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helputrust · 4 months ago
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25.09.2024, लखनऊ | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के जनहित मे सहयोग से "पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी की 108वीं जयंती" के अवसर पर दीन दयाल उपाध्याय शोध संस्थान द्वारा “विश्व पटल पर आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभरता भारत” एवं “विकसित भारत विजन 2047” विषयक कार्यक्रम का आयोजन होटल क्लार्क अवध, लखनऊ में किया गया । इस आयोजन में प्रमुख वक्ताओं के रूप में श्री एन. के. सिंह, सेवानिवृत्त आईएएस, पूर्व राज्यसभा सदस्य एवं अध्यक्ष, 15वें वित्त आयोग, श्री राकेश शर्मा, अध्यक्ष, इंडियन न्यूज़पेपर सोसाइटी, नई दिल्ली और कार्यक्रम संयोजक श्री ब्रजेश पाठक उप मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सहित, लखनऊ के प्रबुद्धजनो, गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे ।
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन से हुआ तथा श्री एन. के. सिंह, श्री राकेश शर्मा, श्री ब्रजेश पाठक, श्री भूपेंद्र सिंह चौधरी, श्री ब्रजेश मिश्र, श्री एच. जी. एस. परिहार ने पं. दीन दयाल उपाध्याय जी के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की ।
उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री श्री ब्रजेश पाठक ने मुख्य वक्ता श्री एन. के. सिंह और श्री राकेश शर्मा को पुष्पगुच्छ भेंट कर उनका स्वागत किया ।
श्री एन. के. सिंह ने "विश्व पटल पर आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभरता भारत" पर अपने विचार रखते हुए कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी की विचारधारा को आगे बढ़ाते हुए भारत को एक नई दिशा दी है ।उनकी नीतियां गरीबों के कल्याण और नई तकनीक के विकास पर केंद्रित रही हैं, जो भारत की प्रगति में सहायक हैं । केंद्र और राज्य सरकारों के संयुक्त प्रयास से ही  भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का सपना साकार हो सकता है ।”
श्री राकेश शर्मा ने “विकसित भारत विजन 2047” पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा, “पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी का जीवन हम सभी के लिए प्रेरणादायक है ।उनका उद्देश्य समाज के अंतिम व्यक्ति का कल्याण था, ताकि 'सबका साथ, सबका विकास' का सपना साकार हो सके।”
श्री ब्रजेश पाठक ने अपने संबोधन में कहा, “पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी का मानना था कि समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति को मुख्य धारा में लाना ��वश्यक है, तभी स्वतंत्र भारत का सपना पूरा होगा। प्रधानमंत्री न��ेंद्र मोदी जी की नीतियां इसी दिशा में कार्य कर रही हैं, जैसे किसान सम्मान निधि, प्रधानमंत्री आवास योजना, और मुफ़्त स्वास्थ्य सेवाएं ।”
मुख्य वक्ताओ से सवाल जवाब भी किए गए । कार्यक्रम समाप्ती पर मुख्य वक्ता श्री एन. के. सिंह तथा श्री राकेश शर्मा का प्रतीक चिन्न से सम्मान किया गया | 
कार्यक्रम में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री भूपेंद्र सिंह चौधरी, पद्मश्री डॉ एस. एन. कुरील, पद्मश्री डॉ सुनील प्रधान, पद्मश्री विध्या बिन्दु सिंह, पूज्य महंत राम सेवक दास, श्री ब्रजेश मिश्र, प्रधानसंपादक, भारत समाचार न्यूज़ चैनल, समाजसेवी श्रीमती नम्रता पाठक, सिटी मोंटेसरी स्कूल की प्रबंधक डॉ. गीता गांधी किंगडन, कवि श्री सर्वेश अस्थाना, पत्रकार श्री नवल कान्त सिन्हा, अधिवक्ता श्री प्रशांत सिंह अटल, श्री सुरेश पांडे, डॉ. ए पी टिक्कू, श्री गोरे गुलाटी, श्री शिव शंकर अवस्थी, श्री मुकेश बहादुर सिंह, श्री संदीप बंसल, श्री मुकेश शुक्ला, सी.ए. पी के धवन, यूनिवर्सल बुक सेलर्स के श्री गौरव प्रकाश, रंगकर्मी श्री अनिल रस्तोगी, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल, तथा अन्य गणमान्य बुद्धिजीवी अतिथिगण उपस्थित रहे ।
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hardinnews0207 · 1 year ago
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Rajasthan's Evolving Geopolitical Landscape: A Look at the State's New Map
परिचय
क्षेत्रफल के हिसाब से भारत का सबसे बड़ा राज्य राजस्थान अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, जीवंत परंपराओं और विविध भूगोल के लिए जाना जाता है। यह राजसी राज्य पूरे इतिहास में कई साम्राज्यों और राजवंशों का उद्गम स्थल रहा है, जो अपने पीछे एक ऐसी विरासत छोड़ गया है जो इसकी पहचान को आकार देती रहती है। हालाँकि, पिछले कुछ वर्षों में राजस्थान की भौगोलिक सीमाओं में महत्वपूर्ण परिवर्तन देखे गए हैं, और हाल के दिनों में, एक नया मानचित्र सामने आया है, जो राज्य के भू-राजनीतिक परिदृश्य को फिर से परिभाषित करता है। इस लेख में, हम राजस्थान के विकसित होते मानचित्र और इन परिवर्तनों में योगदान देने वाले कारकों का पता लगाएंगे।
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ऐतिहासिक सीमाएँ
नए मानचित्र पर गौर करने से पहले राजस्थान की ऐतिहासिक सीमाओं को समझना जरूरी है। राज्य का भूगोल हमेशा वैसा नहीं रहा जैसा हम आज जानते हैं। राजस्थान का इतिहास विभिन्न राजवंशों के उत्थान और पतन के कारण क्षेत्रीय विस्तार और संकुचन के उदाहरणों से भरा पड़ा है। राजस्थान के क्षेत्र ने राजपूत वंशों, मुगलों, मराठों और अंग्रेजों का शासन देखा है, जिनमें से प्रत्येक ने राज्य की सीमाओं पर अपनी छाप छोड़ी है।
आधुनिक राजस्थान का निर्माण
