं कर रहा हूँ।
शायद मेरी सबसे गंभीर अनुभूति यह है कि हम सभी के निधन के बाद, अत्याचार में हमारी भूमिकाओं के बारे में सवाल उठाए जाएंगे। हमारे सामान्य जीवन में एक भी चीज़ नहीं बदली है; फिर भी, कुछ लोग इज़राइल को बढ़ावा देने वाली कंपनियों का बहिष्कार कर रहे हैं, जिससे यह सवाल उठता है कि ये कंपनियाँ अस्तित्व में क्यों हैं। जैसा कि आप देख सकते हैं, वे अपनी सफलता और धन से इतने लीन हैं कि वे मानवता या हमारी मौलिक नैतिकता पर भी विचार नहीं करते हैं। इससे भी बुरी बात यह है कि फ़िलिस्तीनियों के प्रति हमारी कोई सहानुभूति नहीं है। हाँ, आप भी! मुझे सही सुना! क्योंकि इसका आपके दैनिक अस्तित्व पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। रेस्तरां में भोजन करते समय हम सुखद समय बिता रहे हैं। हम हर दिन कैसे जीते हैं, इसमें कोई बदलाव नहीं आया है। और चूँकि हम मनुष्य के रूप में उनके लिए कार्य करने और बोलने में विफल रहे, हम ही वे व्यक्ति हैं जो इस विनाश के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार हैं। हम इसके लिए कीमत चुकाएंगे। कुरान इंगित करता है कि सर्वशक्तिमान को हर चीज की जानकारी है।

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کہاں ہر ایک سے انسانیت کا بار اٹھا
کہ یہ بلا بھی ترے عاشقوں کے سر آئی
فراق گورکھپوری
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@alirafieiv
کریون شکارچی به کارگردانی جی. سی. چاندور یک اثرِ میانمایه از افسانه و قصه است که در فُرمِ سینما مرزهای اسطوره و افسانه را درنوردیده. فیلمِ قبلیِ چاندور «مارجین کال» را دوست داشتم چرا که ثابت میکند مولفْ قصهگویی با زبانِ سینما را بلد است و تکنیکهایی برای تعلیق و کشمکش در این مدیوم ارائه کرده که گفتمانی از کلاسیک و جریانِ سینمایی در آن گنجانده شده. مشخصاً دربارهی اثرِ مورد بحث این سوال بوجود میآید که شخصیتها تا کی میخواهند از ابزاراتِ ابرقهرمانیِ خود به نامِ انسانیت و اخلاق، علیه انسان استفاده کنند؟ من بارها به این نکته اشاره کردهام که هاوارد سوبر در «قدرت فیلم» قهرمان را دارای اخلاقِ برتر عنوان کرده نه ابزارِ برتر. این فکتِ بسیار درستی است که ما شخصیتهای مهمِ سینمایی از «سرگیجه» هیچکاک تا آراگون در «ارباب حلقهها» را با مترِ اخلاق اندازه بگیریم و جزئیاتی از وقایعِ داستانی را حولِ محور تصمیمات آنها بشماریم اما نکتهی بسیار مهمِ تفاوت اخلاق در این شخصیتها است که یادداشت و متنی دیگر را میطلبد. دربارهی «کریون شکارچی» نمیتوان با مترِ اخلاق یک ابرقهرمان را اندازه گرفت چرا که او تربیت شدهی یک شکارچیِ بزرگتر است و حتی نحوهی بازگشتش به زندگی محصولِ معجوناتی است که از خونِ شیر و روحِ خدایان ساخته شدهاند. واقعاً سینما این نیست که ما برای قهرمانی و قهرمان بیشتر داشتن یک انسانِ ماوراییِ ترکیبی از حیوان و روحی ناشناخته بسازیم و به غلط جریاناتی را ادامه دهیم که فرمایشاتی از کمیکبوکها هستند و...
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ترجمه فارسی مقالهٔ (سال ۲۰۱۶) در مورد انگیزه و تلاشم برای نوشتن و انتشار کتاب فراملی کودک در صنعت نشر کودک آمریکا.
این مقاله قبل از انتشار اولین کتاب در سری کتابهای کودک متنوع و مترقی انتشاراتم به زبان انگلیسی در شهر نیویورک نوشته و چاپ شد. جمعآوری بودجه برای چاپ اولین کتاب حدود یک سال و فقط از طریق حمایت معنوی و تشویق بزرگان فلسطینی-آمریکایی مترقی و پیش خرید صدها خانواده و شهروند مهیا شد.
Persian translation of a 2016 English Op-Ed I wrote for Mondoweiss prior to the publication and launch of Dr. Bashi™️ first diverse social justice children’s book, namely “P is For Palestine: A Palestine Alphabet Book.”
داستان فلسطین به طور کلی داستان انسانیت ماست. داستان تمام آدم ها و تمام ملت هایی که در طول تاریخ به دنبال افتخار به وطنشان بوده اند.
در 22 سپتامبر 1980 با حمله صدام به اهواز در نزدیکی مرز ایران و عراق من شاهد از دست دادن خانه مان بودم. در آن زمان من 6 ساله بودم. شانسی که ما آوردیم این بود که توانستیم در زادگاه مادرم شیراز ساکن شویم و برای مدت کوتاهی در امان باشیم تا زمانی که بمباران هوایی شیراز و سایر شهرهای دور از مرز عراق هم آغاز شد. چند سال بعد از شروع جنگ خانواده ام به سوئد پناهنده شدند. در سوئد من کودکانی را از مناطق جنگی ملاقات کردم و داستان زندگیشان را شنیدم. مصائب پناهندگان فلسطینی در این میان احساسات عمیقی را در من برانگیخت.
در کمپ پناهندگان سوئد که محل اسکان موقت ما بود، هر کسی به جز فلسطینی ها ملیت شناخته شده و سرزمینی بر روی نقشه سیاسی جهان داشت. رنج های خانواده های فلسطینی شامل چند نسل می شد؛ از پدربزرگ هایی که در روز نکبت کشته شده بودند یا از آن جان سالم بدر برده بودند تا پدر و مادرها و کودکانی که در کمپ های پناهندگان به دنیا آمده بودند.
