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सत भक्ति संदेश 🧘 बेद कतेब झूठे नहीं भाई, झूठे हैं जो समझे नाहि । भावार्थ:- चारों पवित्र वेदों ( ऋग्वेद, अथर्ववेद, यजुर्वेद, सामवेद) तथा पवित्र चारों कतेबों (कुआर्न शरीफ, जबूर, तौरात, इंजिल) का ज्ञान गलत नहीं हैं। परन्तु जो इनको नहीं समझ पाए वे नादान हैं। - जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज 🔘𝗙𝗼𝗿 𝗺𝗼𝗿𝗲 𝗶𝗻����𝗼𝗿𝗺𝗮𝘁𝗶𝗼𝗻 🙏🏿 𝐕𝐢𝐬𝐢𝐭 👇🏿 💁🏻♂️ 𝐒𝐚𝐭𝐥𝐨𝐤 𝐀𝐬𝐡𝐫𝐚𝐦 🔎 📡 𝐘𝐨𝐮𝐓𝐮𝐛𝐞 𝐜𝐡𝐚𝐧𝐧𝐞𝐥 #TrueWorship_Message •••••••••••••••••••••••••• #SaintRampalJi #SatlokAshram #raisen🌺 #DailySpiritualQuote #halaliwaterfall #MahadevPani #Bhojpur #bhojpurtemple🙏🕉️ #KabirIsGod https://www.instagram.com/p/CW6K7t6oUit/?utm_medium=tumblr
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गुरु पूजा सब से बड़ी, गुरु परे नहिं कोय l रामकृष्ण ने भी करी, तू क्यों पीछा होय ll मस्तक धर गुरु चरण में, लाज शर्म दे खोय l जीवन बीता जा रहा, गफलत में मत सोय ll - 𝐒𝐚𝐢𝐧𝐭 𝐑𝐚𝐦𝐩𝐚𝐥 𝐣𝐢 𝐌𝐚𝐡𝐚𝐫𝐚𝐣 🙏🏿 𝐕𝐢𝐬𝐢𝐭 👇🏿 💁🏻♂️ 𝐒𝐚𝐭𝐥𝐨𝐤 𝐀𝐬𝐡𝐫𝐚𝐦 🔎 📡 𝐘𝐨𝐮𝐓𝐮𝐛𝐞 𝐜𝐡𝐚𝐧𝐧𝐞𝐥 #TrueWorship_Message •••••••••••••••••••••••••• #SaintRampalJi #SatlokAshram (Udaipur, Rajasthan में) https://www.instagram.com/p/CVPbFK3Ieol/?utm_medium=tumblr
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दिल्ली निवासी रेनू ने सतगुरु रामपाल जी महाराज जी से नाम दीक्षा लेने से पहले संतोषी माता की 10 साल तक भक्ति की। संत रामपाल जी महाराज ने रेनू का जिन्न से पीछा छुड़ाया और जीवनदान दिया।#TrueWorship_Message
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आप श्री ब्रम्हा जी,, श्री विष्णु जी,, श्री शिव जी को क्या मानते हैं ।
भगवान या देव??
