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A Cosmic Joke
Some lives start with a blessing.And then some lives start with borrowed time. Jay’s life started with a shock – literally! A sudden jerk during birth injured his spine and neck, and physicians weren’t sure he’d survive infancy. But fate, always one for a dramatic turn, had other plans. Jay lived. Not only lived but flourished.By the age of five, he was just fine. By school age, he’d already…
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Exploring Friendship and Life’s Simple Joys
Jay in his early twenties is happy to meet his peer friend, Deeksha. With whom he shares all ups and downs of his life. She is very much familiar with Jay’s anxiety problem, so they dive down the conversation and enjoy the vibe. In the end, this gets interesting. They collectively enjoy listening to Bollywood classics. SRK is their rhythm. It’s been more than two years since Jay and Deeksha…
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A Tale of Anger and Deceit
दोपहर का वक्त था, लू चल रही थी और सूरज उफक पर था। सभी खाना खा रहे थे! महेश अपने ससुराल पत्नी को वापस घर लाने को गया हुआ था। साथ में उसका भाई राजेश भी गया था। महेश आँगन में चारपाई पर बैठा खाना खा रहा था। तभी उसने अपनी पत्नी सरला को चावल लाने को कहा! उस दिन सरला की तबीयत कुछ ठीक नहीं थी। किसी तरह वो दीवार का सहारा लेते हुए उठी और कुकर से चावल निकाल कर महेश की थाली में रखने लगी। यह करते हुए महेश…
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The Art of Writing: Breaking Free from Caged Words
That day when paper, pen, and fingers felt different. Writing a story or a poem, nobody was paying for that. Professional writing kills the art of writing, words bleed out of fingers. Conflicts are there. The ink in the pen had dried, paper had curls because nobody had touched it for months. Money was coming, but happiness? What’s that? A tired mind sleeps a thousand times with a packet of…
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From Friendship to Strength: Coping with Adversity
Among all the experiences, I have several of them that are unforgettable, as someone had said, when an experience is attached to a significant amount of stress, one can remember the experience, whether it was good or bad. On the first day in school, I happened to sit with Nidhi, later everybody got to know about her health complications that could be fatal as she was suffering from thalassemia.…
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The Double Standards of Society on Eid
बहुत कुछ लिखने का मन है जैसे आँसू गिरते हैं आँखों से मन हल्का हो जाता है कश्मीर फाइल्स देख के आए लोगों को देखने का मन है उसके बाद एक दोस���त के घर जाना है उसके यहाँ आज ईद है, लोग कह रहे हैं वो मुसलमान है ज़हर खिला देगा, ये सुनकर मैंने लोगों को बहुत मारा कहीं अंदर से आवाज आई, मरे हुए शख़्स को मार रहा है तू कायर है। अब रुक गया हूँ शहर में ईद है पर लगता नहीं, ईद है लगता है…
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The Beauty of Trees in Autumn
ये पतझड़ है या बसंत के दिन, किसी बेचैनी में लगता है ये पेड़। थोड़ी देर शांत बैठा जाए तो किसी ने कहा था कि पेड़ों को सुना जा सकता है। बिना पत्तियों वाला पेड़, उस बच्चे को कैस�� लगता होगा जिसने बचपन से हरे भरे पेड़ देखे। क्या उसे सपने आते होंगे की इन पत्तियों को हटा दिया जाए तो आंतरिक ख़ूबसूरती उभर आएगी। ये बिल्कुल वैसा ही है जैसे, एक शख़्स जो टूट चुका है और कुछ अलग करने की सोच रहा होता है। इसी बीच…
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Sabir's Story: An Evening of Misfortune
एक सामान्य रविवार की शाम। सूर्य अस्त होने वाला था। इस बीच, साबिर शहर के हिंदू बाहुल्य इलाके में सब्ज़ी बेचने गया। वह निवासियों से अपनी ट्रॉली से सब्ज़ियांँ खरीदने के लिए कह रहा था। जैसे ही वह इलाके की दूसरी गली में पहुंचा, एक अधेड़ उम्र का व्यक्ति अपने घर से बाहर आया और साबिर से पूछताछ करने लगा। उनसे नाम और धर्म पूछते हुए आधार कार्ड दिखाने को कहा। हालांकि, साबिर अपनी पहचान साबि�� नहीं कर पाए।…
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Voices of a community stuck in Misconceptions