आधुनिक राजस्थान राज्य, जैसा कि हम आज इसे पहचानते हैं, का गठन 30 मार्च, 1949 को हुआ था, जब राजस्थान की रियासतें एक एकीकृत इकाई बनाने के लिए एक साथ आईं। इस एकीकरण से पहले, राजस्थान रियासतों का एक समूह था, जिनमें से प्रत्येक का अपना शासक और प्रशासन था। इन रियासतों के एकीकरण ने राजस्थान के लिए एक नए युग की शुरुआत की, जिसमें विभिन्न संस्कृतियों, भाषाओं और परंपराओं को एक बैनर के नीचे एक साथ लाया गया।
राजस्थान का नया मानचित्र
हाल के वर्षों में, राजस्थान के मानचित्र में ऐसे परिवर्तन देखे गए हैं, जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों का ध्यान आकर्षित किया है। ये परिवर्तन मुख्य रूप से प्रशासनिक सीमाओं के पुनर्गठन और नए जिलों के निर्माण के इर्द-गिर्द घूमते हैं। यहां कुछ उल्लेखनीय विकास हैं:
नये जिलों का निर्माण: राजस्थान के मानचित्र में एक महत्वपूर्ण बदलाव नए जिलों का निर्माण है। राज्य सरकार ने प्रशासनिक दक्षता में सुधार और शासन को लोगों के करीब लाने के लिए यह पहल की है। उदाहरण के लिए, 2018 में, राज्य सरकार ने सात नए जिलों, अर्थात् प्रतापगढ़, चूरू, सीकर, झुंझुनू, उदयपुरवाटी, दौसा और नागौर के निर्माण की घोषणा की। इन परिवर्तनों का उद्देश्य नागरिकों को बेहतर प्रशासन और सेवा वितरण करना था।
सीमा विवाद: राजस्थान की सीमाएँ गुजरात, हरियाणा, पंजाब और मध्य प्रदेश सहित कई पड़ोसी राज्यों के साथ लगती हैं। सीमा विवाद एक लंबे समय से चला आ रहा मुद्दा रहा है, जो अक्सर क्षेत्र और संसाधनों पर विवादों का कारण बनता है। इन विवादों के परिणामस्वरूप कभी-कभी राजस्थान के मानचित्र में परिवर्तन होता है क्योंकि संघर्षों को हल करने के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों को फिर से तैयार किया जाता है। ऐसे विवादों के समाधान में अक्सर राज्य सरकारों और केंद्रीय अधिकारियों के बीच बातचीत शामिल होती है।
बुनियादी ढांचे का विकास: बुनियादी ढांचा विकास परियोजनाएं राजस्थान के मानचित्र को भी प्रभा��ित कर सकती हैं। नई सड़कों, राजमार्गों और रेलवे का निर्माण राज्य के भीतर विभिन्न क्षेत्रों की पहुंच और कनेक्टिविटी को बदल सकता है। ऐसी परियोजनाओं से भौगोलिक सीमाओं की धारणा में बदलाव के साथ-साथ कुछ क्षेत्रों में आर्थिक विकास भी हो सकता है।
शहरीकरण: राजस्थान में हाल के वर्षों में तेजी से शहरीकरण हो रहा है। जैसे-जैसे शहरों और कस्बों का विस्तार होता है, उनकी सीमाएँ अक्सर आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों को घेरती हुई बढ़ती हैं। इस शहरी फैलाव के परिणामस्वरूप जिलों और नगरपालिका क्षेत्रों की प्रशासनिक सीमाओं में बदलाव हो सकता है, जो राज्य के मानचित्र में परिलक्षित हो सकता है।
प्रभाव और निहितार्थ
राजस्थान के मानचित्र में बदलाव के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रभाव हैं। सकारात्मक पक्ष पर, नए जिलों के निर्माण और प्रशासनिक सुधारों से अधिक प्रभावी शासन, बेहतर सेवा वितरण और बेहतर स्थानीय विकास हो सकता है। यह निर्णय लेने की प्रक्रिया में नागरिकों के बेहतर प्रतिनिधित्व और भागीदारी को भी सुविधाजनक बना सकता है।
हालाँकि, इन परिवर्तनों के साथ चुनौतियाँ भी जुड़ी हुई हैं। सीमा विवाद कभी-कभी पड़ोसी राज्यों के बीच तनाव का कारण बन सकते हैं और ऐसे विवादों के समाधान के लिए राजनयिक प्रयासों और बातचीत की आवश्यकता होती है। इसके अतिरिक्त, जबकि शहरीकरण और बुनियादी ढांचे का विकास आर्थिक अवसर ला सकता है, वे पर्यावरण संरक्षण, भूमि उपयोग और संसाधन प्रबंधन से संबंधित चुनौतियां भी पैदा करते हैं।
निष्कर्ष
राजस्थान का नया नक्शा इसके भू-राजनीतिक परिदृश्य की गतिशील प्रकृति को दर्शाता है। राज्य में क्षेत्रीय परिवर्तनों का एक समृद्ध इतिहास है, और इसकी सीमाएँ ऐतिहासिक, प्रशासनिक और विकासात्मक कारकों के कारण समय के साथ विकसित हुई हैं। हालाँकि इन परिवर्तनों का शासन, सीमा विवाद और शहरीकरण पर प्रभाव पड़ सकता है, लेकिन ये बेहतर प्रशासन और विकास के अवसर भी प्रदान करते हैं।
जैसे-जैसे राजस्थान का विकास और विकास जारी है, नीति निर्माताओं, प्रशासकों और नागरिकों के लिए यह आवश्यक है कि वे इन परिवर्तनों के निहितार्थों पर विचार करें और यह सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करें।
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ashfaqqahmad · 2 years ago
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CRN-45
जिस हिसाब से दुनिया में बेतहाशा भीड़ बढ़ रही है... कार्बन उत्सर्जन बढ़ रहा है... लोग प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध उपभोग करके उन्हें खत्म कर रहे हैं... और लगातार अपने लिये स्पेस बढ़ाते हुए बाकी सभी क्रीचर्स के लिये जगह और मौके सीमित करते जा रहे हैं, जिनसे हमारा इको सिस्टम प्रभावित हो सकता है... तो  ऐसे में एक दिन कुदरत भी कोई मौका निकाल कर बदला लेने पर उतर आये तो? अपने देश को देखिये... देश के लोगों को देखिये... क्या इन्हें एक नागरिक के तौर पर अपनी भूमिका की समझ है? क्या एक इंसान के तौर पर अपनी प्राथमिकताओं का पता है इन्हें? आपको व्यवस्था वैसी ही मिलती है जैसे आप होते हैं और अगर आप खुद ही समझदार और जागरूक नहीं हैं— तो यह तय है कि आपको सिस्टम भी वैसा ही लापरवाह मिलेगा। ऐसी हालत में कोई डेडली वायरस इनवेशन हो तो? फिर वह वायरस नेचुरल हो या बायोवेपन... उससे ज्यादा बड़ा सवाल यह है कि क्या हमारी व्यवस्था उस अटैक को संभाल पायेगी? क्या हमारे द्वारा चुन�� गयी सरकारों ने हमें वह सिस्टम दिया है जो किसी मेडिकल इमर्जेंसी को संभाल सके? शायद नहीं... कल्पना कीजिये कि ऐसे ही किसी विश्वव्यापी वायरस संक्रमण के सामने हमारी व्यवस्था कैसी लचर साबित होगी और करोड़ों लोग अकाल मृत्यु को प्राप्त होंगे। सीआरएन फोर्टी फाईव ऐसे ही एक विश्वव्यापी संक्रमण की कहानी है— जिसका शिकार हो कर दुनिया की तीन