در ان زمان ما به جز معدود عکس های خانوادگی و حرف های خودمان، چیز قابل توجهی برای نشان دادن به یکدیگر یا همسایگان و هم کلاسی های جدید سوئدی مان که نسبت به فرهنگ و تاریخ ما بی اطلاع بودند نداشتیم یا در کتابخانه های محلی نمی توانستیم پیدا کنیم.
در آن روزها، کتاب یا فیلم هایی که سرزمین و فرهنگ ما را بشناساند وجود نداشت. من سال های مدرسه را به دفاع از وطنم ایران در برابر کتاب بتی محمودی (نه بدون خواهرم) و تبلیغات پیوسته رسانه های نژادپرست علیه اکثر جوامع مسلمان گذراندم.
اکنون بعد از گذشت سه دهه شرایط تغییر کرده است. با وجود اینکه جهان اوضاع بسیار نابه سامان تری را تجربه می کند اما فرصت ها برای یادگیری بیشتر و تشکیل گروه های مردمی برای انجام کارهای خوب افزایش یافته است. این شرایط برای من به معنای ترکیب تحقیقات دانشگاهیم در زمینه نژاد، جنسیت، حقوق بشر و تاریخ با فعالیت اجتماعی و علاقه ام به هنرهای بصری و ارتباط و یادگیری و تبادل ایده ها با دانشگاهیان، هنرمندان و فعالان اجتماعی همفکر از طریق رسانه های جمعی است.
بدین ترتیب، به مدد عصر دیجیتال و همکاری کوروش بیگ پور، تایپوگرافیست شناخته شده استارتاپ اجتماعی دکتر باشی را راه اندازی کردم تا از این طریق وسایل کمک آموزشی استاندارد به زبان فارسی و عربی را که کمبود آن احساس می شود برای کودکان ارائه نمایم.
شبکه اجتماعی فیس بوک نیز خانم گلرخ نفیسی هنرمندی با دغدغه های اجتماعی را به گروه من ملحق کرد و در حال حاضر در حال تالیف کتابهای مصور در حوزه ادبیات کودکان هستیم و این فعالیت ها را برای کودکانی انجام می دهیم که سرنوشتی مشابه ما دارند از جمله کودکان پناهنده سوری در المان یا سوئد یا کودکان پناهنده یمنی که در شهر نیویورک ملاقات کردم.
بر همین اساس بود که کتاب "ف مثل فلسطین" در دست انتشار قرار گرفت. این کتاب برای کودکان فلسطینی است که می خواهند برای دوستانشان حرفی برای گفتن داشته باشند.
ریشه کتاب های الفبا به چند قرن قبل باز می گردد. در حال حاضر کتاب های الفبایی بی شماری در باره بسیاری از کشورها و فرهنگ ها در دنیا وجود دارد که به کودکان در شناخت ملت ها و فرهنگ های دیگر کمک می کند، از جمله الف مثل آمریکا، ب مثل برزیل، ک مثل کانادا. با این وجود، چ��ین کتابی برای فلسطین به زبان انگلیسی تا به حال وجود نداشته است."
"هرکسی که در فلسطین بوده است یا دوستان، هم کلاسی ها و همسایگان فلسطینی دارد، می داند که این ملت پر افتخار اهل مدیترانه در مرکز توجه دنیای ماست. فلسطین سرزمین شیرین ترین پرتقال ها، پیچیده ترین سوزن دوزی ها، رقص های باشکوه (دبکه)، باغهای حاصلخیز زیتون و شادترین مردمان است. با الهام از پیشینه غنی مردم فلسطین در زمینه ادبیات و هنرهای بصری یک نویسنده دانشگاهی در زمینه ادبیات کودکان و یک تصویرگر با دغدغه های اجتماعی دست به دست هم داده اند تا کتاب "ف مثل فلسطین" را به زبان انگلیسی تالیف و در آن داستان فلسطین را به سادگی حروف الفبا به شیوه ای آموزشی، شاد و آگاهی بخش تعریف کنند تا از این طریق گوشه ای از زیبایی و قدرت فرهنگ فلسطین را نمایش دهند:
ع مثل عربی، زبان من، زبانی که چهارمین زبان ترانه دنیاست!
ب مثل بیت لحم، محل تولدم با بهترین باقلواها، که باید آنرا در بشقاب گذاشت نه در کوزه!"
Original English Op-Ed is Available here:
#PIsForPalestine#crowdfunded#labor of love#publishing#diverse children's books#Persian translation#فارسی#گلبرگ باشی
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دوستت دارم
به اندازه تمام نیستی ام
هستی هایم را مدتهاست به پای عشقمان سوزاندم
دوستت دارم
زیباترین صفت انسانیت
توبودی و هستی تا جهان رنگی تازه از جنس نور به خود ببیند
دوستت دارم
ای روشن تر از نور✨
#مریم_خدادادی
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پاکستان اور دنیا کی تیزی سے بدلتی صورتحال**
**پاکستان اور دنیا کی تیزی سے بدلتی صورتحال**
خدارا ہوش کے ناخن لو...!
