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जाति मनुष्य की अशांति का कारण
"गरीब, ऊंचे कुल में दुर्योधन रावण, नीचे कुल की गणिका।
गणिका भिलनी पार उतर गई, गर्व करो मत धन का।।"
जाति, कुल, धन सम्पत्ति का अहंकार त्यागकर नम्रता और आधीनी के साथ प्रभु भक्ति करने से ही परमात्मा प्रसन्न होते हैं और मोक्ष लाभ देते हैं। इसलिए हमें जाति और धर्म की सीमाओं से बाहर निकलकर संत रामपाल जी महाराज की शरण ग्रहण कर मानवता का धर्म अपनाना चाहिए। अधिक जानकारी के लिए अवश्य पढ़िए पुस्तक जीने की राह
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इस दिवाली पर अवश्य जानिए वर्तमान में कलयुग कितना बीत चुका है, कलयुग में एक बार फिर से सतयुग जैसा माहौल कब आयेगा ? जानने के लिए हिन्दू साहेबान! नहीं समझे गीता, वेद, पुराण पुस्तक को Sant Rampal Ji Maharaj App से डाउनलोड करके पढ़ें।
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