चौथाई आबादी खत्म हो गयी थी और गिने-चुने विकसित देशों को छोड़ कर सभी देशों की व्यवस्थायें इस त्रासदी के आगे दम तोड़ गयी थीं और त्रासदी से उबरने के बाद भी सभी सिस्टम कोलैप्स हो जाने की वजह से ऐसी अराजकता फैली थी कि लाखों सर्वाइव करने वाले लोग फिर भी मारे गये थे... और बचे खुचे लोगों में करोड़ों की भीड़ तो वह थी जो इस संक्रमण का शिकार हो कर अपनी मेमोरी पूरी तरह खो चुकी थी और ताजे पैदा हुए बच्चे जैसी हो गयी थी। यह वह मौका था जिसने उन सभी दबंग, बाहुबली और ताकतवर लोगों के लिये संभावनाओं के द्वार खोल दिये थे जो इस त्रासदी के बाद भी अपनी ताकत सहेजे रखने में कामयाब रहे थे। उन्होंने व्यवस्थाओं को अपने हाथ में लेकर उनकी सूरत बदल दी... देशों के बजाय ढेरों टैरेट्रीज खड़ी हो गयीं और उन्होंने बची खुची आबादियों को नियंत्रित कर लिया। लेकिन क्या यह व्यवस्थायें भी हमेशा कायम रह सकती थीं... एक न एक दिन तो कहीं न कहीं बगावत का बिगुल फूंका जाना तय था और यह कहानी एक ऐसी ही बगावत की है, जो दुनिया को वापस पहले जैसा बना देने की कूवत तो रखती है... लेकिन सभी पिछली गलतियों से सबक लेकर एकदम नये रूप में... उस रूप में जो प्रकृति के साथ संतुलन बना कर चल सके और बाकी सभी क्रीचर्स के सह-अस्तित्व को पूरा सम्मान देते हुए उन्हें उनके हिस्से का स्पेस और मौके उपलब्ध करा सके और एक नया एडवांस डेमोक्रेटिक सिस्टम स्थापित कर सके। amazon kindle flipkart
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worldinyourpalm · 2 years ago
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कम उम्र की लड़कियों से शादी करने वाले पुरुषों पर असम में शिकंजा | Men who have married underage girls face harsh penalties in Assam;
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असम में बाल विवाह (लड़कियों की शादी उम्र से पहले)
गुवाहाटी: असम कैबिनेट ने सोमवार को राज्य पुलिस को 14 साल से कम उम्र की लड़कियों से शादी करने वाले पुरुषों पर कार्रवाई शुरू करने और उन्हें पॉक्सो एक्ट के तहत गिरफ्तार करने का निर्देश दिया, जबकि 14 से 18 साल की उम्र की लड़कियों से शादी करने वालों को गिरफ्तार किया जाएगा। बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के तहत।
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि मोटे अनुमान के मुताबिक, राज्य में एक लाख से ज्यादा लड़कियों की शादी उम्र से पहले कर दी गई है।
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 का हवाला देते हुए
(2019-20) की रिपोर्ट में सरमा ने कहा कि असम में बाल विवाह की संख्या बढ़ रही है। उन्होंने कहा, 'हमारे अपने एक सर्वे में हमने पाया है कि राज्य में महज नौ साल की एक लड़की मां बनी है।'
चूंकि पिछली सरकारों ने राज्य में बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 पर ध्यान नहीं दिया, इसलिए हमारी शिशु मृत्यु दर और मातृ मृत्यु दर देश में सबसे अधिक बनी हुई है।
यह एक ऐतिहासिक भूल है और हम इसे सुधारने का प्रयास कर रहे हैं। उम्मीद है कि अब से सालों बाद हम असम को बाल विवाह से पूरी तरह मुक्त कर सकते हैं, 'असम के सीएम ने कहा।
NFHS-5 सर्वेक्षण के अनुसार, 20 से 24 वर्ष की आयु की महिलाएं जिनकी शादी 18 वर्ष की आयु से पहले हुई थी, असम में 31% से अधिक महिलाएं हैं, जबकि 2019-20 में राष्ट्रीय औसत 23% से अधिक है......
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indlivebulletin · 1 day ago
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मोदी सरकार ने राज्यों को बांटे 1.73 लाख करोड़, अब करना होगा ये काम
केंद्र ने राज्य सरकारों को विकास की रफ्तार बढ़ाने और कल्याणकारी गतिविधियों के तेज करने के लिए शुक्रवार को 1.73 लाख करोड़ रुपए का टैक्स कलैक्शन ट्रांसफर कर दिया. वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘राज्यों को पूंजीगत व्यय में तेजी लाने और उनके विकास एवं कल्याणकारी गतिविधियों संबंधी व्यय के वित्तपोषण में सक्षम बनाने के लिए इस महीने टैक्स कलैक्शन की अधिक राशि ट्रांसफर की है.’ मंत्रालय ने कहा कि…
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allhindinews24h · 2 days ago
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ठंड का कहर, स्कूलों की छुट्टियों को लेकर इस राज्य में जारी हुआ आदेश | School Closed Due to Cold Wave
भारत में ठंड का मौसम अपने चरम पर है और इस समय कई राज्य ठंड से जूझ रहे हैं। इस बीच, ठंड के कहर के कारण कई राज्य सरकारों ने स्कूलों की छुट्टियाँ घोषित कर दी हैं। खासकर उत्तर भारत में, जहाँ पर बर्फबारी और अत्यधिक ठंड के कारण बच्चों के स्वास्थ्य पर असर पड़ रहा था, सरकारों ने स्कूल बंद करने का निर्णय लिया है। इस लेख में हम उस राज्य और आदेश के बारे में चर्चा करेंगे जिसमें स्कूलों की छुट्टियाँ घोषित की…
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vedantbhoomidigital · 4 days ago
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धीमी प्रक्रिया: आदर्श चुनाव संहिता लागू होने से प्रमुख परियोजनाएं प्रभावित होंगी | दिल्ली समाचार
नई दिल्ली: चुनाव के दौरान आदर्श आचार संहिता लागू होने के साथ ही चल रही परियोजनाएं लोक निर्माण विभाग, दिल्ली जल बोर्ड और दिल्ली नगर निगम धीमी होने की संभावना है। प्रभावित होने वाले कार्यों में बस टर्मिनल, जल उपचार संयंत्र, सड़क मरम्मत और पार्किंग सुविधाएं शामिल हैं। ओखला सीवेज ट्रीटमेंट प्लांटउदाहरण के लिए, केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा संयुक्त रूप से निर्मित और जो 98% तैयार है, चालू नहीं किया जा…
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rightnewshindi · 5 days ago
