वायुसेना में शामिल हुआ दुश्मनों का 'काल' राफेल विमान, इन 10 बिंदुओं में जानिए इसकी खासियत
चैतन्य भारत न्यूज
नई दिल्ली. राफेल लड़ाकू विमान आज औपचारिक रूप से भारतीय वायुसेना के बेडे़ में शामिल हो गए हैं। वॉटर कैनेन से सलामी के बाद राफेल विमानों को वायुसेना के बेड़े में शामिल कर लिया गया है। विमानों के वायुसेना में शामिल होने को लेकर अंबाला एयरफोर्स स्टेशन में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस ऐतिहासिक लम्हे के गवाह रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और फ्रांसिसी रक्षा मंत्री फ्लोरेंस पार्ली बनीं।
राफेल लड़ाकू विमान का भारतीय वायुसेना के बेड़े में प्रवेश पूरी प्रक्रिया के साथ हुआ। सबसे पहले यहां सर्वधर्म पूजा की गई, जिसके बाद फ्लाईपास्ट किया गया। इस दौरान तेजस, सुखोई समेत कई अन्य वायुसेना के विमानों ने एयर शो में हिस्सा लिया और अंच में वाटर कैनेन सैल्यूट के साथ राफेल लड़ाकू विमान को सलामी दी गई। बता दें जब भी कभी वायुसेना में कोई नया लड़ाकू विमान शामिल होता है, तो इसी प्रक्रिया का पालन किया जाता है।
क्या है राफेल विमान?
राफेल विमान फ्रांस की विमानन कंपनी दसां एविएशन द्वारा बनाया गया 2 इंजन वाला लड़ाकू विमान है। सबसे पहले 1970 में फ्रांसीसी सेना द्वारा अपने पुराने पड़ चुके लड़ाकू विमानों को बदलने की मांग उठी थी। इसके बाद फ्रांस ने 4 यूरोपीय देशों के साथ मिलकर एक बहुउद्देशीय लड़ाकू विमान की परियोजना पर काम शुरू किया, लेकिन बाद में उन देशों के साथ फ्रांस के मतभेद हो गए, जिसके बाद फ्रांस ने अकेले ही इस परियोजना पर काम शुरू कर दिया।
यहां पढ़ें राफेल के भारतीय वायुसेना में शामिल होने से जुड़ी 10 खास बातें
राफेल चौथी पीढ़ी का फाइटर जेट है। ये कई रोल निभाने में सक्षम कॉम्बैट फाइटर जेट है। ग्राउंड सपोर्ट, डेप्थ स्ट्राइक और एंटी शिप अटैक में सक्षम है।
इसकी ताकत का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि ये छोटे न्यूक्लियर हथियारों को ले जाने में सक्षम है। राफेल एयरक्राफ्ट 9500 किलोग्राम भार उठाने में सक्षम है।
राफेल विमानों का निर्माण फ्रांस की कंपनी दसॉल्ट एविएशन ने किया है। वायुसेना के प्रवक्ता विंग कमांडर इंद्रनील नंदी ने कहा कि राफेल विमानों को बल के 17वें स्क्वॉड्रन में शामिल किया गया। ये अधिकतम 24500 किलोग्राम वजन के साथ उड़ान भर सकता है।
29 जुलाई को पहली खेप के तहत पांच राफेल विमान भारत लाए गए थे। भारत ने लगभग चार साल पहले फ्रांस से 59,000 करोड़ रुपये में 36 राफेल विमान खरीदने का सौदा किया था।
इस फाइटर जेट की अधिकतम रफ्तार 1389 किमी/घंटा है। एक बार में ये जेट 3700 किमी तक का सफर तय कर सकता है। ये हवा से हवा और जमीन दोनों पर हमला करने वाली मिसाइलों से लैस है।
राफेल में तीन तरह की मिसाइल लगाई जा सकती हैं। हवा से हवा में मार करने वाली मीटियोर मिसाइल, हवा से जमीन में मार करने वाल स्कैल्प मिसाइल और हैमर मिसाइल।
लद्दाख सीमा के हिसाब से देखें तो राफेल लड़ाकू विमान फिट बैठता है। राफेल ओमनी रोल लड़ाकू विमान है। यह पहाड़ों पर कम जगह में उतर सकता है। इसे समुद्र में चलते हुए युद्धपोत पर उतार सकते हैं।
एक बार फ्यूल भरने पर यह लगातार 10 घंटे की उड़ान भर सकता है। ये हवा में ही फ्यूल को भर सकता है, जैसा इसने फ्रांस से भारत आते हुए किया भी था।
राफेल लड़ाकू विमान स्टार्ट होते ही ऊंचाई तक पहुंचने में अन्य विमानों से काफी आगे है। राफेल का रेट ऑफ क्लाइंब 300 मीटर प्रति सेकंड है, जो चीन-पाकिस्तान के विमानों को भी मात देता है। यानी राफेल एक मिनट में 18 हजार मीटर की ऊंचाई पर जा सकता है।
रूस से सुखोई विमानों की खरीद के बाद अपनी सटीक मारक क्षमता और वायु श्रेष्ठता के लिए चर्चित राफेल विमानों की करीब 23 साल बाद खरीद हुई है।राफेल में अभी जो मिसाइलें लगी हैं, वो सीरिया, लीबिया जैसी जगहों में इस्तेमाल हो चुकी हैं। इसके अलावा जल्द ही SPICE 2000 को भी इसमें जोड़ा जाएगा।
