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नव पंख मिले उड़ान भरने
उड़-उड़कर उछल-उछलकर
निकली घोंसले से विचरने
नन्ही थी घबराकर - संभलकर
नव जग से सीखा संभलने
फुदक-फुदककर नन्ही नभचर ll
जया अजितन ✍️
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उच्च ज्ञान का तू दीपक
जले जगमग तू अथक
जहाँ अविद्या का निर्वाह
वहाँ प्रकाश का है प्रवाह
चीरता है अघोर अंधकार
तो चमकती विद्या का घर ll
जया अजितन ✍️
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उच्च ज्ञान का तू दीपक
जले जगमग तू अथक
जहाँ अविद्या का निर्वाह
वहाँ प्रकाश का है प्रवाह
चीरता है अघोर अंधकार
तो चमकती विद्या का घर ll
जया अजितन ✍️
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