andaazeguftgoo
अंदाज़-ए-गुफ्तगू
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हर बात के पीछे एक बात होती है और उस बात को करने में भी कोई बात होती है ।। मन लफंगा बड़ा, अपने मन की करे यूँ तो मेरा ही है, मुझसे भी न डरे || Insta Follow @andaaz_e_guftgoo
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andaazeguftgoo · 5 years ago
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...बुरा तो नहीं मानोगी तुम
जब हम ज़िंदगी के सफर मे किसको हमसफर बनाना चाहते हैं तो, अ��्सर उन ख्वाबों को ही अपना लेते हैं जिसमे हर मोड़ पे एक नया  एहसास होता है और हम अपनी कहानियाँ खुद ही लिख देते हैं। कुछ ऐसे ही कहानी लिखने की कोशिश की है मैंने जिसमे प्यार कब इश्क बन जाता है पता ही नहीं चलता और हम एतबार कर लेते हैं..
 [ Please read paragraph wise with a pause :) ]
ऐसे तो नज़रें छिपाने मे माहिर हूँ मै,
पर तुमको नज़र से नज़र भर देखने के लिए
कभी मुसकुराते हुये नज़रें मिला लूँगा तुमसे
तो इस नज़र को बुरा तो नहीं मानोगी तुम ||
  ऐसे तो तुम्हारे करीब से कई दफा गुजर जाऊंगा,
और ख्वाबों मे कितनी बार मिलुंगा,
पर कभी मिले हम एक दूजे के सामने;
और मै मुस्कुराके..शर्मा गया तो
इस सादगी का बुरा तो नहीं मानोगी तुम ||
  ऐसे तो तुमसे बहुत कुछ कहना होगा,
और तुमसे बहुत कुछ सुनना भी होगा,
या तुमसे कई बातें पुछनी भी होगी ;
पर तुम्हारी कोयल जैसी बातों के बाद
कभी कुछ बातें छुट जाएंगी तो
मेरी इस बेखयाली का बुरा तो नहीं मानोगी तुम ||
  ऐसे तो फिलहाल मोहब्बत मे थोड़ा कमजोर हूँ मै,
पर तुमसे मिलने के बाद आशिक़ी की अदाएं सीख लूँगा ;
और शायद इसलिए तुमसे घंटे बातें करने लगा था
फिर कभी तुमको चाय के लिए पूछ लूँगा
तो मेरी इस गुफ्तगू का बुरा तो नहीं मानोगी तुम ||
  इस बेवफा सी दुनिया मे तुम्हें खोने का डर तो सताएगा ही ;
कभी चलते-चलते बातें करते-करते कहीं गुम मत हो जाना
कभी पत्थर से ठोकर लग गयी, और
तुम्हें बचाने के लिए कभी हाथ पकड़ लिया
तो मेरी इस गुस्ताखी का बुरा तो नहीं मानोगी तुम ||
  अब तुमसे दूर रहना मुनासिब भी नहीं लगता
मुस्कुराहट बढ़ रही थी ,चैन खो रहा था ;
अरे ये क्या..
मै तुमसे प्यार नहीं इश्क करने लगा हूँ
मेरी इस मोहब्बत का बुरा तो नहीं मानोगी तुम ||
  ऐसे तो तुमसे सब कुछ कह जाऊंगा मै
पर हाल-ए-दिल शायद नहीं कह पाऊँगा
मुझे पता था की तुमको खामोशी पसंद है
लेकिन कभी अल्फ़ाज़ों मे अपने दिल का आलम बयां कर दूँ
तो कहीं मेरे अफसानो का बुरा तो नहीं मानोगी तुम ||
  ऐसे तो तुमसे पुछे बिना कुछ नहीं करता हूँ मै
पर कभी ठंड मे आहिस्ता से कंबल ओढ़ाने चला आऊँगा मै
और कभी तुम्हारे सपनों मे भी आ जाऊंगा मै
अगर इससे तुम्हारी नींद खराब हो जाएगी
तो मेरी इस दस्तक का बुरा तो नहीं मानोगी तुम ||
  जानता हूँ मै कि यकीन नहीं है तुमको मोहब्बत पर  
लेकिन आजकल कहीं गुम हो जाती हो तुम , जैसा मै होता था
यूं तो जज़्बातों से दूर रहती हो तुम
लेकिन आजकल अक��ले मुस्कुराती हो तुम, जैसा मै करता था
अब तुम्हें सुनना पसंद आने लगा है..