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केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात करेंगे मुकेश अग्निहोत्री, जानें किस मुद्दे पर होगी चर्चा
Himachal News: केंद्र सरकार देशभर में स्क्रैप पालिसी पर राज्य सरकारों की प्रतिक्रिया लेगी। केंद्रीय सडक़ परिवहन मंत्री नितिन गडकरी मंगलवार को दिल्ली में आयोजित होने वाली इस बैठक की अध्यक्षता करेंगे। अलग-अलग राज्य��ं के परिवहन मंत्री इस मीटिंग में हिस्सा लेंगे। स्क्रैप पालिसी पर हिमाचल का पक्ष रखने के लिए उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्रिहोत्री दिल्ली पहुंच गए हैं। वे इस मीटिंग में हिस्सा लेकर अपनी…
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epictureplus · 12 days ago
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फिल्मी हस्तियों को भी मिलना चाहिए भारत रत्न अवॉर्ड, केंद्र सरकार करे विचार
सिनेमा और भारत रत्न: बहस ; भाग-एक  -अजय ब्रह्मात्मज*  (‘भारत रत्न’ सम्मान के संदर्भ में हमारी सरकारों का ध्यान सिने जगत की हस्तियों की ओर क्यों नहीं जाता? इसकी क्या वजह है? इस मुद्दे पर पिक्चर प्लस पत्रिका ने नवंबर-दिसंबर-2024 का विशेष अंक प्रकाशित किया। बहस में शामिल प्रसिद्ध कलाकारों और नामी लेखकों के लेखों व टिप्पणियों को हम यहां क्रमवार तरीके से प्रकाशित कर रहे हैं। यहां पढ़ें देश के…
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livetimesnewschannel · 16 days ago
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Military Coup in Syria and Bangladesh
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Introduction
Coup in Syria and Bangladesh: साल 2024 खत्म होने वाला है. इस साल कई देशों में राजनीतिक उथल-पुथल देखी गई. बांग्लादेश से लेकर सीरिया और बुर्किना फासो तक मौजूदा सरकारों को सेना और विरोधियों की ओर से हिंसक तरीके से उखाड़ फेंकने की कोशिशें की गई. हालांकि, इनमें से कुछ लोकतांत्रिक देश भी हैं, जहां लोकतंत्र को समान विकास और सद्भाव सुनिश्चित करने का सबसे अच्छा तरीका माना जाता है.
इन तख्तापलट की घटनाओं ने उन देशों के समाज को हाशिये पर धकेल दिया और उन राष्ट्रों को नियंत्रित करने वाली राजनीतिक प्रणालियों की नाजुकता को भी उजागर किया. साल 2024 में पहली बार सैन्य तख्तापलट की कोशिश 26 जून को बोलीविया में हुई थी. इस दौरान सैनिकों ने राष्ट्रपति भवन पर धावा बोला और ला पाज के मुख्य चौक पर कब्जा कर लिया. राष्ट्रपति को हटाने के लिए जनरल जुआन जोस जुनिगा ने सैनिकों और टैंकों का सहारा लिया. हालांकि, बाद में उन्हें गिरफ्तार कर लिया है.
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बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार का पतन
5 अगस्त को देश छोड़कर भागीं शेख हसीना
सीरिया में बशर अल-असद के शासन का अंत
अरब स्प्रिंग ने कैसे बदला सीरिया का नक्शा?
बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार का पतन
साल 1971 बांग्लादेश की आजादी के लिए लड़ने वालों स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार के सदस्यों को सिविल सेवा नौकरियों में दिए गए आरक्षण को लेकर 1 जुलाई को पहली बार प्रदर्शन देखने को मिला. लाखों की संख्या में छात्र सड़कों पर उतर आए. छात्र के प्रदर्शन को देखते हुए सरकार ने अधिकांश कोटा वापस ले लिया. फिर भी छात्रों ने प्रदर्शन जारी रखा. वह चाहते थे कि बांग्लादेश की तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना पद से इस्तीफा सौंप दें.
यह भी पढ़ें: Syrian Civil War: सीरिया में गृह युद्ध की क्या है वजह और पूरी कहानी
5 अगस्त को देश छोड़कर भागीं शेख हसीना
इसके बाद 4 अगस्त को अचानक से छात्रों ने राजधानी ढाका कूच किया. बढ़ती हिंसा और अशांति के बीच हजारों प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास गणभवन पर हमला कर दिया. इस बीच सेना ने व्यवस्था बहाल करने के प्रयास में कर्फ्यू लगा दिया. अगले दिन ही खबर आई कि शेख हसीना ने 5 अगस्त को अपने पद से इस्तीफा दे दिया है और अपनी बहन शेख रेहाना के साथ देश छोड़ दिया. इस बीच खबर सामने आई कि उनका इरादा राष्ट्र को संबोधित करने का था. हालांकि, वह ऐसा करने में सफल नहीं हो पाई. इस दौरान करीब 700 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी, जिसमें प्रदर्शनकारी और पुलिसकर्मी भी शामिल थे.
इसके बाद बांग्लादेश की सेना चीफ वकर-उज-जमान ने शांति और स्थिरता बहाल करने के लिए अंतरिम सरकार के गठन की घोषणा की. नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस को बांग्लादेश की अंतरिम सरकार प्रमुख बनाया गया. हरनेट फाउंडेशन और हरनेट टीवी की संस्थापक ने बांग्लादेशी ढाका ट्रिब्यून में लिखे अपने लेख में इस प्रदर्शन को अरब स्प्रिंग के समान बताया था. उन्होंने दावा किया था कि बांग्लादेश उन देशों के रास्ते पर न चले जो छात्र आंदोलनों के बाद बिखर गए या अरब स्प्रिंग जैसी विफल क्रांतियों में फंस गए. हालांकि, देश में तनाव अभी भी बना हुआ है. दरअसल, इस्लामी कट्टरपंथी और शेख हसीना के विरोधी अल्पसंख्यकों पर हमले कर रहे हैं.
सीरिया में बशर अल-असद के शासन का अंत
7 दिसंबर को विद्रोहियों ने बशर अल-असद के शासन को उखाड़ फेंक दिया. देश की सत्ता विद्रोही ताकतों के हाथों में चली गई है. विद्रोहियों ने दावा किया कि सीरिया में असद परिवार के क्रूर शासन को खत्म कर वह नियंत्रण स्थापित करना शुरू कर चुके हैं. उन्होंने दमिश्क में सार्वजनिक इमारतों के बाहर मोर्चा संभाल लिया. अभी यह तय नहीं है कि नई सरकार का नेतृत्व कौन करेगा. हालांकि, यह तय माना जा रहा है कि HTS यानी हयात तहरीर का लीडर मोहम्मद अल-जुलानी नेतृत्व कर सकता है.
