इन नौ औषधियों में विराजती है नवदुर्गा, पढ़ें और शेयर करें, विशेष जानकारी :-
अलसी (flax seed) में विराजतीं हैं पंचम दिन स्कंदमाता
https://www.jeevankalyan.com/2020/10/navdurga-prevails-in-these-nine-herbs.html
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क्या खाने पीने से व्रत टूट जाता है?
1. पान-सुपारी खाने से व्रत टूट जाता है,
2. बार-बार पानी पीने से भी पूरा टूट जाता है,
3. दिन में सोने से भी व्रत टूट जाता है,
4. ब्रह्मचर्य का पालन नहीं करने से व्रत टूट जाता है।
5. व्रत करने वाले व्यक्ति को अशुद्ध स्तर का धारण नहीं करना चाहिए. अशुद्ध वस्त्र धारण करने से व्रत टूट जाता है।
6. कांसे के बर्तन में पानी ग्रहण करने से व्रत टूट जाते हैं,
7. चोरी करने से या असत्य बोलने से व्रत टूट जाता है।
8. सफेद नमक खाने से व्रत टूट जाता है।
9. लगातार तीन व्रत रखने से आपके तीनों व्रत खंडित हो जाते हैं और उसका आपको कोई लाभ नहीं होता है, उसे लग तीन व्रत करने से बचना चाहिए.
https://www.jeevankalyan.com/2020/10/how-does-fast-break.html
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विपश्यना का अर्थ क्या है:-
विपश्कायना अर्थ होता है किसी चीज को ख़ुद से जानना। जानने का अर्थ है कि आप किसी कार्य को करते हैं और परिणाम को ख़ुद से महसूस करते हैं। मानने का अर्थ है कि आप किसी दूसरे के बताएँ ज्ञान को सिद्धांत मना लेना और आज के समय में लोग जाने के बजाय मानकर ही अपना काम चलाना पसंद करते हैं क्योंकि लोगों को सुविधावादी ही हो गए हैं। विपश्यना के सिद्धांत के सिद्धांत क्या है?What is the principles of Vipassana?1. चोरी नहीं करना2. नशा नहीं करना,3. हिंसा नहीं करना4. ब्रह्मचर्य का पालन करना,5.कठोर शब्दों का प्रयोग नहीं करना,विपश्यना करने का सही समय क्या है:-What is the right time to do vipassana: -विपश्यना करने का सही समय ब्रह्म मुहूर्त होता है, जैसा कि आपको ज्ञात होगा कि ब्रह्म मुहूर्त सूर्योदय से लगभग 2 घंटा पहले शुरू होता है और 20: 25 मिनट तक ब्रह्म मुहूर्त का समय होता है। इसी समय विपश्यना ध्यान का अभ्यास करना सर्वोत्तम माना गया है।कैसे करें विपश्यना ध्यान?How to Do Vipassana?1. ब्रह्म मुहूर्त में उठकर, नित्य क्रिया से निवृत्त होकर, किसी पवित्र और एकांत स्थान पर बैठ जाएँ,2. बैठने का सही तरीका-पालथी मारकर बैठना चाहिए, रीढ़ सीधी होनी चाहिए, गर्दन सीधी होनी चाहिए, दोनों हाथ घुटनों पर होनी चाहिए, आप किसी भी मुद्रा का उपयोग कर सकते हैं-जो आप को सही लगता है।3. धीरे-धीरे अपने ���न को शांत करें ,और ध्यान अपनी सांसो पर रखें। सिर्फ़ इसी बात पर ग़ौर करें कि साँस कैसे आ रही है और कैसे जा रही है।4. मन में अगर कोई विचार आए तो उसको जाने दे और फिर से अपने ध्यान को सांसो पर टिका है।5. सिर्फ़ सांसो पर ध्यान देने की क्रिया को एक सप्ताह तक करते रहें उसके उपरांत हीं इस क्रिया में आगे बढ़ें ।विपश्यना करने से क्या लाभ होते हैं?1. विपश्यना करने से मन को शांति मिलती है।Vipassana brings peace of mind.मन को शांत करने का सबसे अच्छा तरीका है विपश्यना करना ।2. जटिल बीमारी भी विपश्यना करने से ठीक होता है Complex disease is also cured by doing Vipassana.जटिल बीमारी भी लंबे समय तक विपश्यना के अभ्यास से छूट जाते हैं। क्योंकि विपश्यना के अभ्यास से हमारे भौतिक शरीर में जीवन ऊर्जा का प्रवाह बहुत बढ़ जाता है जिसके कारण हमारे शरीर की बीमारियाँ जाती रहती हैं।