कल्पना कीजिए आप समाज के बनाए हुए अल्पसंख्यक समुदाय से आते हैं और समाज में आजकल बहुसंख्यकों द्वारा फैलाई जा रही भ्रांति के कारण आप डरे-डरे से रहते हैं। डर, एक ऐसा डर जहाँ आप अपने ही घर में सुरक्षित महसूस ना कर सकें! कोई भी आ कर आपको जान से मार सकता है या ऐसा करने की धमकी दे सकता है, ऐसा प्रतीत होने वाला डर। आप सुबह दूध, ब्रेड लेने जाते वक्त भी घबराए हुए रहते हैं! तो आप भोर होते ही दुकान से राशन…
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Story on Social Inequality and Conflict
कल्पना कीजिए, समाज में असमंजस कि स्थिति है। पड़ोसी पड़ोसी को मारने लगा है! दो तीन जगह ऐसा वाकया हुआ भी है! आप समाज द्वारा बनाए अल्पसंख्यक समुदाय के इलाके में रहते हैं। पर आप समाज द्वारा बनाए बहुसंख्यक समुदाय से आते हैं! एक दिन अचानक, भीड़ आपके मोहल्ले में दाखिल होती है और बहुसंखयक समुदायों के घरों (जिसमें आपका भी घर शामिल है) पर भगवा रंग का झंडा लगाने लगती है! यह सब होते हुए आपके साथ-साथ बाक़ी…
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A Ray of Hope amid Financial Difficulties
एक शख़्स रोज़ सुबह से देर शाम तक चौराहे दर चौराहे भटकता रहता है। वो एक व्यवसाय क��� रहा है; उसको पता है, जो वो बेंच रहा है ज़हर के समान है। अपनी साइकिल की हैंडल से लेकर सीट के पीछे कैरियर तक, सैकड़ों बंडल पान मसाला, गुटखा के पैकेट रस्सी के सहारे बांधे कुछ सोंच रहा है। बीते शाम यूंही टहलते हुए वह शख़्स मुझे दिखा और मैं ठहरा! मेरे से कुछ 200 मीटर दूर वैसे ही पान मसाला के पैकेट का बंडल साइकिल पर लिए…
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Aayan's Cycling Tour: An Evening in Kashmir
शाम का वक़्त था कुछ छ: बज रहा होगा, डूबते सूरज से आसमान लाल हो गया था। आयान अपने घर के दूसरे मंज़िल की बालकनी में खड़ा इस बदलते वक़्त को देख रहा था। देखते देखते उसे बाहर सैर पर जाने का मन हुआ, उसने अपनी मां को आवाज़ लगाते हुए बाहर जाने की इजाज़त मांगी, फिर साइकिल से सैर पर निकल पड़ा! सैर का आधा रास्ता गुज़र चुका था, फिर वह शहर की तरफ मुड़ गया। जैसे ही कुछ दूरी पर पहुंचा, उसने बंदूक लिए पुलिस…
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Man in a City
एक लड़का है जो दूसरों की तरह ही इस शहरी भीड़ कि रफ़्तार में ख़ुद को ढालने की कोशिश करता है.. रोज़ सुबह अपने लिए एक महफ़ूज़ जगह तलाशने घर से निकलता है.. अपनों से दूर कुछ अंजान मुसाफ़िरों के बीच बैठकर अपना समय काटता है.. वो एक फ़िक्रमंद सोच लिए कभी सुबह-सुबह चाय की टपरी पर बैठ जाता है! चाय की ख़ुशबू के बीच वो अखबार से निकलती हुई खबरों को इस क़दर अपने जिज्ञासा भरे मन में क़ैद कर लेता है, कि पूरा…
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A Dreamy World filled with Loving Memories
तुम अपने ख़्वाबों को सच समझकर, रोज़ उस तकिये से लिपट कर सो जाया करती हो.. क्या तुम्हे वो सारे पल याद हैं, जो तुमने उसके साथ बिताये थे! वो रातें, जो तुमने उसके कमरे में, एक ही बिस्तर पर घण्टों बातें करके गुज़ारी थी। क्या वो शर्ट आज भी तुम्हारे पास है, जो उसने तुमको दी थी.. क्योंकि जब तुम उसके घर पहुँची, तब बाहर बहुत तेज़ बारिश हो रही थी और तुम्हारा बदन भीग चुका था, गाल सुर्ख़ थे, आंखों में एक…
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A Beautiful Morning: 90s Music and Games
वो दिन भी क्या दिन थे… नब्बे(90s) के दशक की वो सुबह जब ग्रामोफ़ोन की आवाज़ पे लोग उठते थे संगीत की धुन से दिन की शुरुआत, कुछ अलग एहसास दिलाती थी.. अब ये सब नहीं रहा! सड़कों पर गली मोहल्ले में बच्चे मौज-मस्ती करते दिखते थे, दिनभर पिट्ठू, पकड़म-पकड़ाई जैसे खेलों से मन बहलाया करते थे.. किताबें पढ़ने का शौक तो उस ज़माने ने जगाया, ज़िन्दगी का असल मतलब भी वहीं से आया.. चम्पक ने हमें सोचना…
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Visit to Grandmother's place this Summers of 2025
नानी के घर से मेरा जुड़ाव बचपन से रहा है। वो प्यार-वो स्नेह और कहीं नहीं मिलता है, जो नानी के घर जाने पर मिला करता था। मुझे आज भी याद आते हैं वो गर्मी के दिन, यही कोई जून का महीना था; गर्मी की छुट्टियाँ शुरू हो गयी थी। स्कूल से ये, दो महीने की मोहलत मानो मेरे लिये एक तोहफा हो। नानी के घर में अपनी बात रखना बहुत आसान होता है, मनपसंद चीज़ें, एक तरह से ज़िन्दगी को खुल के जीना, एक अलग पड़ाव ज़िन्दगी…
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Reality check on Clean India Campaign
सादिक और सौम्या रेलगाड़ी से सफ़र करते हुए लखनऊ के स्टेशन पर पहुंचे! दोनों अपने साथ एक बच्चे को भी लाए थे, नाक नक्श सबके अलग थे। जैसे ही रेलगाड़ी लखनऊ जंक्श�� पे रुकी, तो सौम्या ने सादिक से केले खरीदने को कहा, क्योंकि वह रेलगाड़ी रुकते ही उतर गया था। फट से जाके सादिक प्लेटफॉर्म नंबर 5 से एक दर्जन केला अख़बार में लपेट कर ले आया! सौम्या ने केले का गुच्छा हाथ में लेते ही अपने साथ लाई उस बच्चे को एक…
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