बता दें कि 27 नवंबर को HTS ने अलेप्पो, दारा और हमा शहर पर अचानक हमला कर कब्जा कर लिया. इसके बाद सिर्फ एक हफ्ते में ही सीरिया की राजधानी दमिश्क में घुस गए और बिना किसी लड़ाई के शहर पर कब्जा कर लिया. सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद को लेकर दावा किया जा रहा है कि वह रूस भाग गए हैं. रूसी सरकारी मीडिया और दो ईरानी अधिकारि��ों ने इस बात की पुष्टि की है. क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा है रूस बशर अल-असद के ठिकाने का खुलासा नहीं करेगा.
यह भी पढ़ें: 6 घंटे तक सड़कों पर राइफल ताने खड़े रहे सैनिक, डरे-सहमे लोग! साउथ कोरिया में जानें क्या हुआ
अरब स्प्रिंग ने कैसे बदला सीरिया का नक्शा
बशर अल-असद ने इन्हें कुचलने के लिए घातक बल का इस्तेमाल किया, तो पूरे देश में विरोध प्रदर्शन भड़क गए और क्रूर युद्ध में बदल गया. इस संघर्ष में कई समूह शामिल हो गए और सभी गुट अलग-अलग हितों के लिए एक-दूसरे के खिलाफ लड़ने लगे. इसमें हिज्बुल्लाह, ISIS यानी इस्लामिक स्टेट, फ्री सीरियन आर्मी (FSA), कुर्द विद्रोही लड़ाके, सीरियाई राष्ट्रीय सेना (JWS), जबात फतह अल-शाम, सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्सेज (SDF) और हयात तहरीर अल-शाम (HTS) के लड़ाके बड़े पैमाने पर शामिल हैं.
इस संघर्ष में रूस और ईरान ने बशर अल-असद का साथ दिया था. वहीं, वहीं विपक्षी गुटों को तुर्की, कई पश्चिमी ताकतों और कुछ खाड़ी अरब देशों का समर्थन मिला. सीरिया के कुर्द लड़ाके सीरियाई डेमोक्रेटिक फोर्सेज के बैनर तले सीरिया में इस्लामिक स्टेट के खिलाफ लड़ाई में संयुक्त राज्य अमेरिका की मुख्य भागीदार हैं. गृहयुद्ध की शुरुआत के बाद से तुर्की की सेना ने HTS यानी हयात तहरीर अल-शाम को समर्थन दिया है. अब सीरिया में सरकार बदल चुकी है. ऐसे में देश के शासन, सुरक्षा और अर्थव्यवस्था को लेकर कई अहम सवाल खड़े होते हैं.
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Conclusion
बांग्लादेश में तख्तापटल की ताजा घटना वास्तव में पूरे क्षेत्र के लिए चिंताजनक है. भारत के पड़ोस में इससे पहले साल 2022 में श्रीलंका में भी इस तरह की घटना देखने को मिली थी. अब राजनीतिक अस्थिरता में फंसे बांग्लादेश की हालात लगातार बदतर होते जा रहे हैं. धार्मिक कट्टरता हावी होती जा रही है और अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के लोगों पर हमले बढ़ते जा रहे हैं. इसके साथ ही यह तय माना जा रहा है कि बांग्लादेश में साल 2026 से पहले अगले संसदीय चुनाव नहीं होंगे. मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली कार्यवाहक सरकार ने यह साफ कर दिया है कि जब तक सिस्टम सही नहीं होता, तब तक कोई चुनाव नहीं होगा.
दूसरी ओर से सीरिया के भवि��्य को लेकर भी कई तरह से सवाल खड़े हो रहे हैं. हालांकि यह तय है कि विद्रोही राजधानी को सुरक्षित करने और अराजक सत्ता शून्यता को रोकने की कोशिश करेंगे, लेकिन इस बीच यह भी अहम है कि वह पूरे देश पर अपना नियंत्रण कितनी दूर और कितनी तेजी से बढ़ाएंगे और क्या विद्रोही एकजुट हो पाएंगे. पिछले हफ्ते एक साक्षात्कार में अल-जोलानी ने कहा था कि HTS अपना आक्रमण शुरू करने से पहले ही समूह अपने अगले कदमों के बारे में सोच चुका है. इसके साथ ही साल 2011 में शुरू हुए गृह युद्ध ने आधुनिक युग के सबसे बड़े शरणार्थी संकटों में से एक को जन्म दिया है. सीरिया में युद्ध के कारण लाखों लोग मारे गए हैं और लाखों लोग विस्थापित हुए हैं. ऐसे में उन्हें फिर से देश में वापस लाना बहुत बड़ी चुनौती है. वैश्विक प्रतिबंधों के बोझ तले सीरिया की अर्थव्यवस्था भी तबाह हो चुकी है.
श्रीलंका, बांग्लादेश और अब सीरिया में सत्ता परिवर्तन के लिए विरोध प्रदर्शनों की श्रृंखला एक ही पैटर्न को दिखाती है, जहां जनता के बढ़ते असंतोष आंदोलनों में बदल गए. साथ ही लंबे समय से चली आ रही सरकारों को गिराने में सक्षम है. ऐसे में मीडिल-ईस्ट में ईरान की स्थिरता पर सवाल उठ रहे हैं. सीरिया में बशर अल-असद के शासन के पतन के बाद और हिज्बुल्लाह के कमजोर होने से ईरान के क्षेत्रीय प्रभाव और अर्थव्यवस्था पर गंभीर असर पड़ा है. कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि ईरान में आंतरिक असंतोष बढ़ रहा है. इसकी सबसे बड़ी वजह है आर्थिक तंगी और शासन की कथित कमजोरी. हिज्बुल्लाह को लंबे समय से ईरान का सबसे शक्तिशाली गैर-राज्य सहयोगी माना जाता रहा है. हिज्बुल्लाह को सीरिया और इजराइल के खिलाफ भारी नुकसान उठाना पड़ा है. सीरिया में ईरान के बड़े पैमाने पर निवेश, तेल निकालने के संयंत्र गायब हो गए हैं.
बता दें कि लोकतंत्र को समान विकास और सद्भाव सुनिश्चित करने का सबसे अच्छा तरीका माना जाता है. हालांकि, लोकतंत्र का पालन करने वाले देशों के बीच अभी भी असमानताएं मौजूद हैं. साथ ही लोकतांत्रिक ���रकारों के खिलाफ जिस देश में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, उन सरकारों में तर्क, धैर्य, आपसी समझ और जवाबदेही की कमी है. इन सबके बीच माना जा रहा है कि आने वाले वर्षों में बढ़ते सैन्य तख्तापलट लोकतंत्र के लिए चुनौती बन सकते हैं. ऐसे में मानवीय एजेंसियों को सशस्त्र बलों और सत्तारूढ़ पार्टी के बीच सामंजस्य के लिए एक आदर्श स्थिति बनाने पर विचार करना अब बेहद जरूरी हो गया है.