3.मानसिक रोगों से मुक्ति Freedom from mental diseasesमानसिक रोगों के लिए विपश्यना एक के दिव्य औषधि की तरह कार्य करता है। जो व्यक्ति किसी भी प्रकार के मानसिक रोग से ग्रसित हैं उनको ध्यान तो अवश्य करना चाहिए. या एस. एन. गोयनका जी का 10 दिनों का विपश्यना शिविर कर लेना चाहिए.4."स्व" की संपूर्ण जागरूकताself awareness of विपश्यना अपने आपको जानने की एक लंबी प्रक्रिया है। लंबे समय तक अभ्यास करने के बाद आदमी सच्चे "स्व" की संपूर्ण जागरूकता कि स्थिति में आ जाता है।5. एकाग्रता में सुधार- Improvement in concentrationविपश्यना के अभ्यास से दिमाग़ का एकाग्रता बढ़ता है, इस कारण बच्चे और विद्यार्थियों को का अभ्यास बचपन से ही करना चाहिए.6. विचारों पर नियंत्रण-Controls thoughts -विपश्यना के अभ्यास करने से विचारों पर नियंत्रण हो जाता है। मन की चंचलता को संतुलित करने के लिए विपश्यना एक अच्छा अभ्यास माना जाता है।7. चुनौतियों का सामना करने की शक्ति-Power to face challengesबिपाशा के अभ्यास से मन इतना सशक्त हो जाता है कि आप जीवन में आने वाले किसी भी चुनौतियों का सामना बैठकर कर सकते हैं।8. मन की स्थिरता-Stability of mindविपश्यना करने वाला व्यक्ति हमेशा एक समान स्थिति में रहता है मैं तो ज़रूर से ज़्यादा दुखी होता है और ना ही ज़रूरत से ज़्यादा खुश होता है। चाहे परिस्थिति कुछ भी हो उपासना करने वाला सच्चा व्यक्ति हमेशा समता में अवस्थित रहता है।9.वर्तमान में जीना सिखाता है-Live teaches Live in the present moment-विपश्यना मेडिटेशन के एक चरण में- मन में एक बात बार-बार दोहराया जाता है-अनित्य है, अनित्य है, अनित्य है। इसका मतलब यह हुआ कि मन हमेशा या तो भूतकाल में जीता है या भविष्य काल में जीता है और बहुत गालियाँ भविष्य काल की बातों को सोच कर या तुम दुखी होता है या खुश होता है। लेकिन इस प्रक्रिया में इस बात का प्रेक्टिस करवाया जाता है कि संसार में कुछ भी स्थाई नहीं है। यानी आज कोई दुखी है तो कल वह खुश होगा और आज जो आज खुश है वह कल दुखी भी होगा। तो क्यों किसी बात को पकड़ कर प्रेजेंट समय में अपने आप को प्रभावित करें। भगवान कृष्ण कहते हैं कि संसार में कोई ऐसा चीज़ घटित नहीं होता जिस से बहुत अधिक खुश हुआ जाए और कोई ऐसी घटना घटित नहीं होती, जिससे बहुत ज़्यादा दुखी होना परे। यह तो सिर्फ़ एक मोह है जो हमें किसी व्यकि या वस्तु से बाँधे रखता है और वास्तव में यह एक भ्रम ही है और कुछ नहीं।10. मोक्ष की ओर यात्रा-Journey towards Mokshaविपश्यना का अंतिम लक्ष्य मोक्ष को पाना है... ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि अगर आप आज से विपश्यना लगेंगे तो आप को मोक्ष की प्राप्ति हो जाएगी। मोक्ष की प्राप्ति एक लंबी यात्रा है जिसमें कई जन्म लगते हैं और मनुष्य जीवन का अंतिम लक्ष्य मोक्ष की प्राप्ति ही है। ध्यान आपको मोक्ष की प्राप्ति की यात्रा में आगे बढ़ाता है। मैं ऐसा बिल्कुल नहीं मानता हूँ किससे विपश्यना ही मोक्ष प्राप्ति का एक रास्ता है। मोक्ष प्राप्ति के रास्ते तो हजारों में है लेकिन चुनाव आपके ऊपर है कि आप कौन-सा रास्ता चुनते हैं। मंज़िल तो एक ही है-मोक्ष।
https://www.jeevankalyan.com/2020/10/why-should-you-do-vipassana.html
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हमारे शरीर में कितने चक्र हैं और इनका क्या कार्य है। ?
