#protectsanatandharma
Explore tagged Tumblr posts
Text
“एक प्रत्यावर्तन की कहानी” - पुस्तक की कुछ विशेषताएं:
यह पुस्तक उन परिस्थितियों पर चर्चा करती है जो मतांतरण की ओर ले जाती हैं। जैसे – आंतरिक कमजोरी, जिसे हमें खुद ही हल करना है, वह है सनातन धर्म, अन्य मतों, दर्शन के बारे में अज्ञानता। साथ ही, अतीत और वर्तमान समस्याओं का ठीक से अध्ययन न करने की समस्या, इनके समाधान को लागू करने के लिए कोई व्यवस्था न होने की समस्या, हिंदुओं की यह गलत धारणा कि सभी धर्म एक जैसे हैं। असमानता और ऐसी अनेक समस्याएं।
यह इस्लामवादियों की मतांतरण-रणनीति को समझाती है।
मत परिवर्तन के दौरान व्यक्ति में होने वाला व्यावहारिक परिवर्तन। लोगों, परिवार, समाज, राष्ट्र और दुनिया के प्रति शत्रुतापूर्ण रवैया – इसे व्यक्तिगत अनुभव के माध्यम से स्पष्ट किया ��या है।
मत परिवर्तन केंद्रों में किए जाने वाले ब्रेनवॉशिंग, चर���पंथियों और आतंकवादियों को जन्म देने वाले प्रशिक्षण को उजागर करती है।
हिंदू परिवारों और समाज पर मतांतरण के प्रभाव की व्याख्या करती है।
यह बताती है कि व्यक्ति सनातन धर्म में कैसे वापस आ पाया।
मतांतरण के खिलाफ़ एक मज़बूत प्रतिरोध प्रणाली कैसे बनाई जाए? पुस्तक उन कदमों को दर्शाती है।
मतांतरित व्यक्ति को वापस लाने के क्या तरीके हैं?
इस समस्या का स्थायी समाधान क्या है?
इन सब पर विस्तार से चर्चा करते हुए यह पुस्तक सनातन धर्म और इस्लाम का तुलनात्मक अध्ययन भी है। हजारों लोगों को बचाने वाली यह पुस्तक हिंदी में रिलीज हो रही है। आर्ष विद्या समाजम को इस विशेष अवसर पर गर्व है।
0 notes
Text
एक प्रत्यावर्तन की कहानी
"एक प्रत्यावर्तन की कहानी (मैं कैसे मतांतरित हुई और सनातन धर्म में वापस लौटी)"
लेखिका - ओ. श्रुति जी, आर्ष विद्या समाजम्
२०१३ में कासरगोड केरल के एक हव्यक ब्राह्मण परिवार की युवती श्रुति परिवर्तित होकर रहमत बनने का समाचार काफी विवादास्पद रही थी। यह स्कूल शिक्षिका उन हजारों लोगों में से एक थी, जिनकी ब्रेनवेशिंग से मत परिवर्तन किया था। ईश्वर की कृपा से इस युवती को आचार्यश्री के.आर. मनोज जी द्वारा स्थापित आर्ष विद्या समाजम में आकर सनातन धर्म सीखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। इस्लाम में परिवर्तित होने की मूर्खता को महसूस करने के बाद, वह सनातन धर्म में लौट आई और आर्ष विद्या समाजम की पूर्णकालिक प्रचारक बनने का संकल्प लिया। उन्होंने अपने जैसे हजारों अन्य लोगों को वापस लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
पुस्तक से…………….