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जानिए क्या है राफेल विमान, इसकी खासियत और लागत के बारे में
चैतन्य भारत न्यूज
नई दिल्ली. भारतीय वायुसेना को काफी लंबे वक्त से जिस लड़ाकू विमान का इंतजार था, वो राफेल विमान आज भारत पहुंच हैं। फ्रांस के साथ हुए सौदे के तहत राफेल लड़ाकू विमान आज राफेल विमान की पहली खेप हरियाणा के अंबाला एयरबेस पर लैंड हो चुकी है। इन्हें रिसीव करने के लिए खुद वायुसेना अध्यक्ष एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया मौजूद रहे। राफेल को अफगानिस्तान, लीबिया, माली और इराक में इस्तेमाल किया जा चुका है और अब इसे हिन्दुस्तान भी इस्तेमाल करेगा। आइए जानते हैं राफेल की ताकत के बारे में-
आरबी और बीएस सीरीज के होंगे राफेल
फ्रांस से 7364 किलोमीटर का सफर तय कर 4.5 फोर्थ जनरेशन के फाइटर जेट राफेल बुधवार को अंबाला की सरजमीं पर उतरे। ये पांचों राफेल आरबी-001 से 005 सीरीज के होंगे। आरबी का मतलब है एयर चीफ राकेश भदौरिया, जबकि शेष बीएस-001 से जुड़े हैं। बीएस का मतलब है पूर्व एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ। राफेल 17 स्कवाड्रन का हिस्सा होंगे। इसे गोल्डन एरोस का नाम दिया गया है।
राफेल विमान क्या है?
जानकारी के मुताबिक, फ्रांसीसी कंपनी डैसॉल्ट एविएशन द्वारा निर्मित राफेल दो इंजन वाला मध्यम मल्टी-रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एमएमआरसीए) है। राफेल लड़ाकू युद्ध में अहम रोल निभाने में सक्षम हैं। राफेल वायु वर्चस्व, हवाई हमला, जमीनी समर्थन, भारी हमला और परमाणु प्रतिरोध आदि सब कर सकता है। भारत को जो राफेल मिले हैं, उनमें कुछ बदलाव किए गए हैं जो इस प्रकार हैं-
भारत को मिले राफेल विमानों में इजरायल के हेलमेट माउंटेड डिस्प्ले लगवाए गए हैं।
इन राफेल विमानों में रेडार वॉर्निंग रिसीवर्स भी लगे हैं।
फ्लाइट का डेटा मेंटन करने के लिए राफेल में डेटा रिकॉर्डिंग सिस्टम भी लगाए गए हैं। इसके जरिए 10 घंटे का डेटा रिकॉर्ड किया जा सकता है।
भारत को मिले राफेल विमान में लो बैंड के जैमर्स लगाए गए हैं।
इसके ट्रैकिंग सिस्टम और इंफ्रा रेड सर्च को भी मोडिफाई किया गया है।
ये हैं राफेल विमान की खासियतें-
राफेल विमान महज एक मिनट के अंदर ही 60 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है।
राफेल की ईंधन क्षमता करीब 17 हजार किलोग्राम है।
इस विमान की मारक क्षमता 3700 किलोमीटर तक है।
यह विमान एक बार में 24,500 किलो तक का वजन ले जा सकता है।
राफेल विमान करीब 60 घंटे की अतिरिक्त उड़ान भी भर सकता है।
इसकी गति 2,223 किलोमीटर प्रति घंटा है।
यह 300 किलोमीटर की रेंज से हवा से जमीन पर हमला करने में भी सक्षम है।
इस विमान में ऑक्सीजन जनरेशन सिस्टम लगा है, जिससे इसमें लिक्विड ऑक्सीजन भरने की जरूरत नहीं पड़ती है।
राफेल विमान 14 हार्ड पॉइंट के जरिए भारी हथियार भी गिराने की क्षमता रखता है।
यह विमान सभी मौसम में एक साथ कई काम कर सकता है। इसलिए राफेल को मल्टीरोल फाइटर एयरक्राफ्ट के नाम से भी जाना जाता है।
राफेल एक ऐसा विमान है, जिसे किसी भी तरह के मिशन पर भेजा जा सकता है।
क्या है राफेल की लागत
सूत्रों के मुताबिक, राफेल सौदा 7.8 करोड़ यूरो यानी करीब 58,000 करोड़ रुपए का है। लोकसभा चुनाव 2019 से पहले राफेल सौदे पर भारत में खूब सियासत भी देखने को मिली थी। विपक्ष लगातार मोदी सरकार पर इसे लेकर निशाना साध रही थी। कांग्रेस का दावा है कि, यूपीए सरकार के दौरान एक राफेल फाइटर जेट की कीमत 600 करोड़ रुपए तय की गई थी। लेकिन मोदी सरकार के कार्यकाल में एक राफेल करीब 1600 करोड़ रुपए का पड़ेगा।
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