دنیا کتنی تیزی سے بدل رہی ہے اور پاکستان اور اس کے کنٹرولرز کس دنیا میں رہتے ہیں؟
دیکھ کر، سن کر افسوس ہی ہوتا ہے۔
آج بلوچستان کے حالات دیکھ لیں، پختونخوا کے حالات دیکھ لیں یا پنجاب کے... ہر طرف مایوسی ہی مایوسی ہے۔ کہیں بھی سکون اور تسلی کی کوئی خبر نہیں ملتی۔
کبھی آپ نے غور کیا کہ یہ سب کیوں ہو رہا ہے؟
مجھے ایسا لگتا ہے کہ شاید اللہ ہم سے ناراض ہے... یا پھر ایسا ہے؟
لیکن دوسری طرف اللہ کا فرمان ہے، جو علماء کرام فرماتے ہیں کہ جب اللہ کسی سے خوش ہوتا ہے تو اسے آزمائش میں ڈال دیتا ہے۔
اللہ جس سے محبت کرتا ہے اسے مشکل امتحان سے گزارتا ہے۔
اب آپ لوگوں کو اپنے اندر جھانک کر دیکھنا ہوگا کہ اللہ آپ سے محبت کرتا ہے، اسی لیے آپ سب پر یہ کڑا امتحان ہے... یا پھر اللہ ناراض ہے، اس لیے ہم سب پر یہ مشکل وقت آیا ہوا ہے؟
میں تو صرف اتنا کہہ سکتا ہوں:
**"اللہ ہے اور ہمیشہ رہنے والا ہے۔"**
ہم صرف کچھ وقت کے لیے اس دنیا میں ہیں۔ مشکل ہو یا آسانی، یہ سب ختم ہو جانے والا ہے۔
اللہ جس حال میں بھی رکھے، صبر کے ساتھ اس کا شکر ادا کرتے ہوئے اپنا کام کرتے چلے جاؤ۔ اس طرح کرتے کرتے ایک دن آپ کا وسیع اور اچھا وقت آ جائے گا۔
باقی آپ کے پیچھے آپ کی محنت کے اثرات باقی رہیں گے، جو آنے والی نسلوں کے لیے رہنمائی کا ذریعہ بنیں گے۔ یہی آپ کی اصل کامیابی ہے۔
میرے پاس صرف صبر، محنت اور علم حاصل کرنے کا راستہ ہے۔ اسی علم کی روشنی میں اسلام کی سربلندی کے لیے کام کرنا ہے۔
خالی باتوں سے کچھ نہیں بدلنے والا۔
صرف اللہ کے لیے ایک ہو جاؤ۔
تفرقوں سے باہر نکل آؤ۔
ایک مشن کے لیے اکٹھا ہو جاؤ...
اور وہ مشن ہے محنت، ایمان، اسلام اور انسانیت کی بھلائی کے لیے۔
انسانوں کی آسانی کے لیے۔
**یا اللہ! میری اس نادان خواہش کو قبولیت اور کامیابی عطا فرما۔**
آمین ثم آمین۔
**- محمد ع��فان اے صدیقی** #gbwtrade#PakistanZindabad#IsmailiCommunity#UNITYOFISLAM
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Surah Al Ankabut Benefits in Urdu
سورۃ العنکبوت کی فضیلت اور فوائد قرآن مجید اللہ تعالیٰ کی وہ عظیم کتاب ہے جو انسانیت کے لیے ہدایت اور رہنمائی کا ذریعہ ہے۔ اس میں ہر سورۃ کا اپنا ایک منفرد مقام اور فضیلت ہے۔ سورۃ العنکبوت بھی ان ہی بابرکت سورتوں میں سے ایک ہے، جو ایمان، صبر اور آزمائشوں کے حوالے سے نہایت اہم پیغام رکھتی ہے۔ سورۃ العنکبوت کا تعارف: سورۃ العنکبوت قرآن مجید کی 29ویں سورت ہے، جو مکی سورتوں میں شامل ہوتی ہے۔ اس…
#Benfiits of reading surah#Eman ki Mazbooti#Fitno se Hifazat#Holy Quran#Mushqilat se Nijat#Para Juz#Quran#quran majeed#Quran Pak#Quran Sharif#Rohani Sakoon#Surah#Surah Al Ankaboot#Surah Al Ankabut Benefits in Urdu#Surah No 29#Toheed
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جنگی اقدار و اصولوں سے تہی دست اور اخلاقی طور پر پست قابض پاکستان بلوچ گمشدہ افراد کو جعلی مقابلوں میں شہید کررہا ہے۔ ترجمان فری بلوچستان موومنٹ
https://humgaam.net/?p=101809
لندن (ہمگام نیوز) فری بلوچستان موومنٹ کے ترجمان نے قابض پاکستانی فوج کے عقوبت خانوں میں قید نہتے بلوچ اسیران کو جعلی مقابلوں میں شہید کرنے کے عمل کو جنگی جرائم قرار دیتے ہوئے کہا ہے کہ قابض پاکستان بلوچ جد و جہد آزادی کے سامنے اپنی کمزوری اور نفسیاتی شکست کو چھپانے کے لئیے اپنے عقوبت خانوں موجود اغواء شدہ بلوچ نوجوانوں کو جعلی مقابلے کے نام پر شہید کرکے اپنی بلوچ دشمن ہونے کا ثبوت دے رہا ہے۔
پاکستانی قابض فوج کا ہمیشہ سے یہ وطیرہ رہا ہے کہ جہاں وہ جنگی و عسکری میدان میں بلوچ جہدکاروں کا مقابلہ کرنے کی ہمت نہ رکھنے اور شکست کی خفت اٹھانے کے بعد پہلے سے اغواء کئے گئے بلوچ سیاسی قیدیوں کو دوران حراست شہید کرکے انکی لاشیں بیابانوں میں پھینکتا ہے جو کہ سالہا سال سے انکے ٹارچر سیلز میں مقید ہوتے ہیں اور اپنی اس مکروہ چہرے کو چھپانے کے لئیے پاکستانی فوج اپنے زرخرید میڈیا کے ذریعےجبری طور پر اٹھائے گئے ان بلوچوں کی شہادت کو دو بدو مقابلہ قرار دیتا ہے جوکہ عالمی قوانین کوپاوں تلے روندنے اور جنگی اقدار کے خلاف اقدامات کے مترادف ہیں۔