अरे ये क्या, तुमको भी तो इश्क होने लगा है
अपने इस इकरार का बुरा तो नहीं मानोगी तुम ||
मोहब्बत तो हो जाती है , पर हम दिल मे छिपाने लगते हैं,
अक्सर ज़िंदगी के इस मोड़ मे किस्से अधूरे रह जाते है
इन सब से मजबूर, अगर मै कुछ सवालों के जवाब पूछ लूँगा,
तो मेरी मोहब्बत का बुरा तो नहीं मानोगी तुम ||
यूं तो हर पल साथ मे रहना है तुम्हारे,
हर वक़्त यादें बनानी थी हमारी ;
तुमको कोई कुछ मुख़तसर करे, ये पसंद नहीं है तुमको
इसलिए ना जाने को बोल नहीं पाऊँगा तुमको
पर शायद उस रात हाथ पकड़ कर रोकूँगा तुमको
तो मेरी मदहोशी का बुरा तो नहीं मानोगी तुम ||
इतनी दूर हो तुम कि तुमसे बातें नहीं कर पाऊँगा
तुमको किस्से सुनाने के लिए लिखने लगा हूँ मैं ;
और कभी तुम्हारा ज़िक्र कर दूंगा तो
मेरी इस नज़्म का बुरा तो नहीं मानोगी तुम ||
  इंतज़ार तो हमेशा ही तुम्हारा करूंगा
और इस इंतेहाम से ‘विवेक’ सिकवा भी नहीं करेगा
बात तो एक रात की थी, मगर ए “ज़िंदगी”
कहीं ..ताउम्र तेरा इंतज़ार करूंगा तो
इस हमसफर का बुरा तो नहीं मानोगी तुम ||
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andaazeguftgoo · 5 years ago
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मै क्या लिखुंगा...
कुछ दिनो से एक बेचैनी सी है-
ऐसा लग रहा कुछ कहना है खुद से,
मुझसे कुछ कह रहा है मन मेरा-
कुछ अलफाज लिखने को , पर क्या ॥??
जो खुद से न बदल सका,
या जिनसे मै खुद बदल गया ;
जिन ख्यालों से थोड़ा हँस लेता हूँ ,
जिन ख्यालों से थोड़ा रो लेता हूँ ,
उन छोटी बातों का
या इस बेचैनी का आलम लिखूँ ||
ज़िंदगी की दास्ताँ लिखूँ,
मोहब्बत से जुड़ी हर बात लिखूँ ,
या जो अलविदा कह गए हैं उनके लिए सवाल लिखूँ ;
जीत मे मिली खुशी का इज़हार लिखूँ ,
या हार के सबक का एक पैगाम लिखूँ  |
झूठा ही लिखना है, पर
उन ख्यालों को लिखना है ,
जिनको सोच के इस फीकी सी दुनिया से भागने का मन करता है;
अपनी पसंद का रंग भरना है,
मन के सा��े जज़्बात बयां करना है
एसा कुछ खास लिखना है ||
काम के भोझ से
रोज़मर्रा की दौड़ मे
वक़्त निकालने को मजबूर करने वाले उस जुनून को
जो लिखने के बाद भी याद रहेगा
जो सुनने के बाद भी सुकून देगा
जब इस नकाबपोश दुनिया मे
कोई सुनने को नहीं होता है
उस समय शायद बहुत कुछ कहने को होता है
उस तन्हाइ को स्याही बना कर लिखना है
‘विवेक’ के ये सारे जज़्बात लिखूँ ,
जो ना जाने कहीं गुम होगा,
मिल गया, तो सारी रात लिखूँ ..
की ऐसा मै क्या लिखुंगा !!
#poetry
#hindipoetry
#love
#poem
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andaazeguftgoo · 5 years ago
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पहचान..
अक्सर जब हम लिखने की कोशिश करते हैं तो एक भाव आता है पर कभी-कभी आपको खुद के लिए लिखना पड़ता है क्यूँकि वो एहसास आपके अपने होते है ... इस वक़्त मैंने ‘एक दिन’ की बात की है जब सब अपने सपनों के लिए अंधे होते हैं पर धीर-धीरे अपनी ‘पहचान’ गुम कर लेते हैं | अगर आपको भी याद है की आप खुद को भूल रहे हैं तो इसमे ‘ज़िंदगी’ ढूंढ लेंगे कहीं न कहीं .. अपनी पहचान को याद कर लेंगे फिरसे ||
 ज़िंदगी के भाग दौड़ मे उलझा , मिला किसी से एक दिन ;
हैरानी से बोला उसने - तुम वो नहीं, जो थे उस दिन !
