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समसामयिक राजनीतिउ
उदारीकरण के बाद समाज में जो परिवर्तन आया वह किसी से छिपा नही है सांस्कृतिक बदलाव, फिल्मों में परिवर्तन , पूँजीवादी मानसिकता को बल मिला ।
हाँ, राजनीति में तो चारों ओर से परिवर्तन हुआ
जैसे राजनीति के लोग पूंजीपतियों से हाथ मिलाने लगे ।
जिससे राजनीती दल को चुनाव में भरी खर्च का बोझ कम हो जाये तथा उसके बदले में सरकार बनने के बाद ये दल उस पूंजीपतियों के हित में नीतियों का निर्माण करें।
दूसरा, वोट बैंक के लिये धर्म के मालिक बाबाओं का संरक्षण करने लगे ।अभी हाल के घटनाओं में इसका प्रत्यक्ष उदाहरण मौजूद है।
तीसरा , फ़िल्मी दुनिया के लोगों को राजनीति में शामिल करना जिसके पास न तो सामाजिक समस्याओं के बारे में जानकारी है और न ही उनसे उबरने का अनुभव ।
ग्रामीण स्तर पर कौन सी समस्या व्याप्त है क्या उनको पता है। "हवा में उड़ने वाले तुझे क्या पता जमीन का हाल।"
भोजपुरी स्टार,, बॉलीवूड के ड्रीम गर्ल , इत्यादि जो किसी दल के रंगीन लाइट है इस बाजारवाद की पहचान है। ( मैं किसी की भावनाओं चोट पहुचाना नही चाहते)
��ई ऐसे फिल्म स्टार जो राजनीति में एक पल भी नही रह सके ।
दोस्तों मेरा कहना है की जगमगाती दुनिया में अंधाधुंध न भागे ।
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