ایف بی ایم کے ترجمان نے مزید کہا کہ پاکستانی فوج بلوچ تحریک آزادی کی شدت کے سامنے بے بس ہوتے ہوئے اپنے غصے اور بدلے کی آگ کو ٹھنڈا کرنے کے لئیے بے گناہ بلوچ سیاسی قیدیوں کو عقوبت خانوں سے نکال کر جعلی مقابلے کا نام دیکر ششہید کررہا ہے تاکہ وہ اپنے فوجی کارندوں کی جذبات و اوسان کو بحال رکھ سکے۔
ترجمان نے مزید کہا کہ حالیہ کچھ عرصے سے بلوچستان بھر میں پاکستانی قابض فوج پر بلوچ سرمچاروں کے متواتر کامیاب ضربوں نے پاکستانی فوج کے مورال کو کافی گرا دیا ہے اور اس سراسیمگی میں وہ کوئی اور راہ نہ پاکر اب بلوچ اسیران اور عام نہتے عوام کو نشانہ بنا کر اپنے فوج کو حزیمت اور شرمندگی سے بچانے کی کوشش کررہی ہے۔
کوئٹہ کے مضافات شعبان کے مقام پر جن چار بلوچ نوجوانوں کی دورانِ جنگ شہادت کا دعوی پاکستانی فوج کررہی ہے ان چاروں بلوچ نوجوانوں کے بارے میں اہلخانہ اور بلوچ علاقائی ذرائع ابلاغ کے شائع کردہ رپورٹس اور اخباری بیانات اس بات کی گواہ ہیں کہ ان تمام نوجوانوں کو بلوچستان کے مختلف علاقوں سے کئی ماہ قبل پاکستانی فوج و خفیہ اداروں نے اغوا کرکے غائب کیا ہوا تھا جنہیں اب عقوبت خانوں سے نکال کرجعلی مقابلے میں شہید کردیا گیا ہے۔
یاد رہے شعبان میں ان چاروں شہدا میں سے شاہزیب ولد رحمت اللہ اور نعیم ولد نورالدین کو بالترتیب سات اور دو جنوری کو کلی خیراللہ اور خروٹ باد سے اغواء کرکے غائب کیا گیا تھا ان دونوں شہداء کا تعلق دشت کمبیلا سے ہے۔
چاروں میں سے باقی دو شہداء حافظ محمد طاہر ولد حافظ محمد اکب�� اور زبیر احمد ولد عبدالصمد کا تعلق سوراب کے علاقے گدر سے بتایا جاتا ہے ان کو بھی گزشتہ سال نومبر کے مہنیے میں قابض پاکستانی فوج اور آئی ایس آئی نے سوراب کے علاقے سے اغواء کرکے غائب کیا تھا۔
پارٹی ترجمان نے مزید کہا کہ قابض پاکستانی ریاست کے پاس نہ کوئی اخلاقی روایات کا پاس رکھنا لازمی ہے اور نہ ہی جنگی و عسکری قوانین و متعین شدہ عالمی جنگی اصولوں کی کوئی اہمیت ہے، قابض ریاست کے اس طرح کے ہھیکنڈوں سے صاف پتہ چلتا ہے کہ بلوچ قوم کا سامنا ایک نہایت ہی نیچ اور حواس باختہ دشمن سے ہے جو عالمی و انسانی سمیت تمام جنگی قوانین و اقدار سے نابلد ہے۔
بلوچ لوک داستانوں اور معقولوں میں ایک بات بہت مشہور ہے کہ “ اللہ مناں دژمنے دئے گڈا سلامتیں دژمنے دئے ” کیونکہ ایک باوقار دشمن جنگ اور جذبات کے درمیان ایک وقار اور نفی تلی رکھ رکھاؤ کے ساتھ مزاحم ہوتا ہے جو مزاحمتی و سیاسی اقدار و اخلاقیات سے نہ صرف واقف ہوتا ہے بلکہ وہ ان اقدار و روایات کا تادمِ آخر پاس رکھنے کی کوشش کرتا ہے ناکہ پاکستانی فوج کی طرح نہتے اور عام سیاسی قیدیوں کو اپنے زندانوں میں سالہا سال انسانیت سوز مظالم و اذیتیوں سے دوچار کرنے کے بعد محض حساب برابر کرنے کے لئے جعلی مقابلوں کا سہارا لے کر شہید کرتی ہے، پاکستانی قابض فوج کا رویہ اور جنگی اقدامات ایسے معلوم ہوتے ہیں جیسے کہ غنڈوں کا کوئی جھتہ اپنا بدلا لینے اور حساب برابر کرنے کے لئے کسی بھی نہتے اور بے سروسامان فرد کو شہید کرسکتا ہے۔
ایف بی ایم کے ترجمان نے مزید کہا کہ جس طرح پاکستان اجتماعی سزاؤں سمیت گمشدہ بلوچ افراد کو جعلی مقابلوں میں شہید کرنے کی اپنے عمل کو تیز کرچکا ہے اس سے یہی اشارہ ملتا ہے کہ بلوچستان کے اندر بلوچ قوم کی نسل کشی اور سیاسی قیدیوں سمیت تحریک آزادی میں شامل بلوچوں کے خاندانوں کو زیادہ سے زیادہ نقصان پہنچانے کے پالیسی میں تیزی لائی جاچکی یے تاکہ ان پر دباؤ بڑھا کر انہیں بلوچستان کی جہدِ آزادی سے دست بردار کرایا جاسکے۔