तुम्हारे ज़िंदगी के सलिखे मे उस दिन वाली बात नहीं ,
तुमको याद कैसे करूँ तुम्हारी ये पहचान नहीं !!
 कौन था वो जिसने मेरे अस्तित्व को ठुकराया ;
एक पल मे ही सच को जिसने बहकाया  :
बात कर गया वो किस दिन की  ?
याद  कराना चाहा किस पहचान की ?
 यादों  के सागर मे डूबके, ढुढ्ने चला उस दिन को;
झटके मे झुठला दिया जिसने मेरे वर्तमान को |
ढुढ्ने निकला था एक बात को:
सहसा पहुंचा उस दिन के द्वार को;
 दूर तलक दिन था , पूरा आसमां चहक रहा था;
दूर बैठा ‘विवेक’ मुस्कुरा रहा था;
अपने तेज़ से सपनों की बुनियाद बना रहा था;
यारों से मिल रहा था, लोगों से जुड़ रहा था;
अपनी ज़िद्द को अपनी तलवार बना रहा था-
मंज़िल उसकी स��लता के सूत्र लिख रहा था !
काटों को अपना कर भविष्य की राह बना रहा था;
लेकिन ...
रंग के मोह मे वो किस्मत को अपना रहा था;
वो ज़िंदगी के सुहानेपन को खुशियाँ मान रहा था;
भूल रहा था वो अपने कौशल को,
धूमिल कर रहा था अपने यश को;
 ..बेखबरी से
इजाजत दे रहा था दिल को याद बनाने की;
गलती कर रहा था धूप को छाव समझाने की ;
 जब डूब के उभरा तो...
पाया किसीको पहचान गुमाते उस दिन ?!
पर मन ने..
याद नहीं एक प्रतिबिंब दिखाया था,
रंग चेहरे का जिसने हटाया था  |
 क्यूँ डर रहे हो उस पथ से ;
जिसने तुमको कभी अपनाया न था |
अपनी दृष्टि को शृष्टि बनाना तुमने
ही तो सबको सिखाया था;
ज़िंदगी अपनी तरह जीने का गुमान
तुमने ही तो दिखलाया था ;
खुदसे से कभी नहीं हारना है
तुमने ही तो बताया था |
 हर तरफ ज़िंदगी का रूप अलग होता है |
‘विवेक’ खुद को न खोना ही हर कहानी का सार होता है ||
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andaazeguftgoo · 5 years ago
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उसकी छुट्टियाँ खत्म हो गयी हैं...
कभी कभी यादों की टोकरी मे से एक धागा निकल जाता है, और अँग्रेजी के Deja-vu जैसा प्रतीत होता है, इसलिए वापस आए इस लम्हे को अंदाज़-ए-गुफ्तगू से कैद कर लेना चाहिए क्योंकि मोहब्बत सबको पसंद होती है… सबको !!
“ ख़्वाहिश तो इश्क़ की थी.. बस इकरार का मलाल आज भी है ”
 अब मंदिर मे एक दिया कम जलता है,
शायद उसकी छुट्टियाँ खत्म हो गयी हैं |
वो आती थी, सीढ़ियों पे दिये जलाती,
आँखें मूँद कर, मंदिर की घंटी बजाती
पल्लो से सिर ढके, मन मे कुछ बोलती ;
और मै उसे कनखियों से देखता
धीरे धीरे एक ही मंत्र कई बार पढ़ देता
उसके जलाए दिये से मै भी आरती कर लेता
इसी बहाने उससे नज़रें तो मिलती ;
 अब पंडित जी मुझे घूरते नहीं है,
शायद उसकी छुट्टियाँ खत्म हो गयी हैं |
मेले मे मिले थे हम, शायद..