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#गुरु_बिन_ज्ञान_न_उपजै, #गुरु_बिन_मिलै_न_मोक्ष ।
#गुरु_बिन_लखै_न_सत्य_को , #गुरु_बिन_मैटैं_न_दोष ।।
कबीर परमेश्वर जी कहते है – हे सांसारिक प्राणीयों । बिना गुरु के ज्ञान का मिलना असंभव है । तब तक मनुष्य अज्ञान रुपी अंधकार मे भटकता हुआ मायारूपी सांसारिक बन्धनो मे जकडा रहता है जब तक कि गुरु कि कृपा नहीं प्राप्तहोती । मोक्ष रुपी मार्ग दिखलाने वाले गुरु हैं । बिना गुरु के सत्य एवम् असत्य का ज्ञान नही होता । उचित और अनुचित के भेद का ज्ञान नहीं होता फिर मोक्ष कैसे प्राप्त होगा ? अतः गुरु कि शरण मे जाओ । गुरु ही सच्ची रह दिखाएंगे ।
👉वर्तमान में वह पूर्ण सतगुरू सन्त रामपाल जी महाराज है ...👈
#GuruPurnima #TrueWorship_Message
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#photography #satkabirgyanvarsha
#the_real_worship #DailySpiritualQuote
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🥀कुटिल बचन सबसे बुरा , जासे होत न हार।
🌷साधू बचन जल रूप है , बरसे अमृत धार। ।
_____ कड़वे वचन बोलने से व्यक्ति का स्वयं नुकसान होता है। कड़वे वचन बोलकर व्यक्ति ना ही किसी को हरा सकता है और ना ही उससे जीत सकता है। किंतु मीठे वचन से सदैव दूसरे को जीता जा सकता है। इसलिए कबीर साहेब कहते हैं साधु वचन अर्थात मीठे वचन बोलना चाहिए , जो साफ-सुथरे होते हैं।
इस मीठे वचन से अमृत वर्षा अर्थात ज्ञान की वर्षा होती है , जिससे घर परिवार तथा समाज सभी का कल्याण होता है। ऐसी भावना रखकर साधु वचन का ही प्रयोग करना चाहिए ।
- 𝐒𝐚𝐢𝐧𝐭 𝐑𝐚𝐦𝐩𝐚𝐥 𝐣𝐢 𝐌𝐚𝐡𝐚𝐫𝐚𝐣 🙏
🙏🏿 𝐏𝐥𝐞𝐚𝐬𝐞 𝐕𝐢𝐬𝐢𝐭 👇🏿
💁🏻♂️ 𝐒𝐚𝐭𝐥𝐨𝐤 𝐀𝐬𝐡𝐫𝐚𝐦 🔎
📡 𝐘𝐨𝐮𝐓𝐮𝐛𝐞 𝐜𝐡𝐚𝐧𝐧𝐞𝐥
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कबीर, जिव्हा तो वाहे भली, जो रटे हरी नाम।
नही तो काट के फेंक दियो, ये मुख में भलो ना चाम।।
..... परमात्मा कबीर जी ने बताया है की मुख में वही जीभ सोभायमान है जिससे राम नाम जपा जाता है नही तो इसका कोई काम नही है बिना सत्य ज्ञान के ये जिव्हा किसी को अपशब्द कहकर उसकी आत्मा दुखा कर पाप की भागी बन जाती है।
🥀हम ही अलख अल्लाह है, कुतुब गौस और पीर।
गरीबदास खालिक धनी हमरा नाम कबीर।।🥀
- 𝐒𝐚𝐢𝐧𝐭 𝐑𝐚𝐦𝐩𝐚𝐥 𝐣𝐢 𝐌𝐚𝐡𝐚𝐫𝐚𝐣 जी ने अपनी पवित्र पुस्तक "Jeene ki rah" में बताया है की मानव जन्म भक्ति करने के लिए ही मिला है इसको व्यर्थ के कार्यों में बर्बाद ना करो अपना सभ्य मानव की तरह समाज में रहो और सत्य भक्ति करके मोक्ष प्राप्ति करो।
- 𝐒𝐚𝐢𝐧𝐭 𝐑𝐚𝐦𝐩𝐚𝐥 𝐣𝐢 𝐌𝐚𝐡𝐚𝐫𝐚𝐣 🙏
🙏🏿 𝐏𝐥𝐞𝐚𝐬𝐞 𝐕𝐢𝐬𝐢𝐭 👇🏿
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📡 𝐘𝐨𝐮𝐓𝐮𝐛𝐞 𝐜𝐡𝐚𝐧𝐧𝐞𝐥
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कैसे हुआ गंगा नदी का उद्गम, क्या है इसका इतिहास, आखिर क्यों #गंगाजल खराब नहीं होता?