साथ ही लोकतांत्रिक विकास के साथ जुड़ी अखंडता और ईमानदारी को बनाए रखने के लिए लोकतांत्रिक संरचनाओं की नींव को मजबूत करने की भी सख्त से सख्त जरूरत है. इसके साथ ही लोकतांत्रिक देश की सरकारों को नौकरियां, शिक्षा और नस्��वाद और हिंसा के खिलाफ सुरक्षा को समान रूप से बढ़ावा देने पर ध्यान देना चाहिए, जिससे नागरिक विकल्प के रूप में सेना का समर्थन करने के लिए प्रवृत्ति न पनप सके, क्योंकि लगातार हो रहे तख्तापलट अक्सर लोकतांत्रिक पतन की ओर ले जाते हैं.
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airnews-arngbad · 17 days ago
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Regional Marathi Text Bulletin, Chhatrapati Sambhajinagar Date – 26 December 2024 Time 7.10 AM to 7.20 AM Language Marathi आकाशवाणी छत्रपती संभाजीनगर प्रादेशिक बातम्या दिनांक २६ डिसेंबर २०२४ सकाळी ७.१० मि.
• पंतप्रधान राष्ट्रीय बाल पुरस्कारांचं आज नवी दिल्लीत राष्ट्रपतींच्या हस्ते वितरण • सुशासन ही भाजप सरकारची ओळख-देशातल्या पहिल्या नदीजोड प्रकल्पाच्या पायाभरणी समारंभात पंतप्रधानांचं प्रतिपादन • केंद्रीय सहकार मंत्री अमित शहा यांच्या हस्ते दहा हजारांहून अधिक नवीन प्राथमिक बहुउद्देशीय सहकारी संस्था राष्ट्राला समर्पित • राज्यसरकार कडून आगामी शंभर दिवसांचं उद्दीष्ट निर्धारित-उद्दीष्टपूर्तीचा अहवालही तयार होणार • डॉक्टर बाबासाहेब आंबेडकर मराठवाडा विद्यापीठाच्या केंद्रीय युवा महोत्सवाला प्रारंभ आणि • नाताळचा सण सर्वत्र उत्साहात साजरा
पंतप्रधान राष्ट्रीय बाल पुरस्कारांचं आज राष्ट्रपती द्रौपदी मुर्मु यांच्या हस्ते नवी दिल्लीत समारंभपूर्वक वितरण केलं जाणार आहे. कला तसंच संस्कृती, धाडस, नवोन्मेष, विज्ञान आणि तंत्रज्ञान, सामाजिक सेवा, खेळ आणि पर्यावरण अशा विविध सात श्रेणींमध्ये १७ बालकांना असाधारण कामगिरीसाठी हे पुरस्कार जाहीर झाले आहेत. राष्ट्रपतींच्या हस्ते या बालकांना पदक तसंच प्रमाणपत्र प्रदान करण्यात यईल. दरम्यान, या पुरस्कार प्राप्त बालकांसोबत पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांच्या प्रमुख उपस्थितीत नवी दिल्लीत आज राष्ट्रव्यापी वीर बाल दिवस समारंभाचं आयोजनही करण्यात आलं आहे. याच कार्यक्रमात सुपोषित ग्राम पंचायत अभियानाला पंतप्रधानांच्या हस्ते प्रारंभ होणार आहे.
सुशासन दिवस हा फक्त एका दिवसापुरता कार्यक्रम नसून, सुशासन ही भाजप सरकारची ओळख असल्याचं प्रतिपादन, पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांनी केलं आहे. मध्यप्रदेशात खजुराहो इथं देशातील पहिल्या महत्त्वकांक्षी केन-बेतवा नदी जोड प्रकल्पाची पायाभरणी, काल करण्यात आली, या वेळी केलेल्या भाषणात पंतप्रधान म्हणाले… ‘‘साथियों, हमारे लिए सुशासन दिवस सिर्फ एक दिन का कार्यक्रम भर नही है। गुड गव्हर्नन्स, सुशासन भाजपा सरकारों की पहचान है। देश की जनता ने लगातार तिसरी बार केंद्र मे भाजपा की सरकार बना��।’’
माजी पंतप्रधान-भारतरत्न अटलबिहारी वाजपेयी यांची शतक महोत्सवी जयंती वर्षाला काल प्रारंभ झाला. यानिमित्तानं पंतप्रधानांनी एका टपाल तिकिटाचं तसंच विशेष नाण्याचं यावेळी अनावरण केलं.
दरम्यान, सकाळी दिल्लीत, वाजपेयी यांचं समाधीस्थळ - सदैव अटल इथं राष्ट्रपती द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपती जगदीप धनखड, पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांनी पुष्पांजली अर्पण करून, अटलजींच्या स्मृतींना अभिवादन केलं. विविध राज्यांचे मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्रिमंडळातले सदस्य, वाजयेपी यांच्या दत्तक कन्या नमिता भट्टाचार्य यांच्यासह अनेक मान्यवरांनी यावेळी वाजपेयी यांच्या समाधीला अभिवादन केलं. मुंबईत राजभवनात राज्यपाल सी. पी. राधाकृष्णन यांनी, मंत्रालयात राज्याच्या मुख्य सचिव सुजाता सौनिक यांनी तर नागपुरात मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांनी रामगिरी या शासकीय निवासस्थानी अटलबिहारी वाजपेयी यांच्या प्रतिमेला पुष्पहार अर्पण करून आदरांजली अर्पण केली. छत्रपती संभाजीनगर महापालिकेतही अटलजींच्या प्रतिमेला पुष्पांजली अर्पण करण्यात आली.