बस उसकी और मेरी रूह ;
यूँ तो झूलों से डर नहीं लगता;
पर उस दिन लगा , कही वो मुझे देख ना ले;
पर मै उसकी मुस्कुराहट मे खोया रहा
और निहारता रहा सब कुछ झूलते, सब कुछ बीतते |
  एक बार सुनी थी उसकी मीठी सी आवाज,
वो मुझको ही डांट रही थी “ मंदिर के फूल तोड़के क्यूँ फेक रहे हो ? ”
आखिरी बार देखा था उसको उस दिन ,
मानो कोयल को बोलते देख रहा था उस दिन ;
शायद उसकी छुट्टियाँ खत्म हो गयी थी |
 मेरा भी स्कूल खुल गया था ,
पर हर महीने आते हूँ मंदिर मे
उसका इंतज़ार करने,
एक नया गुलाब का फूल लगाने;
अगली साल जब वो छुट्टियों मे आएगी और देखेगी,
इन गुलाबों को और भँवरों से पुछेगी-
तो क्या पता ?
ये भँवरे ही ‘विवेक’ का उससे परिचय करवा दें ...!!
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andaazeguftgoo · 5 years ago
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...बातें करतें हैं |
सबका एक अंदाज़ होगा
सबकी एक पहचान होगी, 
मुस्कराहट एक  है; वजहें हज़ार होगी 
इन्सान  एक होगा; उसकी बातें हज़ार होगी,
आओ आज बातें करते हैं |
 लोग मिलते जायेंगे
हम जुड़ते जायेंगे, 
ख़ामोशी टूट जाएगी 
अपनी मंजिल-अपना सपना,
सबकी अपनी बात होगी; 
आओ कुछ बात करते हैं |
 नया सवेरा होगा,
नयी शाम होगी,
नये लोग होंगे, 
नये रास्ते होंगे, 
अनेक मंजिले होंगी; 
आओ कुछ बातें करते हैं |
 कई दोस्त होंगे: 
कुछ ख़ास होंगे, 
अनेक ज़ज्बात होंगे, 
सबके अपने एहसास होंगे; 
आओ कुछ बात करते हैं |
 एक सवेरा ख़ुशी का होगा, 
एक शाम गम की होगी; 
आंसू, सुख-दुःख के होंगे, 
इंसान  गिरते-उठते होंगे; 
पर कब मुलाकात होगी :
आओ कुछ बात करते हैं |
   एक समां तुम्हारा होगा 
बातें होगी, प्यार होगा; 
तुमसे एक बात कहूँगा- 
तुम भी एक बात कहोगी- 
उसके बाद कभी बात होगी ?? 
आओ अभी वो बात कर लेते हैं |
 चलो बातें करते हैं:
एक दुसरे में रंग भरते हैं, 
यादों का आशियां बनाते हैं;
ज़िन्दगी बेवफा बन जाये .. उससे पहले;
आओ ‘विवेक’ तुमसे कुछ बात करते हैं ||
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andaazeguftgoo · 5 years ago
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एहसास ...
मत रोको आज , मुझको खुल जाने दो ,
मुझे ��पनी कहानी कह जाने दो , मैं एहसास हूँ !!
 मैं हूँ पिता की गोंद ;
मैं हूँ मां के आंचल की ममता ;
मैं हूँ यारी यारों की ;
मैं हूँ ख़ुशी उन बहारों की ;
मैं हूँ कहानी ज़ज्बातों की , मैं एहसास हूँ !!
 मैं स्पर्श हूँ उसके हाथों का ,
मैं खुशबू हूँ उसकी साँसों का ,
मैं आनंद हूँ उसकी बातों का ,
मैं इंतज़ार हूँ उसके आने का ,
मैं धड़कन हूँ उसकी मोहब्बत का ,
मैं ही इज़हार हूँ तुम्हारे इश्क का ,
तुम उसके हो ..मैं तुम्हरा एहसास हूँ |
 मैं हूँ जीत मोहब्बत की ;
मैं हूँ गम जुदाई का ;
मैं ही ख़ामोशी हूँ ;
मैं ही नयी सुबह हूँ ;
मैं ही नया ख्याल हूँ ;
मैं जीवन का रस हूँ , मैं एहसास हूँ |
 मैं हूँ मंजिल की तलाश ;
मैं हूँ राह के पत्थर ;
मैं हूँ पथ का साथी ;
मैं हूँ जीत का परचम ;
मैं जीत हूँ - हार हूँ , मैं एहसास हूँ |
 मैं दर्द हूँ उन बीती यादों का ;
मैं ज़ख्म हूँ उस अधूरे वादों का ;
मैं साथी हूँ उस अधूरेपन का;
मैं आस हूँ नए सपनों का ;
मैं ऊंचाई हूँ तुम्हारी उड़ान का ;
मैं उम्मीद हूँ , मैं एहसास हूँ |
 मैं सूरज की रोशिनी हूँ ;
मैं चाँद की चांदनी हूँ ,
मैं तुम्हारा “विवेक” हूँ ;
पर ..