قابض پاکستان کے اس گھناونے عمل کو ناکام بنانے کے لئیے بلوچ قوم پر فرض ہے کہ وہ اپنے صفوں کے اندر بلوچ اجتماعی مفادات کی نگہبانی کی جذبے کے تحت اتحاد و اتفاق کے عمل کو تیز کریں اور گروہی و ذاتی مفادات کی سوچ کو بالائے طاق رکھتے ہوئے محض متحدہ بلوچ سرزمین اور بلوچ قومی اجتماعی مفادات کے بارے میں از سرِ نو غور فکر کریں۔
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ڈیجیٹل دور میں سائبر کرائمز بڑا مسئلہ ہیں،بلاول بھٹو
چیئرمین پیپلز پارٹی بلاول بھٹو زرداری کا کہنا ہےکہ ڈیجیٹل دور میں سائبر کرائمز بڑا مسئلہ ہیں، ٹیکنالوجی کو صرف انسانیت کی خدمت کےلیے استعمال کیا جانا چاہیے۔ مہران انجنئیرنگ یونیورسٹی جامشورو کے کانوکیشن سے خطاب کرتے ہوئے چیئرمین پیپلز پارٹی بلاول بھٹو نے کہاکہ کامیاب طلبہ کو مبارک باد دیتا ہوں، کامیاب ہونے والے طلبہ کےلیے آج خوشی کا دن ہے،مجھے آپ سب پر فخر ہے۔ بلاول بھٹونے کہاکہ ہم تیز ترین…
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کھلا ہے جھوٹ کا بازار ، آؤ سچ بولیں
نہ ہو بلا سے خریدار ، آؤ سچ بولیں
سکوت چھایا ہے انسانیت کی قدروں پر
یہی ہے موقع اظہار ، آؤ سچ بولیں
ہمیں گواہ بنایا ہے وقت نے اپنا
بنامِ عظمت ِکردار ، آؤ سچ بولیں
سنا ہے وقت کا حاکم بڑا ہی مُنصف ہے
پکار کر سرِ بازار، آؤ سچ بولیں
تمام شہر میں کیا ایک بھی نہیں منصور
کہیں گے کیا رسن و دار ، آؤ سچ بولیں
بجا کہ خوئے وفا ایک بھی حسیں میں نہیں
کہاں کے ہم بھی وفادار، آو سچ بولیں
جو وصف ہم میں نہیں کیوں کریں کسی میں تلاش
اگر ضمیر ہے بیدار ، آؤ سچ بولیں
چھپائے سے کہیں چھپتے ہیں داغ چہرےکے
نظر ہے آئینہ بردار ، آؤ سچ بولیں
قتیل جن پہ سدا پتھروں کو پیار آیا
کدھر گئے وہ گنہ گار، آؤ سچ بولیں
قتیل شفائی
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الخد مت فاؤنڈیشن

ہجومِ نالہ میں یہ ایک الخد مت فاؤنڈیشن ہے جو صلے اور ستائش سے بے نیاز بروئے کار آتی ہے۔ جماعت اسلامی سے کسی کو سو اختلاف ہوں لیکن الخدمت دیار عشق کی کوہ کنی کا نام ہے۔ پاکستان ہو یا فلسطین، زلزلہ ہو یا سیلاب آئے یہ انسانیت کے گھائل وجود کا اولین مرہم بن جاتی ہے۔ خدمت خلق کے اس مبارک سفر کے راہی اور بھی ہوں گے لیکن یہ الخدمت فاؤنڈیشن ہے جو اس ملک میں مسیحائی کا ہراول دستہ ہے۔ مبالغے سے کوفت ہوتی ہے اور کسی کا قصیدہ لکھنا ایک ایسا جرم محسوس ہوتا ہے کہ جس سے تصور سے ہی آدمی اپنی ہی نظروں میں گر جائے۔ الخدمت کا معاملہ مگر الگ ہے۔ یہ قصیدہ نہیں ہے یہ دل و مژگاں کا مقدمہ ہے جو قرض کی صورت اب بوجھ بنتا جا رہا تھا۔ کتنے مقبول گروہ یہاں پھرتے ہیں۔ وہ جنہیں دعوی ہے کہ پنجاب ہماری جاگیر ہے اور ہم نے سیاست کو شرافت کا نیا رنگ دیا ہے۔ وہ جو جذب کی سی کیفیت میں آواز لگاتے ہیں کہ بھٹو زندہ ہے اور اب راج کرے گی خلق خدا، اور وہ جنہیں یہ زعم ہے کہ برصغیر کی تاریخ میں وہ پہلے دیانتدار قائد ہیں اور اس دیانت و حسن کے اعجاز سے ان کی مقبولیت کا عالم یہ ہے کہ بلے پر دستخط کر دیں تو کوہ نور بن جائے۔
ان سب کا یہ دعوی ہے کہ ان کا جینا مرنا عوام کے لیے ہے۔ ان میں کچھ وہ ہیں جو عوام پر احسان جتاتے ہیں کہ وہ تو شہنشاہوں جیسی زندگی گزار رہے تھے، ان کے پاس تو سب کچھ تھا وہ تو صرف ان غریب غرباء کی فلاح کے لیے سیاست کے سنگ زار میں اترے۔ لیکن جب اس ملک میں افتاد آن پڑتی ہے تو یہ سب ایسے غائب ہو جاتے ہیں جیسے کبھی تھے ہی نہیں۔ جن کے پاس سارے وسائل ہیں ان کی بے نیازی دیکھیے۔ شہباز شریف اور بلاول بھٹو مل کر ایک ہیلی کاپٹر سے آٹے کے چند تھیلے زمین پر پھینک رہے ہیں۔ ایک وزیر اعظم ہے اور ایک وزیر خارجہ۔ ابتلاء کے اس دور میں یہ اتنے فارغ ہیں کہ آٹے کے چند تھیلے ہیلی کاپٹر سے پھینکنے کے لیے انہیں خود سفر کرنا پڑا تا کہ فوٹو بن جائے، غریب پروری کی سند رہے اور بوقت ضرورت کام آئے۔ فوٹو شوٹ سے انہیں اتنی محبت ہے کہ پچھلے دور اقتدار میں اخباری اشتہار کے لیے جناب وزیر اعلی شہباز شریف کے سر کے نیچے نیو جرسی کے مائیکل ریوینز کا دھڑ لگا دیا گیا تا کہ صاحب سمارٹ دکھائی دیں۔ دست ہنر کے کمالات دیکھیے کہ جعل سازی کھُل جانے پر خود ہی تحقیقات کا حکم دے دیا۔ راز کی یہ بات البتہ میرے علم میں نہیں کہ تحقیقات کا نتیجہ کیا نکلا۔