अलौकिक जीवन ऊर्जा को संग्रहित करने के लिए हमारे शरीर में हमारे शरीर में वैसे तो 112 चक्र बताए गए हैं लेकिन मुख्य रूप से सात चक्र ही माने जाते हैं। इसी अलौकिक जीवन-ऊर्जा को आज के शोधकर्ता वाइटल एनर्जी कहते हैं।
जिस मनुष्य में अलौकिक जीवन ऊर्जा का प्रवाह और संग्रह जितना अधिक होता है वह मनुष्य भौतिक स्तर पर उतना ही स्वस्थ होता है और मानसिक स्तर पर सफल होता है। इसलिए हर मनुष्य को अपने चक्रों के बारे में थोड़ा बहुत थोड़ा बहुत तो संवेदनशील होना ही चाहिए.
भारतवर्ष में चक्र को जागृत करने के अनेक विधि-विधान मौजूद है, लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि आजकल रेकी के माध्यम से अपने चक्र को जागृत करते हैं और बदले में भारी मूल्य भी चुकाते हैं।
शरीर में चक्र कहाँ पाए जाते हैं?
मनुष्य के शरीर में मुख्य रूप से 7 ऊर्जा के केंद्र होते हैं जिनको अलग-अलग सात चक्रों के नाम से जानते हैं। यह सातों चक्र स्पाइनल कॉर्ड यानी रीड की हड्डी के अलग-अलग हिस्सों में पाए जाते हैं।
आज हमलोग इन्हीं 7 चक्रों के बारे में जानने और समझने का प्रयास करेंगे। इन सातों चक्र में से छह चक्र तो स्पाइनल कॉर्ड में होते हैं और सातवां चक्र मस्तक के ऊपरी भाग पर होता है।
https://www.jeevankalyan.com/2020/10/how-many-chakras-are-there-in-our-body.html
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किसी भी कार्य को करने के लिए सही तरीकों को जानना आवश्यक होता है। अगर सही तरीके से कार्य नहीं किया जाए तो उसका परिणाम तो ग़लत ही होगा। अधिक बुखार के समय चिकित्सक भी नहाने की सलाह देतें हैं लेकिन आप अगर ग़लत तरीके से मरीज को नहायेंगे गो तो परीणाम भी ग़लत हो सकता है।तो क्या है नहाने का सही तरीका?पैर कि तरफ़ से नहाना चाहिए-सबसे पहले अपने पैर पर पानी डालें, उसके बाद जांघों पर, फिर पेट पर उसके बाद कन्धों पर और अंत में सर पर पानी डालें।भारत में पहले लोग सिर्फ़ नदियों में ही नहाते थे। आपको ज्ञात होगा कि जब वे नदी में स्नान करने जातें थे तो सबसे पहले अपना पैर ही पानी में डालतें थे और नीरोग भी रहते थे।
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