तुम ही मेरा आसमान हो .. तुम ही मेरी ज़मीन हो
मैं एहसास हूँ .. तुम इस एहसास की ज़िन्दगी हो ||
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andaazeguftgoo · 5 years ago
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DESTINY
Sometimes when u pick up a random thing and if they remind us of the greatest changeover of our life till now and we are shocked why dis time ..
Just saw my class 10th social science-1 book and when I opened it was full of papers stapled with notes and points. The worst phase of life until and the biggest disappointment to me and my dreams in spite of that hard work.. !!
But today it reminded me that go on with your natural hard work and u will surely succeed if u have the ability the destiny will surely provide u your dreams ..
 I have a problem you have many,
Is this because of destiny?
Achieving SUCCESS can please many,
Who thinks of DESTINY;
Falling in well of failures can frustrate any,
Then why: remember and blame DESTINY.
From mother's womb child born is boy,
Credits to mother not DESTINY;
But birth of girl child in family,
Make us utter: We have bad DESTINY.
Getting his LOVE makes one happy,
Due to his strong love not coz of DESTINY;
Ditched by one's LOVE breaks heart for sure,
We ask: "WHY? My LOVE was PURE. "
It becomes so gloomy,
We whisper: Why so rude DESTINY.
Its 'I' after being GAY;
But why after sadness it’s 'DESTINY'.
If your ATTITUDE has made you happy,
Then why your tears are blamed to DESTINY.
WHY BLAMES OF SADNESS TO DESTINY;
Why not credits of pleasure to DESTINY.
But
I consider in reality,
In my life its all to DESTINY.
Reasons to be happy
causes to be unhappy;
All blames and credits to DESTINY.
DESTINY is not mere a path,
Dear friends : she also regrets our loss.
As our heart beats, DESTINY also sings...
  " Written by God in the closed fist on sixth day of birth,
  DESTINY have the duty to trace it on earth.
DESTINY also get tears when your heart cry,
Sorry dear , but she cannot MODIFY.
DESTINY LOVE U n UR HAPPINESS, BUT CANNT TURN OUT SADNESS.
ITS NOT HER OR YOUR FAULT,
ITS DESTINY OF YOUR LIFE BY DEFAULT.
GIVE HER CREDITS TO BE HAPPY, DESTINY TOO HAV ITS  'DESTINY ' ...... !!   
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andaazeguftgoo · 5 years ago
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वो अधूरी बात ...
जब मन हँसता था ;
जब मुस्कराहट नहीं खोती थी |
जब दिल धड़कता था ,
जब तुम्हारी याद नहीं सताती थी ;
जब चादनी रात होती थी ,
तब तुम सपनो में आ जाती थी |
ये जज्बातों की तिज्राहत थी
या हमारी मोहब्बत थी ??
ये उस  पल की बात है ...
जब तुम हर वक़्त मुस्कुरा देती थी
कुछ कहो ना कहो
आंखे हर बात  कह जाती थी |
ये वक़्त की इनायत थी ;
या हमारी मोहब्बत थी ??
हर पल का एहसास सुहाना रहता था :
उस वक़्त ..
अचानक तुम मिलने आयी थी  ..
क्या वजह थी जो तुम नहीं मुस्करायी ??
क्यूँ नहीं तुमने मुझसे नज़रे मिलाई ??
रोते-रोते तुम्ह्ने एक बात बतायी-
एक ही पल में मेरी आँख भर आयी ;
सोचा क्या तुमने ये समझ में नहीं आया ,
पर यादों के समुन्दर को कर दिया तुमने पराया |
आंसुओं के बहाव में अधरों के कम्पन से ..
तुम सब कुछ कहती रही ..
पर.. !!
इक आखिरी बात करने में तुम अटक क्यूँ गयी ??
वक़्त गमों का तूफ़ान लाया और तुम चली गयी .
वो कौनसी बात थी जो अधूरी रह गयी ..??