ہیلی کاپٹرز کی ضرورت اس وقت وہاں ہے جہاں لوگ پھنسے پڑے ہیں اور دہائی دے رہے ہیں۔ مجھے آج تک سمجھ نہیں آ سکی کہ ہیلی کاپٹروں میں بیٹھ کر یہ اہل سیاست سیلاب زدہ علاقوں میں کیا دیکھنے جاتے ہیں۔ ابلاغ کے اس جدید دور میں کیا انہیں کوئی بتانے والا نہیں ہوتا کہ زمین پر کیا صورت حال ہے۔ انہیں بیٹھ کر فیصلے کرنے چاہیں لیکن یہ ہیلی کاپٹر لے کر اور چشمے لگا کر ”مشاہدہ“ فرمانے نکل جاتے ہیں۔ سوال یہ ہے کہ اس کا فائدہ کیا ہے؟ کیا سیلاب کو معطل کرنے جاتے ہیں؟ یا ہواؤں سے اسے مخاطب کرتے ہیں کہ اوئے سیلاب، میں نے تمہیں چھوڑنا نہیں ہے۔ سندھ میں جہاں بھٹو صاحب زندہ ہیں، خدا انہیں سلامت رکھے، شاید اب کسی اور کا زندہ رہنا ضروری نہیں رہا۔ عالی مرتبت قائدین سیلاب زدگان میں جلوہ افروز ہوتے ہیں تو پورے پچاس روپے کے نوٹ تقسیم کرتے پائے جاتے ہیں۔ معلوم نہیں یہ کیسے لوگ ہیں۔ ان کے دل نہیں پسیجتے اور انہیں خدا کا خوف نہیں آتا؟ وہاں کی غربت کا اندازہ کیجیے کہ پچاس کا یہ نوٹ لینے کے لیے بھی لوگ لپک رہے تھے۔ یہ جینا بھی کوئی جینا ہے۔
یہ بھی کوئی زندگی ہے جو ہمارے لوگ جی رہے ہیں۔ کون ہے جو ہمارے حصے کی خوشیاں چھین کر مزے کر رہا ہے۔ کون ہے جس نے اس سماج کی روح میں بیڑیاں ڈال رکھی ہیں؟ یہ نو آبادیاتی جاگیرداری کا آزار کب ختم ہو گا؟ ٹائیگر فورس کے بھی سہرے کہے جاتے ہیں لیکن یہ وہ رضاکار ہیں جو صرف سوشل میڈیا کی ڈبیا پر پائے جاتے ہیں ۔ زمین پر ان کا کوئی وجود نہیں ۔ کسی قومی سیاسی جماعت کے ہاں سوشل ورک کا نہ کوئی تصور ہے نہ اس کے لے دستیاب ڈھانچہ ۔ باتیں عوام کی کرتے ہیں لیکن جب عوام پر افتاد آن پڑے تو ایسے غائب ہوتے ہیں جیسے گدھے کے سر سے سینگ ۔ محاورہ بہت پرانا ہے لیکن حسب حال ہے ۔ یہ صرف اقتدار کے مال غنیمت پر نظر رکھتے ہیں ۔ اقتدار ملتا ہے تو کارندے مناصب پا کر صلہ وصول کرتے ہیں۔ اس اقتدار سے محروم ہو جائیں تو ان کا مزاج یوں برہم ہوتا ہے کہ سر بزم یہ اعلان کرتے ہیں کہ ہمیں اقتدار سے ہٹایا گیا ہے اب فی الوقت کوئی اوورسیز پاکستانی سیلاب زدگان کے لیے فنڈز نہ بھیجے۔ ایسے میں یہ الخدمت ہے جو بے لوث میدان عمل میں ��ے ۔ اقتدار ان سے اتنا ہی دور ہے جتنا دریا کے ایک کنارے سے دوسرا کنارا ۔ لیکن ان کی خدمت خلق کا طلسم ناز مجروح نہیں ہوتا ۔
سچ پوچھیے کبھی کبھی تو حیرتیں تھام لیتی ہیں کہ یہ کیسے لوگ ہیں۔ حکومت اہل دربار میں خلعتیں بانٹتی ہے اور دربار کے کوزہ گروں کو صدارتی ایوارڈ دیے جاتے ہیں ۔ اقتدار کے سینے میں دل اور آنکھ میں حیا ہوتی تو یہ چل کر الخدمت فاؤنڈیشن کے پاس جاتا اور اس کی خدمات کا اعتراف کرت۔ لیکن ظرف اور اقتدار بھی دریا کے دو کنارے ہیں ۔ شاید سمندر کے۔ ایک دوسرے کے جود سے نا آشنا۔ الخدمت فاؤندیشن نے دل جیت لیے ہیں اور یہ آج کا واقعہ نہیں ، یہ روز مرہ ہے۔ کسی اضطراری کیفیت میں نہیں، یہ ہمہ وقت میدان عمل میں ہوتے ہیں اور پوری حکمت عملی اور ساری شفافیت کے ساتھ ۔ جو جب چاہے ان کے اکاؤنٹس چیک کر سکتا ہے۔ یہ کوئی کلٹ نہیں کہ حساب سے بے نیاز ہو، یہ ذمہ داری ہے جہاں محاسبہ ہم رکاب ہوتا ہے۔ مجھے کہنے دیجیے کہ الخدمت فاؤنڈیشن نے وہ قرض اتارے ہیں جو واجب بھی نہیں تھے ۔ میں ہمیشہ جماعت اسلامی کا ناقد رہا ہوں لیکن اس میں کیا کلام ہے کہ یہ سماج الخدمت فاؤنڈیشن کا مقروض ہے۔ سیدنا مسیح کے الفاظ مستعار لوں تو یہ لوگ زمین کا نمک ہیں ۔ یہ ہم میں سے ہیں لیکن یہ ہم سے مختلف ہیں۔ یہ ہم سے بہتر ہیں۔