गंगा एक ऐसी नदी जिसका पानी विश्व की किसी भी अन्य नदी से अलग है। गंगा एक ऐसी नदी है जो केवल पृथ्वी पर ही नहीं बल्कि जनमानस की अभिव्यक्ति में भी लोकोक्तियों एवं मुहावरों के रूप में बहती है। अपनी इसी लोकप्रियता एवं अद्वितीय रूप में बहने के कारण यह लगातार जन्म मृत्यु के उपरांत किये जाने वाले कर्मकांड का हिस्सा बनी। आइए जानें क्या है गंगा जल का रहस्य? कैसे आई गंगा पृथ्वी पर और क्यों है यह अतुलनीय।
गंगा नदी कैसे पृथ्वी पर आई?
सतलोक से गंगा नदी पृथ्वी पर क्यों भेजी गई?
सतलोक और काल लोक में अंतर
बहुर न लगता डार
चित्रों एवं मूर्तियों में हमें गंगा नदी शिव जी की जटाओं से निकली हुई दिखाई जाती है। जितने भी देवी देवता हैं उनके अपने अपने लोक हैं। जैसे ब्रह्मा जी का अपना लोक है, विष्णु जी का अपना लोक है और शिवजी का अपना लोक है। प्रत्येक लोक में सरोवर होते है उसी तरह शिवलोक में भी सरोवर है नदी गंगा के रूप में। किन्तु यह शिवलोक में ही क्यों है? अन्य किसी लोक में क्यो नहीं है? वास्तव में गंगा शिवलोक की भी नहीं है। इसे अमर लोक यानी सतलोक से शिव लोक में भेजा गया था। विचार कीजिए आखिर क्यों गंगा का जल इस पूरे विश्व का सबसे निर्मल और स्वच्छ जल है? यह कैसे सम्भव है? कौन सा है अमर लोक जहाँ से गंगा भेजी गई और जिसे शिवलोक से पृथ्वी पर भेजा गया।
#गंगा_नदी कैसे पृथ्वी पर आई?
गंगा नदी एक स्वच्छ और पवित्र जल है जिसके समान इस पूरी पृथ्वी पर कोई अन्य जलस्त्रोत नहीं है। गंगा पृथ्वी पर कैसे आई? वास्तव में गंगा को सतलोक से जो कि वह लोक है जो सर्वोत्तम और अविनाशी है से वहाँ के मानसरोवर से मात्र एक मुट्ठी ब्रह्मलोक में भेजा गया। ब्रह्मलोक यानी ब्रह्मा विष्णु महेश के पिताश्री क्षर ब्रह्म या ज्योति निरजंन के लोक और वहाँ से फिर वह विष्णुलोक में आई और फिर आई शिवलोक के जटा कुंडली नामक स्थान पर। शिवलोक में आने के बाद पृथ्वी पर तपस्वी भगीरथ के द्वारा तप के माध्यम से लाई गई।
गंगा पृथ्वी पर तब भी आती यदि उसे कोई तपस्वी लाने के लिए तप नहीं करता क्योंकि परम् पिता परमेश्वर कबीर साहेब द्वारा वह भेजी ही इस उद्देश्य से गई थी कि पृथ्वी पर हम प्रमाण पा सकें कि वास्तव में अविनाशी जो कभी नष्ट न हो उस स्थान का जल ऐसा है। सतलोक वह स्थान है जहाँ से गंगा मात्र एक मुट्ठी आई वाष्प रूप में वहाँ कोई वस्तु खराब नहीं होती और न ही वहां के निवासी मरते अथवा वृद्ध होते हैं।
#सतलोक से गंगा नदी पृथ्वी पर क्यों भेजी गई?