उन लम्हों ने धडकनों को मौन कर दिया
आज भी जब तुम्हारा एहसास आता है “
उस अधूरी बात का गम सताता है ;
“तुम्हारी यादों में तो बस एक बात अधूरी रह गयी
पर उस पल से तो मेरी ज़िन्दगी अधूरी रह गयी “
ज़िन्दगी को पूरा करने का हर एक सपना झूठा नज़र आता है
लब मुस्काराते हैं पर मन यूँ ही सहसा रह जाता है ||
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andaazeguftgoo · 5 years ago
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लहरें ...
“अक्सर हम सोचते हैं की ‘कभी-कभी मेरे दिल में ख्याल आता‘ है कि अगर ये न होता तो वो होता ; वो भी न होता तो फिर क्या होता .. ?? ” | फिर तो बस यही दिमाग में रह जाता है कि वही होगा जो मंजूर-ए-खुदा होगा !! पर ये तो सोचना भूल ही जाते हैं कि जो इस खुदा ने बनाया है ..वो न होता तो क्या होता ??  
 बैठा समुद्र के किनारे पर एक दिन ,
कुदरत के अजूबे को समझा उस दिन ;
धरती-अम्बर पर जल ही जल का साथ था ;
उस हरे पानी में जीवन की खुशबू का एहसास था |
लहरों को देख कर ज़िन्दगी का ख्याल आया ;
उन दोनों में ही है एक रहस्य समाया :
 लहरों का यूँ आकर , छू कर जाना
सपनों से भरी नींद से उठाना
लहरों का रेत पे फैलकर , कहना
जीवन को है दस दिशायों में जीना ;
लहरों की आपस की टकरार कहती -
संसार मे हर मोड़पे साजिशें हैं बहती |
लहरों की आपस में सबसे ऊँचें रहने की ज़िद्द
मनुष्यों की सोच कर रही थी जाहिर |
 लहरों का ऊपर चढ़ना...
उनका नीचे गिरकर बिखरना ;
फिर लौटकर वापस किनारों पे आना ,
पर हर बार एक कदम आगे बढ़ाना ;
मानो हंस के कहते “विवेक” बेहतर है बनाना |
  लहर का एक छींटा पड़कर चेहरे पे ,
जगाकर लाया जीवन के समुन्दर पे ;
और फिर ..
लहरों की आपस में टकराने की आवाज़ ;
याद आया बीती बातों का साथ ;
पर ..
लहरों का बार-बार आना ..
आसानी से रेत पे से हमारा नाम मिटाना ..
कहता –
गम भुलाकर खुशियों के साथ चलते जाना ,
पैरों को छूकर विन्रम भाव जगाना ;
नवीन होकर अपने सपनों को अपनाना |
समुद्र की लहरें ही हैं “विवेक” की ज़िन्दगी
सुख या दुःख पर मुस्कराहट लिए
..सबके साथ आगे कदम बढ़ाने की है ये बन्दिगी ||
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andaazeguftgoo · 5 years ago
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ज़िन्दगी
खामोश रात का जब होता है खात्मा,  
चहकती सुबह का शुरू होता है कारवां;
हम लग जाते हैं खुद को सवारने में,
वो लग जाते हैं ज़िन्दगी बनाने में;
हम सोचते हैं पैमाने में,
वो सोचते रहते दो वक़्त के खाने में ;
हम करते हैं फरमाइश पकवानों की,
वो कोशिश करते हैं रोटियाँ खरीदने की;
हम निकलते हैं अपने गुरूर के साथ,  
वो इंतज़ार करते हैं किस्मत के पास;  
हम वक़्त गुजारते हैं ‘दुःख के जाने में’,
वो ज़िन्दगी गुजारते हैं ‘खुशियों के आने में’;  
हम लौटते हैं आराम की आहट लेकर,
वो लौटते है तो बस कल का ख्याल लेकर;
हम चैन लेते हैं अच्छे कल की सोचकर,
और..वो दिनभर की कमाई दो रोटी खाकर;
त्यौहार आते हैं हम जश्न मनाते हैं -
और .. वो बक्शीश लेकर ज़न्नत पा जाते हैं |
गलती क्या है उनकी..
कामयाबी क्या है हमारी ??
फिर भी :
जब देखता है उनमे से कोई हमारी ओर;
तो क्यूँ फेर लेते हैं नज़रें दूसरी ओर |
  इसलिए:
कभी जाकर पूछों हाल उनका,
होगी इंसानियत पे मेहरबानी;
 ‘विवेक’ सोचना कभी क्यूँ रोती है वो जिंदगानी;
बड़ी हैं उलझनें पर उससे बड़ी है ये कहानी |
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