ہمارے پاس دعا کے سوا انہیں دینے کو بھی کچھ نہیں، ان کا انعام یقینا ان کے پروردگار کے پاس ہو گا۔ الخدمت فاؤنڈیشن کی تحسین اگر فرض کفایہ ہوتا تو یہ بہت سے لوگ مجھ سے پہلے یہ فرض ادا کر چکے۔ میرے خیال میں مگر یہ فرض کفایہ نہیں فرض عین ہے۔ خدا کا شکر ہے میں نے یہ فرض ادا کیا۔
آصف محمود
بشکریہ روزنامہ 92 نیوز
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بہ تسلیمات نظامت اعلیٰ تعلقات عامہ پنجاب
لاہور، فون نمبر:99201390
ڈاکٹر محمد عمران اسلم/پی آر او ٹو سی ایم
ہینڈ آؤٹ نمبر64
”اقلیتیں …………سر کا تاج“مریم نواز شریف نے وعدہ سچ کر دکھایا
پاکستان کی تاریخ کا پہلا مینارٹی کارڈکی لانچنگ،وزیر اعلیٰ مریم نواز کا مینارٹی کارڈ50 سے75 ہزار کرنے کا اعلان
وزیراعلیٰ مریم نوازشریف نے تقریب کے دوران سونیا بی بی کے مینارٹی کا رڈ کے ذریعے اے ٹی ایم مشین سے ٹرانزیکشن کے عمل کا مشاہدہ کیا
ایوان اقبال کمپلیکس میں ''چیف منسٹر مینارٹی کارڈ''لانچنگ کی تقریب،ہندو، سکھ اور کرسچن سمیت دیگر برادری کے مرد وخواتین کی شرکت
تقریب کے شرکا نے پاکستان زندہ باد کے نعروں سے وزیر اعلیٰ مریم نواز کا خیر مقدم کی،اقلیتی مرد وخواتین خواتین کو مینارٹی کارڈ تقسیم کئے
اقلیتی برادری کی حفاظت اور زندگیوں میں بہتری لانا ہماری ذمہ داری ہے،مینارٹیز کی حفاظت کا فرض پوری ذمہ دار ی سے نبھارہی ہوں:مریم نوازشریف
اقلیتی برادری کے جان و مال کو خطرے میں ڈالنے والوں کا راستہ پوری قوت سے روکیں گے،پاکستان کی تعمیر و ترقی میں اقلیتوں کا بھی مساوی کردار ہے
اقلیتوں کے لئے کوئی بھی خطرناک صورتحال ہو تو خود نگرانی کرتی ہوں،پہلے دن ہی کہا کہ مینارٹی ہمارے لیے سرکا تاج ہیں
مینارٹی بہن، بھائی، بزرگوں اور بچوں کیلئے کیا ان کو احساس ہو کہ وہ بھی پاکستانی اور پنجابی ہیں،سیاسی بیان نہیں بلکہ سب احساس ہوجائے کہ مینارٹی بھی وطن عزیزکا اتنا ہی حصہ ہیں جنتا دوسرے پاکستانیوں کا ہے
حقدار کو حق ملنے پر خوشی ہے، سب مذاہب ایک مضبوط لڑی میں پروئے ہیں، سبز ہلالی پرچم بھی بھی سفید رنگ کے بغیر مکمل نہیں ہوتا
قیامت کے دن میں اس کے خلاف گواہ بنوں گا،اقلیتوں کے بارے میں نبی کریم ؐ کی یہ حدیث اسلام کے اقلیتوں کے بارے میں رویے کا درس ہے
اقلیتوں کے بارے میں میرے والد محمد نوازشریف نے ہمیشہ اقلیت کہنے سے منع کیا، تعداد میں تو کم ہونگے مگر پاکستانیت اور انسانیت میں سے کسی سے کم نہیں
پاکستان کی تاریخ میں پہلی بلکہ پنجاب کی تاریخ میں پہلی مرتبہ مینارٹی کارڈ لانچ کیا ہے،ہماری حکومت نے اقلیتی امور کے ڈیپارٹمنٹ کے بجٹ کو بڑھایا ہے
مینارٹی کارڈ سے 50ہزار گھرانوں ساڑھے 10ہزار روپے ہر تین ماہ ملے گا،ساڑھے 10ہزار رقم کوئی زیادہ نہیں،آئندہ چند سالوں میں اس رقم کو بڑھائیں گے
50ہزار گھرانوں کو 75ہزار گھرانوں تک لیکر جائیں گے،ساڑھے 10ہزار روپے نہیں بلکہ محمد نوازشریف اور پنجاب حکومت کی طرف سے ہدیہ اور تحفہ ہے
تہواروں پر مینارٹی گرانٹ 10ہزار سے بڑھا کر 15 ہزار کر دی گئی ہے،وزیر اعلیٰ مریم نوازشریف کا منیارٹی کارڈ کی لانچنگ تقریب سے خطاب
لاہور22 - جنوری:……''اقلیتیں۔۔۔۔۔۔ سر کاتاج''،مریم نواز شریف نے وعدہ سچ کر دکھایا۔وزیر اعلیٰ مریم نواز شریف نے مینارٹی کارڈ 50 سے 75 ہزار کرنے کا اعلان کیاہے۔وزیر اعلیٰ پنجاب مریم نواز شریف نے پاکستان کا پہلا ''چیف منسٹر مینارٹی کارڈ'' لانچ کردیا۔ایوان اقبال کمپلیکس میں ہندو، سکھ اور کرسچن سمیت دیگر برادری کے مرد وخواتین نے شرکت کی۔تقریب کے شرکا نے پاکستان زندہ باد کے نعروں سے وزیر اعلیٰ مریم نواز کا خیر مقدم کی۔وزیر اعلیٰ مریم نواز شریف شرکا کے درمیان بیٹھ گئیں۔بشپ ندیم کامران اور سردار سرنجیت سنگھ، پنڈت لال نے دعائیں اور پراتھنا کیں۔وزیر اعلیٰ مریم نواز شریف نے چیف منسٹر مینارٹی کارڈ کی لانچنگ کردی۔وزیر اعلیٰ مریم نواز شریف نے اقلیتی مرد وخواتین خواتین کو مینارٹی کارڈ تقسیم کئے۔وزیر اعلیٰ مریم نواز شریف نے اے ٹی ایم مشین کے ذریعے سونیا بی بی کے مینارٹی کارڈ کی ٹرانزیکشن کا مشاہدہ کیا۔