धाराशिव इथं लोकसेवा समितीचे मराठवाडास्तरीय १५वे लोकसेवा पुरस्कार काल समारंभपूर्वक प्रदान करण्यात आले. बीड जिल्ह्याच्या ढेकणमोहा इथल्या पसायदान सेवा प्रकल्पाचे गोवर्धन दराडे, जालना जिल्ह्यातल्या लिखित पिंपरीच्या प्रेरणादायी शिक्षण संकुलाचे रामकिसन सोळंके आणि धाराशिव जिल्ह्यात नळदुर्गच्या पालावरची शाळा प्रकल्पाच्या मीरा मोटे यांना या पुरस्कारानं गौरवण्यात आलं. ** केंद्रीय सहकार मंत्री अमित शहा यांच्या हस्ते काल नवी दिल्लीत दहा हजारांहून अधिक नवीन प्राथमिक बहुउद्देशीय सहकारी संस्था, दुग्धविकास आणि मत्सव्यवसाय सहकारी संस्था राष्ट्राला समर्पित करण्यात आल्या. ‘सहकार से समृध्दी’ अंतर्गत नव्याने स्थापन झालेल्या संस्थांचा यात समावेश आहे. नव्यानं स्थापन झालेल्या सहकारी संस्थांना नोंदणी प्रमाणपत्रं, रुपे किसान क्रेडिट कार्ड आणि मायक्रो एटीएमचं वितरणही शहा यांनी काल केलं. लातूर जिल्हाधिकारी कार्यालयात याच अनुषंगानं काल विशेष कार्यक्रम घेण्यात आला. सहकार मंत्री बाबासाहेब पाटील यावेळी उपस्थित होते. सहकारी संस्थांच्या बळकटीकरणासाठी महिलांचा सहभाग वाढवण्याचं आवाहन करत, मराठवाड्यात दुग्ध व्यवसायाला गती देण्यासाठी विविध उपक्रम राबवणार असल्याचं, पाटील यांनी नमूद केलं.
पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांच्या हस्ते उद्या २७ डिसेंबरला स्वामित्व योजनेचा शुभारंभ होत आहे. देशभरातील सर्व जि���्ह्यांत डिजिटल पद्धतीनं जिल्हाधिकाऱ्यांच्या उपस्थितीत ऑनलाईन माध्यमातून हा कार्यक्रम होईल. भारतीय जनता पक्षाचे प्रदेशाध्यक्ष च��द्रशेखर बावनकुळे यांनी नागपूर इथं ही माहिती दिली. पन्नास लाखांहून अधिक मालमत्ता कर्डांचं वितरण उद्या केलं जाणार आहे.
चित्रपटगृहात मिळणाऱ्या पॉपकॉर्नवर वस्तू आणि सेवा कराच्या दरात कोणतीही वाढ झालेली नाही.पाकिटबंद तसंच लेबल लावून विकल्या जाणाऱ्या खाद्यपदार्थांवर १२ टक्के तर सुट्या खाद्यपदार्थांवर ५ टक्के जीएसटी लागू आहे, चित्रपटगृहात मिळणारे पॉपकॉर्न हे सुट्या स्वरुपात विकले जात असल्यानं, त्यावर पाच टक्के दरानेच जीएसटी आकारला जात असल्याचं, जीएसटी परिषदेनं स्पष्ट केलं आहे.
राज्य सरकारनं आगामी शंभर दिवसांचं उद्दीष्ट निर्धारित केलं असून, या उद्दीष्टपूर्तीचा आढावा घेऊन अहवाल तयार करणार असल्याचं, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांनी म्हटलं आहे. ते काल नागपूर इथं पत्रकार परिषदेत बोलत होते. हा अहवाल माध्यमांसमोर सादर केला जाईल, असं फडणवीस यांनी सांगितलं. ते म्हणाले.. ‘‘प्रत्येक खात्यांनी शंभर दिवसांचं आपलं टार्गेट घेतलेलं आहे. शंभर दिवसांत काय करायचं हा शंभर दिवसाचा प्लॅन आहे. शंभर दिवस पूर्ण झाल्यानंतर त्याचा रिपोर्ट आम्ही त्या ठिकाणी सादर करू आणि प्रत्येक खात्याने काय टार्गेट घेतलं होतं आणि त्यांनी काय पूर्ण केलं हे आपल्यापर्यंत पोहोचवू.’’
सायबर सुरक्षा, ऊर्जा, लाडकी बहीण, आदी विषयांवर मुख्यमंत्र्यांनी संवाद साधला. बीड तसंच परभणी इथल्या घटना गंभीर आहेत, त्यामुळेच राज्यसरकारच्या वतीनं उपमुख्यमंत्री अजित पवार यांनी या ठिकाणी भेट दिल्याचं सांगत, अशा घटनांचं पर्यटन करू नये, असं आवाहन मुख्यमंत्र्यांनी केलं… ‘‘एखाद्या घटनेचं महत्त्व हे कोण गेलं यापेक्षा त्याला आपण काय रिस्पॉन्ड करतोय या माध्यमातून होतं. प्रत्येक ठिकाणी मुख्यमंत्री पोहोचतातच असं नाहीये. पण अजितदारांसारखे सीनियर मंत्री त्या ठिकाणी तेवढ्या करताच आम्ही पाठवले होते. आणि माझं नेहमी मत असतं की अशा प्रकारच्या घटना घडल्यानंतर सेन्सेटीव्ह असतात. तिथे कोणी ना कोणी शासनातर्फे कोणी विरोधी पक्षातर्फे गेलं पाहिजे पण त्याचं पर्यटन करून हा मात्र माझा नेहमी मत आहे.’’
शिवसेनेचे प्रवक्ते तथा उपनेते डॉ राजू वाघमारे, तसंच मराठा आरक्षण आंदोलनाचे नेते मनोज जरांगे पाटील यांनी काल परभणीत सोमनाथ सूर्यवंशी आणि विजय वाकोडे यांच्या कुटुंबियांची स्वतंत्रपणे भेट घेऊन सांत्वन केलं. मुख्यमंत्र्यांनी या प्रकरणाचा सखोल तपास करावा, अशी मागणी जरांगे यांनी केली, तर परभणी आणि बीडच्या घटनांचा संबंध जोडू नये, असं आवाहन वाघमारे यांनी केलं.
छत्रपती संभाजीनगरच्या डॉक्टर बाबासाहेब आंबेडकर मराठवाडा विद्यापीठाच्या केंद्रीय युवा महोत्सवाला कालपासून प्रारंभ झाला. शहर पोलिस आयुक्त प्रवीण पवार यांच्या हस्ते या महोत्सवा उद्��ाटन झालं, प्रसिद्ध सिनेदिग्दर्शक-अभिनेते मंगेश देसाई यावेळी उपस्थित होते. त्यापूर्वी सकाळी महापालिका आयुक्त तथा मुख्य प्रशासक जी श्रीकांत आणि विद्यापीठाचे कुलगुरू डॉक्टर विजय फुलारी यांच्या उपस्थितीत शोभायात्रा काढण्यात आली. २८ डिसेंबरपर्यंत चालणाऱ्या या युवा महोत्सवात चार जिल्यातील तीनशे महाविद्यालयांचे दोन हजार कलावंत विविध कला प्रकार सादर करणार आहेत.
प्रभु येशू ख्रिस्तांचा जन्मदिवस ख्रिसमस अर्थात नाताळ काल सर्वत्र उत्साहात साजरा झाला. छत्रपती संभाजीनगर तसंच अहिल्यानगरसह विविध ठिकठिकाणी चर्चच्या प्रांगणात येशू जन्माचे देखावे साकारण्यात आले, तसंच चर्च परिसरात विद्युत रोषणाई करण्यात आली. कॅरोल गायनासह अनेक कार्यक्रमांमध्ये ख्रिस्ती बांधव उत्साहाने सहभागी झाले.