निर्णायक क्षण पास आ गया था। मैं मजिस्ट्रेट के सामने थी।
“क्या है तुम्हारा फैसला?” उन्होंने पूछा।
एक पल के लिए (शायद भगवान ने हस्तक्षेप किया), मैंने ��पनी मां की ओर देखा। वह रोते हुए बोली, “मत जाओ मेरी बच्ची! मुझे छ���ड़कर मत जाओ” और ज़मीन पर गिर पड़ी। पुलिस और मैंने उनको उठाया।
“मैं अभी अपने माता-पिता के साथ जाऊंगी। दो दिनों के बाद, मैं पोन्नानी वापस जाना चाहती हूं और इस्लामी अध्ययन फिर से शुरू करना चाहती हूं”, मैंने कहा। मेरे बयान के बाद जब हम बाहर आए तो मेरी मां ने मेरे गाल पर चूमा। मैं बेबस होकर उस कार की ओर बढ़ी जो मेरी मां के साथ हमें लेने आई थी। मैंने अपने पिता को कुछ फेंकते हुए देखा। वे ज़हर की शीशी लेकर मेरे सामने अपनी जान देने के लिए खड़े थे, अगर मैं उनके साथ लौटने का विरोध करती तो! जहर की शीशी उन्होंने फेंक दिया
…………………………………………………
श्रुति को उम्मीद है कि उसके माता-पिता को जिस पीड़ा और अपमान से गुजरना पड़ा, उसका सामना किसी और को न करना पड़े और कोई भी गलत धारणाओं का शिकार होकर मत परिवर्तन न करे। "एक प्रत्यावर्तन की कहानी" पुस्तक मलयालम में मूल पुस्तक 'ओरु परवर्तनतिन्टे कथा' का हिंदी अनुवाद है। इस पुस्तक को हमारे वेबस्टोर से खरीदें और पढ़ें तथा इसे अन्य हिंदुओं तक पहुंचाकर उनको धर्मांतरण से बचाने में मदद करें।
Buy book at
0 notes
Text
Story of a Reversion
It tells about how the author O Shruti was converted to Islam and returned to Sanathana Dharma.
Sruthi, a member of a Havyaka Brahmin family from Kasaragod, sparked controversy when she converted to Islam, adopting the name Rahmat. As a school teacher, she was one among thousands who had been misled into conversion. However, by the grace of God, she found her way to Aarsha Vidya Samajam, where she was introduced to Sanatana Dharma.
From the book…….
The pivotal moment had arrived. I stood before the Magistrate. "What is your decision?" he asked. For a brief moment (and perhaps through divine intervention), I locked eyes with my mother. She crumpled to the ground, tears streaming down her face as she sobbed, "Don't go, my child! Please don’t leave me!" The police and I rushed to help her stand. "I will go with my parents now," I said firmly. "But in two days, I intend to return to Ponnani and continue my Islamic studies."
As we left after my declaration, my mother kissed me on the cheek. Helpless, I walked toward the car that had come to take us, with her in tow. In the distance, I saw my father throw something away. He had been holding a bottle of poison, prepared to end his life right there in front of me if I refused to go with them. It was that very bottle of poison he cast aside.
……………………………
In the book ‘Story of a Reversion’, Sruthi explores the underlying causes of religious conversions and offers solutions, hoping to spare others from the pain and humiliation that her own family endured and to prevent others from being misled by misconceptions.
Buy book at
0 notes
Text
एक प्रत्यावर्तन की कहानी
"एक प्रत्यावर्तन की कहानी (मैं कैसे मतांतरित हुई और सनातन धर्म में वापस लौटी)"
लेखिका - ओ. श्रुति जी, आर्ष विद्या समाजम्
२०१३ में कासरगोड केरल के एक हव्यक ब्राह्मण परिवार की युवती श्रुति परिवर्तित होकर रहमत बनने का समाचार काफी विवादास्पद रही थी। यह स्कूल शिक्षिका उन हजारों लोगों में से एक थी, जिनकी ब्रेनवेशिंग से मत परिवर्तन किया था। ईश्वर की कृपा से इस युवती को आचार्यश्री के.आर. मनोज जी द्वारा स्थापित आर्ष विद्या समाजम में आकर सनातन धर्म सीखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। इस्लाम में परिवर्तित होने की मूर्खता को महसूस करने के बाद, वह सनातन धर्म में लौट आई और आर्ष विद्या समाजम की पूर्णकालिक प्रचारक बनने का संकल्प लिया। उन्होंने अपने जैसे हजारों अन्य लोगों को वापस लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
श्रुति को उम्मीद है कि उसके माता-पिता को जिस पीड़ा और अपमान से गुजरना पड़ा, उसका सामना किसी और को न करना पड़े और कोई भी गलत धारणाओं का शिकार होकर मत परिवर्तन न करे। "एक प्रत्यावर्तन की कहानी" पुस्तक मलयालम में मूल पुस्तक 'ओरु परवर्तनतिन्टे कथा' का हिंदी अनुवाद है। इस पुस्तक को हमारे वेबस्टोर से खरीदें और पढ़ें तथा इसे अन्य हिंदुओं तक पहुंचाकर उनको धर्मांतरण से बचाने में मदद करें।
Buy book at
0 notes