आज हम सभी जितने भी जीव हैं जानवरों एवं इंसानों समेत वे सभी सतलोक के निवासी थे। अविनाशी लोक की हम सभी आत्माएं हैं जहाँ सुख ही सुख हैं दुख का कोई नामोनिशान ही नहीं है। ऐसे स्थान से हम ज्योति निरजंन की तपस्या से मुग्ध होकर अपने अविनाशी लोक को छोड़कर उसके 21 ब्रह्मांडो में चले आए। सतलोक में कर्म का सिद्धान्त नहीं है किंतु यहाँ आकर जो अनजाने में किए कर्म हैं उनका भी दण्ड भोगते हुए हम कभी चींटी, कभी सुअर तो कभी कुत्ते आदि की योनियों में कष्ट उठाते हैं। गंगा नदी सतलोक से इस मृत लोक में आई है और सतलोक की सभी वस्तुए अविनाशी है इसलिए गंगा का जल कभी खराब नहीं होता।
गंगा नदी को भेजने का उद्देश्य यही था कि हमारे लिए प्रमाण हो कि अविनाशी अमर लोक कोई अन्य है ��हाँ वास्तव में कुछ भी नष्ट नहीं होता न ही कलुषित होता है। वापस उसी और चलना श्रेयस्कर है जहाँ से हम आये थे स्वेच्छा से अब लौटेंगे उसी सतलोक की ओर। जिसने ज्ञान समझ लिया वह सिर पर पांव रखकर निजस्थान की ओर दौड़ेगा और जिसे अब भी तत्वज्ञान नहीं समझ आया वह पुनः चौरासी लाख योनियों में धक्के खाएगा।
सतलोक और काल लोक में अंतर
सतलोक परम् अक्षर ब्रह्म कविर्देव का स्थान है। जहां हम सभी आत्माएँ रहते थे। वेदों के अनुसार प्रत्येक युग मे पूर्ण परमेश्वर स्वयं आकर तत्वदर्शी सन्त की भूमिका निभाते हैं और तत्वज्ञान समझाकर मूल मंत्र बताकर हमे निजस्थान लेकर जाते हैं। सतलोक का मालिक अचल, अभंगी, सर्वोच्च, सर्वोत्तम, सर्वहितैषी, दयावान, दाता, सर्वशक्तिमान परमेश्वर कबीर साहेब हैं, जिनके ऊपर किसी की सत्ता नहीं है किंतु उनकी सत्ता सब पर है।
उस अविनाशी लोक में कोई पदार्थ न तो नष्ट होता है और ना ही कोई दुख आदि हैं। वहाँ रहने वाली आत्माएं हंस कही जाती हैं तथा वे सदा युवा रहती हैं। सतलोक में न रोग है, न शोक है, न कष्ट है, न अवसाद है, न चिंताएँ हैं, न दुख है, न भय है, न बुढ़ापा है और न ही मृत्यु होती है। सर्व मानव समाज से प्रार्थना है एक बार तत्वज्ञान समझें और पुनः अपने निजलोक की ओर जाने की तैयारी करें। विचार करें जिस सतलोक के मानसरोवर की मात्र एक मुट्ठी जल गंगा है वह लोक कितना अद्वितीय होगा।
बहुर न लगता डार
जिस प्रकार टूटा पत्ता पुनः डाल पर नहीं लगता है उसी प्रकार मनुष्य जन्म का जो समय गया तो वह कभी लौटेगा नहीं। मनुष्य का जन्म मिलना कठिन है और मिलने पर मोक्षप्राप्ति कठिन है। मोक्ष केवल तत्वदर्शी सन्त की शरण में होता है और यदि जन्म में तत्वदर्शी सन्त मिल भी जाए तो तत्वज्ञान समझना दुष्कर है। तत्वदर्शी सन्त वह ज्ञान और मूल मंत्र देता है जिसकी आस में करोड़ों ऋषि मुनि तपस्या करते रहे किन्तु ब्रह्मलोक तक की ही साधनाएँ कर सके। किन्तु आज हमारे समक्ष अवसर है।
सन्त रामपाल जी महाराज पूरे विश्व में एकमात्र तत्वदर्शी सन्त हैं जिन्होंने तत्वज्ञान दिया और गीता अध्याय 17 के श्लोक 23 के अनुसार गूढ़ मन्त्र दिए हैं। अतिशीघ्र उनकी शरण में आएं जिससे इस जीवन मे भी सुख हो और मृत्यु के पश्चात वास्तविक मोक्ष प्राप्ति हो।
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🙏🏿 𝐕𝐢𝐬𝐢𝐭 👇🏿
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