हिंगोली इथं एका पोलिस कर्मचाऱ्याने आपल्याच कुटुंबावर केलेल्या बेछूट गोळीबारात त्याच्या पत्नीचा मृत्यू झाला, तर मुलीसह अन्य दोन जण गंभीर जखमी झाले. काल रात्री ही घटना घडली. विलास मुकाडे असं या पोलिसाचं नाव असून, घटनेनंतर तो फरार झाला आहे.
लातूरच्या आयकॉन रुग्णालयाचा प्रमुख डॉ.प्रमोद घुगे याला न्यायालयानं ३० डिसेंबरपर्यंत पोलिस कोठडी सुनावली आहे. आपल्याच रुग्णालयातला कर्मचारी बाळू डोंगरे याची हत्या केल्याप्रकरणी पोलिसांनी डॉ घुगे याला उत्तराखंडातून अटक करून काल न्यायालयासमोर हजर केलं. या प्रकरणातल्या अन्य एका आरोपीचा शोध सुरू आहे.
सोलापूर आणि धाराशिव जिल्ह्यात वाघाचा वावर असल्याचं निदर्शनास आलं आहे. या अनुषंगाने वन विभागाच्या वतीने हालचाली वाढल्या असून, यावर उपाय योजना केली जाणार असल्याची माहिती सोलापूर जिल्ह्याचे उपवनसंरक्षक कुशाग्र पाठक यांनी दिली.
भारत आणि ऑस्ट्रेलिया संघात सुरू असलेल्या बॉर्डर गावसकर कसोटी क्रिकेट मालिकेतला चौथा सामना आज मेलबर्न इथं खेळवला जात आहे. यजमान ऑस्ट्रेलिया संघानं नाणेफेक जिंकून प्रथम फलंदाजीचा निर्णय घेतला आहे, अखेरचं वृत्त हाती आलं तेव्हा ऑस्ट्रेलियाच्या एक बाद ११२ धावा झाल्या होत्या.
हवामान राज्यात छत्रपती संभाजीनगरसह, अनेक जिल्ह्यात आजपासून तीन दिवस गारपीट आणि विजांच्या कडकडाटासह पावसाचा इशारा हवामान विभागानं दिला आहे. खानदेश, मध्य महाराष्ट्र, मराठवाडा आणि विदर्भातील शेतकऱ्यांनी हवामानाच्या अंदाजाची दखल घेऊन शेती कामांचं नियोजन करण्याचं आवाहन कृषी विभागाने केले आहे.
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latestnewsandjokes · 20 days ago
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पद संभालने से एक महीने पहले ट्रम्प ने वैश्विक स्तर पर राजनीति को आगे बढ़ाया
डोनाल्ड ट्रंप (एपी फाइल फोटो) उनका दूसरा कार्यकाल अभी एक महीने के लिए शुरू नहीं हुआ है डोनाल्ड ट्रम्प पहले से ही दुनिया भर में सदमे की लहर भेज रहा है।उनकी व्यापार धमकियों ने कनाडा में कैबिनेट संकट पैदा करने में मदद की, जहां प्रधान मंत्री जस्टिन हैं Trudeau डगमगाना यूरोप में, टैरिफ की आशंकाओं ने पहले से ही डगमगाती ��रकारों को कमजोर कर दिया है।मित्र देशों के नेता यूक्रेन के लिए समर्थन बनाए रखने के…
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poonamranius · 26 days ago
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SC ST OBC Scholarship 2024 ✨ – छात्रों के लिए सुनहरा मौका, ₹48,000 तक स्कॉलरशिप पाएं
📢 SC ST OBC Scholarship 2024 💰 छात्रों के लिए एक शानदार अवसर लेकर आई है। यदि आप SC/ST/OBC वर्ग के विद्यार्थी हैं और आर्थिक मदद की तलाश में हैं, तो यह योजना आपकी पढ़ाई के सपनों को पूरा करने में मदद करेगी। केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा इस योजना के तहत कक्षा 1 से उच्च शिक्षा तक के विद्यार्थियों को आर्थिक सहायता दी जाती है। इस लेख में आपको स्कॉलरशिप की पात्रता, लाभ और आवेदन प्रक्रिया की पूरी जानकारी…
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animalvidoes · 1 month ago
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एक कहानी, एक सच्चाई
धीरू, जो देहरादून स्थित अपने किराए के मकान की छत पर शाम को ठंडी बियर और केएफसी चिकन के तंदूरी लेग पीस के साथ उत्तराखंड के पहाड़ी गांवों से हो रहे पलायन पर फेसबुक में अपने क्रांतिकारी विचार लिखते हुए सरकारों को कोस रहा था, अचानक एक ग्रुप में एक मैसेज पढ़कर चौंक गया। वह मैसेज था, “पहाड़ी गांवों में जमीन चाहिए, और कीमत देहरादून के बराबर,” और नीचे नंबर लिखा था। धीरू ने तुरंत उस नंबर पर संपर्क किया…
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indlivebulletin · 3 days ago
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Supreme Court On Freebies: जजों को सैलरी देने में परेशानी और...मुफ्त की रेवड़ियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई कड़ी फटकार
फ्री बीज यानी मुफ्त की रेवड़ियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाई है। जजों के वेतन में परेशानी पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई है। जस्टिस गवई की बेंच ने राज्य सरकारों पर टिप्पणी की है। चुनावी वादों के लिए सरकारों के पास पैसा है लेकिन जजों को सैलरीदेने में परेशानी हो रही है। फ्री बीज के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट की फटकार ऐसे समय में सामने आई है जब पूरे देश में अलग अलग राज्यों में मुफ्त की…
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countryinsidenews · 1 month ago
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बिहार में 'दिव्यांग कल्याण एवं पुनर्वास विभाग' का सृजन आवश्यक/ हेल्थ इंस्टिच्युट में पाँच दिवसीय विश्व विकलांग दिवस समारोह का हुआ समापन, पुरस्कृत हुए विशेष बच्चे
पटना, ५ दिसम्बर। बिहार में दिव्यांग व्यक्तियों और विशेष-बच्चों के सम्यक् पुनर्वास के लिए समाज कल्याण विभाग की भाँति ‘दिव्यांग कल्याण और पुनर्वास विभाग’ सृजित करना नितान्त आवश्यक है। भारत सरकार समेत देश के अनेक प्रांतीय सरकारों में यह विभाग है। अलग से विभागीय मंत्री, प्रधान सचिव एवं अन्य अधिकारी होने से इस विषय पर गम्भीरता से कार्य हो सकेंगे। तभी विकलांगता अधिनियम का भी समुचित अनुपालन हो सकेगा।यह…
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