پنجاب میں 50 ہزار خاندانوں کو سہ ماہی 10500 روپے ملیں گے۔صوبائی وزیراقلیتی امور رمیش سنگھ اروڑہ نے پنجابی میں خطاب کیااور وزیر اعلیٰ مریم نواز شریف کا شکریہ ادا کیا۔وزیر اعلیٰ مریم نواز شریف نے مینارٹی کارڈ حاصل کرنیوالے مرد وخواتین کو مبارکباد دی۔وزیر اعلیٰ پنجاب مریم نوازشریف نے منیارٹی کارڈ کی لانچنگ تقریب سے خطاب کرتے ہوئے کہا کہ اقلیتی برادری کی حفاظت اور زندگیوں میں بہتری لانا ہماری ذمہ داری ہے۔مینارٹیز کی حفاظت کا فرض پوری ذمہ دار ی سے نبھارہی ہوں۔ اقلیتی برادری کے جان و مال کو خطرے میں ڈالنے والوں کا راستہ پوری قوت سے روکیں گے۔ پاکستان کی تعمیر و ترقی میں اقلیتوں کا بھی مساوی کردار ہے۔اقلیتوں کے لئے کوئی بھی خطرناک صورتحال ہو تو خود نگرانی کرتی ہوں۔پہلے دن ہی کہا کہ مینارٹی ہمارے لیے سرکا تاج ہیں۔وزیراعلیٰ مریم نوازشریف نے کہا کہ مینارٹی بہن، بھائی، بزرگوں اور بچوں کے لئے کیا ان کو احساس ہو کہ وہ بھی پاکستانی اور پنجابی ہیں۔سیاسی بیان نہیں بلکہ سب احساس ہوجائے کہ مینارٹی بھی وطن عزیزکا اتنا ہی حصہ ہیں جنتا دوسرے پاکستانیوں کا ہے۔پاکستان میں مینارٹی نام رکھ دیا گیا جس میں اتفاق نہیں کرتی۔مینارٹی والے کی یہ پہچان یہ نہیں کہ آپ غیر مسلم ہیں بلکہ آپ کی پہچان سچے اور پکے پاکستانی ہے۔ تقریب میں ہندوؤں برادری، کرسیچن اور سکھ برادری اور دوسرے مذاہب کے لوگ بھی موجود ہیں۔حقدار کو حق ملنے پر خوشی ہے، سب مذاہب ایک مضبوط لڑی میں پروئے ہیں۔ سبز ہلالی پرچم بھی بھی سفید رنگ کے بغیر مکمل نہیں ہوتا۔ وزیراعلیٰ مریم نوازشریف نے کہا کہ پاکستان اور پنجاب کے پہلے کابینہ میں سکھ منسٹر کی تعیناتی پر پوری دنیا سے مبارکباد کے پیغام آئے۔انہوں نے خطاب کرتے ہوئے بتایا کہ نبی کریم ؐ نے فرمایا جو شخص کسی غیر مسلم پر ظلم کرے گا،حق چھینے گا، طاقت سے زیادہ بوجھ ڈالے گا یا اس کی کوئی چیز اس کی مرضی کے بغیر لے گا تو قیامت کے دن میں اس کے خلاف گواہ بنوں گا۔ اقلیتوں کے بارے میں نبی کریم ؐ کی یہ حدیث اسلام کے اقلیتوں کے بارے میں رویے کا درس ہے۔ اقلیتوں کے بارے میں میرے والد محمد نوازشریف نے ہمیشہ اقلیت کہنے سے منع کیا۔ تعداد میں تو کم ہونگے مگر پاکستانیت اور انسانیت میں سے کسی سے کم نہیں۔ سکھ، ہندو اور عیسائی برادری کے ہر تہوار میں شامل ہونا ضروری سمجھتی ہوں۔ سب سے پہلے مریم آباد چرچ میں گئی تو بتایا گیا کہ یہاں 103سال بعد کوئی حکمران آیا ہے۔ ہر کمشنر اور ڈپٹی کمشنر کو ہولی اورایسٹر سمیت کسی بھی مذہب کا تہوار پر اقلیتی عبادت گاہوں اور ان کے محلوں کو سجانے کی ہدایت کی۔وزیراعلیٰ مریم نوازشریف نے کہا کہ پاکستان کی تاریخ میں پہلی بلکہ پنجاب کی تاریخ میں پہلی مرتبہ مینارٹی کارڈ لانچ کیا ہے۔ منیارٹی کارڈ کے اجراء پرصوبائی وزیر اقلیتی امور رمیش سنگھ اروڑہ،ان کی ٹیم اور بینک آف پنجاب کا شکریہ ادا کرتی ہوں۔ ہماری حکومت نے اقلیتی امور کے ڈیپارٹمنٹ کے بجٹ کو بڑھایا ہے۔ مینارٹی کارڈ سے 50ہزار گھرانوں ساڑھے 10ہزار روپے ہر تین ماہ ملے گا۔ ساڑھے 10ہزار رقم کوئی زیادہ نہیں،آئندہ چند سالوں میں اس رقم کو بڑھائیں گے۔ 50ہزار گھرانوں کو 75ہزار گھرانوں تک لیکر جائیں گے۔انہوں نے کہا کہ ساڑھے 10ہزار روپے نہیں بلکہ محمد نوازشریف اور پنجاب حکومت کی طرف سے ہدیہ اور تحفہ ہے۔ہماری کوشش ہے کہ اقلیتی برادری کے عبادت گاہوں کو سجائیں گے۔اقلیتی برادری کو احساس دلایا ہے آپ بھی ہمارے دل کے بہت قریب ہیں۔انہوں نے کہاکہ تہواروں پر مینارٹی گرانٹ 10ہزار سے بڑھا کر 15 ہزار کر دی گئی ہے۔ اقلیتی برادری کے محلوں اور مذہبی مقامات کو بھی ڈویلپ کررہے ہیں۔ مسیحی برادری کیلئے قبرستان چند ماہ میں تیار ہوجائے گا۔ اقلیتی برادری کے لئے سالانہ ترقیاتی بجٹ میں 60فیصد اضافہ کر دیا گیا ہے۔
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