#titz likhti hai
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मैं, मुंबई और वो
अब आ��खें बंद करने पर,
तेरा चेहरा ��ुंधला नज़र आने लगा है।
अब उन यादों की किताबो को खोलने पर,
बस धूल दिखती है।
अब तुझे मिलना पड़ेगा,
मिलना पड़ेगा उन यादाें को ताज़ा करने के लिए,
मिलना पड़ेगा उन लम्हों को फिर से जीने के लिए।
मिलना पड़ेगा उस अधूरी शाम को पूरा करने के लिए,
मिलना पड़ेगा मेरा वो "आज पता है क्या हुआ?" पूरा सुन ने के लिए।
नजाने कितनी कहानियां बतानी बाकी है,
नजाने कितनी यादें भुलानी बाकी है।
ये सब को पूरा करने के लिए तुझे मिलना तो पड़ेगा ना।
मेरे बालों में गजरा लगाने के लिए
मेरे लिए झुमके खरीदने के लिए
मेरे लिए किताबें लेने के लिए तुझे मिलना तो पड़ेगा ना।
अपने अधूरे वादों को पूरा करने के लिए तुझे मिलना पड़ेगा ना?
याद है? हमारा वो मरीन ड्राइव में साथ बैठ कर ice-cream खाने का वादा?
जुहू बीच में पाव भाजी तेरा मेरे हाथ से खाने का वादा?
समुंदर की लहरों में डूब जाने का वादा?
याद है तेरा मुझे सारी में देखने का वादा?
तेरा मुझे अपनी scooty में बैठा कर पूरी मुंबई दिखाने का वादा?
हमारा साथ में मंदिर जाने का वादा?
अब इन वादों को पूरा करना है तो मिलना तो पड़ेगा ना????
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