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भारतीय पोस्टकार्ड दिवस: एक अनमोल विरासत
भारत में 1 अक्टूबर को भारतीय पोस्टकार्ड दिवस मनाया जाता है, जो हमारी सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। पोस्टकार्ड एक साधारण कागज का टुकड़ा है, लेकिन इसके माध्यम से भावनाओं, संदेशों और किस्सों का आदान-प्रदान किया जाता है। यह एक ऐसा माध्यम था जिसने अनगिनत लोगों को जोड़ने का काम किया, चाहे वे शहरों में हों या गांवों में।
पोस्टकार्ड का ऐतिहासिक महत्व
भारतीय पोस्टकार्ड की शुरुआत 1879 में हुई थी, जब भारत में ब्रिटिश शासन था। उस समय, यह संचार का सबसे किफायती और लोकप्रिय साधन था। लोग इसे अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और यहाँ तक कि सरकारी अधिकारियों को संदेश भेजने के लिए उपयोग करते थे। उस समय पोस्टकार्ड ने लाखों लोगों को जोड़ा और देश के विभिन्न हिस्सों में संपर्क साधने का एक सशक्त माध्यम बना।
पोस्टकार्ड का बदलता स्वरूप
हालांकि डिजिटल युग में सोशल मीडिया, ईमेल और स्मार्टफोन ने संचार के नए तरीके पेश किए हैं, फिर भी पोस्टकार्ड की सादगी और इसके द्वारा भेजे गए संदेशों का प्रभाव कुछ अलग ही होता है। पोस्टकार्ड के जरिए भेजे गए संदेश व्यक्तिगत होते हैं, और उसमें लिखावट की अपनी एक खासियत होती है, जो किसी भी डिजिटल माध्यम से नहीं मिल सकती।
भारतीय डाक और पोस्टकार्ड दिवस
भारतीय डाक सेवा ने वर्षों से पोस्टकार्ड के महत्व को बनाए रखा है। भारतीय पोस्टकार्ड दिवस का उद्देश्य नई पीढ़ी को पोस्टकार्ड के महत्व और इसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि से अवगत कराना है। इस दिन लोग पुराने समय की यादें ताजा करते हैं और पोस्टकार्ड के माध्यम से अपने प्रियजनों को संदेश भेजते हैं।
पोस्टकार्ड का वर्तमान और भविष्य
हालांकि आज की पीढ़ी के पास संदेश भेजने के लिए कई आधुनिक माध्यम हैं, फिर भी पोस्टकार्ड का आकर्षण कभी खत्म नहीं होता। आज भी कुछ लोग इसे संग्रह करने के लिए रखते हैं, जबकि कुछ लोग इसे एक ऐतिहासिक धरोहर के रूप में मानते हैं। कई लोग आज भी पोस्टकार्ड के जरिए अपने यात्रा अनुभव या शुभकामनाएं भेजते हैं।
निष्कर्ष
भारतीय पोस्टकार्ड दिवस हमें यह याद दिलाता है कि संचार का साधन चाहे कोई भी हो, उसकी भावना और जुड़ाव महत्वपूर्ण होता है। पोस्टकार्ड हमारी पुरानी पीढ़ी से एक विरासत है, जिसे हमें संरक्षित रखना चाहिए और आने वाली पीढ़ियों को इसके महत्व के बारे में बताना चाहिए।
तो इस भारतीय पोस्टकार्ड दिवस पर, आइए हम सभी अपने प्रियजनों को एक पोस्टकार्ड भेजें और इस अनमोल धरोहर का हिस्सा बनें।
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मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा झारखंड में 'शर्म आवास विद्यालय' कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य गरीब और वंचित वर्ग के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना है। इस योजना के तहत झारखंड सरकार बेघर या आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए आवासीय विद्यालय स्थापित करेगी, ताकि वे पढ़ाई के साथ-साथ एक सुरक्षित और पोषक वातावरण में रह सकें।
'शर्म आवास विद्यालय' के माध्यम से सरकार न केवल बच्चों को ��िक्षा देगी, बल्कि उनके समग्र विकास की भी देखभाल करेगी। इस योजना का लक्ष्य है कि राज्य के हर बच्चे को शिक्षा का अवसर मिले, चाहे उसकी आर्थिक स्थिति कैसी भी हो। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस अवसर पर कहा कि यह कार्यक्रम राज्य में शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा और इससे झारखंड के बच्चों का भविष्य उज्जवल होगा।
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